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Thriller कातिल रात

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Congratulations bro

Intejar hai 1st update ka bhai agar ho sake to background rural rakhna

Bhut bhut शुभकामनाएं

Always welcome bro

Bhut hi shandar shuruwat kahani ki
Anamika to apne jasus babu ko hi chuna laga kar bhag gayi
Vese romesh ka style bhut funny hai

क्या फायदा शुरुआत ही चुना लगाने से हुई है । आगे पता नहीं क्या क्या करोगे बेचारे के साथ 😂

इस स्टोरी मैं साथ रहेंगे तुम्हारे भाई 👍🏻

Kamaal hogya ye to hum dono me kitne baate same to same hai
Dono Maze me 😂😂

Bahut hi badhiya update he Raj_sharma Bhai,

Romesh ke sath police station me salook hua wo har aam addmi ke sath hota he

Agar aapki koi jaan pehchan he to thik varna............ bhagwan hi maalik he aapka

Ragini an subah aayegi............dekhte he dono kis tarah se pistol aur us ladki ka pata lagate he

Keep posting Bhai

Bhai, update acha laga, Police station wala scene full intense aur real laga aur Ragini ke saath wali baatein mast light-hearted. Dialogues bahut real feel de rahe the...

Nice update.....

Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update.....

Super hit update

Shaandar update

Nice update

ओरिजिनल वन

लेट्स रिव्यू स्टार्ट
स्टोरी अपने अर्ली प्रोग्रेस पर चल रही है, अभी ज़्यादा अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता कि क्या चल रहा है, कौन विलेन है, किसकी रोमेश से क्या दुश्मनी है, कौन रोमेश को फँसाना चाहता है, और अनामिका के पीछे कौन मास्टरमाइंड है।


अब बात करते हैं रागिनी की
भैया जी हीरोइन को ज़बरदस्ती लेकर आए, चुंबले अंदाज़ वाली नटखट मशूका! इस बार रोमेश की ये मशूका धोखा न दे यही प्रार्थना है, वरना इस बार अगर ऐसा कुछ हुआ तो मेरा लड़कियों पर से विश्वास उठ जाएगा।


वैसे वो पिस्तौल लेकर भागी, वो भी अगर बाद में मशूका बन जाए तो बुरा नहीं।


यहाँ सीनियर महेश्वरी शायद रोमेश के जान-पहचान वाले हैं, जिन्होंने शायद रोमेश के साथ पहले काम किया हो।


साथ ही ये पुलिसिया देव प्रीय मुझे शक में डाल रहा है इसमें और रोमेश में आगे कुछ विवाद होगा, जहाँ तक मुझे लगता है।

intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....

Congratulations for new Stroy :congrats:

अपडेट दे दिया है दोस्तों, आपकी अमूल्य टिप्पणी का इंतजार रहेगा....। :dost:
 

Luckyloda

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#03

सुबह होते ही मेरे फ्लैट की बेल किसी जहांगीरी घँटे की मानिंद बजने लगी थी।

एक तो वैसे ही रात को देर से सोया था, उस पर से इतनी सर्दी में सुबह सुबह रजाई में से निकलने का सितम।

मैंने एक नजर अपनी दीवार घड़ी पर डाली, अभी सुबह के सात ही बजे थे, रागिनी ने तो नौ बजे आने के लिए बोला था, इस वक़्त इतनी सुबह कौन आया होगा, ये सोचते हुए मैं मन ही मन आने वाले को गली नुमा उपमा से नवाजता हुआ दरवाजे की ओर बढ़ गया।

दरवाजा खोलते ही मुझे सुबह सुबह उस मनहूस पुलिसिये देवप्रिय की शक्ल नजर आई।

मैंने कोतुहल से उसकी तरफ देखा। इतनी सुबह उसके आने का अभिप्राय मेरी समझ से बाहर था।

उसने एक कुटिल मुस्कान से मेरी तरफ देखा।

"चलो ! तुम्हे मेरे साथ चलना होगा, माहेश्वरी साहब भी तुम्हारा बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहे है" देवप्रिय की वो मुस्कान बोलते हुए भी उसके चेहरे से लुप्त नही हुई थी।

"क्यो ऐसा क्या हो गया, जो इतनी सुबह सुबह पुलिस को इस नाचीज़ की याद आ गई" मैंने प्रत्यक्ष में देवप्रिय से पूछा।

"पुलिस को एक लड़की की लाश मिली है, और लड़की को गोली मारी गई है, तुम्हे उस लड़की की शिनाख्त करनी है कि क्या ये वही लड़की है, जो बकौल तुम्हारे, तुम्हारी पिस्टल चुराकर भागी थी" देवप्रिय ने इस बार गंभीर स्वर में बोला था।

"ओह्ह लाश कहाँ पर मिली है" मैंने पूछा।

"अब सारे सवालों के जवाब यही पर खड़े हुए चाहिये क्या? साथ चलिये! सब पता चल जाएगा" देवप्रिय फिर से अपनी रात वाली पुलिसिया अकड़ पर उतर आया था।

"कपडे बदलने का मौका तो दीजिये, दो मिनट इंतजार कीजिये आप" ये बोलकर मैं वापिस अंदर की तरफ मुड़ गया।

इस बार देवप्रिय ने कोई प्रतिवाद नही किया, और वही खड़े रहकर मेरे बाहर आने का इंतजार करने लगा।

उसका ये इंतजार कोई दस मिनट चला। इन दस मिनट में मैंने अपने कपङे बदले, आधा अधूरा फ्रेश हुआ और बाहर निकल कर अपने फ्लैट का ताला लगाया।

उसके बाद सुबह सुबह एक लाश की शिनाख्त करने जैसे मनहूस काम के लिये उस मनहूस इंसान के साथ रवाना हो गया।

अनजानी लाश-3

मैं एसआई देवप्रिय के साथ जिस जगह पर पहुंचा था, वो जगह सेक्टर 16 की एक पुलिया थी जो ईएसआई अस्पताल से थोड़ा सा आगे जाकर सेक्टर 16 को उस रोड से जोड़ती थी।

"बड़ी जल्दी आपकी जरूरत पड़ गयी रोमेश बाबू" थाना इंचार्ज इंस्पेक्टर देवेंद्र माहेश्वरी ने मुझ पर नजर पड़ते ही बोला।

"कानून को जब भी इस बन्दे की दरकार होती है, बन्दा तो उसी वक़्त हाजिर हो जाता है" मैंने हल्की सी मुस्कान के साथ माहेश्वरी साहब को बोला।

"मेरे साथ आइए, और देखकर बताइये की कल रात को आपके घर मे घुसकर आपके पिस्टल को चुराने वाली यही लड़की थी क्या" माहेश्वरी साहब ने मेरी ओर देखकर बोला।

मैं धड़कते दिल के साथ उन झाड़ियों की तरफ बढ़ा, जिन झाड़ियों में उस लड़की की लाश पड़ी हई थी।

मैंने एक सरसरी नजर उस लड़की पर डाली और एक राहत की सांस ली।

"ये वो लड़की नही है जनाब" मैंने माहेश्वरी साहब की ओर देखकर घोषणा की।

"ध्यान से देखो, हो सकता है नींद की वजह से तुम्हारी आंखे अभी पूरी तरह से न खुली हो" माहेश्वरी साहब ने हल्के से विनोद भरे स्वर में बोला।

"जिस आदमी के दरवाजे को सुबह सुबह पुलिस खटखटाये, उस आदमी की नीदं खुलती नही है जनाब, बल्कि उड़ जाती है" मैंने माहेश्वरी साहब की बात का जवाब उन्ही के अंदाज में दिया।

"लेकिन जनाब मृतका के शरीर मे जो गोली का घाव नजर आ रहा है, वो बिल्कुल उसी पिस्टल से निकली गोली का हो सकता है, जिसकी गुमशुदगी की रपट रोमेश साहब ने कल रात को ही लिखवाई है" देवप्रिय ने मेरी ओर अपनी शक्की निग़ाहों को डालते हुए बोला।

