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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
Last edited:

Vishalji1

भोसड़ा का दीवाना मूत पसीने का चटोरा💦🤤🍑
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Bah
UPDATE 202

अमन के घर

इधर अमन अपने लन्ड की कसक मिटा कर शान्त हुआ और वापस निचे हाल मे आ गया ।
मुरारी हिसाब किताब करके बैठा था कि उसकी नजर अमन पर गयी ।

मुरारी - अरे बेटा छुट्टी कब तक रहने वाली है तुम्हारी
अमन - जी बस दो हफते और बाकी है पापा उसके बाद जाना ही है ।
मुरारी ममता से कहता हुआ - अरे भई अमन की मा , अपने लाड साहब को कहो कि बहू को कही घुमा फिरा लाये ।

ममता ने टोंट मारी- अच्छा जी शादी के बाद घुमा फिरा भी जाता है क्या ?
मुरारी - अरे भाइ वो आजकल के बच्चो का क्या चल रहा है वो ..

मदन - हनीमुन टूर भैया
" हा , हनीमून टूअर " , मुरारी ने अजिब नजरो से मदन को देखता हुए कहा ।

ममता - अरे भाई मुझे इस बारे मे क्या पता , हम तो ढंग से चमनपुरा तक नही घुमे अपना काहे का हनीमून फ़नीमून हुह

ममता के तुनके हुए जवाब पर जहा मुरारी झेप रहा था वही अमन अपने चाचा को देख कर होठ दबा कर मुस्कुरा रहा था ।

मुरारी - ओहो तो अब क्या इस उम्र मे तुम्हे हनीमून जाना है घूमने
ममता - क्यू भाई घूमने फिरने की कोई उम्र होती है क्या ? क्यू देवर जी ।

मदन असहज होकर मुरारी से नजरे चुराता हुआ - अह नही भाभीई जाईये ना भैया भाभी को लिवा कर

मुरारी - क्या मदन तुम भी बच्चे के सामने
मदन - सो सॉरी भैया ।

अमन - अरे पापा मै और सोनल नही जा रहे है लेकिन कम से कम आप मम्मी चले जाओ घूमने

अमन के बात पर सब चौके
मुरारी - क्यू भाई क्यू नही जा रहे ।

अमन - पापा वो सोनल का भी मम्मी जैसा ही हाल है, वो कही बाहर गयी नही और उसे डर लगता है सफर मे

ममता - अरे तो क्या हनीमून पर अपनी सास को भी साथ लेके जायेगा क्या हाहाहा

अमन झेप कर - क्या मम्मी , अब वो मना कर रही है तो मै क्या ही करू ।

ममता - अच्छा रुक मै उससे बात करती हु आज , अरे आज समय है मौका मिल रहा है घूम ले , नही तो बेचारी की किसमत मेरी जैसी ही हो जायेगी चार दिवारी मे कैद हुह

ये बोलकर ममता उठी और उपर चली गयी और मदन भी धीरे से सरक लिया बाहर के लिए ।

वही मुरारी का मुड उखड़ गया ममता के तानो से ।
अमन मुस्कुरा कर अपने पापा के पास बैठता हुआ - हिहिही पापा क्या सच मे आप मम्मी को कभी घुमाने नही ले गये ।

मुरारी - अरे पागल जब मेरी शादी हुई थी तब ये सब फैशन बाजी कहा होती थी , उसपे से गाव मे थे तब हम लोग वहा और भी ज्यादा यम नियम होते थे पालन करने के लिए ।

अमन - हा लेकिन पापा अब तो आपको मम्मी को लिवा के जाना चाहिए
मुरारी - तु पागल है , इस उम्र मे हनीमून पर हमे जाना शोभा देगा

अमन हस कर - अरे मै तो घुमने जाने की बात कर रहा हु , हा अगर आपका मूड हुआ तो हनीमून भी मना लेना हिहिहिही

मुरारी - चुप कर नालायक कही का , मेरी छोड़ ये बता कल रात क्या हुआ , नाड़ा टाइट था ना

अमन हसता हुआ - जी पापा आपका बेटा हु ऐसे कैसे ढीला होने देता हिहिही

मुरारी - शाबाश , अभी दो तीन ऐसे ही रहने दे
अमन नाटक करता हुआ - क्या दो तीन और , अरे पापा कल मैने कैसे खुद को रोक मै ही जानता हु

मुरारी - अरे भाई होता है , मै भी तो ....
मुरारी थोड़ा रुका और आसपास का जायजा लेके अमन की ओर झुक कर फुसफुसात हुआ - रहा तो मुझसे भो नही जा रहा था , उस समय नयी नयी शादी के बाद तेरी मा अपनी साडी सही से सभाल नही पाती थी और उसका आंचल अकसर पेट पीठ और सीने से उघार हो जाया करता था और मेरी तो इस्स्स्स

मुरारी अपने कड़क होते लन्ड को भीच कर अपना दाँत पिसा और अमन मुस्कुरा उठा ।
मुरारी - लेकिन मैने खुद को एकदम से पिघलने नही दिया ।

अमन मुस्कुरा कर - हा लेकिन वो तिसरी दुपहर को ऐसा क्या हुआ था कि आप हिहिही

अमन की बात सुनकर मुरारी ने अपनी पीठ सीधी कर एक गहरी सास ली और इधर उधर देखता हुआ खड़ा होकर अंगदाई लिया और अमन को इशारे से अपने पीछे आने को कहा ।
दोनो बाप बेटे ममता के कमरे मे चले गये ।

अमन - पापा यहा क्यू ले आये आप
मुरारी उसे सोफे पे बैठने को कह कर आलमारी से एक फोटो अलबम निकालता हुआ उसे खोलकर अमन के बगल मे बैठता है , जिसमे ममता और मुरारी की शादी की तस्वीरे थी ।

मुरारी - ले देख , अरे उस समय तेरी मा अगर फिल्मो मे ट्राई करती तो टॉप क्लास ही हीरोइन होती

अमन आंखे फाडे अपनी मा के जवानी के दिनो का हसिन चेहरा देख रहा था , सच मे उसकी मा किसी हीरोइन से कम ना थी ।

अमन - वाव पापा मम्मी तो सच मे किसी हीरोइन से कम नही थी
मुरारी - अरे मुझे तो वो पूरी की पूरी मन्दाकिनी लगती थी उस समय वही तीखे नैन नख्स, वैसी ही कटीली चाल ।

अमन शॉकड होकर - पापा !! अब ये मन्दाकीनि कौन है ,उम्म्ं
मुरारी हसता हुआ - अरे तु मन्दाकीनि को नही जानता ?

अमन - नही , पहले कभी मिला नही तो कैसे जानूंगा , है कौन ये ?

