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Incest घर की प्यासी बुर

New story kaisi honi chaiye


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dhparikh

Well-Known Member
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Update - 20

सतीश जब ये देखता है तो अपनी जीभ को सोनाली के मुह मे दाल देता है सोनाली को सतीश के मुह से हलकी बद्बू सी आ रही थी पर सोनाली भी अपने होठ खोल कर उसकी जीभ का स्वागत करती है और उसे अपने मुह मे लेकर चुस्ने लगती है.... सतीश अपने हाथ उसके चूतडो पर लेजाता है और उन्हें मसलने लगता है....

सोनाली ने नहि सोचा था की वो इतनी जल्दी हथियार दाल देगी अपने बेटे के सामने पर वो अपने बेटे की हरक़तों के आगे मजबूर हो जाती है, उसके बेटे ने तो जैसे उसपर कोई जादु कर दिया था, गुलाम बन गई थी वो तो अपने ही बेटे की...

सोनाली अब अपनी जीभ सतीश के मुह मे दाल देती है और सतीश उसे ऐसे चुस्ने लगता है जैसे की उसपर अमृत लगा हो... और वो उसे पूरा निचोड लेना चाहता था... साथ ही साथ वो अपने माँ के चूतडों को मसल रहा था.... अब वो अपना एक हाथ सोनाली की चुत पर रख कर उसे अपनी मुट्ठि मे भर लेता है.... सोनाली के मुह से एक सिसकि निकलती है और सतीश के मुह मे ही दम तोड़ देती है...
सतीश अब अपने हाथ से सोनाली की चुत रगड़ने लगा था और उसके हाथ सोनाली की चुत के पानी से भिग गए थे... सोनाली भी अब अपना कण्ट्रोल खोती जा रही थी वो सतीश को रोकना तो चाह रही थी पर अब वो सतीश की हरक़तों मे इतनी खो गई थी की अब वो सब कुछ भूल कर बस इस पल के मजे ले रही थी... सतीश अब अपने एक हाथ जोकि उसकी माँ की गांड पर था को ऊपर उसके स्तनो पर रख देता है और फिर वो अपनी माँ के जिस्म से उसकी टॉवल को अलग कर देता है... टॉवल खुल कर उन दोनों के पैरों मे गिर जाती है... सतीश अब अपनी माँ की नंगी चूचियों को अपने हाथ मे लेकर मसलने लगता है... और उसका दूसरा हाथ सोनाली की चुत से खेल रहा था...
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५ मिनट तक किस करने के बाद दोनों अलग होते है और अपनी साँसे कण्ट्रोल करने लगते है... सतीश अब सोनाली को अपनी गोद मे उठा लेता है और उसे बेड पर लीटा देता है, सोनाली जोकि अपनी आँखे बंद करे हुए गहरी साँसे ले रही थी बेड पर लेटते ही अपनी आँखे खोल कर सतीश की आँखों मे देखति है... सोनाली की आँखे सुर्ख लाल हो गई थी... सोनाली सतीश के गले मे अपनी बाँहें दाल कर उसे अपने ऊपर खिंच लेती है और उसके होंठो को अपने होठो मे भर कर चुस्ने लगती है और उसकी चुचिया सतीश के सीने मे गड रहे थी, सोनाली के निप्पल तन कर सतीश के सीने मे छेद करने को आतुर थे... थोड़ी देर तक किस करने के बाद सतीश किस तोड़ कर उसके गले पर किस करते हुए निचे उसके चूचियों तक आ जाता है और सोनाली की चूचियों को अपने हाथ मे भर लेता है.... सोनाली के बड़े सुडोल गोल स्तन ठीक से उसके हाथ मे नहि आ रहे थे पर सतीश जितना अपने हाथ मे ले सकता था लेकर स्तनो को मसलने लगता है...

सोनाली- आआह्ह्ह्ह थोड़ा जोर से बेटा.... मसल दे इन्हें, बहोत परेशान कर.रखा था इन्होंने....उफफफ्

सतीश अब जोर से उसके स्तन मसलने लगता है....

सोनाली- हम्म्म ऐसे ही आअह्ह्ह्हह... चुस ले बेटा पिले अपनी माँ का सारा दूध....
सतीश सोनाली की राईट स्तन को अपने मुह मे भर कर चुस्ने लगता है....

सोनाली भी धीरे धीरे सिसकियाँ लेते हुए अपना सर इधर उधर पटक रही थी.... अब वो अपना हाथ सतीश के सर पर रख कर उसे अपने स्तन पर दबाने लगती है.... सतीश भी जितना अपने मुह मे ले सकता था लेकर चुस्ने लगता है....

सोनाली- हम्म्म्म ऐसे ही चुस ले, खाजा इसे.... आह्ह्ह्ह बहोत समय से तड़प रही थी बेटा....

सतीश उसके राईट स्तन को छोड़ कर उसके लेफ्ट स्तन को मुह मे ले लेता है और राईट स्तन को अपने हाथ मे ले लेता है, राईट चूचि सतीश के थूक से गिली हो गई थी और सतीश अपने थूक को पूरी चूचि पर मसलने लगता है....

तभि दोनों एकदूसरे मे ही खोये हुए थे की तभी डोर पर नॉक होती है... गेट बजने से सोनाली होश मे आती है और सतीश को अपने ऊपर से धक्का देकर अपनी अल्मारी से मैक्सी निकाल कर पहन लेती है.... इस समय सतीश को शिप्रा पर बहोत गुस्सा आ रहा था अच्छा ख़ासा आज उसे अपनी माँ को चोदने का मौका मिला था पर उसने सब पर पाणी फेर दिया था.... सतीश बेड पर लेट कर अपने ऊपर चादर दाल कर सोने की एक्टिंग करने लगता है.... सोनाली डोर खोलती है...
शिप्रा- गुड़ मॉर्निंग मोम..

सोनाली झूटी स्माइल लाते हुये- गुड़ मॉर्निंग बेटा...

शिप्रा- हाउ आर यु फीलिंग नाउ माँ?

सोनाली- फिलिंग बेटर नाउ बेटा... आज तू इतनी जल्दी कैसे उठ गयी...

शिप्रा- वो मैंने सोचा की आपके लिए नाश्ता मे ही तैयार कर दु.... और मे चाय बनने को रख कर आपको उठाने आ गयी... पर आप तो नहा कर तैयार भी हो गयी..
सोनाली- तू तैयार होले, नाश्ता मे बना लेती हु...

शिप्रा- नहि माँ मे कर लुंगी आप आराम करलो...

सोनाली- मे ठीक हूँ अब और तू जाकर तैयार होजा, नाश्ता मे तैयार करती हु...

शिप्रा- ओके... आप कहती हो तो मे जाती हु...

शिप्रा चलि जाती है और सोनाली अपने बेटे के साथ हुए काण्ड के बारे मे सोचते हुए किचन की तरफ बढ़ जाती है.... सतीश उठ कर मुतने चला जाता है और फिर सोनाली के रूम से निकल कर किचन की तरफ बढ़ देता है क्युकी उसे पता था की उसकी माँ किचन मे ही है.... सोनाली किचन मे नाश्ते की तयारी कर रही थी.... सतीश जाकर उसे पीछे से अपनी बाँहों मे भर लेता है....

सोनाली एकदम चौक जाती है और फिर अपने को सँभालते हुये- ये क्या कर रहा है तु...

सतीश उसके गर्दन पर अपने होठ रख कर किस करते हुये- प्यार कर रहा हूँ अपनी सेक्सी माँ से...

सोनाली- बहोत शैतान हो गया है तु... शर्म नहि आती अपनी माँ को सेक्सी कहते हुये...

सतीश उसके उरोजों पर अपने हाथ रख कर उन्हें सहलाते हुये- अरे माँ इसमें शर्म कैसी, वैसे भी जिसकी आप जैस सेक्सी और हॉट माँ हो उसे शरम नहि करम करना चहिये...

सोनाली- आह्ह्ह्ह... शिप्रा आ जायेगी अभी मत कर बेटा
सतीश अपने लंड को उसकी गांड पर टीका कर गस्से मरते हुये- ओह्ह माँ अब कण्ट्रोल नहि होता, देख कैसे मेरा मुन्ना तुम्हारी मुनिया मे घूसने को बेताब हो रहा है....

सोनाली सीधी हो जाती है और अब सतीश का लंड उसकी मुनिया से रगड रहा था, सोनाली सतीश की आँखों मे देखते हुए उसके लंड को शार्ट के ऊपर से पकडते हुये- तो समझा अपने मुन्ने को की वो थोड़ा सबर करे और वैसे भी सबर का फल मीठा होता है....

सतीश अपने लंड पर अपनी माँ के हाथ रखने से एक सिसकि लेता है....

सतीश- आह्हः माँ सबर ही तो नहि होता अब, तुझे पता नहि कैसे ईसने इतने समय तक सबर किया है इस पल के लिए और अब तुझे पास पाकर इससे सबर नहि होता...

सोनाली- तो अब तक कैसे काम चलाया था तूने, अपनी गर्लफ्रेंड को चोद कर...

ओर इतना कह कर सोनाली उसके शार्ट मे अपना हाथ दाल कर उसकर लंड को पकड़ कर मुठियाने लगती है, सतीश पूरी मस्ती मे था अब...

सतीश- माँ मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहि है....

सोनाली- चल झूटा तूने क्या मुझे बेवक़ूफ़ समझ रखा है, इतना गबरू जवान है और स्मार्ट भी है और ऊपर से सबसे बड़ी ख़ासियत की इतना तगड़ा हथियार है तेरा... ऐसा हो ही नहि सकता की तेरी कोई गर्लफ्रेंड न हो...

सतीश सिसकते हुये- आहSSS ओहSS सच कह रहा हूँ माँ मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहि है...

सोनाली- पर क्यों तुझे पसंद नहि आई कोई क्या?

ये सब बाते करते हुए सोनाली अपना हाथ उसके शार्ट मे दाल कर उसके लंड को मुठिया रही थी....

सतीश- हा माँ कोई पसंद ही नहि आई...

सोनाली- कैसी लड़की चाहिए तुझी, तू मुझे बता मे ढूँढ़ती हूँ तेरे लिये...

सतीश- बिलकुल आपके जैसी गर्लफ्रेंड चाहिए मुझे बल्कि मे आपको ही पसंद करता हूँ माँ वो भी बहोत समय से शायद मेरा लंड भी तुझे देख कर ही खड़ा होना सिखा है...

सोनाली- धत्त पागल कहि का शर्म नहि आती तुझे ऐसी बात करते हुये...

सतीश- जो सच है मैंने आपको बता दिया अब आप जो चाहे सोचो..

सोनाली- तो अब तक इसको कैसे सम्भाले, ईसने तो बहोत तंग किया होगा तुझी...

सतीश- तंग तो बहोत किया माँ पर क्या करू कोई लड़की मिली ही नहि आप जैसी जिसकी चुत मे में अपना दाल कर इसे शांत कर सकू....

सोनाली को उसकी गन्दी लैंग्वेज से कोई आपत्ति नहि हो रही थी बल्कि वो अपने बेटे के मुह से चुत और लंड जैसे शब्द सुनकर गरम हो रही थी.... और अब और कसकर उसके लंड को मुठियाने लगी थी और ऊपर सतीश उसके स्तन अपने हाथो मे लेकर मसल रहा रहा था...
और दूसरा हाथ सोनाली की पेन्टी में डालकर उनकी चुत को रगड़ने लगा उनकी चुत में उंगली डालकर आगे पीछे करने लगा

सोनाली- मेरी जैसी कोई लड़की मिल ही नहि सकती क्युकी मेरी जैसी केवल औरते होती है....

सतीश- पर मुझे तो कोई औरत भी नहि मिली आप जैसी वरना उसके ऊपर ही चढ़ जाता.... और वैसे भी मेरे मुन्ने को सबसे पहले तेरी ही मुनिया का रस चखना था...

सोनाली- तो कैसे शांत करता था अपने मुन्ने को जब ये परेशान करता था....

सतीश- वो मे आपके बारे मे सोच कर ही मुट्ठि मारकर शांत करता था इसे...

सोनाली- हाय मेरे होते हुए मेरे बेटे को अपने हाथ से काम चलाना पड़ रहा था, तू पहले आ जाता न इसे लेकर मैं मना थोड़े ही करती अपने बेटे को.... पर तू परेशान न हो अब कभी तुझे अपने हाथ का यूज़ नही करना पड़ेगा तू मेरे पास ले आना इसे जब भी ये परेशान करे....

सतीश- हु अब लेकर आया हूँ तब तो कोई ख़याल कर नहि रही हो इसका और कह रही हो की आपके पास ले आऊ जब ये परेशान करे, अब लाया तो हूँ आपके पास करो इसका इलाज...

ओर इतना कहकर सतीश कपड़ो के ऊपर से ही उसकी तनी हुई निप्पल्स को लेकर जोर से मसल देता है.... और सोनाली के मुह से चीख निकल जाती है...

