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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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जिस मौत के टापू मे कोई परिंदा तक नही पहुंच सकता , जहां कोई शिप या प्लेन नही जा पाता , वहां ' सम्राट ' शिप के बचे खूचे यात्री पहुंच गए । वह कैसे पहुंचे , यह सब देख ही चुके है । उस टापू ने ही इस शिप को हिप्नोटाइज किया था । यह लोग अपनी कोशिश से वंहा नही पहुंचे थे ।
:approve: हम आपकी बात से इंकार कहां कर सकते है सरकार :dazed: आप किसी भी पोस्ट का पोस्टमार्टम करने मे पूर्ण रुप से सक्षम है:bow::bow: ये सच है कि ये खुद नही आए बल्की लाए गये है।
इसी टापू , इसी तिलिस्म टापू का युवराज अमेरिका मे रहकर पढ़ाई कर रहा है । इस युवराज ' वेगा ' के भाई-बहन उस तिलिस्मी टापू के निवासी है ।
यह सब कैसे और क्योंकर हो गया ? अपनी ही जमीन , अपनी ही सभ्यता की हकीकत की पड़ताल हमारे युवराज साहब अमेरिका मे क्यों कर रहे है ? लेकिन युवराज साहब उस खुंखार टापू से अमेरिकन धरती पर आए कैसे ? किस साधन और यान का इस्तेमाल किया था इन्होने ?
युवराज साहब से अभी बोहोत सी बात छिपाई गई है सर, अब उसने वहां से अमेरिका तक का सफर तय किया है, तो साधन भी अवश्य होगा:dazed: ईंतजार कीजिए, हम सब सवालों के जवाब देने के लिए कटिबद्ध है।:roll3:
बाज और युवराज का तथाकथित भिडंत जाहिर करता है कि बाज , युवराज के रियासत का ही एक प्राणी था और उसका मकसद किताब को प्राप्त करना था । लेकिन इस प्रकरण का उद्देश्य समझ नही आया ।
हां आपने ठीक समझा, ये बाज वहीं से है।
प्रकरण का उद्देश्य केवल यही था की वेगा वो किताब ना पढ पाए।।:declare:
इधर तिलिस्मी द्वीप ' अराका ' मे एक अजीबोगरीब जानवर ने जेनिथ की पैंट ढिली कर दी । वह तो शुक्र था कि शैफाली वहां उस वक्त मौजूद थी , वरना हमारे राइटर साहब एक और खुबसूरत कन्या की बलि ले लेते ।
बिल्कुल हो सकता था भाई, अपने सुयश भैया तो बली देने को तैयार भी हो गये थे, :D जिस सुयश को आफ ऐसा वैसा समझ रहे हो सरकार, उसके बिना तो कहानी ही अधूरी रह जाती:approve: थोडा इंतजार ओर करिए। वैसे कन्याएं बलिदान के लिए थोडी होती है।:laughing:

वह अजीबोगरीब जानवर और कोई नही , महारानी क्लिटो का ही प्रोडक्ट जलोथा था । इस प्राणी की रचनाकार क्लिटो मैडम ही थी ।
और शैफाली के मात्र एक नजर देखने से जलोथा की तबीयत नासाज क्यों हो गई , यह अब आसानी से समझा जा सकता है ।
बिल्कुल ठीक कह गए आप, वो उसी का किर्येशन है, शैफाली ने उसका नाम पुकारा था ना, वो डर गया।।:dazed:
बहुत ही बेहतरीन अपडेट शर्मा जी ।
यह AI का जमाना है । इस फैंटेसी वर्ल्ड मे , इस तिलिस्मी कहानी मे अगर AI का इस्तेमाल कर कुछ पिक्चर / तस्वीर डालें तो यह रीडर्स को और भी रोमांचित लगेगा ।
भाई बस यही अपने बस का काम नही है। मै जानता हूं इस से कहानी काफी मजेदार हो जाएगी, तथापी
मै यह नही कर पाउंगा, क्यू की इन सब मे जितना समय लगेगा, उतने मे एक अपडेट लिख डालूंगा मै।।, आपके ईस शानदार रिव्यू ओर सपोर्ट के लिए आपका बोहोत बोहोत आभार भैया:hug:
आप ऐसे ही साथ देते रहिए हम पूरे xf को हिला डालेंगे।:laughing:
 

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#57.

सभी सुयश के पीछे चल पड़े। सुयश ने मोटरबोट को एक बार देखा। उसके अंदर 3 स्विमिंग कॉस्ट्यूम, ओक्सिजन सिलेंडर के साथ रखे दिखें जो कि सुयश ने सुप्रीम के प्रोपेलर की जांच करने के लिए मंगवाए थे।

मोटरबोट के अंदर और कुछ नहीं दिख रहा था। सुयश मोटरबोट के अंदर घुस गया। उसने मोटरबोट के जमीन पर लगे हैंडल को खींचकर उठा लिया। उतनी दूर का लकड़ी का वह हिस्सा ढक्कन की तरह से खुल गया और अंदर रखा काफी सारा सामान दिख गया।

सुयश ने इशारे से ब्रेंडन को सारा सामान निकालने को कहा।

बामुस्किल 10 मिनट में ही ब्रेंडन ने कुछ लोगो की मदद लेकर मोटरबोट का सारा सामान निकालकर वही द्वीप के किनारे एक साफ जगह देख कर रखवा दिया।
अब सभी की नजर मोटरबोट से निकले सामान पर थी।

मोटरबोट में था- “ताज़ा वॉटर की लगभग 40 बोतलें, ड्राई-फ्रूट्स के लगभग 100 पैकेट, 10 चिप्स, 1 केम्पास, 1 सिग्नल मिरर, 6 मजबूत पीठ पर ढोने वाले ट्रेवल बैग, 2 पावरफुल टार्च, 2 बड़े चाकू और आग जलाने वाले 2, 2 सीटियाँ, ओर लाइटर।"

“यह मोटरबोट एक तरह की लाइफबोट थी, इसलिए इसमें ये सब सामान उपस्थित था। तो अब आप लोग ने देख ही लिया की हमारे पास क्या-क्या है।" सुयश ने सबको बारी-बारी देखते हुए कहा- “अब हमें इन्ही चीज़ो से गुजारा करना पड़ेगा।"

“कैप्टन, मेरे काले बैग में भी एक टार्च और सिग्नल फ़्लेयर है।" असलम ने अपने कंधे पर टंगे बैग की ओर इशारा करते हुए कहा।

“कैप्टन क्या हमें यही किनारे पर रहकर अपना बचाव करना चाहिए या फिर इस द्वीप के जंगल में प्रवेश करके वहां बचाव का कुछ साधन ढूंढना चाहिए।" जेनिथ ने सुयश से पूछा।

लेकिन इससे पहले कि सुयश कुछ जवाब दे पाता, तौफीक बीच में ही बोल उठा-

“हमारे पास खाने-पीने की चीजे बहुत ही सीमीत है, अगर हम थोड़ा-थोड़ा भी यूज करे, तब भी 5 दिन से ज़्यादा ये चीजे नही चालेंगी, ऐसे में सामान ख़तम होने के बाद भी हमें द्वीप के अंदर तो जाना ही पड़ेगा, तो फ़िर क्यों ना हम अभी ही द्वीप के अंदर जाने का फ़ैसला ले-ले ।"

“तौफीक सही कह रहे है ।" एलेक्स ने कहा- “वैसे भी यह द्वीप बहुत बड़ा है, अगर हम सब कुछ ख़तम होने के बाद इस द्वीप को पार करने कि कोसिस करे तो पता नहीं हमें अंदर खाने-पीने कि चीजे मिलेंगी भी कि नहीं। इसिलए में तौफीक के विचार से पूर्णतया सहमत हूं ।"

अब सभी ने तौफीक कि बात पर सहमित जताई। “तो फ़िर ये ‘फाइनल’ रहा कि हम इस द्वीप के अंदर जाएगे।"

सुयश ने ‘थम्सअप-अप’ करते हुए कहा- “तो फ़िर मेरे हिसाब से पहले सबको कुछ खा-पी लेना चाहिए, फ़िर जरुरत के सारे सामान को इन 6 ट्रेवल बैग में भर लेंगे और लड़कियाँ और अल्बर्ट सर को छोड़कर बाकि सभी लोग बारी-बारी से इसे उठाकर चलते रहेंगे।"

सुयश कि बात सभी को सही लगी, इसिलए किसी ने ऐतराज जाहिर नही किया। अब सभी वही रेत पर जमीन में बैठ गये।

ब्रेंडन ने सभी को ड्राई-फ्रूट्स का एक पैकेट और पानी कि एक बॉटल पकड़ा दी। ब्रेंडन ने ड्राई-फ्रूट्स का एक पैकेट फाड़कर ब्रूनो को भी दे दिया। 30 मिनट में सभी ने खाना खाकर जरुरत का सभी सामान पैक कर लिया और सुयश को देख, उठ कर खड़े हो गये।

क्यो की किसी ने रात में भी कुछ नही खाया था, इसिलए खाना खाकर सभी में एक नयी फुर्ती का संचार हो गया। सुयश ने आसमान की तरफ सिर उठाकर, हाथ जोड़कर ईश्वर से कुछ प्रार्थना किया और जंगल की ओर चल दिया।

अलबर्ट, शैफाली, एलेकस, क्रिस्टी, तौफीक, जेनिथ, जैक, जॉनी, ब्रेंडन, असलम, ड्रेजलर और ब्रूनो भी सुयश के पीछे-पीछे चल पड़े।

ट्रेवेल बैग इस समय तौफीक, ब्रेंडन, सुयश, जैक, असलम और ड्रेज़लर के पास थे। अलबर्ट ने एक सीटी को शैफाली के गले मे टांगने के बाद, एक अपने गले मे पहन लिया।

