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Incest कन्याधन

DeewanaHuaPagal

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अपडेट ३

सतीश बाहार चला गया। अब वो उक्ता गया था। आज उसे आराम भी करना था मगर अब श्याम को क्लाइंट के पास भी जाना है सोच कर ग़ुस्सा हुआ। हाला को रुद्रप्रताप उसका इमीडियेट बॉस नहीं था पर सतीश के काम पे पूरी नज़र रखता था। ऊपर से पत्नी के साथ साथ इज्जत भी खो रहा था। वो किसी भी हल में उसके बॉस को रोकना चाहता था पर अब उस कोई बस की बात नहीं रही ये वो जानता था। अब सतीश को किसी भी हालत में रुद्रप्रताप को बर्ताव से छुटकारा चाहिए था। वो सोच में पड़ गया। तभी उसे एक आशा की किरण दिखाई दी। उसके ससुर श्री बलदेव उसके माथे पे प्रसन्नता आ गयी। वो जानता था की अगर कोई रुद्रप्रताप को कोई रोक सकता है तो वो बस उसके ससुर ही।

वैसे बलदेव सतीश से अच्छा बर्ताव करता था क्यों की सतीश उनको बोहोत बड़ा आदमी मानता था। सतीश ने कभी भी उसके ससुर के साथ ऐसी वैसी बात नहीं की शायद वो उनके पर्सनालिटी से डरता भी था। वैसे बलदेव और रुद्रप्रताप दोनों पावरफुल लोग थे। बिज़नेस और गांव के बड़े खानदान के चलते उनके राजनेता और आसपास के सभी ठेकेदारों से उठना बैठना था।

सतीश ने बलदेव को फ़ोन लगाया पर फिर उसके दिमाग में एक कुरपति आईडिया ने जन्म लिया। उसने फ़ोन काटा। सतीश सोचने लगा की अगर वो जयश्री और रुद्रप्रताप के अफेयर के बारे में बोल भी देता है तो क्या उस से साब प्रॉब्लम ख़त्म होगी? बलदेव अगर रुद्रपताप से बात कर के अफेयर तोड़ भी देते है तोह जयश्री और कही मुँह मारेगी जहा बलदेव का कोई बस न चलेगा और ऊपर से किसी अनजान आदमी से टांका भिड़ा तोह और नई बदनामी झेलनी पड़ेगी । अब उसको उन दोनों का अफेयर तोड़ने के साथ साथ जयश्री की ख़ुशी भी देखनी पड़ेगी वार्ना सब प्लान फ़ैल हो जायेगा। पर अगर वो अफेयर तोड़ भी देता है तोह उसका फायदा उसको क्या?

सतीश अब नौकरी से ऊब चूका था। वो बस अब आराम फरमाना चाहता था। आलसी तो पहले से था ही। उसके दिमाग में एक बहोत भसड़ चल रही थी और उसी में उस ने कुछ ऐसा करने की ठान ली की उसकी जिंदगी टर्न मारे एक ही झटके में सेटल हो जाये। उसने अपने ससुर को फ़ोन लगाया।


सतीश- हेलो ससुर जी ...

बलदेव- बोलो दामाद जी, सुनो फिलहला थोड़ा बिजी हु तूम बाद में कॉल कर सकते हो बहोत जरुरी तोह नहीं है?

सतीश- जी हाँ कोई बात नहीं में बाद में कल करूंगा

बलदेव- ठीक ...


सतीश घर जाता है तो देखता है की जयश्री फिर से सो चुकी है। शायद रात में रुद्रप्रताप ने म्हणत करवाई हो। फिर वो भी खाना खा कर बैडरूम में आया और सोती हुए पत्नी को देखने लगा। उसकी सुन्दरता देख कर सतीश भी सोचने लगा की कही उसने जयश्री के साथ जल्दबाज़ी नहीं की? वो उसको समझना चाहता था की सब फिर से ठीक हो सकता है पर अब जयश्री हाथ से बहार जा चुकी थी ये भी उसको पता है।

बैडरूम में सिगरेट की स्मेल अभी भी आ रही थी जो रातभर रुद्रप्रताप ने पी होगी। जयश्री का जिस्म देखकर उसे मन हुआ। उसने अपनी ३ इंच की नुन्नी बहार निकली और जयश्री की तरफ देखते हुए हिलने लगा। बीएड पर हिलने की आवाज सुन कर जयश्री की नींद टूट गयी।



जयश्री- यो क्या कर रहे हो

सतीश- सुनो न जानू आय ऍम सॉरी मुझे तुम्हारे बॉस के बारे में ऐसे नहीं बोलना चाहिए था।

जयश्री- चलो इतनी अकल है तुम में। समाज नहीं आता तुमको आज तुम्हारी नौकरी उन की ही दें है अगर वो न होते तो तुम दर दर भटकते, तुमको अत जाता तो कुछ है नहीं चले है मुँह ऊपर उठके उनको कोसने !

सतीश- रानी कुछ करो न बस एक बार हो जाये...

जयश्री- अरे नहीं तुम जाओ मुझे मत सताओ अब मुझे आराम करने दो श्याम को किटी पार्टी में जाना है, छोड़ो

सतीश- बस एक बार जानू मई तुम्हारा पति हूँ और मुझे हक़ है न!



जयश्री ग़ुस्से से देखते हुई

जयश्री- हक़ ! जितनी देर घर में रहते हो टीवी मोबाइल गेम से फुर्सत मिलती है तुम्हे? आधा समय तो गाओं के बहार ही होते हो। अगर पत्नी को खुश करने की औकात नहीं है और चले ए हक़ जताने। चलो फुटो यहाँ से।



सतीश भी अड़ गया

सतीश- आरी कैसी बात कर रही हो हमने पिछले ५ महीने से कुछ नहीं किया कम से कम मुझे ऊपर चढ़ के इसको एक बार घिसने तोह दो

जयश्री हँसते हुए - क्या! तुम घिसने के सिवाय और कर भी क्या सकते हो अंदर तो जाती नहीं तुम्हारी नुन्नी। ऊपर ही घिसती है। परसो रूपनगर की मेरी मौसी पूछ रही थी की डेढ़ साल हुआ शादी को अब तक कुछ नहीं हुआ! तुम्हे पता है क्या होता है यह सुनकर। तुम जैसे पिद्दी नहीं जानते छोड़ो

सतीश- बस एक बार , एक बार हिला दो यार

ऐसा कहते हुए उसने जयश्री का हाथ पकड़ा और अपने मूंगफल्ली के छिलके जितनी नुन्नी की तरफ खींच दिया.