सोनाली- एआइइइइइ... थोड़ा आराम से कर बेटा मे कही भागे नहि जा रही हु...

सतीश- माँ क्यों तडपा रही हो ईसे, इसका हाथ से करोगी तो एक घंटा लग जायेगा पर झडेगा नहि...

जबकी सच ये था की सोनाली के लंड मुठियाने से सतीश बहोत उत्तेजिय हो गया था और उसे ऐसा लग रहा था की वो किसी भी पल झड जायेगा.... सतीश बहोत मुस्किल से अपने आप को झड़ने से रोक रहा था...

सोनाली- पर बेटा अभी घर मे शिप्रा है... तू थोड़ा सा कण्ट्रोल करले...

सतीश- वहि तो नहि होता मोम.....

सोनाली- प्लीज् बेटा अभी तू बाहर जा, शिप्रा किसी भी वक़्त आती होगी....

सतीश- ठीक है पर मे खाली हाथ नहि जाऊंगा....

सोनाली- मतलब...

सतीश सोनाली के होंठ पर अपना अँगूठा फिराते हुये...

सतीश- मतलब की कम से कम इन गुलाब की पंखुडियों का रस तो पीला दो...

सोनाली उसकी बात सुनकर मुस्कुराती है और फिर उसके सर पर हाथ रख कर उसके बालों को पकड़ कर अपनी तरफ खिंचति है और उसके होंठो को अपने होंठो मे भरकर चुस्ने लगती है....

दोनो काफी टाइम तक एक दूसरे के होंठ चुसते रह्ते हैं फिर उनको सीडियों से शिप्रा के उतरने की आवाज आती है और वो दोनों अलग हो जाते है, सतीश तुरंत ही फ्रिज मे से पाणी की बोतल निकालता है और अपने लंड को एडजस्ट करते हुए किचन से बाहर निकल जाता है और सोफ़े पर बैठ कर टीवी ऑन कर लेता है...

Like comment follow keep reading keep supporting give suggestions and ready for New story 🙂

Dm me for real incest chat
Nice update.....
 
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Ajju Landwalia

Well-Known Member
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Update - 21


शिप्रा- तू अभी तक तैयार नहि है, कॉलेज नहि जाना क्य...

सतीश- नहि मैं कॉलेज नहि जा रहा हूँ आज....

शिप्रा भी किचन मे जाकर माँ का हाथ बटाने लगती है और यहाँ मे अपने लंड को शांत करने मे लगा था...

तोड़ि देर मे में उठ कर अपने कमरे मे चल देता हूँ और फिर नाहा कर निचे आ जाता हु, इतनी देर में लंड भी शांत हो गया था...

निचे माँ और शिप्रा मेरा ही वेट कर रही थि, मे जाकर माँ की राईट साइड पर पड़ी कुरसी पर बैठ जाता हु, शिप्रा माँ के सामने बैठि थी और माँ मेरे लेफ्ट में....

मेरे जाते ही सब नाश्ता करने लगते है, मे नाश्ता करते हुए अपना लेफ्ट हैंड माँ की चुत पर कपडे के ऊपर से ही रख कर मसल देता हु... माँ एक दम से चिहुँक उठती है...

सोनाली : आअह्ह्ह्हह....

शिप्रा - क्या हुआ मोम...

मै भी अन्जान बनते हुये- क्या हुआ मोम...?

सोनाली : कुछ नहि वो चाय गरम थी और मैंने जल्दवाजी मे पिली जिससे जीभ जल गई...

सतीश- क्या माँ थोड़ा आराम से पियो ऐसी भी क्या जल्दबाजी है...

मों मेरी तरफ ग़ुस्से से आँखे तरेर कर देखति है... और मे उन्हें एक कमिनि स्माइल देता हु... माँ अपने लेफ्ट हैंड मेरे हैंड पर रख कर उसे अपनी चुत से हटाने की कोशिश करती है... पर मे हाथ नहि हटता और उनकी चुत पास रगडने लगता हु.... अब माँ भी कोशिश बंद करके मजा लेने लगती है...

सब लोग नाश्ता ख़त्म करते है माँ बर्तन उठा कर किचन मे रखने चल देती है और शिप्रा कॉलेज के लिए निकल जाती है...

माँ किचन से बैडरूम की तरफ चलि जाती है और मैं डोर लॉक करके उनके बैडरूम मे चला जाता हु, माँ की साड़ी बेड पर पड़ी थी जोकि उन्होंने पहननेके लिए निकाली थी और वो अपनी मैक्सी उतार रही थि, अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और पेन्टी मे थी...
अब कपड़ो के नाम पर पीछे कमर पर उनकी ब्रा की स्ट्राप थी और निचे उनकी पेन्टी जोकि बहोत छोटी थी और उनके विशाल चूतडों को छुपाने मे असमर्थ थी... मे पीछे से जाकर उन्हें अपनी बाँहों मे भर लेता हूँ और अपने हाथ उनके बॉब्स पर लेजाकर उन्हें अपने हाथो मे भर कर मसलने लगता हूँ और निचे से उनके चूतडो पर अपना लंड टीका कर धीरे धीरे घस्से मारने लगता हु

मों एकदम हुए इस हमले से कसमसा जाती है पर शायद उन्हें इस हमले की उम्मीद थी इस्लिये बिना उसे अपने से डोर किये वो अपनी गांड को पीछे उसके लंड पर रगड़ने लगती है.....

सोनाली : आअह्ह्ह्ह क्या करता है सतीश, कपडे तो पेहन लेने दे......

मै उनकी गर्दन पर किस करते हुये- क्या माँ मे आपके कपडे उतारने की सोच रहा हूँ और आप कपडे पेहनने की बात कर रही हो....

ओर मे उनके दूध को और तेजी से अपने हाथो से मसल देता हु....

सोनाली- आआह्ह्ह्...तु बहोत शैतान हो गया है सतीश... आह ओह थोड़ा आराम से बेटा दर्द होता है....

मै- क्यों माँ आपको अच्छा नहि लग रहा क्या... अगर अच्छा नहि लग रहा तो मे रहने देता हु.....

ओर सतीश अपने हाथ उसके स्तनो से हटाने लगता है तभी सोनाली उसके हाथ अपने हाथो से पकड़ कर अपने स्तनो पर रख देती है और अपने हाथो से उसके हाथ को अपने स्तन को मसलवाने लगती है....

सोनाली- मारूंगी तुझे अब अगर तूने हाथ हटाया तो.... एक तो आग भडकाता है और फिर उसे बिना बुजाये ही जाने की बात कर रहा है.... आअह्ह्ह्ह जोर से दबा बेटा जितनी जोर से चाहे दबा उफ्फ्फफ्फ्फ्.... बहोत परेशान कर रखा इन निगोडीयों ने मुझे.... आज मसल मसल कर इनकी सारी अकड निकाल दे....

पहले मे उनकी पीछे से गर्दन को चुमते हुए उनकी पर किस करते हुए निचे बड़ना लगता हु.... और फिर उनकी गांड पर पहुच कर पेन्टी के ऊपर से ही उनके चूतडो पर किस करता हु.... और फिर उन्हें अपने हाथो मे भरकर मसलने लगता हु....

थोड़ि देर तक मसलने के बाद मे उनकी पेन्टी मे अपनी ऊँगली दाल कर उसे निचे खिंच देता हूँ माँ पैर उठा कर पेन्टी निकलवाने मे मेरी मदद करती है...

मै उनकी पेन्टी को उनके शरीर से अलग कर देता हूँ और फिर मे उनकी पेन्टी को.देखता हूँ वो चुत वाली जगह से काफी गीली थी... मे समझ जाता हूँ की माँ की चुत पानी बहा रही है और फिर मे उनकी पेन्टी को अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघता हु... एक मादक सी मदहोश कर देणे वाली खुश्बु मेरे दिमाग मे चढ़ जाती है.... माँ अपना सर पीछे किये मुझे ये सब करते देख रही थी और उनके चेहरे पर एक सेक्सी सी स्माइल थी....
मै- आह्ह माँ क्या खुश्बु है तेरे रस की....

ओर फिर मे अपनी जीभ निकाल कर पेन्टी पर से उनका सारा रस चाटने लगता है... माँ क्या स्वाद है तेरे इस रस मे आह्ह्ह्ह...

मों मेरे हाथ से पेन्टी छिन कर एक तरफ फेक देती है और अपनी गांड मटकाते हुए बेड की तरफ बढ़ जाती है... मे तो बस उनके थिरकते हुए चूतडो को ही देखते रह जाता हु....

माँ बेड पर जाकर बैठ जाती है और फिर अपने पेर फ़ैलाते हुये- अगर तुझे इतना ही पसंद आया अपनी माँ का रस तो ले खोल दी तेरी माँ ने अपनी टाँगे आजा और पिजा अपनी माँ का सारा रस, सूँघ ले, चाट ले, खा जा ईसे... जो तेरा दिल करे वो कर अपनी माँ के साथ्.... आज से मे तेरी रंडी माँ बन गई हु.... तू जो कहेगा जैसे कहेगा मे करुँगी पर तू इसकी प्यास बुजा दे... बहोत आग लगी है बेटा इसमे.... आजा बुजा दे इसकी प्यास और बना ले अपनी माँ को अपनी रंडी.....

मै तो माँ की बाते सुन कर खुश हो जाता हूँ और तुरंत ही अपने कपडे उतार कर एकदम नंगा होकर माँ की तरफ बढा देता हु.... माँ की नजर मेरे उछलते हुए लौडे पर ही थी जोकि उनकी मुनिया को देख कर झटके मार रहा था.....

मै आगे बढ़ कर उनके पैरों मे बैठ जाता हूँ और उनकी बिना बालों वाली एकदम क्लीन सेव्ड छोटी सी चुत को अपने मुह मे भर लेता हूँ और उसे चुस्ने लगता हु.... थोड़ी देर तक चुस्ने के बाद मे उनकी चुत के दाने को अपने होंठो मे लेकर चुस्ने लगता हु....
आआह्ह्ह्हह्ह्..... ह्म्ममम्मम्म्म्म.....ऐसे ही ऐसे ही चुस....आआह्ह्ह्हह्ह्.....हाआनंनं खाजा अपनी माँ की चुत को.... पीजाआ इसके सारे रस को.......उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्ग

मै अब अपनी जीभ से उनकी चुत चाटने लगता हूँ और फिर अपनी जीभ को उनकी चुत मे दाल देता हूँ और जीभ को अंदर बाहर करने लगता हूँ साथ मे अपने अँगूठे से उनकी क्लीट को रगड़ने लगता हु.....

सोनाली- आअह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्..... बहुत्तत्ततत्तत्त माजजजजजजजजायआ आआआ रहा हैईईई बेटाआआआ....... आआआह्ह्ह्हह्ह्ह्ह माईई गये......आंह्....यम

ओर वो भलभलाकर झड़ने लगती है और मैं अपना मुह उनके चुत पर लगाए उनका सारा रस गटकने लगता हु..... माँ पस्त होकर बेडपर गिर जाती है और गहरी गहरी साँसे लेने लगती है.... और मे उनकी चुत को अच्छे से चाट कर साफ़ कर देता हु... और फिर मे उठ कर उनके ऊपर लेट जाता हूँ और उनके ब्रा के ऊपर से उनके स्तन मसलने लगता हु.... और उनके होंठो पर अपनी जीभ फिराने लगता हु.... माँ अपनी आँखे खोल कर मुझे देखति है उनकी आँखों मे सटिस्फैक्शन साफ़ झलक रहा था...

मै उनके स्तनो को मसलते हुये- मोम मजा आया...

ओ कुछ कहती नहि बस मेरे गले मे अपनी बाँहें दाल कर मुझे अपने ऊपर खिंचति है उनके स्तन मेरे सीने मे धँसे हाते है और वो मेरे होंठो को अपने होंठो मे लेकर चुस्ने लगती है.... काफी देर तक हम एक दूसरे को किस करते रह्ते है फिर हम एक दूसरे से अलग होते है...

मों के चेहरे पर एक मुस्कराहट थी.... आज तूने मुझे इतना मजा दिया जितना आज तक नहि आया.... आज जब मे झड़ी तो ऐसा लगा जैसे बरसो से रुका हुआ बाँध तूट गया हों और एक दम से जैसे सैलाब सा आ गया हो.... और तू मेरा सारा पानी पि गया.... तो कैसा लगा अपनी माँ का रस....

क्या माँ क्या बताऊ आपके इस रस के आगे तो सोमरस भी बेकार है.... क्या स्वादिष्ट रस है आपकी चुत का.... आह्ह्ह्हह... मजा आ गया.... पर रस तो पीला दिया आपने अब मुझे दूध भी तो पीला दो अपना....

