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Incest मुझे प्यार करो,,,

Rishiii

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Rohnny bhai ..aapki yeh pehli hee story hogi jismay 300+ pages ho jaaney par bhee Hero nay kutch khass dhamal nahi machaya hai...

Ab tak seerf naani kee aur padosan aunty kee chudai hui hai......itnaa kutch hua nahi hai ab tak........😔😔😔😭
 

rajeev13

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Apka pyar dekhkar sach me mujhe bahot accha lag raha he ,,,,lekin aap ye jo madad kar rahe mujhe thik nahi lag raha he ,,,apki bhi family hogi,,,is tarah se pese barbad karna or wo bhi aise shaks k liye jise aap jante hi nahi ho

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आपसे मेरी पहचान वर्षों पुरानी है, गॉसिप से लेकर यहां तक। जब उस मंच का विलीन होना हुआ और आपने यहां आकर कदम रखा, तो सबसे पहले मैंने ही आपका स्वागत किया था। उस समय, आपने यहां नई-नई कहानी शुरू की थी, और आपके पोस्ट पर कमेंट्स भी ज्यादा नहीं आते थे। फिर भी, मैंने आपसे आग्रह किया था कि आप अपनी कहानी को जारी रखें। आज परिणाम सबके सामने हैं। शायद आपको सब कुछ याद न हो, लेकिन मेरे पास वो संदेश अभी भी मौजूद हैं।

जहां तक पैसों की बात है, तो वो मेरे लिए उतनी बड़ी राशि नहीं है, जितना आप उसे बढ़ा-चढ़ा कर देख रहे हैं। यहां शहर में वो राशि तो रोज़-रोज़ फास्ट फूड, कपड़े आदि में चली जाती है। इससे कहीं बेहतर है कि आप जैसे जरूरतमंद मित्र की सहायता में वह खर्च हो। इसके अलावा, वो मेरी सैलरी का हिस्सा नहीं है; आप उसे मेरी अतिरिक्त राशि या जमापूंजी कह सकते हैं, और इस पैसे को खर्च करने का निर्णय केवल मेरा होता है।
 
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Ravisingh2020

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सुगंधा और अंकित दोनों मां बेटे मार्केट से वापस घर आ चुके थे,,,, मार्केट में जो कुछ भी हुआ था वह बेहद दिलचस्प था जिस मां बेटे दोनों आपस में कुछ ज्यादा ही खुलने लगे थे दुकान के अंदर जिस तरह से वह काउंटर वाली लेडी दोनों को प्रेमी प्रेमिका समझ रहे थे इस बात से सुगंधा पूरी तरह से हैरान थी,,, एहसास होने लगा था कि क्या वाकई में वह अपने बेटे की मन नहीं लगती क्या दोनों की उम्र में कुछ ज्यादा अंतर दिखाई नहीं देता ऐसा ही तो है तभी तो वह काउंटर वाली लेडी दोनों को प्रेमी प्रेमिका समझ रही थी एक बार भी उसने यह नहीं सोचा कि यह दोनों मां बेटे की हो सकते हैं ऐसा क्यों आखिरकार काउंटर वाली लेडी दोनों के बारे में ऐसा क्यों सोची,,,, घर आने पर सुगंधा को यही सब सवाल पूरी तरह से परेशानकर रहे थे,,, लेकिन इस परेशानी में भी राहत की बात यह थी कि उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद भी उसके बदन का रखरखाव पूरी तरह से संजोया हुआ था,,, बदन में अभी भी कसावट किसी जवान औरत की तरह ही थी। तनी हुई चूचियां किसी भी तरह से जरा सी भी लचकी हुई नहीं दिखाई देती थी,,, मानसर चिकनी कमर और कमर के दोनों तरफ हल्की सी कटी हुई लकीर जो सुगंधा की खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे। नितंबों का उभार एक अद्भुत आकार लिया हुआ था,,, जोकि कई हुई साड़ी में पूरी तरह से आकर्षण का केंद्र बिंदु बन जाता था,,, और सबसे बड़ा कारण यह था कि आज तक पति के देहांत के बाद उसने अपने शरीर को किसी भी गैर मर्द को हाथ नहीं लगाने दी थी। और यही सबसे बड़ी वजह भी थी कि अभी तक वह पूरी तरह से जवान थी,,,,।