जयश्री- (चिढ़ते हुए) छोड़ो मुझे ! तुम खुद हिलाओ बेशरम । अब अगर परेशां किया न तो में तुम्हारा इस नुन्नी का भन्दा फोड़ कर दूंगी समझे निकम्मे। शुक्र मनाओ की मैंने अब तक किसी को नहीं बताया। अगर में ये मेरे पापा को बता दूँ तोह २ मिनट के अंदर तुम्हारी छुट्टी कर देंगे समझे नल्ला कहीं का



सतीश अब चुप हो गया और पैंट के अंदर अपनी नुन्नी सरका कर चुपचाप सो गया।



श्याम को जयश्री ने सतीश को चाय बनाने को बोला और चाय पी कर ऑफिस चाली गयी। वो वहा से किटी पार्टी में जाने वाली थी।



सतीश भी रेस्टोरेंट में गया और सोचने लगा। इतने में बलदेव का फ़ोन आता है। वो सोच रहा था की वो अपने ससुर से क्या कहेगा ?

की वो कमजोर और निकम्मा है और उनकी बेटी को वो खुश नहीं कर सकता! नहीं नहीं पर अब उसने दोपहर को खुद उनको फ़ोन किया था तो बात तो करनी पड़ेगी । सतीश फ़ोन उठता है



सतीश- हेलो

बलदेव- है दामाद जी कैसे हो कहा हो

सतीश- अरे ससुर जी में ठीक हूँ आप कैसे है

बलदेव- क्या हुआ क्यों फ़ोन किया था , सब ठीक तोह है? जयश्री कहा है? तुमने उसको कुछ तकलीफ तोह नहीं दी ?

सतीश- नहीं नहीं ससुर जी ऐसी कोई बात नहीं है (संकोच में बोला)

बलदेव- ह... बोलो क्या काम था

सतीश- ससुर जी क्या में आप से मिल सकता हूँ आज या कल

बलदेव- ले ये भी कोई पूछने की बात है, आजाओ। आज भी आ सकते हो लेट नाईट

सतीश- जी में एक क्लिनेट का काम निपटा के आ जाऊंगा

बलदेव- ठीक है (फ़ोन रख दिया)



सतीश ने अपनी पुराणी खटारा सूज़ाकि मिनी कार निकली और चल पड़। सतीश का ससुराल २० किमी पे ही था । उसने क्लाइंट से बात कर के देर रात ससुराल पोहोंच गया।
 

Motaland2468

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सतीश बाहार चला गया। अब वो उक्ता गया था। आज उसे आराम भी करना था मगर अब श्याम को क्लाइंट के पास भी जाना है सोच कर ग़ुस्सा हुआ। हाला को रुद्रप्रताप उसका इमीडियेट बॉस नहीं था पर सतीश के काम पे पूरी नज़र रखता था। ऊपर से पत्नी के साथ साथ इज्जत भी खो रहा था। वो किसी भी हल में उसके बॉस को रोकना चाहता था पर अब उस कोई बस की बात नहीं रही ये वो जानता था। अब सतीश को किसी भी हालत में रुद्रप्रताप को बर्ताव से छुटकारा चाहिए था। वो सोच में पड़ गया। तभी उसे एक आशा की किरण दिखाई दी। उसके ससुर श्री बलदेव उसके माथे पे प्रसन्नता आ गयी। वो जानता था की अगर कोई रुद्रप्रताप को कोई रोक सकता है तो वो बस उसके ससुर ही।

वैसे बलदेव सतीश से अच्छा बर्ताव करता था क्यों की सतीश उनको बोहोत बड़ा आदमी मानता था। सतीश ने कभी भी उसके ससुर के साथ ऐसी वैसी बात नहीं की शायद वो उनके पर्सनालिटी से डरता भी था। वैसे बलदेव और रुद्रप्रताप दोनों पावरफुल लोग थे। बिज़नेस और गांव के बड़े खानदान के चलते उनके राजनेता और आसपास के सभी ठेकेदारों से उठना बैठना था।

सतीश ने बलदेव को फ़ोन लगाया पर फिर उसके दिमाग में एक कुरपति आईडिया ने जन्म लिया। उसने फ़ोन काटा। सतीश सोचने लगा की अगर वो जयश्री और रुद्रप्रताप के अफेयर के बारे में बोल भी देता है तो क्या उस से साब प्रॉब्लम ख़त्म होगी? बलदेव अगर रुद्रपताप से बात कर के अफेयर तोड़ भी देते है तोह जयश्री और कही मुँह मारेगी जहा बलदेव का कोई बस न चलेगा और ऊपर से किसी अनजान आदमी से टांका भिड़ा तोह और नई बदनामी झेलनी पड़ेगी । अब उसको उन दोनों का अफेयर तोड़ने के साथ साथ जयश्री की ख़ुशी भी देखनी पड़ेगी वार्ना सब प्लान फ़ैल हो जायेगा। पर अगर वो अफेयर तोड़ भी देता है तोह उसका फायदा उसको क्या?

सतीश अब नौकरी से ऊब चूका था। वो बस अब आराम फरमाना चाहता था। आलसी तो पहले से था ही। उसके दिमाग में एक बहोत भसड़ चल रही थी और उसी में उस ने कुछ ऐसा करने की ठान ली की उसकी जिंदगी टर्न मारे एक ही झटके में सेटल हो जाये। उसने अपने ससुर को फ़ोन लगाया।


सतीश- हेलो ससुर जी ...

बलदेव- बोलो दामाद जी, सुनो फिलहला थोड़ा बिजी हु तूम बाद में कॉल कर सकते हो बहोत जरुरी तोह नहीं है?

