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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

kas1709

Well-Known Member
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#115.

माया :
11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 17:25, हिमालय पर्वत)

रुद्राक्ष, शिवन्या, शलाका और जेम्स सहित बहुत से लोग शिव मंदिर के बाहर बैठे, हनुका के आने का इंतजार कर रहे थे।

जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, सभी के दिल की धड़कनें तेज होती जा रहीं थीं।

“रुद्राक्ष!” शिवन्या ने घबरा कर रुद्राक्ष की ओर देखते हुए कहा- “शाम होने में अब ज्यादा समय शेष नहीं है। हनुका का भी अभी तक कुछ भी पता नहीं है। मुझे बहुत घबराहट हो रही है....अगर.....अगर हनुका समय पर गुरुत्व शक्ति नहीं ला सके तो महादेव के क्रोध का सामना हम लोग नहीं कर पायेंगे।”

“चिंतित मत हो शिवन्या, मुझे हनुका पर पूरा भरोसा है, वह महापराक्रमी हैं। उनका सामना कोई भी नहीं कर सकता। वह अवश्य ही गुरुत्व शक्ति लेकर आयेंगे।” रुद्राक्ष ने शिवन्या को सांत्वना देते हुए कहा।

अब शलाका को भी थोड़ी घबराहट होने लगी थी। तभी उन सभी को दूर से हनुका उड़कर आता दिखाई दिया। वहां बैठे सभी लोगों के मुख से हर्षध्वनि हुई।

“देखा मैं ना कहता था कि हनुका अवश्य समय पर आयेंगे।” रुद्राक्ष ने शिवन्या की ओर देखकर खुश होते हुए कहा।

शिवन्या के भी चेहरे पर अब खुशी के निशान स्पष्ट नजर आने लगे थे।

तभी हनुका उन सबके सामने बर्फ पर उतरा, पर हनुका के चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी।
रुद्राक्ष हनुका का चेहरा देख भयभीत होकर बोला- “आप गुरुत्व शक्ति ले आये हैं ना?”

हनुका ने भारी मन से खाली डिबिया रुद्राक्ष की ओर बढ़ा दी। जाने क्यों रुद्राक्ष को भी डर लग रहा था। उसने कांपते हाथों से डिबिया को खोला, पर गुरुत्व शक्ति को डिबिया में देखकर खुशी से हनुका को गले से लगा लिया।

हनुका भी गुरुत्व शक्ति को डिबिया में देख प्रसन्न हो गया। वह समझ गया कि गुरुत्व शक्ति अवश्य ही किसी सही व्यक्ति को मिली है, जिससे डिबिया में नयी गुरुत्व शक्ति प्रकट हो गयी है।

हनुका ने इस खुशी के मौके पर किसी को भी सच्चाई बताना उचित नहीं समझा।

“मैं चाहता हूं कि आप ही इसे अपने हाथों से शिव मंदिर में प्रतिस्थापित करें।” रुद्राक्ष ने हनुका को सम्मान देते हुए, डिबिया फिर से हनुका के हवाले कर दी।

हनुका ने डिबिया को हाथ में लिया और अपने शरीर को छोटा कर मंदिर में प्रविष्ठ हो गया।

ब्राह्मणों ने हनुका को मंदिर में प्रवेश करते देख, फिर से शंख, घंटे, डमरु और मृदंग बजाना शुरु कर दिया।

हनुकाने शिव..ग के ऊपर, हवा में लटकी सोने की मटकी के ऊपर, डिबिया को प्रतिस्थापित कर दिया और हाथ जोड़कर मंदिर के बाहर आ गया।

तभी सूर्य की आखिरी किरण ने विदाई ली और इसी के साथ वह भव्य मंदिर वापस बर्फ में समा गया।

जिस स्थान पर मंदिर बर्फ में समाया था, वहां पर अब बहुत से सफेद रंग के फूल दिखाई दे रहे थे। जिसे सभी ने महादेव का प्रसाद समझ उठा लिये।

“हर-हर महा देवऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ!” सभी ने एक बार फिर महा..देव का जोर से जयकारा लगाया और वापस हिमलोक की ओर चल दिये।

तभी शलाका ने शिवन्या को टोका- “एक मिनट रुको शिवन्या, मैं अब जेम्स के साथ यहीं से वापस जाना चाहती हूं। दरअसल कल तो मैंने तुम्हारी बात मान ली थी, पर आज मुझे मत रोकना। मेरे पास भी अभी
बहुत से काम शेष हैं। इसलि ये अभी मुझे जाने की आज्ञा दो। जब मेरे सारे काम खत्म हो जायेंगे तो मैं फिर से कुछ दिनों के लिये तुम लोगों के पास हिमलोक अवश्य आऊंगी।”

शिवन्याने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और शलाका को जाने की अनुमति दे दी। शलाका जेम्स के साथ वापस उसी गुफा से होकर अपने महल में वापस आ गयी।

शलाका और जेम्स को स्टीकर वाले दरवाजे से निकलते देख विल्मर खुश हो गया। उसने आगे बढ़कर जेम्स को गले से लगा लिया।

“अच्छा अभी मैं थोड़ा जल्दी में हूं, कल आकर मैं तुम लोगों से अवश्य बात करुंगी। लेकिन तब तक के लिये तुम लोग कमरे में रखी किसी भी विचित्र वस्तु को मत छूना।” शलाका ने मुस्कुरा कर जेम्स से कहा।

जेम्स ने भी धीरे से सिर हिला कर अपनी स्वीकृति दे दी।

अब शलाका के हाथ में फिर से उसका त्रिशूल नजर आने लगा, जिसकी मदद से शलाका ने हवा में द्वार बनाया और उस कमरे से बाहर चली गई।

शलाका के जाते ही विल्मर ने जेम्स से बीती बातें जानने के लिये पकड़ लिया।


चैपटर-4

टेरो सोर: (
12 जनवरी 2002, शनिवार, 10:15, मायावन, अराका द्वीप)

पिछले दिन पहाड़ पर ही अंधेरा हो जाने की वजह से सभी वहीं सो गये थे। पर्याप्त पानी होने की वजह से किसी को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।

पोसाईडन की मूर्ति एक बार फिर सभी को दिखाई देने लगी थी, पर उसके पास जाने का कोई सीधा रास्ता ना होने की वजह से अभी भी 2 दिन का समय लगता दिखाई दे रहा था।

रात नींद अच्छी आने की वजह से सभी काफी फ्रेश नजर आ रहे थे। सुयश के इशारे पर सभी पुनः आगे की ओर बढ़ चले। ढलान का रास्ता होने की वजह से अब किसी को परेशानी नहीं हो रही थी।

“नक्षत्रा !” जेनिथ ने नक्षत्रा को पुकारते हुए कहा- “तुमने ये हीलींग वाली शक्ति के बारे में मुझे पहले क्यों नहीं बताया था ?”