मुरारी - अरे बेटा मन्दाकीनि हमारे जमाने की बोल्ड हीरोइन हुआ करती थी , उसकी फिल्मो के लोग दिवाने हुआ करते थे

अमन - अच्छा ऐसा क्या , रुको चेक करता हु
अमन फौरन अपने मोबाइल मे bollywood ऐक्ट्रेस मन्दाकीनि को सर्च करता है और उससे जुड़ी कन्ट्रोवरसी के साथ उसके सेमीन्यूड वायरल तसविरे भी अमन को दिखने लगी , उसमे एक तस्वीर जो एक बहुत ही फेमस फिल्म " राम तेरी गंगा मैली " की थी जिसमे मन्दाकीनि ने वाइट साडी मे अपने विजीबल निप्प्ल दिखाये थे और बहुत ही कामुक दिख रही थी ।

वो तस्वीर देख कर अमन का लन्ड फड़क उठा और उसने मोबाइल का स्क्रीन अपने पापा की ओर घुमा कर - यही है क्या

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अपनी पसंदीदा अदाकारा की मनचाही नगन तस्वीर पाकर मुरारी की दबी हुई भावनाए उभर आई और उसके आन्खो मे बढ़ती चमक से अमन भी हेरत मे था ।
मुरारी अमन के हाथ से मोबाईल लेके फोटो को गौर से देख रहा था , उसकी नजरे गीले पारदर्शी साडी से झाकती छातियों पर जमी थी - वाह बेटा आज सालों बाद मुझे मेरी मनचाही तस्वीर देखने को मिली ।

अमन थोडा मुस्कुरा कर थोडा आंखे दिखा कर मोबाईल अपने पास लेकर - पापा !! आपकी शादी हो गयी है और कही मम्मी को पता चला तो हम दोनो की बैंड बज जायेगी ।


मुरारी थुक गटक कर - अरे लेकिन उसको बताना ही क्यूँ है
अमन हसते हुए गालों के साथ - हा लेकिन आपको देखना ही क्यूँ है
मुरारी झेपता हुआ - अह बस ऐसे ही बेटा मन हुआ देखने का और मेरा तो पुरा बचपन जुड़ा है इसकी फिल्मो के साथ

अमन - अच्छा ऐसी बात है तो ठिक है मै मम्मी को नही बताऊंगा लेकिन मेरी एक शर्त है
मुरारी - शर्त !! कैसी शर्त ?

अमन मुस्कुरा कर - मै आपको आपकी हीरोइन की फिल्मे , फोटो वीडियो सब लाके दूँगा लेकिन आपको भी मेरी बात माननी पड़ेगी

मुरारी - अरे ब्ता ना सब मंजूर है
अमन हस कर - सोच लो
मुरारी थोडा रुका और बोला - हा भाइ सब मंजूर है बता क्या शर्त है

अमन मुस्कुरा कर - शर्त ये है कि आप अकेले इसका मजा नही लेंगे
मुरारी चौक कर - मतलब ?
अमन - मतलब ये कि आप और मै दोनो साथ मे इसका मजा लेंगे और आप अपनी इससे जुड़ी कहानिया भी बताओगे

अमन - बोलो मंजूर है
मुरारी खिल उठा - अरे इसमे कौन सी बड़ी बात है , जरुर जरुर हाहहहा



राहुल के घर

इधर अरुण ने एक से बढ़कर एक पोर्न वीडियो दिखा कर राहुल को झड़वा दिया और वो गया । अगर अरुण की नीद गायब थी , जबसे उसने शालिनी की गाड़ देखी थी ।

राहुल के सोने के बाद वो चुप चाप अपनी मामी के कमरे की ओर बढ़ गया
दरवाजे के पास ही उसने कमरे मे देखा तो सामने का नजरा देख कर उसका लन्ड फड़क उठा
सामने दिन भर की थकान से चूर शालिनी बेफिकर और बेढंग से करवट लिये सोई हुई थी , बलाऊज से आधी चुचिया बाहर निकल आई थी , कुल्हे उपर की उठे हुए थे ।

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एक नजर अरुण ने गलियारे से हाल तक देखा और दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ ।

उसने सास भरती शालिनी को देख कर अपना मुसल मसला और आगे बढ गया
उसकी नजर शालिनी के बाहर झाकते चुचो पर जमी थी
दबे पाव अरुण लपक कर अपनी मामी के करीब गया
गोरी गोरी चमड़ी वाली चुचियो को पम्प होता देख अरुण से रहा नही गया , उसने एक नजर शालिनी को देखा और हाथ आगे बढा कर शालिनी के चुचो को छुने की कोसिस करने लगा

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ऐसा नही था कि अरुन ऐसी हरकते पहले नही किया था , वो घर मे कइ दफा अपनी मा के साथ ऐसा कर चुका था मगर यहा ना उसका घर था ना उसकी मा
अपनी रसिली मामी की छातियों की माप वो उपर उपर से बिना छूए ही हथेली से लेने लगा ।

डर था कही शालिनी की नीद ना टूट जाये और उसका डर थोडा हावि हुआ ।
वो उठ कर बिना शालिनी की चुचिया पकड़े खड़ा हो गया ।
उसकी नजर अब शालिनी के तंदुरुस्त कूल्हो पर गयी जो उपर उठी हुई थी ।
दो कदम आगे बढ कर उसने वापस शालिनी को देखा और धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके कुल्हे को साड़ी के उपर से छुआ और झटके से हाथ पीछे खिंच लिया

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एक खिलखिलाहट भरी गुदगुदी उसे मह्सूस हुई , अपनी मामी के गुदाज कूल्हो का स्पर्श अपनी भी उसकी हथेली मे रेंग सा रहा था ।
कोसिस कर इस बार उसने अपना पुरा पन्जा अपनी मामी की गाड़ पर रख दिया और उंगलियो से हल्का सा दबाया फिर जल्दी से वापस खिंच लिया ।

उस्का दिल जोरो से धडक रहा था और पेट मे तितिलियां उड़ने लगी थी , लन्ड पूरे उफान पर था
उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई और आगे आकर शालिनी के चुचो को हल्का सा उंगली से एक बार छुआ
शालिनी की कोई प्रतिक्रिया ना पाकर उसने अपना पन्जा खोलते हुए शालिनी की चुची को ब्लाउज के उपर से हाथ मे भर किया

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2 3 5 और 8 सेकेंड तक आते आते अरुण का हिम्मत जवाब दे गया वो जल्दी से हाथ पीछे कर लिया

इससे पहले वो आगे बढ़ता शालिनी के शरीर मे कुछ हरकत होती है और वो धीरे से कमरे से बाहर निकल जाता है ।



राज के घर

"लेकिन आपकी शादी तो बड़े फूफा से हुई थी ना तो कमरे मे छोटे फूफा कैसे " , राज हैरानी भरे स्वर मे शिला से सवाल किया ।

शिला - मै भी हैरानी थी बेटा
राज - फिर क्या हुआ
शिला - मेरे भीतर रह रह के कई सारी बातें उठ रही थी । कभी ये सोच कर दिल खुश हो जाता कि मेरा देवर ही मेरा पति है मगर वो पल जब मेरे नाम का तिलक तेरे फुफा के लिये गया था वो ख्याल आते ही ठगा सा मह्सुस हो रहा था मुझे कही मेरा जीवन बर्बाद तो नही हो जायेगा ।

मुझे खोया हुआ देख कर वो मेरा हाथ पकड कर बोले - क्या हुआ शीलू ,

"शीलू" , ये शब्द सुनकर मेरा रोम रोम सिहर उठा, मै बेचैन होने लगी । मै समझ नही पा रही थी कि कैसे मैं उनसे इस बारे मे बात करू ।

बहुत हिम्मत कर मै बोली - एक बात पुछ सकती हु
वो खुश हुए और एकदम से मेरे करीब आकर मेरी पीठ से हाथ रखकर मुझसे चिपकते हुए बोले - एक क्या हजार पूछो, हक है तुम्हारा ।

मै अपने कंधे पर उन्के हाथ मह्सूस कर काप रही थी और जो सवाल मै रखने वाली उसके लिए मेरा दिल जोरो से धडक रहा था ।
हिम्मत कर मैने पूछा - आपको मै कैसे पसंद आ गयी ।

वो मुस्कुराए और एक आह भरके बोले - तुम मेरे स्वपन सुन्दरी हो
मै - मतल्व ? मै पहले भी आपके सपने मे आ चुकी हूँ
वो गरदन हिला कर हसते हुए - आहा वैसे नही , अरे लोग चाहते है ना कि मेरी होने वाली बीवी ऐसी हो वैसी हो , वो वाला

मै हसी - तो आपको मोटी बीवी चाहिये थी
वो खिलखिलाए - हाहाहा किसने कहा तुम मोटी हो , तुम जैसी हसिना के बस मै कलपनाए करता था । मगर तुम्हे उस दिन घर पर देख कर मेरा दिल आ गया तुम पर ।

मै - मेरी एक उल्झन है पूछू सच सच बताएगे ना
वो - हा तुमसे क्या छिपाना अब पूछो
मै खुद को तैयार करती हुई - नही पहले आप मेरी कसम खायिए कि झुठ नही कहेन्गे ।

वो कुछ सोच कर मुस्कराये - ठिक है तुम्हारी कसम बाबा अब पूछो ।

मैने एक गहरी आह भरी - मुझे समझ नही आ रहा है कि जब मेरा रिश्ता आपके भैया से तय हुआ था तो मेरी शादी आपसे कैसे हो गयी ।

वो भौचक्के रह गये और उठ कर खड़े हो गये उनका चेहरा लाल हो रहा था , सर्द मौसम मे भी माथे पर पसीने चढ आया - ये ये क क्या कह रही , मेरी शादी तो तुमसे ही हुई है ना , हमने फेरे लिये है मेरे नाम का सिन्दूर चढाया है तुम्हे

मै भी अब तैस मे थी - वही जवाब मुझे भी चाहिये कि जब मेरी शादी आपके भैया से तय हुई , मेरे नाम का तिलक भी आपके भैया को चढाया गया तो आप मेरे पति कैसे ?

