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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

KEKIUS MAXIMUS

Supreme
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#99.

महाशक्ति मैग्रा

(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 02:15, मायावन, अराका द्वीप)

सुयश सहित सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे। उस पार्क में बज रही वह धुन भी अब बंद हो चुकी थी। रात का सन्नाटा चारो ओर पसरा हुआ था।

तभी अचानक मेडूसा की मूर्ति से निकलता फव्वारा अपने आप बंद हो गया और इसी के साथ मेडूसा की मूर्ति की पलके भी झपकने लगी।

कुछ ही देर में मेडूसा मूर्ति से सजीव में बदल गयी। वह धीरे-धीरे चलती हुई उस तालाब से बाहर निकली।
उसकी नज़रें अब वहां सो रहे सभी लोगो पर फ़िरने लगी। कुछ ही देर में मेडूसा की आँखें शैफाली पर जाकर रुक गयी।

मेडूसा अभी-अभी तालाब से निकली थी, पर उसके शरीर पर एक भी पानी की बूंद नहीं दिख रही थी।

उसके सिर पर बाल की जगह निकले साँप अपनी जीभ निकालकर एक अजीब सा भय उत्पन्न कर रहे थे।

मेडूसा अब शैफाली की ओर बढ़ने लगी।

कुछ ही देर में वह शैफाली के पास थी।

मेडूसा ने अब धीरे से बैठकर शैफाली के बालों पर 3 बार हाथ फेरा और वापस तालाब की ओर चल दी।

कुछ ही देर में मेडूसा वापस तालाब में वापस पहुंच गई।

उसके पुरानी स्थिति में खड़े होते ही वह फिर से पत्थर हो गयी और उसके बालों से वापस फ़व्वारे निकलने लगे।

सोती हुई शैफाली अब करवट बदलने लगी। शायद वह कोई सपना देख रही थी।

तो आइये सीधे चलते हैं शैफाली के सपनें में...........................

आसमान में ऊंचाई पर काफ़ी हवा थी। सफेद बादलों के गुच्छे अलग-अलग आकृति में हवाओँ में बह रहे थे।

पर सफेद बादलों की एक टुकड़ी अपनी जगह पर स्थिर थी। वह एक प्रकार के कृत्रिम बादल थे, पर वो बादल अकेले नहीं थे। उनके साथ 2 शरीर भी थे, जो कि दूध से सफेद पत्थर के महल के बाहर खड़े थे।

दोनों देखने में किसी देवी-देवता की तरह सुंदर दिख रहे थे। दोनों ने ही बिल्कुल सफेद रंग की पोशाक भी पहन रखी थी।

“जमीन से इतनी ऊपर बादलों में तुम्हे कैसा महसूस हो रहा है मैग्रा?" कैस्पर ने मैग्रा से पूछा।

“बिल्कुल सपनों सरीखा।" मैग्रा ने कैस्पर का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा- “मैंने जैसी कल्पना की थी, तुमने उससे भी खूबसूरत महल का निर्माण किया है कैस्पर। मैं कितनी खुशकिस्मत हूं जो मुझे तुम्हारे जैसा जीवनसाथी मिला, जो मेरी हर छोटी से छोटी चीज़ो का भी ख़याल रखता है। क्या तुम मुझे जीवन भर ऐसे ही प्यार करते रहोगे?"

“मैं तो बिल्कुल खाली-खाली सा था, तुमने आकर मेरे जिंदगी को खुशियों से भर दिया। ईश्वर करे हमारा यह साथ हज़ारों सालो तक चले और मैं तुम्हे यूं ही प्यार करता रहूं।"

कैस्पर के शब्दों में जाने कैसा नशा सा था कि मैग्रा कैस्पर के प्यार में खोती जा रही थी।

तभी मैग्रा को दूर से उड़कर आता एक विशालकाय ड्रैगन दिखाई दिया।

“लो आ गया कबाब में हड्डी।" कैस्पर ने ड्रैगन को देख मुंह बनाते हुए कहा- “कब तक वापस लौटोगी?"

“काम बहुत ज़्यादा नहीं है। चिंता मत करो, जल्दी ही लौट आऊंगी तुम्हारे पास। आख़िर मेरा भी मन कहां लगेगा तुम्हारे बिना।" मैग्रा ने मुस्कुराते हुए कैस्पर से कहा।

“ठीक है, पर जल्दी लौटना।" कैस्पर ने मैग्रा के गले लगाते हुए कहा- “और अपना ख़याल रखना।"

मैग्रा ने धीरे से सिर हिलाया और फ़िर कैस्पर से दूर हटते हुए जोर से आवाज लगाई- “ड्रेंगो!"

और इसी के साथ मैग्रा आसमान की ऊंचाइयों से कूद गयी।

वह हवा में तेजी से नीचे की ओर जा रही थी। तभी ड्रेंगो उड़ते हुए, मैग्रा के शरीर के नीचे आ गया।

मैग्रा अब ड्रेंगो पर बैठ चुकी थी और ड्रेंगो तेजी से आसमान से नीचे जा रहा था।

थोड़ी ही देर में नीचे गहरा समुद्र दिखाई देने लगा।

कुछ ही देर में ड्रेंगो समुद्र की सतह को छूने वाला था। तभी मैग्रा के शरीर में कुछ अजीब से बदलाव आने लगे।

उसकी सफेद दूधिया पोशाक अब समुद्र के रंग की एक शरीर से चिपकी पोशाक बन गयी। जिस पर मछली के समान विभिन्न शल्क बनी दिखाई देने लगी।

मैग्रा के बालों की जगह भी समुंद्री ताज नजर आने लगा था, जिस पर 2 मुड़ी हुई सींघ भी निकल आयी थी। अब वह दूर से देखने पर कोई समुंद्री जीव ही नजर आ रही थी।

तभी जोर की ‘छपाक’ की आवाज के साथ ड्रेंगो ने पानी में डुबकी मारी।

चूंकि ड्रेंगो एक ड्रैगन और हायड्रा का मिला-जुला स्वरूप था। इसलिए पानी में डुबकी मारने के बाद भी ड्रेंगो की रफ़्तार में कोई परिवर्तन नहीं आया था। वह बहुत तेजी के साथ समुद्र की गहराई में जा रहा था।

10 मिनट के बाद मैग्रा को समुद्र की तली नजर आने लगी। अब ड्रेंगो की दिशा थोड़ी सी बदल गयी।

अब वह समुद्र की गहराई में अंदर तैरने लगा।

हर तरफ पानी ही पानी दिख रहा था। अजीब-अजीब से जलीय जंतू पानी में घूम रहे थे।

मैग्रा को किसी भी जगह ड्रेंगो को गाइड करने की जरुरत नहीं दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि मानो ड्रेंगो को पता हो कि उसे कहां जाना है।

तभी समुद्र की तली में किसी भव्य सभ्यता के डूबने के अवशेष दिखाई देने लगे।

पानी के अंदर एक गोल आकृति वाली सभ्यता जो शायद अपने समय में बहुत विकसित रही हो।

कहीं पानी में डूबा हुआ पिरामिड दिख रहा था, तो कहीं किसी विशाल मंदिर के अवशेष दिख रहे थे।

मगर ड्रेंगो कहीं रुक नहीं रहा था। रास्ते में पड़ने वाले विशाल जीव भी ड्रेंगो को देखकर अपना रास्ता बदल दे रहे थे।

