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Incest पहाडी मौसम

sunoanuj

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rohnny4545

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सूरज अच्छी तरह से समझ गया था कि लाडो के मन में किस तरह की घबराहट हो रही है वह क्या चाहती है इसलिए वह अपना उल्लू सीधा करना चाहता था वह औरतों के मन में क्या चल रहा है यह अच्छी तरह से समझने लगा था और इसी के चलते वहलाडो के साथ अपनी मनसा पूरी करना चाहता था और वैसे भी जिस तरह का कार्य लाडो के पिताजी ने उसे सौंप रखा था पैसे में लाडो से मुलाकात होना लाजिमी था,,, पहले दिन तो वहरसोई का सामान कमरे में रखवा कर और लड़ो से कुछ देर बात करके वहां से अपने घर के लिए निकल गया था अपने घर पर पहुंचकर उसने अपनी मां और अपनी बहन दोनों को बोल दिया था की शादी में अच्छी तरह से चलना है क्योंकि उसे शादी में उसे भी रसोई का काम देखने की जिम्मेदारी मिल चुकी है इसलिए ऐसा समझना है कि वह शादी अपने ही घर की है,,,,,। अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना काफी खुश नजर आ रही थी क्योंकि पहली बार गांव में शादी के सम्मेलन में रसोई का कार्यभार संभालने को मिला था इस बात से वह मन ही मन खुश हो रही थी उसे इस बात की खुशी थी कि अब उसका बेटा जिम्मेदार बन चुका था तभी तो उसे लाडो के पिताजी इतनी बड़ी जिम्मेदारी का काम सौंप दिए थे।





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शादी के दिन सुबह से ही गांव में मेहमानों का आना-जाना शुरू हो चुका था,,,,,,,,, गांव के लोग शादी में हर तरह की मदद कर रहे थे सूरज को भी रसोई का काम संभालने के लिए जाना था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,।

आज गेहूं काटने के लिए नहीं जाते हैं,,,।

क्यों क्या हुआ,,,?(झाड़ू लगाते हुए सुनैना बोली)

अरे भूल गईआज लाडो की शादी है बारात आने वाली है और मुझे रसोई संभालने का काम मिला है अगर अभी से मैं खेत चला गया तो वहां का काम कौन देखेगा और फिर इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकरवह तो निश्चित हो गए होंगे लेकिन मैं समय पर नहीं पहुंचा तो वह मेरे बारे में क्या सोचेंगे,,,।

अरे हां मैं तो भूल ही गई कि आज लाडो का विवाह है,,,,, लेकिन शादी में तो सुबह से तेरा काम होगामेरा काम तो होगा नहीं एक काम कर तू वहां चला जा और मैं खेत चली जाती हूं जितना हो सकता है उतना काम कर लूंगी,,,, और साथ में रानी को भी ले लेती हूं थोड़ा सहारा मिल जाएगा,,,।


हां यह ठीक रहेगा जितना हो सकता है उतना कम करना और फिर जल्दी घर चली आना क्योंकि शादी में रात निकल जाएगी,,,,।(सूरज एकदम खुश होता हुआ बोल वह भी अपने मन में सोच रहा था कि थोड़ा बहुत गेहूं की कटाई का काम भी हो जाएगा और मैं शादी में जाकर थोड़ा इंतजाम देख लूंगा दोनों जगह का काम ठीक हो जाएगा,,,,(इतना कहकर सूरज सुबह-सुबह ही लाडो के घर की तरफ निकल गया और सुनैना घर की साफ सफाई करने के बाद खाना बनाने लगे और रानी को भी बोल दी थी कि आज उसे भी खेत पर चलना है गेहूं की कटाई के लिए पहले तो रानी इंकार करती रही लेकिन फिर वह भी मान गई,,,, थोड़ी ही देर में सुनैना खाना बनाकर तैयार कर चुकी थी और खेत पर जाने के लिए तैयार हो गई थी,,,,, मां बेटी दोनों खेत की तरफ निकल गई थी रानी पहली बार गेहूं कटाई के लिए खेत पर आ रही थी और वह भी अपने खेत पर नहीं बल्कि जमीदार के खेत पर अभी तक रानी सिर्फ अपने ही खेतों में काम की थी पहली बार किसी और के लिए काम करने जा रही थी,,,,। इसलिए वह भी थोड़ा उत्साहित थी,,,,।




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आज अपने बेटे के बिना खेत में काम करने में सुनैना का मन नहीं लग रहा था ,,उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है लेकिन बात यही थी जो वह खुद नहीं समझ पा रही थी,,, बार-बार वह थोड़ा काम करके रुक जा रही थी और किसी ख्यालों में खो जा रही थी,,, और उसके मन में किसी और का ख्याल नहीं आ रहा था बल्कि अपने ही बेटे का ख्याल आ रहा था,,, सुनैना की नजर झोपड़ी के बाहर रखी हुई खटिया पर चली जा रही थीऐसा लग रहा था की खटिया से उसकी बहुत सारी यादें जुड़ चुकी थी और वाकई में उसे खटिया से उसकी सबसे बेहतरीन यादगार पल जुड़ा हुआ था। रानीअपने ही ख्यालों में मस्त होकर गेहूं की कटाई कर रही थी वह अपनी मां की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी और सुनैना थी की झोपड़ी के बाहर खड़ी खटिया की तरफ देख कर कभी उदास हो जा रही थी तो कभी मुस्कुराने लग रही थी जाहिर सी बात थी कि उसे उस दिन वाली बात याद आ रही थी। और उस बात को लेकर वह इस समय हैरान भी हुए जा रही थी क्योंकि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे दिन वाली घटना उसे क्यों याद आ रही है बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य क्यों घूम रहा है,,,, भले ही वह इनकार कर रही हो लेकिन दिल के किसी कोने में उसका आकर्षण अपने बेटे की तरफ बढ़ता जा रहा था,,, उसे दिन वाली घटना तो उसके मानस पटल पर पूरी तरह से छप चुकी थी।





