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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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# 15

"मैं समझ गया साहब, अपना दूसरा वाला सेल्समैन ठीक बोलता था, आप फिल्म का आदमी है।
साहब वैसे एक्टिंग मैं भी अच्छी कर लेता हूँ, दिखाऊं।"

"नहीं , तुम गलत समझ रहे हो। मैं कोई फ़िल्मी आदमी नहीं हूँ। मुझे सचमुच इस लिबास को पहनकर किसी का कत्ल करना है और मैंने बिल में अपना नाम-पता इसलिये लिखवाया है, क्यों कि बिल की डुप्लीकेट कॉपी तुम्हारे पास रहेगी।

यह कपड़े पुलिस बरामद करेगी, इन पर खून लगा होगा, तहकीकात करते-करते पुलिस यहाँ तक पहुंचेगी, क्यों कि इन कपड़ों की खरीददारी का यह बिल उस वक्त ओवरकोट की जेब में होगा।"

सेल्समन हैरत से रोमेश को देख रहा था।

"फिर… फिर क्या होगा साहब?" उसने हकलाए स्वर में पूछा।

"पुलिस यहाँ पहुंचेगी, बिल देखने के बाद तुम्हें याद आ जायेगा कि यहाँ इन कपड़ों को मैं खरीदने आया था। तुम उन्हें बताओगे कि मैंने कपड़ों को पहनकर खून करने के लिए कहा था और इसीलिये यह कपड़े खरीदे थे।"

"ठीक है फिर।"

"फिर यह होगा कि पुलिस तुम्हें गवाह बनायेगी।" रोमेश ने उसका कंधा थपथपा कर कहा,

"अदालत में तुम्हें पेश किया जायेगा, मैं वहाँ कटघरे में मुलजिम बनकर खड़ा होऊंगा। मुझे देखते ही तुम चीख-चीखकर कहना, योर ऑनर यही वह शख्स है, जो 31 दिसम्बर को हमारी दुकान पर आया और यह कपड़े जो सामने रखे हैं, इसने खून करने के लिए खरीदे थे। मुझसे कहा था।" कुछ रुककर रोमेश बोला,

"क्या कहा था ?"

"ऐं !" सेल्समैन जैसे सोते से जागा। "क्या कहा था ?"

"ख… खून करूंगा, कपड़े पहनकर।"

"शाबास।" रोमेश ने भुगतान किया और सेल्समैन को स्तब्ध छोड़कर बाहर निकल गया।

"साला क्या सस्पेंस वाली स्टोरी सुना गया।" रोमेश के जाने के बाद सेल्समैन को जैसे होश आया,


"फिल्म सुपर हिट हो के रहेगा, जब मुझको सांप सूंघ गया, तो पब्लिक का क्या होगा ? क्या स्टोरी है यार, खून करने वाला गवाह भी पहले खुद तैयार करता फिर रहाहै। पुलिस की पूरी मदद करता है।"

"अपुन को पता था, वह फिल्म का आदमी है, तेरे को काम मांगना था यार चंदूलाल।"

"मैं जरा डायलॉग ठीक से याद कर लूं।" चंदू एक्शन में आया,

"देख सामने अदालत… कुर्सी पर बैठा जज, कैमरा इधर से टर्न हो रहा है, कोर्ट का पूरा सीन दिखाता है और फिर मुझ पर ठहरता है… बोल एक्शन।"

"एक्शन!" दूसरे सेल्समैन ने कहा।

"योर ऑनर।" चन्दू ने शॉट बनाया,

"यह शख्स जो कटघरे में खड़ा है, इसका नाम है रोमेश सक्सेना, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि कत्ल इसी ने किया है और यह कपड़े, यह कपड़े योर ऑनर।"

"कट।" दूसरे सेल्समैन ने सीन काट दिया।

"क्या हो रहा है यह सब?" अचानक डिपार्टमेन्टल स्टोर का मालिक राउण्ड पर आगया।

दोनों सेल्समैन सकपका कर बगलें झांकने लगे। फिर उन्होंने धीरे-धीरे सारी बात मालिक को बता दी। मालिक भी जोर से हँसने लगा। साला हमारा दुकान का पब्लिसिटी होयेंगा फ्री में। सेल्समैन भी मालिक के साथ हँसने लगे। बारह बजते ही पटाखे छूटने लगे। नया साल शुरू हो गया था, आतिशबाजी और पटाखों के साथ युवक-युवतियों के झुंड सड़कों पर आ गये थे, रोमेश ने जू बीच से मोटर साइकिल स्टार्ट की, वह अब भी उसी गेटअप में था। एक टेलीफोन बूथ के सामने उसने मोटर साइकिल रोकी। बूथ में घुस गया और जनार्दन नागा रेड्डी का फोन नम्बर डायल किया। फोन बजते ही उसने कोड बोला। कुछ क्षण बाद ही जे.एन. फोन पर था।

"हैलो, जे.एन. स्पीकिंग ! कौन बोल रहा है ?"

"नया साल मुबारक।" "तुमको भी मुबारक।" जे.एन. ने उत्तर दिया,

"आवाज पहचानने में नहीं आ रही है, कौन हो भई ?"

"तुम्हारा होने वाला कातिल।"

"क्या बोला ?"

"तुम्हारा होने वाला कातिल।" दूसरी तरफ कुछ पल खामोशी छाई रही, फिर जे.एन. बोला,

"मजाक छोड़ो भाई, अभी बहुत से लोगों की बधाई आ रही है, उनका भी तो फोन सुनना है।"

"मैं ज्यादा वक्त नहीं लूंगा एक्स चीफ मिनिस्टर ! मैं यकीनी तौर पर तुम्हारा होने वाला कातिल ही बोल रहा हूँ। जल्दी ही मैं तुम्हें तुम्हारी मौत की तारीख भी बता दूँगा। अभी मैंने तुम्हारा कत्ल करने के लिए पोशाक खरीदी है, बस यही इत्तला देनी थी।" उसके बाद रोमेश ने फोन काट दिया। उसके बाद वह तेजी से अपने फ्लैट की तरफ रवाना हो गया। नया साल शुरू हो गया था।

रोमेश अब अपने फ्लैट पर तन्हा रहता था, वह अपने परिचितों में से किसी का फोन नहीं सुनता था। सुबह ही निकल जाता था और देर रात तक घर लौटता था। रोमेश ने फिर वही लिबास पहना और मोटर साइकिल लेकर सड़कों पर घूमने लगा। जहाँ वह रुकता, लोग हैरत से देखते, रास्ते में उससे परिचित भी टकरा जाते थे।

मुम्बई में दिन तो गरम होता ही है, उस पर कोई ओवरकोट पहनकर निकले तो अजूबा ही होगा। रोमेश अजूबा ही बनता जा रहा था। दो जनवरी को वह विक्टोरिया टर्मिनल पर घूम रहा था। घूमते-घूमते वह फुटपाथ पर चाकू छुरी बेचने वाले की एक दुकान पर रुका।

"ले लो भई, ले लो। रामपुरी से लेकर छप्पनछुरी तक सब माल मिलता है।" चाकू छुरी बेचने वाला आवाज लगा रहा था।

"ऐ !" रोमेश ने उसे आवाज़ दी।

"आओ साहब, बोलो क्या मांगता? किचन की छुरी या चाकू, छोटा बड़ा सब मिलेगा।"

"रामपुरी बड़ा, तेरह इंच से ऊपर।"


"समझा साहब।" छुरी बेचने वाले ने पास खड़े एक लड़के को बुलाया,

"करीम भाई के जाने का, बोलो राजा ने बढ़िया वाला रामपुरी मंगाया, भाग के जाना।" लड़का भागकर गया और पांच मिनट से पहले आ गया, उसने एक थैला छुरी बेचने वाले को थमा दिया।

"बड़ा चाकू, असली रामपुरी ! यह देखो, पसन्द कर लो।" रोमेश ने एक रामपुरी पसन्द किया।

"यह ठीक है, कितने का है ?"

