parkas
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Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?
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Bhai abhi tak to 2 update de chuka hota, per site theek se kaam bhi to kare, parso hi ek update daalne ki kosis kiya tha, ek ghanta west ho gaya, per update nahi post huaRaj_sharma bhai next update kab tak aayega?
Bhai abhi tak to 2 update de chuka hota, per site theek se kaam bhi to kare, parso hi ek update daalne ki kosis kiya tha, ek ghanta west ho gaya, per update nahi post huaRaj_sharma bhai next update kab tak aayega?
Thanks bhaiNice update![]()
Thanks brothernice updste
सबसे पहले तो एक बार फिर से इस पोसाइडन महाराज की -यह देवता तो आदमी छोड़ो राक्षस से भी अधिक हैवान है । इसे वहां के लोगों ने देवता कैसे मान लिया !
इस बार उसने जलपरियों के साथ धृष्टता करी और उन्हे शायद मार भी डाला । यह व्यक्ति खुद को समुद्र का देवता कहता है और इसे यह भी पता नही है कि समुद्र के अंदर कुछ गुफाएँ भी है ।
समुद्र के देवता हमलोगों के लिए वरूण है । इन्हे भी एक बार अपने शक्ति पर अभिमान हो गया था लेकिन सिर्फ अभिमान ही हुआ था और कोई गलत विकार पैदा नही हुआ था । सिर्फ इस घमंड की वजह से प्रभु राम इन पर क्रोधित हो गए थे और समुद्र का अस्तित्व ही समाप्त करने पर उतारू थे । लेकिन जल्द ही वरूण को अपनी गलती का एहसास हो गया ।
" विनय न मानत जलधि जड़ , गए तीन दिन बीति ।
बोले राम सकोप तब , भय बिनु होइ न प्रीति ।। "
और जहां तक बात है लंका की , लंका का निर्माण भोलेनाथ के निर्देश पर विश्वकर्मा ने किया था । लेकिन पुलस्तय ऋषि के पुत्र विश्रवा मुनि लोभ मे पड़कर लंका को खुद के लिए मांग लिया । बाद मे इन्होने इसे अपने पुत्र कुबेर को सौंप दिया । इन्ही विश्रवा मुनि की दूसरी पत्नी कैकसी से उत्पन्न रावण ने आगे चलकर इस लंका को कुबेर से छीन लिया था ।
कैकसी मायासुर की पुत्री थी ।
इन विषय पर बहुत लंबी चर्चा हो सकती है लेकिन प्रोब्लम यह है कि इसके लिए यह फ्लैटफार्म सही नही है ।
खैर , देखते है कैस्पर और मैग्ना इस तथाकथित समुद्री गाॅड पोसाइडन का सामना किस तरह से करते है !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत अप्रतिम रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
एक के बाद एक नये नये रोमांचक प्रसंग ,
वाह भाई वाह जबरदस्त अपडेट
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
उन्नीस हज़ार साल पहले के जहाज़ का नाम अंग्रेजी भाषा पर नहीं हो सकता, क्योंकि अंग्रेज़ी ठीक से बनी (organised) कोई छः सात सौ साल पहले, और उत्पत्ति में आई कोई डेढ़ हज़ार साल पहले! उसी तरह मीटर शब्द की उत्पत्ति भी कोई ढाई सौ साल पहले हुई। इसलिए माया किलोमीटर जैसे शब्द का प्रयोग नहीं कर सकतीं।
लेकिन मैं बूढ़ी सास की तरह बाल की खाल नहीं उखाड़ूँगा... यह व्यर्थ की बहस हो जाएगी।पहले ही आपका मन खट्टा कर चुका हूँ, पिछले कमेंट से!