तो रोका किसने है पिले ना, सब कुछ तेरा ही तो है और इतना कहकर माँ थोड़ा सा ऊपर उठती है और अपनी ब्रा की स्ट्रिप खोल कर उसे अपने शरीर से अलग कर देती है..... उनके दोनों बड़े बड़े सुडोल मख़मली स्तन मेरी आँखों के सामने आ जाते है मे आगे बाद कर उनके दोनों स्तनो को अपने हाथो मे भर लेता हु.... और अपने हाथ मे भर उन्हें मसलने लगता हु....

सोनाली : अब मसलता ही रहेगा या पीयेगा भी इन्हें.....
ओर इतना कह कर माँ अपना हाथ मेरे मुसल पर रख उसे पकड़ लेती है और मुठियाने लगती है....
ओर मे इतना सुनकर और अपने लंड के मुठियाने से एकदम गरम होकर उनके लेफ्ट स्तन को अपने मुह मे भर कर चुस्ने लगता हु... मे कभी निप्पल पर अपनी जीभ चलाता और कभी उसे ऐसे चुस्ने लगता जैसे उनमेंसे दूध निकल रहा हो और साथ ही साथ राईट चूचि के निप्पल को अपने ऊँगली और अँगूठे मे भर कर मसल देता.....

सोनाली :.... ऐसे ही पिजा इन्हे.... निचोड ले इनका सारा रस.... आह

अब मे लेफ्ट स्तन को छोड़ कर राईट स्तन को अपने मुह मे भर कर चुस्ने लगता हूँ
मै अब उनके स्तन को चुसते चुसते उनके निप्पल को अपने दाँतो मे भर कर काट लेता हु.....

ऐ... क्या कर रहा है बेटा.....आह्.... मजा आ रहा है और काट खा जा इन्हे भी.....हमममम

थोड़ि देर तक मे ऐसे ही एक एक करके माँ के दोनों स्तनो को चूसता और काटने लगता.... उनके निप्पल पुरे तन चुके थे.... अब मे उनके स्तनो को छोड़ कर उठ कर बैठ जाता ह.... माँ के स्तन मेरे काटने की बजह से एकदम लाल हो गए थे....

मों भी उठ कर बैठ जाती है और मे अपना लंड उनके मुह के पास ले जाता हु.. वो समझ जाती है और लंड को अपने हाथ मे लेकर उसकी लम्बाई का जायजा लेने के बाद

सोनाली : हाय कितना बड़ा मुसल.है रे तेरा ये तो मेरी फाड़ कर ही रख देगा....

मै- क्यों आपको पसंद नहि आया...

सोनाली : पसंद अरे मेरा तो मन कर रहा है की मे इसे खा जाउ.... हाय कितना मोटा है मेरे हाथ मे भी नहि आ रहा सही से... और लम्बा तो इतना है की आज वहा तक जाकर मेरी चुदाई करेगा जहा तक तेरे डैड का कभी नहि गया, सही मायनो मे तो आज मेरी चुदाई होगी.... हाय कितना मजा आएगा इससे चुदने में....

ओर इतना कह कर वो लंड को अपने मुह मे भर कर चुस्ने लगती है....

ओह माँ ......... क्या चुस्ती चुस....आंह्.....हां.... ऐसे ही चुसो....अह

माँ अपने मुह मे जितना ले सकती थी उतना लंड लेकर उसे चुस्ने लगती है कभी वो मेरे टोपे पर अपनी जीभ फेरती और कभी उसे ऐसे चुस्ने लगती जैसे लॉलीपॉप को चुस रही हो....

मेरी तो हालत ही खराब थी उनके गरमा गरम चूसायी से मे अपने ऊपर से कंट्रोल खोने लगा था मुझे ऐसा लग रहा था की मे किसी भी समय झड जाउंगा.... और मे उसके बालो को अपने हाथो मे लेकर उसके मुह को अपने लंड पर और दबाने लगता हूँ और जोर जोर से धक्का मारने लगता हु.....

ओह मा.....ले चुस मेरा लंड....आह्....और जोर से चुस मेरी लंड.... आह क्या चुस्ती है तु....मे आ रहा ह.... मे झड़ने वाला ह.... ओह

ओर मे अपना लंड उसके गले तक घुसेड कर झड़ने लगता हु.... माँ की तो जैसे सांस ही अटक गई थी.... उनकी दोनों आँखे जैसे बाहर आने को थी..... मे अपना सारा पानी उनके मुहमे निकाल देता हूँ जो सीधा उनके पेट् मे जा रहा था... और फिर मे अपना लंड उनके मुह से निकाल कर बेड पर लेट जाता हूँ और वो अपनी साँसे सँभालने लगती है और मे अपनी, आज मे बहोत देर तक झडा था.... आज अपनी माँ से लंड चूसायी के बाद मे किसी और दुनिया मे था और मेरा लंड वो अभी भी तने हुए झटके मार रहा था, शायद आगे का सोच कर....
मै बेड पर लेटे अपनी साँसे कण्ट्रोल मे कर रहा था और माँ अपनी साँसे कण्ट्रोल मे कर रही थी.... मे माँ का हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खिंच लेता हूँ माँ मेरे ऊपर आकर गिर जाती है और उनके तने हुए निप्पल मेरी छाती मे चुभ जाते है.... और हम दोनों के मुह से ही एक सिसकि निकल जाती है

सोनाली : आज तो तूने मार ही ड़ाला था भला कोई ऐसे करता है क्या है मेरी तो सांस ही अटक गई थी.... और तू अपना मुसल मेरे मुह मे पेले पड़ा था...

मै- तुम्हे मजा आया की नही...

माँ कुछ नहि कहती और अपनी नजरे झुका लेती है....

मै- बताओ न माँ आपको मजा आया की नही...

सोनाली : मजा तो बहोत आया तभी तो निकाला नहि मुह से....

मै माँ को अपनी बाँहों मे कस कर भिंच लेता हु, तभी उन्हें मेरे खडे हुए लंड का एहसाश होता है.... वो एकदम से उसे अपने हाथ मे लेते हुये- हाय ये तो अभी भी खड़ा हुआ है,

मै- अब इसे आपकी चुत मे जाकर ही सुकून मिलेगा...

ओर मे उन्हें निचे करके उनके ऊपर आ जाता हूँ और उनके होंठो को चुस्ने लगता हूँ वो भी गरमजोशी के साथ मुझे किस करने लगती है.... फिर मे किस तोड़ता हूँ और उनके पैरों के बीच मे आकर बैठ जाता हूँ और उनके पैरों को फैला देता हूँ और पोजीशन ले लेता हूँ अब मे अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर उनके चुत के दाने पर रगड़ने लगता हु....

दोनो के ही शरीर मे एक थिरकन सी होती है, मे उनकी चुत के लबोँ पर अपने लंड को रगड़ने लगता हूँ पर उसे अंदर नहि करता.... थोड़ी देर तक जब मे लंड उनकी चुत मे नहि चोदता हूँ तो उनसे कण्ट्रोल नहि होता...

सोनाली : क्यों तडपा रहा है बेटा अब चोद भी दे अपने इस मुसल को मेरी चुत मे और बनजा मादरचोद...... आह अब कण्ट्रोल नहि होता..... आह दाल भी दे बेटा मे मर जाऊंगी....आह

कंट्रोल तो अब मुझसे भी नहि हो रहा था और अब तो माँ खुद अपने मुह से कह रही थी मुझे मादरचोद बनने को.....

अब मे अपने लंड को उनकी चुत के छेद यानी की स्वर्ग के द्वार पर टीका देता हूँ और एक धक्का मारता हूँ मेरा लंड उनकी चुत को फैलाता हुआ अंदर चला जाता है....

सोनाली :..... चोद बेटा चोद दे अपना पूरा लंड मेरी चुत मे फाड़ दे इसे.... आह

अब मे एक तेज शॉट मारता हूँ और मेरा आधा लंड उनकी चुत को फैलाता हुआ अंदर घुस जाता है.... मेरा लंड बहोत कसा हुआ जा रहा था... उनकी चुत वाकयी मे बहोत समय से नहि चूदी थी कल को छोड़ कर.....

मेरा आधा लंड जाते ही माँ के मुह से एक चीख निकल जाती ही..

आह....आराम से कर हरामी किसी रंडी की चुत नहि चोद रहा है तु... आह....

मै उसकी एक नहि सुनता और उनके कंधो को पकड़ कर एक तेज शॉट लगाता हूँ मेरा लंड माँ की चुत को फाड़ता हुआ पूरा अंदर जड़ तक घुस जाता है.... और इस धक्के से मेरे मुह से भी एक चीख निकल जाती है और माँ का तो हाल ही बुरा हो जाता है... उसकी चुत फट गई थी और इस बात का पता मुझे मेरे लंड से चल रहा था जोकि अंदर एकदम फस गया था, शायद वो भी थोड़ा छिल गया था...

मै-ूउफ क्या टाइट चुत है तेरी मा.... आह

जबकी मोम- आई मार दिया रे हरामि....फाड़ दी मेरी चुत...... आई बहोत दर्द हो रहा है.... आराम से नहि कर सकता था मादरचोद..... आह चुत का भोसडा बना दिया तूने जालिम....

ओर माँ मेरी पीठ को कस कर पकड़ कर उसमे अपने नाख़ून घूसा देती है..... मेरे पीठ माँ ने छलनि कर दी थी पर मे दर्द को पि रहा था.... मुझे पता था की माँ को बहोत पैन हो रहा है इस्लिये अब मे लंड को बिना हिलाये डुलाये उनके मम्मो को अपने मुह मे लेकर चुस्ने लगता हु... थोड़ी देर तक ऐसे ही चुस्ने के बाद अब माँ को थोड़ा आराम मिला था और अब वो मेरी पीठ को भी सेहला रही थी.... और अपनी कमर उछाल कर लंड लेने की कोशिश कर रही थी....

मै भी अब समझ गया की माँ अब तैयार है.... इससे पहले मे धक्के लगाता...

सोनाली : चोद न बेटा क्यों तडपा रहा है अपनी माँ को.... मार न धक्के अपनी माँ की चुत में, चोद न अपनी माँ को.....

ले मा....ये ले मेरा लंड... ले और ले....

ओर मे अब धीरे धीरे धक्के लगाने लगता हु.... और माँ भी मेरी ताल से ताल मिला रही थी.... यानी की मेरे हर धक्के पर अपनी कमर उछाल कर लंड को अपनी चुत मे ले रही थी....

सोनाली :.... चोद बेटा.... आह.... चोद ले अपनी माँ को...चोद ले अपनी माँ को.....आह्..... आह्ह्ह्ह.... बुजा दे अपनी माँ की प्यास.....हम ऐसे ही चुदाई कर रहे थे...

अब मे अपने धक्को की स्पीड और बड़ा देता हूँ और मेरे हर धक्के के साथ माँ के मुह से सिसकियाँ फुट रही थी.... अब मे हुमच हुमच कर अपनी माँ को चोद रहा था.... मे तो आज जैसे जन्नत मे था, जिस चुत को चोदने के खवाब मे दिन रात देखता रहता था , आज मे उसी चुत मे अपना लंड दाल कर चोद रहा था.... मुझे अपनी किस्मत पर रश्क हो रहा था की इतना मस्त माल वो भी मेरी माँ आज मेरे निचे है....

ओर इन्ही विचारो के साथ मे अपनी माँ के दूध को हाथ मे भर लेता हूँ और उन्हें हाथो मे भर कर रगडते हुए मे तेज धक्के माँ की चुत मे मार रहा था.... और माँ हर धक्के के साथ सिसकियाँ लेती जा रही थी..
मै ऐसे ही धक्के मारते हुए स्पीड बढ़ा देता हूं और मेरा लण्ङ बच्चेदानी पे ठोकर मार रहा था मोम की सिसकियां तेज हो गई थी उसका पानी निकलने वाला था मै भी तेजी से पेलने लगा और एक से हम दोनों झड़ गए मेरा पूरा रस उनकी बच्चेदानी को भर दिया में उनके ऊपर ही लेट गया वो अपनी सांसे तद्रुस्त कर रही थी और मेरा बालों में हाथ फेर रही थी

सोनाली: तूने तो मुझे रण्डी बना दिया मेरे सोना अभी भी बुर में लग रहा है लन्ड घुसा है और मुझे किस करने लगी

मैं: अब तो तू मेरी प्यारी रण्डी अम्मी है देख तेरे इन बातों से फिर खड़ा हो गया

सोनाली: तो रोका किसने है तुझे डाल दे इसके असली जगह में और फाड़ दे मेरी बुर बना दे भोसड़ा अपनी रण्डी मॉम का

तभी गेट की बेल बज गई हम दोनों एकदम से तिलमिला उठे
मैं: इसकी बुर का भोसड़ा पता नहीं कौन अभी आया है

सोनाली: जा बाबू देख कौन आया है और मॉम उठी कि चीख के बैठ गई आह बाबू तूने तो मुझे चलने लायक भी नहीं छोड़ा बहुत दर्द हो रहा है मैने उन्हें वही लेता दिया और ऊपर से ब्लैंकेट डाल दिया
और मै बाहर गेट खोलने आ गया

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Dm me for real incest chat

Gazab ki hahakari update he black_Cobra Bro

Aakhirkar satish ne sonali ko chod hi diya.........

