जब तीनों घर पहुंचे तो मुनीम ने दरवाजा खोला। सुंदरी अच्छी मात्रा में खाने का सामान लेकर आई थी जो बड़ी बहू ने उसे दिया था, सभी ने खाया और सोने के लिए अपने कमरे में चले गए।
अब आगे.....................
Update 12
जब तक सुंदरी अपने कमरे में दाखिल हुई, उसने देखा कि मुनीम पहले से ही खर्राटे ले रहा था। यह स्वाभाविक था क्योंकि शाम को दो लड़कियों सुधा और पूनम ने मुनीम को खूब निचोडा लिया था। वे दो बेहद जवान, भूखी लड़कियाँ थीं और मुनीम अकेला था तो स्वाभाविक है की मुनीम के अंडकोष में अब काफी समय के बाद ही भरेंगे। सुंदरी उसके बगल में लेट गई और अपने पूरे कपड़े उतार दिए। अपने बदन को सहलाते हुए उसे दोपहर और शाम को हुई दो मुलाकातों का ख्याल आया जब एक ही बिस्तर पर दो अलग-अलग मर्दों ने पैसों के लिए उसे खूब चोदा था। उसे गर्व हुआ कि अपनी जवान बेटी को चोदने के बाद भी, वो आदमी उसे देखकर उत्तेजित हो गया और चोदा। यह सब सोचकर वह उत्तेजित हो गई। उसने मुनीम की तरफ देखा, वह भी नंगा था और उसका सुपारा दिखाई दे रहा था। उसने कुछ देर तक सुपारे को सहलाया।
“तंग मत करो, सोने दो..” मुनीम ने कहा और वह दूसरी तरफ मुड़ गया।
लेकिन सुंदरी एक और चुदाई चाहती थी। वो अपनी चुची को खुद ही मसल कर मज़ा ले रही थी। उसे याद आया कि सुबह में किस तरह बड़ी बहू ने उसकी चूत को चूस-चूस कर लाल कर दिया था और फिर परम ने बहू की चुदाई करते हुए अपनी माँ की चूत में लंड पेल दिया था। सुंदरी को ख्याल आया कि कई दिन से विनोद से नहीं चुदवाई है। इतनी चुदाई के बाद भी सुंदरी को विनोद का ही लंड सब से ज्यादा पसंद आया था। अपनी अपनी पसंद।
सुंदरी ने सोचा कि कल वो परम से बोलकर विनोद को बुलाएगी और दिन भर मस्ती मारेगी। विनोद अगर गांड मारना चाहेगा तो गांड भी मराएगी। गांड मारने की बात पर सुंदरी को याद आया कि उसका बेटा परम उसकी गांड में लंड पेलना चाहता है। हां याद आते ही सुंदरी उठ कर खड़ी हो गई और कमरे से बाहर निकल आई। उसे आज बहोत कुछ याद आ रहा था या फिर अपनी आप को एक लंड की जरुरत महसूस कर रही थी। मैत्री और नीता की रचना।
सुंदरी बगल वाले कमरे में पहुंची तो देखा कि परम अपनी छोटी बहन महक को पीछे से चोद रहा है। महक आराम से दोनों कोहनी को तकिये पर सहारा देकर आराम से चुदवा रही थी। सुंदरी को लगा कि परम अपनी बहन की (महक की) गांड मार रहा है लेकिन जब बिल्कुल पास जाकर देखा तो लंड चूत के अंदर बाहर आ-जा रहा था।
सुंदरी ने बेटी का बैक सहलाते हुए पूछा, “महक बेटी, शाम को तीन बार चुदवा कर तेरी गर्मी नहीं मिटी?”
