Sanju@
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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट हैजेठ का महीना ऊपर से कडकती धुप,,, ऐसे में गांव वाले अपने-अपने घर में ही रहकर आराम करते थे अगर जो खेतों में चले जाते थे तो खेत में ही बनी झोपड़ी के अंदर पेड़ के नीचे आराम कर लेते थे क्योंकि अगर किसी को गर्मी लग जाए तो मुश्किल हो जाता है तबीयत खराब हो जाती है इसलिए गांव वाले अपने बचाव के लिए इतनी कड़कती धूप में कभी भी अपने घर से बाहर निकलते,,, और ऐसे ही गर्मी के महीने में खेत में काम करने की थकान से थक कर गहरी नींद में सो चुकी सुनैना और उसका बेटा एक अलग ही कार्य में लगे हुए थे।
अपनी मां की गहरी नींद में होने का पूरा फायदा उठाते हुए सूरजधीरे-धीरे करके अपनी मां की साड़ी को उसकी कमर तक उठा दिया था हालांकि ऐसा करने में उसे काफी समय और मस्सकत झेलनी पड़ी थी लेकिन फिर भी,,, जो कार्य उसे करना था वह करके ही दम लिया था,,,लेकिन इसमें भी उसकी मां का पूरा सहकार था वरना वह ऊपर से साड़ी को कमर तक तो उठा सकता था लेकिन मोटी-मोटी जांघों के नीचे फंसी साड़ी को वह ऊपर तक नहीं उठा सकता था,,, इसलिएअपने बेटे की हरकत का आनंद लेते हुए और यह देखने के लिए कि इससे आगे उसका बेटा क्या करता है इसीलिए वह अपने बेटे का सहकार कर रही थी और अपने वजन को खटिया पर हल्का छोड़ दी थी ताकि आराम से साड़ी ऊपर की तरफ जा सके और उसका यह सहकार रंग लाया था,,, अब उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर के तक उठी हुई थी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इस बात का एहसास उसे पूरी तरह से गनगना दे रहा था। सुनैना अपने बेटे के सामने इस अवस्था में कभी नहीं आना चाहती थीक्योंकि वह बेहद संस्कारी और मर्यादा से औरत थी लेकिन उसके बेटे की हरकत में ही उसके मन को बदल कर रख दिया था और आलम यह था कि आज अपने बेटे के सामने अपनी नंगी गांड बिछाए वह मदहोश हुए जा रही थी। ऐसे तो अपने बेटे के सामने सब स्थान मेंहोना उसके लिए कोई बहुत बड़ी मजबूरी नहीं थी लेकिन बदन की जरूरत भी एक सबसे ज्यादा बड़ी मजबूरी हो जाती है एक औरत के लिए अपने चरित्र को अभी तक संभाल कर रखने वालीसुनैना अपने बेटे की हरकत से इतना अत्यधिक गर्म हो चुकी थी कि उसकीहर एक हरकत का आनंद लेते हुए वह उसके हाथों की कठपुतली बनने को तैयार हो चुकी थी।
एक मां होने की नाते वह अपनी भावनाओं पर एक हद तक काबू कर पाई थी लेकिन अपने बेटे की हरकत से वह बेकाबू हुई जा रही थी,,, बरसों बाद वह अपनेवह अपने नितंबों पर एक मोटे तगड़े लंबे लंड की रगड़ को महसूस की थी और यह रगड़ उसे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था बेकाबू कर दिया थाऔर बरसों से अपने चरित्र को जिस तरह से वह संजो के रखी हुई थी उसे तार-तार करने के लिए कुछ हद तक वह भी तैयार हो चुकी थी,,,,अपनी चिकनी कमर पर अपने बेटे की हथेली को महसूस करके वह पानी पानी हो गई थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक औरत की बुर अत्यधिक पानी कब छोड़ती है और क्यों छोड़ती है,,, इसीलिए तो वह अपने बेटे की हरकत से मद-मस्त होकर उसकी हरकतों का आनंद लेते हुए उसे आगे बढ़ने का मौका दे रही थी और उसका बेटा भी अपनी मां की जवानी की आग में कदर पागल हो गया की मां बेटे के रिश्ते को खोलकर वह अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी नंगी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा था।
सूरज का दिन बड़े जोरों से धड़क रहा था ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की गांड को पहली बार देख रहा था उसकी नंगी गांड के पहली बार दर्शन कर रहा था वह आज से पहले भी बहुत बार अपनी मां को नग्न अवस्था में देख चुका था यहां तक की अपने पिताजी के साथ चुदवाते हुए भी देख चुका था लेकिन फिर भी हर एक बार एक नयापन उसे महसूस होता था और आज भी यही नयापन उसे मदहोशी से भर दे रहा था,,,, आज का दिन उसके लिए बेहद खास और भाग्यशाली नजर आ रहा थाक्योंकि उसकी जानकारी में आज पहली बार हुआ अपनी मां के साथ एक ही खटिया पर लेटा हुआ था और उसकी मां पूरी तरह से बेसुध होकर सो रही थी इतना बेसुध कीउसने अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी मां को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी ऐसा उसका मानना था जबकि यह वह नहीं जानता था कि उसकी मां जाग चुकी थी और उसकी हरकतों का मजा ले रही थी,,,। अब तकसूरज की जिंदगी में जितनी भी औरतें आई थी वह एक से बढ़कर एक थी लेकिन उसकी मां की बात ही कुछ और थी इस बात को सूरज अच्छी तरह से जानता था इसीलिए तो मदहोशी के परम शिखर पर पहुंच चुका था,,,।
दूर-दूर से अपनी मां के नंगे बदन के दर्शनकर चुका है सूरज आज पहली बार उसके बेहद करीब था उसकी नंगी गांड की बेहद गरीब का उसकी हालत इस कदर खराब थी कि वह पजामे के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, इस तरह की हरकत उसकी सांसों की गति को और ज्यादा तेज कर दे रही थी उसके लंड की नसों में रक्त का प्रभाव इतना अत्यधिक हो रहा था कि कभी-कभी उसे लगने लगता था कि कहीं उसके लंड की नस फट न जाए,,,,,इस बात का डर भी उसे अपनी मां को इस अवस्था में देखने से नहीं रोक पा रहा था जबकि उसके लंड की हालत अपनी मां को ही समझता में देखने की बातें ही हुआ था पूरी तरह से टनटनाया हुआसूरज का लंड किसी लोहे के रोड की तरह लग रहा था जिसे इस समय बिल्कुल भी मोडा नहीं जा सकता था,,,, उसमें जरा भी ढीलापन नहीं था अगर वह अपने मन में ठान लें तो शायद साड़ी सहित भी वह अपनी मां की बुर में अपने लैंड का प्रवेश करा सकता था। सूरज प्यासी नजरों से अपनी मां की नंगी गांड को देखते हुए अपने मन में ढेर सारी कल्पनाओं को जन्म दे रहा था उसके चेहरे पर उत्तेजना का असर एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,, उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था आंखों में वासना के डोरे दिखाई दे रहे थे,,,, हवस से उसका चेहरा पूरा भरा हुआ था,,,,।
हवस और वासना इसलिए कीखटिया पर उसके साथ में लेटी हुई औरत कोई गैर औरत नहीं थी वह उसकी खुद की मां थी इसके बारे में गलत सोचना भी बात थाअगर उसकी जगह कोई और औरत होती तो शायद इस वासना और हवस का नाम देना उचित इतना होता क्योंकि एक गैर औरत एक जवान लड़के के साथ एक ही खटिया पर तभी सोती है जब उसकी सहमति होती है और जब वह भी उसे जवान लड़के से कुछ चाहती हो अपने बदन की प्यास बुझानी चाहती हो,,, लेकिन यहां पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था यहां पर सूरज की आंखों में हवस साफ दिखाई दे रही थी,,और वह भी किसी दूसरी औरत के लिए नहीं अपनी मां के लिए,,,बार-बार सूरज अपनी मां की गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर पजामी के ऊपर से अपने लंड को जोर से दबा दे रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था उसका मन तो इसी क्रिया कोअपनी मां की बुर में करने को तड़प रहा था लेकिन वह जानता था कि ऐसा करना उचित नहीं है कहीं उसकी मां की नींद खुल गई तो गजब हो जाएगा इस अवस्था में उसे देखकर वह पूरी तरह से भड़क जाएगी,,,सूरज का ऐसा मानना था जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी मां को सब पता था और अगर इस समय सूरज हिम्मत दिखाकर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डालने की कोशिश करता है तो शायद उसकी मां उसका सहकार देते हुए अपनी टांगें खोल देती।
