तृप्ति के लिए बीती रात बेहद यादगार बन चुकी थी वह कभी सोचा भी नहीं थी कि उसके जीवन में ऐसा भी पल आएगा जब एक लड़की के साथ उसे हम बिस्तर होना पड़ेगा,,, लेकिन यह अनुभव उसे काफी कुछ सीखा गया था, वह पूरी तरह से अपनी जवानी का लुत्फ ले चुकी थी,, लेकिन यह तो अभी शुरुआत थीऔर शुरुआत की इतनी धमाकेदार थी कि वह कभी सोच भी नहीं सकती थी,,,दूसरों के मुंह से तो उसने सुषमा आंटी की लड़की सुमन के बारे में बहुत कुछ सुनी थी,, लेकिन अब उसे उसका अनुभव भी हो चुका था लेकिन सुमन से उसे कोई गिला शिकवा नहीं था क्योंकि एक ही रात में सुमन ने उसे जवानी का मजा चखाई थी,,, भले ही दोनों मर्दाना अंग से आनंद ना लिए हो लेकिन जनाना अंग से भरपूर मजा लूट थे,,,।
एक अद्भुत अनुभव के साथ अपने घर वापस लौट आई थी एक ही रात में वह पूरी तरह से बदल गई थी एक ही रात में उसे लगने लगा था कि वाकई में असली सुख तो इन्हीं सब में है,,, घर वापस लौटने के बावजूद भी उसका बताने में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, वह कुछ देर तक कुर्सी पर बैठकरबीते एक दिन के बारे में सोचती रही एक ही दिन में काफी कुछ बदल गया था एक ही दिन में वह पूरी तरह से लड़की से औरत बनने की दिशा में कदम रख चुकी थी,,, वह सुमन के बारे में भी सोच रही थी कि सुमन इतने खुले विचारों वाली है वह कभी सोची नहीं थी,,, और वह अपने मन में इस बात से सबक भी कर रही थी कि भले वह एक औरत के साथ इस तरह का सुख भोग रही थी लेकिन यकीन तौर पर वह संभोग सुख भी पूरी तरह से प्राप्त कर चुकी थी क्योंकि इस तरह से खुले विचारों वाली लड़की ज्यादा देर तक चुदवाए बिना नहीं रह सकती,,,।
सुमन के बारे में सोचते हुए सुमन की बातें उसे याद आने लगी,,, उसके पास तोअश्लील किताब की थी उसमें किस तरह से गंदी कहानी लिखी हुई थी एक भाई और बहन के बीच किस तरह से संबंध स्थापित होता है इसका उल्लेख बड़े अच्छे तरीके से किया हुआ था,,,और इस बात की झिझक सुमन में बिल्कुल भी नहीं थी कि अगर उसका कोई भाई होता तो उसे नग्न अवस्था में देखकर उसके मन पर क्या गुजरती बल्कि उसे तो अच्छा लगता,,, उसके इस तरह के विचार के बारे में सुनकर तो तृप्ति के होश उड़ गए थे,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि अगर वाकई में सुमन का कोई भाई होता तो अब तक वह जरूर उसके साथ शारीरिक संबंध बना ली होती उसके साथ जवानी का मजा लूटती ,,, यह सब सोचती हूं उसके मन में इस बात सेएक और शंका थी कि अगर वह ऐसा चाहती तो वह कर सकती थी लेकिन क्या उसका भाई उन सबके लिए तैयार होता क्या एक भाई अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार होगा,,,, फिर अपने ही सवाल का जवाब उसके मन मेंउमड़ने लगा और वह अपने आप से ही बोली क्यों नहीं तैयार होगा जब एक तो है ना अपने भाई की मर्दाना अंग को देखकर पिघल सकती है तो क्या एक भाई अपनी बहन की नंगी जवान को देखकर निकल नहीं सकता क्या उसका मन नहींकर करेगा अपनी बहन के साथ शारीर सुख प्राप्त करने के लिए,,,इस बारे में सोचकर वह अपने मन में सोचने लगी कि क्या अगर वह चाहे तो क्या उसका भाई इन सबके लिए तैयार होगा,,।
