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Erotica अगड़ बम

Lutgaya

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Lutgaya

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Maddy78

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शाम को मैं मामा के साथ जानबूझकर खेत चला गया, पर अब मुझे तो बहाना बना कर वहाँ से निकलना था तो मैंने मामा से कहा,” मामा मुझे अच्छा नहीं लग रहा।”

“ तेरी मामी ने तो पहले ही मना किया था पर तू ही आया!” मामा बोले

“ ठीक है मैं घर जाता हूँ।” और मैं वहाँ से घर की ओर निकलने को तैयार था। मामा ने भी मुझे इजाज़त दे दी और मैं निकल पड़ा। अँधेरे में चलता चला गया जैसे तैसे पहुँचा, किसी ने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया।

“कौन है?” मैंने घबरा कर कहा

“किसी और को भी बुलाया है क्या तुमने?” रुक्मणी ही थी

मुझे हाथ पकड़े हुए चलती चली गयी, अब पानी की आवाज़ आने लगी थी, पसीने से भीग गया मैं उल्टी ही दिशा में जा रहा था, वो तो वह उसी तरफ़ से आ रही थी नहीं तो मैं गाँव के अंदर जा रहा था। नदी पर आ गए हम दोनो, हमारे गाँव की नदी की एक ख़ासियत ये थी कि ये वाला घाट पूरा बालू का सपाट मैदान था और पानी घुटनो तक बहता था।

(दोस्तों ज़्यादा डिटेल इसलिए नहीं लिख रहा क्योंकि सच बाहर आ जाएगा और अगर कोई सगा इस साइट पर हुआ तो वह निश्चित ही सारे किरदारों को पहचान लेगा, क्योंकि मैंने सिर्फ़ नाम बदल दिए है बाक़ी लगभग....)

रुक्मणी मुझे थोड़े झाड़ी की ओट में लेगयी वहाँ बस पानी था उसके बीच में रेत, उसने अपनी साड़ी निकाल कर बिछा दी और बोली,” अब इस पर बैठो।”

“ये क्यों तुम्हारी साड़ी ख़राब हो जाएगी।” मैंने कहा

“नहीं होगी। तुम आराम से बैठो मैं आती हूँ।” कह कर वो एक तरफ़ चली गयी थोड़ीदेर में उसके मूतने की आवाज़ वातावरण में गूंजने लगी और फिर पानी की छप छप।अंदाज़ा लगाया कि वो योनि की सफ़ाई कर रही थी।

उसका पेटिकोट भीग गया था जो मुझे उसके मेरे पास आ कर बैठने के बाद पता चला, मैंने उसको अपने पास कर लिया और उसकी भीगी हुई पेटिकोट के ऊपर हाथ रख दिया और गोल मुलायम नितंबो को सहलाने लगा और गर्दन पर चूमने लगा मैंने उसकी पीठ पर ऊपर तक हाथ फेरा और वापिस नितंबो पर उसके विशाल कूल्हे पतली कमर मज़बूत कंधे और बड़े बड़े स्तन उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे मैंने उसका पेटिकोट निकाल कर रख दिया और उसकी योनि पर हाथ रख दिया, बिलकुल साफ़ एक भी बाल नहीं।

मैंने योनि की पूरी लम्बाई में हाथ फेरा और धीरे से एक उँगली दाने पर गोल गोल घुमायी, आह निकल गयी उसकी।

मैंने उसका ब्लाउस भी निकाल दिया और एक स्तन पर हाथ रखा, उफ़्फ़्फ कितना बड़ा और तना हुआ निप्पल, मैंने खुद को रोक ही नहीं पाया। झुक कर दूसरे स्तन पर मुँह लगा दिया और उसके साथ लेटता चला गया उसकी साड़ी पर ही। दोनो स्तनो को बारी बारी चूस और मसल कर लाल कर दिया। आह बस करो उनको पूरा ही खा जाओगे और भी कुछ करोगे ज़्यादा समय नहीं है। उसकी बात से मेरे दिमाग़ की बत्ती जली ।