सतीश- जी हाँ कोई बात नहीं में बाद में कल करूंगा

बलदेव- ठीक ...


सतीश घर जाता है तो देखता है की जयश्री फिर से सो चुकी है। शायद रात में रुद्रप्रताप ने म्हणत करवाई हो। फिर वो भी खाना खा कर बैडरूम में आया और सोती हुए पत्नी को देखने लगा। उसकी सुन्दरता देख कर सतीश भी सोचने लगा की कही उसने जयश्री के साथ जल्दबाज़ी नहीं की? वो उसको समझना चाहता था की सब फिर से ठीक हो सकता है पर अब जयश्री हाथ से बहार जा चुकी थी ये भी उसको पता है।

बैडरूम में सिगरेट की स्मेल अभी भी आ रही थी जो रातभर रुद्रप्रताप ने पी होगी। जयश्री का जिस्म देखकर उसे मन हुआ। उसने अपनी ३ इंच की नुन्नी बहार निकली और जयश्री की तरफ देखते हुए हिलने लगा। बीएड पर हिलने की आवाज सुन कर जयश्री की नींद टूट गयी।



जयश्री- यो क्या कर रहे हो

सतीश- सुनो न जानू आय ऍम सॉरी मुझे तुम्हारे बॉस के बारे में ऐसे नहीं बोलना चाहिए था।

जयश्री- चलो इतनी अकल है तुम में। समाज नहीं आता तुमको आज तुम्हारी नौकरी उन की ही दें है अगर वो न होते तो तुम दर दर भटकते, तुमको अत जाता तो कुछ है नहीं चले है मुँह ऊपर उठके उनको कोसने !

सतीश- रानी कुछ करो न बस एक बार हो जाये...

जयश्री- अरे नहीं तुम जाओ मुझे मत सताओ अब मुझे आराम करने दो श्याम को किटी पार्टी में जाना है, छोड़ो

सतीश- बस एक बार जानू मई तुम्हारा पति हूँ और मुझे हक़ है न!



जयश्री ग़ुस्से से देखते हुई

जयश्री- हक़ ! जितनी देर घर में रहते हो टीवी मोबाइल गेम से फुर्सत मिलती है तुम्हे? आधा समय तो गाओं के बहार ही होते हो। अगर पत्नी को खुश करने की औकात नहीं है और चले ए हक़ जताने। चलो फुटो यहाँ से।



सतीश भी अड़ गया

सतीश- आरी कैसी बात कर रही हो हमने पिछले ५ महीने से कुछ नहीं किया कम से कम मुझे ऊपर चढ़ के इसको एक बार घिसने तोह दो

जयश्री हँसते हुए - क्या! तुम घिसने के सिवाय और कर भी क्या सकते हो अंदर तो जाती नहीं तुम्हारी नुन्नी। ऊपर ही घिसती है। परसो रूपनगर की मेरी मौसी पूछ रही थी की डेढ़ साल हुआ शादी को अब तक कुछ नहीं हुआ! तुम्हे पता है क्या होता है यह सुनकर। तुम जैसे पिद्दी नहीं जानते छोड़ो

सतीश- बस एक बार , एक बार हिला दो यार

ऐसा कहते हुए उसने जयश्री का हाथ पकड़ा और अपने मूंगफल्ली के छिलके जितनी नुन्नी की तरफ खींच दिया.

जयश्री- (चिढ़ते हुए) छोड़ो मुझे ! तुम खुद हिलाओ बेशरम । अब अगर परेशां किया न तो में तुम्हारा इस नुन्नी का भन्दा फोड़ कर दूंगी समझे निकम्मे। शुक्र मनाओ की मैंने अब तक किसी को नहीं बताया। अगर में ये मेरे पापा को बता दूँ तोह २ मिनट के अंदर तुम्हारी छुट्टी कर देंगे समझे नल्ला कहीं का



सतीश अब चुप हो गया और पैंट के अंदर अपनी नुन्नी सरका कर चुपचाप सो गया।



श्याम को जयश्री ने सतीश को चाय बनाने को बोला और चाय पी कर ऑफिस चाली गयी। वो वहा से किटी पार्टी में जाने वाली थी।



सतीश भी रेस्टोरेंट में गया और सोचने लगा। इतने में बलदेव का फ़ोन आता है। वो सोच रहा था की वो अपने ससुर से क्या कहेगा ?

की वो कमजोर और निकम्मा है और उनकी बेटी को वो खुश नहीं कर सकता! नहीं नहीं पर अब उसने दोपहर को खुद उनको फ़ोन किया था तो बात तो करनी पड़ेगी । सतीश फ़ोन उठता है



सतीश- हेलो

बलदेव- है दामाद जी कैसे हो कहा हो

सतीश- अरे ससुर जी में ठीक हूँ आप कैसे है

बलदेव- क्या हुआ क्यों फ़ोन किया था , सब ठीक तोह है? जयश्री कहा है? तुमने उसको कुछ तकलीफ तोह नहीं दी ?

सतीश- नहीं नहीं ससुर जी ऐसी कोई बात नहीं है (संकोच में बोला)

बलदेव- ह... बोलो क्या काम था

सतीश- ससुर जी क्या में आप से मिल सकता हूँ आज या कल

बलदेव- ले ये भी कोई पूछने की बात है, आजाओ। आज भी आ सकते हो लेट नाईट

सतीश- जी में एक क्लिनेट का काम निपटा के आ जाऊंगा

बलदेव- ठीक है (फ़ोन रख दिया)



सतीश ने अपनी पुराणी खटारा सूज़ाकि मिनी कार निकली और चल पड़। सतीश का ससुराल २० किमी पे ही था । उसने क्लाइंट से बात कर के देर रात ससुराल पोहोंच गया।
Behtreen update bhai please story main pics or gif bhi add karo to story padne ka maza doguna ho jayega plz
 

sunoanuj

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Bahut hee jabardast shuruaat hai….

