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Incest मुझे प्यार करो,,,

rohnny4545

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शर्म से आंखें झुकी हुई होने के बावजूद भी, सुगंधा को अपने बेटे से गेहूं पिसवाने के लिए बोलना पड़ा,,, क्योंकि इसके बिना चलना भी नहीं थापर वैसे भी सुगंध अच्छी तरह से जानती थी कि जब वह खुद इस तरह के हालात से शर्मा जाएगी तो फिर आगे कैसे बढ़ेगी इसलिए अपने आप को सहज करके वह अंकित से गेहूंले जाने के लिए बोली थी और अंकित भी गेहूं ले जाने के लिए तैयार हो गया था,,,,सुगंधा दूसरे कामों में लग गई थी और अंकित गेहूं की बोरी लेकर अपने कंधे पर उठाकर वह घर से निकल गया था,,,।






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गेहूं पीसने की घंटी कुछ ज्यादा दूरी पर नहीं थी,,, 5 मिनट पैदल चलने के बाद ही घंटी आ जाती थी,,, अंकित अपने ही ख्यालों में पैदल चलता हुआ घंटी की ओर आगे बढ़ता चला जा रहा थाजो कुछ भी उसके साथ घर में हो रहा था वह उसके लिए बेहद अनमोल पल था जो वह कभी भी भूल नहीं सकता था घर में इतना आनंद आता है आज उसे पहली बार एहसास हो रहा था वैसे तोथोड़ा बहुत पहले से ही वह घर में आनंद लेता आ रहा था लेकिन अब आनंद की सीमा बढ़ती जा रही थी,,, धीरे-धीरे भाई इस खेल में माहिर होता चला जा रहा था,,,,वह अपनी हरकत के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था जब वह अपनी मां को साबुन लगा रहा था वह कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी मां के साथ इस तरह की हरकत कर बैठेगा और वह भी उसकी मां की जानकारी में,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी हरकतका एहसास उसकी मां को जरूर हो रहा था और उसे मजा भी आ रहा थालेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी इसका मतलब साथ था कि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थीऔर अंकित भी इस खेलने आगे बढ़ना चाहता था लेकिन वह नहीं समझ पा रहा था कि क्यों वह पहल नहीं कर पा रहा है,,,,।






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जबकि सुमन की मां के साथ वह एकदम से खुलकर खुद आगे कदम बढ़ाकर उसकी अपने ही घर में चुदाई कर दिया था,,, इस बारे में सोचकर अंकित खुद हैरान हो रहा था कि वह सुमन की मां के साथ इतनी जल्दी कैसे खुल गया और अपनी खुद की मां जो खुदकिसी न किसी बहाने अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी उसे ललचा रही थी और वह उसके साथ आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहा था,,, और जो कि आज तो पूरी तरह से हद हो चुकी थी साबुन लगाने के बहाने वह अपनी मां की बुर में उंगली अंदर बाहर करने लगाजिसका एहसास उसकी मां को भी अच्छी तरह से हो रहा था यह सब जानते हुए भी सूरज अपनी उंगली की जगह अपने लंड का उपयोग नहीं कर पाया यह उसकी नादानी थी या वह इस खेल में पूरी तरह से ऐसा सफल हो गया था या फिर आगे बढ़ने से उसे मां बेटे के बीच का पवित्र रिश्ता रोक रहा था काफी सोच विचार करने के बाद उसे ऐसा ही लग रहा था कि शायदवह सुमन की मां के साथ जैसा किया था वह अपनी मां के साथ इसलिए नहीं कर पाया क्योंकि उसके साथ उसकी मां बेटी का रिश्ता था और इसीलिए वह अपने आप को आगे बढ़ाने नहीं दे पाया यही शर्म और झिझक और संस्कार उसे रोक रहे थे अब संस्कार तो कुछ रह ही नहीं गया था क्योंकि उन दोनों के बीच काफी कुछ हो चुका था,,,।







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लेकिन इतना तोवह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत का मजा उसकी मां पूरी तरह से ले रही थी ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की बुर में उंगली कर रहा था साबुन लगाने के बहाने और उसकी मां को इसकी भनक तक नहीं थीवह अच्छी तरह से जानता था कि औरत का सबसे संवेदनशील अंग उसकी बुर होती है गहरी नींद में भी अगर उसे हल्के सेहाथ रख दो तो औरत की नींद खुल जाती है और ऐसे में उसकी उंगली उस बुर के अंदर बाहर हो रही थी तो उसकी मां को भला पता कैसे नहीं चला होगा,,, अंकित समझ गया था कि उसकी मां को मजा आ रहा था,,, अपनी मां के बारे में इस तरह से सोचने पर उसे राहुल की बात याद आ गईजिसने उसे बताया था कि औरत काफी समय से अगर मर्द की बगैर रह रही हो या पति के बगैर रह रही हो तो ऐसे में वह मजबूर हो जाती है सारी संबंध बनाने के लिए उसमें चुदस की लहर कुछ ज्यादा ही उठती है,,,,राहुल की बात सोच कर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव में सेहराने लगे और तुरंत राहुल और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में सोने में अच्छी तरह से जानता थाकी रात में भी सारी संबंध थे और वह अपनी आंख से देख कर चुका था लेकिन इस संबंध के पीछे का राज यह था कि राहुल के पिताजी का शरीर और उम्र दोनों साथ नहीं दे रहा था और ऐसे में राहुल की मां पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थीऔर उन्हें मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी ऐसे में राहुल उनका सबसे बड़ा सहारा बना और उसके साथ चुदवा कर मां बेटे दोनों रोज तृप्ति का एहसास ले रहे थे,,,।






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कंधे पर गेहूं की बोरी लिए हुए वह घंटी की तरफ आगे बढ़ रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि वह भी अपनी मां का सहारा बनेगा बरसों से जो उन्हें खुशी और शरीर सुख नहीं मिला है अब वह उन्हें देगा लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था आगे से पहल करने में उसे डर लगता था जबकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी इसके लिए तैयार है लेकिन फिर भी न जाने कौन सी झिझक उसे रोक रही थी,,,, यही सब सोचता हुआ वह थोड़ी ही देर में घंटी पर पहुंच चुका था घंटी पर कोई नहीं था केवल घंटी का मालिक ही था जिसे अंकित अच्छी तरह से जानता था और उन्हें अंकल कहता था उनका नाम पुरन था,,, और अंकित उन्हें पूरन अंकल कहता था,,,, गेहूं की बोरी लेकर जैसे ही वह दुकान पर पहुंचा घंटी का मालिक पूरनतुरंत ही उसके पास आया और अपने हाथों से उसके कंधे पर रखी हुई पूरी उठाकर तराजू पर रखकर उसका वजन देखने लगा,,,, और जब वह गेहूं तौल रहा था तब अंकित इधर घर देखते हुए बोला।

क्या बात है पुरन अंकल आज कोई नजर नहीं आ रहा है,,,।(कंधे पर बोरी का वजन रखने की वजह से वह थोड़ा थक गया था इसलिए गहरी सांस लेते हुए बोल रहा था उसकी बात सुनकर गेहूं का वजन ले रहे उस घंटी के मालिक ने बोला)




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अरे अंकित बेटा आज सुबह में ही सबका गेहूं पीस दिया हूं बस कुछ लोग ही रह गए हैं,,,, देख रहे हो गेहूं की बोरी और डिब्बा भी कितना कम है,,, आज जल्दी काम खत्म हो जाएगा,,,,(इतना कहते हुए वहतराजू पर से गेहूं की बोरी को उतार कर एक तरफ रख दिया और उसकी चिट्ठी बनाने लगा,,,और चिट्ठी बनाते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अरे अंकित तुम्हें कहीं जाना तो नहीं है ना,,,,।

नहीं पुरन अंकल मुझे कहीं नहीं जाना है,,, क्यों कोई काम था क्या,,,,!?

काम तो था मेरी तबीयत थोड़ा सा नादुरस्त नजर आ रही है,,,, मैं सोच रहा था कि 20-25 मिनट आराम कर लो तब तक तुम गेहूं पीस लो,,,।

लेकिन मुझे तो गेहूं पीसना आता नहीं है,,,।

अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है आओ मैं तुम्हें बताता हूं,,,(इतना कहकर वह अंकित को घंटी के करीब ले गया,,, और घंटी के ऊपर वाले हिस्से को दिखाते हुए जिसमें गेहूं भरा जाता था वह बोला,,,)

देख रहे हो गेहूं अपने आप घंटी के अंदर जा रहा है बस तुम्हें इतना करना है कि थोड़ा ऊंगली से चला देना है ताकि गेहूं आराम से अंदर जा सके और कुछ करना नहीं है,,,,

ओहहहह यह तो बहुत आसान है अंकल जी,,,।

तो क्या तुम्हें लग रहा था कि जैसे पहाड़ चढ़ना है कुछ खास नहीं है और यह देखो गेहूं खत्म हो गया है,,, रुको मैं तुम्हें बता देता हूं,,,(इतना कहकर वह गेहूं की उस बोरी को वहां से हटा दिया और अंकित से बोला,,,)

तुम अपनी गेहूं की बोरी उठा कर लाए मैं बताता हूं कैसे क्या करना है,,,,(इतना सुनकर अंकित तुरंत अपनी गेहूं की बोरी लेकर आया और बोला)

अब क्या करना है अंकल,,,,

बस अभी से उठाकर इसमें डाल दो,,,,(अंकित वैसा ही किया) अब देखो गेहूं आराम से नीचे गिरता चला जाएगा और पिसता चला जाएगा,,,(इतना कहकर वहां गेहूं की बोरी को जहां से आटा निकलता था वहां लगा दिया,,,, ताकि आटा उसमें इकट्ठा हो सके,,) देख लिया ना कैसे क्या करना है,,,

जी अंकल,,,,।





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बस ख्याल रहे इसके अंदर देखते रहना कहीं गेहूं रुक ना जाए बस उसे उंगली से चला देना बाकी सारा काम अपने आप हो जाएगा,,,,।

ठीक है अंकल जी अब आप जाइए आराम करिए,,,।

लेकिन ध्यान से बेटा इतने में तो आधा घंटा निकल जाएगा तब तक मैं आ जाऊंगा,,,, अब मैं जाता हूं,,,,(उसका इतना कहना था कि तभी सामने से सुषमा भी गेहूं की बोरी लेकर वहां पहुंच गई उस पर नजर पड़ते ही अंकित का चेहरा खिल उठा और यही हाल सुषमा का भी हो रहा था,,,,वह भी अंकित को देख रही थी और उसे दिन की याद एकदम से ताजी हो गई थी उसके लगाए गए हर एक धक्के उसे अच्छी तरह से याद थे,, और इसीलिए उसकी बुर में सिरहन सी दौड़ने लगी,,, लेकिन इस बीच सुषमा को देखकर घंटी का मालिक थोड़ा सा नाराजगी दिखाते हुए बोला,,)

लो इनको भी अभी आना था,,,,। आई भाभी जी बहुत देर कर दी हो आप,,, कोई जल्दबाजी तो नहीं है,,,।

अरे यह क्या कह रहे हो भाई साहब जल्दबाजी न होता तो मैं यहां क्यों आती आराम से नहीं भेज देती वह क्या है कि सुमन घर पर है नहीं इसलिए मुझे आना पड़ा और अगर गेहूं नहीं पिसा जाएगा तो रोटी नहीं बन पाएगा,,,

चलो कोई बात नहीं,,,,

क्या कहीं जा रहे हो क्या भाई साहब,,,


कहीं जा नहीं रहा था लेकिन आराम करने जा रहा था क्योंकि आज तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी।

तो मेरा गेहूं,,,!

अरे चिंता मत करिए भाभी जी अंकित है ना यह पीस देगा,,,,





क्या ये,,,,(आश्चर्य से अंकित की तरफ देखते हुए)

क्यों आंटी जी तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है क्या,,,?(अंकित मुस्कुराते हुए बोला,,)

विश्वास तो मुझे उसे दिन भी नहीं हो रहा था,,,

किस दिन भाभी जी,,,

अरे कुछ नहीं ,,,, क्या यह सच में गेहूं पीस देगा,,,।

अरे बिल्कुल भाभी जी चिंता मत करिए मैं सबकुछ सिखा दिया हूं,,, अंकित भाभी जी का गेहूं वजन कर दे तो,,,।

ठीक है अंकल,,(और इतना कहकर अंकित तुरंत सुषमा आंटी के करीब है और मुस्कुराता हुआ उनकी गेहूं की बोरी को उठाकर तराजू पर रख दिया और खुद ही दौड़ने लगा थोड़ी ही देर मेंवह गेहूं का वजन ले चुका था और चिट्ठी अपने हाथ से बना रहा था यह देखकर सुषमा मुस्कुराते हुए बोली)


अरे वाह रे अंकित तु तो बहुत चालाक हो गया है,,,.

सच में भाभी जी यह बहुत होशियार लड़का है,,, एक ही बार बताने पर सब कुछ सीख गया,,,।

अरे यह बहुत शैतान भी है,,,,।

तो ठीक है भाभी जी आप जाएंगी की रुकेगी,,,।

रुकना तो पड़ेगा ही,,,,तुम जाओ आराम करो मैं यही रुकती हूं इसके बाद मेरा ही नंबर है ना,,,।


हां भाभी जी आपका ही नंबर है,,,, और हां,,,(इतना कहकर वहां दरवाजे पर गया और लकड़ी के दरवाजे को बंद कर दिया और बोला) यह ठीक रहेगा कोई अगर आएगा अभी तो वह दुकान बंद समझ कर चला जाएगा क्योंकि थोड़ी भी गड़बड़ हो गई तो नुकसान हो जाएगा,,,.

में
यह तुमने बहुत ठीक किया भाई साहब,,,(अंदर ही अंदर एकदम प्रसन्न होते हुए) दूसरा कोई गेहूं लेकर आएगा तो दिक्कत हो जाएगी,,,, अंकित इतना भी होशियार नहीं हो गया है कि एक साथ इतने लोग को संभाल लेगा,,,।

सही कह रही हो भाभी जी अब आप बैठिए मैं आराम करने जा रहा हूं,,,(और इतना कहकर वह आराम करने के लिए दूसरे कमरे में चला गया,,, अंकित भी मन ही मन खुश हो रहा था,,, वैसे तो सुषमा सिर्फ गेहूं की बोरी देने के लिए आई थी लेकिन अंकित को यहां देखकर उसका यहां रुकने का मन हो गया था। घंटी के मालिक के जाते ही सुषमा मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ अच्छी और बोली,,,)

क्या रे क्या करने आया है यहां पर,,,।

वही जो तुम यहां करवाने आई,,हो,,,,।

करवाने आई हूं,,,,, तुझे क्या लगता है कि मैं यहां करवाने के लिए आती हुं,,,,

अब क्या पता देख कर तो मुझको ऐसा ही लगता है,,,, क्योंकि उस दिन भी तो घर पर सिर्फ चीनी लेने आई थी लेकिन करवा कर गई,,,,।

क्यों उस दिन तुझे मजा नहीं आया क्या,,,,?(सुषमा एकदम मस्त होते हुए दोनों हाथ को आगे बढ़करअंकित के कंधे पर रखते हुए बोली और वह इस तरह से अपनी भारी भरकम चुचियों का प्रदर्शन भी उसके सामने कर रही थी,,,,और उसका यह प्रदर्शन रंग ला रहा था क्योंकि उसकी यह अदा अंकित को मदहोश कर रही थी,,,, क्योंकि रास्ते भर वह अपनी मां के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था उत्तेजित हो रहा था और इस समय उसकी आंखों के सामने सुमन की मां थी जिसकी चुदाई वह कर चुका था और उसे लगने लगा था कि आज हाथ से हिलाकर गर्मी शांत नहीं करना पड़ेगा बल्कि आज बुर के अंदर डालकर ही गर्मी शांत हो जाएगी। सुषमा की बात सुनकर वह भी मुस्कुराते हुए बोला,,,)

मजा तो इतना आया था कि आंटी पूछो मत,,,,,। और तुम्हें,,,।








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उसे दिन पता नहीं चला सब कुछ जल्दबाजी में हुआ था ना इसलिए,,,,(अंकित के कंधे पर से अपने दोनों हाथ हटाते हुए वह बोली)

लेकिन तुम्हारी आवाज सुनकर तो लग नहीं रहा था कि तुम्हें मजा नहीं आ रहा था,,,,, तुम भी बहुत मजा ली थी,,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुषमा मुस्कुराने लगीपर वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी जिसे बंद करके घंटी का मालिक कमरे के अंदर आराम करने के लिए गया था और इन दोनों को एक बहुत अच्छा मौका देकर गया था,,,,)

तुझे क्या लगता है,,,,,?