तौफीक ने एक चाकू उठाकर अपने पास रख लिया। दूसरा चाकू ब्रेंडन को दे दिया। मौसम इस समय बिलकुल साफ था। आसमान मे सूर्य अपनी किरणें बिख़ैरता हुआ चमक रहा था।

द्वीप के अंदर की ओर विशालकाय पेड़ लहरा रहे थे। सुयश ने जंगल मे घुसने से पहले किनारे पर मौजूद कुछ पेडों से डंडे तोड़ते हुए कहा-

“सभी लोग अपने हाथ मे कुछ ना कुछ अवस्य ले-ले। क्यों की जंगल घना लग रहा है। अगर किसी तरह का कोई जंगली जानवर हुआ तो यह डंडे हमारे काम आ सकते हैं।"

सुयश की बात सभी को सही लगी। अतः बाकी लोग ने भी लकड़ी के डंडे तोड़कर अपने हाथो मे ले लिये। इसके बाद सभी द्वीप के अंदर की ओर चल दिये।

जंगल बहुत ही घना था इसिलए सभी एक सीधी लाइन मे एक के पीछे एक चल रहे थे। जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली को बीच मे कर दिया गया।

सबसे आगे सुयश था। वह बहुत सावधानी के साथ अपने कदम बढ़ा रहा था। कुछ दूर चलने के बाद शैफाली को थोड़ी मस्ती सूझी। उसने अपने गले मे टंगी सीटी को एक बार जोर से बजा दिया।

“टऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ" जंगल इतना शांत था कि एक जोरदार आवाज पूरे जंगल में गूंज गयी। सीटी की आवाज सुन, सभी हैरानी से शैफाली कि तरफ देखने लगे।

“मैं तो बस चेक कर रही थी कि जंगल में सीटी की आवाज गूंजती कितनी जोर से है?" शैफाली ने शैतानी से मुस्कुराते हुए कहा।

शैफाली की शैतानी देख सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। इधर तो सीटी कि आवाज के कारण मस्ती चल रही थी, पर इसी आवाज को सुन अराका द्वीप पर मौजूद ‘पोसाइडन की पहाड़ वाली मूर्ति’ की आँखे अचानक से लाल हो गई और एक तेज हवा का झोंका पहाड़ से शैफाली कि ओर बढ़ा।

चलती हुई शैफाली के बाल हवा के झोंके कि वजह से हवा में लहराये और उसे अपने कानो में एक फुसफुसाहट सी सुनाई दी:-

“अराकाऽऽऽऽऽऽ!"

शैफाली यह सुन बहुत हैरान हो गई- “कौन है? .... कौन है यहां?"

शैफाली की आवाज सुन सभी पलटकर शैफाली को देखने लगे।

“क्या हुआ शैफाली?" क्रिस्टी ने शैफाली का हाथ पकड़कर पूछा।

“पता नही, पर किसी ने मेरे कानो में फुसफुसाकर ‘अराका’ कहा।"

“अराका?" सभी ने समवेत स्वर में कहा।

“पर यहां तो हम लोगो के सिवा कोई भी नही है।" जॉनी ने डर कर इधर-उधर देखते हुए कहा।

“नही-नही कोई था मेरे पास....।" शैफाली के शब्दो में एक बार फिर रहस्य झलकने लगा- “और मुझे ऐसा लगा जैसे कि में उसे जानती हूँ।"

“क्या?" अब सुयश की भी आँखे सिकुड गई - “तुम इस द्वीप पर किसी को कैसे जान सकती हो?"

अब सभी की नजर इधर-उधर घूमने लगी, पर जब काफ़ी देर तक उनको कुछ नजर नही आया तो सभी फिर से आगे बढ़ गये।

सभी को चलते-चलते 2 घंटे हो गये थे। धीरे-धीरे जंगल घना होने लगा था। जंगल के अंदर से चिड़ियाँ के चहचहाने की आवाज आ रही थी ।

कभी-कभी कुछ जानवरो कि आवाज भी उस में आकर मिल जाती थी । कुछ और आगे बढ़ने पर इनहे एक हरा-भरा बाग दिखाई दिया।

बाग में लगे पेड़ भी अजीब सी आकृति के थे और उस पर सेब के समान परंतु नीले रंग के फल लटक रहे थे।

“यह तो बहुत विचित्र पेड़ लग रहा है।" अल्बर्ट ने पास जाकर पेडो को देखते हुए कहा- “ऐसे पेडो के बारे में तो मैंने पढ़ा तक नही है।"

“आप सही कह रहे है प्रोफेसर।" सुयश ने भी पेडो को देखते हुए कहा- “मैंने भी कभी ऐसे पेड़ और फल के बारे में नही सुना और इनका नीला रंग भी कितना विचित्र है।"

“पर ग्रैंड अंकल!" शैफाली ने मासूमियत भरे अंदाज में कहा- “मुझे तो इन फलो कि खुशबू बहुत अच्छी लग रही है। खुशबू से तो यह फल रसीले भी प्रतीत हो रहे है। क्या हमें इन्हे खाना चाहिए?"

“नही शैफाली!" जेनिथ ने कहा- “हमें बिना चेक किए, इन फलो को नही खाना चाहिए। इनका नीला रंग देखकर लगता है कि यह जहरीले भी हो सकते है।"

“तो फिर क्यों न एक फल तोड़कर हम ब्रूनो को सुंघाएं?" शैफाली ने कहा- “अगर ब्रूनो ने फल खा लिया। तो फिर हम भी खा सकते है।"

सभी को शैफाली का यह तर्क सही लगा। एक फल जो नीचे तक लटक रहा था, जैक ने आगे बढ़कर उसे तोड़ने की कोशिश की, पर जैसे ही जैक का हाथ उस फल तक पहुंचा, अचानक ही आश्चर्यजनक जनक तरीके से वो फल कि डाल थोड़ा ऊपर की ओर उठ गयी।

“यह कैसे हो सकता है?" ब्रेंडन ने हैरानी से पेड़ को देखते हुए कहा- “यह पेड़ की डाल अपने आप ऊपर कैसे हो गयी?"

“शायद यह पेड़ ‘मीमोसा पुडिका’ के पेड़ के समान ‘सेम पेड’ है, जिनको छूने पर वह अपने आप में सिमट जाते है।"
अल्बर्ट ने अपनी वनस्पति विज्ञान की जानकारी को सबसे साझा करते हुए कहा।

अब कोई भी फल इतनी ऊंचाई पर नही लगा था कि उसे जमीन पर रह कर तोड़ा जा सके।

“लगता है पेड़ पर चढ़े बिना फल को नहीं तोड़ा जा सकता।”असलम ने कहा।

“चढ़ना तो पड़ेगा।“ इस बार अल्बर्ट ने कहा- “पर चढ़ोगे कैसे? देख नही रहे, यह पेड़ कितना सीधा है और इसकी सबसे नीची डाल भी कम से कम 12 फुट ऊपर है। ऐसे में इस पेड़ पर चढ़ना इतना सरल नहीं है।"

“मैं चढ़ सकता हू इस पेड़ पर।" एलेक्स ने आगे आते हुए कहा- “मेरे लिये यह बात आसान है।"

यह कहकर एलेक्स ने बीना किसी से पूछे, अपने जूते उतारे और एक पेड़ के तने को छूकर पेड़ को पकड़ का जायजा लिया। इसके बाद एलेक्स किसी प्रशिक्षित बंदर कि तरह तने को पकड़कर, पेड़ पर चढ़ने लगा।

“बंदर कहीं का।" क्रिस्टी ने मुस्कुराते हुये एलेक्स पर कमेंट किया।

अनायास ही सभी के चेहरे पर एक मुस्कान सी खिल गई।

थोड़ा ऊपर चढ़कर एलेक्स ने आसपास के फलो को देखा। अब एलेक्स कि नजर एक पास के फल पर गयी, जो कि उससे ज्यादा दूर नही था।

एक दूसरी शाख पर कूदने के बाद एलेक्स ने उस फल कि ओर हाथ बढ़ाया। सबकी नजर एलेक्स पर थी।

तभी एकाएक एलेक्स के पीछे की पेड़ की एक डाली स्वतः गतिमान हूई और वह रबर की तरीके से तेजी से आकर एलेक्स की पीठ पर लगी-
“सटाक्"

“आहऽऽ!" पीठ पर लगी चोट के कारण एलेक्स के मुंह से एक तेज कराह निकली और उसका हाथ डाल से छूट गया।

एलेक्स का शरीर हवा में लहराया और तेजी से जमीन की तरफ गया।

एलेक्स ने फुर्ती से एक डाली पकड़ ली, नही तो वह सीधे जमीन पर आ जाता। यह घटना किसी कि आँखो से छीपी ना रह सकी।

“एलेक्स तुरंत नीचे आ जाओ।" क्रिस्टी ने चीखकर कहा- “पेड़ पर कुछ खतरा है।"

एलेक्स को कुछ समझ नही आया पर क्रिस्टी की आवाज सुन वह पेड़ से नीचे कूद गया।

“यह कैसे संभव है, यह पेड़ तो बिल्कुल किसी सजीव की तरह व्यवहार कर रहा है और इसे देखकर मुझे नही लगता कि हम लोग इस पेड़ से एक भी फल तोड़ पायेंगे।"
अल्बर्ट ने आश्चर्य से पेड़ को देखते हुए कहा।





जारी रहेगा________✍️
Wah bahut majedar update Raj_sharma bhai maja aa gaya
.
Sabhi jungle me nikal gaye jaha Shafali ki citi wali maskhari se sabka dhyn gaya sath is mahol me sabke chehelre per halki he sahi lekin muskurahat aayi lekin sath he Posidaen ki murti ki aakh ka achnak lal hona sath me Shefali ke kaano tak awaj aana jisme ARAKA ka naam tha is name se Shefali ka kya tallukh hoga
.
Kher jungle me pedd wala kissa bahut he majedar raha esa laga jaise apni aakho se ye scene dekh raha ho mai
 

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#58.