तभी समुद्र में एक जगह पर, जमीन में एक बड़ी सी दरार दिखाई दी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे समुद्र के अंदर आये किसी विशालकाय भूकंप ने वहां कि जमीन फाड़ दी हो।

वहां पर जमीन के अंदर जाने के लिए एक बहुत बड़ा सा रास्ता बन गया था।
पानी में तेजी से तैरता हुआ ड्रेंगो उस दरार से जमीन के अंदर चला गया।

अंदर बहुत अंधकार था। तभी मैग्रा के हाथों में जाने कहां से एक सूर्य के समान चमकता हुआ गोला आ गया। उसकी तेज रोशनी से उस पूरे क्षेत्र में उजाला हो गया।

वह एक जमीन के अंदर जाने वाली बहुत बड़ी सुरंग थी।

काफ़ी देर तक उसी स्पीड में तैरते रहने के बाद आखिरकार वह सुरंग ख़तम हो गई।
अब एक काफ़ी बड़ा सा क्षेत्र समुद्र में उस जगह पर दिखाई देने लगा।

तभी मैग्रा को कुछ दूर समुद्र में एक रोशनी सी दिखाई दी। मैग्रा के इशारे पर ड्रेंगो उस दिशा में चल पड़ा।

कुछ देर में उस चमक का कारण समझ में आने लगा।

समुद्र के अंदर वह एक सोने का महल था।

समुद्र की इतनी गहराई में इतना विशालकाय सोने का महल किसने बनवाया होगा? इसका तो खैर पता नहीं चला, पर उस स्वर्ण महल की भव्यता देखने लायक थी।

तभी कुछ अजीब जीवो पर सवार कुछ मगरमच्छ मानव दिखाई दिये, जो शरीर से तो इंसान जैसे थे, पर चेहरे से मगरमच्छ जैसे लग रहे थे।

उन्होंने मैग्रा को देखते ही अपने हाथ में पकड़े अस्त्र से, मैग्रा पर हमला कर दिया।

पर मैग्रा को बचाव करने की कोई जरुरत नहीं थी, उनके लिये ड्रेंगो ही काफ़ी था।

ड्रेंगो ने अपनी विशालकाय पूंछ से सभी मगरमच्छ मानवों को पानी में दूर उछाल दिया।

मैग्रा फ़िर से स्वर्ण महल की ओर बढ़ने लगी, पर मैग्रा जैसे ही महल के द्वार पर पहुंची। एक विशालकाय जलदैत्य ने मैग्रा को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया।

वह जलदैत्य एक 2 सिर वाला बहुत बड़ा अजगर था, जिसके हाथ और पैर भी थे।

“कराका के होते हुए तुम इस तरह से स्वर्ण महल में प्रवेश नहीं कर सकती मूर्ख़ लड़की।" कराका ने जोर से गर्जते हुए कहा।

कराका ने मैग्रा को खाने के लिये अपना एक मुंह जोर से फाड़ा। तभी मैग्रा के हाथ में दोबारा वही सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ, जो मैग्रा के हाथ से निकल कर कराका के खुले मुंह में प्रवेश कर गया।

कराका के मुंह में घुसकर वह गोला तेजी से अपना आकार बढ़ाने लगा। अब कराका के मुह से चीख निकलने लगी। उसने मैग्रा को हाथ से फेंक दिया और एक दिशा में भाग गया।

अब मैग्रा ने स्वर्ण महल में प्रवेश किया। अजीब सी बात थी, स्वर्ण महल में बिल्कुल भी पानी नहीं था।

महल में घुसते ही मैग्रा को सामने एक ऊर्जा के ग्लोब में एक त्रिशूल कि भांति एक ‘पंचशूल’ दिखाई दिया।

उस पंचशूल के बीच में एक सूर्य की गोलाकार आकृति बनी थी।

मैग्रा ने अपना हाथ हवा में लहराया। अब उसके हाथ में एक तलवार दिखाई दी।

मैग्रा ने अपनी तलवार का वार पूरे जोर से उस ऊर्जा के ग्लोब पर किया। पर इस वार से उस ऊर्जा ग्लोब पर कोई असर नहीं हुआ।

अब मैग्रा के हाथ में एक कुल्हाड़ा प्रकट हुआ, पर उसके भी प्रहार से ऊर्जा ग्लोब पर कुछ भी असर नहीं हुआ।

इस बार मैग्रा के हाथ में फ़िर से सूर्य के समान गोला प्रकट हुआ। मैग्रा ने वह सूर्य का गोला उस ऊर्जा ग्लोब पर मार दिया। इस बार उस सूर्य के गोले से आग की लहरें निकलकर उस ऊर्जा ग्लोब को गर्म करने लगी।
जब ऊर्जा ग्लोब आग की तरह धधकने लगा तो मैग्रा के हाथ में एक सफेद रंग का चंद्र ग्लोब दिखाई दिया।

मैग्रा ने चंद्र-ग्लोब भी उस ओर उछाल दिया। चंद्र-ग्लोब ने दूसरी ओर से उस ऊर्जा ग्लोब पर बर्फ़ की बौछार कर दी।

अब ऊर्जा ग्लोब एक तरफ से सूर्य की आग उगलती गरमी से गर्म हो रहा था, तो वही दूसरी ओर चंद्रमा की बर्फ़उसे ठंडा कर रही थी।

थोड़ी देर के बाद उस ऊर्जा ग्लोब में दरारें दिखने लगी।

अब मैग्रा ने अपनी हाथ में पकड़ी तलवार पूरी ताकत से उस ऊर्जा-ग्लोब पर मार दी।

मैग्रा के इस वार से ऊर्जा-ग्लोब टूट कर बिखर गया।

ग्लोब के बिखरते ही सूर्य और चंद्र गोले गायब हो गये। मैग्रा ने अब आगे बढ़कर उस पंचशूल को उठा लिया।

पंचशूल को उठाते ही मैग्रा को अपने शरीर में बिजली सी दौड़ती हुई महसूस हुई।

“मैग्राऽऽऽऽऽ!" और इसी के साथ शैफाली चीखकर उठकर बैठ गयी।

शैफाली की चीख सुनकर सभी जाग गये। शैफाली का पूरा शरीर पसीने से सराबोर था।

“क्या हुआ शैफाली?" अल्बर्ट ने भागकर आते हुए कहा- “क्या तुम फ़िर से कोई सपना देख रही थी?“

शैफाली ने धीरे से अपना सिर हां में हिलाया।

क्रिस्टी ने पानी की बोतल निकालकर शैफाली को पकड़ा दी। शैफाली का पूरा गला सूख गया था, इसिलये वह एक साँस में ही पूरा पानी पी गयी।

फ़िर शैफाली ने सबको अपने सपने की पूरी कहानी सुना दी।

“अब यह मैग्रा और कैस्पर कौन हैं?" जेनिथ ने कहा- “इस द्वीप की कहानी तो उलझती ही जा रही है। रोज नये-नये पात्रो का पता चल रहा है।"

“अगर यह सपना शैफाली ने देखा है, तो हम इसे झुठला नहीं सकते।" अल्बर्ट ने शैफाली की ओर देखते हुए कहा- “अब ये नहीं पता कि ये घटना कब घटेगी?"

