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Incest पहाडी मौसम

Sanju@

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जेठ का महीना ऊपर से कडकती धुप,,, ऐसे में गांव वाले अपने-अपने घर में ही रहकर आराम करते थे अगर जो खेतों में चले जाते थे तो खेत में ही बनी झोपड़ी के अंदर पेड़ के नीचे आराम कर लेते थे क्योंकि अगर किसी को गर्मी लग जाए तो मुश्किल हो जाता है तबीयत खराब हो जाती है इसलिए गांव वाले अपने बचाव के लिए इतनी कड़कती धूप में कभी भी अपने घर से बाहर निकलते,,, और ऐसे ही गर्मी के महीने में खेत में काम करने की थकान से थक कर गहरी नींद में सो चुकी सुनैना और उसका बेटा एक अलग ही कार्य में लगे हुए थे।




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अपनी मां की गहरी नींद में होने का पूरा फायदा उठाते हुए सूरजधीरे-धीरे करके अपनी मां की साड़ी को उसकी कमर तक उठा दिया था हालांकि ऐसा करने में उसे काफी समय और मस्सकत झेलनी पड़ी थी लेकिन फिर भी,,, जो कार्य उसे करना था वह करके ही दम लिया था,,,लेकिन इसमें भी उसकी मां का पूरा सहकार था वरना वह ऊपर से साड़ी को कमर तक तो उठा सकता था लेकिन मोटी-मोटी जांघों के नीचे फंसी साड़ी को वह ऊपर तक नहीं उठा सकता था,,, इसलिएअपने बेटे की हरकत का आनंद लेते हुए और यह देखने के लिए कि इससे आगे उसका बेटा क्या करता है इसीलिए वह अपने बेटे का सहकार कर रही थी और अपने वजन को खटिया पर हल्का छोड़ दी थी ताकि आराम से साड़ी ऊपर की तरफ जा सके और उसका यह सहकार रंग लाया था,,, अब उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर के तक उठी हुई थी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इस बात का एहसास उसे पूरी तरह से गनगना दे रहा था। सुनैना अपने बेटे के सामने इस अवस्था में कभी नहीं आना चाहती थीक्योंकि वह बेहद संस्कारी और मर्यादा से औरत थी लेकिन उसके बेटे की हरकत में ही उसके मन को बदल कर रख दिया था और आलम यह था कि आज अपने बेटे के सामने अपनी नंगी गांड बिछाए वह मदहोश हुए जा रही थी। ऐसे तो अपने बेटे के सामने सब स्थान मेंहोना उसके लिए कोई बहुत बड़ी मजबूरी नहीं थी लेकिन बदन की जरूरत भी एक सबसे ज्यादा बड़ी मजबूरी हो जाती है एक औरत के लिए अपने चरित्र को अभी तक संभाल कर रखने वालीसुनैना अपने बेटे की हरकत से इतना अत्यधिक गर्म हो चुकी थी कि उसकीहर एक हरकत का आनंद लेते हुए वह उसके हाथों की कठपुतली बनने को तैयार हो चुकी थी।





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एक मां होने की नाते वह अपनी भावनाओं पर एक हद तक काबू कर पाई थी लेकिन अपने बेटे की हरकत से वह बेकाबू हुई जा रही थी,,, बरसों बाद वह अपनेवह अपने नितंबों पर एक मोटे तगड़े लंबे लंड की रगड़ को महसूस की थी और यह रगड़ उसे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था बेकाबू कर दिया थाऔर बरसों से अपने चरित्र को जिस तरह से वह संजो के रखी हुई थी उसे तार-तार करने के लिए कुछ हद तक वह भी तैयार हो चुकी थी,,,,अपनी चिकनी कमर पर अपने बेटे की हथेली को महसूस करके वह पानी पानी हो गई थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक औरत की बुर अत्यधिक पानी कब छोड़ती है और क्यों छोड़ती है,,, इसीलिए तो वह अपने बेटे की हरकत से मद-मस्त होकर उसकी हरकतों का आनंद लेते हुए उसे आगे बढ़ने का मौका दे रही थी और उसका बेटा भी अपनी मां की जवानी की आग में कदर पागल हो गया की मां बेटे के रिश्ते को खोलकर वह अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी नंगी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा था।




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सूरज का दिन बड़े जोरों से धड़क रहा था ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की गांड को पहली बार देख रहा था उसकी नंगी गांड के पहली बार दर्शन कर रहा था वह आज से पहले भी बहुत बार अपनी मां को नग्न अवस्था में देख चुका था यहां तक की अपने पिताजी के साथ चुदवाते हुए भी देख चुका था लेकिन फिर भी हर एक बार एक नयापन उसे महसूस होता था और आज भी यही नयापन उसे मदहोशी से भर दे रहा था,,,, आज का दिन उसके लिए बेहद खास और भाग्यशाली नजर आ रहा थाक्योंकि उसकी जानकारी में आज पहली बार हुआ अपनी मां के साथ एक ही खटिया पर लेटा हुआ था और उसकी मां पूरी तरह से बेसुध होकर सो रही थी इतना बेसुध कीउसने अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी मां को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी ऐसा उसका मानना था जबकि यह वह नहीं जानता था कि उसकी मां जाग चुकी थी और उसकी हरकतों का मजा ले रही थी,,,। अब तकसूरज की जिंदगी में जितनी भी औरतें आई थी वह एक से बढ़कर एक थी लेकिन उसकी मां की बात ही कुछ और थी इस बात को सूरज अच्छी तरह से जानता था इसीलिए तो मदहोशी के परम शिखर पर पहुंच चुका था,,,।





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दूर-दूर से अपनी मां के नंगे बदन के दर्शनकर चुका है सूरज आज पहली बार उसके बेहद करीब था उसकी नंगी गांड की बेहद गरीब का उसकी हालत इस कदर खराब थी कि वह पजामे के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, इस तरह की हरकत उसकी सांसों की गति को और ज्यादा तेज कर दे रही थी उसके लंड की नसों में रक्त का प्रभाव इतना अत्यधिक हो रहा था कि कभी-कभी उसे लगने लगता था कि कहीं उसके लंड की नस फट न जाए,,,,,इस बात का डर भी उसे अपनी मां को इस अवस्था में देखने से नहीं रोक पा रहा था जबकि उसके लंड की हालत अपनी मां को ही समझता में देखने की बातें ही हुआ था पूरी तरह से टनटनाया हुआसूरज का लंड किसी लोहे के रोड की तरह लग रहा था जिसे इस समय बिल्कुल भी मोडा नहीं जा सकता था,,,, उसमें जरा भी ढीलापन नहीं था अगर वह अपने मन में ठान लें तो शायद साड़ी सहित भी वह अपनी मां की बुर में अपने लैंड का प्रवेश करा सकता था। सूरज प्यासी नजरों से अपनी मां की नंगी गांड को देखते हुए अपने मन में ढेर सारी कल्पनाओं को जन्म दे रहा था उसके चेहरे पर उत्तेजना का असर एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,, उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था आंखों में वासना के डोरे दिखाई दे रहे थे,,,, हवस से उसका चेहरा पूरा भरा हुआ था,,,,।





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हवस और वासना इसलिए कीखटिया पर उसके साथ में लेटी हुई औरत कोई गैर औरत नहीं थी वह उसकी खुद की मां थी इसके बारे में गलत सोचना भी बात थाअगर उसकी जगह कोई और औरत होती तो शायद इस वासना और हवस का नाम देना उचित इतना होता क्योंकि एक गैर औरत एक जवान लड़के के साथ एक ही खटिया पर तभी सोती है जब उसकी सहमति होती है और जब वह भी उसे जवान लड़के से कुछ चाहती हो अपने बदन की प्यास बुझानी चाहती हो,,, लेकिन यहां पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था यहां पर सूरज की आंखों में हवस साफ दिखाई दे रही थी,,और वह भी किसी दूसरी औरत के लिए नहीं अपनी मां के लिए,,,बार-बार सूरज अपनी मां की गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर पजामी के ऊपर से अपने लंड को जोर से दबा दे रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था उसका मन तो इसी क्रिया कोअपनी मां की बुर में करने को तड़प रहा था लेकिन वह जानता था कि ऐसा करना उचित नहीं है कहीं उसकी मां की नींद खुल गई तो गजब हो जाएगा इस अवस्था में उसे देखकर वह पूरी तरह से भड़क जाएगी,,,सूरज का ऐसा मानना था जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी मां को सब पता था और अगर इस समय सूरज हिम्मत दिखाकर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डालने की कोशिश करता है तो शायद उसकी मां उसका सहकार देते हुए अपनी टांगें खोल देती।




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क्योंकि वासना और जवानी की आग में केवलसूरज ही नहीं जल रहा था उसकी मां भी पूरी तरह से तप रही थी6 7 महीने से अपने पति से अलग रहने के बाद उसके बदन की प्यास उफान पर थी। वह अपने आप को बिल्कुल भी समझा नहीं पा रही थी कि उसे करना क्या है,,, अपने पति की याद मेंरात भर वह बिस्तर पर करवट बदलती रह जाती थी और अपने हाथ से अपनी जवानी की प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती रहती थी क्योंकि वह जितनी भी अपने बदन की प्यास बुझाने की कोशिश करती थी वह प्यास और भी ज्यादा भड़क जाती थी,,, और इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उसकी जवानीबेलगाम होती जा रही है उसकी खुद की उंगली से कुछ होने वाला नहीं है वह जानती थी कि उसे एक मोटे तगड़े लंबे लंड की जरूरत है जो उसकी बुर में घुसकर तबाही मचा सके उसकी जवानी की आग को बचा सके,,,, पर जाने में उसे एहसास होता था कि ऐसा जवां मर्द है तो केवल उसका बेटा ही है जो उसे अपनी बाहों में दबोच कर उसे रगड़ रगड़ कर चोद सकता है,,,, और जब जब उसके मन में यह ख्याल आता था तब तब उसकी बर पानी छोड़ देती थी। किसी से उसे अंदाजा लग गया था कि जब भी अगर ऐसा मौका आएगा तो उसे उसका बेटा बेहदमजा देगा उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा लेकिन एक तरफ इस तरह का एहसास उसके तन-बदन को मधुर रस से भिगो देता तो दूसरी तरफ इस तरह के ख्याल से थोड़ा घबरा जाती थी क्योंकि वह जानती थी कि वह किसके बारे में इस तरह की गंदी बातें सोच रही थी अपनी बेटी के बारे में इस तरह की गंदी बातें सोचना एक मां के लिए बहुत बड़ा पाप होता है लेकिन इस समय वह मजबूर हो चुकी थी अपने बदन की प्यास के खातिर वह पूरी तरह से बहक चुकी थी।




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सूरज अपनी मां के बगल मेंखटिया पर लेटा हुआ था उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ थाऔर उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड थी जिसकी गहरी फांक में वह कुदकर डूब जाना चाहता था,,, सूरज को लग रहा था कि जैसे खटिया में उसकेपास आसमान का चांद उतर आया हो,, उसकी मां की नंगी गांड एकदम चांद की तरह दिखाई दे रही थी जो कि एकदम चमक कर अपनी आभा बिखेर रही थी,, सूरज इस चांद को अपनी हथेली में लेकर तबोच लेना चाहता था उसे सारी दुनिया की नजरों से बचाकर अपनी मुट्ठी में कैद कर लेना चाहता था ताकि इस पर केवल उसका ही हक हो किसी और का हक बिल्कुल भी ना हो और ना तो कोई उसे आंख उठा कर देख सके एक तरह से हुआअपनी मां की जवानी को अपनी आगोश में लेकर पूरी दुनिया से बचा लेना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का भी डर था कि कहीं उसकी मां अपनी प्यास बुझाने के लिए किसी गैर मर्द का सहारा ना ले ले,,,।

अपनी मां कीबेस कीमती खजाने की तरफ वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर धीरे से अपनी हथेली को उसे मखमली अंग पर रख दिया जो कि बाहर से शांत देखने वाली शीतल दीखने वाली उसकी बड़ी-बड़ी गांड अंदर से दहक रही थी सुलग रही थी सूरज अच्छी तरह से जानता था कि वह इतना क्यों समझ रही है उसे मालूम था कि ऐसी ताकती हुई गांड पर लंड की पिचकारी करने पर वह शांत हो जाती है ठंडी पड़ जाती है,,,, और सूरज वही इलाज करना चाहता थाधीरे-धीरे सूरज अपनी मां की नंगी गांड पर अपनी हथेली रखकर सहला रहा था उसे ऊपर से नीचे तक घूम रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था अपनी मांकी गांड को अपनी हथेली से सहलाने में उसे इतना आनंद आ रहा था कि पूछो मत वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था।अपनी मां की गांड की गरमाहट को अपनी हथेली में महसूस कर रहा था लेकिन वह गर्मी हथेली से होते हुए सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार पर उसकी तपन साफ महसूस हो रही थी। कुछ देर तक सूरज इसी तरह से अपनी मां की गांड को सहलाता रहा।लेकिन इस दौरान भी उसे अच्छी तरह से महसूस हो रहा था कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हुई थी उसकी मां की आंख नहीं खुली थी,,।





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जबकि ईस बात का उसे अंदाजा तक नहीं था कि उसकी मां जाग चुकी है और उसकी हरकतों का आनंद ले रही है,,,, जब काफी देर तक सूरज को अपनी मां के बदन में जरा भी हलचल महसूस नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,, लेकिन धीरे-धीरे समय गुजर रहा थाजो भी करना था उसे जल्दी करना था क्योंकि वह जानता था कि उसे किस तरह से आनंद मिलने वाला है,,,, वह अपनी मां की गांड सहलाता हुआ आगे की योजना बना रहा था,,,वह जानता था कि जो काम वह अब करने जा रहा है वह काफी हिम्मत का काम था धीरे का काम था जिसमें उसके पसीने छूटने वाले थे,,, अगर कहीं उसकी मां की आंख खुल गई तो गजब हो जाने वाला था इसतरह के खतरे को अच्छी तरह से जानता था लेकिन इन खतरों को भेज कर आगे जो सुख था उसे सुख की लालच में वह इस तरह के खतरे लेने के लिए तैयार हो चुका था। इसलिए वह अपनी योजना को अमल में लाने के लिए अपने दिल की धड़कन पर काबू करके गहरी सांस लिया और धीरे से वह थोड़ा सा आगे अपनी मां की तरफ सरक गया,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,,,एक बार वह इसी तरह से पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की गांड कि दरार के अंदर पजामा सहित अपने लंड को रगडना शुरू कर दिया उसे बहुत मजा आ रहा थावह देखना चाहता था कि उसकी मां के बदन में हलचल होती है कि नहीं,,,। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,,।





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लेकिन इस बार सुनैना को और ज्यादा मजा आने लगा अपनी नंगी गांड पर अपने बेटे के लंड की रगड़ जो की पजामे के अंदर था फिर भी उसकी गर्माहट उसे साफ तौर पर महसूस हो रही थी जिससे उसकी बुर की अंदर का लावा पीघलकर बाहर आ रहा था,,,, वह पागल हुई जा रही थी कभी-कभी तो वह एकदम बेकाबू हो जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि शर्म किस बात की है उसका बेटा भी तो यही चाहता है और क्यों ना वह खुद पहल कर दे और अपनी जवानी की प्यास बुझा लेऐसा मन में सोच कर वह एकदम से अपने बेटे के सामने आ जाना चाहती थी लेकिन एक मां होने की नाते वह ऐसा करने से डर रही थी शर्मा रही थीऔर उसका बेटा उसके बारे में क्या सोचेगा यह सोचकर वह अपने आप को रोक ले रही थी वरना इसी समय वह अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होकर अपनी जवानी की प्यास बुझा लेतीइसलिए वह अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करना चाहते थे जिससे उसका बेटा उसके बारे में गलत धारणा अपने मन में बना ले,,, लेकिन अपने मन में वह ऐसा चाहती जरूर थी की बात कुछ आगे बढ़े। इसलिए तो वह बेसुध होकर लेटी हुई थी,,,,अपने बेटे के लंड की रगड़ को अपनी गांड पर महसूस करके पानी पानी हो रही थी,,,,,,,







सूरज अपनी मां की नंगी गांड पर हाथ रखकर उसे चल रहा था और ऐसा करने में उसे इतनी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था कि पूछो मत वह इसी समय अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए अपने आप को तैयार कर चुका था लेकिन फिर ना जाने क्या सोच कर वह रुक गया था,,,,जितनी भी औरतें उसके जीवन में आई थी उन सब से हसीन और खूबसूरत गांड उसकी मां की थी,,,और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके पिताजी कितने बेवकूफ है कि ईतनी खूबसूरत और हसीन औरत को छोड़कर दूसरी बाजारु औरत के पीछे पड़े हैं,, जोकि उसकी मां की जवानी के आगे कुछ भी नहीं थी,,,, सूरजकमल के बारे में सोच रहा था उसे अपनी आंखों से देख चुका था उसकी जवानी को भी देख चुका था वैसे तो सब कुछ ठीक-ठाक ही था लेकिन वह जानता था कि उसकी मां के आगे वह कुछ भी नहीं थी, इसलिए तो अपने मन में ही वह कमला की गांड कीतुलना अपनी मां की गांड से कर रहा था और उसे एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी मां की गांड कितनी खूबसूरत और हंसीन है,,, सहलाते सहलाते वह उत्तेजना के चलते वह अपनी मां की गांड को अपनी हथेली में दबोच ले रहा था,,, और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था।

लेकिन आप उसे एहसास हो रहा था कि समय ज्यादा गुजर रहा है उसे ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि धीरे-धीरे दिन बीत रहा था और कुछ ही देर मेंशाम होने को थी ऐसे में उसकी अपनी मां के साथ इस तरह से मस्ती करना उसके लिएखतरा बन सकता था अगर उसकी मां की नींद खुल जाती तो इसलिए वह अपनी हरकत को अब तेज कर देना चाहता था जिसके चलते वह अपने पजामे को धीरे-धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,और देखते ही देखते अपने हाथ से और अपने पैर का सहारा लेकर अपने पजामी को उतार कर वह भी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया,,,, वैसे तो वह अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तड़प रहा था लेकिन वहखेत में इस तरह से कुछ करेगा इस बारे में कभी सोचा नहीं था यह तभी संभव हो पाया जब अपनी मां को गहरी नींद में खटिया पर सोते हुए देखा उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसका ईमान बदलने लगा और आलम यह था कि इस समय उसकी मां भी कमर के नीचे से नंगी थी और वह भी कमर के नीचे से नंगा था। लैंड की अकड़उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी लैंड में उसे दर्द महसूस हो रहा था क्योंकि वह जानता था कि इस समय उसका लंड औकात से ज्यादा सख्त हो चुका थाऔर यह सब उसकी मां की जवानी की बदौलत ही थी वरना उसकी आंखों के सामने मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की सोनू की चाची पास के गांव की बहू और खुद उसकी बहनभी नंगी हो चुकी थी लेकिन इस तरह का एहसास उसे कभी नहीं हुआ था जैसा कि अपनी मां की नंगी जवान देखकर वह पागल हो रहा था।

सुनैना का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि खटिया पर जिस तरह की हलचल हो रही थी उसे न जाने क्यों महसूस हो रहा था कि उसका बेटा अपने कपड़े उतार रहा था,,,, और इस बात का एहसास उसे होते ही उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी बदन में झुनझुनी से फैलने लगी थी,,,, सांसे बेहद गहरी चलने लगी थी,,,, क्योंकि उसे एहसास होने लगा था कि कुछ ही देर में अगर वह सही है तो,,, उसके बेटे का नंगा लंड उसकी नंगी गांड खाते हुए महसूस होगा और इस अनुभव के लिए वह पूरी तरह से मचल उठी थी तैयार हो चुकी थी,,,,करने का अजीब सी खुशी उसे पूरी तरह से मदहोश किए हुए थे उत्तेजना के मारे चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था,,,,सूरज अपने नंगे लंड को पकड़कर उसे ऊपर नीचे करके हिला रहा था और अपनी मां की नंगी गांड देख रहा था,,,,एक हाथ उसकी नंगी गांड पर रखकर उसे सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मुठिया रहा था ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,,, उसकी आंखें वासना से लाल हो चुकी थी,,,,आगे का निर्णय वहां सही तरीके से ले नहीं पा रहा था उसकी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत कमर से नीचे नंगी थी उसकी गांड नंगी थी जो उसकी आंखों के सामने थी उसके लंड के सिधान पर थी,,,,उसकी थोड़ी सी हिम्मत उसे एक अद्भुत सुख प्रदान कर सकती थी लेकिन इस तरह की हिम्मत दिखाने के लिए भी हिम्मत चाहिए थी,,,।अगर उसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो शायद तो हिम्मत दिखा कर अब तक उसकी बुर में अपना लंड डाल दिया होता क्योंकि वह औरत को काबू में करना अच्छी तरह से जानता था लेकिन इस समय खटिया पर उसकी मां थी इसलिए वह थोड़ा हिचकिचा रहा था।

फिर भी अब तक जिस तरह का अनुभव से मिला था अब तक जिस तरह से उसकी मां ने पूरा सहयोग दी थी गहरी नींद में होकरइसे देखकर उसकी हिम्मत बढ़ रही थी और वह अपने मन में सोचा कि एक बार अपनी मां की गांड पर नंगा लंड रगड़ लेने में क्या बुरा है वह भी मैसेज करना चाहता था कि लंड का सुपाड़ा जब नंगी गांड पर रगड़ खाता है तो कैसा महसूस होता है और वह भी खास करके अपनी मां की गांड पर,,, यही सोच कर वहअपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को अपनी मां की गांड की दरार के बीचों बीच हल्के हल्के रगड़ने लगा यह अनुभव उसके लिए बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था पल भर के लिए उसे लगा कि कहीं उसके लंड से पिचकारी ना छूट जाए,,, वह अपने आप को, नियंत्रित करके गहरी सांस लेने लगा,,,, क्योंकि वह जानता था कि किस तरह की जल्दबाजी पानी की पिचकारी निकल सकती थी,,,और कुछ देर शांत रहने के बाद वह फिर से अपनी क्रिया को दोहराने लगा अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड के चारों तरफ अपने लंड को पकड़ कर घूमते हुए उसके सुपाड़े की गर्मी की रगड़ से जो अद्भुत सुख से प्राप्त हो रहा था वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,, और यही हाल उसकी मां का दिखाअपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के गरम सुपाड़े को अपनी गांड पर महसूस करते हैं उसकी गर्मी से उसकी बुर का गरम लावा पीघलना शुरू कर दिया था।सुनैना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपनी तरफ से कोई भी क्रिया व कर नहीं सकती थी क्योंकि वह अपने बेटे की नजर में गिरना नहीं चाहती थी लेकिन अपने बेटे की हरकत से वह बेकाबू हो जा रही थी मन तो कर रहा था कि अपना हाथ पीछे लाकर अपने बेटे के लंड जोर से पकड़ ले और उसे अपनी बुर का रास्ता दिखा देक्योंकि आप उससे भी रहने जा रहा था लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को नियंत्रित कि हुई थी।

कुछ देर तक सूरज इसी तरह से अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ता रहा,,,,लेकिन जब उसने देखा कितने से भी उसकी मां के बदन में हलचल नहीं हो रहा है तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी और वहां अपने लंड को इस तरह से छोड़कर अपनी मां की कमर पर हाथ रख दिया और अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ने के लिए अपनी कमर को गोल-गोल घूमने लगा जिसकी वजह से उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की गांड के ईर्द गिर्द रगड़ खाने लगा। अपनी मां की कमर को पकड़कर ईस तरह की हरकत करने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, और उसकी मां भी मस्त हो रही थी।कमर पर जिस तरह से उसके बेटे ने हाथ रखा हुआ था उसकी कमर को पकड़े हुए थे पल भर के लिए तो उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा अपने लंड को उसकी बुर में डाल देगा लेकिन उसका बेटा लंड को रगड़ रगड़ कर ही खुद मजा ले रहा था उसे भी मजा ले रहा था। लेकिन अब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी शायद वह बेकाबू भी हो रहा था,,, क्योंकि शायद कोई भी मर्द ईतने से अपने आप को रोक नहीं सकता था क्योंकि 2 इंच की दूरी पर हीऔरत की सबसे खूबसूरत अंग उसका गुलाबी छेद था जिसके लिए इतनी सारी प्रक्रिया मर्द करता है,,,, और शायद अब सूरज भी अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था,,,, उसके लंड से पदार्थ निकल रहा थाजिसे वह अपनी मां की गांड के चारों तरफ अपने लंड के सुपाडे से ही लगा रहा था। जिसका एहसास सुनैना को हो रहा था,,,, सूरज अब अपनी क्रिया को आगे बढ़ाना चाहता था,,,, इसलिए लंड के सुपाड़े को पकड़ कर वह धीरे-धीरे अपनी मां की गांड कि दरार के अंदर प्रवेश करने लगा यह एहसास सुनैना को होते ही वह पानी पानी होने लगी,,,,

उसकी गहरी सांसों से पागल कर रही थी और अपनी गर्दन पर अपने बेटे की गहरी सांस को महसूस करके उसकी हिम्मत छूट रही थी,,, आधे से ज्यादा सुपड़ा गांड की गहराई ली हुई दरारमैं प्रवेश कर चुकी थी और एक बार रास्ता दिखा देने के बाद सूरज लंड पर से अपना हाथ हटा लिया और सीधा उसे अपनी मां की गांड पर रख दिया,,,सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत से उसका लंड उसकी मां के गुलाबी छेद में जाने वाला बिल्कुल भी नहीं है लेकिन वह इस समय अपनी मां की बुर में अपना लंड डालना भी नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की बुर में लंड घुसते ही उसकी आंख खुल जाएगी उसकी नींद टूट जाएगी और उसके बाद क्या होगा या तो वह भी नहीं जानता हो सकता है कि उसकी हरकतउसकी मां को पूरी तरह से मस्त कर दे और वह तैयार भी हो जाए लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उसकी मां उसकी हरकत से पूरी तरह से नाराज हो जाए और सूरज अपनी मां की नजर में गिर जाए ऐसा सूरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था। लेकिन सूरज जानता था कि इतने से भी उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होगीइसलिए वह अपनी मां की गांड पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा मानो कि जैसे अपनी मां की चुदाई कर रहा हो,,,सूरज को मजा आ रहा था बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी लेकिन वह इस बात से हैरान भी था कि उसकी मां की गांड की आंखों के बीच की गहरी दरार भी बेहद गहरी थी मानो की जैसे किसी बुर में उसका लंड प्रवेश कर रहा हो,,,।

सुनैना की हालत खराब हो रही थी उसे अपने बेटे के लंड की रगड़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी क्योंकि उसके लंड का सुपड़ा बार-बार उसकी गांड के छोटे से छेद को छेड़ दे रहा था और उसकी मां गांड मराने को उत्सुक हुआ जा रहा था,,,,सूरज को अपने छुपाने पर अपनी मां की गांड की गर्मी अच्छी तरह से महसूस हो रही थी वह मदहोश हो रहा था उसकी आंखें बंद थी और वह अपनी मां की गांड पकड़ कर अपनी कमर को हिला रहा था वह इस बात से बिल्कुल भी निश्चित हो गया था कि उसकी मां अगर जाग जाएगी तो क्या होगा क्योंकि वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी में पूरी तरह से डूब चुका था,,,,, लंड से निकल रहा गीला पदार्थसुनैना की गांड कि दरार को पूरी तरह से भिगो दे रहा था उसमें चिकनाहट पैदा हो रही थी जिसकी चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा गांड की छेद से नीचे की तरफ सरक रहा था और उसकी बुर के करीब जा रहा था। और यह एहसास सुनैना को होते ही,,, उसकी बर पानी छोड़ने लगी और चिपचिपी होने लगी,,,, सूरज को तो इस समय बुर में डाले बिना नहीं चुदाई का एहसास हो रहा था,,उसे चुदाई का सुख प्राप्त हो रहा था,,,, क्योंकि जो क्रिया बुर के अंदर होती है वही क्रिया गांड की दरार के बीचों बीच भी हो रही थी वही आनंद वही माया उसे मिल रहा थाउसे यकीन नहीं हो रहा था कि किसी औरत की गांड की दरार भी इतनी कसी हुई हो सकती है कि मानो की जैसे बुर हो,,,,अपनी मां की गांड पकड़ कर सूरज इस तरह से अपनी कमर हिला रहा था और धीरे-धीरे उसके लंड कैसे छुपाना उसकी मां की गुलाबी बुर के छेद तक पहुंच जा रहा था।