"पच्चहत्तर का साहब ! सेवन्टी फाइव ओनली ! कम ज्यादा कुछ नहीं , एक दाम।"

"ठीक है, एक बिल बनाओ। उस पर हमारा नाम पता लिखो, रोमेश सक्सेना।"

"अरे साहब, हम फुटपाथ का धन्धा करने वाला आदमी। अपुन के पास बिल कहाँ साब, बिल तो बड़ी दुकान पर बनता है।"

"देखो राजा, राजा है ना तुम्हारा नाम।"

"बरोबर साहब।"


"हम तुमको सौ रुपया देगा, चाहे सादा कागज पर डुप्लीकेट बनाओ, कार्बन लगा के। कार्बन कॉपी तुम अपने पास रखना, उस पर लिखो राजा फुटपाथ वाले ने सेवण्टी फाईव में चाकू रोमेश को आज की तारीख में बेचा। मैं पच्चीस रुपया फालतू दूंगा।"

"ये बात है साहब, तो हम बना देगा। मगर कोई लफड़ा तो नहीं होगा साहब।"

"नहीं ।" अब राजा कागज और कार्बन ले आया। जो रोमेश सक्सेना बोलता रहा , वह लिखता रहा , फिर कार्बन कॉपी अपने पास रखकर बिल रोमेश को दे दिया।

"एक बात समझ में नहीं आया साहब।" सौ का नोट लेने के बाद राजा बोला।

"क्या ?"

"कच्चा बिल लेने के लिए आपने पच्चीस रुपया खर्च किया, ऐसा तो आप खुद बना सकता था ।"

"हाँ , मगर उस सूरत में गवाही देने कौन आता।"

"गवाही, कैसा गवाही ?"

"देखो राजा, तुम्हारा यह रामपुरी बहुत खुशनसीब है। क्यों कि इससे एक वी.आई.पी. का मर्डर होने वाला है।"

"क्यों मजाक करता साहब, मेरे को डराता है क्या ? इधर गुण्डे-मवाली लोग भी चाकू खरीदते हैं, लेकिन इस तरह मर्डर की बात कोई नहीं बोलता।"

"वह गुण्डे-मवाली होंगे, जो कत्ल की वारदात करके छुपाते हैं। लेकिन मैं उस तरह का गुण्डा नहीं हूँ, वैसे भी मुझे बस एक ही खून करना है और वह खून इस रामपुरी से होगा।" रोमेश ने रामपुरी खोलते हुए कहा,


"इसी लिये मैंने बिल लिखवाया है, रामपुरी बरामद करने के साथ पुलिस को यह बिल भी मिल जायेगा। तब उसे पता चलेगा कि रामपुरी तुम्हारे यहाँ से खरीदा गया।" राजा के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगीं।


"अदा लत में यह रामपुरी तुझे दिखाया जायेगा, उस वक्त मैं कटघरे में खड़ा रहूँगा। तुम कहोगे, हाँ योर ऑनर, मैं इसे जानता हूँ, यह मशहूर वकील रोमेश सक्सेना है।" आसपास कुछ लोग जमा हो गये थे।


"अरे यह तो मशहूर वकील रोमेश है।" जमा होते लोगों में से कोई बोला। राजा के तो छक्के छूट रहे थे।

"मेरे को पसीना मत दिलाओ साहब, कभी किसी वकील ने किसी का कत्ल किया है क्या? यह तो फिल्म की स्टोरी है।"

"नहीं, मैं तुम्हें अपने जुर्म का गवाह बनाने आया हूँ। दुकान छोड़कर भागेगा, तब भी पुलिस तुझे तलाश कर लेगी।"

"पर मैंने किया क्या है ?"

"तूने वह चाकू मुझे बेचा है, जिससे मैं खून करूंगा। लेकिन तुझे कोई पनिशमेन्ट नहीं मिलेगा, तू सिर्फ गवाह बनकर अदालत में आयेगा।"


"मुझे रामपुरी वापिस दे दो माई बाप, सौ के डेढ़ सौ ले लो।"

राजा गिड़गिड़ाने लगा। "नहीं, इससे ही मुझे खून करना है।" रोमेश ने जोर से कहा,

"तुम सब लोग भी सुन लो, मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना इस रामपुरी से कत्ल करने जा रहा हूँ।"

"पागल हो गया, रास्ता छोड़ो भाई।" भीड़ में से कोई बोला।

"ओ आजू बाजू हो जाओ, कहीं तुममें से ही यह किसी का खून न कर दे।" रोमेश ने चाकू बन्द करके जेब में रखा, मोटर साइकिल पर किक लगा दी और फर्राटे के साथ आगे बढ़ गया। शाम ढल रही थी और फिर मुम्बई रात की बाहों में झिलमिलाने लगी। रोमेश घूमता रहा।



जारी रहेगा…✍️✍️
 

Raj_sharma

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वाह भाई बहुत ही शानदार अपडेट लिखें है एक दम रोमांच पैदा हो गया.... मुझे यहां सीमा का झोल भी नज़र आ रहा है वो इतनी आसानी से घर नहीं छोड़ सकती हो सकता है सब कुछ प्री प्लान्ड है मुख्यमंत्री के पी ए ने कुछ पैसे दिए हों कि उसका पति मान जाये.... या हो सकता है शंकर रेड्डी जनार्दन रेड्डी का बेटा हो / भाई हो और अपने बाप/भाई को मरवा कर खुद ही सत्ता हासिल करना चाहता हो.... क्योंकि सीधा पच्चीस लाख रुपए बोला तो कुछ तो तगड़ा झोल है और हो सकता है सीमा का कोई लिंक हो शंकर रेड्डी के साथ क्लब जो जाती है

मस्त अपडेट

Mast dhamakedar update

To akhir kar romesh ne janardan ko marne ka faisla kar hi liya shankar ki bat man li akhirkar usne lekin shankar katla karwakar bhi romesh se pichha chhuda sakta tha lekin usne romesh ko kaha ha ki use katl karke adalat se bari hoke ana ha jaise ki bahar uska koi chahne wala uska intezar kar raha hoga jo use jail me nahi dekhna chhahta ab wo sima hi ho sakti ha or jo bich me sima ke secret cousin ki bat hui thi kahin wo shankar to nahi kya pata seema ke sath wo sab kuchh hone ke bad uske man me badle ki bhavna jagi ho or uska badla tab pura ho jab romesh yani uska pyar janardan ko mar de jisse romesh ki bhi dil ki agg shant ho jaye kyonki 25 lakh seema or shankar dono me common ha or ye mahaj ittefak to ho nahi sakta

Idhar shefali ki sari jimmedariyan sambhal ke romesh nikal chuka ha janardan ko marne uski puri jankari nikal chuka ha ab dekhte han ki kaise marta ha wo janardan ko or fir kaise bachata ha wo khud ko

Reverse psychology....

Very Brilliant update Raj_sharma bhai
To Romesh ne advance leleya sath me Black dress bhi
Ab to Romesh ne apna office Vaishali ko dedia sath me apne pending case bhi
Ab lgta hai such me Romesh vakalat chod raha hai
Lekin ye kya nyaaa jhooll ker raha hai Romesh dukan wale ko bata raha hai kisi ka khoon karne ke leye ye sab ker raha hai

लेकिन जैसे जोकर वाली हरकते कर शॉप पर दिखा रहा है उससे तो कुछ और ही लग रहा है

Bahut hi shandar update Raj_sharma Bhai,

Aakhirkar romesh JN ka murder karne ke liye raaji ho gaya...............

Vaishali ko apna successor bana kar usne apne aap ko ek tarah se jimmedari se free kar liya he.......