क्योंकि वासना और जवानी की आग में केवलसूरज ही नहीं जल रहा था उसकी मां भी पूरी तरह से तप रही थी6 7 महीने से अपने पति से अलग रहने के बाद उसके बदन की प्यास उफान पर थी। वह अपने आप को बिल्कुल भी समझा नहीं पा रही थी कि उसे करना क्या है,,, अपने पति की याद मेंरात भर वह बिस्तर पर करवट बदलती रह जाती थी और अपने हाथ से अपनी जवानी की प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती रहती थी क्योंकि वह जितनी भी अपने बदन की प्यास बुझाने की कोशिश करती थी वह प्यास और भी ज्यादा भड़क जाती थी,,, और इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उसकी जवानीबेलगाम होती जा रही है उसकी खुद की उंगली से कुछ होने वाला नहीं है वह जानती थी कि उसे एक मोटे तगड़े लंबे लंड की जरूरत है जो उसकी बुर में घुसकर तबाही मचा सके उसकी जवानी की आग को बचा सके,,,, पर जाने में उसे एहसास होता था कि ऐसा जवां मर्द है तो केवल उसका बेटा ही है जो उसे अपनी बाहों में दबोच कर उसे रगड़ रगड़ कर चोद सकता है,,,, और जब जब उसके मन में यह ख्याल आता था तब तब उसकी बर पानी छोड़ देती थी। किसी से उसे अंदाजा लग गया था कि जब भी अगर ऐसा मौका आएगा तो उसे उसका बेटा बेहदमजा देगा उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा लेकिन एक तरफ इस तरह का एहसास उसके तन-बदन को मधुर रस से भिगो देता तो दूसरी तरफ इस तरह के ख्याल से थोड़ा घबरा जाती थी क्योंकि वह जानती थी कि वह किसके बारे में इस तरह की गंदी बातें सोच रही थी अपनी बेटी के बारे में इस तरह की गंदी बातें सोचना एक मां के लिए बहुत बड़ा पाप होता है लेकिन इस समय वह मजबूर हो चुकी थी अपने बदन की प्यास के खातिर वह पूरी तरह से बहक चुकी थी।
सूरज अपनी मां के बगल मेंखटिया पर लेटा हुआ था उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ थाऔर उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड थी जिसकी गहरी फांक में वह कुदकर डूब जाना चाहता था,,, सूरज को लग रहा था कि जैसे खटिया में उसकेपास आसमान का चांद उतर आया हो,, उसकी मां की नंगी गांड एकदम चांद की तरह दिखाई दे रही थी जो कि एकदम चमक कर अपनी आभा बिखेर रही थी,, सूरज इस चांद को अपनी हथेली में लेकर तबोच लेना चाहता था उसे सारी दुनिया की नजरों से बचाकर अपनी मुट्ठी में कैद कर लेना चाहता था ताकि इस पर केवल उसका ही हक हो किसी और का हक बिल्कुल भी ना हो और ना तो कोई उसे आंख उठा कर देख सके एक तरह से हुआअपनी मां की जवानी को अपनी आगोश में लेकर पूरी दुनिया से बचा लेना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का भी डर था कि कहीं उसकी मां अपनी प्यास बुझाने के लिए किसी गैर मर्द का सहारा ना ले ले,,,।
अपनी मां कीबेस कीमती खजाने की तरफ वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर धीरे से अपनी हथेली को उसे मखमली अंग पर रख दिया जो कि बाहर से शांत देखने वाली शीतल दीखने वाली उसकी बड़ी-बड़ी गांड अंदर से दहक रही थी सुलग रही थी सूरज अच्छी तरह से जानता था कि वह इतना क्यों समझ रही है उसे मालूम था कि ऐसी ताकती हुई गांड पर लंड की पिचकारी करने पर वह शांत हो जाती है ठंडी पड़ जाती है,,,, और सूरज वही इलाज करना चाहता थाधीरे-धीरे सूरज अपनी मां की नंगी गांड पर अपनी हथेली रखकर सहला रहा था उसे ऊपर से नीचे तक घूम रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था अपनी मांकी गांड को अपनी हथेली से सहलाने में उसे इतना आनंद आ रहा था कि पूछो मत वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था।अपनी मां की गांड की गरमाहट को अपनी हथेली में महसूस कर रहा था लेकिन वह गर्मी हथेली से होते हुए सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार पर उसकी तपन साफ महसूस हो रही थी। कुछ देर तक सूरज इसी तरह से अपनी मां की गांड को सहलाता रहा।लेकिन इस दौरान भी उसे अच्छी तरह से महसूस हो रहा था कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हुई थी उसकी मां की आंख नहीं खुली थी,,।
जबकि ईस बात का उसे अंदाजा तक नहीं था कि उसकी मां जाग चुकी है और उसकी हरकतों का आनंद ले रही है,,,, जब काफी देर तक सूरज को अपनी मां के बदन में जरा भी हलचल महसूस नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,, लेकिन धीरे-धीरे समय गुजर रहा थाजो भी करना था उसे जल्दी करना था क्योंकि वह जानता था कि उसे किस तरह से आनंद मिलने वाला है,,,, वह अपनी मां की गांड सहलाता हुआ आगे की योजना बना रहा था,,,वह जानता था कि जो काम वह अब करने जा रहा है वह काफी हिम्मत का काम था धीरे का काम था जिसमें उसके पसीने छूटने वाले थे,,, अगर कहीं उसकी मां की आंख खुल गई तो गजब हो जाने वाला था इसतरह के खतरे को अच्छी तरह से जानता था लेकिन इन खतरों को भेज कर आगे जो सुख था उसे सुख की लालच में वह इस तरह के खतरे लेने के लिए तैयार हो चुका था। इसलिए वह अपनी योजना को अमल में लाने के लिए अपने दिल की धड़कन पर काबू करके गहरी सांस लिया और धीरे से वह थोड़ा सा आगे अपनी मां की तरफ सरक गया,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,,,एक बार वह इसी तरह से पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की गांड कि दरार के अंदर पजामा सहित अपने लंड को रगडना शुरू कर दिया उसे बहुत मजा आ रहा थावह देखना चाहता था कि उसकी मां के बदन में हलचल होती है कि नहीं,,,। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,,।
लेकिन इस बार सुनैना को और ज्यादा मजा आने लगा अपनी नंगी गांड पर अपने बेटे के लंड की रगड़ जो की पजामे के अंदर था फिर भी उसकी गर्माहट उसे साफ तौर पर महसूस हो रही थी जिससे उसकी बुर की अंदर का लावा पीघलकर बाहर आ रहा था,,,, वह पागल हुई जा रही थी कभी-कभी तो वह एकदम बेकाबू हो जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि शर्म किस बात की है उसका बेटा भी तो यही चाहता है और क्यों ना वह खुद पहल कर दे और अपनी जवानी की प्यास बुझा लेऐसा मन में सोच कर वह एकदम से अपने बेटे के सामने आ जाना चाहती थी लेकिन एक मां होने की नाते वह ऐसा करने से डर रही थी शर्मा रही थीऔर उसका बेटा उसके बारे में क्या सोचेगा यह सोचकर वह अपने आप को रोक ले रही थी वरना इसी समय वह अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होकर अपनी जवानी की प्यास बुझा लेतीइसलिए वह अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करना चाहते थे जिससे उसका बेटा उसके बारे में गलत धारणा अपने मन में बना ले,,, लेकिन अपने मन में वह ऐसा चाहती जरूर थी की बात कुछ आगे बढ़े। इसलिए तो वह बेसुध होकर लेटी हुई थी,,,,अपने बेटे के लंड की रगड़ को अपनी गांड पर महसूस करके पानी पानी हो रही थी,,,,,,,
सूरज अपनी मां की नंगी गांड पर हाथ रखकर उसे चल रहा था और ऐसा करने में उसे इतनी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था कि पूछो मत वह इसी समय अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए अपने आप को तैयार कर चुका था लेकिन फिर ना जाने क्या सोच कर वह रुक गया था,,,,जितनी भी औरतें उसके जीवन में आई थी उन सब से हसीन और खूबसूरत गांड उसकी मां की थी,,,और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके पिताजी कितने बेवकूफ है कि ईतनी खूबसूरत और हसीन औरत को छोड़कर दूसरी बाजारु औरत के पीछे पड़े हैं,, जोकि उसकी मां की जवानी के आगे कुछ भी नहीं थी,,,, सूरजकमल के बारे में सोच रहा था उसे अपनी आंखों से देख चुका था उसकी जवानी को भी देख चुका था वैसे तो सब कुछ ठीक-ठाक ही था लेकिन वह जानता था कि उसकी मां के आगे वह कुछ भी नहीं थी, इसलिए तो अपने मन में ही वह कमला की गांड कीतुलना अपनी मां की गांड से कर रहा था और उसे एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी मां की गांड कितनी खूबसूरत और हंसीन है,,, सहलाते सहलाते वह उत्तेजना के चलते वह अपनी मां की गांड को अपनी हथेली में दबोच ले रहा था,,, और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था।
