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Incest कन्याधन

Motaland2468

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अपडेट ४

सतीश ससुराल में अपने खट्टरा पार्क करता है और बलदेव से मिलने अंदर जाता है. रात के १० बजे थे तो बलदेव अपने स्पेशल हॉल में जो ऊपर छज्जे पे बना था वह टीवी देखते बार काउंटर पर व्हिस्की चढ़ा रहा था. आधे छत पर कोई कवर नहीं था. आधे छत से पूरा खुला आसमान दीखता था. बलदेव का हॉल जो फार्महाउस के छत पे था बोहोत आलिशान सुविधा से युक्त था. वहा दारू की बॉटल्स का आलिशान डेस्क और शोकेस के साथ आधुनिक कटलरी. हॉल में लेटेस्ट फिनिशिंग इंटीरियर था जो डिम लाइट्स के साथ एक रंगीन माहौल बनता था. बलदेव ने हॉल में ३ बड़े बड़े मिरर लगा रखे थे. वही पूरब के बड़े खिड़की पास एक बड़ा सा आलीशान किंग साइज बेड जो किसी पौराणिक ज़माने के डिज़ाइन का था. बेडबोर्ड पे पुणे ज़माने की कलाकृतिया थी. बेड पे जालीदार परदे भी लगे थे जाओ किसी राजा के बेड की तरह दीखता था. बेड पे आलिशान एक मखमली का चद्दर और अन्सिएंट डिज़ाइन वाले पिलो भी थे. और उस पर एक बड़ा सा मख़मली ढकने वाला चद्दर भी था. बेड के पास वही पे एक ड्रेसिंग टेबल भी था. तोह बेड के दूसरी तरफ एक पार्टीशन के बाद आधे से ज्यादा छत खुला था. हॉल के पीछे की साइड में दक्षिण वाले कोने में जहा नोकरो कारूम से सीढ़ियों से सीधा एंट्री था वही एक आलीशान वाशरूम और बाथरूम पुरे मॉडर्न इक्विपमेंट से सज्ज था, बाथटम, स्प्रिंकलर, शावर सब. बाहर छत की उत्तर में आधे से ज्यादा खुले छत पे एक मिट्टी का कुश्ती का अखाडा भी था जहा बलदेव कभी २ हाथ आजमाइश करता था. आधे बॉर्डर से लगा पूरा गार्डन था जहा अलग अलग फूल और छोटे पौधे थे. वहां उत्तर के साइड में एक बड़ा सा झूला था जहा सिर्फ और सिर्फ बलदेव ही बैठ सकता था ऐसी ताकीत भी दी थी सब को. उसके साइड में एक बड़ा लार्ड सोफे था उसी के बाजु में एक बड़ा म्यूजिक सिस्टम लगाया हुआ था.



सतीश ये सब देख कर चौंक गया. उसकी सासु माँ के गुजर ने के बाद तोह उसके ससुर बलदेव में काफी रंगीनियत आ गयी थी. वैसे बलदेव उसके फार्महाउस के छत पर सिर्फ गिनेचुने लोगों को ही आने देता था. सतीश के आते ही डलदेव ने उसे ऊपर चाट पे बुआलया था.



बलदेव- आइये आइये दामाद जी बैठो. बोलो क्या हल चल है? हमारी राजकुमारी को नहीं लाये साथ में? ऐसी क्या बात है जो अकेले चले आये?

सतीश- जी ससुर जी उसी के बारे में बात करने आया था.



सतीश ससुर जी के शानो शौक़ से पहले भी अभिभूत नहीं था ऐसे नहीं पर पिछले एक दो साल में काफी बदलाव दिखे थे उसने अपने ससुर जी में. थोडासा मॉडर्न भी हो चुके थे. वेलवेट वाला रॉब पहना हुआ था और खुले आसमान के निचे बड़े झूले पर बैठ व्हिस्की चढ़ा रहा था बलदेव. सतीश जब बड़े झूले पर बैठने गया तो बलदेव ने अजीब नजर से सतीश को देखा और कुछ इशारा किया. सतीश समाज गया की वो झूले पे नहीं बैठ सकता. वो बजे में सोफे पे बैठ गया.



बलदेव- तुम कुछ लोगे दामाद जी?

सतीश- जी नहीं मई ठीक हूँ

बलदेव- क्या दामाद जी तुम भी न कोई बुरी आदत न कोई रंगीनिया न कोई थ्रिल है तुम में दामाद जी. बहोत सीधे हो और इसलिए एक बात बताता हूँ मैदान-इ-जंग में सबसे पहले शरीफ मरे जाते है

बलदेव- बोलो क्या बात थी तुम कुछ बतानेवाले थे



सतीश मसोस गया की कैसे बताये बलदेव को. पर बताना जरुरी था.



सतीश- ससुर जी आप यहाँ खोये हुए है और वह आपकी बेटी ...



बलदेव जयश्री का नाम सुनते ही चौक गया.



बलदेव - क्या, क्या हुआ मेरी लाड़ली को?

सतीश- कुछ हुआ नहीं है ससुर जी पर बात थोड़ी अजीब है कैसे बताऊँ

बलदेव- बताओ खुल कर क्या बात है

सतीश- वो... वो हमारे शादी को काफी महीने हुई पर ... पर लगता है जयश्री मुझ से खुश नहीं है ...

बलदेव- ऐसा क्यों बोल रहे हो क्या हुआ?

सतीश- अब हम दोनों की नहीं जमती है



बलदेव सुनाने लगा



सतीश- अब ज्यादा तोह नौकरी के कारन बहार रहता हूँ. आप का ही दोस्त रुद्रप्रताप मुझे सुधरने नहीं देता

बलदेव- तोह मई क्या कर सकता हूँ इसमें दामाद जी यह काम है तुम्हारा

सतीश- पर अब आपका दोस्त हाथ से चला गया है ससुर जी

बलदेव- मतलब.... क्या है तुम्हारा... ठीक से बताओ



बलदेव सिगरेट की चुस्की लगते हुए सुन रहा था

सतीश अब देर नहीं कर सकता था बताने में



सतीश- वो... वो... ये है की .. वो जयश्री ...

बलदेव- अरे बताओ न क्या बात है

सतीश- जी वो जयश्री कुछ ज्यादा ही रुद्रप्रताप जी के साथ घूमने लागि है

बलदेव- मतलब...

सतीश- ससुर जी अब कैसे बताऊँ!

बलदेव- देखो दामाद जी घुमाओ मत सीधा मुद्दे पे आओ

सतीश- ससुर जी वो... वो जयश्री और रुद्रप्रताप में ....

बलदेव चुप रहा. उसने कुछ भी चेहरे पर भाव नहीं आने दिया. बलदेव उठा और आखाड़े के कोने की टेबल पर राखी हुई व्हिस्की की बोतल उठाई और गिलास में दारू भरने लगा

बलदेव अब सतीश की तरफ पीठ कर के बात कर रहा था



बलदेव- हम्म , कब से चल रहा है ये सब?

सतीश- जी अब तक़रीबन २ महीना हुआ...

बलदेव- (जोर से ) और ये तुम मुझे अब बता रहे हो सतीश!



सतीश थोड़ा डर गया अभी पहले बार उन्होंने सतीश को नाम से बुलाया था



बलदेव- मुझे पूरी बात बताओ

सतीश- जब से रुद्रप्रताप जी ने उसे अपनी सेक्रेटरी बना है तब से वो ज्यादा साथ रहने लगे है. रात रात भर पार्टीया करती है सहेली के साथ गुलछर्रे भी उड़ाती है. मई क्या करता एक दो बार समझाया भी मगर कुछ न हुआ.

बलदेव- ग़ुस्से से, संजय! कैसे समझाते है पता है! मर्द को मर्द का काम करना चाहिए वैसे हो तोह बोरिंग बोहोत कुछ खाऊ पियो जरा अपना स्वाग दिखाओ निक्कमो की तरह मत बैठो



बलदेव ने घूंट पे घुट लगते हुई बोला सतीश चुपचाप सुन रहा था.



बलदेव- क्या तुम्हारे पास कोई सबूत है इसका ?

सतीश- हाँ है. मेरे मोबाइल पे है

बलदेव- तोह अब ठीक है तुम जाओ आगे का में सभाल लूंगा...

सतीश- ससुर जी कुछ करो न प्लीज ... ऑफिस के लोग मुझ पे हंस रहे है .. अब आप ही मेरा सहारा हो

बलदेव- गलती सिर्फ तुम्हारी नहीं मेरी भी है, अब तुम जाओ मुझ पर छोड़ दो सब. और हाँ इसके बारे में मुझे पता है यह जरा सी भी भनक जयश्री को और रुद्रप्रताप को नहीं लगनी चाहिए. में देख लूंगा अब निकलो..

सतीश- जी पर क्या आज की रात में यहाँ रुक सकता हूँ

बलदेव - ह निचे एक कमर है तैयार मेहमानो के लिए जाओ



पर अब बलदेव गहरी सोच में था. उसकी एकलौती बेटी का चक्कर चल रहा है. गाँव में यह बात किसी को पता चली तोह उसके पुरे रुतबे पे आफत आ सकती है. वो सोचने लगा की उसने ये जरूर सोचा था की उसका दामाद शरीफ हो और उसके विरोध न करे पर उसने ये नहीं सोचा था की उसका दामाद इतना कमजोर और निठल्ला और निकम्मा निकलेगा. जयश्री को बचपन से ध्यान नहीं दिया जितना देना चाहिए वो अपने आप आज़ाद खयालो वाली हो गयी थी. पर वो अभी भी जयश्री को ज्यादा बड़ी नहीं समज़ता था. उस ने आज पहली बार अपनी बेटी का अफेयर के बारे में सुन कर अहसास हुआ की अब वो जवान हो गयी है. वो सोफे पे झूलते हुए सब गणित बिठाने लगा. यहाँ वो कश पे कश लगाए जा रहा था. उधर दारू गटकता गटकता दिमाग में सुरसुरी चढ़ने लगी और पता नहीं उसे क्या हुआ उसने अपना मोबाइल हाथ में लेकर पहली बार अपना फोटो एल्बम खोला और सहेज उसको ऊपर निचे स्क्रॉल कर देखने लगा अब उसकी अपनेआप नजर जयश्री के फोटो पर लगी. स्क्रॉल करते करते उसकी नजर उकसे पिछले महीने के जन्मदिन की तस्वीरों पर गयी थी जिस में जयश्री एक टाइट ब्लैक टॉप और स्किन टाइट जीन्स में थी जाओ की उसने कभी गौर नहीं किया. वहां कमर पर टॉप थोड़ा शार्ट था तो उसकी पतली कोमल कमर और नाभि दिखाई दे रही थी जहा उसने अब नवल रिंग पेअर्स कराई थी. जयश्री ने उसके थोड़े फैले हुई नक् की पंखुड़ियों पर दये साइड में एक छोटी पतली से नोज रिंग पेअर्स कराई थी जो उसके चेहरे को खूबसूरतऔर मादक बना रही थी. वैसे मायके में ज्यादा तोह जयश्री कुरता पजामा या सदी ही पहनती थी. कभी कभी एकड़ दिन वो जीन्स और कासुअल टॉप पहनती थी पर अब उसका यह नया खूबसूरत रूप पे कभी गौर नहीं किया उसने. उस फोटो में वो खुश लग रही थी शायद उसके पापा का जन्मदिन था इस लिए! उसके जन्मदिन के कुछ फोटोज में सतीश भी था रुद्रप्रताप भी था और बाकि कुछ इधर उधर के लोग भी थे. कुछ फोटो सतीश ने खींची थी और उसको भेजी थी. उस में जयश्री प्यार से उसको केक खिला रही थी. बलदेव का एक हाथ उसकी कमर पर था और जयश्री की ऊंचाई सिर्फ बलदेव के सीने तक ही थी. बलदेव ने उसे हो सके उतनी खुशिया जरूर दी थी. बलदेव ने और कुछ फोटोज देखि और हर फोटो में अब वो जयश्री को गौर से देखने लगा. उसका खूबसूरत चेहरा बलदेव प्यार लगा. जयश्री के चेहरे पर एक कसक थी. नई जवानी के आसार दिख रहे थे. देसी थी पर बोहोत आकर्षक चेहरा था उसका. जन्मदिन के कुछ फोटोज में रुद्रात्रताप भी था पर कभी नहीं उसे ऐसा लगा की रुद्रप्रताप ऐसा करेगा. रुद्रप्रताप दोस्त के साथ साथ एक बिज़नेसमन था और वो क्या सोचता है इसके बारे में जानना पड़ेगा. बलदेव ने फोटोज देखते देखते जयश्री के खयालो में खोने लगा. उसे जयश्री के वो सब लम्हे याद आये जहा वो खुश दिक्ति थी. दरसल बलदेव ने कभी उसे मायूस या उदास कभी नहीं देखा. वो हमेशा से चाहता था की उसकी बेटी खुश रहे पर अब बात सिर्फ ख़ुशी की न थी बल्कि उसके इज्जत की भी थी. अब उसको ऐसा रास्ता अपनाना पड़ेगा की सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे. यह सोचते सोचते वो अपना आखरी घूंट पि के अंदर चला गया.
Behtreen update bhai.plz story main pics or gif bhi dalo.or story jaldbaazi main mat likhna khas kar BAAP beti ka romance puri ditel main likhna
 

kamdev99008

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देखते हैं अब बलदेव क्या कर पाता है
 
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DeewanaHuaPagal

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अपडेट ६

(खेड़ा नका ढाबा)
रुद्रप्रताप वह जल्दी पोहोंच गया वो बात जानने के लिए उत्सुक था. वह जाते ही उसने एक सूप मंगाया. वो ढाबे के साइड वाले गार्डन में खुले में खटिया पे बैठा था. तभी सरररर से उसने यसयुवि की आवाज सुनी उसने देखा वो बलदेव की एसयूवी थी.

रुद्रप्रताप- अरे कैसे हो बलदेव कैसा है मेरा दोस्त, यहाँ अचानक क्यों बुलाया?