Lekin is tarah shopping kar raha aur bata bhi raha ke vo ek murder karne wala he............kuch ajeeb sa lag rha he

Keep rocking bro

Super duper gazab thriller
✔️✔️✔️✔️✔️
💯💯💯💯
👌👌👌

वाह भाई क्या ग़ज़ब इमोशंस से भरपूर अपडेट दिया है आपने , आख़िरकार रोमेश क़त्ल करने के लिए मान ही गया

शंकर की शर्ते भी कमाल है करना भी है और बरी भी होना है। प्यार क्या क्या नहीं करवाएगा रोमेश से।

दुकान पर रोमेश की हरकते शायद उसकी कोर्ट केस मैं दलील जो होने वाली है उसी की योजना लग रही है।
वैशाली को काफ़ी बड़ी ज़िम्मेदारी दे गया रोमेश ।

किसी कहानी से अपने पाठको को जोड़ लेना एक लेखक के लिए बहुत अहम होता है मुझे वही फ़ीलिंग्स इस अपडेट के साथ बहुत अच्छे से महसूस हुई है ।

मेरा दिल कहता है सीमा इस पूरे प्रकरण से पाक साफ़ बाहर निकलेगी बाक़ी आपने क्या सोचा है वो अहम है
हम तो पाठक है लेखक जिस से अपनी लेखनी के दम पर प्यार करवाएगा कर लेंगे ।

ये अपडेट अपने आप मैं बहुत उम्दा है और कई आने वाले उच्च कोटि के अपडेट का आधार बनेगा ।
बहुत ही अच्छे लेखन का मुज़ायरा दोस्त ।

हमारे कॉंट्रैक्ट के हिसाब से अब मेरी आगे की पेमेंट कर देना भाई 😂

और मेरी सीमा डार्लिंग का ध्यान रखना

Bahut badia lekhni adhbhut update update Lajawab Jabardast superb romanchak ekdum dhasu 👌 👌:yes1::rock1::ban::thankyou:

Nice and superb update....

Nice update....

Mast update hai, Romesh badla lena chahta hai to apne sare karibi logo se dur reh raha hai. Ab dekhna yeh rahega ki wo katl kese karega aur usse ke ilzaam se bari kese hoga

बहुत ही सुंदर लाजवाब और रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर वकील बाबू ने मुख्यमंत्री की हत्या करने का शंकर का प्रस्ताव स्विकार कर के दस लाख रुपये पेशगी ले ली वही शंकर ने अपनी असलियत छुपा के रखी. रोमेश ने पहला काम ये किया की अपने चाहने वालों से दुरी बना कर उन्हे आने वाले खतरों से दूर कर दिया साथ ही साथ वैशाली को अपने सभी केस और अपना चेंबर भी सौप दिया और ये करने का कारण भी बता दिया
फिर शुरु हुई जे एन की तहकिकात वहा भी उसे उसकी एक कमजोरी मिल ही गयी उसकी रखैल माया
अब रोमेश ने अपना मायाजाल फैलाना शुरु कर दिया उसका पहला पडाव है माॅल वहा से सभी चिजें काली खरीद ली और उस खरेदी का मकसद भी बता दिया कत्ल करना
बडा ही खतरनाक अपडेट है भाई मजा आ गया है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

वैसे तो जनार्दन रेड्डी साहब की कुर्सी चली गई है लेकिन जब वह चीफ मिनिस्टर थे तो उनके कत्ल की बोली पच्चीस लाख रुपए लगाई गई थी । यह एक चीफ मिनिस्टर के पद के साथ बहुत ही बड़ी नाइंसाफी है । एक चीफ मिनिस्टर के कत्ल के लिए सिर्फ पच्चीस लाख रुपए ! कम से कम एकाध हजार करोड़ की सुपाड़ी तो होनी ही चाहिए थी ।
खैर , यह स्टोरी हंड्रेड पर्सेंट देव आनंद साहब के समय का लग रहा है । अन्यथा हमारा हीरो , हमारे हरिश्चन्द्र बाबु देव आनंद के गेट अप मे न आते ! खुद को हूबहू देव आनंद साहब के अवतार मे ढाला न होता । वही ब्लैक पैंट , वही ब्लैक शर्ट , वही ब्लैक जूते , वही ब्लैक हैट । थोड़ी सी कसर रह गई ब्लैक ब्लाॅजर और ब्लैक टाई की । आपको शायद पता न हो , देव साहब को ब्लैक ड्रेस पहनने से बैन कर दिया गया था ।

रोमेश साहब ने मात्र तीन दिन के भीतर चीफ मिनिस्टर साहब की जन्म कुंडली निकाल ली । वह जानकारी भी जिसे मिनिस्टर साहब के परिवार वाले भी शायद न जानते हों । इस डिटेक्टिव की पुरी अपडेट हमे चाहिए ।
वैसे बहुत सारी जानकारी उन्हे शंकर रेड्डी साहब से भी मिल गया होता ।
एक बात समझ मे नही आ रहा है । शंकर साहब को मतलब सिर्फ चीफ मिनिस्टर के कत्ल से होना चाहिए था । पर वो यह भी चाहते हैं कि रोमेश साहब कत्ल करने के बाद कानून से बच भी निकलें । ऐसा क्या सहानुभूति है रोमेश साहब से उन्हे ?

रोमेश साहब के लिए एक चीज और भी आसान हो गया । जनार्दन साहब की गद्दी छिन ली गई मतलब वो भूतपूर्व चीफ मिनिस्टर हो गए । एक चीफ मिनिस्टर की सिक्युरिटी कुछ और होती है और एक साधारण मिनिस्टर चाहे वह केन्द्र मे हो या राज्य मे , कुछ और होती है ।
जनार्दन साहब की सुरक्षा कवच थोड़ी तो लूज अवश्य ही होगी । यह रोमेश साहब के लिए बढ़िया संकेत है ।

खैर देखते हैं रोमेश साहब ऐसा क्या कमाल करते हैं कि जनार्दन साहब से उनका पीछा भी छूटे और कानून के हाथ उनके गर्दन तक भी न पहुंचे !

खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

Waiting for next update

सभी घटनाक्रम बहुत तेजी से बदले हैं :

रोमेश ने जनार्दन रेड्डी के खून का बीड़ा उठा लिया है और वैशाली को अपने बिज़नेस का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। पाठकगण उसकी कुशलता से वाकिफ़ हैं - जाहिर सी बात है, कि उसने कोई जुगत तो निकाली होगी खुद को निर्दोष साबित करने की! उधर, जनार्दन रेड्डी अब मुख्यमंत्री नहीं रहा, लिहाज़ा, उसकी सुरक्षा-व्यवस्था मुख्यमंत्री के लेवल की तो नहीं होने वाली। तो काम आसान हो सकता है। लेकिन अगर उसके बैकग्राउंड को देखें, तो उसको मारना आसान नहीं होने वाला।

कुछ बातें अविश्वसनीय हैं - जैसे, रोमेश का रेड्डी का सब रूटीन और पिछले जन्म का ब्यौरा यूँ ही चुटकी बजाते निकलवा लेना! इतना आसान होता है क्या? और वो पच्चीस लाख का खटका! जितना सीमा को चाहिए, उतना वो शंकर रेड्डी दे रहा है। और भी एक बात है - अगर जनार्दन रेड्डी अब मुख्यमंत्री नहीं है, तो भी शंकर रेड्डी उसको क्यों मरवाना चाहता है? उसका क्या लाभ है?

कुल जमा -- सावंत मर गया, जनार्दन रेड्डी मुख्यमंत्री नहीं रहा, और शंकर रेड्डी अभी भी उसको मरवाना चाहता है। परिस्थितियाँ बदल गई हैं, लेकिन एक्शन ज्यों का त्यों! ऐसा होता नहीं है। सावंत के मरने से जनार्दन रेड्डी को कोई लाभ होना चाहिए था - जो शायद हुआ नहीं, क्योंकि अब वो मुख्यमंत्री नहीं है। उसी तर्ज़ से, जनार्दन नागा रेड्डी के मरने से शंकर नागा रेड्डी को कोई लाभ होना चाहिए था -- शायद मंत्रिमंडल में कोई पद या कुछ और? अब अगर जनार्दन खुद ही मुख्यमंत्री नहीं है, तो शंकर को अपना काम बनता दिखना चाहिए, है न? बहुत से प्रश्न हैं, लेकिन उत्तर कम।

आगे देखते हैं, रोमेश ने क्या उपाय निकाला है, रेड्डी के सफाए है! विजय तो सीन से गायब ही हो गया है। वो इस पूरे प्रकरण में, उस मेधा रानी का ज़िक्र ही समाप्त हो गया है। उसका कोई रोल है भी या नहीं?