लेकिन आप उसे एहसास हो रहा था कि समय ज्यादा गुजर रहा है उसे ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि धीरे-धीरे दिन बीत रहा था और कुछ ही देर मेंशाम होने को थी ऐसे में उसकी अपनी मां के साथ इस तरह से मस्ती करना उसके लिएखतरा बन सकता था अगर उसकी मां की नींद खुल जाती तो इसलिए वह अपनी हरकत को अब तेज कर देना चाहता था जिसके चलते वह अपने पजामे को धीरे-धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,और देखते ही देखते अपने हाथ से और अपने पैर का सहारा लेकर अपने पजामी को उतार कर वह भी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया,,,, वैसे तो वह अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तड़प रहा था लेकिन वहखेत में इस तरह से कुछ करेगा इस बारे में कभी सोचा नहीं था यह तभी संभव हो पाया जब अपनी मां को गहरी नींद में खटिया पर सोते हुए देखा उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसका ईमान बदलने लगा और आलम यह था कि इस समय उसकी मां भी कमर के नीचे से नंगी थी और वह भी कमर के नीचे से नंगा था। लैंड की अकड़उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी लैंड में उसे दर्द महसूस हो रहा था क्योंकि वह जानता था कि इस समय उसका लंड औकात से ज्यादा सख्त हो चुका थाऔर यह सब उसकी मां की जवानी की बदौलत ही थी वरना उसकी आंखों के सामने मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की सोनू की चाची पास के गांव की बहू और खुद उसकी बहनभी नंगी हो चुकी थी लेकिन इस तरह का एहसास उसे कभी नहीं हुआ था जैसा कि अपनी मां की नंगी जवान देखकर वह पागल हो रहा था।
सुनैना का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि खटिया पर जिस तरह की हलचल हो रही थी उसे न जाने क्यों महसूस हो रहा था कि उसका बेटा अपने कपड़े उतार रहा था,,,, और इस बात का एहसास उसे होते ही उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी बदन में झुनझुनी से फैलने लगी थी,,,, सांसे बेहद गहरी चलने लगी थी,,,, क्योंकि उसे एहसास होने लगा था कि कुछ ही देर में अगर वह सही है तो,,, उसके बेटे का नंगा लंड उसकी नंगी गांड खाते हुए महसूस होगा और इस अनुभव के लिए वह पूरी तरह से मचल उठी थी तैयार हो चुकी थी,,,,करने का अजीब सी खुशी उसे पूरी तरह से मदहोश किए हुए थे उत्तेजना के मारे चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था,,,,सूरज अपने नंगे लंड को पकड़कर उसे ऊपर नीचे करके हिला रहा था और अपनी मां की नंगी गांड देख रहा था,,,,एक हाथ उसकी नंगी गांड पर रखकर उसे सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मुठिया रहा था ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,,, उसकी आंखें वासना से लाल हो चुकी थी,,,,आगे का निर्णय वहां सही तरीके से ले नहीं पा रहा था उसकी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत कमर से नीचे नंगी थी उसकी गांड नंगी थी जो उसकी आंखों के सामने थी उसके लंड के सिधान पर थी,,,,उसकी थोड़ी सी हिम्मत उसे एक अद्भुत सुख प्रदान कर सकती थी लेकिन इस तरह की हिम्मत दिखाने के लिए भी हिम्मत चाहिए थी,,,।अगर उसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो शायद तो हिम्मत दिखा कर अब तक उसकी बुर में अपना लंड डाल दिया होता क्योंकि वह औरत को काबू में करना अच्छी तरह से जानता था लेकिन इस समय खटिया पर उसकी मां थी इसलिए वह थोड़ा हिचकिचा रहा था।
फिर भी अब तक जिस तरह का अनुभव से मिला था अब तक जिस तरह से उसकी मां ने पूरा सहयोग दी थी गहरी नींद में होकरइसे देखकर उसकी हिम्मत बढ़ रही थी और वह अपने मन में सोचा कि एक बार अपनी मां की गांड पर नंगा लंड रगड़ लेने में क्या बुरा है वह भी मैसेज करना चाहता था कि लंड का सुपाड़ा जब नंगी गांड पर रगड़ खाता है तो कैसा महसूस होता है और वह भी खास करके अपनी मां की गांड पर,,, यही सोच कर वहअपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को अपनी मां की गांड की दरार के बीचों बीच हल्के हल्के रगड़ने लगा यह अनुभव उसके लिए बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था पल भर के लिए उसे लगा कि कहीं उसके लंड से पिचकारी ना छूट जाए,,, वह अपने आप को, नियंत्रित करके गहरी सांस लेने लगा,,,, क्योंकि वह जानता था कि किस तरह की जल्दबाजी पानी की पिचकारी निकल सकती थी,,,और कुछ देर शांत रहने के बाद वह फिर से अपनी क्रिया को दोहराने लगा अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड के चारों तरफ अपने लंड को पकड़ कर घूमते हुए उसके सुपाड़े की गर्मी की रगड़ से जो अद्भुत सुख से प्राप्त हो रहा था वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,, और यही हाल उसकी मां का दिखाअपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के गरम सुपाड़े को अपनी गांड पर महसूस करते हैं उसकी गर्मी से उसकी बुर का गरम लावा पीघलना शुरू कर दिया था।सुनैना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपनी तरफ से कोई भी क्रिया व कर नहीं सकती थी क्योंकि वह अपने बेटे की नजर में गिरना नहीं चाहती थी लेकिन अपने बेटे की हरकत से वह बेकाबू हो जा रही थी मन तो कर रहा था कि अपना हाथ पीछे लाकर अपने बेटे के लंड जोर से पकड़ ले और उसे अपनी बुर का रास्ता दिखा देक्योंकि आप उससे भी रहने जा रहा था लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को नियंत्रित कि हुई थी।
कुछ देर तक सूरज इसी तरह से अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ता रहा,,,,लेकिन जब उसने देखा कितने से भी उसकी मां के बदन में हलचल नहीं हो रहा है तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी और वहां अपने लंड को इस तरह से छोड़कर अपनी मां की कमर पर हाथ रख दिया और अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ने के लिए अपनी कमर को गोल-गोल घूमने लगा जिसकी वजह से उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की गांड के ईर्द गिर्द रगड़ खाने लगा। अपनी मां की कमर को पकड़कर ईस तरह की हरकत करने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, और उसकी मां भी मस्त हो रही थी।कमर पर जिस तरह से उसके बेटे ने हाथ रखा हुआ था उसकी कमर को पकड़े हुए थे पल भर के लिए तो उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा अपने लंड को उसकी बुर में डाल देगा लेकिन उसका बेटा लंड को रगड़ रगड़ कर ही खुद मजा ले रहा था उसे भी मजा ले रहा था। लेकिन अब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी शायद वह बेकाबू भी हो रहा था,,, क्योंकि शायद कोई भी मर्द ईतने से अपने आप को रोक नहीं सकता था क्योंकि 2 इंच की दूरी पर हीऔरत की सबसे खूबसूरत अंग उसका गुलाबी छेद था जिसके लिए इतनी सारी प्रक्रिया मर्द करता है,,,, और शायद अब सूरज भी अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था,,,, उसके लंड से पदार्थ निकल रहा थाजिसे वह अपनी मां की गांड के चारों तरफ अपने लंड के सुपाडे से ही लगा रहा था। जिसका एहसास सुनैना को हो रहा था,,,, सूरज अब अपनी क्रिया को आगे बढ़ाना चाहता था,,,, इसलिए लंड के सुपाड़े को पकड़ कर वह धीरे-धीरे अपनी मां की गांड कि दरार के अंदर प्रवेश करने लगा यह एहसास सुनैना को होते ही वह पानी पानी होने लगी,,,,