“अब तो 100 प्रतिशत मुमकिन है कि हमे इस द्वीप पर अभी बहुत से आश्चर्य और देखने को मिलेंगे ।" ड्रेजलर ने कहा।

“अंकल क्या मैं इस पेड़ को छू सकती हुं ?" शैफाली ने सुयश कि ओर सर घुमाते हुए कहा- “पता नही क्यों मुझे इसे छूने का मन कर रहा है।"

सुयश ने एक बार ध्यान से शैफाली को देखा और फ़िर शैफाली का हाथ पकड़ उसे पेड़ तक लेता गया।

वैसे तो शैफाली कि यह बात बहुत ही सामान्य सी थी, परंतु पता नही क्यों सुयश को इसमे भी कुछ रहस्य सा महसूस हुआ। सुयश के हाथ के इशारे पर, शैफाली ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर पेड़ को स्पर्श कर लिया।

शैफाली के स्पर्श करते ही अचानक पेड़ मे कुछ हलचल सी हुई और बिना किसी हवा के उस पेड़ कि डालीयां झूमने लगी।

पेड़ कि यह हरकत देख सभी लोग डरकर पीछे हट गये। सुयश भी शैफाली को लेकर दूर चला गया। डालीयां के झूमने की गति धीरे-धीरे तेज होने लगी। जिसकी वजह से उस पर लगे फल टूट-टूट कर नीचे गिरने लगे।

मात्र 30 सेकंड मे ही पेड़ के नीचे फलो का अम्बार लग गया। जब पेड़ से सारे फल टूटकर नीचे गिर गये तो पेड़ स्वतः ही शांत हो गया।

“ये सब क्या था?" जेनिथ ने आश्चर्य से फलो के टूटे अंबार को देखते हुए कहा।

“शायद यह कोई मायावी पेड़ है। जिसके अंदर स्वयं कि समझ भी है।" तौफीक ने कहा।

“तुमने पेड़ को छूकर ऐसा क्या किया था?" सुयश ने शैफाली को देखते हुए पूछा- “जिसकी वजह से पेड़ ने हरकत की।"

“मैंने केवल उसे छूकर फल को खाने कि इच्छा व्यक्त की थी बस.... और मुझे कुछ नही पता?"

शैफाली स्वयं भी आश्चर्य में थी। किसी को समझ नही आया कि ये सब कैसे हुआ।

“प्रोफेसर, आपको कुछ समझ में आया क्या?" ब्रेंडन ने अल्बर्ट से मुखातिब होते हुए पूछा।

अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरी और ब्रेंडन से कहना शुरू कर दिया-

“मैं स्वयं इस घटना से आश्चर्य में हुं, मैंने कभी भी ऐसे किसी पेड़ के बारे में नही सुना। हाँ, पर हिंदू माइथालोजी में ‘पारीजात’ नामक एक ऐसे पेड़ का वर्णन है, जो किसी कि भी इच्छा को पूर्ण करता था। मुझे यह पेड़ भी कुछ वैसा ही लग रहा है, क्यों की जब हमने इसकी इच्छा के विरूद्ध इसके फल तोड़ने चाहे तो नही तोड़ पाये, पर जब शैफाली ने इससे प्रार्थना कि तो इसने स्वयं ही अपने सारे फल हमें दे दिये।"

“पर .... शैफाली ने तो मन में प्रार्थना की थी, शैफाली के मन कि बात इसे कैसे समझ में आ गयी।" सुयश के शब्दो में तर्क तो था।

“मैं श्योरिटी से तो कुछ नही कह सकता, पर ये भी हो सकता है कि यह पेड़ मन कि बात को समझ लेता हो, आख़िर हमारी सोच भी तो एक ऊर्जा का ही रूप होती है।" अल्बर्ट ने कहा।

“अंकल अब क्या हम इन फलो को खा सकते है?" शैफाली ने सबके विचारो पर पूर्ण विराम लगाते हुए पूछा।

शैफाली की आवाज सुन सुयश ने एक फल ब्रूनो के सामने रखा। ब्रूनो ने पहले फल को सूंघा और फ़िर खा लिया। थोड़ी देर तक ब्रूनो को देखते रहने के बाद सुयश ने सबको फल खाने कि इजाजत दे दी।

फल का स्वाद बहुत ही अनोखा था। उसमें कोई बीज नही था और रस भी बहुत ज्यादा था। सभी को वो फल बहुत ही अच्छा लगा। फल खाकर सुयश ने फ़िर सभी को आगे चलने का इशारा किया।

सभी उठकर चल दीये । शैफाली ने कुछ आगे बढ़ने के बाद पीछे पलटकर उस चमत्कारी पेड़ को ‘बाय’ किया।

शैफाली के ऐसा करने पर पेड़ की भी एक डाल जोर से हिली, ऐसा लगा मानो उस पेड़ ने भी शैफाली को बाय किया।

चैपटर-2 (सुनहरी ढाल)

7 जनवरी 2002, सोमवार, 11:30, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत, अंटार्कटिका

अंटार्कटिका की धरती पर बर्फ़ की एक मोटी चादर बिछी थी। जनवरी का महीना अंटार्कटिका का सबसे गरम महीना था फ़िर भी उस छेत्र में किसी भी प्रकार के जीव-जंतू और पेड़-पौधे का नामो-निशान तक नहि था।

आसमान इस समय बिलकुल साफ था और तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे मौसम में 2 अमेरिकी व्यक्ति ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों के पास ड्रिल मशीन से बर्फ़ में सुराख करने की कोशीश कर रहे थे।

“तुम्हें क्या लगता है जेम्स, हमारी इस मशीन ने आज क्या खोजा होगा?“ विल्मर ने मैटल खोज करने वाली मशीन के जलते हुए इंडीकेटर को देखकर कहा।

“जरूर यहाँ पर कोई पुराना खजाना दबा हुआ होगा?" जेम्स ने मुस्कुराते हुए विल्मर पर कटाक्ष किया- “फ़िर इस खजाने को पाकर हम करोड़पती बन जाएंगे।"

“हा....हा...हा..... खजाना!“ विल्मर भी जेम्स की बात सुनकर जोर से हंसा- “पुराने टूटे-फूटे स्कूटर के अवशेष के अलावा यहां आज तक कुछ मिला है जो आज मिलेगा। ये कोई पिकनिक मनाने की जगह तो है नही। यहां पर हमारी- तुम्हारी तरह के कुछ खोजी दस्ते ही आते है, अपने ‘स्की-स्कूटर’ से। उन्हि में से कुछ दुर्घटना का शिकार भी हो जाते है । उसमे से ही होगा, किसी का कोई सामान, जिसका यह खोज- सूचक (search-indicator) हमे संकेत दे रहा होगा।"

“सही कह रहा है भाई।" जेम्स ने अब उदास होते हुए कहा- “चल ड्रिल करता रह, जब थक जाना तो मुझे बता देना, आगे की खुदाई मैं कर लूंगा।"

लेकिन इससे पहले कि विल्मर और कुछ बोल पाता, ड्रिल मशीन एक ‘खटाक’ कि आवाज के साथ किसी चीज से टकराई। यह आवाज सुन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“ले भाई मिल गया तेरा खजाना।" विल्मर ने ड्रिल छोड़कर खड़े होते हुए कहा- “अब तू ही निकाल अपने इस खजाने को।"

जेम्स ने हंसकर विल्मर कि जगह ले ली और अपने ग्लब्स पहने हाथो से उस जगह की बर्फ़ साफ करने लगा।

थोड़ी ही सफाई के बाद जेम्स कि आँखे आश्चर्य से सिकुड़ गई।

“य...य...ये क्या है?" जेम्स ने जमीन की ओर देखते हुए आश्चर्य से कहा। जेम्स कि ऐसी आवाज सुनकर विल्मर भी उस गड्डे में देखने लगा।

गड्डे में एक सुनहरी अंजान सी धातु की बनी हुई एक ढाल नजर आ रही थी जो देखने में किसी पुरातन योद्धा की लग रही थी। ढाल पर ड्रेगन कि तरह के एक विचित्र जीव कि उभरी हुई आकृति बनी थी।

“लग रहा है सच में खजाना मिल गया!" उस ढाल को देखकर जेम्स ने रोमांच से कहा।

अब जेम्स और विल्मर तेजी से उस जगह कि बर्फ़ को साफ करने लगे। ढाल अब पूरी नजर आने लगी थी।

“यह कौन सी धातु हो सकती है?" जेम्स ने उस सुनहरी धातु को देखते हुए पूछा।

“सोना तो नही है, पर है यह कोई बहुमूल्य धातु।" विल्मर ने उस धातु को हाथो से टच करते हुए कहा।

ढाल पर पड़ी पूरी बर्फ़ अब हट गयी थी।

“चल निकाल जल्दी से इस खजाने को, अब सबर नहीं बचा मेरे पास।" विल्मर ने कहा।

जेम्स ने ढाल को एक हाथ से खिंचा, पर वह ढाल उठना तो छोड़ो, हिली तक नहीं । यह देख जेम्स ने दोनो हाथो का इस्तेमाल किया, पर पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह उस ढाल को हिला तक नहीं पाया।

यह देख विल्मर ने क्रोध से जेम्स को धक्का दीया और स्वयं आकर उस ढाल को उठाने कि कोसिश करने लगा। पर ढाल विल्मर से भी ना हिली । अब दोनों ने मिलकर पूरी ताकत लगायी, फिर भी वह ढाल को हिला नहीं पाये।

“शायद यह ढाल बर्फ़ में ज़्यादा अंदर तक घुसी है, इसे निकालने के लीए, लगता है और बर्फ़ हटानी पड़ेगी।" जेम्स ने कहा।