“आप ये कैसे कह रहे है प्रोफेसर, कि यह घटना घटने वाली है?" सुयश ने दिमाग लगाते हुए अल्बर्ट से पूछा- “मुझे तो यह घटना भी मेरी वेदालय वाली घटना की तरह ही बीते हुए समय की घटना लग रही है।"

“आप एक बात भूल रहे हैं कैप्टन कि शैफाली ने आज तक जितनी भी घटनाएं अपने सपने में देखी है, वो सभी भविष्य में घटने वाली घटनाएं थी।" अल्बर्ट ने पुनः सुयश से कहा।

“आपकी बात सही है प्रोफेसर, पर पता नहीं क्यों मुझे यह घटना बीते हुए समय की लग रही है। क्यों कि आज के समय में ड्रेगन और हाइड्रा का अस्तित्व मुझे थोड़ा सही नहीं लग रहा है।" सुयश ने सभी की ओर बारी-बारी से देखते हुए कहा।

किसी के पास कोई जवाब नहीं था, इसलिए सभी फ़िर से सोने के लिये चल दिये।

इस सपने का जवाब वहां मौजूद केवल एक के पास ही था, जिसने शैफाली को यह सपने दिखाए ही थे।

और वह थी- “मेडूसाऽऽऽऽऽऽऽ"



जारी रहेगा_______✍️
lovely aur romanch se bharpur tha update ..Medusa ne shefali ko sapna dikhaya jisme Casper aur megra ki prem kahani thi .karaka kyu raksha kar raha tha swarn mahal ki aur wo globe kya tha jo megra tabah karna chahti thi .
 

KEKIUS MAXIMUS

Supreme
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#100.

चैपटर-13

समय-चक्र
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 03:15, मायावन, अराका द्वीप)

शैफाली के सपने के बाद सभी फ़िर से सो चुके थे, पर पता नहीं क्यों जेनिथ को बहुत बेचैनी सी महसूस हो रही थी।

उसे अपने घर की बहुत याद आ रही थी। उसका मन कर रहा था कि वह तौफीक के पास ही चली जाए, पर इतनी रात को उधर जाना भी ठीक नहीं था।

जेनिथ ने बहुत करवटें बदली, पर उसे नींद नहीं आयी। आख़िरकार उसने टहलने का योजना बनाया।

यह सोच जेनिथ उठकर खड़ी हो गयी। उसने एक नजर वहां सो रहे सभी लोगो पर मारी, फ़िर धीरे से उन सो रहे लोगो से कुछ दूर जाकर टहलने लगी।

वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे इतनी बेचैनी क्यों हो रही है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कुछ बुरा होने जा रहा है।

तभी अचानक जेनिथ के गले में पड़े लॉकेट का वह काला मोती प्रकाशमान हो गया, पर उसकी रोशनी इतनी कम थी कि जेनिथ उसे देख नहीं पायी।

“हाय जेनिथ!" जेनिथ को अपने दिमाग में एक आवाज सी आती हुई महसूस हुई।

“कौन?" जेनिथ इस आवाज को सुन हैरानी से बोल उठी- “कौन हो तुम?"

“पहले शांत हो जाओ और कुछ बोलने की कोशिश मत करो। वरना वहां सो रहे सारे लोग उठ जायेंगे और मैं तुमसे बात नहीं कर पाऊंगा। तुम्हे जो कुछ पूछना है, वह अपने मन में सोचो। मैं तुम्हारे मन की बात सुन सकता हूँ।" जेनिथ के दिमाग में फ़िर से आवाज आयी।

जेनिथ यह बात सुनकर घबरा गयी। पर इस बार उसने अपने मुंह से कोई आवाज नहीं निकाली।

“कौन हो तुम? और मुझसे कैसे बात कर रहे हो?" जेनिथ ने अपने मन में सोचा।

“वेरी गुड! तुम इसी प्रकार मुझसे बात कर सकती हो।" जेनिथ के दिमाग में पुनः आवाज गूंजी-
“मैं ‘समयचक्र’ हूँ। मैं तुम्हारे गले में पड़े लॉकेट में रहता हूँ।"

जेनिथ ने घबराकर अपने लॉकेट की ओर देखा। जेनिथ के देखते ही लॉकेट का मोती पुनः प्रकाशमान हो उठा।

इस बार जेनिथ को यह साफ दिखाई दिया।

“तुम मुझसे क्या चाहते हो?" जेनिथ ने अब चहलकदमी करते हुए कहा।

“मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।" समयचक्र ने कहा।

“मेरी मदद ... पर मुझे किसी मदद की जरुरत नहीं है।" जेनिथ ने कहा- “और तुम मेरी मदद किस प्रकार कर सकते हो?"

“तुम्हें स्वयं नहीं पता है कि इस समय तुम्हें मदद की जरुरत है और मैं तुम्हारी मदद हर प्रकार से कर सकता हूँ।" समयचक्र ने कहा।

“मैं तुम्हारी पहेलियों को समझ नहीं पा रही हूँ समयचक्र।" जेनिथ ने कहा- “क्या तुम खुल कर मुझे कुछ समझाओगे कि तुम कौन हो? और तुम क्या कहना चाहते हो?"

“ठीक है, मैं तुम्हें शुरू से समझाता हूँ।" समयचक्र ने कहा- “पृथ्वी से 1.2 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर एक और आकाशगंगा है, जिसे ‘एरियन’ आकाशगंगा कहते हैं, उस आकाशगंगा के एक ग्रह का नाम है- ‘डेल्फ़ानो’।"

“एक मिनट ... एक मिनट!" जेनिथ ने समयचक्र को बीच में ही टोकते हुए पूछा- “ये 1.2 मिलियन प्रकाशवर्ष कितना हुआ? जरा समझाओगे क्योंकि मुझे विज्ञान की इतनी जानकारी नहीं है?"

“प्रकाश 1 सेकंड में 30 लाख किलोमीटर की दूरी तय करता है। वही प्रकाश 1 वर्ष में कुल जितनी दूरी तय करता है, उसे 1 प्रकाशवर्ष कहते हैं और डेल्फ़ानो यहां से 12 लाख प्रकाशवर्ष दूर है।" समयचक्र ने कहा।

“बाप रे! इतना ज़्यादा।" जेनिथ के विचारों में आश्चर्य साफ झलक रहा था।

“हां। इसका मतलब इतनी दूरी को तय करने के लिये, प्रकाश की गति से चलकर भी 12 लाख वर्ष का समय लगेगा।" समयचक्र ने जेनिथ को समझाया-

“अच्छा अब आगे सुनो। डेल्फ़ानो के राजा ‘गिरोट’ ने दूसरी आकाशगंगा के लोगों से सम्पर्क करने का विचार किया, पर यह दूरी ज़्यादा होने के कारण संभव नहीं था। लेकिन गिरोट स्वयं एक वैज्ञानिक थे इसिलये उन्होंने मेरा यानी ‘समयचक्र’ का निर्माण किया, जो कि ‘ब्लैक होल’ और ‘नेबूला’ के सिद्धांतो से बना था।

मैं समय को रोककर किसी को भी एक आकाशगंगा से दूसरी आकाशगंगा मैं सेकंड से भी कम समय में पहुंचा सकता था। जैसे ही यह खबर दूसरे ग्रह के लोगों को पता चली, उन्होंने मुझको पाने के लिये डेल्फ़ानो पर हमले करने शुरू कर दिये।