बलदेव ने आते ही कमर के अटकाए हुई जीन्स के बेल्ट से रिवाल्वर निकली और टेबल पर रख दी. जैसे ही रुद्रप्रताप ने ये देखा वो तुरंत समाज गया की बात क्या है. उसको ये जनाने में इतनी सी भी देर न लगी की ये जरूर उसके और जयश्री के बारे में बात करने में आया है. जैसे ही उस टेबल के चारो और के दूसरे टेबल पर बैठे लोगों ने वो रिवाल्वर देखि सब लोग फुसफुसाते हुए तुरंत टेबल और खाना चोर कर बाहर चले गए

रुद्रप्रताप- देख बलदेव... में तुमको बताने ही वाला था ...
बलदेव- कब? (थोड़ा ग़ुस्से से)
रुद्रप्रताप- देख में मानता हूँ की मुझे तभी तुझे बताना चाहिए था...
बलदेव- साले वो मेरी बेटी है सांझे ... मेरी बेटी ... साले बलदेव की बेटी ... तुझे पता नहीं था ... कम से कम तू पहले ही बोल देता

रुद्रप्रताप का चेहरा काला पाद गया. उसे समाज नहीं आ रहा था क्या कहे

बलदेव- सच बता, कब से चल रहा है तुम्हारा?
रुद्रप्रताप- बॉस यार मुश्किल से एकड़ महीना हुआ है कसम से ज्यादा कुछ नहीं... देख तू मेरी बात सुन ले शांति से... जयश्री मेरे साथ वक़्त बिताने लगी
रुद्रप्रताप: तू जनता भी है की तेरी बेटी किस चीज़ से गुजर रही है? में बॉस उसको थोड़ा सहारा दे रहा था दोस्त... तू गलत मत समझ ...
बलदेव- मुझे पता है की जयश्री किस से गुजर रही है, वो नल्ला मेरा जमाई है न उसकी वजह से है ये सब

रुद्रप्रताप अब थोड़ा सहज हो गया. उसको लगा की बात अब सतीश पे आ गयी है और वो बच के निकल सकता है

रुद्रप्रताप- वही तोह मैंने भी सोचा...
बलदेव- पर साले मेरा क्या तुझे पता है तेरे ऑफिस के और जो लोग बहार सतीश का मजाक उत्तदाते है! तू नहीं समझा अब वो लोग मेरे पे भी हसेंगे. तूने मेरी भी इज्जत दांव पे लगा दी खुल्लमखुल्ला यह कर के
रुद्रप्रताप- नहीं बलदेव सुन मेरी बात मई बोहोत सेक्रेट रखना चाहता था यह बात पर पता नहीं कैसे ये बात बहार पता चली
रुद्रप्रताप- एक बात कहु, हमारे अफेयर के बारे में सतीश को पता था सिर्फ तो कही ये बात सतीश ने तोह दुसरो को नहीं बताई?
बलदेव- हं... हो सकता है हरामी कही का सतीश. पर तू साले जब जयश्री तेरे पास आनेलगी तोह तब क्यों नहीं बोलै तू मुझे, एक बार बता देता न
रुद्रप्रताप- और तू चुपचाप सुन लेता? देखा अभी तूने टेबल पे क्या रखा है... (रिवाल्वर को देखते हुए)

बलदेव अब चुप रहा. उसने वो रिवाल्वर ली और पीछे जीन्स के अटके कोने पर टांग दी. अब मोके पे चौका लगते हुई रुद्रप्रताप ने कुछ सोच लिया

रुद्रप्रताप- देख यार हम कब से जिगरी दोस्त है तुझे पता है न? में तुमको नुकसान करने का सोच भी नहीं सकता. हमें एक साथ कितने कांड किये... एक साथ ऐयाशी करते है और पता है तेरी बजह से ही में भी खुशमलंग हो गया. हमने आज चाक एक दूसरे को कुछ नहीं छुपाया पर इस बार मुझ से थोड़ी गलती हो गयी मुझे तुझे बताना चाहिए था...

बलदेव- सुन अब तुम्हारा ये सब जो चल रहा है वो सब भूल जा अब बस अब फाइनल बोल रहा हु
रुद्रप्रताप- बिलकुल मेरे दोस्त अब से में जयश्री को छुऊँगा भी नहीं, छुऊँगा क्या यार उसकी तरफ देखूंगा भी नहीं.. बस इस बार माफ़ कर दे यार मुझे...

म्याटर को सेटल होते देख रुद्रप्रताप खुश होते हुए अब बात करने लगा
रुद्रप्रताप- चल बोल, तेरे लिए क्या मंगाऊं? अपने दोस्त के लिए रम या वाइन या व्हिस्की या...
बलदेव- व्हिस्की (थोड़ा नाराज होते हुए)
रुद्रप्रताप- झे.. बात है.. अब हुआ न तू मेरा दोस्त...
रुद्रप्रताप- हेलो वेटर, एक पैग माल्ट व्हिस्की लाना
वेटर- सर, कौन सी ब्रांड पसंद करेंगे?
रुद्रप्रताप- Glenfiddich 12 Years ले आओ। और हाँ दो पेग
वेटर- सर, कितने ML का पैग चाहिए—30ml, 60ml या 90ml?
रुद्रप्रताप- 60ml बना दो
वेटर- सर, इसे कैसे लेना पसंद करेंगे—स्ट्रेट, ऑन द रॉक्स, या पानी या सोडा के साथ?
रुद्रप्रताप- ऑन द रॉक्स लाना, थोड़ा सोडा अलग से देना
वेटर- सर, कोई और चीज़ साथ में लेंगे—स्नैक्स या ड्राई फ्रूट्स?
ग्राहक- हाँ, साथ में कुछ पीनट्स और चिप्स भी ले आओ

बलदेव ने एक सिगरेट निकली और लाइटर धुंध रहा था इतने में रुद्रप्रताप ने तुरंत उसको लाइटर लिट् क्र को बलदेव की सिगरेट पे थामा

रुद्रप्रताप- वैसे एक बात बताऊँ तू बोहोत लकी है यार, जयश्री जैसी प्यारी, नटखट, चालाक और आज़ाद खयालो वाली बेटी मिली है.

अब दोनों साथ साथ ड्रिंक लेते हुई सुट्टा मरते हुए बातें करने लगे

रुद्रप्रताप- पता है उसने अकेले ने मेरे अमनपुर के मोंको क्लाइंट के टेंडर बना दिए थे. मुझे बस साइन करने का काम बाकि छोड़ा था बस... वो जब ऑफिस में होती है पुरे ऑफिस में ख़ुशी का माहौल होता है. सेक्रेटरी का ही नहीं बाकि भी सब काम करती है.

रुद्रप्रताप बोलते बोलते चौक गया... और बलदेव से कहने लगा की

रुद्रप्रताप- मेरा मतलब ऑफिस के भी काम.

रुद्रप्रताप जानबुज़कर उनके इंटिमेट मोमेंट्स के बारे में बात करना ताल रहा था क्यों की उसे लगा की बलदेव ऐसी बात सुन कर असहज हो जायेगा

बलदेव अब व्हिस्की और धुए का चस्का लगा लगा कर अपनी बेटी की तारीफ बाहरवालों से सुन रहा था. उसे अंदर से गर्व महसूस हो रहा था. पर बस खुद की बनमी के से परहेज रखना चाहता था.

बलदेव- यार मैंने कभी उसके बारे में ध्यान ही नहीं दिया, पता ही नहीं चला वो इतनी काबिल और निडर कैसे हो गयी

रुद्रप्रताप- हो भी क्यों न! आखिर बेटी किस की है, तुम से बड़ा यशस्वी और काबिल मैंने भी आज तक नहीं देखा और तेरे जैसी निडर भी है वो

बलदेव अब अपनी प्रशंसा सुन कर उसका रुद्रप्रताप के प्रति सहेज भाव फिर से वापिस आया

रुद्रप्रताप- अच्छा ये बता तुमको हमारे बारे में किस ने बताया
बलदेव- और कोण हो सकता है! वही नल्ला जमाई मेरा
रुद्रप्रताप- साला एक बात कहु तेरा जमाई दीखता सीधा है पर बड़ी टेढ़ी चीज़ है दोस्त, बच के रहना उस से
बलदेव- पता है वो उसने क्या कहा! बॉल रहा था मेरा डाइवोर्स करा दो या तुमको चुप करा दूँ या फिर फिर ...
रुद्रप्रताप- या... फिर क्या ...
बलदेव- बोल रहा था की चुप रहे के लिए उसे मेरी जायदाद चाहिए थोड़ी
रुद्रप्रताप- इ साला हरामी ... तुम उसके जहांसे में मत आना हं ... बोहोत नंबरी दीखता है साला .. पता है जयश्री भी तंग आ चुकी है उस से बोहोत. कहती है की नल्ले ने ५ मैंने से उसे कुछ भी नहीं किया
बलदेव- साला.. नल्ला (सिगरेट का धुवा छोड़ते हुए)
रुद्रप्रताप- तू क्या अब उसे अपनी जायदाद देगा ऐसे नल्ले को ? तू फ़िक्र मात क्र मई तेरे साथ हु.

बलदेव साइड से हस्ते हुए बोला
बलदेव- सुन खून पसीना लगा दिया है मैंने इस साम्राज्य में उसे उसे पिद्दी पे लगा ने के लिए नहीं किया

रुद्रप्रताप भी हसने लगा
रुद्रप्रताप- साल हम कमाते है ऐश करने के लिए जिंदगी का हर पल बेख़ौफ़ मज़े करने के लिए और अपना दबदबा बनाने के लिए उसको ऐसे च्यु_ पे लगाने के लिए नहीं

बलदेव- पर वो मेरा दामाद है यह हम नहीं भूल सकते, वो अभी भी जयश्री का पति है मई नहीं चाहता की उसकी वजह से मेरी लाड़ली को कुछ दिक्कत हो. वो डाइवोर्स के लिए भी फाइल कर सकता है अचानक से
रुद्रप्रताप- तू उनका डाइवोर्स करा देगा! तू ये क्या कर रहा है. तुझे पता है की तू उनका डाइवोर्स करा देगा तोह जयश्री कहा जाएगी? अगर वो तेरे पास रहती है तो भी कितने दिन और फिर तेरी इज्जत दांव पे लग जाएगी. साला सतीश ने तोह मामला पेचीदा कर दिया बे

बलदेव सोच में पड़ गया

बलदेव- सुन, मैंने कुछ सोचा है, मै उसको कह दूंगा की मै उसकी शर्त मान गया हूँ और कह दूंगा की तू भी उसे आगे से नहीं सताएगा
रुद्रप्रताप- मेरे लिए तोह ये मामूली बात है, ऐसे भी किनता कमाता है वो सतीश मेरे से, कुछ चंद हज़ार पगार साला उसके ५० गुना तो तू मुझे कमा के देता है, (हसने लगा) पर यर तू उसको डाइवोर्स भी नहीं देगा, जयश्री का क्या सोचा है फिर और अब मै भी बाजु हैट गया हूँ जयश्री से तोह जयश्री तोह अकेली पड़ गयी बेचारी

बलदेव सोच रहा था और होंठो पे साइड से स्माइल करने लगा. रुद्रप्रताप पहेली बार बलदेव को ऐसे हस्ते देखा था. कुछ साजिश जैसा...

रुद्रप्रताप- बोल यार क्या बात है? क्या सोचा है तूने जयश्री के बारे में
बलदेव- यार ...
रुद्रप्रताप- बोल यार क्या बात है क्या सोच रहा है तू

बलदेव- एक एक घूंट पेग चढ़ाते हुई सत्ता ऊपर धुए में उछलता है

बलदेव- बोहोत जी लिया यार अकेली जिंदगी अब मुझे भी तेरे जैसा स्वाग चाहिए, मौज मस्ती और ेश करनी है साल जब से जयश्री की माँ गयी है जिंदगी खली है

रुद्रप्रताप- तोह .. कहना क्या चाहता है

बलदेव- मै जयश्री को मेरी पर्सनल सेक्रेटरी बनाना चाहता हूँ... मुझे लगता है की तू लकी है .. जैसे उसने तेरा बिज़नेस संभाला वैसे वो सब मेरा बुसिनेस भी संभाले और वैसे भी यार मेरे बाद तोह सब उसी का है.. अभी से सब सिंख लेगी तोह आगे जेक तरबेज बनेगी

रुद्रप्रताप- तू कहना क्या च रहा है बलदेव .... मतलब ..के तू ...

बलदेव उसकी तरफ देख के कुन्निंग स्माइल देने लगता है

रुद्रपताप अब उसकी पूरी बात समझ चूका था ... अब उसके पैरो के निचे से जमीं खिस्साक गयी और वो मुँह फाडे बलदेव को देख रहा था... बलदेव भी उसको देख के मानो साब क्लियर किया..
रुद्रप्रताप लघभग खाट से उठ ही गया था ... उसे विशेस नहीं हो रहा था पर वो जनता था की बलदेव एक ठरकी रंगीन ऐयाश किस्म का है पर कभी उसने सपने में भी नहीं सोचा था की वो जयश्री पे ....

उसने सोचते सोचते जो भरा हुआ पेग था वो बॉटम-टॉप एक झटके में अंदर कर लिया और ज़ोर से गिलास टेबल पर पटकते हुए..

रुद्रप्रताप- मतलब .. भेंच.. ओह सॉरी.. मतलब के तू ...

५ मिनट के ख़ामोशी के बाद

रुद्रप्रताप- तूने उसके बारे में कब सोचा
बलदेव- यार जब मै तुम लोगो के फोटो देख रहा था और अभी जब तुम्हारे मुँह से उसकी तारीफे सुन रहा था तब पता नहीं क्या मुझे जिंदगी में वो महसूस हुआ जो आज तक कभी नहीं हुआ
रुद्रप्रताप- पर तू .. तुझे पता है न तू क्या कर रहा है
बलदेव- अब मुझे कोई नहीं रोक सकता रूद्र, न ही तू और न ही वो छिलका सतीश , मै बोहोत स्पष्ट हु मौज़े लगता है अब अहलात ये है की अब मुझे जयश्री की और जयश्री की मुझे जरुरत है
रुद्रप्रताप- ओह वाव यार तुम दोनों बाप बेटी कमाल हो बाबा ... मेरी तोह सब उतर गयी बे... (हस्ते हुए) वैसे सही भी है तुम दोनों पे कोई शक भी नहीं करेगा. सल्ला मै उसे होटल ले जाता था तोह सब लोग शक करते थे अफेयर का
बलदेव- वही तोह खासियत है रिश्ते की... साल कोई मुँह फाड़ फाड् क्र भी चिल्लाये की कुछ है तो भी समाज उस पर भरोसा नहीं करता

रुद्रप्रताप फिर गंभीर होते हुए

रुद्रप्रताप- तुझे लगता है जयश्री मानेगी

बलदेव- मुझे तेरी हेल्प चाहिए इस में और शायद मुझे सतीश की भी हेल्प लेनी पड़े

रुद्रप्रताप- पर सुन उस नल्ले सतीश को कुछ मत देना जायदाद का नहीं तोह पछतायेगा

बलदेव- दूंगा, पर उसे नहीं. (हस्ते हुए) तुझे, आज से तेरे हर गाड़ी के मेंटेनन्स का ३०% डिस्काउंट. जा ऐश कर

रुद्रप्रताप इतना खुश हुआ की उसे लगा लाटरी लग गयी. वो सोचने लगा की ये सब जसिहरी की वजह से ही हुआ है

रुद्रप्रताप- वह मेरे दोस्त जिओ, अब आएगा मज़ा यार . वह क्या बात है तेरी , मै तेरी हर मदत करूँगा बोल क्या करना है , चल एक काम करते है इस ख़ुशी के मोके पे आज उस रेडबेड होटल जायेंगे सुना है इस हफ्ते कुछ नयी औरते आयी है