Waiting for next update …
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अपडेट २


(सतीश के घर) सतीश को लगा की जयश्री कही बहार ही बॉस रुद्रप्रताप से अफेयर करेगी और उसके बैडरूम तक मामला नहीं आएगा. जयश्री को ज्वाइन किये अब सिर्फ ३ महीना ही हुआ था. पर थोड़ी बोहोत छोटे शहर की ही सही पर उसकी रौनक ढोनक् ने उसकी उम्मीदे बढ़ा दी थी ऑफिस पार्टी में रात रात भर बॉस के साथ रहना पिकनिक पे जाना. अब वो खुल के जीने का सोच रही थी. रुद्रप्रताप एक जहीन किस्म का बिजनेसमैन था. उसने सतीश को बलदेव के सिफारिश की वजह से जॉब तोह दिलवाई पर एक चाल भी चली, के जयश्री भी घर बैठे क्या करेगी तोह यही उसके साथ काम करे! सतिश ने जब जयश्री का जॉब करने के फैसले को राज़ी हुआ तो उसने ये नहीं सोचा था की बात यहाँ तक पोहोच जाएगी. पर अब सतीश फंस चूका था. न ही वो रुद्रप्रताप का विरोध कर सकता था, न ही चुप बैठ सकता था. रुद्रप्रताप उसे अच्छी सैलरी देता था. रुद्रप्रताप ने जानबूजकर सतीश को दूसरे डिपार्टमेंट में अप्पोइंट किया और जयश्री को अपना रेसेप्टिनिस्ट बना दिया ताकि वो उनके नजदीक रहे. जब भी सतीश उस कंपनी के दोस्तों से गुजरता तोह वह के लोग उसे सामने से भाव तो देते थे पर पीठपीछे उसके ऊपर हसते थे क्यों की अब लगभग वहा के कुछ लोगो को पता चल गया था की रुद्रप्रताप का और जयश्री का चक्कर चल रहा है. पर सतीश मजबूर था. सतीश रुद्रप्रताप से बोहोत चिढ़ता था क्योंकी रुद्रप्रताप उसे काम के बहाने हमेशा जयश्री से दूर रखता था. अब ये आलम है के ३ महीने से जयश्री ने सतीश को हाथ तक नहीं लगाने दिया. अब जयश्री बाहरी दुनिया में खो गई थी. आज अपने ही बिस्तर पर अपनी ही पत्नी को उसके बॉस के साथ एक ही चद्दर में देख रहा था. शुक्र है की जयश्री गौण पहने हुई थी. रुद्रप्रताप बनियान पे था. बिस्तर के पास वाले डस्टबिन में एक कंडोम दिखाई दिया. कल जब कॉल किया था तो जयश्री अपने बॉस साथ पार्टी में ही थी. सतीश ये भी जनता था की जयश्री को उसका उदासीन स्वाभाव पसंद नहीं. वो प्रयास करने की कोशिश भी नहीं करता था. पुरे डेढ़ साल की शादी में उनका प्रेम सम्बन्ध ५-६ बार ही रहे होंगे. कई बार सतीश ने जयश्री से बात करने की कोशिश भी की पर उसे समझा न सका. बात साफ थी अब जयश्री सतीश को भुला चुकी थी. सतीश ने अपना मोबाइल निकला और बिना आवाज किये उसने उन दोनों की पलंग पर सोते हुई फोटो खींची. सतीश बैडरूम के बाहर आ गया. पानी पि लिया और पानी का गिलास बजाय जिस से जयश्री की नींद टूटी और

जयश्री- कौन है वहा
सतीश- में हु
जयश्री बाहर आते हुए बोली
जयश्री- तुम कब आये?
सतीश- अभी आया हु
जयश्री- तुमने बताया नहीं तुम आनेवाले हो

सतीश चुप था. इतना होने के बावजूद जयश्री नहीं डरी और अंदर जाकर रुद्रप्रताप को भी उठाया. दोनों अब हॉल में आ गये.

जयश्री- सुनो! एक काम करो. जरा हमारे लिए २ कप चाय बनाओ.

सतीश चुपचाप चाय बनाने लगा और चाय कर बाहर आया.

रुद्रप्रताप- और फिर कैसे रही कल रात की दौलत एजेन्सी के साथ मीटिंग
सतीश- जी बॉस काफी अच्छी रही उनको १५ ट्रको की जरुरत है ऐसा मुझे लगता है
रुद्रप्रताप- रेंट का बात में तुमको बताता हु
सतीश- जी
जयश्री- सुनिए न बॉस आपने कहा था की इस महीने गोवा ट्रिप पे जायेंगे
रुद्रप्रताप- है बस ये दौलत एजेंसी का काम निपटा लू फिर तुरंत जायेंगे

जयश्री खुश होक चाय पिने लगती है

जयश्री- सुनो वो बॉस का टॉवल ला दो हम नहाएंगे और हाँ पानी गरम करो. और हाँ हमारा नहाना होने तक तुम अपने बैडरूम बेडशीट पिलो वगेरा धोने को डाल दो

सतीश अंदर गया तो बेडशीट कुचली हुई थी. उसने सब कपडे धोने के लिए मशीन में डाल दिए. अब दूसरे बाथरूम से चूमने की आवाजे आने लगी. सतीश को अजीब लगा पर क्या करता बेचारा जबूर जो था

जयश्री और रुद्रप्रताप नहाधोकर बाहर आये
रुद्रप्रताप- जयश्री में निकलता हु तुम जाना ११ बाजे ऑफिस. और हं सतीश वो आज रात को विश्वास राव् के फैक्ट्री में जाना है और उनके बाकि गाड़ियों का ही रिपोर्ट लेना है
सतीश ने मन मसूस लिया क्योंकि उसका आज प्लान दीन भर जयश्री के साथ बिताने का था पर रुद्रप्रताप ने सब गुड़गोबर कर दिया

रुद्रप्रताप चला गया और अब जयश्री अकेले तैयार होने लागि तो सतीश ने उसके पास आया और
सतीश- सुनो मुझे कुछ कहना है, तुम ये बंद कर दो बॉस कितने बुरे है तुमको नहीं पता है
जयश्री- वो तुम और बॉस देख लो आपस में क्या है तुम्हारा मनमुटाव , मुझे मेरी जिंदगी जीने दो, तुम भाड़ में जाओ