यह सुन विल्मर ने दोबारा से ड्रिल मशीन अपने हाथ में ले ली और उस स्थान के अगल-बगल कि बर्फ़ हटानी शुरु कर दी।

थोड़ी देर में ढाल के पास का लगभग 6 मीटर का क्षेत्र दोनो ने साफ कर लिया। पर अब उस जगह को देख उनकी आँखे फटी की फटी रह गई, क्यों की अब उस साफ किये 6 मीटर के दायरे में, उसी धातु की सुनहरी दीवार दीखाई दे रही थी।

एक ऐसी दीवार जिसमें वह ढाल लगी हुई थी और उस दीवार का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा था।

“ये है क्या?" जेम्स ने उस दीवार को देखते हुये कहा- “इसका तो कहीं अंत ही नहीं दिख रहा है।“

अब दोनों की आंखें रहस्य से फैल गई। अब विल्मर ने उस स्थान से 10 मीटर दूर ड्रिल करना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद वहां भी बर्फ़ के नीचे वही दीवार दिखाई दी।

अब विल्मर जैसे पागल हो गया। उसने लगभग 500 मीटर के दायरे में अलग-अलग जगह की बर्फ़ हटायी, पर सभी जगह से एक ही परिणाम निकला। हर जगह पर वह सुनहरी दीवार मौजूद थी।

विल्मर अब थककर पूरी तरह से चूर हो चुका था। इसिलये वह जेम्स के पास आकर बैठ गया।

“क्या लगता है तुम्हे? ये चीज क्या हो सकती है?" विल्मर ने जोर- जोर से साँस लेते हुये जेम्स से पूछा।

“शायद यह कोई पनडुब्बी या पानी का जहाज हो सकता है, जो कि यहां बर्फ़ में दबा है, या फिर कोई एलियन का स्पेससिप या .......।" कहते-कहते जेम्स ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।

“या ....?"

विल्मर ने जेम्स की बात को पूरा करते हुए कहा- “कोई ऐसी सभ्यता जो अभी तक दुनियाँ कि नजर में आई ही ना हो।" अब दोनों की आँखो में थोड़ा डर भी दिखायी देने लगा।

“तो फिर क्या हमको इसकी जानकारी अपने हेड-कवाटर भेज देना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर से पूछा।

“अब अगर हमें इस चीज से कोई निजी फायदा नहि हो सकता, तो हेड-कवाटर बता देना ही ठीक रहेगा। कम से कम इस परियोजना को ढूंढने में हमारा नाम तो आयेगा।"

विल्मर ने कहा- “अगर तुम कहो तो एक कोशिश और करके देख ले?, शायद कुछ हो ही जाए।"

“कैसी कोशिश?" जेम्स ने ना समझने वाले अंदाज में पूछा।

“देख भाई, चाहे यह कोई पनडुब्बी हो, चाहे एिलयन का स्पेससिप या फिर कोई नयी सभ्यता, इसका रास्ता तो कहीं ना कहीं से होगा ही। क्यों ना हम इसके रास्ते को ढूंढने की कोशिश करे। शायद हमें सच में कोई खजाना मिल जाए।" विल्मर ने जेम्स को समझाते हुए कहा।

विल्मर की बात सुन जेम्स थोड़ी देर सोचता रहा और फिर उसने हाँ में सर हिलाते हुए कहा-

“ठीक है, हम अभी इस परियोजना की जानकारी कीसी को नही देते और इस दूसरी दुनियां का रास्ता ढूंढने की कोशिश करते है। अगर हम अगले 5 दिन में भी इसका रास्ता नहीं खोज पाये तो फिर इसके बारे में सबको बता देंगे।"

“डन।" विल्मर ने थम्स-अप करते हुए कहा और एक बार फिर दुगने उत्साह से अलग दिशा में खुदाई करने चल दिया।



जारी रहेगा________✍️
Kya ho sakta hai ye aakhir jo James or Vilmar ko mila hai kya such me ye Pandubbi hai ya koi Sabhayata
Very Amazing Update Raj_sharma bhai
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#56.

फिर तो जैसे एक सिलसिला शुरू हो गया। एटलस और उनके भाई हर साल नए योद्धाओं का चुनाव करते और उन्हें तिलिस्म को तोड़ने के लिए भेज देते थे, पर कोई सफल नहीं हो पा रहा था।

आख़िरकार एटलस ने 'एरियन आकाशगंगा' के महान 'टाइटन योद्धाओ' उस तिलिस्म को तोड़ने के लिए अमंत्रित किया।

जिससे गुस्सा होकर पोसाइडन ने यह श्राप दिया कि अब इस तिलिस्म में मनुष्यो के अलावा कोई भी अटलान्तियन, टाइटन, देवता या देवपुत्र प्रवेश नहीं कर सकता। और काले मोती को भी अब कोई देवपुत्री ही धारण कर सकती है।

पोसाइडन को पता था कि एटलस की अगली सात पीढ़ियो में अभी कोई नहीं पुत्री जन्म नहीं लेने वाली और रही बात मनुष्यो की, तो उसे पता था की मनुष्यो के पास इतनी शक्ति और बुद्धि नहीं है कि वह तिलिस्म को तोड़ सके।

अब एटलस के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। अंततः क्रोधित होकर एटलस ने पोसाइडन के ही विरुद्ध ही युद्ध का ऐलान कर दिया।

चूंकी एरियन के टाइटन योद्धा के साथ अब एटलस के साथ थे इसिलए ये युद्ध बहुत ही भयानक हुआ।

इस युद्ध को 'देव युद्ध' के नाम से जाना गया। इस युद्ध में पोसाइडन की तरफ से कुछ ग्रीक देवताओं ने भी युद्ध किया।

जब पोसाइडन को लगा कि अब यह देवपुत्र धीरे-धीरे खतरनाक होते जा रहे हैं तो पोसाइडन ने अपनी सारी शक्तियो को एकत्रित कर अटलांटिस की पूरी धरती को हिलाकर प्रलय ला दिया।

अटलांटिस की धरती पर एक साथ हजारो ज्वालामुखी फटे, भूकंप आये और फिर अविसनीय सुनामी। इस प्रलय के कारण पृथ्वी का जल स्तर 800 मीटर से ऊपर हो गया।

अंततः पूरी अटलांटिस की भव्य धरती धीरे-धीरे समुद्र में समा गई।

एटलस साहित उसका सारे भाई इस युद्ध में मारे गए। बची थी तो केवल एटलस की पत्नी 'लिडिया', जो प्रेग्नेंट होने के कारण अपनी मां के घर 'एरियान' गैलेक्सी' पर मौजूद थी।

सब कुछ ख़तम होने के बाद जब लीडिया अटलान्टिस पहुची तो वहां सिर्फ सामरा और सीनोर जाति के कुछ योद्धा ही बचे थे और बचा था तो बस अराका द्वीप....! जो पानी पर तैरने की वजह से इस खतरनाक दुर्घटना से बच गया था।

लीडिया अब सामरा और सीनोर के साथ अराका पर रहने लगी। कुछ समय के बाद लीडिया ने एक पुत्र को जन्म दिया।

सामरा और सीनोर दोनो जातियां लीडिया को देवी की तरह पूजते थे। अब लीडिया को इंतजार था कि उसके परिवार में किसी लड़की का जन्म हो, जो उस तिलिस्मी अंगूठी को खोजकर, काला मोती को प्राप्त कर सके और अटलांटिस राज्य को दोबारा से स्थापित कर सके।

धीरे-धीरे हजारों वर्ष बीत गए, पर एटलस की अगली सात पीढ़ियो में एक भी लड़की का जन्म नहीं हुआ।

आख़िरकार वह शुभ बेला आ ही गयी। 13070 साल बाद एटलस के परिवार में एक लड़की का जन्म हुआ। जिसका नाम 'ऐलेना' रखा गया। बड़ी होने पर ऐलेना की शादी 'एरियन आकाशगंगा' के एक महान योद्धा 'आर्गस' के साथ हुई।

अब फिर शुरू हुआ सिलसिला तिलिस्मी अंगूठी को खोजने और काले मोती को प्राप्त करने का। समय धीरे-धीरे बीतता गया पर ऐलेना को तिलिस्मी रिंग नहीं मिली।

कुछ समय बाद ऐलेना ने भी एक-एक कर 8 बच्चों को जन्म दिया। जिनमे 7 लड़के थे और एक आखिरी सबसे छोटी लड़की थी। लड़की का नाम 'शलाका' रखा गया।

'शलाका' बचपन से ही बहुत तेज थी। दूसरे समय के साथ-साथ सामरा और सीनोर जातियो ने भी आपसी मतभेद शुरू कर दिया था। पर शलाका ने अपनी सूझ-बूझ से दोनों को अच्छे से नियंत्रण कर लिया और अराका द्वीप के आधे-आधे हिस्से को दोनो में बांट दिया।

शलाका और उसके 7 भाइयो ने कई आकाशगंगाओ से ज्ञान अर्जित किया, ऐलेना को यह विश्वास था कि शलाका हर हाल में तिलिस्मी अंगूठी ढूंढ लेगी और अटलान्टिस की सभ्यता की फिर से रचना करेगी।"

इतना पढ़कर वेगा रुक गया और वीनस की ओर देखने लगा।

“क्या हुआ चुप क्यों हो गए?” वीनस ने वेगा से पूछा।

“बस अटलांटिस का इतिहास यहीं तक था।” इसके आगे देवी शलाका और उनके 7 योद्धा भाइयो की शक्तियाँ और एरियान गैलेक्सी का जिक्र है बस. और उसको पढ़ने का कोई फायदा नहीं है क्यों की मुझे उस पर आर्टिकल थोड़े ही लिखना है।" वेगा ने वीनस को समझाते हुए कहा।

“पर जो भी कहो, अटलांटिस का इतिहास बहुत शानदार है।” वीनस ने कहानी की तारीफ करते हुए कहा- “पर काश ये सब सच होता ?”

