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Chupa rakhi hai sine-e-kitaab me kainaat tune...धुन अपनी में ही लगा हूँ, यहाँ मुझे किसी से होड़ नही..
कुछ सलीके हैं सीधे साढ़े मेरे, जिनमे कोई मरोड़ नही..
हैं टुकड़ों की तमाम कारीगिरी, कुछ भी तो बेजोड़ नही..
शह ऐसी कोई नही क़ायनात में, जिसका कोई तोड़ नही ।।
Yeh kya kiya iss baat ko bhi kehkashan faash kar diya tune..!!