और बार-बार उसे घटना को याद करके सुनैना उत्तेजित हो जाती थी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में सुरसुराहट सी दौड़ने लगती थीकभी-कभी उसे घटना के बारे में याद करके उसे अच्छा भी लगता था तो कभी बुरा भी लगता था कभी-कभी वह अपने आप को ही कोसने लगती थी कि वह अपने बेटे को उसे दिन रोक क्यों नहीं पाई क्यों उसे ऐसा करने से मना नहीं कर पाई सुनैना को इस बात का ज्ञान अच्छी तरह से था कि उसके द्वारा उसे दिन अपने ही बेटे को दी गई मनमानी एक न एक दिन दोनों के बीच की मर्यादा की दीवार को गिरा देगा संयम का बांध दोनों के बीच टूट कर रहेगा इस बात का अंदाजा सुनैना को लग चुका था क्योंकि वह जानती थी कि जिस चीज के लिए उसका बेटा तड़प रहा है इस चीज के लिए वह भी अंदर ही अंदर तड़प रही है। दोनों प्यासे थेसमय के अनुसार उसका बेटा पूरी तरह से बड़ा हो चुका था जवान हो चुका था ऐसे में एक औरत के प्रति उसका आकर्षण बढ़ जाना लाजिमी थालेकिन वह नहीं जानती थी कि उसका आकर्षण अपनी ही मन के ऊपर इस कदर बढ़ जाएगा कि वह अपनी मां के साथ अत्यंत गंदी हरकत करने पर उतारू हो जाएगा,,,, और सुनैना की तो जरूरत थी जिस तरह से उसका पति रोज उसकी चुदाई करता था उसके कहीं चले जाने के बाद सुनैना की बुर बंजर जमीन की तरह सूख रही थी जिस पर पानी की बौछार के लिए वह तड़प रही थी और उसे लगने लगा था कि अगर वह अपने बेटे को नहीं रोकेगी तोउसकी बुर पर पानी की बौछार उसके बेटे के द्वारा ही पड़ेगी।






इस समय गेहूं काटते हुए वह अपने बेटे को बार-बार याद कर रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने वही खटिया वाली घटना दिखाई दे रही थी,,,, और उसे पल को याद करके वह बार-बार गनगना जाती थी जब उसके बेटे का लंड उसकी बुर के द्वारा तक ठोकर मार रहा थाइस समय वह अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसके बेटे का लंड उसकी बुर की गहराई में समा जाता तो कितना मजा आता और फिर उसके एक दिन पहले वाली ही घटना उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से ताजा बनी हुई थीजब वह पेशाब करने के लिए झोपड़ी के पीछे गई थी और ठीक उसी समय उसका बेटा उसके पीछे खड़े होकर उसे ही देख रहा थासुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखने के बाद ही इस कदर उसका दीवाना हो चुका था कि उसके साथ गंदी हरकत करने पर उतारू हो चुका था उसे इस बात का भी डर नहीं था कि अगर उसकी मां की नींद खुल गई तो क्या होगा शायद उसे अपने आप पर विश्वास था कि अगर उसकी मां की नींद खुल भी जाएगी तो उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी आंखों मेंइस कदर वासना का नशा भर देगा कि वह खुद अपने हाथ से लंड पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर रख देगी,,, और ऐसा शायद हो भी जाता अगर वह खुद मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दुहाई ना दी होती अपने आप को समझाई ना होती।धीरे-धीरे गेहूं की कटाई करते हुए समय भी कितना चला जा रहा था और देखते ही देखते सूरज एकदम सर पर आ गया था गर्मी बढ़ने लगी थी इसलिए रानी अपनी मां के पास आई और बोली,,,,।

गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही है मां मुझसे तो अब रहा नहीं जा रहा है और भूख भी बड़े जोरों की लगी है,,,, अब चलो पेड़ के नीचे चलकर खाना खा लेते हैं,,,,।





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तु ठीक कह रही है मैं भी यही सोच रही थी और वैसे भी आज का काम इतना ही हो पाएगा शाम को शादी में भी जाना है चल चल कर खा लेते हैं,,,,।

इतना कहने के साथ ही मां बेटी दोनों पेड़ के छांव में आकर झोपड़ी के बाहर खड़ी खटिया को गिराकर उस पर बैठ गई और खाना खाने लगे,,, तभी दोनों के कानों में घोड़े की टाप की आवाज सुनाई दे रही थी,,, उस आवाज को सुनकर सुनैना बोली।

लगता है कोई घोड़े पर बैठकर इधर ही आ रहा है,,,।
(अपनी मां के मुंह से घोड़ा शब्द सुनते ही हैरानी से तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी उसके मन में ऐसा लगने लगा कि उस दिन वाला ही घुड़सवार होगा,,,, मां बेटी दोनों इधर-उधर देखने लगे लेकिन अभी तक घोड़ा कहीं नजर नहीं आ रहा था,,,, और वैसे भी गेहूं कीफसल इतनी बड़ी-बड़ी और दूर तक फैली हुई थी कि किसी के भी देखे जाने का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था तभी उनके कान में आवाज सुनाई दी,,,)

अरे कोई है,,,,, खेत में,,,,,।

(आवाज को सुनकर सुनैना को लगा कि कोई अगर घोड़े से आया है तो मुखिया का रिश्तेदारी होगा या हो सकता है मुखिया ही हो क्योंकिघोड़ा तो सिर्फ बड़े लोगों के ही पास था गांव में किसी के पास नहीं था इसलिए वह खटिया पर स्थित होने के नीचे उतर गई और बोली,,,)