पर अब बलदेव का मूड कही लगनेवाला नहीं था
बलदेव- नहीं यार तू जा अब मै नहीं आऊंगा वह
रुद्रप्रताप- हाँ हाँ अब तू क्यों मेरे साथ आएगा बाज़ारू औरतों के पास अब जो तुझे ...(हंस रहा था)
बलदेव भी स्माइल करेने लगा

बलदेव- चल में निकलता हूँ

कहकर बलदेव जाने लगा वो थोड़ा लड़खड़ाने लगा तो रुद्रप्रताप ने कहा

रुद्रप्रताप- रुक मै छोड़ दूँ क्या तुझे
बलदेव - साले तू भी तोह लड़खड़ा रहा है, तू छोड़ मै देख लूंगा कुछ
रुद्रप्रताप- सुन मेरे दोस्त , सुन ऐसा मत कर रुक मै कुछ करता हूँ इंतजाम

रुद्रप्रताप ने उसके उस ढाबे के पहचान वाले एक कप्तान गोलू को खुद बलदेव की गाड़ी चला कर उसे घर छोड़ आने को बोला. वो आदमी मान गया

बलदेव- क्या यार इसकी क्या ज़रूरत !
रुद्रप्रताप- मेरे दोस्त तू आराम से जा चिंता मत कर ये चोर देगा अपना गोलू है यह

रुद्रप्रताप ने गोलू को ५०० रूपया हाथ में थमा दिया. गोलू खुश हो कर उसको छोड़ने को राज़ी हो गया
जातेजाते रुद्रप्रताप ने फिर से एक बार बलदेव को वापिस बुलाया और उसको गले लगाया अब दोनों को थोड़ी चढ़ी हुई थी. उसको गले लगते लगते बोल गया

रुद्रप्रताप- सुन दोस्त, मै तुझे के टिप देता हु. अगर जयश्री को अपनी तरफ आकर्षित करना है तोह उसे दो ही चीज़ खुश कर सकती है, पहली वाली मै बताता हु अब दूसरीवाली तू समझ ले. पहली बात तो यह है के उसको गहने बोहोत पसंत है. साला वो सतीश तोह कुछ आज तक उसे एक फूटी कोड़ी भी नहीं दिया बेचारी को . उसे महंगे अलग अलग डिज़ाइन के गहनों का बोहोत आकर्षण है. जा मेरे दोस्त आल थे बेस्ट

बलदेव यह सुन कर खुश होता है

बलदेव- और हं सॉरी मेरे दोस्त मै वो रिवाल्वर लेके नहीं आना चाहिए था
रुद्रप्रताप- तू मेरा दोस्त है यार, कसी बात करता है तेरे लिए तोह जान भी हाज़िर है
बलदेव- बस बस इतना ड्रामा मात कर और हाँ सुन इस बारे में किसी से नहीं कहना बिलकुल भी

रुद्रप्रताप: (ड्रामा करते हुए) शु... कौनसी बात मै तोह भूल गया (आंख मारते हुए )
दोनों एक दूसरे को गुड बाई बोल कर चल देते है.
 

DeewanaHuaPagal

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अपडेट ७
(उसी रात बलदेव के घर)
बलदेव नशे में घर आ गया और कामववाली बाई ने जो खाना बनाया था वो खा कर चाट के ज़हले पे मस्त हवा में लुंगी और बनियान पहन कर बैठ गया. अब वो रुद्रप्रताप ने जो बाटे बताई वो सोच ही रहा था. उसे अपना मोबाइल लिया और सतीश को कॉल किया, सतीश ने कॉल उठके सीधा बोल दिया

सतीश: हं ससुर जी बोलिये .. अरे वाह ससुर जी आप तोह सच में कमाल हो अभी अभी रुद्रप्रताप जी का फ़ोन आया था उन्होंने मुझे कल छुट्टी दी है मज़े करने को. कल में दिन भर ऐश करूँगा ससुर जी. और पता है उन्होंने जयश्री को भी १ महीने की छुट्टी दी है. अब जयश्री घर पर है और मुझे पूछ रही थी की कल से ऑफिस नहीं जाना है. क्या यह सच है? पर आपने उनसे क्या बोला उनमें इतना बदलाव कैसे हुआ

बलदेव को यह पता ही नहीं था की रुद्रप्रताप ताबड़तोड़ एक्शन मोड में आया है. यह सुनकर रुद्रप्रताप खुश हुआ.

बलदेव- अरे दामाद जी ... हम हम है समझे बाकि सब पानी कम है... अच्छा सुनो एक काम कर सकते हो काल मुझ से मिल सकते हो? ऐसे भी कल छुट्टी है न तुम्हे!
सतीश- हं हं ससुर जी कैसी बात कर रहे हो आप हुक्म करो में हाज़िर हो जाऊंगा हं पर ज्यादा देर नहीं कृपया कर के...
बलदेव- तोह ठीक है कल मुझे अपने जंगलवाले रोड के खेत में मिलना, मुझे बोहोत काम है कल वह. वही मिलते है हम, ठीक?
सतीश- हं हं जी बिलकुल, में आ जाऊँगा कल दोपहर को (फ़ोन रख दिया)

बलदेव के दिमाग में अब १०० घोड़े दौड़ रहे थे. व्हिस्की की सुरसूरी अभी भी थी. उसने सिगरेट जलाई और मोबाइल हाथ में लेकर फिर से फोटो एल्बम खोल लिया और अपने आप उसकी नज़र जयश्री के फोटोज पर जाने लगी. अब वो जयश्री के फोटोज गौर से देखने लगा तभी... उसका फ़ोन बजता है
और सामने स्क्रीन पे देखा .. वो पहलेबार तोह फ़ोन नहीं आया था उस व्यक्ति का इस से पहले भी उसने फ़ोन किया था पर आज अजिन सी सुरसुरी थी सोच में.
वो फ़ोन किसी और का नहीं बल्कि उसकी राजकुमारी लाड़ली बेटी जयश्री का था. वो भूल गया था की कल ही उसने जयश्री को कॉल लगाई थी तोह जयश्री ने उसी के लिए कॉल किया होगा उसे ऐसा लगा...
उसने फ़ोन उठाया.. जैसे ही फ़ोन उठाया जयश्री की आवाज ने उसके दिलो दिमाग में घर कर लिया. जयश्री भले ही काफी जवान लगती होगी पर उसकी वौइस् में काफी हस्क था ऐसा लगता था की कोई नशेडी की आवाज जैसी थी जो किसी भी आदमी की ठरक जगा सके...

जयश्री- पापा... कैसे है आप.. आपन ने कल कॉल किया था .. वो चोरो आप कैसे हो... अब कहाँ हो ... और अपने खाना खाया के नहीं ...
बलदेव- जयश्री बेटी वो कल ऐसे ही याद आयी तुम्हारी एक हफ्ते से बात नहीं हुई न हमारी ! सॉरी बेटी इस हफ्ते कुछ ज्यादा बिजी था ... और हाँ तुम इतने सवाल क्यों पूछ रही हो ! तेरी माँ गयी तोह अब तूने मेरी खबर रखनी चालू की (मजाक में)
जयश्री- क्या पापा... आप मुझे प्यार नहीं करते! आप ने मुझे याद तक नहीं किया कुछ दिनों में
बलदेव- बेटी तुमने भी तोह कहा अपने पापा को याद किया! सुना है ऑफिस के काम में बोहोत मशगूल हो?
जयश्री- (अपनी जीभ चभाते हुए) जी नहीं पापा बस वो काम बढ़ गया था न. इसलिए आपको कॉल नहीं कर पायी . सॉरी पापा .. माफ़ कर दो.. प्लीज...
बलदेव- अरे बेटी तू सॉरी मत बोल तू तोह मेरी रानी बिटिया है, फ़िक्र मत कर में सब देख लूंगा अब
जयश्री- पापा आपने कल कॉल किया था कुछ काम था क्या?
बलदेव- है काम तो था पर सुनो अब नहीं बताऊंगा वो अब तुमको सतीश समझायेगा कल श्याम को, ठीक है तुम वो करो जो वो बोलता है , इसी में सब की भलाई है बेटी, ठीक है और तुम सोई नहीं अब तक?
जयश्री- नहीं पापा नींद नहीं आ रही. पता नहीं अचानक से बॉस अंकल को क्या हुआ! अचानक से मुझे कहा की मुझे १ महीने की छुट्टी दी है और वो खुद कही जाने वाले है पता नहीं क्या हुआ है उनको. इस बार मुझे नहीं ले जा रहे है बिज़नेस ट्रिप पे..

बलदेव अंदर ही अंदर खुश हो रहा था. उसके सब तीर निशाने पे लग रहे थे.

जयश्री- पापा.. एक बात कहूं.. प्लीज
बलदेव- बोलो बेटी
जयश्री- आप बॉस अंकल को समझाओ न की मुझे ऑफिस आने दे मौज़े घर बैठने में मज़ा नहीं आता
बलदेव- जयश्री बेटी सुन जिंदगी में हर वक़्त काम ही काम नहीं होते. अपनी जिंदगी तोह जी ले . सतीश के साथ घूमने जाया कर. लगे तोह मई करा दूँ टिकट कही की.. देख मई रूद्र को बोल दूंगा पर फ़िलहाल तू दो-तीन दिन आराम कर कही घूम के आजा और सतीश को भी घुमा ले आलसी खरगोश को..

जयश्री सुन रही थी पर थोड़ी उदास थी
बलदेव- क्या हुआ बेटी, बोलती क्यों नहीं ! कुछ तो बोलो बेटी
जयश्री- पापा अब मई कैसे बताऊँ आपको! यहाँ मज़ा नहीं अत जीने में कुछ ... में आपको बता के आपको तकलीफ नहीं देना चाहती ... में हैंडल कर लुंगी पापा .. आप टेंशन ना लो

बलदेव को पता था की जयश्री क्यों रुद्रप्रताप के साथ जाना चाहती है. यही जयश्री की मजबूरी वो हटाना चाहता था.

बलदेव- बेटी सुनो जब तक में हूँ तुम फ़िक्र मत करो में अब संभाल लूंगा ठीक है. अब सौजा
जयश्री- ठीक है पापा ... गुड़ नाईट अपन ख्याल रखना

फ़ोन काटते काटते बलदेव का मन हुआ की फ़ोन पर उसकी एक किस मांग ले पर नहीं बोल पाया आज वो खुद अपनी बेटी को फ़ोन पर किस मांगने की सोच रहा था.

अब बलदेव अंदर गया और उसने एक छोटा पेग बनाया और पि के फिर सो गया.
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अपडेट ३

सतीश बाहार चला गया। अब वो उक्ता गया था। आज उसे आराम भी करना था मगर अब श्याम को क्लाइंट के पास भी जाना है सोच कर ग़ुस्सा हुआ। हाला को रुद्रप्रताप उसका इमीडियेट बॉस नहीं था पर सतीश के काम पे पूरी नज़र रखता था। ऊपर से पत्नी के साथ साथ इज्जत भी खो रहा था। वो किसी भी हल में उसके बॉस को रोकना चाहता था पर अब उस कोई बस की बात नहीं रही ये वो जानता था। अब सतीश को किसी भी हालत में रुद्रप्रताप को बर्ताव से छुटकारा चाहिए था। वो सोच में पड़ गया। तभी उसे एक आशा की किरण दिखाई दी। उसके ससुर श्री बलदेव उसके माथे पे प्रसन्नता आ गयी। वो जानता था की अगर कोई रुद्रप्रताप को कोई रोक सकता है तो वो बस उसके ससुर ही।

वैसे बलदेव सतीश से अच्छा बर्ताव करता था क्यों की सतीश उनको बोहोत बड़ा आदमी मानता था। सतीश ने कभी भी उसके ससुर के साथ ऐसी वैसी बात नहीं की शायद वो उनके पर्सनालिटी से डरता भी था। वैसे बलदेव और रुद्रप्रताप दोनों पावरफुल लोग थे। बिज़नेस और गांव के बड़े खानदान के चलते उनके राजनेता और आसपास के सभी ठेकेदारों से उठना बैठना था।

सतीश ने बलदेव को फ़ोन लगाया पर फिर उसके दिमाग में एक कुरपति आईडिया ने जन्म लिया। उसने फ़ोन काटा। सतीश सोचने लगा की अगर वो जयश्री और रुद्रप्रताप के अफेयर के बारे में बोल भी देता है तो क्या उस से साब प्रॉब्लम ख़त्म होगी? बलदेव अगर रुद्रपताप से बात कर के अफेयर तोड़ भी देते है तोह जयश्री और कही मुँह मारेगी जहा बलदेव का कोई बस न चलेगा और ऊपर से किसी अनजान आदमी से टांका भिड़ा तोह और नई बदनामी झेलनी पड़ेगी । अब उसको उन दोनों का अफेयर तोड़ने के साथ साथ जयश्री की ख़ुशी भी देखनी पड़ेगी वार्ना सब प्लान फ़ैल हो जायेगा। पर अगर वो अफेयर तोड़ भी देता है तोह उसका फायदा उसको क्या?

सतीश अब नौकरी से ऊब चूका था। वो बस अब आराम फरमाना चाहता था। आलसी तो पहले से था ही। उसके दिमाग में एक बहोत भसड़ चल रही थी और उसी में उस ने कुछ ऐसा करने की ठान ली की उसकी जिंदगी टर्न मारे एक ही झटके में सेटल हो जाये। उसने अपने ससुर को फ़ोन लगाया।


सतीश- हेलो ससुर जी ...

बलदेव- बोलो दामाद जी, सुनो फिलहला थोड़ा बिजी हु तूम बाद में कॉल कर सकते हो बहोत जरुरी तोह नहीं है?

सतीश- जी हाँ कोई बात नहीं में बाद में कल करूंगा

बलदेव- ठीक ...


सतीश घर जाता है तो देखता है की जयश्री फिर से सो चुकी है। शायद रात में रुद्रप्रताप ने म्हणत करवाई हो। फिर वो भी खाना खा कर बैडरूम में आया और सोती हुए पत्नी को देखने लगा। उसकी सुन्दरता देख कर सतीश भी सोचने लगा की कही उसने जयश्री के साथ जल्दबाज़ी नहीं की? वो उसको समझना चाहता था की सब फिर से ठीक हो सकता है पर अब जयश्री हाथ से बहार जा चुकी थी ये भी उसको पता है।

बैडरूम में सिगरेट की स्मेल अभी भी आ रही थी जो रातभर रुद्रप्रताप ने पी होगी। जयश्री का जिस्म देखकर उसे मन हुआ। उसने अपनी ३ इंच की नुन्नी बहार निकली और जयश्री की तरफ देखते हुए हिलने लगा। बीएड पर हिलने की आवाज सुन कर जयश्री की नींद टूट गयी।



जयश्री- यो क्या कर रहे हो

सतीश- सुनो न जानू आय ऍम सॉरी मुझे तुम्हारे बॉस के बारे में ऐसे नहीं बोलना चाहिए था।

जयश्री- चलो इतनी अकल है तुम में। समाज नहीं आता तुमको आज तुम्हारी नौकरी उन की ही दें है अगर वो न होते तो तुम दर दर भटकते, तुमको अत जाता तो कुछ है नहीं चले है मुँह ऊपर उठके उनको कोसने !