गिरोट को पता था कि एक ना एक दिन वह लोग अवश्य कामयाब हो जाते और मुझे पाते ही अन्तरिक्ष में विनाश करना शुरू कर देते। इससे बचने के लिये उन्होंने मेरे अंदर कुछ बदलाव किये और मुझे स्वयं का मस्तिष्क प्रदान कर दिया। अब अगर मैं किसी के हाथ में आ भी जाता तो वह मेरा प्रयोग मेरी इच्छा के बिना नहीं कर सकता था।

एक दिन कई ग्रहो ने एक साथ मिलकर डेल्फ़ानो पर आक्रमण कर दिया और राजा गिरोट को मार दिया। राजा गिरोट ने मरने से पहले मुझे एक छोटे से काले मोती में कैद कर दूसरी आकाशगंगा में फेंक दिया। मैं आज से 20 वर्ष पहले पृथ्वी के इस अराका द्वीप पर आकर गिरा। मुझे जंगलियों ने अपनी देवी का रत्न समझ एक लॉकेट के रूप में उनके गले में डाल दिया।"

“अच्छा तो ये मेरे गले में समयचक्र है।" जेनिथ ने अपने गले के लॉकेट को हाथ से छूते हुए मन में सोचा- “तुम्हारा नाम क्या है?”

“मेरा नाम?..... मैं तो समयचक्र ही हूँ।" समयचक्र ने थोड़ा गड़बड़ाते हुए कहा।

“समय को नियंत्रित करना तुम्हारा कार्य है, पर ये तुम्हारा नाम नहीं हो सकता।" जेनिथ ने अपने मन में कहा।

“फ़िर.... फ़िर तुम्ही कोई अच्छा सा मेरा नाम क्यों नहीं रख देती?" समयचक्र ने जेनिथ को सुझाया।

“हूँ......... तुम्हारा नाम .... तुम्हारा नाम ...... चूंकि तुम नक्षत्रो से बने हो, इसिलये आज से मैं तुम्हारा नाम ‘नक्षत्रा’ रखती हूँ।" जेनिथ ने कहा- “कैसा लगा तुम्हें तुम्हारा नया नाम?"

“बहुत ही अच्छा.... इससे अच्छा नाम मेरे लिये कोई हो भी नहीं सकता था।" ‘नक्षत्रा’ ने खुश होते हुए कहा।

“तो फ़िर आज से तुम मेरे दोस्त ।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।

“दोस्त?" .... नक्षत्रा ने आश्चर्य से कहा- “तुम सच में मुझे अपना दोस्त बनाना चाहती हो?"

“क्यों?.....तुम्हें आश्चर्य क्यों हो रहा है?" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।

“कुछ नहीं..... पर मैं पिछले 20 वर्ष से इंसानो के बीच हूँ और उनकी भावनाओं पर अध्ययन भी कर रहा हूँ।"

नक्षत्रा ने कहा- “अधिकतर मनुष्य लालची हैं, जो अपने मतलब की खातिर किसी भी रिस्ते पर वार करने से नहीं हिचकीचते। आज के समय में अगर किसी भी इंसान को कोई सुपर पावर देने की बात करो, तो वह उसे अपना गुलाम बना कर ही रखना चाहेंगे, पर तुम्हारी सोच दूसरोँ से काफ़ी अलग है। लगता है मैंने तुम्हें चुनकर कोई गलती नहीं की। मुझे तुम्हारा दोस्त बनने में खुशी महसूस होगी।"

“अरे वाह! अब तो मैं जंगल में भी अकेलापन महसूस नहीं करूंगी।" जेनिथ ने खुश होते हुए कहा- “अच्छा ये बताओ तुम कर क्या-क्या सकते हो? आई मीन तुम्हारी पॉवर्स क्या हैं?"

“मैं अभी आधा-अधूरा हूँ और तेजी से खुद को विकसित कर रहा हूँ।" नक्षत्रा ने कहा।

“आधा-अधूरा मतलब?" जेनिथ ने ना समझने वाले भाव से कहा।

“मतलब मैं अन्तरिक्ष में तुम्हें किसी भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकता हूँ, लेकिन पृथ्वी पर वातावरण होने की वजह से मैं ऐसा अभी नहीं कर सकता।"

नक्षत्रा ने अपनी विशेषताएं बताते हुए कहा- “मैं तुम्हें किसी भी व्यक्ती के बीते हुए एक साल के समयकाल में ले चल सकता हूँ, बस वह व्यक्ती या उसकी फोटो तुम्हारे सामने होनी चाहिये। और हां ये याद रहे कि उस समयकाल में तुम कोई परिवर्तन नहीं कर सकती। भविष्य को देखने की शक्ति अभी मैं विकसित करने की कोशिश कर रहा हूँ। बाकी कुछ छोटी-मोटी शक्तियां हैं, जो मैं तुम्हें समय आने पर बताऊंगा।"

“ठीक है, मेरे लिये इतना ही काफ़ी है कि मुझे एक दोस्त मिल गया।" जेनिथ ने ये बोलते हुए सो रहे तौफीक की ओर देखा- “नहीं तो यहां पर तो कुछ लोग साथ रहकर भी नहीं हैं।"

“जेनिथ तुममें भावनाएं बहुत ज़्यादा है और ज़्यादा भावनाएं हमेशा दुख ही पहुँचाति हैं। इसलिये पहले तुम्हें अपनी भावनाओ को नियंत्रित करने की जरुरत है।" नक्षत्रा ने कहा।

“मैं तुम्हारे कहने का मतलब नहीं समझी नक्षत्रा?" जेनिथ ने कहा।

“जेनिथ मैं तुम्हारे दिल और दिमाग दोनों से जुड़ा हूँ। तुम जो महसूस करोगी, वो मुझे अपने आप महसूस हो जायेगा। मुझे पता है कि इस समय तुम तौफीक के बारे में बात कर रही हो। पर मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि तुम तौफीक को जितनी जल्दी भूल जाओ, उतना ही अच्छा है।" नक्षत्रा के शब्दों में रहस्य भरा था।

“तुम ऐसा क्यों कह रहे हो नक्षत्रा? क्या कोई ऐसी बात है जो तुम मुझे बताना नहीं चाहते?" जेनिथ ने नक्षत्रा को जोर देते हुए कहा।

“अभी तुम्हारा, तुम्हारी भावनाओ पर नियंत्रण नहीं है, इसिलये कुछ चीज़ो का ना जानना ही तुम्हारे लिये अच्छा है।" नक्षत्रा के हर शब्द जेनिथ के रहस्यमयी लग रहे थे।

“देखो नक्षत्रा, तुमने मुझे दोस्त कहा है, मैं नहीं चाहती कि मेरा दोस्त मुझसे कुछ छिपाए, अगर तुम्हें कुछ ऐसा पता है जो मेरे लिये सही नहीं है? तो तुम्हें मुझे वो बताना पड़ेगा।"

जेनिथ अब जिद्द पर उतर आयी।

“ठीक है। मैं तुम्हें सब बता दूँगा, पर तुम्हें मुझसे वादा करना पड़ेगा कि तुम अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखोगी।" नक्षत्रा ने हिथयार डालते हुए कहा।

“ठीक है मैं वादा करती हूँ कि मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखूंगी।" जेनिथ ने वादा करते हुए कहा।

“तो फ़िर ठीक है, मैं अभी समय को रोककर तुम्हें ऐसी चीज दिखाता हूँ जो कि मुझे लगता है कि तुम्हारा जानना बहुत जरूरी है।" नक्षत्रा के इतना कहते ही आसपास का समय रुक गया, जो जहां था वहीं पर रुक गया।

जेनिथ की आँखो के सामने अब कुछ दृश्य नजर आने लगे।


जारी रहेगा________✍️
lovely update. to jenith ke gale me jo locket hai wo samaychakra hai ..dusri aakashganga ke raja ne banaya hai samaychakr ko .ab wo aisa kya batanewala hai jenith ko dekhte hai ..
 

