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Incest पहाडी मौसम

sunoanuj

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Bahut hee badhiya update tha last wala … Raju ke maze hai ek or tyaar ho gayi uske liye…

Waiting for the next update….
 
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Napster

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सूरज अच्छी तरह से समझ गया था कि लाडो के मन में किस तरह की घबराहट हो रही है वह क्या चाहती है इसलिए वह अपना उल्लू सीधा करना चाहता था वह औरतों के मन में क्या चल रहा है यह अच्छी तरह से समझने लगा था और इसी के चलते वहलाडो के साथ अपनी मनसा पूरी करना चाहता था और वैसे भी जिस तरह का कार्य लाडो के पिताजी ने उसे सौंप रखा था पैसे में लाडो से मुलाकात होना लाजिमी था,,, पहले दिन तो वहरसोई का सामान कमरे में रखवा कर और लड़ो से कुछ देर बात करके वहां से अपने घर के लिए निकल गया था अपने घर पर पहुंचकर उसने अपनी मां और अपनी बहन दोनों को बोल दिया था की शादी में अच्छी तरह से चलना है क्योंकि उसे शादी में उसे भी रसोई का काम देखने की जिम्मेदारी मिल चुकी है इसलिए ऐसा समझना है कि वह शादी अपने ही घर की है,,,,,। अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना काफी खुश नजर आ रही थी क्योंकि पहली बार गांव में शादी के सम्मेलन में रसोई का कार्यभार संभालने को मिला था इस बात से वह मन ही मन खुश हो रही थी उसे इस बात की खुशी थी कि अब उसका बेटा जिम्मेदार बन चुका था तभी तो उसे लाडो के पिताजी इतनी बड़ी जिम्मेदारी का काम सौंप दिए थे।





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शादी के दिन सुबह से ही गांव में मेहमानों का आना-जाना शुरू हो चुका था,,,,,,,,, गांव के लोग शादी में हर तरह की मदद कर रहे थे सूरज को भी रसोई का काम संभालने के लिए जाना था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,।

आज गेहूं काटने के लिए नहीं जाते हैं,,,।

क्यों क्या हुआ,,,?(झाड़ू लगाते हुए सुनैना बोली)

अरे भूल गईआज लाडो की शादी है बारात आने वाली है और मुझे रसोई संभालने का काम मिला है अगर अभी से मैं खेत चला गया तो वहां का काम कौन देखेगा और फिर इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकरवह तो निश्चित हो गए होंगे लेकिन मैं समय पर नहीं पहुंचा तो वह मेरे बारे में क्या सोचेंगे,,,।

अरे हां मैं तो भूल ही गई कि आज लाडो का विवाह है,,,,, लेकिन शादी में तो सुबह से तेरा काम होगामेरा काम तो होगा नहीं एक काम कर तू वहां चला जा और मैं खेत चली जाती हूं जितना हो सकता है उतना काम कर लूंगी,,,, और साथ में रानी को भी ले लेती हूं थोड़ा सहारा मिल जाएगा,,,।


हां यह ठीक रहेगा जितना हो सकता है उतना कम करना और फिर जल्दी घर चली आना क्योंकि शादी में रात निकल जाएगी,,,,।(सूरज एकदम खुश होता हुआ बोल वह भी अपने मन में सोच रहा था कि थोड़ा बहुत गेहूं की कटाई का काम भी हो जाएगा और मैं शादी में जाकर थोड़ा इंतजाम देख लूंगा दोनों जगह का काम ठीक हो जाएगा,,,,(इतना कहकर सूरज सुबह-सुबह ही लाडो के घर की तरफ निकल गया और सुनैना घर की साफ सफाई करने के बाद खाना बनाने लगे और रानी को भी बोल दी थी कि आज उसे भी खेत पर चलना है गेहूं की कटाई के लिए पहले तो रानी इंकार करती रही लेकिन फिर वह भी मान गई,,,, थोड़ी ही देर में सुनैना खाना बनाकर तैयार कर चुकी थी और खेत पर जाने के लिए तैयार हो गई थी,,,,, मां बेटी दोनों खेत की तरफ निकल गई थी रानी पहली बार गेहूं कटाई के लिए खेत पर आ रही थी और वह भी अपने खेत पर नहीं बल्कि जमीदार के खेत पर अभी तक रानी सिर्फ अपने ही खेतों में काम की थी पहली बार किसी और के लिए काम करने जा रही थी,,,,। इसलिए वह भी थोड़ा उत्साहित थी,,,,।




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आज अपने बेटे के बिना खेत में काम करने में सुनैना का मन नहीं लग रहा था ,,उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है लेकिन बात यही थी जो वह खुद नहीं समझ पा रही थी,,, बार-बार वह थोड़ा काम करके रुक जा रही थी और किसी ख्यालों में खो जा रही थी,,, और उसके मन में किसी और का ख्याल नहीं आ रहा था बल्कि अपने ही बेटे का ख्याल आ रहा था,,, सुनैना की नजर झोपड़ी के बाहर रखी हुई खटिया पर चली जा रही थीऐसा लग रहा था की खटिया से उसकी बहुत सारी यादें जुड़ चुकी थी और वाकई में उसे खटिया से उसकी सबसे बेहतरीन यादगार पल जुड़ा हुआ था। रानीअपने ही ख्यालों में मस्त होकर गेहूं की कटाई कर रही थी वह अपनी मां की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी और सुनैना थी की झोपड़ी के बाहर खड़ी खटिया की तरफ देख कर कभी उदास हो जा रही थी तो कभी मुस्कुराने लग रही थी जाहिर सी बात थी कि उसे उस दिन वाली बात याद आ रही थी। और उस बात को लेकर वह इस समय हैरान भी हुए जा रही थी क्योंकि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे दिन वाली घटना उसे क्यों याद आ रही है बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य क्यों घूम रहा है,,,, भले ही वह इनकार कर रही हो लेकिन दिल के किसी कोने में उसका आकर्षण अपने बेटे की तरफ बढ़ता जा रहा था,,, उसे दिन वाली घटना तो उसके मानस पटल पर पूरी तरह से छप चुकी थी।





और बार-बार उसे घटना को याद करके सुनैना उत्तेजित हो जाती थी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में सुरसुराहट सी दौड़ने लगती थीकभी-कभी उसे घटना के बारे में याद करके उसे अच्छा भी लगता था तो कभी बुरा भी लगता था कभी-कभी वह अपने आप को ही कोसने लगती थी कि वह अपने बेटे को उसे दिन रोक क्यों नहीं पाई क्यों उसे ऐसा करने से मना नहीं कर पाई सुनैना को इस बात का ज्ञान अच्छी तरह से था कि उसके द्वारा उसे दिन अपने ही बेटे को दी गई मनमानी एक न एक दिन दोनों के बीच की मर्यादा की दीवार को गिरा देगा संयम का बांध दोनों के बीच टूट कर रहेगा इस बात का अंदाजा सुनैना को लग चुका था क्योंकि वह जानती थी कि जिस चीज के लिए उसका बेटा तड़प रहा है इस चीज के लिए वह भी अंदर ही अंदर तड़प रही है। दोनों प्यासे थेसमय के अनुसार उसका बेटा पूरी तरह से बड़ा हो चुका था जवान हो चुका था ऐसे में एक औरत के प्रति उसका आकर्षण बढ़ जाना लाजिमी थालेकिन वह नहीं जानती थी कि उसका आकर्षण अपनी ही मन के ऊपर इस कदर बढ़ जाएगा कि वह अपनी मां के साथ अत्यंत गंदी हरकत करने पर उतारू हो जाएगा,,,, और सुनैना की तो जरूरत थी जिस तरह से उसका पति रोज उसकी चुदाई करता था उसके कहीं चले जाने के बाद सुनैना की बुर बंजर जमीन की तरह सूख रही थी जिस पर पानी की बौछार के लिए वह तड़प रही थी और उसे लगने लगा था कि अगर वह अपने बेटे को नहीं रोकेगी तोउसकी बुर पर पानी की बौछार उसके बेटे के द्वारा ही पड़ेगी।






