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Dark jone se to nikal jaayega bhai, per aage sab dark hi dark hai, uska kya? Thank you very much for your valuable reviewशिप डार्क जोन में जा चुका है सुयश शिप को बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है
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Wow wow super update brother.#57.
सभी सुयश के पीछे चल पड़े। सुयश ने मोटरबोट को एक बार देखा। उसके अंदर 3 स्विमिंग कॉस्ट्यूम, ओक्सिजन सिलेंडर के साथ रखे दिखें जो कि सुयश ने सुप्रीम के प्रोपेलर की जांच करने के लिए मंगवाए थे।
मोटरबोट के अंदर और कुछ नहीं दिख रहा था। सुयश मोटरबोट के अंदर घुस गया। उसने मोटरबोट के जमीन पर लगे हैंडल को खींचकर उठा लिया। उतनी दूर का लकड़ी का वह हिस्सा ढक्कन की तरह से खुल गया और अंदर रखा काफी सारा सामान दिख गया।
सुयश ने इशारे से ब्रेंडन को सारा सामान निकालने को कहा।
बामुस्किल 10 मिनट में ही ब्रेंडन ने कुछ लोगो की मदद लेकर मोटरबोट का सारा सामान निकालकर वही द्वीप के किनारे एक साफ जगह देख कर रखवा दिया।
अब सभी की नजर मोटरबोट से निकले सामान पर थी।
मोटरबोट में था- “ताज़ा वॉटर की लगभग 40 बोतलें, ड्राई-फ्रूट्स के लगभग 100 पैकेट, 10 चिप्स, 1 केम्पास, 1 सिग्नल मिरर, 6 मजबूत पीठ पर ढोने वाले ट्रेवल बैग, 2 पावरफुल टार्च, 2 बड़े चाकू और आग जलाने वाले 2, 2 सीटियाँ, ओर लाइटर।"
“यह मोटरबोट एक तरह की लाइफबोट थी, इसलिए इसमें ये सब सामान उपस्थित था। तो अब आप लोग ने देख ही लिया की हमारे पास क्या-क्या है।" सुयश ने सबको बारी-बारी देखते हुए कहा- “अब हमें इन्ही चीज़ो से गुजारा करना पड़ेगा।"
“कैप्टन, मेरे काले बैग में भी एक टार्च और सिग्नल फ़्लेयर है।" असलम ने अपने कंधे पर टंगे बैग की ओर इशारा करते हुए कहा।
“कैप्टन क्या हमें यही किनारे पर रहकर अपना बचाव करना चाहिए या फिर इस द्वीप के जंगल में प्रवेश करके वहां बचाव का कुछ साधन ढूंढना चाहिए।" जेनिथ ने सुयश से पूछा।
लेकिन इससे पहले कि सुयश कुछ जवाब दे पाता, तौफीक बीच में ही बोल उठा-
“हमारे पास खाने-पीने की चीजे बहुत ही सीमीत है, अगर हम थोड़ा-थोड़ा भी यूज करे, तब भी 5 दिन से ज़्यादा ये चीजे नही चालेंगी, ऐसे में सामान ख़तम होने के बाद भी हमें द्वीप के अंदर तो जाना ही पड़ेगा, तो फ़िर क्यों ना हम अभी ही द्वीप के अंदर जाने का फ़ैसला ले-ले ।"
“तौफीक सही कह रहे है ।" एलेक्स ने कहा- “वैसे भी यह द्वीप बहुत बड़ा है, अगर हम सब कुछ ख़तम होने के बाद इस द्वीप को पार करने कि कोसिस करे तो पता नहीं हमें अंदर खाने-पीने कि चीजे मिलेंगी भी कि नहीं। इसिलए में तौफीक के विचार से पूर्णतया सहमत हूं ।"
अब सभी ने तौफीक कि बात पर सहमित जताई। “तो फ़िर ये ‘फाइनल’ रहा कि हम इस द्वीप के अंदर जाएगे।"
सुयश ने ‘थम्सअप-अप’ करते हुए कहा- “तो फ़िर मेरे हिसाब से पहले सबको कुछ खा-पी लेना चाहिए, फ़िर जरुरत के सारे सामान को इन 6 ट्रेवल बैग में भर लेंगे और लड़कियाँ और अल्बर्ट सर को छोड़कर बाकि सभी लोग बारी-बारी से इसे उठाकर चलते रहेंगे।"
सुयश कि बात सभी को सही लगी, इसिलए किसी ने ऐतराज जाहिर नही किया। अब सभी वही रेत पर जमीन में बैठ गये।
ब्रेंडन ने सभी को ड्राई-फ्रूट्स का एक पैकेट और पानी कि एक बॉटल पकड़ा दी। ब्रेंडन ने ड्राई-फ्रूट्स का एक पैकेट फाड़कर ब्रूनो को भी दे दिया। 30 मिनट में सभी ने खाना खाकर जरुरत का सभी सामान पैक कर लिया और सुयश को देख, उठ कर खड़े हो गये।
क्यो की किसी ने रात में भी कुछ नही खाया था, इसिलए खाना खाकर सभी में एक नयी फुर्ती का संचार हो गया। सुयश ने आसमान की तरफ सिर उठाकर, हाथ जोड़कर ईश्वर से कुछ प्रार्थना किया और जंगल की ओर चल दिया।
अलबर्ट, शैफाली, एलेकस, क्रिस्टी, तौफीक, जेनिथ, जैक, जॉनी, ब्रेंडन, असलम, ड्रेजलर और ब्रूनो भी सुयश के पीछे-पीछे चल पड़े।
ट्रेवेल बैग इस समय तौफीक, ब्रेंडन, सुयश, जैक, असलम और ड्रेज़लर के पास थे। अलबर्ट ने एक सीटी को शैफाली के गले मे टांगने के बाद, एक अपने गले मे पहन लिया।
तौफीक ने एक चाकू उठाकर अपने पास रख लिया। दूसरा चाकू ब्रेंडन को दे दिया। मौसम इस समय बिलकुल साफ था। आसमान मे सूर्य अपनी किरणें बिख़ैरता हुआ चमक रहा था।
द्वीप के अंदर की ओर विशालकाय पेड़ लहरा रहे थे। सुयश ने जंगल मे घुसने से पहले किनारे पर मौजूद कुछ पेडों से डंडे तोड़ते हुए कहा-
“सभी लोग अपने हाथ मे कुछ ना कुछ अवस्य ले-ले। क्यों की जंगल घना लग रहा है। अगर किसी तरह का कोई जंगली जानवर हुआ तो यह डंडे हमारे काम आ सकते हैं।"
सुयश की बात सभी को सही लगी। अतः बाकी लोग ने भी लकड़ी के डंडे तोड़कर अपने हाथो मे ले लिये। इसके बाद सभी द्वीप के अंदर की ओर चल दिये।
जंगल बहुत ही घना था इसिलए सभी एक सीधी लाइन मे एक के पीछे एक चल रहे थे। जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली को बीच मे कर दिया गया।
सबसे आगे सुयश था। वह बहुत सावधानी के साथ अपने कदम बढ़ा रहा था। कुछ दूर चलने के बाद शैफाली को थोड़ी मस्ती सूझी। उसने अपने गले मे टंगी सीटी को एक बार जोर से बजा दिया।
“टऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ" जंगल इतना शांत था कि एक जोरदार आवाज पूरे जंगल में गूंज गयी। सीटी की आवाज सुन, सभी हैरानी से शैफाली कि तरफ देखने लगे।
“मैं तो बस चेक कर रही थी कि जंगल में सीटी की आवाज गूंजती कितनी जोर से है?" शैफाली ने शैतानी से मुस्कुराते हुए कहा।
शैफाली की शैतानी देख सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। इधर तो सीटी कि आवाज के कारण मस्ती चल रही थी, पर इसी आवाज को सुन अराका द्वीप पर मौजूद ‘पोसाइडन की पहाड़ वाली मूर्ति’ की आँखे अचानक से लाल हो गई और एक तेज हवा का झोंका पहाड़ से शैफाली कि ओर बढ़ा।
चलती हुई शैफाली के बाल हवा के झोंके कि वजह से हवा में लहराये और उसे अपने कानो में एक फुसफुसाहट सी सुनाई दी:-
“अराकाऽऽऽऽऽऽ!"
शैफाली यह सुन बहुत हैरान हो गई- “कौन है? .... कौन है यहां?"
शैफाली की आवाज सुन सभी पलटकर शैफाली को देखने लगे।
“क्या हुआ शैफाली?" क्रिस्टी ने शैफाली का हाथ पकड़कर पूछा।
“पता नही, पर किसी ने मेरे कानो में फुसफुसाकर ‘अराका’ कहा।"
“अराका?" सभी ने समवेत स्वर में कहा।
“पर यहां तो हम लोगो के सिवा कोई भी नही है।" जॉनी ने डर कर इधर-उधर देखते हुए कहा।
“नही-नही कोई था मेरे पास....।" शैफाली के शब्दो में एक बार फिर रहस्य झलकने लगा- “और मुझे ऐसा लगा जैसे कि में उसे जानती हूँ।"
“क्या?" अब सुयश की भी आँखे सिकुड गई - “तुम इस द्वीप पर किसी को कैसे जान सकती हो?"