वो बौखला गये और कुछ सोचते हुए - हा सही कह रही हो तुम , और शादी के दौरान भी हमने एकदुसरे को नही देखा था भैया की वजह से मै मेरी बीवी का उन्के सामने घूँघट उठा कर सिन्दूर नही भर सकता था इसीलिए घूँघट के भीतर ही सिन्दूर लगाया गया था । मगर तुम्हे यहा देख कर मैने सोचा शायद भगवान ने मेरी मुराद पूरी कर दी और तुमसे ही मेरी शादी हुई है ।

मै चौकी - हे भगवान ये क्या गड़बड़ हो गयी ।
वो - अच्छा तुम दोनो को यहा उपर कमरे तक कौन छोड़ने आया ।

मै हड़बडा कर दिमाग कर जोर देते हुए - अरे वो आपकी दीदी लोग थी उन्ही मे से किसी ने कहा कि ये वाला कमरा मेरा है और वो वाला कम्मो का ।

वो अजीब सा मुह बना कर - कम्मो कौन ?
मै - अरे कामिनी , उसे हम कम्मो ही कहते है
वो - ओहो लगता है कि दीदी लोगो ने मजाक मे गलत कमरा बता दिया ।

मै भौचक्की सी - तो अब ?
वो हड़बड़ा कर हाथ जोड़ते हुए - माफ किजियेगा भाभीई हमसे गलती हो गयी ।

मै एकाएक चौकी - भाभीई ?
वो - हा हा आप तो मेरी भाभी है , भगवान का शुक्र है कि आज मेरे से पाप होते होते रह गया ।

मेरी आंखे डबडबा गईं और मै रुआस होकर मेरे देवर की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी ।
देवर - अभी भी कुछ बिगड़ा नही है भाभी , आईये आपको मै लिवा चलता हु भैया के पास

मै चुप थी और खुद क साथ हुई ठगी के लिए अपनी ननदो को भर भर के गालियां दे रही थी मन ही मन , क्योकि एक बार फिर मेरा प्यार मेरे हाथ आकर भी बिछुड गया

वही मेरे देवर ने लालटेन उठाया और कमरे का दरवाजा खोला और हम लोग बगल वाले कमरे के करीब गये ।
बाहर तेज सर्द हवा चल रही थी और दूर सियार कुत्तो की हुंकार आ रही थी ।
मै दरवाजे से थोड़ी दुर खडी थी बाहर घुप्प अन्धेरा था लालटेन की रोशनी ही थी ।
वही मेरा देवर आगे बढा और दरवाजे के पास खड़ा होकर उसे खटखटाने को हुआ कि कुछ सुन कर वो रुक गया ।
वो झुका और घुटने के बल होकर दरवाजे के गैप से भीतर देखा तो उसकी आंखे फैल गयी ।

उसके हाथ से लालटेन फीट भर उपर से छुट कर गिरा और बूझ गया ।

जो थोड़ी बहुत रोशनी थी वो लालटेन बुझने से गायब हो गयी मै फिकर से - क्या हुआ
मेरा देवर उठा और शान्त होकर मेरे करीब आया

मै अंधेरे मे आहते मह्सूस कर - क्या हुआ बोलिए ना
देवर - भाभी जी आप खुद देख लिजिए , अब कुछ नही हो सकता मै बरबाद हो गया ।

मै हड़बडा कर दरवाज के कडे की वारिक छेद से आ रही थी महीन रोषनि से भीतर झाका तो देखा कि कमरे मे लालटेन की पीली रोशनी मे तेरे फूफा अपने भाई की बीवी को नन्गा करके चोद रहे थे

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भीतर का नजारा देख कर मेरा कलेजा काप उठा कर मै फफक कर रो पड़ि फिर सिस्कती हुई कमरे मे आ गयी ।
देवर जी भी मेरे पीछे चले आये ।

देवर - भाभी जी प्लीज आप रोयिये मत
मै बिलखती हुई - मै क्या कर बताओ आप ही मेरी तो दुनिया ही उजड़ गयी । हे भगवान मै क्या करून्गी अब ।

देवर - तो क्या सिर्फ़ आपकी ही दुनिया उजडी है मेरा कुछ नुकसान नही हुआ
अगले ही पल मैने देवर जी के बारेमे सोचा और महसुस किया कि धोखा तो उन्के साथ भी हुआ है ।
मै - तो अब क्या करेंगे हम लोग , क्या आपके भैया को भी नही पता था कि उनकी शादी किस्से हो रही है किस्से नही ।

देवर जी - अरे भाभी उन्होने तो किसी को भी नही देखा था ना आपको ना कामिनी को । रिश्ता लेके तो मै आया था ना बाऊजी के साथ

देवर जी की बात सुनकर मुझे कम्मो की बात याद आने लगी जब वो सीढियों पर चढती हुई कह रही थी कि दीदी आज तो मै ट्राई करने वाली हु और उसने चुदवा भी लिया वो भी मेरे पति से ।

मै डरती हुई - अगर घर मे किसी को इस गड़ब्ड़ के बारे मे पता चला तो मै जीते जी मर जाउंगी

मेरे देवर मेरे पास बैठ कर - भाभी प्लीज आप उल्टा सीधा सोचना बन्द करिये , कल सुबह ही हम भैया और कामिनी से इस बारे मे बात करेंगे ।


राज सीरियस और जिज्ञासु होकर - फिर क्या हुआ बुआ
शिला - बेटा फिर होना क्या था अगली सुबह सुबह हम चारो उसी कमरे मे बैठे थे । तेरे फुफा अपना सर पकड़े हुए थे और क्म्मो मेरे सीने से लगी बिलख रही थी । इनसब मे देवर जी ने समझदारी दिखाइ ।
देवर - भैया अब जो हुआ उसे अपना भाग्य समझ कर भुला दीजिये , अगर घर मे ये बात खुली तो बहुत बखेडा हो जायेगा और बदनामी होगी सो अलग ।

तेरे फूफा देवर जी के आगे हाथ जोड़ कर गिडगिडा रहे थे - मुझे माफ कर दे भाई , मैने जोश मे जरा भी अक्ल से काम नही लिया
देवर जी ने उनको रोका - प्लीज भैया इसमे ना आपको और ना ही क्म्मो की कोई गलती है ।

कम्मो नाम सुनकर तेरी बुआ चौकी कि देवर जी को उस्के घर का नाम कैस पता था मगर वो मुद्दा जरुरी नही था ।
बातें बढ़ती गयी और दिन चढ़ता गया ।
हमारा आपसी समझौता हो गया कि आज से जिसकी जिससे शादी हुई वो उसके साथ ही रहेगा अपना अच्छा बुरा नसीब समझ कर ।