उसकी गहरी सांसों से पागल कर रही थी और अपनी गर्दन पर अपने बेटे की गहरी सांस को महसूस करके उसकी हिम्मत छूट रही थी,,, आधे से ज्यादा सुपड़ा गांड की गहराई ली हुई दरारमैं प्रवेश कर चुकी थी और एक बार रास्ता दिखा देने के बाद सूरज लंड पर से अपना हाथ हटा लिया और सीधा उसे अपनी मां की गांड पर रख दिया,,,सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत से उसका लंड उसकी मां के गुलाबी छेद में जाने वाला बिल्कुल भी नहीं है लेकिन वह इस समय अपनी मां की बुर में अपना लंड डालना भी नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की बुर में लंड घुसते ही उसकी आंख खुल जाएगी उसकी नींद टूट जाएगी और उसके बाद क्या होगा या तो वह भी नहीं जानता हो सकता है कि उसकी हरकतउसकी मां को पूरी तरह से मस्त कर दे और वह तैयार भी हो जाए लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उसकी मां उसकी हरकत से पूरी तरह से नाराज हो जाए और सूरज अपनी मां की नजर में गिर जाए ऐसा सूरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था। लेकिन सूरज जानता था कि इतने से भी उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होगीइसलिए वह अपनी मां की गांड पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा मानो कि जैसे अपनी मां की चुदाई कर रहा हो,,,सूरज को मजा आ रहा था बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी लेकिन वह इस बात से हैरान भी था कि उसकी मां की गांड की आंखों के बीच की गहरी दरार भी बेहद गहरी थी मानो की जैसे किसी बुर में उसका लंड प्रवेश कर रहा हो,,,।
सुनैना की हालत खराब हो रही थी उसे अपने बेटे के लंड की रगड़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी क्योंकि उसके लंड का सुपड़ा बार-बार उसकी गांड के छोटे से छेद को छेड़ दे रहा था और उसकी मां गांड मराने को उत्सुक हुआ जा रहा था,,,,सूरज को अपने छुपाने पर अपनी मां की गांड की गर्मी अच्छी तरह से महसूस हो रही थी वह मदहोश हो रहा था उसकी आंखें बंद थी और वह अपनी मां की गांड पकड़ कर अपनी कमर को हिला रहा था वह इस बात से बिल्कुल भी निश्चित हो गया था कि उसकी मां अगर जाग जाएगी तो क्या होगा क्योंकि वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी में पूरी तरह से डूब चुका था,,,,, लंड से निकल रहा गीला पदार्थसुनैना की गांड कि दरार को पूरी तरह से भिगो दे रहा था उसमें चिकनाहट पैदा हो रही थी जिसकी चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा गांड की छेद से नीचे की तरफ सरक रहा था और उसकी बुर के करीब जा रहा था। और यह एहसास सुनैना को होते ही,,, उसकी बर पानी छोड़ने लगी और चिपचिपी होने लगी,,,, सूरज को तो इस समय बुर में डाले बिना नहीं चुदाई का एहसास हो रहा था,,उसे चुदाई का सुख प्राप्त हो रहा था,,,, क्योंकि जो क्रिया बुर के अंदर होती है वही क्रिया गांड की दरार के बीचों बीच भी हो रही थी वही आनंद वही माया उसे मिल रहा थाउसे यकीन नहीं हो रहा था कि किसी औरत की गांड की दरार भी इतनी कसी हुई हो सकती है कि मानो की जैसे बुर हो,,,,अपनी मां की गांड पकड़ कर सूरज इस तरह से अपनी कमर हिला रहा था और धीरे-धीरे उसके लंड कैसे छुपाना उसकी मां की गुलाबी बुर के छेद तक पहुंच जा रहा था।
यह सुनैना के लिए असहनीय होता जा रहा था,,, उसका मन व्याकुल हुआ जा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह बेचैन हो रही थी जैसे कोई मनपसंद नहीं मन जो बेहद अजीब होवह दरवाजे तक आए और दरवाजे से ही लौट जाए तो कितना दुख होता है कितना अजीब लगता है वही हाल ही समय सुनैना का थाएक मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की दीवार से बार-बार वापस चला जा रहा था जिसे वहां अपनी बर के अंदर लेना चाहती थी उसका स्वागत करना चाहती थी उसकी सेवा करना चाहती थी लेकिन वह चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकती थी।उसका बस दरवाजा खोलने की देर थी और वह अपने उसे अजीज मेहमान को घर में प्रवेश कर सकती थी उसके स्वागत कर सकती थी उसकी सेवा कर सकती थी लेकिन ऐसा करने में भी बहुत सी बातें बना सकती थी जिसे अच्छी तरह से जानती थी,,,वह किसी भी तरह से अपने बेटे के लंड को अपनी गुलाबी छेद के अंदर लेना चाहती थी लेकिन जिस तरह से वह लेटी हुई थी इस अवस्था में बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था कि उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लैंड आराम से उसकी बुर में प्रवेश कर जाए लेकिन बार-बार उसकी बुर पर ठोकर जरूर मार रहा था मानो के जैसे दरवाजे पर दस्तक दे रहा हो अंदर आने के लिए।
सुनैना तड़प रही थी मचल रही थीवह अपनी तो एक टांग को मोड़कर खटिया के पाटी पर कर लेना चाहती थी ताकि उसकी दोनों टांगें पीछे से खुल जाए और उसकी बुर उसके बेटे को नजर आ जाए,,, ताकि हिम्मत दिखा कर उसका बेटा आराम से उसकी बुर में अपना लंड डाल सके लेकिन ऐसा करने में भी सुनैना के पसीने छूट रहे थे,,,, और बार-बार सूरज के लंड का सुपाड़ाउसकी मां की बुर पर दस्तक दे रहा था बार-बार उसके गुलाबी छेद से उसके लंड का सुपाड़ा से स्पर्श हो रहा था जिससे उसके लंड की गर्मी एकदम से बढ़ रही थी।वह चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और दूसरी तरफ जिस तरह की हालत सुनैना की हो रही थी वह अपने मन में हिम्मत जुटा रही थी वह दिन दुनिया के बारे में सोचना भूल गई थी इस समय उसे सिर्फ अपना ख्याल था अपने बेटे का ख्याल था अपनी जवानी की प्यासबुझाना महत्व पूर्ण लग रहा था और वह अपने मन में पूरी तरह से निर्णय कर चुकी थी कि अब वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर रहेगी,,,और वह इसके लिए अपनी टांग को मोड़ना चाहती थी ताकि गुलाबी छेद उसके बेटे की आंखों के सामने एकदम से खुलकर उजागर हो जाए और वह ऐसा करने ही वाली थी कि तब तक उसके बेटे की हिम्मत जवाब दे गई वह एकदम से अपने चरम सुख पर पहुंच गया और उसके अंदर से पिचकारी छूटने लगी जिसका एहसास से नैना को होते ही उसकी बुरे भी पानी छोड़ दी वह मदहोश हो गई बार-बार उसकी गांड की दरार से उसके बेटे के लंड से निकली पिचकारी टकरा रही जिससे उसका आनंद दुगना होता चला जा रहा था और सूरज गहरी सांस लेते हुए पानी छोड़ रहा था।
वासना का तूफान पूरी तरह से थम चुका थासूरज झड़ चुका था और अपनी हरकतों से अपनी मां का भी पानी निकल चुका था वह भी गहरी सांस ले रही थी लेकिन अभी तक वह नींद से बाहर आने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की थी,,,,सूरज अपनी मां की गांड की तरफ देखा तो उसके लंड से निकाला गरम लावा की पिचकारी पूरे गांड को भिगो दिया था। वह इस तरह सेअपनी मां को उसके हाल पर नहीं छोड़ सकता था इसलिए अपने पजामे से अपनी मां की गांड साफ किया यह सब का एहसाससुनैना को अच्छी तरह से हो रहा था अच्छी तरह से अपनी मां की गांड साफ कर लेने के बाद वह धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा और इसमें भी उसकी मां ने उसका पूरा सहयोग की नींद में होकर भी वह अपने बेटे को पूरी मदद कर रही थी और देखते-देखते सूरज अपनी मां की साड़ी को उसके घुटनों के नीचे तक कर दिया था सब कुछ उसे बराबर लग रहा था वह इस बात से खुश था कि इतना कुछ हो गया लेकिन उसकी मां को उसकी भनक तक नहीं लगी थी,,, और फिर वह अपने काम में लग गया,,,।
थोड़ी देर बाद सुनैना नींद से उठने का नाटक करते हुए खटिया पर बैठकर अंगड़ाई ले रही थी और जब देखी की शाम हो गई है तो जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली।
हाय दइया यह तो दिन ढल गया शाम हो गई और तूने मुझे जगाया नहीं,,,,।
जगह कर क्या करता तुम गहरी नींद में सो रही थी इसलिए तुम्हें जागना उचित नहीं लगा और मैं ही खेत का काम सब कर दिया,,,।
तू मेरे बारे में कितना सोता है ना तो सच में बहुत अच्छा बेटा है,,,,।
वह तो हूं ही,,,, अब चलो घर चलते हैं आज का काम मैं कर दिया हूं,,,।