जयश्री का आवाज सुनकर सतीश भी डर गया और बहार चला गया.
Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌
 
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DeewanaHuaPagal

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अपडेट ४

सतीश ससुराल में अपने खट्टरा पार्क करता है और बलदेव से मिलने अंदर जाता है. रात के १० बजे थे तो बलदेव अपने स्पेशल हॉल में जो ऊपर छज्जे पे बना था वह टीवी देखते बार काउंटर पर व्हिस्की चढ़ा रहा था. आधे छत पर कोई कवर नहीं था. आधे छत से पूरा खुला आसमान दीखता था. बलदेव का हॉल जो फार्महाउस के छत पे था बोहोत आलिशान सुविधा से युक्त था. वहा दारू की बॉटल्स का आलिशान डेस्क और शोकेस के साथ आधुनिक कटलरी. हॉल में लेटेस्ट फिनिशिंग इंटीरियर था जो डिम लाइट्स के साथ एक रंगीन माहौल बनता था. बलदेव ने हॉल में ३ बड़े बड़े मिरर लगा रखे थे. वही पूरब के बड़े खिड़की पास एक बड़ा सा आलीशान किंग साइज बेड जो किसी पौराणिक ज़माने के डिज़ाइन का था. बेडबोर्ड पे पुणे ज़माने की कलाकृतिया थी. बेड पे जालीदार परदे भी लगे थे जाओ किसी राजा के बेड की तरह दीखता था. बेड पे आलिशान एक मखमली का चद्दर और अन्सिएंट डिज़ाइन वाले पिलो भी थे. और उस पर एक बड़ा सा मख़मली ढकने वाला चद्दर भी था. बेड के पास वही पे एक ड्रेसिंग टेबल भी था. तोह बेड के दूसरी तरफ एक पार्टीशन के बाद आधे से ज्यादा छत खुला था. हॉल के पीछे की साइड में दक्षिण वाले कोने में जहा नोकरो कारूम से सीढ़ियों से सीधा एंट्री था वही एक आलीशान वाशरूम और बाथरूम पुरे मॉडर्न इक्विपमेंट से सज्ज था, बाथटम, स्प्रिंकलर, शावर सब. बाहर छत की उत्तर में आधे से ज्यादा खुले छत पे एक मिट्टी का कुश्ती का अखाडा भी था जहा बलदेव कभी २ हाथ आजमाइश करता था. आधे बॉर्डर से लगा पूरा गार्डन था जहा अलग अलग फूल और छोटे पौधे थे. वहां उत्तर के साइड में एक बड़ा सा झूला था जहा सिर्फ और सिर्फ बलदेव ही बैठ सकता था ऐसी ताकीत भी दी थी सब को. उसके साइड में एक बड़ा लार्ड सोफे था उसी के बाजु में एक बड़ा म्यूजिक सिस्टम लगाया हुआ था.



सतीश ये सब देख कर चौंक गया. उसकी सासु माँ के गुजर ने के बाद तोह उसके ससुर बलदेव में काफी रंगीनियत आ गयी थी. वैसे बलदेव उसके फार्महाउस के छत पर सिर्फ गिनेचुने लोगों को ही आने देता था. सतीश के आते ही डलदेव ने उसे ऊपर चाट पे बुआलया था.



बलदेव- आइये आइये दामाद जी बैठो. बोलो क्या हल चल है? हमारी राजकुमारी को नहीं लाये साथ में? ऐसी क्या बात है जो अकेले चले आये?

सतीश- जी ससुर जी उसी के बारे में बात करने आया था.



सतीश ससुर जी के शानो शौक़ से पहले भी अभिभूत नहीं था ऐसे नहीं पर पिछले एक दो साल में काफी बदलाव दिखे थे उसने अपने ससुर जी में. थोडासा मॉडर्न भी हो चुके थे. वेलवेट वाला रॉब पहना हुआ था और खुले आसमान के निचे बड़े झूले पर बैठ व्हिस्की चढ़ा रहा था बलदेव. सतीश जब बड़े झूले पर बैठने गया तो बलदेव ने अजीब नजर से सतीश को देखा और कुछ इशारा किया. सतीश समाज गया की वो झूले पे नहीं बैठ सकता. वो बजे में सोफे पे बैठ गया.



बलदेव- तुम कुछ लोगे दामाद जी?

सतीश- जी नहीं मई ठीक हूँ

बलदेव- क्या दामाद जी तुम भी न कोई बुरी आदत न कोई रंगीनिया न कोई थ्रिल है तुम में दामाद जी. बहोत सीधे हो और इसलिए एक बात बताता हूँ मैदान-इ-जंग में सबसे पहले शरीफ मरे जाते है

बलदेव- बोलो क्या बात थी तुम कुछ बतानेवाले थे



सतीश मसोस गया की कैसे बताये बलदेव को. पर बताना जरुरी था.



सतीश- ससुर जी आप यहाँ खोये हुए है और वह आपकी बेटी ...



बलदेव जयश्री का नाम सुनते ही चौक गया.



बलदेव - क्या, क्या हुआ मेरी लाड़ली को?

सतीश- कुछ हुआ नहीं है ससुर जी पर बात थोड़ी अजीब है कैसे बताऊँ

बलदेव- बताओ खुल कर क्या बात है

सतीश- वो... वो हमारे शादी को काफी महीने हुई पर ... पर लगता है जयश्री मुझ से खुश नहीं है ...

बलदेव- ऐसा क्यों बोल रहे हो क्या हुआ?

सतीश- अब हम दोनों की नहीं जमती है



बलदेव सुनाने लगा



सतीश- अब ज्यादा तोह नौकरी के कारन बहार रहता हूँ. आप का ही दोस्त रुद्रप्रताप मुझे सुधरने नहीं देता

बलदेव- तोह मई क्या कर सकता हूँ इसमें दामाद जी यह काम है तुम्हारा

सतीश- पर अब आपका दोस्त हाथ से चला गया है ससुर जी

बलदेव- मतलब.... क्या है तुम्हारा... ठीक से बताओ



बलदेव सिगरेट की चुस्की लगते हुए सुन रहा था

सतीश अब देर नहीं कर सकता था बताने में



सतीश- वो... वो... ये है की .. वो जयश्री ...