मैने कम्मो को हौसला दिया और समझाया कि उसका पति बहुत ही अच्छा है वो तुझे इस बात के लिए कभी दोषी नही ठहरायेगा ।
पुरा दिन ऐसे ही निकल गया और फिर रात की बेला ढल चुकी थी ।
हम दोनो बहने वापस से अपने अपने कमरे मे गयी और आज कि रात हमारे पति बदल चुके थे ।

मै कमरे आई और तेरे फुफा को देख कर मेरी नजरे शर्म से नीची हो गयी , वो भी नजरे फेरे फेरे कपडे निकाल कर कर जल्दी से बिस्तर मे घुस गये , कुछ देर तक मै बैठी रही पलन्ग पर और कल की बीती बाते मेरे दिमाग मे चल रही थी ।
करीब 15 - 20 मिन्ट बाद आखिर तेरे फूफा ने चुप्पी तोड़ी - सुनो ! लेट जाओ कब तक बैठी रहोगी

मै बिना कुछ बोले लालटेन बूझा कर कम्बल मे आ गयी और सीधा लेट कर आंखे खोल कमरे की रोशदान से आ रही चांदनी को निहार रही थी ।

कुछ पल बाद वो बोले - क्या तुम अब भी मुझसे नाराज हो !
मै - जी , नही मै क्यू नाराज रहूँगी ।
वो सरककर मेरे करीब आते हुए - मुझे लगा कि शायद कल की बात को लेकर तुम नाराज हो इसीलिए बात नही कर रही हो ।

मै - नही ऐसी कोई बात नही है, उसने आपकी कोई गलती नही थी , वो बस नसीब की बात थी ।
वो मुस्कुरा कर - मै बहुत खुश हु
मुझे ये जवाव बहुत अजीब लगा कि इसमे खुश होने जैसा क्या है - हम्म्म्म
वो - पुछोगी नही क्यूँ
मै उखड़े मुह से - क्यूँ
वो मेरे और करीब आकर मेरी ओर करवट लेकर - इसीलिए कि मेरी शादि एक बहुत ही सुलझी और समझदार औरत से हुई है , नही लड़की से हुई है ।

उनका जवाब सुनकर मै हल्का सा मुस्कुराई , मतलब साफ था दिल बहलाने मे दो भाई एक जैसे ही थे ।
वो मेरे मुस्कुराहट की खनक सुन्कर - अच्छा तो आप हसती भी है उम्म्ंम

अचानक से मुझे मेरे पेट पर उनकी उंगलियाँ गुदगदाने लगी और मै खिलखिलाने लगी ।
और उन्होने कस के मुझे अपनी बाहो मे भर लिया ।
मेरा जिस्म कापने लगा ।
वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे कान मे बोले - आह्ह शीलू तुम कितनीईह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह मुलायम हो उम्म्ंम

मुझे बहुत अजीब सा लगा जब उनहोने मुझे शीलू कहा मुझे मेरे देवर का चेहरा आंखो के आगे नजर आया और मैने उन्हे अपना देवर समझ कर कस लिया ।

तभी वो बोले - इस्स्स कल से ही तड़प रही थी क्या मेरी जान
मगर उनकी आवाज सुनते ही मेरा सारा जोश उतर गया और मेरे हाथ ढीले हो गये ।
उन्होने मुझे कस कर अपने सीने से लगाया , ब्लाउज मे कसे हुए मेरे कबूतर उनके सीने से दब कर फड़कने लगे और उनके बड़े मजबूत पंजे मेरे कूल्हो को हथेली मे भरने लगे ।

" अह्ह्ह शीलू कितनी मोटी गाड है तेरी उह्ह्ह " उन्होंने साडी के उपर से मेरे चुतड़ मसले । मै गिनगिना गयी , मुझे बहुत अजीब सा मह्सुस हो रहा था ,

उन्होने मेरे सीने से पल्लु हटा कर मेरे ब्लाऊज के उपर से छातीया मिजने लगे मै कसम्साने लगी , चाह कर भी मै उन्हे रोक नही सकती थी क्योकि हमसब ने वादा किया था कि एक नये सिरे से जीवन शुरु हो अब और तेरे फूफा को रोकने का मतलब होता हमारा शुरु होता नवजीवन की डोर मे एक गाठ सी और पड जाती ।

मै बेमन से कसमसा रही थी और वो मेरे उपर चढ़े हुए मेरे ब्लाउज खोलकर बिना ब्रा वाली मेरी 36DD वाली गोल मतोल चुचिया मिजते मसलते चुस रहे थे ।
मुझ पर भी अब रह रह कर खुमारी आ रही थी

"अह्ह्ह शीलू तेरे दूध बहुत रसिले है उम्म्ंम सीई ऊहह " वो मेरे चुचिया मुह ने बदलते हुए बोले
फिर सरकते हुए निचे मेरी नाभि पर खेलने लगे ।
गीली जीभ जब मेरी नाभि मे नाचती तो मेरा जिस्म अकड़ने लगता और गाड़ उठा कर मै पटकने लगती

उन्होने मुझे घुमाया और घोड़ी बना कर मेरी साडी उपर कर दी , मै काप रही थी जिस तरह से वो मेरे नंगे फैले हुए चर्बीदार चुतड़ अपने दोनो हाथो से मसल रहे थे

" आह्ह शीलू मेरी जान क्या मस्त गाड़ है तेरी इतनी बड़ी और मुलायम उम्म्ंम सीह्ह्ह अह्ह्ह क्या खुशबू है " वो मेरे गाड़ की दरारो मे नथुने रगड़ कर बोले ।

उनकी इस हरकत से मै सिहर गयी , मेरे भितर भी काम ज्वाला उठने लगी और अगले ही पल मेरी पीठ गरदन अकड़ गयी , आंखे भींच गयि जब उन्होने मेरे गाड की फाको को फैलाते हुए मेरे गाड़ की सुराख पर अपनी गीली जीभ फिराई ।

मै सिसकी मेरे लिए ये अनोखा और एकदम से नया अनुभव था वो जीभ नचा नचा कर मेरी गाड चाट रहे थे और मै बिसतर की चादर मुठ्ठियो मे भरती अकड़ रही थी ।
उन्होने मेरे गाड़ फैलते हुए निचे जुबां ले जाकर मेरी रिसती चुत के कसे हुए फाको पर जीभ फिराई और मै सर से पाव तक थरथरा गयि ।

उम्म्ंम कितना नमकीन पानी है मेरी जान उह्ह्ह उम्म्ंम्ं सुउर्र्र्रृऊऊऊऊऊप्प्प्पअह्ह्ह

वो जीभ लगाये मेरी बुर चाट कर फाको मे जीभ घुसा रहे थे और सिस्कती अकड़ती रही ।

मुझे निचोड़ कर रख दिया उन्होने मेरे पाव काप रहे थे ऐसा पहले मेरे साथ कभी नही हुआ और ना ही मै कभी इतना झड़ी थी , अभी मै सम्भल रही थी कि बिस्तर पर हलचल हुई और कमरे माचिस जलने की आवाज के साथ उजाला हुआ
लालटेन की पीली रोशनी मे एक बार फिर कमरा नहा चुका था ।
मै अपनी साड़िया सही करती हुई उठ कर बैठ गयि और वो मेरे सामने अपने जिस्म से एक एक कपडा उतारने लगे ।
मै नजरे नीची किये हुए थी
वो पुरे नंगे चल कर आये और मेरे गालों को छुआ

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मैने नजरे उठा कर सामने देखा तो आधे हाथ का मोटा काला लन्ड लाल सुपाड़े के साथ फ़नकार मारता हुआ मेरे आगे था और वो उसे हिलाते हुए मेरे गाल छू रहे थे