अपने मन में उठे इस सवाल को लेकर उसे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई कितना सीधा ज्यादा है वह अपने भाई के बारे में क्यों इस तरह की बातें सोच रही है,,,वह तो अनजाने में उसके लंड को देखी थी जब वह कमरे में पूरी तरह से नंगा होकर अपने लिए कपड़े ढूंढ रहा था ऐसा तो हर घर में हर एक मर्द करता होगा जब घर में अकेला होता होगा नहाने के बाद वह सारे कपड़े उतार भी देता होगा लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि उसके मन में कुछ चल रहा होगा,,,लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया कि अगर एक मर्द के मन में कोई गलत भावना नहीं होती तो उसका सीधा असर उसके लंड पर पड़ता है और उसमें बिल्कुल भी उत्थान नहीं होतालेकिन जब एक मर्द के बंद में कुछ गंदे विचार चलते हैं तो इसका भी असर सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच के अंगों पर होता है और वह तुरंत खड़ा हो जाता है और जब वह अपने भाई को देखी थी तो उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था तो क्या उसके मन में भी गंदे विचार चल रहे थेयह बातें सोचकर उसका दिमाग घूमने लगा था फिर अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई भी तो पूरी तरह से जवान हो चुका है गठीला बदन का बांका नौजवान बन चुका है,दूसरे लड़कों की तरह उसका भी आकर्षक औरतों की तरफ और लड़कियों की तरफ बढ़ता ही होगा वह भी दूसरे लड़कों की तरह आती जाती लड़कियों के अंगों के उभार को देखकर मचलता होगा,,, क्या सच में उसके भाई के मन में भी यही सब विचार चलाते होंगे,,,।
इन सब बातों को सोचते हुए उसकी हालत फिर से खराब हो रही थी और उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा था,,, जिसका असर सीधे उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर पड़ रहा था,,, और उसे रात वाली बात याद करने लगी कि कैसे सुमन बेझिझक बिना शरमाए उसकी बुर को अपने जीभ से चाट रही थी,,,पल भर के लिए तो वह एकदम सच में पड़ गई थी कि एक लड़की एक लड़की के साथ भला ऐसे कैसे कर सकती है,,,लेकिन थोड़ी ही देर में उसके बदन में उत्तेजना की जब हुआ रुकने लगी आने दे कि जो अनुभूति होने लगी उसे महसूस करके वह समझ गई कि वाकई में एक औरत भी औरत को अद्भुत सुख दे सकती हैवह पूरी तरह से मचल गई थी जैसे-जैसे सुमन की जुबान उसके गुलाबी छेद के इर्द गिर्द और अंदर गहराई तक अंदर बाहर हो रहे थे एक अद्भुत सन सनाहट उसके बदन में महसूस हो रही थी जिसका उसे पहले कभी अनुभव नहीं हुआ था,,।
जिस तरह से उसकी हरकतें जारी थी उसे देखते हुए तृप्ति समझ गई थी कि सुमन पूरी तरह से खिलाड़ी बन चुकी थी जिस तरह से वह उसके ऊपर जाकर उसकी दोनों टांगों के बीच मुंह डाल दी थी और बिना कुछ कहेअपनी भारी भरकम गांड को उसके चेहरे पर रखकर अपनी बुर का स्पर्श उसके चेहरे पर कर रही थी उसके होठों पर कर रही थी यह हरकत एक तरह का इशारा था उसके लिए जिसे वह थोड़ी देर बाद समझ गई थी इस समय भी तृप्ति के जेहन में बुर से उठ रही मादक खुशबू बसी हुई थी,,,, यह खुशबू का अनुभव से अपनी बुर से कभी