• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

DeewanaHuaPagal

New Member
52
270
54
अस्वीकरण

यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसमें वर्णित सभी पात्र, घटनाएँ, स्थान और परिस्थितियाँ लेखक की कल्पना का परिणाम हैं। यदि किसी जीवित व्यक्ति, समुदाय, संस्कृति, या स्थान के साथ समानता होती है, तो यह मात्र संयोग होगा। इस कहानी का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना, किसी धर्म, जाति, परंपरा, या मान्यताओं का अपमान करना नहीं है।

पाठकों से अनुरोध है कि इस कहानी को केवल मनोरंजन के दृष्टिकोण से पढ़ें और इसकी सामग्री को वास्तविकता से न जोड़ें।

उस कहानी के पात्र सभी बालिग हैं। इस कहानी में प्रेम प्रसंग बताए गए हैं। अगर किसी पाठक को यह पसंद नहीं, तो वह इस कहानी को न पढ़े। धन्यवाद।

---------------------------------------------------------------------------------------------

अपडेट १

यह कहानी छोटे शहर और गांव दोनों से जुड़ी है। यह कहानी की शुरुआत शहर से होती है और फिर गांव में प्रवेश होती है। तो आइए कहानी को शुरुआत करते हैं।

एक छोटे शहर में सतीश का छोटा बंगला था। यह बंगला उसने अपने माता-पिता की मदद से लिया था, जो अब इस दुनिया में नहीं थे। उस दिन तक—हरकर वह दूसरे शहर से वापस सुबह घर लौटा। उसने बोला नहीं, वजह—क्योंकि वह नहीं चाहता था कि वह जयश्री को नींद से जगाए। वह अपनी चाबी से घर के अंदर दाखिल हुआ। घर में दाखिल होते ही उसे अजीब सी स्मेल आई। वह सिगरेट की स्मेल थी। उसे अजीब लगा क्योंकि वह सिगरेट नहीं पीता था और न ही जया सिगरेट पीती थी। अपना सामान रखकर हाथ-पैर धोकर वह भी सोना चाहता था। उसने पानी पिया और बैडसाइड के पास के कचरे के डिब्बे में उसकी होटल और ट्रैवल की टिकट्स को डालने गया, तो उसने पहली बार यह दृश्य देखा। उसने देखा कि उसमें एक कंडोम शायद स्ट्रॉबेरी फ्लेवर का था। वह देख लिया और उसके होश उड़ गए। दूसरे कमरे में सामान रखने के लिए चला गया और देखा कि उसका अटैची का पूरा सामान और कपड़े-लत्ते सब वही कमरे में रखा है। वह चौंक गया और बिना आवाज किए अपने बेडरूम की तरफ बढ़ा। उसने हल्के से दरवाजा खोला और आगे का दृश्य देखकर उसके जो शक था वही दिखा। अंदर बिस्तर पर उसकी पत्नी जयश्री अपने बॉस रुद्रप्रताप के साथ सो रही थी।

सतीश 27 साल का है।
वह एक बहुत ही डरपोक दुबला-पतला सा शरीर से था, कमजोर भी था। दिखने में गोरा था, बस इतनी ही अच्छी बात थी उसकी। यहां तक कि पसलियां भी दिखती थीं उसकी। उसके माता-पिता अब नहीं थे। उसकी शादी उन्हीं के समाज के एक सम्पन्न परिवार की लड़की जयश्री से हुई थी। उसके माता-पिता शादी के कुछ दिन बाद वह चल बसे। अब वह गुजर जाने के बाद सतीश गांव का घर एवं थोड़ी जमीन बेचकर बाजू के छोटे शहर में जया के साथ रहने लगा। सतीश थोड़ा पढ़ा-लिखा था पर बहुत आलसी स्वभाव का था। उसे मेहनत करना कम और आराम की खानी की आदत लगी थी। अगर मौका मिले तो 2–3 दिन लगातार टीवी देख सकता था। सतीश और जयश्री की शादी हुए दो साल हुआ। पर पिछले कुछ महीनों से शादी में दरारें आने लगीं जिसके कई कारण थे। जब सतीश जॉब के लिए बाहर जाता तो जयश्री घर में अकेले बोर हो जाती। जॉब के कारण उसे कभी-कभी छोटे शहर के बाहर भी जाना पड़ता था। सतीश को जॉब भी सिफारिश से मिली थी। वह सिफारिश उसके ससुर बलदेव ने ही लगवाई थी क्योंकि रुद्रप्रताप बलदेव का बिज़नेस पार्टनर है। एक दिन रुद्रप्रताप ने सतीश को सुझाव दिया कि उसकी पत्नी जयश्री को भी वह काम पर रख सकता है। वैसे जयश्री को काम की ज़रूरत नहीं थी पर उसे घर पर रहने से अच्छा बाहर घूमना, दोस्त बनाना पसंद है। तो जब सतीश ने इस बारे में जयश्री को यह बताया कि क्या वह भी इस कंपनी में कुछ काम करेगी तो जयश्री ने तुरंत हां कर दी।

जयश्री 25 साल की है।
वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। वह एक सुंदर दिखने वाली घरेलू लड़की थी। उसका रंग गेहुँआ था। उसका कद सामान्य था। पर उसका चेहरा और शरीर बहुत आकर्षक था। उसकी छाती अभी भी तनी हुई, तंग और चुस्त गोलाकार थी, जो अभी भी 1 सेंटीमीटर मीटर भी नीचे नहीं झूलती थी। उसकी कमर काफी पतली तो नहीं, पर मनमोहक कमर थी जो उसे सज रही थी। उसका पश्चभाग भी ज्यादा बड़ा नहीं, पर अच्छे खासे कसे हुए और अच्छे आकार का था। उसका स्वभाव बाहर की दुनिया में ज्यादा लगता, वह खूब खुली-खिली माहौल में रही थी। वह भी थोड़ी पढ़ी-लिखी थी पर उसे पढ़ने का शौक बिल्कुल भी नहीं था। इंटर के बाद ग्रेजुएशन में मन लगा और पढ़ाई छोड़ दी। पर जयश्री की एक कमजोरी थी वह थी गहने। उसे सजना-संवरना, महंगे गहने पहनना, बढ़िया ब्रांडेड ड्रेस और साड़ियां पहनना अच्छा लगता था। उसकी खुशी को देखकर बलदेव ने उसे बार-बार नए-नए गहने खरीदकर दिए थे, जितना कि उन्होंने अपनी स्वर्गवासी पत्नी के लिए भी कभी नहीं खरीदे होंगे। उसकी शादी से पहले उसकी मां का देहांत हो गया, जो काफी पहले से बीमारी से ग्रस्त थी। और उसकी शादी उसके पिता बलदेव ने अपने ही खानदान के एक पहचान के घर में सतीश से कर दी। ऐसा नहीं कि जयश्री को और अच्छे रिश्ते नहीं आ सकते थे, पर बलदेव हमेशा से उसकी बेटी के लिए ऐसा रिश्ता चाहते थे जो उनसे कम घराने वाला हो, जो उनकी बात सुन सके और उनकी बेटी को कोई तकलीफ न दे। पर उसकी कई अपेक्षाएं थीं जो सतीश के बस की बात नहीं थी। जयश्री हमेशा से लोगों से मिलजुल कर रहती आई है। रिश्ते, बिरादरी वालों, सगे संबंधियों से उसकी जान-पहचान थी। उसे लगा कि उसका पति एक बहुत कामयाब और इंटरेस्टिंग होगा, पर उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया था। इन सबके बावजूद जयश्री को यह नहीं पता था कि उसके पिता कितने बड़े हरामी, कमीने और निर्दयी हैं।