अब मुझे क्या लगता है मैं कैसे बता सकता हूं मुझे तो बहुत मजा आया था और मेरी पूरी कोशिश की कि तुम्हें भी बहुत मजा दूं क्या सच में मैं तुम्हें मजा नहीं दे पाया,,,,,,।

उस दिन अधूरा ही रह गया मुझे लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही एकदम से वह अंकित के पेट के आगे वाले भाग पर अपनी हथेली रखकर दबा दीऔर महसूस करने लगी कि वाकई में इस समय भी अंकित का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और उसकी हथेली में गर्माहट प्रदान कर रहा था,,,,सुषमा की हरकत को देखकर अंकित भी मदहोश होने लगा उसे भी लगने लगा कि आज घंटी के अंदर ही कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है वह अंदर ही अंदर खुश होने लगा और उत्तेजित होने लगा और वैसे भी वह सुमन की मां के साथ कुछ ज्यादा ही खुल चुका था और एक बार मजा भी ले चुका था इसलिए उसे यह कहते हुए बिल्कुल भी झिझक नहीं हुआ और वह बोला,,,)





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तो क्यों ना उस दिन का अधूरा काम आज पूरा कर लेते हैं,,,, मौका भी है दस्तूर भी है और ऐसा लग रहा है की घंटी का मालिकआज हम दोनों के लिए बीमार हुआ है और हम दोनों को एक अच्छा मौका देकर आराम करने के लिए चला गया है,,,,।


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,(अंकित के पेंट के आगे वाले भाग को अपनी मुट्ठी में एकदम कसके दबोचते,, हुए,,,, और उसकी हरकत पर अंकित बोला,,,)

आराम से आंटी मुझे तो लग रहा है कि तोड़ डालोगी,,,।

मेरा बस चले तो सच में इसे तोड़ डालुं,,

अगर तोड़ डालोगी तो अपनी बुर में क्या लोगी,,,।

(अंकित के मुंह से बुर शब्द सुनकर वह एकदम से मदहोश होते हुए बोली)

कितना हारामी है तू और घंटी वाला तुझे सीधा लड़का समझ रहा है,,,।

तुम भी कितनी छिनार हो और घंटी वाला तुम्हें भाभी-भाभी कहकर इज्जत दे रहा है,,,।

इज्जत तो दे रहा है ना तेरी तरह ले तो नहीं रहा है,,,।

अगर इज्जत लेने पर आ जाऊंगा तो यही पटक कर चोद डालूंगा,,,,।

बहुत घमंड है ना तुझे अपने लंड पर ,,,, मैं भी देखती हूं कि आज कितनी देर तक दिखता है आज बीना चोदे ही तेरा पानी निकाल देती हुं (और इतना कहने के साथ ही तुरंत बैठ गई औरमौके की नजाकत को समझते हुए जल्दी-जल्दी अंकित के पेट की बटन खोलने लगी और देखते ही देखते वह पेंट को और अंडरवियर को दोनों को एक साथ खींचकर उसके घुटनों तक नीचे कर दी और उसके लहराते हुए लंड को अपने हाथ में भी नहीं ली,, सीधा उसे अपने लाल लाल होठों के बीच लेकर चूसना शुरू कर दी,,, सुषमा की इस हरकत पर अंकित पूरी तरह से मदहोश होने लगा और अपनी आंखों को बंद करके इस पल का मजा लूटने लगा,,,,अंकित को बहुत मजा आ रहा था अंकित पागल हुआ जा रहा था और सुषमा इतने मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने मुंह में लेकर गदगद हुए जा रही थी इस उम्र में भी उसे एक जवान मोटे तगड़े लंड का सहारा जो मिल चुका था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,,,वह गप्प गप्प करके अंकित के लंड को अपने गले तक ले रही थी और बाहर निकाल रही थी,,,,अंकित भी मजा लेते हुए अपने कमर पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके अपने लंड को सुषमा के लाल-लाल होठों के बीच अंतर बाहर करते हुए उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,, और ऐसा करते हुए अपने मन में सोचने लगा कि वह सुषमा आंटी के साथ यह सब बड़े आराम से कर लेता है तो अपनी मां के साथ ऐसा करने में वह क्यों झिझक रहा है,,,जबकि उसे यकीन हो चला था कि उसकी इस तरह की हरकत का उसकी मां बिल्कुल भी विरोध नहीं करेगी बल्कि उसकी हरकत का पूरी तरह से मजा लुटेगी।






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सुषमा घुटनों के बल बैठकर अंकित के लंड को गले तक लेकर चूस रही थी,,,, उसे बहुत मजा आ रहा था,,, सुषमा बराबरअंकित के लंड की चुसाई कर रही थी क्योंकि वह देखना चाहती थी कि उसका लंड कितनी देर तक टिक सकता है,,, वह पागलों की तरह चूस रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि ऐसा चुसाई करने पर उसका लंड पानी फेंक देगा तो उसके बाद चुदवाने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा, लेकिन उसके सोचने के मुताबिक बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,,,सुषमा को ऐसा लग रहा था कि उसका लंड अपनी फेंकेगा लेकिन वह तो मुझे लेकर अपनी कमर हिला रहा था यह देखकर वह भी अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,,, तकरीबन 10 मिनट की चुसाई के बाद वह अंकित के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली वह गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,यह देखकर अंकित प्रसन्न होने लगा और वह अपने लंड को पड़कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जो कि उसके थूक और लार से सना हुआ था,,,। वह जिस तरह से ऊपर नीचे करके हिला रहा थासुषमा यह देखकर मदहोश हो रही थी उसकी बुर पानी फेंक रही थी,,, वह तुरंत ही उठकर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी कमर तक उठाकरअपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अपनी चड्डी उतारने में उसे एक पल की भी देरी नहीं लगी,,,,सुषमा की हालत और उसकी हरकत देखकर अंकित की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी और वह सुषमा की नंगी गांड पर अपना हाथ घुमा रहा था यह देखकर सुषमा बोली,,,।)






अब तेरी बारी है,,,,( और इतना कहकर सुषमा पास में हीं पड़े टेबल पर गांड टीका कर बैठकर अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,,यह देखकर अंकित के मुंह में पानी आ गया और वह अच्छी तरह से समझ गया कि सुषमा क्या करवाना चाहती है और वह भी सूचना की तरह ही घुटने के बल बैठकर उसकी दोनों जांघों पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे उत्तेजना में मसलते हुए अपने प्यासे होंठों को उसके गुलाबी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दीया,,,,सुषमा एकदम से मत हो गई और अपनी आंखों को बंद करके अपना एक हाथ अंकित के सर पर रख दी और उसे अपनी बुर पर दबाने लगी,,, अंकित पागलों की तरह सुषमा की बुर को चाट रहा था उसे बहुत मजा आ रहा थाऔर कभी सोचा भी नहीं था की घंटी पर उसे इस तरह से मजा लूटने का मौका मिल जाएगा और ना ही सुषमा ने यह कभी सपने में भी सोची थी,,,। अंकित वैसे तो उसे बुर चाटने का कुछ ज्यादा अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी सुमन राहुल की मां नूपुर और सुमन की मां सुषमा के साथ और सबसे ज्यादा अपनी नानी से या हुनर सीख चुका थाजिसे उसे इतना तो पता चल ही गया था कि औरत को किस क्रिया में ज्यादा आनंद प्राप्त होता है और वह इस समय वही क्रिया कर रहा था,,,





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सुषमा अपने गरमा गरम सिसकारी की आवाज को दबा नहीं पा रही थी,,,बड़ी मुश्किल से वह अपने आप पर काबू कर पा रही थी लेकिन फिर भी उसके मुंह से मदहोश कर देने वाली आवाज बाहर निकल ही जा रही थी क्योंकि अंकित मजा ही कुछ ऐसा दे रहा थाअब सुषमा की बुर में आग लग चुकी थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,वह जल्द से जल्द अंकित के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी बुर की खुजली मिटा लेना चाहती थी। इसलिए उसके कंधे पर हथेली से थपथपी लगाकर उसे उठने के लिए बोली,,,, अंकित इतना तो समझ गया था कि अब सुषमा को क्या चाहिए,,,, इसलिए वह भी जल्दी से उठकर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ में लेकर पिलाना शुरू कर दिया यह देखकर सुषमा की हालत खराब होने लगी उसकी बुर से पानी निकालने लगा,,,, और वह जल्दी से बोली,,,)


देर मत कर किसी भी वक्त घंटी का मालिक आ जाएगा तो बना काम बिगड़ जाएगा।


मैं भी यही करने वाला था आंटी,,,(और इतना कहने के साथ ही टेबल पर वह पहले से भी अपनी दोनों टांगें खोल कर रखी हुई थी उसकी गुलाबी छेद बड़े आराम से दिख रही थी और अंकित अपने टनटनाए लंडउसके छेद पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा और एक साथ पूरा का पुरा लंड सुषमा की बुर में समा गया चश्मा पूरी तरह से मस्त हो गई और जिस तरह से अंकित ने प्रहार किया था उसके मुंह से सीख निकलने वाली थी लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,, अंकित अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था अंकित को भी बहुत मजा आ रहा है उस दिन जल्दबाजी में वह सुमन की मां की जिस तरह की चुदाई किया था उसे पूरी तरह से मजा तो नहीं मिल पाया था लेकिन आनंद बहुत आया था,,, उस दिन की कसर आज अंकित निकाल लेना चाहता था,,, वह बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था जिससे सुषमा बार-बार टेबल पर सेलुढ़क जा रही थी लेकिन अंकित उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे संभाले हुए था,,,,, जोर-जोर से धक्के लगाते हुए वह बोला,,,।

आज कैसा लग रहा है आंटी,,?





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आहहहह आहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है कि उस दिन की कसर तू आज पूरी कर देगा,,,।

बिल्कुल आंटी उस दिन तुम्हें लगता है अच्छी तरह से एहसास नहीं हुआ आज तुम्हें अच्छी तरह से एहसास कराऊंगा,,,,, अब संभालो अपने आप को,,,( इतना कहने के साथ ही अंकित का प्रहार और तेजी से होने लगा अंकित पागलों की तरह सुषमा की चुदाई कर रहा था हमसे बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर तक टेबल पर ही सुमन की मां की चुदाई करता रहा और अपने मन में सोच रहा था कि यह वक्त भी क्या खेल खेलता है मौका तो सुमन को चोदने को था लेकिन सुमन नहीं चुदी लेकिन उसकी मां अनजाने में ही चुद गई,,,, लेकिन अंकित को तो मजा आ रहा था अंकित को कुछ सीखने को मिल रहा था ,,,, मसला अब यह नहीं था कि कौन चुद रहा है,,,,अंकित को इन सब से कुछ सीखने को मिल रहा था यदि उसके लिए बहुत था जो कि आगे चलकर उसकी मां के साथ उसका अनुभव काम आने वाला था,,,, थोड़ी देर इसी तरह से चुदाई करने के बाद सुषमा खुद टेबल पर से उठकर खड़ी हो गई हो घोड़ी बन गई पीछे से अंकित उसकी गुलाबी बुर में लंड डालकर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और तकरीबन 15 मिनट की चुदाई के बाद वह पानी पानी हो गई और एकदम से झड़ गई और थोड़ी देर बाद अंकित भी झड़ गया,,,,


अपने कपड़े दुरुस्त करने के बाद वह घंटी की तरफ देखा तो उसका गेहूं खत्म हो चुका था वह जल्दी से दौड़ता हुआ गया और अपने गेहूं की बोरी हटाकर सुषमा की बोरी का गेहूं घंटी में पलट दिया ,,, तब तक सुषमा भी मुस्कुराते हुए अपने कपड़े को व्यवस्थित कर ली,,,, थोड़ी देर बैठने के बाद सुषमा का भी गेहूं पिसा गया था,,,, और थोड़ी ही देर में घंटी का मालिक भी नीचे आ गया था,,,, और दोनों आटा लेकर अपनी-अपने घर की तरफ आने के लिए घंटी से निकल गए,,,।

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Last edited:

Ajju Landwalia

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घर के पीछे जो कुछ भी हुआ था वह बेहद अद्भुत था,,, जिसकी शायद ही मां बेटे ने कल्पना की थीकपड़े धोने के बाद नहाने के दौरान साबुन लगाते हुए जिस तरह से अंकित ने अपनी मां की पेटीकोट में दोनों हाथ डालकर उसकी गुलाबी फूलों के गुलाबी छेद में उंगली डालकर अंदर बाहर करते हुए उसका पानी निकला था यह बेहद काबिले तारीफ था,,, इसके बारे में सुगंधा कभी सोची भी नहीं थी,,, उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इतनी हिम्मत दिखाएगा और अपनी उंगलियों से उसका पानी निकाल देगा,,, अपने बेटे के द्वारा दिखाई गई यह हिम्मत सुगंधा को गर्व से गदगद किए जा रहा था। लेकिन जो कुछ भी हुआ था यह सुगंधा के सूझबूझ का ही नतीजा थावह जानती थी कि धीरे-धीरे अब उसे ही अपने बेटे के सामने खुलना होगा और अपने बेटे को उसके सामने खोलना होगा जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब होती हुई नजर आ रही थी,,,, एक दूसरे के बदन पर साबुन लगाने की युक्ति उसी की ही थी,,।जिसमें वह पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी वह जानती थी की साबुन लगाने के बहाने उसका बेटा उसके अंगों पर जरूर हाथ फेरेगा,,, लेकिन यह नहीं जानती थी कि हाथ फेरने से भी ज्यादा बढ़कर वह उसकी बुर में उंगली करना शुरू कर देगा,,, इसलिए तो अपने बेटे की हरकत से काफी उत्साहित थी।




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टावल लपेटकर वह जिस तरह से अपने कमरे की तरफ गई थी उसे नहीं मालूम था कि उसकी गांड पूरी तरह से नग्न होकर उसके बेटे को फिर से दिखाई दे रही है,,, वह तो पूरी तरह से असहज थी वासना का तूफान गुजर जाने के बाद,,, वह अपने बेटे सेआंख मिलाने में भी शर्म महसूस कर रही थी इसलिए जल्द से जल्द अपने बेटे की नजर से वह ओझल हो जाना चाहती थी और इसी अफरा तफरी मेंवह ठीक तरह से टॉवल अपने बदन पर नहीं लपेट पाई और अपने बेटे को अपनी नंगी गांड दिखाते हुए अपने कमरे में चली गई और यह नजारा देखकर अंकित के बदन में फिर से सुरसुराहट होने लगी,,,, वह अपनी मां कोतब तक देखता रहा जब तक की उसकी मां अपने कमरे में चली नहीं गई आज एक अद्भुत सुख का अनुभव उसने किया था,,, जिसका एहसास जिसकी अनुभूति उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी उत्तेजना और मदहोशी में उसका चेहरा लाल हो चुका था,,,,उसे इस बात की खुशी थी कि जो कुछ भी उसने किया था उसको लेकर उसकी मां के मन में कोई ऐसी बात नहीं थी अंकित को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी हरकत से उसकी मां को आनंद ही आया था इसलिए वह भी खुश नजर आ रहा था।





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जाते-जाते सुगंधा अपने बेटे को उसके बदन का कपड़ा जो कि मात्र केवल उसका अंडरवियर ही था उसे वहीं छोड़कर आने के लिए बोली थी,,, अंकित की उंगलियों में अभी भी उसकी मां की बुर की गर्मी का एहसास बराबर हो रहा था वह कैसे इतनी हिम्मत कर गया यह सोचकर वह खुद हैरान था अपनी मां की गुलाबी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसमें उंगली अंदर बाहर करने का जो मजा उसे प्राप्त हुआ था उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था,,, और ऐसा करते हुए जिस तरह से उसने अपने अंडर बियर को नीचे करके अपने टनटनाए लंड को निकाल कर जिस तरह से हिला रहा था और उसके बाद पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर ही उसे रगड़ रहा था वह बेहद अद्भुत प्रयास था जिसमें वह पूरी तरह से सफल हो चुका था,,,वह इस बात से हैरान था कि उसकी मां को उसके लंड की रगड़ का एहसास तो अच्छी तरह से हुआ होगा लेकिन वह उसे बिल्कुल भी रोकने की कोशिश नहीं कीउसे एक बार भी मन नहीं कर पाया पूछने की जेहमत नहीं की की है क्या चीज है जो उसकी पीठ पर रगड खा रही है चुभ रही है,,, उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसकी मां को जरूर इसका एहसास हुआ होगा कि उसकी पीठ पर रगड़ने वाली मोटी तगड़ी चीज उसके बेटे का कौन सा अंग है।इस बात को सोचकर अंकित के मन में इस बात की प्रबलता और ज्यादा बढ़ती चली जा रही थी कि जैसा वह चाहता है उसकी मां भी वैसा ही चाहती है,,,