घर का काम करते समय उसका दिल और दिमाग पूरी तरह से काबू में नहीं था वह अपने बेटे पर हैरान थी कि वह काउंटर वाली लेडी तो दोनों को प्रेमी प्रेमिका समझ रही थी लेकिन इस मौके का फायदा उसका बेटा पूरी तरह से उठा रहा था उसने एक बार भी उसे काउंटर वाली लाडी को यह नहीं बताया कि वह दोनों प्रेमी प्रेमिका नहीं बल्कि मां बेटे में बल्कि वह काउंटर वाली लेडी जो समझ रहा थीवउसे वही समझने भी दिया बार-बार उसे मैडम कहकर संबोधन कर रहा था जिससे सुगंधा की हालत और ज्यादा खराब हो रही थी। दुकान में बिताए हुए हर एक पल के बारे में हर एक बातों के बारे में सोचकर सुगंधा की सांसें ऊपर नीचे हो रही थी। कुर्ता पजामा खरीद लेने के बाद उसे काउंटर वाली दीदी ने उसके पास जो वस्त्र दिखाया था उसे देखकर तो सुगंधा के होश वाकई में एकदम उड़ गए थे और उसे वस्त्र के बारे में सोचकर इस समय सुगंधा पानी पानी हो रही थी। वह अपने मन में यही सोच रही थी कि उस छोटे से गाउन में वह सच में स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा नजर आती केवल प्रॉपर्टी और वह गाऊन,,,उफफफ,,,,, मजा आ जाता,,,,, लेकिन वह जानती थी कि उसे समय उसे खरीद पाना कितने शर्म वाली बात थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह काउंटर वाली लेडी दोनों को पहचानते नहीं से जानते नहीं तो फिर भी उसके सामने उसे न जाने क्यों शर्म महसूस हो रही थी,,, इस कारण को वह नहीं समझ पा रही थी लेकिन इसका मुख्य कारण नहीं था कि सुगंधा चाहे जो भी हो एक मां थी इसलिए एक मां होने के नाते मां का रिश्ता उसे रोक रहा था इसलिए वह अपने बेटे के सामने शर्म के मारे उस गाउन को नहीं खरीद पाई।


पहले से ही तय था कि आज रात का खाना नहीं बनेगा इसलिए मार्केट से ही खाने के लिए नाश्ता लेकर आए थे जिस मां बेटे दोनों साथ मिलकर खाए खाना न बनने के कारण मांजने के लिए बर्तन भी नहीं था,,, इसलिए केवल झाड़ू लगाकर वह कमरे की सफाई कर दी,,, इस दौरान अंकित टीवी देख रहा था जिसमें एक रोमांटिक मूवी चल रही थी। आमिर खान और जूही चावला की कोई फिल्म थी जिसका नाम अंकित को नहीं मालूम था वह केवल देख रहा था थोड़ी ही देर में उसकी मां भी टीवी देखने के लिए वहां आ गई और वह भी बैठ कर देखने लगी,,,, इस दौरान फिल्म में एक दृश्य था जिसमें नायक नायिका के खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रखकर किस करता है और यह दृश्य देखकर मां बेटे दोनों एकदम से गनगना गए थे,,,, अंकित तो अपने मन में यही सोच रहा था कि अच्छा हुआ कि यह दृश्य उसकी मां के सामने आया और वह मन ही मन खुश हो रहा था उसे एहसास हो रहा था कि इस दृश्य को देखकर उसकी मां के मन में बहुत सी बातें चल रही होगी,,, और ऐसा ही था अपने बेटे के सामने हीरो हीरोइन के चुंबन वाले दृश्य को देखकर उसके बदन में भी कुछ-कुछ होने लगा था,,, वैसे तो अपने बेटे की मौजूदगी में यह दिल से देखने में उसे शर्म तो महसूस हो रही है कि लेकिन उसे भी अच्छा लग रहा था कि यह दिल से देखते हुए उसके साथ में उसका बेटा भी है। इस दृश्य को देखकर सुगंधा की भी हालत खराब हो रही थी वैसे तो इस विषय में कोई ऐसी ज्यादा विषय वस्तु नहीं थी जिसे देखते ही इंसान उत्तेजित हो जाए लेकिन इस समय मां बेटे दोनों एक अलग ही समय से गुजर रहे थे जिसमें इस तरह के दृश्य बदन में उत्तेजना और जवानी की गर्मी को कुछ ज्यादा ही बढ़ा देते थे और यही हाल इस समय दोनों मां बेटे का भी था,,, सुगंधा तिरछी नजर से अपनी बेटी की तरफ देख ले रही थी वह भले ही टीवी की तरफ देख रहा था लेकिन वह जानती थी कि उसका मन कहीं और भ्रमण कर रहा होगा,,,, और जरूर उसका बेटा उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा ले रहा होगा और यही देखने के लिए सुगंध भी अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच देख रही थी तो पेंट में हल्का सा उभार बनता हुआ नजर आ रहा था जिसे देखकर सुगंधा के तन बदन में आग लगने लगी।

सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे आगे बढ़ा जाए,,, वैसे तो दोनों के बीच ऐसा बहुत कुछ हो चुका था जिससे आगे बढ़ा जा सकता था लेकिन मर्यादा की दीवार बीच में रोड़ा बनकर खड़ी थी इस समय अंकित खामोश था सुगंध को लगने लगा था कि बातचीत का दौर उसी को ही शुरू करना होगा इसलिए वह टीवी की तरफ देखते हुए बोली।


देखा हीरोइन की हालत कैसे खराब हो गई।
(जैसे ही यह शब्द अंकित के कानों में सुनाई दिए उसके तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी उसे समझ में आ गया कि उसकी मां भी वही सोच रही है जैसा कि वह सोच रहा है इसलिए वह भी एकदम से उत्साहित होता हुआ बोला)

लेकिन ऐसा क्यों हीरोइन की हालत खराब क्यों हो गई,,,, चुंबन करने में ऐसा क्या हो गया? (अंकित अच्छी तरह से जानता था चुंबन के अर्थ को चुंबन के महत्व का और उसकी परिभाषा को लेकिन फिर भी जानबूझकर अपनी मां के सामने नादान बनने की कोशिश कर रहा था जैसा कि वह अपनी नानी के सामने नादान बनाकर अपनी नानी की बुर पर पूरी तरह से झंडा गाड दिया था। अंकित यहां पर भी कुछ ऐसा ही चाहता था,,,, अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा बोली,,,)