हां हम लोग खेत में काम कर रहे हैं क्या काम है,,,?
(इतना कहकर सुनैना जवाब का इंतजार करने लगी और इधर-उधर देखने लगी रानी भी खटिया पर से नीचे उतरकर इधर-उधर देखने लगी लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था तभी गेहूं की फसल के बीच में से एक नौजवाननजर आया जो उनकी तरफ आगे बढ़ रहा था रानी उसे देखते ही एकदम से गदगद हो गई क्योंकि वह उसी दिन वाला घुड़सवार था जिसके बारे में वह दिन रात सोचा करती थी और दोबारा उससे मुलाकात होगी कि नहीं इसके बारे में सोचकर परेशान हुआ करती थी,,,, गेहूं की फसल के बीच में से उन लोगों की तरफ आते हुए वह तुरंत सुनैना और रानी को देखकर बोला,,,,)




नमस्ते,,,,,(इतना कहते हुए उसकी नजर रानी पर पड़ी तो वह एकदम सेखुश होता हुआ कुछ बोलते ही वाला था की रानी उसे इशारे से चुप रहने के लिए बोली तो वह उसका इशारा समझ कर एकदम से खामोश हो गया जिस तरह से उसने नमस्ते बोला था सुनैना उसके व्यवहार से एकदम खुश हो गई थी और बोली)

आप कौन हैं आप मुखिया के रिश्तेदार हैं क्या,,,?

नहीं नहीं मैं इस गांव का नहीं हूं मैं बगल वाले गांव के जमींदार का साला हूं मेरा नाम कुंवर है,,,,,।(नाम सुनकर रानी मां ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि उसे दिन जिस तरह के हालात थे उसे देखते हुए घुड़सवार का नाम नहीं याद आ रहा था लेकिन आज फिर से उसी घुड़सवार के मुंह से उसका नाम सुनकर रानी प्रसन्न हो गई थी,,,, उसका परिचय जानकर सुनैना को समझ में आ गया कि यह बड़े घर का बेटा है और बड़े जमींदार का साला है इसलिए एकदम से उसे इज्जत देते हुए बोली,,,)

यहां कैसे आना हुआ मालिक,,,।

पहली बात तो आप मुझे मलिक मत कहिए मेरा नाम कुंवर है चाची,,,,,(रानी की तरफ देखते हुए वह समझ गया था कि रानी उनकी ही बेटी है इसलिए वह रानी की मां को बड़े इज्जत से पेश आ रहा था और वैसे भी कुंवर बेहद संस्कारी और इज्जतदार लड़का थारानी की मां सुनैना तो उसे बड़े घर के लड़के के मुंह से चाचा शब्द सुनकर एकदम से गदगद हो गई और एकदम से प्रसन्न होते हुए बोली)




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धूप में क्यों खड़े हो कुंवर आओ इस समय यहां तो कोई व्यवस्था नहीं है यही खटिया है बैठने के लिए इस पर बैठ जाओ,,,।

जी बहुत-बहुत धन्यवाद,,,(इतना कहते हुए कुंवर खटिया पर बैठ गया और देखा की खटिया पर रोटी और सब्जी रखी हुई थी यह देखकर वह मुस्कुराते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) आप लोग भोजन कर रहे थे कहीं मैं आपको परेशान तो नहीं कर दिया,,,।


नहीं नहीं कुंवर इसमें परेशानी की कौन सी बात है,,,,।
(रानी की तो हालत खराब हो रही थी वह अपने दुपट्टे को अपनी उंगली पर लपेट लपेटकर कुमार को देख रही थी उसका रूप वाकई में बेहद मनमोहक था,,, तभी वह कुंवर फिर से बोला)

मुझे बड़े जोरो की प्यास लगी है और थोड़ी भूख भी लगी है अगर आपको परेशानी ना हो तो क्या मैं इसमें से एक रोटी खा सकता हूं,,,।

(उसकी बात सुनकर सुनैना एकदम से हैरान होते हुए बोली,,,)

कुंवर जी आप तो बड़े घर के लड़के हैं क्या आप हम लोग के साथ खाना पसंद करेंगे मतलब कि हम लोग का भोजन क्या आप खा सकेंगे,,,।

यह कैसी बात कर रही हो चाची भोजन में भेदभाव कैसा हमारे घर जो रोटी बनती है वह इसी खेत के गेहूं से तो ही बनती है,,,, और खेत में मेहनत भी आप लोग करते हैं तो फिर यह भेदभाव कैसा और यह सब भेदभाव में बिल्कुल भी नहीं मानता अमीर गरीब कुछ नहीं होता दिल साफ होना चाहिए,,,,। अगर इजाजत हो तो,,(रोटी और सब्जी की तरफ उंगली से इशारा करते हुए उसका ही सारा समझते हैं सुनैना एकदम से दो साफ रोटी और सब्जी उसे पर रखते हुए कुंवर की तरफ आगे बढ़ा दी जिसे वह बड़े ही प्यार से लेकर खाने लगा,,,, यह देखकर सुनैना मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

आप खाना खाओ मैं जल्दी से पानी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर सुनैना छोटी सी बाल्टी लेकर हैंडपंप की तरफ जल्दी,,,, उसके जाते ही रानी अपनी मां के जाने का तसल्ली कर लेने के बाद एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि आप मुझे फिर से इस तरह से मिलेंगे,,,,।

सच कहूं तो मैं तुमसे ही मिलने के लिए गांव-गांव भटक रहा हूं क्योंकि मुझे भी तुम्हारे घर का पता नहीं मालूम था और किस्मत देखो आखिरकार खेत में तुमसे मुलाकात हो ही गई,,,।

अच्छा हुआ कि तुम्हेंमेरे घर का पता नहीं मालूम था वरना तुम घर पर पहुंच जाते तो लोग क्या समझते,,,(दुपट्टे को उंगली में गोल-गोल घूमते हुए रानी बोली,,)

हां यह भी सही है,,,,।


लेकिन तुम मुझसे क्यों मिलना चाहते थे,,,।

पता नहीं क्यों उसे दिनतुम्हें देखने के बाद दिन-रात मेरे दिमाग में तुम्हारा ही चेहरा घूम रहा था इसलिए तुमसे मिलने के लिए मैं तड़प रहा था दो-तीन दिन इधर-उधर भटकने के बाद आज तुमसे मुलाकात हुई है,,,,।