“मतलब????” वेगा के चेहरे पर उलझन के भाव आये।

“मतलब...ये तो एक काल्पनिक फिक्शन या काल्पनिक किताब है ना।”...?"

वीनस ने कहा- ''आज के समय में तो लोग पोसाइडन पर ही विश्वास नहीं करते, फिर देवी शलाका पर कैसे विश्वास कर लेंगे। हां...पर जो भी हो, लेखक की कल्पनाओ की उड़ान बहुत अच्छी है।" यह कहकर वीनस खड़ी हो गयी।

"तुम मुख्य द्वार की ओर चलो, मैं अभी आता हूं।" यह कहकर वेगा लाइब्रेरियन की तरफ मुड़ गया।

वीनस ने एक नजर वेगा पर डाली और फिर मुख्य दरवाजे की ओर चल दी, लाइब्रेरियन वेगा को अपनी तरफ आते देख खड़ा हो गया।

“मुझे यह किताब इश्यू करवानी है।” वेगा ने लाइब्रेरियन की आंखो में आँख डालते हुए कहा।

“पर सर……मैं आपको तो पहले ही कह चुका हूँ की…….” वेगा कि आँखों में देखते हुए लाइब्रेरियन अचानक चुप हो गया।

“क्या कह चुके हो आप?" वेगा ने पूछा।

"आप यह किताब ले जा सकते हैं।" अचानक लाइब्रेरियन का सुर बदल गया- “रुकिए मैं आपको यह किताब पैकेट में डाल कर देता हूं, जिससे आपको कोई समस्या नहीं होगी।''

यह कहकर लाइब्रेरियन ने किताब को वेगा से लेकर 1 लिफाफे में डाल दिया। और पैकेट को सील कर, वेगा को पैकेट थमा दिया।

वेगा वह पैकेट लेकर तेजी से वीनस की ओर चल दिया। वीनस ने वेगा के हाथ में थमा पैकेट तो देखी पर उससे कुछ पूछा नहीं !

दोनो मुख्य द्वार से निकलकर पार्किंग की ओर चल दिये। उधर लाइब्रेरी में एक दूसरा व्यक्ति लाइब्रेरियन के पास एक किताब लेकर पहुचा।

“हैलो सर, मुझे यह किताब इशू करवानी है।” उस इंसान ने लाइब्रेरियन से कहा।

लाइब्रेरियन पर अभी भी कुछ हवा में देख रहा था। यह देख उस इंसान ने लाइब्रेरियन को धीरे-धीरे हिला दिया। उस आदमी के झकझोरते ही लाइब्रेरियन ऐसे हड़बड़ाया, मानो सोते से जगा हो।

लाइब्रेरियन ने एक झटके से इधर-उधर देखा, उस पर वेगा कही नजर नहीं आया। लाइब्रेरियन ने अपने सिर को एक हलका सा झटका दिया और पुनः अपने काम पर लग गया। ----------------------------------------------------------------------------- दोस्तो, यह थोड़ा सा फ्लैश बैक था, जिस से आपको कहानी समझ में आ सके और मुझे यकीन है कि काफी महानुभावों को आ भी गई होगी !!

अब उससे आगे....................

चमत्कारी पेड़ 7जनवरी2002, सोमवार, 10:30, रहस्यमय द्वीप- अराका

एक नई सुबह हो चुकी थी। सभी की आंखों की लाली बता रही थी कि कोई भी रात में ठीक से सो नहीं पाया था!

सागर की लहरो की आवाज और पंछियो के चहचहाट कानो में मीठा रस घोल रही थी। हवा भी खुशबू लिए हुई थी। मौसम काफी सुहाना था, पर फिर भी सभी के चेहरे पर उदासी की एक रेखा दिखयी दे रही थी और इसका कारण था ‘सुप्रीम’ के डूब जाने का। सभी नित्य कर्मों से फरिग होकर सुयश के पास एकत्रित हो गये।

सुयश ने एक नजर वहां खड़े सभी लोगों पर डाली और फिर बोलना शुरू कर दिया- “दोस्तो सुप्रीम का डूबना हमारी सबसे बड़ी।” बदकिस्मती थी। पर हम सबका बच जाना भी किसी चमत्कार से कम नहीं है, इसिलए हमें हिम्मत नहीं हारना चाहिए।

हमें अभी भी लड़ते रहना होगा... इस जंगल से, अपनी परिस्थियों से, अपने अकेलेपन से और सबसे बढ़कर आने वाली मुसीबतों से। वैसे तो यहां मौजूद हर इंसान का अपना व्यक्तित्व है जिससे वह अपनी क्षमता के हिसाब से अपनी जिंदगी के डिसीजन सवयं लेता है, पर मैं चाहता हूं कि अब हम यहां अपने सारे फैसले खुद ना ले बल्कि एक टीम की तरह काम करें क्योकी आप जानते हैं इस द्वीप पर कितने खतरे हो सकते हैं और हम एक बनकर ही इन खतरों से लड़ेंगे।"

“मैं आपकी बातों से इत्तेफाक रखता हूं कैप्टन।” अल्बर्ट ने आगे बढ़कर अपनी बात कही- “वैसे भी मैं पीछे घटी किसी घटना के लिए यहां किसी को भी जिम्मेदार नहीं मानता, यहां तक कि आपको भी नहीं।
आपने जो कुछ भी किया, हम सभी लोगो कि भलाई के लिए ही किया। वह सब समय का एक खराब चक्र था जो कि बीत गया। हमको आपकी काबिलियत पर कोई शक नहीं है, इसिलए मैं यह चाहता हूं कि अब भी आप ही हमारी टीम का नेतृत्व करें।''

अल्बर्ट कि बात सुन वहां खड़े बाकि सभी लोगो ने भी हाँ मै सर हिलाकर अल्बर्ट कि बात का समर्थन किया। यह देख पहले तो सुयश थोड़ा भावुक हो गया, इस घटना ने उसमें एक नई शक्ति का संचार कर दिया।
वह शक्ति थी उन सभी लोगों के विश्वास की। सुयश ने एक नजर द्वीप के अंदर मारी और फिर सबको देखते हुए अपनी मुट्ठी को बांधकर सबकी तरफ जोश से लहराया।

सभी ने सुयश का अनुशरण कर मुट्ठी बांधकर जोर से हुंकार भरी।
अब सभी द्वीप के अंदर कि ओर जाने को तैयार दिख रहे थे।

“तो सबसे पहले हम अपने पास मौजूद सभी चीज़ों को एक बार चेक कर लेना चाहिए, जिस से सही समय पर हम उस चीज का उपयोग कर पाये।'' यह कहकर सुयश मोटरबोट की ओर बढ़ गया।




जारी रहेगा_________✍️
Main bhi Venus ki baat se agree karta hoon ki ye ek imaginary story hai.

Suyash par sabka ab bhi believe hona ye Suyash ko ek nayi takat dega mushkil halat se ladne ke liye.

Aur Vyom ka kya hua wo bahut dino se dikhai hi nahi diya hai???

Yadi wo mar gaya hai toh use story mein thoda sa role dene ki jarurat nahi thi kyonki usne kuchh Kiya hi nahi hai abhi tak aur jahan tak sawal hai toh wo Supreme ko bachane aur sahi rasta dikhane aaya tha par ab wahi gayab hai.

Well Vega ne Librarian ko hypnotize kaise kar liya???

Wonderful update brother.
 
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#59.
मगरमच्छ मानव
(7 जनवरी 2002, सोमवार, 14:30, अराका द्वीप, अटलांटिक महासागर)

चलते चलते सभी को 2 घंटे बीत चुके थे। पर अभी तक इन लोगों को ना तो कोई जंगली जानवर मिला था और ना ही मनुष्य के किसी प्रकार के पद-चिन्ह:।

चलते-चलते सभी को पेडों के एक झुरमुट के बीच एक छोटी सी झील दिखाई दी।

झील के चारो तरफ कुछ दूरी पर फलो के बहुत सारे पेड़ दिखाई दे रहे थे। झील का पानी काफ़ी साफ लग रहा था।

“क्यों ना हम अपनी खाली हो चुकी बोतलों में यहां से पानी भर ले?" क्रिस्टी ने झील को देखते हुए कहा।

“क्रिस्टी बिलकुल सही कह रही है, वैसे भी 2 घंटे से चलते-चलते सबका दम भी निकल गया है, थोड़ी देर रुक कर आराम भी कर लेना चाहिए।" सुयश ने सभी को देखते हुए कहा।

सुयश के इतना कहते ही कुछ लोग झील के किनारे की मिट्टी के पास बैठ गये और कुछ झील की तरफ आगे बढ़ गये।

“वाह! कितना साफ पानी है।" जेनिथ ने झील कि ओर देखते हुए कहा- “मेरा तो नहाने का मन करने लगा।"

यह कहकर जेनिथ झील के पानी कि ओर बढ़ गयी।

“ठहरो!" अल्बर्ट कि आवाज ने जेनिथ को रोक लिया - “यह झील इतनी शानदार है, पर इसके आस- पास किसी पशु-पक्षी के कदमो के निशान मौजूद नहीं है।"

अब सबका ध्यान झील के पास कि मिट्टी पर गया। मिट्टी हर जगह से बिलकुल बराबर लग रही थी।

“बात तो आपकी सही है प्रोफेसर ।" सुयश ने भी मिट्टी पर नजर मारते हुए कहा- “द्वीप पर इतना बड़ा जंगल है, तो इस जंगल में तो बहुत सारे जंगली जानवर भी होंगे और जानवर पानी पीने तो झील के किनारे अवश्य आते होंगे। ऐसे में उनके कदमो के निशान तो मिट्टी पर होने चाहिए थे।"