बलदेव 50 साल के हैं।
ये जयश्री के पिता है | एक अधेड़ उम्र के विधुर। वह गांव के बहुत बड़े खानदानों में से एक थे। ये बहुत रंगीन मिजाज के हैं, पर बहुत चतुर भी। इनको अपने फायदे की चीजें जल्दी समझ आती थीं। और इनके पिता जी स्वर्गीय शंकरदास गांव के राजनीतिक पृष्ठभूमि से थे और गांव के मुखिया भी रह चुके थे। बलदेव जमींदार भी थे, किसान भी थे और ठेकेदारी भी लेते थे। एक तरह से देखा जाए तो काफी दबदबा था इनका। इनके दो फार्महाउस हैं, एक गांव में खेत में और दूसरा गांव के पास वाले जंगल में भी। बलदेव खेत वाले फार्महाउस में ही रहते थे। शहर के रास्ते पर इनके दो गैराज भी हैं। इसके अलावा इनके गाड़ियों का भी शौक था। जब भी मार्केट में नई SUVs आतीं, तो वह उस पर दावा मारते। बहुत सालों से इनकी पहचान रुद्रप्रताप से हुई थी। अब रुद्रप्रताप इनके दोस्त और बिजनेस पार्टनर भी थे। बलदेव एहसासीय थे। शहर में रुद्रप्रताप के होटल में जाकर डस्ट सिगरेट पेयां भी करते थे। जब भी वह पत्नी से नाराज होते, वह शहर जाकर रुद्रप्रताप को होटल का और औरत का इंतजाम करने को बोलते थे। बलदेव खेत वाले फार्महाउस में रहते थे। उनका वह फार्महाउस चार एकड़ साइज का था। वह खेत के कोने में बनाया था, जहां से पूरी खेती दिख सके और उसके पीछे जंगल का रास्ता बना हुआ था। बहुत आलीशान बनाया था वह फार्महाउस। आधे एरिया में नीचे चार बड़े-बड़े कमरे बनाए थे, जो कि हॉल, किचन और दो बेडरूम के साथ थे। फार्महाउस के पीछे सेट का एक कमरा बनाया था। वह नौकरों और ड्राइवरों के ठहरने के लिए था और उसके ऊपर एक पानी का बड़ा सा टैंक था। फार्महाउस की हर खिड़की से खेत का नजारा दिखता था। बलदेव बहुत ही बलशाली, ठोस शरीर के धनी थे। गांव में ज्यादा समय बिताने के कारण काम की वजह से उनका कसरती शरीर बना था। आज भी वह किसी सांड़ को टक्कर दे सकते हैं। उनका शरीर मानो फौलाद से बना हो ऐसा था। उनका कद 6 फीट का था, पर वह सांवले थे। आधी उम्र के बाद भी वह रत्तीभर भी कमजोर नहीं दिखते। उम्र के चलते पेट पर थोड़ी चर्बी आई थी, पर फिट भी बहुत थे। उनके सीने पर और शरीर पर कई जगह सफेद बाल थे। उनके सिर के बाल भी तकरीबन सफेद हो चुके थे। उनकी तेज़, तनी हुई बड़ी मूंछें भी थीं और वह भी सफेद मूंछें थीं। सिर के ऊपर के बाल कुछ झड़ गए थे, तो आधे गंजे जैसे थे। उनके गाड़ियों का शौक है, तो वह खुद गैराज में पुरानी गाड़ियों को नए जैसा बनाकर देते थे। बहुत बार वह खुद गैराज में बिना अपने ओहदे का विचार किए काम करते थे। उनकी दो कमजोरियां थीं—एक था पैसा और दूसरा थी अच्छी शराब।

रुद्रप्रताप ४८ साल के थे.
रुद्रप्रताप एक कारोबारी थे छोटे शहर में. उनका लोकल ट्रांसपोर्ट का बहोत बड़ा कारोबार था जो मशहूर भी था. ये पहले से ही रंगीन मिजाज के थे और दिलखोल भी थे. उनके इसी स्वभाव के कारण उनकी बलदेव से अच्छी पार्टनरशिप चली और फिर ये दोस्ती में बदल गयी. पर दिमाग से दोनों कमीने थे. रुद्रप्रताप ने जब बलदेव के सिफारिश पे उसके जमाई सतीश को काम पे रख लिया तभी से रुद्रप्रताप के दिमाग में कुरपति कारनामो ने जन्म लिया. जब बलदेव के यहाँ आते तो अक्सर जयश्री को आशीर्वाद के रूप में उसे कुछ न कुछ गिफ्ट लेके आते थे. तभी से जयश्री को रुद्रप्रताप के लिए अलग फील था.
 
Last edited:

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
43,952
116,106
304
अस्वीकरण

यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसमें वर्णित सभी पात्र, घटनाएँ, स्थान और परिस्थितियाँ लेखक की कल्पना का परिणाम हैं। यदि किसी जीवित व्यक्ति, समुदाय, संस्कृति, या स्थान के साथ समानता होती है, तो यह मात्र संयोग होगा। इस कहानी का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना, किसी धर्म, जाति, परंपरा, या मान्यताओं का अपमान करना नहीं है।

पाठकों से अनुरोध है कि इस कहानी को केवल मनोरंजन के दृष्टिकोण से पढ़ें और इसकी सामग्री को वास्तविकता से न जोड़ें।

उस कहानी के पात्र सभी बालिग हैं। इस कहानी में प्रेम प्रसंग बताए गए हैं। अगर किसी पाठक को यह पसंद नहीं, तो वह इस कहानी को न पढ़े। धन्यवाद।

---------------------------------------------------------------------------------------------

अपडेट १

यह कहानी छोटे शहर और गांव दोनों से जुड़ी है। यह कहानी की शुरुआत शहर से होती है और फिर गांव में प्रवेश होती है। तो आइए कहानी को शुरुआत करते हैं।

