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जोरू का गुलाम भाग २४९ , एम् -१ पृष्ठ १५५०
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बहुत बहुत धन्यावाद...इतने प्यार से समझाने के लिएबात आपकी सोलहो आने सही है, सौ फीसदी
' सब्जेक्ट' मतलब कोमल के पति,
और अगर क्कुह पिछले अपडेट्स के पन्ने पलटें और इस अपडेट से जोड़ के देखें तो वो रिश्ता और एम् और कोमल के पति के बीच का संबंध झलकता है, हाँ सिर्फ झलकता है साफ़ साफ़ नहीं दिखता, कुछ सूत्र इसी भाग से
। अटैकर एजेंसी को ' सब्जेक्ट ' के बारे में शक था लेकिन उसकी सर्वयालेंस रिपोर्ट से वो एक मिडल मैनेजमनेट का ठरकी टाइप लग रहा था और उसकी परसनालटी की साइको प्रोफ़ाइल से भी नहीं लग रहा था लेकिन तब भी उन्होंने उसका ग्रेड II सर्वयालेंस लांच किया था। फिजिकल सर्वेलेंस और घर और आफिस का, बग्स,...
२ सब्जेक्ट' को कम्प्लीट रेडियो साइलेंस करना था। उसके घर में बग्स थे और आफिस में , फोन भी हैक्ड था. एक नंबर सब्जेक्ट को दिया गया था, २४ घंटे में एक बार इस्तेमाल के लिए वो भी सिर्फ डाटा ट्रांसफर के लिए। वो एक कट आउट नंबर था। वहां से वो डाटा दो तीन जगह सोशल मिडिया के जरिये M के पास पहुँचता था।
सब्जेक्ट का फोन हैक्ड था, घर में कैमरों के चक्कर में वो डाटा ट्रांसफर नहीं कर सकता था।
३। ये फ़ूड ट्रक की पिक किसी और के फोन से आयी थी, सेल्फी की तरह। लेकिन फ़ूड ट्रक एकदम साफ थी और एक किसी लड़की की एक ठेले पर वेजीटेबल वेंडर के साथ।
नवलकर गेलार्ड में बैठे पांच बार दोनों पिक्चर देख चुके
४। उस फ़ूड ट्रक ने उनके मन में कई सवाल उठाये और यह भी साफ़ कर दिया की इस उलझे धागे को सुलझाने के लिए फ़ूड ट्रक को ही पकड़ना होगा।
सर्वयालेंस के लिए फ़ूड ट्रक से अच्छी कोई चीज नहीं हो सकती , फ़ूड ट्रक में एक तो स्पेस बहुत होता है अंदर, कस्टमर की तरह कोई भी आ सकता है अगर कोई इस फ़ूड ट्रक का सर्वयालेंस भी करेगा तो उसे शक नहीं होगा। एक मंझोले शहर में फ़ूड ट्रक के अलावा किसी भी और बड़ी गाडी के एक जगह खड़े होने पर शक हो सकता है। वह सड़क पर जिस जगह खड़ी है वो कम्युनिकेशन कंट्रोल सेंटर की तरह भी काम कर रही होगी, घर से निकलने वाले सारे कैमरों की फीड वहां आ रही होगी, जहाँ वह रिकार्ड भी हो रही होगी और मॉनिटर भी।
अब हम थोड़ा सा पीछे जाएँ, भाग २४५, गीता और गाजर वाला, तो ये अंदाज लग जाएगा की ये पिक्स एम् के पास कैसे पहुंची और ये कुछ और सूत्र हैं
५ फिर एक काम जो मैं नहीं कर पा रहा था की जो मेरा सर्वेलेंस हो रहा था उसकी सूचना किसी तरह एम् ( M ) तक पहुंचा दूँ लेकिन कैसे ?
