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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

motaalund

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अगली पोस्ट अलग तरह की है,

इसलिए पिछली पोस्ट, वहीँ पे ब्रेक कर दी थी,...

ज्यादातर पोस्ट्स में कभी घंटनाएँ होती हैं तो कभी छेड़ छाड़ तो कभी दैहिक सुख की पराकाष्ठ, श्रृंगार का अंतिम चरण, मिलन जहां सिर्फ साँसे और कांपते रोम बोलते हैं , अंग चाहनाओं को रूप देते हैं,

पर यह पोस्ट, बहुत कुछ स्वगत है, खुद से बात चीत की , अंत: में झांकने की, कहा जाता है, टू बी इज टू बी परसीव्ड,

तो हम दूसरे को कैसे देखते हैं और वो हमें कैसे देखते है , और हम खुद क्या सोचते हैं की वो हमें कैसे देखते होंगे और वो किस तरह से देखते होंगे और वह हमारे उन्हें देखने को प्रभावित करे,... तो बस बहुत कुछ ऐसा ही,


बस सोचिये, जाड़े की गुनगुनी धुप में मुंडेर के सहारे बैठी कोई लड़की, किसी पुराने स्वेटर को उधेड़ के फिर से ऊन के गोले बना रही हो और सोच रही इस का मफलर बन सकता है या,...


तो बस इसी तरह ढेर यादों को उधेड़ने की कोशिश और अपनी उँगलियों की सलाइयों से दो उलटा चार सीधा करके कुछ बुनने की कोशिश,...

इस का कलेवर फागुन के दिन की तरह उपन्यास सा है और साइज भी वही पर सीरयल में हर बार अपेक्षा कुछ अलग सी होती है,...

तो यह पोस्ट बहुत कुछ मेरे बारे में , इस कहानी की नैरेटर के बारे में है ,

जैसे नाटकों में कई बार सूत्रधार मंच के अगले हिस्से में आ जाता है , बाकी रोशनियां धंधली हो जाती हैं , बाकी पात्र परछाइयों में खो जाते हैं , फ्रीज हो जाते हैं और सूत्रधार दर्शकों से सीधे कुछ कहने लगता है , और थोड़ी देर बाकी मंच पर भी प्रकाश पुंज आ जाता है , बाकी चरित्र भी सक्रिय हो जाते हैं और सूत्रधार भी अपनी भूमिका में वापस आ जाता है ,

इस पोस्ट के आड़ अगली पोस्टों में कुछ वैसा ही ही होगा,


बस थोड़ी देर में
Movie "Yaadein" by Sunil Dutt... monologue and thinking about near and dear ones characters.
 

motaalund

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Haa komal didi is queen of erotic stories.phagun story was different form her usual style.I liked Jkg most then Nanad ki training then she have written soft erotica Shaadi,suhaag raat aur honeymoon.her early stories had character named Chandni i guess wo bhi stories achi thi.then she started writing Holi erotica's.Only story I want to read is Mohalla Mohabbat Wala which is not available online.
May be available with the autjor.
 

motaalund

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जोरू का गुलाम भाग १५७

कुछ बातें, कुछ यादें, कुछ इरादे,...




एक बार फिर तीन तिबाचा भरा उन्होंने अपनी बहन को गाभिन करने के लिए और तब मम्मी ने इजाजत दी ,

चल कल चोद देना , लेकिन हचक हचक के ,मेरा नाम मत डुबाना , अगले दिन बिस्तर पर से उठने लायक नहीं होनी चाहिए ,


कित्ता भी चिल्लाये वो मूसल पूरा ठोंकना , फाड़ के रख देना तब मानूंगी मेरे सच्चे दामाद हो।



एक बार फिर मामला सुलझ गया था , और मैं सोच रही थी

इनके बारे में

-----

जब पहली पहली बार मैं इनसे मिली ,हमारी शादी के चार पांच महीने पहले ,
उसी समय मैंने तय कर लिया था ,

चाहे कुछ हो जाए ,चाहे दुनिया इधर से उधर हो जाय ,

कुछ भी कुछ भी ,... कुछ भी करके ,...