(कुंवर की बात सुनकर रानी मां ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसे एहसास हो रहा था कि जिस तरह से वह तड़प रही थी कुंवर भी उससे मिलने के लिए तड़प रहा था,,,, थोड़ी देर की खामोशी के बाद कुंवर निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,,)

तुम मुझे इशारा करके रोक क्यों दी जब मैं कुछ बोलने जा रहा था तो,,,,।

मुझे मालूम था कि तुम उसे दिन वाली बात मेरी मां के सामने बता देती और यह बात मेरी मां को बिल्कुल भी नहीं मालूम है इसलिए मैं नहीं चाहती थी कि उस दिन वाली घटना मेरी मां को पता चले,,,।


ओहहह यह बात है,,,, वैसे सच कहूं तो तुम बहुत खूबसूरत हो उस दिन तुम्हें देखा तो तुम्हें देखता ही रह गया,,,,,।
(कुंवर की बात सुनकर रानी एकदम से शर्मा गई क्योंकि रानी जानती थी कि उसे दिन कुंवर उसे किस हालत में देखा था,,,, इसलिए वह थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

बिना कपड़ों की थी इसलिए तुम्हें खूबसूरत लग रही थी,,,।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वैसे तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देखकर बोल रहा थाऔर सच कहूं तो मैं सिर्फ तुम्हारा खूबसूरत चेहरा ही देखा था बाकी अंगों पर मेरा ध्यान बिल्कुल भी नहीं किया था जैसा तुम समझ रही हो मैं उस तरह का लड़का बिल्कुल भी नहीं हूं,,,,।
(दोनों की बातचीत आगे बढ़ पाती से पहले ही सुनैना पानी भरकर वहां आ गई और लोटे में पानी भरकर कुंवर को देने लगी,,,, कुंवर खाना खाने के बाद पानी पीने लगा और उसे पानी पीता हुआ देखकर सुनैना मुस्कुराते हुए बोली,,,)

वैसे कुंवर जी आप यहां क्या करने आए थे कोई काम था क्या,,,,?


नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी यहीं से गुजर रहा था तो मुझे बड़े जोरों की प्यास लगी थी औरमुझे लगा कि कोई खेत में होगा इसलिए यहां खड़ा होकर आवाज लगने लगा और मेरी किस्मत देखो वाकई में आप लोग यहां पर मौजूद थे जो मुझे अपनी भी पिलाए और खाना भी खिलाएं आप लोगों का एहसान में जिंदगी भर नहीं भुलुंगा,,,।

अरे अरे कुंवर जी आप यह कैसी बात कर रहे हैं इसमें एहसान कैसा यह तो हमारी किस्मत है कि आप जैसे बड़े घर के लड़के हमारे साथ बैठकर खाना खाए,,,।

देखो चाची आप फिर मुझे शर्मिंदा कर रही हो,,,,

लेकिन जो हकीकत है वह बदल तो नहीं सकती ना कुंवर जी,,,,।

कुंवर जी नहीं अब तो आप मुझे बेटा कहिए क्योंकि मैं आपको चाची कहता हूं,,,।

बबबबबब,,,,बेटा,,,,


हां बेटा आप मुझे इतने प्यार से खाना खिलाई पानी पिलाई तो मैं आपका बेटा ही हुआ ना,,,।

धन्य है तुम्हारी मां जो तुम्हें इतना अच्छा संस्कार दी है वरना बड़े घरके लड़के इस तरह से हम जैसे लोग से तो बात भी नहीं करते,,,,।


दूसरों में और मुझ में जमीन आसमान का फर्क है चाची,,,,,। अच्छा बहुत-बहुत धन्यवाद अब मैं चलता हूं,,,,।

(रानी अच्छी तरह से जानती थी कि कुंवर किस काम के लिए इस गांव में आए थे उनका काम बन चुका था,,,,रानी उनसे पूछना चाहती थी कि आप कहां मुलाकात होगी लेकिन अपनी मां के सामने पूछ नहीं पा रही थी लेकिन उसकी इस परेशानी को खुद कुंवर ही दूर करते हुए सुनैना से बोला,,,,)

आप इसी गांव में रहती हैं चाची,,,,।

जी बेटा मैं इसी गांव में रहती हूं,,,।

और यह खेत,,,,।

यह मेरा नहीं है यह तो मुखिया जी का है हम लोग इसमें काम कर रहे हैं,,,,।

कोई बात नहीं चाची फिर मुलाकात होगी,,,,।

(सुनैना बाल्टी को एक तरफ रखने लगी तभी कुंवर धीरे से रानी के करीब आकर बोला,,)

कल नदी पर मिलना,,,,(बस इतना कहकर वह फिर से गेहूं की फसल में से जाने लगा और रानी मां ही मन मुस्कुराने लगी और थोड़ी देर बाद मां बेटी दोनों घर पर आ गए,,,,

दूसरी तरफ सूरज सुबह से ही लाडो के घर पर कामकाज में लगा हुआ था बड़े अच्छे से घर की सजावट हो रही थी गांव की सजावट हो रही थी और छोटे-मोटे काम में गांव के लोग हाथ बंटा रहे थे लेकिन इस सबके बीच सूरज की नजर लाडो पर बराबर बनी हुई थी,,,, वह किसी काम से सामान लेने के लिए कमरे में पहुंचा तो वहां पर देख लाडो फिर अकेली बैठी हुई थी,,,लेकिन वह जानता था कि इस समय कुछ करना उचित नहीं था और सूरज को देखते ही लाडो एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

अच्छा हुआ तुम आ गई सूरज मैं सुबह से तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी,,,।
(यह सुनकर सूरज मैन ही मन खुश होने लगा और मुस्कुराते हुए बोला)

क्यों मेरा इंतजार क्यों कर रही थी,,!

