R_Raj
Engineering the Dream Life
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#6
लाला गाड़ी से उतरा और अगले ही पल उसने गाडी में से उसी लड़की को खीच लिया जिसकी वजह से ये सब शुरू हुआ था . अजीब सी सिचुएय्शन हो गयी थी , लाला भी था पुलिस भी थी और मैं भी था , बरिश की बूंदे गिरने अलगी थी शायद आसमान भी नहीं चाहता था की शोएब का खून धरती से पनाह मांगे.
“भैया ” लगभग चीख ही तो पड़ी थी वो लड़की
“लड़की को छोड़ लाला ” मैंने आगे बढ़ते हुए कहा
“दम है तो ले जा इसे ” सुर्ख लहजे में बोला लाला
“तू भी मरेगा लाला, काश थोड़ी देर पहले आता तू , शोएब की जान निकलते देखता बहुत मजेदार नजारा था ” मैंने कहा और लाला की तरफ लपका . लाला भी बढ़ा मेरी तरफ पर बीच में पुलिस आ आगयी . कुछ ने मुझे पकड़ा कुछ ने लाला को .
“हरामी जगदीश , बीच में पड़ , मामला मेरे और इसके बीच का है मेरे टुकडो पर पलने वाले खाकी कुत्तो की इतनी हिम्मत नहीं की शेर का रास्ता रोक सके ” लाला ने गुस्से से कहा
मैं- dsp , हट जा यहाँ से , इसके बेटे को मारा है इसे भी मारूंगा . बार बार मरूँगा जब तक मारूंगा की ये मर नहीं जाता , आज के बाद शहर में लाला का नाम कोई नहीं लेगा नाम लेने वालो को मारूंगा
“आ साले कसम है मिटटी नसीब नहीं होगी तेरी जिस्म को ” लाला ने अपने को पुलिस वालो से छुड़ाया और मेरी तरफ लपका . लाला के लोगो ने शोर मचाना शुरू किया . इस से पहले की मैं अपनी गिरफ्त से आजाद हो पाता लाला की हत्थी मेरे सर पर लगी और कसम से एक ही वार में सर घूम गया. लाला ने मुझे उठाया और शोएब की कार पर पटक दिया . कार पर बनी चील का एक हिस्सा मेरी पसलियों में घुस गया . दर्द को महसूस किया मैंने तभी लाला का घुटना मेरे सीने पर लगा और मुह से उलटी गिर गयी .
“इस शहर में एक ही मर्द है और वो है जहाँगीर लाला . तू अब तक जिन्दा सिर्फ इसलिए है की तेरी सूरत छिपी हुई है , मसीहा बनने का शौक है न तुझे . तेरी रूह तुझसे सिर्फ सवाल पूछेगी की किन नामर्दों का मसीहा बनने चला था , इस शहर में मेरा खौफ इसलिए नहीं है की मैं बुरा हूँ , यहाँ के लोग नामर्द है ” लाला ने फिर से हत्थी मारी और मैं जमीन पर गिर गया .
“उठ साले, किस्मत सबको मौका देती है , उठ और देख सामने खड़ी मौत को . तेरी किस्मत आज मौत है ” लाला ने मुझे लात मार. लाला में सांड जैसी ताकत थी .काबू ही नहीं आ रहा था .
“लड़की को लाओ रे ” लाला की बात सुनकर दो गुंडे लड़की को हमारे पास लेकर आये
“इस दुनिया में कीड़े मकौड़ो के माफिक भरे है लोग.रोज कितने लोग मरते है किसी को कोई हिसाब नहीं , क्या लगती है ये लडकी जिसके लिए तूने बहनचोद सब कुछ मिटटी में मिला दिया . ”लाला ने लड़की को थप्पड़ मारा
“सर पर हाथ रखा है इसके लाला, तू तो क्या कायनात तक इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती ” मैंने पसलियों पर हाथ रखते हुए खड़े होते हुए कहा
“अजीब इत्तेफाक है दुनिया की तमाम लड़ाइयाँ औरतो के लिए ही लड़ी गयी है ” लाला ने हँसते हुए कहा पर उसकी हंसी रुक गयी क्योंकि मैंने मुक्का मार दिया था उसको. आसमान दिन में ही काला हो चूका था बारिश अपने रौद्र रूप पर पहुँच गयी थी लाला कभी मुझ पर भारी पड़े और कभी मैं लाला पर . दरअसल अब ये लड़ाई ईगो की भी तो हो गयी थी .
