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Thanks brother for your wonderful supportMany Many Congratulations bhai For Starting New Story![]()
कैसै हो दोस्तों? मैं आपका अपना राज शर्मा,आपके सामने जल्द ही एक कहानी ले कर आने वाला हूं, जिसमे होगा रहस्य, रोमांच, मिस्ट्री, और एसे सवाल जो आज तक लोगों के सर का दर्द बने हुए है।।
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Sab ko he same dialogue chipkata huSame dailog mujhe bhi bola tha![]()
Umeed ka daman kabhi chhodna nahiRead kar lo story bhai itna he bahut hoga
Thank you very much for wonderful supportबहुत बहुत शुभकामनाएँ नईं कहानी के लिए मित्र !
प्रतीक्षा है पहले भाग के अपडेट की!
Time lagne per padhne ata hu
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Ek nayi story shuru karne ke liye Hardik Shubhkamnaye Raj_sharma Bhai.
Umeed he ye story bhi pichli story ki tarah thrilling hogi
Keep posting Bro
Pahle to
Lagta ha har section me jhanda gadne ka irada ha bhai ka
For starting new story thread.....
for start new story thread
हैप्पी एंडिंग चाहिए
मसाज वाली नहीं कहानी वाली
Many Many Congratulations bhai For Starting New Story![]()
बहुत बहुत शुभकामनाएँ नईं कहानी के लिए मित्र !
प्रतीक्षा है पहले भाग के अपडेट की!
Well startedइस कहानी में भौतिक विज्ञान के पेचीदा सूत्र, रासायन विज्ञान की
रासायनिक पहेलि यां, विचित्र जीव-जन्तुओं का अनूठा संसार, वनष्पति विज्ञान के अनोखे पेड़-पौधे, पृथ्वी व ब्रह्मांड का भौगोलिक दर्शन, अतीत के मानव का इतिहास, जीवन दायिनी धरा का भूगर्भ विज्ञान, विशिष्ट ग्रहों से निकलने वाली ऊर्जा को ग्रहण करने वाला रत्न विज्ञान, अनोखी गणितीय उलझनें, भविष्य को बताने वाला ज्योतिष विज्ञान, अनन्त ब्रह्मांड की आकाश गंगाओं का नक्षत्र विज्ञान, जटिल मानव विज्ञान, अविश्वसनीय व रहस्यमयी परा विज्ञान, अंकशास्त्र का अद्भुत अंक विज्ञान, ईश्वरीय शक्ति का एहसास दिलाने वाला तंत्र-मंत्र विज्ञान व सागर की अथाह लहरों व उसमें छिपे रहस्यों को बताने वाला सागर विज्ञान को एक ही माला में पिरोने का प्रयास किया है।
यह कहा नी विश्व के उन महत्वपूर्ण अनसुलझे रहस्यों को ध्यान में रखकर बनाई गयी है, जिनका रहस्य आज भी मानव मस्तिष्क से परे है। अपने तर्क को शक्ति प्रदान कर, उन सभी अनसुलझे रहस्यों की कड़ियों को, एक घटना क्रम देते हुए सुलझा ने का प्रयास किया है।
इसका हर पात्र आपके दिल-ओ-दिमाग पर छा जायेगा।
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नो टः
यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। इसका किसी व्यक्ति या घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है। इस कहानी का उद्देश्य किसी धर्म या संप्रदाय की भावनाओं को आहत पहुंचाने का भी नहीं है। यदि किसी स्थान या घटना की जानकारी दी गयी है तो
वह मात्र कौतूहल वर्धक व मनोरंजक बनाने के लिए की गयी है।