अब सभी की नजर इधर-उधर घूमने लगी, पर जब काफ़ी देर तक उनको कुछ नजर नही आया तो सभी फिर से आगे बढ़ गये।
सभी को चलते-चलते 2 घंटे हो गये थे। धीरे-धीरे जंगल घना होने लगा था। जंगल के अंदर से चिड़ियाँ के चहचहाने की आवाज आ रही थी ।
कभी-कभी कुछ जानवरो कि आवाज भी उस में आकर मिल जाती थी । कुछ और आगे बढ़ने पर इनहे एक हरा-भरा बाग दिखाई दिया।
बाग में लगे पेड़ भी अजीब सी आकृति के थे और उस पर सेब के समान परंतु नीले रंग के फल लटक रहे थे।
“यह तो बहुत विचित्र पेड़ लग रहा है।" अल्बर्ट ने पास जाकर पेडो को देखते हुए कहा- “ऐसे पेडो के बारे में तो मैंने पढ़ा तक नही है।"
“आप सही कह रहे है प्रोफेसर।" सुयश ने भी पेडो को देखते हुए कहा- “मैंने भी कभी ऐसे पेड़ और फल के बारे में नही सुना और इनका नीला रंग भी कितना विचित्र है।"
“पर ग्रैंड अंकल!" शैफाली ने मासूमियत भरे अंदाज में कहा- “मुझे तो इन फलो कि खुशबू बहुत अच्छी लग रही है। खुशबू से तो यह फल रसीले भी प्रतीत हो रहे है। क्या हमें इन्हे खाना चाहिए?"
“नही शैफाली!" जेनिथ ने कहा- “हमें बिना चेक किए, इन फलो को नही खाना चाहिए। इनका नीला रंग देखकर लगता है कि यह जहरीले भी हो सकते है।"
“तो फिर क्यों न एक फल तोड़कर हम ब्रूनो को सुंघाएं?" शैफाली ने कहा- “अगर ब्रूनो ने फल खा लिया। तो फिर हम भी खा सकते है।"
सभी को शैफाली का यह तर्क सही लगा। एक फल जो नीचे तक लटक रहा था, जैक ने आगे बढ़कर उसे तोड़ने की कोशिश की, पर जैसे ही जैक का हाथ उस फल तक पहुंचा, अचानक ही आश्चर्यजनक जनक तरीके से वो फल कि डाल थोड़ा ऊपर की ओर उठ गयी।
“यह कैसे हो सकता है?" ब्रेंडन ने हैरानी से पेड़ को देखते हुए कहा- “यह पेड़ की डाल अपने आप ऊपर कैसे हो गयी?"
“शायद यह पेड़ ‘मीमोसा पुडिका’ के पेड़ के समान ‘सेम पेड’ है, जिनको छूने पर वह अपने आप में सिमट जाते है।"
अल्बर्ट ने अपनी वनस्पति विज्ञान की जानकारी को सबसे साझा करते हुए कहा।
अब कोई भी फल इतनी ऊंचाई पर नही लगा था कि उसे जमीन पर रह कर तोड़ा जा सके।
“लगता है पेड़ पर चढ़े बिना फल को नहीं तोड़ा जा सकता।”असलम ने कहा।
“चढ़ना तो पड़ेगा।“ इस बार अल्बर्ट ने कहा- “पर चढ़ोगे कैसे? देख नही रहे, यह पेड़ कितना सीधा है और इसकी सबसे नीची डाल भी कम से कम 12 फुट ऊपर है। ऐसे में इस पेड़ पर चढ़ना इतना सरल नहीं है।"
“मैं चढ़ सकता हू इस पेड़ पर।" एलेक्स ने आगे आते हुए कहा- “मेरे लिये यह बात आसान है।"
यह कहकर एलेक्स ने बीना किसी से पूछे, अपने जूते उतारे और एक पेड़ के तने को छूकर पेड़ को पकड़ का जायजा लिया। इसके बाद एलेक्स किसी प्रशिक्षित बंदर कि तरह तने को पकड़कर, पेड़ पर चढ़ने लगा।
“बंदर कहीं का।" क्रिस्टी ने मुस्कुराते हुये एलेक्स पर कमेंट किया।
अनायास ही सभी के चेहरे पर एक मुस्कान सी खिल गई।
थोड़ा ऊपर चढ़कर एलेक्स ने आसपास के फलो को देखा। अब एलेक्स कि नजर एक पास के फल पर गयी, जो कि उससे ज्यादा दूर नही था।
एक दूसरी शाख पर कूदने के बाद एलेक्स ने उस फल कि ओर हाथ बढ़ाया। सबकी नजर एलेक्स पर थी।
तभी एकाएक एलेक्स के पीछे की पेड़ की एक डाली स्वतः गतिमान हूई और वह रबर की तरीके से तेजी से आकर एलेक्स की पीठ पर लगी-
“सटाक्"
“आहऽऽ!" पीठ पर लगी चोट के कारण एलेक्स के मुंह से एक तेज कराह निकली और उसका हाथ डाल से छूट गया।
एलेक्स का शरीर हवा में लहराया और तेजी से जमीन की तरफ गया।
एलेक्स ने फुर्ती से एक डाली पकड़ ली, नही तो वह सीधे जमीन पर आ जाता। यह घटना किसी कि आँखो से छीपी ना रह सकी।
“एलेक्स तुरंत नीचे आ जाओ।" क्रिस्टी ने चीखकर कहा- “पेड़ पर कुछ खतरा है।"
एलेक्स को कुछ समझ नही आया पर क्रिस्टी की आवाज सुन वह पेड़ से नीचे कूद गया।
“यह कैसे संभव है, यह पेड़ तो बिल्कुल किसी सजीव की तरह व्यवहार कर रहा है और इसे देखकर मुझे नही लगता कि हम लोग इस पेड़ से एक भी फल तोड़ पायेंगे।"
अल्बर्ट ने आश्चर्य से पेड़ को देखते हुए कहा।
जारी रहेगा________
Lagta hai ye Vilmar aur James dono khajana khoj kar hi rahenge par lagta nahi hai itni easily kaam banega aur sayad bane bhi na??#58.
“अब तो 100 प्रतिशत मुमकिन है कि हमे इस द्वीप पर अभी बहुत से आश्चर्य और देखने को मिलेंगे ।" ड्रेजलर ने कहा।
“अंकल क्या मैं इस पेड़ को छू सकती हुं ?" शैफाली ने सुयश कि ओर सर घुमाते हुए कहा- “पता नही क्यों मुझे इसे छूने का मन कर रहा है।"
सुयश ने एक बार ध्यान से शैफाली को देखा और फ़िर शैफाली का हाथ पकड़ उसे पेड़ तक लेता गया।
वैसे तो शैफाली कि यह बात बहुत ही सामान्य सी थी, परंतु पता नही क्यों सुयश को इसमे भी कुछ रहस्य सा महसूस हुआ। सुयश के हाथ के इशारे पर, शैफाली ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर पेड़ को स्पर्श कर लिया।
शैफाली के स्पर्श करते ही अचानक पेड़ मे कुछ हलचल सी हुई और बिना किसी हवा के उस पेड़ कि डालीयां झूमने लगी।
पेड़ कि यह हरकत देख सभी लोग डरकर पीछे हट गये। सुयश भी शैफाली को लेकर दूर चला गया। डालीयां के झूमने की गति धीरे-धीरे तेज होने लगी। जिसकी वजह से उस पर लगे फल टूट-टूट कर नीचे गिरने लगे।
मात्र 30 सेकंड मे ही पेड़ के नीचे फलो का अम्बार लग गया। जब पेड़ से सारे फल टूटकर नीचे गिर गये तो पेड़ स्वतः ही शांत हो गया।
“ये सब क्या था?" जेनिथ ने आश्चर्य से फलो के टूटे अंबार को देखते हुए कहा।
“शायद यह कोई मायावी पेड़ है। जिसके अंदर स्वयं कि समझ भी है।" तौफीक ने कहा।
“तुमने पेड़ को छूकर ऐसा क्या किया था?" सुयश ने शैफाली को देखते हुए पूछा- “जिसकी वजह से पेड़ ने हरकत की।"
“मैंने केवल उसे छूकर फल को खाने कि इच्छा व्यक्त की थी बस.... और मुझे कुछ नही पता?"