ये लड़का अब मुझसे बचने वाला नहीं है ,

ये मेरा है ,मेरा है ,मेरा है और ,... मेरा।

और शादी के बाद , बल्कि शादी में भी मेरी सारी सहेलियों ने मुझे कॉम्प्लिमेंट किया

एक दो ने चिढ़ाया भी ,ही इज़ सो प्रेटी

और एक भाभी जो बहुत खेली खायी थी , मुंह बिचका कर बोला भी ,

कुछ ज्यादा ही सीधा है। Help to improve it!



और पहली रात के बाद , मेरी भाभियों ,सहेलियों ने बहुत समझाया था ,

वार्न भी किया था , दोनों तरह से ,

ज्यादातर ने डराया ,मर्द लोग सिर्फ अपने मजे का ख्याल ही करते हैं ,

तो कुछ ने जिसमे वो भाभी जिसने बोला था की कुछ ज्यादा ही सीधे हैं , ये भी बोला था की घबड़ाना मत कई बार मर्दों का जल्दी हो जाता है ,

कुछ बार तो घबड़ाहट में ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता ,

पर उन्होंने ,मैं सोच भी नहीं सकती थी ,
इट वाज सो नेचरल , ही वाज सो केयरिंग ,...

मैं बता नहीं सकती ,


ये नहीं की मेरी फटी नहीं ,या मैं चीखी चिल्लाई नहीं ,खून खच्चर नहीं हुआ ,... सब हुआ।


और पहली रात दो बार ,उसके बाद तीन बार ,.. अगली रात ,...

लेकिन ये इतने मीठे ,इतने केयरिंग ,...



और मेरा जो फैसला था इनके बारे में ,बस मैंने तय कर लिया


मेरी सबसे बड़ी गिफ्ट इनके लिए होगी ,ये अपने सबसे अच्छे मूमेंट मेरे साथ जोड़ कर देखें।



जितना वो कभी भी किसी के साथ न खुश हुए हों ,उतना मेरे साथ खुश रहे,जीवन में जो भी उन्होंने चाहा हो ,

सोचा हो सपने में भी ,बस उस सपने को सच करना मेरा काम था।

मेरे लिए अब अच्छे बुरे की ,सही गलत की एक सिर्फ कसौटी ,मेरे साजन को क्या अच्छा लगता है।

लेकिन कई परेशानियां भी थी ,इनके सो काल्ड संस्कारी घर की वजह से ,
सखी सहेलियों, बहनों-भौजाईयों सबके देखने परखने की अलग-अलग कसौटी होती है...
कई बार घर का माहौल- आस-पास का परिवेश... अपने बड़ों-बुजुर्गों द्वारा लादी गई इच्छाएं..
ये मन की बहुत सारी इच्छाओं को दबा देती है....
साजन-सजनी में कुछ भी ढंका-छिपा नहीं होना चाहिए...
 

motaalund

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गुनाह







मेरे लिए अब अच्छे बुरे की ,सही गलत की एक सिर्फ कसौटी ,मेरे साजन को क्या अच्छा लगता है।

लेकिन कई परेशानियां भी थी ,इनके सो काल्ड संस्कारी घर की वजह से ,

मुझे कई बार लगता था की किस बंद दमघोंटू कमरे में ,जहाँ ताज़ी हवा का झोंका का भी कभी न जा पाया हो वहां वो सिर्फ बंद ही नहीं है , बल्कि उसके मुहाने पर एक बड़ा पत्थर रखा है ,

और मुझे उस पत्थर को हटाना है ,उन्हें बाहर निकालना है।

ढेर सारी गांठे घुटन ,रिप्रेस्ड सेक्सुअलिटी जो जिंदगी के हर हिस्से में रिफ्लेक्ट होती है ,

जैसे मज़ा शब्द भी गुनाह हो , ..
पर अब ,...

