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अब आगे

विनोद ने बिना कुछ बोले परम को थोडा बाजू हटा के उसकी चूत से लंड निकालवा दिया और सुंदरी को पीछे से दोनों स्तनों को पकड़ लिया और बिस्तर पर लेटा दिया। सुंदरी की दोनो टैंगो को फैला कर विनोद ने जीभ को क्लिट पर लगाया। विनोद को एक अजीब सी गंध और स्वाद लगा। उसने जोर-जोर से जीभ को चूत के चीरा पर रगड़ना शुरू किया और सुंदरी अपना चुतर उछालने लगी। विनोद की जीभ चूत पर चलते चलते चूत के छेड़ को पार कर के अंदर घुस गया और उसने पूरी जीभ चूत के अंदर पेल कर जीभ को चूत में घुमाने लगा। सुंदरी को बहुत मजा आ रहा था।

“अहह.. बेटेईईई… मजाआआ.. आ रहा है… आह..” सुंदरी मचल रही थी और खुद ही अपने हाथों से स्तनों को मसलने लगी। परम अपना तनतना हुआ लंड लेकर आगे बढ़ा और सुंदरी के होठों से लंड को लगा कर उसकी छातिया दबाने लगा। सुंदरी ने परम के लंड को अलग हटा दिया और कहा "तुम अभी बैठ कर मजा लो, बेटे अब उसने पैसा दिया है तो उसका हक पहले बनता है।" मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

“विनोद जब तुम्हारा लंड टाइट हो जायेगा तो बोलना।”

विनोद ने दोनों हाथो से सुंदरी के टांगो को बिल्कुल दूर फैला दिया था और अपना पूरा मुँह सुदरी की मस्त चूत में घुसाने की कोशिश कर रहा था। उसका नाक तो अंदर चला ही गया था। विनोद को अब धीरे-धीरे चूत का स्वाद बहुत अच्छा लगने लगा।

विनोद सुंदरी की स्वादिष्ट चूत को चाटने और चूसने में बहुत तल्लीन था। ऐसा लग रहा था कि विनोद अपना पूरा सिर बुर में घुसा देगा लेकिन नाक और जीभ के अलावा और कुछ चूत के नीचे नहीं जा सका। सुंदरी को भी बहुत मजा आ रहा था, इस से पहले उसका बेटा परम और सेठजी ने सुंदरी का चूत चाटा था लेकिन जो मजा अभी आ रहा था वैसा मजा पहले कभी नहीं आया था। क्यों की विनोद उसकी चूत चाट रहा था की खोद रहा था! वह जितना अन्दर जा सकता था पहुच गया था। एक तरीके से उसकी सही चुदाई हो रही थी जहा लंड लटक रहा था और जिब उसकी चूत को खोद रही थी।
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

सुंदरी खूब मजा ले कर मजा ले रही थी और कमर हिला-हिला कर विनोद को बता रही थी कि उस से खूब मजा आ रहा है। सुंदरी जोरो से 'आहह...' उह्ह्ह…कर रही थी, साथ ही कमर उछल-उछल कर विनोद के चूत चटाई का मजा मार रही थी, और विनोद को उकसा रही थी। सुंदरी को इतना मजा आया कि उसने दोनों हाथों से अपनी जांघों को चूम लिया। अब सुंदरी को अपनी चूत दिख रही थी। विनोद कभी क्लिट को चूस रहा था तो कभी पूरी जीभ को अंदर डाल कर घुमा रहा था। साथ ही चूत के अंदर उंगली भी घुसा कर सुदरी के तन और मन दोनों को चूत खुदाई के द्वारा खुद ही मजा लेने लगा और सुदरी को भी स्वर्ग दिखाने की कोशिश करने लगा।

विनोद का लंड टाइट होने लगा था लेकिन विनोद की चुदाई के बारे में भूलकर चूत खाने में लगा हुआ था। पहली बार विनोद इस तरह चूत का मज़ा ले रहा था। इधर परम का लंड पूरा टाइट था, वो अपनी माँ के पास आया और उसकी बोबले को मसलने लगा साथ ही अपना टाइट लंड को सुंदरी के बदन पर रगड़ने लगा। कभी लंड को सुंदरी की जाँघों से रगड़ता था तो कभी मस्त बोबले को ही लंड से दबा रहा था।

सुंदरी पूरी मस्त हो गई थी और वो भी लंड को चूसना चाह रही थी। अब सुदरी का मुह भी किसी लंड से चुदवाने को तड़प रहा था, उसका मुह खुला था की दोनों लंड से कोई एक भी उसे भर दे, “विनोद अपना लंड मेरे मुँह में डालो।” उसने जोर से कहा लेकिन विनोद अपनी स्थिति बदलना नहीं चाहता था। चूत को चोदा और चाटता रहा। सुंदरी ने दो-तीन बार तड़प कर लंड को मुँह में डालने के लिए कहा, लेकिन विनोद ने नहीं सुना। सुंदरी ने तड़प कर बेटे परम का लंड पकड़ा और मुँह में गपाक लिया और खूब जोर-जोर से चबाने और चूसने लगी।

विनोद का लंड पूरा टाइट हो चुका था। फिर भी उसने चूत का स्वाद लेना बंद नहीं किया। तभी परम ने जोर से कहा “साला चूत चाटते-चाटते तेरा पानी फिर निकल जाएगा और चोद नहीं पाएगा। फिर मुज से फ़रियाद ना करना और पैसे वापस ना माँगना। मैंने सुदरी को चोदने के लिए दे दिया अब तू उसकी चूत चाटे या उसका भोसड़ा बनाये सब तेरी मर्जी है।”
मैत्री और फनलव द्वारा अनुवादित रचना

सुंदरी ने भी परम की बात में हामी भरते हुए कहा: “बेटा विनोद, परम ठीक ही तो कहता है, मैंने मेरा माल दिखा दिया अब पैसे वसूलना तुम्हारा काम है बेटे, चोदो या चाटो! मेरे ख्याल से नंगे माल को चाट के चोदना ही बेहतर रहता है।”

इतना सुनना था कि विनोद ने सुंदरी की कमर को नीचे की ओर दबाया और कमर को जोरो से पकड़ कर लंड चूत में घुसेड़ दिया।

“अहह… धीरे” सुंदरी ने परम के लंड को मुँह से निकाला हुआ कहा।

विनोद ने परम को धक्का मार कर अलग किया और सुंदरी की चुची को दबाते हुए उसे चूमने लगा। सुंदरी को अपनी चूत का स्वाद मिला और वो भी विनोद को टांगो से जकड़ कर कमर उछाल कर विनोद के लंड के धक्के को चूत के गहराईया भरने लगी। सुंदरी को इतना मजा परम के साथ चुदाई में नहीं आया था ना ही सेठ की चुदाई में। सुंदरी ने चोदते हुए फैसला किया कि परम और सेठ का लंड तो खायेगी ही लेकिन विनोद से भी नियमित रूप से चुदवायेगी। विनोद खूब दम लगाकर चोद रहा था और सुंदरी भी पूरा साथ दे रही थी।

“आहहह… राजा… बहुत मजा…आआ… रहा है… मेरे माल (चूत) को चोदते रहो।

इस आह्वाहन से विनोद ने खुश होकर और जोर से धक्का मारा।

“आअहह………, धीरे….चूत फट जायेगी…” वह जानती थी की ऐसे टाइम कैसे बोला जाता है।

परम बिलकुल सट कर, खड़ा होकर अपनी माँ की चुदाई देख रहा था और साथ-साथ सुंदरी की चुचियो को मसल-मसल कर जवानी का मजा भी ले रहा था। चुदाई थमने का नाम नहीं ले रही थी, दोनों खूब जोश में एक दूसरे को बाहों में जकड़ कर चुदाई कर रहे थे।


चुदाई करते-करते सुंदरी थक गई और उसका पानी निकल गया। तुरत बाद विनोद ने भी चूत के अंदर ही पानी निकाल कर चूत को ठंडा कर दिया। सुंदरी ने विनोद के जांघों को अपनी जांघों से जकड़ रखा था और कुछ देर तक चुम्मा चाटी करने के बाद दोनों अलग हो गए।


इस एपिसोड के बारे में अपनी राय अवश्य देना प्लीज़ ..............
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अपडेट 6

सुंदरी ने फैसला किया कि विनोद जब भी चोदने आयेगा, उससे जम कर चुदवायेगी। परम ने अपनी माँ सुंदरी को विनोद से मजा लेते हुए देखा और अपना लंड अपनी माँ की चूत में और गांड में सतर्क रह गया। परम ने भी फैसला किया कि अगली बार वो सुंदरी की गांड मारेगा। सुंदरी परम के बगल में बैठी थी और दोनों बातें कर रहे थे। बात करते करते परम अपनी माँ की जांघों को रगड़ रहा था। उसने माँ का हाथ पकड़ कर अपने पैंट के ऊपर रख दिया और सुंदरी ने भी पैंट के ऊपर से लंड को मसला। दोनो पैडल रिक्शे पर बैठे थे। रास्ते में बहुत लोग उनको पहचान बाले दिखें। सुंदरी ने गांव की बहू होने के नाते उसने घूंघट निकाल रखा था। उसका चेहरा ढका हुआ था लेकिन लोगो को उसकी जवानी भरपुर दिख रही थी। उठे और तने हुए स्तन, गठा हुआ बदन, बड़ी बड़ी जांघें लोगो को पागल बनाने के लिए काफी था। सेठ का घर आया और दोनो उतर गये। अंदर जा कर देखा कि काफी चहल पहल है।

सेठ का बड़ा बेटा और बड़ी बहू आ गये थे।

*******

बड़ा बेटा करीब 25 साल का था और उसकी पत्नी 20-21 साल की थी। बेटा अपने बाप की तरह खूब स्वस्थ था लेकिन अभी पेट बाहर नहीं निकला था। दुसरे शहर में अपना कपड़े का कारोबार का होलसेल धंधा करता था। उनकी शादी को चार साल हो गए थे लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। बड़ी बहू दूसरी मारवाड़ी लड़कियो की तरह बहुत गोरी और चिकनी थी। स्वस्थ शरीर, लंबे बाल, मोटी भुजाएँ और जांघें और बड़े बोब्लो की मालकिन। स्तन बहुत बड़े और फूले हुए थे और वह जो भी ब्लाउज पहनती थी, स्तनों की क्लीवेज और ऊपरी मांस खुला रहता था। उसके गाल गोल-मटोल और देखने में मधुर थे। वह बहुत बातूनी भी थी।
यह कहानी मैत्रीपटेल और फनलव द्वारा अनुवादित है

