Part 1 Update 9
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ललित और अदिति को अपने प्यार का एहसास हो चूका था । दोनों ही बहुत खुश थे , जैसे ज़माने की सारी खुशियाँ उनकी झोली में आ गयी हो । अगले दिन ललित ऑफिस चला गया और अदिति घर को संवारने में लग गयी । तभी दरवाजे की डोरवेल बजती है । अब उसके आगे
"अभी थोड़ी देर तो हुई है ललित को गये । इतनी जल्दी तो वो आयेगा नही , फिर कौन आ गया । " मन ही मन सोचते हुए अदिति दरवाजे की तरफ बढ़ गयी और दरवाजा खोलते ही सामने खड़ी दो औरतों को देख उसकी आँखों में चमक आ गयी ।
"अरे माँ तुम यहाँ और मासी तुम " कहते हुए उनके गले लग गयी ।
"हा ,मेरी बच्ची मै हूँ। अब क्या यही खड़ी रहेगी । अंदर नही ले चलोगी क्या। मासी ने हँसते हुए बोला।
"तुमसे इतने दिन बाद जो मिली हूँ , तो सब कुछ भूल गयी। आओ माँ अंदर बैठो । कितनी सारी बाते करनी है मुझको " कहते कहते रुआँसी सी माँ के गले लग रो पड़ी।
"अरे मेरी बच्ची रोटी क्यों है । मै आ गयी ना ।"
" माँ लेकिन तुम्हे पता कैसे चला कि मै यहाँ हूँ।"
" कितने दिनों से तुम्हे ढूढ रही थी । अब जाकर पता चला तुम्हारा । पता है मै कितनी परेशान थी । पता नही कहाँ और किस हाल में मेरी बच्ची होगी।"
"मै ठीक हूँ माँ , मुझे यहाँ कोई परेशनी नही है।
" लेकिन बेटा तुम यहाँ पहुची कैसे और उससे बची कैसे।
"आपको तो पता है ना उस समय हम सभी के साथ जो हुआ। सब इधर उधर भागने लगे थे । उसने मुझे कैद कर लिया था और बहुत तकलीफे दी । मुझे कैद करके वो आप सभी को मजबूर करने चाहता था लेकिन उसकी एक छोटी बेटी बहुत ही नरम स्वभाव की थी उसने मुझे आजाद किया और उसकी ही मदद से मै वहाँ से भागने में कामयाब हो गयी थी लेकिन उसे पता चल गया और वो मेरा पीछा करने लगा । मै बहुत डरी और सहमी बस उससे बच कर भागी जा रही थी । मुझे नही पता मै कहाँ से कहाँ पहुच गयी । भागते भागते मै पूरी तरह थक गयी थी । अँधेरा भी हो चुका था । मै रास्ता भटक गयी थी ।बहुत खोजने की कोशिश की लेकिन नही किसी को मिल पाई। जब मेरी हिम्मत जवाब दे दिया तो फिर वही एक पेड़ के बैठ गयी । मुझे बहुत चोट लगी थी और बहुत दर्द हो रहा था । तभी ललित उधर से गुजर रहा था । उसने मुझे उठाया , मुझे सहारा दिया और अपने घर लेकर मेरी देखभाल की । ये ललित का ही घर है माँ। माँ ललित बहुत अच्छा इंसान है । वो मेरा बहुत खयाल रखता है।
"चलो कोई नही , जो हो गया बीता समय समझ के भूल जाओ चलो घर चलो । तुम्हारे बाबा और भाई भी बहुत परेशान हो रहे थे , पता नही किस हाल में होगी तुम्हे सही सलामत देखकर वो बहुत खुश होंगे। अब कभी हम उस जगह नही जायेंगे ।"
" ठीक है माँ , चलती हूँ । " कहते हुए वो अपनी माँ और मासी के साथ जाने लगती है लेकिन दरवाजे के आगे एक कदम बढ़ाते ही उसके कदम रुक जाते है।
"क्या हुआ बेटी , रुक क्यों गयी ।"
"माँ मै नही जा सकती ।"
"क्यों क्या हुआ।"
"माँ मैने ललित से वादा किया है , मै उसे कभी छोड़ के नही जाऊंगी।"
"तुम पागल हो गयी हो क्या , तुम्हे पता भी है तुम क्या कह रही हो। ये तुम्हारी जगह नही है।"
" हाँ माँ मै उससे प्यार करती हूँ और वो भी मुझसे उतना ही प्यार करता है । हम दोनों एक दूसरे की बिना नही रह सकते। हम दोनों जल्द ही शादी करने वाले है ।"
"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या , तुम्हारी और उसकी शादी नही हो सकती ।"
"क्यों नही हो सकती माँ । प्यार कुछ नही देखता।"
"तुम्हे पता है जो तुम जो करने की सोच रही । वो नामुमकिन है। इसका अंजाम बहुत ही भयानक होगा।"
"माँ मैने फैसला ले लिया , अब कुछ भी हो मै ललित का साथ कभी नही छोड़ सकती। मै उससे बहुत प्यार करती हूँ, उसके बिना नही रह पाऊँगी । " कहते कहते रोने लगी और वही जमीन पर बैठ गयी।
"रो मत मेरी बच्ची, तू बहुत भोली है । तुम इन इस दुनिया के लोगो से बेखबर है । इन सबके बारे में नही जानती ।ये सब बहुत ही मतलबी और मौकापरस्त होते है ।"
"नही माँ लालित ऐसा नही है । इतने दिनों में ही उसने मुझे दुनिया की हर ख़ुशी दे दी ।"
"अच्छा ये बताओ , क्या ललित तुम्हारी सच्चाई जनता है। कि तुम कौन हो और कहाँ से आयी ।"
"नही माँ उसे मेरे बारे में कुछ नही पता।"
"तो उसने पूछा भी नही क्या।"
"पूछा था लेकिन मैंने उसे एक झूठी कहानी सुना दी थी।"
"और उसने यकीन कर लिया "
"हाँ माँ , बताया ना । वो बहुत अच्छा है , दिल का एकदम साफ । एक छोटे बच्चे की तरह मेरा ख्याल रखा । मुझे चोट लगी थी और पूरी रात में सिरहाने बैठा रहता था ।"
तुमने सोचा है , जब उसे तुम्हारी सच्चाई पता चलेगी तो क्या होगा । प्यार करना तो दूर वो तुमसे नफरत करेगा और तुम्हे अपने घर से जिंदगी से निकाल फेकेगा।"