अरे तुम ही तो कल बोले थे कि तुम्हारी परेशानी क्या है मैं जानता हूं तो बताओ ना मेरी परेशानी क्या है मैं इतना परेशान क्यों हो रही हूं जबकि शादी के नाम से दूसरी लड़कियां खुश होती हैं तो मुझे क्यों वह खुशी नहीं मिल रही है बल्कि घबराहट हो रही है।

हां मैं जानता हूं ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन अभी समय नहीं आया है ठीक समय देखकर मैं तुम्हें बता दूंगा और तुम्हारी परेशानी भी दूर कर दूंगा,,,।



भला यह कैसी बात हुई अभी तो तुम मेरे सामने ही हो बता सकते हो बताओ ना मेरे परेशानी क्या है,,,।

पागल हो गई हो क्या ऐसे में नहीं बता सकता मैं सही समय जानता हूं सही समय आने दो मैं तुम्हें बता दूंगा,,,।( लाडो की उत्सुकता देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होता हुआ बोला,,,)

कैसी बेवकूफी भरी बातें कर रहे हो तुम अच्छी तरह से जानते हो कि आज मेरा विवाह हो जाएगा और मैं अपने ससुराल चली जाऊंगी तब कौन सा समय तुम्हें मिलेगा बताने का,,,,।

विवाह रात को होगा उससे पहले मैं तुम्हें बता दूंगा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,(और इतना कहकर सूरज आलू की बोरी लेकर कमरे से बाहर निकल गया,,,)

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lovlesh2002

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बहुत मस्त अपडेट दिया है, सुपर !!! अब लगता है उधर सूरज लाडो को सिखा कर मां के साथ अपनी कहानी को आगे बढ़ाएगा और उधर उसकी बहन कुंवर के साथ अपना मिलन बढ़ाएगी और दोनों की जबरदस्त कहानी शुरू होने वाली है।
 
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Sanju@

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रात को देखा गया सपना दिन में भी सुनैना के होश उड़ा रहा था सुनैना को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि रात को जो कुछ भी हुआ था वह सपना था उसे सब कुछ हकीकत सा ही लग रहा था,,, क्योंकि आज तो कुछ नहीं इस तरह का सपना कभी देखी भी नहीं थी और जो सामान्य सपने होते थे वह तो पूरी तरह से याद भी नहीं होते थे लेकिन रात को देखा गया सपना सुनैना के मानस पटल पर पूरी तरह से छप गया था वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित हुई थी उसे इस तरह का सपना क्यों आया,,, जबकि मां बेटे के बीच ऐसा कुछ भी नहीं है,,,, लेकिन फिर भी यह सपना बार-बार सुनैना की बुर अपने आप ही गीली कर दे रहा था,,,,,,, सपना का एक-एक दृश्य सुनैना कोपूरी तरह से याद था ऐसा लग रहा था कि सपना का एक-एक कृष उसके साथ घटित हुआ हो। उसे सपना के हर एक पल में मादकता और मदहोशी छुपी हुई थी जिसे के बारे में सोचकर ही सुनैना की हालत खराब हो जा रही थी।

सुबह जब वह सो कर उठी तो कुछ देर तक वह बिस्तर पर ही बैठी रह गई थी,,,, सपने में उसके बेटे की यह बात इस बार-बार याद आ रही थी कि वह कमरे में अपने हाथ से ही अपनी प्यास बुझाने की कोशिश करती है और वह चोरी छुपे सब कुछ देखा है,,,, और इस बात से बात से वह बिल्कुल भी इनकार नहीं कर सकती थी कि कमरे के अंदर अपने पति के लिए हाजिरी में उसे अपने हाथ से अपनी जवानी की प्यास बुझाने पर मजबूर होना पड़ रहा था लेकिन यह बात उसे समझ में नहीं आ रही थी कि वाकई में उसका बेटा उसे इस तरह की हरकत करते हुए देखा है या सिर्फ यह एक सपना ही था बार-बार यह सवाल सुनैना को परेशान कर दे रहा था लेकिन फिर भी सपना तो सपना ही होता है वह अपने मन को इस बात से मना कर शांत कर ली थी वरना यह प्रश्न उसे बहुत परेशान कर रहा था और वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा उसके कमरे में रात को झांकने के लिए थोड़ी ना आएगा,,, जैसे तैसे करके सपनो की दुनिया से बाहर आकर वह सामान्य होकर अपनी दिनचर्या में लग गई लेकिन इसके बावजूद भी वह सूरज से नजर नहीं मिल पा रही थी उसे ऐसा ही महसूस हो रहा था कि सच में सूरज रात को उसकी चुदाई कर गया है,,,, इसलिए वहां शर्मिंदगी के कारण सूरज के सामने अपनी नजर को नीचे झुका कर ही कार्य कर रही थी।

सूरज को इस बात की खुशी थी कि उसने अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा और उसकी मां भी उसे इस क्रिया को करते हुए देख ली थी जिससे उसे पता चल गया था कि उसका बेटा उसे देख रहा था,,, अभी ईस क्रियाकलाप का उसकी मां पर क्या असर होता है,,, यही सूरज देखना चाहता था। क्योंकि सूरज भी जानता था कि उसकी मां अपनी साड़ी को यह जानते हुए दी थी वह उसे देख रहा है फिर भी वह साड़ी नीचे नहीं कर पाई थी अब यह जानबूझकर हुआ था या जाने अनजाने में घबराहट की वजह से यह सूरज को नहीं मालूम था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखों के सामने घटित हुआ था वह बेहद रोमांचक था। सूरज तो अपने मन में यही सोचता था कि बार-बार उसे यह दृश्य देखने को मिले बार-बार उसकी मां उसकी आंखों के सामने पेशाब करें और उसकी बुर से निकलने वाली सिटी की आवाज उसके कानों में घुलकर उसे मदहोश कर दे। यही सब सोचता हुआ वह भी अपनी दिनचर्या में लगा हुआ था क्योंकि उन दोनों को खेत पर भी जाना था,,, समय पर गेहूं की कटाई करनी थी इसलिए वह जल्दी से तैयार हो गया था मां बेटे दोनों खेत में जाने के लिए तैयार हो चुके थे। और रानी को हिदायत देकर सुनैना अपने बेटे के साथ खेत पर चली गई थी और अपने काम में लग गई थी।