सेठ का बड़ा बेटा (ब्रज) भी अपने बाप की तरह, सुंदरी का बहुत शौकीन था। बचपन में वह उसके साथ खेला करता था और सुंदरी उसे और उसके छोटे भाई को गले लगाती थी। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनके बीच दूरियाँ बढ़ती गईं और पिछले लगभग दस सालों से सुंदरी ने दोनों भाइयों को छुआ तक नहीं है। अब दोनों शादीशुदा हैं। सुंदरी को सेठ के बेटे के लिए कभी कोई यौन इच्छा नहीं हुई, लेकिन उन दोनों को थी। दोनों उसके साथ मस्ती करना चाहते थे। वे जानते थे कि उनके पिता (सेठजी) भी सुंदरी के बहुत शौकीन हैं और वे यह भी जानते थे कि सुंदरी ने किसी को लिफ्ट नहीं दी है। इसलिए वे सुंदरी के पास जाने से डरते थे। दोनों भाइयों ने कई बार सुंदरी की जवानी के बारे में बात की थी और उसे चोदने की इच्छा जताई थी। वे अपनी पत्नी से भी सुंदरी की जवानी के बारे में खुलकर बात करते थे और बदले में उन्हें डाँटते थे और याद दिलाते थे कि वह उनसे बहुत बड़ी है।लेकिन दोनों भाई को सुंदरी को पाना एक सपना जरुर था। उन दोनों की पत्निया भी जानती थी की उनके पति को सुंदरी सब से ज्यादा अच्छी लगती है और साथ में उनके ससुर भी सुंदरी के दीवाने है, वह दोनों बहु यह भी जानती थी की उस्न्की सासुमा भी एक अच्छी चुदासी स्त्री है।

लेकिन ब्रज और अज्जू दोनों को यह नहीं पता था कि पिछले कुछ दिनों में सुंदरी ने अपनी चूत खोल दी है और सेठजी समेत तीन लोगों को अपनी चूत से खजाने की तलाश करने की इजाज़त दे दी है। सुंदरी ने उन्हें देखा और एक-दूसरे को बधाई दी। वह मुस्कुराई और बड़ी बहू को गले लगा लिया और टिप्पणी की कि वह और अधिक सुंदर हो गई है और यह भी पूछा कि वे बच्चे पैदा करने में देरी क्यों कर रहे हैं। बड़ी बहू, उषा ने सुंदरी के गालों को चूमा और उसे बाहों में लेकर टिप्पणी की,

"दीदी (सुंदरी) तुम तो पहले से ज्यादा जवान हो और मस्त हो गई हो। लोगो को पागल बना डालोगी!"

सुंदरी ने मुस्कुरा कर अपने को अलग किया। “तुम लोगो के सामने मुझे कौन देखेगा?”

उषा ने अपने पति की ओर इशारा करके कहा “देखो, कैसे घुरघुर कर तुमको देख रहा है…” यह सुनकर सुंदरी शरमा गई और किचन में चली गई। .

बहू ने परम की ओर देखा और कहा, "तू भी तो पूरा जवान हो गया है, चल थोड़ा काम कर।"

उषा अपने कमरे की तरफ गई और परम को साथ आने को कहा। रेखा आस-पास नहीं थी, शायद अपने कमरे में थी। परम बहू के साथ उसके रूम में चला गया। वहा बहू का सामान फैला हुआ था। परम ने बहू के निर्देशानुसार सामान उचित स्थान पर रखना शुरू कर दिया। वह भी परम के साथ सामान इधर-उधर कर रही थी। कई बार उनका शरीर छू गया. परम ने जानबूझ कर उसके कूल्हों और पीठ पर हाथ फेरा। उसका पल्लू नीचे गिर गया था। उसने इसे कंधे पर लगाने की कोशिश की लेकिन यह नीचे गिरता रहा और टीले का ऊपरी हिस्सा और दरार उजागर हो गई। परम ने उसकी माल को घूर कर देखा। उषा ने अपनी कमर पर पल्लू बाँध लिया और अब उसकी चुची परम के सामने आ गयी।

उषा को परम की नज़रों का अंदाज़ा हो गया। परम से नज़रें मिलाए बिना ही उसने उसे प्यार से डाँटा,
मैत्रीपटेल और फनलव की अनुवादित रचना

"क्या रे, क्या देख रहा है? कभी औरत नहीं देखी क्या?"

"ओह..भाभी तुम बहुत सुंदर हो...बहुत मस्त लग रही हो। भैया को तो खूब मजा आता होगा।"

“चुप साला चुतिया” वह परम को देखकर मुस्कुराई और बोली “तुम्हारी माँ से ज्यादा मस्त कोई नहीं है, उसका सब कुछ अच्छा होगा।”

परम उसके खुले हुए हिस्से को घूरता रहा और बोला, "अरे भाभी माँ को कोई थोड़े ही देखता है... सच में भाभी तुम बहुत मस्त लग रही हो...एक अच्छा मा....ल....!"

वह शरमा गई। निर्देशानुसार काम करते हुए परम उसके पास आया। उसने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा, "भाभी तुम को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है... मन करता है की देखता ही रहूँ...!"

आखिरकार वह एक जवान औरत थी और हर औरत को तारीफ़ पसंद होती है। लेकिन उसे याद आया कि शादी के बाद पिछले चार सालों में किसी ने भी उसके स्तनों को इतनी गौर से नहीं देखा था। उसे शर्म आ गई और वह उठ खड़ी हुई। उसने अपने बैग और सूटकेस ढूँढ़ने शुरू कर दिए। कुछ बैग ढूँढ़ने के बाद वह सीधी खड़ी हो गई। उसका पल्लू अभी भी उसकी कमर से बंधा हुआ था और ऊपर के अंगूठियाँ परम को घूर रही थीं।

इस समय तक परम ने अपनी सारी बातें कह दी थीं और अब कमरा व्यवस्थित लग रहा था। उसने धीरे से परम को पुकारा, "मेरा एक काम करेगा?"

“भाभी, क्या काम है, जो बोलो सब करूंगा।”
मैत्रीपटेल और नीता द्वारा अनुवादित रचना



बने रहिये कहानी के साथ और इस अपडेट के बारे में आपकी सोच और राय दीजिये प्लीज़ ......................
. Yeh bataye koi sarif hai is kahani mein. Mast update
 

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Jo bhi
पिछले अपडेट से आगे.........छोटा है............



"इधर आ" उसने उसे बुलाया।

परम उसके पास गया। उसने अपना दाहिना हाथ पकड़ लिया और परम को आश्चर्य हुआ कि उसने अपना हाथ उसकी नंगी दरार पर रख दिया। उसने उसे दबाकर रखा और कहा,

“कसम खा, जो काम मैं बोलूंगी उसके बारे में कोई बोलेगा नहीं।”

परम को उसके शरीर की कोमलता और गर्मी महसूस हुई। उसने स्तन पर दबाव बढ़ाया और अपना हाथ दाहिने स्तन के टीले की ओर बढ़ाया।

"कसम खाता हूं भाभी, किसी को नहीं बोलूंगा। लेकिन काम तो बताओ।"

उषा ने अपना हाथ परम के हाथ से हटा लिया और जैसे ही उसका हाथ आज़ाद हुआ उसने साहसपूर्वक भाभी के दाहिने स्तन को दबा दिया। उसने तुरंत उसका हाथ हटा दिया।

"क्या करता है, कोई देखेगा तो.." दोनों ने दरवाजे की ओर देखा।

कोई नहीं था! उषा ने फिर परम का हाथ पकड़ा और उसे अपने साथ कमरे के एक कोने की ओर खींच लिया। वे दरवाजे के ठीक पीछे खड़े थे। दोनो का दिल खूब जोर-जोर से गिर रहा था। परम का तो इस लिए कि भाभी की चुची को एक बार दबा चुका था और अब और मसल ने का मौका मिल गया। उषा इस लिए उत्साहित हैं कि वो जो परम से कहने वाली थी उसे बोलने में उसे शर्म आ रही थी। उषा अब बिलकुल परम के सामने खड़ी थी। दोनो के बीच मुश्किल से 6" का फासला था। अगर परम पैंट निकल कर खड़ा होता तो उसका लंड उषा के चूत से टकरा जाता। परम ने अपना दोनों हाथ साइड में रखा था। उषा ने हाथ बढ़ा कर परम के दोनों हाथों को पकड़ा और कहा।

“तुम मेरे लिए पोंडी ला सकते हो?”

वह हकलायी और तुरंत परम की ओर पीठ करके मुड़ गयी। उसे इतनी शर्म महसूस हुई कि उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से ढक लिया। ये सबसे अच्छा मौका था, परम ने धीरे-धीरे उसके हाथ उसकी कमर पर रख दिए और हाथों को उसके शरीर पर ऊपर धकेल दिया.. एक झटके में उसने अपने दोनों हाथ उषा के दोनों स्तनों पर रख दिए। उसने उन्हें कई बार दबाया। उषा की बड़ी-बड़ी चूची दबाने में परम को बहुत मजा आया। उषा जैसी गुदाज़ चुची ना तो सुंदरी की थे ना तो किसी और औरत की जिसको उसने चोदा या दबाया था।

“छोड़ो ना, क्या कर रहे हो… कोई आ जायेगा।” उषा फुसफुसाई। और एक निमंत्रण के तौर पे कहा “चल साले चुटिया कही का, चोदु बन ने निकला है क्या।“

परम ने उसे अपने पास खींच लिया। अब पैंट के नीचे से परम का लंड उषा की गांड से रगड़ रहा था। साथ ही परम भाभी की चुचियों को ऐसा मसल रहा था जैसे कि उसकी अपनी माल हो..

लेकिन उषा अलग हो गई और परम की तरफ घूम गई। उसकी आँखों में आँखे डाल कर बोली,

“बेशरम, तुमको किसका डर नहीं लगता… भैया (उसका पति) देखते तो हाथ काट देते…”

परम ने फिर हाथ बढ़ा कर उषा को अपनी ओर खींच लिया और उसके रसीले होठों को चूम लिया। उषा ने मुस्कुरा कर परम को धक्का दिया और बोली "मुझे रोज़ 'पोंदी' चाहिए।"

“तुम पोंडी किताब लेकर क्या करोगी.. वो तो हमारे जैसे लड़के पढ़ते हैं… तुम तो खुद ही पोंडी हो… सेक्स की पूरी और नई किताब.. जिसे पढ़ने में पूरी जिंदगी निकल जाएगी..”