“हर चीज को बताने का एक समय होता है।” नक्षत्रा ने कहा- “अगर मैं तुम्हें इस शक्ति के बारे में पहले से ही बता देता तो तुम कल स्वयं अपने दिमाग का प्रयोग कैसे करती?”

“अच्छा तो तुम मेरा दिमाग चेक कर रहे थे।” जेनिथ ने मजा किया अंदाज में कहा- “अच्छा तो ये बताओ कि मुझे टेस्ट में कितने नंबर मिले?”

“10 में से 9 नंबर।”नक्षत्रा ने मजा लेते हुए कहा।

“अरे 1 नंबर कहां काट लिया?” जेनिथ ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।

“1 नंबर तुम्हारी उस खराब एक्टिंग के लिये काट लिया, जिसकी वजह से तौफीक ने तुम्हें पकड़ लिया था।” नक्षत्रा के शब्दों में शैतानी साफ झलक रही थी।

“मैं एक्टर थोड़े ही हूं, मैं तो डांसर हूं। उसकी प्रतियोगिता हो तब बताना। देखना मैं पूरे नंबर पाऊंगी उसमें।” जेनिथ ने कहा।

“चिंता ना करो, वह समय भी आने वाला है, जब तुम्हारे डांस का भी टेस्ट होगा।” नक्षत्रा के शब्द रहस्य से भरे थे।

“ये कभी-कभी तुम्हारी बातें मेरी समझ में नहीं आतीं।” जेनिथ ने शिकायत भरे लहजे में कहा- “या तो पूरी बात बताओ या फिर कोई ऐसे शब्द मत बोलो, जो मुझे समझ में ना आयें? अच्छा ये बताओ कि तुम्हारी
समय रोकने वाली शक्ति रीचार्ज हो गई कि नहीं?”

“अभी नहीं, उसे रीचार्ज होने में पूरे 24 घंटे का समय लगता है। अभी उसमें काफी समय बाकी है। तब तक के लिये तुम्हें खतरे से स्वयं बचना होगा।” नक्षत्रा ने कहा।

धीरे-धीरे चलते हुए सभी को 2 घंटे हो गये। अब वह पहाड़ी से उतरकर एक दर्रे में आ गये थे। यह दर्रा 2 तरफ से ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा था। इस क्षेत्र में चारो ओर बड़ी-बड़ी अंडाकार चट्टानें बिखरीं थीं।

यह बड़ा ही अजीब सा क्षेत्र था। दर्रा देखने में भी काफी खतरनाक लग रहा था। दर्रे के दोनों तरफ की पहाड़ की दीवारों पर, ऊंचे और घने पेड़ उगे थे। चारो ओर एक अजीब सी शांति छाई थी।

अलबर्ट ध्यान से उन सफेद चिकने पत्थरों को देखता हुआ आगे बढ़ रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था, कि ये कौन सा मार्बल है?

तभी क्रिस्टी को रास्ते में बिखरे हुए कुछ मानव कंकाल और खोपड़ियां दिखाई दीं।

“कैप्टेन!”
क्रिस्टी ने उन नरकंकालों की ओर इशारा करते हुए कहा- “यहां अवश्य ही कोई भयानक खतरा है, यहां पड़े मानव कंकाल इतनी अधिक मात्रा में हैं कि इन्हें गिन पाना भी संभव नहीं है।”

सभी उन मानव कंकालों को देखकर सिहर उठे।

“इससे पहले कि हम पर कोई मुसीबत आये, हमें तुरंत इस खतरना क क्षेत्र को पार करना होगा।”तौफीक ने कहा।

तौफीक की बात सुन सभी तेजी से आगे बढ़ चले। तभी शैफाली को एक अजीब सी स्मेल का अहसास हुआ। शैफाली ने अपनी नाक पर जोर दिया और स्मेल की दिशा में अपनी आँखें घुमायीं।

शैफाली को एक अंडाकार चट्टान में कुछ दरारें पड़ती हुई दिखाई दीं। शैफाली यह देखकर चीखकर बोली-

“सावधान! हम जिन्हें चट्टान समझ रहे हैं, वह चट्टान नहीं बल्कि किसी विशाल जीव के अंडे हैं।”
शैफाली की बात सुन सभी का ध्यान उन अंडाकार चट्टानों की ओर गया।

इतने ज्यादा बड़े अंडे देखकर सभी ने कल्पना कर ली, कि इस अंडे के पूर्ण विकसित जीव किस आकार के होंगे? अब सभी जल्द से जल्द उस क्षेत्र से निकलने के लिये तेज कदमों से चलने लगे।

“यह अवश्य ही किसी विशाल पक्षी के अंडे हैं?” अलबर्ट ने चलते-चलते सबसे कहा- “और वह विशाल पक्षी जरुर खाने की खोज में यहां से गये हों गे। इससे पहले कि वह यहां वापस लौटें, हमें इस क्षेत्र से बाहर
निकलना होगा।”

तभी अलबर्ट के बगल वाले एक अंडे में दरार पड़ी और वह टूटकर बिखर गया।

अंडे से खूब सारे पीले रंग के गंदे द्रव्य के साथ, एक बड़ी सी चोंच वाला पक्षी बाहर निकला। वह पक्षी देखने में ही बहुत खतरनाक लग रहा था। अलबर्ट तुरंत उस पक्षी से दूर हट गया।

“ये उड़ने वाले डायना सोर ‘टेरो सोर’ हैं।” अलबर्ट ने चीखकर सबको बताया- “पर ये तो आज से लाखों वर्ष पहले ही समाप्त हो गये थे। यह सब अभी तक इस द्वीप पर जीवित कैसे हैं?”

उधर अंडे से निकलते ही वह छोटा टेरो सोर जोर से ‘क्रा-क्रा’ करके चिल्लाने लगा। उसकी आवाज बहुत ही तीखी और तेज थी।

वह आवाज पूरे दर्रे में गूंज गयी। यह देख अलबर्ट बहुत डर गया।

“इसे भूख लगी है, इसलिये यह चिल्ला रहा है।” अलबर्ट ने डरते हुए कहा- “अगर कोई भी बड़ा टेरो सोर हमारे आस-पास हुआ? तो इसकी आवाज सुनकर वह यहां तुरंत आ जायेगा। हमें किसी भी प्रकार से इसे
चुप कराना होगा ?”

