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Erotica अगड़ बम

Lutgaya

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Maddy78

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सुबह सबसे पहले कम्मो की आँख खुली और उसने मेरे तने हुए लण्ड को मुँह में भर लिया, मुझे तेज पेशाब लगी थी मैंने लण्ड को जैसे तैसे छुड़ाया और पीछे की तरफ़ जाकर छत से ही मूतने लगा।

वापिस आया तो उसने फिर मूत से भीगा हुआ लण्ड मुँह में ठूँस लिया, अभी उजाला नहीं हुआ था यानि की हमारे पास एक राउंड का टाइम तो था ही, मैंने उसको इशारा किया वो झट समझ गयी।

मैंने कम्मो को सीधा लिटाया और पकड़ कर पैर उठा कर लण्ड को चूत पर टिकाया,(अँधेरा बढ़ने लगा था यानि चंद्र ढल गया था, अब सुबह होने में ज़्यादा समय नहीं था) बस पेल दिया और चुदाई करने लगा। कम्मो की आवाज़ सुनकर मामी की आँख खुल गयी, वो “ जल्दी खतम करो, वो खेत से आने वाले है। तुमको लेने भी तुम्हारा भाई आ रहा है।” और मामी नीचे उतर गयी। हमने सुना पर रुके नहीं कम्मो झड़ गयी थी और अब उसके मूत्राशय में लगने वाली ठोकर उससे सहन नहीं हो रही थी गद्दी भी बहुत दूर सरक गयी थी। मैंने धक्के तेज किए और कम्मो रुक रुक कर मूतने लगी हर धक्के पर मूत रही थी। ५ मिनट तक यही चलता रहा वो दोबारा झड़ी और मैं भी अब कभी भी झड़ सकता था जैसे ही वीर्य ने उबाल मारा मैंने उसके पेट पर वीर्य उगल दिया, सारा पेट वीर्य से सन गया और सुबह की लालिमा की किरनो में उसका पेट चमक उठा।

उसने उँगलियो पर समेटा और चाटने लगी मैंने अपना लोअर पहना और फ़्रेश होने निकल गया।

जब वापिस आया तब तक कम्मो का भाई आ चुका था, साथ में उसकी भाभी भी थी। कम्मो का भाई मरियल सा दुबला पतला और भाभी गोरी लम्बी और छरहरी, सपाट पेट, गहरी नाभी, स्तनो की दरार उभरी हुई गोलाइयाँ। इतना ही देखा कि उसने मुझे देखते ही घूँघट डाल लिया।

“अरे भांजो से क्यों पर्दा कर रही हो भौजी, ससुर नहीं है ये और छोटा ही तो है तुझसे।” कम्मो बोल उठी

मैं नाश्ता करने बैठ गया और मामी ने गरमा गरम पूरी और मसाले वाली आलू की सब्ज़ी परोस दी।

इसके बाद मैं मामी के भाई को लेकर खेतों की तरफ़ निकल गया।

*यहाँ घर पर•
——————-


मामी ,” क्या कहा डाक्टर ने?”

कम्मो की भाभी(सुमन),” दीदी आपके भाई में ही कमी है, वीर्य कमजोर है।”

कम्मो,” और ये कलुआ दूसरी शादी की ज़िद करके बैठा है, कहता है बीवी बाँझ है।”

सुमन ये सुन कर रोने लगी,” अगर इन्होंने दूसरी शादी की तो मैं कहाँ जाऊँगी? मेरा तो कोई ठिकाना ही नहीं है।”

“भाभी तुम चिंता मत करो कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा” मामी ने कहा

“तुम्हारा वाला रास्ता......” कम्मो अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी थी

“ क्या रास्ता... मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ।” सुमन ने कहा

मामी और कम्मो एक दूसरे की ओर देखने लगी और दोनो हँस दी। सुमन ने अचरज से आँखो में आँसू भरे हुए दोनो की ओर देखा।

“अच्छा भौजी एक बात बताओ महीने से कब हुई थी।” कम्मो ने कहा

“ पिछले हफ़्ते।”सुमन ने कहा

“ सम्भोग कब किया था” कम्मो बोली

“जी... वो.... परसों।” सुमन शर्मा कर बोली

फिर दोनो खसुर फुसूर करने लगी और सुमन को बहुत देर तक सब समझाने लगी, बहुत दुनियाँ भर की बातें हुई। कसमें खायी गयी तब जाकर आख़िर में सुमन मान गयी।

उनके बीच सब तय हो गया।

•————•
ये सब मामी ने बाद में बताया

मैं मामा और कल्लू तीनो एक साथ शाम होने पर खेत से वापिस आए और खाना खा कर वही बैठ गए। कल्लू , मामा के साथ खेत पर चला गया और मैं अपना बिस्तर लेकर छत पर चला गया, अब आज कोई उम्मीद तो थी नहीं इसलिए मैं लेट कर सोने की कोशिश करने लगा।

जारी है.....
 