बढ़िया, बुलेट ट्रेन की तेज तर्रार गति वाला अपडेट रहा ये। आगे देखते हैं क्या होता है :)

Besabari se intezaar kar rahe hai next update ka Raj_sharma bhai....

Yar index update karo iska

Wait for next update Bhai ☺️

intezaar rahega....

Update posted friends 🧡
 

parkas

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"मैं समझ गया साहब, अपना दूसरा वाला सेल्समैन ठीक बोलता था, आप फिल्म का आदमी है।
साहब वैसे एक्टिंग मैं भी अच्छी कर लेता हूँ, दिखाऊं।"

"नहीं , तुम गलत समझ रहे हो। मैं कोई फ़िल्मी आदमी नहीं हूँ। मुझे सचमुच इस लिबास को पहनकर किसी का कत्ल करना है और मैंने बिल में अपना नाम-पता इसलिये लिखवाया है, क्यों कि बिल की डुप्लीकेट कॉपी तुम्हारे पास रहेगी।

यह कपड़े पुलिस बरामद करेगी, इन पर खून लगा होगा, तहकीकात करते-करते पुलिस यहाँ तक पहुंचेगी, क्यों कि इन कपड़ों की खरीददारी का यह बिल उस वक्त ओवरकोट की जेब में होगा।"

सेल्समन हैरत से रोमेश को देख रहा था।

"फिर… फिर क्या होगा साहब?" उसने हकलाए स्वर में पूछा।

"पुलिस यहाँ पहुंचेगी, बिल देखने के बाद तुम्हें याद आ जायेगा कि यहाँ इन कपड़ों को मैं खरीदने आया था। तुम उन्हें बताओगे कि मैंने कपड़ों को पहनकर खून करने के लिए कहा था और इसीलिये यह कपड़े खरीदे थे।"

"ठीक है फिर।"

"फिर यह होगा कि पुलिस तुम्हें गवाह बनायेगी।" रोमेश ने उसका कंधा थपथपा कर कहा,

"अदालत में तुम्हें पेश किया जायेगा, मैं वहाँ कटघरे में मुलजिम बनकर खड़ा होऊंगा। मुझे देखते ही तुम चीख-चीखकर कहना, योर ऑनर यही वह शख्स है, जो 31 दिसम्बर को हमारी दुकान पर आया और यह कपड़े जो सामने रखे हैं, इसने खून करने के लिए खरीदे थे। मुझसे कहा था।" कुछ रुककर रोमेश बोला,

"क्या कहा था ?"

"ऐं !" सेल्समैन जैसे सोते से जागा। "क्या कहा था ?"

"ख… खून करूंगा, कपड़े पहनकर।"

"शाबास।" रोमेश ने भुगतान किया और सेल्समैन को स्तब्ध छोड़कर बाहर निकल गया।

"साला क्या सस्पेंस वाली स्टोरी सुना गया।" रोमेश के जाने के बाद सेल्समैन को जैसे होश आया,


"फिल्म सुपर हिट हो के रहेगा, जब मुझको सांप सूंघ गया, तो पब्लिक का क्या होगा ? क्या स्टोरी है यार, खून करने वाला गवाह भी पहले खुद तैयार करता फिर रहाहै। पुलिस की पूरी मदद करता है।"

"अपुन को पता था, वह फिल्म का आदमी है, तेरे को काम मांगना था यार चंदूलाल।"

"मैं जरा डायलॉग ठीक से याद कर लूं।" चंदू एक्शन में आया,

"देख सामने अदालत… कुर्सी पर बैठा जज, कैमरा इधर से टर्न हो रहा है, कोर्ट का पूरा सीन दिखाता है और फिर मुझ पर ठहरता है… बोल एक्शन।"

"एक्शन!" दूसरे सेल्समैन ने कहा।

"योर ऑनर।" चन्दू ने शॉट बनाया,

"यह शख्स जो कटघरे में खड़ा है, इसका नाम है रोमेश सक्सेना, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि कत्ल इसी ने किया है और यह कपड़े, यह कपड़े योर ऑनर।"

"कट।" दूसरे सेल्समैन ने सीन काट दिया।

"क्या हो रहा है यह सब?" अचानक डिपार्टमेन्टल स्टोर का मालिक राउण्ड पर आगया।

दोनों सेल्समैन सकपका कर बगलें झांकने लगे। फिर उन्होंने धीरे-धीरे सारी बात मालिक को बता दी। मालिक भी जोर से हँसने लगा। साला हमारा दुकान का पब्लिसिटी होयेंगा फ्री में। सेल्समैन भी मालिक के साथ हँसने लगे। बारह बजते ही पटाखे छूटने लगे। नया साल शुरू हो गया था, आतिशबाजी और पटाखों के साथ युवक-युवतियों के झुंड सड़कों पर आ गये थे, रोमेश ने जू बीच से मोटर साइकिल स्टार्ट की, वह अब भी उसी गेटअप में था। एक टेलीफोन बूथ के सामने उसने मोटर साइकिल रोकी। बूथ में घुस गया और जनार्दन नागा रेड्डी का फोन नम्बर डायल किया। फोन बजते ही उसने कोड बोला। कुछ क्षण बाद ही जे.एन. फोन पर था।

"हैलो, जे.एन. स्पीकिंग ! कौन बोल रहा है ?"

"नया साल मुबारक।" "तुमको भी मुबारक।" जे.एन. ने उत्तर दिया,

"आवाज पहचानने में नहीं आ रही है, कौन हो भई ?"

"तुम्हारा होने वाला कातिल।"

"क्या बोला ?"

"तुम्हारा होने वाला कातिल।" दूसरी तरफ कुछ पल खामोशी छाई रही, फिर जे.एन. बोला,

"मजाक छोड़ो भाई, अभी बहुत से लोगों की बधाई आ रही है, उनका भी तो फोन सुनना है।"

"मैं ज्यादा वक्त नहीं लूंगा एक्स चीफ मिनिस्टर ! मैं यकीनी तौर पर तुम्हारा होने वाला कातिल ही बोल रहा हूँ। जल्दी ही मैं तुम्हें तुम्हारी मौत की तारीख भी बता दूँगा। अभी मैंने तुम्हारा कत्ल करने के लिए पोशाक खरीदी है, बस यही इत्तला देनी थी।" उसके बाद रोमेश ने फोन काट दिया। उसके बाद वह तेजी से अपने फ्लैट की तरफ रवाना हो गया। नया साल शुरू हो गया था।

रोमेश अब अपने फ्लैट पर तन्हा रहता था, वह अपने परिचितों में से किसी का फोन नहीं सुनता था। सुबह ही निकल जाता था और देर रात तक घर लौटता था। रोमेश ने फिर वही लिबास पहना और मोटर साइकिल लेकर सड़कों पर घूमने लगा। जहाँ वह रुकता, लोग हैरत से देखते, रास्ते में उससे परिचित भी टकरा जाते थे।

मुम्बई में दिन तो गरम होता ही है, उस पर कोई ओवरकोट पहनकर निकले तो अजूबा ही होगा। रोमेश अजूबा ही बनता जा रहा था। दो जनवरी को वह विक्टोरिया टर्मिनल पर घूम रहा था। घूमते-घूमते वह फुटपाथ पर चाकू छुरी बेचने वाले की एक दुकान पर रुका।

"ले लो भई, ले लो। रामपुरी से लेकर छप्पनछुरी तक सब माल मिलता है।" चाकू छुरी बेचने वाला आवाज लगा रहा था।

"ऐ !" रोमेश ने उसे आवाज़ दी।

"आओ साहब, बोलो क्या मांगता? किचन की छुरी या चाकू, छोटा बड़ा सब मिलेगा।"

"रामपुरी बड़ा, तेरह इंच से ऊपर।"


"समझा साहब।" छुरी बेचने वाले ने पास खड़े एक लड़के को बुलाया,

"करीम भाई के जाने का, बोलो राजा ने बढ़िया वाला रामपुरी मंगाया, भाग के जाना।" लड़का भागकर गया और पांच मिनट से पहले आ गया, उसने एक थैला छुरी बेचने वाले को थमा दिया।

"बड़ा चाकू, असली रामपुरी ! यह देखो, पसन्द कर लो।" रोमेश ने एक रामपुरी पसन्द किया।

"यह ठीक है, कितने का है ?"