".32 बोर की पिस्टल क्या पूरे हिंदुस्तान में सिर्फ एक ही शख्स के पास हो सकती है क्या, और बिना पिस्टल की बरामदगी के तुम ये कैसे साबित करोगे की मृतका को लगी गोली उसी पिस्टल से निकली है" मैने उस लड़की के सीने में लगी गोली के घाव को देखते हुए बोला।

"यही बात तो हमारी शक की सुई तुम्हारी और घुमा रही है रोमेश बाबू, आपने इस लड़की को मारने के लिये अपने जासूसी दिमाग का बखूबी इस्तेमाल किया है, पहले अपने पिस्टल के गुम होने की झूठी रिपोर्ट लिखवाई, और फिर उसी पिस्टल से इस लड़की को मारकर अब मासूम बनने का दिखावा कर रहे हो" देवप्रिय एक तरीके से मुझें क़ातिल साबित करने की पूरी थ्योरी बना चुका था।

"मैं खामख्वाह क्यो किसी लड़की को क्यो मारूंगा, मैं तो इस लड़की को जानता भी नही, मैं तो इस लड़की को पहली बार देख भी रहा हूँ तो इस मुर्दा हालत में" मैने देवप्रिय की बात का तुरन्त प्रतिवाद किया।

"तुम इस लड़की को जानते हो या नही, या इससे पहले इसे कभी देखा है या नहीं, ये सब अब हमारी जांच का विषय है रोमेश बाबू" देवप्रिय अब अपने पुलिसिया हथकंडों पर उतर आया था।

"फिर जांच करके पहले साबित कीजिये, साबित कीजिये कि मैं इस लडक़ी को जानता हूँ, साबित कीजिये कि इसको मारने के पीछे मेरा क्या उद्देशय रहा होगा, उसके बाद आप मुझे फांसी पर लटका देना, अगर मुझे इस लड़की को मारना ही होता तो क्या मैं इतना बेवकूफ था, की जिस हथियार से इसे मारूंगा, उसी की गुम होने की रिपोर्ट लिखवाकर पहले से ही खुद को पुलिस की नजर में ले आऊं, आप बताइये, अगर मैं रात को आपके पास रिपोर्ट लिखवाने न आया होता तो क्या आप सुबह सुबह मेरे घर पर आ सकते थे, क्या
आपको सपना आना था कि मैं इस लड़कीं को मारकर यहां डालकर अपने घर पर जाकर सो गया हूँ" मैं एक ही सांस में उस पुलिसिये की खबर लेता चला गया।

उसके पास इस वक़्त मेरी एक भी बात का जवाब नही था। उसने आहत नजरो से अपने साहब की तरफ देखा।

"रोमेश की बात में दम है देवप्रिय, पहले हमें इस लड़की के बारे में जानना चाहिए कि ये लड़की है कौन, यहां इसकों मारकर कौन डाल गया है" माहेश्वरी ने मेरा बचाव करते हुए कहा।

"लेकिन जनाब शक तो इस आदमी पर भी बनता ही है, इसे ऐसे ही कैसे जाने दे सकते है" देवप्रिय ने बुझे हुए स्वर में बोला।

"हम अनुज को कभी भी पूछताछ के लिए तलब कर सकते है, इन पर इतना भरोसा तो हम कर ही सकते है कि ये पुलिसिया पूछताछ से बचने के लिये कही गायब नही होंगे" माहेश्वरी साहब देवप्रिय से ज्यादा मेरे बारे में ज्यादा जानते थे।

"आप इस बात से निश्चिन्त रहिये सर! इस केस को सुलझाने के लिए मैं साये की तरह से आपके साथ रहूंगा, मेरे गायब होने की बात तो भूल ही जाइये, इलाके के बीसी को सिर्फ हफ्ते में एक बार थाने में हाजिरी देने के लिए बोला जाता हैं, मैं रोज आपके दरबार मे हाजिरी लगाऊंगा" मैने माहेश्वरी साहब की ओर देखकर बोला।

"ठीक है अब तो, ये रोज तुम्हारी नजरो के सामने रहेंगे, जिस दिन भी इस केस में इसके खिलाफ कुछ भी मिले, उसी दिन इसे पकड़कर लॉकअप में डाल देना" ये बोलकर माहेश्वरी साहब अभी देवप्रिय की तरफ देख ही रहे थें, की फोरेंसिक की टीम, फ़ोटोग्राफर और एम्बुलेंस तीनो एक साथ वहां अपनी आमद दर्ज करवा चुके थे।

देवप्रिय मेरी और तीरछी निग़ाहों से घूरता हुआ, आगे की जरूरी कार्यवाही के लिये फोरेंसिक टीम की ओर बढ़ गया।

मैं वही माहेश्वरी साहब के साथ एक कोने में जाकर खड़ा हो गया था।

"वैसे एक बात सच सच बोलो, वाकई ये लड़की वो नही है, जो कल रात को तुम्हारे घर मे घुसी थी" माहेश्वरी साहब ने ये पूछकर ये सिद्ध कर दिया था कि पुलिस वाला आख़िरकार पुलिसवाला ही होता है, उसकी वर्दी पर चाहे कितने सितारे टंगे हो।

"वो लड़की इससे कई हजार गुना सुंदर थी, और जब वो मेरे घर मे घुसी थी तब वो बुरी तरह से भीगी हुई थी, उसके भीगे हुए कपडो से मेरे बेड की वो जगह अभी तक गीली होगी, जहां पर आकर वो लड़की बैठी थी, जबकि ये लड़की तो किसी भी एंगल से नही लग रही है कि ये रात को बरसात में बुरी तरह से भीगी होगी" मैंने एक नई थ्योरी से भी माहेश्वरी साहब को अवगत करवाया।

"तुम अपनी जगह सही हो रोमेश, लेकिन मेरा एक मशविरा है, जितनी जल्दी हो सके अपनी पिस्टल को बरामद कर लो, नही तो आने वाले समय मे कोई भी नई मुसीबत तुम्हारे सामने खड़ी हो सकती है, मैं हर बार अपने मातहत की बात को काटकर उसे नजरअंदाज नही कर सकता हूँ, अगर ये सब कर रहा हूँ तो, सिर्फ इसलिए, क्यो कि मै तुम्हारे ट्रैक को अच्छी तरह से जानता हूँ" माहेश्वरी साहब ने मुझे मेरा हितेषी बनकर अपनी सलाह से नवाजा था।

फोरेंसिक वालो के विदा होते ही मैं भी वहां से अपने फ़्लैट पर आ गया।

अभी दरवाजा खोलकर अंदर घुसा ही था कि रागिनी ने भी मेरे पीछे ही फ्लैट में प्रवेश किया।

"कहीं बाहर से आ रहे हो क्या" रागिनी ने अपना बैग टेबल पर रखते हुए बोला।

"सुबह सुबह एक लाश की शिनाख्त करके आ रहा हूँ, अब इस इलाके में जितने भी मर्डर होंगे, पुलिस सोचेगी की वो मेरी ही पिस्टल से हुए है, इसलिये अब जब तक मेरी पिस्टल नही मिल जाती, मुझे ऐसे ही परेशान करेगे" मैने तपे हुए स्वर में रागिनी को बोला।

"ये तो है, इसलिए पिस्टल को हमे जल्द से जल्द ढूंढना पड़ेगा" रागिनी भी चिंतित स्वर में बोली।

"लेकिन सवाल तो यही है कि कैसे ढूंढे" मैने रागिनी की ओर देखकर बोला।

"यहां आसपास कोई सीसी टीवी कैमरा लगा हुआ है क्या, क्या पता वो लड़की किसी कैमरे की पकड़ में आई हो" रागिनी ने सही दिशा में सोचा था।

"मैंने कभी ध्यान नही दिया है, लेकीन कैमरे आसपास लगे हुए तो जरूर होंगे" मैने रागिनी की बात से सहमती जताई।

"चलो फिर सबसे पहले उन कैमरों को ही ढूंढते है, फिर उनके मालिकों से उनकी फुटेज दिखाने की गुजारिश करते है" रागिनी ने अपनी जगह से उठते हुए बोला।

"अरे पहले कुछ खा पी तो लेने दो, सुबह सात बजे से भूखा प्यासा गया हुआ था" मैंने रागिनी को बोला।