परम ने फिर उषा की चुचियो को दबाया. “कल ले आऊंगा.. कोई सी, फोटो वाली या सिर्फ कहानी बाली”। उन्होंने पूछताछ की।

(
आशा है कि हर कोई जानता है कि "पोंडी" का मतलब हार्डकोर सेक्स कहानियों और चित्रों वाली किताबें हैं)

“तुम तो इसे दबा-दबा कर ढीला कर दोगे… मुझे कल नहीं, अभी चाहिए… बिना पोंडी पढ़े मुझे नींद नहीं आती है… जल्दी से ले आओ।”

उषा ने उसे धक्का दिया और वह स्थान दिखाया जहां उसे उन पुस्तकों को रखना चाहिए और अगले दिन बदल लिए जाना चाहिए। और उसने उसे सलाह दी कि किताबें गंदी होनी चाहिए, सेक्सी और बेहद अश्लील... उसने उसे चेतावनी दी कि अगर उसने किताबों के बारे में किसी को बताया तो वह उसे दोबारा छूने नहीं देगी और अपने पति को भी बता देगी कि उसने उसके साथ ज़बरदस्ती की। उसने परम को कमरे से बाहर धकेल दिया।

परम बिना किसी से बात किए घर से बाहर निकल गया और लगभग मुख्य बाज़ार की ओर भागा। अंदर जो हुआ उससे वह बहुत खुश था। उसे पूरा भरोसा था कि जल्द ही वह सेठजी की बड़ी बहू को चोद पाएगा। उसका मुह चोदने को मिलेगा।



जुड़े रहिये इस कहानी के साथ और अपनी अमूल्य राय देना ना भूले प्लीज़ ....................



आपकी राय मुझे ओर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करती है.................
Character aa rha hai bilkul mast hai.
 

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Yeh toh too much ho raha hai. Gajab
चलिए अब कहानी में आगे चलते है...........


उधर......


अंदर कमरे में, उषा बिस्तर पर बैठी अपने स्तनों को सहला रही थी। उसे हैरानी हो रही थी कि उसने अपने से *** साल छोटे लड़के को अपने इतने प्यारे स्तनों को सहलाने की इजाज़त कैसे दी। शादी के बाद पिछले चार सालों में उसके पति के अलावा किसी ने उसके स्तनों को नहीं सहलाया, जबकि शादी से पहले उसने तीन-चार लोगों को चूमने और सहलाने की इजाज़त दी थी। उसे हैरानी हुई कि परम ने जो किया, वह उसे पसंद आया। उसने परम के लंड का कसाव भी अपनी कमर पर महसूस किया और यह सोचकर ही सिहर उठी। उसने मन ही मन फुसफुसाया

“साला मादरचोद उसको पता ही नहीं चला की मेरी गांड की दरार कहा है, वही उसे अपना लंड को सटा ना चाहिए था। थोडा बहूत रगड़ देता मेरी गांड को तो उसके बाप का क्या जाता! वैसे भी उतनी दुरी होते हुए भी उसका लंड मेरी गांड की दरार को धुंध रहा था, मतलब की साले का माल बहोत बड़ा है। अच्छा चोदु हो सकता है......”
आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

"मैं परम से चुदवाऊँगी.."

उसी समय सुंदरी चाय की ट्रे और कुछ खाने का सामान लेकर आ गई। सुंदरी ने परम के बारे में पूछा। उसने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि सुंदरी और उसकी बेटी के बारे में बात घुमा दी। उषा ने महक के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि वह अपनी जवानी कैसे संभाल रही है। सुंदरी ने उत्तर दिया,

“बहुत आसान है, खूब खाओ, और खूब चुदवाओ”… और दोनों हंस पड़े..

“लगता है दीदी तुम खूब माल खाती हो!”

“ये बताने की बात नहीं है.!।” सुंदरी ने उषा से कहा और उसने अपने स्तन सहलाये।

“तुम्हारे बोबले बहुत बड़ी बड़ी है,..बहुत से लोग तुम्हारी लाइन मारते होंगे…सिर्फ बोबला दबाने के लिए।, इतने बड़े बड़े चुचियो को कैसे संभाल कर रखती हो…” सुंदरी ने जोरो से उसके बोबले को मसला..

“सीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसी,” बहू कराह उठी। “पहला बेटा मसल कर गया और अब माँ चुची दबा रही है।”

सुंदरी बहू की चुची को सहलाते हुए कहा “साला बहुत हरामी हो गया है.. आने दो मैं दातुंगी…”
आप मैत्री और फनलव की रचना पढ़ रहे है

बहू ने एक हाथ सुंदरी की जांघों पर रखा और कहा "तुम परम को मत कुछ बोलना, मैं खुद समजा दूंगी। जानती हो! आज शादी के चार साल में पहली बार किसी ने मेरी चूची दबायी है।"

सुंदरी ने बहू का हाथ अपनी जांघों से उठाया कर साड़ी के ठीक ऊपर नंगी पेट (पेट) पर रख दिया। और खुद अपनी उंगलियों से बहू की निपल्स को मसलने लगी।

"उषा, तू तो किस्मत बाली हो...तुम्हें चार साल बाद ही कोई चुची दबाने बाला मिल गया। मुझे तो 17 साल के बाद किसी ने हाथ लगाया।"

“कब…कौन…उसने तुम्हें चोदा?..”कहते हुए बहू ने अपने हाथ सुंदरी के साड़ी के अंदर डाला।

“तू क्या कर रही है.. कोई आ जाएगा तो क्या बोलेगा…।” सुंदरी बोली..

“बस दीदी, एक बार छूने दो…” बहू ने हाथ पूरा अंदर घुसा कर सुंदरी के चिकनी चूत को मसल दिया। “बोलो ना दीदी उसने चोदा भी.. ।”

सुंदरी ने जांघों को फैला दिया और बहू को आराम से चूत मसलने दिया। और कहा (उसने झूठ बोला):

“नहीं चुदवाई नहीं, सिर्फ चुची ही मसलवाई…लेकिन सच कहु..जबसे साले ने चुची मसला है चूत में खलबली हो रही है.. ।”

अब बहू सुंदरी की योनि को मसल रही थी, “कौन था वह किस्मतवाला जिसने एक सुन्दर सुंदरी के बोबले को मसला?”

“परम का दोस्त, विनोद..” सुंदरी को मजा आ रहा था… “बस अब निकाल लो, कोई आ जाएगा… कभी घर पे आओ तो पूरा मजा दूंगी.. ।” सुंदरी ने भी बहू के चूची के उभारो से हाथ हटाया और उसकी साड़ी के अंदर हाथ घुसेड़ कर बहू का चूत मसलने लगी… और कहा, “तू कभी मेरे घर आ, परम से चुदवाना और फिर हम दोनो उसका दोस्त विनोद से चुदवाएंगे… विनोद बहुत बड़ा चुद्दकड़ है.. यहाँ तक कि अपनी माँ और बहन को भी चोदता है.. उसने खुद कहा है।”

“हें.. कोई अपनी माँ को भी चोदता है क्या?..” बहू चिल्लाइ!

(सुंदरी ने उसे नहीं बताया कि उसे भी उसके बेटे और उसके दोस्त विनोद और सेठजी ने चोदा है)…

उसमे कौन सी बड़ी बात है बहु, अब यह गाव में घर घर में होता जा रहा है बस सबका मुह बंद होता है और घर में क्या होता है, सच कह रही हु ना, तुम्हारी माँ भी तो .......शायद मैं सब जानती हु”

बहु ने सुंदरी के मुह पर हाथ रखते हुए कहा:”बस, बस अपना मुह बंद रखो अगर जानती हो तो.....!”

“तुम भी तो कुछ अच्छे फलो का स्वाद लेके यहाँ बहु बनी हो..सही है न....!”

“जी दीदी” पर अब बंद करो अपना यह बकवास, जानती हो तो अपने तक रखो प्लीज़....हा मैंने भी लिया है पर अब चुप....!”

"कल ही आ जा। खूब चुदाई करेंगे।" दोनो साड़ी के अंदर एक दूसरे का चूत मसल रहे थे।

बहू डर रही थी..” किसी को पता चलेगा तो..”

“तुम डरती हो..मज़ा लेना है तो हिम्मत करना ही पड़ेगा…थोडा बहोत मुज पर छोड़ दे सेठानी की परवाह मत कर उनको मैं संभाल लुंगी साली नंगी औरत को।”
आप फनलव और मत्री की अनुवादित रचना में है

“कोई तुम्हें चोदेगा उसे पहले मैं तुम्हें चोदूंगी…दीदी तुम मेरी पहली पसंद हो और तुम्हारी चूत का रस पि लेने दो।” कहते हुए बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर लिटा दिया और साड़ी पेटीकोट को कमर तक उठा दिया। सुंदरी ने सुबह ही विनोद से चुदवाने के लिए झांट साफ़ किया था और चूत बिल्कुल चिकनी थी..”

“ओह… दीदी, तुम्हारी चूत तो… बहुत मस्त है..” कहते हुए बहू ने चूत में उंगली घुसा दी…!



सुंदरी ने बहू को कुछ बार चोदने दिया और फिर उठ गई। सेठानी ने सुंदरी को बुलाया और वे दोनों बाहर आ गईं।

******



रोज की तरह .........


आज भी आपके फीडबेक (मंतव्य) की प्रतीक्षा रहेगी।
 

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अब आगे.......


इसके बाद रिंकू ने बिना किसी की इजाज़त लिए लंड मुँह में ले लिया और उसे तब तक चूसती रही जब तक कि वह पूरी लंबाई और कसाव तक नहीं पहुँच गया। फिर रजनी ने परम की मदद से लंड नौकरानी की चूत में डाल दिया। वैसे तो रिंकू की चूत कई बार चुद गई थी तो लंड तो आराम से उसकी चूत में लेंड कर गया। ज्लेकिन जैसे ही परम का लंड उसकी चूत को फाड़ के गर्भ द्वार पर जाके टकराया तो वहुछल गई और जोर से चिल्लाई: ऊह्ह्हह्ह मादरचोद......निकाल......मरी फट ....गई....”