"पच्चहत्तर का साहब ! सेवन्टी फाइव ओनली ! कम ज्यादा कुछ नहीं , एक दाम।"

"ठीक है, एक बिल बनाओ। उस पर हमारा नाम पता लिखो, रोमेश सक्सेना।"

"अरे साहब, हम फुटपाथ का धन्धा करने वाला आदमी। अपुन के पास बिल कहाँ साब, बिल तो बड़ी दुकान पर बनता है।"

"देखो राजा, राजा है ना तुम्हारा नाम।"

"बरोबर साहब।"


"हम तुमको सौ रुपया देगा, चाहे सादा कागज पर डुप्लीकेट बनाओ, कार्बन लगा के। कार्बन कॉपी तुम अपने पास रखना, उस पर लिखो राजा फुटपाथ वाले ने सेवण्टी फाईव में चाकू रोमेश को आज की तारीख में बेचा। मैं पच्चीस रुपया फालतू दूंगा।"

"ये बात है साहब, तो हम बना देगा। मगर कोई लफड़ा तो नहीं होगा साहब।"

"नहीं ।" अब राजा कागज और कार्बन ले आया। जो रोमेश सक्सेना बोलता रहा , वह लिखता रहा , फिर कार्बन कॉपी अपने पास रखकर बिल रोमेश को दे दिया।

"एक बात समझ में नहीं आया साहब।" सौ का नोट लेने के बाद राजा बोला।

"क्या ?"

"कच्चा बिल लेने के लिए आपने पच्चीस रुपया खर्च किया, ऐसा तो आप खुद बना सकता था ।"

"हाँ , मगर उस सूरत में गवाही देने कौन आता।"

"गवाही, कैसा गवाही ?"

"देखो राजा, तुम्हारा यह रामपुरी बहुत खुशनसीब है। क्यों कि इससे एक वी.आई.पी. का मर्डर होने वाला है।"

"क्यों मजाक करता साहब, मेरे को डराता है क्या ? इधर गुण्डे-मवाली लोग भी चाकू खरीदते हैं, लेकिन इस तरह मर्डर की बात कोई नहीं बोलता।"

"वह गुण्डे-मवाली होंगे, जो कत्ल की वारदात करके छुपाते हैं। लेकिन मैं उस तरह का गुण्डा नहीं हूँ, वैसे भी मुझे बस एक ही खून करना है और वह खून इस रामपुरी से होगा।" रोमेश ने रामपुरी खोलते हुए कहा,


"इसी लिये मैंने बिल लिखवाया है, रामपुरी बरामद करने के साथ पुलिस को यह बिल भी मिल जायेगा। तब उसे पता चलेगा कि रामपुरी तुम्हारे यहाँ से खरीदा गया।" राजा के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगीं।


"अदा लत में यह रामपुरी तुझे दिखाया जायेगा, उस वक्त मैं कटघरे में खड़ा रहूँगा। तुम कहोगे, हाँ योर ऑनर, मैं इसे जानता हूँ, यह मशहूर वकील रोमेश सक्सेना है।" आसपास कुछ लोग जमा हो गये थे।


"अरे यह तो मशहूर वकील रोमेश है।" जमा होते लोगों में से कोई बोला। राजा के तो छक्के छूट रहे थे।

"मेरे को पसीना मत दिलाओ साहब, कभी किसी वकील ने किसी का कत्ल किया है क्या? यह तो फिल्म की स्टोरी है।"

"नहीं, मैं तुम्हें अपने जुर्म का गवाह बनाने आया हूँ। दुकान छोड़कर भागेगा, तब भी पुलिस तुझे तलाश कर लेगी।"

"पर मैंने किया क्या है ?"

"तूने वह चाकू मुझे बेचा है, जिससे मैं खून करूंगा। लेकिन तुझे कोई पनिशमेन्ट नहीं मिलेगा, तू सिर्फ गवाह बनकर अदालत में आयेगा।"


"मुझे रामपुरी वापिस दे दो माई बाप, सौ के डेढ़ सौ ले लो।"

राजा गिड़गिड़ाने लगा। "नहीं, इससे ही मुझे खून करना है।" रोमेश ने जोर से कहा,

"तुम सब लोग भी सुन लो, मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना इस रामपुरी से कत्ल करने जा रहा हूँ।"

"पागल हो गया, रास्ता छोड़ो भाई।" भीड़ में से कोई बोला।

"ओ आजू बाजू हो जाओ, कहीं तुममें से ही यह किसी का खून न कर दे।" रोमेश ने चाकू बन्द करके जेब में रखा, मोटर साइकिल पर किक लगा दी और फर्राटे के साथ आगे बढ़ गया। शाम ढल रही थी और फिर मुम्बई रात की बाहों में झिलमिलाने लगी। रोमेश घूमता रहा।



जारी रहेगा…✍️✍️
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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# 15

"मैं समझ गया साहब, अपना दूसरा वाला सेल्समैन ठीक बोलता था, आप फिल्म का आदमी है।
साहब वैसे एक्टिंग मैं भी अच्छी कर लेता हूँ, दिखाऊं।"

"नहीं , तुम गलत समझ रहे हो। मैं कोई फ़िल्मी आदमी नहीं हूँ। मुझे सचमुच इस लिबास को पहनकर किसी का कत्ल करना है और मैंने बिल में अपना नाम-पता इसलिये लिखवाया है, क्यों कि बिल की डुप्लीकेट कॉपी तुम्हारे पास रहेगी।

यह कपड़े पुलिस बरामद करेगी, इन पर खून लगा होगा, तहकीकात करते-करते पुलिस यहाँ तक पहुंचेगी, क्यों कि इन कपड़ों की खरीददारी का यह बिल उस वक्त ओवरकोट की जेब में होगा।"

सेल्समन हैरत से रोमेश को देख रहा था।

"फिर… फिर क्या होगा साहब?" उसने हकलाए स्वर में पूछा।

"पुलिस यहाँ पहुंचेगी, बिल देखने के बाद तुम्हें याद आ जायेगा कि यहाँ इन कपड़ों को मैं खरीदने आया था। तुम उन्हें बताओगे कि मैंने कपड़ों को पहनकर खून करने के लिए कहा था और इसीलिये यह कपड़े खरीदे थे।"

"ठीक है फिर।"

"फिर यह होगा कि पुलिस तुम्हें गवाह बनायेगी।" रोमेश ने उसका कंधा थपथपा कर कहा,

"अदालत में तुम्हें पेश किया जायेगा, मैं वहाँ कटघरे में मुलजिम बनकर खड़ा होऊंगा। मुझे देखते ही तुम चीख-चीखकर कहना, योर ऑनर यही वह शख्स है, जो 31 दिसम्बर को हमारी दुकान पर आया और यह कपड़े जो सामने रखे हैं, इसने खून करने के लिए खरीदे थे। मुझसे कहा था।" कुछ रुककर रोमेश बोला,

"क्या कहा था ?"

"ऐं !" सेल्समैन जैसे सोते से जागा। "क्या कहा था ?"