इस समय गेहूं काटते हुए वह अपने बेटे को बार-बार याद कर रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने वही खटिया वाली घटना दिखाई दे रही थी,,,, और उसे पल को याद करके वह बार-बार गनगना जाती थी जब उसके बेटे का लंड उसकी बुर के द्वारा तक ठोकर मार रहा थाइस समय वह अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसके बेटे का लंड उसकी बुर की गहराई में समा जाता तो कितना मजा आता और फिर उसके एक दिन पहले वाली ही घटना उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से ताजा बनी हुई थीजब वह पेशाब करने के लिए झोपड़ी के पीछे गई थी और ठीक उसी समय उसका बेटा उसके पीछे खड़े होकर उसे ही देख रहा थासुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखने के बाद ही इस कदर उसका दीवाना हो चुका था कि उसके साथ गंदी हरकत करने पर उतारू हो चुका था उसे इस बात का भी डर नहीं था कि अगर उसकी मां की नींद खुल गई तो क्या होगा शायद उसे अपने आप पर विश्वास था कि अगर उसकी मां की नींद खुल भी जाएगी तो उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी आंखों मेंइस कदर वासना का नशा भर देगा कि वह खुद अपने हाथ से लंड पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर रख देगी,,, और ऐसा शायद हो भी जाता अगर वह खुद मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दुहाई ना दी होती अपने आप को समझाई ना होती।धीरे-धीरे गेहूं की कटाई करते हुए समय भी कितना चला जा रहा था और देखते ही देखते सूरज एकदम सर पर आ गया था गर्मी बढ़ने लगी थी इसलिए रानी अपनी मां के पास आई और बोली,,,,।

गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही है मां मुझसे तो अब रहा नहीं जा रहा है और भूख भी बड़े जोरों की लगी है,,,, अब चलो पेड़ के नीचे चलकर खाना खा लेते हैं,,,,।





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तु ठीक कह रही है मैं भी यही सोच रही थी और वैसे भी आज का काम इतना ही हो पाएगा शाम को शादी में भी जाना है चल चल कर खा लेते हैं,,,,।

इतना कहने के साथ ही मां बेटी दोनों पेड़ के छांव में आकर झोपड़ी के बाहर खड़ी खटिया को गिराकर उस पर बैठ गई और खाना खाने लगे,,, तभी दोनों के कानों में घोड़े की टाप की आवाज सुनाई दे रही थी,,, उस आवाज को सुनकर सुनैना बोली।

लगता है कोई घोड़े पर बैठकर इधर ही आ रहा है,,,।
(अपनी मां के मुंह से घोड़ा शब्द सुनते ही हैरानी से तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी उसके मन में ऐसा लगने लगा कि उस दिन वाला ही घुड़सवार होगा,,,, मां बेटी दोनों इधर-उधर देखने लगे लेकिन अभी तक घोड़ा कहीं नजर नहीं आ रहा था,,,, और वैसे भी गेहूं कीफसल इतनी बड़ी-बड़ी और दूर तक फैली हुई थी कि किसी के भी देखे जाने का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था तभी उनके कान में आवाज सुनाई दी,,,)

अरे कोई है,,,,, खेत में,,,,,।

(आवाज को सुनकर सुनैना को लगा कि कोई अगर घोड़े से आया है तो मुखिया का रिश्तेदारी होगा या हो सकता है मुखिया ही हो क्योंकिघोड़ा तो सिर्फ बड़े लोगों के ही पास था गांव में किसी के पास नहीं था इसलिए वह खटिया पर स्थित होने के नीचे उतर गई और बोली,,,)

हां हम लोग खेत में काम कर रहे हैं क्या काम है,,,?
(इतना कहकर सुनैना जवाब का इंतजार करने लगी और इधर-उधर देखने लगी रानी भी खटिया पर से नीचे उतरकर इधर-उधर देखने लगी लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था तभी गेहूं की फसल के बीच में से एक नौजवाननजर आया जो उनकी तरफ आगे बढ़ रहा था रानी उसे देखते ही एकदम से गदगद हो गई क्योंकि वह उसी दिन वाला घुड़सवार था जिसके बारे में वह दिन रात सोचा करती थी और दोबारा उससे मुलाकात होगी कि नहीं इसके बारे में सोचकर परेशान हुआ करती थी,,,, गेहूं की फसल के बीच में से उन लोगों की तरफ आते हुए वह तुरंत सुनैना और रानी को देखकर बोला,,,,)




नमस्ते,,,,,(इतना कहते हुए उसकी नजर रानी पर पड़ी तो वह एकदम सेखुश होता हुआ कुछ बोलते ही वाला था की रानी उसे इशारे से चुप रहने के लिए बोली तो वह उसका इशारा समझ कर एकदम से खामोश हो गया जिस तरह से उसने नमस्ते बोला था सुनैना उसके व्यवहार से एकदम खुश हो गई थी और बोली)

आप कौन हैं आप मुखिया के रिश्तेदार हैं क्या,,,?

नहीं नहीं मैं इस गांव का नहीं हूं मैं बगल वाले गांव के जमींदार का साला हूं मेरा नाम कुंवर है,,,,,।(नाम सुनकर रानी मां ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि उसे दिन जिस तरह के हालात थे उसे देखते हुए घुड़सवार का नाम नहीं याद आ रहा था लेकिन आज फिर से उसी घुड़सवार के मुंह से उसका नाम सुनकर रानी प्रसन्न हो गई थी,,,, उसका परिचय जानकर सुनैना को समझ में आ गया कि यह बड़े घर का बेटा है और बड़े जमींदार का साला है इसलिए एकदम से उसे इज्जत देते हुए बोली,,,)

यहां कैसे आना हुआ मालिक,,,।

पहली बात तो आप मुझे मलिक मत कहिए मेरा नाम कुंवर है चाची,,,,,(रानी की तरफ देखते हुए वह समझ गया था कि रानी उनकी ही बेटी है इसलिए वह रानी की मां को बड़े इज्जत से पेश आ रहा था और वैसे भी कुंवर बेहद संस्कारी और इज्जतदार लड़का थारानी की मां सुनैना तो उसे बड़े घर के लड़के के मुंह से चाचा शब्द सुनकर एकदम से गदगद हो गई और एकदम से प्रसन्न होते हुए बोली)




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to be
धूप में क्यों खड़े हो कुंवर आओ इस समय यहां तो कोई व्यवस्था नहीं है यही खटिया है बैठने के लिए इस पर बैठ जाओ,,,।

जी बहुत-बहुत धन्यवाद,,,(इतना कहते हुए कुंवर खटिया पर बैठ गया और देखा की खटिया पर रोटी और सब्जी रखी हुई थी यह देखकर वह मुस्कुराते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) आप लोग भोजन कर रहे थे कहीं मैं आपको परेशान तो नहीं कर दिया,,,।