रजनी ने मुसकुराते हुए कहा; बहन की लौड़ी अभी तो पूरा लंड अन्दर समाया नहीं उस से पहले तेरी गांड फट गई! चल तेरे पैर ला ऊपर हाव में उठा और परम के लंड को अंदर जाने दे तेरा भी गर्भगृह देखेगा मेरे परम का लंड। चल गांड उठा।“

नहीं मौसी मैं यह लंड नहीं ले सकती मुझे तो लगता था की साब=हब का लंड जैसा होगा और मेरी चूत आराम से उसका मार खा लेगी, लेकिन यह ऐसा नहीं है यह लंड ही नहीं है पर एक लोखंड का सालिया है, मार देगा मौसी मुझे निकालो, उसे निकाआल ने को कहो।“

चुप साली चुदास माल, अब मेरे परम को मजा दे और तेरी चूत अब सही ते=अरिके से माल बनेगी तेरा साब क्या चोदता है,जल्द ही अपना माल चुदाता है अब यह देख मेरी चूत का भोसडा बन रहा था तब तू ही कहती थी की मार साली को अब तेरी बारी आई तो मना कर रही है।

रजनी ने परमा की गांड पर हाथ रख के धक्को को सहारा देने लगी और बोली; “आज उसकी माँ चोद दे बेटा।“

रजनी अब निचे की ओर गई और रिंकू इ गांड में एक ऊँगली दाल दी।

ओऊ...ईई...माँ.....गांड में मत कर....मौसी.....” लेकिन एक दो ऊँगली के झटके खा के रुन्कू मुस्कुराती हुई अपने हाथो को अपने उल्हो पर लेके उसे चौड़ा कर दिया और बोली; मार मौसी अब मेरी गांड को भी मार......यह लोडा मेरी चूत को बहोत जोरो से मार रहा है। वाह मैं तो धन्य हो गई इस परम के लंड से।“

वह उन्हें चुदाई करते हुए देख रही थी। परम ने रिंकू की चूत में ही स्खलन कर दिया। इसके बाद तीनों ने कुछ ड्रिंक्स लीं और रजनी ने वादा किया कि रविवार को वह सुंदरी के साथ उसके घर आएगा।

परम रजनी के घर से निकला और उस जगह पहुँचा जहाँ उसने उसकी माँ सुंदरी को छोड़ा था। वह कमरे में गया और देखा कि सुंदरी सिर्फ़ पेटीकोट में लेटी हुई है। वह बिस्तर पर उसके पास बैठ गया और धीरे से उसकी चूचियों को दबाया। उसने अभी-अभी दो औरतों के साथ आनंद लिया था, लेकिन सुंदरी के स्तनों को छूने में उसे जो आनंद मिला, वह अद्भुत था। उसने उन्हें धीरे से दबाया और सुंदरी ने अपनी आँखें खोल दीं।

"ओह्ह, परम, तुम कहाँ थे?" उसने पूछा। उसने कहा कि वह अपने दोस्तों के साथ था और पूछा कि माँ तेरा माल सही तरीके से चुदा तुझे मजा आया?”
मैत्री और नीता की रचना

वह मुस्कुराई और 'हाँ' कह दी। सुंदरी ने कपड़े पहने, घूँघट डाला और दोनों कमरे से बाहर आ गए। वहाँ से वे सेठजी के घर पहुँचे। रास्ते में सुंदरी ने कमरे के अंदर हुई सारी बातें बताईं।

"अगर बाबूजी तुमको पहचानते तो!" परम ने चौंकते हुए पूछा, मुझे तो लगता है की बाबूजी मुझे मार डालते, तेरा दलाल बन ने में।“

“तेरा तो जो होता बीटा, लेकिन मुझे तो मुझे मर जाना पड़ता… .. मैं उसी रूम में आत्महत्या कर लेती।” सुंदरी ने ऐसी कोई भी बात दोनों बच्चो को नहीं बताई जिस घर में कोई परेशानी पैदा हो या फिर सब को स्वतंत्रता मिल जाए।

दोनों अंदर गए और देखा कि महक सेठजी की छोटी बहू "लीला" से बात कर रही है, वह केवल 19 साल की थी और पिछले साल ही उसकी शादी हुई थी। यह वही बहू है जिसे सेठजी बुरी तरह से चोदना चाहते थे। सेठजी का छोटा बेटा और उसकी पत्नी आये हुए थे। सुंदरी को देखकर छोटा सेठ बहुत खुश हुआ। वह उसके करीब आया और हाथ जोड़कर प्रणाम किया। वह केवल 20 वर्ष का था और उससे लगभग 15 वर्ष छोटा था।

“कैसी हो सुंदरी काकी?” उसने पूछा!

सुन्दरी ने उसके गालों पर हाथ फेरते हुए कहा:

'हम तो अच्छे हैं, आप कैसे हो...' लगता है बहू खूब खिलाती है .. मोटे हो गए हो…!”

और वह लीला छोटी बहू के पास गई वह पतली और लंबी कद-काठी की थी। परम ने लीला को गौर से देखा। पूनम, सुंदरी या महक से तो उसकी कोई तुलना ही नहीं थी... लेकिन उसमें कुछ खासियत थी... जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता...

5’5” लंबा, 32x22x34 के शारीरिक आंकड़े, बहुत लंबे बाल, सुंदरी से भी लंबे, अंडाकार चेहरा, गोरा रंग और एक ऐसा आत्मविश्वास और निर्भीकता जो गाँव की किसी भी लड़की या औरत में नहीं थी... उसने अपनी नज़रें हटा लीं, लेकिन बार-बार उसे लीला को देखने के लिए अपना सिर घुमाना पड़ा, लेकिन उसने उसकी तरफ देखा ही नहीं।

कोई आश्चर्य नहीं कि सेठजी लीला के इतने दीवाने हैं, उसकी चूत की कल्पना मात्र ही लंड में से पानी निकल जाए।

लीला पतली थी जबकि बड़ी बहू अधिक मस्त माल थी और सही जगह पर ढेर सारा मांस था। उस क्षण तक परम को बड़ी बहू उषा अधिक पसंद थी। अब तक उसकी न तो लीला के साथ दोस्ती थी और न ही उसने छोटी बहू के साथ कोई क्वालिटी टाइम बिताया था...वाह को अडिग, रफ, बोल्ड और ब्यूटीफुल के तौर पर जाना जाता था।


जब सुंदरी छोटी बहू के साथ खुशियों का आदान-प्रदान करने में व्यस्त थी, परम 'पोंडी' को पूर्व निर्दिष्ट स्थान पर रखने के लिए बड़ी बहू के कमरे में गया। उसने किताब रख दी, पुरानी किताब ले ली और बिस्तर पर बैठा रहा। उसे ज्यादा देर तक इंतजार नहीं करना था। बड़ी बहू कमरे में दाखिल हुई।
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आगे कल

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आपको यह एपिसोड के बारे में कोमेंट देनी है पता है न!!!!!!!!!
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कल तक के लिए शुक्रिया आप सबका
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।जय भारत
बडा ही गजब का शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 

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परम ने आगे बढ़कर बड़ी बहू को बाहों में लेकर दबा दिया और उसकी मस्त मस्त चुचियो को दबाते दबाते चूम लिया।

“सुबह चोद कर मन नहीं भरा तेरा?” वह मुस्कुराई और बोली कि वह कल फिर आएगी, चुदाई के लिए और सुंदरी की चूत खाने के लिए।“

बड़ी बहू ने उसे धक्का देकर कहा “सेठजी के घर पर कुछ भी न करने की चेतावनी देती हूँ, क्योंकि कोई भी देख लेगा और उसकी बदनामी होगी और तुम सेठजी के घर नहीं आ पाएगा।“

फिर उसने लंड को शॉर्ट्स के ऊपर लपेटा और कहा; “मैं छोटी बहू को सलाह देगी कि वह अपने कमरे में सामान व्यवस्थित करने के लिए तुम्हारी (परम की) मदद ले। ठीक है! बाकी तुम जानते हो क्या करना है ठीक है मेरी तरफ से तुम्हे गिफ्ट, मेरी देवरानी।“

उसने लंड को ज़ोर से दबाया और कहा;

"जैसा कल मेरी बोब्लो दबाए थे, छोटी को भी पटाकर उसकी टाइट बोब्लो का मज़ा लो। और उसके बोब्लो को थोडा मोटा और ढीला कर दो।"

"भाभी, वो तो मुस्कुराती भी नहीं है...." परम ने कहा।

बड़ी बहू मुस्कुराई और कमरे से बाहर चली गई लेकिन जाते जाते बोली: “सब माल इतनी आसानी से नहीं मिल जाते, कभी कभी मेहनत करनी पड़ती है, लोडे।“

वह भी कमरे से बाहर आया और देखा कि रेखा अपने भाइयों और महक के साथ व्यस्त है। रेखा के साथ मस्ती करने का कोई मौका नहीं था। वह सेठानी के पास गया और उसकी मदद करने लगा। कुछ देर बाद उसने सुना

“परम जा कर छोटी बहू को रूम में सामान ठीक करने में मदद करो।”
आप मैत्री और फनलवर की रचना पढ़ रहे है

यह बड़ी बहू की आवाज थी। उसने छोटी की ओर देखा। वह अपने पति के पास चली गई, उसका पति महक के बहुत करीब बैठा था, उनकी जांघें छू रही थीं। छोटी ने उससे कुछ कहा लेकिन उसने उत्तर दिया,

“लीला, जाओं ना परम सब ठीक कर देगा, वो घर का आदमी है,उसे अपना देवर समझो..!”

