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बुआ सीधी धमकी देकर अंदर गयी थी, और जाकर कमरे में घुप अँधेरा करके लेट गयी थी, मैं जाकर उनके बगल में लेट गया। मैंने दूसरी ओर करवट ले ली थी।
वो मेरी तरफ़ घूम कर पास आ गयी और पीछे से लिपट गयी और मेरी गर्दन पर चूमने के बाद बोली,” बेटा मैंने तुझको अपनी गोद में खिलाया है, १२ साल ही बड़ी हूँ तुझसे, पर देख इस चिंता में २९ में ही ३९ की लगने लगी हूँ। तेरे फूफा जी ने कल मेरे गर्भ काल के पहले दिन मुझे घोड़ी बना कर चोदा और वीर्य की बूँदे मेरी योनि में टपका कर ये कहते हुए सो गए कि अगर इस बार मैं पेट से ना हुई तो वो दूसरी शादी कर लेंगे।”
बुआ सिसकने लगी उनकी रुलाई बंद नहीं हो रही थी, मैं उनका दर्द समझ सकता था मैंने दूसरी औरतों को भी इस तरह इस हाल में देखा था।
मैंने पलट कर बुआ को अपने आग़ोश में ले लिया और उनके कानो में धीरे से कहा,” सीमा , मैं तुमको माँ बनाऊँगा।” और उनके नितंबो को पकड़ कर उनको अपनी ओर खींच कर उनके होंठो पर होंठ रख दिए।मैं उनके होंठो को चूस रहा था और वो अपना मुँह बंद किए जा रही थी, वो मेरा साथ नहीं दे रही थी ।
मैंने उनको करके कहा ,”का होव बुआ, आपको अच्छा नाही लागत है का।”
“ ऐसा कभी किया नाही।” बुआ बोली
“देखो जैसा मैं करता हूँ वैसा करो और मेरा साथ दो नहीं तो फिर रहने दो।” मैंने सीधे लेट कर कहा, अब मैं उनसे अलग हो चुका था
“नहीं नहीं दूर मत जाओ जैसा कहोगे वैसा करूँगी।” बुआ बेमन से बोली
मैंने उनको फिर से बाहों में भर लिया उनकी पतली कमर और भरे हुए नितंब मेरे हाथों की गिरफ़्त में थे, बुआ के नितम्ब मसलते हुए मैं उनकी गर्दन पर चूमने लगा और थोड़ी ही देर में बुआ भी गरम होने लगी और मेरे बालों में हाथ फेरते हुए सिसकने लगी।
मैंने एक हाथ से नितम्ब को मसलते हुए दूसरा हाथ पीछे से उनके कुर्ते में घुसा दिया गरम और चिकनी पीठ, ब्रा की स्ट्रैप भी खोल दी वो अकड़ गयी, शायद इतने से ही वो चरम पर पहुँच गयी थी। अब वो बिलकुल शान्त हो गयी और मैंने एक एक करके उनके सारे कपड़े निकाल दिए।
बुआ के दोनो झाँघो के बीच अपने घुटने घुसा कर पोजिशन बना कर उनके स्तनो को पकड़ लिया, अब बुआ ना साथ दे रही थी और ना ही मना कर रही थी, मैं बारी बारी से दोनो स्तनो को मसलते हुए निप्पल को चूसने लगा, लण्ड अपनी गुफा के द्वार पर दस्तक दे रहा था, मैंने अपना एक हाथ नीचे करके लिंग को बुआ के योनि द्वार पर सही जगह लगाया और अन्दर सरकाया बुआ की योनि कसी हुई लण्ड पर अपनी पकड़ और मजबूत करती जा रही थी, आधे लिंग ले अन्दर जाने के बाद लण्ड ने अन्दर जाना बंद कर दिया, मैंने अपना एक हाथ बुआ के गालों पर रख कर थपथपाया और एक ज़ोरदार धक्के में लिंग अन्दर कर दिया। मैं पूरी तरह से तैयार था उनकी चीख निकलने से पहले उनका मुँह दबा दिया, नहीं तो पूरा घर उनकी चीख सुनकर यहाँ जमा हो जाता।
वो दोनो हाथों से मुझे अलग कर रहीं थी पर मैंने उनको नहीं छोड़ा, थोड़ी देर रुक कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा थोड़ी देर में बुआ ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया अब वो विरोध नहीं कर रही थी, उनकी योनि का गीलापन अब बाहर तक बहने लगा था। ६-७ मिनट के धक्कों के बाद वो भी नीचे से अपनी कमर उछालने लगी और अपनी बाँहें मेरे गर्दन पर लपेट कर लिपट गयी। चार छह धक्के और बुआ का बदन थरथरा उठा लेकिन अब मैंने अपनी स्पीड तेज और तेज कर दी और बुआ एक बार और मेरे लण्ड पर पिघल गयी इस बार मैंने भी अपनी मलाईं उनकी योनि में भर दी। बहुत दिन से भरा हुआ वीर्य उनकी योनि और गर्भाशय में उतर गया।
मैं उनके ऊपर ही लेटा रहा, बुआ ने थोड़ी देर बाद मुझे अपने ऊपर से धकेला और नंगी ही छत पर खुले में मोहरी के पास जाकर मूतने लगी।