दोपहर का समय होने पर रानी गांव में अपनी सहेलियों के साथ बड़े से पेड़ के नीचे बैठकर बातें कर रही थी कि तभी उनमें से एक सहेली बोली।

रानी क्यों ना हम लोग नदी पर चलते हैं नहाने के लिए वैसे भी गर्मी बहुत है,,,
(उसकी बात सुनकर रानी बोली)

बात तो तु ठीक कह रही है,,, लेकिन मुझे बराबर तैरना नहीं आता अगर कुछ इधर-उधर हो गया तो गड़बड़ हो जाएगी,,,।

अरे कुछ भी नहीं होगा हम लोग हैं ना हम लोगों को अच्छी तरह से तैरना आता है। (उनमें से दूसरी लड़की बोली तो उसकी बात से रानी सहमत हो गई,,, रानी का समय अक्सर इन्हीं सहेलियों के बीच गुजरता अपना काम जल्दी खत्म करके वह दोपहर में इन्हीं लोगों के पास आ जाती थी गप्प लड़ाने के लिए,,, उसकी सहेलियों में दो सहेलियां ऐसी थी जो अपना अनुभव उसे बताती थी,,,और वह भी चुदाई का,,, जिसे सुनकर रानी के तन बदन में कुछ कुछ होता था लेकिन अब ऐसा कुछ भी नहीं होता था क्योंकि अब वह खुद अपने भाई से रोज रात को चुदाई का मजा लूटती थी,,, उन लोगों तो कभी कभार यह आनंद मिलता था उन लोगों के बताए अनुसार लेकिन रानी तो बेहद खुश नसीब थी जो रोज उसे चुदाई का सुख मिल रहा था जिसे पाकर वह पूरी तरह से तीर्थ हुई जा रही थी और उसके अंगों में निखार भी आ रहा था। रानी के साथ तीन लड़कियां और थी और वह लोग नदी की तरफ जाने लगे,,,।)


दोपहर का समय होने की वजह से उन लोगों को मालूम था कि इस समय नदी पर कोई नहीं होगा क्योंकि दोपहर के समय अधिकतर लोग अपने घर में आराम करते थे और धूप इतनी तेज थी कि कोई भी नदी की तरफ नहीं जाता था और सीमा के का फायदा उठाकर वह लोग नहाने के लिए नदी पर जा रही थी वैसे वह लोग कभी कबार ही नदी पर नहाने के लिए जाती थी रानी को पांच पांच छः छः महीने लग जाते थे नदी की तरफ जाने में,,, इसलिए उसे ठीक से नदी में तैरना नहीं आता था। वैसे तो उसे भी नदी में नहाने में बहुत मजा आता था और तालाब में वह थोड़ा बहुत देर करना लेती थी क्योंकि तालाब में पानी ज्यादा नहीं होता था लेकिन नदी की बात कुछ और थी अपने भाई के साथ वह झरने से गिर रहे हैं पानी जो एक तालाब में इकट्ठा होता था उसी में नहाने का सुख प्राप्त की थी अगर नदी में नहाना होता तो शायद वह अपने भाई के साथ यह सुख कभी भी नहीं भोग पाती और शायद उन दोनों के बीच इतनी नजदीकीया कभी ना आती। चारों नदी की तरफ चली जा रही थी तभी उनमें से एक सहेली की नजर रानी की चूचियों पर गई जो कुर्ती में कुछ ज्यादा ही उठी हुई दिखाई दे रही थी और उसे देखकर मुस्कुराते हुए वह बोली,,,)

क्या बात है रानी तेरी नारंगिया तो खरबुजे की तरह बढ़ रही है,,, ऐसा क्या हो गया है,,,,।
(अपनी सहेली की बात सुनकर रानी की नजर अपने आप ही अपनी छातियों की तरफ चली गई जो कि वाकई में महीने भर में ही उसका आकार थोड़ा बढ़ने लगा था। वह एकदम से हड़बड़ा गई थी उसकी बात सुनकर लेकिन फिर भी माहौल को संभालते हुए वह बोली,,,)

पागल हो गई है क्या वैसे ही तो है जैसे थे,,,,।

(रानी अपनी तरफ से सफाई देते हुए गली उसे अच्छी तरह से मालूम जिस तरह से कुछ दिनों से उसके भाई के साथ वह मुझे लूट रही है उसके हिसाब से उसके बदन का उभार बढ़ने लगा था लेकिन यह सच्चाई पर वह पर्दा जा रहे थे जिसे सुनकर उसकी सहेली को उस पर यकीन नहीं हुआ और वह बोली।)

नहीं नहीं मुझे बेवकूफ मत करना तेरी नारंगिया सच में बड़ी हो रही है कहीं ऐसा तो नहीं किसी से मसलवा रही है दबवा रही है।(वह मजे लेते हुए बोली तो उसकी बात से वह एकदम से झेंप गई,,,, उसे अपनी सहेली की बातों पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह ज्यादा बहस नहीं करना चाहती थी,,, क्योंकि वह जानती थी कि ज्यादा बहस करना ठीक नहीं है क्योंकि उसकी सहेलियां खेली खाई थी उन्हें अच्छी तरह से समझ आता था बदन के अंगों का बदलाव उनके उभारो का बड़ा होना यह सब कुछ बड़ी बड़ी की चीजों का ज्ञान उन लोगों को था इसलिए रानी उन लोगों से बहस करके अपने राज पर से पर्दा नहीं उठाना चाहती थी इसलिए बोली।)