उसने परम की ओर देखा और कहा, "परम जा भाभी को मदद कर दे।" परम छोटी बहू के पीछे-पीछे उसके कमरे तक गया... ।

उधर सेठानी भी अपने मन में मल्काई और अपने आप से कहा की अब छोटी की भी चूत का भोसड़ा बना देगा यह लड़का, सच में बहोत नसीबवाला है।

उसने यही बात सुंदरी को कही। सुंदरी ने भी मुस्कुरा के कहा “ बस, आपकी मेहरबानी से यह सब हो रहा है, मालकिन, जैसे आपने खोला वैसे ही आपकी दोनों बहुओ भी खोल देगी।“

दोनों ने एक दुसरे को मुस्कराहट की आप-ले करी।

*****

अब देखते हैं विनोद का क्या हुआ, जिसने महक को कॉलेज खत्म होने के बाद उसका इंतज़ार करने को कहा था।

आखिरी घंटी बजी। महक कॉलेज के गेट से बाहर आई और विनोद को एक पेड़ के नीचे इंतज़ार करते देखा। वह हिम्मत करके उसके पास गई। विनोद ने उसे आगे वाली रॉड पर बिठाया और खुद साइकिल चलाकर चला गया। कई छात्रों ने महक को विनोद की साइकिल पर बैठे देखा। सुधा ने भी उसे देखा और सोचा कि विनोद जल्द ही महक को चोदने वाला है।

सुधा अपने घर चली गई। जब तक सुधा कॉलेज से घर पहुँची, परम सुधा की माँ और नौकरानी की अच्छी और संतोषजनक चुदाई करके जा चुका था। सुधा ने अपनी माँ को बहुत दिनों बाद इतनी खुश देखा था। वह वजह जानना चाहती थी, लेकिन उसकी माँ ने उसे गले लगा लिया और उसके कॉलेज के बारे में पूछा। लगभग एक घंटे बाद सुधा ने अपनी माँ से कहा कि वह महक के घर जा रही है और दो घंटे में वापस आ जाएगी। वहाँ जाते हुए उसकी इच्छा हुई कि पूनम की तरह मुनीम भी अपना मोटा सुपारा उसकी चूत में डाल दे, जो परम के बाद भी नहीं चुदी थी। कुछ दस दिन पहले मैंने उसे पहली बार चुदवाया था।

"कल फिर मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।"
मैत्री और नीता की रचना पढ़ रहे है

"मेरे बोबले दबाने के लिए? तुम बहुत गंदे हो.." महक उसे देखकर मुस्कुराई और घर के अंदर भाग गई।

***



परम लीला (छोटी बहू) के पीछे-पीछे उसके कमरे में गया। उसने देखा कि कई डिब्बे और बैग बेतरतीब ढंग से रखे हुए थे। वह एक कुर्सी पर बैठ गई और परम को चीज़ें सही जगह पर रखने का निर्देश दिया। परम उसकी बात मान गया। उसे उसके पास आने का कोई मौका नहीं मिला, इसलिए उसे उसके स्तन सहलाने का कोई मौका नहीं मिला। लीला ने गहरे नीले रंग की एक सुंदर साड़ी और उससे मेल खाता ब्लाउज पहना हुआ था। उसने साड़ी बहुत कसकर पहनी हुई थी या यूँ कहें कि साड़ी उसके लड़की जैसे शरीर को बहुत कसकर ढक रही थी। उसका एक स्तन पल्लू से बाहर था। उसने आँखों से स्तनों का नाप लिया और सोचा कि ये लगभग 34 इंच के होंगे, बड़ी बहू की चूचियों से काफ़ी छोटे और सुंदरी से भी छोटे। हाँ, परम को लगा कि ये चूचियाँ लगभग रजनी काकी के आकार की हैं, जिनकी उसने दोपहर में चुदाई की थी।

वह पतली तो थी, फिर भी मज़बूत और सेक्सी लग रही थी। वह पैर क्रॉस करके बैठी थी और कसकर लिपटी साड़ी के ऊपर से उसकी जांघों का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था। उसकी जांघें पूनम जैसी थीं। 15 मिनट से ज़्यादा समय बीत गया और किसी ने बात नहीं की। परम बेचैन हो रहा था। उसे कल रात बड़ी बहू के साथ की गई मस्ती याद आ रही थी और यहाँ तो वह छोटी बहू से बात भी नहीं कर पा रहा था।

"भाभी, सेठजी तुमको बहुत पसंद करते हैं।" अचानक परम ने बात शुरू की।

"तुमको कैसे मालूम?" उसने पूछा।

परम ने अपना काम जारी रखा और जवाब दिया, "सेठजी ने मुझे खुद कहा है, एक बार नहीं।" हर रोज तुम्हारे बारे में मेरी बात होती है।”

परम ने पहली बार उसे घूरकर देखा। उनकी नजरें मिलीं। परम को उसकी आँखों की चमक अच्छी लगी।

“बाबूजी (वह सेठजी को बुलाती थी) क्या बोलते हैं…?” वह जानना चाहती थी।


“बहुत कुछ…” परम ने उसकी आँखों में गहराई से देखा और कहा “वह तुम्हारी सुंदरता की सराहना करते रहते है। और जवानी, सेठजी कहते हैं कि तुमको देखकर उनको बहुत अच्छा लगता है। तुम्हारी आंखें बहुत सुंदर हैं, तुम्हारे होंठ बहुत रसीले हैं,,, और तुम्हारे बालों को देखकर सेठजी का मन करता है कि उससे सहलाते रहें…!”


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अभी तो बस यहाँ तक ......बाकी कल मिलते है एक नए अपडेट के साथ......तब तक के लिए विदा........



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अरे,हाँ अपनी कोमेंट देना मत भूलना दोस्तों........



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।जय भारत
बहुत ही खुबसुरत लाजवाब और मदमस्त मनमोहक अपडेट हैं मजा आ गया
अब छोटी बहु लिला की परम के साथ काम लिला कब शुरु होती हैं देखते हैं आगे
 

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उसने टोक दिया,

“तू झूठ बोलता है… कोई ससुर अपनी बहू के बारे में ऐसा ना सोचेगा ना बोलेगा।”

“भाभी तुम मानो या ना मानो…, मैं जो कह रहा हूं सब सच है…वो तो और भी बहुत कुछ कहते है कि लेकिन मैं क्यों बोलूं...तुम मान ही नहीं रही हो...और मैं कह भी नहीं सकता...'' परम चुप रहा।

लेकिन उसने उसके मन में उत्सुकता जगा दी है।

लीला जानती थी उसे कभी भी खूबसूरत नहीं माना गया... हाँ, वह एक बोल्ड और आकर्षक लड़की के रूप में मशहूर है। लेकिन, किसी ने कभी उसकी खूबसूरती की कद्र नहीं की और ना,शादी से पहले या शादी के बाद, किसी ने भी उससे सेक्स के लिए संपर्क नहीं किया, सिवाय उनके घर के ड्राइवर के, जो उसे ड्राइविंग सिखाने के बदले में चुदाई चाहता था। और उसी से फसी भी थी।

यहाँ तक कि उसके पति ने भी साफ़-साफ़ कहा था कि वह एक साधारण 'माल' है, लेकिन बाद में उसने कहा कि वह उसे पसंद करता है। वह जानती थी कि उसका पति कलकत्ता में वेश्याओं और कॉल गर्ल्स के पास जाता है। उसने कई बार विरोध किया, लेकिन उसके पति ने कहा कि वह कुछ नहीं कर सकता। उसे नियमित रूप से दूसरी औरतों के साथ सेक्स करना पड़ता है। अब वह यह सुनकर उत्साहित थी कि उसके ससुर सेठजी उसे पसंद करते हैं और उसकी खूबसूरती की सराहना करते हैं और एक बहुत छोटे लड़के, जो उससे भी छोटा है, से उसके बारे में बात करते हैं।

लीला यह सब सोच ही रही थी कि कुछ देर शांत रहने के बाद परम ने दूसरा कार्ड फेंक दिया।

“भाभी, प्लीज़ किसी को मत बोलना कि मैंने ये सब कहा है.. लेकिन जो भी कहा है.. सब सच है।”

"अच्छा! और क्या बोलते हैं तुम्हारे सेठजी जो तुम नहीं बोल सकते!" लीला धीरे से बोली।

“छोड़ो ना भाभी…जान कर क्या करोगी…तुम मानोगी नहीं”

“बोल.. ना… नख़रे मत कर..” लीला ने ज़ोर से कहा “मैं भी तू सुनु तुम्हारे सेठजी अपनी बहू के बारे में क्या ख्याल रखते हैं..!”

“किसिको बोलोगी तो नहीं…” परम ने विनती की..!

“नहीं बोलूंगी...वादा करती हु।” उसने उत्तर दिया।

अब तक सभी चीजें ठीक से रख दी गई थीं। परम उसके पास गया और उसके पैरों के पास फर्श पर बैठ गया।

“करीब 15 दिन पहले सेठजी ने मुझे अपने ऑफिस में बुला कर कहा कि मेरा एक काम कर दू.., मुझे बहुत रुपया दे देंगे... मुझे लालच हो गया। मैंने पूछा क्या काम सेठजी, तो उन्होंने कहा कि मैं अपनी मां सुंदरी को मनाऊ कि वो मेरे (सेठजी) के साथ चुदाई करे…।”

“हे!!!… सेठजी ने ऐसा कहा… सुंदरी के बारे में…!!! और तुम ने सुन भी लिया?”

लीला का पूरा बदन सिहर गया एक लड़के के मुँह से 'चुदाई' का शब्द सुन कर...


वह इस बात से नाराज नहीं थी कि परम ने 'चुदाई' शब्द बोला। यह बहुत आम शब्द था उनके घर और गाव सभी जगह। वह ये शब्द बचपन से सुनती आ रही थी जब उसके पिता और चाचा नौकरानियों और मजदूरों को डांटते थे। कुटी, यहीं पटक कर चोद दूंगा, साली अपने बाप से चुदाई करती है.. तेरी मां को चौराहे पर पटक कर चोदूंगा...आदि.. लेकिन यह सुनकर कि उसकी फिल्म ने परम से उसकी मां के बारे में यही बात कही है, वह उत्तेजित हो गई।

“हा भाभी… मुझे तो चुदाई के बाद में कुछ मालूम नहीं था, लेकिन ये जानता था कि ऐसा किसी की मां बहन के बारे में बोलना गाली होता है लेकिन सेठजी ने बहुत खुशामद किया और मुझे एक हजार रुपया दिया… फिर उन्हें कहा कि सुंदरी जो मांगेगी मैं दूंगा..!“

“तुमने सुंदरी से कहा..?” “लीला उत्सुक थी।

“हाँ भाभी, उसी दिन मैंने माँ से सब कहा तो वो शर्मा गई…!”

“तो सेठजी ने सुंदरी को चोदा नहीं…?”

“मुझे क्या मालूम भाभी.. वो थोड़े ही मेरे सामने चुदवाएगी…” परम ने लीला को घूरकर देखा और झिझकते हुए अपना हाथ उसके घुटने पर रख दिया। लीला ने कोई प्रतिवाद नहीं किया।

परम ने आगे कहा, ''उसी दिन सेठजी ने तुम्हारे बादे में भी कुछ ऐसा ही बोला।''

“क्या?” लीला परम की ओर झुक गयी।

“सेठजी ने कहा कि उन्हें सिर्फ दो (केवल दो) औरत ही पसंद है एक तो सुंदरी और दूसरी छोटी बहू, लीला।“

परम शांत हो गया।

“चुप क्यों हो गया.. और क्या बोला..?” उसने पूछा।

“सेठजी ने कहा, कि छोटी बहू बहुत जबरदस्त माल है.. जब भी उसको देखते हैं तो उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. मन करता है कि लीला को बाहों में लेकर कर मसल डालू, उसके उँगलियों को सहलाऊँ और उससे कूद कर... "परम चुप रहा।

वह जानती थी कि आखिरी शब्द क्या हो सकता है, फिर भी उसने पूछा, " कूद कर क्या...?"