मै नजरे उठा कर उनकी ओर अचरज से देखा तो उन्होने उस बिशाल मोटे नाग की ओर इशारा किया
मै डरते हुए हाथ बढा कर उसे थामा , उसकी तपिस से मेरा जिस्म थरथरा गया ,मै आंख बन्द कर काप रही थी ।

तभी मुझे मेरे सर पर उनका हाथ मह्सूस हुआ और वो मुझे लन्ड की ओर झुका रहे थे , मैने गरदन टाइट कर इसका विरोध किया तो वो बोले - प्लीज जान चुसो ना ।

मेरी आंखे फैल गयि उन्होने मुझे लन्ड चुसने के लिए कहा , पहले कभी मैने ऐसा कुछ नही किया था और वो मुझे दुलार कर लन्ड मेरे मुह के करीब ला रहे थे

मै उनका हाथ झटक कर - नहीई !!
वो मुस्कराये - करो ना अच्छा लगेगा और एक बार फिर वो मेरे गाल छू कर अपना लन्ड करीब लाने लगे

"घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊऊ घुउउउऊऊ घुउउउऊऊऊ "
" अरे किसका फोन आ गया " , राज खीझ कर शिला की ओर देख कर बोला जो हाथ मे मोबाईल लेके कुछ टाइप कर रही थी ।

शिला - अरे बेटा कुछ ज्यादा जरुरी नही है रुक बस मैसेज डाल दूँ दो मिंट

राज उठा और अपना लन्ड जो उसके पैंट मे अक्ड़ा हुआ था उसको मरोडता हुआ शिला की बाते सोचने लगा कि आगे क्या होने वाला था ।

जारी रहेगी
Bahut hi lajawab mujhe laga chote Bhai ki biwi ko bde Bhai ne pel diya to bdi bhabhi apne dewar ko hi apni seal tudwane degi kyunki wo use pasand bhi karti hai but khel ulta pad gya hai sayad bade Bhai ki hi lode me dono bahane likhi thi
 

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UPDATE 203

अमन के घर

" नही मम्मी जी मै अकेले कही नही गयी ऐसे "

"अरे शादी के बाद पति के साथ नही जायेगी तो क्या अब हमारे साथ जायेगी " , ममता ने सोनल को समझाते हुए कहा ।

सोनल - हा आप चलो ना साथ मे मम्मी , फिर मुझे डर भी नही लगेगा ।

ममता हस कर - अरे तुम जवाँ जोड़ो के बीच मेरा क्या काम हिहिहिही मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने जाऊ तु भी ना बहू हिहिहिही

सोनल हस कर - अरे इसमे बूढ़े जवाँ की क्या बात है, मुझे अपनी सासु मा का साथ मिलेगा इससे बढ कर क्या चाहिये ।

ममता- तेरी बात ठिक है बहू लेकिन ऐसे समाज मे बात खुली तो लोग बातें बनायेंगे कि शादी के बाद भी अपनी मा के पल्लू से बन्धा रहता है अमन ।

सोनल - तो रहने देते है ना , मुझे वैसे भी अकेले जाना अच्छा नही लगता ।

ममता - अरे तो अपने मायके से किसी को लिवा ले , कह तो समधन जी से बात करू मै ।

सोनल - अच्छा तो इसको लेके लोग बातें नही बनायेंगे कि ब्याहने के बाद ये (अमन) जोरू के गुलाम हो गये , अपनी सगी मा को छोड कर सास को घुमाने ले गये हिहिही

ममता हसने लगी - हे भगवान तु भी ना कम नही है हिहिहिही अच्छा तो तु ही बता किसको साथ लिवा जायेगी ।

सोनल तपाक से बोली - मेरे चाचा की लड़की है ना निशा , अगर आप कहो तो ?

ममता - हम्म्म्म मतलब तेरा पूरा पूरा मन है घूमने का हिहिहिही

सोनल - जी मम्मी और निशा मेरी बहन कम सहेली ज्यादा है तो उसके साथ होने से मुझे दिक्कत नही होगी और शायद इनको भी टेन्सन कम हो क्योकि ये (अमन )भी तो पहली बार मेरे साथ बाहर जायेंगे ।

ममता - हम्मम्म बात तो तेरी ठिक है लेकिन क्या उसके पापा मम्मी इस बात के लिए राजी होंगे

सोनल - हा क्यूँ नही , हम लोग घूमने ही जा रहे है ना

ममता सोनल के भोलेपन पर मुस्कुराई और सोचने लगी , कि ये तो सच मे बहुत मासूम है और अगर ऐसी लड़की लन्ड चुसने से इंकार कर दे तो कोई बड़ी बात नही ।

ममता - अच्छा ठिक है इस बारे मे मै आज अमन के पापा से बात करूंगी , तु आराम कर

फिर ममता कमरे से निकली और गलियारे से होकर जिने की ओर जा रही थी कि भोला ने पीछे से आकर उसको पकड कर उपर सीढ़ीयो पर खिंच ले गया

ममता - आह्ह क्या कर रहे है कोई देख लेगा
भोला - ये क्या है भाभी , आप तो अपना काम निपटा कर हमे भूल ही गयी । इतना बड़ा फरेब वो भी हमसे । क्या क्या नही किया मैने आपकी खातिर बोलो ।

ममता मुस्कुराये जा रही थी - अच्छा बाबा हुआ क्या ?
भोला - हुआ क्या ? अभी भी आप पुछ रही है हुआ क्या ? अरे शादी को दो दिन हो गये और आप अपना वादा भूल जा रही है, कल तो मै घर जा रहा हु ना

ममता - अरे इतनी जल्दी , दो दिन और रुक जाते , सोनल के मायके से लोग आ रहे है ना ।
भोला - हा उसके लिए संगीता और रिन्की रुकेगी लेकिन मै निकल जाऊंगा

ममता कुछ सोचती हुई - अच्छा!
भोला - देखो भाभी अब बहुत तरसा लिया आपने मुझे , आज रात मुझे चाहिये तो चाहिये

ममता इतरा कर मुस्कुराई - क्या ?
भोला तिलमिलाया और अपना मुसल रगड़ते हुए ममता की चुत को उसकी सलवार के उपर से सहलाता हुआ - आह्ह भाभी आपकी ये रसदार चुत देदो उह्ह्ह

ममता सिसकी और उसका हाथ झटक कर - क्या नंदोई जी आप भी , रात मे मिलते है ना अपने अड्डे पर

भोला - प्कका ना
ममता ने हा मे सर हिला कर - प्कका

फिर दोनो अलग हो गये ।
वही निचे मुरारी के कमरे मे अलग ही चर्चा हो रही थी ।

अमन मोबाईल मे अदाकारा मन्दाकीनि की एक बिकनी शूट वाली तस्वीर अपने बाप को दिखा रहा था ।

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मुरारी - वाह वाह वह बेटा तुने तो मौसम बना दिया अह्ह्ह क्या कटीली छमिया थी ये आह्ह

अमन - तो क्या मम्मी भी ऐसे ही दिखती थी पापा ?
मुरारी मोबाईल मे तस्वीर मे मन्दाकीनि के ब्रा मे उभरे हार्ड निप्स देखने मे खोया हुआ - हा हा बेटा बिल्कुल ऐसे ही ।

अमन - बताओ ना पापा क्या हुआ था उस दोपहर को

मुरारी अमन के सवाल पर ध्यान देता हुआ अपने मुसल को भींच कर - आह्ह उस दुपहर को घर पर कोई नही था , बस मै और तेरी मा थे ।
3 दिन से मै भीतर से जल रहा था । उस दिन वो मेरे लाये हुए ब्रा साध रही थी और उससे हुक नही लग रहे थे , मै बाहर झन्गले से भितर निहार रहा था और फिर उसने मुझे भितर बुलाया


अमन अपना मुसल मसल कर - फिर पापा
मुरारी - फिर मेरी नजर तेरी मा की पीठ पर गयि उसके जिस्म की मुलायम स्पर्श से मै पिघल गया और हम बहक गये

अमन - अरे वाह तो क्या आप सच मे खुद से खरीद कर मम्मी के लिए अंडरगार्मेंट्स लाये थे

मुरारी - हा भाई बहुत झेप मह्सूस होती थी और पता है दो बार साइज़ की वजह से बदलने जाना पड़ा सो अलग

अमन हसता हुआ - वाव पापा आप तब भी इतने रोमैंटिक थे हिहिहिही तो क्या ये रोमान्स अभी भी जारी है या

मुरारी - मतलब
अमन हस कर - अरे मतलब अब भी मम्मी के लिए आप वो सब लाते हो क्या ?
मुरारी - क्या , छे छे नही बिल्कुल नही ?