महक ने चूत का धक्का लगा कर कहा, “तेरी ही बेटी हूं, बहुत बड़ा लंड खाने का मन करता है…बस थोड़ी देर रुक जा….भैया का पानी गिरने ही वाला है..फिर तू भी मजा लेना,अपनी चूत मरवा कर। वैसे भी तूने भी आज काफी लंड ले लिए है फिर भी यहाँ मेरी माँ चुदवाने आ ही गई।”
परम ने मां को देखकर अपनी स्पीड और बढ़ा दिया और जोर-जोर से 4-5 बार महक की कच्ची चूत पर धक्का माड़ा.. महक संभल नहीं पाई और नीचे बिस्तर पर सीधी लेट गई। परम का लंड चूत से फिसल कर बाहर निकल गया।
महक लेटे-लेटे बोली, " बस भैया अब मेरी चूत में दम नहीं है.. साला सेठ ने एक धक्के में ही मेरी सील/वर्जिनिटी फाड़ डाली,कुछ ज्यादा ही खून बह आया था। मादरचोद के लोडे में बहोत दम था.." फिर माँ की तरफ गम कर बोली "क्यों मां तुझे उस साले से चुदवाने में मजा आया की नहीं...?" मैत्री और फनलव की रचना।
“चुदवा ने में सब से ज्यादा मज़ा आता है बेटी, फिर लंड किसी का भी हो,यह अपना कर्तव्य है की घर के लंड को ढीला कर के ही छोड़े, फिर वह लंड कितनी ही बार चोदता रहे।“ सुंदरी के मस्तिष्क में मुनीम और उसकी बाते याद आ गई और साथ-साथ बाप-बेटी का नंगा सोना भी! उसने सोचा मुनीम को भी कुछ हिस्सा मिलना चाहिए। उसको अफ़सोस हुआ की वह परम से पूनम को उस दिन मुनीम के पास नहीं ला सकी और सो गई थी। उसी के साथ उसके मगज ने एक भयानक मगर सुन्दर विचार आया।
सुंदरी बोली:”महक बेटी, अब हमें तुम्हारी सिल का सौदा अच्छा मिला। यह तो भला ही अपने सेठजी का की आज हु उन्होंने तेरा माल देखा और आज ही उन्हों ने बड़ा सौदा भी कर दिया। मुझे तो ऐसा था की सेठजी खुद ही तेरी चूत का खून निकालेंगे और कुछ पैसा देंगे लेकिन उनको बस मेरे माल में ही रस था और तुम्हे एक अच्छे लंड के सामने रख दिया। सेठजी भले इंसान है जिन्हों ने तेरी सिल का प्रॉब्लम सुलझा दिया। अब तो तुम्हे चुदवाने का लायसंस मिल गया बेटी, अब जहा हहो जैसे चाहो जिस लंड को चाहो अपने पैर फैला के उस लंड को शांत कर सकती हो।“
महक:”मम्मी, अभी कह रही हो घर के और अभी कह रही हो जिस से चाहो, किसी एक तरफ रहो तो मुझे समज आये!” इतना कह के उसने मम्मी का घाघरा को ऊपर किया।
अरे बेटी तू अभी नासमज है छोटी है, घर का मतलब घर का और बहार का उसे भी तो घर का समज के चुदवाना होता है। घर के लंड मुफ्त में चोदेंगे और यह हमारा फर्ज है और बहार वाले मत्ल्लब जहा अपना मन करे, अच्छा लगे, और सब से महत्वपूर्ण अच्छा पैसा दे। पैसा और चूत की भूख दोनों मिटे, समजी बेटी!” उसने महक के कुलहो की क्रेक को थोडा फैलाया और उसकी गांड के छेद को ध्यान से देखा और पाया की गांड अभी भी अनचुदी है।
सुंदरी बिस्तर पर बैठ गई और बेटी की कुल्हे को एक हाथ से सहलाया और दूसरे हाथ से बेटे का लंड मसलते हुई बोली,
“महक,तू बाहर जा.. आज मैं परम के साथ रात भर रहूंगी, थोडा माँ-बेटे को भी प्रेम करना चाहिए।”
महक सीधी हो गई, “और सुबह में बाबूजी माँ-बेटे को नंगे देखेंगे तो..?” महक ने अपनी चिंता जताई।
“तो क्या… तुम दोनो भी तो नंगे चिपक कर सोये थे… पता नहीं तेरा बाप एक नंगी जवान लड़की और अपनी बेटी को बीना चोद कैसे रह गया…!” इतना सुन के ही महक को अपने बाप के साथ बिताई रात याद आ गई, उसकी चूत ने अब अपने ही बाप का लंड मांग लिया। लेकिन उसने तय किया की इसके बारे में किसी को नहीं बतागी, अपनी माँ और भैया को भी नहीं, जब पता लगेगा तो डर ने वाली कोई बात तो थी ही नहीं!
सुंदरी ने बेटी की चूत को फैला कर देखा और कहा, “अब तू पूरी तैयार हो गई है..एक के बाद दूसरा लंड खाने के लिए।”
“ठीक है माँ, तू मेरे सामने भैया से गांड मरवाना नहीं चाहती है तो मैं बाहर जाती हूँ..” कहते हुए महक नंगी ही बाहर की ओर चल दी।
“कुतीया, कपड़े तो पहन ले…” सुंदरी बोली लेकिन महेक बाहर जा चुकी थी। मैत्री और नीता की रचना।
वो परम का लंड को दबाते हुए बोली: “आ जा चिपक कर सो जा… बाद में मेरी गांड मार लेना बेटा.. तू भी थक गया होगा।”
परम तो थक ही गया था, सुबह में पहली अपनी ही माँ की चूत फाड़ी, फिर बड़ी बहू, उसके बाद रजनी और उसकी नौकरानी रिंकू। बाद में शाम को पुष्पा और आख़िर में अपनी बहन महक। आज सबसे ज्यादा मजा परम को पुष्पा के साथ आया था। परम ने सोचा कि कल फिर मौका निकाल कर पुष्पा को चोदेगा और नन्ही पूमा के कमसिन बदन को सहला कर मजा लेगा।
परम माँ को अपने सीने से चिपका कर लेट गया। दोनो ने एक दूसरे के ऊपर टांग चढ़ाई और सहलाते हुए सो गए।
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बाकी लिख रही हूँ जाइयेगा नहीं....बने रहिये.....
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।। जय भारत ।।