"ख… खून करूंगा, कपड़े पहनकर।"

"शाबास।" रोमेश ने भुगतान किया और सेल्समैन को स्तब्ध छोड़कर बाहर निकल गया।

"साला क्या सस्पेंस वाली स्टोरी सुना गया।" रोमेश के जाने के बाद सेल्समैन को जैसे होश आया,


"फिल्म सुपर हिट हो के रहेगा, जब मुझको सांप सूंघ गया, तो पब्लिक का क्या होगा ? क्या स्टोरी है यार, खून करने वाला गवाह भी पहले खुद तैयार करता फिर रहाहै। पुलिस की पूरी मदद करता है।"

"अपुन को पता था, वह फिल्म का आदमी है, तेरे को काम मांगना था यार चंदूलाल।"

"मैं जरा डायलॉग ठीक से याद कर लूं।" चंदू एक्शन में आया,

"देख सामने अदालत… कुर्सी पर बैठा जज, कैमरा इधर से टर्न हो रहा है, कोर्ट का पूरा सीन दिखाता है और फिर मुझ पर ठहरता है… बोल एक्शन।"

"एक्शन!" दूसरे सेल्समैन ने कहा।

"योर ऑनर।" चन्दू ने शॉट बनाया,

"यह शख्स जो कटघरे में खड़ा है, इसका नाम है रोमेश सक्सेना, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि कत्ल इसी ने किया है और यह कपड़े, यह कपड़े योर ऑनर।"

"कट।" दूसरे सेल्समैन ने सीन काट दिया।

"क्या हो रहा है यह सब?" अचानक डिपार्टमेन्टल स्टोर का मालिक राउण्ड पर आगया।

दोनों सेल्समैन सकपका कर बगलें झांकने लगे। फिर उन्होंने धीरे-धीरे सारी बात मालिक को बता दी। मालिक भी जोर से हँसने लगा। साला हमारा दुकान का पब्लिसिटी होयेंगा फ्री में। सेल्समैन भी मालिक के साथ हँसने लगे। बारह बजते ही पटाखे छूटने लगे। नया साल शुरू हो गया था, आतिशबाजी और पटाखों के साथ युवक-युवतियों के झुंड सड़कों पर आ गये थे, रोमेश ने जू बीच से मोटर साइकिल स्टार्ट की, वह अब भी उसी गेटअप में था। एक टेलीफोन बूथ के सामने उसने मोटर साइकिल रोकी। बूथ में घुस गया और जनार्दन नागा रेड्डी का फोन नम्बर डायल किया। फोन बजते ही उसने कोड बोला। कुछ क्षण बाद ही जे.एन. फोन पर था।

"हैलो, जे.एन. स्पीकिंग ! कौन बोल रहा है ?"

"नया साल मुबारक।" "तुमको भी मुबारक।" जे.एन. ने उत्तर दिया,

"आवाज पहचानने में नहीं आ रही है, कौन हो भई ?"

"तुम्हारा होने वाला कातिल।"

"क्या बोला ?"

"तुम्हारा होने वाला कातिल।" दूसरी तरफ कुछ पल खामोशी छाई रही, फिर जे.एन. बोला,

"मजाक छोड़ो भाई, अभी बहुत से लोगों की बधाई आ रही है, उनका भी तो फोन सुनना है।"

"मैं ज्यादा वक्त नहीं लूंगा एक्स चीफ मिनिस्टर ! मैं यकीनी तौर पर तुम्हारा होने वाला कातिल ही बोल रहा हूँ। जल्दी ही मैं तुम्हें तुम्हारी मौत की तारीख भी बता दूँगा। अभी मैंने तुम्हारा कत्ल करने के लिए पोशाक खरीदी है, बस यही इत्तला देनी थी।" उसके बाद रोमेश ने फोन काट दिया। उसके बाद वह तेजी से अपने फ्लैट की तरफ रवाना हो गया। नया साल शुरू हो गया था।

रोमेश अब अपने फ्लैट पर तन्हा रहता था, वह अपने परिचितों में से किसी का फोन नहीं सुनता था। सुबह ही निकल जाता था और देर रात तक घर लौटता था। रोमेश ने फिर वही लिबास पहना और मोटर साइकिल लेकर सड़कों पर घूमने लगा। जहाँ वह रुकता, लोग हैरत से देखते, रास्ते में उससे परिचित भी टकरा जाते थे।

मुम्बई में दिन तो गरम होता ही है, उस पर कोई ओवरकोट पहनकर निकले तो अजूबा ही होगा। रोमेश अजूबा ही बनता जा रहा था। दो जनवरी को वह विक्टोरिया टर्मिनल पर घूम रहा था। घूमते-घूमते वह फुटपाथ पर चाकू छुरी बेचने वाले की एक दुकान पर रुका।

"ले लो भई, ले लो। रामपुरी से लेकर छप्पनछुरी तक सब माल मिलता है।" चाकू छुरी बेचने वाला आवाज लगा रहा था।

"ऐ !" रोमेश ने उसे आवाज़ दी।

"आओ साहब, बोलो क्या मांगता? किचन की छुरी या चाकू, छोटा बड़ा सब मिलेगा।"

"रामपुरी बड़ा, तेरह इंच से ऊपर।"


"समझा साहब।" छुरी बेचने वाले ने पास खड़े एक लड़के को बुलाया,

"करीम भाई के जाने का, बोलो राजा ने बढ़िया वाला रामपुरी मंगाया, भाग के जाना।" लड़का भागकर गया और पांच मिनट से पहले आ गया, उसने एक थैला छुरी बेचने वाले को थमा दिया।

"बड़ा चाकू, असली रामपुरी ! यह देखो, पसन्द कर लो।" रोमेश ने एक रामपुरी पसन्द किया।

"यह ठीक है, कितने का है ?"

"पच्चहत्तर का साहब ! सेवन्टी फाइव ओनली ! कम ज्यादा कुछ नहीं , एक दाम।"

"ठीक है, एक बिल बनाओ। उस पर हमारा नाम पता लिखो, रोमेश सक्सेना।"

"अरे साहब, हम फुटपाथ का धन्धा करने वाला आदमी। अपुन के पास बिल कहाँ साब, बिल तो बड़ी दुकान पर बनता है।"

"देखो राजा, राजा है ना तुम्हारा नाम।"

"बरोबर साहब।"


"हम तुमको सौ रुपया देगा, चाहे सादा कागज पर डुप्लीकेट बनाओ, कार्बन लगा के। कार्बन कॉपी तुम अपने पास रखना, उस पर लिखो राजा फुटपाथ वाले ने सेवण्टी फाईव में चाकू रोमेश को आज की तारीख में बेचा। मैं पच्चीस रुपया फालतू दूंगा।"

"ये बात है साहब, तो हम बना देगा। मगर कोई लफड़ा तो नहीं होगा साहब।"

"नहीं ।" अब राजा कागज और कार्बन ले आया। जो रोमेश सक्सेना बोलता रहा , वह लिखता रहा , फिर कार्बन कॉपी अपने पास रखकर बिल रोमेश को दे दिया।

"एक बात समझ में नहीं आया साहब।" सौ का नोट लेने के बाद राजा बोला।

"क्या ?"

"कच्चा बिल लेने के लिए आपने पच्चीस रुपया खर्च किया, ऐसा तो आप खुद बना सकता था ।"

"हाँ , मगर उस सूरत में गवाही देने कौन आता।"

"गवाही, कैसा गवाही ?"