इनकी जो चिढ़े थीं ,जो इन्हे जिंदगी के मजे नहीं लेने देती थी , उसको इन्होने स्वीकार कर लिया था डिफेन्स की तरह ,एक ढाल की तरह ,
बहुत सी ,...
जैसे आम ,



कई बार मैंने बात की है ,शायद कुछ लोग सुन पढ़ के बोर भी हो गए हों , पर सारे उनके मायके वालों ने उनकी परसनालिटी को ही उससे डिफाइन कर लिया था और वो भी उससे कन्फर्म करने लगे थे।

पहली जंग उसी से हुयी , मैंने गुड्डी से बाजी लगा ली ,
और उन्ही के मायके में उन्ही के भौजाई के सामने गुड्डी से बाजी जीत भी ली ,




और उस बाजी के साथ मैंने अपनी ननद को भी जीत लिया चार घंटे की उसकी गुलामी उसके हमारे साथ आने में बदल गयी।

और सारे रिश्तों की बाजी पलट गयी।





सिर्फ घर में ही नहीं , आफिस सोसायटी में

जब तक मैं उनके साथ नहीं आयी थी ,

और उसमें भी ,जब तक कमान मैंने अपने हाथ में नहीं ली थी ,
दब्बू ,किल ज्वाय , इंट्रोवर्ट ,बैकवर्ड ,...



मैंने खुद एक लेडीज क्लब के फंक्शन में इन्हे ज़रा सी बिंदी लगा दी थी ,किसी गेम में जहां हबी को एक फीमेल मेकअप करना करना था तो ,

और आप सब जानते हैं ,प्राइवेट सेक्टर में ,खासतौर से जहां आप टाऊनशिप में आपकी सोशल लाइफ और ऑफिसियल लाइफ कितनी मिक्स होती है।

बास के साथ बॉस की बीबी ,अगर वो आपसे चिढ़ी है , तो बस ,

लेकिन ,
और अब इंटेलिजेंट तो थे ही अब जब से ये हर चीज खुल के इंज्वाय करने लगे ,...

इनोवेटिव ,चेंज मैनेजर , ... मिसेज खन्ना वीपी की वाइफ जितना मुझे नहीं चाहती उससे ज्यादा इन्हे ,

जहाँ ये पहले खाली स्टैंस्टिस्क्स मेन्टेन करते थे ,जो काम कोई नहीं करना चाहता था वो उन्हें पकड़ा दिया जाता था ,

वही अब सी एस आर के फंड का अलोकेशन , सारी परचेज का काम , और अपने से चार लेवल के ऊपर लोगों के साथ स्ट्रेटेजी सेशन में ,...



सबसे सिम्पल था उनकी जो रिप्रेस्ड सेक्सुअलिटी थी , वो इधर उधर नाम बदल के लड़कियों के नामों से चैट रूम में चैट करते थे ,


सिर्फ इसलिए की कोई उन्हें रिकग्नाइज करे ,उनकी सेक्सुअल नीड को समझे और
उन्होंने जो एक इमेज बना रखी है उससे कोई कन्फ्लिक्ट न हो मल्टीपल पर्सनैलिटी

और अब जो वो सेक्स इंजॉय करने लगे तो बस ,
मजे के समय मजा

और काम के समय काम ,काम भी अब वो ज्यादा मन लगा के बिना भटकाव के ,
खुली हवा में साँस लेना ... एक अलग ताजगी का अहसास करा देता है...
उन गांठों को खोलकर एक पंछी को जो केवल फडफडा रहा था... आजाद कर दिया....
 

motaalund

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काम और देह







और अब जो वो सेक्स इंजॉय करने लगे तो बस ,
मजे के समय मजा

और काम के समय काम ,काम भी अब वो ज्यादा मन लगा के बिना भटकाव के ,


मैं उनकी ओर देख रही थी , वो मजे से अपनी सास के साथ ,



और मैं सोच रही थी उन्होंने ने भी तो
अपनी सारी कमान मेरे हाथ में दे दी थी

…और एक बार जब निगेटिविटी चली गयी तो पॉजिटिविटी तो आनी ही थी ,

,

फिर संस्कृत एक तरह से उनकी दूसरी भाषा थी ,सारे पुराने टेक्स्ट ,... और मैं भी पढ़ने की ,... इस तरह की 'किताबों की 'खासतौर से वो तो,


और सिर्फ कामसूत्र का पेपर बैक सड़क छाप संस्करण नहीं ,

मम्मी के पास मैंने तो रिचर्ड बर्टन का कामसूत्र का ट्रांसलेशन पढ़ा था ,

पर उन्होंने तो न सिर्फ तेरहवीं शताब्दी का जयमङगल की टिप्पणी पढ़ रखी थी , बल्कि उनके पास थी भी ,




,और एक बार मैंने उनकी मन की गांठे सब खोल दीं, फिर तो ,

कामसूत्र के बाद की भी , कोकक की रति रहस्य ( तेरहवीं शताब्दी ) ,कल्याणमल की अनंग रंग ( सोलहवीं शताब्दी )