Lutgaya

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अति उत्तम
 

Lutgaya

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फ्री होते ही बडे अपडेट देना
 

Lutgaya

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Tum bhi story likhte ho kya bhai
नही बन्धु
सिर्फ़ पढता हूं
 

Killerpanditji(pandit)

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सुबह सबसे पहले कम्मो की आँख खुली और उसने मेरे तने हुए लण्ड को मुँह में भर लिया, मुझे तेज पेशाब लगी थी मैंने लण्ड को जैसे तैसे छुड़ाया और पीछे की तरफ़ जाकर छत से ही मूतने लगा।

वापिस आया तो उसने फिर मूत से भीगा हुआ लण्ड मुँह में ठूँस लिया, अभी उजाला नहीं हुआ था यानि की हमारे पास एक राउंड का टाइम तो था ही, मैंने उसको इशारा किया वो झट समझ गयी।

मैंने कम्मो को सीधा लिटाया और पकड़ कर पैर उठा कर लण्ड को चूत पर टिकाया,(अँधेरा बढ़ने लगा था यानि चंद्र ढल गया था, अब सुबह होने में ज़्यादा समय नहीं था) बस पेल दिया और चुदाई करने लगा। कम्मो की आवाज़ सुनकर मामी की आँख खुल गयी, वो “ जल्दी खतम करो, वो खेत से आने वाले है। तुमको लेने भी तुम्हारा भाई आ रहा है।” और मामी नीचे उतर गयी। हमने सुना पर रुके नहीं कम्मो झड़ गयी थी और अब उसके मूत्राशय में लगने वाली ठोकर उससे सहन नहीं हो रही थी गद्दी भी बहुत दूर सरक गयी थी। मैंने धक्के तेज किए और कम्मो रुक रुक कर मूतने लगी हर धक्के पर मूत रही थी। ५ मिनट तक यही चलता रहा वो दोबारा झड़ी और मैं भी अब कभी भी झड़ सकता था जैसे ही वीर्य ने उबाल मारा मैंने उसके पेट पर वीर्य उगल दिया, सारा पेट वीर्य से सन गया और सुबह की लालिमा की किरनो में उसका पेट चमक उठा।

उसने उँगलियो पर समेटा और चाटने लगी मैंने अपना लोअर पहना और फ़्रेश होने निकल गया।

जब वापिस आया तब तक कम्मो का भाई आ चुका था, साथ में उसकी भाभी भी थी। कम्मो का भाई मरियल सा दुबला पतला और भाभी गोरी लम्बी और छरहरी, सपाट पेट, गहरी नाभी, स्तनो की दरार उभरी हुई गोलाइयाँ। इतना ही देखा कि उसने मुझे देखते ही घूँघट डाल लिया।

“अरे भांजो से क्यों पर्दा कर रही हो भौजी, ससुर नहीं है ये और छोटा ही तो है तुझसे।” कम्मो बोल उठी

मैं नाश्ता करने बैठ गया और मामी ने गरमा गरम पूरी और मसाले वाली आलू की सब्ज़ी परोस दी।

इसके बाद मैं मामी के भाई को लेकर खेतों की तरफ़ निकल गया।

*यहाँ घर पर•
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मामी ,” क्या कहा डाक्टर ने?”

कम्मो की भाभी(सुमन),” दीदी आपके भाई में ही कमी है, वीर्य कमजोर है।”

कम्मो,” और ये कलुआ दूसरी शादी की ज़िद करके बैठा है, कहता है बीवी बाँझ है।”

सुमन ये सुन कर रोने लगी,” अगर इन्होंने दूसरी शादी की तो मैं कहाँ जाऊँगी? मेरा तो कोई ठिकाना ही नहीं है।”

“भाभी तुम चिंता मत करो कोई रास्ता ज़रूर निकलेगा” मामी ने कहा

“तुम्हारा वाला रास्ता......” कम्मो अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी थी

“ क्या रास्ता... मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ।” सुमन ने कहा

मामी और कम्मो एक दूसरे की ओर देखने लगी और दोनो हँस दी। सुमन ने अचरज से आँखो में आँसू भरे हुए दोनो की ओर देखा।

“अच्छा भौजी एक बात बताओ महीने से कब हुई थी।” कम्मो ने कहा

“ पिछले हफ़्ते।”सुमन ने कहा

“ सम्भोग कब किया था” कम्मो बोली

“जी... वो.... परसों।” सुमन शर्मा कर बोली

फिर दोनो खसुर फुसूर करने लगी और सुमन को बहुत देर तक सब समझाने लगी, बहुत दुनियाँ भर की बातें हुई। कसमें खायी गयी तब जाकर आख़िर में सुमन मान गयी।

उनके बीच सब तय हो गया।

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ये सब मामी ने बाद में बताया

मैं मामा और कल्लू तीनो एक साथ शाम होने पर खेत से वापिस आए और खाना खा कर वही बैठ गए। कल्लू , मामा के साथ खेत पर चला गया और मैं अपना बिस्तर लेकर छत पर चला गया, अब आज कोई उम्मीद तो थी नहीं इसलिए मैं लेट कर सोने की कोशिश करने लगा।

जारी है.....
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