सतीश- रानी कुछ करो न बस एक बार हो जाये...

जयश्री- अरे नहीं तुम जाओ मुझे मत सताओ अब मुझे आराम करने दो श्याम को किटी पार्टी में जाना है, छोड़ो

सतीश- बस एक बार जानू मई तुम्हारा पति हूँ और मुझे हक़ है न!



जयश्री ग़ुस्से से देखते हुई

जयश्री- हक़ ! जितनी देर घर में रहते हो टीवी मोबाइल गेम से फुर्सत मिलती है तुम्हे? आधा समय तो गाओं के बहार ही होते हो। अगर पत्नी को खुश करने की औकात नहीं है और चले ए हक़ जताने। चलो फुटो यहाँ से।



सतीश भी अड़ गया

सतीश- आरी कैसी बात कर रही हो हमने पिछले ५ महीने से कुछ नहीं किया कम से कम मुझे ऊपर चढ़ के इसको एक बार घिसने तोह दो

जयश्री हँसते हुए - क्या! तुम घिसने के सिवाय और कर भी क्या सकते हो अंदर तो जाती नहीं तुम्हारी नुन्नी। ऊपर ही घिसती है। परसो रूपनगर की मेरी मौसी पूछ रही थी की डेढ़ साल हुआ शादी को अब तक कुछ नहीं हुआ! तुम्हे पता है क्या होता है यह सुनकर। तुम जैसे पिद्दी नहीं जानते छोड़ो

सतीश- बस एक बार , एक बार हिला दो यार

ऐसा कहते हुए उसने जयश्री का हाथ पकड़ा और अपने मूंगफल्ली के छिलके जितनी नुन्नी की तरफ खींच दिया.

जयश्री- (चिढ़ते हुए) छोड़ो मुझे ! तुम खुद हिलाओ बेशरम । अब अगर परेशां किया न तो में तुम्हारा इस नुन्नी का भन्दा फोड़ कर दूंगी समझे निकम्मे। शुक्र मनाओ की मैंने अब तक किसी को नहीं बताया। अगर में ये मेरे पापा को बता दूँ तोह २ मिनट के अंदर तुम्हारी छुट्टी कर देंगे समझे नल्ला कहीं का



सतीश अब चुप हो गया और पैंट के अंदर अपनी नुन्नी सरका कर चुपचाप सो गया।



श्याम को जयश्री ने सतीश को चाय बनाने को बोला और चाय पी कर ऑफिस चाली गयी। वो वहा से किटी पार्टी में जाने वाली थी।



सतीश भी रेस्टोरेंट में गया और सोचने लगा। इतने में बलदेव का फ़ोन आता है। वो सोच रहा था की वो अपने ससुर से क्या कहेगा ?

की वो कमजोर और निकम्मा है और उनकी बेटी को वो खुश नहीं कर सकता! नहीं नहीं पर अब उसने दोपहर को खुद उनको फ़ोन किया था तो बात तो करनी पड़ेगी । सतीश फ़ोन उठता है



सतीश- हेलो

बलदेव- है दामाद जी कैसे हो कहा हो

सतीश- अरे ससुर जी में ठीक हूँ आप कैसे है

बलदेव- क्या हुआ क्यों फ़ोन किया था , सब ठीक तोह है? जयश्री कहा है? तुमने उसको कुछ तकलीफ तोह नहीं दी ?

सतीश- नहीं नहीं ससुर जी ऐसी कोई बात नहीं है (संकोच में बोला)

बलदेव- ह... बोलो क्या काम था

सतीश- ससुर जी क्या में आप से मिल सकता हूँ आज या कल

बलदेव- ले ये भी कोई पूछने की बात है, आजाओ। आज भी आ सकते हो लेट नाईट

सतीश- जी में एक क्लिनेट का काम निपटा के आ जाऊंगा

बलदेव- ठीक है (फ़ोन रख दिया)



सतीश ने अपनी पुराणी खटारा सूज़ाकि मिनी कार निकली और चल पड़। सतीश का ससुराल २० किमी पे ही था । उसने क्लाइंट से बात कर के देर रात ससुराल पोहोंच गया।
Shaandar Update 👌
 

Motaland2468

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अपडेट ६

(खेड़ा नका ढाबा)
रुद्रप्रताप वह जल्दी पोहोंच गया वो बात जानने के लिए उत्सुक था. वह जाते ही उसने एक सूप मंगाया. वो ढाबे के साइड वाले गार्डन में खुले में खटिया पे बैठा था. तभी सरररर से उसने यसयुवि की आवाज सुनी उसने देखा वो बलदेव की एसयूवी थी.

रुद्रप्रताप- अरे कैसे हो बलदेव कैसा है मेरा दोस्त, यहाँ अचानक क्यों बुलाया?

बलदेव ने आते ही कमर के अटकाए हुई जीन्स के बेल्ट से रिवाल्वर निकली और टेबल पर रख दी. जैसे ही रुद्रप्रताप ने ये देखा वो तुरंत समाज गया की बात क्या है. उसको ये जनाने में इतनी सी भी देर न लगी की ये जरूर उसके और जयश्री के बारे में बात करने में आया है. जैसे ही उस टेबल के चारो और के दूसरे टेबल पर बैठे लोगों ने वो रिवाल्वर देखि सब लोग फुसफुसाते हुए तुरंत टेबल और खाना चोर कर बाहर चले गए

रुद्रप्रताप- देख बलदेव... में तुमको बताने ही वाला था ...
बलदेव- कब? (थोड़ा ग़ुस्से से)
रुद्रप्रताप- देख में मानता हूँ की मुझे तभी तुझे बताना चाहिए था...
बलदेव- साले वो मेरी बेटी है सांझे ... मेरी बेटी ... साले बलदेव की बेटी ... तुझे पता नहीं था ... कम से कम तू पहले ही बोल देता

रुद्रप्रताप का चेहरा काला पाद गया. उसे समाज नहीं आ रहा था क्या कहे

बलदेव- सच बता, कब से चल रहा है तुम्हारा?
रुद्रप्रताप- बॉस यार मुश्किल से एकड़ महीना हुआ है कसम से ज्यादा कुछ नहीं... देख तू मेरी बात सुन ले शांति से... जयश्री मेरे साथ वक़्त बिताने लगी
रुद्रप्रताप: तू जनता भी है की तेरी बेटी किस चीज़ से गुजर रही है? में बॉस उसको थोड़ा सहारा दे रहा था दोस्त... तू गलत मत समझ ...
बलदेव- मुझे पता है की जयश्री किस से गुजर रही है, वो नल्ला मेरा जमाई है न उसकी वजह से है ये सब

रुद्रप्रताप अब थोड़ा सहज हो गया. उसको लगा की बात अब सतीश पे आ गयी है और वो बच के निकल सकता है

रुद्रप्रताप- वही तोह मैंने भी सोचा...
बलदेव- पर साले मेरा क्या तुझे पता है तेरे ऑफिस के और जो लोग बहार सतीश का मजाक उत्तदाते है! तू नहीं समझा अब वो लोग मेरे पे भी हसेंगे. तूने मेरी भी इज्जत दांव पे लगा दी खुल्लमखुल्ला यह कर के
रुद्रप्रताप- नहीं बलदेव सुन मेरी बात मई बोहोत सेक्रेट रखना चाहता था यह बात पर पता नहीं कैसे ये बात बहार पता चली
रुद्रप्रताप- एक बात कहु, हमारे अफेयर के बारे में सतीश को पता था सिर्फ तो कही ये बात सतीश ने तोह दुसरो को नहीं बताई?
बलदेव- हं... हो सकता है हरामी कही का सतीश. पर तू साले जब जयश्री तेरे पास आनेलगी तोह तब क्यों नहीं बोलै तू मुझे, एक बार बता देता न
रुद्रप्रताप- और तू चुपचाप सुन लेता? देखा अभी तूने टेबल पे क्या रखा है... (रिवाल्वर को देखते हुए)

बलदेव अब चुप रहा. उसने वो रिवाल्वर ली और पीछे जीन्स के अटके कोने पर टांग दी. अब मोके पे चौका लगते हुई रुद्रप्रताप ने कुछ सोच लिया

रुद्रप्रताप- देख यार हम कब से जिगरी दोस्त है तुझे पता है न? में तुमको नुकसान करने का सोच भी नहीं सकता. हमें एक साथ कितने कांड किये... एक साथ ऐयाशी करते है और पता है तेरी बजह से ही में भी खुशमलंग हो गया. हमने आज चाक एक दूसरे को कुछ नहीं छुपाया पर इस बार मुझ से थोड़ी गलती हो गयी मुझे तुझे बताना चाहिए था...

बलदेव- सुन अब तुम्हारा ये सब जो चल रहा है वो सब भूल जा अब बस अब फाइनल बोल रहा हु
रुद्रप्रताप- बिलकुल मेरे दोस्त अब से में जयश्री को छुऊँगा भी नहीं, छुऊँगा क्या यार उसकी तरफ देखूंगा भी नहीं.. बस इस बार माफ़ कर दे यार मुझे...

म्याटर को सेटल होते देख रुद्रप्रताप खुश होते हुए अब बात करने लगा
रुद्रप्रताप- चल बोल, तेरे लिए क्या मंगाऊं? अपने दोस्त के लिए रम या वाइन या व्हिस्की या...
बलदेव- व्हिस्की (थोड़ा नाराज होते हुए)
रुद्रप्रताप- झे.. बात है.. अब हुआ न तू मेरा दोस्त...
रुद्रप्रताप- हेलो वेटर, एक पैग माल्ट व्हिस्की लाना
वेटर- सर, कौन सी ब्रांड पसंद करेंगे?
रुद्रप्रताप- Glenfiddich 12 Years ले आओ। और हाँ दो पेग
वेटर- सर, कितने ML का पैग चाहिए—30ml, 60ml या 90ml?
रुद्रप्रताप- 60ml बना दो
वेटर- सर, इसे कैसे लेना पसंद करेंगे—स्ट्रेट, ऑन द रॉक्स, या पानी या सोडा के साथ?
रुद्रप्रताप- ऑन द रॉक्स लाना, थोड़ा सोडा अलग से देना
वेटर- सर, कोई और चीज़ साथ में लेंगे—स्नैक्स या ड्राई फ्रूट्स?
ग्राहक- हाँ, साथ में कुछ पीनट्स और चिप्स भी ले आओ

बलदेव ने एक सिगरेट निकली और लाइटर धुंध रहा था इतने में रुद्रप्रताप ने तुरंत उसको लाइटर लिट् क्र को बलदेव की सिगरेट पे थामा

रुद्रप्रताप- वैसे एक बात बताऊँ तू बोहोत लकी है यार, जयश्री जैसी प्यारी, नटखट, चालाक और आज़ाद खयालो वाली बेटी मिली है.

अब दोनों साथ साथ ड्रिंक लेते हुई सुट्टा मरते हुए बातें करने लगे

रुद्रप्रताप- पता है उसने अकेले ने मेरे अमनपुर के मोंको क्लाइंट के टेंडर बना दिए थे. मुझे बस साइन करने का काम बाकि छोड़ा था बस... वो जब ऑफिस में होती है पुरे ऑफिस में ख़ुशी का माहौल होता है. सेक्रेटरी का ही नहीं बाकि भी सब काम करती है.

रुद्रप्रताप बोलते बोलते चौक गया... और बलदेव से कहने लगा की

रुद्रप्रताप- मेरा मतलब ऑफिस के भी काम.

रुद्रप्रताप जानबुज़कर उनके इंटिमेट मोमेंट्स के बारे में बात करना ताल रहा था क्यों की उसे लगा की बलदेव ऐसी बात सुन कर असहज हो जायेगा

बलदेव अब व्हिस्की और धुए का चस्का लगा लगा कर अपनी बेटी की तारीफ बाहरवालों से सुन रहा था. उसे अंदर से गर्व महसूस हो रहा था. पर बस खुद की बनमी के से परहेज रखना चाहता था.

बलदेव- यार मैंने कभी उसके बारे में ध्यान ही नहीं दिया, पता ही नहीं चला वो इतनी काबिल और निडर कैसे हो गयी

रुद्रप्रताप- हो भी क्यों न! आखिर बेटी किस की है, तुम से बड़ा यशस्वी और काबिल मैंने भी आज तक नहीं देखा और तेरे जैसी निडर भी है वो

बलदेव अब अपनी प्रशंसा सुन कर उसका रुद्रप्रताप के प्रति सहेज भाव फिर से वापिस आया

रुद्रप्रताप- अच्छा ये बता तुमको हमारे बारे में किस ने बताया
बलदेव- और कोण हो सकता है! वही नल्ला जमाई मेरा
रुद्रप्रताप- साला एक बात कहु तेरा जमाई दीखता सीधा है पर बड़ी टेढ़ी चीज़ है दोस्त, बच के रहना उस से
बलदेव- पता है वो उसने क्या कहा! बॉल रहा था मेरा डाइवोर्स करा दो या तुमको चुप करा दूँ या फिर फिर ...
रुद्रप्रताप- या... फिर क्या ...
बलदेव- बोल रहा था की चुप रहे के लिए उसे मेरी जायदाद चाहिए थोड़ी
रुद्रप्रताप- इ साला हरामी ... तुम उसके जहांसे में मत आना हं ... बोहोत नंबरी दीखता है साला .. पता है जयश्री भी तंग आ चुकी है उस से बोहोत. कहती है की नल्ले ने ५ मैंने से उसे कुछ भी नहीं किया
बलदेव- साला.. नल्ला (सिगरेट का धुवा छोड़ते हुए)
रुद्रप्रताप- तू क्या अब उसे अपनी जायदाद देगा ऐसे नल्ले को ? तू फ़िक्र मात क्र मई तेरे साथ हु.

बलदेव साइड से हस्ते हुए बोला
बलदेव- सुन खून पसीना लगा दिया है मैंने इस साम्राज्य में उसे उसे पिद्दी पे लगा ने के लिए नहीं किया

रुद्रप्रताप भी हसने लगा
रुद्रप्रताप- साल हम कमाते है ऐश करने के लिए जिंदगी का हर पल बेख़ौफ़ मज़े करने के लिए और अपना दबदबा बनाने के लिए उसको ऐसे च्यु_ पे लगाने के लिए नहीं

बलदेव- पर वो मेरा दामाद है यह हम नहीं भूल सकते, वो अभी भी जयश्री का पति है मई नहीं चाहता की उसकी वजह से मेरी लाड़ली को कुछ दिक्कत हो. वो डाइवोर्स के लिए भी फाइल कर सकता है अचानक से
रुद्रप्रताप- तू उनका डाइवोर्स करा देगा! तू ये क्या कर रहा है. तुझे पता है की तू उनका डाइवोर्स करा देगा तोह जयश्री कहा जाएगी? अगर वो तेरे पास रहती है तो भी कितने दिन और फिर तेरी इज्जत दांव पे लग जाएगी. साला सतीश ने तोह मामला पेचीदा कर दिया बे

बलदेव सोच में पड़ गया

बलदेव- सुन, मैंने कुछ सोचा है, मै उसको कह दूंगा की मै उसकी शर्त मान गया हूँ और कह दूंगा की तू भी उसे आगे से नहीं सताएगा
रुद्रप्रताप- मेरे लिए तोह ये मामूली बात है, ऐसे भी किनता कमाता है वो सतीश मेरे से, कुछ चंद हज़ार पगार साला उसके ५० गुना तो तू मुझे कमा के देता है, (हसने लगा) पर यर तू उसको डाइवोर्स भी नहीं देगा, जयश्री का क्या सोचा है फिर और अब मै भी बाजु हैट गया हूँ जयश्री से तोह जयश्री तोह अकेली पड़ गयी बेचारी

बलदेव सोच रहा था और होंठो पे साइड से स्माइल करने लगा. रुद्रप्रताप पहेली बार बलदेव को ऐसे हस्ते देखा था. कुछ साजिश जैसा...