और वो किताबें जिंनका मैंने भी नाम नहीं सुना था ,उन्ही से मैंने सुना ,लव मेकिंग का पहला टेक्स्ट नंदी ने लिखा था

और जिसका सार श्वेतकेतु ने फिर बाद में चारायण ,सुवर्णाभ,दत्तक ,... पता नहीं कहाँ से उन्होंने मंगाई , पढ़ा भी मुझे भी पढ़ाया ,




सृष्टि का अगर कोई सबसे बड़ा रहस्य है , तो वो स्त्री की देह और उसका मन ,

और उसकी कोई सबसे बड़ी कुंजी है तो ये किताबें



क्या क्या नहीं लिखा था ,



स्त्री की देह के सबसे इरोजिनस जोन्स के बारे में ही नहीं ,बल्कि चन्द्रमा की गति के साथ , काम की गति कैसे बदलती है ,


वो भी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में अलग , किसी तिथि को सिर्फ स्कैल्प को हलके हलके सहलाने से ही जो आंनद आता है तो किसी तिथि को शोल्डर ब्लेड्स

और फिर हर वय की कन्याओं , नारियों के लिए , अज्ञात यौवना ( अर्ली और मिडल टीन्स ) से लेकर खेली खायी प्रौढ़ा तक ,

कितने तरीके तो सिर्फ चुम्बन के ,

देह के किस भाग में ( ज्यादातर मांसल ) काम अंदर छुपा रहता है , वहां नख क्षत ,दन्त क्षत







और इसकी गवाह तो मैं खुद हूँ , बाद में उन निशानों को देख के एकदम रात्रि के प्रेम कहानी की ऐसी याद आ जाती थी की फिर मन करने लगता था।

और प्रैक्टिस करने के लिए साथ देने के लिए तो मैं थी ,उनकी काम संगिनी ,

मेरे मन में कर्टसी मम्मी इन चीजों के बार में कभी कोई शक नहीं था , मैं जानती थी मन के मंदिर के शिखर पर चढने लिए देह की नसेनी ही काम आती है ,



देह से जुडी जितनी चीजें है सब आंनद के ही स्त्रोत हैं ,और उसमे कुछ भी गलत या बुरा नहीं है।


और एक बार जब इनके सो काल्ड संस्कार मैने रगड़ रगड़ के इनके देह से छुड़ा दिया, सेक्स के साथ जुडी गिल्ट फिलिंग से ये अलग हो गए , इस बात से की सेक्स सिर्फ रात के अँधेरे में बंद कमरे में एकदम छुप छुप कर करने वाली चीज है ,और बाद में उसके बारे में बात करना भी गलत है ,

और इनकी समझ में आ गया , जानते तो ये पहले से ही थे , पर वो सो काल्ड संस्कार

काम इन्होने मुझे खुद बताया ( बदलाव के बाद ) का स्थान , धर्म और मोक्ष के बराबर ही शास्त्रों ने दिया है। काम यानि कामना , ...और अगर कामना ही नहीं होगी तो कोई काम कोई करेगा ही क्यों।



यही बात तो मैं सोचती थी की हमारी संस्कृति में काम गिल्ट से नहीं जुड़ा है बल्कि सबसे आनदमयी अनुभूति है ,इसलिए तो शादी के मंडप में , मंडपकेबांस पर जो तोते लगाए जाते है वो कामदेव के वाहन के रूप में ,
बहुत हीं सारगर्भित बातें इस पोस्ट में शेयर की हैं...
सृष्टि का रहस्य... देह की .. मन की भाषा....
साहित्य, किताबें कुंजियां...
ऋतुएं .. दिन.. महीने... पक्ष...
और सबसे बड़ी बात... गिल्ट फीलिंग , भटकाव से मुक्ति... ये बोध कि ये रात के अंधेरे में ही करने वाली चीज नहीं है...