अमन - क्यू ?
मुरारी - अरे वो खुद से ले लेती है और ...

मुरारी बोल कर रुक गया फिर थोडा सोच कर - और उसका साइज़ तो यहा लोकल के बाजार मे मिलता ही कहा है तो कहा से लाऊ , अब तो सालों बीत गये

अमन - अरे पापा तो ऑनलाइन ऑर्डर कर लिया करो ना

मुरारी - अरे भाई मै 8वी पास आदमी हु फोन के ये गणित मेरी समझ से बाहर होते है , वैसे होता कैसे है ये ऑर्डर जो तु बता रहा है

अमन अपना मोबाईल खोलकर - अरे पापा ये देखो ये है शॉपिंग ऐप्प इसमे सब कुछ दुकान जैसा होता है , जो चाहिये सब मिलेगा ।

मुरारी - तो क्या इसमे तेरी मा की साइज़ के मिल जायेगे
अमन - हा बिल्कुल वो भी एक से बढ कर एक फैंसी डिजाईनर ।

मुरारी कुछ सोच कर - तो एक जोड़ी मगा ले , अगर सही हुआ तो और भी ऑर्डर करेंगे

अमन हस कर - अरे लेकिन मम्मी का साइज़ क्या है वो तो बताओ
मुरारी - अरे यार ये सम्स्या हो गयी , अब उसका साइज़ कैसे पता करू

अमन - अरे पुछ लो ना
मुरारी - नही भाई तु नही जानता ये औरतों के चोचले , अभी देखा नही घुमाने ना ले जाने के लिए कैसे ताना दिया ।

अमन हसने लगा - तो ?
मुरारी - अच्छा मै देखता हूँ फिर तुझसे बात करता हु ठिक है
अमन - ओके पापा , तो मै जाऊ
मुरारी - अह ठिक है लेकिन बेटा वो हीरोइन की और भी कुछ तस्वीरें निकालना ना

अमन हसता हुआ - जी पापा हिहिहिही



राज के घर

राज - किसका फ़ोन था बुआ , उफ्फ़ आप तो मजा किरकिरा कर रहे हो
शिला मुस्कुरा कर - बस हो गया बेटा आजा इधर

राज शिला के फिर से चिपका और उसकी चुचिया मिजते हुए - अब तो बताओ आगे क्या हुआ , चूसा आपने फुफा का मुसल

शिला - हम्म्म

वो मेरे हिसाब से बहुत आगे के इन्सान थे , पढ़ाई लिखाई और शहर मे कोचिंग क्लास भी लेते थे दोनो । उन्के मोर्डन खयालात मै उनकी चुत चुसाई से ही समझ गयी थी ।
वो - अह जान प्लीज मान जाओ ना , इसे बस कुल्फ़ी के जैसे चुबलाओ

मै भिन्की और मुझे यकीन हो गया कि मुझे ये करना ही पडेगा , उससे ज्यादा अफसोस इस बात का हो रहा था कि शायद अब मै आगे से कभी भी मलाई कुल्फ़ी ना खाउ , क्योकि जब भी खाउन्गी ये बात मेरे जहन मे जरुर आयेगी । मैने मुह खोलकर उनका लन्ड मुह ने लिया और वो सिहर उठे , दो चार बार मे मुझे उल्टी सा होने लगा और मैने मुह से निकाल दिया
वो - कोई बात नही मै तुम्हे सिखा दूँगा
उनकी बात से मुझे ये सोच कर हसी आई कि अब ये किस्का चुस कर मुझे दिखाएंगे हिहिहिही

मुझे मुस्कुराता पाकर उन्होने मुझे लिटा दिया और मेरी जान्घे एक बार फैली तो बस 20 मिंट तक फैली रही

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कभी मेरे उपर चढ कर तो कभी मेरी टांग कन्धे पर उठाए वो मेरे चुत के परख्चे उड़ाते रहे और मै सिसकती रही ।
उस रात दो बार मेरी हुमच कर पेलाई हुई और देह देह दर्द से चूर हो गया ।
फिर वो मुझे कस के पकड कर सो गये ।
अगली सुबह मेरी जिज्ञासा थी कि क्म्मो ने भी कल रात चुदाई की या नही ।
दोनो भाई जब निचे गये तो मै क्म्मो के पास रात का हाल लेने के लिए पहुची तो उसने ब्ताया कि उनके बीच कुछ नही हुआ । देवर जी बिस्तर पर आये ही नही वो अलग बिस्तर पर सोये थे ।
मै समझ गयी कि उनकी मुहब्बत मै थी ।
दिन गुजरने लगे , हम चारों मे धीरे धीरे मिठास भरने लगी , धीरे धीरे हम चारो मे असहजता कम होने लगी ।
इधर हर रात तेरे फूफा मेरी जमकर 2 से 3 बार चुदाई करते कभी कभी दिन मे भी । उनसे चुत चटवाने के लिए अब मै भी पागल होने लगी हर बार एक नया सा अह्सास होता था और वही दूसरी ओर कम्मो और देवर जी मे कोई रिश्ता नही पनप रहा था । हफते भर बाद भी दोनो के बीच नजदिजिका नही आई , कम्मो के अनुसार उसने कोसिस भी की उनके करीब जाने की मगर वो रुचि नही दिखाते थे ।
मैं भी अब परेशान होने लगी और तेरे फूफा से कतराने लगी क्योकि जैसा हमने तय किया था वैसा तो कुछ हो ही नही रहा था ।
आखिरकार रात मैने तेरे फुफा को सब बताया कि कैसे हफ्ते भर बाद ही देवर जी और क्म्मो एक दुसरे को अपना नही पाये है ।

वो - मुझे लगता है हमे एक बार फिर से दोनो को समझाना चाहिये , तुम क्या कहती हो ।
मै - अह जैसा आप ठिक समझे , लेकिन मै आपको कुछ ब्ताना चाहती हूँ जो अब तक मैने आपसे छिपाया है देवर जी को लेके ।

वो एक्म्द चुप हो गये फिर बोले - क्या बात है बताओ ना
मै - जी शादी के पहले से ही देवर जी मुझे पसंद करते थे और ...
फिर मैने तेरे फुफा को बताया कि कैसे सुहागरात पर देवर जी मुझे अपने दिल की बात बताई थी ।

वो - क्या ? तुमने पहले क्यू नही बताया और शायद यही वजह है कि वो क्म्मो के करीब होने से कतरा रहा है
मै - हम्म्म शायद
वो अफसोस करते हुए - हे भगवान ये मुझ्से क्या पाप पर पाप हो रहा है , पहले उसकी बीवी अब उसका प्यार भी छीन लिया मैने
मै - क्या बोल रहे है आप ?