नहीं हुआ था और अगर सुमन एक अद्भुत सुख से प्रधान ना करती तो शायद इस खुशबू से वह अनजान ही रहती,,,सुमन अपनी मन में सोच रही थी कि बुर से निकलने वाले मदन रस का स्वाद कितना कसैला और नमकीन होता है,,, पहले तो उसे खुद को बड़ा अजीब लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे उस स्वाद में वह पूरी तरह से खो चुकी थी,,और वह भी सुमन की तरह अपनी जीत के साथ-साथ उंगली को भी उसके गुलाबी छेद में डालकर अंदर बाहर कर रही थी और उसे एहसास हो रहा था कि वाकई में सब की बुर कितनी अंदर से गर्म होती है,,,।
इन सब बातों के बारे में सोच कर त्रप्ति फिर से गर्म होने लगी उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा था वह मदहोश होने लगी थी,,, वह अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और झाड़ू लेकर पूरे घर में झाड़ू लगाना शुरू कर दी,,,,,, और सफाई कर लेने के बाद सीढ़ियां चढ़ते हुए वह छत पर पहुंच गईसुबह का समय था इसलिए छत पर ठंडी हवा बह रही थी और वह गहरी सांस लेते हुए ठंडी हवा को अपने अंदर लेने लगी लेकिन यह ठंडी हवा भी उसकी बदन की गर्मी को शांत करने में नाकामयाब हो रही थी,,,तृप्ति दूर-दूर तक नजर घुमा कर देख रही थी चारों तरफ सुबह की कितनी शांति छाई हुई थी उसके घर के पीछे दूर तक मैदानी मैदान था जिसमें जंगली झाड़ियां उगी हुई थी और एक कच्ची सड़क भी गुजरती थी,,, और यही कच्ची सड़क थी जिस पर चलकर वहां ट्यूशन से घर वापस आ रही थी जब संदीप उसे रास्ते मेंपकड़ लिया था और उसके बदन से छेड़छाड़ कर रहा था उसे समय संदीप की हरकत उसे कुछ अजीब तो लगी थी लेकिन बेहद आनंद दायक भी प्रतीत करा रही थी,,,,।
तृप्ति संदीप के बारे में सोच ही रही थी कि उसकी नजर दूर-दूर झाड़ियों तक पहुंचने लगी जहां पर सुबह के समय औरतें सोच कर रही थी और वही उसे दो लड़के दिखाई दे रही है जो उन औरतों की नंगी गांड को देखकर मत हो रहे थे,,,बड़े लड़कों को देखकर तृप्ति को एहसास हो रहा था कि दुनिया के सारे मर्द एक जैसे ही हैं उन्हें औरतों के खूबसूरत बदन से ही ज्यादा लगाव होता हैवरना एक सो करती औरत को कौन देखना चाहेगा एक औरत तो बिल्कुल भी नहीं देखना चाहेगी लेकिन एक मर्द हमेशा देखना चाहेगा भले ही वह पेशाब कर रही हो यार सोच कर रही हो ऐसी हालात में भी मर्दों को अपनी आंख सेंकने का जुगाड़ मिल जाता है,,,। लड़कों को देखकर तृप्ति अपने भाई के बारे में सोचने लगी,,, उसके मन में ख्याल आने लगा कि उसका भाई भी अगर उसकी आंखों के सामने यह सब चल रहा हो तो जरूर देखेगा क्योंकि आखिरकार वह भी तो एक मर्द है उसका भी आकर्षक औरतों की तरफ जरूर होगा,,,
इन सब के बारे में सोच ही रही थी कि तभी उसे दूर झाड़ी में एक औरत चोरी छिपे आई हुई नजर आने लगी जिसे छत पर खड़ी होकरइतनी बड़ी गौर से देखने लगी वह ऐसे झाड़ियां में जा रही थी जैसे सबसे नजर बचाकर जा रही हो उसके रवैए में तृप्ति को कुछ अजीब लगा अगर वह सहज रूप से सोच करने के लिए जा रही होती तो इस तरह से घबराई हुई ना होती,,, इसलिएबड़े ध्यान से तृप्ति उस औरत को देखने लगी और वह धीरे-धीरे झाड़ियों की तरफ आगे बढ़ रही थी,,,उसके हाथ में डब्बा जरूर था लेकिन तृप्ति को न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि वह सोच करने नहीं जा रही थी,,, तभी तृप्ति को दूसरी तरफ से एक लड़का उसी तरफ आता हुआ नजर आने लगा उसके हाथ में डब्बा भी नहीं था,,, दूर से भी तृप्ति को एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,, उसे औरत की उम्र 40 से 45 साल के बीच रही होगी और जो दूसरी तरफ से जवान लड़का आ रहा था वह उसके भाई के ही उम्र का था,,, त्रप्ति उसे लड़के को उसे औरत की तरफ आता हुआ देखकर सोचने लगी कि उस लड़के को देखकर वह औरत अपना रास्ता बदल देगी लेकिन जैसे ही वह लड़का उस औरत के करीब पहुंचा,,, दोनों एकदम से रुक गए,,,।
तभी तृप्ति के आश्चर्य के बीच वह दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे और देखते ही देखते वह लड़का जो उसे औरत के लड़के के उम्र का था वह एकदम से उसे औरत को अपनी तरफ अपनी बाहों में भर लिया यह सब तृप्ति के आश्चर्य को ओर ज्यादा बढ़ा रहा था,,, तृप्ति को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह औरत कुछ बोल क्यों नहीं रही है जबकि उन दोनों की उम्र में मां बेटे की उम्र का ही फर्क था,,, इस तरह की हरकत पर एक औरत जरूर सामने वाले पर एक तमाचा जड़ देती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,, यह सब देखकरतृप्ति की उत्सुकता बढ़ने लगी और वह बड़े गौर से उन दोनों की तरफ देखने लगी,,, तृप्ति के होश तब और उड़ने लगे जब वह लड़काब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया यह देखकर तो तृप्ति की खुद की हालत खराब होने लगी पहली बार वह इस तरह का नजारा देख रही थी,,,।

वह औरत मुस्कुरा रही थीउससे बातें कर रही थी जिसे साफ पता चल रहा था कि वह औरत उसे लड़के को जानती थी दोनों में काफी जान पहचान थी वरना एक अनजान लड़के और औरत के बीच इस तरह से बातचीत और हरकत संभव बिल्कुल भी नहीं था,,, तभी तृप्ति कोऔर तेज झटका लगा जब वह औरत खुद पेड़ की तरफ घूम कर झुक गई और अपनी साड़ी को दोनों हाथों से कमर तक उठा दे और उसकी नंगी गांड एकदम से दिखाई देने लगी दूर से भी तृप्ति को सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था,,अब तृप्ति को समझते देर नहीं लगी कि दोनों के बीच किस तरह का रिश्ता है लेकिन उन दोनों के बीच तो उम्र का काफी फर्क था लेकिन फिर भी दोनों एक दूसरे से इतना घुल मिल गए थे शायद जिस की जरूरत ही कुछ ऐसी होती है की उम्र नहीं देखती,,,।
दूर झाड़ियांके बीच का नजारा देखकर तृप्ति की हालत खराब होने लगी थी उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी और उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल भी बढ़ने लगी थी उसकी नंगी गांड कुछ ज्यादा ही बड़ी-बड़ी थी जिसे वह लड़काजो उसके बेटे के ही उम्र का लग रहा था वह अपने दोनों हाथों से उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड को पकड़ कर उसे दबा रहा था दबोच रहा था और घुटनों के बल बैठकर उस पर चुंबन भी ले रहा था यह सब कुछ तृप्ति के लिए बेहद अजीब और अद्भुत था लेकिन बेहद को भावना था औरत से एक मर्द किस तरह से प्यार करते हैं वह तृप्ति पहली बार अपनी आंखों से देख रही थी,,,, यह सब तृप्ति के होश उड़ा रहा था और उसके जोश में वृद्धि भी कर रहा था,,,वह लड़का घुटनों के पास बैठकर बार-बार उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर गांड की दोनों आंखों पर बारी-बारी से चुंबन कर रहा था और वह औरत पीछे नजर घूमाकर उसे जवान लड़के को देखकर मुस्कुरा रही थी,,,।