नहीं नहीं कुंवर इसमें परेशानी की कौन सी बात है,,,,।
(रानी की तो हालत खराब हो रही थी वह अपने दुपट्टे को अपनी उंगली पर लपेट लपेटकर कुमार को देख रही थी उसका रूप वाकई में बेहद मनमोहक था,,, तभी वह कुंवर फिर से बोला)

मुझे बड़े जोरो की प्यास लगी है और थोड़ी भूख भी लगी है अगर आपको परेशानी ना हो तो क्या मैं इसमें से एक रोटी खा सकता हूं,,,।

(उसकी बात सुनकर सुनैना एकदम से हैरान होते हुए बोली,,,)

कुंवर जी आप तो बड़े घर के लड़के हैं क्या आप हम लोग के साथ खाना पसंद करेंगे मतलब कि हम लोग का भोजन क्या आप खा सकेंगे,,,।

यह कैसी बात कर रही हो चाची भोजन में भेदभाव कैसा हमारे घर जो रोटी बनती है वह इसी खेत के गेहूं से तो ही बनती है,,,, और खेत में मेहनत भी आप लोग करते हैं तो फिर यह भेदभाव कैसा और यह सब भेदभाव में बिल्कुल भी नहीं मानता अमीर गरीब कुछ नहीं होता दिल साफ होना चाहिए,,,,। अगर इजाजत हो तो,,(रोटी और सब्जी की तरफ उंगली से इशारा करते हुए उसका ही सारा समझते हैं सुनैना एकदम से दो साफ रोटी और सब्जी उसे पर रखते हुए कुंवर की तरफ आगे बढ़ा दी जिसे वह बड़े ही प्यार से लेकर खाने लगा,,,, यह देखकर सुनैना मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

आप खाना खाओ मैं जल्दी से पानी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर सुनैना छोटी सी बाल्टी लेकर हैंडपंप की तरफ जल्दी,,,, उसके जाते ही रानी अपनी मां के जाने का तसल्ली कर लेने के बाद एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि आप मुझे फिर से इस तरह से मिलेंगे,,,,।

सच कहूं तो मैं तुमसे ही मिलने के लिए गांव-गांव भटक रहा हूं क्योंकि मुझे भी तुम्हारे घर का पता नहीं मालूम था और किस्मत देखो आखिरकार खेत में तुमसे मुलाकात हो ही गई,,,।

अच्छा हुआ कि तुम्हेंमेरे घर का पता नहीं मालूम था वरना तुम घर पर पहुंच जाते तो लोग क्या समझते,,,(दुपट्टे को उंगली में गोल-गोल घूमते हुए रानी बोली,,)

हां यह भी सही है,,,,।


लेकिन तुम मुझसे क्यों मिलना चाहते थे,,,।

पता नहीं क्यों उसे दिनतुम्हें देखने के बाद दिन-रात मेरे दिमाग में तुम्हारा ही चेहरा घूम रहा था इसलिए तुमसे मिलने के लिए मैं तड़प रहा था दो-तीन दिन इधर-उधर भटकने के बाद आज तुमसे मुलाकात हुई है,,,,।

(कुंवर की बात सुनकर रानी मां ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसे एहसास हो रहा था कि जिस तरह से वह तड़प रही थी कुंवर भी उससे मिलने के लिए तड़प रहा था,,,, थोड़ी देर की खामोशी के बाद कुंवर निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,,)

तुम मुझे इशारा करके रोक क्यों दी जब मैं कुछ बोलने जा रहा था तो,,,,।

मुझे मालूम था कि तुम उसे दिन वाली बात मेरी मां के सामने बता देती और यह बात मेरी मां को बिल्कुल भी नहीं मालूम है इसलिए मैं नहीं चाहती थी कि उस दिन वाली घटना मेरी मां को पता चले,,,।


ओहहह यह बात है,,,, वैसे सच कहूं तो तुम बहुत खूबसूरत हो उस दिन तुम्हें देखा तो तुम्हें देखता ही रह गया,,,,,।
(कुंवर की बात सुनकर रानी एकदम से शर्मा गई क्योंकि रानी जानती थी कि उसे दिन कुंवर उसे किस हालत में देखा था,,,, इसलिए वह थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

बिना कपड़ों की थी इसलिए तुम्हें खूबसूरत लग रही थी,,,।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वैसे तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देखकर बोल रहा थाऔर सच कहूं तो मैं सिर्फ तुम्हारा खूबसूरत चेहरा ही देखा था बाकी अंगों पर मेरा ध्यान बिल्कुल भी नहीं किया था जैसा तुम समझ रही हो मैं उस तरह का लड़का बिल्कुल भी नहीं हूं,,,,।
(दोनों की बातचीत आगे बढ़ पाती से पहले ही सुनैना पानी भरकर वहां आ गई और लोटे में पानी भरकर कुंवर को देने लगी,,,, कुंवर खाना खाने के बाद पानी पीने लगा और उसे पानी पीता हुआ देखकर सुनैना मुस्कुराते हुए बोली,,,)

वैसे कुंवर जी आप यहां क्या करने आए थे कोई काम था क्या,,,,?


नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी यहीं से गुजर रहा था तो मुझे बड़े जोरों की प्यास लगी थी औरमुझे लगा कि कोई खेत में होगा इसलिए यहां खड़ा होकर आवाज लगने लगा और मेरी किस्मत देखो वाकई में आप लोग यहां पर मौजूद थे जो मुझे अपनी भी पिलाए और खाना भी खिलाएं आप लोगों का एहसान में जिंदगी भर नहीं भुलुंगा,,,।

अरे अरे कुंवर जी आप यह कैसी बात कर रहे हैं इसमें एहसान कैसा यह तो हमारी किस्मत है कि आप जैसे बड़े घर के लड़के हमारे साथ बैठकर खाना खाए,,,।

देखो चाची आप फिर मुझे शर्मिंदा कर रही हो,,,,

लेकिन जो हकीकत है वह बदल तो नहीं सकती ना कुंवर जी,,,,।

कुंवर जी नहीं अब तो आप मुझे बेटा कहिए क्योंकि मैं आपको चाची कहता हूं,,,।

बबबबबब,,,,बेटा,,,,


हां बेटा आप मुझे इतने प्यार से खाना खिलाई पानी पिलाई तो मैं आपका बेटा ही हुआ ना,,,।

धन्य है तुम्हारी मां जो तुम्हें इतना अच्छा संस्कार दी है वरना बड़े घरके लड़के इस तरह से हम जैसे लोग से तो बात भी नहीं करते,,,,।


दूसरों में और मुझ में जमीन आसमान का फर्क है चाची,,,,,। अच्छा बहुत-बहुत धन्यवाद अब मैं चलता हूं,,,,।

(रानी अच्छी तरह से जानती थी कि कुंवर किस काम के लिए इस गांव में आए थे उनका काम बन चुका था,,,,रानी उनसे पूछना चाहती थी कि आप कहां मुलाकात होगी लेकिन अपनी मां के सामने पूछ नहीं पा रही थी लेकिन उसकी इस परेशानी को खुद कुंवर ही दूर करते हुए सुनैना से बोला,,,,)

आप इसी गांव में रहती हैं चाची,,,,।

जी बेटा मैं इसी गांव में रहती हूं,,,।

और यह खेत,,,,।

यह मेरा नहीं है यह तो मुखिया जी का है हम लोग इसमें काम कर रहे हैं,,,,।

कोई बात नहीं चाची फिर मुलाकात होगी,,,,।

(सुनैना बाल्टी को एक तरफ रखने लगी तभी कुंवर धीरे से रानी के करीब आकर बोला,,)