वो - तुम उसका प्यार हो शिला , मै उस्का स्वभाव जानता हु वो कभी क्म्मो को नही अपनायेगा

मै चौक कर - क्या ?
वो - हा सच कह रहा हु , अगर ये बात तुम उस दिन बता देती तो शायद ये सब ना हुआ होता

मै - अब
वो - कल सुबह बात करते है

फिर अगली सुबह मिटिंग हुई और इस बार तेरे फूफा ने देवर जी डांट लगाई कि क्यू उसने ये बात पहले नही बताई और अब कम्मो का जीवन खराब कर रहा है ।
बहुत बात बहस हुई और तेरे फुफा ने बड़े भाई होने का हवाला देकर देवर जी को कसम दी कि वो वापस से मेरे साथ रहे और उन्होने क्म्मो की रजामंदी लेके उसके साथ रहने का फैसला किया । साथ मे ये भी तय हुआ कि समाज की नजर मे मै तेरे फुफा की बीवी रहूँगी और क्म्मो देवर जी की । संजोग कि बात थी उन दिनो मेरे सास ससुर मेरी ननद के यहा गये हुए थे तो कौन किसके कमरे मे है कोई देखने वाला नही था ।

फिर रात ढली और हफते भर बाद फिर से देवर जी मेरे साथ थे ।
फिर वही चुप्पी , मै बिस्तर पर बैठी रही और देवर जी निचे अलग बिस्तर लगाने लगे ।

मै - ये क्या कर रहे है आप उपर आईये
देवर - भाभी जी प्लीज मुझसे नही हो पायेगा , मुझे समय चाहिये

मै यही उचित सम्झा और उन्हे अलग सोने दिया , सारी रात मेरी चुत कुलबुलाती रही और ना मुझे नीद आई ना देवर जी को ।
अगली सुबह कम्मो से बात की तो पता चला तेरे फुफा ने रात मे दो बार हचक के पेलाई की उसकी ।
एक पल के लिए मुझे तेरे फुफा के चरित्र के लिए सवाल आते मगर ये सोच कर टाल देती कि मेरी बहन का जीवन सवर रहा है तो अच्छा ही है ।
दो रात बीती और देवर जी अलग ही सोये , मुह से सिर्फ भाभी ही निकलता ।

अगले दिन सोमवार था और हम चारो को मन्दिर जाना था । ऐसे मे हमे समाजिक रूप से शादी वाले जोड़े मे ही दिखना था , मतलब मै और तेरे फूफा एक साथ और क्म्मो देवर जी एक साथ ।

मंदिर की सीढियां उतरते समय हम दोनो जोड़े थोड़ी थोड़ी दुरी पर थे और मेरी तेरे फुफा से बात हो रही थी देवर जी को लेके ।

वो - क्या हुआ तुम उदास हो ,
मै - मुझे उनका कुछ समझ नही आ रहा है , वो बस यही कहते है कि उन्हे समय चाहिये ।
वो - तो क्या तुम दो दिन से ऐसे ही
मै लजाई और मुस्कराई - मेरा छोडिए , अपना बताईये याद तो आती नही होगी मेरी उम्म्ं

वो थोडा हस कर - कैसी बात कर रही हो जान
मैने उन्हे घूरा और वो हसते हुए - हा और क्या तुम मेरी हमेशा से जान ही रहोगी , तुम्हारी चुत का स्वाद मै कैसे भूल सकता हु

उनकी बाते सुन कर मै भितर से मचल उठी और बोली - क्यू मेरी बहन के स्वाद मे कही है क्या
वो - उसका अपना ही नशा है , वो तुम्हारी तरह चुसने से घबराती नही खड़ा खड़ा ही घोंट जाती है

मै तुन्की - हुह तो मेरे पीछे क्यू पडे है जाईये चुसवाईए उसी से
वो - आह्ह जान नाराज ना हो , तुम्हारी चुत के रस का उस्से कोई मुकाबला तुम दोनो बहने अपनी अपनी जगह पर लाजवाब हो

मै मुस्कराई और पास आते हुए क्म्मो-देवर जी की ओर इशारा करके बोली - अपना छोडिए ये बताईये इनका क्या होगा , कुछ सोचा आपने

वो - आज दुपहर मे रामू (रामसिंह) बाजार जा रहा है कुछ काम से गौशाला मे मिलो मुझे बताता हु

मै समझ गयी कि मेरी रग्दाई पक्की थी और हुआ भी ऐसा ही
मेरे ब्लाउज खुले थे और चुचे हवा के झूल रहे थे और मेरी साडी पेतिकोट उठा कर वो मेरे चुत पर टूट पड़े थे मै सिस्कती कसम्साती अकड़ती उनका सर पकड कर अपनी चुत पर मले जा रही थी

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" अह्ह्ह मेरे राजा कब तक हम ऐसे तड़पेन्गे ऊहह , आपको तो हर रोज नई नई मिल जा रही है कभी हम बहनो का दर्द नही सोचते " मै मदहोश होकर उनका सर अपनी बुर पर दरती हुई सिस्कती हुई बोली ।

वो उठे और मेरे रस से लिभडाए होठो से मेरे लाल रसिले होठों को चुसते हुए बोले - तुम्हारे लिये हम भी कम नही तड़पते मेरी जान, तुम्हारी रसिली जवानी का स्वाद हर पल मुझे सताता है ।

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मै तुनकी और उन्होने मुझे पीछे से धर लिया , उन्के पन्जे मेरे फुल सी नाजुक अमियों मे मिसलने लगी और वो उनका रस गारते हुए कसकर मरोडने लगे , उनका मोटा खुन्टा पीछे मेरे चुतडो पर ठोकर मार रहा था ।
लपक कर मैने भी उसको पजामे के उपर से धर लिया और मुठियाते हुए - देखीये अब ये मुझसे ये बेचैनी और सही नही जायेगी , या तो आप मेरे पास आ जाईये या फिर कहिये अपने भाई को मेरी जरूरते पूरी करे अह्ह्ह सीईई

वो मेरे जोबन मसलते हुए - आह्ह जान तुम खुद को कम क्यू आंकती हो , अरे वो तुम्हारे इन्ही रसभरे जोबनो और इन मोटे चुतडो का दिवाना है , दिखाओ ना उसे अपने जलवे आह्ह ।

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मैने कुछ सोचा और अपनी साडी उठाते हुए उनके आगे झुक गयी और उन्होने लन्ड बाहर निकाल कर पीछे से ही मेरी चुत मे दे दिया , मै झटके खाती रही और वो मुझे हचक हचक कर पेलते रहे फिर मरी गाड़ पर झड़ कर निकल गये ।

मुझे अब तेरे फुफा की बातें सही लगने लगी कि इस तपस्वी की साधना मुझे ही भन्ग करनी पड़ेगी ।
शाम को देवर जी वापस आये और आंगन ने बैठे हुए थे ।
मै अपने आंचल को ढील दी और ब्लाउज के दो हुक खोल दिये और उन्के आगे चाय रखने के साथ मेरा जोबन से मेरा पल्लू सरक कर कलाई मे आ गया
मुलायम गहरी लम्बी खाईदार छातियों पर उनकी नजरे पड़ी

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और मैने अंजान होने का नाटक कर अपना आचल सम्भालते हुए खड़ी हुई और कोमल मुलायम पेट दिखाते हुए उनको अपनी कामुक नाभि के दिदार कराते हुए बडी मादक चाल से रसोई ने चली गयी ।
वही रसोई मे खड़ी कम्मो मेरी हरकते देख कर मेरे मजे लेने लगी ।
मै - अरे तेरा क्या है , तुझे तो रोज मिल रहा है , जबसे ये (मानसिंह) तेरे पास गये है मेरी तो हालत खराब हो गयि है ।

कम्मो - हा जीजी और वो लेते भी हचक के है ,मेरी तो कमर मे लचक आ जाती है ।
मै - कल रात कितनी बार हुआ तेरा
कम्मो - दो बार पर तय ही समझो और आज सुबह सुबह मै पेट के बल सोई थी , मेरे उठे हुए नितंब देख कर जोश मे आ गये और हिहिहिही

मुझे थोड़ी जलन हुई और मेरा बिगड़ा मुह देख कर क्म्मो मेरे कन्धे पर हाथ रख - चिंता ना करो दीदी , सब ठिक हो जायेगा शायद इन्हे कुछ वक़्त लगे मगर ये आपको जरुर प्यार देंगे आखिर इनका प्यार आप ही हो ना ।

