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मैंने तो हमेसा भाई ही कहा है वो सर नही सच है भाई एक अपनापन ही है जो हमे जोड़े हुए हैं जब ही तो हमने कहा है कि ये कहानी कभी भी खत्म नहीं हो ऐशे ही चलती रहे और अपना साथ हमेशा बना रहे
इस अल्हड़पन उम्र में जब तक ठोकर नही लगती है तब तक कुछ समझ ने नही आता है जब तक खुद के सभी नजरिए सही होते है जब दिल को चोट लगती तब दर्द का ऐहसास होता है नेहा के साथ भी ऐसा ही हुआ है जब तक पूरा सच सामने नहीं आया तब तक मानू भाई गलत थे नेहा का गुस्सा अभी तक भी मानू भाई के प्रति है आयुष ने नेहा से...
रीडर के कमेंट पढ़ने से हमे अगर कहानी में कोई गलती होती है तो हम उसको सुधार लेते हैं और कुछ नया लिखने का उत्साह होता है गलतियां सब से होती है और छोटी छोटी गलतियां से ही हमे कुछ सीखने को मिलता है तो आप अपने हिसाब से लिखते रहे अगर कोई गलती हुई भी तो हम रीडर के विचार लिखते रहेंगे लिखना आसान नहीं...
मैं भी नहीं चाहता कि ये कहानी जल्दी खत्म हो जाए मैं चाहता हु की ये कहानी चलती रहे जो खत्म नहीं हो लेकिन ये मुमकिन नहीं है क्योंकि जिसका शुरू हुआ है उसका अंत निश्चित है तो आप इसे आगे बढने दीजिए जो उसकी नियति में है वो होकर रहेगा