( सूरज की बात सुनकर वह अपने मन में नहीं बोली हां जानती हूं तो आज का काम कर दिया है थोड़ा और अपने काम को बढ़ाया होता तो उसका भी काम हो जाता है लेकिन जो कुछ भी हुआ उसमें मजा को बताया और वह मुस्कुराते हुए खटिया पर से नीचे उतर गई और फिर दोनों मां बेटे घर की तरफ चल दिए,,, सूरज को इस बात की खुशी देखीउसने जो कुछ भी अपनी मां के साथ किया था गहरी नींद में होने की वजह से कुछ पता ही नहीं चला था।)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है सूरज ने बिना चुदाई किए खुद का और अपनी मां का पानी निकाल दिया अगर सूरज थोड़ी और कोशिश करता तो आज सुनैना चूद जाती लेकिन सुनैना को भी इस खेल में बहुत मजा आयाजेठ का महीना ऊपर से कडकती धुप,,, ऐसे में गांव वाले अपने-अपने घर में ही रहकर आराम करते थे अगर जो खेतों में चले जाते थे तो खेत में ही बनी झोपड़ी के अंदर पेड़ के नीचे आराम कर लेते थे क्योंकि अगर किसी को गर्मी लग जाए तो मुश्किल हो जाता है तबीयत खराब हो जाती है इसलिए गांव वाले अपने बचाव के लिए इतनी कड़कती धूप में कभी भी अपने घर से बाहर निकलते,,, और ऐसे ही गर्मी के महीने में खेत में काम करने की थकान से थक कर गहरी नींद में सो चुकी सुनैना और उसका बेटा एक अलग ही कार्य में लगे हुए थे।
अपनी मां की गहरी नींद में होने का पूरा फायदा उठाते हुए सूरजधीरे-धीरे करके अपनी मां की साड़ी को उसकी कमर तक उठा दिया था हालांकि ऐसा करने में उसे काफी समय और मस्सकत झेलनी पड़ी थी लेकिन फिर भी,,, जो कार्य उसे करना था वह करके ही दम लिया था,,,लेकिन इसमें भी उसकी मां का पूरा सहकार था वरना वह ऊपर से साड़ी को कमर तक तो उठा सकता था लेकिन मोटी-मोटी जांघों के नीचे फंसी साड़ी को वह ऊपर तक नहीं उठा सकता था,,, इसलिएअपने बेटे की हरकत का आनंद लेते हुए और यह देखने के लिए कि इससे आगे उसका बेटा क्या करता है इसीलिए वह अपने बेटे का सहकार कर रही थी और अपने वजन को खटिया पर हल्का छोड़ दी थी ताकि आराम से साड़ी ऊपर की तरफ जा सके और उसका यह सहकार रंग लाया था,,, अब उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर के तक उठी हुई थी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इस बात का एहसास उसे पूरी तरह से गनगना दे रहा था। सुनैना अपने बेटे के सामने इस अवस्था में कभी नहीं आना चाहती थीक्योंकि वह बेहद संस्कारी और मर्यादा से औरत थी लेकिन उसके बेटे की हरकत में ही उसके मन को बदल कर रख दिया था और आलम यह था कि आज अपने बेटे के सामने अपनी नंगी गांड बिछाए वह मदहोश हुए जा रही थी। ऐसे तो अपने बेटे के सामने सब स्थान मेंहोना उसके लिए कोई बहुत बड़ी मजबूरी नहीं थी लेकिन बदन की जरूरत भी एक सबसे ज्यादा बड़ी मजबूरी हो जाती है एक औरत के लिए अपने चरित्र को अभी तक संभाल कर रखने वालीसुनैना अपने बेटे की हरकत से इतना अत्यधिक गर्म हो चुकी थी कि उसकीहर एक हरकत का आनंद लेते हुए वह उसके हाथों की कठपुतली बनने को तैयार हो चुकी थी।
एक मां होने की नाते वह अपनी भावनाओं पर एक हद तक काबू कर पाई थी लेकिन अपने बेटे की हरकत से वह बेकाबू हुई जा रही थी,,, बरसों बाद वह अपनेवह अपने नितंबों पर एक मोटे तगड़े लंबे लंड की रगड़ को महसूस की थी और यह रगड़ उसे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था बेकाबू कर दिया थाऔर बरसों से अपने चरित्र को जिस तरह से वह संजो के रखी हुई थी उसे तार-तार करने के लिए कुछ हद तक वह भी तैयार हो चुकी थी,,,,अपनी चिकनी कमर पर अपने बेटे की हथेली को महसूस करके वह पानी पानी हो गई थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक औरत की बुर अत्यधिक पानी कब छोड़ती है और क्यों छोड़ती है,,, इसीलिए तो वह अपने बेटे की हरकत से मद-मस्त होकर उसकी हरकतों का आनंद लेते हुए उसे आगे बढ़ने का मौका दे रही थी और उसका बेटा भी अपनी मां की जवानी की आग में कदर पागल हो गया की मां बेटे के रिश्ते को खोलकर वह अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी नंगी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा था।
सूरज का दिन बड़े जोरों से धड़क रहा था ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की गांड को पहली बार देख रहा था उसकी नंगी गांड के पहली बार दर्शन कर रहा था वह आज से पहले भी बहुत बार अपनी मां को नग्न अवस्था में देख चुका था यहां तक की अपने पिताजी के साथ चुदवाते हुए भी देख चुका था लेकिन फिर भी हर एक बार एक नयापन उसे महसूस होता था और आज भी यही नयापन उसे मदहोशी से भर दे रहा था,,,, आज का दिन उसके लिए बेहद खास और भाग्यशाली नजर आ रहा थाक्योंकि उसकी जानकारी में आज पहली बार हुआ अपनी मां के साथ एक ही खटिया पर लेटा हुआ था और उसकी मां पूरी तरह से बेसुध होकर सो रही थी इतना बेसुध कीउसने अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी मां को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी ऐसा उसका मानना था जबकि यह वह नहीं जानता था कि उसकी मां जाग चुकी थी और उसकी हरकतों का मजा ले रही थी,,,। अब तकसूरज की जिंदगी में जितनी भी औरतें आई थी वह एक से बढ़कर एक थी लेकिन उसकी मां की बात ही कुछ और थी इस बात को सूरज अच्छी तरह से जानता था इसीलिए तो मदहोशी के परम शिखर पर पहुंच चुका था,,,।
दूर-दूर से अपनी मां के नंगे बदन के दर्शनकर चुका है सूरज आज पहली बार उसके बेहद करीब था उसकी नंगी गांड की बेहद गरीब का उसकी हालत इस कदर खराब थी कि वह पजामे के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, इस तरह की हरकत उसकी सांसों की गति को और ज्यादा तेज कर दे रही थी उसके लंड की नसों में रक्त का प्रभाव इतना अत्यधिक हो रहा था कि कभी-कभी उसे लगने लगता था कि कहीं उसके लंड की नस फट न जाए,,,,,इस बात का डर भी उसे अपनी मां को इस अवस्था में देखने से नहीं रोक पा रहा था जबकि उसके लंड की हालत अपनी मां को ही समझता में देखने की बातें ही हुआ था पूरी तरह से टनटनाया हुआसूरज का लंड किसी लोहे के रोड की तरह लग रहा था जिसे इस समय बिल्कुल भी मोडा नहीं जा सकता था,,,, उसमें जरा भी ढीलापन नहीं था अगर वह अपने मन में ठान लें तो शायद साड़ी सहित भी वह अपनी मां की बुर में अपने लैंड का प्रवेश करा सकता था। सूरज प्यासी नजरों से अपनी मां की नंगी गांड को देखते हुए अपने मन में ढेर सारी कल्पनाओं को जन्म दे रहा था उसके चेहरे पर उत्तेजना का असर एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,, उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था आंखों में वासना के डोरे दिखाई दे रहे थे,,,, हवस से उसका चेहरा पूरा भरा हुआ था,,,,।
हवस और वासना इसलिए कीखटिया पर उसके साथ में लेटी हुई औरत कोई गैर औरत नहीं थी वह उसकी खुद की मां थी इसके बारे में गलत सोचना भी बात थाअगर उसकी जगह कोई और औरत होती तो शायद इस वासना और हवस का नाम देना उचित इतना होता क्योंकि एक गैर औरत एक जवान लड़के के साथ एक ही खटिया पर तभी सोती है जब उसकी सहमति होती है और जब वह भी उसे जवान लड़के से कुछ चाहती हो अपने बदन की प्यास बुझानी चाहती हो,,, लेकिन यहां पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था यहां पर सूरज की आंखों में हवस साफ दिखाई दे रही थी,,और वह भी किसी दूसरी औरत के लिए नहीं अपनी मां के लिए,,,बार-बार सूरज अपनी मां की गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर पजामी के ऊपर से अपने लंड को जोर से दबा दे रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था उसका मन तो इसी क्रिया कोअपनी मां की बुर में करने को तड़प रहा था लेकिन वह जानता था कि ऐसा करना उचित नहीं है कहीं उसकी मां की नींद खुल गई तो गजब हो जाएगा इस अवस्था में उसे देखकर वह पूरी तरह से भड़क जाएगी,,,सूरज का ऐसा मानना था जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी मां को सब पता था और अगर इस समय सूरज हिम्मत दिखाकर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डालने की कोशिश करता है तो शायद उसकी मां उसका सहकार देते हुए अपनी टांगें खोल देती।