अरे बेवकूफ चुंबन का भी अपना ही अलग महत्व है,,,, प्रेमी प्रेमिका के बारे में जानता है लेकिन चुंबन के बारे में नहीं जानता,,,, उसे काउंटर वाली लाडी को इतना नहीं बोल पाएगा कि वह मेरी प्रेमिका नहीं मेरी मम्मी है,,,।

क्योंकि मुझे वहां अच्छा लग रहा था,,,, तुमको प्रेमिका के रूप में पाकर,,,,(टीवी की तरफ देखते हुए अंकित अपने मन की बात अपनी मां से बोल गया जिसे सुनकर,,, मन ही मन बहुत प्रसन्न हुई और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)

तब तो आप तेरे साथ कहीं जाने में मुझे डर लगेगा,,,।

ऐसा क्यों,,,?

क्योंकि अगर कोई पति-पत्नी समझ लिया तो।
(पति पत्नी वाली बात सुगंधा बहुत हिम्मत करके बोल गई थी,,,, और अपनी मां की यह बात सुनकर अंकित अच्छी तरह समझ रहा था कि उसकी मां को क्या चाहिए और उसकी बात से बहुत खुश भी हो रहा था और मुस्कुराते हुए बोला,,,)

अगर सच में कोई ऐसा समझेगा तो मैं अपने आप को बहुत खुश कीस्मत समझुंगा,,,,,।

खुशकिस्मत,,,,,!(आश्चर्य से अंकित की तरफ देखते हुए बोली)


तुम्हारी जैसी पत्नी मिलना सच में बहुत किस्मत की बात है और जिसकी ऐसी खूबसूरत बीवी हो वह इंसान तो दुनिया में सबसे ज्यादा किस्मत वाला होगा,,,,।


फिल्मी डायलॉग मार रहा है,,,, इसीलिए फिल्म देखता है,,,,।


यह कोई फिल्मी डायलॉग नहीं है मैं सच कह रहा हूं तुम खुद नहीं जानती कि तुम क्या हो,,,, अच्छा तुम बता रही थी ना चुंबन करने से ऐसा क्या हो गया कि वह घबरा गई,,,,(बातों का सिलसिला किसी और तरफ जा रहा था इसलिए अंकित एकदम से बातों के दौर को पटरी पर लाते हुए बोला,,,, जिसे सुनकर सुगंधा गहरी सांस लेकर आराम से सोफे पर बैठते हुए बोली,,,)

हीरोइन की हालत को तूने शायद देखा नहीं वह कितनी घबरा गई थी उसके बदन में कंपन हो रहा था और यह शायद उसका जीवन का पहला चुंबन था तभी वह एकदम से शर्मा गई थी।


लेकिन उसके चेहरे से तो लग रहा था कि उसे अच्छा लगा मजा आया,,,,

ओहहहह मतलब औरतों के चेहरे के हाव-भाव को पढ़ना तु अच्छी तरह से जानता है,,,,।

ऐसा नहीं है फिल्म में भी देखो दोनों बहुत खुश दिखाई दे रहे हैं अगर ऐसा कुछ होता तो हीरोइन गुस्सा होकर चली जाती,,,,,।


बिल्कुल ठीक समझा,,,,(मुस्कुराते हुए) इसका मतलब तु सच में बड़ा हो गया है।

वह तो मैं हो ही गया हूं,,,, लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आई की मर्द औरत को चुंबन क्यों करता है ऐसा क्या हो जाता है कि उसे चुंबन करना पड़ता है और वह भी होठों पर,,,,।

(अपने बेटे के इस प्रश्न पर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी क्योंकि वह बेहद गहरी बातें पूछ रहा था,,, सुगंधा को भी ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा शायद चुंबन के बारे में ज्यादा कुछ जानता नहीं है,,,, इसलिए इस तरह का सवाल पूछ रहा है लेकिन उसके बेटे के इस तरह के सवाल में वह मदहोश हो रही थी उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार मे रीसाव हो रहा था। लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी की मां बेटे के बीच की दूरी खत्म करने का बस यही एक जरिया है बातचीत ,,,इस तरह की बातें ही दोनों के बीच से मां बेटे वाली झिझक को दूर कर सकती थी। इसलिए वह अपने बेटे से बोली।)

चुंबन प्यार दर्शाता है,,, मर्द और औरत के बीच का,,,, जब मरद बहुत खुश होता है तो औरत को चुंबन कर लेता है और चुंबन करने के स्थान भी अलग-अलग होते हैं कोई दुलार से चुंबन करता है तो माथे पर चुंबन करता है कोई गल पर करता है और जब आपस में बहुत गहरा रिश्ता हो तो वह उसके होठों पर चुंबन कर लेता है,,,, किसी को कोई जब अच्छा लगने लगता नहीं तो वह उसके होठों पर उसके गाल पर चुंबन करते हैं वैसे चुंबन के भी कई रूप होते हैं।

मैं कुछ समझा नहीं,,,,(वैसे तो अंकित सब कुछ समझ रहा था लेकिन जानबूझकर अपनी मां के सामने नाटक कर रहा था और अपनी मां किस तरह की बातें सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी खास करके उसके दोनों टांगों के बीच का स्थान पूरी तरह से हलचल मचा रहा था)