एक छोटे शहर में सतीश का छोटा बंगला था। यह बंगला उसने अपने माता-पिता की मदद से लिया था, जो अब इस दुनिया में नहीं थे। उस दिन तक—हरकर वह दूसरे शहर से वापस सुबह घर लौटा। उसने बोला नहीं, वजह—क्योंकि वह नहीं चाहता था कि वह जयश्री को नींद से जगाए। वह अपनी चाबी से घर के अंदर दाखिल हुआ। घर में दाखिल होते ही उसे अजीब सी स्मेल आई। वह सिगरेट की स्मेल थी। उसे अजीब लगा क्योंकि वह सिगरेट नहीं पीता था और न ही जया सिगरेट पीती थी। अपना सामान रखकर हाथ-पैर धोकर वह भी सोना चाहता था। उसने पानी पिया और बैडसाइड के पास के कचरे के डिब्बे में उसकी होटल और ट्रैवल की टिकट्स को डालने गया, तो उसने पहली बार यह दृश्य देखा। उसने देखा कि उसमें एक कंडोम शायद स्ट्रॉबेरी फ्लेवर का था। वह देख लिया और उसके होश उड़ गए। दूसरे कमरे में सामान रखने के लिए चला गया और देखा कि उसका अटैची का पूरा सामान और कपड़े-लत्ते सब वही कमरे में रखा है। वह चौंक गया और बिना आवाज किए अपने बेडरूम की तरफ बढ़ा। उसने हल्के से दरवाजा खोला और आगे का दृश्य देखकर उसके जो शक था वही दिखा। अंदर बिस्तर पर उसकी पत्नी जयश्री अपने बॉस रुद्रप्रताप के साथ सो रही थी।

सतीश 27 साल का है।
वह एक बहुत ही डरपोक दुबला-पतला सा शरीर से था, कमजोर भी था। दिखने में गोरा था, बस इतनी ही अच्छी बात थी उसकी। यहां तक कि पसलियां भी दिखती थीं उसकी। उसके माता-पिता अब नहीं थे। उसकी शादी उन्हीं के समाज के एक सम्पन्न परिवार की लड़की जयश्री से हुई थी। उसके माता-पिता शादी के कुछ दिन बाद वह चल बसे। अब वह गुजर जाने के बाद सतीश गांव का घर एवं थोड़ी जमीन बेचकर बाजू के छोटे शहर में जया के साथ रहने लगा। सतीश थोड़ा पढ़ा-लिखा था पर बहुत आलसी स्वभाव का था। उसे मेहनत करना कम और आराम की खानी की आदत लगी थी। अगर मौका मिले तो 2–3 दिन लगातार टीवी देख सकता था। सतीश और जयश्री की शादी हुए दो साल हुआ। पर पिछले कुछ महीनों से शादी में दरारें आने लगीं जिसके कई कारण थे। जब सतीश जॉब के लिए बाहर जाता तो जयश्री घर में अकेले बोर हो जाती। जॉब के कारण उसे कभी-कभी छोटे शहर के बाहर भी जाना पड़ता था। सतीश को जॉब भी सिफारिश से मिली थी। वह सिफारिश उसके ससुर बलदेव ने ही लगवाई थी क्योंकि रुद्रप्रताप बलदेव का बिज़नेस पार्टनर है। एक दिन रुद्रप्रताप ने सतीश को सुझाव दिया कि उसकी पत्नी जयश्री को भी वह काम पर रख सकता है। वैसे जयश्री को काम की ज़रूरत नहीं थी पर उसे घर पर रहने से अच्छा बाहर घूमना, दोस्त बनाना पसंद है। तो जब सतीश ने इस बारे में जयश्री को यह बताया कि क्या वह भी इस कंपनी में कुछ काम करेगी तो जयश्री ने तुरंत हां कर दी।

जयश्री 25 साल की है।
वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। वह एक सुंदर दिखने वाली घरेलू लड़की थी। उसका रंग गेहुँआ था। उसका कद सामान्य था। पर उसका चेहरा और शरीर बहुत आकर्षक था। उसकी छाती अभी भी तनी हुई, तंग और चुस्त गोलाकार थी, जो अभी भी 1 सेंटीमीटर मीटर भी नीचे नहीं झूलती थी। उसकी कमर काफी पतली तो नहीं, पर मनमोहक कमर थी जो उसे सज रही थी। उसका पश्चभाग भी ज्यादा बड़ा नहीं, पर अच्छे खासे कसे हुए और अच्छे आकार का था। उसका स्वभाव बाहर की दुनिया में ज्यादा लगता, वह खूब खुली-खिली माहौल में रही थी। वह भी थोड़ी पढ़ी-लिखी थी पर उसे पढ़ने का शौक बिल्कुल भी नहीं था। इंटर के बाद ग्रेजुएशन में मन लगा और पढ़ाई छोड़ दी। पर जयश्री की एक कमजोरी थी वह थी गहने। उसे सजना-संवरना, महंगे गहने पहनना, बढ़िया ब्रांडेड ड्रेस और साड़ियां पहनना अच्छा लगता था। उसकी खुशी को देखकर बलदेव ने उसे बार-बार नए-नए गहने खरीदकर दिए थे, जितना कि उन्होंने अपनी स्वर्गवासी पत्नी के लिए भी कभी नहीं खरीदे होंगे। उसकी शादी से पहले उसकी मां का देहांत हो गया, जो काफी पहले से बीमारी से ग्रस्त थी। और उसकी शादी उसके पिता बलदेव ने अपने ही खानदान के एक पहचान के घर में सतीश से कर दी। ऐसा नहीं कि जयश्री को और अच्छे रिश्ते नहीं आ सकते थे, पर बलदेव हमेशा से उसकी बेटी के लिए ऐसा रिश्ता चाहते थे जो उनसे कम घराने वाला हो, जो उनकी बात सुन सके और उनकी बेटी को कोई तकलीफ न दे। पर उसकी कई अपेक्षाएं थीं जो सतीश के बस की बात नहीं थी। जयश्री हमेशा से लोगों से मिलजुल कर रहती आई है। रिश्ते, बिरादरी वालों, सगे संबंधियों से उसकी जान-पहचान थी। उसे लगा कि उसका पति एक बहुत कामयाब और इंटरेस्टिंग होगा, पर उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया था। इन सबके बावजूद जयश्री को यह नहीं पता था कि उसके पिता कितने बड़े हरामी, कमीने और निर्दयी हैं।