Bahut hi badhiya tarike se choda he satish ne...........

Ab ye kaun aa gaya kabab me haddiiiiiiiiiii
 

malikarman

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Update - 21


शिप्रा- तू अभी तक तैयार नहि है, कॉलेज नहि जाना क्य...

सतीश- नहि मैं कॉलेज नहि जा रहा हूँ आज....

शिप्रा भी किचन मे जाकर माँ का हाथ बटाने लगती है और यहाँ मे अपने लंड को शांत करने मे लगा था...

तोड़ि देर मे में उठ कर अपने कमरे मे चल देता हूँ और फिर नाहा कर निचे आ जाता हु, इतनी देर में लंड भी शांत हो गया था...

निचे माँ और शिप्रा मेरा ही वेट कर रही थि, मे जाकर माँ की राईट साइड पर पड़ी कुरसी पर बैठ जाता हु, शिप्रा माँ के सामने बैठि थी और माँ मेरे लेफ्ट में....

मेरे जाते ही सब नाश्ता करने लगते है, मे नाश्ता करते हुए अपना लेफ्ट हैंड माँ की चुत पर कपडे के ऊपर से ही रख कर मसल देता हु... माँ एक दम से चिहुँक उठती है...

सोनाली : आअह्ह्ह्हह....

शिप्रा - क्या हुआ मोम...

मै भी अन्जान बनते हुये- क्या हुआ मोम...?

सोनाली : कुछ नहि वो चाय गरम थी और मैंने जल्दवाजी मे पिली जिससे जीभ जल गई...

सतीश- क्या माँ थोड़ा आराम से पियो ऐसी भी क्या जल्दबाजी है...

मों मेरी तरफ ग़ुस्से से आँखे तरेर कर देखति है... और मे उन्हें एक कमिनि स्माइल देता हु... माँ अपने लेफ्ट हैंड मेरे हैंड पर रख कर उसे अपनी चुत से हटाने की कोशिश करती है... पर मे हाथ नहि हटता और उनकी चुत पास रगडने लगता हु.... अब माँ भी कोशिश बंद करके मजा लेने लगती है...

सब लोग नाश्ता ख़त्म करते है माँ बर्तन उठा कर किचन मे रखने चल देती है और शिप्रा कॉलेज के लिए निकल जाती है...

माँ किचन से बैडरूम की तरफ चलि जाती है और मैं डोर लॉक करके उनके बैडरूम मे चला जाता हु, माँ की साड़ी बेड पर पड़ी थी जोकि उन्होंने पहननेके लिए निकाली थी और वो अपनी मैक्सी उतार रही थि, अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और पेन्टी मे थी...
अब कपड़ो के नाम पर पीछे कमर पर उनकी ब्रा की स्ट्राप थी और निचे उनकी पेन्टी जोकि बहोत छोटी थी और उनके विशाल चूतडों को छुपाने मे असमर्थ थी... मे पीछे से जाकर उन्हें अपनी बाँहों मे भर लेता हूँ और अपने हाथ उनके बॉब्स पर लेजाकर उन्हें अपने हाथो मे भर कर मसलने लगता हूँ और निचे से उनके चूतडो पर अपना लंड टीका कर धीरे धीरे घस्से मारने लगता हु

मों एकदम हुए इस हमले से कसमसा जाती है पर शायद उन्हें इस हमले की उम्मीद थी इस्लिये बिना उसे अपने से डोर किये वो अपनी गांड को पीछे उसके लंड पर रगड़ने लगती है.....

सोनाली : आअह्ह्ह्ह क्या करता है सतीश, कपडे तो पेहन लेने दे......

मै उनकी गर्दन पर किस करते हुये- क्या माँ मे आपके कपडे उतारने की सोच रहा हूँ और आप कपडे पेहनने की बात कर रही हो....

ओर मे उनके दूध को और तेजी से अपने हाथो से मसल देता हु....

सोनाली- आआह्ह्ह्...तु बहोत शैतान हो गया है सतीश... आह ओह थोड़ा आराम से बेटा दर्द होता है....

मै- क्यों माँ आपको अच्छा नहि लग रहा क्या... अगर अच्छा नहि लग रहा तो मे रहने देता हु.....

ओर सतीश अपने हाथ उसके स्तनो से हटाने लगता है तभी सोनाली उसके हाथ अपने हाथो से पकड़ कर अपने स्तनो पर रख देती है और अपने हाथो से उसके हाथ को अपने स्तन को मसलवाने लगती है....

सोनाली- मारूंगी तुझे अब अगर तूने हाथ हटाया तो.... एक तो आग भडकाता है और फिर उसे बिना बुजाये ही जाने की बात कर रहा है.... आअह्ह्ह्ह जोर से दबा बेटा जितनी जोर से चाहे दबा उफ्फ्फफ्फ्फ्.... बहोत परेशान कर रखा इन निगोडीयों ने मुझे.... आज मसल मसल कर इनकी सारी अकड निकाल दे....

पहले मे उनकी पीछे से गर्दन को चुमते हुए उनकी पर किस करते हुए निचे बड़ना लगता हु.... और फिर उनकी गांड पर पहुच कर पेन्टी के ऊपर से ही उनके चूतडो पर किस करता हु.... और फिर उन्हें अपने हाथो मे भरकर मसलने लगता हु....

थोड़ि देर तक मसलने के बाद मे उनकी पेन्टी मे अपनी ऊँगली दाल कर उसे निचे खिंच देता हूँ माँ पैर उठा कर पेन्टी निकलवाने मे मेरी मदद करती है...

मै उनकी पेन्टी को उनके शरीर से अलग कर देता हूँ और फिर मे उनकी पेन्टी को.देखता हूँ वो चुत वाली जगह से काफी गीली थी... मे समझ जाता हूँ की माँ की चुत पानी बहा रही है और फिर मे उनकी पेन्टी को अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघता हु... एक मादक सी मदहोश कर देणे वाली खुश्बु मेरे दिमाग मे चढ़ जाती है.... माँ अपना सर पीछे किये मुझे ये सब करते देख रही थी और उनके चेहरे पर एक सेक्सी सी स्माइल थी....
मै- आह्ह माँ क्या खुश्बु है तेरे रस की....

ओर फिर मे अपनी जीभ निकाल कर पेन्टी पर से उनका सारा रस चाटने लगता है... माँ क्या स्वाद है तेरे इस रस मे आह्ह्ह्ह...

मों मेरे हाथ से पेन्टी छिन कर एक तरफ फेक देती है और अपनी गांड मटकाते हुए बेड की तरफ बढ़ जाती है... मे तो बस उनके थिरकते हुए चूतडो को ही देखते रह जाता हु....

माँ बेड पर जाकर बैठ जाती है और फिर अपने पेर फ़ैलाते हुये- अगर तुझे इतना ही पसंद आया अपनी माँ का रस तो ले खोल दी तेरी माँ ने अपनी टाँगे आजा और पिजा अपनी माँ का सारा रस, सूँघ ले, चाट ले, खा जा ईसे... जो तेरा दिल करे वो कर अपनी माँ के साथ्.... आज से मे तेरी रंडी माँ बन गई हु.... तू जो कहेगा जैसे कहेगा मे करुँगी पर तू इसकी प्यास बुजा दे... बहोत आग लगी है बेटा इसमे.... आजा बुजा दे इसकी प्यास और बना ले अपनी माँ को अपनी रंडी.....

मै तो माँ की बाते सुन कर खुश हो जाता हूँ और तुरंत ही अपने कपडे उतार कर एकदम नंगा होकर माँ की तरफ बढा देता हु.... माँ की नजर मेरे उछलते हुए लौडे पर ही थी जोकि उनकी मुनिया को देख कर झटके मार रहा था.....

मै आगे बढ़ कर उनके पैरों मे बैठ जाता हूँ और उनकी बिना बालों वाली एकदम क्लीन सेव्ड छोटी सी चुत को अपने मुह मे भर लेता हूँ और उसे चुस्ने लगता हु.... थोड़ी देर तक चुस्ने के बाद मे उनकी चुत के दाने को अपने होंठो मे लेकर चुस्ने लगता हु....
आआह्ह्ह्हह्ह्..... ह्म्ममम्मम्म्म्म.....ऐसे ही ऐसे ही चुस....आआह्ह्ह्हह्ह्.....हाआनंनं खाजा अपनी माँ की चुत को.... पीजाआ इसके सारे रस को.......उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्ग

मै अब अपनी जीभ से उनकी चुत चाटने लगता हूँ और फिर अपनी जीभ को उनकी चुत मे दाल देता हूँ और जीभ को अंदर बाहर करने लगता हूँ साथ मे अपने अँगूठे से उनकी क्लीट को रगड़ने लगता हु.....

सोनाली- आअह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्..... बहुत्तत्ततत्तत्त माजजजजजजजजायआ आआआ रहा हैईईई बेटाआआआ....... आआआह्ह्ह्हह्ह्ह्ह माईई गये......आंह्....यम

ओर वो भलभलाकर झड़ने लगती है और मैं अपना मुह उनके चुत पर लगाए उनका सारा रस गटकने लगता हु..... माँ पस्त होकर बेडपर गिर जाती है और गहरी गहरी साँसे लेने लगती है.... और मे उनकी चुत को अच्छे से चाट कर साफ़ कर देता हु... और फिर मे उठ कर उनके ऊपर लेट जाता हूँ और उनके ब्रा के ऊपर से उनके स्तन मसलने लगता हु.... और उनके होंठो पर अपनी जीभ फिराने लगता हु.... माँ अपनी आँखे खोल कर मुझे देखति है उनकी आँखों मे सटिस्फैक्शन साफ़ झलक रहा था...

मै उनके स्तनो को मसलते हुये- मोम मजा आया...

ओ कुछ कहती नहि बस मेरे गले मे अपनी बाँहें दाल कर मुझे अपने ऊपर खिंचति है उनके स्तन मेरे सीने मे धँसे हाते है और वो मेरे होंठो को अपने होंठो मे लेकर चुस्ने लगती है.... काफी देर तक हम एक दूसरे को किस करते रह्ते है फिर हम एक दूसरे से अलग होते है...

मों के चेहरे पर एक मुस्कराहट थी.... आज तूने मुझे इतना मजा दिया जितना आज तक नहि आया.... आज जब मे झड़ी तो ऐसा लगा जैसे बरसो से रुका हुआ बाँध तूट गया हों और एक दम से जैसे सैलाब सा आ गया हो.... और तू मेरा सारा पानी पि गया.... तो कैसा लगा अपनी माँ का रस....

क्या माँ क्या बताऊ आपके इस रस के आगे तो सोमरस भी बेकार है.... क्या स्वादिष्ट रस है आपकी चुत का.... आह्ह्ह्हह... मजा आ गया.... पर रस तो पीला दिया आपने अब मुझे दूध भी तो पीला दो अपना....

तो रोका किसने है पिले ना, सब कुछ तेरा ही तो है और इतना कहकर माँ थोड़ा सा ऊपर उठती है और अपनी ब्रा की स्ट्रिप खोल कर उसे अपने शरीर से अलग कर देती है..... उनके दोनों बड़े बड़े सुडोल मख़मली स्तन मेरी आँखों के सामने आ जाते है मे आगे बाद कर उनके दोनों स्तनो को अपने हाथो मे भर लेता हु.... और अपने हाथ मे भर उन्हें मसलने लगता हु....

सोनाली : अब मसलता ही रहेगा या पीयेगा भी इन्हें.....
ओर इतना कह कर माँ अपना हाथ मेरे मुसल पर रख उसे पकड़ लेती है और मुठियाने लगती है....
ओर मे इतना सुनकर और अपने लंड के मुठियाने से एकदम गरम होकर उनके लेफ्ट स्तन को अपने मुह मे भर कर चुस्ने लगता हु... मे कभी निप्पल पर अपनी जीभ चलाता और कभी उसे ऐसे चुस्ने लगता जैसे उनमेंसे दूध निकल रहा हो और साथ ही साथ राईट चूचि के निप्पल को अपने ऊँगली और अँगूठे मे भर कर मसल देता.....

सोनाली :.... ऐसे ही पिजा इन्हे.... निचोड ले इनका सारा रस.... आह

अब मे लेफ्ट स्तन को छोड़ कर राईट स्तन को अपने मुह मे भर कर चुस्ने लगता हूँ
मै अब उनके स्तन को चुसते चुसते उनके निप्पल को अपने दाँतो मे भर कर काट लेता हु.....

ऐ... क्या कर रहा है बेटा.....आह्.... मजा आ रहा है और काट खा जा इन्हे भी.....हमममम

थोड़ि देर तक मे ऐसे ही एक एक करके माँ के दोनों स्तनो को चूसता और काटने लगता.... उनके निप्पल पुरे तन चुके थे.... अब मे उनके स्तनो को छोड़ कर उठ कर बैठ जाता ह.... माँ के स्तन मेरे काटने की बजह से एकदम लाल हो गए थे....