परम लीला को घूरता रहा और उसे पता ही नहीं चला कि कब उसके हाथ उसकी ऊपरी जाँघों पर पहुँच गए और वह उसका हाथ अपने हाथों में थामे हुए थी और उसे अपनी दोनों जाँघों के बीच दबाए हुए थी। परम उसकी कसी हुई जाँघों की गर्मी महसूस कर रहा था। उसने उसकी आँखों में देखा और कहा,

" ... उसे जम कर चोदू… उसकी टाइट चूत में लंड पेलकर बहुत मजा आएगा…हो सके तो मेरे लंड के बिज से उसको माँ बना दू।”

इतना सुनना था कि बहू खड़ी हो गई.. “छि… ऐसा भी कोई अपनी बहू के बारे में बोलता है…?!”

परम ने साहसपूर्वक उसके हाथ पकड़ लिए और कहा, “भाभी सेठजी की कोई गलती नहीं है… तुम हो ही ईएसआई मस्त माल। इतनी मस्त कि कोई भी तुम्हें चोदना चाहेगा।“

“चलो अलग हटो… कोई आ रहा है…!”



दोनों अलग हो गए। तभी सुंदरी अंदर आई और उसने परम को बताया कि सेठजी उसे बुला रहे हैं।


आज के लिए बस यही तक


कल फिर देखेंगे आगे क्या क्या हुआ कहानीमे एक नए अपडेट के साथ




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बहुत ही गरमागरम कामुक और मादक अपडेट है मजा आ गया
 

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Update 10





जाने से पहले, परम ने लीला से विनती की कि वह किसी को कुछ न बताए। परम के जाने के बाद, सुंदरी ने पूछा; “परम क्या कह रहा था?”

लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया और दोनों बाहर आ गईं। बड़ीबहू ने देखा कि लीला शरमा रही है, उसने सोचा कि परम ने उसे भी वैसा ही मज़ा दिया है जैसा उसने पिछली शाम दिया था। वह संतुष्ट हो गई। लगता है की उसकी गिफ्ट परम को लुभा गई।

जब परम और लीला कमरे में बातें कर रहे थे, सेठजी दूसरे शहर से एक और सेठ के साथ घर आए। उन्होंने बड़ी बहू से उनके लिए कुछ नाश्ता और मीठा पेय भेजने को कहा। सुंदरी ने अपनी बेटी महक से नाश्ता अंदर ले जाने को कहा। वह स्कर्ट और ब्लाउज़ पहने हुए थी, कॉलेज ड्रेस पहने हुए थी क्योंकि वह सीधे कॉलेज से आई थी। उसने खाने का सामान मेज़ पर रखा और बिना कुछ बोले बाहर आ गई।

"क्या मस्त माल है!" दूसरे सेठ खुद को रोक नहीं पाए। "मैं तो इस लड़की के साथ एक बार सोने के लिए और थोडा चोदने के लिए कुछ भी देने को तैयार हूँ।"

“लड़की पसंद आई..?”
मैत्री और फनलवर की रचना

"हाँ दोस्त, देखते ही मेरा मूड और लंड गरम हो गया है..मुझे तो उसका माल बिना देखे ही अच्छा लगने लगा।" उसने लंड पर हाथ फेरा। और बोला, "इसे अभी चोदना है... साली कितना लेगी?" उसने पूछताछ की और सेठजी ने बताया कि महक उसके करीबी दोस्त की बेटी है।

सेठजी को सुंदरी की बात याद आई, जो उसने सुबह महक के बारे कहा था।

देखो, एक तो आप हमारे खास है,और ऊपर से आप को यह माल पसंद आया है। अब कुछ करना तो पड़ेगा।“ सेठजी ने मेहमान की झंगो पर हाथ रखते हुए कहा।

“अरे, कुछ करो वरना यह लंड मेरा ऐसे ही पागल कर देगा मुझे। मुझे जो चीज़ पसंद आती है वह मेरे लंड को देनी पड़ती है आप तो भली भांति जानते हो। आपके लिए क्या नया है!”

हाँ जानता तो हूँ पर यह घर है और ऊपर से यह वेश्या नहीं है, पूरा कच्चा माल है, मैंने मेरे लिए उसे बड़ा कर रखा है, पर आप कहते हो तो कुछ करता हूँ, मुझे उसके घरवालो से पता करना पड़ेगा।“ सेठजी चाहते थे की महक का शील के दाम ज्यादा से ज्यादा मिले।

सेठजी बात को लम्बाई देते हुए कहा: “वैसे तो माल काफी भरा हुआ है पर अभी तक उसे उसकी माँ ने कही इधर-उधर होने नहीं दिया।“

“अरे, ऐसे कच्चे माल की कोई कीमत नहीं होती दोस्त, बस वह जो मांगे देने के लिए तैयार हूँ।“

“हाँ, शेठ, सही कहा आपने। मैं खुद की बात करू तो अब तक जितनी बार इस माल को देखता हूँ तब या तो मुझे आपकी भाभी को चोदना पड़ता है या फिर मुठ मारनी पड़ती है।“ सेठजी ठह्काके हँसने लगे।

“चलो, मैं ही कुछ करता हूँ उसकी माँ से बात करता हूँ अगर वह मान जाती है इस माल की कीमत बोलती है तो मैं आपको बताता हूँ” उसने सेठ को वही बू=इतने का इशारा किया और अंदर की ओर चले गये।

थोड़ी देर अपने कमरे में इधर-उधर घूम के वापिस आये और दुसरे सेठ को कहा;

“सेठजी वैसे तो उसकी माँ ने बिलकुल मन कर दिया की वह अपनी बेटी को अनचुदी रखना चाहती है, पर पैसा क्या नहीं करवाता, मैंने उसे दिलासा दिया है की उसकी शील के अच्छे दाम दिलवा सकता हूँ तो वह ना ना करते हुए सहमत हुई है, अगर आप तीन लाख रुपये दे सके तो वह उस लड़की की चुदाई का इंतज़ाम कर सकता है।“

दूसरे सेठ ने अपना बैग खोला और नोटों के बंडल निकाले। उसने गिनकर तीन लाख रुपये सेठजी को दिए। उसने उन्हें दूसरे बैग में डालकर अलग रख दिया। दूसरे सेठ महक को घर में ही चोदना चाहते थे, लेकिन सेठजी ने कहा कि यह मुमकिन नहीं है क्योंकि यहाँ बहुत सारे लोग हैं। फिर उन्होंने परम को बुलाया और परम को सलाह दी कि वह कोई बहाना बनाकर महक को घर से बाहर ले जाए और उसे और दूसरे सेठ को अपने ऑफिस रूम में ले जाए जहाँ सुंदरी की चुदाई हुई थी।

परम अंदर गया और सुंदरी से बात कही की सेठजी ने महक का सौदा आर दिया है, उसकी चूत के लिए सेठजी ने लंड ढूँढ लिया है। सुंदरी ने महक को घर जाने को कहा, क्योंकि उसके पिता अकेले रहें। महक परम के साथ घर से बाहर निकली और कुछ दूर तक चली जहां दूसरा सेठ अपनी कार मे उनका इंतजार कर रहा था। परम ड्राइवर के पास बैठ गया और महक उस सेठ के साथ पिछली सीट पर बैठ गई।

महक समझ गई कि आज उसकी कुंवारी चूत फटने वाली है वो भी बाप के उमर के मोटे सेठ से...इसका मतलब साफ़ है की परम और सुंदरी ने उसका और उसकी चूत का सौदा कर दिया है, सेठजी ने काफी मदद की है और हो सकता है सुंदरी ने जो माँगा हो वही भाव में मेरी चूत का सौदा हो गया हो। फिर मन ही मन सोचा की जो भी हो मुझे क्या! मुझे तो लंड से मतलब है, फिर मैं भी किसी से भी चुदवा सकुंगी, शायद बाबूजी पहले हो सकते है क्यों की मैं और बाबूजी ही ज्यादत घर में अकेले होते है, सुंदरी और परम तो सेठ के आस-पास ही होते है। उसे पता था की बाबूजी घर क्यों जल्दी आ जाते थे, उठते बैठते उसकी चूत के दर्शन करते रहते थे।

“क्या ये मुझे परम और बाबूजी जैसा मस्ती दे देगा…?” महक ने खुद से सवाल किया।

“ठीक है….जैसा चाहेगा चुदवा लूंगी….फिर घर जाकर आज ही बाबूजी और भैया दोनों के साथ पूरा मजा लूंगी…” उसने खुद को जवाब दिया।

वह अपना वादा भूल गई थी कि परम ही उसका कौमार्य भंग करेगा।

वे ऑफिस कक्ष में पहुंचे। परम अंदर रह कर अपनी बहन की ज़िंदगी की पहली चुदाई देखना चाहता था। लेकिन सेठ और महक ने भी परम को बाहर जाने और एक घंटे के बाद वापस आने के लिए जोर दिया।

“बेटा….ऐसे मस्त माल के लिए एक घंटा बहुत है……और कभी किसी की चुदाई नहीं देखना चाहीये….मर्द, औरत दोनों खुल-कर मस्ती नहीं कर पाते हैं…।” सेठ ने कुछ नोट निकाले और परम को दिए...