शैफाली स्वयं भी आश्चर्य में थी। किसी को समझ नही आया कि ये सब कैसे हुआ।
“प्रोफेसर, आपको कुछ समझ में आया क्या?" ब्रेंडन ने अल्बर्ट से मुखातिब होते हुए पूछा।
अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरी और ब्रेंडन से कहना शुरू कर दिया-
“मैं स्वयं इस घटना से आश्चर्य में हुं, मैंने कभी भी ऐसे किसी पेड़ के बारे में नही सुना। हाँ, पर हिंदू माइथालोजी में ‘पारीजात’ नामक एक ऐसे पेड़ का वर्णन है, जो किसी कि भी इच्छा को पूर्ण करता था। मुझे यह पेड़ भी कुछ वैसा ही लग रहा है, क्यों की जब हमने इसकी इच्छा के विरूद्ध इसके फल तोड़ने चाहे तो नही तोड़ पाये, पर जब शैफाली ने इससे प्रार्थना कि तो इसने स्वयं ही अपने सारे फल हमें दे दिये।"
“पर .... शैफाली ने तो मन में प्रार्थना की थी, शैफाली के मन कि बात इसे कैसे समझ में आ गयी।" सुयश के शब्दो में तर्क तो था।
“मैं श्योरिटी से तो कुछ नही कह सकता, पर ये भी हो सकता है कि यह पेड़ मन कि बात को समझ लेता हो, आख़िर हमारी सोच भी तो एक ऊर्जा का ही रूप होती है।" अल्बर्ट ने कहा।
“अंकल अब क्या हम इन फलो को खा सकते है?" शैफाली ने सबके विचारो पर पूर्ण विराम लगाते हुए पूछा।
शैफाली की आवाज सुन सुयश ने एक फल ब्रूनो के सामने रखा। ब्रूनो ने पहले फल को सूंघा और फ़िर खा लिया। थोड़ी देर तक ब्रूनो को देखते रहने के बाद सुयश ने सबको फल खाने कि इजाजत दे दी।
फल का स्वाद बहुत ही अनोखा था। उसमें कोई बीज नही था और रस भी बहुत ज्यादा था। सभी को वो फल बहुत ही अच्छा लगा। फल खाकर सुयश ने फ़िर सभी को आगे चलने का इशारा किया।
सभी उठकर चल दीये । शैफाली ने कुछ आगे बढ़ने के बाद पीछे पलटकर उस चमत्कारी पेड़ को ‘बाय’ किया।
शैफाली के ऐसा करने पर पेड़ की भी एक डाल जोर से हिली, ऐसा लगा मानो उस पेड़ ने भी शैफाली को बाय किया।
चैपटर-2 (सुनहरी ढाल)
7 जनवरी 2002, सोमवार, 11:30, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत, अंटार्कटिका
अंटार्कटिका की धरती पर बर्फ़ की एक मोटी चादर बिछी थी। जनवरी का महीना अंटार्कटिका का सबसे गरम महीना था फ़िर भी उस छेत्र में किसी भी प्रकार के जीव-जंतू और पेड़-पौधे का नामो-निशान तक नहि था।
आसमान इस समय बिलकुल साफ था और तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे मौसम में 2 अमेरिकी व्यक्ति ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों के पास ड्रिल मशीन से बर्फ़ में सुराख करने की कोशीश कर रहे थे।
“तुम्हें क्या लगता है जेम्स, हमारी इस मशीन ने आज क्या खोजा होगा?“ विल्मर ने मैटल खोज करने वाली मशीन के जलते हुए इंडीकेटर को देखकर कहा।
“जरूर यहाँ पर कोई पुराना खजाना दबा हुआ होगा?" जेम्स ने मुस्कुराते हुए विल्मर पर कटाक्ष किया- “फ़िर इस खजाने को पाकर हम करोड़पती बन जाएंगे।"
“हा....हा...हा..... खजाना!“ विल्मर भी जेम्स की बात सुनकर जोर से हंसा- “पुराने टूटे-फूटे स्कूटर के अवशेष के अलावा यहां आज तक कुछ मिला है जो आज मिलेगा। ये कोई पिकनिक मनाने की जगह तो है नही। यहां पर हमारी- तुम्हारी तरह के कुछ खोजी दस्ते ही आते है, अपने ‘स्की-स्कूटर’ से। उन्हि में से कुछ दुर्घटना का शिकार भी हो जाते है । उसमे से ही होगा, किसी का कोई सामान, जिसका यह खोज- सूचक (search-indicator) हमे संकेत दे रहा होगा।"
“सही कह रहा है भाई।" जेम्स ने अब उदास होते हुए कहा- “चल ड्रिल करता रह, जब थक जाना तो मुझे बता देना, आगे की खुदाई मैं कर लूंगा।"
लेकिन इससे पहले कि विल्मर और कुछ बोल पाता, ड्रिल मशीन एक ‘खटाक’ कि आवाज के साथ किसी चीज से टकराई। यह आवाज सुन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
“ले भाई मिल गया तेरा खजाना।" विल्मर ने ड्रिल छोड़कर खड़े होते हुए कहा- “अब तू ही निकाल अपने इस खजाने को।"
जेम्स ने हंसकर विल्मर कि जगह ले ली और अपने ग्लब्स पहने हाथो से उस जगह की बर्फ़ साफ करने लगा।
थोड़ी ही सफाई के बाद जेम्स कि आँखे आश्चर्य से सिकुड़ गई।
“य...य...ये क्या है?" जेम्स ने जमीन की ओर देखते हुए आश्चर्य से कहा। जेम्स कि ऐसी आवाज सुनकर विल्मर भी उस गड्डे में देखने लगा।
गड्डे में एक सुनहरी अंजान सी धातु की बनी हुई एक ढाल नजर आ रही थी जो देखने में किसी पुरातन योद्धा की लग रही थी। ढाल पर ड्रेगन कि तरह के एक विचित्र जीव कि उभरी हुई आकृति बनी थी।
“लग रहा है सच में खजाना मिल गया!" उस ढाल को देखकर जेम्स ने रोमांच से कहा।
अब जेम्स और विल्मर तेजी से उस जगह कि बर्फ़ को साफ करने लगे। ढाल अब पूरी नजर आने लगी थी।
“यह कौन सी धातु हो सकती है?" जेम्स ने उस सुनहरी धातु को देखते हुए पूछा।
“सोना तो नही है, पर है यह कोई बहुमूल्य धातु।" विल्मर ने उस धातु को हाथो से टच करते हुए कहा।
ढाल पर पड़ी पूरी बर्फ़ अब हट गयी थी।
“चल निकाल जल्दी से इस खजाने को, अब सबर नहीं बचा मेरे पास।" विल्मर ने कहा।
जेम्स ने ढाल को एक हाथ से खिंचा, पर वह ढाल उठना तो छोड़ो, हिली तक नहीं । यह देख जेम्स ने दोनो हाथो का इस्तेमाल किया, पर पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह उस ढाल को हिला तक नहीं पाया।
यह देख विल्मर ने क्रोध से जेम्स को धक्का दीया और स्वयं आकर उस ढाल को उठाने कि कोसिश करने लगा। पर ढाल विल्मर से भी ना हिली । अब दोनों ने मिलकर पूरी ताकत लगायी, फिर भी वह ढाल को हिला नहीं पाये।
“शायद यह ढाल बर्फ़ में ज़्यादा अंदर तक घुसी है, इसे निकालने के लीए, लगता है और बर्फ़ हटानी पड़ेगी।" जेम्स ने कहा।
यह सुन विल्मर ने दोबारा से ड्रिल मशीन अपने हाथ में ले ली और उस स्थान के अगल-बगल कि बर्फ़ हटानी शुरु कर दी।
थोड़ी देर में ढाल के पास का लगभग 6 मीटर का क्षेत्र दोनो ने साफ कर लिया। पर अब उस जगह को देख उनकी आँखे फटी की फटी रह गई, क्यों की अब उस साफ किये 6 मीटर के दायरे में, उसी धातु की सुनहरी दीवार दीखाई दे रही थी।
एक ऐसी दीवार जिसमें वह ढाल लगी हुई थी और उस दीवार का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा था।
“ये है क्या?" जेम्स ने उस दीवार को देखते हुये कहा- “इसका तो कहीं अंत ही नहीं दिख रहा है।“
अब दोनों की आंखें रहस्य से फैल गई। अब विल्मर ने उस स्थान से 10 मीटर दूर ड्रिल करना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद वहां भी बर्फ़ के नीचे वही दीवार दिखाई दी।
अब विल्मर जैसे पागल हो गया। उसने लगभग 500 मीटर के दायरे में अलग-अलग जगह की बर्फ़ हटायी, पर सभी जगह से एक ही परिणाम निकला। हर जगह पर वह सुनहरी दीवार मौजूद थी।
विल्मर अब थककर पूरी तरह से चूर हो चुका था। इसिलये वह जेम्स के पास आकर बैठ गया।
“क्या लगता है तुम्हे? ये चीज क्या हो सकती है?" विल्मर ने जोर- जोर से साँस लेते हुये जेम्स से पूछा।
“शायद यह कोई पनडुब्बी या पानी का जहाज हो सकता है, जो कि यहां बर्फ़ में दबा है, या फिर कोई एलियन का स्पेससिप या .......।" कहते-कहते जेम्स ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
“या ....?"
विल्मर ने जेम्स की बात को पूरा करते हुए कहा- “कोई ऐसी सभ्यता जो अभी तक दुनियाँ कि नजर में आई ही ना हो।" अब दोनों की आँखो में थोड़ा डर भी दिखायी देने लगा।
“तो फिर क्या हमको इसकी जानकारी अपने हेड-कवाटर भेज देना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर से पूछा।
“अब अगर हमें इस चीज से कोई निजी फायदा नहि हो सकता, तो हेड-कवाटर बता देना ही ठीक रहेगा। कम से कम इस परियोजना को ढूंढने में हमारा नाम तो आयेगा।"
विल्मर ने कहा- “अगर तुम कहो तो एक कोशिश और करके देख ले?, शायद कुछ हो ही जाए।"
“कैसी कोशिश?" जेम्स ने ना समझने वाले अंदाज में पूछा।
“देख भाई, चाहे यह कोई पनडुब्बी हो, चाहे एिलयन का स्पेससिप या फिर कोई नयी सभ्यता, इसका रास्ता तो कहीं ना कहीं से होगा ही। क्यों ना हम इसके रास्ते को ढूंढने की कोशिश करे। शायद हमें सच में कोई खजाना मिल जाए।" विल्मर ने जेम्स को समझाते हुए कहा।
विल्मर की बात सुन जेम्स थोड़ी देर सोचता रहा और फिर उसने हाँ में सर हिलाते हुए कहा-
“ठीक है, हम अभी इस परियोजना की जानकारी कीसी को नही देते और इस दूसरी दुनियां का रास्ता ढूंढने की कोशिश करते है। अगर हम अगले 5 दिन में भी इसका रास्ता नहीं खोज पाये तो फिर इसके बारे में सबको बता देंगे।"
“डन।" विल्मर ने थम्स-अप करते हुए कहा और एक बार फिर दुगने उत्साह से अलग दिशा में खुदाई करने चल दिया।
जारी रहेगा________
Jalotha ka yu Shefali ki aawaz sunkar yu wapas lautna aur Darna ye sabit kar raha hai ki Shefali pahle se hi es civilization se belong kar chuki ho.#59.