"मैं लाई हूँ ब्रेकफास्ट घर से, तुम इतने फ्रेश हो जाओ, मैं तब तक काफी बनाती हूँ" रागिनी पहले से ही समझदारी वाला काम करके आई थी।

मैंने एक मुस्कराहट भरी नजर रागिनी पर डाली, और बाथरूम में घुस गया।


जारी रहेगा_____✍️
1 लाश से शुरूवात हो गयी .... ab देखो कितनी लाशें मिलती है और किन किन हालातों में????
 

parkas

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#03

सुबह होते ही मेरे फ्लैट की बेल किसी जहांगीरी घँटे की मानिंद बजने लगी थी।

एक तो वैसे ही रात को देर से सोया था, उस पर से इतनी सर्दी में सुबह सुबह रजाई में से निकलने का सितम।

मैंने एक नजर अपनी दीवार घड़ी पर डाली, अभी सुबह के सात ही बजे थे, रागिनी ने तो नौ बजे आने के लिए बोला था, इस वक़्त इतनी सुबह कौन आया होगा, ये सोचते हुए मैं मन ही मन आने वाले को गली नुमा उपमा से नवाजता हुआ दरवाजे की ओर बढ़ गया।

दरवाजा खोलते ही मुझे सुबह सुबह उस मनहूस पुलिसिये देवप्रिय की शक्ल नजर आई।

मैंने कोतुहल से उसकी तरफ देखा। इतनी सुबह उसके आने का अभिप्राय मेरी समझ से बाहर था।

उसने एक कुटिल मुस्कान से मेरी तरफ देखा।

"चलो ! तुम्हे मेरे साथ चलना होगा, माहेश्वरी साहब भी तुम्हारा बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहे है" देवप्रिय की वो मुस्कान बोलते हुए भी उसके चेहरे से लुप्त नही हुई थी।

"क्यो ऐसा क्या हो गया, जो इतनी सुबह सुबह पुलिस को इस नाचीज़ की याद आ गई" मैंने प्रत्यक्ष में देवप्रिय से पूछा।

"पुलिस को एक लड़की की लाश मिली है, और लड़की को गोली मारी गई है, तुम्हे उस लड़की की शिनाख्त करनी है कि क्या ये वही लड़की है, जो बकौल तुम्हारे, तुम्हारी पिस्टल चुराकर भागी थी" देवप्रिय ने इस बार गंभीर स्वर में बोला था।

"ओह्ह लाश कहाँ पर मिली है" मैंने पूछा।

"अब सारे सवालों के जवाब यही पर खड़े हुए चाहिये क्या? साथ चलिये! सब पता चल जाएगा" देवप्रिय फिर से अपनी रात वाली पुलिसिया अकड़ पर उतर आया था।

"कपडे बदलने का मौका तो दीजिये, दो मिनट इंतजार कीजिये आप" ये बोलकर मैं वापिस अंदर की तरफ मुड़ गया।

इस बार देवप्रिय ने कोई प्रतिवाद नही किया, और वही खड़े रहकर मेरे बाहर आने का इंतजार करने लगा।

उसका ये इंतजार कोई दस मिनट चला। इन दस मिनट में मैंने अपने कपङे बदले, आधा अधूरा फ्रेश हुआ और बाहर निकल कर अपने फ्लैट का ताला लगाया।

उसके बाद सुबह सुबह एक लाश की शिनाख्त करने जैसे मनहूस काम के लिये उस मनहूस इंसान के साथ रवाना हो गया।

अनजानी लाश-3

मैं एसआई देवप्रिय के साथ जिस जगह पर पहुंचा था, वो जगह सेक्टर 16 की एक पुलिया थी जो ईएसआई अस्पताल से थोड़ा सा आगे जाकर सेक्टर 16 को उस रोड से जोड़ती थी।

"बड़ी जल्दी आपकी जरूरत पड़ गयी रोमेश बाबू" थाना इंचार्ज इंस्पेक्टर देवेंद्र माहेश्वरी ने मुझ पर नजर पड़ते ही बोला।

"कानून को जब भी इस बन्दे की दरकार होती है, बन्दा तो उसी वक़्त हाजिर हो जाता है" मैंने हल्की सी मुस्कान के साथ माहेश्वरी साहब को बोला।

"मेरे साथ आइए, और देखकर बताइये की कल रात को आपके घर मे घुसकर आपके पिस्टल को चुराने वाली यही लड़की थी क्या" माहेश्वरी साहब ने मेरी ओर देखकर बोला।

मैं धड़कते दिल के साथ उन झाड़ियों की तरफ बढ़ा, जिन झाड़ियों में उस लड़की की लाश पड़ी हई थी।

मैंने एक सरसरी नजर उस लड़की पर डाली और एक राहत की सांस ली।

"ये वो लड़की नही है जनाब" मैंने माहेश्वरी साहब की ओर देखकर घोषणा की।

"ध्यान से देखो, हो सकता है नींद की वजह से तुम्हारी आंखे अभी पूरी तरह से न खुली हो" माहेश्वरी साहब ने हल्के से विनोद भरे स्वर में बोला।

"जिस आदमी के दरवाजे को सुबह सुबह पुलिस खटखटाये, उस आदमी की नीदं खुलती नही है जनाब, बल्कि उड़ जाती है" मैंने माहेश्वरी साहब की बात का जवाब उन्ही के अंदाज में दिया।

"लेकिन जनाब मृतका के शरीर मे जो गोली का घाव नजर आ रहा है, वो बिल्कुल उसी पिस्टल से निकली गोली का हो सकता है, जिसकी गुमशुदगी की रपट रोमेश साहब ने कल रात को ही लिखवाई है" देवप्रिय ने मेरी ओर अपनी शक्की निग़ाहों को डालते हुए बोला।

".32 बोर की पिस्टल क्या पूरे हिंदुस्तान में सिर्फ एक ही शख्स के पास हो सकती है क्या, और बिना पिस्टल की बरामदगी के तुम ये कैसे साबित करोगे की मृतका को लगी गोली उसी पिस्टल से निकली है" मैने उस लड़की के सीने में लगी गोली के घाव को देखते हुए बोला।

"यही बात तो हमारी शक की सुई तुम्हारी और घुमा रही है रोमेश बाबू, आपने इस लड़की को मारने के लिये अपने जासूसी दिमाग का बखूबी इस्तेमाल किया है, पहले अपने पिस्टल के गुम होने की झूठी रिपोर्ट लिखवाई, और फिर उसी पिस्टल से इस लड़की को मारकर अब मासूम बनने का दिखावा कर रहे हो" देवप्रिय एक तरीके से मुझें क़ातिल साबित करने की पूरी थ्योरी बना चुका था।

"मैं खामख्वाह क्यो किसी लड़की को क्यो मारूंगा, मैं तो इस लड़की को जानता भी नही, मैं तो इस लड़की को पहली बार देख भी रहा हूँ तो इस मुर्दा हालत में" मैने देवप्रिय की बात का तुरन्त प्रतिवाद किया।

"तुम इस लड़की को जानते हो या नही, या इससे पहले इसे कभी देखा है या नहीं, ये सब अब हमारी जांच का विषय है रोमेश बाबू" देवप्रिय अब अपने पुलिसिया हथकंडों पर उतर आया था।

"फिर जांच करके पहले साबित कीजिये, साबित कीजिये कि मैं इस लडक़ी को जानता हूँ, साबित कीजिये कि इसको मारने के पीछे मेरा क्या उद्देशय रहा होगा, उसके बाद आप मुझे फांसी पर लटका देना, अगर मुझे इस लड़की को मारना ही होता तो क्या मैं इतना बेवकूफ था, की जिस हथियार से इसे मारूंगा, उसी की गुम होने की रिपोर्ट लिखवाकर पहले से ही खुद को पुलिस की नजर में ले आऊं, आप बताइये, अगर मैं रात को आपके पास रिपोर्ट लिखवाने न आया होता तो क्या आप सुबह सुबह मेरे घर पर आ सकते थे, क्या
आपको सपना आना था कि मैं इस लड़कीं को मारकर यहां डालकर अपने घर पर जाकर सो गया हूँ" मैं एक ही सांस में उस पुलिसिये की खबर लेता चला गया।