रुद्रप्रताप- बोल यार क्या बात है? क्या सोचा है तूने जयश्री के बारे में
बलदेव- यार ...
रुद्रप्रताप- बोल यार क्या बात है क्या सोच रहा है तू

बलदेव- एक एक घूंट पेग चढ़ाते हुई सत्ता ऊपर धुए में उछलता है

बलदेव- बोहोत जी लिया यार अकेली जिंदगी अब मुझे भी तेरे जैसा स्वाग चाहिए, मौज मस्ती और ेश करनी है साल जब से जयश्री की माँ गयी है जिंदगी खली है

रुद्रप्रताप- तोह .. कहना क्या चाहता है

बलदेव- मै जयश्री को मेरी पर्सनल सेक्रेटरी बनाना चाहता हूँ... मुझे लगता है की तू लकी है .. जैसे उसने तेरा बिज़नेस संभाला वैसे वो सब मेरा बुसिनेस भी संभाले और वैसे भी यार मेरे बाद तोह सब उसी का है.. अभी से सब सिंख लेगी तोह आगे जेक तरबेज बनेगी

रुद्रप्रताप- तू कहना क्या च रहा है बलदेव .... मतलब ..के तू ...

बलदेव उसकी तरफ देख के कुन्निंग स्माइल देने लगता है

रुद्रपताप अब उसकी पूरी बात समझ चूका था ... अब उसके पैरो के निचे से जमीं खिस्साक गयी और वो मुँह फाडे बलदेव को देख रहा था... बलदेव भी उसको देख के मानो साब क्लियर किया..
रुद्रप्रताप लघभग खाट से उठ ही गया था ... उसे विशेस नहीं हो रहा था पर वो जनता था की बलदेव एक ठरकी रंगीन ऐयाश किस्म का है पर कभी उसने सपने में भी नहीं सोचा था की वो जयश्री पे ....

उसने सोचते सोचते जो भरा हुआ पेग था वो बॉटम-टॉप एक झटके में अंदर कर लिया और ज़ोर से गिलास टेबल पर पटकते हुए..

रुद्रप्रताप- मतलब .. भेंच.. ओह सॉरी.. मतलब के तू ...

५ मिनट के ख़ामोशी के बाद

रुद्रप्रताप- तूने उसके बारे में कब सोचा
बलदेव- यार जब मै तुम लोगो के फोटो देख रहा था और अभी जब तुम्हारे मुँह से उसकी तारीफे सुन रहा था तब पता नहीं क्या मुझे जिंदगी में वो महसूस हुआ जो आज तक कभी नहीं हुआ
रुद्रप्रताप- पर तू .. तुझे पता है न तू क्या कर रहा है
बलदेव- अब मुझे कोई नहीं रोक सकता रूद्र, न ही तू और न ही वो छिलका सतीश , मै बोहोत स्पष्ट हु मौज़े लगता है अब अहलात ये है की अब मुझे जयश्री की और जयश्री की मुझे जरुरत है
रुद्रप्रताप- ओह वाव यार तुम दोनों बाप बेटी कमाल हो बाबा ... मेरी तोह सब उतर गयी बे... (हस्ते हुए) वैसे सही भी है तुम दोनों पे कोई शक भी नहीं करेगा. सल्ला मै उसे होटल ले जाता था तोह सब लोग शक करते थे अफेयर का
बलदेव- वही तोह खासियत है रिश्ते की... साल कोई मुँह फाड़ फाड् क्र भी चिल्लाये की कुछ है तो भी समाज उस पर भरोसा नहीं करता

रुद्रप्रताप फिर गंभीर होते हुए

रुद्रप्रताप- तुझे लगता है जयश्री मानेगी

बलदेव- मुझे तेरी हेल्प चाहिए इस में और शायद मुझे सतीश की भी हेल्प लेनी पड़े

रुद्रप्रताप- पर सुन उस नल्ले सतीश को कुछ मत देना जायदाद का नहीं तोह पछतायेगा

बलदेव- दूंगा, पर उसे नहीं. (हस्ते हुए) तुझे, आज से तेरे हर गाड़ी के मेंटेनन्स का ३०% डिस्काउंट. जा ऐश कर

रुद्रप्रताप इतना खुश हुआ की उसे लगा लाटरी लग गयी. वो सोचने लगा की ये सब जसिहरी की वजह से ही हुआ है

रुद्रप्रताप- वह मेरे दोस्त जिओ, अब आएगा मज़ा यार . वह क्या बात है तेरी , मै तेरी हर मदत करूँगा बोल क्या करना है , चल एक काम करते है इस ख़ुशी के मोके पे आज उस रेडबेड होटल जायेंगे सुना है इस हफ्ते कुछ नयी औरते आयी है

पर अब बलदेव का मूड कही लगनेवाला नहीं था
बलदेव- नहीं यार तू जा अब मै नहीं आऊंगा वह
रुद्रप्रताप- हाँ हाँ अब तू क्यों मेरे साथ आएगा बाज़ारू औरतों के पास अब जो तुझे ...(हंस रहा था)
बलदेव भी स्माइल करेने लगा

बलदेव- चल में निकलता हूँ

कहकर बलदेव जाने लगा वो थोड़ा लड़खड़ाने लगा तो रुद्रप्रताप ने कहा

रुद्रप्रताप- रुक मै छोड़ दूँ क्या तुझे
बलदेव - साले तू भी तोह लड़खड़ा रहा है, तू छोड़ मै देख लूंगा कुछ
रुद्रप्रताप- सुन मेरे दोस्त , सुन ऐसा मत कर रुक मै कुछ करता हूँ इंतजाम

रुद्रप्रताप ने उसके उस ढाबे के पहचान वाले एक कप्तान गोलू को खुद बलदेव की गाड़ी चला कर उसे घर छोड़ आने को बोला. वो आदमी मान गया

बलदेव- क्या यार इसकी क्या ज़रूरत !
रुद्रप्रताप- मेरे दोस्त तू आराम से जा चिंता मत कर ये चोर देगा अपना गोलू है यह

रुद्रप्रताप ने गोलू को ५०० रूपया हाथ में थमा दिया. गोलू खुश हो कर उसको छोड़ने को राज़ी हो गया
जातेजाते रुद्रप्रताप ने फिर से एक बार बलदेव को वापिस बुलाया और उसको गले लगाया अब दोनों को थोड़ी चढ़ी हुई थी. उसको गले लगते लगते बोल गया

रुद्रप्रताप- सुन दोस्त, मै तुझे के टिप देता हु. अगर जयश्री को अपनी तरफ आकर्षित करना है तोह उसे दो ही चीज़ खुश कर सकती है, पहली वाली मै बताता हु अब दूसरीवाली तू समझ ले. पहली बात तो यह है के उसको गहने बोहोत पसंत है. साला वो सतीश तोह कुछ आज तक उसे एक फूटी कोड़ी भी नहीं दिया बेचारी को . उसे महंगे अलग अलग डिज़ाइन के गहनों का बोहोत आकर्षण है. जा मेरे दोस्त आल थे बेस्ट

बलदेव यह सुन कर खुश होता है

बलदेव- और हं सॉरी मेरे दोस्त मै वो रिवाल्वर लेके नहीं आना चाहिए था
रुद्रप्रताप- तू मेरा दोस्त है यार, कसी बात करता है तेरे लिए तोह जान भी हाज़िर है
बलदेव- बस बस इतना ड्रामा मात कर और हाँ सुन इस बारे में किसी से नहीं कहना बिलकुल भी

रुद्रप्रताप: (ड्रामा करते हुए) शु... कौनसी बात मै तोह भूल गया (आंख मारते हुए )
दोनों एक दूसरे को गुड बाई बोल कर चल देते है.
Behtreen update bhai
 

Motaland2468

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(उसी रात बलदेव के घर)
बलदेव नशे में घर आ गया और कामववाली बाई ने जो खाना बनाया था वो खा कर चाट के ज़हले पे मस्त हवा में लुंगी और बनियान पहन कर बैठ गया. अब वो रुद्रप्रताप ने जो बाटे बताई वो सोच ही रहा था. उसे अपना मोबाइल लिया और सतीश को कॉल किया, सतीश ने कॉल उठके सीधा बोल दिया

सतीश: हं ससुर जी बोलिये .. अरे वाह ससुर जी आप तोह सच में कमाल हो अभी अभी रुद्रप्रताप जी का फ़ोन आया था उन्होंने मुझे कल छुट्टी दी है मज़े करने को. कल में दिन भर ऐश करूँगा ससुर जी. और पता है उन्होंने जयश्री को भी १ महीने की छुट्टी दी है. अब जयश्री घर पर है और मुझे पूछ रही थी की कल से ऑफिस नहीं जाना है. क्या यह सच है? पर आपने उनसे क्या बोला उनमें इतना बदलाव कैसे हुआ

बलदेव को यह पता ही नहीं था की रुद्रप्रताप ताबड़तोड़ एक्शन मोड में आया है. यह सुनकर रुद्रप्रताप खुश हुआ.

बलदेव- अरे दामाद जी ... हम हम है समझे बाकि सब पानी कम है... अच्छा सुनो एक काम कर सकते हो काल मुझ से मिल सकते हो? ऐसे भी कल छुट्टी है न तुम्हे!
सतीश- हं हं ससुर जी कैसी बात कर रहे हो आप हुक्म करो में हाज़िर हो जाऊंगा हं पर ज्यादा देर नहीं कृपया कर के...
बलदेव- तोह ठीक है कल मुझे अपने जंगलवाले रोड के खेत में मिलना, मुझे बोहोत काम है कल वह. वही मिलते है हम, ठीक?
सतीश- हं हं जी बिलकुल, में आ जाऊँगा कल दोपहर को (फ़ोन रख दिया)

बलदेव के दिमाग में अब १०० घोड़े दौड़ रहे थे. व्हिस्की की सुरसूरी अभी भी थी. उसने सिगरेट जलाई और मोबाइल हाथ में लेकर फिर से फोटो एल्बम खोल लिया और अपने आप उसकी नज़र जयश्री के फोटोज पर जाने लगी. अब वो जयश्री के फोटोज गौर से देखने लगा तभी... उसका फ़ोन बजता है
और सामने स्क्रीन पे देखा .. वो पहलेबार तोह फ़ोन नहीं आया था उस व्यक्ति का इस से पहले भी उसने फ़ोन किया था पर आज अजिन सी सुरसुरी थी सोच में.
वो फ़ोन किसी और का नहीं बल्कि उसकी राजकुमारी लाड़ली बेटी जयश्री का था. वो भूल गया था की कल ही उसने जयश्री को कॉल लगाई थी तोह जयश्री ने उसी के लिए कॉल किया होगा उसे ऐसा लगा...
उसने फ़ोन उठाया.. जैसे ही फ़ोन उठाया जयश्री की आवाज ने उसके दिलो दिमाग में घर कर लिया. जयश्री भले ही काफी जवान लगती होगी पर उसकी वौइस् में काफी हस्क था ऐसा लगता था की कोई नशेडी की आवाज जैसी थी जो किसी भी आदमी की ठरक जगा सके...

जयश्री- पापा... कैसे है आप.. आपन ने कल कॉल किया था .. वो चोरो आप कैसे हो... अब कहाँ हो ... और अपने खाना खाया के नहीं ...
बलदेव- जयश्री बेटी वो कल ऐसे ही याद आयी तुम्हारी एक हफ्ते से बात नहीं हुई न हमारी ! सॉरी बेटी इस हफ्ते कुछ ज्यादा बिजी था ... और हाँ तुम इतने सवाल क्यों पूछ रही हो ! तेरी माँ गयी तोह अब तूने मेरी खबर रखनी चालू की (मजाक में)
जयश्री- क्या पापा... आप मुझे प्यार नहीं करते! आप ने मुझे याद तक नहीं किया कुछ दिनों में
बलदेव- बेटी तुमने भी तोह कहा अपने पापा को याद किया! सुना है ऑफिस के काम में बोहोत मशगूल हो?
जयश्री- (अपनी जीभ चभाते हुए) जी नहीं पापा बस वो काम बढ़ गया था न. इसलिए आपको कॉल नहीं कर पायी . सॉरी पापा .. माफ़ कर दो.. प्लीज...
बलदेव- अरे बेटी तू सॉरी मत बोल तू तोह मेरी रानी बिटिया है, फ़िक्र मत कर में सब देख लूंगा अब
जयश्री- पापा आपने कल कॉल किया था कुछ काम था क्या?
बलदेव- है काम तो था पर सुनो अब नहीं बताऊंगा वो अब तुमको सतीश समझायेगा कल श्याम को, ठीक है तुम वो करो जो वो बोलता है , इसी में सब की भलाई है बेटी, ठीक है और तुम सोई नहीं अब तक?
जयश्री- नहीं पापा नींद नहीं आ रही. पता नहीं अचानक से बॉस अंकल को क्या हुआ! अचानक से मुझे कहा की मुझे १ महीने की छुट्टी दी है और वो खुद कही जाने वाले है पता नहीं क्या हुआ है उनको. इस बार मुझे नहीं ले जा रहे है बिज़नेस ट्रिप पे..

बलदेव अंदर ही अंदर खुश हो रहा था. उसके सब तीर निशाने पे लग रहे थे.

जयश्री- पापा.. एक बात कहूं.. प्लीज
बलदेव- बोलो बेटी
जयश्री- आप बॉस अंकल को समझाओ न की मुझे ऑफिस आने दे मौज़े घर बैठने में मज़ा नहीं आता
बलदेव- जयश्री बेटी सुन जिंदगी में हर वक़्त काम ही काम नहीं होते. अपनी जिंदगी तोह जी ले . सतीश के साथ घूमने जाया कर. लगे तोह मई करा दूँ टिकट कही की.. देख मई रूद्र को बोल दूंगा पर फ़िलहाल तू दो-तीन दिन आराम कर कही घूम के आजा और सतीश को भी घुमा ले आलसी खरगोश को..