कल नदी पर मिलना,,,,(बस इतना कहकर वह फिर से गेहूं की फसल में से जाने लगा और रानी मां ही मन मुस्कुराने लगी और थोड़ी देर बाद मां बेटी दोनों घर पर आ गए,,,,

दूसरी तरफ सूरज सुबह से ही लाडो के घर पर कामकाज में लगा हुआ था बड़े अच्छे से घर की सजावट हो रही थी गांव की सजावट हो रही थी और छोटे-मोटे काम में गांव के लोग हाथ बंटा रहे थे लेकिन इस सबके बीच सूरज की नजर लाडो पर बराबर बनी हुई थी,,,, वह किसी काम से सामान लेने के लिए कमरे में पहुंचा तो वहां पर देख लाडो फिर अकेली बैठी हुई थी,,,लेकिन वह जानता था कि इस समय कुछ करना उचित नहीं था और सूरज को देखते ही लाडो एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

अच्छा हुआ तुम आ गई सूरज मैं सुबह से तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी,,,।
(यह सुनकर सूरज मैन ही मन खुश होने लगा और मुस्कुराते हुए बोला)

क्यों मेरा इंतजार क्यों कर रही थी,,!

अरे तुम ही तो कल बोले थे कि तुम्हारी परेशानी क्या है मैं जानता हूं तो बताओ ना मेरी परेशानी क्या है मैं इतना परेशान क्यों हो रही हूं जबकि शादी के नाम से दूसरी लड़कियां खुश होती हैं तो मुझे क्यों वह खुशी नहीं मिल रही है बल्कि घबराहट हो रही है।

हां मैं जानता हूं ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन अभी समय नहीं आया है ठीक समय देखकर मैं तुम्हें बता दूंगा और तुम्हारी परेशानी भी दूर कर दूंगा,,,।



भला यह कैसी बात हुई अभी तो तुम मेरे सामने ही हो बता सकते हो बताओ ना मेरे परेशानी क्या है,,,।

पागल हो गई हो क्या ऐसे में नहीं बता सकता मैं सही समय जानता हूं सही समय आने दो मैं तुम्हें बता दूंगा,,,।( लाडो की उत्सुकता देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होता हुआ बोला,,,)

कैसी बेवकूफी भरी बातें कर रहे हो तुम अच्छी तरह से जानते हो कि आज मेरा विवाह हो जाएगा और मैं अपने ससुराल चली जाऊंगी तब कौन सा समय तुम्हें मिलेगा बताने का,,,,।

विवाह रात को होगा उससे पहले मैं तुम्हें बता दूंगा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,(और इतना कहकर सूरज आलू की बोरी लेकर कमरे से बाहर निकल गया,,,)

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बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
ये सुनैना अपने बेटे सुरज की ओर आकर्षित हो रही है उसे रह रह कर खेत की खटीया देखकर उस दिन वाली घटना याद आने लग गयी है और सुरज के ना होने से वो उदास भी हो रही है
ये कुॅंवर भी राणी के लिये पगला गया है ये ही लगता हैं वो उसे खोजते हुए खेत आ ही गया और सुनैना पर अपना संस्कारशिल प्रभाव डाल ही दिया जाते जाते राणी को नदी के पास मिलने का इशारा भी कर गया
लाडो के घर पर सुरज अपने काम से बडा खुश हैं
लाडो की घबराहट उसे पता है लगता है वो उसकी घबराहट उसके शादी लगने के पहले सुहागरात मना कर दुर कर देगा
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Herry

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Deepaksoni

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Ronny4545 bhai ji
Sonu ko bhi to apni Chachi ki chut ka Pani pila do bechara unki gand dekh dekh kr bht land hilaya h uske upr bhi thoda dyan de do
 
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Sanju@

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रानी अपनी सहेलियों के साथ नदी पर पहुंच चुकी थी,,,और उनमें से एक लड़की ने अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो चुकी थी उसका कहना यही था कि साथ में कपड़े तो लाई नहीं है ऐसे में पहने हुए कपड़े में नहाएंगे तो कपड़े गीले हो जाएंगे जिससे घर वापस जाने में दिक्कत आएगीऔर इसीलिए उसने अपने सारे कपड़े उतार कर महंगी होकर ना आने का निर्णय किया था और उन तीनों को भी उसकी तरह ही कपड़े उतार कर नदी में उतरने के लिए उकसा रही थी। वैसे तो तीनों को भी उसका कहना सही लग रहा था और उन तीनों का भी मन बिना कपड़ों के नदी में उतरने को कर रहा था,,,, एक बार वह लोग भी बिना कपड़ों के नहाने का अनुभव ले लेना चाहती थी और वैसे भी मौका भी अच्छा था और दस्तूर भी यही था अकेले में कपड़े उतार कर नहाने में ही मजा आता है। फिर भी रानी बोली।





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लेकिन अगर कोई आ गया तो लेने के देने पड़ जाएंगे इस हालत में हम लोगों को देखकर कोई भी होगा कुछ और ही समझेगा,,,,।


अरे ऐसा कुछ भी नहीं होगा देख रही है दूर-दूर तक सन्नाटा फैला हुआ है,,,,और अगर कोई आदमी गया तो वह इतना तो बेशर्म होगा नहीं कि हम लोगों को नंगी नहाता हुआ देखकर हम लोगों को देखा हुआ नदी के किनारे बैठ जाएगा या हम लोगों के साथ उल्टा सीधा करेगा,,,, इतना तो डर उसके मन में भी होगा कि इस हालत में किसी को नहाते हुए देखना कितना गलत है अगर इस बारे में गांव में किसी को पता चलेगा तो लोग उसी पर उंगली उठाएंगे,,,

(रानी अच्छी तरह से समझ रही थी किकपड़े उतार कर नंगी नहाने का जिस तरह का कारण वह दे रही थी वह इतना योग्य नहीं था लेकिन फिर भी उसका भी मन नदी में बिना कपड़ों के उतरने को कर रहा था,, इसलिए वह बोली)

देख तेरी बात मानकर हम लोग कपड़े उतार कर नदी में उतर तो जाते हैं लेकिन इसके बाद अगर कुछ गलत हुआ तो इसकी जिम्मेदारी तेरी होगी।

ठीक है तुम लोग डरती बहुत हो,,, देख नहीं रही हो कितनी देर से कपड़े उतार कर नंगी खड़ी हूं,,,, यहां कोई है जो जबरदस्ती मेरी चुदाई कर दे,,, अरे जब तक मैं तैयार नहीं होऊंगी तब तक कोई मेरे बदन पर हाथ भी नहीं लग सकता समझी,,,,।

(उसकी बात सुनकर रानी और बाकी की लड़कियां हंसने लगी और उनमें से एक लड़की हंसते हुए बोली)





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अरे मेरी जान जिसको चोदना होगा वह तुझसे पूछेगा नहीं बल्कि झुका कर तेरी ले लेगा और तू भी उसे कुछ नहीं बोल पाएगी,,,बस आआआहहहह ऊहहहहह ऊममममम करती रह जाएगी,,,,,।

(उसकी भी बात सुनकर सभी लोग हंसने लगे और रानी भी हंसते हुए बोली,,,)