सीने पर पड़ी लात से लाला निचे गिर गया उठने से पहले ही मैंने उसके घुटने पर मारा दर्द से तड़प उठा पर उस से उठा नहीं गया. मैं समझ गया था की बाज़ी मेरे हाथ में है . “खेल ख़तम लाला ” इस से पहले की मैं उसकी गर्दन तोड़ देता “धाएं ” गोलियों की आवाज गूंजने लगी . मेरी नजर ने सामने जो देखा फिर बस देखता ही रहा .
“बस यही तो नहीं चाहता था मैं ” मैंने आसमान से कहा .
ऐसा तो हरगिज नहीं था की उस से खूबसूरत लड़की मैंने और कही नहीं देखी थी पर ये भी सच था की जिन्दगी में जो भी थी बस वो ही थी . हाथो में पिस्तौल लिए वो हमारी तरफ ही बढ़ रही थी , पता नहीं वक्त थम सा गया था या मेरा अतीत दौड़ आया था मुझे गले से लगाने को . बरसो पहले एक बारिश आई थी जब उसे भीगते हुए देखा था बरसो बाद आज ये बारिश थी जब वो मेरे सामने थी .
“बंद करो ये तमाशा ” हांफते हुए उसने कहा . मेरी आँखे बस उसे ही देखे जा रही थी .
“गिरफ्तार करो लाला को और समेटो सब कुछ यहाँ से अभी के अभी ” चीखते हुए उसने अपनी कैप उतारी और मुझसे रूबरू हुई. कहने को बहुत कुछ था पर जुबान खामोश थी , वो मुझे देख रही थी और मैं उसे . “कबीर ”उसने कांपते होंठो से मेरा नाम लिया एक पल को लगा की सीने से लग जाएगी पर तभी वो पलट गयी . मुड़कर ना देखा उसने दुबारा. दिल की बुझी आग की राख में से कोई चिंगारी जैसे जी उठी.
“पानी पिला दो कोई ” मैंने कहा और गाड़ी से पीठ टिका कर बैठ गया. दूर खड़ी वो पुलिस वालो से ना जाने क्या कह रही थी पर भाग दौड़ बहुँत बढ़ गयी थी .
“पानी भैया ” उस लड़की ने मुझे जग दिया. घूँट मुह से लगाये मैं अतीत की गहराई में डूबने लगा था. कभी सोचा नहीं था की जिन्दगी के इस मोड़ पर वो यूँ मेरे सामने आकर खड़ी हो जाएगी बहुत मुश्किल से संभाला था खुद को समझ नही आ रहा था की ये खुश होने की घड़ी है या फिर रोने की .
“उठ, चल मेरे साथ ” dsp ने मेरे पास आकर कहा
“इस लड़की को सुरक्षित इसके घर पहुंचा दो ” मैंने कहा
Dsp- फ़िक्र मत कर इसकी , इसके लिए शहर जला दिया तूने किसकी मजाल जो नजर भी उठा सके
मैं- थाने ले जायेगा क्या
Dsp- गाड़ी में तो बैठ जा मेरे बाप.
मैंने उस लड़की के सर पर हाथ रखा और गाडी में बैठ गया. रस्ते में ठेका आया तो मैंने गाड़ी रुकवा कर बोतल ले ली , कडवा पानी हलक से निचे जाते ही चैन सा आया. आँखे भीग जाना चाहती थी . मैंने सर खिड़की से लगाया और आँखे बंद कर ली .
“कौन है भाई तू ” dsp ने पुछा मुझसे
“कोई नहीं ” मैंने बस इतना ही कहा ..........
Are Bc Bete Bap Ke Bad Dada Ko Bhi Lapet Liya
Kahani KI Bhumika Ban Chuki Hai
Bas FlashBack Start Hone Ki Der Hai
Outstanding Update Bhai !