सामान्य तौर पर मर्द औरत की गाल पर ही जमीन करता है लेकिन जब दोनों का रिश्ता कुछ ज्यादा ही गहरा हो या दोनों के बीच कुछ होने वाला हो तो मर्द औरत के होठो पर चुंबन करता है,,,,।
(अपने बेटे के साथ इस तरह की बातें करने में सुगंधा के माथे से पसीना टपक रहा था उसकी हालत खराब हो रही थी उसके मन में घबराहट की हो रही थी लेकिन उससे ज्यादा सुगंधा के मन पर उत्तेजना दबाव बना रही थी,,ईस तरह की बातें करने के लिए,,,, इसलिए वह चाहकर भी अपने आप को नहीं रोक पा रही थी। अपनी मां की बात को अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन फिर भी और फिर से अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला,,,)


कुछ होने वाला हो,,, मेरे को समझा नहीं कुछ होने वाला हो इसका क्या मतलब है,,,!
(अंकित के सवाल को सुनकर सुगंधा मन ही मन मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,)

मैं बात नहीं सकती लेकिन समय आने पर तु खुद ही समझ जाएगा।

क्या मम्मी कैसा समय मुझे कुछ तो बताओ,,,।

कहा ना मैं नहीं बता सकती समय आने पर तु खुद समझ जाएगा,,,, आज गर्मी थोड़ा ज्यादा है क्यों ना आज छत पर चलकर सोया जाए वहां पर बहुत ठंडी हवा चलती है,,,।


मैं भी यही सोच रहा था,,,, लेकिन इससे पहले तुम्हें कुछ और पैजामा पहनकर उसका नाप चेक करना है कुछ भी गड़बड़ हुआ तो वापस हो जाएगा,,,,।

अरे हां में तो भूल ही गई रुक अभी पहन कर देखती हूं,,,,।

कहां देखोगी,,,,?

अपने कमरे में और कहां,,,

यही पहन कर देख लो ना मैं भी देख लूंगा,,,,।

(अंकित की बात सुनकर सुगंधा शर्मा गई ओर शर्माते हुए बोली,,,,)

धत् मुझे तेरे सामने शर्म आती है,,,।

अरे सर मैं कैसी सी पहन कर देखना ही तो है और भूल गई मैं तुम्हारे लिए चड्डी और ब्रा लाया था मेरे सामने ही तो पहन कर नाप देखी थी।


तू सच में बहुत जिद्दी है,,,, अच्छा रुक मैं यहीं पर लेकर आती हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही सुगंधा सोफे पर से उठकर खड़ी हो गई,,, उसकी भारी भरकम गोलाकार गांड सोफे पर जिस जगह पर बैठी हुई थी वहां पर हल्का सा गड्ढा बन गया था जिसे देखकर अंकित मुस्कुराने लगा और अपने मन में ही बोला,,, मम्मी की गांड कितनी जानता है सोफे की तो किस्मत बन जाती होगी,,,, उसका यह सोचा था की सुगंधा उस कमरे से निकल कर अपने कमरे की तरफ जा चुकी थी। अंकित का दिल अब दोनों से धड़क रहा था क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि उसकी मां उसकी आंखों के सामने कुर्ता और पैजामा पहनकर देखेगी और अपने मन नहीं सोच रहा था कि कुर्ता पजामा पहनने के लिए उसे अपने बदन के सारे कपड़े उतारने होंगे । केवल ब्रा और पैंटी को छोड़कर काश मम्मी साड़ी के अंदर पेंटि ना पहनी हो और अनजाने में उसके सामने पेटिकोट उतार दे तो कितना मजा आ जाए यही सब सोच कर अंकित मस्त हुआ जा रहा था। और दूसरी तरफ सुगंधा का भी बुरा हाल था,,,, अपने कमरे में पहुंच चुकी थी और अलमारी में से कुर्ता पजामा निकाल रही थी लेकिन कुर्ता पजामा निकलते हुए अपने मन में अगले पल के बारे में सोच रही थी,,, उसका दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था और मां उत्साहित था।

भले ही वह अपने बेटे के सामने कुछ भी बोल रही थी लेकिन उसका मन भी अपने बेटे के सामने कपड़े उतार कर कुर्ता और पजामा पहनने की इच्छा हो रही थी,,, अपने बेटे के सामने कपड़े बदलने का मजा ही कुछ और था इस बात का एहसास तुझे अच्छी तरह से हो गया था लेकिन इस बात का डर भी था कि कहीं उसका बेटा उसे दिन की तरह उसके बदन से छेड़खानी है ना करना शुरू कर दे क्योंकि उसे अच्छी तरह से याद था कि पेंटि का नाप लेते समय अपने बेटे को अपने पीछे महसूस करके उसके पैर लड़खड़ा गए थे और वह एकदम से गिरने को हुई थी लेकिन तभी उसका बेटा हाथ आगे बढ़ाकर उसे गिरने से तो बचा लिया था लेकिन इस मौके का फायदा उठाते हुए वह उसकी नंगी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसे ज़ोर से मसल दिया था जिसका एहसास उसे अभी तक था,,,, उस पल को याद करके इस समय उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, भले ही वह इस बात से घबरा रही थी कि उसका बेटा उसके बदन से छेड़खानी ना करते लेकिन मन ही मन हुआ यही चाह रही थी कि उसका बेटा थोड़ी छुट-छाट उसके बदन से ले ताकि दोनों आगे बढ़ सके,,,, अलमारी में से कुर्ता पजामा निकालकर वह ड्राइंग रूम में पहुंच गई जहां पर अंकित टीवी देख रहा था लेकिन अब वह टीवी बंद कर चुका था,,, और अपने बेटे की स्थिति को देखकर उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह बड़ी बेसब्री से उसके आने का इंतजार कर रहा था तभी तो कमरे में दाखिल होते ही अंकित का चेहरा खिल उठा था।