अब तो मंडप में कामदेव के वाहन नजर नहीं आते...
पुरानी शादियों में या गाँव की शादियों में एक्के-दुक्के जगह दिख जाते हैं...
लेकिन बचपन में बॉस पर ऊँचे बंधे उन तोतों को उछल कर तोड़ना...
उन स्वर्णिम दिनों की याद दिला देता है...
 

motaalund

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बदलाव











काम इन्होने मुझे खुद बताया ( बदलाव के बाद ) का स्थान , धर्म और मोक्ष के बराबर ही शास्त्रों ने दिया है। काम यानि कामना , ...और अगर कामना ही नहीं होगी तो कोई काम कोई करेगा ही क्यों।

यही बात तो मैं सोचती थी की हमारी संस्कृति में काम गिल्ट से नहीं जुड़ा है बल्कि सबसे आनदमयी अनुभूति है ,इसलिए तो शादी के मंडप में , मंडपकेबांस पर जो तोते लगाए जाते है वो कामदेव के वाहन के रूप में ,

और श्रृंगार सोलहो श्रृंगार उसी काम का ही तो एक हिस्सा है ,इच्छा को उत्तेजित करने का , एक ट्रू इंटिमेसी अचीव करने का
और एक बार सोच में बदलाव होने के साथ , रोज न दिन देखते थे वो रात , और मैं भी ,आखिर रमणी का मतलब ही रमण करने वाली , रमण में साथ देने वाली है

और फिर मैं तो इनकी जबरदस्त आशिक थी ,, हूँ , रहूंगी

और थ्योरी और प्रैक्टिस का ये असर ,..

और कुछ तो उनमे है ,

इनकी उँगलियाँ , छूते ही देह में ऐसी झंकार मचती है , पहली रात मैं कभी नहीं भूल सकती ,
इतने हलके हलके ये मुझे छू रहे थे और मैं ,

लगता था मैं जैसे कोई जलतरंग हूँ और कोई कलाकार बहुत मनोयोग से ,...

उस पहली रात को ,मेरी सारी सखियों ने भौजाइयों ने सिर्फ 'उस खास अंग ' के बारे में बताया था
और अगली सुबह मेरी ननदों और भौजाइयों ने ( फोन से ) बस 'उसी' के बारे, बड़ा ,मोटा ,दर्द हुआ


पर मैं कैसे समझाती उनको



सबसे ज्यादा खतरनाक थी उनकी उँगलियों और होंठ और उससे भी ज्यादा , उनकी रस भरी प्रेम भरी आँखे

एक खेल होता है न जिसमें अगले की गोटियां अगर आपके खाने में पहुँच जाए तो वो न सिर्फ खाना हार जाते हैं बल्कि वो गोटी भी उसकी हो जाती

इस बेईमान ने जो अभी अपनी सास के हंस हंस कर बाते कर रहा हैं ,

इतना सीधा नहीं है ,

पहली रात में बल्कि पहले घंटे में ही इस दुष्ट बेईमान ने , मेरे सारे अंग मुझसे जीत लिया , मन तो खैर उसने पहले ही चुरा लिया था।

और जब मेरा कुछ बचा ही नहीं तो मैं क्या बचाती क्या छुपाती।

और जो थोड़ी बहुत बचत थी ,

उस बदलाव के साथ साथ , अब तो उनकी उँगलियाँ मेरे साथ साथ प्रक्टिस करके
बस उसकी टिप , कभी मेरी पलकों पे रख भर देते हैं ये बस ऐसे वैसे सपने आने लगते हैं ,पलकें मस्ती से मुंद जाती है।

और ,और नीचे तो बस ,..


और एट्टीट्यूड में बदलाव होने के साथ तो और ,

छोड़िये मैं तो हर चीज में इनकी बराबर की साथी हूँ,

मेरी सहेलियां ,... पहले जब वो हाथ बढ़ाने के लिए हाथ बढ़ाती थीं , तो वो छिटक कर ,..और दूर से हाथ जोड़ कर नमस्ते करते थे।
और अब तो , उनका हाथ छूते ही ,..

सुजाता तो मुझे बहुत चिढ़ाती है ,

यार मैंने आज बहुत देर से हाथ नहीं धोया , क्या बात है ऊँगली में ,यार हाथ छूने से ये हाल है तो ,...