यह सुनैना के लिए असहनीय होता जा रहा था,,, उसका मन व्याकुल हुआ जा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह बेचैन हो रही थी जैसे कोई मनपसंद नहीं मन जो बेहद अजीब होवह दरवाजे तक आए और दरवाजे से ही लौट जाए तो कितना दुख होता है कितना अजीब लगता है वही हाल ही समय सुनैना का थाएक मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की दीवार से बार-बार वापस चला जा रहा था जिसे वहां अपनी बर के अंदर लेना चाहती थी उसका स्वागत करना चाहती थी उसकी सेवा करना चाहती थी लेकिन वह चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकती थी।उसका बस दरवाजा खोलने की देर थी और वह अपने उसे अजीज मेहमान को घर में प्रवेश कर सकती थी उसके स्वागत कर सकती थी उसकी सेवा कर सकती थी लेकिन ऐसा करने में भी बहुत सी बातें बना सकती थी जिसे अच्छी तरह से जानती थी,,,वह किसी भी तरह से अपने बेटे के लंड को अपनी गुलाबी छेद के अंदर लेना चाहती थी लेकिन जिस तरह से वह लेटी हुई थी इस अवस्था में बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था कि उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लैंड आराम से उसकी बुर में प्रवेश कर जाए लेकिन बार-बार उसकी बुर पर ठोकर जरूर मार रहा था मानो के जैसे दरवाजे पर दस्तक दे रहा हो अंदर आने के लिए।


सुनैना तड़प रही थी मचल रही थीवह अपनी तो एक टांग को मोड़कर खटिया के पाटी पर कर लेना चाहती थी ताकि उसकी दोनों टांगें पीछे से खुल जाए और उसकी बुर उसके बेटे को नजर आ जाए,,, ताकि हिम्मत दिखा कर उसका बेटा आराम से उसकी बुर में अपना लंड डाल सके लेकिन ऐसा करने में भी सुनैना के पसीने छूट रहे थे,,,, और बार-बार सूरज के लंड का सुपाड़ाउसकी मां की बुर पर दस्तक दे रहा था बार-बार उसके गुलाबी छेद से उसके लंड का सुपाड़ा से स्पर्श हो रहा था जिससे उसके लंड की गर्मी एकदम से बढ़ रही थी।वह चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और दूसरी तरफ जिस तरह की हालत सुनैना की हो रही थी वह अपने मन में हिम्मत जुटा रही थी वह दिन दुनिया के बारे में सोचना भूल गई थी इस समय उसे सिर्फ अपना ख्याल था अपने बेटे का ख्याल था अपनी जवानी की प्यासबुझाना महत्व पूर्ण लग रहा था और वह अपने मन में पूरी तरह से निर्णय कर चुकी थी कि अब वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर रहेगी,,,और वह इसके लिए अपनी टांग को मोड़ना चाहती थी ताकि गुलाबी छेद उसके बेटे की आंखों के सामने एकदम से खुलकर उजागर हो जाए और वह ऐसा करने ही वाली थी कि तब तक उसके बेटे की हिम्मत जवाब दे गई वह एकदम से अपने चरम सुख पर पहुंच गया और उसके अंदर से पिचकारी छूटने लगी जिसका एहसास से नैना को होते ही उसकी बुरे भी पानी छोड़ दी वह मदहोश हो गई बार-बार उसकी गांड की दरार से उसके बेटे के लंड से निकली पिचकारी टकरा रही जिससे उसका आनंद दुगना होता चला जा रहा था और सूरज गहरी सांस लेते हुए पानी छोड़ रहा था।

वासना का तूफान पूरी तरह से थम चुका थासूरज झड़ चुका था और अपनी हरकतों से अपनी मां का भी पानी निकल चुका था वह भी गहरी सांस ले रही थी लेकिन अभी तक वह नींद से बाहर आने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की थी,,,,सूरज अपनी मां की गांड की तरफ देखा तो उसके लंड से निकाला गरम लावा की पिचकारी पूरे गांड को भिगो दिया था। वह इस तरह सेअपनी मां को उसके हाल पर नहीं छोड़ सकता था इसलिए अपने पजामे से अपनी मां की गांड साफ किया यह सब का एहसाससुनैना को अच्छी तरह से हो रहा था अच्छी तरह से अपनी मां की गांड साफ कर लेने के बाद वह धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा और इसमें भी उसकी मां ने उसका पूरा सहयोग की नींद में होकर भी वह अपने बेटे को पूरी मदद कर रही थी और देखते-देखते सूरज अपनी मां की साड़ी को उसके घुटनों के नीचे तक कर दिया था सब कुछ उसे बराबर लग रहा था वह इस बात से खुश था कि इतना कुछ हो गया लेकिन उसकी मां को उसकी भनक तक नहीं लगी थी,,, और फिर वह अपने काम में लग गया,,,।

थोड़ी देर बाद सुनैना नींद से उठने का नाटक करते हुए खटिया पर बैठकर अंगड़ाई ले रही थी और जब देखी की शाम हो गई है तो जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली।

हाय दइया यह तो दिन ढल गया शाम हो गई और तूने मुझे जगाया नहीं,,,,।

जगह कर क्या करता तुम गहरी नींद में सो रही थी इसलिए तुम्हें जागना उचित नहीं लगा और मैं ही खेत का काम सब कर दिया,,,।

तू मेरे बारे में कितना सोता है ना तो सच में बहुत अच्छा बेटा है,,,,।

वह तो हूं ही,,,, अब चलो घर चलते हैं आज का काम मैं कर दिया हूं,,,।

( सूरज की बात सुनकर वह अपने मन में नहीं बोली हां जानती हूं तो आज का काम कर दिया है थोड़ा और अपने काम को बढ़ाया होता तो उसका भी काम हो जाता है लेकिन जो कुछ भी हुआ उसमें मजा को बताया और वह मुस्कुराते हुए खटिया पर से नीचे उतर गई और फिर दोनों मां बेटे घर की तरफ चल दिए,,, सूरज को इस बात की खुशी देखीउसने जो कुछ भी अपनी मां के साथ किया था गहरी नींद में होने की वजह से कुछ पता ही नहीं चला था।)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
जेठ का महीना ऊपर से कडकती धुप,,, ऐसे में गांव वाले अपने-अपने घर में ही रहकर आराम करते थे अगर जो खेतों में चले जाते थे तो खेत में ही बनी झोपड़ी के अंदर पेड़ के नीचे आराम कर लेते थे क्योंकि अगर किसी को गर्मी लग जाए तो मुश्किल हो जाता है तबीयत खराब हो जाती है इसलिए गांव वाले अपने बचाव के लिए इतनी कड़कती धूप में कभी भी अपने घर से बाहर निकलते,,, और ऐसे ही गर्मी के महीने में खेत में काम करने की थकान से थक कर गहरी नींद में सो चुकी सुनैना और उसका बेटा एक अलग ही कार्य में लगे हुए थे।




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अपनी मां की गहरी नींद में होने का पूरा फायदा उठाते हुए सूरजधीरे-धीरे करके अपनी मां की साड़ी को उसकी कमर तक उठा दिया था हालांकि ऐसा करने में उसे काफी समय और मस्सकत झेलनी पड़ी थी लेकिन फिर भी,,, जो कार्य उसे करना था वह करके ही दम लिया था,,,लेकिन इसमें भी उसकी मां का पूरा सहकार था वरना वह ऊपर से साड़ी को कमर तक तो उठा सकता था लेकिन मोटी-मोटी जांघों के नीचे फंसी साड़ी को वह ऊपर तक नहीं उठा सकता था,,, इसलिएअपने बेटे की हरकत का आनंद लेते हुए और यह देखने के लिए कि इससे आगे उसका बेटा क्या करता है इसीलिए वह अपने बेटे का सहकार कर रही थी और अपने वजन को खटिया पर हल्का छोड़ दी थी ताकि आराम से साड़ी ऊपर की तरफ जा सके और उसका यह सहकार रंग लाया था,,, अब उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर के तक उठी हुई थी कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इस बात का एहसास उसे पूरी तरह से गनगना दे रहा था। सुनैना अपने बेटे के सामने इस अवस्था में कभी नहीं आना चाहती थीक्योंकि वह बेहद संस्कारी और मर्यादा से औरत थी लेकिन उसके बेटे की हरकत में ही उसके मन को बदल कर रख दिया था और आलम यह था कि आज अपने बेटे के सामने अपनी नंगी गांड बिछाए वह मदहोश हुए जा रही थी। ऐसे तो अपने बेटे के सामने सब स्थान मेंहोना उसके लिए कोई बहुत बड़ी मजबूरी नहीं थी लेकिन बदन की जरूरत भी एक सबसे ज्यादा बड़ी मजबूरी हो जाती है एक औरत के लिए अपने चरित्र को अभी तक संभाल कर रखने वालीसुनैना अपने बेटे की हरकत से इतना अत्यधिक गर्म हो चुकी थी कि उसकीहर एक हरकत का आनंद लेते हुए वह उसके हाथों की कठपुतली बनने को तैयार हो चुकी थी।





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एक मां होने की नाते वह अपनी भावनाओं पर एक हद तक काबू कर पाई थी लेकिन अपने बेटे की हरकत से वह बेकाबू हुई जा रही थी,,, बरसों बाद वह अपनेवह अपने नितंबों पर एक मोटे तगड़े लंबे लंड की रगड़ को महसूस की थी और यह रगड़ उसे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था बेकाबू कर दिया थाऔर बरसों से अपने चरित्र को जिस तरह से वह संजो के रखी हुई थी उसे तार-तार करने के लिए कुछ हद तक वह भी तैयार हो चुकी थी,,,,अपनी चिकनी कमर पर अपने बेटे की हथेली को महसूस करके वह पानी पानी हो गई थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि एक औरत की बुर अत्यधिक पानी कब छोड़ती है और क्यों छोड़ती है,,, इसीलिए तो वह अपने बेटे की हरकत से मद-मस्त होकर उसकी हरकतों का आनंद लेते हुए उसे आगे बढ़ने का मौका दे रही थी और उसका बेटा भी अपनी मां की जवानी की आग में कदर पागल हो गया की मां बेटे के रिश्ते को खोलकर वह अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी नंगी गांड को प्यासी नजरों से देख रहा था।




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सूरज का दिन बड़े जोरों से धड़क रहा था ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की गांड को पहली बार देख रहा था उसकी नंगी गांड के पहली बार दर्शन कर रहा था वह आज से पहले भी बहुत बार अपनी मां को नग्न अवस्था में देख चुका था यहां तक की अपने पिताजी के साथ चुदवाते हुए भी देख चुका था लेकिन फिर भी हर एक बार एक नयापन उसे महसूस होता था और आज भी यही नयापन उसे मदहोशी से भर दे रहा था,,,, आज का दिन उसके लिए बेहद खास और भाग्यशाली नजर आ रहा थाक्योंकि उसकी जानकारी में आज पहली बार हुआ अपनी मां के साथ एक ही खटिया पर लेटा हुआ था और उसकी मां पूरी तरह से बेसुध होकर सो रही थी इतना बेसुध कीउसने अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था और उसकी मां को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी ऐसा उसका मानना था जबकि यह वह नहीं जानता था कि उसकी मां जाग चुकी थी और उसकी हरकतों का मजा ले रही थी,,,। अब तकसूरज की जिंदगी में जितनी भी औरतें आई थी वह एक से बढ़कर एक थी लेकिन उसकी मां की बात ही कुछ और थी इस बात को सूरज अच्छी तरह से जानता था इसीलिए तो मदहोशी के परम शिखर पर पहुंच चुका था,,,।





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दूर-दूर से अपनी मां के नंगे बदन के दर्शनकर चुका है सूरज आज पहली बार उसके बेहद करीब था उसकी नंगी गांड की बेहद गरीब का उसकी हालत इस कदर खराब थी कि वह पजामे के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, इस तरह की हरकत उसकी सांसों की गति को और ज्यादा तेज कर दे रही थी उसके लंड की नसों में रक्त का प्रभाव इतना अत्यधिक हो रहा था कि कभी-कभी उसे लगने लगता था कि कहीं उसके लंड की नस फट न जाए,,,,,इस बात का डर भी उसे अपनी मां को इस अवस्था में देखने से नहीं रोक पा रहा था जबकि उसके लंड की हालत अपनी मां को ही समझता में देखने की बातें ही हुआ था पूरी तरह से टनटनाया हुआसूरज का लंड किसी लोहे के रोड की तरह लग रहा था जिसे इस समय बिल्कुल भी मोडा नहीं जा सकता था,,,, उसमें जरा भी ढीलापन नहीं था अगर वह अपने मन में ठान लें तो शायद साड़ी सहित भी वह अपनी मां की बुर में अपने लैंड का प्रवेश करा सकता था। सूरज प्यासी नजरों से अपनी मां की नंगी गांड को देखते हुए अपने मन में ढेर सारी कल्पनाओं को जन्म दे रहा था उसके चेहरे पर उत्तेजना का असर एकदम साफ दिखाई दे रहा था,,,, उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था आंखों में वासना के डोरे दिखाई दे रहे थे,,,, हवस से उसका चेहरा पूरा भरा हुआ था,,,,।





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हवस और वासना इसलिए कीखटिया पर उसके साथ में लेटी हुई औरत कोई गैर औरत नहीं थी वह उसकी खुद की मां थी इसके बारे में गलत सोचना भी बात थाअगर उसकी जगह कोई और औरत होती तो शायद इस वासना और हवस का नाम देना उचित इतना होता क्योंकि एक गैर औरत एक जवान लड़के के साथ एक ही खटिया पर तभी सोती है जब उसकी सहमति होती है और जब वह भी उसे जवान लड़के से कुछ चाहती हो अपने बदन की प्यास बुझानी चाहती हो,,, लेकिन यहां पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं था यहां पर सूरज की आंखों में हवस साफ दिखाई दे रही थी,,और वह भी किसी दूसरी औरत के लिए नहीं अपनी मां के लिए,,,बार-बार सूरज अपनी मां की गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर पजामी के ऊपर से अपने लंड को जोर से दबा दे रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था उसका मन तो इसी क्रिया कोअपनी मां की बुर में करने को तड़प रहा था लेकिन वह जानता था कि ऐसा करना उचित नहीं है कहीं उसकी मां की नींद खुल गई तो गजब हो जाएगा इस अवस्था में उसे देखकर वह पूरी तरह से भड़क जाएगी,,,सूरज का ऐसा मानना था जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था उसकी मां को सब पता था और अगर इस समय सूरज हिम्मत दिखाकर अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डालने की कोशिश करता है तो शायद उसकी मां उसका सहकार देते हुए अपनी टांगें खोल देती।




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क्योंकि वासना और जवानी की आग में केवलसूरज ही नहीं जल रहा था उसकी मां भी पूरी तरह से तप रही थी6 7 महीने से अपने पति से अलग रहने के बाद उसके बदन की प्यास उफान पर थी। वह अपने आप को बिल्कुल भी समझा नहीं पा रही थी कि उसे करना क्या है,,, अपने पति की याद मेंरात भर वह बिस्तर पर करवट बदलती रह जाती थी और अपने हाथ से अपनी जवानी की प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती रहती थी क्योंकि वह जितनी भी अपने बदन की प्यास बुझाने की कोशिश करती थी वह प्यास और भी ज्यादा भड़क जाती थी,,, और इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उसकी जवानीबेलगाम होती जा रही है उसकी खुद की उंगली से कुछ होने वाला नहीं है वह जानती थी कि उसे एक मोटे तगड़े लंबे लंड की जरूरत है जो उसकी बुर में घुसकर तबाही मचा सके उसकी जवानी की आग को बचा सके,,,, पर जाने में उसे एहसास होता था कि ऐसा जवां मर्द है तो केवल उसका बेटा ही है जो उसे अपनी बाहों में दबोच कर उसे रगड़ रगड़ कर चोद सकता है,,,, और जब जब उसके मन में यह ख्याल आता था तब तब उसकी बर पानी छोड़ देती थी। किसी से उसे अंदाजा लग गया था कि जब भी अगर ऐसा मौका आएगा तो उसे उसका बेटा बेहदमजा देगा उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा लेकिन एक तरफ इस तरह का एहसास उसके तन-बदन को मधुर रस से भिगो देता तो दूसरी तरफ इस तरह के ख्याल से थोड़ा घबरा जाती थी क्योंकि वह जानती थी कि वह किसके बारे में इस तरह की गंदी बातें सोच रही थी अपनी बेटी के बारे में इस तरह की गंदी बातें सोचना एक मां के लिए बहुत बड़ा पाप होता है लेकिन इस समय वह मजबूर हो चुकी थी अपने बदन की प्यास के खातिर वह पूरी तरह से बहक चुकी थी।




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सूरज अपनी मां के बगल मेंखटिया पर लेटा हुआ था उसके पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ थाऔर उसकी आंखों के सामने उसकी मां की नंगी गांड थी जिसकी गहरी फांक में वह कुदकर डूब जाना चाहता था,,, सूरज को लग रहा था कि जैसे खटिया में उसकेपास आसमान का चांद उतर आया हो,, उसकी मां की नंगी गांड एकदम चांद की तरह दिखाई दे रही थी जो कि एकदम चमक कर अपनी आभा बिखेर रही थी,, सूरज इस चांद को अपनी हथेली में लेकर तबोच लेना चाहता था उसे सारी दुनिया की नजरों से बचाकर अपनी मुट्ठी में कैद कर लेना चाहता था ताकि इस पर केवल उसका ही हक हो किसी और का हक बिल्कुल भी ना हो और ना तो कोई उसे आंख उठा कर देख सके एक तरह से हुआअपनी मां की जवानी को अपनी आगोश में लेकर पूरी दुनिया से बचा लेना चाहता था क्योंकि उसे इस बात का भी डर था कि कहीं उसकी मां अपनी प्यास बुझाने के लिए किसी गैर मर्द का सहारा ना ले ले,,,।

अपनी मां कीबेस कीमती खजाने की तरफ वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर धीरे से अपनी हथेली को उसे मखमली अंग पर रख दिया जो कि बाहर से शांत देखने वाली शीतल दीखने वाली उसकी बड़ी-बड़ी गांड अंदर से दहक रही थी सुलग रही थी सूरज अच्छी तरह से जानता था कि वह इतना क्यों समझ रही है उसे मालूम था कि ऐसी ताकती हुई गांड पर लंड की पिचकारी करने पर वह शांत हो जाती है ठंडी पड़ जाती है,,,, और सूरज वही इलाज करना चाहता थाधीरे-धीरे सूरज अपनी मां की नंगी गांड पर अपनी हथेली रखकर सहला रहा था उसे ऊपर से नीचे तक घूम रहा था ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था अपनी मांकी गांड को अपनी हथेली से सहलाने में उसे इतना आनंद आ रहा था कि पूछो मत वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था।अपनी मां की गांड की गरमाहट को अपनी हथेली में महसूस कर रहा था लेकिन वह गर्मी हथेली से होते हुए सीधा उसकी दोनों टांगों के बीच के हथियार पर उसकी तपन साफ महसूस हो रही थी। कुछ देर तक सूरज इसी तरह से अपनी मां की गांड को सहलाता रहा।लेकिन इस दौरान भी उसे अच्छी तरह से महसूस हो रहा था कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हुई थी उसकी मां की आंख नहीं खुली थी,,।





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जबकि ईस बात का उसे अंदाजा तक नहीं था कि उसकी मां जाग चुकी है और उसकी हरकतों का आनंद ले रही है,,,, जब काफी देर तक सूरज को अपनी मां के बदन में जरा भी हलचल महसूस नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,, लेकिन धीरे-धीरे समय गुजर रहा थाजो भी करना था उसे जल्दी करना था क्योंकि वह जानता था कि उसे किस तरह से आनंद मिलने वाला है,,,, वह अपनी मां की गांड सहलाता हुआ आगे की योजना बना रहा था,,,वह जानता था कि जो काम वह अब करने जा रहा है वह काफी हिम्मत का काम था धीरे का काम था जिसमें उसके पसीने छूटने वाले थे,,, अगर कहीं उसकी मां की आंख खुल गई तो गजब हो जाने वाला था इसतरह के खतरे को अच्छी तरह से जानता था लेकिन इन खतरों को भेज कर आगे जो सुख था उसे सुख की लालच में वह इस तरह के खतरे लेने के लिए तैयार हो चुका था। इसलिए वह अपनी योजना को अमल में लाने के लिए अपने दिल की धड़कन पर काबू करके गहरी सांस लिया और धीरे से वह थोड़ा सा आगे अपनी मां की तरफ सरक गया,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,,,एक बार वह इसी तरह से पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की गांड कि दरार के अंदर पजामा सहित अपने लंड को रगडना शुरू कर दिया उसे बहुत मजा आ रहा थावह देखना चाहता था कि उसकी मां के बदन में हलचल होती है कि नहीं,,,। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,,।





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लेकिन इस बार सुनैना को और ज्यादा मजा आने लगा अपनी नंगी गांड पर अपने बेटे के लंड की रगड़ जो की पजामे के अंदर था फिर भी उसकी गर्माहट उसे साफ तौर पर महसूस हो रही थी जिससे उसकी बुर की अंदर का लावा पीघलकर बाहर आ रहा था,,,, वह पागल हुई जा रही थी कभी-कभी तो वह एकदम बेकाबू हो जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि शर्म किस बात की है उसका बेटा भी तो यही चाहता है और क्यों ना वह खुद पहल कर दे और अपनी जवानी की प्यास बुझा लेऐसा मन में सोच कर वह एकदम से अपने बेटे के सामने आ जाना चाहती थी लेकिन एक मां होने की नाते वह ऐसा करने से डर रही थी शर्मा रही थीऔर उसका बेटा उसके बारे में क्या सोचेगा यह सोचकर वह अपने आप को रोक ले रही थी वरना इसी समय वह अपने बेटे के साथ हम बिस्तर होकर अपनी जवानी की प्यास बुझा लेतीइसलिए वह अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करना चाहते थे जिससे उसका बेटा उसके बारे में गलत धारणा अपने मन में बना ले,,, लेकिन अपने मन में वह ऐसा चाहती जरूर थी की बात कुछ आगे बढ़े। इसलिए तो वह बेसुध होकर लेटी हुई थी,,,,अपने बेटे के लंड की रगड़ को अपनी गांड पर महसूस करके पानी पानी हो रही थी,,,,,,,







सूरज अपनी मां की नंगी गांड पर हाथ रखकर उसे चल रहा था और ऐसा करने में उसे इतनी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था कि पूछो मत वह इसी समय अपने लंड को उसकी बुर में डालने के लिए अपने आप को तैयार कर चुका था लेकिन फिर ना जाने क्या सोच कर वह रुक गया था,,,,जितनी भी औरतें उसके जीवन में आई थी उन सब से हसीन और खूबसूरत गांड उसकी मां की थी,,,और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसके पिताजी कितने बेवकूफ है कि ईतनी खूबसूरत और हसीन औरत को छोड़कर दूसरी बाजारु औरत के पीछे पड़े हैं,, जोकि उसकी मां की जवानी के आगे कुछ भी नहीं थी,,,, सूरजकमल के बारे में सोच रहा था उसे अपनी आंखों से देख चुका था उसकी जवानी को भी देख चुका था वैसे तो सब कुछ ठीक-ठाक ही था लेकिन वह जानता था कि उसकी मां के आगे वह कुछ भी नहीं थी, इसलिए तो अपने मन में ही वह कमला की गांड कीतुलना अपनी मां की गांड से कर रहा था और उसे एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी मां की गांड कितनी खूबसूरत और हंसीन है,,, सहलाते सहलाते वह उत्तेजना के चलते वह अपनी मां की गांड को अपनी हथेली में दबोच ले रहा था,,, और ऐसा करने में उसे बहुत मजा आ रहा था।

लेकिन आप उसे एहसास हो रहा था कि समय ज्यादा गुजर रहा है उसे ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि धीरे-धीरे दिन बीत रहा था और कुछ ही देर मेंशाम होने को थी ऐसे में उसकी अपनी मां के साथ इस तरह से मस्ती करना उसके लिएखतरा बन सकता था अगर उसकी मां की नींद खुल जाती तो इसलिए वह अपनी हरकत को अब तेज कर देना चाहता था जिसके चलते वह अपने पजामे को धीरे-धीरे उतारना शुरू कर दिया,,,और देखते ही देखते अपने हाथ से और अपने पैर का सहारा लेकर अपने पजामी को उतार कर वह भी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा हो गया,,,, वैसे तो वह अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तड़प रहा था लेकिन वहखेत में इस तरह से कुछ करेगा इस बारे में कभी सोचा नहीं था यह तभी संभव हो पाया जब अपनी मां को गहरी नींद में खटिया पर सोते हुए देखा उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसका ईमान बदलने लगा और आलम यह था कि इस समय उसकी मां भी कमर के नीचे से नंगी थी और वह भी कमर के नीचे से नंगा था। लैंड की अकड़उसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी लैंड में उसे दर्द महसूस हो रहा था क्योंकि वह जानता था कि इस समय उसका लंड औकात से ज्यादा सख्त हो चुका थाऔर यह सब उसकी मां की जवानी की बदौलत ही थी वरना उसकी आंखों के सामने मुखिया की बीवी मुखिया की लड़की सोनू की चाची पास के गांव की बहू और खुद उसकी बहनभी नंगी हो चुकी थी लेकिन इस तरह का एहसास उसे कभी नहीं हुआ था जैसा कि अपनी मां की नंगी जवान देखकर वह पागल हो रहा था।

सुनैना का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि खटिया पर जिस तरह की हलचल हो रही थी उसे न जाने क्यों महसूस हो रहा था कि उसका बेटा अपने कपड़े उतार रहा था,,,, और इस बात का एहसास उसे होते ही उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी बदन में झुनझुनी से फैलने लगी थी,,,, सांसे बेहद गहरी चलने लगी थी,,,, क्योंकि उसे एहसास होने लगा था कि कुछ ही देर में अगर वह सही है तो,,, उसके बेटे का नंगा लंड उसकी नंगी गांड खाते हुए महसूस होगा और इस अनुभव के लिए वह पूरी तरह से मचल उठी थी तैयार हो चुकी थी,,,,करने का अजीब सी खुशी उसे पूरी तरह से मदहोश किए हुए थे उत्तेजना के मारे चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था,,,,सूरज अपने नंगे लंड को पकड़कर उसे ऊपर नीचे करके हिला रहा था और अपनी मां की नंगी गांड देख रहा था,,,,एक हाथ उसकी नंगी गांड पर रखकर उसे सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मुठिया रहा था ऐसा करने में उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,,, उसकी आंखें वासना से लाल हो चुकी थी,,,,आगे का निर्णय वहां सही तरीके से ले नहीं पा रहा था उसकी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत कमर से नीचे नंगी थी उसकी गांड नंगी थी जो उसकी आंखों के सामने थी उसके लंड के सिधान पर थी,,,,उसकी थोड़ी सी हिम्मत उसे एक अद्भुत सुख प्रदान कर सकती थी लेकिन इस तरह की हिम्मत दिखाने के लिए भी हिम्मत चाहिए थी,,,।अगर उसकी मां की जगह कोई और औरत होती तो शायद तो हिम्मत दिखा कर अब तक उसकी बुर में अपना लंड डाल दिया होता क्योंकि वह औरत को काबू में करना अच्छी तरह से जानता था लेकिन इस समय खटिया पर उसकी मां थी इसलिए वह थोड़ा हिचकिचा रहा था।