लेकिन पल भर में ही उसकी मुस्कुराहट मदहोशी में बदलने लगी थी और वह औरत अपना हाथ पीछे की तरफ लाकर उसके सर पर रखकर उसे और नीचे जाने के लिए इशारा कर रही थीशायद वह लड़का यह क्रिया को पहले भी कर चुका था इसलिए उसके सारे को एकदम से समझ गया था और वह औरत की अपना टांग उठाकर उसके कंधों पर रख दी थी एक टांग नीचे जमीन पर थी और एकदम उसके कंधों पर थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच का रास्ता थोड़ा सा ज्यादा खुल गया था इतनी दूर से तृप्ति को उसकी बुर तो नजर नहीं आ रही थी,,, लेकिन अगले ही पल उसे समझ में आ गया कि वह लड़कावही कार्य कर रहा है जो रात को सुमन उसकी बुर के साथ कर रही थी वह लड़का घुटनों के बल बैठ कर उस औरत की बुर को चाट रहा था,,,जैसे ही तृप्ति को इस बात का एहसास हुआ उसकी हथेली खुद ब खुद सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर तक पहुंच गई और वह सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को मसलना शुरू कर दी,,,उस लड़के की हरकत से वह औरत पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी और वह उसके बालों को कस के पकड़े हुए थी,,,,।
तृप्ति इस नजारे को देखते हुएअपने चारों तरफ नजर घुमा कर देख भी ले रही थी कि कहीं कोई उसे इस नजारे को देखते हुए तो नहीं देख रहा है वरना लेने का देने पड़ जाएंगे,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था वैसे भी,,, उसके घर के थोड़ी दूर पर सुषमा का घर था और बाकी घर दूर-दूर थे और उसकी खुद की छतदूसरों की छत से ज्यादा बड़ी थी इसलिए किसी के भी देखे जाने कीआशंका बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए वह निश्चित हो गई और फिर से अपनी नजरों को और अपने ध्यान को उसी झाड़ियां पर केंद्रित कर दी,,, वह लड़का अभी भी उस औरत की बुर को चाट रहा था,,दोनों के बीच की उम्र के अंदर को देखकर सुमन के होश उड़े जा रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह लड़का तो पूरी तरह से जवान था ऐसे में उसका आकर्षण लड़कियों की तरफ बढ़ना चाहिए लेकिन वह पूरी तरह से औरत के आकर्षण में डूबता चला गया थाक्या ऐसा हो सकता है कि एक जवान लड़का अपनी ही मन की उम्र की औरत क्या आकर्षण में बंध जाए और अगर ऐसा होता होगा तो क्यों होता होगा,,,यह सब सोचते कि उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,।