मुझे एक सोशल मिडिया की साइट दी गयी थी, जिसमें जा के मैं अर्जेन्ट सिच्येशन में मेसेज दे सकता था, मेसेज में कुछ भी लिखे लेकिन उसके पहले और अंत के शब्द फिक्स थे, मुझे कोई जवाब नहीं आता। लेकिन कम्युनिकेशन हैक्ड फोन से तो हो नहीं सकता था,
६ तभी मेरा ध्यान गीता पर गया,
नमक जबरदस्त था उसमें और वो सब्जी के ठेले वाले से चिपकी पड़ रही थी। बेचारा असली काम तो उसका 'कुछ और ' था लेकिन गीता से पीछा छुटवाना आसान नहीं था, उससे चिपक के जबतक वो हटता गीता ने अपने फोन से एक सेल्फी ले ली। वो उसे धक्का देके दूर हटा और गीता के हाथ से मोबाइल छीनने की कोशिश करने लगा लेकिन गीता ने मोबाइल मेरी ओर उछाल दिया ,
" हे वो बेचारा जब मना कर रहा है तो काहे ले रही हो "
और उस ठेले वाले को दिखाते हुए जैसे डिलीट कर रहा हूँ, डिलीट कर दिया।
लेकिन डिलीट मैंने एक दूसरी पिक्चर की थी और उस पिक को गैलरी और कैमरे से बाहर कहीं सेव कर दिया था.
।७ " लेकिन तुम फोटोवा मिटा काहे दिए " अब गीता का गुस्सा मेरे ऊपर।
मैंने तुरंत वो फोल्डर खोल के गीता को दिखा दिया, उसकी सेल्फी एकदम जस की तस थी। और तभी मुझे आइडिया आया, गीता का फोन हैक भी नहीं हुआ था और उसमें कीड़े भी नहीं लगे थे, मतलब उसके जरिये मैं कम से कम एक दो बार शार्ट मेसेज कर सकता हूँ।
8 गीता के साथ मैं घर की ओर जा रहा था बस रस्ते में रुक के, गीता के फोन से ही गीता की गाजर वाले के साथ की फोटो और फ़ूड कोर्ट की अपनी और निधि की सेल्फी , जिसमें फ़ूड कोर्ट की ट्रक दिख रही थी दो काम करने वाले दिख रहे थे वो पिक्स थी और कोड वर्ड।
उसी जगह से जहाँ पेड़ों का घनघोर झुण्ड था, और न हम दोनों दिख सकते थे न फोन हैक हो सकते थे
अब मैं श्योर था की दो चार घंटे में ‘एम्’ के पास सर्वेलन्स का मेसेज पहुंच जाएगा।
८ मैं शिकार पकड़ने के लिए जो बकरा बांधा जाता है कुछ उस तरह था, और मेरे ऊपर सर्वेलेंस कर के कुछ अंदाजा लग जाना था। जैसे सर्टेनली ये काम उन्होंने आउट सोर्स किया होगा, बीच में एक दो कट आउट भी होंगे लेकिन कुछ तो अता पता चलता और एक को पकड़ के दूसरा, धागे का एक सिरा हाथ लग गया था , कर्टसी गीता की सेल्फी और उसके फोन के।
९ और मुझे यह भी नहीं मालूम था की वो हिन्दुस्तान में है या उज्बेकिस्तान में लेकिन ये मालूम था की चार पांच वी पी एन के बाद घंटे भर के अंदर ये सारी पिक्स उसे मिल जाएंगी और उस के बाद इन सर्वेलेंस वालों की उधेड़ बुन शुरू हो जायेगी, चोर के घर मोर लग जाएंगे, इसलिए वन टाइम कॉन्टैक्ट मैंने इस्तेमाल कर लिया और मेरे मन को बड़ी शान्ति मिली की मेरी ओर से भी एक कदम चाल चल दी गयी।
तो इस भाग के साथ अगर जोड़ के देखेंगे तो साफ़ पता चल जाएगा की एम् को गीता और फ़ूड ट्रक की फोटो कोमल के पति ने ही भेजी है गीता के फोन से और अब एम् जो लोग कोमल और उसके पति की जासूसी कर रहे हैं उनकी जासूसी से ये पता करने की कोशिश करेंगे की कौन लोग हैं जो कोमल के पति की कम्पनी को कब्जा करना चाहते हैं और कोमल के पति के पीछे पड़े हैं।
अरे जिस जगह का आपने वर्णन किया है मैं यहीं से हु.... बताना कुछ पता लगाना हो तो....