ज़ीउस और हेड्स दोनों भाई थे - मतलब सोफ़िआ और मेरॉन दोनों कजिन हैं।
लिहाज़ा कैस्पर में भी दैवीय शक्तियाँ होनी चाहिए।
मणिका ने भी क्या पंगा ले लिया - जिस देवी की स्तुति करने आई थी, उसी के बालक को बुरी भली बातें बोल दीं।
घंटा कोई वरदान मिलने वाला है देवी से। उल्टा गणेश जी ने दण्ड अलग से दे दिया।
वैसे मणिका और गणेश भगवान वाले एपिसोड और कैस्पर वाले एपिसोड में 900 साल बीत गए हैं।
क्या मणिका और कैस्पर की शादी होगी? [आकाश का राजा + स्वर्ग की अप्सरा]
अगर हाँ, तो आधुनिक काल में उनका पुत्र कौन होगा? रोचक!
बहुत ही बढ़िया लिख रहे हो राज भाई।![]()
Wonderful update brother!!
Lekin kuch baat clear kar do.
Pahli baat Maya jahan rehti hai wo jagah manushya aur devta ke pahuch se bahar hai phir Maya kya hai???? Kya wo manushya aur devta dono nahi hai????
Dusri baat Poshaidan ka trishul jo hai wo gold ki bani hai???? Pahle jo weapons hote the* wo gold se banti thi kya????
Tisri baat yadi Poshaidan se samudra mein koi jagah chhupa hua hai matlab Shefali aur Suyash ke liye aur bhi jyada mystery se bhara hone wala hai ye Maya mahal ki journey ya phir wo sab samudra ke andar dakhil nahi hone wale hain????
Ek aur baat jahan tak mujhe yaad hai Casper aur Mahashakti Megra ne Mayavan ka nirman kiya hai phir bhi Casper ek sadharan insaan kaise ho sakta hai????
Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,
Lambodar ke dwara Manika ko shraap dene ki katha bhi bahut hi rochak thi.............
Casper to apne dada ke krodh se bach gaya, aur sath hi sath Maron aur Sophiya bhi
Maya ne bacha liya in tino ko................aur abhi to casper ki bahan ko bhi paida hona he.............
Jiske sar par Mahadev ka haath ho uska koi kya bigaad sakta he
Superb Bro, simply outstanding
Bahut acha update aapne supreme ka saransh bhi de diya
Nice update....
Supper
Jabrdast story![]()
Site issue to nahi ho raha hai par meri main id Gaurav1969 pe 403 forbidden show kar raha hai ...ye kya issue hai guruji thoda clearance dijiye ispe
Shandar update bhai
To ye thi devi maya ki puri kahani aur unke sath abhi tak kya kya huva
Vahi gurutva shakti bhi araka dveep par jakar gir gayi hai
Dhekte hai ab aage kya hota hai
रिव्यू कि शुरुआत की जाय |
हनुका ने लगभग लुफ़ासा को पराजित कर दिया था,
लेकिन यहाँ एक भारी ग़लती हो गई — एक गुरुत्व की बूँद व्यर्थ हो गई।
देखा होगा, इस बूँद का व्यर्थ हो जाना कितनी बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है।
देवी माया से जुड़े अतीत के रहस्य सामने आए,
देवी माया में नीलाभ समान विष पाए जाने के उपरांत ही दोनों एक हो पाएंगे।
जब भी द्वीप पर घमासान होगा,
तब यह अवश्य सामने आएगा कि मेगना और कैप्सर ने माया की बात मानकर
कितने रहस्यमयी महलों में चीज़ें छुपा रखी हैं।
बरमूडा और कैलाश — दोनों ही विचित्र जगह हैं,
और दोनों आज भी रहस्यमय बने हुए हैं।
आपने इन दोनों जगह का जो ग़ज़ब का कॉम्बिनेशन बनाया है, वो काबिल-ये-तारीफ़ है।
इसी को लेकर एक सवाल है—
क्या आप इस कहानी में मिस्र (Egypt) के पिरामिड्स और अमेरिका का एरिया 51 भी शामिल करने वाले हैं?
धीरे-धीरे सारी कड़ियाँ जुड़ने को हैं...