इसलिए मैं यहां नहीं आना चाहती थी तुम लोगो की आदत खराब है,, जब देखो शुरू हो जाते हो,,,, जाने दो मुझे नहीं जाना नदी में नहाने में जा रही हूं,,,घर,,,,(ऐसा कहकर वह नाराज होकर जाने को हुई तो उसकी सहेली उसे रोकते हुए बोली,,,)

अच्छा जाने दे मैं तो यूं ही मजाक कर रही थी मुझे क्या मालूम था कि तुझे बुरा लग जाएगा।

बुरा लगने जैसी बात ही है अभी हम लोगों की बातें कोई सुन ले तो सबको यही लगेगा कि सच में मेरे साथ कुछ हो रहा होगा सच में मैं किसी के साथ कुछ करवा रही हूं,,, अगर यह सब मेरी मां को पता चल गया तो गजब हो जाएगा मेरी मां तो बिना कुछ सच जानें मुझे कपड़े की तरह धो डालेगी।ड०ट
ड (रानी जानबूझकर यह सब डर दिखा रही थी और उसकी बातें सुनकर उसकी सहेली बोली,,,,)

क्या रानी तू तो एकदम गुस्सा करने लगती है मजाक भी नहीं समझती इस तरह की मजाक तो हम लोगों में होता रहता है ना। तू भी तो इस तरह की बातें करती है,,,,।


नहीं नहीं मैं इस तरह की बातें पर मजाक कभी नहीं करती हां तुम लोग इस तरह की बातें करती हो तो मैं सिर्फ सुनती हूं बाकी पूछ लो किसी से अगर मैं किसी को कुछ कहीं हुं तो,,,,।

चल अच्छा जाने दो छोड़ गुस्सा,,,, अब वह इस तरह की बात नहीं करेगी बस,,,,(उनमें से एक सहेली समझाते हुए बोली,,,, तब जाकर मामला थोड़ा शांत हुआ और फिर वह लोग नदी की तरफ आगे बढ़ने लगे,,,, नदी की तरफ आगे बढ़ते हुए रानी अपने मन में यही सोच रही थी कि अच्छा हुआ वह इस बात को यहीं खत्म कर दिया अगर वह उन लोगों को ज्यादा बोलने का मौका देती तो शायद बात का बतंगड़ बन जाता और वह नहीं चाहती थी कि लोगों में इस तरह की बातें फेले,,,

धूप पूरी तरह से सर पर छाई हुई थी गर्मी का महीना होने की वजह से गर्मी भी बहुत थी ऐसे में किसी का बाहर निकलना वाकई में बहुत मुश्किल था क्योंकि इतनी गर्मी और धूप थी कि कोई घर से निकलना ही नहीं चाहता था। गांव के लोग या तो घरों में आराम करते थे या फिर पेड़ की छांव में दिन गुजारते थे,,, ऐसी कड़क धुप में रानी और उसकी सहेलियां नदी में नहाने के लिए चली जा रही थी और देखते ही देखते वह लोग नदी के किनारे पहुंच चुके थे वाकई में इस कड़क दुपहरी में नदी पर सन्नाटा छाया हुआ था दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था और इसी सन्नाटे की वजह से ही तो यह लोग यहां पर नहाने के लिए आए थे। नदी के किनारे पहुंचते ही उन चारों को एहसास हो रहा था कि वाकई में यहां पर नदी के कारण ठंडी हवा बह रही थी जो उन्हें सुकून दे रही थी और उनमें से एक गहरी सांस लेते हुए बोली।)

वाह कितना गजब नजारा है। देखो तो सही दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा है और कितनी ठंडी हवा बह रही है।
(उसकी बात सुनकर उनमें से दूसरी लड़की बोली जिसने सबसे पहले यहां पर आने के लिए प्रस्ताव रखा था)

हां यार तू सच कह रही है चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है और सूरज ढलने तक कोई आने वाला नहीं है,,, मेरा तो मन कह रहा है सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नदी में कूद जाऊं सच कहूं तो नंगी होकर नहाने में मजा बहुत आता है,,,(उनमें से दूसरी लड़की बोली,,,, और उसकी बात सुनकर रानी एकदम से उत्साहित होते हुए बोली,,,,)


क्या बात कर रही है तू हमेशा बिना कपड़ों के ही नहाती है क्या,,,,?

तो क्या कपड़े पहनकर नहाने में कितनी दिक्कत होती है,,,,।

लेकिन नदी में,,,, नहाने में तुझे शर्म नहीं आती बिना कपड़ों के,,,, पागल हो गई है क्या सबको दिखाकर नहाती है क्या,,?


अरे बुद्धू,, नदी में नहीं लेकिन घर के अंदर नहाती हुं बिना कपड़ों के,,,,, सच में इतना मजा आता है कि पूछ मत,,,,।


तेरा भाई भी तो है ना क्या कभी उसने कभी देखा नहीं,,,,,(दूसरी लड़की बोली यह सवाल रानी के मन में भी आया था लेकिन उसने यह सवाल पूछी नहीं थी क्योंकि उसके घर में भी उसका बड़ा भाई था जिसके साथ उसके जिस्मानी ताल्लुकात बन चुके थे,,,, इसलिए उसने इस बात की जिक्र नहीं की लेकिन यही सवाल उसकी सहेली ने पूछ ली थी इसलिए उसे थोड़ी राहत महसूस हुई थी,,,,)


देखा है ना बहुत बार देखा है,,,,।
(वह एकदम सहज होते हुए बोली और उसकी बात सुनकर बाकी की तीनों रानी सहित एकदम से चौंक गई उनमें से एक बोल पड़ी,,,)

क्या कह रही है तू तेरा भाई तुझे बहुत बार नंगी देख चुका है नहाते हुए वह तुझे कुछ बोलता नहीं,,,,।