तू जिस तरह से आवाज निकल रही है ऐसा लग रहा है कि तुझे कुछ ज्यादा ही अनुभव है,,,।

तो इसमें कौन सी शर्म है आखिर बुर होती किस लिए है लंड लेने के लिए,,,, और मेरी बुर में भी लंड आता जाता रहता है इसमें कौन सी बड़ी बात है देखना है एक दिन तेरी बुर मे भी लंबा लंड घुसेगा,,,।

चल रहने दे,,,, इस तरह से बातों में ही शाम हो जाएगी जो भी करना है जल्दी करो और वैसे भी मैं एकदम किनारे पर ही नहाउंगी,,,, मुझे अच्छी तरह से तैरना नहीं आता,,,।




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ठीक है तो किनारे पर ही नहाना बस और वैसे भी हम लोग हैं चिंता मत करना,,,,(इतना कहते हुए जिसने अपने सारे कपड़े उतारकर नंगी हो गई थी वह धीरे-धीरे नदी में उतरने लगे और उसे देखकर बाकी की लड़कियां भी अपने कपड़े उतारने लगीऔर भला रानी कैसे पीछे रह सकती थी उन लोगों के साथ हो अभी अपने कपड़े उतारने लगी और देखते ही देखते बाकी की तीनों लड़कियां भी कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई,,,, एक साथ चार-चार नंगी जवानी नदी के किनारे हिलोरा मार रही थी लेकिन इस अद्भुत नजारे को देखने वाला इस समय वहां कोई भी नहीं था,,,, चारों ने अपने कपड़ों को नदी के किनारे की झाड़ियों के पास बड़े से पत्थर पर रख दी। और देखते ही देखते बाकी के तीन लड़कियां भी नदी के पानी में उतर गई,,,,।

चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल नदी के बहने की हल्की-हल्की आवाज आ रही थी और चारों के नदी में उतरने से नदी के पानी में भी एक अलग ही आवाज आ रही थी जो रह रहकर वातावरण में पहली खामोशी को शोर में बदल दे रही थी,,, इतनी प्रचंड गर्मी में भी नदी का पानी अंदर से बेहद शीतल था। जिसका एहसास उन लोगों को बहुत अच्छी तरह से हो रहा था,,,, अभी तक चारों लड़कियां नदी के किनारे पर ही थी कमर जितने पानी में वह चारों लड़की एक दूसरे पर हथेलियां में भर भर कर अपनी एक दूसरे पर फेंक रही थी और जलक्रीड़ा कर रही थी,,, ठंडा पानी बदन पर पडते ही उन लोगों को अच्छा लग रहा था,,,चारों लड़कियों जवानी से भरी हुई थी और लगभग चारों लड़कियां चुदाई का सुख भोग चुकी थी,,, इतना तो तय था लेकिन गांव में किसके साथ यह लोग रंगरेलियां मना चुकी हैं यह कोई नहीं जानता था। नदी में खेलने का आनंद चारों लड़कियां ले रही थी उन चारों की हालत चलन से चारों की अद्भुत गोलाई ली हुई चुचीया रबड़ के गेंद की तरह ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखकर वह चारों मस्त हो रही थी अगर इस नजारे को कोई मर्द देख लेता तो शायद उसका लंड उसी समय पानी फेंक देता,,,,।

लेकिन इस अद्भुत नजारे को देखने वाला इस समय वहां कोई नहीं था वैसे तो इस नजारे को कोई भी मर्द देखा तो शायद वहजीवन में पहली बारिश नजारे को देख रहा होता क्योंकि गांव में अक्सर नदी में औरतें नहाती तो है लेकिन अपने सारे कपड़े उतार कर एक साथ सारी औरतें नहाती हो ऐसा कभी नहीं होता,,,, लेकिन यहां पर गांव के चारों जवान लड़कियां एकदम नंगी होकर नहा रही थी चारों का बदन एकदम छरहरा था,,, लेकिन उन चारों में सबसे ज्यादा खूबसूरत रानी ही थी,,, इस बात को भीवह लड़कियां जानती थी इसीलिए उनमें से एक लड़की रानी की चूची हो पर जोर-जोर से अपनी अपनी हथेली में लेकर फेंकते हुए बोली,,,,।

आज तेरी चुची को टमाटर की तरह लाल कर दूंगी,,,,,,।
(और उसकी हरकत पर रानी जोर-जोर से हंसती थी और वह भी वही क्रिया उसके साथ दोहराती थी,,, लेकिन जब जब चूचियों पर पानी की बौछार पड़ती थी उसके बदन में सनसनी से दौड जाती थी,,,, रानी इस बात पर बहुत अच्छी तरह से गौर की थी बाकी तीनों की लड़कियों की चुचीयां तो थी आकर्षक लेकिन तीनों की चूचियां उससेआकार में थोड़ी सी बड़ी थी और हल्का सा उनमें झुकाव था नीचे की तरफ लेकिन उसकी चूची एकदम तनी हुई थी बेहद आकर्षक जरा सा भी लक उसमें नहीं था एकदम टनटनाई हुई थी,,, इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। वैसे भी हर एक लड़की कायही सबसे बड़ा सुख होता है कि वह बाकी की उनकी सहेलियों में सबसे खूबसूरत और हसीन दिखाई दे और इस समय रानी उसकी सहेलियों में सबसे ज्यादा हसीन और खूबसूरत थी,,,, रानी भी जोर-जोर से सहेलियों पर पानी मारते हुए बोली,,,,)

मैं भी तुम लोगों की चूची को लाल-लाल कर दूंगी,,,, देखना आज किसी को नहीं छोडूंगी,,,,।(ऐसा कहते हुए रानी और उसकी सहेलियां आपस में जलक्रीड़ा कर रही थी,,, उन्हें बहुत मजा आ रहा था तभी उनमें से एक सहेली बोली,,,)

देखना तुम लोग रानी की जो भी लेगा वह बहुत खुशकिस्मत वाला होगा,,,,।

(यह सुनकर दूसरी लड़की बोली)

सही कह रही है तू रानी जैसी खूबसूरत लड़की की चुदाई करना वाकई में किस्मत वाली बात है,,,, न जाने किसके लंड का नाम लिखा है इसकी बुर पर ,,, जिसका भी घुसेगा वह पूरी तरह से मत हो जाएगा,,,,,।

(उन लोगों की बातें सुनकर रानी मन ही मन में बहुत खुश हो रही थी क्योंकि वह लोग एक तरह से उसकी तारीफ ही कर रहे थे और रानी को भी दूसरी लड़कियों की तरह अपनी खूबसूरती और जवानी की तारीफ सुनना पसंद था,,,, उसे यह सब अच्छा लग रहा था लेकिन उन लड़कीयों को यह नहीं मालूम था कि उसकी बुर की गहराई खुद उसके भाई का लंड नाप चुका है। उसकी बुर पर सुनहरे अक्षरों से उसके भाई के लंड का नाम लिखा था,,,,, लेकिन रानी यह सब राज ही रखना चाहती थी और यह कोई बताने वाली बात भी नहीं थी इसलिए उन लोगों की बात सुनकर वह बोली,,,)

क्यों मेरे में हीरे मोती जड़ें हैं क्या,,,?