बलदेव 50 साल के हैं।
ये जयश्री के पिता है | एक अधेड़ उम्र के विधुर। वह गांव के बहुत बड़े खानदानों में से एक थे। ये बहुत रंगीन मिजाज के हैं, पर बहुत चतुर भी। इनको अपने फायदे की चीजें जल्दी समझ आती थीं। और इनके पिता जी स्वर्गीय शंकरदास गांव के राजनीतिक पृष्ठभूमि से थे और गांव के मुखिया भी रह चुके थे। बलदेव जमींदार भी थे, किसान भी थे और ठेकेदारी भी लेते थे। एक तरह से देखा जाए तो काफी दबदबा था इनका। इनके दो फार्महाउस हैं, एक गांव में खेत में और दूसरा गांव के पास वाले जंगल में भी। बलदेव खेत वाले फार्महाउस में ही रहते थे। शहर के रास्ते पर इनके दो गैराज भी हैं। इसके अलावा इनके गाड़ियों का भी शौक था। जब भी मार्केट में नई SUVs आतीं, तो वह उस पर दावा मारते। बहुत सालों से इनकी पहचान रुद्रप्रताप से हुई थी। अब रुद्रप्रताप इनके दोस्त और बिजनेस पार्टनर भी थे। बलदेव एहसासीय थे। शहर में रुद्रप्रताप के होटल में जाकर डस्ट सिगरेट पेयां भी करते थे। जब भी वह पत्नी से नाराज होते, वह शहर जाकर रुद्रप्रताप को होटल का और औरत का इंतजाम करने को बोलते थे। बलदेव खेत वाले फार्महाउस में रहते थे। उनका वह फार्महाउस चार एकड़ साइज का था। वह खेत के कोने में बनाया था, जहां से पूरी खेती दिख सके और उसके पीछे जंगल का रास्ता बना हुआ था। बहुत आलीशान बनाया था वह फार्महाउस। आधे एरिया में नीचे चार बड़े-बड़े कमरे बनाए थे, जो कि हॉल, किचन और दो बेडरूम के साथ थे। फार्महाउस के पीछे सेट का एक कमरा बनाया था। वह नौकरों और ड्राइवरों के ठहरने के लिए था और उसके ऊपर एक पानी का बड़ा सा टैंक था। फार्महाउस की हर खिड़की से खेत का नजारा दिखता था। बलदेव बहुत ही बलशाली, ठोस शरीर के धनी थे। गांव में ज्यादा समय बिताने के कारण काम की वजह से उनका कसरती शरीर बना था। आज भी वह किसी सांड़ को टक्कर दे सकते हैं। उनका शरीर मानो फौलाद से बना हो ऐसा था। उनका कद 6 फीट का था, पर वह सांवले थे। आधी उम्र के बाद भी वह रत्तीभर भी कमजोर नहीं दिखते। उम्र के चलते पेट पर थोड़ी चर्बी आई थी, पर फिट भी बहुत थे। उनके सीने पर और शरीर पर कई जगह सफेद बाल थे। उनके सिर के बाल भी तकरीबन सफेद हो चुके थे। उनकी तेज़, तनी हुई बड़ी मूंछें भी थीं और वह भी सफेद मूंछें थीं। सिर के ऊपर के बाल कुछ झड़ गए थे, तो आधे गंजे जैसे थे। उनके गाड़ियों का शौक है, तो वह खुद गैराज में पुरानी गाड़ियों को नए जैसा बनाकर देते थे। बहुत बार वह खुद गैराज में बिना अपने ओहदे का विचार किए काम करते थे। उनकी दो कमजोरियां थीं—एक था पैसा और दूसरा थी अच्छी शराब।
:congrats: for new story thread
 
  • Like
Reactions: DeewanaHuaPagal

Motaland2468

Well-Known Member
3,675
4,002
159
अस्वीकरण

यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। इसमें वर्णित सभी पात्र, घटनाएँ, स्थान और परिस्थितियाँ लेखक की कल्पना का परिणाम हैं। यदि किसी जीवित व्यक्ति, समुदाय, संस्कृति, या स्थान के साथ समानता होती है, तो यह मात्र संयोग होगा। इस कहानी का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना, किसी धर्म, जाति, परंपरा, या मान्यताओं का अपमान करना नहीं है।

पाठकों से अनुरोध है कि इस कहानी को केवल मनोरंजन के दृष्टिकोण से पढ़ें और इसकी सामग्री को वास्तविकता से न जोड़ें।

उस कहानी के पात्र सभी बालिग हैं। इस कहानी में प्रेम प्रसंग बताए गए हैं। अगर किसी पाठक को यह पसंद नहीं, तो वह इस कहानी को न पढ़े। धन्यवाद।

---------------------------------------------------------------------------------------------

अपडेट १

यह कहानी छोटे शहर और गांव दोनों से जुड़ी है। यह कहानी की शुरुआत शहर से होती है और फिर गांव में प्रवेश होती है। तो आइए कहानी को शुरुआत करते हैं।

एक छोटे शहर में सतीश का छोटा बंगला था। यह बंगला उसने अपने माता-पिता की मदद से लिया था, जो अब इस दुनिया में नहीं थे। उस दिन तक—हरकर वह दूसरे शहर से वापस सुबह घर लौटा। उसने बोला नहीं, वजह—क्योंकि वह नहीं चाहता था कि वह जयश्री को नींद से जगाए। वह अपनी चाबी से घर के अंदर दाखिल हुआ। घर में दाखिल होते ही उसे अजीब सी स्मेल आई। वह सिगरेट की स्मेल थी। उसे अजीब लगा क्योंकि वह सिगरेट नहीं पीता था और न ही जया सिगरेट पीती थी। अपना सामान रखकर हाथ-पैर धोकर वह भी सोना चाहता था। उसने पानी पिया और बैडसाइड के पास के कचरे के डिब्बे में उसकी होटल और ट्रैवल की टिकट्स को डालने गया, तो उसने पहली बार यह दृश्य देखा। उसने देखा कि उसमें एक कंडोम शायद स्ट्रॉबेरी फ्लेवर का था। वह देख लिया और उसके होश उड़ गए। दूसरे कमरे में सामान रखने के लिए चला गया और देखा कि उसका अटैची का पूरा सामान और कपड़े-लत्ते सब वही कमरे में रखा है। वह चौंक गया और बिना आवाज किए अपने बेडरूम की तरफ बढ़ा। उसने हल्के से दरवाजा खोला और आगे का दृश्य देखकर उसके जो शक था वही दिखा। अंदर बिस्तर पर उसकी पत्नी जयश्री अपने बॉस रुद्रप्रताप के साथ सो रही थी।

सतीश 27 साल का है।
वह एक बहुत ही डरपोक दुबला-पतला सा शरीर से था, कमजोर भी था। दिखने में गोरा था, बस इतनी ही अच्छी बात थी उसकी। यहां तक कि पसलियां भी दिखती थीं उसकी। उसके माता-पिता अब नहीं थे। उसकी शादी उन्हीं के समाज के एक सम्पन्न परिवार की लड़की जयश्री से हुई थी। उसके माता-पिता शादी के कुछ दिन बाद वह चल बसे। अब वह गुजर जाने के बाद सतीश गांव का घर एवं थोड़ी जमीन बेचकर बाजू के छोटे शहर में जया के साथ रहने लगा। सतीश थोड़ा पढ़ा-लिखा था पर बहुत आलसी स्वभाव का था। उसे मेहनत करना कम और आराम की खानी की आदत लगी थी। अगर मौका मिले तो 2–3 दिन लगातार टीवी देख सकता था। सतीश और जयश्री की शादी हुए दो साल हुआ। पर पिछले कुछ महीनों से शादी में दरारें आने लगीं जिसके कई कारण थे। जब सतीश जॉब के लिए बाहर जाता तो जयश्री घर में अकेले बोर हो जाती। जॉब के कारण उसे कभी-कभी छोटे शहर के बाहर भी जाना पड़ता था। सतीश को जॉब भी सिफारिश से मिली थी। वह सिफारिश उसके ससुर बलदेव ने ही लगवाई थी क्योंकि रुद्रप्रताप बलदेव का बिज़नेस पार्टनर है। एक दिन रुद्रप्रताप ने सतीश को सुझाव दिया कि उसकी पत्नी जयश्री को भी वह काम पर रख सकता है। वैसे जयश्री को काम की ज़रूरत नहीं थी पर उसे घर पर रहने से अच्छा बाहर घूमना, दोस्त बनाना पसंद है। तो जब सतीश ने इस बारे में जयश्री को यह बताया कि क्या वह भी इस कंपनी में कुछ काम करेगी तो जयश्री ने तुरंत हां कर दी।

