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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

भाग १०२ - सुगना और उसके ससुर -सूरजबली सिंह पृष्ठ १०७३

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Random2022

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रोपनी की मस्ती






जैसे मजा भैया के लंड से बुरिया में आता था वैसा ही फुलवा क माई क ऊँगली से आ रहा था, ऐसे मस्त चोद रही थी वो, .. और एक साथ दोनों बिल में ऊँगली हो रही थी ,

किसी रोपनी करती जवान लड़की जो गीता के बगल में ही थी , उसके भाई,अरविंदवा का नाम लेके उसे छेड़ा तो एक खेली खायी बड़ी उमर की औरत बोल पड़ी,

" अरे जउन ताकत बहन चोदने से लंड में आती है, वो भी सगी, वो कउनो चीज से नहीं आ सकती,... अरे महीने भर का कहते हैं , उ शिलाजीत, ... असली वाला, ... खाये, सांडे क तेल लगाए उतनी ताकत तो एक बार बहिनिया चोदने से आ जाती है,... "

सब लड़कियां खिलखिलाने लगीं तो उन्होंने लड़कियों को हड़काया,

" अरे तो सब काहें मुंह बंद कर के , खी खी खी खाली,... कुछ गाना वाना गाओ,... "

और एक नयी आयी भौजाई ने गाना छेड़ दिया गाली फिर गीता और उसके भैया को ले के,...



अरिया अरिया रईया बुआवे, बीचवा बोवावे चौरइया जी,

अरे सगवा खोटन गयी अरविंदवा क बहिनी, सगवा खोटनं गयी गितवा छिनरी

अरे बुरिया में घुस गईल लकडिया जी, अरे भोंसडे में घुस गइल लकडिया जी

अरे दौड़ा दौड़ा अरविन्द भैया, -अपने मुंहवा से खींचा, अरे हमरी बुरिया से खींचा लकडिया जी।

अरे एक पग गयली दूसर पग गेलीन, अरे गितवा क गंडियो में घुस घयल लकडिया जी


अरे दौड़ा दौड़ा अरविन्द भैया गंडिया से खींचा लकडिया



और तभी जोर की चीख आयी गन्ने के खेत से,...

उईईईईई ओफ़्फ़्फ़्फ़ नहीं , जान गयी,... उईईई

उईईईईई नहीं नहीं , और फिर रोने कराहने की आवाज और फिर चीखने की, ...

अब फटी है , फुलवा की ननदिया की ,जिंदगी भर ये गाँव याद रखेगी , फुलवा की माई बोली।



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और गीता को हड़काया

तू अपना काम कर , तेरा भाई अपना काम कर रहा है ,...

फुलवा की माई का बायां हाथ तो गितवा की चूत की रगड़ाई में जुटा था,लेकिन दाएं हाथ से वो गीता का हाथ पकड़ के उसे रोपनी करना सिखा रही थी, और गीता के कान भले ही गन्ने के खेत से निकलती चीखों से चिपके थे, पर,... अब उसने भी धीरे धीरे रोपनी करना सीख लिया था,... लेकिन उसकी हालत ख़राब कर रही थी, फुलवा की माई की दोनों मोटी मोटी उँगलियाँ,... जैसे उसके भैया का मोटा तगड़ा लंड जब उसकी बुर में घुसता था,.... दरेरता, रगड़ता, घिसटता, फाड़ता,... तो उसकी चीख और सिसकी साथ साथ निकलती, दर्द और मजे दोनों का अहसास होता और बिलकुल उसी तरह,



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लेकिन फुलवा की माई की उँगलियों में एक बात थी, उन्हें ( या फुलवा की माई को ,) बुर के अंदर का पूरा भूगोल मालूम था , उस प्रेम गली का, कभी वो ऊँगली करती करती, उसे मोड़ लेती थी और उँगलियों की टिप से बुर की अंदरूनी दीवाल को करोदती,रगड़ती और वहां छिपे हजारो तंत्रिकाएं झंकृत हो उठतीं, जैसे बरसों से पड़े सितार को किसी कुशल वादिका की उँगलियों ने छेड़ दिया हो. और साथ साथ उँगलियाँ मुड़ने से एक ओर तो ऊँगली की टिप कहर ढ़ातीं, और दूसरी ओर की गीता की बुर की दीवाल पे फुलवा की माई की उँगलियों के नकल रगड़ते कस कस के, मजे से बस जान नहीं निकलती और वो बस झड़ने के कगार पे आ जाती तो फुलवा की माई उँगलियों को सीधा करके बस जस का तस छोड़ देती एकदम अच्छे बच्चो की तरह,...