रात के 11:30 बज रहे थे तृप्ति के घर पर न होने की वजह से दोनों पूरी तरह से निश्चित थे घर का मुख्य द्वार बंद था उसे पर कड़ी लगी हुई थी और घर में दोनों के सिवा तीसरा कोई नहीं था इस बात का एहसास दोनों के बाद में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का असर दिखा दे रहा था दोनों मदहोश हो रहे थे और कपड़े बदलने की बात से तो सुगंधा की मोटी मोटी जांघों में थरथराहट महसूस हो रही
थी,,,, अपनी मम्मी के हाथ में कुर्ता पजामा देखते ही वह अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और अपनी मां के हाथ से कुर्ता पजामा को ले लिया और उसपर अपनी हथेली को फिराता हुआ बोला,,,,।

वह कितना मुलायम कपड़ा है सच में तुम्हें ऐसा ही लगेगा कि तुमने कुछ नहीं पहनी हो आज देखना तुम्हारा रूप और ज्यादा निखर कर सामने आएगा अभी तक तुम साड़ी में ही खूबसूरत लगती थी लेकिन तुम नहीं जानती कि तुम किसी भी कपड़े में खूबसूरत लगोगी।(एक बार फिर से अंकित तारीफ के पुल बांध रहा था और जिसे सुनकर सुगंधा के तन बदन में उत्तेजना की फुहार उठ रही थी उसे अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी लेकिन चेहरे पर थोड़ी घबराहट के भाव थे क्योंकि उसे अपनी बेटी के सामने अपनी साड़ी उतारना था लेकिन ऐसा करना जरूरी भी था मंजिल तक पहुंचने के लिए,,, कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही अंकित अपने हाथ में कुर्ता पजामा लेकर अपनी मां की तरफ देख रहा था और उसकी मां शर्म से अपनी नजर को नीचे झुकाए खड़ी थी,,,, यह देखकर चुप्पी तोड़ते हुए अंकित बोला,,,)

क्या हुआ साड़ी उतारो खड़ी क्यों हो फिर हमें छत पर भी तो चलना है सोने आज तुम यही पहन कर सोना देखना कितना अच्छा लगता है तुम्हें भी एकदम आराम दायक लगेगा,,,,।

(अंकित की बात सुनकर सुगंधा शर्मा से पानी पानी हो रही थी क्योंकि वह एकदम खुलकर उसे साड़ी उतारने के लिए बोल रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उसे चोदने के लिए कपड़े उतारने को बोल रहा हो,,,, सुगंधा का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था वह अंकित की तरफ देखते हुए बोली,,,)

शर्म आ रही है मुझे,,, तेरे सामने कैसे,,,,,(घबराहट भरे स्वर में सुगंधा बोली,,,, जिसे सुनकर अंकित उसे उत्साहित करता हुआ बोला)

क्या मम्मी तुम भी मेरे सामने पेंटी और ब्रा बदल सकती हो,,,, और कुर्ता पजामा पहनने में शर्म आ रही है और ऐसा तो तुम बंद कमरे में बहुत बार करती होगी कपड़े उतारना पहनना ऐसा समझ लो कि कमरे में कोई नहीं है,,,,, फिर आराम से हो जाएगा।

(अंकित की बात सुनकर सुगंधा अपने मन में ही बोली देखो कितना चालक है बिना कपड़ों के देखने के लिए कितना मस्का लगा रहा है,,,, लेकिन फिर भी जरूर उसके बदन में आकर्षण है कुछ ऐसी बातें तभी तो एक जवान लड़का उसे बिना कपड़ों के देखने के लिए तड़प रहा है इस बात को अपने मन में सोचकर उसका मन उत्साहित होने लगा और फिर वह धीरे से अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे पर से नीचे गिरा दी और साड़ी का पल्लू नीचे गिरते ही उसकी मदमस्त कर देने वाली चौड़ी छाती एकदम से उजागर हो गई,,,, जो की ठीक अंकित की आंखों के सामने थी और ट्यूबलाइट की दूरी और रोशनी में सब कुछ साथ दिखाई दे रहा था कपड़े उतारने से पहले सुगंधा अपने मन में सोच ली थी कि वह अपने बेटे के सामने कपड़े जरूर उतरेगी लेकिन उसकी तरफ देखेगी नहीं क्योंकि अगर वह उसकी तरफ देख लेगी तो उससे ऐसा नहीं हो पाएगा,,,, अंकित की हालात पूरी तरह से खराब होने लगी थी अपनी मां की भरी हुई छाती देखकर उसके टांगों के बीच की हलचल बढ़ने लगी थी ऊपरी हुई छाती उसके पेंट के आगे वाले भाग को उभार दे रहा था,,,, उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी मां उसके सामने कपड़े उतारने के लिए तैयार हो गई थी,,, सुगंधा साड़ी के पल्लू को हाथ में लेकर उसे धीरे-धीरे अपनी कमर से खोल रही थी और उसकी चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा मदहोश हुआ जा रहा था एक नशा सच्चा रहा था पूरे वातावरण में मदहोशी की रंगीनियत फैल रही थी जिसे महसूस करके मां बेटे दोनों उत्तेजित हुए जा रहे थे,,,,।