जयश्री 25 साल की है।
वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। वह एक सुंदर दिखने वाली घरेलू लड़की थी। उसका रंग गेहुँआ था। उसका कद सामान्य था। पर उसका चेहरा और शरीर बहुत आकर्षक था। उसकी छाती अभी भी तनी हुई, तंग और चुस्त गोलाकार थी, जो अभी भी 1 सेंटीमीटर मीटर भी नीचे नहीं झूलती थी। उसकी कमर काफी पतली तो नहीं, पर मनमोहक कमर थी जो उसे सज रही थी। उसका पश्चभाग भी ज्यादा बड़ा नहीं, पर अच्छे खासे कसे हुए और अच्छे आकार का था। उसका स्वभाव बाहर की दुनिया में ज्यादा लगता, वह खूब खुली-खिली माहौल में रही थी। वह भी थोड़ी पढ़ी-लिखी थी पर उसे पढ़ने का शौक बिल्कुल भी नहीं था। इंटर के बाद ग्रेजुएशन में मन लगा और पढ़ाई छोड़ दी। पर जयश्री की एक कमजोरी थी वह थी गहने। उसे सजना-संवरना, महंगे गहने पहनना, बढ़िया ब्रांडेड ड्रेस और साड़ियां पहनना अच्छा लगता था। उसकी खुशी को देखकर बलदेव ने उसे बार-बार नए-नए गहने खरीदकर दिए थे, जितना कि उन्होंने अपनी स्वर्गवासी पत्नी के लिए भी कभी नहीं खरीदे होंगे। उसकी शादी से पहले उसकी मां का देहांत हो गया, जो काफी पहले से बीमारी से ग्रस्त थी। और उसकी शादी उसके पिता बलदेव ने अपने ही खानदान के एक पहचान के घर में सतीश से कर दी। ऐसा नहीं कि जयश्री को और अच्छे रिश्ते नहीं आ सकते थे, पर बलदेव हमेशा से उसकी बेटी के लिए ऐसा रिश्ता चाहते थे जो उनसे कम घराने वाला हो, जो उनकी बात सुन सके और उनकी बेटी को कोई तकलीफ न दे। पर उसकी कई अपेक्षाएं थीं जो सतीश के बस की बात नहीं थी। जयश्री हमेशा से लोगों से मिलजुल कर रहती आई है। रिश्ते, बिरादरी वालों, सगे संबंधियों से उसकी जान-पहचान थी। उसे लगा कि उसका पति एक बहुत कामयाब और इंटरेस्टिंग होगा, पर उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया था। इन सबके बावजूद जयश्री को यह नहीं पता था कि उसके पिता कितने बड़े हरामी, कमीने और निर्दयी हैं।

बलदेव 50 साल के हैं।
ये जयश्री के पिता है | एक अधेड़ उम्र के विधुर। वह गांव के बहुत बड़े खानदानों में से एक थे। ये बहुत रंगीन मिजाज के हैं, पर बहुत चतुर भी। इनको अपने फायदे की चीजें जल्दी समझ आती थीं। और इनके पिता जी स्वर्गीय शंकरदास गांव के राजनीतिक पृष्ठभूमि से थे और गांव के मुखिया भी रह चुके थे। बलदेव जमींदार भी थे, किसान भी थे और ठेकेदारी भी लेते थे। एक तरह से देखा जाए तो काफी दबदबा था इनका। इनके दो फार्महाउस हैं, एक गांव में खेत में और दूसरा गांव के पास वाले जंगल में भी। बलदेव खेत वाले फार्महाउस में ही रहते थे। शहर के रास्ते पर इनके दो गैराज भी हैं। इसके अलावा इनके गाड़ियों का भी शौक था। जब भी मार्केट में नई SUVs आतीं, तो वह उस पर दावा मारते। बहुत सालों से इनकी पहचान रुद्रप्रताप से हुई थी। अब रुद्रप्रताप इनके दोस्त और बिजनेस पार्टनर भी थे। बलदेव एहसासीय थे। शहर में रुद्रप्रताप के होटल में जाकर डस्ट सिगरेट पेयां भी करते थे। जब भी वह पत्नी से नाराज होते, वह शहर जाकर रुद्रप्रताप को होटल का और औरत का इंतजाम करने को बोलते थे। बलदेव खेत वाले फार्महाउस में रहते थे। उनका वह फार्महाउस चार एकड़ साइज का था। वह खेत के कोने में बनाया था, जहां से पूरी खेती दिख सके और उसके पीछे जंगल का रास्ता बना हुआ था। बहुत आलीशान बनाया था वह फार्महाउस। आधे एरिया में नीचे चार बड़े-बड़े कमरे बनाए थे, जो कि हॉल, किचन और दो बेडरूम के साथ थे। फार्महाउस के पीछे सेट का एक कमरा बनाया था। वह नौकरों और ड्राइवरों के ठहरने के लिए था और उसके ऊपर एक पानी का बड़ा सा टैंक था। फार्महाउस की हर खिड़की से खेत का नजारा दिखता था। बलदेव बहुत ही बलशाली, ठोस शरीर के धनी थे। गांव में ज्यादा समय बिताने के कारण काम की वजह से उनका कसरती शरीर बना था। आज भी वह किसी सांड़ को टक्कर दे सकते हैं। उनका शरीर मानो फौलाद से बना हो ऐसा था। उनका कद 6 फीट का था, पर वह सांवले थे। आधी उम्र के बाद भी वह रत्तीभर भी कमजोर नहीं दिखते। उम्र के चलते पेट पर थोड़ी चर्बी आई थी, पर फिट भी बहुत थे। उनके सीने पर और शरीर पर कई जगह सफेद बाल थे। उनके सिर के बाल भी तकरीबन सफेद हो चुके थे। उनकी तेज़, तनी हुई बड़ी मूंछें भी थीं और वह भी सफेद मूंछें थीं। सिर के ऊपर के बाल कुछ झड़ गए थे, तो आधे गंजे जैसे थे। उनके गाड़ियों का शौक है, तो वह खुद गैराज में पुरानी गाड़ियों को नए जैसा बनाकर देते थे। बहुत बार वह खुद गैराज में बिना अपने ओहदे का विचार किए काम करते थे। उनकी दो कमजोरियां थीं—एक था पैसा और दूसरा थी अच्छी शराब।