"जाओ, बाज़ार में जाकर खाओ पीयो...तब तक मैं इस मस्त कडक माल को लड़की से औरत बनाता हूँ...चखता हूँ...और थोड़ी ढीली कर के वापिस दे दूंगा। तुम किसी भी प्रकार की चिंता मत करना, बेटे। आराम से उसकी चूत को फाड़ दूंगा।"

परम के कमरे से बाहर निकलते ही उन्होंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया। लाइट जला दी। महक आँखें नीचे करके बिस्तर पर बैठ गई। सेठ उसके पास आया और उसकी ठुड्डी ऊपर उठाई। उसने उसे देखा। वह एक हट्टा-कट्टा आदमी था, लगभग 85-90 किलो वज़न का, लंबा और हट्टा-कट्टा। वह पिछले 15 दिनों से परम के साथ सेक्स का आनंद ले रही थी और कल रात उसके पिता ने उसे लगभग चोद ही दिया। उसने सुधा और उसकी माँ से भी सेक्स के बारे में बात की थी, लेकिन वह किसी अजनबी के साथ सेक्स करने से डर रही थी।


प्लीज़ मुझे बाहर जाने दो। “वह उठी और विनती करने लगी। मैत्री और फनलवर की रचना

"रानी, तुमको देखते ही मेरा लंड काबू से बाहर हो गया था। अब तो बिना चोदे थोड़े ही जाने दूंगा। अब जरा प्यार से नंगी हो जाओ।"


वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।

“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”

“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”

उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।



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जाऐगा नहीं आगे अभी लिख रही हूँ .................... शायद रात को पोस्ट कर दूंगी



आप इसके बारे में कोमेंट लिखिए तब तक मैं आगे का अपडेट पोस्ट करती हु............






। जय भारत
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
महक के चुद की सिल आज तुट ही जायेगी फिर तो महक किसी से भी चुदवा लेगी
खैर देखते हैं आगे
 

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"रानी, तुमको देखते ही मेरा लंड काबू से बाहर हो गया था। अब तो बिना चोदे थोड़े ही जाने दूंगा। अब जरा प्यार से नंगी हो जाओ।"

वह उसके पास आया, उसे बांहों में ले लिया और उसके होंठों को चूम लिया, उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी, महक ने उसके चंगुल से निकलने की कोशिश की लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा।

“बोल रानी, तू कुंवारी है कि तेरी चूत फट चुकी है!”

“मुझे छोड़ो ना,… प्लीज़ तुम्हारे पैर पड़ती हु…!”

उसने उसके कूल्हों को पकड़ कर दबाया। “माल बहुत टाइट है.. बोल अब तक कितना लंड ले चुकी है इस मनमोहक चूत में?" सेठ ने उसकी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ उसकी पेट के ऊपर रख दिया। अब वह उसके लगभग नंगे कूल्हों को पकड़ रहा था।

“मैंने बहुत छोकरियो (लड़कियों) को चोदा है.. लेकिन तेरी चूत चोदने में बहुत मजा आएगा।”

महक उसका लंड अपनी जांघों पर महसूस कर रही थी। सुबह उसने अपनी माँ से कहा था कि वो अब चुदाई करवाना चाहती है, लेकिन अब वह इस आदमी से छुटकारा पाना चाहती थी, वह डरी हुई थी।

“प्लीज़ मुझे जाने दीजिए... आप जो बोलेंगे मैं करूंगी।“
मैत्री और फनलवर की रचना है

“तो पूरी नंगी हो जाओ…” आदमी ने उसे हवा में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसने उसकी स्कर्ट खींची और ब्लाउज फाड़ना चाहा, लेकिन वह रुक गई और एक-एक करके अपने बटन खोलकर ब्लाउज उतार दिया।

“माँ की कसम, तू सच में बहुत ज़्यादा ज़बरदस्त माल है,तू जिस भोस से आई है उस भोस को भी मैं सलाम करता हु, क्या मस्त माल पैदा किया है,तेरी माँ ने!” उसने उसकी जांघें सहलाईं और कहा,

“अब जल्दी से पूरी नंगी हो जा।” लेकिन उसने उसके कुछ करने का इंतज़ार नहीं किया। उसने ब्लाउज खींचा, हुक टूट गया और स्तन बाहर आ गए। महकने अपनी टाँगें क्रॉस करने की कोशिश की, लेकिन वह आदमी महक के लिए तेज़ और मज़बूत था। उसने फ्रॉक उतार दी और उसकी छोटी सी चूत देखी, जिस पर छोटे-छोटे भूरे बाल थे। उसने उसकी जांघें अलग कीं। उसने अपनी चूत को ढकने की कोशिश की, लेकिन वह उसकी जांघों के बीच आ गया और उसकी चूत के होंठ अलग कर दिए। उसने चूत और भगशेफ पर उंगली रगड़ी। वह काँपने लगी। महक ने इस मस्ती का और अपने भाई और पिता के सुपारे को अपनी चूत पर रगड़ने का मज़ा तो लिया, लेकिन अब उसे यह सोचकर बहुत बुरा लग रहा है कि यह आदमी सच में... उसकी चुदाई करने जा रहा है, उस सोच से महक को डर लगने लगा है।

उसे याद आया कि कैसे कल शाम को उसकी दोस्त पूनम रोई थी और दर्द महसूस कर रही थी जब उसके पिता ने उसकी चूत में अपना लंड डाला था और उससे पहले सुधा परम के लंड के नीचे रोई थी।

एक बार फिर महकने उसे न चोदने के लिए प्रेरित करने के लिए एक हताश कदम उठाया,

“साहब मुझे छोड़ दो,मैं आपकी बेटी के के बराबर हूं, मेरी… फट जाएगी… प्लीज मुझे घर जाने दो… मैं अपनी सहेली को चुदवाने के लिए ले आऊंगी… प्लीज मुझे जाने दो….! आप चाहे तो आपके पैसे वापिस ले सकते हो।” अब वह चाहती थी की उस से तो अच्छा बाप या भाई ही उसे चोदता, अब वह अपने निर्णय पे पछता रही थी लेकिन अब कोई फायदा नहीं था। जब चिड़िया चुभ जाए खेत। यहाँ महक पर खूब बैठ रही थी। अब वह एक चुदाई वाले ग्राहक के हाथ मे थी। और कोई भी ग्राहक उसे चोदे बिना कैसे जाने दे सकता था भला!

“बेटी, तुम्हारी जैसा माल अगर मेरी अपनी बेटी भी होती तो मैं उसे कब का चोद डालता…।अब तक वह मेरे बच्चे को जन्म दे चुकी होती। तू कोई फिकर ना कर।”
मैत्री और नीता की रचना

उसने कपड़े उतारे और कहा, "अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है..." उसने अपना सुपारा चूत के छेद पर रखा और दबाया।

महकने लंड को दूर धकेलने की कोशिश की लेकिन उसने उसके हाथों को उसके शरीर से दूर कर दिया।

“अब बोल रानी, तू वर्जिन है कि चुद चुकी है?”

"आपको चोदना ही है तो क्या फ़र्क पड़ता है.. कि मैं वर्जिन हूँ की नहीं..." महक ने खुद को शांत करने की कोशिश की। वह जानती थी कि आज उसे इस आदमी का लंड अपनी चूत में अंदर तक लेना होगा। लंड साधारण था, न लंबा, न छोटा...महेक को आराम महसूस हुआ कि यह अब तक दो लंडों जितना मोटा नहीं है...

"बहुत दर्द नहीं करेगा... ।"

“फर्क पड़ता है रानी।” आदमी ने अपने लंड को और गहराई तक धकेला और महक ने अपने कूल्हे को झटका दिया।

“तू अगर वर्जिन है तो प्यार से चोदूंगा नहीं तो खूब ठुमका लगाऊंगा…। और वैसे भी पैसे मैंने तेरी शील तोड़ने के दिए है बेटा।”

“तो झुमकर ठुमका लगाओ राजा… मैं बहोत लंड खा चुकी हूँ…” महक को सुनाने में मजा आया। वो असली चुदाई का मजा लेना चाहती थी।

“क्या सोचते हो..कि तुम ही अकेले मर्द हो…जिसे मेरा माल पसंद है……खुद सोचो, क्या कोई मेरी जैसी ‘माल’ को ज्यादा दिनों तक कुंवारी रहने देगा! अब तक कम से कम 30 लौड़ा ले चुकी हूं…।”

महक की बात सुनकर उसे गुस्सा आ गया और उसने अपने कूल्हे को थोड़ा ऊपर उठाया और पूरी ताकत से लंड को चूत में धकेल दिया। महक अपने दर्द को नियंत्रित नहीं कर पाई और चिल्लाई।

“ओह्ह माँ....मैं मर गई माँ…” उसे बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। उसे पसीना आने लगा। उसका शरीर अकड़ गया और एक सहज क्रिया की तरह उसने उस आदमी को अपनी बाहों में ले लिया।

“बहुत दर्द हो रहा है… लंड बाहर निकाल लो…” अब वह सोच सकती है कि कल रात जब मुनीम का वह मोटा लंड पूनम के अंदर गया होगा तो उसे कितना दर्द हुआ होगा।

“रानी जो दर्द होना था हो गया अब तो मज़ा आएगा… कुतिया तुम झूठ क्यों बोली कि तुम वर्जिन नहीं हो…तेरी चूत ने खून का फुवारा दे दिया और अपना प्रमाण दे दिया की तुम्हारा कौमार्य मेरे लंड ने ले लिया है।”

“कोई बात नहीं, अब आराम से चोदूँगा..।”

उसने चुदाई रोक दी और उसे चूमने लगा। उसने उसके होंठों, गालों, आँखों को चूमा और उसके कसे हुए स्तनों को धीरे से सहलाया। कुछ मिनटों के बाद महक का शरीर आराम मिलने लगा और उसे चूत में लंड का कसाव महसूस हुआ।

उसने अपनी कमर हिलाई और कहा, "अब चोदो राजा...जम कर चोदो... ।"
मैत्री और नीता की रचना

आदमी और महक ने चुदाई का भरपूर आनंद लिया और उसने उसे चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया। उसे चुदाई में बहुत मज़ा आया और यह आनंद यादगार था और उसके भाई और पिता के साथ पहले मिले आनंद से कहीं बेहतर था। उसने आदमी को खुश करने के लिए हर संभव कोशिश की। जब वह स्खलित हुआ और उसकी चूत भर गई, तो उसने उसका लंड चूसा हलाकि उस लंड पर उसके चुतरस और खून भी लगा हुआ था पर आराम से कोई तकलीफ नहीं उसे उस छोटे से लंड को चूसते हुए और उसे फिर से कड़ा कर दिया और उन्होंने फिर से तूफानी चुदाई की।

“ओह्ह्ह्ह…… रानी, मैं सच कहूँ तो मैं बहुत किस्मत बाला हूँ कि तुम्हारे जैसी मस्त माल को चोदने का मौका मिला वो भी कुंवारी चूत…” उसने उसे चूमा और प्यार किया।

“बहनचोद, तेरे सेठ ने तुझे क्यों नहीं चोदा अब तक….वो भी एक नंबर का चुदक्कड है….हमने कई बार एक साथ मजा लिया है…।”

"मुझे तो बस आप जैसा मर्द ही चोद सकता है...मेरे सेठजी में दम नहीं है मेरी गर्मी शांत करने का..." महक ने जवाब दिया और पूछा कि क्या वह तीसरा राउंड चाहता है?”