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इस बात का अहसास होते ही सिर्फ अपने बदन परफिर से पानी डालने लगा और कुछ ही देर में नहा कर वहां अपनी मां के कहे अनुसार अपनी चड्डी वहीं छोड़कर टॉवल अपनी कमर पर लपेट लिया,,,, एक बार झड़ जाने के बावजूद भीअपनी मां की नंगी गांड के दर्शन करके फिर से उसका लंड अपनी औकात में आ चुका था और इसीलिए टावल में तंबू बनाया हुआ था और वह उसी अवस्था में चलता हुआ अपने कमरे में चला गया,,, और कमरे में जाते ही एकदम नंगा हो गया,,,,वह आज बहुत खुश था क्योंकि आजसाबुन लगाने के बहाने उसने अपनी मां की बुर में उंगली डालने का सौभाग्य जो प्राप्त किया था और अपनी उंगली अंदर बाहर करते हुए उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति भी कराया था और खुद झड़ गया था,,,खुद के झड़ जाने पर उसे अच्छी तरह से इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी मां की चिकनी नंगी पीठ उसकी गुलाबी बुर से कम नहीं थी,,,अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ की रगड़ पाकर भी वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था। यही सब सोचता हुआ वह नग्न अवस्था में ही अपने बिस्तर पर बैठ गया और अपनी दोनों टांगों के बीच खड़े हथियार को देखने लगा,,, आज इस तरह की उसके ही हथियार ने मैदान-ए-जंग में बहादुर दिखाया था उसे देखकर वह अपने हथियार से बेहद खुश था। वह उसे हल्के हल्के सहला रहा था उसे दुलार रहा था,,, और उसे अपनी मुट्ठी में भरते हुए अपने आप से ही बोला,,,।





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हाए मेरे राजा,,,, कब घुसेगा मेरी मां की गुलाबी बुर में बताना,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, मैं अच्छी तरह से जानता हूं की मां की गुलाबी बुर देखकर तेरी क्या हालत होती हैतुरंत तो खड़ा हो जाता है उसमें घुसने के लिए उस पर स्पर्श होने के लिए उसे छुने के लिए,,,, तेरी अकड़ देखकर मेंसमझ गया हूं कि तू मेरी मां की बुर में घुसने के लिए कितना देता है मैं जानता हूं कि जिस दिन पर तुझे मौका मिलेगा मां की बुर में घुसने के लिए तो तबाही मचा देगा मम्मी की हालत खराब कर देगा लेकिन यह मौका कब तो प्राप्त करेगा मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन आज तूने जो बहादुरी दिखाया है उससे मैं बहुत खुश हूं आधा काम तो तूने कर दिया है लेकिन थोड़ी ओर हिम्मत दिखा आगे बढ़ और घुस जा मेरी मां की बुर मेंमैं अच्छी तरह से जानता हूं कि एक बार तो हिम्मत करके उसमें घुस गया तो फिर मम्मी कभी भी तुझे बाहर निकलने नहीं देगी और तुझे इतना मजा देगी और खुद इतना मजा लेगी कि पूछो मत तू भी मस्त हो जाएगा और मम्मी भी मस्त हो जाएगी,,,(अंकित अपने लंड को हल्के हल्के सहलाते हुए अपने आप से ही वह इस तरह की बातें कर रहा था,,,,और धीरे-धीरे उसका लंड पूरी तरह से फिर से अकड़ में आ चुका था और वह अपने आप से इस तरह की बातें करके पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,कुछ देर पहले जिस तरह से उसके और उसकी मां के बीच हालात पैदा हुए थे और जिससे वह दोनों झडे थे और इस समय अपने ही कमरे मेंअपनी मां के बारे में गंदी बातें सोचकर वह पूरी तरह से ग्नावस्था में पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और मजबूर हो चुका था अपने हाथ से ही अपने लंड को हिलाने के लिए,,,, और अपनी आंखों को बंद करके अपनी मुट्ठी को अपने लंड के इर्द-गिर्द कस केवह पूरी तरह से कल्पना में खोने लगा और घर के पीछे जिस तरह का दृश्य दोनों मां बेटे के बीच दृश्य मान हुआ थाउसे दृश्य में वह अपनी कल्पना के रंग भरने लगा और जिस तरह से वहां अपनी मां की पेटीकोट में अपने दोनों हाथ डालकर उसे साबुन लगाते हुए उसकी बुर को मसल रहा था दबा रहा था उसमें उंगली अंदर बाहर कर रहा था,,, उस दृश्य में वह पूरी तरह से खोने लगा,,,।





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उसे अद्भुत दृश्य में अपनी कल्पना के रंग भरते हुए वहां अपने मन में कल्पना करने लगा कि वह धीरे से अपनी मां की पेटीकोट में से अपने दोनों हाथ को निकाल कर अपने दोनों हाथ को पीछे सेअपनी मां की बेटी कोर्ट को पड़कर धीरे से अपनी मां की पेटीकोट को उसकी कमर के ऊपर तक सरकार दिया और उसकी नंगी गांड के नीचे अपनी दोनों हथेलियों को रखकर उसे हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,, और उसकी इस हरकत पर उसकी मां मदहोश नजरों से उसकी तरफ नजर घुमा कर देखने लगी मानो के जैसे कह रही हो कि जो कुछ भी तु कर रहा है वह एकदम ठीक है,,, और खुद ही अपनी बड़ी-बड़ी गांड को हवा में लहराते हुए घोड़ी बन गई और अपने बेटे की तरफ देखकर मुस्कुराने लगे,,अपनी मां की मुस्कुराहट देखकर अंकित समझ गया कि उसकी मां को क्या चाहिए और फिर वह ढेर सारा थुक अपने लंड के सुपाड़े पर लगा कर अपनी मां के गुलाबी छेद में धीरे-धीरे प्रवेश कराने लगा,,,और देखते ही देखते हैं वह पूरा अपनी मां की बुर में डाल चुका था और अपनी मां की कमर पकड़कर अपनी खुद की कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,, कल्पना में उसका घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ रहा था,,,, और फिर थोड़ी ही देर में उसके लंड से पिचकारी निकली और नीचे जमीन पर गिरने लगी,,,, उसकी आंखें खुल चुकी थीवह थोड़ी देर में सामान्य हुआ और फर्श को साफ करके अपने कपड़े पहनने लगा,,,।





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दूसरी तरफ से सुगंधा भी अपने बदन से टावल उतार कर आईने के सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी,,,, शर्म और उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन लाल टमाटर की तरह हो गया था,,,, वह आईने में अपने नंगे बदन को देख रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी और गर्व महसूस कर रही थी। अपने बेटे की हरकत से वह काफी उत्साहित नजर आ रही थीवह बार-बार अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी पूरी हुई कचोरी को देख रही थी जिसमें कुछ देर पहले उसके बेटे की उंगली पूरी तरह से घमासान मचाए हुए थी,,, वह यह सोच कर और भी ज्यादा मदहोश हुए जा रही थी कि वह अपने बेटे को बुद्धू समझ रही थी,,,, लेकिन आज जिस तरह से उसने हरकत किया था इतना तो तय था कि वह इतना भी बुद्धु नहीं था। औरतों के अंगों के बारे में वह समझने लगा था तभी तो उसने इस तरह की हरकत किया था,,,, इस तरह की बातें सोचकर वह अपने मन में गदगद हुए जा रही थी। फिर वह अपने मन को समझाते हुए बोली,,,आज जो कुछ भी हुआ है वह उसकी ही बेशर्मी का नतीजा है वही पूरी तरह से बेशरम बनाकर उसे अपने बदन का हर एक अंग दिखाती रही अपनी गांड अपनी बुर अपनी चूची सब कुछ दिखाती रही,,,और यही सब देखकर उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गई कि आज वह अपनी ऊंगली उसकी बुर में डालकर उसका पानी निकाल दिया,,,, और उसकी जगह कोई और होता तो वह भी यही करता बार-बार जवान लड़के को एक खूबसूरत औरत अपना नंगा बनी दिखाइए तो आखिरकार कब तक जवान लड़का अपने आप को काबू में कर सकेगा कब तक अपने आप को संभाल पाएगा यह तो एक ना एक दिन होना ही था यह सब अपने मन में सोचते हुए वह आईने में देख कर मुस्कुराते हुए मानो अपने आप से ही बोली।





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यही तो मैं चाहती हूं मैं यही तो चाहती थी कि मेरा बेटा हिम्मत दिखाएं मेरे खूबसूरत अंगों को देखकर वह पागल हो जाए मदहोश हो जाए गुलाम बन जाए,,,, और आज जो कुछ भी हुआ मेरे बेटे की हिम्मत देखकरमैं आज बहुत खुश हूं लेकिन मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा अपनी हिम्मत को थोड़ा और बढ़ाएं उसे पता होना चाहिए की औरत की बुर में उंगली से नहीं लंड से पानी निकाला जाता है। यह सब अपने मन में सोचती हुई वह अपनी हथेली को अपनी दहकती हुई बुर पर रख दी और उसे हल्के से मसलते हुए एक लंबी आह भरने लगी,,, और बिस्तर पर पीठ के बाल पसर गईऔर हल्के हल्के अपनी बुर को सहलाते हुए अपने बेटे के बारे में सोचते हुए वह,, कब नींद की आगोश में चली गई उसे पता ही नहीं चला।




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बाहर बर्तन की आवाज के साथ ही उसकी नींद खुली तो दीवार पर टंगी घड़ी में देखी तो 5:00 बज रहे थे,,, और अपनी स्थिति को देखी तो वह शर्म से पानी पानी हो गई अपनी स्थिति को देख कर वह मुस्कुराने लगी लेकिन पल भर के लिए उसके मन में आया कि आज इसी अवस्था में दरवाजा खोलकर बाहर निकल जाए ताकि उसका बेटा देखे तो सही की उसकी मां कितनी बड़ी बेशर्म हो चुकी है,,, लेकिन फिर अपने मन से यह ख्याल वह निकाल दी और अपने कपड़े पहनने लगी तभी उसे याद आया गेहूं पीसाने के लिए रखा हुआ है,,,वह तुरंत कपड़े पहनकर अपने कमरे से बाहर आई तो देखिए उसका बेटा अपने हाथ पैर धो रहा थावैसे तो जो कुछ भी घर के पीछे हुआ था उसको लेकर वहां अपने बेटे से नजर मिलाने में शर्मा रही थी लेकिन फिर अपने मन में सोची कि अगर वह खुद इतना शर्मा आएगी तो कैसे मंजिल तक पहुंच पाएगी,,, इसलिए वह पूरी तरह से अपने आप को सहेज कर ली और अपने बेटे की आंख से आंख मिलाते हुए बोली।




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अरे अंकित घर में आंटा नहीं है गेहूं पीसाना है,,,(अपने पल्लू को ठीक करते हुए वहां बोली लेकिन इसके बावजूद भी इसकी भारी भरकम छातियां अंकित की नजर में आ चुकी थी और वह मन ही मन मुस्कुराते हुए बोला,,,,,)

कोई बात नहीं मम्मी मैं गेहूं ले जाता हूं पिसवाने के लिए,,,,।

Bahut hi gazab ki update he rohnny4545 Bhai,

Ab dono hi besharam banege to hi maja le payenge

Keep rocking Bro
 

Ajju Landwalia

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शर्म से आंखें झुकी हुई होने के बावजूद भी, सुगंधा को अपने बेटे से गेहूं पिसवाने के लिए बोलना पड़ा,,, क्योंकि इसके बिना चलना भी नहीं थापर वैसे भी सुगंध अच्छी तरह से जानती थी कि जब वह खुद इस तरह के हालात से शर्मा जाएगी तो फिर आगे कैसे बढ़ेगी इसलिए अपने आप को सहज करके वह अंकित से गेहूंले जाने के लिए बोली थी और अंकित भी गेहूं ले जाने के लिए तैयार हो गया था,,,,सुगंधा दूसरे कामों में लग गई थी और अंकित गेहूं की बोरी लेकर अपने कंधे पर उठाकर वह घर से निकल गया था,,,।

गेहूं पीसने की घंटी कुछ ज्यादा दूरी पर नहीं थी,,, 5 मिनट पैदल चलने के बाद ही घंटी आ जाती थी,,, अंकित अपने ही ख्यालों में पैदल चलता हुआ घंटी की ओर आगे बढ़ता चला जा रहा थाजो कुछ भी उसके साथ घर में हो रहा था वह उसके लिए बेहद अनमोल पल था जो वह कभी भी भूल नहीं सकता था घर में इतना आनंद आता है आज उसे पहली बार एहसास हो रहा था वैसे तोथोड़ा बहुत पहले से ही वह घर में आनंद लेता आ रहा था लेकिन अब आनंद की सीमा बढ़ती जा रही थी,,, धीरे-धीरे भाई इस खेल में माहिर होता चला जा रहा था,,,,वह अपनी हरकत के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था जब वह अपनी मां को साबुन लगा रहा था वह कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी मां के साथ इस तरह की हरकत कर बैठेगा और वह भी उसकी मां की जानकारी में,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी हरकतका एहसास उसकी मां को जरूर हो रहा था और उसे मजा भी आ रहा थालेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी इसका मतलब साथ था कि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थीऔर अंकित भी इस खेलने आगे बढ़ना चाहता था लेकिन वह नहीं समझ पा रहा था कि क्यों वह पहल नहीं कर पा रहा है,,,,।

जबकि सुमन की मां के साथ वह एकदम से खुलकर खुद आगे कदम बढ़ाकर उसकी अपने ही घर में चुदाई कर दिया था,,, इस बारे में सोचकर अंकित खुद हैरान हो रहा था कि वह सुमन की मां के साथ इतनी जल्दी कैसे खुल गया और अपनी खुद की मां जो खुदकिसी न किसी बहाने अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी उसे ललचा रही थी और वह उसके साथ आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहा था,,, और जो कि आज तो पूरी तरह से हद हो चुकी थी साबुन लगाने के बहाने वह अपनी मां की बुर में उंगली अंदर बाहर करने लगाजिसका एहसास उसकी मां को भी अच्छी तरह से हो रहा था यह सब जानते हुए भी सूरज अपनी उंगली की जगह अपने लंड का उपयोग नहीं कर पाया यह उसकी नादानी थी या वह इस खेल में पूरी तरह से ऐसा सफल हो गया था या फिर आगे बढ़ने से उसे मां बेटे के बीच का पवित्र रिश्ता रोक रहा था काफी सोच विचार करने के बाद उसे ऐसा ही लग रहा था कि शायदवह सुमन की मां के साथ जैसा किया था वह अपनी मां के साथ इसलिए नहीं कर पाया क्योंकि उसके साथ उसकी मां बेटी का रिश्ता था और इसीलिए वह अपने आप को आगे बढ़ाने नहीं दे पाया यही शर्म और झिझक और संस्कार उसे रोक रहे थे अब संस्कार तो कुछ रह ही नहीं गया था क्योंकि उन दोनों के बीच काफी कुछ हो चुका था,,,।

लेकिन इतना तोवह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत का मजा उसकी मां पूरी तरह से ले रही थी ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की बुर में उंगली कर रहा था साबुन लगाने के बहाने और उसकी मां को इसकी भनक तक नहीं थीवह अच्छी तरह से जानता था कि औरत का सबसे संवेदनशील अंग उसकी बुर होती है गहरी नींद में भी अगर उसे हल्के सेहाथ रख दो तो औरत की नींद खुल जाती है और ऐसे में उसकी उंगली उस बुर के अंदर बाहर हो रही थी तो उसकी मां को भला पता कैसे नहीं चला होगा,,, अंकित समझ गया था कि उसकी मां को मजा आ रहा था,,, अपनी मां के बारे में इस तरह से सोचने पर उसे राहुल की बात याद आ गईजिसने उसे बताया था कि औरत काफी समय से अगर मर्द की बगैर रह रही हो या पति के बगैर रह रही हो तो ऐसे में वह मजबूर हो जाती है सारी संबंध बनाने के लिए उसमें चुदस की लहर कुछ ज्यादा ही उठती है,,,,राहुल की बात सोच कर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव में सेहराने लगे और तुरंत राहुल और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में सोने में अच्छी तरह से जानता थाकी रात में भी सारी संबंध थे और वह अपनी आंख से देख कर चुका था लेकिन इस संबंध के पीछे का राज यह था कि राहुल के पिताजी का शरीर और उम्र दोनों साथ नहीं दे रहा था और ऐसे में राहुल की मां पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थीऔर उन्हें मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी ऐसे में राहुल उनका सबसे बड़ा सहारा बना और उसके साथ चुदवा कर मां बेटे दोनों रोज तृप्ति का एहसास ले रहे थे,,,।