"देखो राजा, तुम्हारा यह रामपुरी बहुत खुशनसीब है। क्यों कि इससे एक वी.आई.पी. का मर्डर होने वाला है।"

"क्यों मजाक करता साहब, मेरे को डराता है क्या ? इधर गुण्डे-मवाली लोग भी चाकू खरीदते हैं, लेकिन इस तरह मर्डर की बात कोई नहीं बोलता।"

"वह गुण्डे-मवाली होंगे, जो कत्ल की वारदात करके छुपाते हैं। लेकिन मैं उस तरह का गुण्डा नहीं हूँ, वैसे भी मुझे बस एक ही खून करना है और वह खून इस रामपुरी से होगा।" रोमेश ने रामपुरी खोलते हुए कहा,


"इसी लिये मैंने बिल लिखवाया है, रामपुरी बरामद करने के साथ पुलिस को यह बिल भी मिल जायेगा। तब उसे पता चलेगा कि रामपुरी तुम्हारे यहाँ से खरीदा गया।" राजा के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगीं।


"अदा लत में यह रामपुरी तुझे दिखाया जायेगा, उस वक्त मैं कटघरे में खड़ा रहूँगा। तुम कहोगे, हाँ योर ऑनर, मैं इसे जानता हूँ, यह मशहूर वकील रोमेश सक्सेना है।" आसपास कुछ लोग जमा हो गये थे।


"अरे यह तो मशहूर वकील रोमेश है।" जमा होते लोगों में से कोई बोला। राजा के तो छक्के छूट रहे थे।

"मेरे को पसीना मत दिलाओ साहब, कभी किसी वकील ने किसी का कत्ल किया है क्या? यह तो फिल्म की स्टोरी है।"

"नहीं, मैं तुम्हें अपने जुर्म का गवाह बनाने आया हूँ। दुकान छोड़कर भागेगा, तब भी पुलिस तुझे तलाश कर लेगी।"

"पर मैंने किया क्या है ?"

"तूने वह चाकू मुझे बेचा है, जिससे मैं खून करूंगा। लेकिन तुझे कोई पनिशमेन्ट नहीं मिलेगा, तू सिर्फ गवाह बनकर अदालत में आयेगा।"


"मुझे रामपुरी वापिस दे दो माई बाप, सौ के डेढ़ सौ ले लो।"

राजा गिड़गिड़ाने लगा। "नहीं, इससे ही मुझे खून करना है।" रोमेश ने जोर से कहा,

"तुम सब लोग भी सुन लो, मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना इस रामपुरी से कत्ल करने जा रहा हूँ।"

"पागल हो गया, रास्ता छोड़ो भाई।" भीड़ में से कोई बोला।

"ओ आजू बाजू हो जाओ, कहीं तुममें से ही यह किसी का खून न कर दे।" रोमेश ने चाकू बन्द करके जेब में रखा, मोटर साइकिल पर किक लगा दी और फर्राटे के साथ आगे बढ़ गया। शाम ढल रही थी और फिर मुम्बई रात की बाहों में झिलमिलाने लगी। रोमेश घूमता रहा।



जारी रहेगा…✍️✍️
Badi Heavy Game Planing Ke sath chal raha hai Romesh
Ab to Dout hone laga hai shyad Romesh katal karega ya khe kisi or se nahi ker vayga
Kafi tedi chaal chal rha hai Romesh
 

Ajju Landwalia

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# 15

"मैं समझ गया साहब, अपना दूसरा वाला सेल्समैन ठीक बोलता था, आप फिल्म का आदमी है।
साहब वैसे एक्टिंग मैं भी अच्छी कर लेता हूँ, दिखाऊं।"

"नहीं , तुम गलत समझ रहे हो। मैं कोई फ़िल्मी आदमी नहीं हूँ। मुझे सचमुच इस लिबास को पहनकर किसी का कत्ल करना है और मैंने बिल में अपना नाम-पता इसलिये लिखवाया है, क्यों कि बिल की डुप्लीकेट कॉपी तुम्हारे पास रहेगी।

यह कपड़े पुलिस बरामद करेगी, इन पर खून लगा होगा, तहकीकात करते-करते पुलिस यहाँ तक पहुंचेगी, क्यों कि इन कपड़ों की खरीददारी का यह बिल उस वक्त ओवरकोट की जेब में होगा।"

सेल्समन हैरत से रोमेश को देख रहा था।

"फिर… फिर क्या होगा साहब?" उसने हकलाए स्वर में पूछा।

"पुलिस यहाँ पहुंचेगी, बिल देखने के बाद तुम्हें याद आ जायेगा कि यहाँ इन कपड़ों को मैं खरीदने आया था। तुम उन्हें बताओगे कि मैंने कपड़ों को पहनकर खून करने के लिए कहा था और इसीलिये यह कपड़े खरीदे थे।"

"ठीक है फिर।"

"फिर यह होगा कि पुलिस तुम्हें गवाह बनायेगी।" रोमेश ने उसका कंधा थपथपा कर कहा,

"अदालत में तुम्हें पेश किया जायेगा, मैं वहाँ कटघरे में मुलजिम बनकर खड़ा होऊंगा। मुझे देखते ही तुम चीख-चीखकर कहना, योर ऑनर यही वह शख्स है, जो 31 दिसम्बर को हमारी दुकान पर आया और यह कपड़े जो सामने रखे हैं, इसने खून करने के लिए खरीदे थे। मुझसे कहा था।" कुछ रुककर रोमेश बोला,

"क्या कहा था ?"

"ऐं !" सेल्समैन जैसे सोते से जागा। "क्या कहा था ?"

"ख… खून करूंगा, कपड़े पहनकर।"

"शाबास।" रोमेश ने भुगतान किया और सेल्समैन को स्तब्ध छोड़कर बाहर निकल गया।

"साला क्या सस्पेंस वाली स्टोरी सुना गया।" रोमेश के जाने के बाद सेल्समैन को जैसे होश आया,


"फिल्म सुपर हिट हो के रहेगा, जब मुझको सांप सूंघ गया, तो पब्लिक का क्या होगा ? क्या स्टोरी है यार, खून करने वाला गवाह भी पहले खुद तैयार करता फिर रहाहै। पुलिस की पूरी मदद करता है।"

"अपुन को पता था, वह फिल्म का आदमी है, तेरे को काम मांगना था यार चंदूलाल।"

"मैं जरा डायलॉग ठीक से याद कर लूं।" चंदू एक्शन में आया,

"देख सामने अदालत… कुर्सी पर बैठा जज, कैमरा इधर से टर्न हो रहा है, कोर्ट का पूरा सीन दिखाता है और फिर मुझ पर ठहरता है… बोल एक्शन।"

"एक्शन!" दूसरे सेल्समैन ने कहा।

"योर ऑनर।" चन्दू ने शॉट बनाया,

"यह शख्स जो कटघरे में खड़ा है, इसका नाम है रोमेश सक्सेना, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि कत्ल इसी ने किया है और यह कपड़े, यह कपड़े योर ऑनर।"

"कट।" दूसरे सेल्समैन ने सीन काट दिया।

"क्या हो रहा है यह सब?" अचानक डिपार्टमेन्टल स्टोर का मालिक राउण्ड पर आगया।

दोनों सेल्समैन सकपका कर बगलें झांकने लगे। फिर उन्होंने धीरे-धीरे सारी बात मालिक को बता दी। मालिक भी जोर से हँसने लगा। साला हमारा दुकान का पब्लिसिटी होयेंगा फ्री में। सेल्समैन भी मालिक के साथ हँसने लगे। बारह बजते ही पटाखे छूटने लगे। नया साल शुरू हो गया था, आतिशबाजी और पटाखों के साथ युवक-युवतियों के झुंड सड़कों पर आ गये थे, रोमेश ने जू बीच से मोटर साइकिल स्टार्ट की, वह अब भी उसी गेटअप में था। एक टेलीफोन बूथ के सामने उसने मोटर साइकिल रोकी। बूथ में घुस गया और जनार्दन नागा रेड्डी का फोन नम्बर डायल किया। फोन बजते ही उसने कोड बोला। कुछ क्षण बाद ही जे.एन. फोन पर था।

"हैलो, जे.एन. स्पीकिंग ! कौन बोल रहा है ?"

"नया साल मुबारक।" "तुमको भी मुबारक।" जे.एन. ने उत्तर दिया,

"आवाज पहचानने में नहीं आ रही है, कौन हो भई ?"

"तुम्हारा होने वाला कातिल।"

"क्या बोला ?"