मै कम्मो की बात पर बस हुन्कारि भरी मगर भीतर से मै ही जानती थी कि मै क्या मह्सूस कर रही थी

रात चढने लगी और एक बार फिर देवर जी निचे बिस्तर लगाने लगे तो मै भी उनके पास बैठ गयी सट कर ।

देवर - क्या हुआ भाभी
मै इठला कर - आपको नही पता क्या हुआ , मुझे तो लगता है आप उस रात बस बाते बना रहे थे हुह सचमुच का प्यार तो कभी आपको मुझसे था ही नही ।

देवर - नही नही शीलू मेरा प्यार ... स सॉरी भाभीई

मैने उनका हाथ पकडा और अपने सीने पर रखते हुए - खाईये मेरी कसम कि आपको मुझसे प्यार है

उनका हाथ कापने लगा और होठ सुखने लगे - भाभीई वो वो मै वो
मै खीझ कर- क्या भाभी भाभी लगा रखा है, मै आपकी बिवी हु समझे
वो - अह लेकिन मेरा दिल इस बात की गवाही नही देता , मैने तो कम्मो की मांग भरी है
मै भुनक कर उठी और उन्हे खिंच कर - बस मांग भरने को ही आप शादी मान्ते है तो आईये , चलिये आईये

वो भौचक्के मुझे निहारते रहे और मै उन्हे कमरे के मंदिर के पास लेके आई और मेरे हाथ मे सिन्दूर की डिबिया थी - लिजिए और भर दीजिये मेरी मांग और बना लिजिए मुझे अपना

देवर - अह भाभी ये मै कैसे
मै - अगर आपको सच मे मुझसे प्यार है तो आप मेरी माग जरुर भरेंगे , आपको मेरी कसम है
देवर - शीलू ये तुम
मै उन्के मुह से अपना नाम सुन्कर कर मुस्कुराई - अब भर भी दो ना जानू
वो खिले और मेरी मांग भर दी मैने उन्हे कस कर गले लगा लिया ।

वो भी मुझे कस कर फफक पडे और मुझे चूमने लगे मै मदहोश होने लगी और वो मुझे पीछे से जकड कर मेरी छातियां मिजने लगे

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देवर - अह्ह्ह शीलू तुम्हारे दूध सच मे कितने मोटे है ऊहह , ना जाने कब से तड़प रहा था इन्हे छूने को ऊहह मेरी जान

मै - आह्ह मै भी तो आपके स्पर्श के लिए पागल हो रही थी
वो जल्दी जल्दी मेरे बलाऊज खोल्कर मुझे कमरे की दिवाल से ल्गा दिये और आगे से दोनो हाथो मे मेरी चुचियां पकड कर उन्हे निहारते हुए - अह्ह्ह कितने मुलायम है ये ऊहह खा लू क्या मेरी जान

मै मुस्कुराई और बोली -सोच लो आपके भैया ने जूठा किया है इन्हे

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वो मुस्कुराये और मेरे एक निप्प्ल को मुह मे निचोड कर बोले - हम दोनो भाई बचपन से ही एक दूसरे का जूठा खाते आये है मेरी जान उम्म्ंम

वो मेरे जोबनो पर टूट पड़े और पागल होने लगी
वो मेरी जान्घे पकड कर उपर खिंचते हुए पजामे के भीतर से ही मेरी चुत पर अपना लन्ड घिसने लगे और मै ऊनके टोपे की ठोकर से सिस्क पड़ी- अह्ह्ह मेरे राजा निकालो ना बाहर उसे
देवर - क्या मेरी जान

मैने लपक कर पजामे के बने तम्बू की बास को हाथ मे जकड लिया - अह्ह्ह येह्ह्ह उम्म्ंम्ं चाहिये मुझे उह्ह्ह

वो मेरे सर को पकड़ कर निचे करते हुए - तो जाओ लेलो तुम्हारा ही है मेरी जान
मै समझ गयि कि दोनो भाइयो को लन्ड चुसवाने का शौक है और मै इस बार खुशी निचे बैठ गयी , पजामा खोला तो इस बार और भी मोटा मुसल मेरे आगे था । देवर जी के मुसल की मोटाई तेरे फुफा से ज्यादा थी ।

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मै उसको चूमने से खुद को रोक ना सकी और मुह मे लेके चुबलाने लगी , वो हवा मे उड़ने लगे और सिस्कते हुए मेरे सर को सहलाने लगे - अह्ह्ह शीलू मेरी जान उह्ह्ह उहम्म और चुस मेरी रानी उह्ह्ह
2 मिंट मे ही मेरे गाल जवाब दे गये और वो पुरा मोटा फौलादी खुन्टा पुरा तप रहा था ।
उन्होंने मुझे लिटाया और मेरी चुत के मुहाने पर सेट करते हुए हचाक से लन्ड आधा उतार दिया
मेरी चुत की दीवारे फैल गयी और मेरी चिख भी गूंजने लगी । फचर फचर मेरी बुर रस छोड रही थी और थप्प थप्प उनकी जान्घे मेरी जांघो से टकरा रही थी

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लन्ड मेरी बुर के जड़ो मे चोट कर रहा था । वो मेरे उपर चढ़े हुए हचक ह्चक के पेल रहे थे ।

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फिर मेरे पेट पर ही झड़ गये ।

जोश मे उस रात पुरे 3 बार मेरी ठुकाई हुई और हम चिपक कर सो गये ।

अगले 3 4 दिन हमने खुब चुदाई की हम दोनो बहने अब खुश थी , इधर दिन मे मौका मिलने पर तेरे फूफा कभी कभी मुझे दबोच लेते और मै उनके साथ खुल कर पेलाई करवाति ।
फिर एक दिन मेरे सास ससुर ननद के यहा से वापस आ गये ।
अब जहा हम चारो खुल कर अदला-बदली कर रहे थे उसमे सम्स्या आ गयी थी ।
रात मे मैनेज किया जा सकता था मगर दिन मे तो मुझे तेरे फुफा के साथ और देवर जी को क्म्मो के कमरे मे ही रहना पडेगा । ऐसा तय किया गया ।

फिर उसके बाद से दिन मे मै तेरे फूफा के साथ होती थी और रात मे देवर जी आते थे मेरे पास , बस तबसे हमारा रिश्ता यू ही बना हुआ है और तबसे मेरे दो पति है समझा ।

राज ने एक जोर की अंगड़ाई ली और अपना लन्ड मसलता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी स्टोरी तो सच मे मजेदार थी इह्ह्ह मूड बना दिया आपने ।

राज - अच्छा लेकिन वो उस रात जो मैने देखा था, छोटी बुआ दोनो फूफा के साथ । छोटे फूफा तो सिर्फ आपको पसंद करते थे ना फिर वो बड़े फूफा के साथ कैसे ?

शिला मुस्कुराई - वो हुआ यू था कि .....
तभी कमरे के दरवाजे पर खटखट हुई और बाहर से राज की मा रागिनी शिला को आवाज दे रही थी ।


जारी रहेगी
Kahani poori hui bua ki, kaafi romanchak thi, bhai aur bahano ke pyar mein jindagi sanwar gayi, kahani khatam hai Ragini aa chuki hai, ab dekhte hain kahani kya mod leti hai.
Behatareen update
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Ek dam dhasu update diya bhai ji maja aa gya padne me kya kamuk sean likhte h aap

But bhai ji agle update me arun or salini ka kuch kamuk sean likh do to maja dugna ho jaye

Dekhte h aage kya kya hota h mami bhanje ki kamuka se parichit hogi yaa ek maa apne beteo ki kam agni tandi karegi

Waise bhai ji aap ke regular update krne k liye bht bht sukriya
Bahut bahut dhanywaad
 
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