ब्रह्माण्ड में स्थित अरबों आकाश गंगाओं में तैरते असंख्य ग्रहों में से एक ग्रह है पृथ्वी। पृथ्वी-जीवन से परिपूर्ण और रहस्यों से भरपूर। पृथ्वी की सबसे श्रेष्ठतम रचना है -मानव। मानव जिसके पास है एक अति विकसित मस्तिष्क।
यही मस्तिष्क इसे पृथ्वी पर रहने वाले करोड़ों जीवों से श्रेष्ठ बनाता है। इसी विकसित मस्तिष्क के कारण आज वह हर पल विकास के नये आयामों को स्पर्श कर रहा है।
विज्ञान मन्थर गति से धीरे धीरे अपने कदम बढ़ा रहा है। विकास की नयी
आधार शिला तैयार हो रही है।
वह मानव जो कभी पेड़ों और गुफाओं में रहता था, आज अपने अति विकसित मस्तिष्क के कारण अंतरिक्ष में निकलकर, अन्य ग्रहों की तरफ जीवनरूपी पदचिन्हों को तलाश रहा है। प्रक्षेपास्त्र, लेजर व परमाणु बम बनाने वाले हाथ अब मानव क्लोनिंग कर, अंतरिक्ष में स्पेस सिटी बनाने का सपना देख, ईश्वरीय शक्ति को भी चुनौती प्रदान करने लगा है। उसका मानना है कि अब वो पहले से अधिक विकसित है।
परन्तु क्या यह सत्य है? इसका उत्तर तो सिर्फ अतीत की काली चादर में लिपटा कहीं गहराइयों मे दफन है। वह रहस्य, सागर की अथाह गहराइयों में भी हो सकता है, या फिर अंतरिक्ष में फैली करोड़ों आकाश गंगाओं की अनंत गहराइयों में भी।
रहस्य-एक ऐसा शब्द, जिसमें सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जगत का सार छिपा हुआ है। आज भी मानव निरंतर रहस्यों की खोज के पीछे भाग रहा है, फिर चाहे वह सपनों का रहस्य हो, या फिर पुनर्जन्म का। यह सभी रहस्य मानव को अपनी ओर आकर्षित करते रहें हैं।
कालचक्र- जिसे हम समयचक्र भी कहते हैं, समय समय पर चेतावनी स्वरूप, विकास की अन्धी दौड़ में भाग रहे मानव को कुछ ऐसे प्रमाण दिखा देता है, जो आज भी मानव मस्तिष्क से परे है। मानव लाख कोशिशों के बाद भी जब उस रहस्य को समझने में ना कामयाब हो जाता है, तो वह उसे परा विज्ञान का नाम देकर अनसुलझे रहस्यों की श्रेणी में ला कर खड़ा कर देता है और उससे दूर हट जाता है।
बारामूडा त्रिकोण इसका जीता जागता उदाहरण है। मिस्र में खड़े विशालकाय पिरामिड, ईस्टर द्वीप की दैत्याकार मूर्तियां, ओल्मेक सभ्यता, इंका सभ्यता, माया सभ्यता, व अटलांटिस द्वीप के मिले कुछ ध्वंशावशेष, नाज्का सभ्यता के रेखा चित्र और ना जाने कितने ऐसे प्रमाण हैं, जो आज भी अतीत के मानव अति विकसित होने की कहानी कह रहें हैं।
अब सवाल यह उठता है कि यदि अतीत का मानव इतना ही विकसित था, तो उसके नष्ट होने का कारण क्या था ? कहीं उसके नष्ट होने का कारण उसका प्रकृति से खिलवाड़, या उसका अतिविकसित होना ही तो नहीं था ? क्या विकास की ही अंतिम सीढ़ी विनाश है? यदि ऐसा ही है, तो क्या हम एक बार पुनः विनाश की ओर अपने कदम बढ़ा रहें हैं? इन सभी सवालों का उत्तर जानने के लिए हमें एक बार फिर से अतीत में जाना पड़ेगा।
लेकिन क्या अतीत में जाना सम्भव है? क्या हम जिस टाइम मशीन की कल्पना इतने वर्षों से कर रहें हैं, वह सम्भव है? यदि नहीं , तो फिर कैसे इन रहस्यों से पर्दा उठ सकता है? आइये विचार करते हैं। लेकिन विचार तो कोरी कल्पना मात्र होगी। तो फिर क्या करें? तो फिर आइये क्यों न इस कहानी को ही पढ़ा जाए, शायद हमारे सवालों का जवाब इस कहानी में ही कहीं मिल जाए ...।
जारी है........