फिर भी अब तक जिस तरह का अनुभव से मिला था अब तक जिस तरह से उसकी मां ने पूरा सहयोग दी थी गहरी नींद में होकरइसे देखकर उसकी हिम्मत बढ़ रही थी और वह अपने मन में सोचा कि एक बार अपनी मां की गांड पर नंगा लंड रगड़ लेने में क्या बुरा है वह भी मैसेज करना चाहता था कि लंड का सुपाड़ा जब नंगी गांड पर रगड़ खाता है तो कैसा महसूस होता है और वह भी खास करके अपनी मां की गांड पर,,, यही सोच कर वहअपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को अपनी मां की गांड की दरार के बीचों बीच हल्के हल्के रगड़ने लगा यह अनुभव उसके लिए बेहद उत्तेजना से भरा हुआ था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था पल भर के लिए उसे लगा कि कहीं उसके लंड से पिचकारी ना छूट जाए,,, वह अपने आप को, नियंत्रित करके गहरी सांस लेने लगा,,,, क्योंकि वह जानता था कि किस तरह की जल्दबाजी पानी की पिचकारी निकल सकती थी,,,और कुछ देर शांत रहने के बाद वह फिर से अपनी क्रिया को दोहराने लगा अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड के चारों तरफ अपने लंड को पकड़ कर घूमते हुए उसके सुपाड़े की गर्मी की रगड़ से जो अद्भुत सुख से प्राप्त हो रहा था वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,, और यही हाल उसकी मां का दिखाअपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के गरम सुपाड़े को अपनी गांड पर महसूस करते हैं उसकी गर्मी से उसकी बुर का गरम लावा पीघलना शुरू कर दिया था।सुनैना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपनी तरफ से कोई भी क्रिया व कर नहीं सकती थी क्योंकि वह अपने बेटे की नजर में गिरना नहीं चाहती थी लेकिन अपने बेटे की हरकत से वह बेकाबू हो जा रही थी मन तो कर रहा था कि अपना हाथ पीछे लाकर अपने बेटे के लंड जोर से पकड़ ले और उसे अपनी बुर का रास्ता दिखा देक्योंकि आप उससे भी रहने जा रहा था लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को नियंत्रित कि हुई थी।

कुछ देर तक सूरज इसी तरह से अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ता रहा,,,,लेकिन जब उसने देखा कितने से भी उसकी मां के बदन में हलचल नहीं हो रहा है तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी और वहां अपने लंड को इस तरह से छोड़कर अपनी मां की कमर पर हाथ रख दिया और अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ने के लिए अपनी कमर को गोल-गोल घूमने लगा जिसकी वजह से उसके लंड का सुपाड़ा उसकी मां की गांड के ईर्द गिर्द रगड़ खाने लगा। अपनी मां की कमर को पकड़कर ईस तरह की हरकत करने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, और उसकी मां भी मस्त हो रही थी।कमर पर जिस तरह से उसके बेटे ने हाथ रखा हुआ था उसकी कमर को पकड़े हुए थे पल भर के लिए तो उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा अपने लंड को उसकी बुर में डाल देगा लेकिन उसका बेटा लंड को रगड़ रगड़ कर ही खुद मजा ले रहा था उसे भी मजा ले रहा था। लेकिन अब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी शायद वह बेकाबू भी हो रहा था,,, क्योंकि शायद कोई भी मर्द ईतने से अपने आप को रोक नहीं सकता था क्योंकि 2 इंच की दूरी पर हीऔरत की सबसे खूबसूरत अंग उसका गुलाबी छेद था जिसके लिए इतनी सारी प्रक्रिया मर्द करता है,,,, और शायद अब सूरज भी अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था,,,, उसके लंड से पदार्थ निकल रहा थाजिसे वह अपनी मां की गांड के चारों तरफ अपने लंड के सुपाडे से ही लगा रहा था। जिसका एहसास सुनैना को हो रहा था,,,, सूरज अब अपनी क्रिया को आगे बढ़ाना चाहता था,,,, इसलिए लंड के सुपाड़े को पकड़ कर वह धीरे-धीरे अपनी मां की गांड कि दरार के अंदर प्रवेश करने लगा यह एहसास सुनैना को होते ही वह पानी पानी होने लगी,,,,

उसकी गहरी सांसों से पागल कर रही थी और अपनी गर्दन पर अपने बेटे की गहरी सांस को महसूस करके उसकी हिम्मत छूट रही थी,,, आधे से ज्यादा सुपड़ा गांड की गहराई ली हुई दरारमैं प्रवेश कर चुकी थी और एक बार रास्ता दिखा देने के बाद सूरज लंड पर से अपना हाथ हटा लिया और सीधा उसे अपनी मां की गांड पर रख दिया,,,सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत से उसका लंड उसकी मां के गुलाबी छेद में जाने वाला बिल्कुल भी नहीं है लेकिन वह इस समय अपनी मां की बुर में अपना लंड डालना भी नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की बुर में लंड घुसते ही उसकी आंख खुल जाएगी उसकी नींद टूट जाएगी और उसके बाद क्या होगा या तो वह भी नहीं जानता हो सकता है कि उसकी हरकतउसकी मां को पूरी तरह से मस्त कर दे और वह तैयार भी हो जाए लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उसकी मां उसकी हरकत से पूरी तरह से नाराज हो जाए और सूरज अपनी मां की नजर में गिर जाए ऐसा सूरज बिल्कुल भी नहीं चाहता था। लेकिन सूरज जानता था कि इतने से भी उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होगीइसलिए वह अपनी मां की गांड पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा मानो कि जैसे अपनी मां की चुदाई कर रहा हो,,,सूरज को मजा आ रहा था बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी लेकिन वह इस बात से हैरान भी था कि उसकी मां की गांड की आंखों के बीच की गहरी दरार भी बेहद गहरी थी मानो की जैसे किसी बुर में उसका लंड प्रवेश कर रहा हो,,,।

सुनैना की हालत खराब हो रही थी उसे अपने बेटे के लंड की रगड़ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रही थी क्योंकि उसके लंड का सुपड़ा बार-बार उसकी गांड के छोटे से छेद को छेड़ दे रहा था और उसकी मां गांड मराने को उत्सुक हुआ जा रहा था,,,,सूरज को अपने छुपाने पर अपनी मां की गांड की गर्मी अच्छी तरह से महसूस हो रही थी वह मदहोश हो रहा था उसकी आंखें बंद थी और वह अपनी मां की गांड पकड़ कर अपनी कमर को हिला रहा था वह इस बात से बिल्कुल भी निश्चित हो गया था कि उसकी मां अगर जाग जाएगी तो क्या होगा क्योंकि वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी में पूरी तरह से डूब चुका था,,,,, लंड से निकल रहा गीला पदार्थसुनैना की गांड कि दरार को पूरी तरह से भिगो दे रहा था उसमें चिकनाहट पैदा हो रही थी जिसकी चिकनाहट पाकर लंड का सुपाड़ा गांड की छेद से नीचे की तरफ सरक रहा था और उसकी बुर के करीब जा रहा था। और यह एहसास सुनैना को होते ही,,, उसकी बर पानी छोड़ने लगी और चिपचिपी होने लगी,,,, सूरज को तो इस समय बुर में डाले बिना नहीं चुदाई का एहसास हो रहा था,,उसे चुदाई का सुख प्राप्त हो रहा था,,,, क्योंकि जो क्रिया बुर के अंदर होती है वही क्रिया गांड की दरार के बीचों बीच भी हो रही थी वही आनंद वही माया उसे मिल रहा थाउसे यकीन नहीं हो रहा था कि किसी औरत की गांड की दरार भी इतनी कसी हुई हो सकती है कि मानो की जैसे बुर हो,,,,अपनी मां की गांड पकड़ कर सूरज इस तरह से अपनी कमर हिला रहा था और धीरे-धीरे उसके लंड कैसे छुपाना उसकी मां की गुलाबी बुर के छेद तक पहुंच जा रहा था।

यह सुनैना के लिए असहनीय होता जा रहा था,,, उसका मन व्याकुल हुआ जा रहा था,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह बेचैन हो रही थी जैसे कोई मनपसंद नहीं मन जो बेहद अजीब होवह दरवाजे तक आए और दरवाजे से ही लौट जाए तो कितना दुख होता है कितना अजीब लगता है वही हाल ही समय सुनैना का थाएक मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की दीवार से बार-बार वापस चला जा रहा था जिसे वहां अपनी बर के अंदर लेना चाहती थी उसका स्वागत करना चाहती थी उसकी सेवा करना चाहती थी लेकिन वह चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकती थी।उसका बस दरवाजा खोलने की देर थी और वह अपने उसे अजीज मेहमान को घर में प्रवेश कर सकती थी उसके स्वागत कर सकती थी उसकी सेवा कर सकती थी लेकिन ऐसा करने में भी बहुत सी बातें बना सकती थी जिसे अच्छी तरह से जानती थी,,,वह किसी भी तरह से अपने बेटे के लंड को अपनी गुलाबी छेद के अंदर लेना चाहती थी लेकिन जिस तरह से वह लेटी हुई थी इस अवस्था में बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था कि उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंबा लैंड आराम से उसकी बुर में प्रवेश कर जाए लेकिन बार-बार उसकी बुर पर ठोकर जरूर मार रहा था मानो के जैसे दरवाजे पर दस्तक दे रहा हो अंदर आने के लिए।


सुनैना तड़प रही थी मचल रही थीवह अपनी तो एक टांग को मोड़कर खटिया के पाटी पर कर लेना चाहती थी ताकि उसकी दोनों टांगें पीछे से खुल जाए और उसकी बुर उसके बेटे को नजर आ जाए,,, ताकि हिम्मत दिखा कर उसका बेटा आराम से उसकी बुर में अपना लंड डाल सके लेकिन ऐसा करने में भी सुनैना के पसीने छूट रहे थे,,,, और बार-बार सूरज के लंड का सुपाड़ाउसकी मां की बुर पर दस्तक दे रहा था बार-बार उसके गुलाबी छेद से उसके लंड का सुपाड़ा से स्पर्श हो रहा था जिससे उसके लंड की गर्मी एकदम से बढ़ रही थी।वह चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और दूसरी तरफ जिस तरह की हालत सुनैना की हो रही थी वह अपने मन में हिम्मत जुटा रही थी वह दिन दुनिया के बारे में सोचना भूल गई थी इस समय उसे सिर्फ अपना ख्याल था अपने बेटे का ख्याल था अपनी जवानी की प्यासबुझाना महत्व पूर्ण लग रहा था और वह अपने मन में पूरी तरह से निर्णय कर चुकी थी कि अब वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर रहेगी,,,और वह इसके लिए अपनी टांग को मोड़ना चाहती थी ताकि गुलाबी छेद उसके बेटे की आंखों के सामने एकदम से खुलकर उजागर हो जाए और वह ऐसा करने ही वाली थी कि तब तक उसके बेटे की हिम्मत जवाब दे गई वह एकदम से अपने चरम सुख पर पहुंच गया और उसके अंदर से पिचकारी छूटने लगी जिसका एहसास से नैना को होते ही उसकी बुरे भी पानी छोड़ दी वह मदहोश हो गई बार-बार उसकी गांड की दरार से उसके बेटे के लंड से निकली पिचकारी टकरा रही जिससे उसका आनंद दुगना होता चला जा रहा था और सूरज गहरी सांस लेते हुए पानी छोड़ रहा था।

वासना का तूफान पूरी तरह से थम चुका थासूरज झड़ चुका था और अपनी हरकतों से अपनी मां का भी पानी निकल चुका था वह भी गहरी सांस ले रही थी लेकिन अभी तक वह नींद से बाहर आने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की थी,,,,सूरज अपनी मां की गांड की तरफ देखा तो उसके लंड से निकाला गरम लावा की पिचकारी पूरे गांड को भिगो दिया था। वह इस तरह सेअपनी मां को उसके हाल पर नहीं छोड़ सकता था इसलिए अपने पजामे से अपनी मां की गांड साफ किया यह सब का एहसाससुनैना को अच्छी तरह से हो रहा था अच्छी तरह से अपनी मां की गांड साफ कर लेने के बाद वह धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा और इसमें भी उसकी मां ने उसका पूरा सहयोग की नींद में होकर भी वह अपने बेटे को पूरी मदद कर रही थी और देखते-देखते सूरज अपनी मां की साड़ी को उसके घुटनों के नीचे तक कर दिया था सब कुछ उसे बराबर लग रहा था वह इस बात से खुश था कि इतना कुछ हो गया लेकिन उसकी मां को उसकी भनक तक नहीं लगी थी,,, और फिर वह अपने काम में लग गया,,,।

थोड़ी देर बाद सुनैना नींद से उठने का नाटक करते हुए खटिया पर बैठकर अंगड़ाई ले रही थी और जब देखी की शाम हो गई है तो जानबूझकर अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली।

हाय दइया यह तो दिन ढल गया शाम हो गई और तूने मुझे जगाया नहीं,,,,।

जगह कर क्या करता तुम गहरी नींद में सो रही थी इसलिए तुम्हें जागना उचित नहीं लगा और मैं ही खेत का काम सब कर दिया,,,।

तू मेरे बारे में कितना सोता है ना तो सच में बहुत अच्छा बेटा है,,,,।

वह तो हूं ही,,,, अब चलो घर चलते हैं आज का काम मैं कर दिया हूं,,,।

( सूरज की बात सुनकर वह अपने मन में नहीं बोली हां जानती हूं तो आज का काम कर दिया है थोड़ा और अपने काम को बढ़ाया होता तो उसका भी काम हो जाता है लेकिन जो कुछ भी हुआ उसमें मजा को बताया और वह मुस्कुराते हुए खटिया पर से नीचे उतर गई और फिर दोनों मां बेटे घर की तरफ चल दिए,,, सूरज को इस बात की खुशी देखीउसने जो कुछ भी अपनी मां के साथ किया था गहरी नींद में होने की वजह से कुछ पता ही नहीं चला था।)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है सूरज ने बिना चुदाई किए खुद का और अपनी मां का पानी निकाल दिया अगर सूरज थोड़ी और कोशिश करता तो आज सुनैना चूद जाती लेकिन सुनैना को भी इस खेल में बहुत मजा आया
 

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घर पर पहुंच कर सुनैना सीधे गुसलखाने में घुस गई और बिना कुछ सोचे अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई,,,, क्योंकि उसे अपनी गांड पर चिपचिपा सा महसूस हो रहा था जिस पर उसके बेटे ने अपना पूरा माल गिराया था अपनी जवानी का लावा बहाया था,,, वह खुद अपने हाथों से उसे साफ भी किया था लेकिन उसका चिपचिपापन रह गया था,,, क्योंकि पूरे रास्ते भर उस चिपचिपे बक्षपन के एहसास से उसके बदन में गुदगुदी सी होती रही थी इसीलिए वह इस समय नहाना उचित समझा रहे थे लेकिन जिस तरह की हरकत उसके बेटे ने उसके साथ किया था उसके चलते उसके बाद में उत्तेजना की लहर अभी भी बरकरार थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में थे और हो भी कैसे नहींआज उसके बेटे ने उसके साथ वो हरकत कर दिया था जिसके बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकती थी,,,।






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अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो जाने के बाद सुनैना अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,,, वह कभी सोची नहीं थी कि उसका बेटा उसके साथ इतनी हिम्मत दिखा पाएगा और इस तरह की हरकत करेगा,,, सुनैना उसे दिन की बात याद आ गई थी जब वह उसे गले लगाई थी उसी दिन उसे समझ जाना चाहिए था उसका बेटा अब उसका बेटा नहीं रह गया था पूरी तरह से मर्द बन चुका था,,,जब उसके बेटे ने उसके दुलार को अपनी वासना में तब्दील करते हुए अपने दोनों हथेलियां को उसके नितंबों पर रखकर जोर से दबाया था,,,, शायद उसी दिन धीरे-धीरेउसका बेटा मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को तार तार करने के बारे में सोचने लगा था और मर्यादा की दीवार को धीरे-धीरे गिराना शुरू कर दिया था,,,तभी तो आज इस तरह की हरकत हुआ कर पाया था वरना शुरुआती दौर में इस तरह की हरकत करने के बारे में सोचने में भी उसे डर लगता कि कहीं उसकी मां जग ना जाए और जागने के बाद उसे इस तरह की हरकत करते हुए देखकर गुस्से में लाल-लाल ना हो जाए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था इसका मतलब साफ था कि वह काफी दिनों से अपनी मां के बारे में गंदी बातें सोच रहा था और आज मौका मिलने पर अपनी सोच को पूरी तरह से हरकत में बदल दिया था।इन सब बातों को सोच कर सुनैना की हालत खराब हो रही थी अपने वस्त्र उतारने के बाद वह कुछ देर तक नग्न अवस्था में ही गुसलखाने में खड़ी रह गई थी अपने बेटे के बारे में सोचते हुए।







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अपने बेटे की हरकतको देखकर जहां एक तरफ हुआ पूरी तरह से हैरान थी वहीं दूसरी तरफ ना जाने क्यों उसके बाद में उमंग उठ रही थी एक बदहवासी एक मदहोशी उसकी नसों में घुल रहा था,,, जहां एक तरफ अपनी बेटे की हरकत के बारे में सोच करउसे बुरा लग रहा था वहीं दूसरी तरफ अपने बेटे की हरकतों से वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी पूरी तरह से वासना ने अपने आप को डूबती हुई महसूस कर रही थी,,, सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी उसके बेटे ने किया था वहगलत था पाप था एक मां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता कभी भी मान्य नहीं होता और ना ही समाज इस तरह के रिश्ते की मंजूरी देता हैसमाज की नजर में अपने आप की नजर में इस तरह की हरकत इस तरह के संबंध नाजायज और पाप ही थे लेकिन फिर भी न जाने क्योंसुनैना का मन अपने बेटे की हरकत पर पुलकित हुआ जा रहा था प्रसन्न हुआ जा रहा था,,, और शायद इसलिए कि उसके बेटे ने जो भी उसके साथ किया था यह उसकी भी जरूरत थी महीनों से अपने पति से दूर रहने के बाद बदन की गर्मी जवानी की प्यास उसे भी तड़पा रही थी उसे भी अपने बदन की प्यास बुझाना बेहद आवश्यक जान पड़ रहा था,,, इसीलिए वह अपने बेटे की हरकत से हैरान परेशान होने के बावजूद भी काफी हद तक संतुष्ट थी उसे अपने बेटे की हरकत बहुत अच्छी लगी थी।








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और अच्छी लगती भी क्यों नहीं जवानी से भरी हुई सुनैना अपनी बड़ी-बड़ी गांड की मखमली देह परअपने बेटे के मर्दाना कठोर अंग की रगड़ महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,अनुभव से भरी हुई सुनैना को इस बात का एहसास होने लगा था कि वाकई में उसके बेटे की टांगों के बीच जो हथियार है वह किसी भी औरत को पूरी तरह से संतुष्ट और मदहोश कर देने के लिए सक्षम था तभी तो वह बिना किसी रुकावट की उसकी गुलाबी छेद तक पहुंच रहा थासुनैना को अपने नितंबों की बनावट का पूरा अनुभव और एहसास था वह जानती थी कि जिस तरह से वह लेटी हुई थी उसके पीछे से किसी भी मर्द का लंड उसके गुलाबी छेद तक पहुंच पानामुश्किल ही नहीं नामुमकिन था ऐसा तभी संभव हो सकता था जब उसके लंड की लंबाई कुछ ज्यादा हो जैसा कि गधे का लंड और इस समय वह इस एहसास से पूरी तरह से गदगद में जा रही थी कि उसी तरह का लंड उसके बेटे का था,,,जो कि बिना किसी रुकावट की उसके गुलाबी छेद तक बड़े आराम से पहुंच चुका था और उसे पर बार-बार ठोकर भी मार रहा था,,,,उसे पाल को याद करके सुनैना पानी पानी हो रही थी उसकी बुर नमकीन पानी छोड़ रही थी और वह एक नजर अपनी गुलाबी छेद की तरफ डालकर मुस्कुरा दीऔर अपने मन में सोचने लगी कि,,,जब उसके बेटे का लंड बड़े आराम से उसके गुलाबी छेद तक पहुंच रहा था तो उसके बेटे ने उसे अंदर डालने की कोशिश क्यो नहीं किया,,,? क्योंकि दुनिया के किसी भी मर्द का आखरी पड़ाव औरत का वही छेद नहीं होता है जिसमें अपना लंड डालने के लिए वह तड़पता रहता है इतने सारे प्रपंच रचता है,,,और उसे छोटे से गुलाबी छेद को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है।






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फिर सूरज पीछे क्यों हट गयाअपनी मंजिल के इतने करीब तक पहुंच कर सीधा दरवाजे पर दस्तक देते हुए ही वापस क्यों लौट गया क्यों उसने अंदर आने की कोशिश नहीं किया क्यों एक अद्भुत सुख प्राप्त करने कीकोशिश नहीं किया क्यों थोड़ा सा हिम्मत दिखा कर एक औरत से संभोग सुख प्राप्त करने की हिम्मत नहीं दिखा पाया यह सारे सवाल सुनैना को परेशान कर रहे थे और इसका जवाब भी शायद उसी के पास था वह अपने मन में उठ रहे इन सभी सवालों का जवाब अपने आप से ही देते हुए बोली,,,,।

शायद इसलिए कि वह अभी नादान हैशायद उसे नहीं मालूम की एक मर्द का लंड औरत के कौन से अंग में डाला जाता है,,,और हो सकता है कि शायद वह औरत के उस अंग को अपनी आंखों से देखा ही ना हो कैसा होता है क्या करते हैं,,,और इसीलिए वह इतना कुछ करने के बावजूद भी अपने लंड को सही जगह पर डाल नहीं पाया बस दरवाजे पर दस्तक देकर वापस लौट गया,,,,अपने मन में ही जवाब देते हुए वह अपने मन में सोचने लगी की खास उसे लंड को डालने का सही जगह मालूम होता,,, काश उसे मालूम होता की औरत का वह खूबसूरत मर्द को कितना मजा देता है काश उसे मालूम होता की बुर में लंड डालकर कमर हिलाने को ही चुदाई कहते हैं,,, काश मेरा बेटा अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल कर चोद दिया होता,,,,,इन सब बातों को अपने मन में सोच कर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी और उसकी हथेली अपने आप ही उसकी बुर तक पहुंच चुकी थी जिसे वह अपनी उंगलियों से ही कुरेद रही थी,,,,बदन में उत्तेजना का एहसास बढ़ने लगा एक खुमारी से छाने लगी आंखों में चार बोतलों का नशा चढ़ने लगा और अपने आप ही उसकी उंगली बुर के अंदर प्रवेश करने लगी,,, यह एहसास होते ही वह नजर उठा कर गुजर खान के बाहर चकर पकर देखने लगी कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है,,,, लेकिनउसे तसल्ली हुई कि कोई वहां नहीं था और वैसे भी शाम ढलने के बाद अंधेरा होने लगा थाबदन में जिस तरह की खुमारी जा रही थी वह अपनी उंगली को बिल्कुल भी रोक सकने में समर्थ नहीं थी,,,।





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police caractère spéciaux
और धीरे-धीरे अपनी उंगली कोअपनी बुर के अंदर बाहर करने लगी और अपने मन में सोचने लगी की लंड ना सही उंगली से ही काम चला लिया जाए,,,,सुनैना इस तरह की औरत बिल्कुल भी नहीं थी कि अपनी वासना अपनी बदन की चाहत के चलते दूसरी औरतों की तरहदूसरे मर्द के साथ संबंध बनाने लगे या इस बारे में सोचने लगे लेकिन पिछले बीते दिनों में जो कुछ भी हुआ था उससे उसकी सोच थोड़ी बदलती जा रही थी और वह भी किसी गैर मर्द के लिए नहीं अपने बेटे के लिए जो कि अब पूरी तरह से जवान हो चुका था और अपनी जवानी का एहसास उसने खेत में ही करा दिया था,,,,सुनैना के ख्यालों में इस समय पूरी तरह से उसका बेटा छाया हुआ था वह अपनी आंखों को बंद करके अपनी बुर में लगातार उंगली को अंदर बाहर कर रही थी,,, उसके बदन में वासना का गिरफ्त पूरी तरह से हो चुका था,,,, मदहोशी पूरी तरह से आंखों में छा चुकी थीअपने आप को या अपनी उंगली को यहां से पीछे ले जाने का मतलब था कि अपनी प्यास को और ज्यादा भड़काना और वैसे भी वह इस तरह से अपनी प्यास को बचा नहीं रही थी बल्कि और ज्यादा भड़का रही थी लेकिन इस समय वह कर भी क्या सकती थी।






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गुसलखाने में वह पूरी तरह से नंगी होकर अपनी उंगली से अपनी बर के अंदर बाहर करके एक लंड के एहसास में पूरी तरह से डूब चुकी थी और वह लंड किसी गैर मर्द का नहीं था बल्कि उसके ही सगे बेटे का था जिसकी रगड़ जिसकी गर्माहट उसे अभी तक अपनी दोनों जांघों के बीच अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस हो रही थी,,, जिससे उसकी बुर का गरम लावा धीरे-धीरे पिघल रहा था,,,,,अपनी उंगली से अपनी जवानी की गर्मी शांत करते हुए उसका मन कह रहा था यह क्या कर रही है सुनैना ऐसा मत कर तू पूरी तरह से बेशर्म हो चुकी है कहीं ऐसे हालत में तेरा बेटा देख लिया तो कहीं इस और आकर तुझे इस अवस्था में देख लिया तो गजब हो जाएगा,,, वह तेरे बारे में क्या सोचेगा कि उसकी मां को क्या हो गया है यह क्या कर रही है,,,,इस तरह का सवाल उसके एक मन में उठ रहा था लेकिन इन सभी सवाल का जवाब उसका दूसरा मन अपने आप ही दे रहा था।

देख लेगा तो देख लेगाऔर सोचने के लिए बाकी क्या है यही सोचेगा कि उसकी मां चुदवाने के लिए तड़प रही है,,, उसे अपनी बुर में मोटा तगड़ा लंड चाहिए,,, बदन की प्यास उसे पागल कर रही है,,,,,, अपनी मां को ही समझता में देख कर तो उसे खद समझ जाना चाहिए किउसकी मां की मदद करना उसका परम कर्तव्य है उसकी मां को मोटे-मोटे लंड की जरूरत है उसे चुदाई की सख्त आवश्यकता है ऐसी हालत में कोई गैर मर्द उसकी चुदाई करें परिवार की बदनामी हो इससे पहले इस कर्तव्य का पालन उसे ही करना चाहिए अपनी मां को इससे स्थिति से बाहर लाना चाहिएऔर एक पूरी तरह से मर्द बनाकर अपनी मां की बुर में लंड डालकर उसकी जवानी की गर्मी को नीचोड निचोड़ कर बहा देना चाहिए,,,,इस तरह का दिलासा उसका दूसरा मन दे रहा था जिसके चलते उसके उत्तेजना और भी ज्यादा भर्ती चली जा रही थी और फिर वह अपनी दूसरी उंगली भी अपनी बुर में डालकर उसे जोर-जोर से मसल रही थी दबा रही थी अंदर बाहर कर रही थी ऐसा करते हुए उसका बदन पूरी तरह से अकड़ने लगा और देखते ही देखते वह भल भला कर झड़ने लगी,,,आज इस तरह की कल्पना करते हुए अपनी उंगली का सहारा लेकर जिस तरह का आनंद उसे प्राप्त हुआ था इस तरह का आनंद उसे कभी भी प्राप्त नहीं हुआ था वह पूरी तरह से मत हो चुकी थीझड़ जाने के बाद वह गहरी गहरी सांस ले रही थी और अपने आप को अपनी सांसों को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही थी,,,,।






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और जैसे ही वासना का तूफान शांत हुआ उसके मन में उलझन बढ़ने लगी वह परेशान होने लगीऔर वह भी इसलिए कि वह यह सब किस तरह की कल्पना कर रही है अपने ही बेटे के बारे में इस तरह के ख्याल उसके मन में क्यों आ रहे हैं,,, क्यों अपने बेटे के साथ ही संभोग रत की कल्पना करके वह झड जा रही है। यह तो बिल्कुल भी गलत हैसूरज उसका बेटा है और अपने बेटे के बारे में इस तरह की गंदी बातें सोचना पाप है किसी को पता चल गया तो क्या होगामां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता बिल्कुल भी संभव नहीं है नहीं वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगी अपने बेटे को उस समय रोक देना चाहिए था,,,, और वह रुक जाता और कभी भी इस तरह का ख्याल अपने मन में नहीं रहता लेकिन शायद उसका ना रोकना कहीं उसकी हिम्मत को और ज्यादा बढ़ावा ना दे क्योंकि यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है इस उम्र में जवानी की प्यास बुझाने के लिए आग लगी होती हैवह आज उसके बेटे के बदन में भी लगी हुई है तभी तो वह अपनी बदन की आग बुझाने के लिए अपनी ही मन के साथ इस तरह की गंदी हरकत कर रहा था और अपना पानी निकाल दिया था। नहीं अब उसे रोकना होगाकहीं ऐसा ना हो कि आज तो वह उसके नींद में होने का फायदा उठाकर इस तरह की हरकत कर दिया है कहीं ऐसा ना हो की जवानी और जोश बढ़ जाने परवह उसके साथ जबरदस्ती न करने लगी और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर मां बेटे के पवित्र रिश्ते को तार कर दे नहीं-नहीं ऐसा वहां नहीं देगी अपने बेटे को रोकेगी इससे आगे वह बढ़ने नहीं देगी।





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ऐसा मन में सोच कर कहा नहाने लगी और अपनी नितंबों को मलमल कर साफ की,,, और नहाने के बाद कपड़े पहन कर वह खाना बनाने में लग गई। वह उदास नजर आ रही थी खाना बनाते समय भी वह अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,,, और सूरजबढ़िया आराम से घर में इधर-उधर घूम रहा था क्योंकि आज जो उसने किया था उसको लेकर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे आज अपनी मां की नंगी गांड पर अपना लंड रगड़ने में जो आनंद जो सुखों से प्राप्त हुआ था और तो और उसे इस बात का भी अच्छी तरह से एहसास था कि वह अपने लंड को सुपाड़े को अपनी मां के गुलाबी छेद तक पहुंचने में सफल हो चुका था और जानबूझकर वह अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाला नहीं था,,, क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां की नींद खुल गई तो वह नाराज ना हो जाए,,,, वह उसके बारे में क्या सोचेगीजबकि वह इतना तो जानता ही था कि उसकी मां को भी लंड की जरूरत है, वह भी प्यासी है लेकिन यह नहीं जानता था कि उसकी मां उसके बारे में क्या सोचती है और इसीलिए वह डर रहा था घबरा रहा था,,,, वरनाएक औरत को पूरी तरह से काबू करना उसे अच्छी तरह से आता था और वह अपनी इस कार्य क्षमता को अपने इस कुशलता को अपनी मां पर भी लागू कर सकता था और उसे पूरी तरह से अपने काबू में करके उसकी चुदाई कर सकता था लेकिन वह अपने आप को ऐसा करने से रोक लिया थावरना वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि लंड को औरत के कौन से छेद में डाला जाता है। इसीलिए तो हुआ काफी प्रसन्न नजर आ रहा था क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि एक न एक दिन वह जरूर अपनी मां के गुलाबी छेद पर विजय प्राप्त कर लेगा।





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रानी भी खाना बनाने में अपनी मां की मदद कर रही थी पर थोड़ी देर में खाना बनाकर तैयार हो चुका था लेकिन अभी भी खाना खाने में काफी समय था,,,, सुनैना अपने बेटे से नजर नहीं मिल पा रही थी फिर भी अपने आप को सहज रखने के लिए उससे बातें कर रही थी ताकि उसे कुछ शक ना हो,,,तीनों आपस में बात कर रहे थे कि तभी बाहर से आवाज आई,,,।

दीदी,,,ओ,,,, दीदी,,,, कहां हो,,,,,?