अपनी मां को कपड़े उतारते हुए देखने के लिए अंकित अपनी मां के ठीक सामने खड़ा था और उसे सब कुछ दिखाई दे रहा था इसलिए तो उसने टीवी भी बंद कर दिया था ताकि पूरा ध्यान उसकी मां पर ही रहे देखते-देखते सुगंधा शर्म से पानी होते हुए अपनी साड़ी को कमर से खोल चुकी थी और उसे सोफे पर फेंक दी थी इस समय वह अंकित की आंखों के सामने ब्लाउज और पेटीकोट में थी पेटिकोट इतना कसा हुआ था कि उसकी मां की गांड की दोनों आंखें पेटीकोट में भी एकदम उभरी हुई नजर आ रही थी और अपने आकार को अच्छी तरह से दर्शा रही थी कुछ देर पहले अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसकी मां साड़ी के नीचे पेंटिं ना पहनी हो तो कितना अच्छा हो लेकिन पेटीकोट में ही अपनी मां को देखकर उसे निराशा हाथ लगी थी क्योंकि कई हुई पेटीकोट में उसकी पैंटी की लाइन भी एकदम साफ झलक रही थी जिससे वह समझ गया था कि उसकी मां पेंटिं भी पहनी है। साड़ी का आखिरी छोर कमर से खोलते हुए सुगंधा घूम गई थी और उसकी पीठ अंकित की तरफ हो गई थी लेकिन वह ऐसा जानबूझकर की थी क्योंकि वह अपने नितंबों के आकर्षण को अच्छी तरह से जानती थी और समझती थी,,,। इसलिए वह जानबूझकर अपने बेटे की आंखों के सामने अपनी गांड परोस दी थी उसे अपनी गांड दिख रही थी कसी हुई पेटीकोट में उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी गांड की दोनों फांक एकदम साफ नजर आती थी। इसलिए वह चाहती थी कि उसका बेटा उसकी गांड को प्यासी नजरों से देखें,,,,।

और उसका सोचना सच साबित हो रहा था,,,, सुगंधा की हालत तो खराब हुई थी अंकित की भी हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी वह प्यासी नजरों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को देख रहा था उसका मन तो कर रहा था कि आगे बढ़कर वह पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में भर ले और उसकी गांड पर अपने लंड को जोर-जोर से रगड़ कर अपना पानी निकाल दे लेकिन किसी तरह से वह अपने आप पर काबू किए हुए था,,,, सुगंधा वैसे तो साड़ी उतारते समय अपने बेटे की तरफ ना देखने का अपने आप से ही वादा की थी लेकिन जिस तरह से हालात बन रहे थे वह तिरछी नजर से पीछे की तरफ अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका सोचा एकदम सच साबित हो रहा था और वह एकदम उत्साहित होने लगी थी क्योंकि इस समय उसके बेटे की नजर उसकी गांड पर ही टिकी हुई थी और वह जी भरकर अपने बेटे को अपनी गांड के दर्शन कर भी रही थी साड़ी को सोफे पर फेंकने के बाद वह अपने दोनों हाथ को कमर पर रखकर गहरी सांस लेते हुए अपने भजन को एकदम सीधा कर ली थी जिसे उसके नितंब्बों का उभार और ज्यादा बढ़ चुका था अपनी मां की हरकत को देखकर अंकित अपने मन में यही सोच रहा था कि कहीं उसकी मां उसे चोदने के लिए न बोल दे क्योंकि अंकित को भी एहसास हो रहा था कि उसकी मां के बदन में जवानी छा रही थी वह मदहोश हो रहे थे और वह अपने मन में अपने आप से ही बात कर रहा था कि अगर मन हो तो चुदवाने का बोल दो इस तरह से तड़पाने से तुम्हें क्या मिलेगा ,,,,।

सुगंधा अपनी गांड का भरपूर दर्शन करने के बाद और फिर से अपने बेटे की तरफ घूम गई और फिर,,,, बिना कुछ बोले अपना हाथ आगे बढ़कर कुर्ता मांगने लगी तो यह देखकर अंकित बोल पड़ा,,,।

अरे ऐसे कैसे इसका नाप समझ में आएगा ब्लाउज भी उतार दो तभी तो समझ में आएगा कि साइज कितना है ऐसे तो तुम्हें सही माप होने के बावजूद भी कसा हुआ लगेगा और मजा नहीं आएगा क्योंकि वह काउंटर वाली लेडी सोच समझ कर रही है यही नाप निकाली है,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर अपनी कमर पर दोनों हाथ रख कर आंखों को तैराते हुए वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,,)