कंधे पर गेहूं की बोरी लिए हुए वह घंटी की तरफ आगे बढ़ रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि वह भी अपनी मां का सहारा बनेगा बरसों से जो उन्हें खुशी और शरीर सुख नहीं मिला है अब वह उन्हें देगा लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था आगे से पहल करने में उसे डर लगता था जबकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी इसके लिए तैयार है लेकिन फिर भी न जाने कौन सी झिझक उसे रोक रही थी,,,, यही सब सोचता हुआ वह थोड़ी ही देर में घंटी पर पहुंच चुका था घंटी पर कोई नहीं था केवल घंटी का मालिक ही था जिसे अंकित अच्छी तरह से जानता था और उन्हें अंकल कहता था उनका नाम पुरन था,,, और अंकित उन्हें पूरन अंकल कहता था,,,, गेहूं की बोरी लेकर जैसे ही वह दुकान पर पहुंचा घंटी का मालिक पूरनतुरंत ही उसके पास आया और अपने हाथों से उसके कंधे पर रखी हुई पूरी उठाकर तराजू पर रखकर उसका वजन देखने लगा,,,, और जब वह गेहूं तौल रहा था तब अंकित इधर घर देखते हुए बोला।

क्या बात है पुरन अंकल आज कोई नजर नहीं आ रहा है,,,।(कंधे पर बोरी का वजन रखने की वजह से वह थोड़ा थक गया था इसलिए गहरी सांस लेते हुए बोल रहा था उसकी बात सुनकर गेहूं का वजन ले रहे उस घंटी के मालिक ने बोला)

अरे अंकित बेटा आज सुबह में ही सबका गेहूं पीस दिया हूं बस कुछ लोग ही रह गए हैं,,,, देख रहे हो गेहूं की बोरी और डिब्बा भी कितना कम है,,, आज जल्दी काम खत्म हो जाएगा,,,,(इतना कहते हुए वहतराजू पर से गेहूं की बोरी को उतार कर एक तरफ रख दिया और उसकी चिट्ठी बनाने लगा,,,और चिट्ठी बनाते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अरे अंकित तुम्हें कहीं जाना तो नहीं है ना,,,,।

नहीं पुरन अंकल मुझे कहीं नहीं जाना है,,, क्यों कोई काम था क्या,,,,!?

काम तो था मेरी तबीयत थोड़ा सा नादुरस्त नजर आ रही है,,,, मैं सोच रहा था कि 20-25 मिनट आराम कर लो तब तक तुम गेहूं पीस लो,,,।

लेकिन मुझे तो गेहूं पीसना आता नहीं है,,,।

अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है आओ मैं तुम्हें बताता हूं,,,(इतना कहकर वह अंकित को घंटी के करीब ले गया,,, और घंटी के ऊपर वाले हिस्से को दिखाते हुए जिसमें गेहूं भरा जाता था वह बोला,,,)

देख रहे हो गेहूं अपने आप घंटी के अंदर जा रहा है बस तुम्हें इतना करना है कि थोड़ा ऊंगली से चला देना है ताकि गेहूं आराम से अंदर जा सके और कुछ करना नहीं है,,,,

ओहहहह यह तो बहुत आसान है अंकल जी,,,।

तो क्या तुम्हें लग रहा था कि जैसे पहाड़ चढ़ना है कुछ खास नहीं है और यह देखो गेहूं खत्म हो गया है,,, रुको मैं तुम्हें बता देता हूं,,,(इतना कहकर वह गेहूं की उस बोरी को वहां से हटा दिया और अंकित से बोला,,,)

तुम अपनी गेहूं की बोरी उठा कर लाए मैं बताता हूं कैसे क्या करना है,,,,(इतना सुनकर अंकित तुरंत अपनी गेहूं की बोरी लेकर आया और बोला)

अब क्या करना है अंकल,,,,

बस अभी से उठाकर इसमें डाल दो,,,,(अंकित वैसा ही किया) अब देखो गेहूं आराम से नीचे गिरता चला जाएगा और पिसता चला जाएगा,,,(इतना कहकर वहां गेहूं की बोरी को जहां से आटा निकलता था वहां लगा दिया,,,, ताकि आटा उसमें इकट्ठा हो सके,,) देख लिया ना कैसे क्या करना है,,,

जी अंकल,,,,।

बस ख्याल रहे इसके अंदर देखते रहना कहीं गेहूं रुक ना जाए बस उसे उंगली से चला देना बाकी सारा काम अपने आप हो जाएगा,,,,।

ठीक है अंकल जी अब आप जाइए आराम करिए,,,।

लेकिन ध्यान से बेटा इतने में तो आधा घंटा निकल जाएगा तब तक मैं आ जाऊंगा,,,, अब मैं जाता हूं,,,,(उसका इतना कहना था कि तभी सामने से सुषमा भी गेहूं की बोरी लेकर वहां पहुंच गई उस पर नजर पड़ते ही अंकित का चेहरा खिल उठा और यही हाल सुषमा का भी हो रहा था,,,,वह भी अंकित को देख रही थी और उसे दिन की याद एकदम से ताजी हो गई थी उसके लगाए गए हर एक धक्के उसे अच्छी तरह से याद थे,, और इसीलिए उसकी बुर में सिरहन सी दौड़ने लगी,,, लेकिन इस बीच सुषमा को देखकर घंटी का मालिक थोड़ा सा नाराजगी दिखाते हुए बोला,,)

लो इनको भी अभी आना था,,,,। आई भाभी जी बहुत देर कर दी हो आप,,, कोई जल्दबाजी तो नहीं है,,,।

अरे यह क्या कह रहे हो भाई साहब जल्दबाजी न होता तो मैं यहां क्यों आती आराम से नहीं भेज देती वह क्या है कि सुमन घर पर है नहीं इसलिए मुझे आना पड़ा और अगर गेहूं नहीं पिसा जाएगा तो रोटी नहीं बन पाएगा,,,

चलो कोई बात नहीं,,,,

क्या कहीं जा रहे हो क्या भाई साहब,,,


कहीं जा नहीं रहा था लेकिन आराम करने जा रहा था क्योंकि आज तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी।

तो मेरा गेहूं,,,!

अरे चिंता मत करिए भाभी जी अंकित है ना यह पीस देगा,,,,

क्या ये,,,,(आश्चर्य से अंकित की तरफ देखते हुए)

क्यों आंटी जी तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है क्या,,,?(अंकित मुस्कुराते हुए बोला,,)

विश्वास तो मुझे उसे दिन भी नहीं हो रहा था,,,

किस दिन भाभी जी,,,

अरे कुछ नहीं ,,,, क्या यह सच में गेहूं पीस देगा,,,।

अरे बिल्कुल भाभी जी चिंता मत करिए मैं सबकुछ सिखा दिया हूं,,, अंकित भाभी जी का गेहूं वजन कर दे तो,,,।

ठीक है अंकल,,(और इतना कहकर अंकित तुरंत सुषमा आंटी के करीब है और मुस्कुराता हुआ उनकी गेहूं की बोरी को उठाकर तराजू पर रख दिया और खुद ही दौड़ने लगा थोड़ी ही देर मेंवह गेहूं का वजन ले चुका था और चिट्ठी अपने हाथ से बना रहा था यह देखकर सुषमा मुस्कुराते हुए बोली)


अरे वाह रे अंकित तु तो बहुत चालाक हो गया है,,,.

सच में भाभी जी यह बहुत होशियार लड़का है,,, एक ही बार बताने पर सब कुछ सीख गया,,,।

अरे यह बहुत शैतान भी है,,,,।

तो ठीक है भाभी जी आप जाएंगी की रुकेगी,,,।

रुकना तो पड़ेगा ही,,,,तुम जाओ आराम करो मैं यही रुकती हूं इसके बाद मेरा ही नंबर है ना,,,।


हां भाभी जी आपका ही नंबर है,,,, और हां,,,(इतना कहकर वहां दरवाजे पर गया और लकड़ी के दरवाजे को बंद कर दिया और बोला) यह ठीक रहेगा कोई अगर आएगा अभी तो वह दुकान बंद समझ कर चला जाएगा क्योंकि थोड़ी भी गड़बड़ हो गई तो नुकसान हो जाएगा,,,.


यह तुमने बहुत ठीक किया भाई साहब,,,(अंदर ही अंदर एकदम प्रसन्न होते हुए) दूसरा कोई गेहूं लेकर आएगा तो दिक्कत हो जाएगी,,,, अंकित इतना भी होशियार नहीं हो गया है कि एक साथ इतने लोग को संभाल लेगा,,,।

सही कह रही हो भाभी जी अब आप बैठिए मैं आराम करने जा रहा हूं,,,(और इतना कहकर वह आराम करने के लिए दूसरे कमरे में चला गया,,, अंकित भी मन ही मन खुश हो रहा था,,, वैसे तो सुषमा सिर्फ गेहूं की बोरी देने के लिए आई थी लेकिन अंकित को यहां देखकर उसका यहां रुकने का मन हो गया था। घंटी के मालिक के जाते ही सुषमा मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ अच्छी और बोली,,,)

क्या रे क्या करने आया है यहां पर,,,।

वही जो तुम यहां करवाने आई,,हो,,,,।

करवाने आई हूं,,,,, तुझे क्या लगता है कि मैं यहां करवाने के लिए आती हुं,,,,

अब क्या पता देख कर तो मुझको ऐसा ही लगता है,,,, क्योंकि उस दिन भी तो घर पर सिर्फ चीनी लेने आई थी लेकिन करवा कर गई,,,,।

क्यों उस दिन तुझे मजा नहीं आया क्या,,,,?(सुषमा एकदम मस्त होते हुए दोनों हाथ को आगे बढ़करअंकित के कंधे पर रखते हुए बोली और वह इस तरह से अपनी भारी भरकम चुचियों का प्रदर्शन भी उसके सामने कर रही थी,,,,और उसका यह प्रदर्शन रंग ला रहा था क्योंकि उसकी यह अदा अंकित को मदहोश कर रही थी,,,, क्योंकि रास्ते भर वह अपनी मां के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था उत्तेजित हो रहा था और इस समय उसकी आंखों के सामने सुमन की मां थी जिसकी चुदाई वह कर चुका था और उसे लगने लगा था कि आज हाथ से हिलाकर गर्मी शांत नहीं करना पड़ेगा बल्कि आज बुर के अंदर डालकर ही गर्मी शांत हो जाएगी। सुषमा की बात सुनकर वह भी मुस्कुराते हुए बोला,,,)

मजा तो इतना आया था कि आंटी पूछो मत,,,,,। और तुम्हें,,,।


उसे दिन पता नहीं चला सब कुछ जल्दबाजी में हुआ था ना इसलिए,,,,(अंकित के कंधे पर से अपने दोनों हाथ हटाते हुए वह बोली)

लेकिन तुम्हारी आवाज सुनकर तो लग नहीं रहा था कि तुम्हें मजा नहीं आ रहा था,,,,, तुम भी बहुत मजा ली थी,,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुषमा मुस्कुराने लगीपर वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी जिसे बंद करके घंटी का मालिक कमरे के अंदर आराम करने के लिए गया था और इन दोनों को एक बहुत अच्छा मौका देकर गया था,,,,)

तुझे क्या लगता है,,,,,?


अब मुझे क्या लगता है मैं कैसे बता सकता हूं मुझे तो बहुत मजा आया था और मेरी पूरी कोशिश की कि तुम्हें भी बहुत मजा दूं क्या सच में मैं तुम्हें मजा नहीं दे पाया,,,,,,।

उस दिन अधूरा ही रह गया मुझे लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही एकदम से वह अंकित के पेट के आगे वाले भाग पर अपनी हथेली रखकर दबा दीऔर महसूस करने लगी कि वाकई में इस समय भी अंकित का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और उसकी हथेली में गर्माहट प्रदान कर रहा था,,,,सुषमा की हरकत को देखकर अंकित भी मदहोश होने लगा उसे भी लगने लगा कि आज घंटी के अंदर ही कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है वह अंदर ही अंदर खुश होने लगा और उत्तेजित होने लगा और वैसे भी वह सुमन की मां के साथ कुछ ज्यादा ही खुल चुका था और एक बार मजा भी ले चुका था इसलिए उसे यह कहते हुए बिल्कुल भी झिझक नहीं हुआ और वह बोला,,,)


तो क्यों ना उस दिन का अधूरा काम आज पूरा कर लेते हैं,,,, मौका भी है दस्तूर भी है और ऐसा लग रहा है की घंटी का मालिकआज हम दोनों के लिए बीमार हुआ है और हम दोनों को एक अच्छा मौका देकर आराम करने के लिए चला गया है,,,,।


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,(अंकित के पेंट के आगे वाले भाग को अपनी मुट्ठी में एकदम कसके दबोचते,, हुए,,,, और उसकी हरकत पर अंकित बोला,,,)

आराम से आंटी मुझे तो लग रहा है कि तोड़ डालोगी,,,।

मेरा बस चले तो सच में इसे तोड़ डालुं,,

अगर तोड़ डालोगी तो अपनी बुर में क्या लोगी,,,।

(अंकित के मुंह से बुर शब्द सुनकर वह एकदम से मदहोश होते हुए बोली)

कितना हारामी है तू और घंटी वाला तुझे सीधा लड़का समझ रहा है,,,।

तुम भी कितनी छिनार हो और घंटी वाला तुम्हें भाभी-भाभी कहकर इज्जत दे रहा है,,,।

इज्जत तो दे रहा है ना तेरी तरह ले तो नहीं रहा है,,,।

अगर इज्जत लेने पर आ जाऊंगा तो यही पटक कर चोद डालूंगा,,,,।

बहुत घमंड है ना तुझे अपने लंड पर ,,,, मैं भी देखती हूं कि आज कितनी देर तक दिखता है आज बीना चोदे ही तेरा पानी निकाल देती हुं (और इतना कहने के साथ ही तुरंत बैठ गई औरमौके की नजाकत को समझते हुए जल्दी-जल्दी अंकित के पेट की बटन खोलने लगी और देखते ही देखते वह पेंट को और अंडरवियर को दोनों को एक साथ खींचकर उसके घुटनों तक नीचे कर दी और उसके लहराते हुए लंड को अपने हाथ में भी नहीं ली,, सीधा उसे अपने लाल लाल होठों के बीच लेकर चूसना शुरू कर दी,,, सुषमा की इस हरकत पर अंकित पूरी तरह से मदहोश होने लगा और अपनी आंखों को बंद करके इस पल का मजा लूटने लगा,,,,अंकित को बहुत मजा आ रहा था अंकित पागल हुआ जा रहा था और सुषमा इतने मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने मुंह में लेकर गदगद हुए जा रही थी इस उम्र में भी उसे एक जवान मोटे तगड़े लंड का सहारा जो मिल चुका था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,,,वह गप्प गप्प करके अंकित के लंड को अपने गले तक ले रही थी और बाहर निकाल रही थी,,,,अंकित भी मजा लेते हुए अपने कमर पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके अपने लंड को सुषमा के लाल-लाल होठों के बीच अंतर बाहर करते हुए उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,, और ऐसा करते हुए अपने मन में सोचने लगा कि वह सुषमा आंटी के साथ यह सब बड़े आराम से कर लेता है तो अपनी मां के साथ ऐसा करने में वह क्यों झिझक रहा है,,,जबकि उसे यकीन हो चला था कि उसकी इस तरह की हरकत का उसकी मां बिल्कुल भी विरोध नहीं करेगी बल्कि उसकी हरकत का पूरी तरह से मजा लुटेगी।