(सुनैना को यह किसकी आवाज़ है समझ में आ गया था वह खटिया पर से साड़ी को संभालते हुए उठते हुए बोली,,,)

यह सोनू की चाची को क्या काम पड़ गया,,, तुम दोनों बातें करो मैं देख कर आती हूं,,,,(इतना कहकर सुनैना बाहर की तरफ जाने लगी लेकिन सोनू की चाची की आवाज सुनकरसूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा वह भी सोनू की चाची का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था,,,, इसलिए हुआ अभी खटिया पर से उठकर खड़ा हो गया और भाभी अपनी मां के पीछे-पीछे चल दिया,,,, सोनू की चाची को दरवाजे पर खड़ी देखकर सुनैना बोली,,,,)

क्या हुआ क्या काम पड़ गया,,,।





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अरे दीदी काम की तो पूछो मत तुमसे तो इतना काम पड़ता है कि मैं क्या बताऊं,,,,,।

अब कौन सा काम पड़ गया,,,,।
(तभी अपनी मां के पीछे से एक तरफ खड़े होकर सूरज मुस्कुराते हुए बोला)

क्या हुआ चाची बहुत दिनों बाद आई हो यहां का तो रास्ता ही भूल गई हो ऐसा लग रहा है,,,।

अरे नहीं बेटा तुमको और दीदी को क्यों भूलूंगी भला पूरे गांव में एक दीदी ही तो है जिनसे में अपने सुख दुख की बात बताती हूं,,,,।

आज कौन सी बात बताने के लिए आई हो,,,(सुनैना बोल पड़ी)

अरे अपनी लाडो है ना परसों उसका विवाह है बारात आने वाली है उसके पिताजी पूरे गांव को न्योता दे चुके हैं और मैं यहां आ रही थी तो मुझे ही बोल दी है कि जाकर बोल देना पूरे घर का खाना पीना वही रहेगा,,,,।

अपनी लाडो,,,, अरे कल तक तो नाक बहाती फिर रही थी और आज पूरी तरह से जवान हो गई और उसकी शादी है,,, मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है बोलो,,,।

तुम सच कह रही हो दीदी लड़कियां इतनी जल्दी बड़ी हो जाती है अपनी रानी भी तो शादी के लायक हो चुकी है अब जल्दी से इसके लिए भी लड़का देख कर इसके हाथ पीले कर दो,,,,।





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मैं भी यही सोच रही हूं कोई अच्छा सा रिश्ता मिले तो बात आगे बढ़ाऊं,,,,।
(दोनों की बातचीत को दौरान सूरज सोनू की चाची को ही देख रहा था और अपनी मां के पीछे खड़े होकर मुस्कुरा रहा था अपनी मां से नजरे बचा कर वह अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे को गोल बनाकर उसके बीच में सेअपने दूसरे हाथ की उंगली को अंदर बाहर करते हुए उसे चुदाई करने का इशारा कर रहा था और उसके सारे को देखकर सोनू की चाची मन ही मन में मुस्कुरा रही थी और खुश हो रही थी,,,, अभी उन लोगों की बात हो रही थी कि सुनैना की पड़ोसन हाथ में लोटा लिए हुए आई और बोली,,,,)

अच्छा हुआ तुम दोनों की यहां मिल गई चलो साथ में चलते हैं और वैसे भी देखो ना मौसम कितना अच्छा है ठंडी हवा चल रही है खेत में कुछ देर तक बैठेंगे तो मजा आ जाएगा इधर-उधर की बातें करेंगे,,,,।

(उसकी बात सुनकर सुनैना और सोनू की चाची भी तैयार हो गई और हैंडपंप के पास जाकर वहां से अपने लिए एक-एक डिब्बा ले ली और उसमें हेडपंप से पानी भरकर तीनों खेत की तरफ निकल गई एक साथ तीनों को जाते हुए देखकरसूरज अपने मां पर काबू नहीं कर पाया और उनसे नजर बचाकर वह भी उन तीनों के पीछे-पीछे जाने लगा क्योंकि उन तीनों की बातें सुनने में उसे बहुत मजा आता था वह देखना चाहता था कि आज वह तीनों किस तरह की बातें करते हैं,,,,



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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
 

Sanju@

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घर पर पहुंच कर सुनैना सीधे गुसलखाने में घुस गई और बिना कुछ सोचे अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई,,,, क्योंकि उसे अपनी गांड पर चिपचिपा सा महसूस हो रहा था जिस पर उसके बेटे ने अपना पूरा माल गिराया था अपनी जवानी का लावा बहाया था,,, वह खुद अपने हाथों से उसे साफ भी किया था लेकिन उसका चिपचिपापन रह गया था,,, क्योंकि पूरे रास्ते भर उस चिपचिपे बक्षपन के एहसास से उसके बदन में गुदगुदी सी होती रही थी इसीलिए वह इस समय नहाना उचित समझा रहे थे लेकिन जिस तरह की हरकत उसके बेटे ने उसके साथ किया था उसके चलते उसके बाद में उत्तेजना की लहर अभी भी बरकरार थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में थे और हो भी कैसे नहींआज उसके बेटे ने उसके साथ वो हरकत कर दिया था जिसके बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकती थी,,,।






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अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो जाने के बाद सुनैना अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,,, वह कभी सोची नहीं थी कि उसका बेटा उसके साथ इतनी हिम्मत दिखा पाएगा और इस तरह की हरकत करेगा,,, सुनैना उसे दिन की बात याद आ गई थी जब वह उसे गले लगाई थी उसी दिन उसे समझ जाना चाहिए था उसका बेटा अब उसका बेटा नहीं रह गया था पूरी तरह से मर्द बन चुका था,,,जब उसके बेटे ने उसके दुलार को अपनी वासना में तब्दील करते हुए अपने दोनों हथेलियां को उसके नितंबों पर रखकर जोर से दबाया था,,,, शायद उसी दिन धीरे-धीरेउसका बेटा मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को तार तार करने के बारे में सोचने लगा था और मर्यादा की दीवार को धीरे-धीरे गिराना शुरू कर दिया था,,,तभी तो आज इस तरह की हरकत हुआ कर पाया था वरना शुरुआती दौर में इस तरह की हरकत करने के बारे में सोचने में भी उसे डर लगता कि कहीं उसकी मां जग ना जाए और जागने के बाद उसे इस तरह की हरकत करते हुए देखकर गुस्से में लाल-लाल ना हो जाए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था इसका मतलब साफ था कि वह काफी दिनों से अपनी मां के बारे में गंदी बातें सोच रहा था और आज मौका मिलने पर अपनी सोच को पूरी तरह से हरकत में बदल दिया था।इन सब बातों को सोच कर सुनैना की हालत खराब हो रही थी अपने वस्त्र उतारने के बाद वह कुछ देर तक नग्न अवस्था में ही गुसलखाने में खड़ी रह गई थी अपने बेटे के बारे में सोचते हुए।







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अपने बेटे की हरकतको देखकर जहां एक तरफ हुआ पूरी तरह से हैरान थी वहीं दूसरी तरफ ना जाने क्यों उसके बाद में उमंग उठ रही थी एक बदहवासी एक मदहोशी उसकी नसों में घुल रहा था,,, जहां एक तरफ अपनी बेटे की हरकत के बारे में सोच करउसे बुरा लग रहा था वहीं दूसरी तरफ अपने बेटे की हरकतों से वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी पूरी तरह से वासना ने अपने आप को डूबती हुई महसूस कर रही थी,,, सुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी उसके बेटे ने किया था वहगलत था पाप था एक मां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता कभी भी मान्य नहीं होता और ना ही समाज इस तरह के रिश्ते की मंजूरी देता हैसमाज की नजर में अपने आप की नजर में इस तरह की हरकत इस तरह के संबंध नाजायज और पाप ही थे लेकिन फिर भी न जाने क्योंसुनैना का मन अपने बेटे की हरकत पर पुलकित हुआ जा रहा था प्रसन्न हुआ जा रहा था,,, और शायद इसलिए कि उसके बेटे ने जो भी उसके साथ किया था यह उसकी भी जरूरत थी महीनों से अपने पति से दूर रहने के बाद बदन की गर्मी जवानी की प्यास उसे भी तड़पा रही थी उसे भी अपने बदन की प्यास बुझाना बेहद आवश्यक जान पड़ रहा था,,, इसीलिए वह अपने बेटे की हरकत से हैरान परेशान होने के बावजूद भी काफी हद तक संतुष्ट थी उसे अपने बेटे की हरकत बहुत अच्छी लगी थी।








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और अच्छी लगती भी क्यों नहीं जवानी से भरी हुई सुनैना अपनी बड़ी-बड़ी गांड की मखमली देह परअपने बेटे के मर्दाना कठोर अंग की रगड़ महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,अनुभव से भरी हुई सुनैना को इस बात का एहसास होने लगा था कि वाकई में उसके बेटे की टांगों के बीच जो हथियार है वह किसी भी औरत को पूरी तरह से संतुष्ट और मदहोश कर देने के लिए सक्षम था तभी तो वह बिना किसी रुकावट की उसकी गुलाबी छेद तक पहुंच रहा थासुनैना को अपने नितंबों की बनावट का पूरा अनुभव और एहसास था वह जानती थी कि जिस तरह से वह लेटी हुई थी उसके पीछे से किसी भी मर्द का लंड उसके गुलाबी छेद तक पहुंच पानामुश्किल ही नहीं नामुमकिन था ऐसा तभी संभव हो सकता था जब उसके लंड की लंबाई कुछ ज्यादा हो जैसा कि गधे का लंड और इस समय वह इस एहसास से पूरी तरह से गदगद में जा रही थी कि उसी तरह का लंड उसके बेटे का था,,,जो कि बिना किसी रुकावट की उसके गुलाबी छेद तक बड़े आराम से पहुंच चुका था और उसे पर बार-बार ठोकर भी मार रहा था,,,,उसे पाल को याद करके सुनैना पानी पानी हो रही थी उसकी बुर नमकीन पानी छोड़ रही थी और वह एक नजर अपनी गुलाबी छेद की तरफ डालकर मुस्कुरा दीऔर अपने मन में सोचने लगी कि,,,जब उसके बेटे का लंड बड़े आराम से उसके गुलाबी छेद तक पहुंच रहा था तो उसके बेटे ने उसे अंदर डालने की कोशिश क्यो नहीं किया,,,? क्योंकि दुनिया के किसी भी मर्द का आखरी पड़ाव औरत का वही छेद नहीं होता है जिसमें अपना लंड डालने के लिए वह तड़पता रहता है इतने सारे प्रपंच रचता है,,,और उसे छोटे से गुलाबी छेद को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाता है।






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फिर सूरज पीछे क्यों हट गयाअपनी मंजिल के इतने करीब तक पहुंच कर सीधा दरवाजे पर दस्तक देते हुए ही वापस क्यों लौट गया क्यों उसने अंदर आने की कोशिश नहीं किया क्यों एक अद्भुत सुख प्राप्त करने कीकोशिश नहीं किया क्यों थोड़ा सा हिम्मत दिखा कर एक औरत से संभोग सुख प्राप्त करने की हिम्मत नहीं दिखा पाया यह सारे सवाल सुनैना को परेशान कर रहे थे और इसका जवाब भी शायद उसी के पास था वह अपने मन में उठ रहे इन सभी सवालों का जवाब अपने आप से ही देते हुए बोली,,,,।

शायद इसलिए कि वह अभी नादान हैशायद उसे नहीं मालूम की एक मर्द का लंड औरत के कौन से अंग में डाला जाता है,,,और हो सकता है कि शायद वह औरत के उस अंग को अपनी आंखों से देखा ही ना हो कैसा होता है क्या करते हैं,,,और इसीलिए वह इतना कुछ करने के बावजूद भी अपने लंड को सही जगह पर डाल नहीं पाया बस दरवाजे पर दस्तक देकर वापस लौट गया,,,,अपने मन में ही जवाब देते हुए वह अपने मन में सोचने लगी की खास उसे लंड को डालने का सही जगह मालूम होता,,, काश उसे मालूम होता की औरत का वह खूबसूरत मर्द को कितना मजा देता है काश उसे मालूम होता की बुर में लंड डालकर कमर हिलाने को ही चुदाई कहते हैं,,, काश मेरा बेटा अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल कर चोद दिया होता,,,,,इन सब बातों को अपने मन में सोच कर ही उसकी बुर पानी छोड़ रही थी और उसकी हथेली अपने आप ही उसकी बुर तक पहुंच चुकी थी जिसे वह अपनी उंगलियों से ही कुरेद रही थी,,,,बदन में उत्तेजना का एहसास बढ़ने लगा एक खुमारी से छाने लगी आंखों में चार बोतलों का नशा चढ़ने लगा और अपने आप ही उसकी उंगली बुर के अंदर प्रवेश करने लगी,,, यह एहसास होते ही वह नजर उठा कर गुजर खान के बाहर चकर पकर देखने लगी कि कहीं कोई आ तो नहीं रहा है,,,, लेकिनउसे तसल्ली हुई कि कोई वहां नहीं था और वैसे भी शाम ढलने के बाद अंधेरा होने लगा थाबदन में जिस तरह की खुमारी जा रही थी वह अपनी उंगली को बिल्कुल भी रोक सकने में समर्थ नहीं थी,,,।





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police caractère spéciaux
और धीरे-धीरे अपनी उंगली कोअपनी बुर के अंदर बाहर करने लगी और अपने मन में सोचने लगी की लंड ना सही उंगली से ही काम चला लिया जाए,,,,सुनैना इस तरह की औरत बिल्कुल भी नहीं थी कि अपनी वासना अपनी बदन की चाहत के चलते दूसरी औरतों की तरहदूसरे मर्द के साथ संबंध बनाने लगे या इस बारे में सोचने लगे लेकिन पिछले बीते दिनों में जो कुछ भी हुआ था उससे उसकी सोच थोड़ी बदलती जा रही थी और वह भी किसी गैर मर्द के लिए नहीं अपने बेटे के लिए जो कि अब पूरी तरह से जवान हो चुका था और अपनी जवानी का एहसास उसने खेत में ही करा दिया था,,,,सुनैना के ख्यालों में इस समय पूरी तरह से उसका बेटा छाया हुआ था वह अपनी आंखों को बंद करके अपनी बुर में लगातार उंगली को अंदर बाहर कर रही थी,,, उसके बदन में वासना का गिरफ्त पूरी तरह से हो चुका था,,,, मदहोशी पूरी तरह से आंखों में छा चुकी थीअपने आप को या अपनी उंगली को यहां से पीछे ले जाने का मतलब था कि अपनी प्यास को और ज्यादा भड़काना और वैसे भी वह इस तरह से अपनी प्यास को बचा नहीं रही थी बल्कि और ज्यादा भड़का रही थी लेकिन इस समय वह कर भी क्या सकती थी।






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गुसलखाने में वह पूरी तरह से नंगी होकर अपनी उंगली से अपनी बर के अंदर बाहर करके एक लंड के एहसास में पूरी तरह से डूब चुकी थी और वह लंड किसी गैर मर्द का नहीं था बल्कि उसके ही सगे बेटे का था जिसकी रगड़ जिसकी गर्माहट उसे अभी तक अपनी दोनों जांघों के बीच अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस हो रही थी,,, जिससे उसकी बुर का गरम लावा धीरे-धीरे पिघल रहा था,,,,,अपनी उंगली से अपनी जवानी की गर्मी शांत करते हुए उसका मन कह रहा था यह क्या कर रही है सुनैना ऐसा मत कर तू पूरी तरह से बेशर्म हो चुकी है कहीं ऐसे हालत में तेरा बेटा देख लिया तो कहीं इस और आकर तुझे इस अवस्था में देख लिया तो गजब हो जाएगा,,, वह तेरे बारे में क्या सोचेगा कि उसकी मां को क्या हो गया है यह क्या कर रही है,,,,इस तरह का सवाल उसके एक मन में उठ रहा था लेकिन इन सभी सवाल का जवाब उसका दूसरा मन अपने आप ही दे रहा था।

देख लेगा तो देख लेगाऔर सोचने के लिए बाकी क्या है यही सोचेगा कि उसकी मां चुदवाने के लिए तड़प रही है,,, उसे अपनी बुर में मोटा तगड़ा लंड चाहिए,,, बदन की प्यास उसे पागल कर रही है,,,,,, अपनी मां को ही समझता में देख कर तो उसे खद समझ जाना चाहिए किउसकी मां की मदद करना उसका परम कर्तव्य है उसकी मां को मोटे-मोटे लंड की जरूरत है उसे चुदाई की सख्त आवश्यकता है ऐसी हालत में कोई गैर मर्द उसकी चुदाई करें परिवार की बदनामी हो इससे पहले इस कर्तव्य का पालन उसे ही करना चाहिए अपनी मां को इससे स्थिति से बाहर लाना चाहिएऔर एक पूरी तरह से मर्द बनाकर अपनी मां की बुर में लंड डालकर उसकी जवानी की गर्मी को नीचोड निचोड़ कर बहा देना चाहिए,,,,इस तरह का दिलासा उसका दूसरा मन दे रहा था जिसके चलते उसके उत्तेजना और भी ज्यादा भर्ती चली जा रही थी और फिर वह अपनी दूसरी उंगली भी अपनी बुर में डालकर उसे जोर-जोर से मसल रही थी दबा रही थी अंदर बाहर कर रही थी ऐसा करते हुए उसका बदन पूरी तरह से अकड़ने लगा और देखते ही देखते वह भल भला कर झड़ने लगी,,,आज इस तरह की कल्पना करते हुए अपनी उंगली का सहारा लेकर जिस तरह का आनंद उसे प्राप्त हुआ था इस तरह का आनंद उसे कभी भी प्राप्त नहीं हुआ था वह पूरी तरह से मत हो चुकी थीझड़ जाने के बाद वह गहरी गहरी सांस ले रही थी और अपने आप को अपनी सांसों को दुरुस्त करने की कोशिश कर रही थी,,,,।






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और जैसे ही वासना का तूफान शांत हुआ उसके मन में उलझन बढ़ने लगी वह परेशान होने लगीऔर वह भी इसलिए कि वह यह सब किस तरह की कल्पना कर रही है अपने ही बेटे के बारे में इस तरह के ख्याल उसके मन में क्यों आ रहे हैं,,, क्यों अपने बेटे के साथ ही संभोग रत की कल्पना करके वह झड जा रही है। यह तो बिल्कुल भी गलत हैसूरज उसका बेटा है और अपने बेटे के बारे में इस तरह की गंदी बातें सोचना पाप है किसी को पता चल गया तो क्या होगामां बेटे के बीच इस तरह का रिश्ता बिल्कुल भी संभव नहीं है नहीं वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगी अपने बेटे को उस समय रोक देना चाहिए था,,,, और वह रुक जाता और कभी भी इस तरह का ख्याल अपने मन में नहीं रहता लेकिन शायद उसका ना रोकना कहीं उसकी हिम्मत को और ज्यादा बढ़ावा ना दे क्योंकि यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है इस उम्र में जवानी की प्यास बुझाने के लिए आग लगी होती हैवह आज उसके बेटे के बदन में भी लगी हुई है तभी तो वह अपनी बदन की आग बुझाने के लिए अपनी ही मन के साथ इस तरह की गंदी हरकत कर रहा था और अपना पानी निकाल दिया था। नहीं अब उसे रोकना होगाकहीं ऐसा ना हो कि आज तो वह उसके नींद में होने का फायदा उठाकर इस तरह की हरकत कर दिया है कहीं ऐसा ना हो की जवानी और जोश बढ़ जाने परवह उसके साथ जबरदस्ती न करने लगी और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर मां बेटे के पवित्र रिश्ते को तार कर दे नहीं-नहीं ऐसा वहां नहीं देगी अपने बेटे को रोकेगी इससे आगे वह बढ़ने नहीं देगी।





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ऐसा मन में सोच कर कहा नहाने लगी और अपनी नितंबों को मलमल कर साफ की,,, और नहाने के बाद कपड़े पहन कर वह खाना बनाने में लग गई। वह उदास नजर आ रही थी खाना बनाते समय भी वह अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,,, और सूरजबढ़िया आराम से घर में इधर-उधर घूम रहा था क्योंकि आज जो उसने किया था उसको लेकर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे आज अपनी मां की नंगी गांड पर अपना लंड रगड़ने में जो आनंद जो सुखों से प्राप्त हुआ था और तो और उसे इस बात का भी अच्छी तरह से एहसास था कि वह अपने लंड को सुपाड़े को अपनी मां के गुलाबी छेद तक पहुंचने में सफल हो चुका था और जानबूझकर वह अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाला नहीं था,,, क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां की नींद खुल गई तो वह नाराज ना हो जाए,,,, वह उसके बारे में क्या सोचेगीजबकि वह इतना तो जानता ही था कि उसकी मां को भी लंड की जरूरत है, वह भी प्यासी है लेकिन यह नहीं जानता था कि उसकी मां उसके बारे में क्या सोचती है और इसीलिए वह डर रहा था घबरा रहा था,,,, वरनाएक औरत को पूरी तरह से काबू करना उसे अच्छी तरह से आता था और वह अपनी इस कार्य क्षमता को अपने इस कुशलता को अपनी मां पर भी लागू कर सकता था और उसे पूरी तरह से अपने काबू में करके उसकी चुदाई कर सकता था लेकिन वह अपने आप को ऐसा करने से रोक लिया थावरना वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि लंड को औरत के कौन से छेद में डाला जाता है। इसीलिए तो हुआ काफी प्रसन्न नजर आ रहा था क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि एक न एक दिन वह जरूर अपनी मां के गुलाबी छेद पर विजय प्राप्त कर लेगा।





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रानी भी खाना बनाने में अपनी मां की मदद कर रही थी पर थोड़ी देर में खाना बनाकर तैयार हो चुका था लेकिन अभी भी खाना खाने में काफी समय था,,,, सुनैना अपने बेटे से नजर नहीं मिल पा रही थी फिर भी अपने आप को सहज रखने के लिए उससे बातें कर रही थी ताकि उसे कुछ शक ना हो,,,तीनों आपस में बात कर रहे थे कि तभी बाहर से आवाज आई,,,।

दीदी,,,ओ,,,, दीदी,,,, कहां हो,,,,,?