मों भी उठ कर बैठ जाती है और मे अपना लंड उनके मुह के पास ले जाता हु.. वो समझ जाती है और लंड को अपने हाथ मे लेकर उसकी लम्बाई का जायजा लेने के बाद

सोनाली : हाय कितना बड़ा मुसल.है रे तेरा ये तो मेरी फाड़ कर ही रख देगा....

मै- क्यों आपको पसंद नहि आया...

सोनाली : पसंद अरे मेरा तो मन कर रहा है की मे इसे खा जाउ.... हाय कितना मोटा है मेरे हाथ मे भी नहि आ रहा सही से... और लम्बा तो इतना है की आज वहा तक जाकर मेरी चुदाई करेगा जहा तक तेरे डैड का कभी नहि गया, सही मायनो मे तो आज मेरी चुदाई होगी.... हाय कितना मजा आएगा इससे चुदने में....

ओर इतना कह कर वो लंड को अपने मुह मे भर कर चुस्ने लगती है....

ओह माँ ......... क्या चुस्ती चुस....आंह्.....हां.... ऐसे ही चुसो....अह

माँ अपने मुह मे जितना ले सकती थी उतना लंड लेकर उसे चुस्ने लगती है कभी वो मेरे टोपे पर अपनी जीभ फेरती और कभी उसे ऐसे चुस्ने लगती जैसे लॉलीपॉप को चुस रही हो....

मेरी तो हालत ही खराब थी उनके गरमा गरम चूसायी से मे अपने ऊपर से कंट्रोल खोने लगा था मुझे ऐसा लग रहा था की मे किसी भी समय झड जाउंगा.... और मे उसके बालो को अपने हाथो मे लेकर उसके मुह को अपने लंड पर और दबाने लगता हूँ और जोर जोर से धक्का मारने लगता हु.....

ओह मा.....ले चुस मेरा लंड....आह्....और जोर से चुस मेरी लंड.... आह क्या चुस्ती है तु....मे आ रहा ह.... मे झड़ने वाला ह.... ओह

ओर मे अपना लंड उसके गले तक घुसेड कर झड़ने लगता हु.... माँ की तो जैसे सांस ही अटक गई थी.... उनकी दोनों आँखे जैसे बाहर आने को थी..... मे अपना सारा पानी उनके मुहमे निकाल देता हूँ जो सीधा उनके पेट् मे जा रहा था... और फिर मे अपना लंड उनके मुह से निकाल कर बेड पर लेट जाता हूँ और वो अपनी साँसे सँभालने लगती है और मे अपनी, आज मे बहोत देर तक झडा था.... आज अपनी माँ से लंड चूसायी के बाद मे किसी और दुनिया मे था और मेरा लंड वो अभी भी तने हुए झटके मार रहा था, शायद आगे का सोच कर....
मै बेड पर लेटे अपनी साँसे कण्ट्रोल मे कर रहा था और माँ अपनी साँसे कण्ट्रोल मे कर रही थी.... मे माँ का हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खिंच लेता हूँ माँ मेरे ऊपर आकर गिर जाती है और उनके तने हुए निप्पल मेरी छाती मे चुभ जाते है.... और हम दोनों के मुह से ही एक सिसकि निकल जाती है

सोनाली : आज तो तूने मार ही ड़ाला था भला कोई ऐसे करता है क्या है मेरी तो सांस ही अटक गई थी.... और तू अपना मुसल मेरे मुह मे पेले पड़ा था...

मै- तुम्हे मजा आया की नही...

माँ कुछ नहि कहती और अपनी नजरे झुका लेती है....

मै- बताओ न माँ आपको मजा आया की नही...

सोनाली : मजा तो बहोत आया तभी तो निकाला नहि मुह से....

मै माँ को अपनी बाँहों मे कस कर भिंच लेता हु, तभी उन्हें मेरे खडे हुए लंड का एहसाश होता है.... वो एकदम से उसे अपने हाथ मे लेते हुये- हाय ये तो अभी भी खड़ा हुआ है,

मै- अब इसे आपकी चुत मे जाकर ही सुकून मिलेगा...

ओर मे उन्हें निचे करके उनके ऊपर आ जाता हूँ और उनके होंठो को चुस्ने लगता हूँ वो भी गरमजोशी के साथ मुझे किस करने लगती है.... फिर मे किस तोड़ता हूँ और उनके पैरों के बीच मे आकर बैठ जाता हूँ और उनके पैरों को फैला देता हूँ और पोजीशन ले लेता हूँ अब मे अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर उनके चुत के दाने पर रगड़ने लगता हु....

दोनो के ही शरीर मे एक थिरकन सी होती है, मे उनकी चुत के लबोँ पर अपने लंड को रगड़ने लगता हूँ पर उसे अंदर नहि करता.... थोड़ी देर तक जब मे लंड उनकी चुत मे नहि चोदता हूँ तो उनसे कण्ट्रोल नहि होता...

सोनाली : क्यों तडपा रहा है बेटा अब चोद भी दे अपने इस मुसल को मेरी चुत मे और बनजा मादरचोद...... आह अब कण्ट्रोल नहि होता..... आह दाल भी दे बेटा मे मर जाऊंगी....आह

कंट्रोल तो अब मुझसे भी नहि हो रहा था और अब तो माँ खुद अपने मुह से कह रही थी मुझे मादरचोद बनने को.....

अब मे अपने लंड को उनकी चुत के छेद यानी की स्वर्ग के द्वार पर टीका देता हूँ और एक धक्का मारता हूँ मेरा लंड उनकी चुत को फैलाता हुआ अंदर चला जाता है....

सोनाली :..... चोद बेटा चोद दे अपना पूरा लंड मेरी चुत मे फाड़ दे इसे.... आह

अब मे एक तेज शॉट मारता हूँ और मेरा आधा लंड उनकी चुत को फैलाता हुआ अंदर घुस जाता है.... मेरा लंड बहोत कसा हुआ जा रहा था... उनकी चुत वाकयी मे बहोत समय से नहि चूदी थी कल को छोड़ कर.....

मेरा आधा लंड जाते ही माँ के मुह से एक चीख निकल जाती ही..

आह....आराम से कर हरामी किसी रंडी की चुत नहि चोद रहा है तु... आह....

मै उसकी एक नहि सुनता और उनके कंधो को पकड़ कर एक तेज शॉट लगाता हूँ मेरा लंड माँ की चुत को फाड़ता हुआ पूरा अंदर जड़ तक घुस जाता है.... और इस धक्के से मेरे मुह से भी एक चीख निकल जाती है और माँ का तो हाल ही बुरा हो जाता है... उसकी चुत फट गई थी और इस बात का पता मुझे मेरे लंड से चल रहा था जोकि अंदर एकदम फस गया था, शायद वो भी थोड़ा छिल गया था...

मै-ूउफ क्या टाइट चुत है तेरी मा.... आह

जबकी मोम- आई मार दिया रे हरामि....फाड़ दी मेरी चुत...... आई बहोत दर्द हो रहा है.... आराम से नहि कर सकता था मादरचोद..... आह चुत का भोसडा बना दिया तूने जालिम....

ओर माँ मेरी पीठ को कस कर पकड़ कर उसमे अपने नाख़ून घूसा देती है..... मेरे पीठ माँ ने छलनि कर दी थी पर मे दर्द को पि रहा था.... मुझे पता था की माँ को बहोत पैन हो रहा है इस्लिये अब मे लंड को बिना हिलाये डुलाये उनके मम्मो को अपने मुह मे लेकर चुस्ने लगता हु... थोड़ी देर तक ऐसे ही चुस्ने के बाद अब माँ को थोड़ा आराम मिला था और अब वो मेरी पीठ को भी सेहला रही थी.... और अपनी कमर उछाल कर लंड लेने की कोशिश कर रही थी....

मै भी अब समझ गया की माँ अब तैयार है.... इससे पहले मे धक्के लगाता...

सोनाली : चोद न बेटा क्यों तडपा रहा है अपनी माँ को.... मार न धक्के अपनी माँ की चुत में, चोद न अपनी माँ को.....

ले मा....ये ले मेरा लंड... ले और ले....

ओर मे अब धीरे धीरे धक्के लगाने लगता हु.... और माँ भी मेरी ताल से ताल मिला रही थी.... यानी की मेरे हर धक्के पर अपनी कमर उछाल कर लंड को अपनी चुत मे ले रही थी....

सोनाली :.... चोद बेटा.... आह.... चोद ले अपनी माँ को...चोद ले अपनी माँ को.....आह्..... आह्ह्ह्ह.... बुजा दे अपनी माँ की प्यास.....हम ऐसे ही चुदाई कर रहे थे...

अब मे अपने धक्को की स्पीड और बड़ा देता हूँ और मेरे हर धक्के के साथ माँ के मुह से सिसकियाँ फुट रही थी.... अब मे हुमच हुमच कर अपनी माँ को चोद रहा था.... मे तो आज जैसे जन्नत मे था, जिस चुत को चोदने के खवाब मे दिन रात देखता रहता था , आज मे उसी चुत मे अपना लंड दाल कर चोद रहा था.... मुझे अपनी किस्मत पर रश्क हो रहा था की इतना मस्त माल वो भी मेरी माँ आज मेरे निचे है....

ओर इन्ही विचारो के साथ मे अपनी माँ के दूध को हाथ मे भर लेता हूँ और उन्हें हाथो मे भर कर रगडते हुए मे तेज धक्के माँ की चुत मे मार रहा था.... और माँ हर धक्के के साथ सिसकियाँ लेती जा रही थी..
मै ऐसे ही धक्के मारते हुए स्पीड बढ़ा देता हूं और मेरा लण्ङ बच्चेदानी पे ठोकर मार रहा था मोम की सिसकियां तेज हो गई थी उसका पानी निकलने वाला था मै भी तेजी से पेलने लगा और एक से हम दोनों झड़ गए मेरा पूरा रस उनकी बच्चेदानी को भर दिया में उनके ऊपर ही लेट गया वो अपनी सांसे तद्रुस्त कर रही थी और मेरा बालों में हाथ फेर रही थी

सोनाली: तूने तो मुझे रण्डी बना दिया मेरे सोना अभी भी बुर में लग रहा है लन्ड घुसा है और मुझे किस करने लगी

मैं: अब तो तू मेरी प्यारी रण्डी अम्मी है देख तेरे इन बातों से फिर खड़ा हो गया

सोनाली: तो रोका किसने है तुझे डाल दे इसके असली जगह में और फाड़ दे मेरी बुर बना दे भोसड़ा अपनी रण्डी मॉम का

तभी गेट की बेल बज गई हम दोनों एकदम से तिलमिला उठे
मैं: इसकी बुर का भोसड़ा पता नहीं कौन अभी आया है

सोनाली: जा बाबू देख कौन आया है और मॉम उठी कि चीख के बैठ गई आह बाबू तूने तो मुझे चलने लायक भी नहीं छोड़ा बहुत दर्द हो रहा है मैने उन्हें वही लेता दिया और ऊपर से ब्लैंकेट डाल दिया
और मै बाहर गेट खोलने आ गया

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black_Cobra

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Update - 22

मै गेट खोल देता हु, बाहर बसंती खड़ी थि, उसे देखकर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था बहनचोद ने अच्छे ख़ासे मूड की माँ चोद दि....

तभी बसंती की नजर मेरे शार्ट मे बने तम्बू पर पड़ती है... और मुझे देख कर एक सेक्सी सी स्माइल देती हुई वो अंदर आते हुए मेरे लंड को शार्ट के ऊपर से ही सेहला देती है.... मेरा लंड उसका हाथ पड़ते ही शार्ट मे एक झटका मारता है....

ओर मे गेट बंद करके अंदर सोफ़े पर बैठ कर टीवी ऑन कर लेता हु... बसंती किचन मे काम करने चलि जाती है.... और मे टीवी देखने लगता हूँ पर थोड़ी थोड़ी देर मे ही मे माँ के रूम की तरफ देख रहा था वो अभी तक बाहर नहि आई थी....

तभी मुझे माँ नजर आती है... उन्हें देखते ही मेरी नजर तो उन्ही पर टिक जाती है, उन्होंने एक स्लीवलेस स्ट्रिप ब्लाउज पहना हुआ था जोकि उनके स्तनो पर काफी टाइट था ऐसा लग रहा था की उनके स्तन अभी ब्लाउज पहाड़ कर बाहर आ जाएंगे, ऐसा लग रहा था जैसे वो ब्लाउज उन्होंने अपने स्तन छुपाने के लिए बल्कि दिखने के लिए पहना था और उस पर रेड साड़ी जोकि उन्होंने अपने नाभि से काफी निचे बांधी हुई थी..... उन्हें देख कर तो मे मस्त ही हो गया और माँ भी मुझे ही देख रही थी और वो इशारे मे मुझसे पूछती है की कैसे लग रही हु.... और मे जवाब मे अपने खड़े लंड पर हाथ फेरने लगा... माँ एक सेक्सी स्माइल देती है और किचन की तरफ बढ़ जाती है.... और मे साडी मे से उनके उभरे हुए मटकते चूतडों को देखते हुए लंड को सेहलाने लगता हु.... आज माँ भी अपनों चूतडो को कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए चल रही थी.....

