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Thriller अधूरे रहस्य [A story of Neha & Vivaan]

sunoanuj

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बहुत ही जबरदस्त शुरुआत हुई है ! पहले अपडेट से ही रौंगटे खड़े हो गए हैं !

बहुत ही शानदार अपडेट दिया है आपने मित्र !

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Danny09

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CHAPTER – 2 [A Little Backstory, Character Introduction & First Conversation]

"क्या तुम तैयार हो, नेहा? क्या तुम वो सच जानने के लिए तैयार हो, जो तुम्हारी परंपराओं और परिवार के इतिहास के नीचे दबा हुआ है?"

विवान के शब्दों की गूंज महल की गहराई में खो गई, लेकिन नेहा के मन में एक हलचल पैदा कर गई। वह सन्न रह गई थी, लेकिन उसके भीतर उठ रहे सवालों की लहरें अब और तीव्र हो गई थीं।

उसने कुछ पल शांत रहकर सोचा। यह महल, जिसका ज़िक्र उसने बचपन में अपनी दादी से कहानियों में सुना था, अब उसके सामने हकीकत बनकर खड़ा था। वह अपने अतीत और अपने परिवार के अनसुलझे पहलुओं के बारे में सोचने लगी।


नेहा दिल्ली के एक सम्पन्न और शिक्षित परिवार से आती है। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है, और उसके जीवन का हर कदम उनके देखरेख में गुज़रा। नेहा 24 साल की एक आत्मनिर्भर और जिज्ञासु युवती है। उसकी हल्की गेहूँआ रंगत में प्राकृतिक चमक है, जो उसकी सहज सुंदरता को निखारती है। बड़ी-बड़ी आँखें, जिनमें गहराई और रहस्य का अनकहा भाव छुपा है, नेहा के व्यक्तित्व का केंद्र हैं। उसके लंबे, रेशमी काले बाल, जो अक्सर उसकी पीठ पर बिखरे रहते हैं, उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। उसकी आवाज़ में एक सादगी है, लेकिन साथ ही एक दृढ़ता भी, जो उसके मजबूत स्वभाव का परिचय देती है।

नेहा की चाल में एक गरिमापूर्ण लय है। उसकी मुस्कान में एक अनकही मासूमियत झलकती है, लेकिन उसकी आँखों में वो चमक है जो उसके भीतर छिपी जिज्ञासा को दर्शाती है। नेहा का व्यक्तित्व उसकी ताकत और संवेदनशीलता का मिश्रण है, जो उसे खास बनाता है।

नेहा का जीवन एक आरामदायक अपार्टमेंट में बीता है, जो शहर के सबसे पॉश इलाकों में से एक में स्थित है। उसका कमरा किताबों, पौधों, और रंगीन पेंटिंग्स से भरा हुआ है, जो उसकी संवेदनशीलता और कलात्मक स्वभाव को दर्शाता है।

नेहा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक किया है और अपनी पढ़ाई के दौरान उसे अपने परिवार के अतीत के बारे में और जानने की तीव्र इच्छा हुई। हालांकि वह एक आधुनिक जीवन जी रही थी, लेकिन उसकी दादी की कहानियाँ और महल से जुड़ी परंपराएँ उसके दिल में बसी हुई थीं।

उसका रोजमर्रा का जीवन व्यस्त और सामाजिक था। वह दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद करती थी, लेकिन उसके दिल में एक खालीपन था, मानो वह किसी अनजाने सवाल का जवाब ढूंढ रही हो। जब उसे महल का पत्र मिला, तो वह इस खालीपन को भरने के लिए तैयार हो गई।


नेहा के पिता: विवेक सिंह

नेहा के पिता, विवेक सिंह, एक जाने-माने इतिहासकार हैं। विवेक गंभीर और अनुशासनप्रिय व्यक्ति हैं, जो परिवार के मूल्यों और परंपराओं का बहुत आदर करते हैं। उनके व्यक्तित्व में एक सख्त अनुशासन और गहरी समझदारी का मिश्रण है। उन्होंने नेहा को बचपन से ही अपने वंश और इतिहास का सम्मान करना सिखाया।

विवेक अपने परिवार के वंशजों और उनके योगदान के बारे में गहराई से जानते हैं, लेकिन उन्होंने नेहा को कभी इस महल के बारे में विस्तार से नहीं बताया। उनके भीतर यह स्पष्ट था कि इस महल और परिवार के अतीत में कुछ ऐसा है, जिसे वह अपनी बेटी से छुपाए रखना चाहते थे।

नेहा ने अपने पिता को हमेशा एक सख्त लेकिन न्यायप्रिय इंसान के रूप में देखा है। वह उन्हें एक आदर्श के रूप में देखती है, लेकिन उनके व्यक्तित्व की यह गहराई उसे हमेशा सवाल करने पर मजबूर करती रही है।