(सुनैना को यह किसकी आवाज़ है समझ में आ गया था वह खटिया पर से साड़ी को संभालते हुए उठते हुए बोली,,,)

यह सोनू की चाची को क्या काम पड़ गया,,, तुम दोनों बातें करो मैं देख कर आती हूं,,,,(इतना कहकर सुनैना बाहर की तरफ जाने लगी लेकिन सोनू की चाची की आवाज सुनकरसूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा वह भी सोनू की चाची का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था,,,, इसलिए हुआ अभी खटिया पर से उठकर खड़ा हो गया और भाभी अपनी मां के पीछे-पीछे चल दिया,,,, सोनू की चाची को दरवाजे पर खड़ी देखकर सुनैना बोली,,,,)

क्या हुआ क्या काम पड़ गया,,,।





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अरे दीदी काम की तो पूछो मत तुमसे तो इतना काम पड़ता है कि मैं क्या बताऊं,,,,,।

अब कौन सा काम पड़ गया,,,,।
(तभी अपनी मां के पीछे से एक तरफ खड़े होकर सूरज मुस्कुराते हुए बोला)

क्या हुआ चाची बहुत दिनों बाद आई हो यहां का तो रास्ता ही भूल गई हो ऐसा लग रहा है,,,।

अरे नहीं बेटा तुमको और दीदी को क्यों भूलूंगी भला पूरे गांव में एक दीदी ही तो है जिनसे में अपने सुख दुख की बात बताती हूं,,,,।

आज कौन सी बात बताने के लिए आई हो,,,(सुनैना बोल पड़ी)

अरे अपनी लाडो है ना परसों उसका विवाह है बारात आने वाली है उसके पिताजी पूरे गांव को न्योता दे चुके हैं और मैं यहां आ रही थी तो मुझे ही बोल दी है कि जाकर बोल देना पूरे घर का खाना पीना वही रहेगा,,,,।

अपनी लाडो,,,, अरे कल तक तो नाक बहाती फिर रही थी और आज पूरी तरह से जवान हो गई और उसकी शादी है,,, मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है बोलो,,,।

तुम सच कह रही हो दीदी लड़कियां इतनी जल्दी बड़ी हो जाती है अपनी रानी भी तो शादी के लायक हो चुकी है अब जल्दी से इसके लिए भी लड़का देख कर इसके हाथ पीले कर दो,,,,।





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मैं भी यही सोच रही हूं कोई अच्छा सा रिश्ता मिले तो बात आगे बढ़ाऊं,,,,।
(दोनों की बातचीत को दौरान सूरज सोनू की चाची को ही देख रहा था और अपनी मां के पीछे खड़े होकर मुस्कुरा रहा था अपनी मां से नजरे बचा कर वह अपने एक हाथ की उंगली और अंगूठे को गोल बनाकर उसके बीच में सेअपने दूसरे हाथ की उंगली को अंदर बाहर करते हुए उसे चुदाई करने का इशारा कर रहा था और उसके सारे को देखकर सोनू की चाची मन ही मन में मुस्कुरा रही थी और खुश हो रही थी,,,, अभी उन लोगों की बात हो रही थी कि सुनैना की पड़ोसन हाथ में लोटा लिए हुए आई और बोली,,,,)

अच्छा हुआ तुम दोनों की यहां मिल गई चलो साथ में चलते हैं और वैसे भी देखो ना मौसम कितना अच्छा है ठंडी हवा चल रही है खेत में कुछ देर तक बैठेंगे तो मजा आ जाएगा इधर-उधर की बातें करेंगे,,,,।

(उसकी बात सुनकर सुनैना और सोनू की चाची भी तैयार हो गई और हैंडपंप के पास जाकर वहां से अपने लिए एक-एक डिब्बा ले ली और उसमें हेडपंप से पानी भरकर तीनों खेत की तरफ निकल गई एक साथ तीनों को जाते हुए देखकरसूरज अपने मां पर काबू नहीं कर पाया और उनसे नजर बचाकर वह भी उन तीनों के पीछे-पीछे जाने लगा क्योंकि उन तीनों की बातें सुनने में उसे बहुत मजा आता था वह देखना चाहता था कि आज वह तीनों किस तरह की बातें करते हैं,,,,



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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है सुनैना बहुत खुश हैं और वह इस खेल को आगे बढ़ाना चाहती है उसने सोच लिया है कि वह सूरज को नहीं रोकेगी
 

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सोनू की चाची रात को आकर सुगंधा को लाडो के विवाह का आमंत्रण देने के साथ-साथ,,, सुगंधा के पड़ोसन और सुगंधा के साथ सौच करने के लिए मैदान की तरफ जा रही थी,,, और उनके पीछे-पीछे सूरज भी छुपाते छुपाते आगे बढ़ने लगा था वह अच्छी तरह से जानता था कि यह समय सौच करने का बिल्कुल भी नहीं था,,, शाम ढलने के साथ ही गांव की औरतें मैदान की तरफ निकल जाती थी,,, और अपने अपने लिए खुले मैदान में या झाड़ियां के पीछे जगह चुनकर बैठ जाती थी वैसे तो गांव में अक्सर शाम ढलने के बाद ही औरतों सौच करने के लिए मैदान की तरफ निकलती थी क्योंकि शाम ढलने के बाद अंधेरा हो जाता था और अंधेरे में दूर से देखने की आशंका कम हो जाती थी,,, लेकिन इस समय सूरज की मां सोनू की चाची और उसकी पड़ोसन सौच के बहाने गप्पे लगाने के लिए जा रही थी और उनके गप्पे किस मुद्दे पर होते थे यह सूरज अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो उनके पीछे-पीछे चल दिया था।





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चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था गांव से निकलते समय सूरज बड़े संभाल कर आगे बढ़ रहा था,, क्योंकि कुछ मीटर की दूरी पर ही उसकी मां और कुछ औरतें मैदान की तरफ जा रही थी ऐसे में सूरज को उनके पीछे जाता देखकर किसी को भी अजीब लग सकता था इसलिएसूरज सब की नजर से बचकर आगे की तरफ बढ़ रहा था एक बार में पहले भी इन तीनों को ही मैदान में सोच करते हुए देख चुका था इन तीनों की मदमस्त कर देने वाली गांड और उनकी रस भरी बाते भी सुन चुका था,,, और वह एक अद्भुत अनुभव था,,, जिसका आना तो वह पहले भी ले चुका था और इस समय उसे इस बात से प्रेरणा मिली थी कि उसकी पड़ोसन सोनू की चाची को उसके साथ संबंध बनाने के लिए बोल रही थी और बाकी उसकी मां के सामने जिसका विरोध उसकी मां थोड़ा बहुत की थी सूरज तो इस बात से पूरी तरह से उत्साहित हो गया था की औरतों में वह कितना चर्चित है और वह भी एक मर्द के तौर पर, इस बात की खुशी उसे बहुत अच्छी तरह से हुई थी और अपने आप पर गर्व भी हो रहा था। जिसके चलते उसे सोनू की चाची के साथ संबंध बनाने में जरा भी दिक्कत पेश नहीं आई और आज सुबह सोनू की चाची से मौका मिलते ही अपनी जवानी की प्यास बुझा लेता था,,, और यही देखने के लिए की आज कौन सी खिचड़ी पकती है वह धीरे-धीरे उन लोगों की तरफ आगे बढ़ रहा था।






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गांव में काफी अंधेरा था लेकिन गांव से बाहर निकलते ही चांदनी रात का एहसास बहुत अच्छी तरह से हो रहा थावैसे तो ज्यादा कुछ खास नहीं लेकिन गौर से देखने पर सब कुछ दिखाई दे रहा है,,, सोनू की चाची सुनैना और वह सुनैना की पड़ोसन तीनों देखते ही देखते एक खुली जगह पर पहुंच चुके थे लेकिन आसपास तकरीबन तीन-तीन चार-चार फीट की झाड़ी थी और यह जगह खुद सूरज की मां ने पसंद की थी ताकि बैठने के बाद दूर-दूर से कोई उन्हें देख ना पाए,,, तीनों एक ही जगह पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर खड़ी हो चुकी थी तीनों ने अपने हाथ में लिया हुआ डिब्बा नीचे जमीन पर रख दी थी और उनसे तकरीबन 2 मीटर की दूरी बनाकर सूरज एकदम झुक कर झाड़ी के पीछे अपने आप को छुपा लिया था यहां पर किसी के भी होने का अंदेशा उन तीनों को बिल्कुल भी नहीं था और यही सूरज चाहता भी था,,,।सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि एक बार फिर से वहां अपनी मां के साथ-साथ उन दोनों की भी गांड देखने वाला था वैसे तो सोनू की चाची के साथ वह पूरी तरह से मजा ले चुका था लेकिन फिर भी हर बार एक नया एहसास उसके बदन को मदहोश कर देता था। तीनों खड़ी होकर एक दूसरे को देख रही थीऔर सुगंधा नजर घुमा कर चारों तरफ देख रही थी कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन कहीं भी ऐसा कोई शख्स दिखाई नहीं दे रहा था जो उन्हें इस हालत में देख सकता,,, और वैसे भी समय कुछ ज्यादा हो रहा था इसलिए इस समय यहां किसी के आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी।





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अरे अब सोच क्या रही हो जो करने के लिए आई हो वह करो कि ईस तरह से खड़ी होकर रात यही गुजारोगी,,,(इतना कहने के साथ ही सुनैना अपने दोनों हाथों से अपनी साड़ी पकड़ कर उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, सूरज के लिएमदहोश कर देने वाली बात यह थी कि तीनों की पीठ उसकी तरफ थी मतलब की एक साथ आज उसकी आंखों के सामने तीन-तीन औरतों की खूबसूरत गांड दिखने वाली थी,,और यह सही भी था क्योंकि वह ठीक उनके पीछे झाड़ियां के पीछे था और इस तरह से वह तीनों उसकी तरफ देख भी नहीं सकती थी,,, सुनैना की बात सुनकर उसकी पड़ोसन बोली,,,)

क्या बात है दीदी आज गांड दिखाने का ज्यादा मन कर रहा है क्या तुम्हारा,,,।


अच्छा तो ज्यादा मन मेरा कर रहा है चल अच्छा मेरा मन कर रहा है लेकिन तुझे गांड दिखा कर मेरा क्या फायदा होगा,,, तु क्या कर लेगी मेरी गांड के साथ,,,।

बात तो तुम सही कह रही हो दीदी,,,यह भी ना कुछ भी कहती रहती है दीदी सच कह रही है अगर तुझे अपनी गांड दिखा भी देगी तो तो कर क्या देगी तेरे पास लटकता और प्यार तो है नहीं जो दीदी की गांड में डालकर इनको मस्त कर देंगी,,,,,।
(अपनी मां और सोनू की चाची की बात को सुनकर तो बैठे-बैठे ही सूरज का लंड खड़ा हो गया,,, अपनी मां की बात की शुरुआत को सुनते ही सूरज की हालत खराब होने लगी थी और उसे समझ में आ गया था कि आजइन तीनों के बीच का चर्चा कुछ ज्यादा ही उत्तेजक होने वाला हैआज पहली बार वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की बात सुन रहा था क्योंकि उसे दिन वहअपनी मां के मुंह से इस तरह की बात बिल्कुल भी सुन नहीं रहा था वह ज्यादा कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन आज न जाने क्या हो गया था कि वह एकदम से खुलकर बोल दी थी,,, सुगंधा और सोनू की चाची की बात सुनकर सुनैना की पड़ोसन मुस्कुराते हुए बोली,,,)





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काश मेरे पास औजार होता तो यही पटक कर तुम्हारी गांड में डाल देती क्योंकि कसम से तुम जब गांड मटका कर चलती हो तो मेरी हालत खराब हो जाती है,,,मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि बेचारा सूरज पर क्या गुजरती होगी जब वह तुम्हें चलते हुए दिखता होगा तुम्हारी गांड देखकर तो उसका लंड बार-बार खड़ा हो जाता होगा,,,,।(अपने पड़ोस वाली चाची की बात सुनकर तो सूरज के होश उड़ गए वहएकदम से उसके बारे में बोल रही थी और उसकी मां के बारे में भी बोल रही थी दोनों को आपस में जोड़कर जिस तरह का वह मुद्दा उठाई थी वह काफी उत्तेजित कर देने वाला था,,, जो कि सूरज की हालत खराब कर दे रहा थाऔर उसकी बात सुनकर सुनैना के भी होश उड़ रहे थे क्योंकि वह तो उसका सिर्फ खराबी पुलाव था लेकिन अब सुनैना को लगने लगा था कि उसके बेटे की हालत सच में उसकी गांड देखकर खराब हो जाती है तभी तो खेत में उसकी नींद का फायदा उठाकर जो हरकत उसने किया था अगर उसकी जगह कोई और औरत होती तो शायद मां बेटे के फर्क को भूलकर, खुद उसके लंड पर चढ़ जाती और जी भर कर मजा लुटती,,,, उसकी बात सुनकर तोसूरज और उसकी मां की हालत थोड़ी खराब तो हो ही रही थी लेकिन उसके सर में सुर मिलाते हुए सोनू की चाची भी बोल पड़ी,,)





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यह तो सच कह रही है मैं भी यही सोच कर हैरान हो जाती हूं दीदी,,, की कसम से तुम्हारी गांडपूरे गांव में सबसे खूबसूरत और बड़ी-बड़ी है जब कपड़े उतार कर नंगी होती होगी तो कसम से देखने वाली की हालत तो खराब हो जाती होगी मुझे तो लगता है कि भैया का लंड तुम्हारी गांड देखकर ही पानी छोड़ देती होगी,,,,,।
(सोनू की चाची की ऐसी बातें सुनकर,, सुगंधा जो अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा ली थी और उसका यह अद्भुत नजारा खुद उसका बेटा उसके पीछे झाड़ियों में छुप कर बैठ कर देख रहा था।अपनी मां की मद-मस्त कर देने वाली गांड को चांदनी रात में देखकर सूरज की हालत खराब होने लगी थी,,, उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां को इस बात का एहसास नहीं था कि उसका बेटा पीछे छुपकर उसकी गांड देख रहा है वरना साड़ी कमर तक उठाने की हिम्मत कभी ना करती,,, सोनू की चाची की बात को सुनकर वह इतराते हुए बोली,,)

तुझे क्या उनके मर्द होने पर शक है,,,, पगली एक बार उनका ले लेगी ना तो सबका भूल जाएगी,,,,मेरी नंगी गांड क्या मुझे पूरी नंगी देखकर भी उनका पानी नहीं निकलता जब तक की मेरा पानी नहीं निकाल देते,,, पर तुझे यकीन ना हो तो एक बार उनसे चुदवाकर देखना बुर का भोसड़ा बन जाएगा,,,।






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(सूरज को अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वाकई में वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुन रहा हुं हो या कोई सपना देख रहा हूं,,,, अपनी मां की इस तरह की रस भरी बातें सुनकर वह पूरी तरह से सन्न रह गया था,,,, और इस समय शायद यह जायज भी था,,, क्योंकि इस समय एक पत्नी के सामने उसके पति के मर्दानगी का सवाल जो उठ गया था क्योंकि अगर वह सोनू की चाची की बात पर हामी भर देती तो उन लोगों को ऐसा ही लगता है कि उसकी जवानी की प्यास उसका पति नहीं बुझा पा रहा है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था और इसीलिए शायद सुनैना इस तरह का जवाब दि थी,,, उसका जवाब सुनकर सोनू की चाची तो मुस्कुरा रही थी लेकिन उसकी पड़ोसन एकदम से बोल पड़ी,,,)

जरूर इसको तो ज्यादा जरूरत है मैं तो कहती हूं भाई साहब को एक बार इसके पास भेज ही दो जो अपनी गुलाबी बुर लेकर उछलती है ना एक ही बार में भाई साहब बुर का भोसड़ा बना देंगें तब लंगड़ा के चलेगी,,,, ऐसे मानने वाली नहीं है,,,,।

अभी तो इस समय खुद दीदी की बुर सूनी पड़ी है मेरी बुर का भोसड़ा कैसे बनेगा,,,,(अपनी साड़ी को कमर तक उठते हुए सोनू की चाची बोली और एक पर्दा और उठ गया एक खूबसूरत गांड के ऊपर से,,,, सोनू की चाची की बात सुनकर दूसरी वाली औरत बोली,,,)

हां रे तू तो सच कह रही हैअभी तो भाई साहब ना जाने कहां कमाने में व्यस्त हैं खूबसूरत बीवी को बिस्तर पर तड़पता हुआ छोड़कर कसम से मैं अगर मर्द होती तो ऐसी खूबसूरत औरत को कभी छोड़कर ना जाती,,, मैं तो दिन भर इसकी बुर में लंड डालकर पड़ी रहती क्यों दीदी मेरा लंड लेती ना,,,,(वह भी अपनी साड़ी पर कमर तक उठते हुए बोली और एक साथ तीनों नंगी गांड सूरज की आंखों के सामने थी अगर इस समय कोई तीनों में से एक औरत को चोदने के लिए पसंद करने को बोलना तो वह इस समय अपनी मां को ही पसंद करता,,, क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां जैसी खूबसूरत गदराए बदन वाली औरत तीनों में से सिर्फ उसकी मां ही थी,,, उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर पहले से ही अपना लंड रगड़ कर पानी निकाल चुका था,,, वह जानता था कि उसकी मां को चोदने में अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी। अपनी पड़ोसन की बात सुनकर सुनैना थोड़ा साउदास हो गई लेकिन फिर भी अपने आप को स्वस्थ करते हुए बोली,,)






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अरे तो क्या हो गया कुछ देर बंद रहने से मशीन थोड़ी खराब हो जाएगी फिर इस मशीन का मालिक आएगा तेल पानी देगा फिर चल पड़ेगी फिर वही धुआं धुआं उठेगा,(सुगंधा एकदम से मुस्कुराते हुए नीचे बैठ गई उसकी बात सुनकर वह दोनों भी जोर-जोर से हंसने लगी लेकिन अपनी मां की बात सुनकर सूरज के तन बदन में आग लगने लगे वह समझ गया कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह ही है बस उसे खोलने की जरूरत है लेकिन ऐसा लग रहा था कि धीरे-धीरे वह खुल रही थी पहली बार जब इसी जगह पर अपनी मां कोऔरतों से बात करते हुए सुना था तब इस तरह की बातें वह बिल्कुल भी नहीं करती थी लेकिन आज उसकी बातों में मदहोशी का रस छलक रहा था जिसकापान करके सूरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था,,, सुगंधा के बैठने के साथ ही वह दोनों भी नीचे बैठ गई थी,,,, वाकई में औरतें इस तरह की बातें करती हैं यह जानकर सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,वैसे तो वह जानता ही था कि मर्दों की तरह औरतों की गंदी बातें करती हैं लेकिन इतना खोलकर करती है यह आज पहली बार देख रहा था और अपनी मां को तो इस तरह की बात करते हुए जिंदगी में वह पहली बार सुन रहा था इसलिए तो उसकी हालत और ज्यादा खराब थी,,,,।

(कुछ देर तक वातावरण में खामोशी छाई रही तीनों के सिर्फ हंसने की आवाज आ रही थी लेकिन तभी सुनैना की पड़ोसन बोल पड़ी,,,)





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अरे उस दिन तुझे बोली थी ना कि दीदी के लड़के से चुदवा ले बहुत मजा आएगा,,,, अब तक बात बढी कि नहीं,,,,।

उड़ा ले मजाक अभी मेरा दिन खराब है इसलिए वरनाअगर मेरा पति भी हट्टा कट्टा होता ना तो तेरे सामने उसके लंड को अपनी बुर में डलवाती,,,,,,और तुझे दिखा दिखा कर चुदवाती,,,,।

अच्छा तु इतना तड़प रही है चुदवाने के लिए,,, तो जा मैं तुझे छुट देती हूं,,,, मेरे बेटे से चुदवा ले,,, जी भर कर जितना मन करता है उतना चुदवा ले,,,(सुनैना एकदम से मस्ती में आते हुए बोली उसकी बात सुनकर सोनू की चाची की हालत एकदम खराब हो गई,,, और वह अपने मन में ही बोली इसमें तुम्हारी इजाजत लेना जरूरी नहीं है दीदी पहले से ही तुम्हारा बेटा मुझे चोद रहा है,,,,,,, सुनैना की बात सुनकर उसकी पड़ोसन एकदम से बोल पड़ी,,)

यह हुई ना बात दीदी मैं भी कब से इसे यही समझ रही हूं,,,, ले अब तो दीदी ने भी छूट दे दी है लेजा सूरज को अपने घर,,, और बना ले अपना आदमी,,,।

ना,,,,ना,,, ऐसा मत करना सिर्फ उससे चुदवाने के लिए बोल रही हूं उसे अपना आदमी बनाने के लिए नहीं बोल रही हूं फिर पता चलेगी वह तेरे घर पर ही रहने लगा तब तो मेरी सारी मेहनत पानी में मिल जाएगा,,,,।




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क्यों दीदी तुम्हारी भी प्यास बुझाने लगा है क्या तुम्हारा बेटा,,,,(एकदम धीरे से सुनैना के पड़ोसन बोली तो वह एकदम से बोल पड़ी,,,)

धत् हारामी कुछ भी बोलती रहती है,,,,।

तब तुम कैसे विश्वास के साथ बोल रही हो कि सूरज दीदी की प्यास बुझा लैगा जी भर कर उनकी चुदाई करेगा,,,,


क्योंएक औरत की प्यास बुझाने का एक मेरा बेटा नहीं लगता क्या अब तो पूरी तरह से जवान हो चुका है लंबा-तंबा हो चुका है तो उसकी लंबाई के साथ-साथ उसका हथियार भी तो बड़ा हो गया होगा,,,,(सुनैना यह बात भले हीहंसी में बोल रही थी लेकिन वह अपनी बेटी के लंड का अनुभव हो चुकी थी वह जानती थी कि उसके बेटे का लंड कितना दमदार है,,, सुनैना की बात सुनकर सोनू की चाची बोल पड़ी,,)

बात तो सही कह रही हो दीदी तुम्हारा बेटा किसी भी औरत की प्यास बुझाने लायक तो हो ही गया है हट्टा कट्टा शरीर बांका नौजवान, बन चुका है,,,।

ओ हो,,,, लगता है कि अब सूरज पर नजर बिगड़ने लगी है तुम्हारी,,,(सुनैना की पड़ोसन एकदम से बोल पड़ी,,,)

नहीं रे ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन जिस दिन से तूने सूरज के बारे में जिक्र की है तब से न जाने क्यों सूरज को देखती हूं तो बदन में कुछ कुछ होने लगता है,,,,(मुस्कुराते हुए सोनू की चाची बोल रही तो यह सुनकर पीछे बैठकर एक साथ तीनों औरतों की गांड देख रहा सूरज मन ही मन में प्रसन्न होने लगा,,,,,,, वह यह देखकर और खुश हो रहा था कि कैसे सोनू की चाची बात बना रही है क्योंकि अपने मुंह से सच्चाई तो बात नहीं सकती की जिसके बारे में तुम बात कर रही हो उसका लंड मेरी बुर में न जाने कितनी बार अंदर बाहर हो चुका है,,,,,,सुनैना भी सोनू की चाची की बात सुनकर उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी और मुस्कुराने लगी उसे इस बात से खुशी थी कि उसका बेटा पूरा मर्द बन चुका है गांव की औरतों की नजर में बात धीरे-धीरे बसने लगा है,,,क्योंकि वह अभी हकीकत से वाकिफ नहीं थी उसे लग रहा था कि यह सब शुरुआत है अभी तक उसका बेटा किसी भी औरत की संगत में आया नहीं है किसी भी औरत के साथ जिस्मानी तालुका बनाया नहीं है इसलिए वह इस बात से तसल्ली नुमा खुश थी लेकिन वह यह बात नहीं जानती थी कि उसका बेटा गांव की अब धीरे-धीरे कई औरतों के साथ संबंध बन चुका था और उसके जीवन में सोनू की चाची भी आ चुकी थी,,,, सोनू की चाची की बात सुनकर सुनैना बोली,,,)



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क्या बात है,,, इसकी,,(अपने पड़ोसन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए) बातों ने लगता है तेरा दिमाग घुमा दिया है,,,, सच-सच बताना मेरे बेटे को देखकर तेरी बुर गीली हो जाती है क्या,,,,?

(जवाब में बिना कुछ बोलेसोनू की चाची मुस्कुराने लगी और शर्माने लगी उसे लग रहा था कि यही सही मौका है इस बात का अंदेशा दिलाने का की उसके बेटे की तरफ वह आकर्षित है ताकि भविष्य में अगर वह पकड़ी जाए तो उन लोगों को उसे पर उतना गुस्सा ना आए क्योंकि इसके लिए वह लोग ही उसे उकसा रही थी,,,, उसका इस तरह से शर्माना देखकर सोनू की चाची फिर से बात को छेडते हुए बोली,,,)

बताना क्या हुआ शर्मा क्यों रही हैमैं भी तो सुनो की मेरे बेटे को देखकर गांव की औरतों को क्या-क्या हो रहा है,,,,,( अंदर ही अंदर सुनैना खुश होते हुए बोलीऔर ऐसा हुआ इसलिए बोल रही थी क्योंकि खेत में उसके बेटे ने जिस तरह से उसे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था उसे मदहोशी में वह इस समय भूल चुकी थी कि वह किसके बारे में बात कर रही हैअपने ही बेटे के बारे में वॉइस खराब की बातें कर रही थी और गांव की औरतों को उसके साथ संबंध बनाने के लिए क्रेडिट कर रही थी जो कि यह पूरी तरह से मदहोशी में कह रही थी वरना हकीकत में कोई भी मन अपने बेटे को गांव की औरतों के साथ संबंध बनाने के लिए कभी नहीं रहती और शायद सुनैना भी इस तरह सेमजाक की मजाक में सोनू की चाची को अपने ही बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए प्रेरित ना करती,, सुनैना की बात सुनकर सोनू की चाची को थोड़ी हिम्मत मिल रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि जब सूरज की मां ही उसे बोल रही है तो भला वह क्यों पीछे हट जाए,,, और इस बात से वह वाली भांतिपरिचित थी कि आज नहीं तो कल जो कुछ भी वह सूरज के साथ कर रही है किसी न किसी को पता तो चली जाएगा अगर यह बात उड़ते हुए सूरज की मां को पता चल गया तो गजब हो जाएगा इसलिएइसी समय अपने मन में क्या है वह बता दे ताकि भविष्य में किसी भी तरह का तकरार ना हो मनमुटाव ना हो क्योंकि अगर तब पता चलेगा और सुनैना उसे भला बुरा कुछ कहेगी तो वहां भी बोल सकती है कि तुम ही ने तो प्रेरित किया था अपने ही बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए। इसलिए वह सुनैना की बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोली,,)






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सच कहूं तो दीदी पहले ऐसा कभी नहीं होता था सूरज को जब भी अपनी आंखों के सामने देखी थी तो उसे अपने बेटे के रूप में ही देखी थी उसे देखकर मेरे मन में कुछ भी होता नहीं था लेकिन तुम लोगों की बातों ने हीं मेरे दिमाग को एकदम बदल सा दिया है,,, अब जब भी सूरज को सामने देखती हूं तो न जाने मेरे बदन में क्या होने लगता है और सच बताऊं तो दीदी मेरी बुर पानी छोड़ने लगती हैं,,,, और तुम शायद ठीक कह रही हो तुम्हारा बेटा सूरज मजबूत बुझाओ वाला है उसका शरीर देखो कितना हट्टा कट्टा है। मुझे भी तुम्हारी बात सच लगती है कि उसके शरीर की तरह उसका लंड भी लंबा होगा,,,,,।
(सोनू की चाची की बात सुनकर सूरज बहुत खुश हो रहा था और वह धीरे से अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया था और एक साथ उन तीनों की गांड देखकर और उनकी मध्य भरी बातें सुनकर उसे हिलाना शुरू कर दिया था,,,,,सूरज की तरह ही सुनैना का भी हालत हो रहा था एक पराई औरत के मुंह से अपने बेटे की मर्दाना ताकत की तारीफ सुनकर उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी और बुर से मदन रस टपक रहा था,,,, उसकी बातें सुनकर
एक पल के लिए सुनैना का मन हुआ कि इसी समय वह सोनू की चाची को बता दे कि वाकई में उसके बेटे का लंड बहुत लंबा और मोटा है,,,, वह सोने की चाची से कहना चाहती थी कि तुझे तो केवल अंदाजा लगाकर यह बोल रही है लेकिन मैं तो पूरा अनुभव ले चुकी हूं,,,,बड़ी-बड़ी गांड होने के बावजूद भी उसका लंड बुर तक बड़े आराम से चला जाता है कसम से तू अगर उसका लंड लेगी तो पागल हो जाएगी,,,, लेकिन वह यह बातें अपने मुंह से नहीं कह सकती थी लेकिन सोनू की चाची की बात सुनकर उसे करो महसूस हो रहा था और वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, सोनू की चाची की बात सुनकर सुनैना की पड़ोसन बोली,,,)





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हाय दैया जब बेटे की मां तैयार हो गई है तो देर किस बात की है,,,, तुम्हें तो जल्द से जल्द सूरज के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहिए शायद उसकी चुदाई से ही तो मां बन जाओ,,,,।

चल रहने दे जब वक्त आएगा तब देखा जाएगा,,,, वैसे तुम बताओ दीदी सूरज क्या तुम्हेंऐसी वैसी नजर से देखा है तुम हो तो इतनी खूबसूरत घर में तुम्हें कपड़े बदलते हुए नहाते हुए तो देखा ही होगा,,,,।

क्यों ऐसा क्यों पूछ रही है,,,?