“ना रानी…अब तो तुमने सारा गरमी चूस लिया लेकिन बाद में फिर चोदूंगा…” वह उससे सहमति चाहिए थी।

“जब बोलोगे.. आ जाऊँगी... बस सेठजी को बोल देना...” उसने सहमति दे दी।

ऑफिस रूम में बेटी एक पिता जैसे आदमी से चुद रही थी।



और घर में...

*******


बने रहिये और इस अपडेट के बारे में अपनी राय देना ना भूले..................




।जय भारत


कल तक के लिए विदा...............
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
आखिर महक कली से फुल बन ही गयी
 

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आप लोगो को याद होगा कि सुबह मुनीम ने पूनम से शाम को फिर से चुदाई के लिए आने को कहा था।

मुनीम को पूरा भरोसा था कि पूनम ज़रूर आएगी, वह जानता था की एक बार जिसने उसका लंड लिया वह दूसरी बार क्या बार-बार आती रहेगी और उसका लंड खली करती रहेगी, और जब दोपहर में उसने सेठजी और उसके सामने सुंदरी को एक आदमी के साथ संबंध बनाते देखा, तो वह पूनम को चोदने के लिए बहुत उत्साहित हो गया।

और उसने तय कर लिया कि आज रात चाहे कुछ भी हो जाए, वह उसकी अपनी बेटी महक को भी चोदेगा। इसलिए सेठजी के घर जाने के तुरंत बाद उसने ऑफिस भी बंद कर दिया और रिक्शा लेकर घर पहुँच गया। चाबी उसके पास थी क्योंकि सुबह ही तय हो गया था कि बाकी सब सेठजी के घर पर होंगे।

मुनीम अंदर आया और लुंगी पहन ली। जब वह नहा रहा था, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मुनीम ने सोचा कि पूनम है। फिर भी उसने पूछा;

"कौन है..?"

"मैं हूँ काका, दरवाज़ा खोलो!" जवाब आया। एक महिला की आवाज़ आई।

यह सोचकर कि यह पूनम है, उसने उसका स्वागत करने की सोची। उसने लुंगी उतार दी। सिर्फ़ पूनम और सिर्फ़ उसके ख्याल से ही उसका सुपारा पूरा आकार ले चुका था। उसका सुपारा अपे सीथ से आधा बहार आ चुका था। वह नंगा ही दरवाज़ा खोलने आया। उसे हैरानी हुई कि वह 'पूनम' नहीं, बल्कि उसकी बेटी की एक और सहेली 'सुधा' थी। (जब पूनम ने कॉलेज में अपने पिता के बड़े सुपारे के बारे में बताया था, तो सुधा ने उसे चखने का फैसला किया था और जब महक ने कहा कि शाम को वह घर पर नहीं होगी, तो सुधा ने मुनीम के बड़े आलू के आकार के सुपारे के साथ मज़े करने का फैसला किया।)

मुनीम ने इधर-उधर देखा। कोई नज़र नहीं आ रहा था। सुधा मुनीम को पूरी तरह नंगा और पूरे आकार में तना हुआ लंड देखकर चौंक गई। यह उसके पिता के लंड से कहीं ज़्यादा बड़ा और मोटा था, जिसे उसने सुबह भी देखा था जब वह नौकरानी रिंकू को चोद रहे थे। इससे पहले, कि सुधा कुछ कहती मुनीम ने उसे अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।

“बेटे अब तो तुमने देख ही लिया है.. तो फिर तुमसे छिपाना क्या…!”
मैत्री और नीता की रचना

मुनीम ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे अपनी ओर खींच लिया। सुधा ने अपनी आँखें हाथों से ढँक ली थीं। उसने उसके हाथों को उसकी आँखों से हटा दिया और कहा

“शर्माती क्यों हो बेटी, तुम तो पूरी जवान हो.. लंड लेने के लायक हो गई हो… इसे छू कर बताओ कि मेरा लंड कैसा है…!” इतना कहकर मुनीम ने लंड सुधा के हाथ में रख दिया।

सुधा तो इसी लंड का मजा लेने आयी थी, पर जब वो यहाँ आई तब तक वह रस्ते में एक से दो बार मन ही मन में मुनीम का लंड अपनी चूत में ले चुकी थी।पर सामने जब मुनीम का लंड आया तो उसकी चूत में एक अजीब सी फड़क बैठ गई, और सोचने लगी की इतना बड़ा लंड, कैसे हो सकता है,सुपारा तो न जाने कहा से लेके आया है। लंड देखने के बाद वह थोड़ी डर गई थी उसकी चूत लंड को देखने के बाद जैसे सिकुड़ कर अपना दरवाजा बंद कर के बैठ गई हो। पूनम की बात बिलकुल सही थी यह लंड बहोत खतरनाक हो सकता है, उसकी चूत और गांड की धज्जिया उदा सकता है। लेकिन पूनम को मजा आया मतलब उसको भी आएगा। वो सोच रही थी कि कैसे मुनीम को चोदने के लिए लिया जाएगा लेकिन यहां तो मुनीम का लंड निकल कर उसके हाथ में डाल दिया है। सुधा इतना सोच ही रही थी कि मुनीम ने सुधा के फ्रॉक को सिर के ऊपर से बाहर निकाल दिया। सुधा ने एक ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मुनीम ने सुधा को अपनी ओर घुमाया और उसकी चुचियो को प्यार से मसलने लगा...

“काका क्या कर रहो हो!” कहते हुए सुधा ने लंड को मसल दिया…।

निपल दबाते-दबाते और खिंच के छोड़ते-छोड़ते, मुनीम का हाथ सुधा के पेट से होते हुए उसकी चूत के आसपास घुस गया और मुनीम ने सुधा की चिकनी चूत को मुट्ठी में लेकर मसल दिया।

“आआहह… काका…।”

थोड़ी देर तक चूत को मसलने के बाद मुनीम ने सुधा को अलग किया। अब सुधा नंगी थी, सुधा का शरीर भी महक की तरह टाइट और स्वस्थ था, लेकिन बोबले महक से छोटे थे। मुनीम ने सुधा को बिस्तर पर ढकेला तो सुधा ने पैर तो फैला कर उठा दिया।

मुनीम को अब कंट्रोल नहीं था। उसने सुधा के चूत की बाहरी पटलो को फैलाया और लंड को उसने सटाया ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुई और आवाज आई,

“उसकी माँ को चोदे! कौन है?”

“मैं हूँ, मैं पूनम हूं, दरवाजा खोलो।”
मैत्री और नीता की सहयारी रचना

मुनीम सुधा को बिस्तर पर नंगा छोड़ कर खुद नंगा दी दरवाजे पर गया और पहले की तरह दरवाजा खोला और पूनम को अंदर खींच लिया। पूनम तो दरवाजे पर मुनीम को नंगा देखकर घबरा गई और अंदर आ कर जब सुधा को बिस्तर पर नंगी लेटे देखा तो बोल पडी,

“आज महक नहीं तो सुधा को ही बुला लिया! लगता है तुम लोगों ने अभी चुदाई की नहीं!” पूनम ने सुधा की चूत को चूमा और बोली,

“काका इस कुतीया की प्यास बुझा दो फिर मेरी चुदाई करना।

मुनीम बिस्तर पर चढ़ा और लंड को सुधा के चूत के एंट्री द्वार पर रख कर जोर से दबाया। सुधा की चूत गीली हो चुकी थी और 5-6 करारे धक्के में पूरा लंड घुस गया। मुनीम ने पहले से ही उसका एक हाथ सुधा के मुंह पर रख दिया था। वह जानता था की लंड जाएगा तो यह माल उस्छ्लेगा। उसके यह प्रेक्टिस में था। कोई भी चूत आसानी से मुनिमका लंड नहीं ले सकती थी चाहे कितनी बार ही चुदी हो और यहाँ तो एक कच्चा जैसा माल था।

सुधा ने कस-कर मुनीम को पकड़ कर रखा था और हर धक्के पर सिसकारी मार रही थी…पूनम ने भी काफी सहकार दिया सुधाको अपने बूब को उसन=के मुंह में दल कर धीरे से कह रही थी चिल्लाना मत बस मार खाती जा।

सुधा आब सांतवे आसमान में पहुँच गई थी, बहुत मजा आ रहा था...और आता भी क्यों नहीं...मस्त लंबा, मोटा टाइट लंड और कड़क जवान गरम चूत को खोद रहा था।

फिर कल रात की तरह मुनीम ने दोनो के साथ खुब मस्ती मारी, दोनों लडकियों की चूत को २-३ बार झाड दिया। दोनो से अपना लंड चुसवाया और उनकी चूत को चाटा और चोदा। दोनो लड़कियो ने भी एक दूसरे की चूत का मजा ली। और दोनो ने मुनीम से वादा लिया कि अगली बार उनके सामने पहले महक को चोदेगा और फिर उनकी चूत को।

करीब दो घंटे की मस्त चुदाई और चूत की रस-मलाई छोड़ ने के बाद दोनों लड़कियाँ अपनी एब्नोर्मल चाल से अपने-अपने घर चली गईं। मुनीम लंड को सहलाता रहा और इंतजार करता रहा कि कब महक घर आएगी और उसको जम कर चोदे।

लेकिन महक के बारे में सोचते-सोचते मुनीम को दोपहर का सीन याद आ गया जब वो ऑफिस के कमरे में पेपर साइन करने गया था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुंदरी, पूरी तरह से नंगी, कुत्ते की मुद्रा में, मुँह में एक बड़ा सा लंड और चूत पूरी दुनिया के सामने खुली हुई, कैसे रह सकती है। उसे पछतावा हुआ कि उसने उसे चोदने की इच्छा क्यों नहीं जताई। मुनीम ने तय किया कि अगली बार अगर ऐसा मौका आया तो वो सेठजी की की पत्नी को चोदेगा, चाहे वो सुंदरी हो, महक हो या सेठजी की बेटी या बहू...
हिसाब तो बराबर रहना चाहिए.......शायद मैं तो मेरे दो माल देके सेठजी के सभी मालो पर अपने लंड से वीर्य की धाराए बहता रहूँगा।

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जाऐगा नहीं................


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।।जय भारत।।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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