हां हीरे मोती ही जड़े हैं तभी तो कह रही हूं कि जो भी तेरा लगा वह बहुत ही ज्यादा खुश किस्मत वाला होगा तभी वह तेरी ले पाएगा,,,, और जो भी लेगा उसे बहुत मजा आएगा,,,,(उसकी बात सुनकर उसकी दूसरी सहेली बोली,,,)

मजा तो इससे भी बहुत आएगा सिर्फ वही मजा थोड़ी लेगा,,,,,।


चल रहने दे इन सब ने मुझे मजा नहीं आता,,,(रानी इतराते हुए बोली,,,)

अच्छादेखना जब एक बार लंड तेरी बुर में घुसेगा ना तो तू खुद ही लंड पर उछल उछल कर चुदवाएगी इतना मजा आता है,,,,,।

( उसकी बात सुनकर रानी मां ही मन में बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसकी बात में सच्चाई थी ऐसा सच में होता है जब एक बार लंड बुर में घुसता है तो दोबारा वही बुर लंड लेने के लिए तड़प उठती है उसका भी यही हाल था,,, एक बार अपनी भाई से चुदवाने के बाद बार-बार उसकी इच्छा चुदवाने की होती थी और वह रोज रात को अपने भाई से मजा ले रही थी फिर भी उसकी बात सुनकर वह बोली,,,)

मुझे इन सब में बिल्कुल भी मजा नहीं आता है इसलिए सोचना भी मत कि मैं कभी ऐसी वैसी हरकत करूंगी,,,,।

अपने पति के साथ भी नहीं,,,(उसकी बात सुनकर दूसरी लड़की एकदम तपाक से बोली)

पति के साथ भी नहीं बिल्कुल भी नहीं,,,,।

चल रहने दे कभी ऐसा सोचना भी नहीं तेरा कितना भी मन नहीं होगा वह तेरे ऊपर चढ़ बैठेगा और वैसे भी इतनी खूबसूरत लड़की को कोई छोड़ता है भला,,,, देखना तु ना ना कहती रह जाएगी और वो तेरी टांग फैला कर ले लेगा।

(उसकी बात सुनकर बाकी लड़कियों के साथ रानी भी हंसने लगी,,,,,,रानी किनारे पर ही कमर जितने पानी में नहाने का मजा लूट रहे थे लेकिन धीरे-धीरे तीनों लड़कियां तैरते हुए बीच में जाने लगी,,,, कमर तक पानी में खड़े होने की वजह से रानी का कमर के ऊपर का नंगा बदन पूरी तरह से झलक रहा था लेकिन बाकी तीन लड़कियां नदी के बीच में चली गई थी जिसकी वजह से उनका सिर्फचेहरा ही दिखाई दे रहा था बाकी का वजन पानी में डूबा हुआ था और वह लोग देर कर मजा ले रहे थे रानी का भी मन बीच में जाने को कर रहा था लेकिन वह जानती थी की नदी के बीच में पानी का बहाव थोड़ा तेज होता है और वह अभी तक नदी के बीच में तैरने का अनुभव नहीं ली थी,,,, रानी किनारे पर ही बैठ बैठ कर पानी में डुबकी लगा रही थी तभी उसकी सहेली जो नदी के बीच में तैर रही थी उसे आवाज लगाते हुए बोली,,,,)

रानी यहां का पानी बहुत ठंडा है बहुत मजा आ रहा है नहाने में तु भी धीरे-धीरे आजा,,,,,।

लेकिन मुझे डर लगता है कहीं कुछ हो गया तो,,,,


अरे कुछ भी नहीं होगा तू आ तो सही हम लोग है ना,,,जहां पर तू नहा रही है वहां का पानी खास ठंडा नहीं है लेकिन यहां का पानी तो बहुत ठंडा है बहुत मजा आ रहा है नहाने में,,,,।

हां यह सच कह रही है यहां ज्यादा मजा आ रहा है,,,, तू भी आजा,,,,(यह भी उसके सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,,,उन लोगों की बातें सुनकर रानी का मन नदी के बीचोंबीच जाने को कर रहा था,,,वह भी धीरे-धीरे पानी के अंदर आगे बढ़ने लगी जैसे-जैसे वह कदम आगे बढ़ा रही थी वाकई में वहां का पानी कुछ ज्यादा ही ठंड महसूस हो रहा था जिससे उसके बदन में सनसनी सी दौड़ जा रही थी उसे अच्छा लग रहा था,,, इसलिए वह धीरे-धीरे तैरते हुए आगे बढ़ने लगी,,, लेकिन इसी बीच एक बड़े से पत्थर पर उसका पैर पड़ा और चिकनाहट पाकर उसका पैर एकदम से फिसल गया और वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पानी में गिर गई लेकिन जिस जगह पर वह फिसल करके वह गीरी थी वहां पर नीचे से पानी का बहाव थोड़ा ज्यादा था,,,वह अपने आप को संभालने की बहुत कोशिश की लेकिन वह अपने आप को संभाल नहीं पाई थोड़ा बहुत तैर कर वह अपनी जगह पर आने की कोशिश कर रही थी लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था,,,,, उसकी तीनों सहेलियां उसे ही देख रही थी कुछ देर के लिए उन्हें लगा कि शायद रानी तैर रही है,,,, लेकिन जैसे ही रानीका पूरा सर पानी में डूबा और वह तुरंत ऊपर की तरफ निकालने की कोशिश कीउन तीनों को समझ में आ गया कि मामला क्या है और तीनों उसकी तरफ आगे लपकने लगे,,,, लेकिन पानी का बहाव इतना ज्यादा था कि रानी अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और पानी के बहाव में आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,।



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मामला गंभीर होता चला जा रहा था। जिसका एहसास रानी की सहेलियों को हो चुका था,,, उन तीनों को एहसास हो गया था कि वह तीनों अब उसे नहीं बचा सकते क्योंकि बहते हुए पानी में देर कर उसे बचा कर लाना उसे संभाल पाना अब उनके बस का नहीं था,,,, इसलिए वह तीनों एक साथ मदद की गुहार लगाते हुए चिल्लाने लगे।

बचाओ,,,,, बचाओ,,,,,, रानी,,, डूब रही है कोई बचाओ,,,,,(ऐसा कहते हुए वह तीनों की प्रयास कर रहे थे लेकिन प्रयास असफल था,,,,, वह तीनों लगातार बचाओ बचाओ करके चिल्ला रही थी,,,,,, तभी नदी के उसे पर से गुजर रहे तीन घुड़सवार के कानों में बचाओ बचाओ की आवाज सुनाई दी,,, तो वह तीनों रुक गए उनमें से एक बोला,,,)

तुम लोगों को आवाज सुनाई दे रही है,,,।

हां कोई मदद के लिए पुकार रहा है,,,,,।


लेकिन आवाज आ कहां से रही है,,,,, चलो थोड़ा ऊपर चलकर देखते हैं,,,,(इतना कहकर हुआ खुद सवार थोड़ी सी ऊंची टेकरी थी वहां परघोड़ा लेकर चढ़ गया और वहां से देखने लगा तभी उसकी नजर नदी में बह रही रानी पर पड़ी और उनसे दूर तीन लड़कियों पर पड़ी जो मदद के लिए चिल्ला रही थीइतना देखते ही वह बिना कुछ सोचे समझे घोड़े पर से नीचे कूद गया और दौड़ते हुए तुरंत नदी में छलांग लगा दिया,,,,और तैरते हुए रानी के करीब जाने लगा रानी बार-बार डुबकी लगा ले रही थी उसके मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही थी वह पानी पी ले रही थी वह एकदम नहीं रही नजर आ रही थी लेकिन फिर भी अपनी जिंदगी को बचाने के लिए लड़ रही थी और वह घुड़सवार नौजवान पूरी ताकत के साथ तैरता हुआ रानी के करीब पहुंच गया था और उसे तुरंत सहारा देकर अपने कंधे परसंभाल लिया था यह देखकर बाकी की तीनों लड़कियां एकदम से नदी के बाहर निकलने लगी क्योंकि वह तीनों बिना कपड़ों की निर्वस्त्र नहा रही थी,,,, रानीको बचाने के चक्कर में हुआ तीनों यह भी भूल गई थी कि वह बिना कपड़ों की नंगी होकर नहा रही थी और कोई अगर बचाने के लिए आ गया तो उन तीनों को भी नंगी नहाते हुए देख लेगा उनके नंगे जिस्म को देख लेगा और जैसेउन्हें लगा की रानी अब खतरे से बाहर है वह तीनों तुरंत नदी के बाहर आकर अपनी-अपने कपड़े पहने लगी थी।