“ऐसा कैसे हो सकता है कैप्टन?" असलम ने भी सुयश कि हां में हां मिलाते हुए कहा।

“ऐसा एक ही शर्त में हो सकता है।" शैफाली ने अपना ज्ञान का परिचय देते हुए कहा- “जबकि इस झील के आसपास खतरा हो।"

खतरा शब्द सुनते ही सबकी निगाह अपने आसपास घूमने लगी। पर आसपास कुछ ना पाकर जेनिथ ने अपने जूते उधर झील के किनारे पर उतारे और अपनी जींस को तह कर थोड़ा ऊपर कर लीया। इसके बाद वह झील के पानी कि तरफ बढ़ गयी।

अब जेनिथ के पैर पंजो तक पानी के अंदर थे।

जेनिथ ने एक बार फ़िर से अपने आसपास नजर मारी और फ़िर पानी को अपनी अंजुली में भरकर धीरे-धीरे पीने लगी।

“पानी का स्वाद काफ़ी मीठा है।" जेनिथ ने सभी की ओर देखते हुए कहा- “आप लोग भी पी सकते हो।"

सभी लोग जो अभी तक झील से थोड़ा दूर खड़े थे, झील की तरफ आने लगे।

अभी जेनिथ ने बामुस्किल 2 अंजुली ही पानी पिया था, कि अचानक उसे झील के बीच से पानी में कुछ बुलबुले उठते दिखाई दिये। जेनिथ सहित सभी आश्चर्य से उन बुलबुलो को देखने लगे।

देखते ही देखते एक अजीब सा मगरमच्छ मानव झील से बाहर निकलने लगा। सभी हतप्रभ होकर उस विचित्र जीव को देखने लगे।

अचानक सुयश जोर से चीखा- “जेनिथ जल्दी झील से बाहर आओ।“

सुयश कि आवाज सुन जेनिथ जैसे सपनों से जागी हो, उसने तुरंत झील से बाहर निकलने कि कोशिश की।

परंतु तभी आश्चर्यजनक तरीके से झील का पानी बर्फ़ में बदल गया। इसी के साथ जेनिथ के पैर भी पंजो तक बर्फ़ में फंस गये।

“आह!" जेनिथ के मुंह से कराह निकल गयी- “मेरे पैर बर्फ़ में बुरी तरह से फंस गये है, कोई मेरी मदद करो?"

यह देख सुयश और तौफीक तेजी से जेनिथ की तरफ भागा ।

जेनिथ अपने पैर को बर्फ़ से निकालने कि भरसक कोशिश करने लगी, पर वह रत्ती भर भी कामयाब नहीं हो पाई।

तौफीक अपने हाथ में चाकू निकालकर बर्फ़ को काटने की कोशिश करने लगा। पर तौफीक जितनी बर्फ़ काटता उतनी ही बर्फ़ वापस उस स्थान पर जम जाती।

उधर वह मगरमच्छ-मानव अब पूरा का पूरा जमी हुई झील से बाहर निकल आया।

भारी-भरकम पूंछ वाला वह मगरमच्छ-मानव आश्चर्यजनक तरीके से अपने दो पैरों पर चल रहा था।

कद में 9 फुट ऊंचे उस मगरमच्छ मानव का वजन कम से कम 800 किलोग्राम तो जरूर रहा होगा।

इतना भयानक राक्षस देख वहां खड़े कई लोगो के मुंह से चीख निकल गयी।

मगरमच्छ मानव कि लाल-लाल आँखे अब जेनिथ की ओर थी।
उसके मुंह से गुर्राने जैसी अजीब सी आवाज निकल रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मगरमच्छ मानव अपने शिकार को देखकर बहुत खुश हो गया हो।

धीरे-धीरे वह अब जेनिथ की तरफ बढ़ने लगा।

“कैपटेन, जल्दी जेनिथ को बर्फ़ से निकालो।" अल्बर्ट दूर से चिल्लाया- “वह मगरमच्छ मानव आप लोगो की ओर आ रहा है।"

तौफीक ने मगरमच्छ मानव पर एक नजर मारी और फ़िर तेजी से बर्फ़ तोड़ने की कोशिश करने लगा।

पर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बर्फ़ मायावी हो, क्यों की तौफीक के इतनी कोशिश करने के बाद भी वह बर्फ़ जरा सा भी कम नही हो रही थी।

सुयश भी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी का उपयोग कर बर्फ़ को खुरचने की असफल कोशिश कर रहा था।

जेनिथ कि निगाह कभी मगरमच्छ मानव पर तो कभी बेतहाशा बर्फ़ तोड़ने कि कोशिश करते तौफीक पर पड़ रही थी।

जेनिथ अभी भी भयभीत नही थी, पर तौफीक के कट चुके हाथो से रिसते खून को देख कर उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव थे।

उधर किनारे पर खड़े लोगो ने आसपास पड़े पत्थर और लकड़ियो को मगरमच्छ मानव पर मारना शुरु कर दीया।

वह लोग अपने मुंह से तेज आवाज़ें निकालकर व शोर मचाकर मगरमच्छ-मानव का ध्यान अपनी
ओर आकर्षित करने लगे। पर मगरमच्छ-मानव का ध्यान केवल और केवल जेनिथ पर था।

“तौफीक भागो यहां से।" जेनिथ ने पीड़ा भरे स्वर में तौफीक को वहां से जाने के लिये बोला- “मेरा बचना अब नामुमकिन है, पर तुम तो अपनी जान बचाओ। कैपटेन आप भी जाइए यहां से।"

मगरमच्छ मानव अब कुछ ही दूरी पर रह गया था।

तौफीक ने एक नजर जेनिथ को देखा पर कुछ बोला नही। वह पुनः बर्फ़ को तोड़ने कि कोशिश करने लगा।

उधर सुयश को जब जेनिथ को बचाने के लिए, कोई उपाय ना दिखा तो वह अपने हाथो में लकड़ी लेकर जेनिथ व मगरमच्छ मानव के बीच खड़ा हो गया। ऐसा लगा कि जैसे वह मगरमच्छ मानव से दो-दो हाथ
करना चाहता हो।

वैसे तो दोनो के शरीर के अनुपात के हिसाब से यह कोई मुकाबला नही था, पर वह इंसान ही क्या जो मुसीबतो से इतनी आसानी से हार मान ले।

मगरमच्छ मानव अब सुयश के काफ़ी पास आ गया था। सुयश ने अपना एक पैर पीछे कर बिल्कुल आक्रमण करने के अंदाज में अपनी पोज़िशन ले ली। अब वह पूरी तरह से उस जानवर से लड़ने के लिये तैयार था।

तभी अचानक शांत खड़ी शैफाली के शरीर में हरकत हुई और वह एक अंदाज से चलती हुई झील की ओर बढ़ी।

झील के किनारे पर पहुंचकर शैफाली रुक गयी। अब उसका चेहरा मगरमच्छ मानव की तरफ था।

मगरमच्छ मानव कि दूरी अब सुयश से केवल एक कदम ही बची थी।
मगरमच्छ-मानव ने एक तेज हुंकार भरी और अपना दाहिना हाथ सुयश को मारने के लिये हवा में उठा लिया।

सभी के दिल की धड़कन तेज हो गई। किसी भी पल कुछ भी हो सकता था।

तभी शैफाली के मुंह से एक तेज आवाज निकली- “जलोथाऽऽऽऽ"

मगरमच्छ मानव यह आवाज सुन शैफाली कि तरफ देखने लगा।
शैफाली को देख अचानक मगरमच्छ मानव के चेहरे पर भय के भाव नजर आने लगे।

शैफाली ने अब एक कदम मगरमच्छ मानव कि ओर बढ़ा दिया। मगरमच्छ मानव भय से एक कदम पीछे हो गया।

शैफाली के एक कदम और आगे बढ़ाते ही मगरमच्छ मानव एक कदम और पीछे हो गया।

शैफाली का आगे बढ़ना और मगरमच्छ मानव का पीछे जाना जारी रहा। थोड़ी देर में ही वह मगरमच्छ-मानव वापस उसी स्थान पर पानी में समा गया, जहां से वह निकला था।

किसी को कुछ समझ में तो नही आया पर मगरमच्छ मानव को वापस पानी में घुसता देख सबने राहत कि साँस ली।

सुयश वापस जेनिथ कि ओर पलटा। जेनिथ का पैर अभी भी बर्फ़ में फंसा हुआ था। अब सभी लोग जेनिथ के पास पहुंच गये।

ब्रेंनडन ने लाइटर जलाकर बर्फ़ को पिघलाने कि कोशिश की, पर बर्फ़ फिर भी ना पिघली।

“यह तो कोई मायावी बर्फ़ लग रही है, जो ना कट रही है और ना ही पिघल रही है।" अल्बर्ट ने बर्फ़ को देखते हुए कहा।

तभी शैफाली भी जेनिथ के पास आ गयी। शैफाली ने जेनिथ को कराहते देख उसके पैर को अपने हाथो से पकड़ लिया।

जेनिथ को शैफाली के हाथ काफ़ी गर्म से महसूस हुए।

बर्फ़ कि ठंडक ने जेनिथ के मस्तिष्क को भी स्थिर करना शुरु कर दिया था, पर शैफाली के गर्म हाथो से जेनिथ को बहुत ही बेहतर महसूस हुआ।

शैफाली के हाथो कि गरमी धीरे-धीरे बढ़ने लगी और इसी के साथ पिघलने लगी जेनिथ के पैर के आसपास कि बर्फ़ भी।

कुछ ही छण में जेनिथ के आसपास कि सारी बर्फ़ पिघल गयी और जेनिथ का पैर पानी से बाहर आ गया।

जेनिथ के पैर को बाहर आते देख तौफीक ने जेनिथ को गोद में उठाया और उस मनहुस झील से बाहर आ गया।

झील के किनारे पर कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पत्थर मौजूद था, तौफीक ने जेनिथ को उस पत्थर पर बैठा दिया और उसके पैर के तलवो को अपनी हथेली से रगड़ने लगा।

इस समय जेनिथ की आँखो में तौफीक के लिए प्यार ही प्यार दिख रहा था।

एलेक्स झील के पास से जेनिथ के जूते उठा लाया था ।

“बाप रे! हम लोग इस द्वीप को जितना खतरनाक समझते थे, ये तो उससे भी कहि ज्यादा खतरनाक है।" असलम ने कहा।

“ऐसा लग रहा है, जैसे हम किसी पौराणिक दुनिया या फिर उस समयकाल में आ गये है, जब पृथ्वी पर मायावी संसार हुआ करता था।" क्रिस्टी ने कहा।

“पहले चमत्कारी पेड़ का मिलना और फिर इस ‘जलोथा’ का मिलना तो इसी तरफ इशारा करता है।" अल्बर्ट ने कहा।

“जलोथा से याद आया।" सुयश ने शैफाली कि ओर नजर डालते हुए कहा- “क्या तुमने यह शब्द भी अपने सपने में सुना था शैफाली?"