Raj_sharma

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lovely aur romanch se bharpur tha update ..Medusa ne shefali ko sapna dikhaya jisme Casper aur megra ki prem kahani thi .karaka kyu raksha kar raha tha swarn mahal ki aur wo globe kya tha jo megra tabah karna chahti thi .
Karaka, waha ka Raksqk hai bhai, aur globe ko us panch-sool ki raksha ke liye hi rakha tha, taaki wo galat haath me nahi pade :declare:
Thanks brother for your valuable review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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lovely update. to jenith ke gale me jo locket hai wo samaychakra hai ..dusri aakashganga ke raja ne banaya hai samaychakr ko .ab wo aisa kya batanewala hai jenith ko dekhte hai ..
Jenith ki jindgi hilaa ke rakh dega wo, :shhhh: Jo bhi kuch nakchatra batane waala hai wo uske liye bohot maayne rakhta hai, aur Nakchatra bohot powerful hai bhai.
Thank you very much for your wonderful review and support :thanx:
 

parkas

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चैपटर-13

समय-चक्र
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 03:15, मायावन, अराका द्वीप)

शैफाली के सपने के बाद सभी फ़िर से सो चुके थे, पर पता नहीं क्यों जेनिथ को बहुत बेचैनी सी महसूस हो रही थी।

उसे अपने घर की बहुत याद आ रही थी। उसका मन कर रहा था कि वह तौफीक के पास ही चली जाए, पर इतनी रात को उधर जाना भी ठीक नहीं था।

जेनिथ ने बहुत करवटें बदली, पर उसे नींद नहीं आयी। आख़िरकार उसने टहलने का योजना बनाया।

यह सोच जेनिथ उठकर खड़ी हो गयी। उसने एक नजर वहां सो रहे सभी लोगो पर मारी, फ़िर धीरे से उन सो रहे लोगो से कुछ दूर जाकर टहलने लगी।

वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे इतनी बेचैनी क्यों हो रही है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कुछ बुरा होने जा रहा है।

तभी अचानक जेनिथ के गले में पड़े लॉकेट का वह काला मोती प्रकाशमान हो गया, पर उसकी रोशनी इतनी कम थी कि जेनिथ उसे देख नहीं पायी।

“हाय जेनिथ!" जेनिथ को अपने दिमाग में एक आवाज सी आती हुई महसूस हुई।

“कौन?" जेनिथ इस आवाज को सुन हैरानी से बोल उठी- “कौन हो तुम?"

“पहले शांत हो जाओ और कुछ बोलने की कोशिश मत करो। वरना वहां सो रहे सारे लोग उठ जायेंगे और मैं तुमसे बात नहीं कर पाऊंगा। तुम्हे जो कुछ पूछना है, वह अपने मन में सोचो। मैं तुम्हारे मन की बात सुन सकता हूँ।" जेनिथ के दिमाग में फ़िर से आवाज आयी।

जेनिथ यह बात सुनकर घबरा गयी। पर इस बार उसने अपने मुंह से कोई आवाज नहीं निकाली।

“कौन हो तुम? और मुझसे कैसे बात कर रहे हो?" जेनिथ ने अपने मन में सोचा।

“वेरी गुड! तुम इसी प्रकार मुझसे बात कर सकती हो।" जेनिथ के दिमाग में पुनः आवाज गूंजी-
“मैं ‘समयचक्र’ हूँ। मैं तुम्हारे गले में पड़े लॉकेट में रहता हूँ।"

जेनिथ ने घबराकर अपने लॉकेट की ओर देखा। जेनिथ के देखते ही लॉकेट का मोती पुनः प्रकाशमान हो उठा।

इस बार जेनिथ को यह साफ दिखाई दिया।

“तुम मुझसे क्या चाहते हो?" जेनिथ ने अब चहलकदमी करते हुए कहा।

“मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।" समयचक्र ने कहा।

“मेरी मदद ... पर मुझे किसी मदद की जरुरत नहीं है।" जेनिथ ने कहा- “और तुम मेरी मदद किस प्रकार कर सकते हो?"

“तुम्हें स्वयं नहीं पता है कि इस समय तुम्हें मदद की जरुरत है और मैं तुम्हारी मदद हर प्रकार से कर सकता हूँ।" समयचक्र ने कहा।

“मैं तुम्हारी पहेलियों को समझ नहीं पा रही हूँ समयचक्र।" जेनिथ ने कहा- “क्या तुम खुल कर मुझे कुछ समझाओगे कि तुम कौन हो? और तुम क्या कहना चाहते हो?"

“ठीक है, मैं तुम्हें शुरू से समझाता हूँ।" समयचक्र ने कहा- “पृथ्वी से 1.2 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर एक और आकाशगंगा है, जिसे ‘एरियन’ आकाशगंगा कहते हैं, उस आकाशगंगा के एक ग्रह का नाम है- ‘डेल्फ़ानो’।"

“एक मिनट ... एक मिनट!" जेनिथ ने समयचक्र को बीच में ही टोकते हुए पूछा- “ये 1.2 मिलियन प्रकाशवर्ष कितना हुआ? जरा समझाओगे क्योंकि मुझे विज्ञान की इतनी जानकारी नहीं है?"

“प्रकाश 1 सेकंड में 30 लाख किलोमीटर की दूरी तय करता है। वही प्रकाश 1 वर्ष में कुल जितनी दूरी तय करता है, उसे 1 प्रकाशवर्ष कहते हैं और डेल्फ़ानो यहां से 12 लाख प्रकाशवर्ष दूर है।" समयचक्र ने कहा।

“बाप रे! इतना ज़्यादा।" जेनिथ के विचारों में आश्चर्य साफ झलक रहा था।

“हां। इसका मतलब इतनी दूरी को तय करने के लिये, प्रकाश की गति से चलकर भी 12 लाख वर्ष का समय लगेगा।" समयचक्र ने जेनिथ को समझाया-

“अच्छा अब आगे सुनो। डेल्फ़ानो के राजा ‘गिरोट’ ने दूसरी आकाशगंगा के लोगों से सम्पर्क करने का विचार किया, पर यह दूरी ज़्यादा होने के कारण संभव नहीं था। लेकिन गिरोट स्वयं एक वैज्ञानिक थे इसिलये उन्होंने मेरा यानी ‘समयचक्र’ का निर्माण किया, जो कि ‘ब्लैक होल’ और ‘नेबूला’ के सिद्धांतो से बना था।

मैं समय को रोककर किसी को भी एक आकाशगंगा से दूसरी आकाशगंगा मैं सेकंड से भी कम समय में पहुंचा सकता था। जैसे ही यह खबर दूसरे ग्रह के लोगों को पता चली, उन्होंने मुझको पाने के लिये डेल्फ़ानो पर हमले करने शुरू कर दिये।