क्योंकि वासना और जवानी की आग में केवलसूरज ही नहीं जल रहा था उसकी मां भी पूरी तरह से तप रही थी6 7 महीने से अपने पति से अलग रहने के बाद उसके बदन की प्यास उफान पर थी। वह अपने आप को बिल्कुल भी समझा नहीं पा रही थी कि उसे करना क्या है,,, अपने पति की याद मेंरात भर वह बिस्तर पर करवट बदलती रह जाती थी और अपने हाथ से अपनी जवानी की प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती रहती थी क्योंकि वह जितनी भी अपने बदन की प्यास बुझाने की कोशिश करती थी वह प्यास और भी ज्यादा भड़क जाती थी,,, और इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उसकी जवानीबेलगाम होती जा रही है उसकी खुद की उंगली से कुछ होने वाला नहीं है वह जानती थी कि उसे एक मोटे तगड़े लंबे लंड की जरूरत है जो उसकी बुर में घुसकर तबाही मचा सके उसकी जवानी की आग को बचा सके,,,, पर जाने में उसे एहसास होता था कि ऐसा जवां मर्द है तो केवल उसका बेटा ही है जो उसे अपनी बाहों में दबोच कर उसे रगड़ रगड़ कर चोद सकता है,,,, और जब जब उसके मन में यह ख्याल आता था तब तब उसकी बर पानी छोड़ देती थी। किसी से उसे अंदाजा लग गया था कि जब भी अगर ऐसा मौका आएगा तो उसे उसका बेटा बेहदमजा देगा उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा लेकिन एक तरफ इस तरह का एहसास उसके तन-बदन को मधुर रस से भिगो देता तो दूसरी तरफ इस तरह के ख्याल से थोड़ा घबरा जाती थी क्योंकि वह जानती थी कि वह किसके बारे में इस तरह की गंदी बातें सोच रही थी अपनी बेटी के बारे में इस तरह की गंदी बातें सोचना एक मां के लिए बहुत बड़ा पाप होता है लेकिन इस समय वह मजबूर हो चुकी थी अपने बदन की प्यास के खातिर वह पूरी तरह से बहक चुकी थी।
सूरज अपनी मां के बगल मेंखटिया पर लेटा हुआ था उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ थाऔर उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड थी जिसकी गहरी फांक में वह कुदकर डूब जाना चाहता था,,, सूरज को लग रहा था कि जैसे खटिया में उसकेपास आसमान का चांद उतर आया हो,, उसकी मां की नंगी गांड एकदम चांद की तरह दिखाई दे रही थी जो कि एकदम चमक कर अपनी आभा बिखेर रही थी,, सूरज इस चांद को अपनी हथेली में लेकर तबोच लेना चाहता था उसे सारी दुनिया की नजरों से बचाकर अपनी मुट्ठी में कैद कर लेना चाहता था ताकि इस पर केवल उसका ही हक हो किसी और का हक बिल्कुल भी ना हो और ना तो कोई उसे आंख उठा कर देख सके एक तरह से हुआअपनी मां की जवानी को अपनी आगोश में लेकर पूरी दुनिया से बचा लेना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का भी डर था कि कहीं उसकी मां अपनी प्यास बुझाने के लिए किसी गैर मर्द का सहारा ना ले ले,,,।
अपनी मां कीबेस कीमती खजाने की तरफ वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर धीरे से अपनी हथेली को उसे मखमली अंग पर रख दिया जो कि बाहर से शांत देखने वाली शीतल दीखने वाली उसकी बड़ी-बड़ी गांड अंदर से दहक रही थी सुलग रही थी सूरज अच्छी तरह से जानता था कि वह इतना क्यों समझ रही है उसे मालूम था कि ऐसी ताकती हुई गांड पर लंड की पिचकारी करने पर वह शांत हो जाती है ठंडी पड़ जाती है,,,, और सूरज वही इलाज करना चाहता थाधीरे-धीरे सूरज अपनी मां की नंगी गांड पर अपनी हथेली रखकर सहला रहा था उसे ऊपर से नीचे तक घूम रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था अपनी मांकी गांड को अपनी हथेली से सहलाने में उसे इतना आनंद आ रहा था कि पूछो मत वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था।अपनी मां की गांड की गरमाहट को अपनी हथेली में महसूस कर रहा था लेकिन वह गर्मी हथेली से होते हुए सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार पर उसकी तपन साफ महसूस हो रही थी। कुछ देर तक सूरज इसी तरह से अपनी मां की गांड को सहलाता रहा।लेकिन इस दौरान भी उसे अच्छी तरह से महसूस हो रहा था कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हुई थी उसकी मां की आंख नहीं खुली थी,,।
जबकि ईस बात का उसे अंदाजा तक नहीं था कि उसकी मां जाग चुकी है और उसकी हरकतों का आनंद ले रही है,,,, जब काफी देर तक सूरज को अपनी मां के बदन में जरा भी हलचल महसूस नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,, लेकिन धीरे-धीरे समय गुजर रहा थाजो भी करना था उसे जल्दी करना था क्योंकि वह जानता था कि उसे किस तरह से आनंद मिलने वाला है,,,, वह अपनी मां की गांड सहलाता हुआ आगे की योजना बना रहा था,,,वह जानता था कि जो काम वह अब करने जा रहा है वह काफी हिम्मत का काम था धीरे का काम था जिसमें उसके पसीने छूटने वाले थे,,, अगर कहीं उसकी मां की आंख खुल गई तो गजब हो जाने वाला था इसतरह के खतरे को अच्छी तरह से जानता था लेकिन इन खतरों को भेज कर आगे जो सुख था उसे सुख की लालच में वह इस तरह के खतरे लेने के लिए तैयार हो चुका था। इसलिए वह अपनी योजना को अमल में लाने के लिए अपने दिल की धड़कन पर काबू करके गहरी सांस लिया और धीरे से वह थोड़ा सा आगे अपनी मां की तरफ सरक गया,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,,,एक बार वह इसी तरह से पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की गांड कि दरार के अंदर पजामा सहित अपने लंड को रगडना शुरू कर दिया उसे बहुत मजा आ रहा थावह देखना चाहता था कि उसकी मां के बदन में हलचल होती है कि नहीं,,,। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,,।
लेकिन इस बार सुनैना को और ज्यादा मजा आने लगा अपनी नंगी गांड पर अपने बेटे के लंड की रगड़ जो की पजामे के अंदर था फिर भी उसकी गर्माहट उसे साफ तौर पर महसूस हो रही थी जिससे उसकी बुर की अंदर का लावा पीघलकर बाहर आ रहा था,,,, वह पागल हुई जा रही थी कभी-कभी तो वह एकदम बेकाबू हो जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि शर्म किस बात की है उसका बेटा भी तो यही चाहता है और क्यों ना वह खुद पहल कर दे और अपनी जवानी की प्यास बुझा लेऐसा मन में सोच कर वह एकदम से अपने बेटे के सामने आ जाना चाहती थी लेकिन एक मां होने की नाते वह ऐसा करने से डर रही थी शर्मा रही थीऔर उसका बेटा उसके बारे में क्या सोचेगा यह सोचकर वह अपने आप को रोक ले रही थी वरना इसी समय वह अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होकर अपनी जवानी की प्यास बुझा लेतीइसलिए वह अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करना चाहते थे जिससे उसका बेटा उसके बारे में गलत धारणा अपने मन में बना ले,,, लेकिन अपने मन में वह ऐसा चाहती जरूर थी की बात कुछ आगे बढ़े। इसलिए तो वह बेसुध होकर लेटी हुई थी,,,,अपने बेटे के लंड की रगड़ को अपनी गांड पर महसूस करके पानी पानी हो रही थी,,,,,,,
सूरज अपनी मां की नंगी गांड पर हाथ रखकर उसे चल रहा था और ऐसा करने में उसे इतनी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था कि पूछो मत वह इसी समय अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए अपने आप को तैयार कर चुका था लेकिन फिर ना जाने क्या सोच कर वह रुक गया था,,,,जितनी भी औरतें उसके जीवन में आई थी उन सब से हसीन और खूबसूरत गांड उसकी मां की थी,,,और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके पिताजी कितने बेवकूफ है कि ईतनी खूबसूरत और हसीन औरत को छोड़कर दूसरी बाजारु औरत के पीछे पड़े हैं,, जोकि उसकी मां की जवानी के आगे कुछ भी नहीं थी,,,, सूरजकमल के बारे में सोच रहा था उसे अपनी आंखों से देख चुका था उसकी जवानी को भी देख चुका था वैसे तो सब कुछ ठीक-ठाक ही था लेकिन वह जानता था कि उसकी मां के आगे वह कुछ भी नहीं थी, इसलिए तो अपने मन में ही वह कमला की गांड कीतुलना अपनी मां की गांड से कर रहा था और उसे एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी मां की गांड कितनी खूबसूरत और हंसीन है,,, सहलाते सहलाते वह उत्तेजना के चलते वह अपनी मां की गांड को अपनी हथेली में दबोच ले रहा था,,, और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था।