उसके पास इस वक़्त मेरी एक भी बात का जवाब नही था। उसने आहत नजरो से अपने साहब की तरफ देखा।

"रोमेश की बात में दम है देवप्रिय, पहले हमें इस लड़की के बारे में जानना चाहिए कि ये लड़की है कौन, यहां इसकों मारकर कौन डाल गया है" माहेश्वरी ने मेरा बचाव करते हुए कहा।

"लेकिन जनाब शक तो इस आदमी पर भी बनता ही है, इसे ऐसे ही कैसे जाने दे सकते है" देवप्रिय ने बुझे हुए स्वर में बोला।

"हम अनुज को कभी भी पूछताछ के लिए तलब कर सकते है, इन पर इतना भरोसा तो हम कर ही सकते है कि ये पुलिसिया पूछताछ से बचने के लिये कही गायब नही होंगे" माहेश्वरी साहब देवप्रिय से ज्यादा मेरे बारे में ज्यादा जानते थे।

"आप इस बात से निश्चिन्त रहिये सर! इस केस को सुलझाने के लिए मैं साये की तरह से आपके साथ रहूंगा, मेरे गायब होने की बात तो भूल ही जाइये, इलाके के बीसी को सिर्फ हफ्ते में एक बार थाने में हाजिरी देने के लिए बोला जाता हैं, मैं रोज आपके दरबार मे हाजिरी लगाऊंगा" मैने माहेश्वरी साहब की ओर देखकर बोला।

"ठीक है अब तो, ये रोज तुम्हारी नजरो के सामने रहेंगे, जिस दिन भी इस केस में इसके खिलाफ कुछ भी मिले, उसी दिन इसे पकड़कर लॉकअप में डाल देना" ये बोलकर माहेश्वरी साहब अभी देवप्रिय की तरफ देख ही रहे थें, की फोरेंसिक की टीम, फ़ोटोग्राफर और एम्बुलेंस तीनो एक साथ वहां अपनी आमद दर्ज करवा चुके थे।

देवप्रिय मेरी और तीरछी निग़ाहों से घूरता हुआ, आगे की जरूरी कार्यवाही के लिये फोरेंसिक टीम की ओर बढ़ गया।

मैं वही माहेश्वरी साहब के साथ एक कोने में जाकर खड़ा हो गया था।

"वैसे एक बात सच सच बोलो, वाकई ये लड़की वो नही है, जो कल रात को तुम्हारे घर मे घुसी थी" माहेश्वरी साहब ने ये पूछकर ये सिद्ध कर दिया था कि पुलिस वाला आख़िरकार पुलिसवाला ही होता है, उसकी वर्दी पर चाहे कितने सितारे टंगे हो।

"वो लड़की इससे कई हजार गुना सुंदर थी, और जब वो मेरे घर मे घुसी थी तब वो बुरी तरह से भीगी हुई थी, उसके भीगे हुए कपडो से मेरे बेड की वो जगह अभी तक गीली होगी, जहां पर आकर वो लड़की बैठी थी, जबकि ये लड़की तो किसी भी एंगल से नही लग रही है कि ये रात को बरसात में बुरी तरह से भीगी होगी" मैंने एक नई थ्योरी से भी माहेश्वरी साहब को अवगत करवाया।

"तुम अपनी जगह सही हो रोमेश, लेकिन मेरा एक मशविरा है, जितनी जल्दी हो सके अपनी पिस्टल को बरामद कर लो, नही तो आने वाले समय मे कोई भी नई मुसीबत तुम्हारे सामने खड़ी हो सकती है, मैं हर बार अपने मातहत की बात को काटकर उसे नजरअंदाज नही कर सकता हूँ, अगर ये सब कर रहा हूँ तो, सिर्फ इसलिए, क्यो कि मै तुम्हारे ट्रैक को अच्छी तरह से जानता हूँ" माहेश्वरी साहब ने मुझे मेरा हितेषी बनकर अपनी सलाह से नवाजा था।

फोरेंसिक वालो के विदा होते ही मैं भी वहां से अपने फ़्लैट पर आ गया।

अभी दरवाजा खोलकर अंदर घुसा ही था कि रागिनी ने भी मेरे पीछे ही फ्लैट में प्रवेश किया।

"कहीं बाहर से आ रहे हो क्या" रागिनी ने अपना बैग टेबल पर रखते हुए बोला।

"सुबह सुबह एक लाश की शिनाख्त करके आ रहा हूँ, अब इस इलाके में जितने भी मर्डर होंगे, पुलिस सोचेगी की वो मेरी ही पिस्टल से हुए है, इसलिये अब जब तक मेरी पिस्टल नही मिल जाती, मुझे ऐसे ही परेशान करेगे" मैने तपे हुए स्वर में रागिनी को बोला।

"ये तो है, इसलिए पिस्टल को हमे जल्द से जल्द ढूंढना पड़ेगा" रागिनी भी चिंतित स्वर में बोली।

"लेकिन सवाल तो यही है कि कैसे ढूंढे" मैने रागिनी की ओर देखकर बोला।

"यहां आसपास कोई सीसी टीवी कैमरा लगा हुआ है क्या, क्या पता वो लड़की किसी कैमरे की पकड़ में आई हो" रागिनी ने सही दिशा में सोचा था।

"मैंने कभी ध्यान नही दिया है, लेकीन कैमरे आसपास लगे हुए तो जरूर होंगे" मैने रागिनी की बात से सहमती जताई।

"चलो फिर सबसे पहले उन कैमरों को ही ढूंढते है, फिर उनके मालिकों से उनकी फुटेज दिखाने की गुजारिश करते है" रागिनी ने अपनी जगह से उठते हुए बोला।

"अरे पहले कुछ खा पी तो लेने दो, सुबह सात बजे से भूखा प्यासा गया हुआ था" मैंने रागिनी को बोला।

"मैं लाई हूँ ब्रेकफास्ट घर से, तुम इतने फ्रेश हो जाओ, मैं तब तक काफी बनाती हूँ" रागिनी पहले से ही समझदारी वाला काम करके आई थी।

मैंने एक मुस्कराहट भरी नजर रागिनी पर डाली, और बाथरूम में घुस गया।


जारी रहेगा_____✍️
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update.....
 

Avaran

एवरन -Eternal
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शुभआरमभ रिवयु का|

हम्म कुछ-कुछ समझ आ रहा है। हो न हो रोमेश को फँसाने का प्लान बनाया किसी ने।
पहला मर्डर यही इशारा करता है कि क़त्ल अब रुकेंगे नहीं, उल्टा आगे और भी क़त्ल होंगे , जिससे असली क़ातिल चाहता है कि पुलिस गुमराह हो और रोमेश के पीछे ही लगी रहे।
इस तरह क़त्ल करने वाला आराम से पुलिस को भटकाकर अपने प्लान को अंजाम दे सके।

देव और प्रिया का एक बार फिर इल्ज़ाम लगाना और सीनियर महेश्वरी के कानों में ये बात डालना, मुझे लगता है कि देवप्रिय भी इसमें शामिल हैं।
या तो रोमेश का कोई पुराना दुश्मन ये सब कर रहा है या फिर कोई ऐसा जो रोमेश को अच्छे से जानता है
क्योंकि उस लड़की, अनामिका, को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी गन ढूंढने में।इससे साफ़ साबित होता है कि किसी ने अनामिका को ये जानकारी दी कि रोमेश गन उस ड्रॉअर में रखता है।

दूसरी बात अनामिका को कैसे पता कि रोमेश के पास गन है? ज़रूरी तो नहीं कि हर डिटेक्टिव गन रखे।तो ये भी साफ़ है कि गन चुराने वाला रोमेश का कोई क़रीबी या जानने वाला ही है।

मुझे तो ये रागिनी भी अब शक़ में लग रही है।
वैसे कहीं अपना रोमेश सच में कुछ गेम तो नहीं खेल रहा |
मतलब , क्या सच में रोमेश ने ही क़त्ल किया और वो लड़की अनामिका भी उसी की टीम मेंबर हो?
और दोनों का कोई बड़ा प्लान चल रहा हो शायद जो लोग मारे गए, वही इनके दुश्मन हों।