गिरोट को पता था कि एक ना एक दिन वह लोग अवश्य कामयाब हो जाते और मुझे पाते ही अन्तरिक्ष में विनाश करना शुरू कर देते। इससे बचने के लिये उन्होंने मेरे अंदर कुछ बदलाव किये और मुझे स्वयं का मस्तिष्क प्रदान कर दिया। अब अगर मैं किसी के हाथ में आ भी जाता तो वह मेरा प्रयोग मेरी इच्छा के बिना नहीं कर सकता था।

एक दिन कई ग्रहो ने एक साथ मिलकर डेल्फ़ानो पर आक्रमण कर दिया और राजा गिरोट को मार दिया। राजा गिरोट ने मरने से पहले मुझे एक छोटे से काले मोती में कैद कर दूसरी आकाशगंगा में फेंक दिया। मैं आज से 20 वर्ष पहले पृथ्वी के इस अराका द्वीप पर आकर गिरा। मुझे जंगलियों ने अपनी देवी का रत्न समझ एक लॉकेट के रूप में उनके गले में डाल दिया।"

“अच्छा तो ये मेरे गले में समयचक्र है।" जेनिथ ने अपने गले के लॉकेट को हाथ से छूते हुए मन में सोचा- “तुम्हारा नाम क्या है?”

“मेरा नाम?..... मैं तो समयचक्र ही हूँ।" समयचक्र ने थोड़ा गड़बड़ाते हुए कहा।

“समय को नियंत्रित करना तुम्हारा कार्य है, पर ये तुम्हारा नाम नहीं हो सकता।" जेनिथ ने अपने मन में कहा।

“फ़िर.... फ़िर तुम्ही कोई अच्छा सा मेरा नाम क्यों नहीं रख देती?" समयचक्र ने जेनिथ को सुझाया।

“हूँ......... तुम्हारा नाम .... तुम्हारा नाम ...... चूंकि तुम नक्षत्रो से बने हो, इसिलये आज से मैं तुम्हारा नाम ‘नक्षत्रा’ रखती हूँ।" जेनिथ ने कहा- “कैसा लगा तुम्हें तुम्हारा नया नाम?"

“बहुत ही अच्छा.... इससे अच्छा नाम मेरे लिये कोई हो भी नहीं सकता था।" ‘नक्षत्रा’ ने खुश होते हुए कहा।

“तो फ़िर आज से तुम मेरे दोस्त ।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।

“दोस्त?" .... नक्षत्रा ने आश्चर्य से कहा- “तुम सच में मुझे अपना दोस्त बनाना चाहती हो?"

“क्यों?.....तुम्हें आश्चर्य क्यों हो रहा है?" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।

“कुछ नहीं..... पर मैं पिछले 20 वर्ष से इंसानो के बीच हूँ और उनकी भावनाओं पर अध्ययन भी कर रहा हूँ।"

नक्षत्रा ने कहा- “अधिकतर मनुष्य लालची हैं, जो अपने मतलब की खातिर किसी भी रिस्ते पर वार करने से नहीं हिचकीचते। आज के समय में अगर किसी भी इंसान को कोई सुपर पावर देने की बात करो, तो वह उसे अपना गुलाम बना कर ही रखना चाहेंगे, पर तुम्हारी सोच दूसरोँ से काफ़ी अलग है। लगता है मैंने तुम्हें चुनकर कोई गलती नहीं की। मुझे तुम्हारा दोस्त बनने में खुशी महसूस होगी।"

“अरे वाह! अब तो मैं जंगल में भी अकेलापन महसूस नहीं करूंगी।" जेनिथ ने खुश होते हुए कहा- “अच्छा ये बताओ तुम कर क्या-क्या सकते हो? आई मीन तुम्हारी पॉवर्स क्या हैं?"

“मैं अभी आधा-अधूरा हूँ और तेजी से खुद को विकसित कर रहा हूँ।" नक्षत्रा ने कहा।

“आधा-अधूरा मतलब?" जेनिथ ने ना समझने वाले भाव से कहा।

“मतलब मैं अन्तरिक्ष में तुम्हें किसी भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकता हूँ, लेकिन पृथ्वी पर वातावरण होने की वजह से मैं ऐसा अभी नहीं कर सकता।"

नक्षत्रा ने अपनी विशेषताएं बताते हुए कहा- “मैं तुम्हें किसी भी व्यक्ती के बीते हुए एक साल के समयकाल में ले चल सकता हूँ, बस वह व्यक्ती या उसकी फोटो तुम्हारे सामने होनी चाहिये। और हां ये याद रहे कि उस समयकाल में तुम कोई परिवर्तन नहीं कर सकती। भविष्य को देखने की शक्ति अभी मैं विकसित करने की कोशिश कर रहा हूँ। बाकी कुछ छोटी-मोटी शक्तियां हैं, जो मैं तुम्हें समय आने पर बताऊंगा।"

“ठीक है, मेरे लिये इतना ही काफ़ी है कि मुझे एक दोस्त मिल गया।" जेनिथ ने ये बोलते हुए सो रहे तौफीक की ओर देखा- “नहीं तो यहां पर तो कुछ लोग साथ रहकर भी नहीं हैं।"

“जेनिथ तुममें भावनाएं बहुत ज़्यादा है और ज़्यादा भावनाएं हमेशा दुख ही पहुँचाति हैं। इसलिये पहले तुम्हें अपनी भावनाओ को नियंत्रित करने की जरुरत है।" नक्षत्रा ने कहा।

“मैं तुम्हारे कहने का मतलब नहीं समझी नक्षत्रा?" जेनिथ ने कहा।

“जेनिथ मैं तुम्हारे दिल और दिमाग दोनों से जुड़ा हूँ। तुम जो महसूस करोगी, वो मुझे अपने आप महसूस हो जायेगा। मुझे पता है कि इस समय तुम तौफीक के बारे में बात कर रही हो। पर मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि तुम तौफीक को जितनी जल्दी भूल जाओ, उतना ही अच्छा है।" नक्षत्रा के शब्दों में रहस्य भरा था।

“तुम ऐसा क्यों कह रहे हो नक्षत्रा? क्या कोई ऐसी बात है जो तुम मुझे बताना नहीं चाहते?" जेनिथ ने नक्षत्रा को जोर देते हुए कहा।

“अभी तुम्हारा, तुम्हारी भावनाओ पर नियंत्रण नहीं है, इसिलये कुछ चीज़ो का ना जानना ही तुम्हारे लिये अच्छा है।" नक्षत्रा के हर शब्द जेनिथ के रहस्यमयी लग रहे थे।

“देखो नक्षत्रा, तुमने मुझे दोस्त कहा है, मैं नहीं चाहती कि मेरा दोस्त मुझसे कुछ छिपाए, अगर तुम्हें कुछ ऐसा पता है जो मेरे लिये सही नहीं है? तो तुम्हें मुझे वो बताना पड़ेगा।"

जेनिथ अब जिद्द पर उतर आयी।

“ठीक है। मैं तुम्हें सब बता दूँगा, पर तुम्हें मुझसे वादा करना पड़ेगा कि तुम अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखोगी।" नक्षत्रा ने हिथयार डालते हुए कहा।

“ठीक है मैं वादा करती हूँ कि मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखूंगी।" जेनिथ ने वादा करते हुए कहा।

“तो फ़िर ठीक है, मैं अभी समय को रोककर तुम्हें ऐसी चीज दिखाता हूँ जो कि मुझे लगता है कि तुम्हारा जानना बहुत जरूरी है।" नक्षत्रा के इतना कहते ही आसपास का समय रुक गया, जो जहां था वहीं पर रुक गया।