वह नौजवान घुड़सवार जो रानी को बचाकर किनारे की तरफ ला रहा था उसने तो वह तीनों को नहीं देखा था कि वह तीनों निर्वस्त्र होकर नहा रही थी लेकिन जैसे ही वह तीनोंनदी से बाहर निकलने लगे नदी के दूसरी तरफ पर खड़े घुड़सवार के दोस्त उन दोनों की नजर तीन लड़कियों पर पड़ी जो एकदम नंगीनदी से बाहर निकल रही थी उन्हें देखकर उन दोनों की आंखों में चमक आ गई और दोनों आपस में ही मुस्कुराते हुए बोले,,,।

देख रहा है कितनी जवानी चढ़ी हुई है,,, साली तीनों नंगी ही नहा रही है,,,,।

तीनों नहीं चारों वह देख कुंवर जी से कंधे पर उठाकर बचा कर ले जा रहा है वह भी नंगी ही नहा रही थी,,,,

हां यार साली चारों की बुर में आग लगी हुई है काश हम दोनों भी वहां होते तो मजा आ जाता,,,उफ्फ,,,, चारों की नंगी चूचियां देख कर मजा ही आ जाता,,,।

साले तू चूचियों की बात कर रहा है उन चारों की गांड देख बुर देख,,,,मेरा तो देख कर ही खड़ा हो गया है अगर मैं वहां होता तो सच में चारों में से एक की बुर तो ले ही लेता,,,,।

हां सच कह रहा है तू मौका भी बहुत अच्छा था उन चारों को बोलने की हमें करने दो वरना तुम्हारे घर वालों को बोल देंगे कि तुम चारों नंगी होकर नहा रही थी किसी दूसरे लड़कों के साथ और इन सब में यह हादसा हो गया,,,, अपनी इज्जत बचाने के लिएहम लोगों का झूठ नहीं मानना ही पड़ता और हमारी बात मानकर हमें वह लोग अपनी बुर दे देती,,,।

हां यार बात तो सही कह रहा है हमें तो वहां चलना चाहिए,,,।

रहने दे अब कोई फायदा नहीं है,,,, कुंवर वह लड़की को नदी के बाहरले गया है और उसके होते हुए हम लोग कुछ भी करने की सोच भी नहीं सकते जानता हैं ना तु,,,,।

हां यार से सच कह रहा है यह कुंवर भी न जाने कौन सी मिट्टी का बना है,,,,इतनी खूबसूरत लड़की को कंधे पर उठाकर बचा कर ले जाना है लेकिन ऐसा नहीं कि इस मौके का फायदा उठाते हुए उसकी चूची दबा दे उसकी गान्ड सहला दे उसकी बुर में उंगली ही डाल दे,,,,।

सच कह रहा है तू कुंवर की जगह मैं होता तो जरूर ऐसा करता,,,,,।


(वह घुड़सवार जिसने रानी की जान बचाई थी उसका नाम कुंवर था और वह रानी को बड़े से पत्थर पर लिटा दिया था,,,, अभी तकउसे घुड़सवार को यह नहीं मालूम था कि जिसकी वह जान बचा रहा है वह बिना कपड़ों के नंगी होकर नहा रही थी और डूब रही थी,,, पत्थर पर लेटाने के बादउसने जब देखा तो उसे पता चला कि जिसे वह बचाकर ला रहा है वह तो नंगी है बिना कपड़ों की उसके खूबसूरती को देखकर वह एकदम से मदहोश होने लगा वह पल भर के लिए यह भी भूल गया कि वह क्या कर रहा है वह उसे देखा ही रह गया बाकी की तीनों लड़कियां अपने कपड़े पहनेकर रानी के करीब आ चुकी थी लेकिन उसकी नग्नता और एक नौजवान लड़के को देखकर तीनों की आंखों में शर्म का एहसास हो रहा था और वह तीनों आपस में बात करते हुए मुस्कुरा रहे थे और शर्मा भी रही थी,,,,, वह घुड़सवार तो रानी को देखता ही रह गया था उसकी जवानी,,,, रानी के खूबसूरत अंग उसकी संतरे जैसी चूचियां यह सब देखकर तो वह पागल हो गया,,,,।

और जैसे ही उसकी नजर उसकी कमर के नीचे वाले भाग पर पड़ी तो वहां का नजारा देखकर तो वह मदहोश होने लगा उसकी आंखों के सामने औरत का वह अंगउजागर हो गया था जिसके बारे में वह सिर्फ सोच करता था जिसे अपनी आंख से देखा नहीं था लेकिन आज उसे अंग को देखकर वह पागल हुआ जा रहा था आज उसे औरत की बुर देखने को मिल गई थी,,,, उसे देखने की खुशी मदहोशी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी वहफटी आंखों से रानी की ब** को देख रहा था इसके बारे में कभी कल्पना करके वह कभी-कभार मस्त हो जाता था,,, लेकिन आज तक कभी भी किसी भी लड़की या औरत के साथ उसने अश्लील हरकत नहीं किया था वह औरतों से शर्माता बहुत था इसीलिए तो आज रानी की बुर को देखकर उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी उसके चेहरे का रंग उड़ता चला जा रहा था।वह इस कदर पागल होकर रानी की बुर को देख रहा था कि उसे इस बात का अहसास तक नहीं हो रहा था कि उसके इर्द गिर्द उस लड़की की तीनों सहेलियां खड़ी थी जो उसे भी देख रही थी,,,। रानी के तीनों सहेलियां भी उसे घुड़सवार को देख रही थी और उन्हें अच्छी तरह सेएहसास हो रहा था कि वह घुड़सवार रानी के कौन से अंग को देख रहा था इसीलिए रानी की तीनों सहेलियां आपस में मुस्कुरा कर बातें कर रही थीलेकिन तभी जब रानी को बिल्कुल भी होश नहीं आ रहा था वह इस तरह से पत्थर पर पड़ी हुई थी तो उनमें से एक लड़की बोली,,,।



रानी को क्या हुआ रानी तो हिल डुल नहीं रही है,,,, कहीं कुछ हो तो नहीं गया,,,।
(उस लड़की की बात सुनकर घुड़सवार को जैसे होश आया हूंफिर वह रानी की हालत पर गौर करने लगा वरना उसकी जवानी से उसकी आंखें भी चकाचौंध होने लगी थी,,, वैसे तो वह दूसरे लड़कों की तरह आवारा बिल्कुल भी नहीं था वह बेहद खानदानी और इज्जतदारलड़का था जो लड़कियों की तरफ नजर उठा कर देखा भी नहीं था लेकिन आज हालात कुछ और बन गए थे इसलिए वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था लेकिन उस लड़की की बात सुनकर वह एकदम से होश में आ गया था,,, उसकी नंगी चूचियों को देखकर वह उन लड़कियों से बोला,,,)