तृप्ति को दूसरी औरतों भी सो करती हुई दिखाई दे रही थी लेकिन उन औरतों सेउसे औरत के बीच की दूरी काफी ज्यादा थी और ऐसा लग रहा था कि यह जगह उन दोनों के लिए बेहद सुरक्षित थी और उसे जगह पर दोनों पहले भी इस तरह का आनंद ले चुके थे क्योंकि उनके इर्द-गिर्द कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था,,और जिस तरह से दोनों आपस में जाकर मिले थे निश्चित था कि दोनों का वहां मिलना चाहिए था पहले से ही तभी तो वह दोनों एक ही जगह पर चलते चले जा रहे थे,,, जो कुछ भी हो लेकिन इस समय तो दोनों जवानी का मजा लूट रहे थे,,,, उसे औरत के चेहरे के बदलते हाव भाव को देखकरतृप्ति इतना तो समझ गई थी कि उसे लड़के की हरकत से वह मदहोश हुए जा रही है उसे मजा आ रहा है,,,,,वह लड़का भी औरत की बुर चाटने में बुरी तरह से माहिर था इसलिए तो अपनी जीभ से उसे पूरी तरह से आनंदित किया जा रहा था जैसा कि सुमन उसे रात में मजा दी थी वैसा ही इस समय वह लड़का उस औरत को मजा दे रहा था। थोड़ी देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे लेकिन तभी वह औरत उसे उठने का इशारा करने लगी और थोड़ी देर में वह उठकर खड़ा हो गया और अपने पेंट का बटन खोलने लगा।
यह देखकर तृप्ति की हालत बहुत ज्यादा खराब होने लगी क्योंकि अब दोनों के बीच चुदाई का खेल शुरू होने वाला था,,, लेकिन तभी वह औरतउसे लड़की की तरह खुद घुटनों के पास बैठ गई और अपने हाथों से उसके पेंट का चैन खोलने लगी और अपने हाथ से उसके लंड को बाहर निकाल कर सीधा उसे मुंह में भर ली,,, यह देख कर तो तृप्ति की सांस अटकने लगी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था जो काम घर की चार दिवारी के अंदर रहकर करते हैं वही काम को या दोनों घर के बाहर खुले मैदान में झाड़ियों के बीच कर रहे थे,,, इतनी दूर से तृप्ति को उस लड़के का लंड नजर नहीं आ रहा थालेकिन इतना दिखाई दे रहा था कि उसे मुंह में लेकर वह औरत एकदम मस्त हुए जा रही थी पर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उस लंड को खा जाएगी,,, उस औरत की मस्ती को देखकर तृप्ति के मन में फिर से शंका पैदा होने लगी कि क्या इस उम्र की औरत अपने बेटे की उम्र के लड़के के अंग के साथ संतुष्ट हो सकती है,,, और शायद हो सकती होगी तभी तो दुनिया की नजरों से बचकर यह औरत मजा लेने के लिए झाड़ियों में आई थी,,।
तृप्तिमदहोश कर देने वाली नजारे को देखकर सलवार के ऊपर से अपनी बुर को अपनी हथेली में जोर-जोर से दबोच रही थी मसल रही थी,,, ऐसा करने में उसे भी मजा आ रहा था,,,कुछ देर तक कुछ औरत इसी तरह से मजा लेती रही और फिर अपने आप ही उठकर खड़ी हो गई और फिर से झाड़ी पकड़ कर घोड़ी बन गई और अपनी बड़ी-बड़ी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी हालांकि ऐसा करने में उसकी साड़ी ठीक तरह से हो गई थी और उसकी नंगी गांड साड़ी के अंदर छुपा रही थी लेकिन इस बार उसेलड़के ने अपने हाथों से साड़ी उठाकर उसे उपर उठा दिया था और फिर से उसकी नंगी गांड एक बार फिर से उजागर हो गई थी,,,उसकी नंगी गांड देखकर एक बार फिर उसे लड़के ने उसकी गांड पर बारी-बारी से चपत लगाया,,, और गांड पर चपत लगते ही वह औरत फिर से पीछे मुड़कर देखने लगी,,, और थोड़ा नाराजगी दर्शाते हुए उसे मुख्य कार्य को करने के लिए बोली और तुरंत वह लड़काठीक उसके पीछे खड़ा हो गया और नीचे की तरफ झुक कर उसके गुलाबी छेद में अपना लंड डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,।