ओवरऑल अपडेट हमेशा की तरह धमाकेदार है |
उचित समय आने पर, अवश्य ही
इतने लम्बे अरसे बाद कुछ पढ़ने को मिल पाया है ।100 अपडेट्स का सारांश 2 अपडेट्स में समेट लेना , सच में कमाल का हुनर है आपमें शर्मा जी। हनुका भी आरका द्वीप की आदृश्य दीवार को पार नही कर सके , कोन सी माता के बारे में विचार कर रहे थे वो, 20000 वर्ष पहले यानी देवी माया ही ना। गुरुत्व शक्ति भी शीशी से निकल कर गिर गयी पर वो नष्ट हुई या उसे एकत्रित कर लिया किसी ने ये तो रहस्य ही है। जैक का भी किस्सा समाप्त हुआ कृस्टि के हाथों, आखिर उसके पिता का हत्यारा था वो प्रतिशोध की अग्नि तो हमेशा से ही थी अब जाकर शान्त हुई। अब देखना होगा तौफीक का भेद कब सबके सामने आता है। सफर अभी और भी लम्बा होने को है नज़ाने और क्या मायाजाल देखने को मिले इन 6 जनों को मायावन में। देवी माया संतान प्राप्ति के लिए 20000 वर्ष पहले हिमालय से इस गुफा में आ गयी और उसके बाद उनके ही द्वारा माया सभ्यता का निर्माण फिर यूरिएल की पुत्री मेग्ना का पालन पोषण फिर केसपर और भी नज़ाने क्या क्या कहानियां अपने अंदर समेटे हुई है वो। ये जितनी भी पौराणिक कहानियाँ यहा पर उल्लेख में हुई है वो लिखित है या आपकी मनोरचित है। जो भी हो बहुत ही अच्छा जा रहा है ये रोमांचक और रहस्यो सर भरा सफर, इंतज़ार रहेगा अगले प्रसंग का।
nice update..ye hanuka itna powerful hone ke baawjud raksha kawach ko paar nahi Kar paya, aur ye kaunsi devi ki baat Kar raha tha jiski power ko wo todna nahi chahta...
kya wo gurutv shakti mit gayi ya kisi ko milegi....
Maya ko shaap diya tha Ganesh ji ne jab wo us par Hans rahi thi aur usko ,tab ye nahi batata ki wo shadishuda Hai..maya ko bachche nahi honge par wo kisi aur ke bachche ko Maa ka pyar degi aisa hi kuch tha ..
Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....#113.
चैपटर-3: स्पाइनो-सोरस
(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 14:45, मायावन, अराका द्वीप)
सुयश की टीम में सुयश को मिला कर अब सिर्फ 6 लोग ही बचे थे।
घास का मैदान पार करके अब सभी पहाड़ी रास्ते पर आ गये थे। पहाड़ी पर एक पतली पगडंडी पर इन्हें आगे बढ़ना पड़ रहा था। रास्ते में चढ़ान होने की वजह से सभी के चेहरे थके-थके से लग रहे थे।
एक तो पिछले कुछ दिनों से वह लगातार चल रहे थे, दूसरे उनके साथियों के मरने या फिर बिछड़ जाने के कारण उनके जोड़े भी टूट गये थे, जिससे उनका मनोबल कुछ टूट सा गया था।
एक शैफाली थी, जो अभी भी सबको बीच-बीच में कुछ ना कुछ कहकर उनका हौसला बढ़ाये हुए थी।
अलबर्ट को अपनी उम्र के कारण सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी। उन्होंने शायद ही कभी अपनी जिंदगी में इतना चला होगा।
पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पोसाईडन की मूर्ति कभी-कभी किसी मोड़ पर, दूर दिखाई दे जाती थी।
