#update 47
shivkesh baba chale gaye the kal ke anusthan ki taiyaari karne . Ashi bhi office chali gayi thi kuch der ke liye . Bas ajinkya baitha tha akela ,udaas tha ,abhi tak ki jindagi ke bare me soch raha tha . Bahar baarish ho rahi thi .
काले बादल घिर आए थे । मानो आज ये समां भी उदास हो चला था अजिंक्य का साथ निभाने को । बहुत वक्त हो चला था लेकिन आज फिर अजिंक्य की उंगलियों में सिगरेट दिख रही थी । कमरे में धुएं के बादल बन रहे थे और बाहर पानी के बादल थे ।
"दिल के पास में कैसी अनजानी राह में
दिल ढूंढे हैं ढूंढे है उसको
भूली बिसरी धुन कोई बजती है यादों की
मन ढूंढे है ढूंढे है उसको .... "
आज फिर उसे यादों ने सताया था । बहुत सी यादें थी। जितना वो कोशिश कर रहा था यादों से दूर रहने की वह उतना ही उस अंधेरे कुएं में गिरता जा रहा था । क्या गलती थी अजिंक्य की ? उसने सिर्फ प्यार तो किया था अंशुल से । बहुत प्यार किया था , बेशुमार ,पागलपन की हद से ज्यादा । नींद में रहता था तो भी उसे ख्वाब इस लड़की के आते थे । लेकिन इस प्यार ने क्या दिन दिखलाया था । बाप ने घर से निकाल दिया था । तब भी वह इस लड़की का ही साथ दिया था । अपनी मां से दूर हो गया था । पल पल तरसा था मां को देखने के लिए । उस आखिरी दिन भी मां का कॉल आया था ,बोल रही थी कि जल्दी आना बेटा । और इसने बोला था कि हां मां आ रहा हूं बस । क्या पता था कि आज जो बात हो रही है वो आवाज आखिरी बार सुन रहा है ।कुछ ही घंटे बीते थे कि मां की मौत खबर आ गई थी। मां के शरीर को देख कर तब तक वह मां को पुकार कर उठने के लिए बोल रहा था जब उसकी मां का शरीर जल कर राख न हो गया था । राख में सिर्फ मां के पैरो की पायल ही मिली थी । वह चांदी भी पिघल कर नया रूप ले ली थी । सब कुछ राख हो गया था । सब कुछ । और प्यार से क्या मिला । अंशुल भी छोड़ गई । क्या नही किया था । मरने की कगार पर था तब भी वह सिर्फ अंशुल से मिलने का सोच रहा था।
" मरना चाहता हूं मैं एक बार बस बार
मर कर में खुद के जिस्म के करीब बैठ कर सब कुछ देखना चाहता हूं ।देखना चाहता हूं उन सभी रिश्तों को जिन्होंने मुझे मेरे खराब वक्त में छोड़ा था । देखना चाहता हूं मैं उस लड़की के आंसू जिसको मैं बेहिसाब प्यार करता था । पल पल मेरी याद में उसे तड़पते देखना चाहता हूं । मेरी याद में रोते देखना चाहता हूं । चाहता हूं मैं उसके दिल में उठती मुझे वापस बुलाने की तड़प को । मैं बस एक बार मर कर देखना चाहता हूं । "
आज आसमान भी रो रहा था अजिंक्य के आंखो के साथ साथ । बाहर बारिश तेज हो रही थी और यह कमरे में धुएं के बादलों के छटने का इंतजार हो रहा था । और वहां दरवाजे के पास खड़े आशी देख रही थी अजिंक्य को फिर से वापस पुराने जैसे । वो धीमे धीमे चलते हुए आई । अजिंक्य के सामने आ कर उसके घुटनो पर सर रख कर बैठ गई । अजिंक्य ने आशी के दोनो गालों को अपने हाथो से पकड़ा और उसके माथे पर चूम लिया। और उसकी आंखो मे देखते हुए बोला
" सुनो ना , पता है न जब तुमसे मिला था तो कितना टूटा हुआ था मैं ।दिल हजार टुकड़ों में बंटा हुआ था । उस दिल को जोड़ा तुमने अपने प्यार से । मौत मांगता था मैं तुमने मुझे दुबारा जीना सिखाया है वापस प्यार पर यकीन करना सिखाया है । बस एक वादा कर दो मुझसे । मुझे छोड़ना मत प्लीज प्लीज । मैं मर जाऊंगा । मेरे पास तुम्हारे अलावा कोई और है भी नहीं । अगर मर भी नहीं पाया तो पागल हो जाऊंगा । बस छोड़ना मत "
इतना कहते हुए वो रोने लगा। बहुत रोया ,हिचकी ले ले कर रोया । आशी भी रो रही थी ।
" नही बाबू मैं कभी नहीं छोडूंगी तुम्हे । चाहे कुछ हो जाए । जीयोगे मेरे साथ तुम ,और मरोगे भी मेरे साथ । तुम मेरे हो ,मेरे ही रहोगे "
दोनो गले लग कर रो रहे थे । और बाहर
बाहर काले बादल छंट रहे थे । बारिश हल्की हो गई थी
और अब एफएम पर गाना भी बदल गया था
"
मैं तुझसे प्यार नहीं करता दिल से ये कहता रहता हूँ पर तेरी साँसों में छुपके मैं सांसें लेता रहता हूँ इससे इन्कार नहीं करता मैं तुझसे प्यार नहीं करता "