कोमल भाभी की इतनी मदद तो कर ही देंगे....
शायद फिर रसगुल्लों को खाने का मौका हमे भी मिल जाए....
नहीं तो भाभी की छिनाल नन्द है ही... उस पर chudai करवा देगी भाभी जी![]()
एकदम सही कहा आपने टक्कर बराबर की हैमामला जितना समझ आया मतलब दिमाग का पूरा उपयोग किया है सामने वाले ने भी.....
अब इनका दिमाग देखना है कि loop होल पकड़ पाते हैं या नहीं
आपकी बात सर आँखों परवाह कोमल मैम
साइबर वर्ल्ड की अनजानी दुनिया की अदभुत जानकारी भरा शानदार अपडेट।
ऐसा ही एक अपडेट और हो जो जासूसी करने वालों की परत दर परत खोलने वाला हो।
एक विनम्र आग्रह ।
सादर
जोरू का गुलाम भाग २४९
एम् -१
३७,७५, ७७९
"माइसेल्फ मिलिंद नवलकर, फ्रॉम रत्नागिरी। "
हल्की मुस्कान, बड़ा सा चश्मा, एक बैग और खिचड़ी बाल, दलाल स्ट्रीट के आसपास या कभी यॉट क्लब के नजदीक तो शाम को बॉम्बे जिमखाना में ढलते सूरज को देखते हुए मिल जाते हैं।
मनोहर राव, थोड़ा दबा रंग , एकदम काले बाल, गंभीर लेकिन कारपोरेट क़ानून की बात हो या कर्नाटक संगीत वो अपनी खोल से बाहर आ जाते थे. दिन के समय बी के सी में लेकिन अक्सर माटुंगा के आस पास, टिफिन खाते वहीँ के किसी पुराने रेस्ट्रोरेंट में,...
मनोज जोशी, चाहे हिंदी बोले या अंग्रेजी,… गुजराती एक्सेंट साफ़ झलकता था। पढ़ाई से चार्टर्ड अकउंटेंट, पेशे से कॉटन ट्रेडिंग में कभी कालबा देवी एक्सचेंज में तो कभी कॉटन ग्रीन में, और अड्डों में कोलाबा कॉजवे, लियोपॉल्ड
महेंद्र पांडे धुर भोजपुरी बनारस के पास के, अभी गोरेगांव में लेकिन जोगेश्वरी, गोरेगांव, और कांदिवली से लेकर मीरा रोड और नाला सोपारा तक, दोस्त, धंधे सब
मुन्तज़िर खैराबादी, मोहमद अली रोड के पास एक गली में कई बार सुलेमान की दूकान पे दिख जाते थे, खाने के शौक़ीन, पतली फ्रेम का चश्मा और होंठों पर हमेशा उस्तादों के शेर, फिल्मो में गाने लिखने की कोशिश नाकामयाब रही थी तो अब सीरियल में कभी भोजपुरी म्यूजिकल के लिए और आक्रेस्ट्रा के लिए
लेकिन असली नाम, ... पता नहीं। सच में पता नहीं।
असल नक़ल में फरक मिटाने के चक्कर में खुद असल नकल भूल चूके थे। हाँ जहाँ जाना हो, जो रूप धरना हो, जो भाषा एक्सेंट, मैनरिज्म, ज्यादा समय नहीं लगता और कई बार तो लोकल में सामने बैठे आदमी को देखकर आधे घंटे में कम्प्लीट एक्सेंट और
मैनरिज्म , उन्हें लगता की शायद उनका असली पेशा ऐक्टिंग हो सकता था और राडा ( रॉयल अकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स ) में उन्होंने एक छोटा मोटा कोर्स भी किया था,