मगरमच्छ मानव (7 जनवरी 2002, सोमवार, 14:30, अराका द्वीप, अटलांटिक महासागर)
चलते चलते सभी को 2 घंटे बीत चुके थे। पर अभी तक इन लोगों को ना तो कोई जंगली जानवर मिला था और ना ही मनुष्य के किसी प्रकार के पद-चिन्ह:।
चलते-चलते सभी को पेडों के एक झुरमुट के बीच एक छोटी सी झील दिखाई दी।
झील के चारो तरफ कुछ दूरी पर फलो के बहुत सारे पेड़ दिखाई दे रहे थे। झील का पानी काफ़ी साफ लग रहा था।
“क्यों ना हम अपनी खाली हो चुकी बोतलों में यहां से पानी भर ले?" क्रिस्टी ने झील को देखते हुए कहा।
“क्रिस्टी बिलकुल सही कह रही है, वैसे भी 2 घंटे से चलते-चलते सबका दम भी निकल गया है, थोड़ी देर रुक कर आराम भी कर लेना चाहिए।" सुयश ने सभी को देखते हुए कहा।
सुयश के इतना कहते ही कुछ लोग झील के किनारे की मिट्टी के पास बैठ गये और कुछ झील की तरफ आगे बढ़ गये।
“वाह! कितना साफ पानी है।" जेनिथ ने झील कि ओर देखते हुए कहा- “मेरा तो नहाने का मन करने लगा।"
यह कहकर जेनिथ झील के पानी कि ओर बढ़ गयी।
“ठहरो!" अल्बर्ट कि आवाज ने जेनिथ को रोक लिया - “यह झील इतनी शानदार है, पर इसके आस- पास किसी पशु-पक्षी के कदमो के निशान मौजूद नहीं है।"
अब सबका ध्यान झील के पास कि मिट्टी पर गया। मिट्टी हर जगह से बिलकुल बराबर लग रही थी।
“बात तो आपकी सही है प्रोफेसर ।" सुयश ने भी मिट्टी पर नजर मारते हुए कहा- “द्वीप पर इतना बड़ा जंगल है, तो इस जंगल में तो बहुत सारे जंगली जानवर भी होंगे और जानवर पानी पीने तो झील के किनारे अवश्य आते होंगे। ऐसे में उनके कदमो के निशान तो मिट्टी पर होने चाहिए थे।"
“ऐसा कैसे हो सकता है कैप्टन?" असलम ने भी सुयश कि हां में हां मिलाते हुए कहा।
“ऐसा एक ही शर्त में हो सकता है।" शैफाली ने अपना ज्ञान का परिचय देते हुए कहा- “जबकि इस झील के आसपास खतरा हो।"
खतरा शब्द सुनते ही सबकी निगाह अपने आसपास घूमने लगी। पर आसपास कुछ ना पाकर जेनिथ ने अपने जूते उधर झील के किनारे पर उतारे और अपनी जींस को तह कर थोड़ा ऊपर कर लीया। इसके बाद वह झील के पानी कि तरफ बढ़ गयी।
अब जेनिथ के पैर पंजो तक पानी के अंदर थे।
जेनिथ ने एक बार फ़िर से अपने आसपास नजर मारी और फ़िर पानी को अपनी अंजुली में भरकर धीरे-धीरे पीने लगी।
“पानी का स्वाद काफ़ी मीठा है।" जेनिथ ने सभी की ओर देखते हुए कहा- “आप लोग भी पी सकते हो।"
सभी लोग जो अभी तक झील से थोड़ा दूर खड़े थे, झील की तरफ आने लगे।
अभी जेनिथ ने बामुस्किल 2 अंजुली ही पानी पिया था, कि अचानक उसे झील के बीच से पानी में कुछ बुलबुले उठते दिखाई दिये। जेनिथ सहित सभी आश्चर्य से उन बुलबुलो को देखने लगे।
देखते ही देखते एक अजीब सा मगरमच्छ मानव झील से बाहर निकलने लगा। सभी हतप्रभ होकर उस विचित्र जीव को देखने लगे।
अचानक सुयश जोर से चीखा- “जेनिथ जल्दी झील से बाहर आओ।“
सुयश कि आवाज सुन जेनिथ जैसे सपनों से जागी हो, उसने तुरंत झील से बाहर निकलने कि कोशिश की।
परंतु तभी आश्चर्यजनक तरीके से झील का पानी बर्फ़ में बदल गया। इसी के साथ जेनिथ के पैर भी पंजो तक बर्फ़ में फंस गये।
“आह!" जेनिथ के मुंह से कराह निकल गयी- “मेरे पैर बर्फ़ में बुरी तरह से फंस गये है, कोई मेरी मदद करो?"
यह देख सुयश और तौफीक तेजी से जेनिथ की तरफ भागा ।
जेनिथ अपने पैर को बर्फ़ से निकालने कि भरसक कोशिश करने लगी, पर वह रत्ती भर भी कामयाब नहीं हो पाई।
तौफीक अपने हाथ में चाकू निकालकर बर्फ़ को काटने की कोशिश करने लगा। पर तौफीक जितनी बर्फ़ काटता उतनी ही बर्फ़ वापस उस स्थान पर जम जाती।
उधर वह मगरमच्छ-मानव अब पूरा का पूरा जमी हुई झील से बाहर निकल आया।
भारी-भरकम पूंछ वाला वह मगरमच्छ-मानव आश्चर्यजनक तरीके से अपने दो पैरों पर चल रहा था।
कद में 9 फुट ऊंचे उस मगरमच्छ मानव का वजन कम से कम 800 किलोग्राम तो जरूर रहा होगा।
इतना भयानक राक्षस देख वहां खड़े कई लोगो के मुंह से चीख निकल गयी।
मगरमच्छ मानव कि लाल-लाल आँखे अब जेनिथ की ओर थी।
उसके मुंह से गुर्राने जैसी अजीब सी आवाज निकल रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मगरमच्छ मानव अपने शिकार को देखकर बहुत खुश हो गया हो।
धीरे-धीरे वह अब जेनिथ की तरफ बढ़ने लगा।
“कैपटेन, जल्दी जेनिथ को बर्फ़ से निकालो।" अल्बर्ट दूर से चिल्लाया- “वह मगरमच्छ मानव आप लोगो की ओर आ रहा है।"
तौफीक ने मगरमच्छ मानव पर एक नजर मारी और फ़िर तेजी से बर्फ़ तोड़ने की कोशिश करने लगा।
पर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बर्फ़ मायावी हो, क्यों की तौफीक के इतनी कोशिश करने के बाद भी वह बर्फ़ जरा सा भी कम नही हो रही थी।
सुयश भी अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी का उपयोग कर बर्फ़ को खुरचने की असफल कोशिश कर रहा था।
जेनिथ कि निगाह कभी मगरमच्छ मानव पर तो कभी बेतहाशा बर्फ़ तोड़ने कि कोशिश करते तौफीक पर पड़ रही थी।
जेनिथ अभी भी भयभीत नही थी, पर तौफीक के कट चुके हाथो से रिसते खून को देख कर उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव थे।
उधर किनारे पर खड़े लोगो ने आसपास पड़े पत्थर और लकड़ियो को मगरमच्छ मानव पर मारना शुरु कर दीया।
वह लोग अपने मुंह से तेज आवाज़ें निकालकर व शोर मचाकर मगरमच्छ-मानव का ध्यान अपनी
ओर आकर्षित करने लगे। पर मगरमच्छ-मानव का ध्यान केवल और केवल जेनिथ पर था।
“तौफीक भागो यहां से।" जेनिथ ने पीड़ा भरे स्वर में तौफीक को वहां से जाने के लिये बोला- “मेरा बचना अब नामुमकिन है, पर तुम तो अपनी जान बचाओ। कैपटेन आप भी जाइए यहां से।"
मगरमच्छ मानव अब कुछ ही दूरी पर रह गया था।
तौफीक ने एक नजर जेनिथ को देखा पर कुछ बोला नही। वह पुनः बर्फ़ को तोड़ने कि कोशिश करने लगा।
उधर सुयश को जब जेनिथ को बचाने के लिए, कोई उपाय ना दिखा तो वह अपने हाथो में लकड़ी लेकर जेनिथ व मगरमच्छ मानव के बीच खड़ा हो गया। ऐसा लगा कि जैसे वह मगरमच्छ मानव से दो-दो हाथ
करना चाहता हो।
वैसे तो दोनो के शरीर के अनुपात के हिसाब से यह कोई मुकाबला नही था, पर वह इंसान ही क्या जो मुसीबतो से इतनी आसानी से हार मान ले।
मगरमच्छ मानव अब सुयश के काफ़ी पास आ गया था। सुयश ने अपना एक पैर पीछे कर बिल्कुल आक्रमण करने के अंदाज में अपनी पोज़िशन ले ली। अब वह पूरी तरह से उस जानवर से लड़ने के लिये तैयार था।
तभी अचानक शांत खड़ी शैफाली के शरीर में हरकत हुई और वह एक अंदाज से चलती हुई झील की ओर बढ़ी।
झील के किनारे पर पहुंचकर शैफाली रुक गयी। अब उसका चेहरा मगरमच्छ मानव की तरफ था।
मगरमच्छ मानव कि दूरी अब सुयश से केवल एक कदम ही बची थी।
मगरमच्छ-मानव ने एक तेज हुंकार भरी और अपना दाहिना हाथ सुयश को मारने के लिये हवा में उठा लिया।