जारी रहेगा_________✍️
Bilkul Horror movie jaisa scene tha ye wala
.
Esa lagata hai Shafali ka is jagh se koi tallukih na hone Shafali isi jagh ki hai or Shyad Shafali ko reh reh kar is Island ki kuch uski biti hue purani baate yad aarhe hai tabhi Shafali ne eak dum se Jalotha name lene se wo magarmach Shafali ko dekh dar ke wapas bhag gaya
.
Ab sawal ye hai ki aakhir Shafali aakhir Is ISLAND me ki kaun hai
 

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#60.

“नही .... मैंने यह शब्द सपने में नही सुना, मुझे स्वयं नही पता की यह शब्द उस समय मेरे दिमाग में कैसे आया। यह शब्द अचानक ही मेरे मुंह से निकले।" शैफाली ने अपनी बातों से सुयश का संशय दूर करते हुए कहा।

“कैपटेन हम लोगो को पता है कि शैफाली के अंदर कोई तो ऐसी शक्ति है जो समय-समय पर हमारी जान बचा रही है, पर इस ‘जलोथा’ शब्द को सुनकर वह मगरमच्छ मानव इतना भयभीत क्यों हो गया।" इस बार अल्बर्ट ने अपने विचार व्यक्त किये।

“शायद जलोथा किसी पौराणिक योद्धा का नाम हो, जिससे वह मगरमच्छ मानव डरता रहा हो और शैफाली के द्वारा वह शब्द पुकारे जाने पर, मगरमच्छ मानव को उसी योद्धा कि याद आ गयी हो।“ सुयश ने कहा- “प्रोफेसर, वैसे क्या आपने कभी भी ऐसे किसी जीव के बारे में पढ़ा या सुना है? जो इस तरह विशालकाय और विचित्र हो।"

“ऐसे जीव के बारे में वर्तमान में तो शायद किसी जीव विज्ञानी ने नहीं लिखा है।" अल्बर्ट ने सुयश को बताते हुए कहा- “पर हां कुछ पौराणिक कथाओ में ऐसे जीवो के बारे में जरूर लिखा है। ऐसे जीव आधा जानवर और आधा इंसान होते थे। उनमें कमाल की शक्तियां होती थी, पर इंसान के पास किताबो और कुछ गुफ़ाओ व खण्डहरों के भीति चित्रों के अलावा कोई सबूत नहीं है।"

“पर ये पौराणिक कथाओ का जीव यहां इस द्वीप पर कैसे आ गया?" जैक ने अल्बर्ट को देखते हुए कहा।

“तुम हरे कीडो के बारे में भूल रहे हो जैक।" कहते-कहते अल्बर्ट की आँखे गुस्से से लाल हो गई। शायद उन्हे मारिया की याद आ गयी थी- “हरे कीड़े भी पृथ्वी पर और कहीं नहीं पाये जाते। इन्ही सब कारनों से तो यह द्वीप रहस्यमयी बन गया है।"

“आप सही कह रहे है प्रोफेसर।" एलेक्स ने कहा- “ यह स्थान है ही रहस्यमयी ।"

“पर प्रोफेसर।"
जेनिथ बोल उठी-“वह पानी एकाएक बर्फ़ कैसे बन गयी? और वह भी ऐसी बर्फ़ जिसकी सतह पतली होने के बाद भी वह टूट नही रही थी।"

“हो सकता है उस मगरमच्छ मानव के पास पानी को बर्फ़ में बदल देने की शक्ति हो।" इस बार ड्रेजलर ने कहा।

“यह कैसे संभव है?" जॉनी ने डरते हुए कहा- “ऐसी कोई शक्ति नहीं होती।"

“हो सकता है।" अल्बर्ट ने जॉनी की बात का जवाब दिया “क्यों कि जिस प्रकार मकड़ी अपने शिकार को पकड़ने के पहले जाल बुनती है, जिससे की उसका शिकार भाग ना सके। ठीक उसी प्रकार से यह मगरमच्छ मानव भी अपने शिकार को बर्फ़ में फंसा कर मारता हो।"

क्यों कि अब सबके पास सवाल ख़तम हो गये थे, इसिलये सभी सुयश कि तरफ देखने लगे, पर अब किसी कि हिम्मत दोबारा झील में उतरकर अपनी बोतल भरने कि नहीं बची थी।

सुयश के एक इशारे पर सभी फ़िर से आगे बढ़ गये।

रहस्यमय बाज: (
7 जनवरी 2002, सोमवार, 15:30, वॉशिंगटन डी.सी.,)

वेगा ने वीनस को पुस्तकालय से लौटते समय, उसकि बताई जगह पर बाज़ार में छोड़ दिया था।

वेगा ने अपनी कार अब अपने सोसाइटी के अंदर कर लिया। कार को पार्किंग में खड़ा करके, उसने उस किताब के पैकेट को हाथ में लिया और लिफ्ट की ओर बढ़ गया।

बेसमेंट में इस समय बिल्कुल सन्नाटा था। लिफ्ट का इंडीकेटर अब लिफ्ट को तीसरी मंजिल पर दिखा रहा था।

तभी वेगा को अपनी कार का सायरन बजता हुआ सुनाई दिया जो इस बात का संकेत था कि किसी ने वेगा कि कार के साथ कोई छेड़-छाड़ की है।

शांत वातावरण में सायरन की तेज आवाज एक अजीब सा खौफ पैदा कर रही थी। वेगा ने पलटकर अपनी कार को देखा, पर उसे कुछ नजर नहीं आया।

वेगा वापस अपनी कार की ओर चल दिया। कार के पास पहुंचने पर उसने देखा कि उसकी कार पर एक बड़ा सा बाज बैठा हुआ है।

“यह इतना बड़ा बाज यहां भूमिगत पार्किंग में कहां से आया?" वेगा मन ही मन बड़बड़ाया।

उसने बाज को भगाने के लिये आसपास कोई चीज देखनी शुरू कर दी, पर उसे आसपास ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया जिससे की वह उस बाज को भगा सके।

यह देख वेगा ने अपने हाथ में पकड़ी किताब को ही बाज की तरफ लहराया। उसका अनुमान था कि बाज इससे भाग जायेगा। पर ऐसा नहीं हुआ ।

बाज ने भागने की जगह अपने पंजो से उस किताब को जोर से पकड़ लिया। वेगा यह देख हैरान रह गया।

बाज अब भयानक तरीके से अपने पंख को फड़फड़ा कर वेगा को डराने कि कोशिश करने लगा। बाज अपनी पूरी ताकत लगाकर वेगा के हाथ से किताब छीनने कि कोशिश करने लगा, पर वेगा ने भी किताब को नहीं छोड़ा।

तभी लगातार बज रही कार की आवाज सुनकर, एक सुरक्षा रक्षक (security-guard) उधर आ गया।

इतने बड़े बाज को वेगा से लड़ते देख, गार्ड ने अपने हाथ में पकड़ा डंडा, पीछे से पूरी ताकत से बाज के सिर पर मार दिया। चुंकी बाज कि नजर वेगा की तरफ थी, इसिलए वह पीछे से आये इस खतरे को भांप नहीं पाया।

डंडे की चोट बहुत खतरनाक थी, बाज के हाथ से किताब निकलकर वेगा के हाथ में आ गयी और बाज उछलकर दूर जा गिरा।

एक पल को लगा कि वह बाज इतनी भयानक चोट से मर गया, मगर अगले ही पल वह उठकर, इस बार गार्ड कि ओर झपटा।

गार्ड पूरी तरह से सावधान था, उसने तेजी से झुककर अपने आप को बचाया, पर उसके हाथ में पकड़ा डंडा, जमीन पर गिर गया।

यह देख गार्ड ने इस बार पिस्तौलदान (holster) में लगे रिवाल्वर को निकालकर अपने हाथ में ले लिया।

उधर अपना शिकार हाथ ना आते देख, बाज फिर पलटा और कुछ दूर रुककर गार्ड को घूरने लगा। गार्ड ने भी रिवाल्वर बाज की ओर तान दी और बाज के अगले कार्रवाई का इंतजार करने लगा।

वेगा अवाक होकर इस पूरी घटना को देख रहा था। बाज ने इस बार तेजी से गार्ड की ओर उड़ान भरी।
घबराकर गार्ड ने गोली चला दी, पर उसी समय गोल-गोल घूमकर बाज उस गोली से बच गया और सीधा गार्ड के हाथ पर आक्रमण कर दिया।

गार्ड ने रिवाल्वर तो नहीं छोड़ी, पर दूसरे हाथ से उस बाज को अपने शरीर से दूर हटाने कि कोशिश करने लगा। बाज ने गार्ड के हाथ को लहुलुहान कर दिया।

यह देख वेगा ने अपने पास पड़े गार्ड के डंडे को उठाया और दबे पांव पहुंचकर पूरी ताकत से बेस बॉल कि तरह से डंडे को हवा में लहराया।