नाम के लिए, सब लोग एम् के नाम से ही जानते थे और वो सिर्फ इसलिए की जिस देश में जिस शहर में वो नया रूप धरते, उसके सारे नाम एम से ही शुरू होते थे।
मूल रूप से कहाँ के इसमें भी विद्वानों में मतभेद था हाँ जेनेसिस मिक्स्ड थी, सेन्ट्रल यूरोप, मिडल ईस्ट और मेडिटेरेनियन। पर वह सब बंद किताब थी
M का काम- मिलन्द नवलकर
गेलार्ड रेस्टोरेंट
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M का काम करने वाले बहुत कम लोग और वैसे एक्सपर्ट तो शायद दो चार ही होंगे। काम भी टेढ़ा था. इंडस्ट्रियल एस्पियोनज की दुनिया में जासूसी बहुत आम बात थी, पेटेंट्स, कस्टमर डाटा, बिजनेस प्रॉसेस से लेकर रिसर्च तक, ... पर वह बहुत शुरूआती बातें थीं, उस जासूसी को रोकने के लिए कांउटर सरवायलेंस और उसके एल्क्ट्रॉनिक रूप,... पर यह आखिरी स्टेप था, ... कौन सरवायलेंस कर रहा है उसका पता लगाना और न जिसका सर्वयालेंस हो रहा हो उसे पता चले और न जो करवा रहा हो उसे,... दिक्क्त ये थी की हर एजेंसी कम से कम चार पांच कट आउट तो इस्तेमाल करती ही थी और पता यह करना की कौन कम्पनी करवा रही है, उसके स्ट्रक्चर में कौन आदमी है
M के लिए भी यह बाएं हाथ का खेल नहीं था लेकिन तब भी सक्सेस रेट काफी हाई था।
मिलन्द नवलकर इस समय चर्चगेट स्ट्रीट में गेलार्ड रेस्टोरेंट में बैठे थे और उनके मोबाइल पे एक फ़ूड ट्रक की पिक्चर थी.
देख वो उसे रहे थे लेकिन मन में एसाइनमेंट का पूरा पर्पज घूम रहा था. एक फार्च्यून १०० मल्टीनेशनल कम्पनी, उसकी इंडियन सब्सिडयरी पर टेकओवर के लिए हमला हुआ जो नाकामयाब रहा लेकिन अब इंटरनेशनल कम्पनी को लग रहा था की दुबारा फिर उसपर अटैक होगा, बाजार में साफ साफ़ मेसेज था और बाजार कभी झूठ नहीं बोलता।
अब तीन बातें थीं
" कौन अटैक करने वाला था, क्यों अटैक होगा और अटैकर का इंट्रेस्ट क्या है। "
इन तीनो का पता नहीं था, और जब ये नहीं पता हो तो डिफेन्स की क्या स्ट्रेटजी बनेगी, लेकिन उस कपंनी ने तय किया था, " रण होगा " लेकिन किसके खिलाफ?
सूत्र सिर्फ एक था और वो रिपोर्ट M के पास भी थी
अटैकर एजेंसी को ' सब्जेक्ट ' के बारे में शक था लेकिन उसकी सर्वयालेंस रिपोर्ट से वो एक मिडल मैनेजमनेट का ठरकी टाइप लग रहा था और उसकी परसनालटी की साइको प्रोफ़ाइल से भी नहीं लग रहा था लेकिन तब भी उन्होंने उसका ग्रेड II सर्वयालेंस लांच किया था। फिजिकल सर्वेलेंस और घर और आफिस का, बग्स,...