मैं तुरन्त नीचे आया और योनि पर मुँह लगा दिया उसका योनि रस शहद जैसा मीठा मेरे मुँह में घुलने लगा, बहुत रसीली और मीठी, जीभ घुसा घुसा कर मैं रुक्मणी की चूत चाट कर जीभ से ही उसको चोद रहा था और अपने हाथ बढ़ा कर स्तनो को मसल रहा था। उसका पूरा बदन अकड़ गया वो झड़ रही थी और मैंने उसको छोड़ दिया, खड़े होकर अपना लोअर निकाला और उसके पैरो के बीच में आ गया।

बैठ कर मैंने अपना लण्ड पकड़ा और उसकी झड़ने का आनंद लेती हुई योनि पर लण्ड को पटक कर थप्पी देना शुरू किया, वो आऽऽऽऽ करके रह गयी और ऊपर से नीचे करते हुए योनि छिद्र में लण्ड फँसा दिया और अंदर को कमर पर ज़ोर लगा कर ठेल दिया उसकी योनि में मेरा लण्ड आराम से अन्दर जाने लगा।

एक बात तो तय थी कि वह खेली खाई औरत थी बस सिर्फ़ बच्चा पैदा करने को नहीं मज़ा लेते हुए चुदवाने आयी थी, मैंने भी उसके पैर पकड़े और तेज़ी से चुदाई शुरू कर दी।

लगातार धक्के वो झेल नहीं पायी और दोबारा स्खलित हो गयी, मैंने उसको उठा कर घोड़ी बना दिया और उसने अपनी गाँड उठा ली और मैंने भारी नितंबो पर तबले की ठप ठप बजाते हुए उसकी योनि को वीर्य से भर दिया। वो भी झड़ गयी थी।

बस फुर्सत होते ही उसको भागने की पड़ी थी झट से कपड़े पहने और कल आने का वादा लेकर चली गयी, मैं भी उसके पीछे पीछे अपने घर आया और सो गया
 

Killerpanditji(pandit)

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कम्मो बिना बिस्तर के ही ऊपर आयी और मेरे बगल में लेट गयी, मेरे बदन पर हाथ फेरने लगी। वो ऐसे छू रही थी जैसे मानो वो वासना नहीं वात्सल्य है।

“ क्या हुआ !” मैंने कहा

“नहीं कुछ भी तो नहीं।” वो हिचकिचा कर बोली

“कैसे कुछ नहीं, कोई बात तो ज़रूर है” मैंने उसके सीने पर हाथ रखते हुए कहा

वो सिहर गयी, मैंने स्तन कलश को मसलना शुरू किया और वही हाथ कमर तक ले गया और उसकी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उसके होंठो को मुँह में भर लिया।
कम्मो मचलने लगी वो बहुत ही कामुक औरत थी।

मैंने अपना हाथ कम्मो के विशाल नितम्ब पर रखा और उसकी साड़ी ऊपर करने लगा, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली मेरा एक काम करोगे।

क्या काम, कर तो तुम्हारा ही काम रहा था, और क्या करवाना है। मैंने उससे कहा

“मेरी भाभी सुमन कैसी लगी!” ये कैसा सवाल था कम्मो का

“मतलब कैसी लगी अच्छी है और क्या कहना चाहती हो।” मैंने धड़कते दिल के साथ कहा अब उससे क्या कहता मस्त माल है और तुम्हारा भाई चुतिया

“नहीं मेरा मतलब अगर मौक़ा मिले तो उसके साथ क्या क्या करोगे” कम्मो ने अब बिलकुल बेशर्मी से कहा

“अरे! मैं ऐसा हूँ।”कहते हुए मैंने उसको छोड़ दिया

मैं उठ कर बैठ गया। कम्मो मुझसे लिपट गयी मेरे कानो पर चूमने लगी।मैंने उसको धकेल दिया,”हटो दूर।”