लेकिन आप उसे एहसास हो रहा था कि समय ज्यादा गुजर रहा है उसे ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि धीरे-धीरे दिन बीत रहा था और कुछ ही देर मेंशाम होने को थी ऐसे में उसकी अपनी मां के साथ इस तरह से मस्ती करना उसके लिएखतरा बन सकता था अगर उसकी मां की नींद खुल जाती तो इसलिए वह अपनी हरकत को अब तेज कर देना चाहता था जिसके चलते वह अपने पजामे को धीरे-धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,और देखते ही देखते अपने हाथ से और अपने पैर का सहारा लेकर अपने पजामी को उतार कर वह भी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया,,,, वैसे तो वह अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तड़प रहा था लेकिन वहखेत में इस तरह से कुछ करेगा इस बारे में कभी सोचा नहीं था यह तभी संभव हो पाया जब अपनी मां को गहरी नींद में खटिया पर सोते हुए देखा उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसका ईमान बदलने लगा और आलम यह था कि इस समय उसकी मां भी कमर के नीचे से नंगी थी और वह भी कमर के नीचे से नंगा था। लैंड की अकड़उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी लैंड में उसे दर्द महसूस हो रहा था क्योंकि वह जानता था कि इस समय उसका लंड औकात से ज्यादा सख्त हो चुका थाऔर यह सब उसकी मां की जवानी की बदौलत ही थी वरना उसकी आंखों के सामने मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की सोनू की चाची पास के गांव की बहू और खुद उसकी बहनभी नंगी हो चुकी थी लेकिन इस तरह का एहसास उसे कभी नहीं हुआ था जैसा कि अपनी मां की नंगी जवान देखकर वह पागल हो रहा था।
सुनैना का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि खटिया पर जिस तरह की हलचल हो रही थी उसे न जाने क्यों महसूस हो रहा था कि उसका बेटा अपने कपड़े उतार रहा था,,,, और इस बात का एहसास उसे होते ही उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी बदन में झुनझुनी से फैलने लगी थी,,,, सांसे बेहद गहरी चलने लगी थी,,,, क्योंकि उसे एहसास होने लगा था कि कुछ ही देर में अगर वह सही है तो,,, उसके बेटे का नंगा लंड उसकी नंगी गांड खाते हुए महसूस होगा और इस अनुभव के लिए वह पूरी तरह से मचल उठी थी तैयार हो चुकी थी,,,,करने का अजीब सी खुशी उसे पूरी तरह से मदहोश किए हुए थे उत्तेजना के मारे चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था,,,,सूरज अपने नंगे लंड को पकड़कर उसे ऊपर नीचे करके हिला रहा था और अपनी मां की नंगी गांड देख रहा था,,,,एक हाथ उसकी नंगी गांड पर रखकर उसे सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मुठिया रहा था ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,,, उसकी आंखें वासना से लाल हो चुकी थी,,,,आगे का निर्णय वहां सही तरीके से ले नहीं पा रहा था उसकी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत कमर से नीचे नंगी थी उसकी गांड नंगी थी जो उसकी आंखों के सामने थी उसके लंड के सिधान पर थी,,,,उसकी थोड़ी सी हिम्मत उसे एक अद्भुत सुख प्रदान कर सकती थी लेकिन इस तरह की हिम्मत दिखाने के लिए भी हिम्मत चाहिए थी,,,।अगर उसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो शायद तो हिम्मत दिखा कर अब तक उसकी बुर में अपना लंड डाल दिया होता क्योंकि वह औरत को काबू में करना अच्छी तरह से जानता था लेकिन इस समय खटिया पर उसकी मां थी इसलिए वह थोड़ा हिचकिचा रहा था।
फिर भी अब तक जिस तरह का अनुभव से मिला था अब तक जिस तरह से उसकी मां ने पूरा सहयोग दी थी गहरी नींद में होकरइसे देखकर उसकी हिम्मत बढ़ रही थी और वह अपने मन में सोचा कि एक बार अपनी मां की गांड पर नंगा लंड रगड़ लेने में क्या बुरा है वह भी मैसेज करना चाहता था कि लंड का सुपाड़ा जब नंगी गांड पर रगड़ खाता है तो कैसा महसूस होता है और वह भी खास करके अपनी मां की गांड पर,,, यही सोच कर वहअपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को अपनी मां की गांड की दरार के बीचों बीच हल्के हल्के रगड़ने लगा यह अनुभव उसके लिए बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था पल भर के लिए उसे लगा कि कहीं उसके लंड से पिचकारी ना छूट जाए,,, वह अपने आप को, नियंत्रित करके गहरी सांस लेने लगा,,,, क्योंकि वह जानता था कि किस तरह की जल्दबाजी पानी की पिचकारी निकल सकती थी,,,और कुछ देर शांत रहने के बाद वह फिर से अपनी क्रिया को दोहराने लगा अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड के चारों तरफ अपने लंड को पकड़ कर घूमते हुए उसके सुपाड़े की गर्मी की रगड़ से जो अद्भुत सुख से प्राप्त हो रहा था वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,, और यही हाल उसकी मां का दिखाअपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के गरम सुपाड़े को अपनी गांड पर महसूस करते हैं उसकी गर्मी से उसकी बुर का गरम लावा पीघलना शुरू कर दिया था।सुनैना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपनी तरफ से कोई भी क्रिया व कर नहीं सकती थी क्योंकि वह अपने बेटे की नजर में गिरना नहीं चाहती थी लेकिन अपने बेटे की हरकत से वह बेकाबू हो जा रही थी मन तो कर रहा था कि अपना हाथ पीछे लाकर अपने बेटे के लंड जोर से पकड़ ले और उसे अपनी बुर का रास्ता दिखा देक्योंकि आप उससे भी रहने जा रहा था लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को नियंत्रित कि हुई थी।
कुछ देर तक सूरज इसी तरह से अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ता रहा,,,,लेकिन जब उसने देखा कितने से भी उसकी मां के बदन में हलचल नहीं हो रहा है तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी और वहां अपने लंड को इस तरह से छोड़कर अपनी मां की कमर पर हाथ रख दिया और अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ने के लिए अपनी कमर को गोल-गोल घूमने लगा जिसकी वजह से उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की गांड के ईर्द गिर्द रगड़ खाने लगा। अपनी मां की कमर को पकड़कर ईस तरह की हरकत करने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, और उसकी मां भी मस्त हो रही थी।कमर पर जिस तरह से उसके बेटे ने हाथ रखा हुआ था उसकी कमर को पकड़े हुए थे पल भर के लिए तो उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा अपने लंड को उसकी बुर में डाल देगा लेकिन उसका बेटा लंड को रगड़ रगड़ कर ही खुद मजा ले रहा था उसे भी मजा ले रहा था। लेकिन अब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी शायद वह बेकाबू भी हो रहा था,,, क्योंकि शायद कोई भी मर्द ईतने से अपने आप को रोक नहीं सकता था क्योंकि 2 इंच की दूरी पर हीऔरत की सबसे खूबसूरत अंग उसका गुलाबी छेद था जिसके लिए इतनी सारी प्रक्रिया मर्द करता है,,,, और शायद अब सूरज भी अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था,,,, उसके लंड से पदार्थ निकल रहा थाजिसे वह अपनी मां की गांड के चारों तरफ अपने लंड के सुपाडे से ही लगा रहा था। जिसका एहसास सुनैना को हो रहा था,,,, सूरज अब अपनी क्रिया को आगे बढ़ाना चाहता था,,,, इसलिए लंड के सुपाड़े को पकड़ कर वह धीरे-धीरे अपनी मां की गांड कि दरार के अंदर प्रवेश करने लगा यह एहसास सुनैना को होते ही वह पानी पानी होने लगी,,,,