सभी के दिल की धड़कन तेज हो गई। किसी भी पल कुछ भी हो सकता था।
तभी शैफाली के मुंह से एक तेज आवाज निकली- “जलोथाऽऽऽऽ"
मगरमच्छ मानव यह आवाज सुन शैफाली कि तरफ देखने लगा।
शैफाली को देख अचानक मगरमच्छ मानव के चेहरे पर भय के भाव नजर आने लगे।
शैफाली ने अब एक कदम मगरमच्छ मानव कि ओर बढ़ा दिया। मगरमच्छ मानव भय से एक कदम पीछे हो गया।
शैफाली के एक कदम और आगे बढ़ाते ही मगरमच्छ मानव एक कदम और पीछे हो गया।
शैफाली का आगे बढ़ना और मगरमच्छ मानव का पीछे जाना जारी रहा। थोड़ी देर में ही वह मगरमच्छ-मानव वापस उसी स्थान पर पानी में समा गया, जहां से वह निकला था।
किसी को कुछ समझ में तो नही आया पर मगरमच्छ मानव को वापस पानी में घुसता देख सबने राहत कि साँस ली।
सुयश वापस जेनिथ कि ओर पलटा। जेनिथ का पैर अभी भी बर्फ़ में फंसा हुआ था। अब सभी लोग जेनिथ के पास पहुंच गये।
ब्रेंनडन ने लाइटर जलाकर बर्फ़ को पिघलाने कि कोशिश की, पर बर्फ़ फिर भी ना पिघली।
“यह तो कोई मायावी बर्फ़ लग रही है, जो ना कट रही है और ना ही पिघल रही है।" अल्बर्ट ने बर्फ़ को देखते हुए कहा।
तभी शैफाली भी जेनिथ के पास आ गयी। शैफाली ने जेनिथ को कराहते देख उसके पैर को अपने हाथो से पकड़ लिया।
जेनिथ को शैफाली के हाथ काफ़ी गर्म से महसूस हुए।
बर्फ़ कि ठंडक ने जेनिथ के मस्तिष्क को भी स्थिर करना शुरु कर दिया था, पर शैफाली के गर्म हाथो से जेनिथ को बहुत ही बेहतर महसूस हुआ।
शैफाली के हाथो कि गरमी धीरे-धीरे बढ़ने लगी और इसी के साथ पिघलने लगी जेनिथ के पैर के आसपास कि बर्फ़ भी।
कुछ ही छण में जेनिथ के आसपास कि सारी बर्फ़ पिघल गयी और जेनिथ का पैर पानी से बाहर आ गया।
जेनिथ के पैर को बाहर आते देख तौफीक ने जेनिथ को गोद में उठाया और उस मनहुस झील से बाहर आ गया।
झील के किनारे पर कुछ दूरी पर एक बड़ा सा पत्थर मौजूद था, तौफीक ने जेनिथ को उस पत्थर पर बैठा दिया और उसके पैर के तलवो को अपनी हथेली से रगड़ने लगा।
इस समय जेनिथ की आँखो में तौफीक के लिए प्यार ही प्यार दिख रहा था।
एलेक्स झील के पास से जेनिथ के जूते उठा लाया था ।
“बाप रे! हम लोग इस द्वीप को जितना खतरनाक समझते थे, ये तो उससे भी कहि ज्यादा खतरनाक है।" असलम ने कहा।
“ऐसा लग रहा है, जैसे हम किसी पौराणिक दुनिया या फिर उस समयकाल में आ गये है, जब पृथ्वी पर मायावी संसार हुआ करता था।" क्रिस्टी ने कहा।
“पहले चमत्कारी पेड़ का मिलना और फिर इस ‘जलोथा’ का मिलना तो इसी तरफ इशारा करता है।" अल्बर्ट ने कहा।
“जलोथा से याद आया।" सुयश ने शैफाली कि ओर नजर डालते हुए कहा- “क्या तुमने यह शब्द भी अपने सपने में सुना था शैफाली?"
जारी रहेगा_________
Well Vega, Yugaka aur Trikali teeno hi *Araka* island se belong karte hain??#60.
“नही .... मैंने यह शब्द सपने में नही सुना, मुझे स्वयं नही पता की यह शब्द उस समय मेरे दिमाग में कैसे आया। यह शब्द अचानक ही मेरे मुंह से निकले।" शैफाली ने अपनी बातों से सुयश का संशय दूर करते हुए कहा।
“कैपटेन हम लोगो को पता है कि शैफाली के अंदर कोई तो ऐसी शक्ति है जो समय-समय पर हमारी जान बचा रही है, पर इस ‘जलोथा’ शब्द को सुनकर वह मगरमच्छ मानव इतना भयभीत क्यों हो गया।" इस बार अल्बर्ट ने अपने विचार व्यक्त किये।
“शायद जलोथा किसी पौराणिक योद्धा का नाम हो, जिससे वह मगरमच्छ मानव डरता रहा हो और शैफाली के द्वारा वह शब्द पुकारे जाने पर, मगरमच्छ मानव को उसी योद्धा कि याद आ गयी हो।“ सुयश ने कहा- “प्रोफेसर, वैसे क्या आपने कभी भी ऐसे किसी जीव के बारे में पढ़ा या सुना है? जो इस तरह विशालकाय और विचित्र हो।"
“ऐसे जीव के बारे में वर्तमान में तो शायद किसी जीव विज्ञानी ने नहीं लिखा है।" अल्बर्ट ने सुयश को बताते हुए कहा- “पर हां कुछ पौराणिक कथाओ में ऐसे जीवो के बारे में जरूर लिखा है। ऐसे जीव आधा जानवर और आधा इंसान होते थे। उनमें कमाल की शक्तियां होती थी, पर इंसान के पास किताबो और कुछ गुफ़ाओ व खण्डहरों के भीति चित्रों के अलावा कोई सबूत नहीं है।"
“पर ये पौराणिक कथाओ का जीव यहां इस द्वीप पर कैसे आ गया?" जैक ने अल्बर्ट को देखते हुए कहा।
“तुम हरे कीडो के बारे में भूल रहे हो जैक।" कहते-कहते अल्बर्ट की आँखे गुस्से से लाल हो गई। शायद उन्हे मारिया की याद आ गयी थी- “हरे कीड़े भी पृथ्वी पर और कहीं नहीं पाये जाते। इन्ही सब कारनों से तो यह द्वीप रहस्यमयी बन गया है।"
“आप सही कह रहे है प्रोफेसर।" एलेक्स ने कहा- “ यह स्थान है ही रहस्यमयी ।"
“पर प्रोफेसर।"
जेनिथ बोल उठी-“वह पानी एकाएक बर्फ़ कैसे बन गयी? और वह भी ऐसी बर्फ़ जिसकी सतह पतली होने के बाद भी वह टूट नही रही थी।"
“हो सकता है उस मगरमच्छ मानव के पास पानी को बर्फ़ में बदल देने की शक्ति हो।" इस बार ड्रेजलर ने कहा।
“यह कैसे संभव है?" जॉनी ने डरते हुए कहा- “ऐसी कोई शक्ति नहीं होती।"
“हो सकता है।" अल्बर्ट ने जॉनी की बात का जवाब दिया “क्यों कि जिस प्रकार मकड़ी अपने शिकार को पकड़ने के पहले जाल बुनती है, जिससे की उसका शिकार भाग ना सके। ठीक उसी प्रकार से यह मगरमच्छ मानव भी अपने शिकार को बर्फ़ में फंसा कर मारता हो।"
क्यों कि अब सबके पास सवाल ख़तम हो गये थे, इसिलये सभी सुयश कि तरफ देखने लगे, पर अब किसी कि हिम्मत दोबारा झील में उतरकर अपनी बोतल भरने कि नहीं बची थी।
सुयश के एक इशारे पर सभी फ़िर से आगे बढ़ गये।
रहस्यमय बाज: (7 जनवरी 2002, सोमवार, 15:30, वॉशिंगटन डी.सी.,)
वेगा ने वीनस को पुस्तकालय से लौटते समय, उसकि बताई जगह पर बाज़ार में छोड़ दिया था।
वेगा ने अपनी कार अब अपने सोसाइटी के अंदर कर लिया। कार को पार्किंग में खड़ा करके, उसने उस किताब के पैकेट को हाथ में लिया और लिफ्ट की ओर बढ़ गया।
बेसमेंट में इस समय बिल्कुल सन्नाटा था। लिफ्ट का इंडीकेटर अब लिफ्ट को तीसरी मंजिल पर दिखा रहा था।
तभी वेगा को अपनी कार का सायरन बजता हुआ सुनाई दिया जो इस बात का संकेत था कि किसी ने वेगा कि कार के साथ कोई छेड़-छाड़ की है।
शांत वातावरण में सायरन की तेज आवाज एक अजीब सा खौफ पैदा कर रही थी। वेगा ने पलटकर अपनी कार को देखा, पर उसे कुछ नजर नहीं आया।
वेगा वापस अपनी कार की ओर चल दिया। कार के पास पहुंचने पर उसने देखा कि उसकी कार पर एक बड़ा सा बाज बैठा हुआ है।
“यह इतना बड़ा बाज यहां भूमिगत पार्किंग में कहां से आया?" वेगा मन ही मन बड़बड़ाया।
उसने बाज को भगाने के लिये आसपास कोई चीज देखनी शुरू कर दी, पर उसे आसपास ऐसा कुछ भी नजर नहीं आया जिससे की वह उस बाज को भगा सके।
यह देख वेगा ने अपने हाथ में पकड़ी किताब को ही बाज की तरफ लहराया। उसका अनुमान था कि बाज इससे भाग जायेगा। पर ऐसा नहीं हुआ ।