यह सुन सुयश ने 4-5 खाने के पैकेट बैग से निकालकर अलबर्ट को पकड़ा दिये- “क्या इससे इसे कुछ देर के लिये रोका जा सकता है प्रोफेसर? अगर यह कुछ देर भी शांत रहा तो तब तक हम इस दर्रे से कुछ दूर चले जायेंगे?”

अलबर्ट ने अपने हाथ में पकड़े खाने के पैकेट को देखा और तुरंत एक पैकेट को फाड़कर उस छोटे टेरो सोर के सामने फेंक दिया।

1 सेकेण्ड में ही वह नन्हा टेरो सोर उस पैकेट को खा गया। अब वह चीखना बंद कर आशा भरी नजरों से अलबर्ट को देखने लगा।

“कैप्टेन इतने कम पैकेट से इसका पेट नहीं भरने वाला। हमें यहां से भागने के लिये कुछ और ही सोचना पड़ेगा।” अलबर्ट ने उस छोटे टेरो सोर के सामने एक पैकेट और फेंकते हुए कहा।

छोटे टेरो सोर ने वह खाना भी तुरंत खाया और इस बार अलबर्ट के बिल्कुल पास आकर अलबर्ट के हाथ में पकड़े बाकी पैकेट को घूरने लगा।

“प्रोफेसर, जल्दी से अपने हाथ में पकड़े सारे पैकेट फेंक दीजिये, नहीं तो वह आप पर भी आक्रमण कर देगा।” क्रिस्टी ने अलबर्ट को चीखकर चेतावनी दी।

अलबर्ट ने क्रिस्टी की बात सुनकर, एक नजर उस छोटे टेरो सोर पर मारी। क्रिस्टी की बात बिल्कुल सही थी, वह नन्हा टेरो सोर अब बिल्कुल अलबर्ट पर झपटने ही वाला था।

अलबर्ट ने घबरा कर बाकी बचे 3 पैकेट भी वहां अलग-अलग दिशा में फेंक दिये और तेजी से सबके साथ वहां से भागा। वह नन्हा टेरो सोर अलग-अलग फेंके गये पैकेटों को ढूंढने में लग गया, इतना समय काफी था, सभी को वहां से कुछ दूर जाने के लिये।

सभी पूरी ताकत लगा कर भाग रहे थे। आज तो अलबर्ट की भी भागने की स्पीड तेज थी। तभी तेज भागते तौफीक का पैर जमीन में उभरी एक लकड़ी में फंस गया और वह धड़ाम से जमीन पर गिर गया।

चूंकि तौफीक अलबर्ट को बचाने के चक्कर में सबसे पीछे था, इसलिये किसी का भी ध्यान तौफीक के गिरने की ओर नहीं गया। सभी बेखबर, बस भाग रहे थे।

तौफीक ने गिरते ही उठने की कोशिश की। तभी उसे अजीब सी आवाज सुनाई दी। उसने जैसे ही सिर उठाकर ऊपर देखा, उसकी रुह कांप गयी।

उसके सिर के पास 2 छोटे टेरो सोर खड़े उसे निहार रहे थे। तौफीक की नजर दूर जा रहे अपने दोस्तों की ओर गयी, वह सब अब तौफीक से काफी दूर निकल गये थे। उन्हें तौफीक के पीछे रह जाने का आभाष भी नहीं हुआ था।

तौफीक ने अपनी जेब में रखा चाकू निकाल लिया और उसे दोनों टेरो सोर की ओर लहराने लगा।

वह दोनों टेरो सोर चाकू से अंजान थे। उन्हें तो समझ भी नहीं आ रहा था कि तौफीक कर क्या रहा है?

तौफीक ने अब जमीन पर पड़ी एक लकड़ी को धीरे से उठा लिया। उसने लकड़ी को अब जोर से हवा में लहराया और उन दोनों टेरो सोर को दिखाते हुए एक दिशा में फेंक दिया। दोनों टेरो सोर लकड़ी को खाना समझ उस ओर भागे, जिधर तौफीक ने लकड़ी को फेंका था।

मौका मिलते ही तौफीक वहां से भागा। तौफीक ने चाकू को जेब में रख, पहाड़ की दीवार पर लगे, एक पेड़ की शाख पकड़ कर, उस पर लटक गया। तब तक वह दोनों टेरो सोर लकड़ी को सूंघकर वापस तौफीक के पास आ गये थे। तौफीक को पेड़ से लटके देख वह उछल कर उसे पकड़ने की कोशिश करने लगे।
यह देख तौफीक डाल को पकड़ कर थोड़ा और ऊपर की ओर सरक गया।

अब वह दोनों टेरो सोर की पकड़ से दूर था। टेरो सोर छोटे होने की वजह से अभी उड़ नहीं सकते थे, इसलिये वह उछल-उछल कर तौफीक को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। अब वह टेरो सोर गुस्से में फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगे।

उन दो नों टेरो सोर की आवाज सुनकर सुयश ने पलट कर पीछे की ओर देखा। सुयश को अपने ग्रुप में तौफीक कहीं नजर नहीं आया। तभी उसकी निगाह दूर पेड़ की डाल से लटके तौफीक पर पड़ी ।

2 टेरो सोर उछल-उछल कर उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। यह देख सुयश ने आवाज लगाकर सबको रुकने का इशारा किया- “सभी लोग रुक जाओ। तौफीक वहां पीछे छूट गया है।"

सुयश की आवाज सुन, सभी रुककर उधर देखने लगे जिधर सुयश इशारा कर रहा था, पर तौफीक को सुरक्षित देख सभी ने राहत की साँस ली।

सुयश को तौफीक के बचने का यह तरीका बहुत सही लगा। तभी और ऊपर चढ़ने की कोशिश में तौफीक जिस डाल को पकड़े था, वह टूट गयी और तौफीक धड़ाम से जमीन पर आ गिरा।

तौफीक को जमीन पर गिरते देख दोनों टेरो सोर उस पर झपटे। यह देख क्रिस्टी के मुंह से चीख निकल गयी। लेकिन तुरंत ही क्रिस्टी ने स्वयं का मुंह दबा कर अपने को काबू में किया।