उसकी गहरी सांसों से पागल कर रही थी और अपनी गर्दन पर अपने बेटे की गहरी सांस को महसूस करके उसकी हिम्मत छूट रही थी,,, आधे से ज्यादा सुपड़ा गांड की गहराई ली हुई दरारमैं प्रवेश कर चुकी थी और एक बार रास्ता दिखा देने के बाद सूरज लंड पर से अपना हाथ हटा लिया और सीधा उसे अपनी मां की गांड पर रख दिया,,,सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत से उसका लंड उसकी मां के गुलाबी छेद में जाने वाला बिल्कुल भी नहीं है लेकिन वह इस समय अपनी मां की बुर में अपना लंड डालना भी नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की बुर में लंड घुसते ही उसकी आंख खुल जाएगी उसकी नींद टूट जाएगी और उसके बाद क्या होगा या तो वह भी नहीं जानता हो सकता है कि उसकी हरकतउसकी मां को पूरी तरह से मस्त कर दे और वह तैयार भी हो जाए लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उसकी मां उसकी हरकत से पूरी तरह से नाराज हो जाए और सूरज अपनी मां की नजर में गिर जाए ऐसा सूरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था। लेकिन सूरज जानता था कि इतने से भी उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होगीइसलिए वह अपनी मां की गांड पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा मानो कि जैसे अपनी मां की चुदाई कर रहा हो,,,सूरज को मजा आ रहा था बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी लेकिन वह इस बात से हैरान भी था कि उसकी मां की गांड की आंखों के बीच की गहरी दरार भी बेहद गहरी थी मानो की जैसे किसी बुर में उसका लंड प्रवेश कर रहा हो,,,।
सुनैना की हालत खराब हो रही थी उसे अपने बेटे के लंड की रगड़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी क्योंकि उसके लंड का सुपड़ा बार-बार उसकी गांड के छोटे से छेद को छेड़ दे रहा था और उसकी मां गांड मराने को उत्सुक हुआ जा रहा था,,,,सूरज को अपने छुपाने पर अपनी मां की गांड की गर्मी अच्छी तरह से महसूस हो रही थी वह मदहोश हो रहा था उसकी आंखें बंद थी और वह अपनी मां की गांड पकड़ कर अपनी कमर को हिला रहा था वह इस बात से बिल्कुल भी निश्चित हो गया था कि उसकी मां अगर जाग जाएगी तो क्या होगा क्योंकि वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी में पूरी तरह से डूब चुका था,,,,, लंड से निकल रहा गीला पदार्थसुनैना की गांड कि दरार को पूरी तरह से भिगो दे रहा था उसमें चिकनाहट पैदा हो रही थी जिसकी चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा गांड की छेद से नीचे की तरफ सरक रहा था और उसकी बुर के करीब जा रहा था। और यह एहसास सुनैना को होते ही,,, उसकी बर पानी छोड़ने लगी और चिपचिपी होने लगी,,,, सूरज को तो इस समय बुर में डाले बिना नहीं चुदाई का एहसास हो रहा था,,उसे चुदाई का सुख प्राप्त हो रहा था,,,, क्योंकि जो क्रिया बुर के अंदर होती है वही क्रिया गांड की दरार के बीचों बीच भी हो रही थी वही आनंद वही माया उसे मिल रहा थाउसे यकीन नहीं हो रहा था कि किसी औरत की गांड की दरार भी इतनी कसी हुई हो सकती है कि मानो की जैसे बुर हो,,,,अपनी मां की गांड पकड़ कर सूरज इस तरह से अपनी कमर हिला रहा था और धीरे-धीरे उसके लंड कैसे छुपाना उसकी मां की गुलाबी बुर के छेद तक पहुंच जा रहा था।
यह सुनैना के लिए असहनीय होता जा रहा था,,, उसका मन व्याकुल हुआ जा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह बेचैन हो रही थी जैसे कोई मनपसंद नहीं मन जो बेहद अजीब होवह दरवाजे तक आए और दरवाजे से ही लौट जाए तो कितना दुख होता है कितना अजीब लगता है वही हाल ही समय सुनैना का थाएक मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की दीवार से बार-बार वापस चला जा रहा था जिसे वहां अपनी बर के अंदर लेना चाहती थी उसका स्वागत करना चाहती थी उसकी सेवा करना चाहती थी लेकिन वह चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकती थी।उसका बस दरवाजा खोलने की देर थी और वह अपने उसे अजीज मेहमान को घर में प्रवेश कर सकती थी उसके स्वागत कर सकती थी उसकी सेवा कर सकती थी लेकिन ऐसा करने में भी बहुत सी बातें बना सकती थी जिसे अच्छी तरह से जानती थी,,,वह किसी भी तरह से अपने बेटे के लंड को अपनी गुलाबी छेद के अंदर लेना चाहती थी लेकिन जिस तरह से वह लेटी हुई थी इस अवस्था में बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था कि उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लैंड आराम से उसकी बुर में प्रवेश कर जाए लेकिन बार-बार उसकी बुर पर ठोकर जरूर मार रहा था मानो के जैसे दरवाजे पर दस्तक दे रहा हो अंदर आने के लिए।
सुनैना तड़प रही थी मचल रही थीवह अपनी तो एक टांग को मोड़कर खटिया के पाटी पर कर लेना चाहती थी ताकि उसकी दोनों टांगें पीछे से खुल जाए और उसकी बुर उसके बेटे को नजर आ जाए,,, ताकि हिम्मत दिखा कर उसका बेटा आराम से उसकी बुर में अपना लंड डाल सके लेकिन ऐसा करने में भी सुनैना के पसीने छूट रहे थे,,,, और बार-बार सूरज के लंड का सुपाड़ाउसकी मां की बुर पर दस्तक दे रहा था बार-बार उसके गुलाबी छेद से उसके लंड का सुपाड़ा से स्पर्श हो रहा था जिससे उसके लंड की गर्मी एकदम से बढ़ रही थी।वह चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और दूसरी तरफ जिस तरह की हालत सुनैना की हो रही थी वह अपने मन में हिम्मत जुटा रही थी वह दिन दुनिया के बारे में सोचना भूल गई थी इस समय उसे सिर्फ अपना ख्याल था अपने बेटे का ख्याल था अपनी जवानी की प्यासबुझाना महत्व पूर्ण लग रहा था और वह अपने मन में पूरी तरह से निर्णय कर चुकी थी कि अब वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर रहेगी,,,और वह इसके लिए अपनी टांग को मोड़ना चाहती थी ताकि गुलाबी छेद उसके बेटे की आंखों के सामने एकदम से खुलकर उजागर हो जाए और वह ऐसा करने ही वाली थी कि तब तक उसके बेटे की हिम्मत जवाब दे गई वह एकदम से अपने चरम सुख पर पहुंच गया और उसके अंदर से पिचकारी छूटने लगी जिसका एहसास से नैना को होते ही उसकी बुरे भी पानी छोड़ दी वह मदहोश हो गई बार-बार उसकी गांड की दरार से उसके बेटे के लंड से निकली पिचकारी टकरा रही जिससे उसका आनंद दुगना होता चला जा रहा था और सूरज गहरी सांस लेते हुए पानी छोड़ रहा था।
वासना का तूफान पूरी तरह से थम चुका थासूरज झड़ चुका था और अपनी हरकतों से अपनी मां का भी पानी निकल चुका था वह भी गहरी सांस ले रही थी लेकिन अभी तक वह नींद से बाहर आने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की थी,,,,सूरज अपनी मां की गांड की तरफ देखा तो उसके लंड से निकाला गरम लावा की पिचकारी पूरे गांड को भिगो दिया था। वह इस तरह सेअपनी मां को उसके हाल पर नहीं छोड़ सकता था इसलिए अपने पजामे से अपनी मां की गांड साफ किया यह सब का एहसाससुनैना को अच्छी तरह से हो रहा था अच्छी तरह से अपनी मां की गांड साफ कर लेने के बाद वह धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा और इसमें भी उसकी मां ने उसका पूरा सहयोग की नींद में होकर भी वह अपने बेटे को पूरी मदद कर रही थी और देखते-देखते सूरज अपनी मां की साड़ी को उसके घुटनों के नीचे तक कर दिया था सब कुछ उसे बराबर लग रहा था वह इस बात से खुश था कि इतना कुछ हो गया लेकिन उसकी मां को उसकी भनक तक नहीं लगी थी,,, और फिर वह अपने काम में लग गया,,,।
थोड़ी देर बाद सुनैना नींद से उठने का नाटक करते हुए खटिया पर बैठकर अंगड़ाई ले रही थी और जब देखी की शाम हो गई है तो जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली।
हाय दइया यह तो दिन ढल गया शाम हो गई और तूने मुझे जगाया नहीं,,,,।
जगह कर क्या करता तुम गहरी नींद में सो रही थी इसलिए तुम्हें जागना उचित नहीं लगा और मैं ही खेत का काम सब कर दिया,,,।
तू मेरे बारे में कितना सोता है ना तो सच में बहुत अच्छा बेटा है,,,,।
वह तो हूं ही,,,, अब चलो घर चलते हैं आज का काम मैं कर दिया हूं,,,।
( सूरज की बात सुनकर वह अपने मन में नहीं बोली हां जानती हूं तो आज का काम कर दिया है थोड़ा और अपने काम को बढ़ाया होता तो उसका भी काम हो जाता है लेकिन जो कुछ भी हुआ उसमें मजा को बताया और वह मुस्कुराते हुए खटिया पर से नीचे उतर गई और फिर दोनों मां बेटे घर की तरफ चल दिए,,, सूरज को इस बात की खुशी देखीउसने जो कुछ भी अपनी मां के साथ किया था गहरी नींद में होने की वजह से कुछ पता ही नहीं चला था।)