रुद्रप्रताप ४८ साल के थे.
रुद्रप्रताप एक कारोबारी थे छोटे शहर में. उनका लोकल ट्रांसपोर्ट का बहोत बड़ा कारोबार था जो मशहूर भी था. ये पहले से ही रंगीन मिजाज के थे और दिलखोल भी थे. उनके इसी स्वभाव के कारण उनकी बलदेव से अच्छी पार्टनरशिप चली और फिर ये दोस्ती में बदल गयी. पर दिमाग से दोनों कमीने थे. रुद्रप्रताप ने जब बलदेव के सिफारिश पे उसके जमाई सतीश को काम पे रख लिया तभी से रुद्रप्रताप के दिमाग में कुरपति कारनामो ने जन्म लिया. जब बलदेव के यहाँ आते तो अक्सर जयश्री को आशीर्वाद के रूप में उसे कुछ न कुछ गिफ्ट लेके आते थे. तभी से जयश्री को रुद्रप्रताप के लिए अलग फील था.
Congratulations for new story.shuruat lajawaab hai bas update regularly dete rehna or story complete karna or story main pics or gif bhi add karo to story padne ka maza doguna ho jayega plz
 

DeewanaHuaPagal

New Member
52
270
54
अपडेट २


(सतीश के घर) सतीश को लगा की जयश्री कही बहार ही बॉस रुद्रप्रताप से अफेयर करेगी और उसके बैडरूम तक मामला नहीं आएगा. जयश्री को ज्वाइन किये अब सिर्फ ३ महीना ही हुआ था. पर थोड़ी बोहोत छोटे शहर की ही सही पर उसकी रौनक ढोनक् ने उसकी उम्मीदे बढ़ा दी थी ऑफिस पार्टी में रात रात भर बॉस के साथ रहना पिकनिक पे जाना. अब वो खुल के जीने का सोच रही थी. रुद्रप्रताप एक जहीन किस्म का बिजनेसमैन था. उसने सतीश को बलदेव के सिफारिश की वजह से जॉब तोह दिलवाई पर एक चाल भी चली, के जयश्री भी घर बैठे क्या करेगी तोह यही उसके साथ काम करे! सतिश ने जब जयश्री का जॉब करने के फैसले को राज़ी हुआ तो उसने ये नहीं सोचा था की बात यहाँ तक पोहोच जाएगी. पर अब सतीश फंस चूका था. न ही वो रुद्रप्रताप का विरोध कर सकता था, न ही चुप बैठ सकता था. रुद्रप्रताप उसे अच्छी सैलरी देता था. रुद्रप्रताप ने जानबूजकर सतीश को दूसरे डिपार्टमेंट में अप्पोइंट किया और जयश्री को अपना रेसेप्टिनिस्ट बना दिया ताकि वो उनके नजदीक रहे. जब भी सतीश उस कंपनी के दोस्तों से गुजरता तोह वह के लोग उसे सामने से भाव तो देते थे पर पीठपीछे उसके ऊपर हसते थे क्यों की अब लगभग वहा के कुछ लोगो को पता चल गया था की रुद्रप्रताप का और जयश्री का चक्कर चल रहा है. पर सतीश मजबूर था. सतीश रुद्रप्रताप से बोहोत चिढ़ता था क्योंकी रुद्रप्रताप उसे काम के बहाने हमेशा जयश्री से दूर रखता था. अब ये आलम है के ३ महीने से जयश्री ने सतीश को हाथ तक नहीं लगाने दिया. अब जयश्री बाहरी दुनिया में खो गई थी. आज अपने ही बिस्तर पर अपनी ही पत्नी को उसके बॉस के साथ एक ही चद्दर में देख रहा था. शुक्र है की जयश्री गौण पहने हुई थी. रुद्रप्रताप बनियान पे था. बिस्तर के पास वाले डस्टबिन में एक कंडोम दिखाई दिया. कल जब कॉल किया था तो जयश्री अपने बॉस साथ पार्टी में ही थी. सतीश ये भी जनता था की जयश्री को उसका उदासीन स्वाभाव पसंद नहीं. वो प्रयास करने की कोशिश भी नहीं करता था. पुरे डेढ़ साल की शादी में उनका प्रेम सम्बन्ध ५-६ बार ही रहे होंगे. कई बार सतीश ने जयश्री से बात करने की कोशिश भी की पर उसे समझा न सका. बात साफ थी अब जयश्री सतीश को भुला चुकी थी. सतीश ने अपना मोबाइल निकला और बिना आवाज किये उसने उन दोनों की पलंग पर सोते हुई फोटो खींची. सतीश बैडरूम के बाहर आ गया. पानी पि लिया और पानी का गिलास बजाय जिस से जयश्री की नींद टूटी और

जयश्री- कौन है वहा
सतीश- में हु
जयश्री बाहर आते हुए बोली
जयश्री- तुम कब आये?
सतीश- अभी आया हु
जयश्री- तुमने बताया नहीं तुम आनेवाले हो

सतीश चुप था. इतना होने के बावजूद जयश्री नहीं डरी और अंदर जाकर रुद्रप्रताप को भी उठाया. दोनों अब हॉल में आ गये.

जयश्री- सुनो! एक काम करो. जरा हमारे लिए २ कप चाय बनाओ.

सतीश चुपचाप चाय बनाने लगा और चाय कर बाहर आया.

रुद्रप्रताप- और फिर कैसे रही कल रात की दौलत एजेन्सी के साथ मीटिंग
सतीश- जी बॉस काफी अच्छी रही उनको १५ ट्रको की जरुरत है ऐसा मुझे लगता है
रुद्रप्रताप- रेंट का बात में तुमको बताता हु
सतीश- जी
जयश्री- सुनिए न बॉस आपने कहा था की इस महीने गोवा ट्रिप पे जायेंगे
रुद्रप्रताप- है बस ये दौलत एजेंसी का काम निपटा लू फिर तुरंत जायेंगे

जयश्री खुश होक चाय पिने लगती है

जयश्री- सुनो वो बॉस का टॉवल ला दो हम नहाएंगे और हाँ पानी गरम करो. और हाँ हमारा नहाना होने तक तुम अपने बैडरूम बेडशीट पिलो वगेरा धोने को डाल दो

सतीश अंदर गया तो बेडशीट कुचली हुई थी. उसने सब कपडे धोने के लिए मशीन में डाल दिए. अब दूसरे बाथरूम से चूमने की आवाजे आने लगी. सतीश को अजीब लगा पर क्या करता बेचारा जबूर जो था