पथरीला रास्ता होने के कारण हरियाली भी थोड़ी कम हो गयी थी, जिसकी वजह से सभी को दिन में गर्मी भी ज्यादा लग रही थी। ये तो भला हो कि जंगल में पर्याप्त पानी मिल जाने से, सभी ने अपनी बोतलें पूरी भर ली थीं नहीं तो इतनी गर्मी में इन सबका एक कदम भी बढ़ा पाना मुश्किल हो जाता।
सभी अब पहाड़ की चोटी पर पहुंच गये थे। यहां पर बाकी रास्ते की अपेक्षा जगह कुछ ज्यादा थी। एक तरफ कुछ ऊंची-ऊंची चट्टानें थी, तो दूसरी ओर गहरी खाईं। गहरी खाईं की ओर एक विशाल छायादार पेड़ लगा था, जिसे देखकर अलबर्ट से रहा ना गया और वह बोल उठा-
“कैप्टेन! कुछ देर आराम कर लिया जाये। थकान बहुत ज्यादा हो रही है, अब एक कदम भी आगे बढ़ना मुश्किल लग रहा है।”
“आप ठीक कह रहे हैं प्रोफेसर।” सुयश ने भी सभी पर नजर डालते हुए कहा- “सभी थक गये हैं। हम कुछ देर यहां पर आराम करेंगे फिर आगे बढ़ेंगे। तब तक कुछ खा-पी भी लेते हैं।”
सुयश की बात सुन सबकी जान में जान आयी। सब वहीं पेड़ के नीचे एक पत्थर पर बैठ गये। क्रिस्टी ने बैग से कुछ फल निकालकर सभी में बांट दिये।
सबने फल खा के पेट भर पानी पिया और 10 मिनट आराम करने के लिये उसी पेड़ के नीचे लेट गये।
सुयश सबको लेटे देख एक ऊंची सी चट्टान की ओर चल दिया।
सुयश उस ऊंची सी चट्टान पर चढ़कर दूर-दूर तक देखने की कोशिश करने लगा।
तभी सुयश का पैर फिसल गया और वह जमीन पर गिर पड़ा। भला हो कि खाईं थोड़ी दूर थी, नहीं तो सुयश खाईं में भी गिर सकता था।
सुयश धीरे से खड़ा हो कर वापस नीचे दूर-दूर तक फैली हुई घाटी को देखने लगा। पर सुयश के फिसलने से एक बड़ा सा पत्थर पहाड़ से नीचे की ओर गिर गया।
वह पत्थर लुढ़कता हुआ उस पहाड़ के दूसरी ओर के रास्ते में सो रहे एक विशाल डायनासोर पर गिरा।
पत्थर के शरीर पर लगते ही डायना सोर ने अपनी आँखें खोल दी।
उसने एक क्षण के लिये अपनी नाक को ऊपर उठा कर सूंघा और उठकर खड़ा हो गया।
सुयश का ध्यान इस समय दूसरी ओर था, तभी सुयश के पीछे एक विशालकाय 2 आँखें दिखाई दीं। वह आँखें अकेली नहीं थीं, उनके साथ भारी-भरकम शरीर लिये वही डायनोसोर भी था।
हांलाकि डायनोसोर पहाड़ के दूसरी ओर था, फिर भी उसकी ऊंचाई अधिक होने के कारण वह जेनिथ को दिखाई दे गया।
डायनासोर को देखकर जेनिथ के मुंह से चीख निकल गयी। जेनिथ की चीख सुन सभी का ध्यान उस चट्टान की ओर गया, जिस पर सुयश इस समय खड़ा था।
अब सभी चीखकर सुयश को वहां से भागने के लिये बोलने लगे। सभी को चीखते देख सुयश पीछे पलटा। पीछे पलटते ही उसके सारे रोंगटे खड़े हो गये। डायनासोर अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से उसी को घूर रहा था।
सुयश ने धीरे से डायनासोर को देखते हुए अपने कदमों को पीछे करने की कोशिश की। तभी डायनासोर के मुंह से एक तेज गुर्राहट निकली, अब उसने अपने बड़े-बड़े दाँत दिखाकर सुयश को डराने की कोशिश की।
उसका एक दाँत ही सुयश से बड़ा दिख रहा था। डायनासोर ने अपना मुंह तेजी से सुयश की ओर बढ़ाया, पर सुयश पूरी ताकत लगा कर उस चट्टान से कूद गया। डायनोसोर अपने शिकार को भागता देख, दूसरी ओर से उस चट्टान पर चढ़ने की कोशिश करने लगा।
“नक्षत्रा !” जेनिथ ने अपने मन में नक्षत्रा पुकारा- “क्या तुम इस समय कोई मदद करके हमें बचा सकते हो?”