बलदेव- अरे बताओ न क्या बात है

सतीश- जी वो जयश्री कुछ ज्यादा ही रुद्रप्रताप जी के साथ घूमने लागि है

बलदेव- मतलब...

सतीश- ससुर जी अब कैसे बताऊँ!

बलदेव- देखो दामाद जी घुमाओ मत सीधा मुद्दे पे आओ

सतीश- ससुर जी वो... वो जयश्री और रुद्रप्रताप में ....

बलदेव चुप रहा. उसने कुछ भी चेहरे पर भाव नहीं आने दिया. बलदेव उठा और आखाड़े के कोने की टेबल पर राखी हुई व्हिस्की की बोतल उठाई और गिलास में दारू भरने लगा

बलदेव अब सतीश की तरफ पीठ कर के बात कर रहा था



बलदेव- हम्म , कब से चल रहा है ये सब?

सतीश- जी अब तक़रीबन २ महीना हुआ...

बलदेव- (जोर से ) और ये तुम मुझे अब बता रहे हो सतीश!



सतीश थोड़ा डर गया अभी पहले बार उन्होंने सतीश को नाम से बुलाया था



बलदेव- मुझे पूरी बात बताओ

सतीश- जब से रुद्रप्रताप जी ने उसे अपनी सेक्रेटरी बना है तब से वो ज्यादा साथ रहने लगे है. रात रात भर पार्टीया करती है सहेली के साथ गुलछर्रे भी उड़ाती है. मई क्या करता एक दो बार समझाया भी मगर कुछ न हुआ.

बलदेव- ग़ुस्से से, संजय! कैसे समझाते है पता है! मर्द को मर्द का काम करना चाहिए वैसे हो तोह बोरिंग बोहोत कुछ खाऊ पियो जरा अपना स्वाग दिखाओ निक्कमो की तरह मत बैठो



बलदेव ने घूंट पे घुट लगते हुई बोला सतीश चुपचाप सुन रहा था.



बलदेव- क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है इसका ?

सतीश- हाँ है. मेरे मोबाइल पे है

बलदेव- तोह अब ठीक है तुम जाओ आगे का में सभाल लूंगा...

सतीश- ससुर जी कुछ करो न प्लीज ... ऑफिस के लोग मुझ पे हंस रहे है .. अब आप ही मेरा सहारा हो

बलदेव- गलती सिर्फ तुम्हारी नहीं मेरी भी है, अब तुम जाओ मुझ पर छोड़ दो सब. और हाँ इसके बारे में मुझे पता है यह जरा सी भी भनक जयश्री को और रुद्रप्रताप को नहीं लगनी चाहिए. में देख लूंगा अब निकलो..

सतीश- जी पर क्या आज की रात में यहाँ रुक सकता हूँ

बलदेव - ह निचे एक कमर है तैयार मेहमानो के लिए जाओ



पर अब बलदेव गहरी सोच में था. उसकी एकलौती बेटी का चक्कर चल रहा है. गाँव में यह बात किसी को पता चली तोह उसके पुरे रुतबे पे आफत आ सकती है. वो सोचने लगा की उसने ये जरूर सोचा था की उसका दामाद शरीफ हो और उसके विरोध न करे पर उसने ये नहीं सोचा था की उसका दामाद इतना कमजोर और निठल्ला और निकम्मा निकलेगा. जयश्री को बचपन से ध्यान नहीं दिया जितना देना चाहिए वो अपने आप आज़ाद खयालो वाली हो गयी थी. पर वो अभी भी जयश्री को ज्यादा बड़ी नहीं समज़ता था. उस ने आज पहली बार अपनी बेटी का अफेयर के बारे में सुन कर अहसास हुआ की अब वो जवान हो गयी है. वो सोफे पे झूलते हुए सब गणित बिठाने लगा. यहाँ वो कश पे कश लगाए जा रहा था. उधर दारू गटकता गटकता दिमाग में सुरसुरी चढ़ने लगी और पता नहीं उसे क्या हुआ उसने अपना मोबाइल हाथ में लेकर पहली बार अपना फोटो एल्बम खोला और सहेज उसको ऊपर निचे स्क्रॉल कर देखने लगा अब उसकी अपनेआप नजर जयश्री के फोटो पर लगी. स्क्रॉल करते करते उसकी नजर उकसे पिछले महीने के जन्मदिन की तस्वीरों पर गयी थी जिस में जयश्री एक टाइट ब्लैक टॉप और स्किन टाइट जीन्स में थी जाओ की उसने कभी गौर नहीं किया. वहां कमर पर टॉप थोड़ा शार्ट था तो उसकी पतली कोमल कमर और नाभि दिखाई दे रही थी जहा उसने अब नवल रिंग पेअर्स कराई थी. जयश्री ने उसके थोड़े फैले हुई नक् की पंखुड़ियों पर दये साइड में एक छोटी पतली से नोज रिंग पेअर्स कराई थी जो उसके चेहरे को खूबसूरतऔर मादक बना रही थी. वैसे मायके में ज्यादा तोह जयश्री कुरता पजामा या सदी ही पहनती थी. कभी कभी एकड़ दिन वो जीन्स और कासुअल टॉप पहनती थी पर अब उसका यह नया खूबसूरत रूप पे कभी गौर नहीं किया उसने. उस फोटो में वो खुश लग रही थी शायद उसके पापा का जन्मदिन था इस लिए! उसके जन्मदिन के कुछ फोटोज में सतीश भी था रुद्रप्रताप भी था और बाकि कुछ इधर उधर के लोग भी थे. कुछ फोटो सतीश ने खींची थी और उसको भेजी थी. उस में जयश्री प्यार से उसको केक खिला रही थी. बलदेव का एक हाथ उसकी कमर पर था और जयश्री की ऊंचाई सिर्फ बलदेव के सीने तक ही थी. बलदेव ने उसे हो सके उतनी खुशिया जरूर दी थी. बलदेव ने और कुछ फोटोज देखि और हर फोटो में अब वो जयश्री को गौर से देखने लगा. उसका खूबसूरत चेहरा बलदेव प्यार लगा. जयश्री के चेहरे पर एक कसक थी. नई जवानी के आसार दिख रहे थे. देसी थी पर बोहोत आकर्षक चेहरा था उसका. जन्मदिन के कुछ फोटोज में रुद्रात्रताप भी था पर कभी नहीं उसे ऐसा लगा की रुद्रप्रताप ऐसा करेगा. रुद्रप्रताप दोस्त के साथ साथ एक बिज़नेसमन था और वो क्या सोचता है इसके बारे में जानना पड़ेगा. बलदेव ने फोटोज देखते देखते जयश्री के खयालो में खोने लगा. उसे जयश्री के वो सब लम्हे याद आये जहा वो खुश दिक्ति थी. दरसल बलदेव ने कभी उसे मायूस या उदास कभी नहीं देखा. वो हमेशा से चाहता था की उसकी बेटी खुश रहे पर अब बात सिर्फ ख़ुशी की न थी बल्कि उसके इज्जत की भी थी. अब उसको ऐसा रास्ता अपनाना पड़ेगा की सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे. यह सोचते सोचते वो अपना आखरी घूंट पि के अंदर चला गया.
 