उधर तौफीक गिरते ही फुर्ती से खड़ा हो गया। एक बार फिर चाकू जेब से निकलकर उसके हाथ में आ गया था।

तौफीक ने पास आ रहे 1 टेरो सोर पर चाकू चला दिया। चाकू ने उस टेरो सोर के शरीर पर एक बड़ा सा कट लगा दिया। वह टेरो सोर बुरी तरह चीखा, पर अब वह तौफीक के चाकू से सावधान दिख रहा था।

तौफीक को खतरे में देख सुयश ने जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली को वहीं एक पत्थर के पीछे छिपने का इशारा किया और स्वयं अलबर्ट को लेकर तौफीक की ओर भागा।

तभी दूसरे टेरो सोर ने भी तौफीक पर अपनी चोंच से हमला किया। तौ फीक फुर्ती से हटा, फिर भी उसका एक कंधा घायल हो गया। तौफीक इस बार और भी ज्यादा सावधान हो गया।

तब तक अलबर्ट और सुयश दोनों टेरो सोर के पीछे पहुंच गये। अलबर्ट ने एक लकड़ी को हाथ में उठाकर एक सीटी बजाई।

दोनों टेरो सोर सीटी की आवाज सुन पीछे पलटे। तभी तौफीक ने आगे बढ़कर एक टेरो सोर का गला पीछे से काट दिया।

वह टेरो सोर धड़ाम से वहीं गिरकर मर गया। यह देख दूसरा टेरो सोर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसकी तेज आवाज पूरे दर्रे में गूंजने लगी।

“तौफीक जल्दी से इसे भी मारो, यह अपने साथियों को बुला रहा है।” अलबर्ट ने तौफीक से चीखकर कहा।

लेकिन इससे पहले कि तौफीक दूसरे टेरो सोर को मार पाता, अचानक 5 और नन्हें टेरो सोर एक दिशा से आते दिखाई दिये।

शायद सबने इस टेरो सोर की आवाज को सुन लिया था। यह देख तौफीक भागकर सुयश और अलबर्ट के पास आ गया।

अब चारो ओर से गोला बनाकर सभी टेरो सोर, तौफीक, सुयश और अलबर्ट की ओर बढ़ने लगे। किसी के पास बचने का अब कोई रास्ता नहीं बचा था।

“नक्षत्रा क्या तुम कोई मदद कर सकते हो ?” जेनिथ ने लाचारी भरे स्वर में नक्षत्रा से पूछा।

“माफ करना जेनिथ, मैं इस समय तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।” नक्षत्रा के स्वर में भी उदासी के भाव थे।

शैफा ली भी इस समय स्वयं को बेबस महसूस कर रही थी। क्रिस्टी के पास भी इतने सारे टेरो सोर से बचने का कोई उपाय नहीं था।

सुयश ने हड़बड़ाकर अपने बैग में रखे सभी खाने के पैकेट निकाल लिये।

“जब तक हो सके, इनसे बचने की कोशिश करो, हमें हिम्मत नहीं हारनी है।” सुयश ने खाने के कुछ पैकेट अलबर्ट और तौफीक को पकड़ाते हुए कहा।

अलबर्ट अब अपनी ओर बढ़ रहे टेरो सोर को खाने के पैकेट फेंक कर खिलाने लगा। तभी आसमान में अचानक से अंधेरा छा गया। सभी की नजरें आसमान की ओर उठ गईं।

उन्हें आसमान पर एक विशाल टेरो सोर उड़कर उधर ही आता दिखाई दिया।

उस टेरो सोर के एक पंख का आकार ही 15 मीटर के आसपास था। उसी के पंखों की वजह से उस दर्रे में अंधेरा सा छा गया था। अब छोटे टेरो सोर भी अपना सिर आसमान की ओर उठा कर जोर-जोर से चीखने लगे।

इससे पहले कि कोई अपने बचाव में कुछ कर पाता, उस विशाल टेरो सोर ने नीचे की ओर डाइव मारी और अलबर्ट को अपने पंजों में पकड़कर, एक दिशा की ओर उड़ चला।

सारे छोटे टेरो सोर भी उस बड़े टेरो सोर के पीछे-पीछे जमीन पर दौड़ते हुए भाग गये। तौफीक और सुयश हक्के-बक्के से आसमान में दूर जाते उस विशाल टेरो सोर को देख रहे थे।

तभी उन्हें लड़कियों का ध्यान आया। दोनों भागकर जेनिथ, शैफाली और क्रिस्टी के पास पहुंच गये।

शैफाली की आँखों में आँसू थे। शायद वह अलबर्ट के लिये आखिरी श्रृद्धांजलि स्वरुप थे।
जेनिथ ने शैफाली के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देने की कोशिश की।

पर तभी सुयश ने सबको उस जगह से हटने का इशारा किया क्यों कि उस जगह पर खतरा अभी टला नहीं था। सभी थके-थके कदमों से फिर आगे की ओर बढ़ गये।

सभी को रास्ता दिखाने वाला एक व्यक्ति स्वयं ही रास्ते में खो गया था।


जारी रहेगा______✍️
Nice update....
 

Ajju Landwalia

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#115.

माया :
11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 17:25, हिमालय पर्वत)

रुद्राक्ष, शिवन्या, शलाका और जेम्स सहित बहुत से लोग शिव मंदिर के बाहर बैठे, हनुका के आने का इंतजार कर रहे थे।

जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था, सभी के दिल की धड़कनें तेज होती जा रहीं थीं।

“रुद्राक्ष!” शिवन्या ने घबरा कर रुद्राक्ष की ओर देखते हुए कहा- “शाम होने में अब ज्यादा समय शेष नहीं है। हनुका का भी अभी तक कुछ भी पता नहीं है। मुझे बहुत घबराहट हो रही है....अगर.....अगर हनुका समय पर गुरुत्व शक्ति नहीं ला सके तो महादेव के क्रोध का सामना हम लोग नहीं कर पायेंगे।”

“चिंतित मत हो शिवन्या, मुझे हनुका पर पूरा भरोसा है, वह महापराक्रमी हैं। उनका सामना कोई भी नहीं कर सकता। वह अवश्य ही गुरुत्व शक्ति लेकर आयेंगे।” रुद्राक्ष ने शिवन्या को सांत्वना देते हुए कहा।

अब शलाका को भी थोड़ी घबराहट होने लगी थी। तभी उन सभी को दूर से हनुका उड़कर आता दिखाई दिया। वहां बैठे सभी लोगों के मुख से हर्षध्वनि हुई।

“देखा मैं ना कहता था कि हनुका अवश्य समय पर आयेंगे।” रुद्राक्ष ने शिवन्या की ओर देखकर खुश होते हुए कहा।

शिवन्या के भी चेहरे पर अब खुशी के निशान स्पष्ट नजर आने लगे थे।

तभी हनुका उन सबके सामने बर्फ पर उतरा, पर हनुका के चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी।
रुद्राक्ष हनुका का चेहरा देख भयभीत होकर बोला- “आप गुरुत्व शक्ति ले आये हैं ना?”