ओवरऑल अपडेट शानदार है।
Raj_sharma
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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1 लाश से शुरूवात हो गयी .... ab देखो कितनी लाशें मिलती है और किन किन हालातों में????
Ye to samay hi batayega, per paapad kaafi belne padenge 🤗 Thank you very much for your valuable review bhai :thankyou:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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शुभआरमभ रिवयु का|
धन्यवाद सरकार :roll:
हम्म कुछ-कुछ समझ आ रहा है। हो न हो रोमेश को फँसाने का प्लान बनाया किसी ने।
:approve: बिल्कुल
पहला मर्डर यही इशारा करता है कि क़त्ल अब रुकेंगे नहीं, उल्टा आगे और भी क़त्ल होंगे , जिससे असली क़ातिल चाहता है कि पुलिस गुमराह हो और रोमेश के पीछे ही लगी रहे।
इस तरह क़त्ल करने वाला आराम से पुलिस को भटकाकर अपने प्लान को अंजाम दे सके।
बेशक ऐसा हो सकता है। :approve:
देव और प्रिया का एक बार फिर इल्ज़ाम लगाना और सीनियर महेश्वरी के कानों में ये बात डालना, मुझे लगता है कि देवप्रिय भी इसमें शामिल हैं।
या तो रोमेश का कोई पुराना दुश्मन ये सब कर रहा है या फिर कोई ऐसा जो रोमेश को अच्छे से जानता है
क्योंकि उस लड़की, अनामिका, को ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी गन ढूंढने में।इससे साफ़ साबित होता है कि किसी ने अनामिका को ये जानकारी दी कि रोमेश गन उस ड्रॉअर में रखता है
देव और प्रिया :D
ये पुलिसीया तो हाथ धोकर पिछे पडा हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन रोमेश आसान शिकार नहीं है।:shhhh: बाकी गन तो रोमेश ने खुद रखी थी वहाॅ।

दूसरी बात अनामिका को कैसे पता कि रोमेश के पास गन है? ज़रूरी तो नहीं कि हर डिटेक्टिव गन रखे।तो ये भी साफ़ है कि गन चुराने वाला रोमेश का कोई क़रीबी या जानने वाला ही है।
हो भी सकता है। कुछ भी होने में इन्कार छहाॅ किया जा सकता है।:dazed:
मुझे तो ये रागिनी भी अब शक़ में लग रही है।
वैसे कहीं अपना रोमेश सच में कुछ गेम तो नहीं खेल रहा |
मतलब , क्या सच में रोमेश ने ही क़त्ल किया और वो लड़की अनामिका भी उसी की टीम मेंबर हो?
और दोनों का कोई बड़ा प्लान चल रहा हो शायद जो लोग मारे गए, वही इनके दुश्मन हों।
नहीं भाई नहीं। :nana:
ओवरऑल अपडेट शानदार है।
Raj_sharma
Thank you very much for your amazing review and superb support bhai , sath bane rahiye :hug:
 

Aladdin_

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#01

बारिश: (रात 8 बजे!)

इस बार दिल्ली की सर्दियों में बारिश अपना अलग ही स्यापा कर रही थी।
कहने वाले तो कहने लगे थे कि, दिल्ली भी बारिश के मामले में अब मुम्बई बनती जा रही है।

एक तो जनवरी के पहले सप्ताह की कड़ाके की सर्दी और उस पर ये बारिश का कहर।

मैं उसी सर्दी की मार से बचने के लिए इस वक़्त अपने फ्लैट में अपने बेड पर और अपनी ही रजाई में लिपट कर अपनी सर्दी को दूर भगाने का प्रयास कर रहा था।

अब आप भी सोच रहे होंगे की ये कौन अहमक इंसान है,जो बेवजह दिल्ली के मौसम का आँखों देख़ा हाल सुना रहा है। :D

वैसे तो अभी तक आपने अपने इस सेवक को पहचान ही लिया होगा , लेकिन फिर भी मैं आपको बता दूं कि मैं “रोमेश!” दिल्ली में एक छोटा मोटा जासूसी का धंधा करता हूँ…न न मैं कोई राॅ का एजेंट नही हूँ,मैं तो एक प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ, जो सिर्फ कत्ल के केस में ही अपनी टांग घुसाता है। :yo:

जासूसी के बाकी धंधो मसलन, शक धोखा, पीछा, तलाक जैसे सड़क छाप धंधों से मैं दूर ही रहता हूँ।

बन्दे को बचपन से ही जासूसी उपन्यास पढ़ने का शौक इस कदर था, की जिस उम्र में मुझें स्कूल की किताबें पढ़नी चाहिए थी,उस उम्र में मैं दिन रात जासूसी किस्से कहानिया पढ़ा करता था।:dazed:

इसी वजह से अपुन का मन भी सिर्फ जासूसी में ही अपना मुकाम बनाने का करने लगा था।

वैसे तो आपका ये सेवक जासूसी में दिल्ली से लेकर मेरठ आगरा ,मुम्बई और राजस्थान तक अपने झंडे गाड़ चुका था ,और आज किसी परिचय का मोहताज नही था , लेकिन मेरी एक नकचढ़ी सेक्रेटरी है,जिसका नाम रागिनी है, वो बन्दे की इस काबलियत की जरा भी कदर नही करती है,:beee: उसकी नजर में अपन आज भी घर की मुर्गी दाल बराबर है, लेकिन उसकी महिमा का बखान मैं बाद में करूँगा, इस वक़्त आपके इस जिल्ले-इलाही के फ्लैट को कोई बुरी तरह से पीट रहा था।

दरवाजा इतनी बेतरतीबी से पीटा जा रहा था कि, मानो कोई दरवाजा तोड़कर अंदर घुसना चाहता हो, मैं हड़बड़ाकर अपनी रजाई में से निकला और दराज में से अपनी पिस्टल निकालकर अपने बरमूडा में फँसाई और तेज कदमो दरवाजे की ओर बढ़ा और दरवाजे के पास जाकर ठिठक गया।

"कौन है,क्यो दरवाजा तोड़ने पर आमादा हो "मैंने बन्द दरवाजे के पीछे से ही बोला।

"दरवाजा खोलो ! मैं बहुत बड़ी मुसिबत में हूँ" ये किसी लड़की की घबराई हुई आवाज थी।

अब एक तो लड़की और ऊपर से मुसीबतजदा, और ऊपर से गुहार भी उस इंसान से लगा रही थी,जो मुसीबतजदा लड़कियों का सबसे बड़ा खैरख्वाह था,:smarty: तो अब दरवाजा खोलना तो बनता था, सो मैंने दरवाजा खोला और फोरन से पेश्तर खोला।

दरवाजा खोलते ही मुझे यू लगा मानो कोई आंधी तूफान कमरे में घुस आया हो, वो लडकी डेढ़ सौ किलोमीटर की रफ्तार से कमरे में घुसी और सीधा मेरे बेड पर बैठ गई।

मै किंककर्तव्यमूढ़ सा बस उस
लड़की की ओर देखता रहा, उस मोहतरमा में एक बार भी मुझ से अंदर आने के लिए पूछना गवांरा नही समझा था।

"दरवाजा बंद करो न, ऐसे क्या देख रहे हो, कभी कोई लडकी नही देखी क्या" उस लड़की की आवाज जैसे ही मेरे कानो में पड़ी, मैंने हड़बड़ा कर दरवाजे को बन्द कर दिया।

दरवाजा बंद करते ही मेरी नजर उस लड़की पर पहली बार पूरी नजर पड़ी थी। लड़की उची लंबे कद
की बेइंतेहा खूबसूरत थी।

उसके कटीले नैन नक्श पर उसका मक्खन में सिंदूर मिला रंग तो कयामत ही ढा रहा था।

उसे ध्यान से देखते ही मेरे दिल की घण्टिया किसी मंदिर के घड़ियाल की तरह से बजने लगी थी।:love2:

पता नही साला ये अपनी उम्र का तकाजा था या अभी तक कुंवारा रहने का नतीजा था कि,आजकल अपुन को हर लड़की खूबसूरत लगती थी। :loveeyed2:

मुझे इस तरह से कुत्ते की तरह से अपनी तरफ घूरते हुए देखकर वो लड़की अब बेचैनी से अपना पहलू बदलने लगी थी।:D

"हो गया हो तो, अब इधर भी आ जाओ" उस लड़की को शायद ऐसी कुत्ती निग़ाहों का अच्छा खासा तजुर्बा था।

होता भी क्यो नही, जो जलवा उसकी खूबसूरती का था, उसके मद्देनजर तो जिसने भी डाली होगी मेरे जैसी कुत्ति नजर ही डाली होगी।

लेकिन आपके इस सेवक ने लड़की के बोलते ही अपनी इस छिछोरी हरकत पर ब्रेक लगाई,और चहलकदमी करता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया।

एक तो साला सर्दी का मौसम, ऊपर से कड़कड़ाती बरसात, और अब ये कहर बरपाती मेरे ही बेड पर बैठी हुई मोहतरमा, मेरी जगह कोई और होता तो अभी तक इस खूबसूरत बला के साथ पूरी रात की योजना अपने ख्यालों में बना चुका होता, लेकिन अपनी नजर भले ही कितनी भी कुत्ती हो, दिल शीशे की तरह से साफ है।:declare:

"कौन हो तुम, और इतनी बरसात में मेरे पास क्यो आई हो" मै अब उसकी सुंदरता के खुमार से कुछ कुछ निकलते हुए बोला।

"मेरी जान खतरे में है,मुझे कोई मारना चाहता है" उस लड़की की आवाज में फिर से घबराहट का पुट आ चुका था।

"लेकिन आपको मेरे बारे में किसने बताया कि मैं मुसीबतजदा हसीनाओं की मदद आधी रात को भी सिर के बल चल कर करता हूँ" मैं अब अपनी जासूस वाली फोम में आता जा रहा था।

"मैं आपको नही जानती, मेरे पीछे तो कुछ लोग लगे हुए थे, मैं तो उनसे बचने के लिए आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी थी" उन मोहतरमा ने जो बोला था, वो मेरे लिए अनपेक्षित था ।

ऐसे कोई जबकि सर्दियो के दिनों में आठ बजते ही आधी रात का आलम लगने लगता है, क्यो किसी अंजान के घर मे ऐसे घुसेगा और न सिर्फ घुसेगा बल्कि आकर आराम से आकर बेड पर भी बैठ जाएगा।

"आप हो कौन, और कौन लोग है जो आपकीं जान लेना चाहते है" मैंने एक स्वभाविक सवाल किया।

"मेरा नाम अनामिका है, मै यही आपके इलाके के सेक्टर ग्यारह में रहती हूँ, मैं इधर किसी काम से आई थी, लेकिन जब मैं घर वापिस जा रही थी, तो मैंने देखा कि चार लोग मेरा पीछा कर रहे थे, मैं उन्हें देख कर घबरा गई और भागने लगी, तभी आपके फ्लैट पर नजर पड़ी, आपकी लाइट भी जली हुई थी, तो आपके फ्लैट का दरवाजा पीटने लगी" अनामिका ने बोला।

"उन लोगो को आपने पहले भी कभी अपने पीछे आते हुए देखा है, या आज ही देखा था" मै अब उससे सवाल जवाब करने के मूड में आ गया था।

"उन लोगो को तो मैंने आज ही देखा था, लेकिन मुझे कई दिनों से लग रहा है कि कोई मेरा पीछा कर रहा है" अनामिका ने रहस्यमय तरीके से बोला।

"ऐसा लगने का कोई कारण भी तो होना चाहिए, क्या आपको किसी से अपनी जान का खतरा है" मैंने उसके जवाब में से ही सवाल ढूंढा।

"खतरा तो मेरी जान को बहुत है, मुझे नही पता कि मौत किस पल मेरा शिकार कर ले" अनामिका की आवाज से ही ये बोलते हुए उसका डर झलक रहा था।

"कौन लेना चाहता है तुम्हारी जान" मैंने फिर से उसी सवाल को घुमा फिरा कर पूछा।

"धीरज!पूरा नाम उसका धीरज खत्री है" अनामिका ने मुझे उस बन्दे का नाम बताया।

"आप धीरज को कैसे जानती है" मेरा ये पूछना स्वभाविक था।

"किसी समय वो मेरा बॉयफ्रेंड था, लेकिन जल्दी ही मुझे ये एहसास ही गया कि मैंने गलत आदमी से प्यार कर लिया है, उसके बाद मैंने उससे अपने रिलेशन ख़त्म कर लिये, और दूसरी जगह शादी कर ली, उसके बाद से वो बन्दा मेरी जान का दुश्मन बना हुआ है" अनामिका ने पूरी बात बताई।

"देखिए मैं एक डिटेक्टिव हूँ… मेरा पाला हर रोज ऐसे लोगो से ही पड़ता है, आप मेरा ये कार्ड रख लीजिए, और कल मेरे आफिस आकर मुझे सभी कुछ डिटेल में बताइये, हो सकता है, इसके बाद आपका बॉयफ्रेंड फिर कभी आपको परेशान न करे" मैंने उसको विश्वास दिलवाने वाले शब्दो मे बोला।

"अगर आपने सच मे मेरा उस आदमी से पीछा छुड़ा दिया तो, आपको आपके वजन के बराबर नोट से तोल दूँगी" अनामिका ने उत्साहित स्वर में बोला।

"लेकिन मैडम इतना बता दीजिए कि वो नोट दस के होंगे या दो हजार के होंगे" मैंने उसकी बात का झोल पकड़ते हुए बोला।:D

मेरी बात सुनकर वो नाजनीन न केवल मुस्कराई बल्कि खिलखिलाकर हँस भी पड़ी।

"आप बहुत हाजिर जवाब हो रोमेश साहब" अनामिका ने मेरा नाम मेरे विजिटिंग कार्ड पर पढ़ते हुए बोला।

"चलिये अब मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ, वैसे भी रात अब गहरी होती जा रही है" मैंने अनामिका की तरफ देख कर बोला।

"काफी शरीफ आदमी मालूम पड़ते हो रोमेश साहब, वरना मौसम तो आशिकाना है" उस जालिम ने एकाएक ऐसी बात बोलकर मेरे दिल के तारों को झंकृत कर दिया।

"इस मौसम की वजह से ही तो बोल रहा हूँ, आपके कपडे गीले हो चुके है, घर आपका पास में ही है, मैं अपको घर छोड़ देता हूँ, ताकि आप इन गीले कपड़ो से छुटकारा पा सको" मैंने अनामिका की बात को एक नया मोड़ दिया।

"लेकिन मैं अभी घर नही जाना चाहती हूँ, मेरे पति भी आज घर पर नही है, और मुझे ऐसे हालात में डर भी बहुत लगेगा"

अनामिका अब सीधे सीधे मेरे गले पड़ रही थी। जबकि मेरी छटी इंद्री मुझे बार बार सचेत कर रही थी।

मुझे न जाने क्यो ये लडकी खुद को जो बता रही थी,वो नही लग रही थी।

लेकिन इस बार उसने जो बहाना बनाया था, उसने मुझे कुछ बोलने लायक नही छोड़ा था।

"लेकिन देवी जी, ये बन्दा यहां अकेला रहता है, कल को किसी को पता चलेगा तो आपकी बदनामी नही होगी" मैने वो बात बोली, जो आजकल के जमाने मे अपनी अहमियत खो चुकी थी।

मेरी इस बात को अनामिका की हँसी ने सही भी साबित कर दिया था।

"किस जमाने मे जी रहे हो रोमेश बाबू, आजकल किसके पास इतनी फुर्सत है कि कोई मेरी रातों का हिसाब रखें कि मैं अपनी रात कहाँ किसके साथ बिताकर आ रही हूँ.. यार अब ये फालतू की बाते बन्द करो, और अगर एक कप कॉफी पिला सकते हो तो पिला दो" अनामिका मेरे गले पड़ने में कामयाब हो चुकी थी।