बस ऐसे ही क्योंकि मैं जानती हूं कि तुम पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत हो जरूर तुम्हारा बेटा भी तुम्हें प्यासी नजरों से देखा होगा तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड बड़ी-बड़ी चूची देखकर उसका भी लंड खड़ा हो जाता होगा।

धत्,,,, यह कैसी बातें कर रही है भला एक मां को देखकर किसी बेटे का लंड खड़ा होता है क्या,,,?(शरमाते हुए सुनैना बोली,,,पहले उसे भी लगता था कि एक बेटा भला अपनी मां को गंदी नजर से कैसे देख सकता है लेकिन खेत में जिस तरह की हरकत उसने किया था उसे यकीन हो गया था कि शायद अपनी मां की खूबसूरती देखकर हर बेटे का यही हालत होता है,,,, सुनैना की बात सुनकर सोनू की चाची बोली,,,)

क्यों नहीं दीदी वैसे भी जब नंगी कभी अपनी बेटी के सामनेखड़ी हो जाओगी तो वह यह नहीं देखेगा कि तुम उसकी मां हो तुम्हारे में उसे एक औरत दिखेगी खूबसूरत औरत और जरूर उसका लंड खड़ा हो जाएगा शायद तुम्हें यकीन नहीं होगा यह मैं अनुभव से बोल रही हूं,,,,।

अनुभव से मैं कुछ समझी नहीं,,,( सुनैना की पड़ोसन बोल पड़ी)






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अरे अभी 2 दिन पहले ही मैं घर के पीछे नहा रही थी और मुझे तो मालूम नहीं था कि कोई मुझे देख रहा है,,,, मैं धीरे-धीरे अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होगी और नहाना शुरू कर दी,,, और तभी पीछे लोटा गिरने की आवाज आई और पीछे मुड़कर देखी तो मेरे तो होश उड़ गए,,,,।

क्यों ऐसा क्या हो गया,,,(सुनैना उत्सुकता दिखाते हुए बोली)

अरे पीछे सोनू खड़ा था और मुझे नंगी नहाते हुए देखकर अपना हिला रहा था मैं तो देख कर एकदम से चौक गई,,,,,।

ओहहहह ,,,, फिर क्या हुआ ,,,,(सुनैना की पड़ोसन बोली)


फिर क्या मैं तो डर गई मैं कुछ बोलती ईससे पहले सोनू वहां से भाग गया,,,,।

हाय दइया इतना हारामी है सोनु,,,,(आश्चर्य जताते हुए सुनैना बोली,,,,)

तो क्या मुझे भी नहीं मालूम था,,,,पहली बार मुझे ऐसा सुबह की घर पर जवान लड़के का होना एक औरत के लिए कितनी मुसीबत बन जाती है,,,,,।

तब तुमने उसकी मां को नहीं बताई,,,

नहीं दीदी मैं नहीं बताई क्या पता वह खुद इल्जाम लगा दे कि मेरे बेटे को बहलाती है अपनी तरफ आकर्षित करती है,,,, क्योंकि वह तो जानती ही हैं कि,,, मेरा पति कैसा है,,,, इसीलिए कहती हूं दीदीघर में जवान लड़का हो तो खूबसूरत औरत को तकलीफ हो ही जाती है,,,, या तो तकलीफ होती है या तो औरत भी उसमें मजा लेने लगती है। और दीदी तुम्हारे घर में तो मुझे लगता है कि और भी ज्यादा तकलीफ पड़ जाती होगी जब मेरा यह हाल है,,,तुम तो पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है और तुम्हारा लड़का भी पूरी तरह से जवान हो चुका है क्या वह भी तुम्हें देखता है,,,।
(सोनू की चाची जो कुछ भी बता रही थी वह पूरा मनगढ़ंत था वह सिर्फ ऐसा जताना चाहती थी कि घर में अगर जवान लड़का हो तो औरत के प्रति आकर्षण होना लाजिमी ही है भले ही वह किसी भी रिश्ते से बंधा हो,,, इस बात को सुनैना भी अच्छी तरह से जानती थी, क्योंकि इसका अनुभव उसे हो चुका था। इस बात को जानते हुए भी वह अपनी तरफ से सफाई देते हुए बोली,,,)


नहीं नहीं मेरा बेटा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मुझे तो कभी नहीं लगा कि वह मुझे देखता है,,,,,।

(झाड़ियां के पीछे छुपकर देख रहा और सुन रहा सूरज अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन में मुस्कुरा रहा थाक्योंकि उसे भी थोड़ा बहुत अंदेशा था कि उसकी मां को पता है कि वह उसे देखा है और वह भी सहज रूप से नहीं बल्कि गंदी नजर से सुनैना की बात सुनकर सोनू की चाची शंका जताते हुए बोली,,)





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मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगता दीदी घर में तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत हो और जवान लड़के का मन ना बहके ऐसा हो नहीं सकता,,,।

अब तुझे क्या लगता है यह मैं नहीं जानती लेकिन जो कुछ भी है मैं सब कुछ बता रही हूं अब ऐसा तो है नहीं कि मैं घर में अपने बेटे को अपनी गांड दिखाते घूमती रहूं,,,, चल अब बस बहुत हो गया बहुत समय हो गया है,,,,,,(इतना कहकर सुनैना डिब्बे से पानी लेकर अपनी गांड धोने लगी और फिर उसको देखकर उन दोनों ने भी अपनी गांड धोना शुरू कर दिया,,,,यह देखकर सूरज की हालत और ज्यादा खराब होने लगी और वहां अपनी मां के साथ-साथ दोनों औरतों की बड़ी-बड़ी गांड देखकर जोर-जोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया और अगले ही पल वह झड़ गया,,,,, सुनैना और वह दोनों औरतेंअपना डिब्बा लेकर गांव की तरफ जल्दी और उनके जाने के बाद धीरे-धीरे सूरज भी गांव की तरफ जाने लगा,,,)
सुनैना,सोनू की चाची और उसने
सोनू की चाची रात को आकर सुगंधा को लाडो के विवाह का आमंत्रण देने के साथ-साथ,,, सुगंधा के पड़ोसन और सुगंधा के साथ सौच करने के लिए मैदान की तरफ जा रही थी,,, और उनके पीछे-पीछे सूरज भी छुपाते छुपाते आगे बढ़ने लगा था वह अच्छी तरह से जानता था कि यह समय सौच करने का बिल्कुल भी नहीं था,,, शाम ढलने के साथ ही गांव की औरतें मैदान की तरफ निकल जाती थी,,, और अपने अपने लिए खुले मैदान में या झाड़ियां के पीछे जगह चुनकर बैठ जाती थी वैसे तो गांव में अक्सर शाम ढलने के बाद ही औरतों सौच करने के लिए मैदान की तरफ निकलती थी क्योंकि शाम ढलने के बाद अंधेरा हो जाता था और अंधेरे में दूर से देखने की आशंका कम हो जाती थी,,, लेकिन इस समय सूरज की मां सोनू की चाची और उसकी पड़ोसन सौच के बहाने गप्पे लगाने के लिए जा रही थी और उनके गप्पे किस मुद्दे पर होते थे यह सूरज अच्छी तरह से जानता था इसलिए तो उनके पीछे-पीछे चल दिया था।





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चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था गांव से निकलते समय सूरज बड़े संभाल कर आगे बढ़ रहा था,, क्योंकि कुछ मीटर की दूरी पर ही उसकी मां और कुछ औरतें मैदान की तरफ जा रही थी ऐसे में सूरज को उनके पीछे जाता देखकर किसी को भी अजीब लग सकता था इसलिएसूरज सब की नजर से बचकर आगे की तरफ बढ़ रहा था एक बार में पहले भी इन तीनों को ही मैदान में सोच करते हुए देख चुका था इन तीनों की मदमस्त कर देने वाली गांड और उनकी रस भरी बाते भी सुन चुका था,,, और वह एक अद्भुत अनुभव था,,, जिसका आना तो वह पहले भी ले चुका था और इस समय उसे इस बात से प्रेरणा मिली थी कि उसकी पड़ोसन सोनू की चाची को उसके साथ संबंध बनाने के लिए बोल रही थी और बाकी उसकी मां के सामने जिसका विरोध उसकी मां थोड़ा बहुत की थी सूरज तो इस बात से पूरी तरह से उत्साहित हो गया था की औरतों में वह कितना चर्चित है और वह भी एक मर्द के तौर पर, इस बात की खुशी उसे बहुत अच्छी तरह से हुई थी और अपने आप पर गर्व भी हो रहा था। जिसके चलते उसे सोनू की चाची के साथ संबंध बनाने में जरा भी दिक्कत पेश नहीं आई और आज सुबह सोनू की चाची से मौका मिलते ही अपनी जवानी की प्यास बुझा लेता था,,, और यही देखने के लिए की आज कौन सी खिचड़ी पकती है वह धीरे-धीरे उन लोगों की तरफ आगे बढ़ रहा था।






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गांव में काफी अंधेरा था लेकिन गांव से बाहर निकलते ही चांदनी रात का एहसास बहुत अच्छी तरह से हो रहा थावैसे तो ज्यादा कुछ खास नहीं लेकिन गौर से देखने पर सब कुछ दिखाई दे रहा है,,, सोनू की चाची सुनैना और वह सुनैना की पड़ोसन तीनों देखते ही देखते एक खुली जगह पर पहुंच चुके थे लेकिन आसपास तकरीबन तीन-तीन चार-चार फीट की झाड़ी थी और यह जगह खुद सूरज की मां ने पसंद की थी ताकि बैठने के बाद दूर-दूर से कोई उन्हें देख ना पाए,,, तीनों एक ही जगह पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर खड़ी हो चुकी थी तीनों ने अपने हाथ में लिया हुआ डिब्बा नीचे जमीन पर रख दी थी और उनसे तकरीबन 2 मीटर की दूरी बनाकर सूरज एकदम झुक कर झाड़ी के पीछे अपने आप को छुपा लिया था यहां पर किसी के भी होने का अंदेशा उन तीनों को बिल्कुल भी नहीं था और यही सूरज चाहता भी था,,,।सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था क्योंकि एक बार फिर से वहां अपनी मां के साथ-साथ उन दोनों की भी गांड देखने वाला था वैसे तो सोनू की चाची के साथ वह पूरी तरह से मजा ले चुका था लेकिन फिर भी हर बार एक नया एहसास उसके बदन को मदहोश कर देता था। तीनों खड़ी होकर एक दूसरे को देख रही थीऔर सुगंधा नजर घुमा कर चारों तरफ देख रही थी कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन कहीं भी ऐसा कोई शख्स दिखाई नहीं दे रहा था जो उन्हें इस हालत में देख सकता,,, और वैसे भी समय कुछ ज्यादा हो रहा था इसलिए इस समय यहां किसी के आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी।





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अरे अब सोच क्या रही हो जो करने के लिए आई हो वह करो कि ईस तरह से खड़ी होकर रात यही गुजारोगी,,,(इतना कहने के साथ ही सुनैना अपने दोनों हाथों से अपनी साड़ी पकड़ कर उसे धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,, सूरज के लिएमदहोश कर देने वाली बात यह थी कि तीनों की पीठ उसकी तरफ थी मतलब की एक साथ आज उसकी आंखों के सामने तीन-तीन औरतों की खूबसूरत गांड दिखने वाली थी,,और यह सही भी था क्योंकि वह ठीक उनके पीछे झाड़ियां के पीछे था और इस तरह से वह तीनों उसकी तरफ देख भी नहीं सकती थी,,, सुनैना की बात सुनकर उसकी पड़ोसन बोली,,,)

क्या बात है दीदी आज गांड दिखाने का ज्यादा मन कर रहा है क्या तुम्हारा,,,।


अच्छा तो ज्यादा मन मेरा कर रहा है चल अच्छा मेरा मन कर रहा है लेकिन तुझे गांड दिखा कर मेरा क्या फायदा होगा,,, तु क्या कर लेगी मेरी गांड के साथ,,,।

बात तो तुम सही कह रही हो दीदी,,,यह भी ना कुछ भी कहती रहती है दीदी सच कह रही है अगर तुझे अपनी गांड दिखा भी देगी तो तो कर क्या देगी तेरे पास लटकता और प्यार तो है नहीं जो दीदी की गांड में डालकर इनको मस्त कर देंगी,,,,,।
(अपनी मां और सोनू की चाची की बात को सुनकर तो बैठे-बैठे ही सूरज का लंड खड़ा हो गया,,, अपनी मां की बात की शुरुआत को सुनते ही सूरज की हालत खराब होने लगी थी और उसे समझ में आ गया था कि आजइन तीनों के बीच का चर्चा कुछ ज्यादा ही उत्तेजक होने वाला हैआज पहली बार वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की बात सुन रहा था क्योंकि उसे दिन वहअपनी मां के मुंह से इस तरह की बात बिल्कुल भी सुन नहीं रहा था वह ज्यादा कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन आज न जाने क्या हो गया था कि वह एकदम से खुलकर बोल दी थी,,, सुगंधा और सोनू की चाची की बात सुनकर सुनैना की पड़ोसन मुस्कुराते हुए बोली,,,)





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काश मेरे पास औजार होता तो यही पटक कर तुम्हारी गांड में डाल देती क्योंकि कसम से तुम जब गांड मटका कर चलती हो तो मेरी हालत खराब हो जाती है,,,मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि बेचारा सूरज पर क्या गुजरती होगी जब वह तुम्हें चलते हुए दिखता होगा तुम्हारी गांड देखकर तो उसका लंड बार-बार खड़ा हो जाता होगा,,,,।(अपने पड़ोस वाली चाची की बात सुनकर तो सूरज के होश उड़ गए वहएकदम से उसके बारे में बोल रही थी और उसकी मां के बारे में भी बोल रही थी दोनों को आपस में जोड़कर जिस तरह का वह मुद्दा उठाई थी वह काफी उत्तेजित कर देने वाला था,,, जो कि सूरज की हालत खराब कर दे रहा थाऔर उसकी बात सुनकर सुनैना के भी होश उड़ रहे थे क्योंकि वह तो उसका सिर्फ खराबी पुलाव था लेकिन अब सुनैना को लगने लगा था कि उसके बेटे की हालत सच में उसकी गांड देखकर खराब हो जाती है तभी तो खेत में उसकी नींद का फायदा उठाकर जो हरकत उसने किया था अगर उसकी जगह कोई और औरत होती तो शायद मां बेटे के फर्क को भूलकर, खुद उसके लंड पर चढ़ जाती और जी भर कर मजा लुटती,,,, उसकी बात सुनकर तोसूरज और उसकी मां की हालत थोड़ी खराब तो हो ही रही थी लेकिन उसके सर में सुर मिलाते हुए सोनू की चाची भी बोल पड़ी,,)





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यह तो सच कह रही है मैं भी यही सोच कर हैरान हो जाती हूं दीदी,,, की कसम से तुम्हारी गांडपूरे गांव में सबसे खूबसूरत और बड़ी-बड़ी है जब कपड़े उतार कर नंगी होती होगी तो कसम से देखने वाली की हालत तो खराब हो जाती होगी मुझे तो लगता है कि भैया का लंड तुम्हारी गांड देखकर ही पानी छोड़ देती होगी,,,,,।
(सोनू की चाची की ऐसी बातें सुनकर,, सुगंधा जो अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा ली थी और उसका यह अद्भुत नजारा खुद उसका बेटा उसके पीछे झाड़ियों में छुप कर बैठ कर देख रहा था।अपनी मां की मद-मस्त कर देने वाली गांड को चांदनी रात में देखकर सूरज की हालत खराब होने लगी थी,,, उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां को इस बात का एहसास नहीं था कि उसका बेटा पीछे छुपकर उसकी गांड देख रहा है वरना साड़ी कमर तक उठाने की हिम्मत कभी ना करती,,, सोनू की चाची की बात को सुनकर वह इतराते हुए बोली,,)

तुझे क्या उनके मर्द होने पर शक है,,,, पगली एक बार उनका ले लेगी ना तो सबका भूल जाएगी,,,,मेरी नंगी गांड क्या मुझे पूरी नंगी देखकर भी उनका पानी नहीं निकलता जब तक की मेरा पानी नहीं निकाल देते,,, पर तुझे यकीन ना हो तो एक बार उनसे चुदवाकर देखना बुर का भोसड़ा बन जाएगा,,,।






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(सूरज को अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वाकई में वह अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुन रहा हुं हो या कोई सपना देख रहा हूं,,,, अपनी मां की इस तरह की रस भरी बातें सुनकर वह पूरी तरह से सन्न रह गया था,,,, और इस समय शायद यह जायज भी था,,, क्योंकि इस समय एक पत्नी के सामने उसके पति के मर्दानगी का सवाल जो उठ गया था क्योंकि अगर वह सोनू की चाची की बात पर हामी भर देती तो उन लोगों को ऐसा ही लगता है कि उसकी जवानी की प्यास उसका पति नहीं बुझा पा रहा है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था और इसीलिए शायद सुनैना इस तरह का जवाब दि थी,,, उसका जवाब सुनकर सोनू की चाची तो मुस्कुरा रही थी लेकिन उसकी पड़ोसन एकदम से बोल पड़ी,,,)

जरूर इसको तो ज्यादा जरूरत है मैं तो कहती हूं भाई साहब को एक बार इसके पास भेज ही दो जो अपनी गुलाबी बुर लेकर उछलती है ना एक ही बार में भाई साहब बुर का भोसड़ा बना देंगें तब लंगड़ा के चलेगी,,,, ऐसे मानने वाली नहीं है,,,,।

अभी तो इस समय खुद दीदी की बुर सूनी पड़ी है मेरी बुर का भोसड़ा कैसे बनेगा,,,,(अपनी साड़ी को कमर तक उठते हुए सोनू की चाची बोली और एक पर्दा और उठ गया एक खूबसूरत गांड के ऊपर से,,,, सोनू की चाची की बात सुनकर दूसरी वाली औरत बोली,,,)

हां रे तू तो सच कह रही हैअभी तो भाई साहब ना जाने कहां कमाने में व्यस्त हैं खूबसूरत बीवी को बिस्तर पर तड़पता हुआ छोड़कर कसम से मैं अगर मर्द होती तो ऐसी खूबसूरत औरत को कभी छोड़कर ना जाती,,, मैं तो दिन भर इसकी बुर में लंड डालकर पड़ी रहती क्यों दीदी मेरा लंड लेती ना,,,,(वह भी अपनी साड़ी पर कमर तक उठते हुए बोली और एक साथ तीनों नंगी गांड सूरज की आंखों के सामने थी अगर इस समय कोई तीनों में से एक औरत को चोदने के लिए पसंद करने को बोलना तो वह इस समय अपनी मां को ही पसंद करता,,, क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां जैसी खूबसूरत गदराए बदन वाली औरत तीनों में से सिर्फ उसकी मां ही थी,,, उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर पहले से ही अपना लंड रगड़ कर पानी निकाल चुका था,,, वह जानता था कि उसकी मां को चोदने में अद्भुत सुख की प्राप्ति होगी। अपनी पड़ोसन की बात सुनकर सुनैना थोड़ा साउदास हो गई लेकिन फिर भी अपने आप को स्वस्थ करते हुए बोली,,)






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अरे तो क्या हो गया कुछ देर बंद रहने से मशीन थोड़ी खराब हो जाएगी फिर इस मशीन का मालिक आएगा तेल पानी देगा फिर चल पड़ेगी फिर वही धुआं धुआं उठेगा,(सुगंधा एकदम से मुस्कुराते हुए नीचे बैठ गई उसकी बात सुनकर वह दोनों भी जोर-जोर से हंसने लगी लेकिन अपनी मां की बात सुनकर सूरज के तन बदन में आग लगने लगे वह समझ गया कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह ही है बस उसे खोलने की जरूरत है लेकिन ऐसा लग रहा था कि धीरे-धीरे वह खुल रही थी पहली बार जब इसी जगह पर अपनी मां कोऔरतों से बात करते हुए सुना था तब इस तरह की बातें वह बिल्कुल भी नहीं करती थी लेकिन आज उसकी बातों में मदहोशी का रस छलक रहा था जिसकापान करके सूरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था,,, सुगंधा के बैठने के साथ ही वह दोनों भी नीचे बैठ गई थी,,,, वाकई में औरतें इस तरह की बातें करती हैं यह जानकर सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,वैसे तो वह जानता ही था कि मर्दों की तरह औरतों की गंदी बातें करती हैं लेकिन इतना खोलकर करती है यह आज पहली बार देख रहा था और अपनी मां को तो इस तरह की बात करते हुए जिंदगी में वह पहली बार सुन रहा था इसलिए तो उसकी हालत और ज्यादा खराब थी,,,,।

(कुछ देर तक वातावरण में खामोशी छाई रही तीनों के सिर्फ हंसने की आवाज आ रही थी लेकिन तभी सुनैना की पड़ोसन बोल पड़ी,,,)





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अरे उस दिन तुझे बोली थी ना कि दीदी के लड़के से चुदवा ले बहुत मजा आएगा,,,, अब तक बात बढी कि नहीं,,,,।

उड़ा ले मजाक अभी मेरा दिन खराब है इसलिए वरनाअगर मेरा पति भी हट्टा कट्टा होता ना तो तेरे सामने उसके लंड को अपनी बुर में डलवाती,,,,,,और तुझे दिखा दिखा कर चुदवाती,,,,।

अच्छा तु इतना तड़प रही है चुदवाने के लिए,,, तो जा मैं तुझे छुट देती हूं,,,, मेरे बेटे से चुदवा ले,,, जी भर कर जितना मन करता है उतना चुदवा ले,,,(सुनैना एकदम से मस्ती में आते हुए बोली उसकी बात सुनकर सोनू की चाची की हालत एकदम खराब हो गई,,, और वह अपने मन में ही बोली इसमें तुम्हारी इजाजत लेना जरूरी नहीं है दीदी पहले से ही तुम्हारा बेटा मुझे चोद रहा है,,,,,,, सुनैना की बात सुनकर उसकी पड़ोसन एकदम से बोल पड़ी,,)

यह हुई ना बात दीदी मैं भी कब से इसे यही समझ रही हूं,,,, ले अब तो दीदी ने भी छूट दे दी है लेजा सूरज को अपने घर,,, और बना ले अपना आदमी,,,।

ना,,,,ना,,, ऐसा मत करना सिर्फ उससे चुदवाने के लिए बोल रही हूं उसे अपना आदमी बनाने के लिए नहीं बोल रही हूं फिर पता चलेगी वह तेरे घर पर ही रहने लगा तब तो मेरी सारी मेहनत पानी में मिल जाएगा,,,,।




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क्यों दीदी तुम्हारी भी प्यास बुझाने लगा है क्या तुम्हारा बेटा,,,,(एकदम धीरे से सुनैना के पड़ोसन बोली तो वह एकदम से बोल पड़ी,,,)

धत् हारामी कुछ भी बोलती रहती है,,,,।

तब तुम कैसे विश्वास के साथ बोल रही हो कि सूरज दीदी की प्यास बुझा लैगा जी भर कर उनकी चुदाई करेगा,,,,


क्योंएक औरत की प्यास बुझाने का एक मेरा बेटा नहीं लगता क्या अब तो पूरी तरह से जवान हो चुका है लंबा-तंबा हो चुका है तो उसकी लंबाई के साथ-साथ उसका हथियार भी तो बड़ा हो गया होगा,,,,(सुनैना यह बात भले हीहंसी में बोल रही थी लेकिन वह अपनी बेटी के लंड का अनुभव हो चुकी थी वह जानती थी कि उसके बेटे का लंड कितना दमदार है,,, सुनैना की बात सुनकर सोनू की चाची बोल पड़ी,,)

बात तो सही कह रही हो दीदी तुम्हारा बेटा किसी भी औरत की प्यास बुझाने लायक तो हो ही गया है हट्टा कट्टा शरीर बांका नौजवान, बन चुका है,,,।

ओ हो,,,, लगता है कि अब सूरज पर नजर बिगड़ने लगी है तुम्हारी,,,(सुनैना की पड़ोसन एकदम से बोल पड़ी,,,)

नहीं रे ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन जिस दिन से तूने सूरज के बारे में जिक्र की है तब से न जाने क्यों सूरज को देखती हूं तो बदन में कुछ कुछ होने लगता है,,,,(मुस्कुराते हुए सोनू की चाची बोल रही तो यह सुनकर पीछे बैठकर एक साथ तीनों औरतों की गांड देख रहा सूरज मन ही मन में प्रसन्न होने लगा,,,,,,, वह यह देखकर और खुश हो रहा था कि कैसे सोनू की चाची बात बना रही है क्योंकि अपने मुंह से सच्चाई तो बात नहीं सकती की जिसके बारे में तुम बात कर रही हो उसका लंड मेरी बुर में न जाने कितनी बार अंदर बाहर हो चुका है,,,,,,सुनैना भी सोनू की चाची की बात सुनकर उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी और मुस्कुराने लगी उसे इस बात से खुशी थी कि उसका बेटा पूरा मर्द बन चुका है गांव की औरतों की नजर में बात धीरे-धीरे बसने लगा है,,,क्योंकि वह अभी हकीकत से वाकिफ नहीं थी उसे लग रहा था कि यह सब शुरुआत है अभी तक उसका बेटा किसी भी औरत की संगत में आया नहीं है किसी भी औरत के साथ जिस्मानी तालुका बनाया नहीं है इसलिए वह इस बात से तसल्ली नुमा खुश थी लेकिन वह यह बात नहीं जानती थी कि उसका बेटा गांव की अब धीरे-धीरे कई औरतों के साथ संबंध बन चुका था और उसके जीवन में सोनू की चाची भी आ चुकी थी,,,, सोनू की चाची की बात सुनकर सुनैना बोली,,,)



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क्या बात है,,, इसकी,,(अपने पड़ोसन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए) बातों ने लगता है तेरा दिमाग घुमा दिया है,,,, सच-सच बताना मेरे बेटे को देखकर तेरी बुर गीली हो जाती है क्या,,,,?

(जवाब में बिना कुछ बोलेसोनू की चाची मुस्कुराने लगी और शर्माने लगी उसे लग रहा था कि यही सही मौका है इस बात का अंदेशा दिलाने का की उसके बेटे की तरफ वह आकर्षित है ताकि भविष्य में अगर वह पकड़ी जाए तो उन लोगों को उसे पर उतना गुस्सा ना आए क्योंकि इसके लिए वह लोग ही उसे उकसा रही थी,,,, उसका इस तरह से शर्माना देखकर सोनू की चाची फिर से बात को छेडते हुए बोली,,,)

बताना क्या हुआ शर्मा क्यों रही हैमैं भी तो सुनो की मेरे बेटे को देखकर गांव की औरतों को क्या-क्या हो रहा है,,,,,( अंदर ही अंदर सुनैना खुश होते हुए बोलीऔर ऐसा हुआ इसलिए बोल रही थी क्योंकि खेत में उसके बेटे ने जिस तरह से उसे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था उसे मदहोशी में वह इस समय भूल चुकी थी कि वह किसके बारे में बात कर रही हैअपने ही बेटे के बारे में वॉइस खराब की बातें कर रही थी और गांव की औरतों को उसके साथ संबंध बनाने के लिए क्रेडिट कर रही थी जो कि यह पूरी तरह से मदहोशी में कह रही थी वरना हकीकत में कोई भी मन अपने बेटे को गांव की औरतों के साथ संबंध बनाने के लिए कभी नहीं रहती और शायद सुनैना भी इस तरह सेमजाक की मजाक में सोनू की चाची को अपने ही बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए प्रेरित ना करती,, सुनैना की बात सुनकर सोनू की चाची को थोड़ी हिम्मत मिल रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि जब सूरज की मां ही उसे बोल रही है तो भला वह क्यों पीछे हट जाए,,, और इस बात से वह वाली भांतिपरिचित थी कि आज नहीं तो कल जो कुछ भी वह सूरज के साथ कर रही है किसी न किसी को पता तो चली जाएगा अगर यह बात उड़ते हुए सूरज की मां को पता चल गया तो गजब हो जाएगा इसलिएइसी समय अपने मन में क्या है वह बता दे ताकि भविष्य में किसी भी तरह का तकरार ना हो मनमुटाव ना हो क्योंकि अगर तब पता चलेगा और सुनैना उसे भला बुरा कुछ कहेगी तो वहां भी बोल सकती है कि तुम ही ने तो प्रेरित किया था अपने ही बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए। इसलिए वह सुनैना की बात सुनकर मुस्कुराते हुए बोली,,)






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सच कहूं तो दीदी पहले ऐसा कभी नहीं होता था सूरज को जब भी अपनी आंखों के सामने देखी थी तो उसे अपने बेटे के रूप में ही देखी थी उसे देखकर मेरे मन में कुछ भी होता नहीं था लेकिन तुम लोगों की बातों ने हीं मेरे दिमाग को एकदम बदल सा दिया है,,, अब जब भी सूरज को सामने देखती हूं तो न जाने मेरे बदन में क्या होने लगता है और सच बताऊं तो दीदी मेरी बुर पानी छोड़ने लगती हैं,,,, और तुम शायद ठीक कह रही हो तुम्हारा बेटा सूरज मजबूत बुझाओ वाला है उसका शरीर देखो कितना हट्टा कट्टा है। मुझे भी तुम्हारी बात सच लगती है कि उसके शरीर की तरह उसका लंड भी लंबा होगा,,,,,।
(सोनू की चाची की बात सुनकर सूरज बहुत खुश हो रहा था और वह धीरे से अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया था और एक साथ उन तीनों की गांड देखकर और उनकी मध्य भरी बातें सुनकर उसे हिलाना शुरू कर दिया था,,,,,सूरज की तरह ही सुनैना का भी हालत हो रहा था एक पराई औरत के मुंह से अपने बेटे की मर्दाना ताकत की तारीफ सुनकर उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी और बुर से मदन रस टपक रहा था,,,, उसकी बातें सुनकर
एक पल के लिए सुनैना का मन हुआ कि इसी समय वह सोनू की चाची को बता दे कि वाकई में उसके बेटे का लंड बहुत लंबा और मोटा है,,,, वह सोने की चाची से कहना चाहती थी कि तुझे तो केवल अंदाजा लगाकर यह बोल रही है लेकिन मैं तो पूरा अनुभव ले चुकी हूं,,,,बड़ी-बड़ी गांड होने के बावजूद भी उसका लंड बुर तक बड़े आराम से चला जाता है कसम से तू अगर उसका लंड लेगी तो पागल हो जाएगी,,,, लेकिन वह यह बातें अपने मुंह से नहीं कह सकती थी लेकिन सोनू की चाची की बात सुनकर उसे करो महसूस हो रहा था और वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, सोनू की चाची की बात सुनकर सुनैना की पड़ोसन बोली,,,)





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हाय दैया जब बेटे की मां तैयार हो गई है तो देर किस बात की है,,,, तुम्हें तो जल्द से जल्द सूरज के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहिए शायद उसकी चुदाई से ही तो मां बन जाओ,,,,।

चल रहने दे जब वक्त आएगा तब देखा जाएगा,,,, वैसे तुम बताओ दीदी सूरज क्या तुम्हेंऐसी वैसी नजर से देखा है तुम हो तो इतनी खूबसूरत घर में तुम्हें कपड़े बदलते हुए नहाते हुए तो देखा ही होगा,,,,।

क्यों ऐसा क्यों पूछ रही है,,,?