जयश्री और रुद्रप्रताप नहाधोकर बाहर आये
रुद्रप्रताप- जयश्री में निकलता हु तुम जाना ११ बाजे ऑफिस. और हं सतीश वो आज रात को विश्वास राव् के फैक्ट्री में जाना है और उनके बाकि गाड़ियों का ही रिपोर्ट लेना है
सतीश ने मन मसूस लिया क्योंकि उसका आज प्लान दीन भर जयश्री के साथ बिताने का था पर रुद्रप्रताप ने सब गुड़गोबर कर दिया

रुद्रप्रताप चला गया और अब जयश्री अकेले तैयार होने लागि तो सतीश ने उसके पास आया और
सतीश- सुनो मुझे कुछ कहना है, तुम ये बंद कर दो बॉस कितने बुरे है तुमको नहीं पता है
जयश्री- वो तुम और बॉस देख लो आपस में क्या है तुम्हारा मनमुटाव , मुझे मेरी जिंदगी जीने दो, तुम भाड़ में जाओ

जयश्री का आवाज सुनकर सतीश भी डर गया और बहार चला गया.
 

hotshot

The things you own, end up owning you
596
537
108
अपडेट २


(सतीश के घर) सतीश को लगा की जयश्री कही बहार ही बॉस रुद्रप्रताप से अफेयर करेगी और उसके बैडरूम तक मामला नहीं आएगा. जयश्री को ज्वाइन किये अब सिर्फ ३ महीना ही हुआ था. पर थोड़ी बोहोत छोटे शहर की ही सही पर उसकी रौनक ढोनक् ने उसकी उम्मीदे बढ़ा दी थी ऑफिस पार्टी में रात रात भर बॉस के साथ रहना पिकनिक पे जाना. अब वो खुल के जीने का सोच रही थी. रुद्रप्रताप एक जहीन किस्म का बिजनेसमैन था. उसने सतीश को बलदेव के सिफारिश की वजह से जॉब तोह दिलवाई पर एक चाल भी चली, के जयश्री भी घर बैठे क्या करेगी तोह यही उसके साथ काम करे! सतिश ने जब जयश्री का जॉब करने के फैसले को राज़ी हुआ तो उसने ये नहीं सोचा था की बात यहाँ तक पोहोच जाएगी. पर अब सतीश फंस चूका था. न ही वो रुद्रप्रताप का विरोध कर सकता था, न ही चुप बैठ सकता था. रुद्रप्रताप उसे अच्छी सैलरी देता था. रुद्रप्रताप ने जानबूजकर सतीश को दूसरे डिपार्टमेंट में अप्पोइंट किया और जयश्री को अपना रेसेप्टिनिस्ट बना दिया ताकि वो उनके नजदीक रहे. जब भी सतीश उस कंपनी के दोस्तों से गुजरता तोह वह के लोग उसे सामने से भाव तो देते थे पर पीठपीछे उसके ऊपर हसते थे क्यों की अब लगभग वहा के कुछ लोगो को पता चल गया था की रुद्रप्रताप का और जयश्री का चक्कर चल रहा है. पर सतीश मजबूर था. सतीश रुद्रप्रताप से बोहोत चिढ़ता था क्योंकी रुद्रप्रताप उसे काम के बहाने हमेशा जयश्री से दूर रखता था. अब ये आलम है के ३ महीने से जयश्री ने सतीश को हाथ तक नहीं लगाने दिया. अब जयश्री बाहरी दुनिया में खो गई थी. आज अपने ही बिस्तर पर अपनी ही पत्नी को उसके बॉस के साथ एक ही चद्दर में देख रहा था. शुक्र है की जयश्री गौण पहने हुई थी. रुद्रप्रताप बनियान पे था. बिस्तर के पास वाले डस्टबिन में एक कंडोम दिखाई दिया. कल जब कॉल किया था तो जयश्री अपने बॉस साथ पार्टी में ही थी. सतीश ये भी जनता था की जयश्री को उसका उदासीन स्वाभाव पसंद नहीं. वो प्रयास करने की कोशिश भी नहीं करता था. पुरे डेढ़ साल की शादी में उनका प्रेम सम्बन्ध ५-६ बार ही रहे होंगे. कई बार सतीश ने जयश्री से बात करने की कोशिश भी की पर उसे समझा न सका. बात साफ थी अब जयश्री सतीश को भुला चुकी थी. सतीश ने अपना मोबाइल निकला और बिना आवाज किये उसने उन दोनों की पलंग पर सोते हुई फोटो खींची. सतीश बैडरूम के बाहर आ गया. पानी पि लिया और पानी का गिलास बजाय जिस से जयश्री की नींद टूटी और

जयश्री- कौन है वहा
सतीश- में हु
जयश्री बाहर आते हुए बोली
जयश्री- तुम कब आये?
सतीश- अभी आया हु
जयश्री- तुमने बताया नहीं तुम आनेवाले हो

सतीश चुप था. इतना होने के बावजूद जयश्री नहीं डरी और अंदर जाकर रुद्रप्रताप को भी उठाया. दोनों अब हॉल में आ गये.

जयश्री- सुनो! एक काम करो. जरा हमारे लिए २ कप चाय बनाओ.

सतीश चुपचाप चाय बनाने लगा और चाय कर बाहर आया.

रुद्रप्रताप- और फिर कैसे रही कल रात की दौलत एजेन्सी के साथ मीटिंग
सतीश- जी बॉस काफी अच्छी रही उनको १५ ट्रको की जरुरत है ऐसा मुझे लगता है
रुद्रप्रताप- रेंट का बात में तुमको बताता हु
सतीश- जी
जयश्री- सुनिए न बॉस आपने कहा था की इस महीने गोवा ट्रिप पे जायेंगे
रुद्रप्रताप- है बस ये दौलत एजेंसी का काम निपटा लू फिर तुरंत जायेंगे

जयश्री खुश होक चाय पिने लगती है

जयश्री- सुनो वो बॉस का टॉवल ला दो हम नहाएंगे और हाँ पानी गरम करो. और हाँ हमारा नहाना होने तक तुम अपने बैडरूम बेडशीट पिलो वगेरा धोने को डाल दो

सतीश अंदर गया तो बेडशीट कुचली हुई थी. उसने सब कपडे धोने के लिए मशीन में डाल दिए. अब दूसरे बाथरूम से चूमने की आवाजे आने लगी. सतीश को अजीब लगा पर क्या करता बेचारा जबूर जो था

जयश्री और रुद्रप्रताप नहाधोकर बाहर आये
रुद्रप्रताप- जयश्री में निकलता हु तुम जाना ११ बाजे ऑफिस. और हं सतीश वो आज रात को विश्वास राव् के फैक्ट्री में जाना है और उनके बाकि गाड़ियों का ही रिपोर्ट लेना है
सतीश ने मन मसूस लिया क्योंकि उसका आज प्लान दीन भर जयश्री के साथ बिताने का था पर रुद्रप्रताप ने सब गुड़गोबर कर दिया