Skb21

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Ek or cuckold story kya baat hai bhai jise dekho cuckold banta ja raha hai sabhi apni maa, behen or khaskar bivi ko dusron se chudwate hue dekhna chahte hain ab kya hi kah sakte hain
 
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DeewanaHuaPagal

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अपडेट ५

(बलदेव के गाओं में)
दूसरे दिन सतीश निकल गया पर बलदेव के दिमाग में दिन भर वही बात घूम रही थी. श्याम को वो गेराज से घर लौटा और सत्ता मरते चाट के झूले पे फिर से फोटोज देखने लगा अब वो सभी फोटोज देखने लगा. उनके रिश्तेदार के फंक्शन्स के और कई जगह के समारोह के फोटोज जिस में जयश्री भी है. अब जितनी देर वो जयश्री के फोटो देखता गया उतना ही उसका मन अधीर होने लगा. उसको अपने आप पर आश्चर्य हुआ की आज तक उसने कभी जयश्री की तरफ गौर नहीं किया. उसकी पत्नी के साथ इतना विशेष जीवन नहीं रहा. काफी धार्मिक होने के कारन वो अपने आप में ही लिप्त थी. ३ साल पहल उसकी बीवी यानि जयश्री की माँ का देहांत हुआ तब से बलदेव संध की जिंदगी जी रहा था. बलदेव ने जयश्री को अपने पत्नी के साथ फर्क करना चाहा. जयश्री उसकी माँ से १० गुना खूबसूरत थी. जयश्री दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की न सही पर वो बहुत आकर्षण चेहरा की मालकिन थी और उसके नाजुक कोमल कद काठी के बदन को उसकी खूबसूरती चार चाँद लगा देती थी. बलदेव ने जो भी देखा वो उसकी पत्नी और मोटी भैस जैसी शरीर की मालकिन थी उसकी बीवी. आधी उम्र काटने के बाद उन दोनों में कुछ भी विशष बाकि न था. जब अपनी स्वर्गवासी पत्नी के सामने उसने जयश्री को रखा तोह पाया की उसकी बेटी ज्यादा जवान भी नहीं थी और ज्यादा कमसीन भी नहीं. वो एक लड़की टाइप की थी जिसे अब तक ठीक से किसी ने नहीं लाभ उठाया. उसको जयश्री अभी भी कोरी और करारी लगने लगी. वैसे अगर किसी को भी पूछा जाये तोह कोई नहीं कह सकता था की जयश्री की शादी हुई होगी. उम्र कट गयी पर बलदेव को पता न चला की उसकी बेटी कब कली से फूल बन गयी. पर दिखती तो अभी भी कली जैसी ही. अपने शरीर की ताकत और ढांचा देख कर कभी कभी उसे खुद आश्चर्य होता की क्या जयश्री सच में उसकी बेटी है क्यों की बलदेव बोहोत ताकतवर सांढ़ जैसा और जयश्री किसी तितली जैसी सुन्दर मोहक और हलकी थी. हलाकि जयश्री का अंग कोई हड्डी हड्डी नहीं था. पर कोमल लगती थी. बलदेव का शरीर जयश्री से कम से कम ३ गुना बड़ा दीखता था. आज फोटो में जयश्री पे गौर करने बाद उसे प्रतीति हुआ की वो तोह उसकी ही प्रतिमा है. जयश्री का नाक नक्श हूबहू बलदेव से मिलता था. देखते ही कोई भी बोलदे की ये उसी की बेटी है. पर उसकी कुछ सुंदरता का विशेषन अपनी माँ से ही मिला है. फोटो देखते उसका मन हुआ की वो जयश्री को कॉल करे. उसने जयश्री को फ़ोन लगाया पर सामने से कोई जवाब नहीं आया. उसने फिर से फ़ोन लगाया पर इस बार भी कोई जवाब नहीं दिया. अब वो सोच में पड़ गया. अभी तोह बस ९ बजे थे और जयश्री इतनी जल्दी सोती नहीं ये उसको पता है. उसने कुछ सोचा और फिर सतीश को फ़ोन लगाया. सतीश ने फ़ोन उठाया.

बलदेव- सतीश सुनो क्या क्र रहे हो?
सतीश- ससुर जी में यहाँ खामगाव में आया था एक ठेकेदार से मिलने काम के सिलसिले में. क्या हुआ कुछ काम था क्या?
बलदेव- नहीं बॉस, जयश्री को फ़ोन किया था पर वो फ़ोन नहीं उठा रही है. तुमको पता है वो कहाँ है? घर पर है क्या?
सतीश- ससुर जी आज भी उनका गाओं में बहार एक कैंप फायर है उनके ऑफिस वालो का तोह वही गयी होगी. आज रात वही टेंट में जंगल में नदी किनारे गुजरने वाले थे.
बलदेव- ठीक है रखता हूँ

बोल कर बलदेव ने फ़ोन जोर से काटा. सतीश सोचने लगा की ससुर जी रुद्रप्रताप की क्लास लेने के बजाय जयश्री से क्यों बात कर रहे है? कुछ समझ नहीं आया उसे और वो काम में लग गया.