सुषमा घुटनों के बल बैठकर अंकित के लंड को गले तक लेकर चूस रही थी,,,, उसे बहुत मजा आ रहा था,,, सुषमा बराबरअंकित के लंड की चुसाई कर रही थी क्योंकि वह देखना चाहती थी कि उसका लंड कितनी देर तक टिक सकता है,,, वह पागलों की तरह चूस रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि ऐसा चुसाई करने पर उसका लंड पानी फेंक देगा तो उसके बाद चुदवाने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा, लेकिन उसके सोचने के मुताबिक बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,,,सुषमा को ऐसा लग रहा था कि उसका लंड अपनी फेंकेगा लेकिन वह तो मुझे लेकर अपनी कमर हिला रहा था यह देखकर वह भी अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,,, तकरीबन 10 मिनट की चुसाई के बाद वह अंकित के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली वह गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,यह देखकर अंकित प्रसन्न होने लगा और वह अपने लंड को पड़कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जो कि उसके थूक और लार से सना हुआ था,,,। वह जिस तरह से ऊपर नीचे करके हिला रहा थासुषमा यह देखकर मदहोश हो रही थी उसकी बुर पानी फेंक रही थी,,, वह तुरंत ही उठकर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी कमर तक उठाकरअपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अपनी चड्डी उतारने में उसे एक पल की भी देरी नहीं लगी,,,,सुषमा की हालत और उसकी हरकत देखकर अंकित की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी और वह सुषमा की नंगी गांड पर अपना हाथ घुमा रहा था यह देखकर सुषमा बोली,,,।)

अब तेरी बारी है,,,,( और इतना कहकर सुषमा पास में हीं पड़े टेबल पर गांड टीका कर बैठकर अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,,यह देखकर अंकित के मुंह में पानी आ गया और वह अच्छी तरह से समझ गया कि सुषमा क्या करवाना चाहती है और वह भी सूचना की तरह ही घुटने के बल बैठकर उसकी दोनों जांघों पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे उत्तेजना में मसलते हुए अपने प्यासे होंठों को उसके गुलाबी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दीया,,,,सुषमा एकदम से मत हो गई और अपनी आंखों को बंद करके अपना एक हाथ अंकित के सर पर रख दी और उसे अपनी बुर पर दबाने लगी,,, अंकित पागलों की तरह सुषमा की बुर को चाट रहा था उसे बहुत मजा आ रहा थाऔर कभी सोचा भी नहीं था की घंटी पर उसे इस तरह से मजा लूटने का मौका मिल जाएगा और ना ही सुषमा ने यह कभी सपने में भी सोची थी,,,। अंकित वैसे तो उसे बुर चाटने का कुछ ज्यादा अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी सुमन राहुल की मां नूपुर और सुमन की मां सुषमा के साथ और सबसे ज्यादा अपनी नानी से या हुनर सीख चुका थाजिसे उसे इतना तो पता चल ही गया था कि औरत को किस क्रिया में ज्यादा आनंद प्राप्त होता है और वह इस समय वही क्रिया कर रहा था,,,

सुषमा अपने गरमा गरम सिसकारी की आवाज को दबा नहीं पा रही थी,,,बड़ी मुश्किल से वह अपने आप पर काबू कर पा रही थी लेकिन फिर भी उसके मुंह से मदहोश कर देने वाली आवाज बाहर निकल ही जा रही थी क्योंकि अंकित मजा ही कुछ ऐसा दे रहा थाअब सुषमा की बुर में आग लग चुकी थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,वह जल्द से जल्द अंकित के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी बुर की खुजली मिटा लेना चाहती थी। इसलिए उसके कंधे पर हथेली से थपथपी लगाकर उसे उठने के लिए बोली,,,, अंकित इतना तो समझ गया था कि अब सुषमा को क्या चाहिए,,,, इसलिए वह भी जल्दी से उठकर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ में लेकर पिलाना शुरू कर दिया यह देखकर सुषमा की हालत खराब होने लगी उसकी बुर से पानी निकालने लगा,,,, और वह जल्दी से बोली,,,)


देर मत कर किसी भी वक्त घंटी का मालिक आ जाएगा तो बना काम बिगड़ जाएगा।


मैं भी यही करने वाला था आंटी,,,(और इतना कहने के साथ ही टेबल पर वह पहले से भी अपनी दोनों टांगें खोल कर रखी हुई थी उसकी गुलाबी छेद बड़े आराम से दिख रही थी और अंकित अपने टनटनाए लंडउसके छेद पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा और एक साथ पूरा का पुरा लंड सुषमा की बुर में समा गया चश्मा पूरी तरह से मस्त हो गई और जिस तरह से अंकित ने प्रहार किया था उसके मुंह से सीख निकलने वाली थी लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,, अंकित अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था अंकित को भी बहुत मजा आ रहा है उस दिन जल्दबाजी में वह सुमन की मां की जिस तरह की चुदाई किया था उसे पूरी तरह से मजा तो नहीं मिल पाया था लेकिन आनंद बहुत आया था,,, उस दिन की कसर आज अंकित निकाल लेना चाहता था,,, वह बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था जिससे सुषमा बार-बार टेबल पर सेलुढ़क जा रही थी लेकिन अंकित उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे संभाले हुए था,,,,, जोर-जोर से धक्के लगाते हुए वह बोला,,,।

आज कैसा लग रहा है आंटी,,?

आहहहह आहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है कि उस दिन की कसर तू आज पूरी कर देगा,,,।

बिल्कुल आंटी उस दिन तुम्हें लगता है अच्छी तरह से एहसास नहीं हुआ आज तुम्हें अच्छी तरह से एहसास कराऊंगा,,,,, अब संभालो अपने आप को,,,( इतना कहने के साथ ही अंकित का प्रहार और तेजी से होने लगा अंकित पागलों की तरह सुषमा की चुदाई कर रहा था हमसे बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर तक टेबल पर ही सुमन की मां की चुदाई करता रहा और अपने मन में सोच रहा था कि यह वक्त भी क्या खेल खेलता है मौका तो सुमन को चोदने को था लेकिन सुमन नहीं चुदी लेकिन उसकी मां अनजाने में ही चुद गई,,,, लेकिन अंकित को तो मजा आ रहा था अंकित को कुछ सीखने को मिल रहा था ,,,, मसला अब यह नहीं था कि कौन चुद रहा है,,,,अंकित को इन सब से कुछ सीखने को मिल रहा था यदि उसके लिए बहुत था जो कि आगे चलकर उसकी मां के साथ उसका अनुभव काम आने वाला था,,,, थोड़ी देर इसी तरह से चुदाई करने के बाद सुषमा खुद टेबल पर से उठकर खड़ी हो गई हो घोड़ी बन गई पीछे से अंकित उसकी गुलाबी बुर में लंड डालकर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और तकरीबन 15 मिनट की चुदाई के बाद वह पानी पानी हो गई और एकदम से झड़ गई और थोड़ी देर बाद अंकित भी झड़ गया,,,,


अपने कपड़े दुरुस्त करने के बाद वह घंटी की तरफ देखा तो उसका गेहूं खत्म हो चुका था वह जल्दी से दौड़ता हुआ गया और अपने गेहूं की बोरी हटाकर सुषमा की बोरी का गेहूं घंटी में पलट दिया ,,, तब तक सुषमा भी मुस्कुराते हुए अपने कपड़े को व्यवस्थित कर ली,,,, थोड़ी देर बैठने के बाद सुषमा का भी गेहूं पिसा गया था,,,, और थोड़ी ही देर में घंटी का मालिक भी नीचे आ गया था,,,, और दोनों आटा लेकर अपनी-अपने घर की तरफ आने के लिए घंटी से निकल गए,,,।

Ekdum mast update he rohnny4545 Bhai,

Uttejna aur kamukta se bharpur.............

Ankit ki to mauj ho gayi suman ki maa sushma ko dobara choda usne vo bhi tabiyat se.........

Keep rocking Bro
 

Napster

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शर्म से आंखें झुकी हुई होने के बावजूद भी, सुगंधा को अपने बेटे से गेहूं पिसवाने के लिए बोलना पड़ा,,, क्योंकि इसके बिना चलना भी नहीं थापर वैसे भी सुगंध अच्छी तरह से जानती थी कि जब वह खुद इस तरह के हालात से शर्मा जाएगी तो फिर आगे कैसे बढ़ेगी इसलिए अपने आप को सहज करके वह अंकित से गेहूंले जाने के लिए बोली थी और अंकित भी गेहूं ले जाने के लिए तैयार हो गया था,,,,सुगंधा दूसरे कामों में लग गई थी और अंकित गेहूं की बोरी लेकर अपने कंधे पर उठाकर वह घर से निकल गया था,,,।






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गेहूं पीसने की घंटी कुछ ज्यादा दूरी पर नहीं थी,,, 5 मिनट पैदल चलने के बाद ही घंटी आ जाती थी,,, अंकित अपने ही ख्यालों में पैदल चलता हुआ घंटी की ओर आगे बढ़ता चला जा रहा थाजो कुछ भी उसके साथ घर में हो रहा था वह उसके लिए बेहद अनमोल पल था जो वह कभी भी भूल नहीं सकता था घर में इतना आनंद आता है आज उसे पहली बार एहसास हो रहा था वैसे तोथोड़ा बहुत पहले से ही वह घर में आनंद लेता आ रहा था लेकिन अब आनंद की सीमा बढ़ती जा रही थी,,, धीरे-धीरे भाई इस खेल में माहिर होता चला जा रहा था,,,,वह अपनी हरकत के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था जब वह अपनी मां को साबुन लगा रहा था वह कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी मां के साथ इस तरह की हरकत कर बैठेगा और वह भी उसकी मां की जानकारी में,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी हरकतका एहसास उसकी मां को जरूर हो रहा था और उसे मजा भी आ रहा थालेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी इसका मतलब साथ था कि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थीऔर अंकित भी इस खेलने आगे बढ़ना चाहता था लेकिन वह नहीं समझ पा रहा था कि क्यों वह पहल नहीं कर पा रहा है,,,,।






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जबकि सुमन की मां के साथ वह एकदम से खुलकर खुद आगे कदम बढ़ाकर उसकी अपने ही घर में चुदाई कर दिया था,,, इस बारे में सोचकर अंकित खुद हैरान हो रहा था कि वह सुमन की मां के साथ इतनी जल्दी कैसे खुल गया और अपनी खुद की मां जो खुदकिसी न किसी बहाने अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी उसे ललचा रही थी और वह उसके साथ आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहा था,,, और जो कि आज तो पूरी तरह से हद हो चुकी थी साबुन लगाने के बहाने वह अपनी मां की बुर में उंगली अंदर बाहर करने लगाजिसका एहसास उसकी मां को भी अच्छी तरह से हो रहा था यह सब जानते हुए भी सूरज अपनी उंगली की जगह अपने लंड का उपयोग नहीं कर पाया यह उसकी नादानी थी या वह इस खेल में पूरी तरह से ऐसा सफल हो गया था या फिर आगे बढ़ने से उसे मां बेटे के बीच का पवित्र रिश्ता रोक रहा था काफी सोच विचार करने के बाद उसे ऐसा ही लग रहा था कि शायदवह सुमन की मां के साथ जैसा किया था वह अपनी मां के साथ इसलिए नहीं कर पाया क्योंकि उसके साथ उसकी मां बेटी का रिश्ता था और इसीलिए वह अपने आप को आगे बढ़ाने नहीं दे पाया यही शर्म और झिझक और संस्कार उसे रोक रहे थे अब संस्कार तो कुछ रह ही नहीं गया था क्योंकि उन दोनों के बीच काफी कुछ हो चुका था,,,।

लेकिन इतना तोवह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत का मजा उसकी मां पूरी तरह से ले रही थी ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की बुर में उंगली कर रहा था साबुन लगाने के बहाने और उसकी मां को इसकी भनक तक नहीं थीवह अच्छी तरह से जानता था कि औरत का सबसे संवेदनशील अंग उसकी बुर होती है गहरी नींद में भी अगर उसे हल्के सेहाथ रख दो तो औरत की नींद खुल जाती है और ऐसे में उसकी उंगली उस बुर के अंदर बाहर हो रही थी तो उसकी मां को भला पता कैसे नहीं चला होगा,,, अंकित समझ गया था कि उसकी मां को मजा आ रहा था,,, अपनी मां के बारे में इस तरह से सोचने पर उसे राहुल की बात याद आ गईजिसने उसे बताया था कि औरत काफी समय से अगर मर्द की बगैर रह रही हो या पति के बगैर रह रही हो तो ऐसे में वह मजबूर हो जाती है सारी संबंध बनाने के लिए उसमें चुदस की लहर कुछ ज्यादा ही उठती है,,,,राहुल की बात सोच कर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव में सेहराने लगे और तुरंत राहुल और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में सोने में अच्छी तरह से जानता थाकी रात में भी सारी संबंध थे और वह अपनी आंख से देख कर चुका था लेकिन इस संबंध के पीछे का राज यह था कि राहुल के पिताजी का शरीर और उम्र दोनों साथ नहीं दे रहा था और ऐसे में राहुल की मां पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थीऔर उन्हें मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी ऐसे में राहुल उनका सबसे बड़ा सहारा बना और उसके साथ चुदवा कर मां बेटे दोनों रोज तृप्ति का एहसास ले रहे थे,,,।

कंधे पर गेहूं की बोरी लिए हुए वह घंटी की तरफ आगे बढ़ रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि वह भी अपनी मां का सहारा बनेगा बरसों से जो उन्हें खुशी और शरीर सुख नहीं मिला है अब वह उन्हें देगा लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था आगे से पहल करने में उसे डर लगता था जबकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी इसके लिए तैयार है लेकिन फिर भी न जाने कौन सी झिझक उसे रोक रही थी,,,, यही सब सोचता हुआ वह थोड़ी ही देर में घंटी पर पहुंच चुका था घंटी पर कोई नहीं था केवल घंटी का मालिक ही था जिसे अंकित अच्छी तरह से जानता था और उन्हें अंकल कहता था उनका नाम पुरन था,,, और अंकित उन्हें पूरन अंकल कहता था,,,, गेहूं की बोरी लेकर जैसे ही वह दुकान पर पहुंचा घंटी का मालिक पूरनतुरंत ही उसके पास आया और अपने हाथों से उसके कंधे पर रखी हुई पूरी उठाकर तराजू पर रखकर उसका वजन देखने लगा,,,, और जब वह गेहूं तौल रहा था तब अंकित इधर घर देखते हुए बोला।

क्या बात है पुरन अंकल आज कोई नजर नहीं आ रहा है,,,।(कंधे पर बोरी का वजन रखने की वजह से वह थोड़ा थक गया था इसलिए गहरी सांस लेते हुए बोल रहा था उसकी बात सुनकर गेहूं का वजन ले रहे उस घंटी के मालिक ने बोला)

अरे अंकित बेटा आज सुबह में ही सबका गेहूं पीस दिया हूं बस कुछ लोग ही रह गए हैं,,,, देख रहे हो गेहूं की बोरी और डिब्बा भी कितना कम है,,, आज जल्दी काम खत्म हो जाएगा,,,,(इतना कहते हुए वहतराजू पर से गेहूं की बोरी को उतार कर एक तरफ रख दिया और उसकी चिट्ठी बनाने लगा,,,और चिट्ठी बनाते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अरे अंकित तुम्हें कहीं जाना तो नहीं है ना,,,,।

नहीं पुरन अंकल मुझे कहीं नहीं जाना है,,, क्यों कोई काम था क्या,,,,!?