बोलेगा क्या बस देखता रहता है फिर चला जाता है,,।

ओहहहह इसका मतलब है कि तेरा भाई तेरी जवानी का आशिक हो चुका है,,,(उनमें ऐसे एक लड़की बोली,,,,)

अब यह तो नहीं मालूम लेकिन हो सकताहै,,,।

(वह एकदम सहज होते हुए बोली को जिस तरह से बात कर रही थी उसे देखकर रानी को उसके ऊपर शक हो रहा था,,, उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी तरह उसके और उसके भाई के बीच जरूर कुछ चल रहा है क्योंकि इसकी शुरुआत ही ही तो देखा ताकि से हुई थी उसका भाई भी तो उसे बिना कपड़ों के देखा था उसे पेशाब करते हुए देखा था,,, उसका नंगा जिस्म उसकी नंगी गांड उसका खूबसूरत बदन नंगी चूचियां उसकी गुलाबी बुर यही सब देख कर तो उसका भाई भी उसे पर पूरी तरह से फिदा हो चुका था और आलम यह था कि अब रोज उसकी चुदाई करता था। अगर उन दोनों में ऐसा हो सकता है तो उसकी सहेली और उसके भाई में जरूर ऐसा कुछ हो रहा है बस वह खुलकर बात नहीं रही है अगर ऐसा है तो क्या हर एक घर में इसी तरह का रिश्ता कायम होता है,,,, अपने मन में उतरे सवाल का खुद ही जवाब देते हुए वह बोली,,,, हो सकता है क्यों नहीं हो सकता वह भी तो सीधी-सादी और संस्कारी थी लेकिन उसके भाई की हरकत और जवानी की आग ने उसे भी जवानी का खेल खेलने पर मजबूर कर दि। फिर उनमें से ही एक लड़की बोली,,,)

मुझे तो लगता है किसका भाई से चोदता होगा तभी तो देख इसका रंग निखरता जा रहा है,,।
(उसकी सहेली की बात सुनकर दूसरी लड़की बोली)

क्यों रे यह सच कह रही है ना तभी तु बहुत खिली-खिली सी नजर आती है,,,,।

(इस सवाल का जवाब उसने बिल्कुल भी देना उचित नहीं समझी और एकदम नदी के किनारे पहुंच कर अपनी कमीज उतरने लगी और एकदम से कमी से उतर कर उसे एक किनारे पर बड़े से पत्थर पर रख दी उसकी नंगी चूचियां वाकई में पीली धूप में चमक रही थी जिसे देखकर बाकी की तीन लड़कियां आश्चर्य से उसे देखती रह गई,,,, उसकी हरकत को देखकर रानी बोली)

क्या सच में तू अपने सारे कपड़े उतार कर नहाएगी,,,,।

तो क्या देख नहीं रही है चारों तरफ सन्नाटा है यहां पर हम लोगों को देखने वाला कोई नहीं है यही मौका है बिना कपड़ों के नहाने का मजा लूटने का कसम से बहुत मजा आएगा फिर देखना कितना मजा आता है,,,,,।
(वह एकदम आत्मविश्वास के साथ बोल रही थी रानी को लग रहा था कि यह वाकई में अपनी सारे कपड़े उतार कर नदी में कूद जाएगी उसकी बातें सुनकर रानी को भी बिना कपड़ों के नदी में नहाने का मन कर रहा था क्योंकि वह बिना कपड़ों के एक बार अपने भाई के साथ तालाब में नहाने का सुख प्राप्त कर चुकी थी उस समय उसे बहुत मजा आया था लेकिन यहां पर वह जल्दबाजी दिखाने नहीं चाहती थी वह देखना चाहती थी कि बाकी की लड़कियां तैयार होती है कि नहीं इसलिए वह उन दोनों को देखने लगी जो उसके साथ खड़ी थी तब तक वह लड़की अपनी सलवार खोलकर उसे भी उतार कर बड़े से पत्थर पर रख दी और एकदम से नंगी हो गई,,,, उसका नंगा जिस्म वाकई मे बेहद आकर्षक था रानी भी उसके खूबसूरत बदन को देख रही थी अपने मन में सोच रही थी वाकई में इसका बदन कितना खूबसूरत है ऐसे में अगर सच में इसका भाई ईसे नंगी नहाते हुए देखता होगा तो जरूर वह इसकी चुदाई कीए बिना नहीं रह पाया होगा।

वैसे तो वह रानी जितनी खूबसूरत नहीं थी रानी जितना रंग भी उसका निखार नहीं था रंग हल्का सा लगा हुआ था लेकिन बदन का बनावट उसका हर एक अंग एक अलग आकर्षण लिए हुए था जो कि किसी भी मर्द को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए काफी था,,,,, वह एकदम से नंगी होने के बाद तीनों की तरफ देखते हुए बोली,,,।

अरे बुद्धू लोग साथ में कपड़े तो लाए नहीं है,,,, अगर कपड़ों के साथ नदी में उतरे तो फिर नहाने के बाद क्या पहनोगी गीले कपड़ों में घर जाओगी,,,,।

(उसकी बात सुनकर तीनों को यही लग रहा था कि वाकई में उसका कहना बिल्कुल उचित था उन चारों ने अपने साथ सुखे हुए कपड़े लाई नहीं थी अगर वह लोग कपड़ों के साथ नदी में उतर कर नहाती है तो गीले कपड़ों में घर जाने में दिक्कत हो जाएगी इसलिए उनमें से एक लड़की बोली,,,)

बात तो यह सही कह रही है और यहां पर कोई है भी नहीं देखने वाला चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है क्यों ना आज बिना कपड़ों के नहा ले,,,
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है रानी के शरीर में आए बदलाव को देखकर उसकी सहेलियों को शक है कि रानी के किसी के साथ संबंध है वे पूछती भी हैं लेकिन रानी उनको झूठ बोलकर अपनी पीछा छुड़वा लेती है
 
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