Lutgaya
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शानदार कहानी मजा आ गया मित्रमैं अब और देर नहीं करना चाहता था, मैं मामी के दोनो पैरो के बीच में आगया और मामी के पैरो को पकड़ कर मोड़ दिया ताकि उनकी योनि खुल जाए और मैं आराम से अपना लिंग प्रवेश करा सकूँ।
मैंने अपना लिंग योनिद्वार पर टिकाया और एक हाथ से पकड़ कर उसको घने बालों को एक तरफ़ करके बहते हुए झरने के रस से नहलाते हुए पंखुड़ियों को फैलाते हुए गुफा द्वार पर थपकी देते हुए दस्तक ही दी थी कि मामी का पूरा बदन काँप उठा।
मैंने लिंग मुण्ड को मामी की योनि पर दबाया और लिंग का अगला भाग अंदर सरकने लगा और एक इंच ही अंदर गया मामी ,” आह माधो नाही जई।”
मैंने अपनी कमर का ज़ोर लगाया और उनके होंठो को होंठो से दबाते हुए धक्का लगा दिया।
ऊऊऊऊऊउंन्न्न्न” मामी की चीख दब कर रह गयी।
मैंने अपना आधे से ज़्यादा लिंग मामी की योनि में घुसा दिया था, मामी ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए, मैंने उनको थोड़ा समय दिया।
“आह्ह्ह निकाल ले माधो, बहुत दर्द हो रहा है! मुझे नहीं करना।” मामी याचना भरे स्वर में बोली
“बस हो गया, अब दर्द नहीं होगा।” मैंने उनको सान्त्वना देते हुए कहा
मामी अपना एक हाथ नीचे लायी और टटोल कर मेरा लिंग का अनुमान लगा कर बोली,” हय मैया कित्ता बड़ा और मोटा है तेरा! ई ना जाइबे।”
मैंने थोड़ा बाहर निकाल तो मामी ने अपना बदन ढीला छोड़ा और बस पेल दिया पूरा। अगर मैंने मामी का मुँह ना दबाया होता तो मामा ने खेत में सुनी होती मामी की चीख, और पूरा गाँव आजाता वो अलग।
इसके बाद मैंने मामी को शान्त होने का पूरा मौक़ा दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर का खेल शुरू कर दिया, थोड़ी ही देर में मामी भी मज़ा लेने लगी और ५ मिनट में ही वो झड़ने लगी।
“हाय रे माधो, मैं हवा में उड़ रही हूँ।तू पहले क्योंना आया अपनी मामी की प्यास बुझाने, चोद मेरे बच्चे.... चोद कर मामी को दे दे प्यार की निशानी।”
मैं अपनी लय पर ताल मिला कर मामी की चुदाई कर रहा था और मामी पगली होकर गाँड उछाल कर बकबक।”
एकाएक मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और अब मैं झड़ने के निकट ही आगया था। मैंने पूरी रफ़्तार से चुदाई कर रहा था और हम दोनो के बदन काँपने लगे और मैंने भर दी मामी की चूत अपने वीर्य से, बाहर रिस रहा था पर मैं अभी भी धक्के मार रहा था, मामी काँप रही थी और एक बार और झड़ गयी।
उनके शरीर में अब जान नहीं थी वो सो गयी। सुबह मैं पहले उठा, वो नंगी ही मुझसे लिपटी पड़ी थी.... मैंने उनको उठाया और वो पेटिकोट ब्लाउस पहन कर साड़ी लेकर, लंगड़ाते हुए चली गयी
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हो सके तो तो ग्रामीण भाषा का इस्तेमाल करके लिखो
गांव की प्यासी औरतों को भी मौका देना अमृत पीने का