अब तु मेरा ब्लाउज भी उतरवाएगा,,,,।

उतारना पड़ेगा अगर सही माप का अंदाजा लेना हो और उसे पहनने का असली सुख लेना हो तो पेटीकोट भी उतरना ही होगा,,,(इतना कहने के बाद अंकित अपने मन में ही बोला अगर मेरा बस चले तो तुम्हारी ब्रा और पैंटी भी उतरवा कर नंगी कर दुं,,,,,। अपने बेटे की बातें सुनकर वह थोड़ा ऊपरी मन से नाराजगी दिखाते हुए बोली,,,)

नहीं बेवकूफ थी जो तेरे बाद में आ गई मुझे कुर्ता पजामा लेना ही नहीं चाहिए था बेवजह तेरे सामने कपड़े उतारने पड़ रहे हैं।


ऐसा मत बोलो मैं तुम्हें और भी ज्यादा खूबसूरत बना रहा हूं इसे पहनने के बाद देखना तुम खुद समझ जाओगी कि तुम कितनी खूबसूरत हो।

चल बडा आया खूबसूरत बनाने,,,(और ऐसा कहते हुए अपने दोनों हाथ की नाजुक उंगलियों को अपने ब्लाउज के बटन में उलझा ली और फिर से नजर नीचे करके अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी अंकित अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां का गुस्सा झुठ मुठ का है,,, अंदर से वह भी अपने कपड़े उतारने के लिए ललाईत हो रही है,,,,, माहौल पूरी तरह से गर्म रहा था कमरे के अंदर मदहोश कर देने वाला दृश्य दिखाई दे रहा था ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सुगंधा का खूबसूरत बदन चमक रहा था उसके चेहरे की चमक और ज्यादा बढ़ चुकी थी अंकित उत्साहित और प्यासी नजरों से अपनी मां की नाजुक उंगलियों को देख रहा था जो ब्लाउज के बटन में पूरी तरह से उलझ कर रही थी देखते-देखते उसकी मां ब्लाउज का एक बटन खोल चुकी थी और वह भी वह बहुत धीरे-धीरे बटन खोल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे वह अपने बेटे को यह सब देखने का पूरा मौका दे रही है और शायद ऐसा था भी वरना अब तक तो ब्लाउज के सारे बटन खुल चुके होते लेकिन धीरे-धीरे सुगंधा इस पल में मदहोशी का रस घोल रही थी,,,, शायद इस तरह के पल में जल्दबाजी से नहीं बल्कि समझदारी से कम लिया जाता है और इस समय उसकी मां पूरी तरह से समझदारी दिखा रही थी अपने बेटे में पूरी तरह से जवानी का रस बोल रही थी उसे पूरी तरह से सक्षम कर रही थी या एक तरह से कह लो कि वह अपने बेटे को मर्द बना रही थी लेकिन यह कार्य तो सुगंधा की मां ही कर चुकी थी। आखिरकार सुगंधा थी भी तो उसका ही अंत थोड़ा बहुत असर तो सुगंधा में भी था इसीलिए तो वह आज इस मोड पर आ चुकी थी कि अपने बेटे के सामने उसे कपड़े उतार कर अपनी जवानी की नुमाइश करना पड़ रहा था जिसमें उसे बिल्कुल भी गलत नहीं लग रहा था क्योंकि मौके की नजाकत भी यही थी उसकी जरूरत भी यही थी जिसे पूरा करना भी जरूरी था।

अंकित की आंखों में मदहोशी जा रही थी चार बोतलों का नशा एकदम साफ दिखाई दे रहा था क्योंकि धीरे-धीरे सुगंधा अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी थी और अब आखरी बटन खोल रही थी लेकिन बाकी के बटन खुलने के बाद ही ब्लाउज का दोनों पट दोनों तरफ से नीचे की तरफ लुढ़क गया था जिससे लाल रंग की ब्रा दिखाई दे रही थी और उसमें छुपी हुई उसकी दोनों दशहरी आम खुलकर उजागर होने को तैयार थी अपनी मां की चूचियों के ऊपरी हिस्से पर नजर पड़ते ही अंकित का आगे वाला हिस्सा उठने लगा था जिस पर सुगंधा की चोर नजर बड़े आराम से पहुंच जा रही थी और वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि ऐसा क्यों हो रहा है उसकी जवानी देखकर उसके बेटे का लंड खड़ा हो रहा था,,, और यह एक मां के लिए बेहद गर्व की बात थी जिससे वह भी उत्साहित हो रही थी देखते ही देखते हो अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी।


एक अद्भुत एहसास सुगंधा को अपने अंदर महसूस हो रहा था,,,, इस तरह के पल मां बेटे के बीच बहुत बार आए थे लेकिन आज का यह पल बेहद मदहोश कर देने वाला था दोनों को एकदम करीब ले आने वाला था अंकित प्यासी आंखों से एक तक अपनी मां की तरफ देख रहा था उसकी दोनों जवानी की तरफ देख रहा था और ब्लाउज के दोनों पट खुल जाने की वजह से लाल रंग की ब्रा एकदम साफ दिखाई दे रही थी उसमें कैद उसकी मां की दोनों चूचियां ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में एकदम साफ दिखाई दे रही थी। इस बार अंकित को कुछ बोलना नहीं पड़ा और उसकी मां खुद ही अपनी ब्लाउज के दोनों पट को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बाहों से निकाल कर उसे भी सोफे के ऊपर फेंक दी थी और इस समय पेटिकोट और लाल रंग की ब्रा में तो कयामत लग रही थी जिसे देखकर अंकित पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था वह अपने आप को कैसे संभाले हुए था यह वही जानता था। अंकित की सांस ऊपर नीचे हो रही थी और अपनी मां की लाल रंग की ब्रा को देखकर वह एकदम से बोल पड़ा।

तुम्हारी साइज से ब्रा का साइज कुछ कम है,,, ऐसा नहीं लग रहा है।
(एकदम से अंकित बोल पड़ा और उसकी यह बात सुनकर खुद सुगंधा भी झेंप गई,,, और अंकित की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली।)

तुझे ऐसा क्यों लग रहा है?