काम तो था मेरी तबीयत थोड़ा सा नादुरस्त नजर आ रही है,,,, मैं सोच रहा था कि 20-25 मिनट आराम कर लो तब तक तुम गेहूं पीस लो,,,।

लेकिन मुझे तो गेहूं पीसना आता नहीं है,,,।

अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है आओ मैं तुम्हें बताता हूं,,,(इतना कहकर वह अंकित को घंटी के करीब ले गया,,, और घंटी के ऊपर वाले हिस्से को दिखाते हुए जिसमें गेहूं भरा जाता था वह बोला,,,)

देख रहे हो गेहूं अपने आप घंटी के अंदर जा रहा है बस तुम्हें इतना करना है कि थोड़ा ऊंगली से चला देना है ताकि गेहूं आराम से अंदर जा सके और कुछ करना नहीं है,,,,

ओहहहह यह तो बहुत आसान है अंकल जी,,,।

तो क्या तुम्हें लग रहा था कि जैसे पहाड़ चढ़ना है कुछ खास नहीं है और यह देखो गेहूं खत्म हो गया है,,, रुको मैं तुम्हें बता देता हूं,,,(इतना कहकर वह गेहूं की उस बोरी को वहां से हटा दिया और अंकित से बोला,,,)

तुम अपनी गेहूं की बोरी उठा कर लाए मैं बताता हूं कैसे क्या करना है,,,,(इतना सुनकर अंकित तुरंत अपनी गेहूं की बोरी लेकर आया और बोला)

अब क्या करना है अंकल,,,,

बस अभी से उठाकर इसमें डाल दो,,,,(अंकित वैसा ही किया) अब देखो गेहूं आराम से नीचे गिरता चला जाएगा और पिसता चला जाएगा,,,(इतना कहकर वहां गेहूं की बोरी को जहां से आटा निकलता था वहां लगा दिया,,,, ताकि आटा उसमें इकट्ठा हो सके,,) देख लिया ना कैसे क्या करना है,,,

जी अंकल,,,,।

बस ख्याल रहे इसके अंदर देखते रहना कहीं गेहूं रुक ना जाए बस उसे उंगली से चला देना बाकी सारा काम अपने आप हो जाएगा,,,,।

ठीक है अंकल जी अब आप जाइए आराम करिए,,,।

लेकिन ध्यान से बेटा इतने में तो आधा घंटा निकल जाएगा तब तक मैं आ जाऊंगा,,,, अब मैं जाता हूं,,,,(उसका इतना कहना था कि तभी सामने से सुषमा भी गेहूं की बोरी लेकर वहां पहुंच गई उस पर नजर पड़ते ही अंकित का चेहरा खिल उठा और यही हाल सुषमा का भी हो रहा था,,,,वह भी अंकित को देख रही थी और उसे दिन की याद एकदम से ताजी हो गई थी उसके लगाए गए हर एक धक्के उसे अच्छी तरह से याद थे,, और इसीलिए उसकी बुर में सिरहन सी दौड़ने लगी,,, लेकिन इस बीच सुषमा को देखकर घंटी का मालिक थोड़ा सा नाराजगी दिखाते हुए बोला,,)

लो इनको भी अभी आना था,,,,। आई भाभी जी बहुत देर कर दी हो आप,,, कोई जल्दबाजी तो नहीं है,,,।

अरे यह क्या कह रहे हो भाई साहब जल्दबाजी न होता तो मैं यहां क्यों आती आराम से नहीं भेज देती वह क्या है कि सुमन घर पर है नहीं इसलिए मुझे आना पड़ा और अगर गेहूं नहीं पिसा जाएगा तो रोटी नहीं बन पाएगा,,,

चलो कोई बात नहीं,,,,

क्या कहीं जा रहे हो क्या भाई साहब,,,


कहीं जा नहीं रहा था लेकिन आराम करने जा रहा था क्योंकि आज तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी।

तो मेरा गेहूं,,,!

अरे चिंता मत करिए भाभी जी अंकित है ना यह पीस देगा,,,,

क्या ये,,,,(आश्चर्य से अंकित की तरफ देखते हुए)

क्यों आंटी जी तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है क्या,,,?(अंकित मुस्कुराते हुए बोला,,)

विश्वास तो मुझे उसे दिन भी नहीं हो रहा था,,,

किस दिन भाभी जी,,,

अरे कुछ नहीं ,,,, क्या यह सच में गेहूं पीस देगा,,,।

अरे बिल्कुल भाभी जी चिंता मत करिए मैं सबकुछ सिखा दिया हूं,,, अंकित भाभी जी का गेहूं वजन कर दे तो,,,।

ठीक है अंकल,,(और इतना कहकर अंकित तुरंत सुषमा आंटी के करीब है और मुस्कुराता हुआ उनकी गेहूं की बोरी को उठाकर तराजू पर रख दिया और खुद ही दौड़ने लगा थोड़ी ही देर मेंवह गेहूं का वजन ले चुका था और चिट्ठी अपने हाथ से बना रहा था यह देखकर सुषमा मुस्कुराते हुए बोली)


अरे वाह रे अंकित तु तो बहुत चालाक हो गया है,,,.

सच में भाभी जी यह बहुत होशियार लड़का है,,, एक ही बार बताने पर सब कुछ सीख गया,,,।

अरे यह बहुत शैतान भी है,,,,।

तो ठीक है भाभी जी आप जाएंगी की रुकेगी,,,।

रुकना तो पड़ेगा ही,,,,तुम जाओ आराम करो मैं यही रुकती हूं इसके बाद मेरा ही नंबर है ना,,,।


हां भाभी जी आपका ही नंबर है,,,, और हां,,,(इतना कहकर वहां दरवाजे पर गया और लकड़ी के दरवाजे को बंद कर दिया और बोला) यह ठीक रहेगा कोई अगर आएगा अभी तो वह दुकान बंद समझ कर चला जाएगा क्योंकि थोड़ी भी गड़बड़ हो गई तो नुकसान हो जाएगा,,,.


यह तुमने बहुत ठीक किया भाई साहब,,,(अंदर ही अंदर एकदम प्रसन्न होते हुए) दूसरा कोई गेहूं लेकर आएगा तो दिक्कत हो जाएगी,,,, अंकित इतना भी होशियार नहीं हो गया है कि एक साथ इतने लोग को संभाल लेगा,,,।

सही कह रही हो भाभी जी अब आप बैठिए मैं आराम करने जा रहा हूं,,,(और इतना कहकर वह आराम करने के लिए दूसरे कमरे में चला गया,,, अंकित भी मन ही मन खुश हो रहा था,,, वैसे तो सुषमा सिर्फ गेहूं की बोरी देने के लिए आई थी लेकिन अंकित को यहां देखकर उसका यहां रुकने का मन हो गया था। घंटी के मालिक के जाते ही सुषमा मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ अच्छी और बोली,,,)

क्या रे क्या करने आया है यहां पर,,,।

वही जो तुम यहां करवाने आई,,हो,,,,।

करवाने आई हूं,,,,, तुझे क्या लगता है कि मैं यहां करवाने के लिए आती हुं,,,,

अब क्या पता देख कर तो मुझको ऐसा ही लगता है,,,, क्योंकि उस दिन भी तो घर पर सिर्फ चीनी लेने आई थी लेकिन करवा कर गई,,,,।

क्यों उस दिन तुझे मजा नहीं आया क्या,,,,?(सुषमा एकदम मस्त होते हुए दोनों हाथ को आगे बढ़करअंकित के कंधे पर रखते हुए बोली और वह इस तरह से अपनी भारी भरकम चुचियों का प्रदर्शन भी उसके सामने कर रही थी,,,,और उसका यह प्रदर्शन रंग ला रहा था क्योंकि उसकी यह अदा अंकित को मदहोश कर रही थी,,,, क्योंकि रास्ते भर वह अपनी मां के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था उत्तेजित हो रहा था और इस समय उसकी आंखों के सामने सुमन की मां थी जिसकी चुदाई वह कर चुका था और उसे लगने लगा था कि आज हाथ से हिलाकर गर्मी शांत नहीं करना पड़ेगा बल्कि आज बुर के अंदर डालकर ही गर्मी शांत हो जाएगी। सुषमा की बात सुनकर वह भी मुस्कुराते हुए बोला,,,)

मजा तो इतना आया था कि आंटी पूछो मत,,,,,। और तुम्हें,,,।


उसे दिन पता नहीं चला सब कुछ जल्दबाजी में हुआ था ना इसलिए,,,,(अंकित के कंधे पर से अपने दोनों हाथ हटाते हुए वह बोली)

लेकिन तुम्हारी आवाज सुनकर तो लग नहीं रहा था कि तुम्हें मजा नहीं आ रहा था,,,,, तुम भी बहुत मजा ली थी,,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुषमा मुस्कुराने लगीपर वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी जिसे बंद करके घंटी का मालिक कमरे के अंदर आराम करने के लिए गया था और इन दोनों को एक बहुत अच्छा मौका देकर गया था,,,,)

तुझे क्या लगता है,,,,,?


अब मुझे क्या लगता है मैं कैसे बता सकता हूं मुझे तो बहुत मजा आया था और मेरी पूरी कोशिश की कि तुम्हें भी बहुत मजा दूं क्या सच में मैं तुम्हें मजा नहीं दे पाया,,,,,,।

उस दिन अधूरा ही रह गया मुझे लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही एकदम से वह अंकित के पेट के आगे वाले भाग पर अपनी हथेली रखकर दबा दीऔर महसूस करने लगी कि वाकई में इस समय भी अंकित का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और उसकी हथेली में गर्माहट प्रदान कर रहा था,,,,सुषमा की हरकत को देखकर अंकित भी मदहोश होने लगा उसे भी लगने लगा कि आज घंटी के अंदर ही कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है वह अंदर ही अंदर खुश होने लगा और उत्तेजित होने लगा और वैसे भी वह सुमन की मां के साथ कुछ ज्यादा ही खुल चुका था और एक बार मजा भी ले चुका था इसलिए उसे यह कहते हुए बिल्कुल भी झिझक नहीं हुआ और वह बोला,,,)


तो क्यों ना उस दिन का अधूरा काम आज पूरा कर लेते हैं,,,, मौका भी है दस्तूर भी है और ऐसा लग रहा है की घंटी का मालिकआज हम दोनों के लिए बीमार हुआ है और हम दोनों को एक अच्छा मौका देकर आराम करने के लिए चला गया है,,,,।


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,(अंकित के पेंट के आगे वाले भाग को अपनी मुट्ठी में एकदम कसके दबोचते,, हुए,,,, और उसकी हरकत पर अंकित बोला,,,)

आराम से आंटी मुझे तो लग रहा है कि तोड़ डालोगी,,,।

मेरा बस चले तो सच में इसे तोड़ डालुं,,

अगर तोड़ डालोगी तो अपनी बुर में क्या लोगी,,,।

(अंकित के मुंह से बुर शब्द सुनकर वह एकदम से मदहोश होते हुए बोली)

कितना हारामी है तू और घंटी वाला तुझे सीधा लड़का समझ रहा है,,,।

तुम भी कितनी छिनार हो और घंटी वाला तुम्हें भाभी-भाभी कहकर इज्जत दे रहा है,,,।

इज्जत तो दे रहा है ना तेरी तरह ले तो नहीं रहा है,,,।

अगर इज्जत लेने पर आ जाऊंगा तो यही पटक कर चोद डालूंगा,,,,।

बहुत घमंड है ना तुझे अपने लंड पर ,,,, मैं भी देखती हूं कि आज कितनी देर तक दिखता है आज बीना चोदे ही तेरा पानी निकाल देती हुं (और इतना कहने के साथ ही तुरंत बैठ गई औरमौके की नजाकत को समझते हुए जल्दी-जल्दी अंकित के पेट की बटन खोलने लगी और देखते ही देखते वह पेंट को और अंडरवियर को दोनों को एक साथ खींचकर उसके घुटनों तक नीचे कर दी और उसके लहराते हुए लंड को अपने हाथ में भी नहीं ली,, सीधा उसे अपने लाल लाल होठों के बीच लेकर चूसना शुरू कर दी,,, सुषमा की इस हरकत पर अंकित पूरी तरह से मदहोश होने लगा और अपनी आंखों को बंद करके इस पल का मजा लूटने लगा,,,,अंकित को बहुत मजा आ रहा था अंकित पागल हुआ जा रहा था और सुषमा इतने मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने मुंह में लेकर गदगद हुए जा रही थी इस उम्र में भी उसे एक जवान मोटे तगड़े लंड का सहारा जो मिल चुका था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,,,वह गप्प गप्प करके अंकित के लंड को अपने गले तक ले रही थी और बाहर निकाल रही थी,,,,अंकित भी मजा लेते हुए अपने कमर पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके अपने लंड को सुषमा के लाल-लाल होठों के बीच अंतर बाहर करते हुए उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,, और ऐसा करते हुए अपने मन में सोचने लगा कि वह सुषमा आंटी के साथ यह सब बड़े आराम से कर लेता है तो अपनी मां के साथ ऐसा करने में वह क्यों झिझक रहा है,,,जबकि उसे यकीन हो चला था कि उसकी इस तरह की हरकत का उसकी मां बिल्कुल भी विरोध नहीं करेगी बल्कि उसकी हरकत का पूरी तरह से मजा लुटेगी।

सुषमा घुटनों के बल बैठकर अंकित के लंड को गले तक लेकर चूस रही थी,,,, उसे बहुत मजा आ रहा था,,, सुषमा बराबरअंकित के लंड की चुसाई कर रही थी क्योंकि वह देखना चाहती थी कि उसका लंड कितनी देर तक टिक सकता है,,, वह पागलों की तरह चूस रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि ऐसा चुसाई करने पर उसका लंड पानी फेंक देगा तो उसके बाद चुदवाने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा, लेकिन उसके सोचने के मुताबिक बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,,,सुषमा को ऐसा लग रहा था कि उसका लंड अपनी फेंकेगा लेकिन वह तो मुझे लेकर अपनी कमर हिला रहा था यह देखकर वह भी अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,,, तकरीबन 10 मिनट की चुसाई के बाद वह अंकित के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली वह गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,यह देखकर अंकित प्रसन्न होने लगा और वह अपने लंड को पड़कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जो कि उसके थूक और लार से सना हुआ था,,,। वह जिस तरह से ऊपर नीचे करके हिला रहा थासुषमा यह देखकर मदहोश हो रही थी उसकी बुर पानी फेंक रही थी,,, वह तुरंत ही उठकर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी कमर तक उठाकरअपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अपनी चड्डी उतारने में उसे एक पल की भी देरी नहीं लगी,,,,सुषमा की हालत और उसकी हरकत देखकर अंकित की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी और वह सुषमा की नंगी गांड पर अपना हाथ घुमा रहा था यह देखकर सुषमा बोली,,,।)

अब तेरी बारी है,,,,( और इतना कहकर सुषमा पास में हीं पड़े टेबल पर गांड टीका कर बैठकर अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,,यह देखकर अंकित के मुंह में पानी आ गया और वह अच्छी तरह से समझ गया कि सुषमा क्या करवाना चाहती है और वह भी सूचना की तरह ही घुटने के बल बैठकर उसकी दोनों जांघों पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे उत्तेजना में मसलते हुए अपने प्यासे होंठों को उसके गुलाबी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दीया,,,,सुषमा एकदम से मत हो गई और अपनी आंखों को बंद करके अपना एक हाथ अंकित के सर पर रख दी और उसे अपनी बुर पर दबाने लगी,,, अंकित पागलों की तरह सुषमा की बुर को चाट रहा था उसे बहुत मजा आ रहा थाऔर कभी सोचा भी नहीं था की घंटी पर उसे इस तरह से मजा लूटने का मौका मिल जाएगा और ना ही सुषमा ने यह कभी सपने में भी सोची थी,,,। अंकित वैसे तो उसे बुर चाटने का कुछ ज्यादा अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी सुमन राहुल की मां नूपुर और सुमन की मां सुषमा के साथ और सबसे ज्यादा अपनी नानी से या हुनर सीख चुका थाजिसे उसे इतना तो पता चल ही गया था कि औरत को किस क्रिया में ज्यादा आनंद प्राप्त होता है और वह इस समय वही क्रिया कर रहा था,,,

सुषमा अपने गरमा गरम सिसकारी की आवाज को दबा नहीं पा रही थी,,,बड़ी मुश्किल से वह अपने आप पर काबू कर पा रही थी लेकिन फिर भी उसके मुंह से मदहोश कर देने वाली आवाज बाहर निकल ही जा रही थी क्योंकि अंकित मजा ही कुछ ऐसा दे रहा थाअब सुषमा की बुर में आग लग चुकी थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,वह जल्द से जल्द अंकित के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी बुर की खुजली मिटा लेना चाहती थी। इसलिए उसके कंधे पर हथेली से थपथपी लगाकर उसे उठने के लिए बोली,,,, अंकित इतना तो समझ गया था कि अब सुषमा को क्या चाहिए,,,, इसलिए वह भी जल्दी से उठकर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ में लेकर पिलाना शुरू कर दिया यह देखकर सुषमा की हालत खराब होने लगी उसकी बुर से पानी निकालने लगा,,,, और वह जल्दी से बोली,,,)


देर मत कर किसी भी वक्त घंटी का मालिक आ जाएगा तो बना काम बिगड़ जाएगा।


मैं भी यही करने वाला था आंटी,,,(और इतना कहने के साथ ही टेबल पर वह पहले से भी अपनी दोनों टांगें खोल कर रखी हुई थी उसकी गुलाबी छेद बड़े आराम से दिख रही थी और अंकित अपने टनटनाए लंडउसके छेद पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा और एक साथ पूरा का पुरा लंड सुषमा की बुर में समा गया चश्मा पूरी तरह से मस्त हो गई और जिस तरह से अंकित ने प्रहार किया था उसके मुंह से सीख निकलने वाली थी लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,, अंकित अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था अंकित को भी बहुत मजा आ रहा है उस दिन जल्दबाजी में वह सुमन की मां की जिस तरह की चुदाई किया था उसे पूरी तरह से मजा तो नहीं मिल पाया था लेकिन आनंद बहुत आया था,,, उस दिन की कसर आज अंकित निकाल लेना चाहता था,,, वह बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था जिससे सुषमा बार-बार टेबल पर सेलुढ़क जा रही थी लेकिन अंकित उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे संभाले हुए था,,,,, जोर-जोर से धक्के लगाते हुए वह बोला,,,।

आज कैसा लग रहा है आंटी,,?