इधर बलदेव सोच में पड़ गया अब उसकी उत्सुकता बढ़ने लगी. इतने दिन जयश्री और सतीश के निजी जिंदगी में दखल न देने का खामयाजा अब वो भुगत रहा था. आज उसकी सगी बेटी कही भी किसी की साथ घूम रही है और उसको कोई रोक टोक नहीं है. जब वो सोचने लगा की ऑफिस की लोगों की साथ पार्टी करना कोई बाड़ी बात नहीं पर उस रुद्रप्रताप ने बड़ी मछली फ़साने से पहले उसके बारे में एक बार भी सोचा नहीं. उसने जो मछली फंसी है कोई और नहीं उसकी सगी बेटी है. रुद्रप्रताप का ऐसा बर्ताव उसे कतई मंजूर न था. वो जनता था की जयश्री पे लगाम लगाना सतीश के बस की बात थी ही नहीं ये वो जनता था पर वो कैसे इस सब की तरफ अनजान बना रहा और काण्ड हो गया. उसने सोचते सोचते २ कश मार की नहाने चला गया आज वो दिन भर गेराज में था.

(सतीश की तरफ)
सतीश अब और नहीं रुकना चाहता था. सतीश चाहता था की बलदेव का खून खुले और वो रुद्रप्रताप का कुछ बंदोबस्त करे. वो चाहता था की वो जिस गुलामी से गुजर रहा था उसकी तकलीफ कम हो पर अब वो आगे की सोच रहा था वो अब बीएस कुछ भी कर की इस म्याटर को ख़त्म करना चाहता था और इस में वो खुद का फायदा भी देखने लगा. उसको पता था की जयश्री अब हाथ नहीं आनेवाली तो वो सोच रहा था की वो अपने जिंदगी की लिए कुछ उपाय करे. वो अब थोड़ा परेशां हो गया था. दो दिन से बलदेव से कोई जवाब न आया तोह उसने बलदेव से फ़ोन मिलाया.

सतीश- ससुर जी नमस्कार
बलदेव उस वक़्त खेत के मजदूरों को पौधों से गन्दगी साफ़ कराने का काम क्र रहा था.
बलदेव- हाँ बोल सतीश...

दामाद जी की जगह नाम से याने सतीश ऐसे बुलाने से वो जान लिया की बलदेव भी उस पर नाराज था क्यों की सतीश ने उसे यह बात लेट बता कर गलती की थी.

सतीश- ससुर जी मई जानना चाहता था कुछ हुआ क्या? आपने बात की रुद्रप्रताप से कुछ?
बलदेव- नहीं
सतीश- नहीं! पर ससुर जी अब दिन बा दिन कांड बढ़ता जा रहा है कुछ करो वरना...
बलदेव- वरना क्या ?
सतीश- देखो ससुर जी आप मेरी मदत करो प्लीज, या तो आप मौज़े जयश्री से डाइवोर्स दिला दे या फिर रुद्रप्रताप को समझा दो या फिर तीसरा रास्ता है मेरे पास
बलदेव- क्या?
सतीश- आप मुझे इस मामले में अपने आंख और कान बंद रखने के लिए आपकी थोड़ी जायदाद दे दो


बलदेव भी अब अपने उफान पर था

बलदेव- नहीं दूंगा तोह क्या कर लोगे
सतीश- ससुर जी आप नाराज़ मत होईए पर आप मेरी भी बात समझो आप की भी बाहर बदनामी हो रही है...
बलदेव- मई तुमसे बाद में बात करता हूँ

बलदेव ने ग़ुस्से में फ़ोन काट दिया और घर जा कर दोपहर में सो गया. नींद होने के बाद अब उसका दिमाग चलने लगा. श्याम के ६ बजे थे. उसने सीधा रुद्रप्रताप को कॉल किया ...

रुद्रप्रताप- क्या बात है बलदेव कैसे याद किया हमे! क्या हाल है!
बलदेव- सुन रूद्र मुझे तुज़से मिलना है अभी के अभी

बलदेव रूद्रप्रताप को रूद्र कह कर ही बुलाता था क्यों की रुद्राप्रताप उम्र में भी बलदेव से छोटा था.
रुद्रप्रताप डर गया. क्यों की वो जनता था की कुछ गड़बड़ है. क्यों की अभी तक इस तरह से अचानक मिलने का कोई वाकिया नहीं हुआ था. उसने सोचा की शायद कोई बिज़नेस इमरजेंसी आयी होगी तोह मिलना चाहता है.

रुद्रप्रताप- बोल बलदेव क्या बात है! यही बता दो न!
बलदेव- नहीं रूद्र, यहाँ नहीं
रुद्रप्रताप- फिर कहा
बलदेव- सुन आज रात को ९ बजे खेड़ा नाका के ढाबे पे आ जाना

आज बलदेव ने तय किया था की इस बात का हिसाब आज सेटल कर देगा. बलदेव चाट वाले हॉल में गया और अपनी शराब वाली अलमारी का एक सेक्रेट लॉक खोला और एक ड्रावर से उसने सबसे जबरदस्त काम माननेवाली चीज़ निकली. अंदर से उसने कोबो७०७ रिवाल्वर निकाली जो वो सिर्फ कभी कभी साथ रखता था. गाओं के प्रतिष्ठित व्यक्ति होने के साथ साथ कभी कभी मजदूर नोकरो से खतरा न हो इसलिए रखता था जो उसके पास परमिट था.

उसने आज बड़ीवाली जीन्स डाली ऊपर से बड़ा सफ़ेद शर्ट डाल के जीन्स के अंदर साइड में रिवाल्वर लगा के मुछो पे ताव मारता हुआ अपनी टयोंठा एसयूवी निकाली और सीधा ढाबे पे रुख किया.
 
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