हाँ अगर रोपनी में जरा भी ढील हुयी तो वो कैंची की दोनों फाल की तरह, दोनों उँगलियाँ पूरी ताकत से फैला देती और बस गीता अपना पूरा ध्यान, रोपनी पे,

गीता ऐसी नयी बछेड़ियों को 'सब सिखाने पढ़ाने में' फुलवा की माई असली मास्टराइन थी.

लेकिन अब गीता रोपनी मन लगा के कर रही थी, मस्ती से बाकी रोपनी वालियों की बात के चिढ़ाने के गालियों के जो सब की सब, उसको और उसके भाई अरविन्द को लगा के थीं एक से एक गन्दी गालियां एकदम खुली खुली,... और अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर उँगलियाँ घचर घचर, अगवाड़े फुलवा की माई के खेले हुए हाथ और पिछवाड़े कोयराने वाली नयकी भौजी, चम्मो बो, जिनसे सब ननदें पनाह मांगती थीं, ...

दो तीन बार फुलवा की माई उसे झड़ने के कगार पे ले गयी, जैसे उसका भाई ले जा के रुक जाता था, ... पर अचानक चौथी बार वो नहीं रुकी और दोनों उँगलियों के साथ अंगूठा भी क्लिट पे मैदान में आगया और गितवा झड़ने लगी, पूरी देह गिनगीना रही थी काँप रही थी और नयकी भौजी ने दोनों ऊँगली से गाँड़ मारने की रफ्तार भी बढ़ा दी, और साथ में बाकी लड़कियों को ललकारा,

" हे छुटकी सब, अरे ये नयकी रोपनी वाली क अंचरा ना खुलल अब तक, खाली अपने भाई से चुसवाये मलवायेगी, का कुल जांगर तू सब अपने अपने भाई से चोदवाये में, ..."



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गीता को समझ में नहीं आया पर दो तीन लड़कियां,

एक तो वो समझ गयी चमेलिया थी, फुलवा की छुटकी बहिनिया, उससे भी उमर में बारी और दो तीन और उसी की समौरिया, सब छांप ली अंचरा हटा, ब्लाउज खुला नहीं , सब बटन टूट टाट के धान के खेत में और दुनो जोबना बाहर,...


चमेलिया ने धान के खेत में से ढेर सारा कीचड़ निकाल के उसकी एक छोटी छोटी चूँची पे लपेट दिया और लगी रगड़ने मसलने, क्या कोई लौंडा चूँची मसलेगा,...


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गीता सोच रही थी उसके भाई ने ही तो इसकी भी झिल्ली फाड़ी थी,... चमेलिया गीता के निपल को पकड़ के कस कस के उमेठ रही थी , और बाकी दोनों लड़कियां, चमेलिया की ही पट्टी की, दूसरे जोबन में कीचड़ मर्दन कर रही थीं,

लेकिन अब तक गितवा भी बाकी रोपनी वालियों के ही रंग में रंग गयी थी, उसने भी थोड़ा सा कीचड़ निकाल के चमेलिया के चूतड़ पे लपेटते उसे चिढ़ाया,...

'हमरे भाई क चोदी,...'

" ठीक कह रही हो, हम दोनों एक ही लंड के चोदे हैं " खिलखिलाती हुयी चमेलिया ने अब कीचड़ गितवा के चूतड़ पे लपेटते हुए जवाब दिया,...



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और फुलवा की माई की दोनों उँगलियों की रफ्तार एकदम तूफ़ान मेल की तरह , और गितवा फिर झड़ने लगी, फिर दुबारा, तिबारा, झड़ के थेथर हो गयी,

गालियां और तेज और खुली , सब की सब गितवा क नाम ले ले के,... फिर सब लड़कियां उसके पीछे पड़ गयी और उससे दस बार जोर जोर से कबुलवाया, ...

हाँ उसका भाई अरविंदवा उसे चोदता है , दिन रात चोदता है, गाँड़ भी मारता है, ... वो भाई चोद है , ...

और उसके बाद जब भौजाइयां पीछे पड़ गयीं तो सब कुछ गीता से ही कहलवाया,

उससे उसके भाई अरविन्द को एक से गन्दी गाली दिलवाई, बहनचोद , मादरचोद से लेकर,...

और सब पूछ डाला , केतना बड़ा लंड है, गाँड़ मरवाने के बाद लंड उसका चूसती है की नहीं,... उसके लंड पे खुद चढ़के गाँड़ मरवाई हो की नहीं,... और हाँ नहीं में जवाब नहीं , सब पूरा खोल के डिटेल में और जोर जोर से जिससे खाली वो सब रोपनी वाली नहीं , अगल बगल के खेत में भी जो रोपनी कर रही थीं वो सब भी अच्छी तरह सुन लें ,...