आहहहह आहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है कि उस दिन की कसर तू आज पूरी कर देगा,,,।

बिल्कुल आंटी उस दिन तुम्हें लगता है अच्छी तरह से एहसास नहीं हुआ आज तुम्हें अच्छी तरह से एहसास कराऊंगा,,,,, अब संभालो अपने आप को,,,( इतना कहने के साथ ही अंकित का प्रहार और तेजी से होने लगा अंकित पागलों की तरह सुषमा की चुदाई कर रहा था हमसे बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर तक टेबल पर ही सुमन की मां की चुदाई करता रहा और अपने मन में सोच रहा था कि यह वक्त भी क्या खेल खेलता है मौका तो सुमन को चोदने को था लेकिन सुमन नहीं चुदी लेकिन उसकी मां अनजाने में ही चुद गई,,,, लेकिन अंकित को तो मजा आ रहा था अंकित को कुछ सीखने को मिल रहा था ,,,, मसला अब यह नहीं था कि कौन चुद रहा है,,,,अंकित को इन सब से कुछ सीखने को मिल रहा था यदि उसके लिए बहुत था जो कि आगे चलकर उसकी मां के साथ उसका अनुभव काम आने वाला था,,,, थोड़ी देर इसी तरह से चुदाई करने के बाद सुषमा खुद टेबल पर से उठकर खड़ी हो गई हो घोड़ी बन गई पीछे से अंकित उसकी गुलाबी बुर में लंड डालकर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और तकरीबन 15 मिनट की चुदाई के बाद वह पानी पानी हो गई और एकदम से झड़ गई और थोड़ी देर बाद अंकित भी झड़ गया,,,,


अपने कपड़े दुरुस्त करने के बाद वह घंटी की तरफ देखा तो उसका गेहूं खत्म हो चुका था वह जल्दी से दौड़ता हुआ गया और अपने गेहूं की बोरी हटाकर सुषमा की बोरी का गेहूं घंटी में पलट दिया ,,, तब तक सुषमा भी मुस्कुराते हुए अपने कपड़े को व्यवस्थित कर ली,,,, थोड़ी देर बैठने के बाद सुषमा का भी गेहूं पिसा गया था,,,, और थोड़ी ही देर में घंटी का मालिक भी नीचे आ गया था,,,, और दोनों आटा लेकर अपनी-अपने घर की तरफ आने के लिए घंटी से निकल गए,,,।

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
ये सुगंधा और अंकित के बीच इतना सब कुछ हो गया बस चुदाई के अलावा पर इनकी ऑंख मिचौली खत्म ही नहीं हो रही दोनों अपनी ओर से लगे हैं पर पहल कौन करेगा यही आकर रुक जाता है
गेहु पिसाने गये अंकित को घंटी पर गेहु की पिसाई के साथ साथ सुषमा से लंड चुसाई और सुषमा को चुद चुसाई मिल गयी बाद में अंकित ने रगड रगड कर सुषमा को चोद कर सारी भरपाई पुरी कर ली
बडा ही खतरनाक अपडेट है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

ToorJatt7565

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शर्म से आंखें झुकी हुई होने के बावजूद भी, सुगंधा को अपने बेटे से गेहूं पिसवाने के लिए बोलना पड़ा,,, क्योंकि इसके बिना चलना भी नहीं थापर वैसे भी सुगंध अच्छी तरह से जानती थी कि जब वह खुद इस तरह के हालात से शर्मा जाएगी तो फिर आगे कैसे बढ़ेगी इसलिए अपने आप को सहज करके वह अंकित से गेहूंले जाने के लिए बोली थी और अंकित भी गेहूं ले जाने के लिए तैयार हो गया था,,,,सुगंधा दूसरे कामों में लग गई थी और अंकित गेहूं की बोरी लेकर अपने कंधे पर उठाकर वह घर से निकल गया था,,,।






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गेहूं पीसने की घंटी कुछ ज्यादा दूरी पर नहीं थी,,, 5 मिनट पैदल चलने के बाद ही घंटी आ जाती थी,,, अंकित अपने ही ख्यालों में पैदल चलता हुआ घंटी की ओर आगे बढ़ता चला जा रहा थाजो कुछ भी उसके साथ घर में हो रहा था वह उसके लिए बेहद अनमोल पल था जो वह कभी भी भूल नहीं सकता था घर में इतना आनंद आता है आज उसे पहली बार एहसास हो रहा था वैसे तोथोड़ा बहुत पहले से ही वह घर में आनंद लेता आ रहा था लेकिन अब आनंद की सीमा बढ़ती जा रही थी,,, धीरे-धीरे भाई इस खेल में माहिर होता चला जा रहा था,,,,वह अपनी हरकत के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था जब वह अपनी मां को साबुन लगा रहा था वह कभी सोचा नहीं था कि वह अपनी मां के साथ इस तरह की हरकत कर बैठेगा और वह भी उसकी मां की जानकारी में,,,, उसे पूरा यकीन था कि उसकी हरकतका एहसास उसकी मां को जरूर हो रहा था और उसे मजा भी आ रहा थालेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी इसका मतलब साथ था कि वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थीऔर अंकित भी इस खेलने आगे बढ़ना चाहता था लेकिन वह नहीं समझ पा रहा था कि क्यों वह पहल नहीं कर पा रहा है,,,,।






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जबकि सुमन की मां के साथ वह एकदम से खुलकर खुद आगे कदम बढ़ाकर उसकी अपने ही घर में चुदाई कर दिया था,,, इस बारे में सोचकर अंकित खुद हैरान हो रहा था कि वह सुमन की मां के साथ इतनी जल्दी कैसे खुल गया और अपनी खुद की मां जो खुदकिसी न किसी बहाने अपने अंगों का प्रदर्शन कर रही थी उसे ललचा रही थी और वह उसके साथ आगे क्यों नहीं बढ़ पा रहा था,,, और जो कि आज तो पूरी तरह से हद हो चुकी थी साबुन लगाने के बहाने वह अपनी मां की बुर में उंगली अंदर बाहर करने लगाजिसका एहसास उसकी मां को भी अच्छी तरह से हो रहा था यह सब जानते हुए भी सूरज अपनी उंगली की जगह अपने लंड का उपयोग नहीं कर पाया यह उसकी नादानी थी या वह इस खेल में पूरी तरह से ऐसा सफल हो गया था या फिर आगे बढ़ने से उसे मां बेटे के बीच का पवित्र रिश्ता रोक रहा था काफी सोच विचार करने के बाद उसे ऐसा ही लग रहा था कि शायदवह सुमन की मां के साथ जैसा किया था वह अपनी मां के साथ इसलिए नहीं कर पाया क्योंकि उसके साथ उसकी मां बेटी का रिश्ता था और इसीलिए वह अपने आप को आगे बढ़ाने नहीं दे पाया यही शर्म और झिझक और संस्कार उसे रोक रहे थे अब संस्कार तो कुछ रह ही नहीं गया था क्योंकि उन दोनों के बीच काफी कुछ हो चुका था,,,।

लेकिन इतना तोवह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी हरकत का मजा उसकी मां पूरी तरह से ले रही थी ऐसा नहीं था कि वह अपनी मां की बुर में उंगली कर रहा था साबुन लगाने के बहाने और उसकी मां को इसकी भनक तक नहीं थीवह अच्छी तरह से जानता था कि औरत का सबसे संवेदनशील अंग उसकी बुर होती है गहरी नींद में भी अगर उसे हल्के सेहाथ रख दो तो औरत की नींद खुल जाती है और ऐसे में उसकी उंगली उस बुर के अंदर बाहर हो रही थी तो उसकी मां को भला पता कैसे नहीं चला होगा,,, अंकित समझ गया था कि उसकी मां को मजा आ रहा था,,, अपनी मां के बारे में इस तरह से सोचने पर उसे राहुल की बात याद आ गईजिसने उसे बताया था कि औरत काफी समय से अगर मर्द की बगैर रह रही हो या पति के बगैर रह रही हो तो ऐसे में वह मजबूर हो जाती है सारी संबंध बनाने के लिए उसमें चुदस की लहर कुछ ज्यादा ही उठती है,,,,राहुल की बात सोच कर उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव में सेहराने लगे और तुरंत राहुल और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में सोने में अच्छी तरह से जानता थाकी रात में भी सारी संबंध थे और वह अपनी आंख से देख कर चुका था लेकिन इस संबंध के पीछे का राज यह था कि राहुल के पिताजी का शरीर और उम्र दोनों साथ नहीं दे रहा था और ऐसे में राहुल की मां पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थीऔर उन्हें मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी ऐसे में राहुल उनका सबसे बड़ा सहारा बना और उसके साथ चुदवा कर मां बेटे दोनों रोज तृप्ति का एहसास ले रहे थे,,,।

कंधे पर गेहूं की बोरी लिए हुए वह घंटी की तरफ आगे बढ़ रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि वह भी अपनी मां का सहारा बनेगा बरसों से जो उन्हें खुशी और शरीर सुख नहीं मिला है अब वह उन्हें देगा लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था आगे से पहल करने में उसे डर लगता था जबकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी इसके लिए तैयार है लेकिन फिर भी न जाने कौन सी झिझक उसे रोक रही थी,,,, यही सब सोचता हुआ वह थोड़ी ही देर में घंटी पर पहुंच चुका था घंटी पर कोई नहीं था केवल घंटी का मालिक ही था जिसे अंकित अच्छी तरह से जानता था और उन्हें अंकल कहता था उनका नाम पुरन था,,, और अंकित उन्हें पूरन अंकल कहता था,,,, गेहूं की बोरी लेकर जैसे ही वह दुकान पर पहुंचा घंटी का मालिक पूरनतुरंत ही उसके पास आया और अपने हाथों से उसके कंधे पर रखी हुई पूरी उठाकर तराजू पर रखकर उसका वजन देखने लगा,,,, और जब वह गेहूं तौल रहा था तब अंकित इधर घर देखते हुए बोला।

क्या बात है पुरन अंकल आज कोई नजर नहीं आ रहा है,,,।(कंधे पर बोरी का वजन रखने की वजह से वह थोड़ा थक गया था इसलिए गहरी सांस लेते हुए बोल रहा था उसकी बात सुनकर गेहूं का वजन ले रहे उस घंटी के मालिक ने बोला)

अरे अंकित बेटा आज सुबह में ही सबका गेहूं पीस दिया हूं बस कुछ लोग ही रह गए हैं,,,, देख रहे हो गेहूं की बोरी और डिब्बा भी कितना कम है,,, आज जल्दी काम खत्म हो जाएगा,,,,(इतना कहते हुए वहतराजू पर से गेहूं की बोरी को उतार कर एक तरफ रख दिया और उसकी चिट्ठी बनाने लगा,,,और चिट्ठी बनाते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अरे अंकित तुम्हें कहीं जाना तो नहीं है ना,,,,।

नहीं पुरन अंकल मुझे कहीं नहीं जाना है,,, क्यों कोई काम था क्या,,,,!?

काम तो था मेरी तबीयत थोड़ा सा नादुरस्त नजर आ रही है,,,, मैं सोच रहा था कि 20-25 मिनट आराम कर लो तब तक तुम गेहूं पीस लो,,,।

लेकिन मुझे तो गेहूं पीसना आता नहीं है,,,।

अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है आओ मैं तुम्हें बताता हूं,,,(इतना कहकर वह अंकित को घंटी के करीब ले गया,,, और घंटी के ऊपर वाले हिस्से को दिखाते हुए जिसमें गेहूं भरा जाता था वह बोला,,,)

देख रहे हो गेहूं अपने आप घंटी के अंदर जा रहा है बस तुम्हें इतना करना है कि थोड़ा ऊंगली से चला देना है ताकि गेहूं आराम से अंदर जा सके और कुछ करना नहीं है,,,,

ओहहहह यह तो बहुत आसान है अंकल जी,,,।

तो क्या तुम्हें लग रहा था कि जैसे पहाड़ चढ़ना है कुछ खास नहीं है और यह देखो गेहूं खत्म हो गया है,,, रुको मैं तुम्हें बता देता हूं,,,(इतना कहकर वह गेहूं की उस बोरी को वहां से हटा दिया और अंकित से बोला,,,)

तुम अपनी गेहूं की बोरी उठा कर लाए मैं बताता हूं कैसे क्या करना है,,,,(इतना सुनकर अंकित तुरंत अपनी गेहूं की बोरी लेकर आया और बोला)

अब क्या करना है अंकल,,,,

बस अभी से उठाकर इसमें डाल दो,,,,(अंकित वैसा ही किया) अब देखो गेहूं आराम से नीचे गिरता चला जाएगा और पिसता चला जाएगा,,,(इतना कहकर वहां गेहूं की बोरी को जहां से आटा निकलता था वहां लगा दिया,,,, ताकि आटा उसमें इकट्ठा हो सके,,) देख लिया ना कैसे क्या करना है,,,

जी अंकल,,,,।

बस ख्याल रहे इसके अंदर देखते रहना कहीं गेहूं रुक ना जाए बस उसे उंगली से चला देना बाकी सारा काम अपने आप हो जाएगा,,,,।

ठीक है अंकल जी अब आप जाइए आराम करिए,,,।

लेकिन ध्यान से बेटा इतने में तो आधा घंटा निकल जाएगा तब तक मैं आ जाऊंगा,,,, अब मैं जाता हूं,,,,(उसका इतना कहना था कि तभी सामने से सुषमा भी गेहूं की बोरी लेकर वहां पहुंच गई उस पर नजर पड़ते ही अंकित का चेहरा खिल उठा और यही हाल सुषमा का भी हो रहा था,,,,वह भी अंकित को देख रही थी और उसे दिन की याद एकदम से ताजी हो गई थी उसके लगाए गए हर एक धक्के उसे अच्छी तरह से याद थे,, और इसीलिए उसकी बुर में सिरहन सी दौड़ने लगी,,, लेकिन इस बीच सुषमा को देखकर घंटी का मालिक थोड़ा सा नाराजगी दिखाते हुए बोला,,)

लो इनको भी अभी आना था,,,,। आई भाभी जी बहुत देर कर दी हो आप,,, कोई जल्दबाजी तो नहीं है,,,।

अरे यह क्या कह रहे हो भाई साहब जल्दबाजी न होता तो मैं यहां क्यों आती आराम से नहीं भेज देती वह क्या है कि सुमन घर पर है नहीं इसलिए मुझे आना पड़ा और अगर गेहूं नहीं पिसा जाएगा तो रोटी नहीं बन पाएगा,,,

चलो कोई बात नहीं,,,,

क्या कहीं जा रहे हो क्या भाई साहब,,,


कहीं जा नहीं रहा था लेकिन आराम करने जा रहा था क्योंकि आज तबीयत थोड़ी ठीक नहीं लग रही थी।

तो मेरा गेहूं,,,!

अरे चिंता मत करिए भाभी जी अंकित है ना यह पीस देगा,,,,

क्या ये,,,,(आश्चर्य से अंकित की तरफ देखते हुए)

क्यों आंटी जी तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है क्या,,,?(अंकित मुस्कुराते हुए बोला,,)

विश्वास तो मुझे उसे दिन भी नहीं हो रहा था,,,

किस दिन भाभी जी,,,

अरे कुछ नहीं ,,,, क्या यह सच में गेहूं पीस देगा,,,।

अरे बिल्कुल भाभी जी चिंता मत करिए मैं सबकुछ सिखा दिया हूं,,, अंकित भाभी जी का गेहूं वजन कर दे तो,,,।

ठीक है अंकल,,(और इतना कहकर अंकित तुरंत सुषमा आंटी के करीब है और मुस्कुराता हुआ उनकी गेहूं की बोरी को उठाकर तराजू पर रख दिया और खुद ही दौड़ने लगा थोड़ी ही देर मेंवह गेहूं का वजन ले चुका था और चिट्ठी अपने हाथ से बना रहा था यह देखकर सुषमा मुस्कुराते हुए बोली)


अरे वाह रे अंकित तु तो बहुत चालाक हो गया है,,,.