आज तो जैसे मेरा कत्ल ही होने वाला था.... मे टीवी की तरफ अपना रुख करता हूँ और गाने सुन्ने लगता हु.... पर मेरा मन तो जैसे किसी काम मे लग ही नहि रहा था और ऊपर से लिंग महाराज तो आज जैसे बैठने का नाम ही ले रहे थे...... मन तो कत रहा था की अभी जाकर माँ को पटक कर चोद दू पर मजबूर था..... हाय मेरी किस्मत, माल तो मिल गया पर माल के साथ स्पेंड करने को टाइम नहि मिल रहा था.... खैर में अपना मन मारकर टीवी देखने लगता हु....

थोड़ि देर मे ही माँ किचन से बाहर आ जाती है और मेरे पास आकर बैठ जाती है.... वो मेरे से सट कर बैठि थी और मेरा हाथ उनके स्तनो से टच हो रहा था... में अपना हाथ उनके चिकने पेट् पर रख कर सहलाने लगता हु....

सोनाली : क्या कर रहा है, बसंती देख लेगी....

माँ ने मुझे मना तो किया पर उन्होंने मेरा हाथ हटाने की कोई कोशिश नहि की, यानी की उन्हें भी ये अच्छा लग रहा था....

मै- अरे माँ वो तो किचन मे बिजी है और देख भी लेगी तो क्या हुआ उसकी चुत मे भी बहोत आग है उसको भी चोद दूंगा....

मा मुस्कुराते हुये- धत्त गन्दा कही का, तेरे दिमाग मे यहि सब चलता रहता है ना और कोई काम नहि है तेरे को...

मै- काम तो बहोत है पर ये काम सबसे ज्यादा जरुरी है...

ओर में अपना एक हाथ उनकी जाँघ पर रख कर उसे सहलाने लगता हु... थोड़ी देर तक जाँघ सेहलाने बाद मे उनका हाथ अपने लंड पर रख देता हु... माँ थोड़ा सा हिचकिचातीं है पर फिर वो अपना हाथ शार्ट के ऊपर से मेरे लंड पर फेरने लगती है.... मेरे लंड का तो हाल ही बुरा हो गया था.. और मे सोफ़े से थोड़ा सा अपने चुत्तड़ उठकर शार्ट निचे खिसका देता हु... और मेरा लंड एकदम से बाहर आ जाता है....

मों मेरी हरक़त से चौक जाती है और किचन की तरफ देखते हुये- ए...ये क्या कर रहा तू सतीश इसे अंदर कर बसंती की नजर पड़ गई तो सब गड़बड़ हो जाएगी....

मैन उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता हु....
मै- अरे कुछ नहि होता मोम... आप इतना डरती क्यों हो... लाइफ के खुल कर मजे लिया करो....
सोनाली : पर..
मैन- कुछ पर वर नहि मोम, में हूँ न आप चिंता क्यों करती हो... में कुछ भी ऐसा नहि करूँगा जिससे मेरी माँ को शर्मिंदगी उठानि पडे..... क्या मुझ पर विश्वाश नहि है आपको,
माँ मेरी आँखों मे देखते हुये- तुझ पर तो अपनी जान से भी ज्यादा भरोसा है...
ओर अब वो बिना झिजक के मेरे लंड को अपने हथेली मे भर कर उसकी मुट्ठ मार रही थी और में तो जैसे सातवे आसमान पर था... में मजे की एक अलग दुनिया मे ही था पर बीच बीच मे में मे किचन की तरफ ही देख रहा था...

मै- आह मोम.... अब और मत तडपाओ इसे अपने मुह मे लेकर चुसो ना....
माँ चौकते हुये- क्या पर....
मै-फिर से पर....
ओर फिर माँ मुस्कुराते हुए मेरे लंड पर झुक जाती है और मेरे टोपे पर अपने होंठ रख कर एक किस करती है, फिर अपनी जीभ निकालकर मेरे टोपे पर निकल आये प्रेकम को अपनी जीभ से चाट लेती ही.... मेरे मुह से एक सिसकि निकल जाती है.... और फिर अपना मुह खोल कर मेरे लंड को अपने मुह मे भर लेती है और उसपर चुप्पे लगाने लगती है....
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लंड उनके मुह मे बहोत कसा हुआ जा रहा था.... और वो मेरे लंड को अपने मुह मे लेकर अंदर बाहर कर रही थी और कभी कभी टोपे पर अपनी जीभ फिरा देती... वो अपने मुह मे मेरे लंड को अपने मुह मे भर कर सक कर रही थी.... मे बड़ी मुस्किल से अपनी सिस्कियों पर कण्ट्रोल कर रहा था.... तभी मुझे लगता है जैसे मेरे पीछे कोई खड़ा है मे गर्दन घुमा कर देखता हूँ तो पीछे बसन्ती अपनी आँखे फाडे खड़ी हुई हमे ही देख रही थी.... मम्मी मेरा लंड चुस्ने मे बिजी थी इस्लिये वो बसन्ती को नहि देख पाइ थी....
मै अपना एक हाथ पीछे कर बसंती का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास खिंच लेता लिया तब उसकी नजर मेरे पर जाती है... और में उसे खिंच कर उसके होंठो को अपने होंठो मे भर लेता हूँ और एक हाथ से उसके दूध दबा दिया... थोड़ी देर मे में उसको छोड़ देता हूँ और उसे इशारे से जाने को कहता हु.... वो एक बहोत ही सेक्सी सी स्माइल दे कर किचन मे चलि गयी .... और बसंती के द्वारा मुझे और माँ को ये सब करता देख मुझे और जोश चढ़ जाता है और मे माँ के बालों को पकड़ कर उसके मुह को अपने लंड पर ऊपर निचे होने करने लगता हु.... माँ भी बहोत ही मस्ती मे मेरे लंड चुस रही थी और अब मेरे गोटो मे उफान आने लगा था और मेने अपना सारा माल उनकी हलक मे उडेल दिया....
मै- आह...... क्या चुस्ती है तू मा.... मजा आ गया....आह
माँ मेरे सारे पानी को पि जाती है फिर मेरे लंड को साफ़ करके वो उठ कर बैठ जाती है और अपने होठो पर जीभ फिरा कर चटकारे लेते हुये- टेस्ट अच्छा है....
ओर एक कातिल मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखते हुए अपना पल्लू सही करने लगती है....
सोनाली : मजा आया....
मै- मजा, बहोत ज्यादा मजा आया मोम... कसम से क्या लंड चूसती हो तुम मॉम.... निचोड कर रख देती हो मेरे मुन्ने को...
मै- आह..... क्या चुस्ती है तू मा.... मजा आ गया....आआह्ह्ह्ह
माँ एक सेक्सी सी स्माइल के साथ मेरे कंधे पर एक हाथ मारती है- धत्त बदमाश कही का, एक तो खुले मे मुझसे ये सब करता है और ऊपर से इतनी गन्दी बातें बोलता है....

मै- आरे माँ खुले मे ही तो सेक्स करने मे मजा है.... लाओ अब आपने तो मेरे मुन्ने का जूस पि लिया अब मुझे भी अपनी मुनिया का जूस पिने दो....

ओर इतना कह कर मे उनकी साड़ी को उठाने लगता हु....

सोनाली : पागल हो गया है क्य, मुझे नहि पीलाना तुझे अपनी मुनिया का जुस....
मैन- ये तो चीटिंग है माँ आपने तो मजे ले लिए और अब मुझे मना कर रही हो मे तो अब मुनिया का जूस पीकर ही रहुंगा....

ओर में उनकी साड़ी को उठा कर उनकी कमर तक उठा देता हु.....

माँ अपनी साड़ी को निचे करते हुये- हे भगवान् तू तो वाकयी पागल हो गया है, मुझे नहीं पीलाना मतलब नहीं पीलाना, बसंती के जाने का वेट करले फिर जितना जी चाहे पि लेना....

मैन- मुझे तो अभी पीना है....

सोनाली : नहीं कहा ना....

मैन- देखो माँ लास्ट टाइम कह रहा हूँ पीला दो वरना मे बसंती की मुनिया का जूस पि लुंगा, फिर मत कहना कुछ.....

माँ मेरी बात सुनकर हास् देती है- है है ह.... ठीक है तो तू जाकर उसकी मुनिया का ही जूस पिले....

माँ मेरी बात को मजाक मे ले रही थी....

मै- सोच लो माँ मेरे पास चुतो की कोई कमी नहीं है पर आपको ढूँढ़ने पर भी ऐसा मस्त लंड नहि मिलेगा....

माँ हस्ते हुये- हम्म्म वो तो है तेरे जैसा तो वाक़ई मे नहि मिलेगा पर अभी तो मे तुझे पिलाने से रहि....

मै सोफ़े से उठते हुये- ठीक है मत पिलाओँ पर आज मे भी चुत का रस पीकर रहूँगा भले ही आज बसंती के ही चुत का रस क्यों न पीना पडे....

सोनाली : तो जा न पिले उसका ही रस मुझे क्यों परेशान कर रहा है...

मै ग़ुस्से मे किचन की तरफ चल देता हूँ मुझे बसंती दिखाइ देती है वो झांक कर हमे ही देख रही थी पर उसे हमारी बाते नहि सुनाइ दी होंगी... वो मुझे आता देख एक स्माइल देती है.... माँ भी मुझे देख रही थी वो सोच रही होंगीं की में ताव मे आकर ये सब बोल गया हूँ पर वाक़ई मे बसंती की चुत का रस थोड़े ही पिलुंगा.... पर उन्हें क्या पता की में तो बसंती की चुत की सवारी पहले ही कर चुका हु..... मे मुड़कर माँ को देखता हूँ और इशारे मे उनसे पूछता हूँ की पिने दोगी की नहीं वो भी मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन ना मे हिला देती है....

मै किचन मे घुस जाता हु, बसंती अब सब्जी काटने का बहाना करने लगती है क्युकी मुझे पता था की वो हमें ही देख रही थी.... खैर मे जाकर उसे पीछे से हग कर लेता हु.... और अपने हाथ उसके स्तनो पर रख कर मसलने लगता हु.. और पीछे से अपना लंड उनके चूतडो की दरार मे टीका देता हु.....

बसन्ती- आअह्हह्ह्...क्या कर रहा है....

मै- तुझे क्या लगता है क्या कर रहा हूँ मैं....

बसन्ती- मालकिन बाहर बैठि है.... आअह्ह्ह्ह मत कर.....

मैन- अरे उन्ही ने तो भेजा है मुझे तेरी चुत का रस पिने को....

बसन्ती- हाय.... ये क्या कह रहा है तु....

मैन- अरे सही कह रहा हूँ यकीन नहीं होता तो माँ से पूछ लो....

बसन्ती- वैसे बड़ा हरामी है तू अपनी माँ को भी नहि छोड़ा तूने... कैसे उनसे अपना लंड चुस्वा रहा था और वो भी तो कैसे मजे से तेरा लंड मुह मे लेकर चुस रही थी....

मै- क्या करू वो है ही इतना बढ़िया माल की रहा नहीं गया.....
तभी बसंती सीधी हो जाती है और मेरे होंठो को अपने होंठो मे भर लेती है.... मे उसके होंठो को चुस्ने के साथ उसके स्तन भी मसले जा रहा था.... काफी देर तक किस करने के बाद हम किस तोड़ते है.... और बसंती शार्ट पर से मेरे लंड को पकड़ कर सेहलाने लगती है....

बसन्ती- आह्हः... अब चोद भी दे मुझे जालिम क्यों तडपा रहा है.... जब से तेरा लंड इसमें गया है तब से ये पानी बहाती रहती है और आज तुम दोनों को देख कर तो इसका और भी बुरा हाल हो गया....
मै उसे घुमा देता हूँ वो स्लैब पर अपने हाथ टीका कर झुक जाती है और अपनी गांड को ऊपर उठा लेती है.... में उसकी साड़ी को उसकी कमर तक पेटीकोट सहित उठा देता हूँ अब उसकी बड़ी गोल गांड मेरे सामने थी और उसमे से झाँकती उसकी चुत की फाकें नजर आ रही थी जोकि पानी बहा रही थी... में अपना लंड निकल लेता हूँ और उसकी गांड की दरार मे सेट करके उसे ऊपर से ही धक्का लगाता हूँ फिर में अपना लंड उसकी चुत पर टिकाकर एक जोर का झटका मारता हु... मेरा लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ आधा लंड अंदर घुस जाता है..... आह क्या मजा था, वाक़ई हर चुत का अपना अलग मजा होता है....