M का काम था सर्वयालेंस के तारों को पकड़ के पता करना रिपोर्ट कहाँ कहाँ जा रही है, कौन करवा रहा है विदेशी कम्पनी कौन है , इंडियन कम्पनी कौन है।
जो आसान नहीं था।
लेकिन वो और मुश्किल हो गया था ' सब्जेक्ट' को कम्प्लीट रेडियो साइलेंस करना था। उसके घर में बग्स थे और आफिस में , फोन भी हैक्ड था. एक नंबर सब्जेक्ट को दिया गया था, २४ घंटे में एक बार इस्तेमाल के लिए वो भी सिर्फ डाटा ट्रांसफर के लिए। वो एक कट आउट नंबर था। वहां से वो डाटा दो तीन जगह सोशल मिडिया के जरिये M के पास पहुँचता था।
सब्जेक्ट का फोन हैक्ड था, घर में कैमरों के चक्कर में वो डाटा ट्रांसफर नहीं कर सकता था।
ये फ़ूड ट्रक की पिक किसी और के फोन से आयी थी, सेल्फी की तरह। लेकिन फ़ूड ट्रक एकदम साफ थी और एक किसी लड़की की एक ठेले पर वेजीटेबल वेंडर के साथ।
नवलकर गेलार्ड में बैठे पांच बार दोनों पिक्चर देख चुके
. फ़ूड ट्रक
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उस फ़ूड ट्रक ने उनके मन में कई सवाल उठाये और यह भी साफ़ कर दिया की इस उलझे धागे को सुलझाने के लिए फ़ूड ट्रक को ही पकड़ना होगा।
सर्वयालेंस के लिए फ़ूड ट्रक से अच्छी कोई चीज नहीं हो सकती , फ़ूड ट्रक में एक तो स्पेस बहुत होता है अंदर, कस्टमर की तरह कोई भी आ सकता है अगर कोई इस फ़ूड ट्रक का सर्वयालेंस भी करेगा तो उसे शक नहीं होगा। एक मंझोले शहर में फ़ूड ट्रक के अलावा किसी भी और बड़ी गाडी के एक जगह खड़े होने पर शक हो सकता है। वह सड़क पर जिस जगह खड़ी है वो कम्युनिकेशन कंट्रोल सेंटर की तरह भी काम कर रही होगी, घर से निकलने वाले सारे कैमरों की फीड वहां आ रही होगी, जहाँ वह रिकार्ड भी हो रही होगी और मॉनिटर भी।
फ़ूड ट्रक से तीन सवाल उठ रहे थे, जो सर्वयालेंस कर रहा है उसकी तो नहीं होगी, उसने हायर ही की होगी या पता उसकी ही हो। तो किसकी है फ़ूड ट्रक ?
दूसरी बात उसमे रह रहे लोग जो सर्वयालेंस में हैं वो कौन हैं, कहाँ के हैं और उन्हें क्या काम सौंपा गया है ?
और तीसरी बात डाटा फ़ूड ट्रक से कैसे भेजा जा रहा है?
पहले सवाल का जवाब करीब करीब मिल गया।
फोटो में फ़ूड ट्रक की नंबर प्लेट थी और नंबर गाजियाबाद का है। ट्रक के ओनर का नाम पता सब मिल गया, वो एक एजेंसी थी जो फ़ूड ट्रक अलग कैटरिंग एजेंसीज को हायर करती थी और यह ट्रक आठ महीने पहले एक मेरठ की कैटरिंग एजेंसी को दी थी , दो साल की लीज पे।
मेरठ की एंजेसी ने चार फूड ट्रक किसी कम्पनी को ढाई महीने पहले दी थी और यह ट्रक उन्ही में से एक थी।
अब यह साफ़ हो गया था की यह आपरेशन पश्चिम उत्तर प्रदेश की कोई एजेंसी चला रही थी, कई सर्वयालेंस एजेंसी वाले भी फ़ूड ट्रक हायर करते हैं और वह कम्पनी उसी तरह की होगी।
उस कम्पनी का नाम पता चल गया था, थर्ड आई।