हनुका ने भारी मन से खाली डिबिया रुद्राक्ष की ओर बढ़ा दी। जाने क्यों रुद्राक्ष को भी डर लग रहा था। उसने कांपते हाथों से डिबिया को खोला, पर गुरुत्व शक्ति को डिबिया में देखकर खुशी से हनुका को गले से लगा लिया।

हनुका भी गुरुत्व शक्ति को डिबिया में देख प्रसन्न हो गया। वह समझ गया कि गुरुत्व शक्ति अवश्य ही किसी सही व्यक्ति को मिली है, जिससे डिबिया में नयी गुरुत्व शक्ति प्रकट हो गयी है।

हनुका ने इस खुशी के मौके पर किसी को भी सच्चाई बताना उचित नहीं समझा।

“मैं चाहता हूं कि आप ही इसे अपने हाथों से शिव मंदिर में प्रतिस्थापित करें।” रुद्राक्ष ने हनुका को सम्मान देते हुए, डिबिया फिर से हनुका के हवाले कर दी।

हनुका ने डिबिया को हाथ में लिया और अपने शरीर को छोटा कर मंदिर में प्रविष्ठ हो गया।

ब्राह्मणों ने हनुका को मंदिर में प्रवेश करते देख, फिर से शंख, घंटे, डमरु और मृदंग बजाना शुरु कर दिया।

हनुकाने शिव..ग के ऊपर, हवा में लटकी सोने की मटकी के ऊपर, डिबिया को प्रतिस्थापित कर दिया और हाथ जोड़कर मंदिर के बाहर आ गया।

तभी सूर्य की आखिरी किरण ने विदाई ली और इसी के साथ वह भव्य मंदिर वापस बर्फ में समा गया।

जिस स्थान पर मंदिर बर्फ में समाया था, वहां पर अब बहुत से सफेद रंग के फूल दिखाई दे रहे थे। जिसे सभी ने महादेव का प्रसाद समझ उठा लिये।

“हर-हर महा देवऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ!” सभी ने एक बार फिर महा..देव का जोर से जयकारा लगाया और वापस हिमलोक की ओर चल दिये।

तभी शलाका ने शिवन्या को टोका- “एक मिनट रुको शिवन्या, मैं अब जेम्स के साथ यहीं से वापस जाना चाहती हूं। दरअसल कल तो मैंने तुम्हारी बात मान ली थी, पर आज मुझे मत रोकना। मेरे पास भी अभी
बहुत से काम शेष हैं। इसलि ये अभी मुझे जाने की आज्ञा दो। जब मेरे सारे काम खत्म हो जायेंगे तो मैं फिर से कुछ दिनों के लिये तुम लोगों के पास हिमलोक अवश्य आऊंगी।”

शिवन्याने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और शलाका को जाने की अनुमति दे दी। शलाका जेम्स के साथ वापस उसी गुफा से होकर अपने महल में वापस आ गयी।

शलाका और जेम्स को स्टीकर वाले दरवाजे से निकलते देख विल्मर खुश हो गया। उसने आगे बढ़कर जेम्स को गले से लगा लिया।

“अच्छा अभी मैं थोड़ा जल्दी में हूं, कल आकर मैं तुम लोगों से अवश्य बात करुंगी। लेकिन तब तक के लिये तुम लोग कमरे में रखी किसी भी विचित्र वस्तु को मत छूना।” शलाका ने मुस्कुरा कर जेम्स से कहा।

जेम्स ने भी धीरे से सिर हिला कर अपनी स्वीकृति दे दी।

अब शलाका के हाथ में फिर से उसका त्रिशूल नजर आने लगा, जिसकी मदद से शलाका ने हवा में द्वार बनाया और उस कमरे से बाहर चली गई।

शलाका के जाते ही विल्मर ने जेम्स से बीती बातें जानने के लिये पकड़ लिया।


चैपटर-4

टेरो सोर: (
12 जनवरी 2002, शनिवार, 10:15, मायावन, अराका द्वीप)

पिछले दिन पहाड़ पर ही अंधेरा हो जाने की वजह से सभी वहीं सो गये थे। पर्याप्त पानी होने की वजह से किसी को भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।

पोसाईडन की मूर्ति एक बार फिर सभी को दिखाई देने लगी थी, पर उसके पास जाने का कोई सीधा रास्ता ना होने की वजह से अभी भी 2 दिन का समय लगता दिखाई दे रहा था।

रात नींद अच्छी आने की वजह से सभी काफी फ्रेश नजर आ रहे थे। सुयश के इशारे पर सभी पुनः आगे की ओर बढ़ चले। ढलान का रास्ता होने की वजह से अब किसी को परेशानी नहीं हो रही थी।

“नक्षत्रा !” जेनिथ ने नक्षत्रा को पुकारते हुए कहा- “तुमने ये हीलींग वाली शक्ति के बारे में मुझे पहले क्यों नहीं बताया था ?”

“हर चीज को बताने का एक समय होता है।” नक्षत्रा ने कहा- “अगर मैं तुम्हें इस शक्ति के बारे में पहले से ही बता देता तो तुम कल स्वयं अपने दिमाग का प्रयोग कैसे करती?”

“अच्छा तो तुम मेरा दिमाग चेक कर रहे थे।” जेनिथ ने मजा किया अंदाज में कहा- “अच्छा तो ये बताओ कि मुझे टेस्ट में कितने नंबर मिले?”