और वापिस आकर सिर्फ़ चड्डी पहन कर लेट गयी और सो गयी।
वो मेरी तरफ़ घूम कर पास आ गयी और पीछे से लिपट गयी और मेरी गर्दन पर चूमने के बाद बोली,” बेटा मैंने तुझको अपनी गोद में खिलाया है, १२ साल ही बड़ी हूँ तुझसे, पर देख इस चिंता में २९ में ही ३९ की लगने लगी हूँ। तेरे फूफा जी ने कल मेरे गर्भ काल के पहले दिन मुझे घोड़ी बना कर चोदा और वीर्य की बूँदे मेरी योनि में टपका कर ये कहते हुए सो गए कि अगर इस बार मैं पेट से ना हुई तो वो दूसरी शादी कर लेंगे।”
बुआ सिसकने लगी उनकी रुलाई बंद नहीं हो रही थी, मैं उनका दर्द समझ सकता था मैंने दूसरी औरतों को भी इस तरह इस हाल में देखा था।
मैंने पलट कर बुआ को अपने आग़ोश में ले लिया और उनके कानो में धीरे से कहा,” सीमा , मैं तुमको माँ बनाऊँगा।” और उनके नितंबो को पकड़ कर उनको अपनी ओर खींच कर उनके होंठो पर होंठ रख दिए।मैं उनके होंठो को चूस रहा था और वो अपना मुँह बंद किए जा रही थी, वो मेरा साथ नहीं दे रही थी ।
मैंने उनको करके कहा ,”का होव बुआ, आपको अच्छा नाही लागत है का।”
“ ऐसा कभी किया नाही।” बुआ बोली
“देखो जैसा मैं करता हूँ वैसा करो और मेरा साथ दो नहीं तो फिर रहने दो।” मैंने सीधे लेट कर कहा, अब मैं उनसे अलग हो चुका था
“नहीं नहीं दूर मत जाओ जैसा कहोगे वैसा करूँगी।” बुआ बेमन से बोली
मैंने उनको फिर से बाहों में भर लिया उनकी पतली कमर और भरे हुए नितंब मेरे हाथों की गिरफ़्त में थे, बुआ के नितम्ब मसलते हुए मैं उनकी गर्दन पर चूमने लगा और थोड़ी ही देर में बुआ भी गरम होने लगी और मेरे बालों में हाथ फेरते हुए सिसकने लगी।
मैंने एक हाथ से नितम्ब को मसलते हुए दूसरा हाथ पीछे से उनके कुर्ते में घुसा दिया गरम और चिकनी पीठ, ब्रा की स्ट्रैप भी खोल दी वो अकड़ गयी, शायद इतने से ही वो चरम पर पहुँच गयी थी। अब वो बिलकुल शान्त हो गयी और मैंने एक एक करके उनके सारे कपड़े निकाल दिए।
बुआ के दोनो झाँघो के बीच अपने घुटने घुसा कर पोजिशन बना कर उनके स्तनो को पकड़ लिया, अब बुआ ना साथ दे रही थी और ना ही मना कर रही थी, मैं बारी बारी से दोनो स्तनो को मसलते हुए निप्पल को चूसने लगा, लण्ड अपनी गुफा के द्वार पर दस्तक दे रहा था, मैंने अपना एक हाथ नीचे करके लिंग को बुआ के योनि द्वार पर सही जगह लगाया और अन्दर सरकाया बुआ की योनि कसी हुई लण्ड पर अपनी पकड़ और मजबूत करती जा रही थी, आधे लिंग ले अन्दर जाने के बाद लण्ड ने अन्दर जाना बंद कर दिया, मैंने अपना एक हाथ बुआ के गालों पर रख कर थपथपाया और एक ज़ोरदार धक्के में लिंग अन्दर कर दिया। मैं पूरी तरह से तैयार था उनकी चीख निकलने से पहले उनका मुँह दबा दिया, नहीं तो पूरा घर उनकी चीख सुनकर यहाँ जमा हो जाता।
वो दोनो हाथों से मुझे अलग कर रहीं थी पर मैंने उनको नहीं छोड़ा, थोड़ी देर रुक कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा थोड़ी देर में बुआ ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया अब वो विरोध नहीं कर रही थी, उनकी योनि का गीलापन अब बाहर तक बहने लगा था। ६-७ मिनट के धक्कों के बाद वो भी नीचे से अपनी कमर उछालने लगी और अपनी बाँहें मेरे गर्दन पर लपेट कर लिपट गयी। चार छह धक्के और बुआ का बदन थरथरा उठा लेकिन अब मैंने अपनी स्पीड तेज और तेज कर दी और बुआ एक बार और मेरे लण्ड पर पिघल गयी इस बार मैंने भी अपनी मलाईं उनकी योनि में भर दी। बहुत दिन से भरा हुआ वीर्य उनकी योनि और गर्भाशय में उतर गया।
मैं उनके ऊपर ही लेटा रहा, बुआ ने थोड़ी देर बाद मुझे अपने ऊपर से धकेला और नंगी ही छत पर खुले में मोहरी के पास जाकर मूतने लगी।
और वापिस आकर सिर्फ़ चड्डी पहन कर लेट गयी और सो गयी।