वह कम्पनी मिलेट्री और पुलिस के कुछ रिटायर्ड आफिसर मिल कर चलाते थे। कुछ उन के फोन हैक कर के कुछ कंप्यूटर के रिकार्ड चेक कर के पता चला था की थर्ड आई ने इस फ़ूड ट्रक को सर्वयालेस के लिए इक्विप किया है पर अभी उन्होंने दो ट्रक किसी एजेंसी को दिए है जिसने दोनों ट्रक को दो महीने के लिए हायर किया है। पर उस एजेंसी का कोई ट्रेस नहीं मिल पाया। उन्होंने सारा पेमेंट कैश में एडवांस किया है। जिस फोन से बात हुयी थी वो नंबर अब बंद हो चूका है और काल डाटा रिकार्ड के हिसाब से बात उसी शहर से हुयी थी लेकिन उस सिम का इस्तेमाल सिर्फ उसी ट्रांजेक्शन के लिए किया गया था।
बात बनी भी नहीं और बन भी गयी।
सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ )
अब ये साफ़ था कोई सुपर सीक्रेट सर्वेलन्स ( एस ३ ) एजेंसी है जिसने ढेर सारे कट आउट इस्तेमाल किये हैं, पहली बात तो फ़ूड ट्रक उन्होंने इस तरह हायर किया था की बहुत खोज बीन कर के भी बात सिर्फ थर्ड आई तक पहुंचे और वो सिर्फ ये कहेंगे की उन्होंने उसे हायर पर दिया है और फ़ूड ट्रक हायर पर देने के लिए अभी किसी के वाई सी की जरूरत नहीं है। अभी वो हायर के पीरियड में है इसलिए उन्हें कोई चिंता भी नहीं हुयी। इस एस ३ ने फ़ूड ट्रक हायर करने के लिए अलग आदमियों का इस्तेमाल किया होगा और मैन पावर हायर करने के लिए अलग एजेंसी।
नवलकर ने दो बार वो वेजिटेबल वेंडर के साथ गीता की पिक देखी,
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गीता की एक बात भी रिकार्ड हो गयी थी की बात में यह आदमी पश्चिम का लगता था तो साफ़ था की जहाँ से फ़ूड ट्रक ली गयी थी, वहीँ से वो लोग भी हायर किये गए होंगे जो काउंटर स्रवयलेंस कर रहे होंगे,... मेरठ गाजियाबाद की ट्रक थी और लोग भी वहीँ से हायर किये गए होंगे।
नवलकर ने अपने अनुभव से बात समझ ली की असली आदमी जो कोआर्डिनेट कर रहा है वो वही गाजर वाला है सबजी के ठेले वाला, इसलिए फिजिकल सरव्यालेंस भी व्ही कर रहा है और फ़ूड ट्रक से कोआर्डिनेट भी।
अब बात यह थी की डाटा फ़ूड ट्रक से ट्रांसमिट कैसे हो रहा है।
उन्होंने एक सेटलाइट एजेंसी को काम पर लगाया था जो अगले ४८ घंटे तक हर आधे घंटे की उस फ़ूड ट्रक की तस्वीर रिले करेंगे।
मामला ये नहीं था की क्या फ़ूड ट्रक क्या डाटा इकठ्ठा कर रही है, नवलकर को पता ये करना था की ये डाटा जा कहाँ रहा है, कौन उस डाटा को एनलाइज कर रहा है और इस पूरे ऑपरेशन का संचालन कहाँ से हो रहा है।
फ़ूड ट्रक वो प्वाइंट था जहाँ से फिजिकल सर्वयालेंस ख़त्म हो के डाटा का काम शुरू हो रहा था।
नवलकर को ये पूरा विश्वास था की ये सारा डाटा उस फ़ूड ट्रक से किसी कम्युनिकेशन सेटलाइट से ही भेजा जा रहा है।