डंडा पूरी ताकत से बाज के सिर पर लगा। बाज लहराकर फिर से जमीन पर गिर गया।

इस बार गार्ड ने कोई गलती नहीं की, और उस बाज के शरीर में एक के बाद एक 3 गोली मार दी। बाज एक बार जोर से तड़पा और उसके प्राण पखेरू उड़ गये।

तब तक गोली चलने कि आवाज सुन कुछ और गार्ड भी उधर आ गये।

वेगा ने सारी बातें सिलसिलेवार तरीके से बाकी गार्ड को सुना दी। वह सभी गार्ड उस गार्ड को लेकर तुरंत अस्पताल कि ओर चले गये।

वेगा ने भी एक बार फिर से अपनी कार का लॉक चेक किया और बाज कि लाश पर एक नजर मारी।
फिर वह किताब ले लिफ्ट की ओर चल दिया।

वेगा के जाते ही बाज की लाश से धुंआ निकला और वह लाश हवा में ऐसे गायब हो गयी, जैसे वह वहां कभी थी ही नहीं।

उधर वेगा लिफ्ट से निकलकर अपने कमरे में पहुंच गया। चूंकी वेगा ने आज सुबह से कुछ नहीं खाया था, इसिलए उसने फ़्रिज खोलकर 2 चिकेन सैंडविच निकाले और उसे अवन में गर्म करने को रख 5 मिनट का टाईमर लगा दिया। फिर टेलीविज़न खोलकर, समाचार चैनल लगाकर, वह कपड़े बदलने लगा।

टेलीविज़न पर इस समय ब्रेकिंग न्यूज चल रहा था। वेगा ने यह देख टेलीविज़न का आवाज़ थोड़ा बढ़ा दिया।

“ब्रेकिंग न्यूज! 23 दिसंबर को न्यूयॉर्क बंदरगाह से होकर सिडनी जाने वाला पानी का जहाज ‘सुप्रीम’ अपने 2700 यात्रीयो और 500 क्रु-मेम्बर्स के साथ ‘बारामूडा त्रिकोण’ के रहस्यमय अंधे अँधेरो में खो गया।

यह खतरनाक त्रिकोण एक बार फिर इंसानो के लिए जानलेवा साबित हुआ है। क्या है ऐसा उस रहस्यमय त्रिकोण में जो लगातार मासूम इंसानो की जान ले रहा है। आइये आपको लेकर चलते हैं, भौतिक विज्ञान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भूगोलशाशास्त्री प्रोफेसर वाटसन के पास और इनसे जानने कि कोशिश करते है बारामूडा त्रिकोण के कुछ वैज्ञानिक तथ्य।"

तभी अवन ने सीटी बजाकर सैंडविच के गर्म होने की जानकारी दी। वेगा का ध्यान अवन की ओर गया, उसने टेलीविज़न को बंद कर दिया और कॉफ़ी मशीन से एक कॉफ़ी निकालकर, सैंडविच के साथ सोफे पर जाकर बैठ गया।

वेगा के दिमाग में सुप्रीम को लेकर बहुत से ख्याल आ रहे थे, तभी उसकी नजर सामने टेबल पर रखी किताब पर गयी।

अब वेगा सुप्रीम, बारामूडा त्रिकोण और अटलांटिस की कड़ियो को आपस में जोड़ने कि कोशिश करने लगा।

वेगा को सोचते-सोचते 15 मिनट से भी ज्यादा समय बीत गया। यहां तक कि कब उसकी कॉफ़ी और सैंडविच ख़तम हो गया, उसे पता भी ना चला। वह तो बस अपने ही ख्यालों में गुम था।

तभी फोन कि घंटी बजने से वेगा का ध्यान भंग हुआ। वेगा ने सोफे से उठकर पहले टिश्यु पेपर से अपना हाथ पोंछा और फ़िर आगे बढ़कर फोन के क्रेडल को उठा लिया।

“हैलो वेगा!" दूसरी तरफ से आने वाली आवाज वेगा के भाई ‘युगाका’ की थी।

“हैलो भैया, कैसे हो आप? आज बहुत दिन बाद फोन किया आपने?" वेगा ने खुश होते हुए पूछा।

“हां .... आज मुझे सुबह से ही तुम्हारी याद आ रही थी, तो मैंने सोचा कि तुम्हें फोन ही कर लूं।.... तुम ठीक तो हो ना?" युगाका की आवाज में चिंता के भाव दिख रहे थे।

“हां... हां... मैं बिलकुल ठीक हुं.... मुझे क्या होगा?" वेगा ने बेपरवाह आवाज में कहा और जानबूझकर बाज वाली घटना को युगाका को नहीं बताया।

“चलो बहुत अच्छी बात है, वैसे भी अब तुम्हारी पढ़ाई के केवल 2 साल और बचे हैं। क्या योजना बनाई है उसके आगे?" युगाका ने अपनापन दिखाते हुए कहा।

“कुछ खास नहीं भैया, जैसा आप लोग चाहेंगे, वैसा ही करुंगा। अगर आप कहेंगे तो अराका भी वापस आ जाऊंगा।" वेगा ने कहा।

“नहीं-नहीं ..... अराका वापस आने की जरुरत नहीं है, यहां बहुत खतरा है तुम्हारे लिए।

"और वैसे भी यहां अराका में रखा क्या है जंगलो के सिवा.... इसीलिए तो बाबा ने तुम्हें 8 साल की आयु में ही अमेरिका भिजवा दिया था.... अपनी पढ़ाई अच्छे से पूरी करो और वही कोई अच्छी सी नौकरी ढूंढ कर सेटल हो जाओ .... और हां पैसे की चिंता बिलकुल मत करना... आख़िर तुम अराका के युवराज हो।" युगाका ने छोटे भाई को प्यार जताते हुए कहा।

“अच्छा भाई... त्रिकाली दीदी कैसी है?" वेगा ने पूछा।

“वह भी बहुत अच्छी है... तुम्हें बहुत याद करती है ... मैं उससे बोल दंगा तुम्हारे बारे में....।" युगाका ने कहा।

“भाई एक बात पूछूं?" वेगा ने अचानक विषय परिवर्तन करते हुए कहा।

“पूछो!" युगाका भी वेगा को अचानक से सीरीयस होते देख सोच में पड़ गया।

“भाई क्या बाबा ने आज तक ‘एरकान’ भाषा में कोई किताब लिखी है क्या?" वेगा के शब्दों में
रहस्य ही रहस्य भरा दिख रहा था।

वेगा की बात सुनकर, कुछ देर तक युगाका कुछ नहीं बोला।

“किसने की तुमसे ये सब बातें?" युगाका ने सवाल के जवाब देने की जगह उल्टा वेगा से सवाल ही कर लिया- “तुम ठीक तो हो ना वेगा? कुछ ऐसा तो नहीं है जो तुम हमसे छिपाने की कोशिश कर रहे हो?"

“नहीं-नहीं भैया ... कुछ खास बात नहीं है, वो तो बस मैंने ऐसे ही पूछ लिया था।" वेगा ने फिर बातो को छुपाया- “अच्छा भैया, अभी एक कॉलेज के प्रोजेक्ट पर काम करना है इसिलए अभी फोन रखता हूँ।
बाय-बाय भैया।"

“बाय-बाय!" युगाका ने अनचाहे मन से वेगा को बाय किया। वेगा ने जल्दी से फोन को रख दिया।
वेगा की नजर एक बार फिर उस किताब की ओर गयी।

फिर वह होठो ही होठो में बुदबुदाया- “भैया मुझसे झूठ क्यों बोल रहे हैं? क्या ये सारी चीजे मुझसे छिपाना चाहते हैं?"

फिर वेगा ने अपने सिर को एक झटका दिया और अपने काम पर लग गया।




जारी रहेगा_________✍️
Lagata hai ye Vega bhi Barmuda se tallukh rakhta hai lekin shyad anjaan hai is bat se or shyad iski wajh iski family wale hai tabhi Vega ke bhai ne bola ki Vega ko 8 saal ki umar me America bhej dia gaya tha or Araka aane se mana kar raha hai
.
Kafi Intresting khel chal raha hai yaha bhi
Very nice one update Raj_sharma bhai
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Wah bahut majedar update Raj_sharma bhai maja aa gaya
.
Sabhi jungle me nikal gaye jaha Shafali ki citi wali maskhari se sabka dhyn gaya sath is mahol me sabke chehelre per halki he sahi lekin muskurahat aayi lekin sath he Posidaen ki murti ki aakh ka achnak lal hona sath me Shefali ke kaano tak awaj aana jisme ARAKA ka naam tha is name se Shefali ka kya tallukh hoga
.
Kher jungle me pedd wala kissa bahut he majedar raha esa laga jaise apni aakho se ye scene dekh raha ho mai
:buttkick:Itne din baad dikha hai?? Abe saadi to kamdev bhai ki bhi hui thi,
Per bhai ji suhaagraat wale din bhi XF ko sambhalne ke liye aaye the:declare:
 

Raj_sharma

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Wah bahut majedar update Raj_sharma bhai maja aa gaya
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Kher jungle me pedd wala kissa bahut he majedar raha esa laga jaise apni aakho se ye scene dekh raha ho mai
Shefali to shuru se hi majaak karti rahti hai mitra, aur bas ek ped ke kisse ko dekh kar hairaan mat ho bhai, abhi to poora jungle baaki hai 😄 thank you very much for your wonderful review and support DEVIL MAXIMUM bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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Are koi pandubbi nahi hai mitra balki ek purani sabhyata hi hai:approve:
Thanks for your valuable review and superb support
:hug:
Kya ho sakta hai ye aakhir jo James or Vilmar ko mila hai kya such me ye Pandubbi hai ya koi Sabhayata
Very Amazing Update Raj_sharma bhai
 
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