“10 में से 9 नंबर।”नक्षत्रा ने मजा लेते हुए कहा।

“अरे 1 नंबर कहां काट लिया?” जेनिथ ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा।

“1 नंबर तुम्हारी उस खराब एक्टिंग के लिये काट लिया, जिसकी वजह से तौफीक ने तुम्हें पकड़ लिया था।” नक्षत्रा के शब्दों में शैतानी साफ झलक रही थी।

“मैं एक्टर थोड़े ही हूं, मैं तो डांसर हूं। उसकी प्रतियोगिता हो तब बताना। देखना मैं पूरे नंबर पाऊंगी उसमें।” जेनिथ ने कहा।

“चिंता ना करो, वह समय भी आने वाला है, जब तुम्हारे डांस का भी टेस्ट होगा।” नक्षत्रा के शब्द रहस्य से भरे थे।

“ये कभी-कभी तुम्हारी बातें मेरी समझ में नहीं आतीं।” जेनिथ ने शिकायत भरे लहजे में कहा- “या तो पूरी बात बताओ या फिर कोई ऐसे शब्द मत बोलो, जो मुझे समझ में ना आयें? अच्छा ये बताओ कि तुम्हारी
समय रोकने वाली शक्ति रीचार्ज हो गई कि नहीं?”

“अभी नहीं, उसे रीचार्ज होने में पूरे 24 घंटे का समय लगता है। अभी उसमें काफी समय बाकी है। तब तक के लिये तुम्हें खतरे से स्वयं बचना होगा।” नक्षत्रा ने कहा।

धीरे-धीरे चलते हुए सभी को 2 घंटे हो गये। अब वह पहाड़ी से उतरकर एक दर्रे में आ गये थे। यह दर्रा 2 तरफ से ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा था। इस क्षेत्र में चारो ओर बड़ी-बड़ी अंडाकार चट्टानें बिखरीं थीं।

यह बड़ा ही अजीब सा क्षेत्र था। दर्रा देखने में भी काफी खतरनाक लग रहा था। दर्रे के दोनों तरफ की पहाड़ की दीवारों पर, ऊंचे और घने पेड़ उगे थे। चारो ओर एक अजीब सी शांति छाई थी।

अलबर्ट ध्यान से उन सफेद चिकने पत्थरों को देखता हुआ आगे बढ़ रहा था, उसे समझ नहीं आ रहा था, कि ये कौन सा मार्बल है?

तभी क्रिस्टी को रास्ते में बिखरे हुए कुछ मानव कंकाल और खोपड़ियां दिखाई दीं।

“कैप्टेन!”
क्रिस्टी ने उन नरकंकालों की ओर इशारा करते हुए कहा- “यहां अवश्य ही कोई भयानक खतरा है, यहां पड़े मानव कंकाल इतनी अधिक मात्रा में हैं कि इन्हें गिन पाना भी संभव नहीं है।”

सभी उन मानव कंकालों को देखकर सिहर उठे।

“इससे पहले कि हम पर कोई मुसीबत आये, हमें तुरंत इस खतरना क क्षेत्र को पार करना होगा।”तौफीक ने कहा।

तौफीक की बात सुन सभी तेजी से आगे बढ़ चले। तभी शैफाली को एक अजीब सी स्मेल का अहसास हुआ। शैफाली ने अपनी नाक पर जोर दिया और स्मेल की दिशा में अपनी आँखें घुमायीं।

शैफाली को एक अंडाकार चट्टान में कुछ दरारें पड़ती हुई दिखाई दीं। शैफाली यह देखकर चीखकर बोली-

“सावधान! हम जिन्हें चट्टान समझ रहे हैं, वह चट्टान नहीं बल्कि किसी विशाल जीव के अंडे हैं।”
शैफाली की बात सुन सभी का ध्यान उन अंडाकार चट्टानों की ओर गया।

इतने ज्यादा बड़े अंडे देखकर सभी ने कल्पना कर ली, कि इस अंडे के पूर्ण विकसित जीव किस आकार के होंगे? अब सभी जल्द से जल्द उस क्षेत्र से निकलने के लिये तेज कदमों से चलने लगे।

“यह अवश्य ही किसी विशाल पक्षी के अंडे हैं?” अलबर्ट ने चलते-चलते सबसे कहा- “और वह विशाल पक्षी जरुर खाने की खोज में यहां से गये हों गे। इससे पहले कि वह यहां वापस लौटें, हमें इस क्षेत्र से बाहर
निकलना होगा।”

तभी अलबर्ट के बगल वाले एक अंडे में दरार पड़ी और वह टूटकर बिखर गया।

अंडे से खूब सारे पीले रंग के गंदे द्रव्य के साथ, एक बड़ी सी चोंच वाला पक्षी बाहर निकला। वह पक्षी देखने में ही बहुत खतरनाक लग रहा था। अलबर्ट तुरंत उस पक्षी से दूर हट गया।

“ये उड़ने वाले डायना सोर ‘टेरो सोर’ हैं।” अलबर्ट ने चीखकर सबको बताया- “पर ये तो आज से लाखों वर्ष पहले ही समाप्त हो गये थे। यह सब अभी तक इस द्वीप पर जीवित कैसे हैं?”

उधर अंडे से निकलते ही वह छोटा टेरो सोर जोर से ‘क्रा-क्रा’ करके चिल्लाने लगा। उसकी आवाज बहुत ही तीखी और तेज थी।

वह आवाज पूरे दर्रे में गूंज गयी। यह देख अलबर्ट बहुत डर गया।

“इसे भूख लगी है, इसलिये यह चिल्ला रहा है।” अलबर्ट ने डरते हुए कहा- “अगर कोई भी बड़ा टेरो सोर हमारे आस-पास हुआ? तो इसकी आवाज सुनकर वह यहां तुरंत आ जायेगा। हमें किसी भी प्रकार से इसे
चुप कराना होगा ?”

यह सुन सुयश ने 4-5 खाने के पैकेट बैग से निकालकर अलबर्ट को पकड़ा दिये- “क्या इससे इसे कुछ देर के लिये रोका जा सकता है प्रोफेसर? अगर यह कुछ देर भी शांत रहा तो तब तक हम इस दर्रे से कुछ दूर चले जायेंगे?”