और उसके तीन कारण थे, स्टोरेज साइज, डाटा सिक्योरिटी, और फ़ूड ट्रक का इस्तेमाल। क्योंकि सरवायलेंस में आडियो, वीडियो, और बाकी सब डाटा था और वो सिर्फ मोबाइल और कम्यूटर हैकिंग तक नहीं था। हर दिन की डाटा की साइज बहुत होती और इसे फोन से ट्रांसमिट से करना पॉसिबल नहीं था।
दूसरे डाटा अगर सब फ़ूड ट्रक में स्टोर होगा तो किसी भी हैकर के लिए या जांच एजेंसी वाले के लिए सीधे ट्रक पे रेड करके उस डाटा को पकड़ना आसान था। फिर मोबाइल डाटा को ट्रैंगुलेट करके टावर का पता करना और फिर उस फोन की लोकेशन पता करना आसान हो जाता लेकिन सेटलाइट डाटा में ये थोड़ा मुश्किल था, बशर्ते किसी स्पाई सेटलाइट का इस्तेमाल न किया जाए।
ज्यादातर सेटलाइट नेविगेशन के काम में आने वाली कम्युनिकेशन सेटलाइट होती हैं लेकिन बाकी कम्युनिकेशन वाली भी काफी है जिनका इस्तेमाल न्यूज सर्विसेज के लोग वार जोन्स में करते हैं और वो किराए के लिए उपलब्ध होती हैं। नवलकर का विश्वास था वैसे ही कोई सेटलाइट होगी।
और वह विश्वास सही सिद्ध हुआ लेकिन उम्मीद से दुगना बल्कि और ज्यादा,
सेटलाइट
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नवलकर के कम्यूटर पर एक मेसज पॉप आप हुआ और फिर जिस सेटलाइट का वो इस्तेमाल फ़ूड ट्रक के सरवायलेंस के लिए कर रहे थे उसको उन्होंने लिंक किया। उनके लैपटॉप पर उस सेटलाइट की सीधे स्क्रीन खुल गयी और जहाँ से सेटलाइट कंट्रोल होती थी वहां का एक कम्म्युनिऐक्शन चैनल भी।
रात के १ बजकर ४० मिनट हो रहे थे, और उस फ़ूड ट्रक के छत पर एक डिश निकल आयी, जैसे टीवी वालों के ओ बी वान पर होती है थोड़ी और बड़ी साइज की।
बस यह तय की कोई कम्युनिकेशन सेटलाइट होगी जी आधे, पौन घंटे उस वान के टच में रहेगी और वो डाटा उसी सेटलाइट को पास होगा।
सेटलाइट कंट्रोल के कम्युनोइकेशन चैनल पर बिना उनके कहे एक डेढ़ सौ किलोमीटर का उस इलाके का स्काई मैप आ गया। और उन्होंने पहचान लिया।
एक सेटलाइट जो उस लोकेशन पर १० मिनट में पहुँचने वाली थी, और उस मैप पर उस सेटलाइट पर उन्होंने करसर से प्रेस किया, वो एक इंटरैक्टिव स्क्रीन था, बगल में एक पैनल खुल गया, सेटलाइट की लांच होने की डेट, जिस कम्पनी की वो थी, यूरो स्टार, और अचानक उनकी चमकी, ये दो साल पहले ही बानी थी, लक्जमबर्ग, हेडक्वार्टर और एक अमेरिकन कम्पनी इको स्टार से अलग होकर, लेकिन उसके बिजनेस का सी ए जी आर १५ % से भी ऊपर था जो उस सिग्मेंट में एक बड़ी बात थी। तबतक जो एक कम्युनिकेशन चैनल नवलकर ने खोल रखा था, उसपे उस सेटलाइट के बारे में एक और बात आयी।
यह सेटलाइट SAR (Synthetic Aperture Radar) की क्षमता से लैस है यानी यह दिन के साथ साथ रात में, बादलो और बर्फ में भी इमेज ले सकता है और रेडियो वेव्स के जरिये ये ऑब्जेक्ट को प्रकाशित कर देता है, जिससे घुप अँधेरे में भी इमेजिंग होती है। यह सतह के उभार की मदद से दरवाजे खिड़कियां और थर्मल इमेजिंग से लिविंग आब्जेक्ट्स की भी इमेज लेता है, लेकिन उस इमेज का क्षेत्र बाकी सेटलाइट इमेज के मुकाबले कम और ज्यादा फोकस्ड होता है। यह १ वर्ग मीटर तक के आब्जेक्ट की अच्छी फोटो ले सकता है।