वैसे तो इतनी दूर से ना तो औरत की बुर दिखाई दे रही थी ना ही उस लड़के का लंड दिखाई दे रहा था लेकिन भी उसकी आगे पीछे होती हुई कमर को देखकर तृप्ति समझ गई थी कि वह लड़का उसकी चुदाई कर रहा है,,, इस समय दोनों की उम्र का फर्क तृप्ति को इस बात से पता चल रहा थाऔर अच्छी तरह से समझ रही थी कि इस उम्र का क्या महत्व होता है इस उम्र में वह औरत अपनी मर्जी से उस लड़के से चुदवा रही थी,,, वह लड़का अपनी तरफ सेऐसा कोई कार्य नहीं कर रहा था जिससे वह नाराज हो जाए और वह लड़का उस औरत के दिशा निर्देश पर ही काम कर रहा था,,,जैसा जैसा वह बोल रही थी वैसा वैसा हुआ लड़का कर रहा था जिससे साफ जाहिर हो रहा था कि इस उम्र में एक जवान लड़के पर औरत का कितना दब दबा बना रहता है,,,,।
यह नजारा तृप्ति को पूरी तरह से मदहोश कर दिया था इस समय उसे भी चुदवाने का बहुत मन कर रहा था हालांकि इस खेल में वह पूरी तरह से अनाड़ी थी कच्ची खिलाड़ी थी उसे नहीं मालूम था कि चुदवाने में कैसा महसूस होता है लेकिन इतना तो समझ गई थी कि परम आनंद की अनुभूति होती है,,,,वह लड़का जोर-जोर से अपनी कमरिया रहा था तकरीबन 10 मिनट बाद वह लड़का उसे औरत से एकदम से अलग हो गया और अपने लंड को पेट में वापस डाल दिया वह औरत की अपनी साड़ी को ठीक करके मुस्कुराते हुए उसकी तरफ अच्छी और शायद फिर से मिलने का वादा करके वहां से चलती बनी और उसके जाते ही तृप्ति का भी वहां खड़े रहना अब ठीक नहीं था क्योंकि उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी और वह सीधा सीढ़ियां उतरकर नीचे आई और सीधा बाथरूम में घुस गई,,,।
बाथरूम में प्रवेश करते ही वह अपने बदन से सारे कपड़े को उतार कर एकदम नंगी हो गई और अपनी बुर की हालत को देखने लगी क्योंकि पूरी तरह से उसके ही मदन रस से चिपचिपी हो गई थी वह अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर-जोर से मसलने लगी जैसा कि सुमन उसकी बुर को मसल रही थी,,,और देखते ही देखते हैं उसकी आंखें धीरे-धीरे बंद होने लगी और वह धीरे-धीरे अपनी उंगली को अपनी बुर के अंदर प्रवेश कराने लगी,,, और धीरे-धीरे उसे अंदर बाहर करने लगी ऐसा करने में उसे मजा आने लगा ।थोड़ी देर बाद वापस संतुष्ट हो गई और नहा कर वापस बाहर निकल गई लेकिन आज वह अपने कमरे तक जाने में ना तो किसी कपड़े का सहारा ली और ना ही टॉवल अपने बदन पर लपेटी,,,एकदम नंगी ही वह अपने कमरे तक गई क्योंकि घर पर कोई नहीं था इसलिए इस मौके को पूरा फायदा उठा लेना चाहती थी,,,वैसे भी घर में नंगी होकर घूमने में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी बहुत हल्का महसूस कर रही थी,,,।
थोड़ी देर बाद वह तैयार हो गई और खाना बनाने लगी क्योंकि वह जानती थी दोपहर तक उसकी मां और उसके भाई दोनों आ जाएंगे,,खाना बनाते हुए अपने मन में सोच रही थी कि अगर एक दिन का समय और मिल जाता तो कितना मजा आता आज भी वह सुमन के घर पर जाकर जवानी का मजा लूटती,,,,।दोपहर तक उसकी मां और उसके भाई भी घर पर आ गए थे वह दोनों भी एक नए अनुभव के साथ वापस लौटे थे।