मैं मरता क्या न करता के अंदाज में अपने किचन की ओर चल दिया।

कॉफी की जरूरत तो मुझे भी थी। इसलिए मैंने कॉफी के लिये कोई आना कानी नही की।

मैंने अपने बरमूडा से अपनी पिस्टस्ल को निकाल कर दराज में डाला और कॉफी बनाने के वास्ते किचन की ओर चल दिया।

मै कोई दस मिनट के बाद काफी बनाकर जब बैडरूम में पहुंचा तो अनामिका वहां नही थी।

मैंने इधर उधर नजर दौड़ाई, लेकिन वो कहीं नजर नही आई। मैंने बाथरूम की तरफ देखा, उसका दरवाजा भी बाहर से ही लॉक था।

मैने दरवाजे पर नजर डाली, दरवाजा इस वक़्त हल्का सा खुला हुआ था। मुझे तत्काल इस बात का ध्यान हो आया कि दरवाजा मैंने अनामिका के घर मे घुसते ही बन्द कर दिया था।

अब दरवाजा खुला होने का मतलब था कि चिड़िया फुर्र हो चुकी थी।

मैंने दोनो कॉफी के कप टेबल पर रखे, और अपने बेड पर धम्म से बैठ गया।

मेरी समझ मे नही आ रहा था की मेरे फ्लैट में आने का उसका मकसद क्या था, और वो जिस तरह से एकाएक गायब हुई है, उसके पीछे उसका उद्देश्य क्या था।

अचानक ही मेरे दिमाग मे एक बिजली सी कौंधी और मै अपनी जगह से उछल कर खड़ा हो गया।

मैंने तत्काल कमरे में अपनी नजर घुमाई। घर की सभी चीजें अपने स्थान पर यथावत थी।

फिर मैंने दराजो को खंगालना शुरू किया। दराज में नजर पड़ते ही मेरे होश फाख्ता हो चुके थे।

आपके इस सेवक की पिस्टल दराज से गायब थी।


जारी रहेगा________✍️
badi hi romanchak shuruaat ki hai bhaiya ji ✨ ❤️
 
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#02

मनहूस सुबह:-
मैं एक घँटे के अंदर ही इस वक़्त लोकल थाने में पहुंच गया था।

जिस एस आई के पास मुझे ड्यूटी अफसर ने भेजा था, उसका नाम देवप्रिय था।

मैंने अपनी आप बीती सुनाई और अपने पिस्टल का लाइसेंस भी उसके सम्मुख प्रस्ततु किया।

"आप बोल रहे हो कि ऐसे बरसात के मौसम में कोई अनजान लडकी आपके फ्लैट पर आई, आपने उसे इंसानियत के नाते पनाह दी, और वो आपके पिस्टल को चुराकर भाग गई, मतलब आपको ही सेन्धी लगा कर चली गई" देवप्रिय ने मेरी ही बताई हुई बातो को दोहराया।

"जी" मैंने इस बार संक्षिप्त सा जवाब दिया।

"क्या जी ! पुलिस को इतना चूतिया समझा है क्या, जो आप कोई भी कहानी सुनाओगे और हम उस कहानी पर विश्वास कर लेंगे" देवप्रिय अप्रिय स्वर में बोला।

मैंने आहत नजरो से उस पुलिसिये को देखा।

"आपको क्या लगता है कि मैं आपको कोई झुठी कहानी क्यो सुनाऊंगा" मैने उल्टा देवप्रिय से ही सवाल किया।

"या तो तुम उस पिस्टल से कोई कांड करके आये हो, या फिर करने की फिराक में होंगे, पिस्टल चोरी की रपट लिखवाने इसलिए आये हो कि, कल को जब तुम्हारा किया हुआ कांड हमारी नजर में आ जाये, तो आप हमारी ही लिखी हुई रपट को हमारे ही सामने अपनी बेगुनाही का सबूत बनाकर पेश कर सको"

देवप्रिय जो भी बोल रहा था, एक पुलिसिया होने के नाते उसे वही बोलना चाहिए था।

लेकिन हमेशा किसी भी बात को एक ही नजरिए से नही देखा जाना चाहिए, ऐसा मेरा निजी विचार था, और अब अपने इस विचार से देवप्रिय को अवगत करवाना जरूरी हो गया था।

"देखिए एक पुलिस वाले की हैसियत से आपका सोचना बिल्कुल जायज है, लेकिन हमेशा तस्वीर का एक ही पहलू नही देखना चाहिए, पुलिस की तो ड्यूटी होती है कि वो हर एंगल को देखे"

मैंने ये सब देवप्रिय के चेहरे पर अपनी नजरे जमाकर बोला था।

इसी वजह से मेरी बातों से जो अप्रिय भाव उसके चेहरे पर आए थे, उन्हें में ताड़ पाया था।

"तो अब आप हमें हमारी ड्यूटी भी सिखाओगे" देवप्रिय अब अपना पुलिसिया रोब झाड़ने पर उतारू हो चुका था।

"अगर जरूरत पड़ी तो सीखा भी सकता हूँ, मुझे लगता है तुमसे तो बात करना ही समय की बर्बादी है, ये बताओ माहेश्वरी साहब अपने रूम में है, या नही" मै उसकी फिजूल की पुलिसिया गिरी से परेशान होकर बोला।

"तो अब साहब लोगो का नाम लेकर भी हमे डराओगे" देवप्रिय पता नही क्यो मुझ से पंगा लेने पर उतारू था।

"मैं डरा नही रहा हूँ, मैं उनसे पूछना चाहता हूँ, की जिन लोगो को पब्लिक डीलिंग करनी नही आती, ऐसे लोगों के पास किसी फरियादी को भेजते ही क्यो हो" मै अब उसको उसकी ही स्टाइल में जवाब दे रहा था।

"मैंने आपसे क्या गलत व्यवहार किया, मैंने अपना वही शक जाहिर किया है, जो मेरी जगह खुद माहेश्वरी साहब होते तो वो भी करते" देवप्रिय ने मेरी बात का जवाब उसी अंदाज में दिया।

"तो अपने शक के चलते आप मेरे पक्ष को नही सुनोगे, या सिर्फ अपने शक की बुनियाद पर ही मुझे फाँसी पर चढ़ा दोगे"

मेरी बात सुनकर देवप्रिय को सूझा ही नही की वो जवाब क्या दे। वो चुप्पी साधकर मेरी ओर देखता रहा।

"जनाब मैं एक प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ, और थोड़े बहुत कानूनों की जानकारी मैं भी रखता हूँ" ये बोलकर अपना विज़िटिंग कार्ड मैंने उसके सामने उसकी टेबल पर रख दिया।

उसने मेरा विजिटिंग कार्ड उठाकर गौर से पढ़ा।

"अब तो मेरे शक की बुनियाद और ज्यादा मजबूत हो गई रोमेश बाबू, आप एक प्राइवेट डिटेक्टिव है और प्राइवेट डिटेक्टिव तो पैदाइशी खुरापाती होते है, अब सच बोल ही दो की क्या खुरापात कर चुके हों, या कौन सी खुरापात करने जा रहे हो "देवप्रिय एक कुटिल मुस्कान के साथ मुझ से रूबरू हुआ।

"मैं एक कानून का पालन करने वाला बाइज्ज्ज्त शहरी हूँ, जो हर साल बाकायदा सरकार को इनकम टैक्स भी देता है, आपको ये कुर्सी हम जैसे लोगो की मदद करने के लिए दी जाती है, न कि अपने ख्याली पुलाव पकाकर किसी शरीफ शहरी को परेशान करनें के लिए दी जाती है, खैर मैं भी आप जैसे अहमक इंसान से क्यो अपना मूॅढ मार रहा हूँ, मैं अब माहेश्वरी साहब से ही सीधा मिल लेता हूँ, और हाँ आपके किसी के साथ बर्ताव करने के तौर तरीकों की शिकायत भी बाकायदा लिखित मे करूँगा" ये बोलकर मैं तेज कदमो से
उसके कमरे से निकल गया।

वो बन्दा मेरे पीछे आवाज लगाता हुआ रह गया, लेकिन मैं अब उसकी कोई बात सुनने के मूड में नही था।

कुछ ही देर बाद .....
माहेश्वरी साहब ने मेरी बात सुनते ही देवप्रिय को अपने कमरे में तलब कर लिया था।