वो फिर लिपट गयी और बोली,” एक ही दिन हूँ मैं यहाँ कल तो जा ही रही हूँ, फिर शायद ही हम दोबारा मिल पाए।” वो उदास हो गयी तो मैं भी उससे लिपट गया। कुछ देर हम दोनो ही शान्त हो गए

“‘माधो मेरा एक काम करेगा?” कम्मो ने अँधेरे में ही मेरी आँखो में देखते हुए कहा और अपना एक हाथ लण्ड पर फेरने लगी और दिमाग़ और दिल पर लण्ड हावी होने लगा, कम्मो लण्ड मसल मसल कर मेरी ओर देख कर बोली,” इसका काम है, इसको एक नयी चूत मिलने वाली है।”

“मतलब। “ मैंने बोला पर सामने सुमन का चेहरा घूम गया

“मेरी भाभी सुमन।” कम्मो बोली

“पागल हो क्या आप?” मैंने कहा

“अरे सुन तो, तू अपना है इस लिए तुझे बता रही हूँ।”मामी बोली

“क्या बता रही हो?” मैंने उखड़ते हुए कहा

“माधो बात कुछ ऐसी हैकि........ फिर उन्होंने मुझे कल्लू की दूसरी शादी की ज़िद... उसका वीर्य कमजोर होने से लेकर सुमन की इस परेशानी से निपटने की सारी दास्तान, मुझे राज़ी कर लिया

और वो सुमन को ऊपर भेजने के लिए नीचे चली गयी, लगभग १० मिनट के बाद आयी सुमन और बिस्तर के किनारे बैठ गयी। उसकी पीठ मेरी ओर थी। वो भी चुप ही थी और मैं जानता था पहल तो मुझे ही करना होगी। मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा तो वो सिहर गयी स्स्स्स्स्स्स्स

मैं उसके पास चला गया और ठीक पीछे बैठ गया, और उसकी गर्दन पर होंठ लगा दिए” स्स्स्स्स् सीसीसीईई” सुमन सिसकने लगी

गर्दन पर ब्लाउस और कान तक चूमने लगा, चाँदनी रात में उसका गोरा बदन दमक रहा था। एक ओर गर्दन के चूम रहा था और दूसरी ओर हाथ रख कर हल्का घुमा रहा था उसको पीछे खिंचता जा रहा था और वो मेरी गोद में अधलेटी हो गयी।

मैं उसको देखता रह गया, चौड़ा माथा सुतवा नाक, लरजते हुए होंठ, बड़े बड़े और रसीले मैं उसके अधरों का रस पान करने झुकने लगा उसने आँखें बंद कर ली और मैंने उसके होंठो पर होंठ रख दिए। मेरा ख़ुद का गला सुख गया, मैंने उसके निचले होंठ को मुँह में अपने होंठो से दबाया और चूसने लगा। मेरा एक हाथ अपने आप उसके पेट पर चला गया मुलायम सपाट पेट हल्की चर्बी जो नाभी के चारों ओर थी जिससे उसकी नाभि और भी सुंदर लगती थी।

मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया और उसने भी मेरा ऊपर का होंठ मुँह में भर लिया। वो भी अब साथ देने लगी थी।


उसके होंठ खुले और उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाली, मीठा पान जैसा स्वाद मैं बस चाटता रह गया उसकी जीभ, और उसने अपनी जीभ से मेरी जीभ टकराने लगी, मेरे लिए ये एक नया अनुभव था, मैं अब उसका चेहरा पकड़ कर उसको चूमते हुए मुखरस का आनन्द ले रहा था और उसने मेरी टी-शर्ट को ऊपर करना शुरू कर दिया और मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी, वो मेरे निप्पल से खेलने लगी और मैं उसकी जीभ चूस रहा था, उसने अब मेरे दोनो निप्पल को अपने नाखून से कुरेदने लगी, ये बहुत ही सुखद था।