बाज ने भागने की जगह अपने पंजो से उस किताब को जोर से पकड़ लिया। वेगा यह देख हैरान रह गया।
बाज अब भयानक तरीके से अपने पंख को फड़फड़ा कर वेगा को डराने कि कोशिश करने लगा। बाज अपनी पूरी ताकत लगाकर वेगा के हाथ से किताब छीनने कि कोशिश करने लगा, पर वेगा ने भी किताब को नहीं छोड़ा।
तभी लगातार बज रही कार की आवाज सुनकर, एक सुरक्षा रक्षक (security-guard) उधर आ गया।
इतने बड़े बाज को वेगा से लड़ते देख, गार्ड ने अपने हाथ में पकड़ा डंडा, पीछे से पूरी ताकत से बाज के सिर पर मार दिया। चुंकी बाज कि नजर वेगा की तरफ थी, इसिलए वह पीछे से आये इस खतरे को भांप नहीं पाया।
डंडे की चोट बहुत खतरनाक थी, बाज के हाथ से किताब निकलकर वेगा के हाथ में आ गयी और बाज उछलकर दूर जा गिरा।
एक पल को लगा कि वह बाज इतनी भयानक चोट से मर गया, मगर अगले ही पल वह उठकर, इस बार गार्ड कि ओर झपटा।
गार्ड पूरी तरह से सावधान था, उसने तेजी से झुककर अपने आप को बचाया, पर उसके हाथ में पकड़ा डंडा, जमीन पर गिर गया।
यह देख गार्ड ने इस बार पिस्तौलदान (holster) में लगे रिवाल्वर को निकालकर अपने हाथ में ले लिया।
उधर अपना शिकार हाथ ना आते देख, बाज फिर पलटा और कुछ दूर रुककर गार्ड को घूरने लगा। गार्ड ने भी रिवाल्वर बाज की ओर तान दी और बाज के अगले कार्रवाई का इंतजार करने लगा।
वेगा अवाक होकर इस पूरी घटना को देख रहा था। बाज ने इस बार तेजी से गार्ड की ओर उड़ान भरी।
घबराकर गार्ड ने गोली चला दी, पर उसी समय गोल-गोल घूमकर बाज उस गोली से बच गया और सीधा गार्ड के हाथ पर आक्रमण कर दिया।
गार्ड ने रिवाल्वर तो नहीं छोड़ी, पर दूसरे हाथ से उस बाज को अपने शरीर से दूर हटाने कि कोशिश करने लगा। बाज ने गार्ड के हाथ को लहुलुहान कर दिया।
यह देख वेगा ने अपने पास पड़े गार्ड के डंडे को उठाया और दबे पांव पहुंचकर पूरी ताकत से बेस बॉल कि तरह से डंडे को हवा में लहराया।
डंडा पूरी ताकत से बाज के सिर पर लगा। बाज लहराकर फिर से जमीन पर गिर गया।
इस बार गार्ड ने कोई गलती नहीं की, और उस बाज के शरीर में एक के बाद एक 3 गोली मार दी। बाज एक बार जोर से तड़पा और उसके प्राण पखेरू उड़ गये।
तब तक गोली चलने कि आवाज सुन कुछ और गार्ड भी उधर आ गये।
वेगा ने सारी बातें सिलसिलेवार तरीके से बाकी गार्ड को सुना दी। वह सभी गार्ड उस गार्ड को लेकर तुरंत अस्पताल कि ओर चले गये।
वेगा ने भी एक बार फिर से अपनी कार का लॉक चेक किया और बाज कि लाश पर एक नजर मारी।
फिर वह किताब ले लिफ्ट की ओर चल दिया।
वेगा के जाते ही बाज की लाश से धुंआ निकला और वह लाश हवा में ऐसे गायब हो गयी, जैसे वह वहां कभी थी ही नहीं।
उधर वेगा लिफ्ट से निकलकर अपने कमरे में पहुंच गया। चूंकी वेगा ने आज सुबह से कुछ नहीं खाया था, इसिलए उसने फ़्रिज खोलकर 2 चिकेन सैंडविच निकाले और उसे अवन में गर्म करने को रख 5 मिनट का टाईमर लगा दिया। फिर टेलीविज़न खोलकर, समाचार चैनल लगाकर, वह कपड़े बदलने लगा।
टेलीविज़न पर इस समय ब्रेकिंग न्यूज चल रहा था। वेगा ने यह देख टेलीविज़न का आवाज़ थोड़ा बढ़ा दिया।
“ब्रेकिंग न्यूज! 23 दिसंबर को न्यूयॉर्क बंदरगाह से होकर सिडनी जाने वाला पानी का जहाज ‘सुप्रीम’ अपने 2700 यात्रीयो और 500 क्रु-मेम्बर्स के साथ ‘बारामूडा त्रिकोण’ के रहस्यमय अंधे अँधेरो में खो गया।
यह खतरनाक त्रिकोण एक बार फिर इंसानो के लिए जानलेवा साबित हुआ है। क्या है ऐसा उस रहस्यमय त्रिकोण में जो लगातार मासूम इंसानो की जान ले रहा है। आइये आपको लेकर चलते हैं, भौतिक विज्ञान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और भूगोलशाशास्त्री प्रोफेसर वाटसन के पास और इनसे जानने कि कोशिश करते है बारामूडा त्रिकोण के कुछ वैज्ञानिक तथ्य।"
तभी अवन ने सीटी बजाकर सैंडविच के गर्म होने की जानकारी दी। वेगा का ध्यान अवन की ओर गया, उसने टेलीविज़न को बंद कर दिया और कॉफ़ी मशीन से एक कॉफ़ी निकालकर, सैंडविच के साथ सोफे पर जाकर बैठ गया।
वेगा के दिमाग में सुप्रीम को लेकर बहुत से ख्याल आ रहे थे, तभी उसकी नजर सामने टेबल पर रखी किताब पर गयी।
अब वेगा सुप्रीम, बारामूडा त्रिकोण और अटलांटिस की कड़ियो को आपस में जोड़ने कि कोशिश करने लगा।
वेगा को सोचते-सोचते 15 मिनट से भी ज्यादा समय बीत गया। यहां तक कि कब उसकी कॉफ़ी और सैंडविच ख़तम हो गया, उसे पता भी ना चला। वह तो बस अपने ही ख्यालों में गुम था।
तभी फोन कि घंटी बजने से वेगा का ध्यान भंग हुआ। वेगा ने सोफे से उठकर पहले टिश्यु पेपर से अपना हाथ पोंछा और फ़िर आगे बढ़कर फोन के क्रेडल को उठा लिया।
“हैलो वेगा!" दूसरी तरफ से आने वाली आवाज वेगा के भाई ‘युगाका’ की थी।
“हैलो भैया, कैसे हो आप? आज बहुत दिन बाद फोन किया आपने?" वेगा ने खुश होते हुए पूछा।
“हां .... आज मुझे सुबह से ही तुम्हारी याद आ रही थी, तो मैंने सोचा कि तुम्हें फोन ही कर लूं।.... तुम ठीक तो हो ना?" युगाका की आवाज में चिंता के भाव दिख रहे थे।
“हां... हां... मैं बिलकुल ठीक हुं.... मुझे क्या होगा?" वेगा ने बेपरवाह आवाज में कहा और जानबूझकर बाज वाली घटना को युगाका को नहीं बताया।
“चलो बहुत अच्छी बात है, वैसे भी अब तुम्हारी पढ़ाई के केवल 2 साल और बचे हैं। क्या योजना बनाई है उसके आगे?" युगाका ने अपनापन दिखाते हुए कहा।
“कुछ खास नहीं भैया, जैसा आप लोग चाहेंगे, वैसा ही करुंगा। अगर आप कहेंगे तो अराका भी वापस आ जाऊंगा।" वेगा ने कहा।
“नहीं-नहीं ..... अराका वापस आने की जरुरत नहीं है, यहां बहुत खतरा है तुम्हारे लिए।
"और वैसे भी यहां अराका में रखा क्या है जंगलो के सिवा.... इसीलिए तो बाबा ने तुम्हें 8 साल की आयु में ही अमेरिका भिजवा दिया था.... अपनी पढ़ाई अच्छे से पूरी करो और वही कोई अच्छी सी नौकरी ढूंढ कर सेटल हो जाओ .... और हां पैसे की चिंता बिलकुल मत करना... आख़िर तुम अराका के युवराज हो।" युगाका ने छोटे भाई को प्यार जताते हुए कहा।
“अच्छा भाई... त्रिकाली दीदी कैसी है?" वेगा ने पूछा।
“वह भी बहुत अच्छी है... तुम्हें बहुत याद करती है ... मैं उससे बोल दंगा तुम्हारे बारे में....।" युगाका ने कहा।
“भाई एक बात पूछूं?" वेगा ने अचानक विषय परिवर्तन करते हुए कहा।
“पूछो!" युगाका भी वेगा को अचानक से सीरीयस होते देख सोच में पड़ गया।
“भाई क्या बाबा ने आज तक ‘एरकान’ भाषा में कोई किताब लिखी है क्या?" वेगा के शब्दों में
रहस्य ही रहस्य भरा दिख रहा था।
वेगा की बात सुनकर, कुछ देर तक युगाका कुछ नहीं बोला।
“किसने की तुमसे ये सब बातें?" युगाका ने सवाल के जवाब देने की जगह उल्टा वेगा से सवाल ही कर लिया- “तुम ठीक तो हो ना वेगा? कुछ ऐसा तो नहीं है जो तुम हमसे छिपाने की कोशिश कर रहे हो?"