सच में भाभी जी यह बहुत होशियार लड़का है,,, एक ही बार बताने पर सब कुछ सीख गया,,,।

अरे यह बहुत शैतान भी है,,,,।

तो ठीक है भाभी जी आप जाएंगी की रुकेगी,,,।

रुकना तो पड़ेगा ही,,,,तुम जाओ आराम करो मैं यही रुकती हूं इसके बाद मेरा ही नंबर है ना,,,।


हां भाभी जी आपका ही नंबर है,,,, और हां,,,(इतना कहकर वहां दरवाजे पर गया और लकड़ी के दरवाजे को बंद कर दिया और बोला) यह ठीक रहेगा कोई अगर आएगा अभी तो वह दुकान बंद समझ कर चला जाएगा क्योंकि थोड़ी भी गड़बड़ हो गई तो नुकसान हो जाएगा,,,.


यह तुमने बहुत ठीक किया भाई साहब,,,(अंदर ही अंदर एकदम प्रसन्न होते हुए) दूसरा कोई गेहूं लेकर आएगा तो दिक्कत हो जाएगी,,,, अंकित इतना भी होशियार नहीं हो गया है कि एक साथ इतने लोग को संभाल लेगा,,,।

सही कह रही हो भाभी जी अब आप बैठिए मैं आराम करने जा रहा हूं,,,(और इतना कहकर वह आराम करने के लिए दूसरे कमरे में चला गया,,, अंकित भी मन ही मन खुश हो रहा था,,, वैसे तो सुषमा सिर्फ गेहूं की बोरी देने के लिए आई थी लेकिन अंकित को यहां देखकर उसका यहां रुकने का मन हो गया था। घंटी के मालिक के जाते ही सुषमा मुस्कुराते हुए अंकित की तरफ अच्छी और बोली,,,)

क्या रे क्या करने आया है यहां पर,,,।

वही जो तुम यहां करवाने आई,,हो,,,,।

करवाने आई हूं,,,,, तुझे क्या लगता है कि मैं यहां करवाने के लिए आती हुं,,,,

अब क्या पता देख कर तो मुझको ऐसा ही लगता है,,,, क्योंकि उस दिन भी तो घर पर सिर्फ चीनी लेने आई थी लेकिन करवा कर गई,,,,।

क्यों उस दिन तुझे मजा नहीं आया क्या,,,,?(सुषमा एकदम मस्त होते हुए दोनों हाथ को आगे बढ़करअंकित के कंधे पर रखते हुए बोली और वह इस तरह से अपनी भारी भरकम चुचियों का प्रदर्शन भी उसके सामने कर रही थी,,,,और उसका यह प्रदर्शन रंग ला रहा था क्योंकि उसकी यह अदा अंकित को मदहोश कर रही थी,,,, क्योंकि रास्ते भर वह अपनी मां के बारे में सोच कर मदहोश हो रहा था उत्तेजित हो रहा था और इस समय उसकी आंखों के सामने सुमन की मां थी जिसकी चुदाई वह कर चुका था और उसे लगने लगा था कि आज हाथ से हिलाकर गर्मी शांत नहीं करना पड़ेगा बल्कि आज बुर के अंदर डालकर ही गर्मी शांत हो जाएगी। सुषमा की बात सुनकर वह भी मुस्कुराते हुए बोला,,,)

मजा तो इतना आया था कि आंटी पूछो मत,,,,,। और तुम्हें,,,।


उसे दिन पता नहीं चला सब कुछ जल्दबाजी में हुआ था ना इसलिए,,,,(अंकित के कंधे पर से अपने दोनों हाथ हटाते हुए वह बोली)

लेकिन तुम्हारी आवाज सुनकर तो लग नहीं रहा था कि तुम्हें मजा नहीं आ रहा था,,,,, तुम भी बहुत मजा ली थी,,,,।
(अंकित की बात सुनकर सुषमा मुस्कुराने लगीपर वह बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी जिसे बंद करके घंटी का मालिक कमरे के अंदर आराम करने के लिए गया था और इन दोनों को एक बहुत अच्छा मौका देकर गया था,,,,)

तुझे क्या लगता है,,,,,?


अब मुझे क्या लगता है मैं कैसे बता सकता हूं मुझे तो बहुत मजा आया था और मेरी पूरी कोशिश की कि तुम्हें भी बहुत मजा दूं क्या सच में मैं तुम्हें मजा नहीं दे पाया,,,,,,।

उस दिन अधूरा ही रह गया मुझे लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही एकदम से वह अंकित के पेट के आगे वाले भाग पर अपनी हथेली रखकर दबा दीऔर महसूस करने लगी कि वाकई में इस समय भी अंकित का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और उसकी हथेली में गर्माहट प्रदान कर रहा था,,,,सुषमा की हरकत को देखकर अंकित भी मदहोश होने लगा उसे भी लगने लगा कि आज घंटी के अंदर ही कुछ ना कुछ जरूर होने वाला है वह अंदर ही अंदर खुश होने लगा और उत्तेजित होने लगा और वैसे भी वह सुमन की मां के साथ कुछ ज्यादा ही खुल चुका था और एक बार मजा भी ले चुका था इसलिए उसे यह कहते हुए बिल्कुल भी झिझक नहीं हुआ और वह बोला,,,)


तो क्यों ना उस दिन का अधूरा काम आज पूरा कर लेते हैं,,,, मौका भी है दस्तूर भी है और ऐसा लग रहा है की घंटी का मालिकआज हम दोनों के लिए बीमार हुआ है और हम दोनों को एक अच्छा मौका देकर आराम करने के लिए चला गया है,,,,।


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,(अंकित के पेंट के आगे वाले भाग को अपनी मुट्ठी में एकदम कसके दबोचते,, हुए,,,, और उसकी हरकत पर अंकित बोला,,,)

आराम से आंटी मुझे तो लग रहा है कि तोड़ डालोगी,,,।

मेरा बस चले तो सच में इसे तोड़ डालुं,,

अगर तोड़ डालोगी तो अपनी बुर में क्या लोगी,,,।

(अंकित के मुंह से बुर शब्द सुनकर वह एकदम से मदहोश होते हुए बोली)

कितना हारामी है तू और घंटी वाला तुझे सीधा लड़का समझ रहा है,,,।

तुम भी कितनी छिनार हो और घंटी वाला तुम्हें भाभी-भाभी कहकर इज्जत दे रहा है,,,।

इज्जत तो दे रहा है ना तेरी तरह ले तो नहीं रहा है,,,।

अगर इज्जत लेने पर आ जाऊंगा तो यही पटक कर चोद डालूंगा,,,,।

बहुत घमंड है ना तुझे अपने लंड पर ,,,, मैं भी देखती हूं कि आज कितनी देर तक दिखता है आज बीना चोदे ही तेरा पानी निकाल देती हुं (और इतना कहने के साथ ही तुरंत बैठ गई औरमौके की नजाकत को समझते हुए जल्दी-जल्दी अंकित के पेट की बटन खोलने लगी और देखते ही देखते वह पेंट को और अंडरवियर को दोनों को एक साथ खींचकर उसके घुटनों तक नीचे कर दी और उसके लहराते हुए लंड को अपने हाथ में भी नहीं ली,, सीधा उसे अपने लाल लाल होठों के बीच लेकर चूसना शुरू कर दी,,, सुषमा की इस हरकत पर अंकित पूरी तरह से मदहोश होने लगा और अपनी आंखों को बंद करके इस पल का मजा लूटने लगा,,,,अंकित को बहुत मजा आ रहा था अंकित पागल हुआ जा रहा था और सुषमा इतने मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने मुंह में लेकर गदगद हुए जा रही थी इस उम्र में भी उसे एक जवान मोटे तगड़े लंड का सहारा जो मिल चुका था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,,,वह गप्प गप्प करके अंकित के लंड को अपने गले तक ले रही थी और बाहर निकाल रही थी,,,,अंकित भी मजा लेते हुए अपने कमर पर हाथ रख कर धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके अपने लंड को सुषमा के लाल-लाल होठों के बीच अंतर बाहर करते हुए उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,,, और ऐसा करते हुए अपने मन में सोचने लगा कि वह सुषमा आंटी के साथ यह सब बड़े आराम से कर लेता है तो अपनी मां के साथ ऐसा करने में वह क्यों झिझक रहा है,,,जबकि उसे यकीन हो चला था कि उसकी इस तरह की हरकत का उसकी मां बिल्कुल भी विरोध नहीं करेगी बल्कि उसकी हरकत का पूरी तरह से मजा लुटेगी।

सुषमा घुटनों के बल बैठकर अंकित के लंड को गले तक लेकर चूस रही थी,,,, उसे बहुत मजा आ रहा था,,, सुषमा बराबरअंकित के लंड की चुसाई कर रही थी क्योंकि वह देखना चाहती थी कि उसका लंड कितनी देर तक टिक सकता है,,, वह पागलों की तरह चूस रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि ऐसा चुसाई करने पर उसका लंड पानी फेंक देगा तो उसके बाद चुदवाने में कुछ ज्यादा ही मजा आएगा, लेकिन उसके सोचने के मुताबिक बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,,,सुषमा को ऐसा लग रहा था कि उसका लंड अपनी फेंकेगा लेकिन वह तो मुझे लेकर अपनी कमर हिला रहा था यह देखकर वह भी अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,,, तकरीबन 10 मिनट की चुसाई के बाद वह अंकित के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाली वह गहरी गहरी सांस ले रही थी,,,यह देखकर अंकित प्रसन्न होने लगा और वह अपने लंड को पड़कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जो कि उसके थूक और लार से सना हुआ था,,,। वह जिस तरह से ऊपर नीचे करके हिला रहा थासुषमा यह देखकर मदहोश हो रही थी उसकी बुर पानी फेंक रही थी,,, वह तुरंत ही उठकर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी कमर तक उठाकरअपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अपनी चड्डी उतारने में उसे एक पल की भी देरी नहीं लगी,,,,सुषमा की हालत और उसकी हरकत देखकर अंकित की उत्तेजना परम शिखर पर पहुंच चुकी थी और वह सुषमा की नंगी गांड पर अपना हाथ घुमा रहा था यह देखकर सुषमा बोली,,,।)

अब तेरी बारी है,,,,( और इतना कहकर सुषमा पास में हीं पड़े टेबल पर गांड टीका कर बैठकर अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,,यह देखकर अंकित के मुंह में पानी आ गया और वह अच्छी तरह से समझ गया कि सुषमा क्या करवाना चाहती है और वह भी सूचना की तरह ही घुटने के बल बैठकर उसकी दोनों जांघों पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे उत्तेजना में मसलते हुए अपने प्यासे होंठों को उसके गुलाबी बुर पर रख कर चाटना शुरू कर दीया,,,,सुषमा एकदम से मत हो गई और अपनी आंखों को बंद करके अपना एक हाथ अंकित के सर पर रख दी और उसे अपनी बुर पर दबाने लगी,,, अंकित पागलों की तरह सुषमा की बुर को चाट रहा था उसे बहुत मजा आ रहा थाऔर कभी सोचा भी नहीं था की घंटी पर उसे इस तरह से मजा लूटने का मौका मिल जाएगा और ना ही सुषमा ने यह कभी सपने में भी सोची थी,,,। अंकित वैसे तो उसे बुर चाटने का कुछ ज्यादा अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी सुमन राहुल की मां नूपुर और सुमन की मां सुषमा के साथ और सबसे ज्यादा अपनी नानी से या हुनर सीख चुका थाजिसे उसे इतना तो पता चल ही गया था कि औरत को किस क्रिया में ज्यादा आनंद प्राप्त होता है और वह इस समय वही क्रिया कर रहा था,,,

सुषमा अपने गरमा गरम सिसकारी की आवाज को दबा नहीं पा रही थी,,,बड़ी मुश्किल से वह अपने आप पर काबू कर पा रही थी लेकिन फिर भी उसके मुंह से मदहोश कर देने वाली आवाज बाहर निकल ही जा रही थी क्योंकि अंकित मजा ही कुछ ऐसा दे रहा थाअब सुषमा की बुर में आग लग चुकी थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,वह जल्द से जल्द अंकित के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी बुर की खुजली मिटा लेना चाहती थी। इसलिए उसके कंधे पर हथेली से थपथपी लगाकर उसे उठने के लिए बोली,,,, अंकित इतना तो समझ गया था कि अब सुषमा को क्या चाहिए,,,, इसलिए वह भी जल्दी से उठकर खड़ा हो गया और अपने लंड को हाथ में लेकर पिलाना शुरू कर दिया यह देखकर सुषमा की हालत खराब होने लगी उसकी बुर से पानी निकालने लगा,,,, और वह जल्दी से बोली,,,)


देर मत कर किसी भी वक्त घंटी का मालिक आ जाएगा तो बना काम बिगड़ जाएगा।


मैं भी यही करने वाला था आंटी,,,(और इतना कहने के साथ ही टेबल पर वह पहले से भी अपनी दोनों टांगें खोल कर रखी हुई थी उसकी गुलाबी छेद बड़े आराम से दिख रही थी और अंकित अपने टनटनाए लंडउसके छेद पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा और एक साथ पूरा का पुरा लंड सुषमा की बुर में समा गया चश्मा पूरी तरह से मस्त हो गई और जिस तरह से अंकित ने प्रहार किया था उसके मुंह से सीख निकलने वाली थी लेकिन किसी तरह से वह अपने आप को संभाल ले गई थी,,, अंकित अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था अंकित को भी बहुत मजा आ रहा है उस दिन जल्दबाजी में वह सुमन की मां की जिस तरह की चुदाई किया था उसे पूरी तरह से मजा तो नहीं मिल पाया था लेकिन आनंद बहुत आया था,,, उस दिन की कसर आज अंकित निकाल लेना चाहता था,,, वह बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था जिससे सुषमा बार-बार टेबल पर सेलुढ़क जा रही थी लेकिन अंकित उसकी कमर में दोनों हाथ डालकर उसे संभाले हुए था,,,,, जोर-जोर से धक्के लगाते हुए वह बोला,,,।

आज कैसा लग रहा है आंटी,,?

आहहहह आहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है कि उस दिन की कसर तू आज पूरी कर देगा,,,।

बिल्कुल आंटी उस दिन तुम्हें लगता है अच्छी तरह से एहसास नहीं हुआ आज तुम्हें अच्छी तरह से एहसास कराऊंगा,,,,, अब संभालो अपने आप को,,,( इतना कहने के साथ ही अंकित का प्रहार और तेजी से होने लगा अंकित पागलों की तरह सुषमा की चुदाई कर रहा था हमसे बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर तक टेबल पर ही सुमन की मां की चुदाई करता रहा और अपने मन में सोच रहा था कि यह वक्त भी क्या खेल खेलता है मौका तो सुमन को चोदने को था लेकिन सुमन नहीं चुदी लेकिन उसकी मां अनजाने में ही चुद गई,,,, लेकिन अंकित को तो मजा आ रहा था अंकित को कुछ सीखने को मिल रहा था ,,,, मसला अब यह नहीं था कि कौन चुद रहा है,,,,अंकित को इन सब से कुछ सीखने को मिल रहा था यदि उसके लिए बहुत था जो कि आगे चलकर उसकी मां के साथ उसका अनुभव काम आने वाला था,,,, थोड़ी देर इसी तरह से चुदाई करने के बाद सुषमा खुद टेबल पर से उठकर खड़ी हो गई हो घोड़ी बन गई पीछे से अंकित उसकी गुलाबी बुर में लंड डालकर जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और तकरीबन 15 मिनट की चुदाई के बाद वह पानी पानी हो गई और एकदम से झड़ गई और थोड़ी देर बाद अंकित भी झड़ गया,,,,


अपने कपड़े दुरुस्त करने के बाद वह घंटी की तरफ देखा तो उसका गेहूं खत्म हो चुका था वह जल्दी से दौड़ता हुआ गया और अपने गेहूं की बोरी हटाकर सुषमा की बोरी का गेहूं घंटी में पलट दिया ,,, तब तक सुषमा भी मुस्कुराते हुए अपने कपड़े को व्यवस्थित कर ली,,,, थोड़ी देर बैठने के बाद सुषमा का भी गेहूं पिसा गया था,,,, और थोड़ी ही देर में घंटी का मालिक भी नीचे आ गया था,,,, और दोनों आटा लेकर अपनी-अपने घर की तरफ आने के लिए घंटी से निकल गए,,,।

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Waah kya baat hai
 
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