देवप्रिय कमरे में आकर सावधान की मुद्रा में अपने साहब के सामने खड़ा हो गया था।

"ये रोमेश साहब है, कानून के बहुत बड़े मददगार है, और महकमे में काफी लोग इनका सम्मान करते है, इनकी जो भी शिकायत है, उसे दर्ज करके उसकी एक कॉपी इनको दो" माहेश्वरी साहब ने सीधे सपाट लहजें में देवप्रिय को बोला।

"जी जनाब! मैं इनकी शिकायत दर्ज ही कर रहा था, लेकिन शिकायत ऐसी है कि उसके मद्दनेजर मेरा इनसे पूछताछ करना जरूरी हो गया था" देवप्रिय ने मरे हुए स्वर में कहा।

"जब इनकी खोई हुई पिस्टल से हुई कोई वारदात हमारे सामने आ जाये, तब आप अच्छे से अपने सामने बैठाकर इनसे पूछताछ कर लेना, उस समय मैं भी आपके साथ इनसे ढेर सारे सवाल करूँगा, लेकिन अभी सूत न कपास और जुलाहे से लठ्ठमलठ्ठा होने की क्या जरूरत है" माहेश्वरी साहब ने अपनी देशी भाषा मे देवप्रिय को समझाया।

"जी जनाब!मैं इनकी शिकायत दर्ज कर लेता हूँ" ये बोलकर देवप्रिय ने मुझे अपने साथ आने का इशारा किया।

मैं माहेश्वरी साहब का शुक्रिया अदा करते हुए देवप्रिय के पीछे प्रस्थान कर गया------!

थाने से कोई मुझे एक घँटे के बाद निजात मिली थी मैंने घड़ी में समय देखा, रात के ग्यारह बज चुके थे। मैं वापिस अपने फ्लैट पर लौट आया।

खुद को बिस्तर के हवाले करने के बाद भी अभी नींद आंखों से कोसो दूर थी।

एक बिना वजह की आफत मेरे गले बैठे बिठाए आकर पड़ी थी। बैठें बिठाए नहीं बल्कि लेटे लिटाये पड़ी थी। जब वो आफत की पुड़िया आई थी उस वक़्त मैं खुद को बिस्तर के हवाले कर चुका था।

उस लड़की के बारे में मैं कुछ भी नही जानता था। लेकिन उसकी खोज खबर निकालना तो जरूरी था।

मैने एक बार फिर से समय देखने के लिये अपनी दीवार घड़ी पर नजर डाली। साढ़े ग्यारह बज चुके थे।

मुझे पक्का यकीन था कि रागिनी अभी सोई नही होंगी। मैंने आज की पूरी घटना रागिनी को भी बताना उचित समझा।

मैंने तुरन्त रागिनी को फ़ोन मिला दिया। रागिनी ने फ़ोन को रिसीव किया तो उसकी अलसाई आवाज से पता लगा कि मोहतरमा को मैने नींद से जगा दिया था।

"क्या हुआ! अब रात को नींद नही आने की बीमारी भी हो गई क्या, जो शहर की सुंदर सुंदर लड़कियों को फोन करने लगे" रागिनी ने उठते ही तंज मारा।

"मेरी कॉलर लिस्ट में नाम भूतनी लिखा हुआ आ रहा हैं, सुंदर लड़कियो के नंबर तो मैं विश्व सुन्दरी के नाम सेव करता हूँ" मैंने रागिनी के नहले पर अपना दहला मारा।

"इस भूतनी से बच कर रहना, ये कभी कभी जिंदा इंसानों को भी हजम कर जाती है" रागिनी ने तपी हुई आवाज से बोला।

"चल अब मुझे हजम करने के सपने बाद में देखना और वो सुन जिसके लिये तुम्हे फोन किया है" मै अब बकलोली बन्द करके मतलब की बात पर आया।

"क्या हुआ" रागिनी भी अब किंचित गंभीर स्वर में बोली।

मैं रागिनी को आज जो भी मेरे साथ घटना घटी, बताता चला गया। पूरी बात सुनने के बाद भी रागिनी कुछ देर खामोश ही रही।

"गुरु या तो अब शादी करके अपने गले में घँटी बांध लो, नही तो इस शहर की लड़कियां तुम्हे फांसी के फंदे पर जरूर लटकवा देगी" रागिनी ने नसीहत भरे स्वर में बोला।

"लेकिन मैं तो एक लड़की की मदद ही कर रहा था, सबसे बड़ी बात वो खुद चलकर मेरे घर तक आई थी, मैं उसे बुलाकर नही लाया था, और जिस बदहवासी की हालत में थी, मेरी जगह कोई भी होता वो उसकी मदद करता" मैंने रागिनी के सामने अपनी सफाई दी।

"अब वो कर गई न तुम्हारी मदद ! अब ये नही पता कि वो मैडम कोई चोरनी थी, जो कुछ चुराने के इरादे से घर मे घुसी थी, और जब उसे कुछ नही मिला तो, भागतें चोर की लंगोटी सही, इसलिए वो तुम्हारी पिस्टल ले गई" रागिनी ने अपनी सोच बताई।

"तुम बहुत सतही तरीके से सोच रही हो रागिनी, ये भी तो हो सकता है, की कोई लड़कियों के बारे में मेरी कमजोरी को जानता हो, और उसी का फायदा उठाकर उस लड़की को मेरे घर भेजा गया हो, अब वो किस इरादे से आई थी, ये तो तभी पता लगेगा, जब कभी हम उसे पकड़ पायेगे" मैंने रागिनी को बोला।

"मैं आपकी बात समझ गई गुरुदेव, ये बन्दी कल सुबह 9 बजे आपके घर पर उपस्थित हो जाएगी, उसके बाद देखते है क्या होता है" रागिनी ने मेरी बात का मतलब समझते हुए बोला।

"ठीक है मेरी प्राण प्रिये विश्व सुंदरी, मुझे अपने गरीब खाने में आपके आगमन का इंतजार रहेगा" मैंने उसकी शान में चिरौरी भरे शब्दो का प्रयोग किया।😎

"क्यो अब आपकी लिस्ट में इस भूतनी का नाम विश्व सुंदरी दिखाई देने लगा है" उधर से रागिनी का खिलखिलाता स्वर सुनाई पड़ा।

"अब रात को अगर भूतनी का ख्याल करके सोऊंगा, तो पूरी रात सपनो में कोई भूतनी ही डेरा डालकर रहेगी, इसलिए विश्वसुन्दरी को याद किया है, ताकि सपनो में ऐश्वर्य राय आये, कैटरीना कैफ आये" मैंने हँसते हुए रागिनी को बोला।

"क्यो दिल्ली की लड़कियों ने अब घास डालना बन्द कर दिया है क्या, जो आजकल फिल्मी हसीनाओं के सपने देखने लगे हो" रागिनी ने मेरा पानी उतारने में पलभर की भी देरी नही की थी।

"सो जा भूतनी ! नही तो सुबह आने में ग्यारह बजाएगी" जब मुझे उसकी बात का कोई जवाब नही सूझा तो मैंने ये बोलकर फोन काटना ही सही समझा।

मुझे पता था कि बातो में मैं रागिनी से नही जीत सकता था। एक वही थी, जिसके सामने अपन की गिनती न तीन में थी न तेरह में। :dazed:

एक बार फिर से मुझे उस कमजर्फ हसीना का ख्याल हो आया था, जो बारिश में भीगी हुई मेरे घर मे घुस गई थी, और मुझे दो लाख की पिस्टल का चूना लगा कर चली गई थी।

मैं उसके बारे में ही सोचता हुआ नींद की आगोश में चला गया था।

जारी रहेगा______✍️
Story aachi chl rhi , ye anamika aakhir thi tho thi kon ab romesh aur Ragini kaise pata lagayenge iske baare me , kya karegi vo anamika pistal ka..... Kya hoga aage kya anamika romesh ko fasane ke uddeshya se aayi hai ya phir kuch aur..... Bahut se sawaal chhor diye hai in 2 update ne ab aage aane vale update ki pratiksha jisme pata chlega ki kya hoga aage bhaiya jaldi update dena 😃
 
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