बस ऐसे ही क्योंकि मैं जानती हूं कि तुम पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत हो जरूर तुम्हारा बेटा भी तुम्हें प्यासी नजरों से देखा होगा तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड बड़ी-बड़ी चूची देखकर उसका भी लंड खड़ा हो जाता होगा।

धत्,,,, यह कैसी बातें कर रही है भला एक मां को देखकर किसी बेटे का लंड खड़ा होता है क्या,,,?(शरमाते हुए सुनैना बोली,,,पहले उसे भी लगता था कि एक बेटा भला अपनी मां को गंदी नजर से कैसे देख सकता है लेकिन खेत में जिस तरह की हरकत उसने किया था उसे यकीन हो गया था कि शायद अपनी मां की खूबसूरती देखकर हर बेटे का यही हालत होता है,,,, सुनैना की बात सुनकर सोनू की चाची बोली,,,)

क्यों नहीं दीदी वैसे भी जब नंगी कभी अपनी बेटी के सामनेखड़ी हो जाओगी तो वह यह नहीं देखेगा कि तुम उसकी मां हो तुम्हारे में उसे एक औरत दिखेगी खूबसूरत औरत और जरूर उसका लंड खड़ा हो जाएगा शायद तुम्हें यकीन नहीं होगा यह मैं अनुभव से बोल रही हूं,,,,।

अनुभव से मैं कुछ समझी नहीं,,,( सुनैना की पड़ोसन बोल पड़ी)






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अरे अभी 2 दिन पहले ही मैं घर के पीछे नहा रही थी और मुझे तो मालूम नहीं था कि कोई मुझे देख रहा है,,,, मैं धीरे-धीरे अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होगी और नहाना शुरू कर दी,,, और तभी पीछे लोटा गिरने की आवाज आई और पीछे मुड़कर देखी तो मेरे तो होश उड़ गए,,,,।

क्यों ऐसा क्या हो गया,,,(सुनैना उत्सुकता दिखाते हुए बोली)

अरे पीछे सोनू खड़ा था और मुझे नंगी नहाते हुए देखकर अपना हिला रहा था मैं तो देख कर एकदम से चौक गई,,,,,।

ओहहहह ,,,, फिर क्या हुआ ,,,,(सुनैना की पड़ोसन बोली)


फिर क्या मैं तो डर गई मैं कुछ बोलती ईससे पहले सोनू वहां से भाग गया,,,,।

हाय दइया इतना हारामी है सोनु,,,,(आश्चर्य जताते हुए सुनैना बोली,,,,)

तो क्या मुझे भी नहीं मालूम था,,,,पहली बार मुझे ऐसा सुबह की घर पर जवान लड़के का होना एक औरत के लिए कितनी मुसीबत बन जाती है,,,,,।

तब तुमने उसकी मां को नहीं बताई,,,

नहीं दीदी मैं नहीं बताई क्या पता वह खुद इल्जाम लगा दे कि मेरे बेटे को बहलाती है अपनी तरफ आकर्षित करती है,,,, क्योंकि वह तो जानती ही हैं कि,,, मेरा पति कैसा है,,,, इसीलिए कहती हूं दीदीघर में जवान लड़का हो तो खूबसूरत औरत को तकलीफ हो ही जाती है,,,, या तो तकलीफ होती है या तो औरत भी उसमें मजा लेने लगती है। और दीदी तुम्हारे घर में तो मुझे लगता है कि और भी ज्यादा तकलीफ पड़ जाती होगी जब मेरा यह हाल है,,,तुम तो पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है और तुम्हारा लड़का भी पूरी तरह से जवान हो चुका है क्या वह भी तुम्हें देखता है,,,।
(सोनू की चाची जो कुछ भी बता रही थी वह पूरा मनगढ़ंत था वह सिर्फ ऐसा जताना चाहती थी कि घर में अगर जवान लड़का हो तो औरत के प्रति आकर्षण होना लाजिमी ही है भले ही वह किसी भी रिश्ते से बंधा हो,,, इस बात को सुनैना भी अच्छी तरह से जानती थी, क्योंकि इसका अनुभव उसे हो चुका था। इस बात को जानते हुए भी वह अपनी तरफ से सफाई देते हुए बोली,,,)


नहीं नहीं मेरा बेटा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मुझे तो कभी नहीं लगा कि वह मुझे देखता है,,,,,।

(झाड़ियां के पीछे छुपकर देख रहा और सुन रहा सूरज अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन में मुस्कुरा रहा थाक्योंकि उसे भी थोड़ा बहुत अंदेशा था कि उसकी मां को पता है कि वह उसे देखा है और वह भी सहज रूप से नहीं बल्कि गंदी नजर से सुनैना की बात सुनकर सोनू की चाची शंका जताते हुए बोली,,)





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मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगता दीदी घर में तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत हो और जवान लड़के का मन ना बहके ऐसा हो नहीं सकता,,,।

अब तुझे क्या लगता है यह मैं नहीं जानती लेकिन जो कुछ भी है मैं सब कुछ बता रही हूं अब ऐसा तो है नहीं कि मैं घर में अपने बेटे को अपनी गांड दिखाते घूमती रहूं,,,, चल अब बस बहुत हो गया बहुत समय हो गया है,,,,,,(इतना कहकर सुनैना डिब्बे से पानी लेकर अपनी गांड धोने लगी और फिर उसको देखकर उन दोनों ने भी अपनी गांड धोना शुरू कर दिया,,,,यह देखकर सूरज की हालत और ज्यादा खराब होने लगी और वहां अपनी मां के साथ-साथ दोनों औरतों की बड़ी-बड़ी गांड देखकर जोर-जोर से अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया और अगले ही पल वह झड़ गया,,,,, सुनैना और वह दोनों औरतेंअपना डिब्बा लेकर गांव की तरफ जल्दी और उनके जाने के बाद धीरे-धीरे सूरज भी गांव की तरफ जाने लगा,,,)
सुनैना, सोनू की चाची और पड़ोसन की चटपटी बाते बहुत ही शानदार थी उनकी बाते सुनकर तो सूरज का लण्ङ खड़ा हो गया सुनैना ने सोनू की चाची को सूरज से चुदने की छूट दे दी लेकिन सूरज पहले से ही सोनू की चाची को चोद रहा है
 

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सुनैना और दोनों औरतें,,,सौच करते समय मादक और रसभरी बातें करके गांव की और जाने लगे थे उनके पीछे-पीछे दूरी बनाकर सूरज भी वापस लौट रहा थाजो कुछ भी आज उसने अपनी मां के मुंह से सुना वह काफी दंग कर देने वाला था इस तरह की पहली मुलाकात में उसने अपनी मां के मुंह से इस तरह के अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए नहीं सुना था लेकिन आज की बात कुछ और थीआज उसे साफ पता चल रहा था कि उसकी मां का मिजाज कुछ बदला हुआ थाऔर यह सब कैसे हो गया उसे बिल्कुल भी नहीं मालूम था खेत में जो कुछ भी हुआ थासूरज को ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मां की गहरी नींद में होने से उसने ऐसा कर पाया था लेकिन जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह इस बात को नहीं जानता था कि उसकी मां नींद में नहीं थी जाग रही थी जितना मजा उसने उसकी नींद में होने का उठाया था उतना ही मजा नींद में होने का नाटक करके उसने भी ली थी,,,। लेकिन सूरज इस बात से अनजान था और आज अपनी मां को इस तरह से खुले शब्दों में बात करते हुए देखकर पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था,,,।


सूरज की किस्मत बहुत तेज थी अपनी मां के साथ-साथ दोनों औरतों को वह दूसरी बार एक साथ सौच करते हुए देख लिया था,,,एक साथ अपनी आंखों के सामने तीन-तीन नंगी गांड देखना यह किस्मत की ही बात थी और वह भी इतने करीब से जिसमें सूरज की खुद सपनों की मल्लिक भी शामिल थी उसकी मां जिसे हर वक्त नंगी देखने का वह आदि हो चुका था,,, सोनू की चाची का वह भोग पहले से ही लगा चुका था इसलिए सोनू की चाची भी उसके जीवन में हम भूमिका रखती थी,, क्योंकि उसके जीवन में औरतों के प्रति आकर्षण जगाने में सर्वप्रथम सोनु की चाची का ही प्रथम और प्रमुख योगदान था,,, जिसमें खुद सोनू ही सहकार किया था,,, वैसे तो अपनी आंखों के सामने तीन-तीन औरतों को कमर तक साड़ी उठाकर बैठी हुई देखकर सूरज का मन बेहद ललच रहा था,,,और वह अपने मन में सोचता भी था कि अगर एक साथ तीनों की चुदाई करने को मिल जाए तो कितना मजा आए एक की बुर में से लंड निकालो तो दूसरे की बुर में दूसरी की बुर में से निकालो तो तीसरी की बुर में,,, जीवन जीने का यही सही तरीका भी है काश ऐसी किस्मत होती तो कितना मजा आता,,, सूरज का एहसास सोचना जायज भी थाक्योंकि उसकी किस्मत इतनी तेज थी कि उसका सोचा सच भी हो सकता था,,,गांव के लड़के की उम्र में शायद उसके जैसा सुख नहीं रोक पाए थे और वह था कि आए थे नई-नई औरतों की बुर पर कब्जा जमा रहा था,,। तीनों औरतों की नंगी बड़ी-बड़ी गांड देखकर कर वह अपने हाथ से ही हिला कर पानी निकाल चुका था,,, जबकि उसे ऐसा करने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके पास अपनी जवानी की गर्मी मिटाने के लिए जुगाड़ मौजूद था मुखिया की बीवी से लेकर के उसकी खुद की बहन रानी थी,,,जिसके साथ चुदाई करके वह अपनी जवानी की गर्मी शांत कर सकता था लेकिन उसकी आंखों के सामने जो कुछ भी दिखाई दे रहा था वह बेहद अद्भुत और अतुलनीय था।

अपनी आंखों के सामने केमादकता भरे नजारे को देखकर वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था और उन तीनों को गांड धोकर खड़े होते होते वह अपने हाथ से हिला कर अपना पानी निकाल चुका था,,,,, थोड़ी ही देर में वह अपने घर पहुंच चुका था,,,, कुछ देर तक वह घर के बाहर ही इधर-उधर घूमता रहा खाने का समय हो रहा था उसकी मां कब से हाथ पैर धोकर खाना खाने की तैयारी में लग गई थी,,, खाने की थाली लगाकर उसकी मां रानी को उसे बुलाने के लिए भेजी और वह घर के बाहरजाकर देखने लगी तो सूरज बाहर ही खटिया पर बैठा हुआ था उसे देखते ही वह खाना खाने के लिए बोली और यहां भी हाथ पैर धोकर खाना खाने के लिए आनंद में चला गया जहां पर पहले से ही उसकी मां तीन थाली लगाकर बैठकर इंतजार कर रही थी,,,। सूरज को देखते ही वह बोली,,,।

क्यों रे अभी तो यही था कि मेरे जाते ही कहां निकल गया,,,, जब देखो तब इधर उधर घूमता ही रहता है,,,,।

अरे कहीं नहीं मां तुम गई तो मैं भी थोड़ा इधर-उधर गांव में घूमने लगा,,,,,(सूरज अपनी मां कोजवाब देते हुए बोला मन तो कर रहा था कि बोल दे कि तुम्हारे पीछे-पीछे ही गया था तुम्हारी गांड देखने के लिए लेकिन ऐसा वह बोल नहीं सकता था,,,)

अच्छा चल आकर खाना खा ले,,, हाथ पैर तो धोया है ना,,,।

हां अभी-अभी तो धोकर आ रहा हूं,,,,(इतना कहकर वह अपनी मां के सामने ही बैठ गया और एक थाली अपनी तरफ सरका लिया दूसरी तरफ उसकी बहन रानी बैठ गई और तीनों बैठकर खाना खाने लगे,,, सुनैना चोर नज़रों से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और अपने आप से ही बोल रही थी देखो तो चेहरा कितना मासूम है इसका चेहरा देखकर कोई कह नहीं सकता की इतनी गंदी हरकत यह कर सकता है,,, और हरामि का लंड कितना मोटा और लंबा है,,, मासूम चेहरा देखकर कोई बात नहीं सकता की इसके पास गजब का मुसल होगा,,, और सही बात है चेहरा देखकर कोई किसी के भी लंड की लंबाई और मोटाई की कल्पना नहीं कर सकता जब तक कि वह अपनी आंखों से देख ना ले,,,, अपने बेटे की तरफ कर नजरों से देख कर सुनैना अपने मन में बहुत सारी बातें सोच रही थी,,,,उसे यकीन नहीं हो रहा था कि खेत में जिस तरह की हरकत उसका बेटा कर रहा थाउसे यकीन नहीं हो रहा है कि उसकी आंखों के सामने उसका वही मासूम बेटा बैठा हुआ है,,, लेकिन समझ में नहीं आता कि यह ऐसी हरकत करने पर उतारू कैसे हो गया ऐसा क्या हो गया कि वह इस तरह की गंदी हरकत अपनी मां के साथ कर दिया,,,।

अपने मन में उठ रहे इस सवाल का जवाब वह खुद ही अपने आप से ढूंढते हुए अपने मन में बोली,,, जरूरसूरज उसे पेशाब करते हुए देखकर ही इस तरह की हरकत करने पर मजबूर हो गया होगा उसकी नंगी बड़ी-बड़ी गांड देखकर उसका मन डोल गया होगा आखिरकार पूरी तरह से जवान हो चुका है उसकी आंखों के सामने कोई खूबसूरत औरत अपनी गांड दिखाते हुए पेशाब करेगी तो ऐसे में उसका मन तो डोलेगा ही,,,, हां हां मुझे पूरा यकीन है कि मुझे पेशाब करते हुए देखकर ही वह बहक गया होगा,,, आखिरकार गांव की और तुमसे कुछ ज्यादा ही खूबसूरत जो हूं,,, ऐसा तो खुद मेरा बेटा ही बोलता है मेरी खूबसूरती की तारीफ करता है उस दिन बात ही बात में वह मेरी खूबसूरती की तारीफ के साथ-साथ मेरे पिछवाड़े के बारे में भी तो बोला था,,,, वह एकदम साफ लफ्जों में बोला था किमेरी जैसी कई हुई और बड़ी-बड़ी गांड पूरे गांव में किसी औरत की नहीं और शायद यही वजह थी कि,,, मुझे पेशाब करते हुए देख लेने के बाद मेरे बेटे की हालत खराब हो गई और वह खेत मेंमेरी गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपने मुसल को मेरी गांड में बराबर कर रगड़ कर पानी निकाल दिया,,,, सुनैना अपने मन में यही सब सो रही थी और यह सब सोचने पर उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,,।

दूसरी तरफ सूरजअपनी मां की तरफ देख ले रहा था और वह भी यही सोच रहा था कि इतनी मासूम और खूबसूरत दिखने वाली औरत इस तरह की बात करती होगी मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,, अभी तक तो भाई इस तरह की बात नहीं करती थी लेकिन आज एकाएक उसका सुर बदल गया था,,, शायद ऐसा हो सकता है कि बदन में सुरसुराहट होती है बुर में कुलबुलाहट होती हो क्योंकि काफी समय हो गया है बुर में लंड लिए इसीलिए बदन की जरूरत शब्दों के जरिए बाहर निकल रही है,,,, काश यह मौका मिल पाता कि मैं खुद मां की जवानी की प्यास बुझा पाता तो कितना मजा आता,,,, सूरज खाना खाते हुए ऐसा सोचकर मन ही मन में मत हुआ जा रहा थाअपनी मां के बारे में इस तरह के ख्याल अपने मन में लाना उसे काफी उत्तेजित कर दे रहा था,,,,। और दूसरी तरफ रानी अपने अलग ही ख्यालों में खोई हुई थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे उसकी मां का राजकुमार मिल चुका था और उससेमुलाकात के लिए तड़प रही थी लेकिन उसके सामने समस्या यह थी कि ना तो वह उसका नाम जानती थी नहीं उसका पता ठिकाना जानती थी बस इतना ही जानती थी कि वह किसी राजघराने से संबंध रखता था।

खाना खा लेने के बाद,,, सुनैना और रानी थोड़ी बहुत सफाई करने के बाद अपने अपने कमरे में चले गएअपने कमरे में जाते ही सुनैना की वही हालत थी कमरे में जाते ही दरवाजे की कड़ी लगाकर वह अपने सारे कपड़े उतार कर अपने हाथों से अपनी जवानी की प्याज बढ़ाने की नाकाम कोशिश करती रही और दूसरी तरफ सूरज अपनी बहन के कमरे में जाकर उसकी चुदाई करता रहा,,,, रानी का रात का कार्यक्रम लगभग एक जैसा ही हो गया था,,,लेकिन हर रात को उसे लगता था कि जैसे आज उसकी पहली रात हो सूरज इस तरह से उसकी चुदाई करता था वह पूरी तरह से मत हो जाती थी लेकिन जब से घुड़सवार को देखी थी तब से उसके मन में उसे घुड़सवार की तस्वीर पूरी तरह से अंकित हो चुकी थी जिसके बारे में वह दिन रात सोचती रहती थी यहां तक कि जब भी उसका भाई उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता था तभी अपने भाई के चेहरे में वह उसे घूडसवार का चेहरा दिखाई देने लगा था मन ही मन में वह उस घुड सवार से प्रेम करने लगी थी।

दूसरे दिन खेत पर सुनैनाकी आराम करने की हिम्मत नहीं हुई उसे इस बात का डर था कि अगर वह फिर से आराम करने के लिए खटिया पर लेट जाएगी तो उसका बेटा फिर से वही हरकत दोहराएगाऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि उसका मन नहीं कर रहा था उस हरकत का मजा लेने के लिए,,,वह भी अपने बेटे की इस हरकत का मजा फिर से लेना चाहती थी लेकिन एक मां होने के नाते उसे संकोच महसूस हो रहा था,,, वह एक मर्यादाशील औरत थी और वह जानती थी कि इस तरह की हरकत से उसकी मर्यादा की दीवार टूटने में जरा भी वक्त नहीं लगेगा उसी दिन उसकी मर्यादा की यह दीवार टूट गई होती है अगरउसके बेटे सूरज का लंड उसकी बुर में प्रवेश कर गया होता तो क्योंकि उसकी हरकत से ही वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इसलिए आज वह आराम करने की हिम्मत नहीं कर पाई थी,,,और सूरज ने भी उसे आराम करने के लिए नहीं बोला था सूरज को इस बात कर रहा था कि उसकी मां को जरा भी शक हो गया तो बात बिगड़ सकती है इसलिए वह अपनी मां को दोपहर में आराम करने के लिए बिल्कुल भी नहीं बोला था।


शाम को घर लौट के बाद सूरज अपने मन में सोचा कि चलो गांव में घूम कर थोड़ा देख लो और थोड़ा जिसके घर साथी है उसके घर भी जाकर देख लो क्या माहौल है यही सोचकर वहां शाम को गांव घूमने के लिए निकल गया और चलते-चलते वह लाडो के घर पर पहुंच गया,,, जहां पर शादी की तैयारी हो रही थी लाडो के घर के लोग उसके चाचा उसके मामा जोशादी में आए थे वह लोग शादी की तैयारी में लगे हुए थे सभी लोग अपना-अपना काम कर रहे थे सूरज कुछ देर वहीं खड़ा होकर सब कुछ देख रहा था,,,, तभी उसकी नजर कुछ औरतों पर पड़ी जो गोलाई बनाकर घेरे हुए थी और गाना गा रही थी,,,, उत्सुकता वश सूरज उन औरतों के करीब पहुंच गया तो देखा कि वह औरतें हल्दी की रस्म निभा रही थी सूरज को समझने के लिए नहीं लगी कि जिसे हल्दी लग रही है उसका ही नाम लाडो है,,,, लाडो को देखते ही वह इस गौर से देखने लगा और अपने मन में सोचने लगा यह तो वही लड़की है कल तक उसकी नाक बहती थी और आज देखो पूरी तरह से जवानी से खीली हुई है,,,उसे याद आया की बचपन में वह उसके साथ खेल चुका था और वह उसे अच्छी तरह से जानती थी वह उसे देखकर मुस्कुरा रहा था कि तभी दूर से आवाज आई,,,,।

,,, सूरज,,,, ओ,,,,,, सूरज,,,,, इधर आ तो बेटा,,,,,।
(यह आवाज कानों में पडते ही सूरज पीछे की तरफ देखने लगा,,,, कुछ ही दूरी पर,,, वहशख्स कुर्सी पर बैठा हुआ था जिसे देखकर सूरज को समझते देने लगी कि वह लाडो के पिताजी थे वह तुरंत उनके पास गया और बोला,,,)

नमस्ते चाचा जी,,,,।

खुश रहो बेटा,,,, देखो सूरज तुम्हें भी मैं शादी का कार्यभार सौंप रहा हूं,,,, रसोई की सारी तैयारी करने की जिम्मेदारी में तुम्हें सोंपता हूं,,,,और यहां पर कोई लड़का मुझे ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है जो इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभा पाएगा मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम एक जिम्मेदार लड़के हो और इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह से निभा पाओगे,,,,।

जी चाचा जी जैसा आप ठीक समझे मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा और किसी भी तरह कि शिकायत का मौका नहीं दूंगा,,,।

शाबाश बेटे मुझे तुमसे यही उम्मीद थी,,,,,। अभी थोड़ा सामान आने वाला हैआलू प्याज मसाले वगैरा तुम उसे कमरे में रखवा देना मैं तब तक दूसरा काम देख लेता हूं,,,,(इतना कहकर लाडो के पिताजी वहां से उठकर खड़े हो गए और दूसरी तरफ चले गए सूरज को इस तरह की जिम्मेदारी मिलते ही उसके चेहरे पर एक गर्व की लालिमा छा रही थी उसेलगने लगा था कि अब वह इस तरह की जिम्मेदारी को अच्छी तरह से उठा सकता है और वह तुरंत कुर्सी पर बैठ गया और उन औरतों की तरफ देखने लगा जो अभी भी हल्दी की रस्म निभा रही थी,,,, थोड़ी देर में हल्दी की रस्म पूरी हो गई और लाड़ो अपने कमरे में चली गई,,, सूरज उसे जाता हुआ देख रहा थाऔर कुछ ही वर्षों में जिस तरह का बदलाव उसके बदन में आया था इसका जायजा ले रहा था उसके कमर के नीचे का भार उसके नितंबों का घेराव जिस तरह से फला फुला था उसे देखकर उसका लंड फुलने लगा था वाकई में,,, लाडो पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी,,, लाडो अपने कमरे में जा चुकी थी और थोड़ी ही देर में उसके पिताजी के कहे अनुसार आलू प्याज और कुछ मसाले लेकर एक आदमी आ चुका था और सब कुछ अपनी निगरानी में वह उसे वहीं पर उतरवा लिया था,,,, वह सामान के पास कुर्सी पर बैठा ही था कि तभी लाडो की मां वहीं से गुजरने लगी तो सूरज एकदम से अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और बोला,,,)

नमस्ते चाची,,,,।

खुश रहो बेटा,,, तुम तो सूरज हो ना अपने भोला के बेटे,,,।


जी चाची,,,, अच्छा चाची यह रसोई का समान है इसे कहां रखवाना है,,,।

बेटा इस सामने ले जाकर कमरे में रख देना,,,।

ठीक है चाची,,,,(इतना कहकर वहां दूसरी ओर चली गई धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ने लगा था और जो काम सूरज को मिला था उसे करना जरूरी था,,, वह आलू का बोरा उठाया और अपने कंधे पर रख लिया और सामने कमरे की तरफ जाने लगा,,,,घर में प्रवेश करते ही उसे समझ में नहीं आ रहा कि किसी और जाना है दोनों तरफ कमरे बने हुए थे और सामने पतली सी जगह थी जिसके पीछे भी कमरे बने थे,,,, कुछ देर वही आलू की बोरी लेकर खड़े रहने के बाद वह बगल वाले कमरे की तरफ जाने लगालेकिन देखा तो कमरा बंद था उसे पर ताला लगा हुआ था इसलिए वह थोड़ा सा और आगे बढ़ गया और दरवाजे के पास आकर खड़ा हो गया दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और वह बिना आवाज दिए ही अंदर प्रवेश कर गया,,,, अंदर प्रवेश करते ही देखा तो सामने लाडो बैठी हुई थी,,,, उसे देखते ही सूरज एकदम से खुश होता हुआ बोला,,,)

अरे लाड़ो,,,,(आलू की बोरी को कमरे के कोने में रखते हुए) तू तो एकदम बड़ी हो गई रे


लाडो जो इस तरह से कमरे का दरवाजा खुलने से थोड़ा घबरा गई थी वह सूरज को पहचानती थी उसकी आवाज को पहचानती थी इसलिए एकदम से खुश होते हुए बोली,,,,।

अरे सूरज तु यहां,,,,, यह क्या कर रहा है,,,।

तुम्हारे पिताजी ने ही मुझे रसोई का काम देखने के लिए बोला है इसलिए रसोई का सामान यहां लेकर आ रहा हूं,,,, लेकिन लाडो देखते ही देखते तुम इतनी बड़ी हो गई कि आज तुम्हारी शादी हो रही है बोलो,,,,।(सूरज खुश होता हुआ बोला)

मुझे तो बहुत डर लग रहा है सूरज,,,,

डर ,,,, कैसा डर,,,,तुम्हें तो खुश होना चाहिए गांव की लड़कियों की शादी होती तो वह कितना खुश हो जाती है और तुम हो कि डर रही हो,,,,।

पता नहीं क्यों लेकिन मुझे डर लग रहा है,,,,।

ओहहह अब समझा तुम किस लिए डर रही हो,,,(अपनी कमर पर हाथ रखते हुए) तुम्हारा डर थोड़ा जायज है क्योंकि कल के बाद एक नए माहौल में एक नए घर में नए व्यक्तियों के साथ तुम्हारी मुलाकात होगीतुम्हारा अपना पति इसके बारे में तुमको जानती नहीं होगी ऐसे शख्स से तुम्हारी मुलाकात होगी तो थोड़ा बहुत तो डर मन में होगा ही,,,,,,।

तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो सूरज,,, मेरा मन यही सोच सोच कर घबरा रहा है कि क्या होगा कैसे होगा,,,(इतना कहते हुए वहां अपने बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई और सूरज के पास आ गई,,, लाडो पूरी तरह से मासूम थी भले ही शादी के लायक हो चुकी थी और कल उसकी शादी थी लेकिन अभी तक वह शरीर सुख प्राप्त नहीं कर पाई थी और यही उसके मन में डर बना हुआ था कि कल क्या होगा शादी के बाद उसका पति उसके साथ कैसे पैश आएगा,,,, कमरे में लालटेन चल रही थी जिसकी रोशनी में लाडो का चेहरा एकदम साफ दिखाई दे रहा था लालटेन की पीली रोशनी में हल्दी लगाई हुई लाडो भला की खूबसूरत लग रही थी उसे देखकर सूरज के दिल में कुछ-कुछ हो रहा था लाडो की बात सुनकर वह मुस्कुराते हुए बोला,,,)

सब ठीक होगा तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारा पति तुम्हें देखता ही रह जाएगा,,,(सूरज अपनी कलाबाजियां बिखरने लगा था अपनी बातों की बाण को लाडो के मन पर चलने लगा था इस बात को अच्छी तरह से जानती थे की औरत को क्या सुनना पसंद है और इस समय वह वही कर रहा था,,, सूरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर लाडो मन ही मन खुश होने लगी,,,, फिर भी उसकी बात सुनकर वह बोली,,,)

मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,, और वैसे भी इस घर को छोड़कर जाने का मन नहीं कर रहा है,,,।

यह तो होना ही है लाडो लड़कियों को मां-बाप का घर छोड़ कर जाना ही पड़ता है तभी तो वह एक नई दुनिया बसाती है और सही पूछो तो मजा तो शादी के बाद ही आता है,,,, पर मुझे मालूम है कि तुम्हारे मन में किस बात को लेकर घबराहट है,,,,।

किस बात को लेकर,,,,,( लाडो भी अपने दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए बोली उसकी यह अदा देखकर,,, सूरज के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था उसका तो मन कर रहा था कि इसी समय लाडो को अपनी बातों में लेकर सुहागरात के पहले ही वह खुद उसके साथ सुहागरात मना ले लेकिन इस समय यहां पर किसी के भी आने की आशंका बनी हुई थी इसलिए वह अपने मन को मनाते हुए बोला,,,)

देखो मुझे मालूम है लेकिन तुम्हारे सामने कहना मुझे ठीक नहीं लग रहा है,,,,,,(उसका इतना कहना था कि तभी वहां पर किसी के आने की आहट सुनाई थी और सूरज अपने आप को एकदम से संभालते हुए धीरे से बोला,,,) लेकिन कल जाते-जाते तुम्हें मैं बता दूंगा,,, और अच्छी तरह से समझा दूंगा तुम्हारे मन से डर बिल्कुल निकल जाएगा,,,,(उसका इतना कहना था कि लाडो की मां वहां पर आ गई और बोली,,,)

बेटा सूरज बाकी का सामान भी यहां पर रख दो,,, और कल समय पर आ जानाअब शादी में रसोई की जिम्मेदारी तुम्हारी ही है,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाची,,,, लाडो मेरी भी तो बहन है,,, कोई कमी नहीं आने दूंगा,,,।

बहुत अच्छे बेटा,,,, अच्छा चलो लाडो तुम्हारी मामी तुमसे मिलना चाहती है,,,,,,,(इतना कहते हुए लाडो की मां लाडो को लेकर कमरे से बाहर चली गई,,, और सूरज बाकी का सामान उसी कमरे में रखकर वह भी अपने घर चला गया।)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है रानी घुड़सवार को प्यार करने लगी है लगता है लाडो जल्दी ही सूरज से चुदने वाली है
 

Sanju@

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सूरज अच्छी तरह से समझ गया था कि लाडो के मन में किस तरह की घबराहट हो रही है वह क्या चाहती है इसलिए वह अपना उल्लू सीधा करना चाहता था वह औरतों के मन में क्या चल रहा है यह अच्छी तरह से समझने लगा था और इसी के चलते वहलाडो के साथ अपनी मनसा पूरी करना चाहता था और वैसे भी जिस तरह का कार्य लाडो के पिताजी ने उसे सौंप रखा था पैसे में लाडो से मुलाकात होना लाजिमी था,,, पहले दिन तो वहरसोई का सामान कमरे में रखवा कर और लड़ो से कुछ देर बात करके वहां से अपने घर के लिए निकल गया था अपने घर पर पहुंचकर उसने अपनी मां और अपनी बहन दोनों को बोल दिया था की शादी में अच्छी तरह से चलना है क्योंकि उसे शादी में उसे भी रसोई का काम देखने की जिम्मेदारी मिल चुकी है इसलिए ऐसा समझना है कि वह शादी अपने ही घर की है,,,,,। अपने बेटे की बात सुनकर सुनैना काफी खुश नजर आ रही थी क्योंकि पहली बार गांव में शादी के सम्मेलन में रसोई का कार्यभार संभालने को मिला था इस बात से वह मन ही मन खुश हो रही थी उसे इस बात की खुशी थी कि अब उसका बेटा जिम्मेदार बन चुका था तभी तो उसे लाडो के पिताजी इतनी बड़ी जिम्मेदारी का काम सौंप दिए थे।





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शादी के दिन सुबह से ही गांव में मेहमानों का आना-जाना शुरू हो चुका था,,,,,,,,, गांव के लोग शादी में हर तरह की मदद कर रहे थे सूरज को भी रसोई का काम संभालने के लिए जाना था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,,।

आज गेहूं काटने के लिए नहीं जाते हैं,,,।

क्यों क्या हुआ,,,?(झाड़ू लगाते हुए सुनैना बोली)

अरे भूल गईआज लाडो की शादी है बारात आने वाली है और मुझे रसोई संभालने का काम मिला है अगर अभी से मैं खेत चला गया तो वहां का काम कौन देखेगा और फिर इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकरवह तो निश्चित हो गए होंगे लेकिन मैं समय पर नहीं पहुंचा तो वह मेरे बारे में क्या सोचेंगे,,,।

अरे हां मैं तो भूल ही गई कि आज लाडो का विवाह है,,,,, लेकिन शादी में तो सुबह से तेरा काम होगामेरा काम तो होगा नहीं एक काम कर तू वहां चला जा और मैं खेत चली जाती हूं जितना हो सकता है उतना काम कर लूंगी,,,, और साथ में रानी को भी ले लेती हूं थोड़ा सहारा मिल जाएगा,,,।


हां यह ठीक रहेगा जितना हो सकता है उतना कम करना और फिर जल्दी घर चली आना क्योंकि शादी में रात निकल जाएगी,,,,।(सूरज एकदम खुश होता हुआ बोल वह भी अपने मन में सोच रहा था कि थोड़ा बहुत गेहूं की कटाई का काम भी हो जाएगा और मैं शादी में जाकर थोड़ा इंतजाम देख लूंगा दोनों जगह का काम ठीक हो जाएगा,,,,(इतना कहकर सूरज सुबह-सुबह ही लाडो के घर की तरफ निकल गया और सुनैना घर की साफ सफाई करने के बाद खाना बनाने लगे और रानी को भी बोल दी थी कि आज उसे भी खेत पर चलना है गेहूं की कटाई के लिए पहले तो रानी इंकार करती रही लेकिन फिर वह भी मान गई,,,, थोड़ी ही देर में सुनैना खाना बनाकर तैयार कर चुकी थी और खेत पर जाने के लिए तैयार हो गई थी,,,,, मां बेटी दोनों खेत की तरफ निकल गई थी रानी पहली बार गेहूं कटाई के लिए खेत पर आ रही थी और वह भी अपने खेत पर नहीं बल्कि जमीदार के खेत पर अभी तक रानी सिर्फ अपने ही खेतों में काम की थी पहली बार किसी और के लिए काम करने जा रही थी,,,,। इसलिए वह भी थोड़ा उत्साहित थी,,,,।




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आज अपने बेटे के बिना खेत में काम करने में सुनैना का मन नहीं लग रहा था ,,उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है लेकिन बात यही थी जो वह खुद नहीं समझ पा रही थी,,, बार-बार वह थोड़ा काम करके रुक जा रही थी और किसी ख्यालों में खो जा रही थी,,, और उसके मन में किसी और का ख्याल नहीं आ रहा था बल्कि अपने ही बेटे का ख्याल आ रहा था,,, सुनैना की नजर झोपड़ी के बाहर रखी हुई खटिया पर चली जा रही थीऐसा लग रहा था की खटिया से उसकी बहुत सारी यादें जुड़ चुकी थी और वाकई में उसे खटिया से उसकी सबसे बेहतरीन यादगार पल जुड़ा हुआ था। रानीअपने ही ख्यालों में मस्त होकर गेहूं की कटाई कर रही थी वह अपनी मां की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी और सुनैना थी की झोपड़ी के बाहर खड़ी खटिया की तरफ देख कर कभी उदास हो जा रही थी तो कभी मुस्कुराने लग रही थी जाहिर सी बात थी कि उसे उस दिन वाली बात याद आ रही थी। और उस बात को लेकर वह इस समय हैरान भी हुए जा रही थी क्योंकि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे दिन वाली घटना उसे क्यों याद आ रही है बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य क्यों घूम रहा है,,,, भले ही वह इनकार कर रही हो लेकिन दिल के किसी कोने में उसका आकर्षण अपने बेटे की तरफ बढ़ता जा रहा था,,, उसे दिन वाली घटना तो उसके मानस पटल पर पूरी तरह से छप चुकी थी।





और बार-बार उसे घटना को याद करके सुनैना उत्तेजित हो जाती थी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में सुरसुराहट सी दौड़ने लगती थीकभी-कभी उसे घटना के बारे में याद करके उसे अच्छा भी लगता था तो कभी बुरा भी लगता था कभी-कभी वह अपने आप को ही कोसने लगती थी कि वह अपने बेटे को उसे दिन रोक क्यों नहीं पाई क्यों उसे ऐसा करने से मना नहीं कर पाई सुनैना को इस बात का ज्ञान अच्छी तरह से था कि उसके द्वारा उसे दिन अपने ही बेटे को दी गई मनमानी एक न एक दिन दोनों के बीच की मर्यादा की दीवार को गिरा देगा संयम का बांध दोनों के बीच टूट कर रहेगा इस बात का अंदाजा सुनैना को लग चुका था क्योंकि वह जानती थी कि जिस चीज के लिए उसका बेटा तड़प रहा है इस चीज के लिए वह भी अंदर ही अंदर तड़प रही है। दोनों प्यासे थेसमय के अनुसार उसका बेटा पूरी तरह से बड़ा हो चुका था जवान हो चुका था ऐसे में एक औरत के प्रति उसका आकर्षण बढ़ जाना लाजिमी थालेकिन वह नहीं जानती थी कि उसका आकर्षण अपनी ही मन के ऊपर इस कदर बढ़ जाएगा कि वह अपनी मां के साथ अत्यंत गंदी हरकत करने पर उतारू हो जाएगा,,,, और सुनैना की तो जरूरत थी जिस तरह से उसका पति रोज उसकी चुदाई करता था उसके कहीं चले जाने के बाद सुनैना की बुर बंजर जमीन की तरह सूख रही थी जिस पर पानी की बौछार के लिए वह तड़प रही थी और उसे लगने लगा था कि अगर वह अपने बेटे को नहीं रोकेगी तोउसकी बुर पर पानी की बौछार उसके बेटे के द्वारा ही पड़ेगी।






इस समय गेहूं काटते हुए वह अपने बेटे को बार-बार याद कर रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने वही खटिया वाली घटना दिखाई दे रही थी,,,, और उसे पल को याद करके वह बार-बार गनगना जाती थी जब उसके बेटे का लंड उसकी बुर के द्वारा तक ठोकर मार रहा थाइस समय वह अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसके बेटे का लंड उसकी बुर की गहराई में समा जाता तो कितना मजा आता और फिर उसके एक दिन पहले वाली ही घटना उसके दिलों दिमाग पर पूरी तरह से ताजा बनी हुई थीजब वह पेशाब करने के लिए झोपड़ी के पीछे गई थी और ठीक उसी समय उसका बेटा उसके पीछे खड़े होकर उसे ही देख रहा थासुनैना अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखने के बाद ही इस कदर उसका दीवाना हो चुका था कि उसके साथ गंदी हरकत करने पर उतारू हो चुका था उसे इस बात का भी डर नहीं था कि अगर उसकी मां की नींद खुल गई तो क्या होगा शायद उसे अपने आप पर विश्वास था कि अगर उसकी मां की नींद खुल भी जाएगी तो उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी आंखों मेंइस कदर वासना का नशा भर देगा कि वह खुद अपने हाथ से लंड पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर रख देगी,,, और ऐसा शायद हो भी जाता अगर वह खुद मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते की दुहाई ना दी होती अपने आप को समझाई ना होती।धीरे-धीरे गेहूं की कटाई करते हुए समय भी कितना चला जा रहा था और देखते ही देखते सूरज एकदम सर पर आ गया था गर्मी बढ़ने लगी थी इसलिए रानी अपनी मां के पास आई और बोली,,,,।

गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही है मां मुझसे तो अब रहा नहीं जा रहा है और भूख भी बड़े जोरों की लगी है,,,, अब चलो पेड़ के नीचे चलकर खाना खा लेते हैं,,,,।





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तु ठीक कह रही है मैं भी यही सोच रही थी और वैसे भी आज का काम इतना ही हो पाएगा शाम को शादी में भी जाना है चल चल कर खा लेते हैं,,,,।

इतना कहने के साथ ही मां बेटी दोनों पेड़ के छांव में आकर झोपड़ी के बाहर खड़ी खटिया को गिराकर उस पर बैठ गई और खाना खाने लगे,,, तभी दोनों के कानों में घोड़े की टाप की आवाज सुनाई दे रही थी,,, उस आवाज को सुनकर सुनैना बोली।

लगता है कोई घोड़े पर बैठकर इधर ही आ रहा है,,,।
(अपनी मां के मुंह से घोड़ा शब्द सुनते ही हैरानी से तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी उसके मन में ऐसा लगने लगा कि उस दिन वाला ही घुड़सवार होगा,,,, मां बेटी दोनों इधर-उधर देखने लगे लेकिन अभी तक घोड़ा कहीं नजर नहीं आ रहा था,,,, और वैसे भी गेहूं कीफसल इतनी बड़ी-बड़ी और दूर तक फैली हुई थी कि किसी के भी देखे जाने का अंदेशा बिल्कुल भी नहीं था तभी उनके कान में आवाज सुनाई दी,,,)

अरे कोई है,,,,, खेत में,,,,,।

(आवाज को सुनकर सुनैना को लगा कि कोई अगर घोड़े से आया है तो मुखिया का रिश्तेदारी होगा या हो सकता है मुखिया ही हो क्योंकिघोड़ा तो सिर्फ बड़े लोगों के ही पास था गांव में किसी के पास नहीं था इसलिए वह खटिया पर स्थित होने के नीचे उतर गई और बोली,,,)

हां हम लोग खेत में काम कर रहे हैं क्या काम है,,,?
(इतना कहकर सुनैना जवाब का इंतजार करने लगी और इधर-उधर देखने लगी रानी भी खटिया पर से नीचे उतरकर इधर-उधर देखने लगी लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था तभी गेहूं की फसल के बीच में से एक नौजवाननजर आया जो उनकी तरफ आगे बढ़ रहा था रानी उसे देखते ही एकदम से गदगद हो गई क्योंकि वह उसी दिन वाला घुड़सवार था जिसके बारे में वह दिन रात सोचा करती थी और दोबारा उससे मुलाकात होगी कि नहीं इसके बारे में सोचकर परेशान हुआ करती थी,,,, गेहूं की फसल के बीच में से उन लोगों की तरफ आते हुए वह तुरंत सुनैना और रानी को देखकर बोला,,,,)




नमस्ते,,,,,(इतना कहते हुए उसकी नजर रानी पर पड़ी तो वह एकदम सेखुश होता हुआ कुछ बोलते ही वाला था की रानी उसे इशारे से चुप रहने के लिए बोली तो वह उसका इशारा समझ कर एकदम से खामोश हो गया जिस तरह से उसने नमस्ते बोला था सुनैना उसके व्यवहार से एकदम खुश हो गई थी और बोली)

आप कौन हैं आप मुखिया के रिश्तेदार हैं क्या,,,?

नहीं नहीं मैं इस गांव का नहीं हूं मैं बगल वाले गांव के जमींदार का साला हूं मेरा नाम कुंवर है,,,,,।(नाम सुनकर रानी मां ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि उसे दिन जिस तरह के हालात थे उसे देखते हुए घुड़सवार का नाम नहीं याद आ रहा था लेकिन आज फिर से उसी घुड़सवार के मुंह से उसका नाम सुनकर रानी प्रसन्न हो गई थी,,,, उसका परिचय जानकर सुनैना को समझ में आ गया कि यह बड़े घर का बेटा है और बड़े जमींदार का साला है इसलिए एकदम से उसे इज्जत देते हुए बोली,,,)

यहां कैसे आना हुआ मालिक,,,।

पहली बात तो आप मुझे मलिक मत कहिए मेरा नाम कुंवर है चाची,,,,,(रानी की तरफ देखते हुए वह समझ गया था कि रानी उनकी ही बेटी है इसलिए वह रानी की मां को बड़े इज्जत से पेश आ रहा था और वैसे भी कुंवर बेहद संस्कारी और इज्जतदार लड़का थारानी की मां सुनैना तो उसे बड़े घर के लड़के के मुंह से चाचा शब्द सुनकर एकदम से गदगद हो गई और एकदम से प्रसन्न होते हुए बोली)




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धूप में क्यों खड़े हो कुंवर आओ इस समय यहां तो कोई व्यवस्था नहीं है यही खटिया है बैठने के लिए इस पर बैठ जाओ,,,।

जी बहुत-बहुत धन्यवाद,,,(इतना कहते हुए कुंवर खटिया पर बैठ गया और देखा की खटिया पर रोटी और सब्जी रखी हुई थी यह देखकर वह मुस्कुराते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) आप लोग भोजन कर रहे थे कहीं मैं आपको परेशान तो नहीं कर दिया,,,।


नहीं नहीं कुंवर इसमें परेशानी की कौन सी बात है,,,,।
(रानी की तो हालत खराब हो रही थी वह अपने दुपट्टे को अपनी उंगली पर लपेट लपेटकर कुमार को देख रही थी उसका रूप वाकई में बेहद मनमोहक था,,, तभी वह कुंवर फिर से बोला)

मुझे बड़े जोरो की प्यास लगी है और थोड़ी भूख भी लगी है अगर आपको परेशानी ना हो तो क्या मैं इसमें से एक रोटी खा सकता हूं,,,।

(उसकी बात सुनकर सुनैना एकदम से हैरान होते हुए बोली,,,)

कुंवर जी आप तो बड़े घर के लड़के हैं क्या आप हम लोग के साथ खाना पसंद करेंगे मतलब कि हम लोग का भोजन क्या आप खा सकेंगे,,,।

यह कैसी बात कर रही हो चाची भोजन में भेदभाव कैसा हमारे घर जो रोटी बनती है वह इसी खेत के गेहूं से तो ही बनती है,,,, और खेत में मेहनत भी आप लोग करते हैं तो फिर यह भेदभाव कैसा और यह सब भेदभाव में बिल्कुल भी नहीं मानता अमीर गरीब कुछ नहीं होता दिल साफ होना चाहिए,,,,। अगर इजाजत हो तो,,(रोटी और सब्जी की तरफ उंगली से इशारा करते हुए उसका ही सारा समझते हैं सुनैना एकदम से दो साफ रोटी और सब्जी उसे पर रखते हुए कुंवर की तरफ आगे बढ़ा दी जिसे वह बड़े ही प्यार से लेकर खाने लगा,,,, यह देखकर सुनैना मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

आप खाना खाओ मैं जल्दी से पानी लेकर आती हूं,,,(इतना कहकर सुनैना छोटी सी बाल्टी लेकर हैंडपंप की तरफ जल्दी,,,, उसके जाते ही रानी अपनी मां के जाने का तसल्ली कर लेने के बाद एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि आप मुझे फिर से इस तरह से मिलेंगे,,,,।

सच कहूं तो मैं तुमसे ही मिलने के लिए गांव-गांव भटक रहा हूं क्योंकि मुझे भी तुम्हारे घर का पता नहीं मालूम था और किस्मत देखो आखिरकार खेत में तुमसे मुलाकात हो ही गई,,,।

अच्छा हुआ कि तुम्हेंमेरे घर का पता नहीं मालूम था वरना तुम घर पर पहुंच जाते तो लोग क्या समझते,,,(दुपट्टे को उंगली में गोल-गोल घूमते हुए रानी बोली,,)

हां यह भी सही है,,,,।


लेकिन तुम मुझसे क्यों मिलना चाहते थे,,,।

पता नहीं क्यों उसे दिनतुम्हें देखने के बाद दिन-रात मेरे दिमाग में तुम्हारा ही चेहरा घूम रहा था इसलिए तुमसे मिलने के लिए मैं तड़प रहा था दो-तीन दिन इधर-उधर भटकने के बाद आज तुमसे मुलाकात हुई है,,,,।

(कुंवर की बात सुनकर रानी मां ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि उसे एहसास हो रहा था कि जिस तरह से वह तड़प रही थी कुंवर भी उससे मिलने के लिए तड़प रहा था,,,, थोड़ी देर की खामोशी के बाद कुंवर निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,,)

तुम मुझे इशारा करके रोक क्यों दी जब मैं कुछ बोलने जा रहा था तो,,,,।

मुझे मालूम था कि तुम उसे दिन वाली बात मेरी मां के सामने बता देती और यह बात मेरी मां को बिल्कुल भी नहीं मालूम है इसलिए मैं नहीं चाहती थी कि उस दिन वाली घटना मेरी मां को पता चले,,,।


ओहहह यह बात है,,,, वैसे सच कहूं तो तुम बहुत खूबसूरत हो उस दिन तुम्हें देखा तो तुम्हें देखता ही रह गया,,,,,।
(कुंवर की बात सुनकर रानी एकदम से शर्मा गई क्योंकि रानी जानती थी कि उसे दिन कुंवर उसे किस हालत में देखा था,,,, इसलिए वह थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

बिना कपड़ों की थी इसलिए तुम्हें खूबसूरत लग रही थी,,,।

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वैसे तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देखकर बोल रहा थाऔर सच कहूं तो मैं सिर्फ तुम्हारा खूबसूरत चेहरा ही देखा था बाकी अंगों पर मेरा ध्यान बिल्कुल भी नहीं किया था जैसा तुम समझ रही हो मैं उस तरह का लड़का बिल्कुल भी नहीं हूं,,,,।
(दोनों की बातचीत आगे बढ़ पाती से पहले ही सुनैना पानी भरकर वहां आ गई और लोटे में पानी भरकर कुंवर को देने लगी,,,, कुंवर खाना खाने के बाद पानी पीने लगा और उसे पानी पीता हुआ देखकर सुनैना मुस्कुराते हुए बोली,,,)

वैसे कुंवर जी आप यहां क्या करने आए थे कोई काम था क्या,,,,?


नहीं ऐसी कोई बात नहीं थी यहीं से गुजर रहा था तो मुझे बड़े जोरों की प्यास लगी थी औरमुझे लगा कि कोई खेत में होगा इसलिए यहां खड़ा होकर आवाज लगने लगा और मेरी किस्मत देखो वाकई में आप लोग यहां पर मौजूद थे जो मुझे अपनी भी पिलाए और खाना भी खिलाएं आप लोगों का एहसान में जिंदगी भर नहीं भुलुंगा,,,।

अरे अरे कुंवर जी आप यह कैसी बात कर रहे हैं इसमें एहसान कैसा यह तो हमारी किस्मत है कि आप जैसे बड़े घर के लड़के हमारे साथ बैठकर खाना खाए,,,।

देखो चाची आप फिर मुझे शर्मिंदा कर रही हो,,,,

लेकिन जो हकीकत है वह बदल तो नहीं सकती ना कुंवर जी,,,,।

कुंवर जी नहीं अब तो आप मुझे बेटा कहिए क्योंकि मैं आपको चाची कहता हूं,,,।

बबबबबब,,,,बेटा,,,,


हां बेटा आप मुझे इतने प्यार से खाना खिलाई पानी पिलाई तो मैं आपका बेटा ही हुआ ना,,,।

धन्य है तुम्हारी मां जो तुम्हें इतना अच्छा संस्कार दी है वरना बड़े घरके लड़के इस तरह से हम जैसे लोग से तो बात भी नहीं करते,,,,।


दूसरों में और मुझ में जमीन आसमान का फर्क है चाची,,,,,। अच्छा बहुत-बहुत धन्यवाद अब मैं चलता हूं,,,,।

(रानी अच्छी तरह से जानती थी कि कुंवर किस काम के लिए इस गांव में आए थे उनका काम बन चुका था,,,,रानी उनसे पूछना चाहती थी कि आप कहां मुलाकात होगी लेकिन अपनी मां के सामने पूछ नहीं पा रही थी लेकिन उसकी इस परेशानी को खुद कुंवर ही दूर करते हुए सुनैना से बोला,,,,)

आप इसी गांव में रहती हैं चाची,,,,।

जी बेटा मैं इसी गांव में रहती हूं,,,।

और यह खेत,,,,।

यह मेरा नहीं है यह तो मुखिया जी का है हम लोग इसमें काम कर रहे हैं,,,,।

कोई बात नहीं चाची फिर मुलाकात होगी,,,,।

(सुनैना बाल्टी को एक तरफ रखने लगी तभी कुंवर धीरे से रानी के करीब आकर बोला,,)

कल नदी पर मिलना,,,,(बस इतना कहकर वह फिर से गेहूं की फसल में से जाने लगा और रानी मां ही मन मुस्कुराने लगी और थोड़ी देर बाद मां बेटी दोनों घर पर आ गए,,,,

दूसरी तरफ सूरज सुबह से ही लाडो के घर पर कामकाज में लगा हुआ था बड़े अच्छे से घर की सजावट हो रही थी गांव की सजावट हो रही थी और छोटे-मोटे काम में गांव के लोग हाथ बंटा रहे थे लेकिन इस सबके बीच सूरज की नजर लाडो पर बराबर बनी हुई थी,,,, वह किसी काम से सामान लेने के लिए कमरे में पहुंचा तो वहां पर देख लाडो फिर अकेली बैठी हुई थी,,,लेकिन वह जानता था कि इस समय कुछ करना उचित नहीं था और सूरज को देखते ही लाडो एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

अच्छा हुआ तुम आ गई सूरज मैं सुबह से तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी,,,।
(यह सुनकर सूरज मैन ही मन खुश होने लगा और मुस्कुराते हुए बोला)

क्यों मेरा इंतजार क्यों कर रही थी,,!

अरे तुम ही तो कल बोले थे कि तुम्हारी परेशानी क्या है मैं जानता हूं तो बताओ ना मेरी परेशानी क्या है मैं इतना परेशान क्यों हो रही हूं जबकि शादी के नाम से दूसरी लड़कियां खुश होती हैं तो मुझे क्यों वह खुशी नहीं मिल रही है बल्कि घबराहट हो रही है।

हां मैं जानता हूं ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन अभी समय नहीं आया है ठीक समय देखकर मैं तुम्हें बता दूंगा और तुम्हारी परेशानी भी दूर कर दूंगा,,,।



भला यह कैसी बात हुई अभी तो तुम मेरे सामने ही हो बता सकते हो बताओ ना मेरे परेशानी क्या है,,,।

पागल हो गई हो क्या ऐसे में नहीं बता सकता मैं सही समय जानता हूं सही समय आने दो मैं तुम्हें बता दूंगा,,,।( लाडो की उत्सुकता देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होता हुआ बोला,,,)

कैसी बेवकूफी भरी बातें कर रहे हो तुम अच्छी तरह से जानते हो कि आज मेरा विवाह हो जाएगा और मैं अपने ससुराल चली जाऊंगी तब कौन सा समय तुम्हें मिलेगा बताने का,,,,।

विवाह रात को होगा उससे पहले मैं तुम्हें बता दूंगा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,(और इतना कहकर सूरज आलू की बोरी लेकर कमरे से बाहर निकल गया,,,)

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Fantastic update
 

sunoanuj

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