जयश्री सुन रही थी पर थोड़ी उदास थी
बलदेव- क्या हुआ बेटी, बोलती क्यों नहीं ! कुछ तो बोलो बेटी
जयश्री- पापा अब मई कैसे बताऊँ आपको! यहाँ मज़ा नहीं अत जीने में कुछ ... में आपको बता के आपको तकलीफ नहीं देना चाहती ... में हैंडल कर लुंगी पापा .. आप टेंशन ना लो

बलदेव को पता था की जयश्री क्यों रुद्रप्रताप के साथ जाना चाहती है. यही जयश्री की मजबूरी वो हटाना चाहता था.

बलदेव- बेटी सुनो जब तक में हूँ तुम फ़िक्र मत करो में अब संभाल लूंगा ठीक है. अब सौजा
जयश्री- ठीक है पापा ... गुड़ नाईट अपन ख्याल रखना

फ़ोन काटते काटते बलदेव का मन हुआ की फ़ोन पर उसकी एक किस मांग ले पर नहीं बोल पाया आज वो खुद अपनी बेटी को फ़ोन पर किस मांगने की सोच रहा था.

अब बलदेव अंदर गया और उसने एक छोटा पेग बनाया और पि के फिर सो गया.
Story mast chal rahi hai.bas jaldbaazi main mat likhna
 
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(उसी रात बलदेव के घर)
बलदेव नशे में घर आ गया और कामववाली बाई ने जो खाना बनाया था वो खा कर चाट के ज़हले पे मस्त हवा में लुंगी और बनियान पहन कर बैठ गया. अब वो रुद्रप्रताप ने जो बाटे बताई वो सोच ही रहा था. उसे अपना मोबाइल लिया और सतीश को कॉल किया, सतीश ने कॉल उठके सीधा बोल दिया

सतीश: हं ससुर जी बोलिये .. अरे वाह ससुर जी आप तोह सच में कमाल हो अभी अभी रुद्रप्रताप जी का फ़ोन आया था उन्होंने मुझे कल छुट्टी दी है मज़े करने को. कल में दिन भर ऐश करूँगा ससुर जी. और पता है उन्होंने जयश्री को भी १ महीने की छुट्टी दी है. अब जयश्री घर पर है और मुझे पूछ रही थी की कल से ऑफिस नहीं जाना है. क्या यह सच है? पर आपने उनसे क्या बोला उनमें इतना बदलाव कैसे हुआ

बलदेव को यह पता ही नहीं था की रुद्रप्रताप ताबड़तोड़ एक्शन मोड में आया है. यह सुनकर रुद्रप्रताप खुश हुआ.

बलदेव- अरे दामाद जी ... हम हम है समझे बाकि सब पानी कम है... अच्छा सुनो एक काम कर सकते हो काल मुझ से मिल सकते हो? ऐसे भी कल छुट्टी है न तुम्हे!
सतीश- हं हं ससुर जी कैसी बात कर रहे हो आप हुक्म करो में हाज़िर हो जाऊंगा हं पर ज्यादा देर नहीं कृपया कर के...
बलदेव- तोह ठीक है कल मुझे अपने जंगलवाले रोड के खेत में मिलना, मुझे बोहोत काम है कल वह. वही मिलते है हम, ठीक?
सतीश- हं हं जी बिलकुल, में आ जाऊँगा कल दोपहर को (फ़ोन रख दिया)

बलदेव के दिमाग में अब १०० घोड़े दौड़ रहे थे. व्हिस्की की सुरसूरी अभी भी थी. उसने सिगरेट जलाई और मोबाइल हाथ में लेकर फिर से फोटो एल्बम खोल लिया और अपने आप उसकी नज़र जयश्री के फोटोज पर जाने लगी. अब वो जयश्री के फोटोज गौर से देखने लगा तभी... उसका फ़ोन बजता है
और सामने स्क्रीन पे देखा .. वो पहलेबार तोह फ़ोन नहीं आया था उस व्यक्ति का इस से पहले भी उसने फ़ोन किया था पर आज अजिन सी सुरसुरी थी सोच में.
वो फ़ोन किसी और का नहीं बल्कि उसकी राजकुमारी लाड़ली बेटी जयश्री का था. वो भूल गया था की कल ही उसने जयश्री को कॉल लगाई थी तोह जयश्री ने उसी के लिए कॉल किया होगा उसे ऐसा लगा...
उसने फ़ोन उठाया.. जैसे ही फ़ोन उठाया जयश्री की आवाज ने उसके दिलो दिमाग में घर कर लिया. जयश्री भले ही काफी जवान लगती होगी पर उसकी वौइस् में काफी हस्क था ऐसा लगता था की कोई नशेडी की आवाज जैसी थी जो किसी भी आदमी की ठरक जगा सके...

जयश्री- पापा... कैसे है आप.. आपन ने कल कॉल किया था .. वो चोरो आप कैसे हो... अब कहाँ हो ... और अपने खाना खाया के नहीं ...
बलदेव- जयश्री बेटी वो कल ऐसे ही याद आयी तुम्हारी एक हफ्ते से बात नहीं हुई न हमारी ! सॉरी बेटी इस हफ्ते कुछ ज्यादा बिजी था ... और हाँ तुम इतने सवाल क्यों पूछ रही हो ! तेरी माँ गयी तोह अब तूने मेरी खबर रखनी चालू की (मजाक में)
जयश्री- क्या पापा... आप मुझे प्यार नहीं करते! आप ने मुझे याद तक नहीं किया कुछ दिनों में
बलदेव- बेटी तुमने भी तोह कहा अपने पापा को याद किया! सुना है ऑफिस के काम में बोहोत मशगूल हो?
जयश्री- (अपनी जीभ चभाते हुए) जी नहीं पापा बस वो काम बढ़ गया था न. इसलिए आपको कॉल नहीं कर पायी . सॉरी पापा .. माफ़ कर दो.. प्लीज...
बलदेव- अरे बेटी तू सॉरी मत बोल तू तोह मेरी रानी बिटिया है, फ़िक्र मत कर में सब देख लूंगा अब
जयश्री- पापा आपने कल कॉल किया था कुछ काम था क्या?
बलदेव- है काम तो था पर सुनो अब नहीं बताऊंगा वो अब तुमको सतीश समझायेगा कल श्याम को, ठीक है तुम वो करो जो वो बोलता है , इसी में सब की भलाई है बेटी, ठीक है और तुम सोई नहीं अब तक?
जयश्री- नहीं पापा नींद नहीं आ रही. पता नहीं अचानक से बॉस अंकल को क्या हुआ! अचानक से मुझे कहा की मुझे १ महीने की छुट्टी दी है और वो खुद कही जाने वाले है पता नहीं क्या हुआ है उनको. इस बार मुझे नहीं ले जा रहे है बिज़नेस ट्रिप पे..

बलदेव अंदर ही अंदर खुश हो रहा था. उसके सब तीर निशाने पे लग रहे थे.

जयश्री- पापा.. एक बात कहूं.. प्लीज
बलदेव- बोलो बेटी
जयश्री- आप बॉस अंकल को समझाओ न की मुझे ऑफिस आने दे मौज़े घर बैठने में मज़ा नहीं आता
बलदेव- जयश्री बेटी सुन जिंदगी में हर वक़्त काम ही काम नहीं होते. अपनी जिंदगी तोह जी ले . सतीश के साथ घूमने जाया कर. लगे तोह मई करा दूँ टिकट कही की.. देख मई रूद्र को बोल दूंगा पर फ़िलहाल तू दो-तीन दिन आराम कर कही घूम के आजा और सतीश को भी घुमा ले आलसी खरगोश को..

जयश्री सुन रही थी पर थोड़ी उदास थी
बलदेव- क्या हुआ बेटी, बोलती क्यों नहीं ! कुछ तो बोलो बेटी
जयश्री- पापा अब मई कैसे बताऊँ आपको! यहाँ मज़ा नहीं अत जीने में कुछ ... में आपको बता के आपको तकलीफ नहीं देना चाहती ... में हैंडल कर लुंगी पापा .. आप टेंशन ना लो

बलदेव को पता था की जयश्री क्यों रुद्रप्रताप के साथ जाना चाहती है. यही जयश्री की मजबूरी वो हटाना चाहता था.

बलदेव- बेटी सुनो जब तक में हूँ तुम फ़िक्र मत करो में अब संभाल लूंगा ठीक है. अब सौजा
जयश्री- ठीक है पापा ... गुड़ नाईट अपन ख्याल रखना

फ़ोन काटते काटते बलदेव का मन हुआ की फ़ोन पर उसकी एक किस मांग ले पर नहीं बोल पाया आज वो खुद अपनी बेटी को फ़ोन पर किस मांगने की सोच रहा था.

अब बलदेव अंदर गया और उसने एक छोटा पेग बनाया और पि के फिर सो गया.
Kya baat hai poori field jamai ja rahi hai beti chodne k liye..... Waiting for next update
 

DeewanaHuaPagal

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(सतीश के घर)
सतीश सुभे आराम से उठा ऐसा उसने सर रविवार को ही फील किया था. आज न ही कोई फ़ोन न ही कोई काम क्यों की रुद्रप्रताप ने उसका काम किसी और को सौंप दिया था. आज उसने प्लान बनाया था की रात में खूब मज़े करेगा, मूवी देखने जायेगा और हो सके तोह कोई लड़की बाजार में मिली तोह उस के एकाद घंटा गुजरे गा. उसको ससुराल भी जाना था. उसका ससुराल सतीश के घर से २० किमी दूर था और वह से जंगल के तरफ के खेतवाला फार्महाउस १० किमी पे था. तोह वो तैयार होने लगा. उसने अपनी खटारा कार निकाली और चल पड़ा. वो खुश था की आज उसके ससुर कुछ बहुत जरुरी बात बतानेवाले होंगे जो उसके फायदे की हो. जाते जाते बिच में दो-तीन अच्छे ढाबे थे वही उसने खाना खा लिया और जंगलेवाले खेत पे पोहोंच गया.

(बलदेव के जंगलवाले खेत के फार्महाउस पे)
बलदेव तब फसल कटाई के काम का खुद सबको समझा के कर करवा ले रहा था. उसे आज तक कोई मैनेजर या उसके लिए उसके छोटे काम देखनेवाले की जरुरत ही नहीं पड़ीं.
बलदेव- अरे दामाद जी आओ.. में आता हूँ तब तक तुम ऊपर फार्महाउस के छत वाले गार्डन पे रुको..
सतीश- जी ससुर जी
सतीश को सासुर जी के ठाँठ बांठ तोह पता थे इसलिए तोह उसने जायदाद की डिमांड की थी. वो चला गया. नौकर ने उसको चाय लाके दी तोह उसने मन कर दिया क्यों की वो अभी खाना खाके आया था. फार्महाउस वाले चाट पर भी बलदेव ने वैसा ही गार्डन बना दिया था जैसा गाओं के खेत वाले फार्महाउस पे था. छतपर बोहोत बड़ी छांव थी इमली के पेड़ की जो बोहोत बड़ा था. चारो तरफ घनी झाडी थी. बलदेव भी अब ऊपर फार्महाउस बंगलो पे आया था.

बलदेव- अरे दामाद जी चाय वे कुछ लिए नहीं तुम... अरे सुभाष (नौकर) दामाद जी को चायवाय पूछे के नहीं!
सतीश- जी नहीं में ठीक हूँ

बलदेव अपना पसीने से भीगा हुआ शर्ट और बनियान निकलते हुए बात करने लगा. निचे सिर्फ पजामा पहना था. सतीश भी देख रह था. बलदेव उसकी पूछताछ करते करते वही छत के किनारे अपने कपडे सूखने को रख रहा था. ऊपर से वो खुला था. उसका कसरती और बलदण्ड शरीर देख कर तोह सतीश सकपका गया. बलदेव का शरीर सतीश से ३ गुना बड़ा होगा. उसके सामने सतीश खुद को किसी लुक्खे खम्बे जैसा लग रहा था. बलदेव की चौड़ा सीना देखा उसने. और उसके सीना बालो से भरा हुआ था. सीने पे आधे बाल सफ़ेद ही थे. उसके पेट पे हलकी सी चर्बी थी पर काफी फिट था. उसका मरदाना मिजाज देख कर सतीश को खुद की शर्म आने लगी. और ऐसा नहीं के बलदेव सिर्फ शरीर से ऐसा था उसका दिमाग भी बोहोत फ़ास्ट था. वो एक साथ १० दिमाग दौड़ा सकता था ये उसकी काबिलियत थी.

बलदेव- आज का क्या प्लान है? सुना है आज तुम्हारी छुट्टी है.
सतीश- जी
बलदेव- चलो बढ़िया है, हमारी बिटिया को भी ले आता यहाँ
सतीश- नहीं वो सुभे ही चली गयी थी बाजार में कुछ लेने के लिए.

बलदेव अब गंभीर होते हुए बैठते हुए बोन लगा.

बलदेव- देखो सतीश मैंने तुम्हरे ऑफर के बारे में कुछ सोचा है पर उसके लिए तुमको मेरा काम करना पड़ेगा
बलदेव- वैसे तुमको कितनी जायदाद चाहिए?
सतीश- जी ऐसा कुछ सोचा नहीं बस आपकी बेटी को संभालना मुश्किल है ससुर जी और मुझे भी तोह मेरी खुद की जिंदगी बनानी है

नौकर बलदेव से- मालिक, आपके लिए क्या बनाऊ खाने में
बलदेव- अ , एक सुखवाला मटन तंदूरी और हाँ बाजरा के रोटी के साथ मटन का पतला वाला सब्जी बस
बलदेव- तुम क्या लोगे दामाद जी , तुम्हारे लिए क्या बनवाना है?
सतीश- जी नहीं ससुर जी, में खाना खाके आया हु
बलदेव मिश्किल हँसते हुए- क्या तुम लोग भी घांस फुस कहते हो दामाद जी इसीलिए तुम ऐसे हो लुक्खे
बलदेव- इसीलिए भी तुम दोनों की जमती नहीं होगी जयश्री को चिकन बोहोत पसंद है और तुमको दही चावल, किसी शेरनी की तरह चिकेन खाती है जयश्री मेरी तुम बकरी की तरह घांसफूस
बलदेव- चलो छोरो मै ये बता रहा था की तुमको जायदाद देने के बारे में सोचा पर उसके लिए तुमको मेरे कुछ काम करने होंगे तभी यह संभव है
सतीश- हं जी बोलिये न
बलदेव- देखो में जयश्री का डाइवोर्स तोह तुमसे नहीं करवा रहा किसी भी हालत में तुमको जो करना है कर लो

बलदेव काफी गंभीर होते हुए और कठोर भाषा में बात करने लगा उसने सिगरेट जलाई.