रुद्रप्रताप चला गया और अब जयश्री अकेले तैयार होने लागि तो सतीश ने उसके पास आया और
सतीश- सुनो मुझे कुछ कहना है, तुम ये बंद कर दो बॉस कितने बुरे है तुमको नहीं पता है
जयश्री- वो तुम और बॉस देख लो आपस में क्या है तुम्हारा मनमुटाव , मुझे मेरी जिंदगी जीने दो, तुम भाड़ में जाओ

जयश्री का आवाज सुनकर सतीश भी डर गया और बहार चला गया.
👍
 

Motaland2468

Well-Known Member
3,675
4,002
159
अपडेट २


(सतीश के घर) सतीश को लगा की जयश्री कही बहार ही बॉस रुद्रप्रताप से अफेयर करेगी और उसके बैडरूम तक मामला नहीं आएगा. जयश्री को ज्वाइन किये अब सिर्फ ३ महीना ही हुआ था. पर थोड़ी बोहोत छोटे शहर की ही सही पर उसकी रौनक ढोनक् ने उसकी उम्मीदे बढ़ा दी थी ऑफिस पार्टी में रात रात भर बॉस के साथ रहना पिकनिक पे जाना. अब वो खुल के जीने का सोच रही थी. रुद्रप्रताप एक जहीन किस्म का बिजनेसमैन था. उसने सतीश को बलदेव के सिफारिश की वजह से जॉब तोह दिलवाई पर एक चाल भी चली, के जयश्री भी घर बैठे क्या करेगी तोह यही उसके साथ काम करे! सतिश ने जब जयश्री का जॉब करने के फैसले को राज़ी हुआ तो उसने ये नहीं सोचा था की बात यहाँ तक पोहोच जाएगी. पर अब सतीश फंस चूका था. न ही वो रुद्रप्रताप का विरोध कर सकता था, न ही चुप बैठ सकता था. रुद्रप्रताप उसे अच्छी सैलरी देता था. रुद्रप्रताप ने जानबूजकर सतीश को दूसरे डिपार्टमेंट में अप्पोइंट किया और जयश्री को अपना रेसेप्टिनिस्ट बना दिया ताकि वो उनके नजदीक रहे. जब भी सतीश उस कंपनी के दोस्तों से गुजरता तोह वह के लोग उसे सामने से भाव तो देते थे पर पीठपीछे उसके ऊपर हसते थे क्यों की अब लगभग वहा के कुछ लोगो को पता चल गया था की रुद्रप्रताप का और जयश्री का चक्कर चल रहा है. पर सतीश मजबूर था. सतीश रुद्रप्रताप से बोहोत चिढ़ता था क्योंकी रुद्रप्रताप उसे काम के बहाने हमेशा जयश्री से दूर रखता था. अब ये आलम है के ३ महीने से जयश्री ने सतीश को हाथ तक नहीं लगाने दिया. अब जयश्री बाहरी दुनिया में खो गई थी. आज अपने ही बिस्तर पर अपनी ही पत्नी को उसके बॉस के साथ एक ही चद्दर में देख रहा था. शुक्र है की जयश्री गौण पहने हुई थी. रुद्रप्रताप बनियान पे था. बिस्तर के पास वाले डस्टबिन में एक कंडोम दिखाई दिया. कल जब कॉल किया था तो जयश्री अपने बॉस साथ पार्टी में ही थी. सतीश ये भी जनता था की जयश्री को उसका उदासीन स्वाभाव पसंद नहीं. वो प्रयास करने की कोशिश भी नहीं करता था. पुरे डेढ़ साल की शादी में उनका प्रेम सम्बन्ध ५-६ बार ही रहे होंगे. कई बार सतीश ने जयश्री से बात करने की कोशिश भी की पर उसे समझा न सका. बात साफ थी अब जयश्री सतीश को भुला चुकी थी. सतीश ने अपना मोबाइल निकला और बिना आवाज किये उसने उन दोनों की पलंग पर सोते हुई फोटो खींची. सतीश बैडरूम के बाहर आ गया. पानी पि लिया और पानी का गिलास बजाय जिस से जयश्री की नींद टूटी और

जयश्री- कौन है वहा
सतीश- में हु
जयश्री बाहर आते हुए बोली
जयश्री- तुम कब आये?
सतीश- अभी आया हु
जयश्री- तुमने बताया नहीं तुम आनेवाले हो

सतीश चुप था. इतना होने के बावजूद जयश्री नहीं डरी और अंदर जाकर रुद्रप्रताप को भी उठाया. दोनों अब हॉल में आ गये.

जयश्री- सुनो! एक काम करो. जरा हमारे लिए २ कप चाय बनाओ.

सतीश चुपचाप चाय बनाने लगा और चाय कर बाहर आया.

रुद्रप्रताप- और फिर कैसे रही कल रात की दौलत एजेन्सी के साथ मीटिंग
सतीश- जी बॉस काफी अच्छी रही उनको १५ ट्रको की जरुरत है ऐसा मुझे लगता है
रुद्रप्रताप- रेंट का बात में तुमको बताता हु
सतीश- जी
जयश्री- सुनिए न बॉस आपने कहा था की इस महीने गोवा ट्रिप पे जायेंगे
रुद्रप्रताप- है बस ये दौलत एजेंसी का काम निपटा लू फिर तुरंत जायेंगे

जयश्री खुश होक चाय पिने लगती है

जयश्री- सुनो वो बॉस का टॉवल ला दो हम नहाएंगे और हाँ पानी गरम करो. और हाँ हमारा नहाना होने तक तुम अपने बैडरूम बेडशीट पिलो वगेरा धोने को डाल दो

सतीश अंदर गया तो बेडशीट कुचली हुई थी. उसने सब कपडे धोने के लिए मशीन में डाल दिए. अब दूसरे बाथरूम से चूमने की आवाजे आने लगी. सतीश को अजीब लगा पर क्या करता बेचारा जबूर जो था

जयश्री और रुद्रप्रताप नहाधोकर बाहर आये
रुद्रप्रताप- जयश्री में निकलता हु तुम जाना ११ बाजे ऑफिस. और हं सतीश वो आज रात को विश्वास राव् के फैक्ट्री में जाना है और उनके बाकि गाड़ियों का ही रिपोर्ट लेना है
सतीश ने मन मसूस लिया क्योंकि उसका आज प्लान दीन भर जयश्री के साथ बिताने का था पर रुद्रप्रताप ने सब गुड़गोबर कर दिया

रुद्रप्रताप चला गया और अब जयश्री अकेले तैयार होने लागि तो सतीश ने उसके पास आया और
सतीश- सुनो मुझे कुछ कहना है, तुम ये बंद कर दो बॉस कितने बुरे है तुमको नहीं पता है
जयश्री- वो तुम और बॉस देख लो आपस में क्या है तुम्हारा मनमुटाव , मुझे मेरी जिंदगी जीने दो, तुम भाड़ में जाओ

जयश्री का आवाज सुनकर सतीश भी डर गया और बहार चला गया.
Behtreen update bhai please next update jaldi Dena plz plz
 
Top