बसन्ती बड़ी मुस्किल से अपनी सिस्कियों को रोक्ति हुयी- सस्शह्ह्ह आअह्ह्ह्हह जालिम क्या लंड है तेरा.... आअह्ह्ह्हह अंदर तक खोल देता है.....आह आह

अब मे अपने लंड को टोपे तक बाहर खिंच कर एक करारा झटका मारता हु, अब मेरा लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ पूरा अंदर घुस गया था....

आहाहहहह... फाड़ दी रीई तूने.... आअह्ह्ह्हह चोद.... मादरचोद..... चोद मुझे.....

उसके मुह से मुझे मादरचोद सूनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा और अब मे और तेज शॉट मारने लगा.... मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था....

बाहर माँ आराम से बैठि हुई टीवी देख रही थी ओर बीच बीच मे वो किचन की तरफ देख रही थी वो सोच रही थी की में जाकर किचन मे टाइम लगा रहा था जिससे की उन्हें लगे की में बसंती की चुत का रस पि रहा हु... पर जब काफी देर तक मे नहीं आता तो उन्हें टेंशन होती है और वो उठ कर किचन की तरफ चल देती है और जैसे ही वो वह पहुचती है अंदर का सिन देख कर उनकी आँखे फटी की फटी रह जाती है....

अंदर में तेजी मे बसंती के कमर को पकडे हुए उसको पेले जा रहा था... माँ तो आँखें झपके बिना हमें ही देखे रह जा रही थि, उन्हें तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.... तभी मेरी नजर भी माँ पर पड़ जाती है और मे उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखता हु, पर माँ ने शायद ये देखा नहीं की मे उन्हें देख रहा हु
उधर में तेजी मे बसंती की कमर को पकडे हुए उसको पेले जा रहा था... माँ तो आँखें झपके बिना हमें ही देखे रह जा रही थि, उन्हें तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.... तभी मेरी नजर भी माँ पर पड़ जाती है और मे उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखता हु, पर माँ ने शायद ये देखा नहीं की मे उन्हें देख रहा हु....

ओ तो बस लंड को चुत मे जाते हुए देख रही थी.... और मे उनको देखते हुए बसंती को पेले जा रहा था... अपनी माँ के सामने किसी और औरत को पेलने से मुझे एक अलग ही रोमाँच आ रहा था.... और मे बसंती के चूतडो पर एक थप्पड़ मारता हूँ और तेजी से शॉट लगाने लगता हु... थप्पड़ की आवाज से माँ का ध्यान तूट जाता है और वो मेरी तरफ देखति है, में तो उन्ही की तरफ देख रहा था पर बसंती का मुह दूसरी तरफ था वो तो बस सिस्कियाते हुए चुदाई का मजा ले रही थी.... उसकी सिसकियाँ अब माँ अच्छे से सुन सकती थी... माँ मेरी तरफ देखति है तो हम दोनों की नजरे मिलति है और मे उन्हें एक स्माइल देता हूँ पर माँ की आँखों मे आस्चर्य के भाव थे शायद उन्हें समझ नहीं आ रहा था की ये सब कैसे हो गया....

मेरे लंड और बसंती की चुत की लड़ाई मे बसंती की चुत मेरे लंड के आगे हथियार दाल देती है और वो झड़ने लगती है....

बसन्ती- आअह्हह्ह्ह्ह मे गइआइइइ .....आएह्ठ्ठ्ह
पर मेरा अभी भी नहीं हुआ था और मेरे धक्के चालू थे..... बसंती अपनी साँसे कण्ट्रोल कर रही थी....

बसन्ती- क्या मस्त चोदता है तु.....मेरा बस चले तो मे तो दिन रात तेरा लंड अपनी चुत मे लेकर पिलवाती रहु...

माँ बस हम दोनों को ही देख रही थी... बसंती अपने चरम तक पहुच गई थी और अब ठण्डी पड़ गई थी और उसकी चुत मारने मे वो मजा नहीं आ रहा था.... मे उसकी चुत मे से लंड निकाल लेता हु.... लंड पुक्क की आवाज के साथ बाहर निकल आता है तभी बसंती पलट कर मुझे देखति है और उसकी नजर माँ पर पड़ी वो शॉकेड हो जाती है और कुछ नहीं कह पाती ओर मे उसकी चुत के पानी से सने लंड को लेकर माँ की तरफ बढ़ जाता हु... माँ बस मुझे ही देख रही थी... और में माँ के पास पहुच कर उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता हु....

मों तुरंत निचे देखति है उनके हाथ मे बसंती की चुत के रस से भिगा मेरा लंड था वो उसे कस कर दबा देती है.......

सोनाली : ये क्या कर रहा था तु...

मै- मैंने तो पहले ही आपसे कहा था की अपनी मुनीया का रस पिने दो पर आपने नहीं दिया तो मैंने अपने मुन्ने को बसंती की मुनिया का रस पीला दिया....

सोनाली : बहोत बिगड रहा है तु...
इसके आगे के शब्द माँ के मुह मे ही रह जाते है में उनके होंठो को अपने होंठो मे भर लेता हूँ और उनके स्तनो को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगता हु.... थोड़ी देर तक तो माँ मुझे अपने से दुर करने की कोशिश करती है और फिर कुछ देर बाद ही मेरे किस का रिस्पांस देणे लगती है, अब उनका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगता है.... अब उनका हाथ मेरे लंड पर ऊपर निचे हो रहा था.... अब मे माँ से अलग होता हु...

मै- अब इन कपड़ो को भी
तो उतार दो...

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Dm me for real incest chat
Next soon...
 

parkas

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मै गेट खोल देता हु, बाहर बसंती खड़ी थि, उसे देखकर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था बहनचोद ने अच्छे ख़ासे मूड की माँ चोद दि....

तभी बसंती की नजर मेरे शार्ट मे बने तम्बू पर पड़ती है... और मुझे देख कर एक सेक्सी सी स्माइल देती हुई वो अंदर आते हुए मेरे लंड को शार्ट के ऊपर से ही सेहला देती है.... मेरा लंड उसका हाथ पड़ते ही शार्ट मे एक झटका मारता है....

ओर मे गेट बंद करके अंदर सोफ़े पर बैठ कर टीवी ऑन कर लेता हु... बसंती किचन मे काम करने चलि जाती है.... और मे टीवी देखने लगता हूँ पर थोड़ी थोड़ी देर मे ही मे माँ के रूम की तरफ देख रहा था वो अभी तक बाहर नहि आई थी....

तभी मुझे माँ नजर आती है... उन्हें देखते ही मेरी नजर तो उन्ही पर टिक जाती है, उन्होंने एक स्लीवलेस स्ट्रिप ब्लाउज पहना हुआ था जोकि उनके स्तनो पर काफी टाइट था ऐसा लग रहा था की उनके स्तन अभी ब्लाउज पहाड़ कर बाहर आ जाएंगे, ऐसा लग रहा था जैसे वो ब्लाउज उन्होंने अपने स्तन छुपाने के लिए बल्कि दिखने के लिए पहना था और उस पर रेड साड़ी जोकि उन्होंने अपने नाभि से काफी निचे बांधी हुई थी..... उन्हें देख कर तो मे मस्त ही हो गया और माँ भी मुझे ही देख रही थी और वो इशारे मे मुझसे पूछती है की कैसे लग रही हु.... और मे जवाब मे अपने खड़े लंड पर हाथ फेरने लगा... माँ एक सेक्सी स्माइल देती है और किचन की तरफ बढ़ जाती है.... और मे साडी मे से उनके उभरे हुए मटकते चूतडों को देखते हुए लंड को सेहलाने लगता हु.... आज माँ भी अपनों चूतडो को कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए चल रही थी.....

आज तो जैसे मेरा कत्ल ही होने वाला था.... मे टीवी की तरफ अपना रुख करता हूँ और गाने सुन्ने लगता हु.... पर मेरा मन तो जैसे किसी काम मे लग ही नहि रहा था और ऊपर से लिंग महाराज तो आज जैसे बैठने का नाम ही ले रहे थे...... मन तो कत रहा था की अभी जाकर माँ को पटक कर चोद दू पर मजबूर था..... हाय मेरी किस्मत, माल तो मिल गया पर माल के साथ स्पेंड करने को टाइम नहि मिल रहा था.... खैर में अपना मन मारकर टीवी देखने लगता हु....

थोड़ि देर मे ही माँ किचन से बाहर आ जाती है और मेरे पास आकर बैठ जाती है.... वो मेरे से सट कर बैठि थी और मेरा हाथ उनके स्तनो से टच हो रहा था... में अपना हाथ उनके चिकने पेट् पर रख कर सहलाने लगता हु....

सोनाली : क्या कर रहा है, बसंती देख लेगी....

माँ ने मुझे मना तो किया पर उन्होंने मेरा हाथ हटाने की कोई कोशिश नहि की, यानी की उन्हें भी ये अच्छा लग रहा था....

मै- अरे माँ वो तो किचन मे बिजी है और देख भी लेगी तो क्या हुआ उसकी चुत मे भी बहोत आग है उसको भी चोद दूंगा....

मा मुस्कुराते हुये- धत्त गन्दा कही का, तेरे दिमाग मे यहि सब चलता रहता है ना और कोई काम नहि है तेरे को...

मै- काम तो बहोत है पर ये काम सबसे ज्यादा जरुरी है...

ओर में अपना एक हाथ उनकी जाँघ पर रख कर उसे सहलाने लगता हु... थोड़ी देर तक जाँघ सेहलाने बाद मे उनका हाथ अपने लंड पर रख देता हु... माँ थोड़ा सा हिचकिचातीं है पर फिर वो अपना हाथ शार्ट के ऊपर से मेरे लंड पर फेरने लगती है.... मेरे लंड का तो हाल ही बुरा हो गया था.. और मे सोफ़े से थोड़ा सा अपने चुत्तड़ उठकर शार्ट निचे खिसका देता हु... और मेरा लंड एकदम से बाहर आ जाता है....

मों मेरी हरक़त से चौक जाती है और किचन की तरफ देखते हुये- ए...ये क्या कर रहा तू सतीश इसे अंदर कर बसंती की नजर पड़ गई तो सब गड़बड़ हो जाएगी....

मैन उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता हु....
मै- अरे कुछ नहि होता मोम... आप इतना डरती क्यों हो... लाइफ के खुल कर मजे लिया करो....
सोनाली : पर..
मैन- कुछ पर वर नहि मोम, में हूँ न आप चिंता क्यों करती हो... में कुछ भी ऐसा नहि करूँगा जिससे मेरी माँ को शर्मिंदगी उठानि पडे..... क्या मुझ पर विश्वाश नहि है आपको,
माँ मेरी आँखों मे देखते हुये- तुझ पर तो अपनी जान से भी ज्यादा भरोसा है...
ओर अब वो बिना झिजक के मेरे लंड को अपने हथेली मे भर कर उसकी मुट्ठ मार रही थी और में तो जैसे सातवे आसमान पर था... में मजे की एक अलग दुनिया मे ही था पर बीच बीच मे में मे किचन की तरफ ही देख रहा था...

मै- आह मोम.... अब और मत तडपाओ इसे अपने मुह मे लेकर चुसो ना....
माँ चौकते हुये- क्या पर....
मै-फिर से पर....
ओर फिर माँ मुस्कुराते हुए मेरे लंड पर झुक जाती है और मेरे टोपे पर अपने होंठ रख कर एक किस करती है, फिर अपनी जीभ निकालकर मेरे टोपे पर निकल आये प्रेकम को अपनी जीभ से चाट लेती ही.... मेरे मुह से एक सिसकि निकल जाती है.... और फिर अपना मुह खोल कर मेरे लंड को अपने मुह मे भर लेती है और उसपर चुप्पे लगाने लगती है....
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लंड उनके मुह मे बहोत कसा हुआ जा रहा था.... और वो मेरे लंड को अपने मुह मे लेकर अंदर बाहर कर रही थी और कभी कभी टोपे पर अपनी जीभ फिरा देती... वो अपने मुह मे मेरे लंड को अपने मुह मे भर कर सक कर रही थी.... मे बड़ी मुस्किल से अपनी सिस्कियों पर कण्ट्रोल कर रहा था.... तभी मुझे लगता है जैसे मेरे पीछे कोई खड़ा है मे गर्दन घुमा कर देखता हूँ तो पीछे बसन्ती अपनी आँखे फाडे खड़ी हुई हमे ही देख रही थी.... मम्मी मेरा लंड चुस्ने मे बिजी थी इस्लिये वो बसन्ती को नहि देख पाइ थी....
मै अपना एक हाथ पीछे कर बसंती का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास खिंच लेता लिया तब उसकी नजर मेरे पर जाती है... और में उसे खिंच कर उसके होंठो को अपने होंठो मे भर लेता हूँ और एक हाथ से उसके दूध दबा दिया... थोड़ी देर मे में उसको छोड़ देता हूँ और उसे इशारे से जाने को कहता हु.... वो एक बहोत ही सेक्सी सी स्माइल दे कर किचन मे चलि गयी .... और बसंती के द्वारा मुझे और माँ को ये सब करता देख मुझे और जोश चढ़ जाता है और मे माँ के बालों को पकड़ कर उसके मुह को अपने लंड पर ऊपर निचे होने करने लगता हु.... माँ भी बहोत ही मस्ती मे मेरे लंड चुस रही थी और अब मेरे गोटो मे उफान आने लगा था और मेने अपना सारा माल उनकी हलक मे उडेल दिया....
मै- आह...... क्या चुस्ती है तू मा.... मजा आ गया....आह
माँ मेरे सारे पानी को पि जाती है फिर मेरे लंड को साफ़ करके वो उठ कर बैठ जाती है और अपने होठो पर जीभ फिरा कर चटकारे लेते हुये- टेस्ट अच्छा है....
ओर एक कातिल मुस्कान के साथ मेरी तरफ देखते हुए अपना पल्लू सही करने लगती है....
सोनाली : मजा आया....
मै- मजा, बहोत ज्यादा मजा आया मोम... कसम से क्या लंड चूसती हो तुम मॉम.... निचोड कर रख देती हो मेरे मुन्ने को...
मै- आह..... क्या चुस्ती है तू मा.... मजा आ गया....आआह्ह्ह्ह
माँ एक सेक्सी सी स्माइल के साथ मेरे कंधे पर एक हाथ मारती है- धत्त बदमाश कही का, एक तो खुले मे मुझसे ये सब करता है और ऊपर से इतनी गन्दी बातें बोलता है....