लगता है तुम्हारी सहेली पानी पी गई है पानी निकालना पड़ेगा लेकिन इससे पहले इनकी छातियों को दुपट्टे से
ढक दो,,,,
(उसकी बात सुनते ही उनमें से एक लड़की तुरंत एक दुपट्टा लेकर आई और उसके कहे अनुसार उसकी छातियों को ढक दी लेकिन अभी भी उसकी टांगों के बीच की पतली दरार पूरी तरह से उजागर थी,,, बार-बार उस घुड़सवार की नजर उसकी बुर पर चली जा रही थी। लेकिन इस समय उसकी जान बचाना ज्यादा जरूरी था इसलिए वह रानी की टांगों के बीच से अपनी नजर को हटा लिया,,, उन लड़कियों को बोला,,,)

मेरी मदद करो इसे पेट के बल लिटाने में,,,(ऐसा कहते हुए वह रानी के कंधों को पकड़ लिया और उसकी बात सुनते ही वह सारी लड़की अपनी तरफ से पूरी मदद करने लगी और देखते ही देखते वह उसे पलट दी पेट के बल लेकिन पेट के बल पलटते ही एक बार फिर से उसे घुड़सवार की आंखें फटी की फटी रह गई रानी के उन्नत उभारदार नितंबों को देखकर उसकी हालत एकदम से खराब होने लगी वाकई में असली खूबसूरती तो पिछवाड़े में ही थी जिसे वह घुड़सवार देखता ही रह गया,,,, उस घुड़सवार की हालत को वह तीनों लड़कियां भी अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि खूबसूरत लड़कियों की गोरी गोरी बड़ी-बड़ी उभरी हुई गांड देखकर मर्दों की क्या हालत होती है वही हालत इस समय घुड़सवार की हो रही थीलेकिन फिर से हुआ है बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों पर से अपनी नजर हटाकर वह नंगी चिकनी पीठ पर अपनी दोनों हथेलियां रख दिया और उसका दबाव बनाकर हल्के हल्के दबाने लगा,,, उसके ऐसा करने पर रानी के मुंह में से पानी निकलने लगा जितना वह डूबते समय पी गई थी धीरे-धीरे करके वह दबाते हुए जितना पानी था सब निकाल दिया और फिर उसे होश आने लगा कब जाकर वह घुड़सवार और उसकी तीनों सहेलियां राहत की सांस ली,,,।



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लेकिन रानी को जैसे ही हो सर वह अपने सामने तीनों लड़कियां और एक अनजान जवान लड़की को देखकर एकदम से हैरान हो गई वह उठकर बैठ गई लेकिन उसे अपनी स्थिति का भान बिल्कुल भी नहीं थालेकिन जैसे ही उसे एहसास हुआ कि वह संपूर्ण रूप से नंगी एक अंजाम लड़के के सामने बैठी है तो एकदम से घबरा गई और पास में ही पड़े दुपट्टे से अपने बदन को ढकने की कोशिश करने लगी उसकी हालत को देखकर वह घुड़सवार उसे समझाते हुए बोला,,,।


आराम से,, कोई दिक्कत नहीं है अब तुम खतरे से बाहर हो,,,,,।
(उसकी बात सुनकर रानी अपनी नंगी जवान को उसे दुपट्टे में छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए अपने तीनों सहेलियों की तरफ देख रही थी तो वह तीनों एक साथ बोल पड़ी,,,)

तुम पानी में डूब रही थी वह तो भला हो इनका जो बिना सोचे समझे नदी में कूद गए और तुम्हें बचाकर किनारे पर ले आए,,,,।

(बेहोशी की हालत में रानी सब कुछ भूल चुकी थी लेकिन अपनी सहेली के बताने पर उसे याद आने लगा और वह उस घुड़सवार की तरफ देखने लगी तो वह घुड़सवार नम्रता दीखाते हुए बोला,,,)


मेरा नाम कुंवर है और मैं पास ही के गांव के जमीदार राजा साहब का साला हूं,,,,, वह तो गनीमत था की हम लोग यहां से गुजर रहे थे वरना आज अनर्थ हो जाता,,,।

आपका बहुत-बहुत शुक्रिया अब मैं क्या कहूं मेरे पास तो कहने के लिए शब्द भी नहीं है,,, सच में अगर आज अाप ना होते तो शायद मैं इस दुनिया में ना होती,,,


जब तक मैं जिंदा हूं तब तक तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा,,,,,(उसका इतना कहना था की रानी उसे देखते ही रहेगी और उसकी सहेलियां भी उसे देखते रह गई थी और वह मुस्कुराता हुआ आगे बड़ा और नदी में छलांग लगा दिया,,,,, और तैरते हुए दूसरी और निकल गया जहां पर उसके दो साथी खड़े थे रानी उस घुड़सवार को देखते ही रह गई,,,, उसकी सहेलियां भी मजा लेते हुए बोली,,,)

देखा रानी तेरे दिल का राजा मिल गया है और क्या बोल कर गया तूने सुना ना कि जब तक वह जिंदा है तुझे कुछ होने नहीं देगा,,,।

सच में उसे रानी से प्यार हो गया देखी नहीं इसके नंगे बदन को कैसे प्यासी नजरों से देख रहा था,,,(दूसरी लड़की भी उसके सुर में सुर मिलाते हुए बोली तो,,, और तभी तीसरी वाली बोल पड़ी,,,)

उसकी चूची और बुर को तो वह पागल की तरह दुख रहा था ऐसा लग रहा था कि आज से पहले उसने कभी यह सब देखा ही ना हो,,,,।


सच कह रही है तू जब इसको पेट के बल लेटाया तो देखी नहीं इसकी गांड देखकर तो वह पागल ही हो गया था,,,, सच कह रही हूं अगर हम लोग ना होते तो इसकी चुदाई जरूर कर दिया होता।


मुझे तो लगता है कि उसका लंड जरूर खड़ा हो गया होगा उसकी नंगी जवान देखकर।

कुछ भी हो था बहुत सुंदर और अच्छे घराने का भी है राजा साहब का साला है,,,,।

हां देखी नहीं घोड़े पर बैठ कर आया था,,,।

(वह तीनों क्या-क्या बोल रही थी रानी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था रानी अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी वाकई में कुंवर उसे बहुत अच्छा लगा था बिल्कुल उसके सपनों का राजकुमार की तरह,,,, फिर वह अपने आप को व्यवस्थित करते हुए धीरे से उठी और,,, बोली,,)

मैं पहले ही बोली थी कि मैं बीच में तैर नहीं पाती फिर भी तुम लोग की जीत के कारण बीच में जाना पड़ा,,,(इतना कहते हुए वह अपने कपड़े पहनने लगी और उसकी यह बात सुनकर उसकी सहेली बोली,,,)

जो हुआ अच्छा ही हुआ अगर तू बीच में नहीं जाती तो डुबती नहीं,,,, और अगर डूबती नहीं तो तेरे सपनों का राजकुमार कैसे मिलता,,,,

धत् रहने दो बकवास करने को चलो घर देर हो रही है,,,,।

(और इतना कहकर वह लोग गांव की तरफ चल दिए,,)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है रानी को बचाने वाला कुंवर था जिसने रानी को नंगी देख लिया और उसका दीवाना हो गया
 
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