वो बॉसी टाइप लगी ऐसा मैंने कई मूवी में देखा था, मुझे बहुत आनन्द आ रहा था और मैंने उसके आगे समर्पण कर दिया, और वो मेरे गर्दन पर चूमने लगी वहाँ से कानो को चबाती और वापिस गले पर। मैंने अपने कपड़े निकाल दिए और उसने मुझे लेटा दिया, मेरे बगल में आ गयी और झुक कर निप्पल को मुँह में भर लिया, मेरे बालों से भरे हुए सीने पर वो अपना चेहरा घिस कर बारी बारी निप्पल को चूम और काट रही थी ये एक नया रोमांच था मेरे लिए।

वो अपना एक हाथ नीचे ले गयी और सीधा लोअर के अन्दर सरका दिया। मेरा मोटा तगड़ा लण्ड हाथ में आते ही उसकी आँखे कुछ बड़ी हो गयी और वो मोटाई और लम्बाई से चकित हो गयी एक २० साल के लड़के के इतने मोटे लण्ड की कल्पना शायद उसने नहीं की थी।

उसने लण्ड को छोड़ दिया और अपना हाथ और नीचे ले गयी और अंडकोशो को सहलाने लगी और अपना हाथ और नीचे ले गयी पर लोअर फँस रहा था, उसने मेरी आँखो में देखा मानो कह रही हो कपड़े निकालो, और मैंने उसका कहा माना और खुद ही अपना लोअर निकाल दिया।

उसका हाथ नीचे आया और अंडकोश के नीचे नाखून से हल्का सा खरोंचा आह निकल गयी मेरी, कितना मज़ा जो कभी किसी ने नहीं किया था। अंडकोशो को खरोंचते हुए पेट से नीचे गयी और पलट कर लेट गयी और मैं उसके पैरो पर चूमते हुए उसकी साड़ी खिंचने लगा, उसकी गोरी पिंडलियों पर हलके रोम दूध सा गोरा रंग, हाथ सरका कर अन्दर उसकी जाँघो पर पहुँचा तो उसने अपनी जाँघों को कस कर मेरा हाथ दबा लिया पर मैंने अपना दूसरा हाथ उसके नितम्बों की गोलाई पर पहुँचा दिया, कसे हुए बड़े गोलाकार नितम्ब उसकी मेहनतकश होने की गवाही दे रहे थे उसकी जाँघ भी कसी हुई थीं, मैंने ज़ोर लगाया पर मैं उसके पैर खोल नहीं पाया, तो मैं उसके पैर चूमते हुए नीचे को सरकने लगा।

धीरे धीरे नितंबो को सहलाते हुए उसकी योनि के पास पहुँच गया, जाँघ पर चूमते हुए मैं सुमन की योनि पर चूमने लगा, रोम विहीन चिकनी हल्की फूली हुई, पतली सी दरार चाँदनी में हल्की निकलती हुई साँवली लालिमा लिए हुए पंखुड़ी।

जीभ निकाल कर मैंने दरार को चाटा, सुमन चौंक कर चिपक गयी, उसने अपने पैर भी ढीले कर दिए, और मैंने अपना सिर उसकी जाँघों के बीच घुसा कर योनि को मुँह में भर लिया, कसैला नमकीन सा स्वाद मुँह में घुल गया। लेकिन अगले ही पल अन्दर से मीठा स्वाद ने समा बांध दिया, उसकी मोटी भगनस को मैंने चबाया और नितंबो को पकड़ कर उसको अपने ऊपर खिंचते हुए सीधा हो गया।

उसकी योनि से बहते हुए रस को पीने लगा, उसने भी लण्ड की खाल को पीछे किया और गप से पूरा एक ही बार में अंदर भर लिया।

जारी है.....
Hot update ?????
 
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