“मैं एक दिन में सिर्फ आधा घंटा ही समय को रोकना सीख पाया हूं।” नक्षत्रा ने कहा- “पर इस आधे घंटे में तुम सबको उठाकर यहां से भाग नहीं सकती। अब रही बात इस डायनासोर की, तो तुम्हें यह बता दूं कि इस डायनासोर को स्पाइनोसोरस कहते हैं। यह सभी डायनासोर का राजा है।
यह उन सबमें सबसे बड़ा भी होता है। यह पानी और जमीन दोनों पर ही शिकार कर सकता है। इसके सूंघने की शक्ति भी बहुत ज्यादा है, इसलिये तुम किसी को कहीं छिपा भी नहीं सकती। अब बची बात इसे मारने की, तो वह भी संभव नहीं है क्यों कि तुम इतने बड़े स्पाइनोसोरस को बिना किसी हथियार के कैसे मार पाओगी? हां अगर तुम सिर्फ स्वयं बचना चाहो तो आधे घंटे में यहां से दूर भाग सकती हो, जिससे यह स्पाइनोसोरस तुम्हारी गंध नहीं सूंघ पायेगा।”
“असंभव!” जेनिथ ने नक्षत्रा से कहा- “मैं यहां से किसी को भी छोड़कर नहीं भागने वाली। तुम एक काम करना नक्षत्रा, फिलहाल जैसे मैं तुम्हें इशारा करुं, तुम बस समय को रोक देना, बाकी मैं स्वयं से देखती हूं
कि इस स्पाइनोसोरस से कैसे निपटना है?”
तब तक सुयश भागकर, बाकी सभी लोगों के पास आकर, दूसरी चट्टान के पीछे छिप गया।
“कैप्टेन!” अलबर्ट ने डरते-डरते कहा- “यह तो स्पाइनोसोरस है। यह तो लाखों वर्ष पहले ही विलुप्त हो गया था। हे भगवान कैसा है यह द्वीप? अब हम इतने बड़े खतरे से कैसे निपटेंगे?”
“शांत हो जा इये प्रोफेसर, नहीं तो वह हमारी आवाज सुन लेगा।” क्रिस्टी ने कहा।
उधर स्पाइनोसोरस चट्टान पर चढ़ने में कामयाब हो गया। अब वह चट्टान के आसपास सुयश को ढूंढने लगा। जेनिथ जानती थी कि ज्यादा देर तक वह छिपे नहीं रह पायेंगे। वह तेजी से इधर-उधर देखते हुए, स्पाइनोसोरस से बचने के लिये अपना दिमाग चला रही थी।
हथियार के नाम पर तौफीक के पास बस एक चाकू बचा था, पर उससे कुछ नहीं होना था।
चट्टान पर चढ़ा स्पाइनोसोरस अब अपनी नाक उठाकर हवा में कुछ सूंघने की कोशिश करने लगा।
कुछ ही देर में स्पाइनोसोरस को उनकी गंध मिल गयी, अब वह तेजी से चट्टान से उतरने की कोशिश करने लगा।
तभी उसके भारी-भरकम शरीर की वजह से एक बड़ा सा पत्थर हवा में उछला और क्रिस्टी की ओर बढ़ा।
“नक्षत्रा ! समय को रोक दो।” जेनिथ ने एक सेकेण्ड से भी कम समय में नक्षत्रा को समय रोकने के लिये कहा।
नक्षत्रा ने समय को रोक दिया। अब जेनिथ के आसपास की हर चीज फ्रीज हो गयी थी। वह पत्थर क्रिस्टी के बिल्कुल सिर के पास पहुंच गया था, अगर नक्षत्रा एक सेकेण्ड की भी देरी कर देता तो क्रिस्टी का सिर फट जाना था।
जेनिथ ने क्रिस्टी को पकड़कर दूसरी ओर खींचा और नक्षत्रा को समय रिलीज करने को बोल दिया।
उछला हुआ पत्थर क्रिस्टी के बगल में आकर गिरा। क्रिस्टी को लगा जैसे उसे किसी ने पकड़कर खींचा हो।
“यहां पर और भी कोई है?” क्रिस्टी ने फुसफुसा कर सभी से कहा- “मुझे अभी किसी ने पकड़कर खींचा है। अगर वह शक्ति ऐसा ना करती तो मैं तो मर ही जाती।”
सुयश, अलबर्ट और तौफीक ने अपनी दृष्टि चारो ओर दौड़ाई, पर उन्हें कोई नजर नहीं आया।