"तुम्हारा होने वाला कातिल।" दूसरी तरफ कुछ पल खामोशी छाई रही, फिर जे.एन. बोला,

"मजाक छोड़ो भाई, अभी बहुत से लोगों की बधाई आ रही है, उनका भी तो फोन सुनना है।"

"मैं ज्यादा वक्त नहीं लूंगा एक्स चीफ मिनिस्टर ! मैं यकीनी तौर पर तुम्हारा होने वाला कातिल ही बोल रहा हूँ। जल्दी ही मैं तुम्हें तुम्हारी मौत की तारीख भी बता दूँगा। अभी मैंने तुम्हारा कत्ल करने के लिए पोशाक खरीदी है, बस यही इत्तला देनी थी।" उसके बाद रोमेश ने फोन काट दिया। उसके बाद वह तेजी से अपने फ्लैट की तरफ रवाना हो गया। नया साल शुरू हो गया था।

रोमेश अब अपने फ्लैट पर तन्हा रहता था, वह अपने परिचितों में से किसी का फोन नहीं सुनता था। सुबह ही निकल जाता था और देर रात तक घर लौटता था। रोमेश ने फिर वही लिबास पहना और मोटर साइकिल लेकर सड़कों पर घूमने लगा। जहाँ वह रुकता, लोग हैरत से देखते, रास्ते में उससे परिचित भी टकरा जाते थे।

मुम्बई में दिन तो गरम होता ही है, उस पर कोई ओवरकोट पहनकर निकले तो अजूबा ही होगा। रोमेश अजूबा ही बनता जा रहा था। दो जनवरी को वह विक्टोरिया टर्मिनल पर घूम रहा था। घूमते-घूमते वह फुटपाथ पर चाकू छुरी बेचने वाले की एक दुकान पर रुका।

"ले लो भई, ले लो। रामपुरी से लेकर छप्पनछुरी तक सब माल मिलता है।" चाकू छुरी बेचने वाला आवाज लगा रहा था।

"ऐ !" रोमेश ने उसे आवाज़ दी।

"आओ साहब, बोलो क्या मांगता? किचन की छुरी या चाकू, छोटा बड़ा सब मिलेगा।"

"रामपुरी बड़ा, तेरह इंच से ऊपर।"


"समझा साहब।" छुरी बेचने वाले ने पास खड़े एक लड़के को बुलाया,

"करीम भाई के जाने का, बोलो राजा ने बढ़िया वाला रामपुरी मंगाया, भाग के जाना।" लड़का भागकर गया और पांच मिनट से पहले आ गया, उसने एक थैला छुरी बेचने वाले को थमा दिया।

"बड़ा चाकू, असली रामपुरी ! यह देखो, पसन्द कर लो।" रोमेश ने एक रामपुरी पसन्द किया।

"यह ठीक है, कितने का है ?"

"पच्चहत्तर का साहब ! सेवन्टी फाइव ओनली ! कम ज्यादा कुछ नहीं , एक दाम।"

"ठीक है, एक बिल बनाओ। उस पर हमारा नाम पता लिखो, रोमेश सक्सेना।"

"अरे साहब, हम फुटपाथ का धन्धा करने वाला आदमी। अपुन के पास बिल कहाँ साब, बिल तो बड़ी दुकान पर बनता है।"

"देखो राजा, राजा है ना तुम्हारा नाम।"

"बरोबर साहब।"


"हम तुमको सौ रुपया देगा, चाहे सादा कागज पर डुप्लीकेट बनाओ, कार्बन लगा के। कार्बन कॉपी तुम अपने पास रखना, उस पर लिखो राजा फुटपाथ वाले ने सेवण्टी फाईव में चाकू रोमेश को आज की तारीख में बेचा। मैं पच्चीस रुपया फालतू दूंगा।"

"ये बात है साहब, तो हम बना देगा। मगर कोई लफड़ा तो नहीं होगा साहब।"

"नहीं ।" अब राजा कागज और कार्बन ले आया। जो रोमेश सक्सेना बोलता रहा , वह लिखता रहा , फिर कार्बन कॉपी अपने पास रखकर बिल रोमेश को दे दिया।

"एक बात समझ में नहीं आया साहब।" सौ का नोट लेने के बाद राजा बोला।

"क्या ?"

"कच्चा बिल लेने के लिए आपने पच्चीस रुपया खर्च किया, ऐसा तो आप खुद बना सकता था ।"

"हाँ , मगर उस सूरत में गवाही देने कौन आता।"

"गवाही, कैसा गवाही ?"

"देखो राजा, तुम्हारा यह रामपुरी बहुत खुशनसीब है। क्यों कि इससे एक वी.आई.पी. का मर्डर होने वाला है।"

"क्यों मजाक करता साहब, मेरे को डराता है क्या ? इधर गुण्डे-मवाली लोग भी चाकू खरीदते हैं, लेकिन इस तरह मर्डर की बात कोई नहीं बोलता।"

"वह गुण्डे-मवाली होंगे, जो कत्ल की वारदात करके छुपाते हैं। लेकिन मैं उस तरह का गुण्डा नहीं हूँ, वैसे भी मुझे बस एक ही खून करना है और वह खून इस रामपुरी से होगा।" रोमेश ने रामपुरी खोलते हुए कहा,


"इसी लिये मैंने बिल लिखवाया है, रामपुरी बरामद करने के साथ पुलिस को यह बिल भी मिल जायेगा। तब उसे पता चलेगा कि रामपुरी तुम्हारे यहाँ से खरीदा गया।" राजा के चेहरे से हवाइयां उड़ने लगीं।


"अदा लत में यह रामपुरी तुझे दिखाया जायेगा, उस वक्त मैं कटघरे में खड़ा रहूँगा। तुम कहोगे, हाँ योर ऑनर, मैं इसे जानता हूँ, यह मशहूर वकील रोमेश सक्सेना है।" आसपास कुछ लोग जमा हो गये थे।


"अरे यह तो मशहूर वकील रोमेश है।" जमा होते लोगों में से कोई बोला। राजा के तो छक्के छूट रहे थे।

"मेरे को पसीना मत दिलाओ साहब, कभी किसी वकील ने किसी का कत्ल किया है क्या? यह तो फिल्म की स्टोरी है।"

"नहीं, मैं तुम्हें अपने जुर्म का गवाह बनाने आया हूँ। दुकान छोड़कर भागेगा, तब भी पुलिस तुझे तलाश कर लेगी।"

"पर मैंने किया क्या है ?"

"तूने वह चाकू मुझे बेचा है, जिससे मैं खून करूंगा। लेकिन तुझे कोई पनिशमेन्ट नहीं मिलेगा, तू सिर्फ गवाह बनकर अदालत में आयेगा।"


"मुझे रामपुरी वापिस दे दो माई बाप, सौ के डेढ़ सौ ले लो।"

राजा गिड़गिड़ाने लगा। "नहीं, इससे ही मुझे खून करना है।" रोमेश ने जोर से कहा,

"तुम सब लोग भी सुन लो, मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना इस रामपुरी से कत्ल करने जा रहा हूँ।"

"पागल हो गया, रास्ता छोड़ो भाई।" भीड़ में से कोई बोला।

"ओ आजू बाजू हो जाओ, कहीं तुममें से ही यह किसी का खून न कर दे।" रोमेश ने चाकू बन्द करके जेब में रखा, मोटर साइकिल पर किक लगा दी और फर्राटे के साथ आगे बढ़ गया। शाम ढल रही थी और फिर मुम्बई रात की बाहों में झिलमिलाने लगी। रोमेश घूमता रहा।



जारी रहेगा…✍️✍️

kya gazab ki update di he Raj_sharma Bhai,

Romy bhai ke dimag ki daad deni padegi.............pehle se hi sare gavah jod liye he...........jo court me kahenge mere se coat kharida aur mere se rampuri

Superb, simply outstanding

Keep rocking Bro
 

despicable

त्वयि मे'नन्या विश्वरूपा
Supreme
356
1,080
123
क्या ही लिख रहे हो बढ़िया, साला रोमेश कर क्या रहा है अपने आप को पागल साबित करवाना है या सजा से बचने का प्लान है इसका कोई
सीमा जी पता नहीं कहा है
बढ़िया अपडेट हमेशा की तरह और सस्पेंस बढ़ाये जा रहे हो
 
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