मै- आरे माँ खुले मे ही तो सेक्स करने मे मजा है.... लाओ अब आपने तो मेरे मुन्ने का जूस पि लिया अब मुझे भी अपनी मुनिया का जूस पिने दो....

ओर इतना कह कर मे उनकी साड़ी को उठाने लगता हु....

सोनाली : पागल हो गया है क्य, मुझे नहि पीलाना तुझे अपनी मुनिया का जुस....
मैन- ये तो चीटिंग है माँ आपने तो मजे ले लिए और अब मुझे मना कर रही हो मे तो अब मुनिया का जूस पीकर ही रहुंगा....

ओर में उनकी साड़ी को उठा कर उनकी कमर तक उठा देता हु.....

माँ अपनी साड़ी को निचे करते हुये- हे भगवान् तू तो वाकयी पागल हो गया है, मुझे नहीं पीलाना मतलब नहीं पीलाना, बसंती के जाने का वेट करले फिर जितना जी चाहे पि लेना....

मैन- मुझे तो अभी पीना है....

सोनाली : नहीं कहा ना....

मैन- देखो माँ लास्ट टाइम कह रहा हूँ पीला दो वरना मे बसंती की मुनिया का जूस पि लुंगा, फिर मत कहना कुछ.....

माँ मेरी बात सुनकर हास् देती है- है है ह.... ठीक है तो तू जाकर उसकी मुनिया का ही जूस पिले....

माँ मेरी बात को मजाक मे ले रही थी....

मै- सोच लो माँ मेरे पास चुतो की कोई कमी नहीं है पर आपको ढूँढ़ने पर भी ऐसा मस्त लंड नहि मिलेगा....

माँ हस्ते हुये- हम्म्म वो तो है तेरे जैसा तो वाक़ई मे नहि मिलेगा पर अभी तो मे तुझे पिलाने से रहि....

मै सोफ़े से उठते हुये- ठीक है मत पिलाओँ पर आज मे भी चुत का रस पीकर रहूँगा भले ही आज बसंती के ही चुत का रस क्यों न पीना पडे....

सोनाली : तो जा न पिले उसका ही रस मुझे क्यों परेशान कर रहा है...

मै ग़ुस्से मे किचन की तरफ चल देता हूँ मुझे बसंती दिखाइ देती है वो झांक कर हमे ही देख रही थी पर उसे हमारी बाते नहि सुनाइ दी होंगी... वो मुझे आता देख एक स्माइल देती है.... माँ भी मुझे देख रही थी वो सोच रही होंगीं की में ताव मे आकर ये सब बोल गया हूँ पर वाक़ई मे बसंती की चुत का रस थोड़े ही पिलुंगा.... पर उन्हें क्या पता की में तो बसंती की चुत की सवारी पहले ही कर चुका हु..... मे मुड़कर माँ को देखता हूँ और इशारे मे उनसे पूछता हूँ की पिने दोगी की नहीं वो भी मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन ना मे हिला देती है....

मै किचन मे घुस जाता हु, बसंती अब सब्जी काटने का बहाना करने लगती है क्युकी मुझे पता था की वो हमें ही देख रही थी.... खैर मे जाकर उसे पीछे से हग कर लेता हु.... और अपने हाथ उसके स्तनो पर रख कर मसलने लगता हु.. और पीछे से अपना लंड उनके चूतडो की दरार मे टीका देता हु.....

बसन्ती- आअह्हह्ह्...क्या कर रहा है....

मै- तुझे क्या लगता है क्या कर रहा हूँ मैं....

बसन्ती- मालकिन बाहर बैठि है.... आअह्ह्ह्ह मत कर.....

मैन- अरे उन्ही ने तो भेजा है मुझे तेरी चुत का रस पिने को....

बसन्ती- हाय.... ये क्या कह रहा है तु....

मैन- अरे सही कह रहा हूँ यकीन नहीं होता तो माँ से पूछ लो....

बसन्ती- वैसे बड़ा हरामी है तू अपनी माँ को भी नहि छोड़ा तूने... कैसे उनसे अपना लंड चुस्वा रहा था और वो भी तो कैसे मजे से तेरा लंड मुह मे लेकर चुस रही थी....

मै- क्या करू वो है ही इतना बढ़िया माल की रहा नहीं गया.....
तभी बसंती सीधी हो जाती है और मेरे होंठो को अपने होंठो मे भर लेती है.... मे उसके होंठो को चुस्ने के साथ उसके स्तन भी मसले जा रहा था.... काफी देर तक किस करने के बाद हम किस तोड़ते है.... और बसंती शार्ट पर से मेरे लंड को पकड़ कर सेहलाने लगती है....

बसन्ती- आह्हः... अब चोद भी दे मुझे जालिम क्यों तडपा रहा है.... जब से तेरा लंड इसमें गया है तब से ये पानी बहाती रहती है और आज तुम दोनों को देख कर तो इसका और भी बुरा हाल हो गया....
मै उसे घुमा देता हूँ वो स्लैब पर अपने हाथ टीका कर झुक जाती है और अपनी गांड को ऊपर उठा लेती है.... में उसकी साड़ी को उसकी कमर तक पेटीकोट सहित उठा देता हूँ अब उसकी बड़ी गोल गांड मेरे सामने थी और उसमे से झाँकती उसकी चुत की फाकें नजर आ रही थी जोकि पानी बहा रही थी... में अपना लंड निकल लेता हूँ और उसकी गांड की दरार मे सेट करके उसे ऊपर से ही धक्का लगाता हूँ फिर में अपना लंड उसकी चुत पर टिकाकर एक जोर का झटका मारता हु... मेरा लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ आधा लंड अंदर घुस जाता है..... आह क्या मजा था, वाक़ई हर चुत का अपना अलग मजा होता है....

बसन्ती बड़ी मुस्किल से अपनी सिस्कियों को रोक्ति हुयी- सस्शह्ह्ह आअह्ह्ह्हह जालिम क्या लंड है तेरा.... आअह्ह्ह्हह अंदर तक खोल देता है.....आह आह

अब मे अपने लंड को टोपे तक बाहर खिंच कर एक करारा झटका मारता हु, अब मेरा लंड उसकी चुत को फैलाता हुआ पूरा अंदर घुस गया था....

आहाहहहह... फाड़ दी रीई तूने.... आअह्ह्ह्हह चोद.... मादरचोद..... चोद मुझे.....

उसके मुह से मुझे मादरचोद सूनकर मुझे बड़ा अच्छा लगा और अब मे और तेज शॉट मारने लगा.... मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा रहा था जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था....

बाहर माँ आराम से बैठि हुई टीवी देख रही थी ओर बीच बीच मे वो किचन की तरफ देख रही थी वो सोच रही थी की में जाकर किचन मे टाइम लगा रहा था जिससे की उन्हें लगे की में बसंती की चुत का रस पि रहा हु... पर जब काफी देर तक मे नहीं आता तो उन्हें टेंशन होती है और वो उठ कर किचन की तरफ चल देती है और जैसे ही वो वह पहुचती है अंदर का सिन देख कर उनकी आँखे फटी की फटी रह जाती है....

अंदर में तेजी मे बसंती के कमर को पकडे हुए उसको पेले जा रहा था... माँ तो आँखें झपके बिना हमें ही देखे रह जा रही थि, उन्हें तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.... तभी मेरी नजर भी माँ पर पड़ जाती है और मे उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखता हु, पर माँ ने शायद ये देखा नहीं की मे उन्हें देख रहा हु
उधर में तेजी मे बसंती की कमर को पकडे हुए उसको पेले जा रहा था... माँ तो आँखें झपके बिना हमें ही देखे रह जा रही थि, उन्हें तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.... तभी मेरी नजर भी माँ पर पड़ जाती है और मे उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखता हु, पर माँ ने शायद ये देखा नहीं की मे उन्हें देख रहा हु....

ओ तो बस लंड को चुत मे जाते हुए देख रही थी.... और मे उनको देखते हुए बसंती को पेले जा रहा था... अपनी माँ के सामने किसी और औरत को पेलने से मुझे एक अलग ही रोमाँच आ रहा था.... और मे बसंती के चूतडो पर एक थप्पड़ मारता हूँ और तेजी से शॉट लगाने लगता हु... थप्पड़ की आवाज से माँ का ध्यान तूट जाता है और वो मेरी तरफ देखति है, में तो उन्ही की तरफ देख रहा था पर बसंती का मुह दूसरी तरफ था वो तो बस सिस्कियाते हुए चुदाई का मजा ले रही थी.... उसकी सिसकियाँ अब माँ अच्छे से सुन सकती थी... माँ मेरी तरफ देखति है तो हम दोनों की नजरे मिलति है और मे उन्हें एक स्माइल देता हूँ पर माँ की आँखों मे आस्चर्य के भाव थे शायद उन्हें समझ नहीं आ रहा था की ये सब कैसे हो गया....

मेरे लंड और बसंती की चुत की लड़ाई मे बसंती की चुत मेरे लंड के आगे हथियार दाल देती है और वो झड़ने लगती है....

बसन्ती- आअह्हह्ह्ह्ह मे गइआइइइ .....आएह्ठ्ठ्ह
पर मेरा अभी भी नहीं हुआ था और मेरे धक्के चालू थे..... बसंती अपनी साँसे कण्ट्रोल कर रही थी....

बसन्ती- क्या मस्त चोदता है तु.....मेरा बस चले तो मे तो दिन रात तेरा लंड अपनी चुत मे लेकर पिलवाती रहु...

माँ बस हम दोनों को ही देख रही थी... बसंती अपने चरम तक पहुच गई थी और अब ठण्डी पड़ गई थी और उसकी चुत मारने मे वो मजा नहीं आ रहा था.... मे उसकी चुत मे से लंड निकाल लेता हु.... लंड पुक्क की आवाज के साथ बाहर निकल आता है तभी बसंती पलट कर मुझे देखति है और उसकी नजर माँ पर पड़ी वो शॉकेड हो जाती है और कुछ नहीं कह पाती ओर मे उसकी चुत के पानी से सने लंड को लेकर माँ की तरफ बढ़ जाता हु... माँ बस मुझे ही देख रही थी... और में माँ के पास पहुच कर उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता हु....

मों तुरंत निचे देखति है उनके हाथ मे बसंती की चुत के रस से भिगा मेरा लंड था वो उसे कस कर दबा देती है.......

सोनाली : ये क्या कर रहा था तु...

मै- मैंने तो पहले ही आपसे कहा था की अपनी मुनीया का रस पिने दो पर आपने नहीं दिया तो मैंने अपने मुन्ने को बसंती की मुनिया का रस पीला दिया....

सोनाली : बहोत बिगड रहा है तु...
इसके आगे के शब्द माँ के मुह मे ही रह जाते है में उनके होंठो को अपने होंठो मे भर लेता हूँ और उनके स्तनो को ब्लाउज के ऊपर से ही मसलने लगता हु.... थोड़ी देर तक तो माँ मुझे अपने से दुर करने की कोशिश करती है और फिर कुछ देर बाद ही मेरे किस का रिस्पांस देणे लगती है, अब उनका हाथ मेरे लंड को सहलाने लगता है.... अब उनका हाथ मेरे लंड पर ऊपर निचे हो रहा था.... अब मे माँ से अलग होता हु...

मै- अब इन कपड़ो को भी

तो उतार दो...

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Dm me for real incest chat
Next soon...
Bahut hi shaandar update diya hai black_Cobra bhai....
Nice and lovely update....
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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