बलदेव- क्यों की बात अब मेरी इज्जत पे आयी है और मई इसका किसी को फायदा उठाने नहीं दूंगा, जयश्री की वजह से जितनी भी तुमको और मुझे बदनामी सहने पड़ी होगी उसका हिसाब मै खुद जयश्री से लूंगा तुम उसको कुछ भी बोलोगे नहीं और न ही अब से तुम उसे हाथ भी लगाओगे. अब वो जो भी करेगी तुम उसको इग्नोर करोगे और बस मुझे बताते रहोगे जिंदगीभर , बात समझ आयी

सतीश- पर आप भूल गए है की मेरी बीवी भी तुम्हारे जैसी आझाद खयालो वाली है उसके बारे में कुछ सोचा है. वो पक्का यहाँ नहीं तोह वह मुँह मारेगी और फिर बात और बिगड़ जाएगी आपको पता है वो बोहोत उसकी आदत

बलदेव- नहीं मारेगी मुँह ये मेरी गारंटी है. तुम बस अपना काम से काम रखो. बताओ कितनी जायदाद चाहिए तुम्हे इसके बदले?
सतीश- में बस में चाहता हूँ की मेरा एक बंगलो हो और थोड़ी खेती हो बस एक अच्छी गाडी हो

बलदेव सोच विचार कर के

बलदेव- चलो एक काम करते है, बंगलो तो तुम्हारे पास है भले वो छोटा है पर है तोह सही, चलो यहाँ के खेत का एक चक्कर लगा लो और इस खेत से २ बीघा जमींन तुम्हरे नाम कर दूंगा
सतीश- और गाडी
बलदेव- मेरी बात पूरी होने दो सतीश (थोड़ा ग़ुस्से में बोल दिया)

सतीश दब गया. बलदेव ने नौकर को बुलाया

बलदेव नौकर से - अरे सुनो मेरा मोबाइल ले आओ वह टेबल पे रखा होगा

नौकर ले आया ...

बलदेव- बद्री से नंबर मिलाके के मुझे दो

बलदेव- हाँ बद्री कैसे हो दोस्त, अरे सुनो एक काम था, वो मेरी जो नयी वाली एसयूवी है न हौराती कंपनी की उसका ओनरशिप ट्रांसफर करना है

सतीश यह बात सुनते ही पेट में लड्डू फूटने लगे, मनो वो सातवे आसमान पर खुश था

बद्री- जी बलदेव जी कर दूंगा किसके नाम पे करानी है
बलदेव- अरे वो दामाद जी को नयी गाड़ी लेनी थी तोह मैंने कहा क्या करूँगा इतने गाड़ियों का तोह सोचा की दामाद जी को दे दूँ
बद्री- वह बलदेव जी आपके दामाद ने तोह सही किस्मत पायी है १८ लाख की कार हाथोहाथ मिल गयी है बताओ
बलदेव- अरे फिर है किसका दामाद
बद्री- झे बात तोह सही है जी... जी आप फ़िक्र न करो में कर दूंगा काम. मै उसको फ़ोन कर के कागज़ात मंगवा लूंगा

बलदेव फ़ोन रखते हुए स्माइल करने लगा

बलदेव- जाओ दामाद जी अब खुश! अपने कागज़ाद देदो

सतीश- ससुर जी आपका जवाब नहीं .. . आज से आप ही मेरे मालिक है ससुर जी वाह क्या बात है आपकी.. मुझे वो गाडी बोहोत पसंद है आपकी

बलदेव- अरे तुम फ़िक्र मत करो बस मेरी बात मानो जिंदगी भर ऐश करोगे
सतीश- अब तोह में आपका एक अल्फ़ाज़ भी जमीं पर गिरने नहीं दूंगा ससुर जी

बलदेव सोच के हंसने लगा और सोच रहा था कितना बड़ा च्यु_ है मेरा दामाद अभी जायदाद मिली भी नहीं तोह इतना खुश है.

सतीश- पर ससुर जी आप बोल रहे थे मुझे आपका कुछ काम करना होगा! क्या है वो काम

बलदेव- तोह गौर से सुनो, में एक बार ही बोलता हूँ. आज से तुम जयश्री को कभी नहीं डाटोगे. आज से उसे घूमने ले जाओगे जब वो चाहे जहा चाहे. अगर वो तुमको डाटे भी तोह तुम उसको उल्टा जवाब नहीं दोगे. आज से तुम उसको सब कपडा लत्ता लेकर दोगे जाओ वो चाहती है. सबसे जरुरी बात अब आगे से तुमको उसके लिए कभी गहने नहीं खरीदो गे. जो भी गहने है वो में खुद उसे दूंगा. मेरे दिए हुए गहने वो तुम से लेगी. और है गहने देते वक़्त तुम उसे बताओगे की वो गहने उसके पापा याने बलदेव जी ने दिए है. आज से में उसके लिए में जो भी करूँगा तुम उस में मेरा साथ दोगे. अगर उसको में कुछ दूंगा तोह हो सकता है की वो सीधा सीधा न ले क्यों की वो मेरा ख्याल रखती है और मुझे परेशानी में नहीं देख सकती तोह में उसे जो भी दूंगा तुम उसको देते जाना पर उसका क्रेडिट मुझे देना खुद नहीं लेना है. आज से तुम्हरे खाने पिने की जिम्मेदारी मेरी. तुम को जो चाहे वो मांग लेना. में जब कहु तुम उसे यहाँ ले आओगे उसके मायके में अपने गाओ के घर या यहाँ पे. में जितने दिन यहाँ पे उसे रखूँगा तो तुम उसका इंकार नहीं करोगे. जब तक जयश्री यहाँ रहना चाहे तब तक वो अपने मायके रहेगी. तुम्हारे लिए वहा तब तक कामवाली का इंतजाम में करूँगा. अब में उसे अपनी पर्सनल सेक्रेटरी बनाने जा रहा हूँ ताकि वो बोर न हो और मेरे धंदे में भी वो हाथ बटा सके. क्यों की कल को जाके ये सब उसका होनेवाला है तोह में चाहता हूँ की अब वो यहाँ के पुरे बिज़नेस और खेत को संभाले. में या जयश्री और रुद्रपताप तीनो में से कोई भी तुम्हे फ़ोन करे तुमको तुरंत फ़ोन उठाना है. एक भी मिस कॉल हुआ तोह अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए. और हं सबसे जरुरी बात आज से जब भी तुम जयश्री के साथ रहोगे तुम को उसके सामने बस मेरी ही तारीफ करनी होगी. तुम बाकि कुछ बकवास नहीं करोगे. अगर तुम यहाँ हमारे साथ कुछ दिन के लिए रहते हो तोह में तुमको दामाद के तौर पर नहीं रखूँगा. दरसल तुम एक स्टैण्डर्ड नौकर बन कर रहोगे. हाला की नोकरो में तुम्हारा रुतबा अलग होगा पर अगर यहाँ रहना है तोह नौकर बन कर ही रहना होगा. रही तुम्हारे रात के ऐयाशी की बात तोह में रूद्रप्रताप से बोल कर तुम्हरे लिए किसी होटल्स में औरतो का इंतजाम करता रहूँगा. बात पूरी दिमाग में डाल लो एक ही बार.

अब सतीश के पसीने छूटने लगे. वो बलदेव को मुँह फाड़ के देख और सुन रहा था. सतीश आश्चर्य से पूछता है. पर वो न भी नहीं बोल सकता क्यों की उसको पता है की उसे जायदाद मिलने के चांस बोहोत है. तोह अभी वो ये सब नकार कर जिंदगीभर के लिए नल्ला रह जायेगा.

सतीश- जी ससुर जी समझ गया पर आप और जयश्री ... मेरा मतलब जयश्री यहाँ रहेगी ... मतलब आप बताएँगे की आप क्या चाहते हो एक्साक्ट्ली

बलदेव ने आजुबाजु देखते हुए जाँच लिया की नौकर आस पास तोह नहीं है!

बलदेव स्माइल देते हुए- कैसे बददिमाग हो! सुनो में चाहता हूँ की अब तुम जयश्री को भूल जाओ.
अब जयश्री मेरी होगी. सिर्फ मेरी.

सतीश के पैरो टेल जमीं खिसक गयी. वो इतना भी नादाँ नहीं था की बलदेव जो बोल रहा है वो न समझे.

सतीश- माफ़ करिये ससुर जी बस एक बार बता दीजिये आप क्या कहना चाहते है

बलदेव- तुम मुझे अब पूरी तरह से जयश्री लौटाओगे. मैंने बेटी कन्यादान में दी थी अब तुमको मुझे वो दान वापिस करना है. समझे. वो बस नाम के लिए तुम्हारी रहेगी पर अब वो मेरी बन कर रहेगी में जानता हूँ तुम क्या सोच रहे हो पर अब मेरे पास कोई और चारा नहीं है. तो बोलो है मंजूर?

सतीश अब बोहोत सवलो के घेरे में था उसे यकीं नहीं हो रहा था की उसे जायदाद के चक्कर में उसकी ही लंका लगनेवाली है. वो सोच में दुब गया. वो जान गया की अब जयश्री के सब कर्ताधर्ता बलदेव ही बनेंगे. पर उसके पास भी कोई चारा न था. वो फिर से उस रुद्रप्रताप की गुलामी की जिंदगी में नहीं जाना चाहता था.

सतीश- जी मुझे मंजूर है.

बलदेव- शाब्बास दामाद जी शुक्रिया. पर ऐसे मंजूरी नहीं.

बलदेव ने मोबाइल का कैमरा ऑन किया और उसे शर्त मंजूरर होने की रिकॉर्डिंग करने लगा.

सतीश दर गया पर उसके पास अब कोई चारा न था

सतीश कैमरा पर बोलने लगा - जी मुझे मेरे ससुर जी की जो भी शर्ते है मुझे मंजूर है. में मेरी पत्नी जयश्री याने उनकी कन्या जयश्री को मेरे ससुर बलदेव जी को वापिस सौंप रहा हूँ. अब मेरा जयश्री पे कोई अधिकार नहीं है. अब से इसी वक़्त से जयश्री पे मेरे ससुर बलदेव जी का पूरा अधिकार रहेगा.

बलदेव अब कैमरा बंद कर देता है.

बलदेव- शाब्बास दामाद जी ! आज तुमने मुझे खुश कर दिया. आज मेरी तरफ से तुमको एक गिफ्ट.

बलदेव ने रुद्रप्रताप को कॉल किया और सतीश के लिए आज उसके पहचान के होटल में रात को औरत का इंतजाम करने को कहा.

रुद्रप्रताप- बलदेव जी यह के दामाद जी को सर पे क्यों बिठा रहे हो?
बलदेव- सुनो सतीश यही है. मई जैसा कहता हूँ वैसा करो. उस औरत के पैसे मई दूंगा अब ठीक!
रुद्रप्रताप- अरे बलदेव कैसी बात कर रहा है यार. पसिआ तोह में दूंगा उसका तू दोस्त है .तू उसकी फ़िक्र मत कर. पे क्या हुआ कुछ व के वह. तुमने उसको जायदाद दे दी?

बलदेव- में तुमसे बाद में बात करता हूँ दोस्त. अभी रखता हूँ.

बलदेव ने नौकर को बुलाया.

बलदेव नौकर से- सुनो वो किशन फ़ोन लगाओ घर पे वो अपनी नीलीवाली एसयूवी है न उसकी चाभी दामाद जी को देने को बोलो .
बलदेव- चलिए दामाद जी जाईये अपनी गाड़ी ले लीजिये और है ड्राइविंग लाइसेंस है न!
सतीश- जी ससुर जी
बलदेव- बोहोत अच्छे, जाओ और तुम्हारी जो खटारा है उसका क्या करोगे?
सतीश- जी वो में.. उसको कुछ सूज नहीं रहा था...
बलदेव- कोई बात नहीं, अपनी खटारा वह अपने घर पे छोड़ दो मई उसको गेराज में लगा देता हूँ या फिर रुद्रप्रात के यह ट्रांसपोर्ट को लगा देता हूँ, और हं उसका भी पैसा तुम्हे ही मिलेगा, चिंता न करो

सतीश ख़ुशी के मारे उठकर अपने ससुर जी बलदेव के पेर छूता है

बलदेव- जुग जुग जीते रहो

और सतीश वहा से निकल लेता है.
 

Motaland2468

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(सतीश के घर)
सतीश सुभे आराम से उठा ऐसा उसने सर रविवार को ही फील किया था. आज न ही कोई फ़ोन न ही कोई काम क्यों की रुद्रप्रताप ने उसका काम किसी और को सौंप दिया था. आज उसने प्लान बनाया था की रात में खूब मज़े करेगा, मूवी देखने जायेगा और हो सके तोह कोई लड़की बाजार में मिली तोह उस के एकाद घंटा गुजरे गा. उसको ससुराल भी जाना था. उसका ससुराल सतीश के घर से २० किमी दूर था और वह से जंगल के तरफ के खेतवाला फार्महाउस १० किमी पे था. तोह वो तैयार होने लगा. उसने अपनी खटारा कार निकाली और चल पड़ा. वो खुश था की आज उसके ससुर कुछ बहुत जरुरी बात बतानेवाले होंगे जो उसके फायदे की हो. जाते जाते बिच में दो-तीन अच्छे ढाबे थे वही उसने खाना खा लिया और जंगलेवाले खेत पे पोहोंच गया.

(बलदेव के जंगलवाले खेत के फार्महाउस पे)
बलदेव तब फसल कटाई के काम का खुद सबको समझा के कर करवा ले रहा था. उसे आज तक कोई मैनेजर या उसके लिए उसके छोटे काम देखनेवाले की जरुरत ही नहीं पड़ीं.
बलदेव- अरे दामाद जी आओ.. में आता हूँ तब तक तुम ऊपर फार्महाउस के छत वाले गार्डन पे रुको..
सतीश- जी ससुर जी
सतीश को सासुर जी के ठाँठ बांठ तोह पता थे इसलिए तोह उसने जायदाद की डिमांड की थी. वो चला गया. नौकर ने उसको चाय लाके दी तोह उसने मन कर दिया क्यों की वो अभी खाना खाके आया था. फार्महाउस वाले चाट पर भी बलदेव ने वैसा ही गार्डन बना दिया था जैसा गाओं के खेत वाले फार्महाउस पे था. छतपर बोहोत बड़ी छांव थी इमली के पेड़ की जो बोहोत बड़ा था. चारो तरफ घनी झाडी थी. बलदेव भी अब ऊपर फार्महाउस बंगलो पे आया था.

बलदेव- अरे दामाद जी चाय वे कुछ लिए नहीं तुम... अरे सुभाष (नौकर) दामाद जी को चायवाय पूछे के नहीं!
सतीश- जी नहीं में ठीक हूँ

बलदेव अपना पसीने से भीगा हुआ शर्ट और बनियान निकलते हुए बात करने लगा. निचे सिर्फ पजामा पहना था. सतीश भी देख रह था. बलदेव उसकी पूछताछ करते करते वही छत के किनारे अपने कपडे सूखने को रख रहा था. ऊपर से वो खुला था. उसका कसरती और बलदण्ड शरीर देख कर तोह सतीश सकपका गया. बलदेव का शरीर सतीश से ३ गुना बड़ा होगा. उसके सामने सतीश खुद को किसी लुक्खे खम्बे जैसा लग रहा था. बलदेव की चौड़ा सीना देखा उसने. और उसके सीना बालो से भरा हुआ था. सीने पे आधे बाल सफ़ेद ही थे. उसके पेट पे हलकी सी चर्बी थी पर काफी फिट था. उसका मरदाना मिजाज देख कर सतीश को खुद की शर्म आने लगी. और ऐसा नहीं के बलदेव सिर्फ शरीर से ऐसा था उसका दिमाग भी बोहोत फ़ास्ट था. वो एक साथ १० दिमाग दौड़ा सकता था ये उसकी काबिलियत थी.