देखो एकदम साफ दिखाई देना है कि एकदम ठुंस कर भरा हुआ है,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा मुस्कुरा दी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

एकदम सही पकड़ा है तुझे यह सब समझ में आने लगा है,,,।

देख कर कोई भी समझ जाएगा देखो तो सही अगर ठोस के ना भरा होता तो दोनों आपस में एकदम सटी हुई ना होती और लकीर देखो कितनी गहरी है,,,,,,, ऐसा तभी होता है जब दोनों आपस में एकदम सटी हुई होती है,,,,(अंकित उंगली से ही इशारा करके सब कुछ बता रहा था और उसका यह सब इशारा देखकर सुगंधा की बुर पानी छोड़ रही थी,,, अपने बेटे की समझदारी पर वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, लेकिन ऐसा लग रहा था कि अंकित की बात अभी खत्म नहीं हुई है इसलिए वह आगे बोला,,,)
मैंने तो तुम्हारे लिए तीन जोड़ी लेकर आया था वह क्यों नहीं पहनती,,,,।

अरे अभी यह सब है मेरे पास वह किसी शादी ब्याह त्यौहार के लिए रखी हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही इस बार बिना जीजा के वहां अपने दोनों हाथ को अपने पेटिकोट की डोरी की तरफ ले गई और दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों से डोरी के दोनों छोर को पकड़ ली यह देखकर अंकित का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, क्योंकि कुछ ही देर में उसकी आंखों के सामने उसकी मां केवल ब्रा और पैंटी में होने वाली थी उसकी मां अपने पेटिकोट को उतारने जा रही थी,,,, घर के अंदर हर एक बेटा कभी कबार अपनी मां को इस हालत में देखा ही है कपड़े बदलते हुए कपड़े पहनते हुए लेकिन अंकित अपनी आंखों के सामने अपनी मां को कपड़े उतारते हुए उसके ठीक सामने खड़े होकर देख रहा था यह पल शायद हर एक बेटे के जीवन में नहीं आता लेकिन इसलिए अंकित अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था और अंदर ही अंदर बहुत खुश और उत्तेजित हो रहा था हालांकि इस दौरान उसके पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था,,, जिस पर सुगंधा की नजर बार-बार चली जा रही थी लेकिन वह इस बातसे हैरान थी कि उसका बेटा अपने पेट में बने तंबू को छुपाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा है क्या ऐसा तो नहीं कि वह जानबूझकर उसे अपने पेट में बना तंबू दिखाने की कोशिश कर रहा हूं और वह दिखाना चाह रहा हूं कि अब वह बड़ा हो चुका है किसी भी औरत को खुश करने की क्षमता रखता है या फिर उसे एहसास ही नहीं है कि उसके पेंट में तंबू बन गया है यही सब सोचते हुए सुगंधा अपने पेटिकोट की डोरी को एकदम से खींच दी और उसके पेटिकोट की गींठान एकदम से खुल गई,,,,।

अंकित की हालत खराब हो रही थी उसकी आंखों के सामने उसकी मां अपनी पेटीकोट को उतार रही थी या एक तरह से कह दो नंगी होने जा रही थी। अगले ही पल सुगंधा अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपनी पेटीकोट में डालकर उसे चारों तरफ से ढीला करने लगेगा वैसे ही पेटिकोट कमर से ही उसे अपने हाथों से नीचे छोड़ दिया पेटिकोट तुरंत उसके कदमों में जा गिरा और वह अंकित की आंखों के सामने निर्वस्त्र हो गई,,,, केवल दो वस्त्र ही थे उसके नंगेपन को छुपाने के लिए यह किसकी तरह और दूसरी पेंटिं जिसमें उसके दोनों अनमोल खजाने छुपे हुए थे,, अंकित तो पागल ही हो गया उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वह अपनी मां को देखता ही रह गया,,,, ब्रा पेंटी को छोड़कर उसके बदन पर कोई भी कपड़ा नहीं था। मर्द के सामने जब एक औरत अपने सारे कपड़े उतार कर केवल ब्रा पेंटी में ही खड़ी रहे तो अभी वह मर्द के सामने नंगी ही रहती है क्योंकि फिर यह दो वस्त्र का बदन पर होने का कोई मायने नहीं रखता। कमरे का वातावरण पूरी तरह से गर्म हो चुका था सुगंधा की नजरे शर्म के मारे नीचे झुक गई थी और अंकित अपनी मां के इस रूप को पागलों की तरह देख रहा था।
Ab chudwa bhi do Bhai sugandha ki choot. Bete ko kitna tadpaoge aisi randi maa pelne me
 
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