नवलकर ने जिस सेटलाइट से हर दो घंटे में इमेजिंग करवाई थी उसे गूगल अर्थ से जोड़कर, उस टाउनशिप का एक डिटेल मैप बना लिया था , जिसे करीब बीस वर्ग किलोमीटर तक की हर छोटी बड़ी ईमारत, सड़क, रस्ते, आ जाते थे और उसमें उन्होंने उस फ़ूड ट्रक और उसके आस पास के ५०० मीटर के इलाके को हाइलाइट कर रखा था।
नवलकर ने जिस सेटलाइट को लगा रखा था और जिसके कंट्रोल से सेंटर से वो टच में थे, सिर्फ दो बात पूछी, एक की जो डाटा फ़ूड ट्रक से सेटलाइट को पास होगा, उसके साथ पिगी बैक कर के, क्या वो कोई आइडेंटीफायर भेज सकते हैं। उसका जवाब उन्हें हाँ में मिला लेकिन यह भी उस डाटा को सेटलाइट से हैक करना या अपलोड करते समय हैक करना मुश्किल है,हाँ एक बार सेटलाइट वो डाटा ट्रांसमिट कर दे तो वहां से वो अगर अपने सोर्सेज से हैक करा लें उसकी बात अलग है।
दूसरे सवाल का जवाब भी हाँ में मिला,
एक अंदाजन एरिया का पता चल सकता है हाँ स्पेसिफिक बिल्डिंग का पता चलना मुश्किल है।
कुछ देर में ही फ़ूड ट्रक से निकला सेटलाइट एंटीना सारा डाटा उस सेटलाइट पर अपलोड कर रहा था। वह काम तो पांच से दस मिनट में हो गया लेकिन अगले पांच मिनट तक SAR इमेजिंग होती रही।
और उन्हें उनके कम्युनिकेशन चैनल से पता चल गया की वह फ़ूड ट्रक से करीब १०० मीटर दूर के जगह की है और २५० वर्ग मीटर, फिर वहां तक पहुँचने वाले रास्तों की,
यानी यह साफ़ था की जिस की निगरानी हो रही है उस के घर और आसपास की डिटेल्ड फोटोग्राफी हो रही है।
करीब आधे घंटे बाद उन्हें पता चल गया की जो डाटा फ़ूड ट्रक से अपलोड हुआ था, वो केपटाउन को ट्रांसमिट किया गया है और नवलकर की सब उम्मीदों पर पानी फिर गया।
उन्हें उम्मीद थी की डाटा का डेसिनेशन ट्रेस कर के वो उस कम्पनी या उसकी सिक्योरटी कम्पनी तक पहंचु जाएंगे, जो सर्वेलेंस करवा रही है।
पर केपटाउन का नाम आते ही उन्हें अंदाज लग गया की, डाटा किसके पास गया है, और ५० मीटर के अंदर तक की लोकेशन जैसी पता चली उनका शक विश्वास में बदल गया।
केपटाउन
सेटलाइट चीज ही ऐसी हैचलिए कुछ तो पकड़ में आया
अच्छा लगाना अच्छी बात है, कई बार कई बातें अगले अपडेट्स में ज्यादा स्पष्ट होती है, सस्पेंस बनाये रखने के लिएबहुत ही कम समझ में आया...par acha laga
Kaha jayenege aapse bachkar.. aate hai yahi padhte hai aur phir comment kar dete hai..... yhi to jeewan haiअच्छा लगाना अच्छी बात है, कई बार कई बातें अगले अपडेट्स में ज्यादा स्पष्ट होती है, सस्पेंस बनाये रखने के लिए
आप नियमित कमेंट दे रहे हैं, हर पोस्ट पर, कोई भी आभार और धन्यवाद कम होगा
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