बलदेव- आज का क्या प्लान है? सुना है आज तुम्हारी छुट्टी है.
सतीश- जी
बलदेव- चलो बढ़िया है, हमारी बिटिया को भी ले आता यहाँ
सतीश- नहीं वो सुभे ही चली गयी थी बाजार में कुछ लेने के लिए.

बलदेव अब गंभीर होते हुए बैठते हुए बोन लगा.

बलदेव- देखो सतीश मैंने तुम्हरे ऑफर के बारे में कुछ सोचा है पर उसके लिए तुमको मेरा काम करना पड़ेगा
बलदेव- वैसे तुमको कितनी जायदाद चाहिए?
सतीश- जी ऐसा कुछ सोचा नहीं बस आपकी बेटी को संभालना मुश्किल है ससुर जी और मुझे भी तोह मेरी खुद की जिंदगी बनानी है

नौकर बलदेव से- मालिक, आपके लिए क्या बनाऊ खाने में
बलदेव- अ , एक सुखवाला मटन तंदूरी और हाँ बाजरा के रोटी के साथ मटन का पतला वाला सब्जी बस
बलदेव- तुम क्या लोगे दामाद जी , तुम्हारे लिए क्या बनवाना है?
सतीश- जी नहीं ससुर जी, में खाना खाके आया हु
बलदेव मिश्किल हँसते हुए- क्या तुम लोग भी घांस फुस कहते हो दामाद जी इसीलिए तुम ऐसे हो लुक्खे
बलदेव- इसीलिए भी तुम दोनों की जमती नहीं होगी जयश्री को चिकन बोहोत पसंद है और तुमको दही चावल, किसी शेरनी की तरह चिकेन खाती है जयश्री मेरी तुम बकरी की तरह घांसफूस
बलदेव- चलो छोरो मै ये बता रहा था की तुमको जायदाद देने के बारे में सोचा पर उसके लिए तुमको मेरे कुछ काम करने होंगे तभी यह संभव है
सतीश- हं जी बोलिये न
बलदेव- देखो में जयश्री का डाइवोर्स तोह तुमसे नहीं करवा रहा किसी भी हालत में तुमको जो करना है कर लो

बलदेव काफी गंभीर होते हुए और कठोर भाषा में बात करने लगा उसने सिगरेट जलाई.

बलदेव- क्यों की बात अब मेरी इज्जत पे आयी है और मई इसका किसी को फायदा उठाने नहीं दूंगा, जयश्री की वजह से जितनी भी तुमको और मुझे बदनामी सहने पड़ी होगी उसका हिसाब मै खुद जयश्री से लूंगा तुम उसको कुछ भी बोलोगे नहीं और न ही अब से तुम उसे हाथ भी लगाओगे. अब वो जो भी करेगी तुम उसको इग्नोर करोगे और बस मुझे बताते रहोगे जिंदगीभर , बात समझ आयी

सतीश- पर आप भूल गए है की मेरी बीवी भी तुम्हारे जैसी आझाद खयालो वाली है उसके बारे में कुछ सोचा है. वो पक्का यहाँ नहीं तोह वह मुँह मारेगी और फिर बात और बिगड़ जाएगी आपको पता है वो बोहोत उसकी आदत

बलदेव- नहीं मारेगी मुँह ये मेरी गारंटी है. तुम बस अपना काम से काम रखो. बताओ कितनी जायदाद चाहिए तुम्हे इसके बदले?
सतीश- में बस में चाहता हूँ की मेरा एक बंगलो हो और थोड़ी खेती हो बस एक अच्छी गाडी हो

बलदेव सोच विचार कर के

बलदेव- चलो एक काम करते है, बंगलो तो तुम्हारे पास है भले वो छोटा है पर है तोह सही, चलो यहाँ के खेत का एक चक्कर लगा लो और इस खेत से २ बीघा जमींन तुम्हरे नाम कर दूंगा
सतीश- और गाडी
बलदेव- मेरी बात पूरी होने दो सतीश (थोड़ा ग़ुस्से में बोल दिया)

सतीश दब गया. बलदेव ने नौकर को बुलाया

बलदेव नौकर से - अरे सुनो मेरा मोबाइल ले आओ वह टेबल पे रखा होगा

नौकर ले आया ...

बलदेव- बद्री से नंबर मिलाके के मुझे दो

बलदेव- हाँ बद्री कैसे हो दोस्त, अरे सुनो एक काम था, वो मेरी जो नयी वाली एसयूवी है न हौराती कंपनी की उसका ओनरशिप ट्रांसफर करना है

सतीश यह बात सुनते ही पेट में लड्डू फूटने लगे, मनो वो सातवे आसमान पर खुश था

बद्री- जी बलदेव जी कर दूंगा किसके नाम पे करानी है
बलदेव- अरे वो दामाद जी को नयी गाड़ी लेनी थी तोह मैंने कहा क्या करूँगा इतने गाड़ियों का तोह सोचा की दामाद जी को दे दूँ
बद्री- वह बलदेव जी आपके दामाद ने तोह सही किस्मत पायी है १८ लाख की कार हाथोहाथ मिल गयी है बताओ
बलदेव- अरे फिर है किसका दामाद
बद्री- झे बात तोह सही है जी... जी आप फ़िक्र न करो में कर दूंगा काम. मै उसको फ़ोन कर के कागज़ात मंगवा लूंगा

बलदेव फ़ोन रखते हुए स्माइल करने लगा

बलदेव- जाओ दामाद जी अब खुश! अपने कागज़ाद देदो

सतीश- ससुर जी आपका जवाब नहीं .. . आज से आप ही मेरे मालिक है ससुर जी वाह क्या बात है आपकी.. मुझे वो गाडी बोहोत पसंद है आपकी

बलदेव- अरे तुम फ़िक्र मत करो बस मेरी बात मानो जिंदगी भर ऐश करोगे
सतीश- अब तोह में आपका एक अल्फ़ाज़ भी जमीं पर गिरने नहीं दूंगा ससुर जी

बलदेव सोच के हंसने लगा और सोच रहा था कितना बड़ा च्यु_ है मेरा दामाद अभी जायदाद मिली भी नहीं तोह इतना खुश है.

सतीश- पर ससुर जी आप बोल रहे थे मुझे आपका कुछ काम करना होगा! क्या है वो काम

बलदेव- तोह गौर से सुनो, में एक बार ही बोलता हूँ. आज से तुम जयश्री को कभी नहीं डाटोगे. आज से उसे घूमने ले जाओगे जब वो चाहे जहा चाहे. अगर वो तुमको डाटे भी तोह तुम उसको उल्टा जवाब नहीं दोगे. आज से तुम उसको सब कपडा लत्ता लेकर दोगे जाओ वो चाहती है. सबसे जरुरी बात अब आगे से तुमको उसके लिए कभी गहने नहीं खरीदो गे. जो भी गहने है वो में खुद उसे दूंगा. मेरे दिए हुए गहने वो तुम से लेगी. और है गहने देते वक़्त तुम उसे बताओगे की वो गहने उसके पापा याने बलदेव जी ने दिए है. आज से में उसके लिए में जो भी करूँगा तुम उस में मेरा साथ दोगे. अगर उसको में कुछ दूंगा तोह हो सकता है की वो सीधा सीधा न ले क्यों की वो मेरा ख्याल रखती है और मुझे परेशानी में नहीं देख सकती तोह में उसे जो भी दूंगा तुम उसको देते जाना पर उसका क्रेडिट मुझे देना खुद नहीं लेना है. आज से तुम्हरे खाने पिने की जिम्मेदारी मेरी. तुम को जो चाहे वो मांग लेना. में जब कहु तुम उसे यहाँ ले आओगे उसके मायके में अपने गाओ के घर या यहाँ पे. में जितने दिन यहाँ पे उसे रखूँगा तो तुम उसका इंकार नहीं करोगे. जब तक जयश्री यहाँ रहना चाहे तब तक वो अपने मायके रहेगी. तुम्हारे लिए वहा तब तक कामवाली का इंतजाम में करूँगा. अब में उसे अपनी पर्सनल सेक्रेटरी बनाने जा रहा हूँ ताकि वो बोर न हो और मेरे धंदे में भी वो हाथ बटा सके. क्यों की कल को जाके ये सब उसका होनेवाला है तोह में चाहता हूँ की अब वो यहाँ के पुरे बिज़नेस और खेत को संभाले. में या जयश्री और रुद्रपताप तीनो में से कोई भी तुम्हे फ़ोन करे तुमको तुरंत फ़ोन उठाना है. एक भी मिस कॉल हुआ तोह अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए. और हं सबसे जरुरी बात आज से जब भी तुम जयश्री के साथ रहोगे तुम को उसके सामने बस मेरी ही तारीफ करनी होगी. तुम बाकि कुछ बकवास नहीं करोगे. अगर तुम यहाँ हमारे साथ कुछ दिन के लिए रहते हो तोह में तुमको दामाद के तौर पर नहीं रखूँगा. दरसल तुम एक स्टैण्डर्ड नौकर बन कर रहोगे. हाला की नोकरो में तुम्हारा रुतबा अलग होगा पर अगर यहाँ रहना है तोह नौकर बन कर ही रहना होगा. रही तुम्हारे रात के ऐयाशी की बात तोह में रूद्रप्रताप से बोल कर तुम्हरे लिए किसी होटल्स में औरतो का इंतजाम करता रहूँगा. बात पूरी दिमाग में डाल लो एक ही बार.

अब सतीश के पसीने छूटने लगे. वो बलदेव को मुँह फाड़ के देख और सुन रहा था. सतीश आश्चर्य से पूछता है. पर वो न भी नहीं बोल सकता क्यों की उसको पता है की उसे जायदाद मिलने के चांस बोहोत है. तोह अभी वो ये सब नकार कर जिंदगीभर के लिए नल्ला रह जायेगा.

सतीश- जी ससुर जी समझ गया पर आप और जयश्री ... मेरा मतलब जयश्री यहाँ रहेगी ... मतलब आप बताएँगे की आप क्या चाहते हो एक्साक्ट्ली

बलदेव ने आजुबाजु देखते हुए जाँच लिया की नौकर आस पास तोह नहीं है!

बलदेव स्माइल देते हुए- कैसे बददिमाग हो! सुनो में चाहता हूँ की अब तुम जयश्री को भूल जाओ.
अब जयश्री मेरी होगी. सिर्फ मेरी.

सतीश के पैरो टेल जमीं खिसक गयी. वो इतना भी नादाँ नहीं था की बलदेव जो बोल रहा है वो न समझे.

सतीश- माफ़ करिये ससुर जी बस एक बार बता दीजिये आप क्या कहना चाहते है

बलदेव- तुम मुझे अब पूरी तरह से जयश्री लौटाओगे. मैंने बेटी कन्यादान में दी थी अब तुमको मुझे वो दान वापिस करना है. समझे. वो बस नाम के लिए तुम्हारी रहेगी पर अब वो मेरी बन कर रहेगी में जानता हूँ तुम क्या सोच रहे हो पर अब मेरे पास कोई और चारा नहीं है. तो बोलो है मंजूर?

सतीश अब बोहोत सवलो के घेरे में था उसे यकीं नहीं हो रहा था की उसे जायदाद के चक्कर में उसकी ही लंका लगनेवाली है. वो सोच में दुब गया. वो जान गया की अब जयश्री के सब कर्ताधर्ता बलदेव ही बनेंगे. पर उसके पास भी कोई चारा न था. वो फिर से उस रुद्रप्रताप की गुलामी की जिंदगी में नहीं जाना चाहता था.

सतीश- जी मुझे मंजूर है.

बलदेव- शाब्बास दामाद जी शुक्रिया. पर ऐसे मंजूरी नहीं.

बलदेव ने मोबाइल का कैमरा ऑन किया और उसे शर्त मंजूरर होने की रिकॉर्डिंग करने लगा.

सतीश दर गया पर उसके पास अब कोई चारा न था

सतीश कैमरा पर बोलने लगा - जी मुझे मेरे ससुर जी की जो भी शर्ते है मुझे मंजूर है. में मेरी पत्नी जयश्री याने उनकी कन्या जयश्री को मेरे ससुर बलदेव जी को वापिस सौंप रहा हूँ. अब मेरा जयश्री पे कोई अधिकार नहीं है. अब से इसी वक़्त से जयश्री पे मेरे ससुर बलदेव जी का पूरा अधिकार रहेगा.

बलदेव अब कैमरा बंद कर देता है.

बलदेव- शाब्बास दामाद जी ! आज तुमने मुझे खुश कर दिया. आज मेरी तरफ से तुमको एक गिफ्ट.

बलदेव ने रुद्रप्रताप को कॉल किया और सतीश के लिए आज उसके पहचान के होटल में रात को औरत का इंतजाम करने को कहा.

रुद्रप्रताप- बलदेव जी यह के दामाद जी को सर पे क्यों बिठा रहे हो?
बलदेव- सुनो सतीश यही है. मई जैसा कहता हूँ वैसा करो. उस औरत के पैसे मई दूंगा अब ठीक!
रुद्रप्रताप- अरे बलदेव कैसी बात कर रहा है यार. पसिआ तोह में दूंगा उसका तू दोस्त है .तू उसकी फ़िक्र मत कर. पे क्या हुआ कुछ व के वह. तुमने उसको जायदाद दे दी?

बलदेव- में तुमसे बाद में बात करता हूँ दोस्त. अभी रखता हूँ.

बलदेव ने नौकर को बुलाया.

बलदेव नौकर से- सुनो वो किशन फ़ोन लगाओ घर पे वो अपनी नीलीवाली एसयूवी है न उसकी चाभी दामाद जी को देने को बोलो .
बलदेव- चलिए दामाद जी जाईये अपनी गाड़ी ले लीजिये और है ड्राइविंग लाइसेंस है न!
सतीश- जी ससुर जी
बलदेव- बोहोत अच्छे, जाओ और तुम्हारी जो खटारा है उसका क्या करोगे?
सतीश- जी वो में.. उसको कुछ सूज नहीं रहा था...
बलदेव- कोई बात नहीं, अपनी खटारा वह अपने घर पे छोड़ दो मई उसको गेराज में लगा देता हूँ या फिर रुद्रप्रात के यह ट्रांसपोर्ट को लगा देता हूँ, और हं उसका भी पैसा तुम्हे ही मिलेगा, चिंता न करो

सतीश ख़ुशी के मारे उठकर अपने ससुर जी बलदेव के पेर छूता है

बलदेव- जुग जुग जीते रहो

और सतीश वहा से निकल लेता है.
Mazedaar update bhai please story main pics or gif bhi add karo
 
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