अलबर्ट ने अपने हाथ में पकड़े खाने के पैकेट को देखा और तुरंत एक पैकेट को फाड़कर उस छोटे टेरो सोर के सामने फेंक दिया।

1 सेकेण्ड में ही वह नन्हा टेरो सोर उस पैकेट को खा गया। अब वह चीखना बंद कर आशा भरी नजरों से अलबर्ट को देखने लगा।

“कैप्टेन इतने कम पैकेट से इसका पेट नहीं भरने वाला। हमें यहां से भागने के लिये कुछ और ही सोचना पड़ेगा।” अलबर्ट ने उस छोटे टेरो सोर के सामने एक पैकेट और फेंकते हुए कहा।

छोटे टेरो सोर ने वह खाना भी तुरंत खाया और इस बार अलबर्ट के बिल्कुल पास आकर अलबर्ट के हाथ में पकड़े बाकी पैकेट को घूरने लगा।

“प्रोफेसर, जल्दी से अपने हाथ में पकड़े सारे पैकेट फेंक दीजिये, नहीं तो वह आप पर भी आक्रमण कर देगा।” क्रिस्टी ने अलबर्ट को चीखकर चेतावनी दी।

अलबर्ट ने क्रिस्टी की बात सुनकर, एक नजर उस छोटे टेरो सोर पर मारी। क्रिस्टी की बात बिल्कुल सही थी, वह नन्हा टेरो सोर अब बिल्कुल अलबर्ट पर झपटने ही वाला था।

अलबर्ट ने घबरा कर बाकी बचे 3 पैकेट भी वहां अलग-अलग दिशा में फेंक दिये और तेजी से सबके साथ वहां से भागा। वह नन्हा टेरो सोर अलग-अलग फेंके गये पैकेटों को ढूंढने में लग गया, इतना समय काफी था, सभी को वहां से कुछ दूर जाने के लिये।

सभी पूरी ताकत लगा कर भाग रहे थे। आज तो अलबर्ट की भी भागने की स्पीड तेज थी। तभी तेज भागते तौफीक का पैर जमीन में उभरी एक लकड़ी में फंस गया और वह धड़ाम से जमीन पर गिर गया।

चूंकि तौफीक अलबर्ट को बचाने के चक्कर में सबसे पीछे था, इसलिये किसी का भी ध्यान तौफीक के गिरने की ओर नहीं गया। सभी बेखबर, बस भाग रहे थे।

तौफीक ने गिरते ही उठने की कोशिश की। तभी उसे अजीब सी आवाज सुनाई दी। उसने जैसे ही सिर उठाकर ऊपर देखा, उसकी रुह कांप गयी।

उसके सिर के पास 2 छोटे टेरो सोर खड़े उसे निहार रहे थे। तौफीक की नजर दूर जा रहे अपने दोस्तों की ओर गयी, वह सब अब तौफीक से काफी दूर निकल गये थे। उन्हें तौफीक के पीछे रह जाने का आभाष भी नहीं हुआ था।

तौफीक ने अपनी जेब में रखा चाकू निकाल लिया और उसे दोनों टेरो सोर की ओर लहराने लगा।

वह दोनों टेरो सोर चाकू से अंजान थे। उन्हें तो समझ भी नहीं आ रहा था कि तौफीक कर क्या रहा है?

तौफीक ने अब जमीन पर पड़ी एक लकड़ी को धीरे से उठा लिया। उसने लकड़ी को अब जोर से हवा में लहराया और उन दोनों टेरो सोर को दिखाते हुए एक दिशा में फेंक दिया। दोनों टेरो सोर लकड़ी को खाना समझ उस ओर भागे, जिधर तौफीक ने लकड़ी को फेंका था।

मौका मिलते ही तौफीक वहां से भागा। तौफीक ने चाकू को जेब में रख, पहाड़ की दीवार पर लगे, एक पेड़ की शाख पकड़ कर, उस पर लटक गया। तब तक वह दोनों टेरो सोर लकड़ी को सूंघकर वापस तौफीक के पास आ गये थे। तौफीक को पेड़ से लटके देख वह उछल कर उसे पकड़ने की कोशिश करने लगे।
यह देख तौफीक डाल को पकड़ कर थोड़ा और ऊपर की ओर सरक गया।

अब वह दोनों टेरो सोर की पकड़ से दूर था। टेरो सोर छोटे होने की वजह से अभी उड़ नहीं सकते थे, इसलिये वह उछल-उछल कर तौफीक को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। अब वह टेरो सोर गुस्से में फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगे।

उन दो नों टेरो सोर की आवाज सुनकर सुयश ने पलट कर पीछे की ओर देखा। सुयश को अपने ग्रुप में तौफीक कहीं नजर नहीं आया। तभी उसकी निगाह दूर पेड़ की डाल से लटके तौफीक पर पड़ी ।

2 टेरो सोर उछल-उछल कर उसे पकड़ने की कोशिश कर रहे थे। यह देख सुयश ने आवाज लगाकर सबको रुकने का इशारा किया- “सभी लोग रुक जाओ। तौफीक वहां पीछे छूट गया है।"

सुयश की आवाज सुन, सभी रुककर उधर देखने लगे जिधर सुयश इशारा कर रहा था, पर तौफीक को सुरक्षित देख सभी ने राहत की साँस ली।

सुयश को तौफीक के बचने का यह तरीका बहुत सही लगा। तभी और ऊपर चढ़ने की कोशिश में तौफीक जिस डाल को पकड़े था, वह टूट गयी और तौफीक धड़ाम से जमीन पर आ गिरा।

तौफीक को जमीन पर गिरते देख दोनों टेरो सोर उस पर झपटे। यह देख क्रिस्टी के मुंह से चीख निकल गयी। लेकिन तुरंत ही क्रिस्टी ने स्वयं का मुंह दबा कर अपने को काबू में किया।

उधर तौफीक गिरते ही फुर्ती से खड़ा हो गया। एक बार फिर चाकू जेब से निकलकर उसके हाथ में आ गया था।

तौफीक ने पास आ रहे 1 टेरो सोर पर चाकू चला दिया। चाकू ने उस टेरो सोर के शरीर पर एक बड़ा सा कट लगा दिया। वह टेरो सोर बुरी तरह चीखा, पर अब वह तौफीक के चाकू से सावधान दिख रहा था।

तौफीक को खतरे में देख सुयश ने जेनिथ, क्रिस्टी और शैफाली को वहीं एक पत्थर के पीछे छिपने का इशारा किया और स्वयं अलबर्ट को लेकर तौफीक की ओर भागा।

तभी दूसरे टेरो सोर ने भी तौफीक पर अपनी चोंच से हमला किया। तौ फीक फुर्ती से हटा, फिर भी उसका एक कंधा घायल हो गया। तौफीक इस बार और भी ज्यादा सावधान हो गया।

तब तक अलबर्ट और सुयश दोनों टेरो सोर के पीछे पहुंच गये। अलबर्ट ने एक लकड़ी को हाथ में उठाकर एक सीटी बजाई।

दोनों टेरो सोर सीटी की आवाज सुन पीछे पलटे। तभी तौफीक ने आगे बढ़कर एक टेरो सोर का गला पीछे से काट दिया।