“नहीं-नहीं भैया ... कुछ खास बात नहीं है, वो तो बस मैंने ऐसे ही पूछ लिया था।" वेगा ने फिर बातो को छुपाया- “अच्छा भैया, अभी एक कॉलेज के प्रोजेक्ट पर काम करना है इसिलए अभी फोन रखता हूँ।
बाय-बाय भैया।"
“बाय-बाय!" युगाका ने अनचाहे मन से वेगा को बाय किया। वेगा ने जल्दी से फोन को रख दिया।
वेगा की नजर एक बार फिर उस किताब की ओर गयी।
फिर वह होठो ही होठो में बुदबुदाया- “भैया मुझसे झूठ क्यों बोल रहे हैं? क्या ये सारी चीजे मुझसे छिपाना चाहते हैं?"
फिर वेगा ने अपने सिर को एक झटका दिया और अपने काम पर लग गया।
जारी रहेगा_________
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है शिप भंवर में फंस गया है लेकिन सुयश की सूझ बूझ से उस भंवर से तो निकल गया है एक मुसीबत से तो बाहर आ गए हैं# 16
1 जनवरी 2002, मंगलवार, 05:30;
सुयश आँख बंदकर कुर्सी पर बैठा था। मगर वह अभी भी बहुत तेजी से कुछ सोच रहा था।कुछ देर सोचते रहने के पश्चात, सुयश ने अपनी आँखें खोलीं। सुयश की नजर रोजर पर पड़ी। रोजर, असलम के साथ शिप के चालक दल को गाइड करने में लगा दिखायी दिया।
लेकिन इससे पहले कि शिप के चालक दल के सदस्य, शिप को स्टार्ट कर, सही रुट पर ला पाते। एक अजीब सी आवाज ने, फिर से सभी को आश्चर्य में डाल दिया।
“झर ....ऽऽ झर.....ऽऽ झर.....ऽऽ झर.....ऽऽ।“
“यह आवाज कैसी है?“ सुयश का व्याकुल स्वर कंट्रोल रूम में गूंज उठा।
सभी के कान अब सिर्फ और सिर्फ उस आवाज को सुनने में लगे थे। धीरे-धीरे वह आवाज तेज होती जा रही थी। एकाएक सुयश सहित सभी के दिमाग में एक स्वर गूंज उठा-“खतरा ऽऽऽऽ।“
“रोजर! तुरंत शिप के आसपास की लाइट्स को ऑन करो । क्विक.....।“ सुयश ने घबराकर कहा।
वह विचित्र आवाज धीरे-धीरे तेज होती जा रही थी और अब उसने तेज होते- होते भयानक रूप ले लिया था। इससे पहले कि यह लोग कुछ और समझ पाते।
शिप को एक तेज झटका लगा और वह बिना स्टार्ट किए ही चल पड़ा। रोजर ने झपट कर तुरंत शिप के बाहर की सारी सर्च लाइट ऑन कर दी।
“कैप्टन! कोई अंजाना खतरा हमारे शिप की ओर तेजी से मंडरा रहा है।“ असलम ने अपनी जुबान को अपने सूख चुके होठों पर फिराते हुए, डरे स्वर में कहा -
“हमारा शिप बिना स्टार्ट किए ही किसी दिशा में जा रहा है।“
अब सभी की निगाहें किसी अंजानी आशंका से, शिप के विंड स्क्रीन पर चिपक गईं। शिप की सर्च लाइट का दायरा सीमित होने के कारण, वह सभी शिप के ज्यादा आगे देख पाने में असमर्थ थे। शिप मंथर गति से आगे बढ़ रहा था और वह आवाज लगातार अभी भी तेज हो रही थी। अचानक शिप की सर्च लाइट ने, इन सभी को जो नजारा दिखाया, उसको देखते ही सभी के हाथ-पैर एका एक फूलते से नजर आए।
“भंवर...............।“ सुयश एका -एक चीख उठा। उन्हें कुछ दूरी पर, एक विशालकाय भंवर बनती नजर आयी। जो अपना दायरा लगातार बढ़ाती जा रही थी।
उसी भंवर के तीव्र बहाव के कारण, समुंदर का पानी भी तेजी से भंवर की ओर खिं च रहा था और उसी के साथ खिंच रहा था ‘सुप्रीम’ भी। इतनी विशालकाय भंवर को देख, एक पल के लिए सभी की सांसे रुक सी गईं। उधर शिप लगातार भंवर की ओर बढ़ रहा था। सभी लोगों के मौत के इस सम्मोहन को सुयश की आवाज ने तोड़ा-
“जल्दी करो........ शिप को स्टार्ट करो..... वरना यह अंजानी मौत हमें निगल जायेगी।“ सुयश के इतना कहते ही, संज्ञा शून्य हो चुके सभी व्यक्ति, अचानक हरकत में आ गए।
रोजर व असलम तेजी से शिप के कंट्रोल्स से छेड़-छाड़ करके उसे स्टार्ट करने की कोशिश करने लगे। अब सभी की निगाहें उस विशालकाय भंवर पर थीं, जो तेजी से शिप के बीच का दायरा कम करने में लगी हुई थी।
तभी ‘घर्र-घर्र‘ की तेज आवाज करते हुए, शिप का इंजन स्टार्ट हो गया। इंजन को स्टार्ट हो ते देख, सुयश चीख उठा-
“मोड़ो ऽऽऽऽऽ...जल्दी से शिप को मोड़ कर, भंवर से दूर जाने की कोशिश करो। ......वरना हम इसमें फंस जाएंगे.......और फंसने के बाद, इतनी बड़ी भंवर से हमारा बचकर निकल पाना असंभव होगा।“ भंवर की धाराएं, किसी शिकारी की तरह तेजी से शिप की ओर बढ़ रहीं थीं।
“कैप्टन!“ रोजर ने चिल्ला कर कहा-
“बिना स्पीड में लाए, इतने बड़े शिप को मोड़ना असंभव है और भंवर भी अब हमसे ज्यादा दूर नहीं है। जल्दी बताइए कैप्टेन अब हम क्या करें?“
लेकिन इससे पहले कि सुयश, रोजर को कोई जवाब दे पाता, जहाज को एक और तेज झटका लगा और वह भंवर की बाहरी कक्षा में प्रवेश कर गया। अब सुप्रीम, भंवर की धाराओं के हिसाब से धीरे-धीरे घूमना शुरू हो गया था। लहरों का शोर अब अपने चरमोत्कर्ष पर था। यह भयावह शोर सुनकर, शिप के अधिकांश यात्री भी जाग चुके थे और इस शोर का मतलब निकालने की चेष्टा कर रहे थे।
रोजर, असलम के साथ, बार-बार शिप को उस भयानक भंवर से निकालने की कोशिश कर रहा था। लेकिन शिप के स्पीड में ना होने के कारण, भंवर धाराएं उसे पुनः अंदर की ओर धकेल रही थीं। इस भयानक स्थिति में शिप, लहरों से अठखेलियां कर रहा था।
“रोजर! शिप को पहले भंवर से निकालने की कोशिश मत करो।“ सुयश इस भयानक परिस्थिति में भी तेजी से अपने दिमाग का इस्तेमाल कर रहा था-
“क्यों कि भंवर से निकलने के चक्कर में, शिप स्पीड नहीं पकड़ पा रहा है। और जब तक शिप स्पीड में नहीं आएगा , तब तक वह इस विशालकाय भंवर से निकल भी नहीं पाएगा। पहले धाराओं के मोड़ के हिसाब से, शिप को मोड़ते हुए, शिप की स्पीड बढ़ाने की कोशिश करो और जब शिप फुल स्पीड में आ जाए तो उसे एक झटके से भंवर से बाहर निकालने की कोशिश करो।“
“लेकिन सर, अगर हमने इस तरीके से शिप की स्पीड को बढ़ाने की कोशिश की तो हम भंवर के और अंदर चले जाएंगे और वहां पर भंवर का खिंचाव केंद्र की ओर, और ज्यादा होगा। फिर शायद यह भी हो जाए कि हम....... उससे निकल ही ना पाएं।“ असलम में मरी-मरी आवाज में कहा।
“मैं जैसा कहता हूं वैसा करो। समय बहुत कम है। इसलिए अपना दिमाग मत लगाओ“ सुयश ने बिल्कुल दहाड़ते हुए स्वर में कहा। तुरंत रोजर व असलम सुप्रीम को भंवर की धाराओं के मोड़ के हिसाब से मोड़ने में जुट गए।
कुछ भंवर के केंद्र की वजह से और कुछ धाराओं के अनुकूल चलते रहने के कारण, शिप की स्पीड लगातार बढ़ती जा रही थी। आखिरकार शिप फुल स्पीड में आ ही गया। लेकिन तब तक वह भंवर के केंद्र के काफी नजदी क पहुंच चुका था।
ए.सी . वाले कमरे में होने के बावजूद भी सभी के चेहरे पसीने से भीग गए थे।
ड्रेजलर जो कि शिप का ‘हेल्मसमैन‘ था और शिप को स्टेयरिंग व्हील के द्वारा चलाता था। उसकी नजरें सुयश के अगले आदेश का इंतजार कर रहीं थीं। सुयश की नजरें सिर्फ और सिर्फ शिप के स्पीडो मीटर पर थीं। जैसे ही स्पीडो मीटर ने फुल का इंडीकेशन दिया, सुयश ने चीख कर कहा-