जेनिथ की आँखो के सामने अब कुछ दृश्य नजर आने लगे।


जारी रहेगा________✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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dhalchandarun

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चैपटर-13

समय-चक्र
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 03:15, मायावन, अराका द्वीप)

शैफाली के सपने के बाद सभी फ़िर से सो चुके थे, पर पता नहीं क्यों जेनिथ को बहुत बेचैनी सी महसूस हो रही थी।

उसे अपने घर की बहुत याद आ रही थी। उसका मन कर रहा था कि वह तौफीक के पास ही चली जाए, पर इतनी रात को उधर जाना भी ठीक नहीं था।

जेनिथ ने बहुत करवटें बदली, पर उसे नींद नहीं आयी। आख़िरकार उसने टहलने का योजना बनाया।

यह सोच जेनिथ उठकर खड़ी हो गयी। उसने एक नजर वहां सो रहे सभी लोगो पर मारी, फ़िर धीरे से उन सो रहे लोगो से कुछ दूर जाकर टहलने लगी।

वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे इतनी बेचैनी क्यों हो रही है। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कुछ बुरा होने जा रहा है।

तभी अचानक जेनिथ के गले में पड़े लॉकेट का वह काला मोती प्रकाशमान हो गया, पर उसकी रोशनी इतनी कम थी कि जेनिथ उसे देख नहीं पायी।

“हाय जेनिथ!" जेनिथ को अपने दिमाग में एक आवाज सी आती हुई महसूस हुई।

“कौन?" जेनिथ इस आवाज को सुन हैरानी से बोल उठी- “कौन हो तुम?"

“पहले शांत हो जाओ और कुछ बोलने की कोशिश मत करो। वरना वहां सो रहे सारे लोग उठ जायेंगे और मैं तुमसे बात नहीं कर पाऊंगा। तुम्हे जो कुछ पूछना है, वह अपने मन में सोचो। मैं तुम्हारे मन की बात सुन सकता हूँ।" जेनिथ के दिमाग में फ़िर से आवाज आयी।

जेनिथ यह बात सुनकर घबरा गयी। पर इस बार उसने अपने मुंह से कोई आवाज नहीं निकाली।

“कौन हो तुम? और मुझसे कैसे बात कर रहे हो?" जेनिथ ने अपने मन में सोचा।

“वेरी गुड! तुम इसी प्रकार मुझसे बात कर सकती हो।" जेनिथ के दिमाग में पुनः आवाज गूंजी-
“मैं ‘समयचक्र’ हूँ। मैं तुम्हारे गले में पड़े लॉकेट में रहता हूँ।"

जेनिथ ने घबराकर अपने लॉकेट की ओर देखा। जेनिथ के देखते ही लॉकेट का मोती पुनः प्रकाशमान हो उठा।

इस बार जेनिथ को यह साफ दिखाई दिया।

“तुम मुझसे क्या चाहते हो?" जेनिथ ने अब चहलकदमी करते हुए कहा।

“मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।" समयचक्र ने कहा।

“मेरी मदद ... पर मुझे किसी मदद की जरुरत नहीं है।" जेनिथ ने कहा- “और तुम मेरी मदद किस प्रकार कर सकते हो?"

“तुम्हें स्वयं नहीं पता है कि इस समय तुम्हें मदद की जरुरत है और मैं तुम्हारी मदद हर प्रकार से कर सकता हूँ।" समयचक्र ने कहा।

“मैं तुम्हारी पहेलियों को समझ नहीं पा रही हूँ समयचक्र।" जेनिथ ने कहा- “क्या तुम खुल कर मुझे कुछ समझाओगे कि तुम कौन हो? और तुम क्या कहना चाहते हो?"

“ठीक है, मैं तुम्हें शुरू से समझाता हूँ।" समयचक्र ने कहा- “पृथ्वी से 1.2 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर एक और आकाशगंगा है, जिसे ‘एरियन’ आकाशगंगा कहते हैं, उस आकाशगंगा के एक ग्रह का नाम है- ‘डेल्फ़ानो’।"

“एक मिनट ... एक मिनट!" जेनिथ ने समयचक्र को बीच में ही टोकते हुए पूछा- “ये 1.2 मिलियन प्रकाशवर्ष कितना हुआ? जरा समझाओगे क्योंकि मुझे विज्ञान की इतनी जानकारी नहीं है?"

“प्रकाश 1 सेकंड में 30 लाख किलोमीटर की दूरी तय करता है। वही प्रकाश 1 वर्ष में कुल जितनी दूरी तय करता है, उसे 1 प्रकाशवर्ष कहते हैं और डेल्फ़ानो यहां से 12 लाख प्रकाशवर्ष दूर है।" समयचक्र ने कहा।

“बाप रे! इतना ज़्यादा।" जेनिथ के विचारों में आश्चर्य साफ झलक रहा था।

“हां। इसका मतलब इतनी दूरी को तय करने के लिये, प्रकाश की गति से चलकर भी 12 लाख वर्ष का समय लगेगा।" समयचक्र ने जेनिथ को समझाया-

“अच्छा अब आगे सुनो। डेल्फ़ानो के राजा ‘गिरोट’ ने दूसरी आकाशगंगा के लोगों से सम्पर्क करने का विचार किया, पर यह दूरी ज़्यादा होने के कारण संभव नहीं था। लेकिन गिरोट स्वयं एक वैज्ञानिक थे इसिलये उन्होंने मेरा यानी ‘समयचक्र’ का निर्माण किया, जो कि ‘ब्लैक होल’ और ‘नेबूला’ के सिद्धांतो से बना था।

मैं समय को रोककर किसी को भी एक आकाशगंगा से दूसरी आकाशगंगा मैं सेकंड से भी कम समय में पहुंचा सकता था। जैसे ही यह खबर दूसरे ग्रह के लोगों को पता चली, उन्होंने मुझको पाने के लिये डेल्फ़ानो पर हमले करने शुरू कर दिये।

गिरोट को पता था कि एक ना एक दिन वह लोग अवश्य कामयाब हो जाते और मुझे पाते ही अन्तरिक्ष में विनाश करना शुरू कर देते। इससे बचने के लिये उन्होंने मेरे अंदर कुछ बदलाव किये और मुझे स्वयं का मस्तिष्क प्रदान कर दिया। अब अगर मैं किसी के हाथ में आ भी जाता तो वह मेरा प्रयोग मेरी इच्छा के बिना नहीं कर सकता था।

एक दिन कई ग्रहो ने एक साथ मिलकर डेल्फ़ानो पर आक्रमण कर दिया और राजा गिरोट को मार दिया। राजा गिरोट ने मरने से पहले मुझे एक छोटे से काले मोती में कैद कर दूसरी आकाशगंगा में फेंक दिया। मैं आज से 20 वर्ष पहले पृथ्वी के इस अराका द्वीप पर आकर गिरा। मुझे जंगलियों ने अपनी देवी का रत्न समझ एक लॉकेट के रूप में उनके गले में डाल दिया।"

“अच्छा तो ये मेरे गले में समयचक्र है।" जेनिथ ने अपने गले के लॉकेट को हाथ से छूते हुए मन में सोचा- “तुम्हारा नाम क्या है?”