मैं भी उलटे उसे , .... आखिर मेरी छोटी बहन की तरह नहीं बल्कि छोटी बहन ही है ,इनकी मुंहबोली साली ,

" तो छुआ क्यों नहीं लेती ,तेरे जीजू हैं , मुझसे पूछने की भी जरूरत नही ,न तुझे न उन्हें। "

पहले जहां सब उन्हें किल ज्वाय कहते थे ,लेडीज उनसे दूर ही रहती थीं , अब वो एकदम हॉट प्रापर्टी हो गए थे ,

ऐसा कुछ नहीं की वो कैसानोवा या और कुछ ,



लेकिन बस जो सोशली एक्सेप्टेड फ्लर्टेशन , उससे बस थोड़ा ज्यादा और वो भी बहुत सॉफिस्टिकेड ढंग से ,.. और अब कोई भी पार्टी उनके ,और उनके साथ मेरे बिना पूरी नहीं होती थी।


असल में , मैं अगर सेक्सुअल मामलो में ,और मैं क्या ये बात सारी लड़कियों के लिए सही है ,



तो मैं किसी भी मेल की सेक्सुअलिटी तीन फैक्टर्स पर जज करुँगी ,

एटीट्यूड ,

इक्विपमेंट और

स्किल

पहले और आखिरी में तो उन्हें १० में १० मिलते और बीच वाले में भी कम से कम ८. ५ या ९।और मेरे लिए सबसे ज्यादा वेटेज था पहले फैक्टर का, एट्टीट्यूड का



मैंने बताया था न कहानी के शुरू में ,वो कोई पॉर्न किंग या ब्ल्यू फिल्मों के हीरो की तरह नहीं थे पर टॉप २ % में और हम न्यूली मैरिड टाउनशिप में आपस में भी ,.. तो यहाँ भी वो टॉप १ % में होंगे , मेरे हिसाब से उन्हें ८. ५ मिलना चाहिए पर उनकी स्साली ,सुजाता और रीनू दोनों १० में ९ नंबर देती। कमल जीजू को आफ कोर्स कोई भी ९. स कम नहीं देगा पर स्किल वाले मामले में वो किसी से भी





और सबसे बड़ी बात अब वो हर चीज इन्जवाय करने लगे थे।



पहले वो सेक्स ऐडिक्ट थे , पॉर्न , चैट रूम और वो भी कहीं भी अपने नाम से नहीं , छुप छुप के ,कहीं लड़की की आईडी तो कहीं ,..



और अब वो पैशोनेट थे , सेक्स इंज्वाय करते थे।



और इसका एक असर जो मैं कहूँगी सबसे बड़ा फायदा मिला उस सेक्सुअल रिप्रेशन से बाहर निकलने का.

वो रिप्रेशन जो एक शारीरिक ,आत्मिक और मानसिक इम्बैलेंस क्रिएट करता था , अब जो वो उससे वो बाहर निकल गए तो वही ऊर्जा अब उनके देह मन और बुद्धि में , और एक बैलेंस ,...



मैंने मम्मी के साथ विज्ञान भैरव तंत्र जो कश्मीर शैवाइट्स का ,.. सूना तो था , थोड़ा बहुत लेकिन इनके साथ ,



मैंने कहा था न ये पढ़ने के कीड़े हैं और अब जब मैंने इनके सोच की धारा उधर मोड़ दी थी तो खुद उन्होंने और इनके साथ ,



और वो रिप्रेस्ड इनर्जी अब इनके तन मन में ,..



मम्मी स्काइप से गायब हो गयी थीं और मैं भी ,... गुड्डी की पदचाप ने मुझे सोच से वापस ला दिया




…………………….
तो मैं किसी भी मेल की सेक्सुअलिटी तीन फैक्टर्स पर जज करुँगी ,
एटीट्यूड ,
इक्विपमेंट और
स्किल

बहुत हीं अर्थपूर्ण बातें कही...
लोग इन गलतफहमियों में जिंदगी भर पड़े रहते हैं...
और इक्विपमेंट को हीं संतुष्टि का कारण समझते हैं..
और कई बार हीन भावना के शिकार भी हो जाते हैं ..

शायद आपका ये पोस्ट उन लोगों की आँखें खोल दे....
 

motaalund

Well-Known Member
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Lagta hai sab kuch sikha hi degi heroine apne hubby ko.
Interesting update.
Story is trying to gain momentum.
Superb update
👌👌👌👌👌👌👌👌⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
ये तो एक-दूसरे को समझने की शुरुआत है...
आगे-आगे देखिए होता है क्या....
 
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