अभी आश्चर्य व्यक्त करने का समय भी नहीं था, क्यों कि स्पाइनोसोरस अब चट्टान से नीचे आ गया था और फिर से उन्हें सूंघने की कोशिश कर रहा था।
अब वह स्पाइनोसोरस उनसे ज्यादा दूरी पर नहीं था। तभी जेनिथ ने नक्षत्रा को फिर से समय फ्रीज करने को कहा। नक्षत्रा के समय फ्रीज करते ही जेनिथ ने तौफीक के हाथ से चाकू को छीना और भागकर स्पाइनोसोरस के नीचे पहुंच गयी।
अब उसने चाकू से स्पाइनोसोरस के पिछले दोनों पैर को घायल कर दिया और भागकर वापस अपनी जगह पर आकर समय को रिलीज कर दिया।
सुयश सहित सभी की निगाहें स्पाइनोसोरस पर थीं। अचानक स्पाइनोसोरस के पिछले दोनों पैर से खून निकलने लगा और वह लहरा कर धड़ाम से जमीन पर गिर गया।
तभी जेनिथ ने फिर से समय को फ्रीज किया और भागकर गिरे पड़े स्पाइनोसोरस पर चढ़कर, चाकू से उसकी गर्दन पर वार करने लगी। पर स्पाइनोसोरस के गर्दन के पास की त्वचा काफी कठोर थी और
जेनिथ का हाथ बहुत कोमल था, इसलिये चाकू के वार से स्पाइनोसोरस की गर्दन पर कुछ छोटी-मोटी खरोंच ही आ रहीं थीं।
यह देख जेनिथ ने समय ना बर्बाद करते हुए, एक-एक कर स्पाइनोसोरस की दोनों आँखें फोड़ दीं और सबके पास पहुंचकर समय को फिर रिलीज कर दिया।
स्पाइनोसोरस के जमीन पर गिरते ही एक-एक कर, उसकी दोनों आँखें फूट गयीं और उनसे खून की धारा बह निकली। किसी की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि स्पाइनोसोरस को नुकसान कौन पहुंचा रहा है?
आँख के फूट जाने की वजह से स्पाइनोसोरस और खतरनाक हो गया। वह जोर से चिल्लाया और अपनी पूंछ को जमीन पर इधर-उधर पटकने लगा।
स्पाइनोसोरस के ऐसा करने से उसके आसपास के पेड़ टूट-टूट कर जमीन पर गिरने लगे। जेनिथ के पास अब समय रोकने के लिये 15 मिनट ही बचा था। अब उस स्पाइनोसोरस से निपटने के लिये जेनिथ को किसी ठोस प्लान की आवश्यकता थी।
तभी जेनिथ की निगाह खाईं के पास लगे उस पेड़ की एक बहुत ही लचीली, मगर मजबूत शाख पर गयी। जेनिथ के दिमाग में तुरंत एक विचार कौंधा।
उसने समय को एक बार फिर से फ्रीज किया और सुयश की पीठ पर रखे बैग में से एक खाली बैग निकाल लिया। जेनिथ ने जल्दी-जल्दी उस खाली बैग में पेड़ की सूखी पत्तियां भर दीं और उसे खाईं के पास पेड़ के नीचे रख दिया। अब जेनिथ ने उस लचीली शाख को पूरी ताकत लगा कर खींचा और एक जड़ के सहारे उसे पेड़ के एक तने से बांध दिया।
“जेनिथ जल्दी करो अब बस 5 मिनट ही बचा है।" नक्षत्रा ने कहा- “मैं आज समय को इससे ज्यादा नहीं रोक सकता।"
“हां... हां बस हो गया।” इतना कहकर जेनिथ ने चाकू से अपना हाथ एक जगह से काट लिया और अपने खून की बूंदें, पेड़ के नीचे रखे उस काले बैग पर गिराने लगी।
अब जेनिथ के खून से बैग लाल हो गया था। जेनिथ भागकर वापस सभी के पास पहुंची और फर्स्ट एड बॉक्स खोलकर अपने हाथ पर एक दवा छिड़क लिया। दवा की तेज गंध वातावरण में फैल गयी।
अभी भी 2 मिनट का समय शेष था। तभी जेनिथ ने नक्षत्रा को समय को रिलीज करने को बोला।
समय के रिलीज होते ही स्पाइनोसोरस गुस्से में उठ खड़ा हुआ। अंधा हो जाने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, इसलिये वह हवा में जोर-जोर से कुछ सूंघने लगा।
