Aapne apani kavita hata kar accha nahi kiya
Anyway saath banaye rakhiye
Dhanyawad।। होता है जब असर साथ मे, तो हर शब्द कविता हो जाता है,
इंतज़ार का भी कभी तजुर्बा लीजिये, वक्त अमिता हो जाता है।।बस तन्हाई के सताएं है जुर्म और हमारा कोई ख़ास नही,
के न यूं हमें नज़रों में अपनी बेईमान करो...