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उसकी गाँड़ मारती, नयकी भौजी चिढ़ाते बोलीं,...

" अरे यह गाँव क हमार कुल ननदें, भाई चोद हैं, सब भौजाई के आने के पहले ही अपने भैया को अपनी बुरिया क स्वाद चखा चखा के तैयार कर देती हैं , सब सब मर्द नम्बरी बहनचोद "

लेकिन ननदें कौन चुप रहने वाली थीं , एक बियाहिता अभी अभी गौने के बाद ससुराल से लौटी ननद सावन मनाने मायके आयी, चिढ़ाते बोली,...

" अरे तो भौजी लोगन को खुस होना चाहिए,की सीखा पढ़ा, खेला खेलाया मिला,... वरना निहुराय के कहीं अगवाड़े की बजाय पिछवाड़े पेल देता, महतारी बुरिया में चपाचप कडुवा तेल लगाय के बिटिया को चोदवाये के लिए भेजी थी और यहाँ दमाद सूखी सूखी गाँड़ मार लिया,... "

फिर तो ननदों की इतनी जोर की हंसी गूंजी,... और उसमें सबसे तेज गीता की हंसी थी, एक और कुँवारी ननद बोली,...

" अरे भौजी, तबे तो,... यहाँ के मरद एतने जोरदार है की सब भौजाई लोगन क महतारी दान दहेज़ दे के , ...चुदवाने के लिए आपन आपन बिटिया यहां भेजती हैं ,... "



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इस मस्ती के बीच रोपनी भी चल रही थी हाँ गन्ने के खेत से आने वाली चीखें अब थोड़ी देर पहले बंद हो गयी थीं और वहां से कभी कभी रुक के सिसकियाँ बस आतीं।

डेढ़ दो घण्टे से ऊपर हो गया था, भैया को फुलवा की बारी ननदिया को गन्ने के खेत में ले गए,...



जब रोपनी शुरू हुयी थी, बस आसमान में ललाई छानी शुरू भी नहीं हुयी थी ठीक से,... और अब सूरज निकल तो आया था, लेकिन बादल अभी भी लुका छिपी खेल रहे थे, सावन भादो की धूप छाँह का खेल, और काले काले घने बादल जब आसमान में घिर जाते तो दिन में रात होने सा लगता,... और कभी धूप धकिया के नीचे खेत में रोपनी करने वालियों की मस्ती देखने, झाँकने लगती और कभी उन की शैतानियों से शरमा के बादलों के पीछे मुंह छिपा लेती,...
Bahut hi badhiya ropni hui hai . Lajawab
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम

भाग १७७

गुड मार्निंग -गीता की


नया स्वाद

नैंसी, नैंसी गुप्ता


रिंग-निप रिंग्स



" तब ,... तो ज्वेलरी किसे पहनानी चहिये ,तेरे इन मस्त उभारों को न ,...और तेरे भैया ने खुद इनका सेलेक्शन किया है। " नैंसी मुस्करा के बोली , और गुड्डी का टी शर्ट उसने खींच कर उतार दिया , मैंने कैच कर लिया।

……………………………………

शैतान का नाम लो , .... वो आ गए और अपनी स्साली , ... नैंसी के बगल में बैठ गए।



UPDATE POSTED


गुड्डी के निप्स अभी भी छोटे थे ,उम्र ही कितनी थी उसकी ,... कुछ दिन पहले ही तो उसने इंटर पास किया था ललछौंहे ऐसे जैसे अभी सुबह की लाली बस आनी शुरू ही हुयी हो , पर सेक्सी तो वो थी ही , गुड्डी के निप्स पर नैंसी की ऊँगली पड़ते ही जैसे कोई सोते से झट जाग जाय , वो तुरंत उठ जाय , मेरी ननद के निप्स ,... कड़े खड़े हो गए। अब वो साफ़ साफ़ दिख रहे थे।
 

komaalrani

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arushi_dayal

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वो भाई बड़ा सुख देते हैं

जो रोज बहना की लेते हैं

शॉपिंग खुल के करवाते है

जिस दिन लौड़ा चुसवते है

मत पूछो मजा क्या आता है

जब गांड में लौड़ा जाता है

भाई चुची बहुत दबाते है

जब चुत पे जीभ चलते है

भाई बहन एक दूजे में खो जाए

जब 69 चालू हो जाए

हर मुद्रा में चुदाई होती है

अंदर तक खुदाई होती है
 

komaalrani

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komaalrani

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