अब उसे जेनिथ के खून की गंध मिल गयी थी और वह लंगड़ाते हुए पेड़ के नीचे रखे उस काले बैग की ओर बढ़ने लगा। जैसे ही स्पाइनोसोरस खाईं के पास रखे उस काले बैग के पास पहुंचा, जेनिथ फिर समय रोककर तेजी से उस पेड़ के पास पहुंची और चाकू के एक वार से उसने पेड़ से बंधी जड़ों को काट दिया।
जड़ों के काटते ही जेनिथ वापस भागकर सबके पास पहुंच गयी और उसने समय को फिर से रिलीज कर दिया। समय को रिलीज करते ही वह लचीली डाल तेजी से हवा में लहराई और ‘सटाक’ की आवाज करती हुई स्पाइनोसोरस से जा टकराई।
स्पाइनोसोरस इस वार को झेल नहीं पाया और लड़खड़ा कर खाईं की ओर गिरने लगा।
आखिरी समय पर स्पाइनोसोरस ने अपने अगले पैरों को पत्थर में फंसा कर स्वयं को खाईं में गिरने से बचा लिया।
सुयश, तौफीक, शैफाली और क्रिस्टी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, पर स्पाइनोसोरस को ना गिरता देख जेनिथ की साँस जरुर रुक गयी। क्यों कि अब उसके पास सबको बचाने का कोई तरीका नहीं बचा था।
तभी जेनिथ की निगाह अपने हाथ में पकड़े चाकू की ओर गयी।
उसने एक पल भी ना सो चा और तेजी से भागती हुई खाईं में लटके डायनासोर के पास पहुंच गई।
इससे पहले कि खाईं में लटका स्पाइनोसोरस वापस ऊपर चढ़ पाता, जेनिथ ने उसके आगे के दोनों पैरों पर चाकू से तेज वार करने शुरु कर दिये।
स्पाइनोसोरस के पैर से खून का फव्वारा निकला और असहनीय दर्द की वजह से स्पाइनोसोरस ने अपने पैरों की पकड़ को ढीला कर दिया। इसी के साथ स्पाइनोसोरस एक गुर्राहट के साथ पहाड़ से नीचे गिर
गया।
जेनिथ इन सब कामों से इतना थक गयी थी कि वहीं पेड़ के पास ही जमीन पर लेट गयी। स्पाइनोसोरस को नीचे गिरता देख सभी भागकर जेनिथ के पास आ गये।
तौफीक की आँखों में जेनिथ के लिये बेइन्तहा आश्चर्य के भाव थे। कोई यकीन भी नहीं कर पा रहा था कि जेनिथ चाकू लेकर स्पाइनोसोरस को पहाड़ के नीचे गिरा देगी।
“तुम ठीक तो होना जेनिथ?” तौफीक ने जमीन पर लेटी हुई जेनिथ के हाथ से चाकू लेते हुए पूछा।
जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हां में हिला दिया।
“वाह जेनिथ दीदी ! आपने तो कमाल ही कर दिया।” शैफाली ने जेनिथ की ओर पानी की बोतल को बढ़ाते हुए कहा।
सुयश की आँखों में भी जेनिथ के लिये तारीफ के भाव उभरे, पर उन आँखों में कुछ सवाल भी थे? जैसे ही जेनिथ पानी पीकर थोड़ा नार्मल हो गई, सुयश ने उस पर सवालों की बौछार कर दी-
“अगर हम शुरु से इस घटना के बारे में बात करें तो स्पाइनोसोरस के हमला करते ही क्रिस्टी के
सिर पर जब पत्थर गिरने वाला था, तो किसी अदृश्य शक्ति ने उसे बचाया, फिर हमारी ओर आ रहे स्पाइनोसोरस के पैर से अचानक खून निकलने लगा, फिर उसकी आँखें भी अपने आप फूट गयीं। इसके बाद हमारा काला बैग उसी अदृश्य शक्ति ने खाईं के किनारे रखकर, स्पाइनोसोरस के ऊपर लचीली पेड़ की डाल से हमला किया। यह सभी बातें ये शो कर रहीं हैं कि यहां पर हम लोगों के अलावा भी कोई था? क्या तुम्हें उसके बारे में कुछ पता है जेनिथ?”