“टर्न!“ सुयश के ऐसा कहते ही ड्रेजलर ने पूरी ताकत से स्टेयरिंग व्हील घुमाया। फुल स्पीड से चल रहे शिप को एक जोरदार झटका लगा और वह चौथी कक्षा की भंवर धाराओं पर एका एक ऐसे चढ़ गया, मानों वह लहरों पर से छलांग लगा कर उड़ जाना चाहता हो। शिप की स्पीड फुल होने की वजह से, एकदम से मोड़ते ही , वह लहरों से टकरा कर, हवा में उछल सा गया। एक क्षण के लिए सबकी सांसें रुक सी गईं। शिप पूरा का पूरा हवा में था और फिर एक छपाक की आवाज करते हुए दोबारा पानी में गिर गया।
पानी में गिरते ही शिप को इतना जोरदार झटका लगा कि कइयों के मुंह से चीख निकल गई। कई लोग अपने स्थान से गिर पड़े। यहां तक कि ड्रेजलर का हाथ भी स्टेयरिंग व्हील से छूट गया। लेकिन फिर तुरंत ही ड्रेजलर ने अपनी बॉडी को नियंत्रित कर, दोबारा से शिप का कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया।
उधर पूरे शिप पर चीख-पुकार का बाजार गर्म हो गया था। किसी यात्री की समझ में नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है? इधर सुयश का चेहरा अब किसी चट्टान की तरीके से सख्त हो गया। उसकी निगाहें लगातार, विंडस्क्रीन पर उछल-उछल कर गिर रही लहरों पर पड़ रही थी।
शिप अब भंवर से थोड़ा सा निकलने में कामयाब हो गया था। मगर मुसीबत अभी खत्म नहीं हुई थी। सभी की आंखें फिर से सुयश के चेहरे की ओर थीं। और सुयश की नजरें भंवर की धाराओं की ओर थीं।
एकाएक ही सुयश ने फिर टर्न का इशारा किया। ड्रेजलर ने दोबारा शिप के स्टेयरिंग व्हील को पूरी ताकत से मोड़ा। शिप एक बार फिर तेजी से भंवर धारा पर चढ़ा। लहरों ने सुप्रीम को पुनः ऊपर उछाल दिया। किस्मत ने एक बार फिर उनका साथ दिया और सुप्रीम की सागर की सतह पर सेफ लैडिंग हुई। इसी तरह 1 और कोशिश करने के बाद सुप्रीम, भंवर के तिलस् चक्रव्यूह से बचकर बाहर निकलने में सफल हो गया।
ड्रेजलर लगातार शिप को भंवर से दूर भगाए जा रहा था। मानो उसे डर हो कि शिप फिर से कहीं, भंवर में ना फंस जाए। तिलस्मी भंवर से काफी आगे निकलने के बाद, जब ड्रेजलर को यह महसूस हो गया कि अब वह मौत से दूर हैं, तो उसने ‘सुप्रीम’ को रोक दिया।
ड्रेजलर की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थी। वह अपनी सीट से उठा और कंट्रोलरुम के फर्श पर ही जमीन पर लेट गया। वह अपनी सांसें नियंत्रित करने की कोशिश करने लगा। सुयश ने भी अपने माथे पर बह आया पसीना पोंछा और तुरंत जेम्स हुक को शिप पर हुई टूट-फूट को चेक करने के लिए भेज दिया।
एक सहायता दल को छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर, शिप के यात्रियों की मरहम पट्टी करने के लिए भेज दिया गया। क्यों कि शिप के बार-बार उछलने के कारण, यात्रियों को काफी चोटें भी आ गई थीं। सुयश ने एक बार पुनः माइक पर एनाउंस करके, सभी यात्रियों को शिप की स्थिति से अवगत करा दिया और उन्हें यह भी बता दिया कि अब वह सभी खतरे से बाहर हैं।
कंट्रोल रूम में अब सभी के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी और होती भी क्यों ना ? आखिर उन्होंने मौत पर विजय जो पाई थी।
जारी रहेगा....…..
Thank you very much for your wonderful review and support bhaiWow wow super update brother.
Bilkul bhai, Araaka main aisi bohot si cheeje dekhne ko milengiAgar sabhi ko island ke andar forest mein survive karna hai toh sabhi ko ek sath mil kar rahna hoga, sabhi ko ek dusre ki takat banna hoga, sabhi ko ek dusre par trust karna hoga.
Ye *Araka* island mystery se bhari huyi hai jahan ek ped khud bhi apne aapko protect kar sakta hai kaise usne Alex ko ek fruit todne se rok diya???
Ho bhi sakta hai Per apun batayega nahi abhi kuch bhiVarna fir maja nahi aayegaEk sawal kya Suyash aur Shefali ka ye punrjanm hai kya???
Ek baar sapne mein Shefali ne Suyash ki murti sayad is island par dekhi thi toh aise mein Suyash aur Shefali ko unki pichhli jindagi ne yahan khinch laya hai kya???
Abb ye dono khajana to nahi khoj payenge Per us se bhi badi cheej avasya khoj lengeDekhte jaao, aage padhoge to pata lag hi jayegaLagta hai ye Vilmar aur James dono khajana khoj kar hi rahenge par lagta nahi hai itni easily kaam banega aur sayad bane bhi na??
Ye Trans Atlantic mein ek aur new civilization, kya ye civilization sach mein raha hoga kya?? Mujhe nahi lagta hai???
Sath bane rahiye kahani aapko niras nahi karegi Thank you very much for your valuable review and support bhaiKyonki abhi tak maine sirf kuchh hi civilization ke bare mein padha hai???
1. Indus valley civilization.
2. Mesopotamia civilization.
3. Egypt Civilization jo Nile river ke aas paas ke area mein flourished hua tha.
4. Vedic Civilization jo Bal Gangadhar ke according *Arctic region* se India aaye the!!
Well nice update brother.
Bhai abhi kuch kahna muskil hai, per ye samajh lo ki tum abhi aadhe sach ke aaspaas ho aise hi sath bane raho aur maja lo iss adhbhud kahani ka, Thanks for your wonderful review and superb support bhaiJalotha ka yu Shefali ki aawaz sunkar yu wapas lautna aur Darna ye sabit kar raha hai ki Shefali pahle se hi es civilization se belong kar chuki ho.
Kya Shefali hi yahan ki goddess rahi ho jaisa maine pahle bhi ek baar kaha tha!!?
Suyash ka yu Jenith aur mayavi rakshash ke bich aa jana ye prove karta hai ki wo ab aur kisi ko khona nahi chahta hai, ye pahle bhi ho chuka hai ki Suyash kisi ko bhi khona nahi chahta tha par bahut sare logo ko kho chuka hai, kya is baar Suyash sabhi ko safe rakh payega ya phir ab Shefali real action mein hogi jo pahle mayavi ped aur ab mayavi crocodile se Jenith ko protect karna???
I think Shefali ne Jalotha ko sapne mein nahi dekha hai balki Shefali ki sayad pahle ki memories wapas aa rahi hai jo pahle previous life ki hai.
Wonderful update brother.
Sahi bhi bola aur galat bhi, waha jungle bhi to hai, per sirf jungle hi nahi hai, balki or kuch bhi haiWell Vega, Yugaka aur Trikali teeno hi *Araka* island se belong karte hain??
Par ek sawal hai Vega ko uske logo ne USA kyon bhej diya!?? Yadi wo wahan ka prince hai toh wahan par kingdom bhi hona chahiye phir Yugaka ne aisa kyon bola ki wahan sirf jungle ke alawa kuchh nahi hai??
Yess wo mayavi hi tha, aur wo book ko isi liye lena chahta tha ki vega jaan hi na paye ki us me kya hai?Baaz, Vega se book kyon hasil karna chahta tha kya wo nahi chahta tha ki Vega ko aur bhi new new information pata chale??
Jis tarah se baaz ka sharir gayab hua hai isse toh yahi prove hota hai ki wo bhi ek mayavi bird tha??
Thanks brother.