वह टेरो सोर धड़ाम से वहीं गिरकर मर गया। यह देख दूसरा टेरो सोर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसकी तेज आवाज पूरे दर्रे में गूंजने लगी।

“तौफीक जल्दी से इसे भी मारो, यह अपने साथियों को बुला रहा है।” अलबर्ट ने तौफीक से चीखकर कहा।

लेकिन इससे पहले कि तौफीक दूसरे टेरो सोर को मार पाता, अचानक 5 और नन्हें टेरो सोर एक दिशा से आते दिखाई दिये।

शायद सबने इस टेरो सोर की आवाज को सुन लिया था। यह देख तौफीक भागकर सुयश और अलबर्ट के पास आ गया।

अब चारो ओर से गोला बनाकर सभी टेरो सोर, तौफीक, सुयश और अलबर्ट की ओर बढ़ने लगे। किसी के पास बचने का अब कोई रास्ता नहीं बचा था।

“नक्षत्रा क्या तुम कोई मदद कर सकते हो ?” जेनिथ ने लाचारी भरे स्वर में नक्षत्रा से पूछा।

“माफ करना जेनिथ, मैं इस समय तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता।” नक्षत्रा के स्वर में भी उदासी के भाव थे।

शैफा ली भी इस समय स्वयं को बेबस महसूस कर रही थी। क्रिस्टी के पास भी इतने सारे टेरो सोर से बचने का कोई उपाय नहीं था।

सुयश ने हड़बड़ाकर अपने बैग में रखे सभी खाने के पैकेट निकाल लिये।

“जब तक हो सके, इनसे बचने की कोशिश करो, हमें हिम्मत नहीं हारनी है।” सुयश ने खाने के कुछ पैकेट अलबर्ट और तौफीक को पकड़ाते हुए कहा।

अलबर्ट अब अपनी ओर बढ़ रहे टेरो सोर को खाने के पैकेट फेंक कर खिलाने लगा। तभी आसमान में अचानक से अंधेरा छा गया। सभी की नजरें आसमान की ओर उठ गईं।

उन्हें आसमान पर एक विशाल टेरो सोर उड़कर उधर ही आता दिखाई दिया।

उस टेरो सोर के एक पंख का आकार ही 15 मीटर के आसपास था। उसी के पंखों की वजह से उस दर्रे में अंधेरा सा छा गया था। अब छोटे टेरो सोर भी अपना सिर आसमान की ओर उठा कर जोर-जोर से चीखने लगे।

इससे पहले कि कोई अपने बचाव में कुछ कर पाता, उस विशाल टेरो सोर ने नीचे की ओर डाइव मारी और अलबर्ट को अपने पंजों में पकड़कर, एक दिशा की ओर उड़ चला।

सारे छोटे टेरो सोर भी उस बड़े टेरो सोर के पीछे-पीछे जमीन पर दौड़ते हुए भाग गये। तौफीक और सुयश हक्के-बक्के से आसमान में दूर जाते उस विशाल टेरो सोर को देख रहे थे।

तभी उन्हें लड़कियों का ध्यान आया। दोनों भागकर जेनिथ, शैफाली और क्रिस्टी के पास पहुंच गये।

शैफाली की आँखों में आँसू थे। शायद वह अलबर्ट के लिये आखिरी श्रृद्धांजलि स्वरुप थे।
जेनिथ ने शैफाली के कंधे पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देने की कोशिश की।

पर तभी सुयश ने सबको उस जगह से हटने का इशारा किया क्यों कि उस जगह पर खतरा अभी टला नहीं था। सभी थके-थके कदमों से फिर आगे की ओर बढ़ गये।

सभी को रास्ता दिखाने वाला एक व्यक्ति स्वयं ही रास्ते में खो गया था।


जारी रहेगा______✍️

Bahut hi romanchak update he Raj_sharma Bhai,

Hanuka ke khali hath aane ke bavjood guurtav shakti dibiya me wapis aa gayi

Shayad vyom sahi vyakti he jise gurutav shakti mili he............

Ab shalaka vapis aa rahi he.............shayad vo suyash aur vyom ki kuch madad kar sake...........

Terosours ne taufiq ko ghayal kar diya.........

Lemin Albert ko nahi bacha sake suyash and party...............

Ek ek karke sab bichde ja rahe he...........

Keep rocking Bro
 

Raj_sharma

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साथियों के बिछड़ने

साथियों के बिछड़ने का सिलसिला खत्म ही नहीं हो रहा


Nice update👌👌
Thanks for your valuable review bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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nice update. hanuka ne nakhush hokar dibiya rudraksh ko di par usme gurutv shakti ko dekhkar khush ho gaya ,hanuka ke alawa kisi ko bhi pata nahi chal paya asli baat ka ,ki shakti kisi achche insan ko mili isliye nayi shakti dibiya me aa gayi ..

terosor se taufik ne himmat se ladhai ki par bechara albert ko bada terosor utha le gaya ,kya wo jinda bachne ki koi ummeed hai ya suyash ,jenith milkar kuch kar paaye bachane ke liye ..
Gurutv shakti Vyom ke hath lag gai, per kisi ko pata nahi chala, hanuka ko bhi nahi pata lega ki wo boond aakhir kaha giri, Albert ab in logo se nahi milega, uka kaam tamaam ho gaya filhaal yahi uski niyati hai, bhavisya ka bata. Nahi sakte:roll3:
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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English name hai na isliye main bhi thodi bhool jati but story achhi hai name se itna problem nhi hai story pdte pdte name rat jayenge
Rasso ji aap aa gaye :hug:,
Naam me kya rakha hai sarkaar, aapko story pasand aani chahiye, :approve:
Aap aage padho, mera viswas hai ye aapko aur bhi acchi lagegi 👍
 

Raj_sharma

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Bahut hi romanchak update he Raj_sharma Bhai,

Hanuka ke khali hath aane ke bavjood guurtav shakti dibiya me wapis aa gayi

Shayad vyom sahi vyakti he jise gurutav shakti mili he............

Ab shalaka vapis aa rahi he.............shayad vo suyash aur vyom ki kuch madad kar sake...........

Terosours ne taufiq ko ghayal kar diya.........

Lemin Albert ko nahi bacha sake suyash and party...............

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Bilkul bhai yahi ho raha hai, Suyash ki team chhoti hoti ja rahi hai, kya kar sakte hai, wahi hanuka ko bhi nahi maloom ki Gurutva shakti kise mili, vyom sahi vyakti hi hai, ye aage chal kar pata lagega:roll:
Thanks for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

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