“अभी किसी से मेरे बारे में कुछ भी मत बताना जेनिथ।” नक्षत्रा ने जेनिथ को सावधान किया।
“नहीं मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता?” जेनिथ ने सुयश को जवाब दिया- “मैंने तो आखिर में स्पाइनोसोरस पर चाकू से हमला किया बस इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं पता।”
“तो फिर तुम्हारे हाथ में मेरा चाकू कैसे आया ?” तौफीक ने शंकित निगाहों से जेनिथ को घूरते हुए पूछा- “मैंने तो तुम्हें अपना चाकू दिया भी नहीं था।”
“मुझे भी नहीं पता कि मेरे हाथ में तुम्हारा चाकू कब और कैसे आया ?” जेनिथ ने सफाई देते हुए कहा।
“तुम्हा रे हाथ पर यह पट्टी क्यों बंधी है?” सुयश ने पूछा- “इस पर से दवा की खुशबू भी आ रही है। हमने तो तुम्हें चोट लगते या पट्टी बांधते नहीं देखा।”
“यह पट्टी मेरे हाथ में कैसे बंधी ? मुझे भी इसकी कोई जानकारी नहीं है?” कहकर जेनिथ ने अपने हाथ में बंधी पट्टी को खोल दिया। उसे लगा कि अब सभी उसके हाथ की चोट के बारे में जान जायेंगे।
पर पट्टी खोलते ही वह स्वयं आश्चर्यचकित हो गई। उसके हाथ पर कोई भी घाव नहीं था।
“ज्यादा आश्चर्य मत व्यक्त करो दोस्त।” नक्षत्रा ने कहा- “मैंने तुमसे कहा था कि समय आने पर मैं तुम्हें अपनी कुछ और शक्तियों के बारे में बता दूंगा। तो ये है मेरी एक और शक्ति, जिसमें मैं तुम्हारे शरीर को
नुकसान होने पर उन पर उभरे घावों को भी भर सकता हूं।” जेनिथ यह सुनकर खुश हो गई।
“मुझे लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति हम लोगों के साथ है? जो कि समय-समय पर हमें अंजाने खतरों से बचा रही है।” अलबर्ट ने कहा-“और वह शक्ति बहुत तेजी से कार्य करती है, जिससे हम उसको देख नहीं
पाते, बस उसे अपने आसपास महसूस कर पाते हैं।”
“आप सही कह रहे हैं प्रोफेसर।” सुयश ने कहा- “मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है।”
“ऐ अदृश्य शक्ति, हमें ऐसे ही अंजान खतरों से बचाते रहना और हमारा मार्गदर्शन करते रहना। हम सदैव तेरे आभारी रहेंगे।” क्रिस्टी ने आसमान की ओर हाथ जोड़कर अदृश्य शक्ति को धन्यवाद दिया।
इसके बाद सभी पुनः आगे की ओर बढ़ गये।
जारी रहेगा..........