“मेरा नाम?..... मैं तो समयचक्र ही हूँ।" समयचक्र ने थोड़ा गड़बड़ाते हुए कहा।

“समय को नियंत्रित करना तुम्हारा कार्य है, पर ये तुम्हारा नाम नहीं हो सकता।" जेनिथ ने अपने मन में कहा।

“फ़िर.... फ़िर तुम्ही कोई अच्छा सा मेरा नाम क्यों नहीं रख देती?" समयचक्र ने जेनिथ को सुझाया।

“हूँ......... तुम्हारा नाम .... तुम्हारा नाम ...... चूंकि तुम नक्षत्रो से बने हो, इसिलये आज से मैं तुम्हारा नाम ‘नक्षत्रा’ रखती हूँ।" जेनिथ ने कहा- “कैसा लगा तुम्हें तुम्हारा नया नाम?"

“बहुत ही अच्छा.... इससे अच्छा नाम मेरे लिये कोई हो भी नहीं सकता था।" ‘नक्षत्रा’ ने खुश होते हुए कहा।

“तो फ़िर आज से तुम मेरे दोस्त ।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।

“दोस्त?" .... नक्षत्रा ने आश्चर्य से कहा- “तुम सच में मुझे अपना दोस्त बनाना चाहती हो?"

“क्यों?.....तुम्हें आश्चर्य क्यों हो रहा है?" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।

“कुछ नहीं..... पर मैं पिछले 20 वर्ष से इंसानो के बीच हूँ और उनकी भावनाओं पर अध्ययन भी कर रहा हूँ।"

नक्षत्रा ने कहा- “अधिकतर मनुष्य लालची हैं, जो अपने मतलब की खातिर किसी भी रिस्ते पर वार करने से नहीं हिचकीचते। आज के समय में अगर किसी भी इंसान को कोई सुपर पावर देने की बात करो, तो वह उसे अपना गुलाम बना कर ही रखना चाहेंगे, पर तुम्हारी सोच दूसरोँ से काफ़ी अलग है। लगता है मैंने तुम्हें चुनकर कोई गलती नहीं की। मुझे तुम्हारा दोस्त बनने में खुशी महसूस होगी।"

“अरे वाह! अब तो मैं जंगल में भी अकेलापन महसूस नहीं करूंगी।" जेनिथ ने खुश होते हुए कहा- “अच्छा ये बताओ तुम कर क्या-क्या सकते हो? आई मीन तुम्हारी पॉवर्स क्या हैं?"

“मैं अभी आधा-अधूरा हूँ और तेजी से खुद को विकसित कर रहा हूँ।" नक्षत्रा ने कहा।

“आधा-अधूरा मतलब?" जेनिथ ने ना समझने वाले भाव से कहा।

“मतलब मैं अन्तरिक्ष में तुम्हें किसी भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकता हूँ, लेकिन पृथ्वी पर वातावरण होने की वजह से मैं ऐसा अभी नहीं कर सकता।"

नक्षत्रा ने अपनी विशेषताएं बताते हुए कहा- “मैं तुम्हें किसी भी व्यक्ती के बीते हुए एक साल के समयकाल में ले चल सकता हूँ, बस वह व्यक्ती या उसकी फोटो तुम्हारे सामने होनी चाहिये। और हां ये याद रहे कि उस समयकाल में तुम कोई परिवर्तन नहीं कर सकती। भविष्य को देखने की शक्ति अभी मैं विकसित करने की कोशिश कर रहा हूँ। बाकी कुछ छोटी-मोटी शक्तियां हैं, जो मैं तुम्हें समय आने पर बताऊंगा।"

“ठीक है, मेरे लिये इतना ही काफ़ी है कि मुझे एक दोस्त मिल गया।" जेनिथ ने ये बोलते हुए सो रहे तौफीक की ओर देखा- “नहीं तो यहां पर तो कुछ लोग साथ रहकर भी नहीं हैं।"

“जेनिथ तुममें भावनाएं बहुत ज़्यादा है और ज़्यादा भावनाएं हमेशा दुख ही पहुँचाति हैं। इसलिये पहले तुम्हें अपनी भावनाओ को नियंत्रित करने की जरुरत है।" नक्षत्रा ने कहा।

“मैं तुम्हारे कहने का मतलब नहीं समझी नक्षत्रा?" जेनिथ ने कहा।

“जेनिथ मैं तुम्हारे दिल और दिमाग दोनों से जुड़ा हूँ। तुम जो महसूस करोगी, वो मुझे अपने आप महसूस हो जायेगा। मुझे पता है कि इस समय तुम तौफीक के बारे में बात कर रही हो। पर मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि तुम तौफीक को जितनी जल्दी भूल जाओ, उतना ही अच्छा है।" नक्षत्रा के शब्दों में रहस्य भरा था।

“तुम ऐसा क्यों कह रहे हो नक्षत्रा? क्या कोई ऐसी बात है जो तुम मुझे बताना नहीं चाहते?" जेनिथ ने नक्षत्रा को जोर देते हुए कहा।

“अभी तुम्हारा, तुम्हारी भावनाओ पर नियंत्रण नहीं है, इसिलये कुछ चीज़ो का ना जानना ही तुम्हारे लिये अच्छा है।" नक्षत्रा के हर शब्द जेनिथ के रहस्यमयी लग रहे थे।

“देखो नक्षत्रा, तुमने मुझे दोस्त कहा है, मैं नहीं चाहती कि मेरा दोस्त मुझसे कुछ छिपाए, अगर तुम्हें कुछ ऐसा पता है जो मेरे लिये सही नहीं है? तो तुम्हें मुझे वो बताना पड़ेगा।"

जेनिथ अब जिद्द पर उतर आयी।

“ठीक है। मैं तुम्हें सब बता दूँगा, पर तुम्हें मुझसे वादा करना पड़ेगा कि तुम अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखोगी।" नक्षत्रा ने हिथयार डालते हुए कहा।

“ठीक है मैं वादा करती हूँ कि मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखूंगी।" जेनिथ ने वादा करते हुए कहा।

“तो फ़िर ठीक है, मैं अभी समय को रोककर तुम्हें ऐसी चीज दिखाता हूँ जो कि मुझे लगता है कि तुम्हारा जानना बहुत जरूरी है।" नक्षत्रा के इतना कहते ही आसपास का समय रुक गया, जो जहां था वहीं पर रुक गया।

जेनिथ की आँखो के सामने अब कुछ दृश्य नजर आने लगे।


जारी रहेगा________✍️
Wonderful update brother.

Let's see Taufiq ke paas aisa kya hai jo Nakshatra, Jenith ko careful rahne ke liye bol rahi hai.

Time freezing aur time travel ke bare mein hamesha hi mujhe interest raha hai aur bahut logo ko bhi hota hai apni history aur future janne ke liye.
 

Raj_sharma

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Wonderful update brother.

Let's see Taufiq ke paas aisa kya hai jo Nakshatra, Jenith ko careful rahne ke liye bol rahi hai.

Time freezing aur time travel ke bare mein hamesha hi mujhe interest raha hai aur bahut logo ko bhi hota hai apni history aur future janne ke liye.
Thanks for your valuable review and support bhai :thanx:
Time hi nakchatra ki sakti hai dost :shhhh: Baaki taufeek ke paas kya hai ye jaroori nahi, wo kya chupa raha hai? Ye jaroori hai:approve: Sath bane rahiye, bhagwan ne chaaha, to kal saam tak ek update aur aa jayega:declare:
 
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