नेहा की माँ: सुहानी सिंह

नेहा की माँ, सुहानी सिंह, एक सरल और कलात्मक महिला हैं। वे साहित्य और चित्रकला की गहरी प्रेमी हैं। उन्होंने नेहा को कहानी सुनाने और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए हमेशा प्रेरित किया।

सुहानी ने अपने बचपन में नेहा को कहानियाँ सुनाने की आदत डाली। उन्होंने हमेशा उसे यह सिखाया कि हर कहानी के पीछे एक सच्चाई होती है, और हर सच्चाई में एक दर्द छुपा होता है। सुहानी के इस दृष्टिकोण ने नेहा को अतीत के प्रति जिज्ञासु बना दिया।


नेहा की दादी: सरस्वती देवी

नेहा की दादी, सरस्वती देवी, परिवार की कहानी और इस महल की रहस्यमयी कहानियों का मुख्य स्रोत थीं। उनके शब्दों में इतनी शक्ति थी कि नेहा के बाल्यकाल के सपनों में भी यह महल और उसके रहस्य झलकते थे।

सरस्वती देवी ने नेहा को ठाकुर प्रताप सिंह की बहादुरी, उनकी पत्नी रानी देविका की सुंदरता और उनकी अधूरी प्रेम कहानी के बारे में बताया था। उन कहानियों का असर इतना गहरा था कि नेहा का दिल हमेशा उन कहानियों के असली पहलुओं को जानने के लिए बेचैन रहता था।


दादा: दर्शन सिंह (Thakur Pratap Singh के बेटे)

दर्शन सिंह, नेहा के दादा, ठाकुर प्रताप सिंह के इकलौते पुत्र थे। उनका जन्म उस समय हुआ जब महल अपनी पूरी शान और रुतबे के चरम पर था। वह बचपन से ही अपने पिता की शक्ति और करिश्माई व्यक्तित्व का अनुसरण करते रहे।

दर्शन सिंह का बचपन महल के लंबे गलियारों, झूमरों की रोशनी, और परिवार की प्रतिष्ठा के बीच गुज़रा। उन्होंने अपने पिता को हमेशा एक साहसी और दृढ़ शासक के रूप में देखा, लेकिन उनकी आँखों में छिपी उदासी को भी महसूस किया। यह उदासी ठाकुर प्रताप सिंह की अधूरी प्रेम कहानी और रानी देविका के अचानक निधन से जुड़ी थी।


नेहा के परदादा, ठाकुर प्रताप सिंह, के समय तक महल शान और शक्ति का प्रतीक था। लेकिन उनके निधन के बाद, परिवार की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे कमजोर होने लगी। गाँव के लोग महल के रहस्यों और रानी देविका की आत्मा को लेकर तरह-तरह की बातें करने लगे।

1960 के दशक के अंत तक, परिवार को यह समझ में आ गया कि महल का रखरखाव उनके बस से बाहर है। गाँव में उनकी प्रतिष्ठा पहले ही धूमिल हो चुकी थी, और महल अब एक बोझ बन चुका था।

दर्शन सिंह ने एक रात सरस्वती देवी से कहा,

"यह महल हमारे अतीत का गौरव है, लेकिन इसे संभालना अब हमारे लिए संभव नहीं है। हमें इसे छोड़ना होगा।"

सरस्वती देवी की आँखों में आँसू थे। उन्होंने कहा,

"यह महल सिर्फ ईंट और पत्थर नहीं है। यह हमारे पूर्वजों की आत्मा है। अगर हमें इसे छोड़ना है, तो इसकी कहानियाँ ज़िंदा रखनी होंगी।"

उस रात, दर्शन सिंह और सरस्वती देवी ने अपने बच्चों, जिनमें नेहा के पिता विवेक सिंह शामिल थे, के साथ दिल्ली जाने का फैसला किया।

दर्शन सिंह और सरस्वती देवी ने दिल्ली में एक छोटा लेकिन सम्मानजनक जीवन शुरू किया। दर्शन सिंह ने एक छोटा व्यापार शुरू किया और परिवार की आर्थिक स्थिति को संभाला।


नेहा के बचपन में सरस्वती देवी ने उसे महल और ठाकुर परिवार की कहानियाँ सुनाईं। वह अक्सर कहती थीं,
"नेहा, यह महल तुम्हारे खून में है। तुम्हें एक दिन वहाँ जाना होगा और इसे समझना होगा।"

नेहा ने इन कहानियों को बचपन में एक जिज्ञासा के रूप में लिया। लेकिन जब उसे महल विरासत में मिला, तो उसने महसूस किया कि यह सिर्फ कहानियाँ नहीं थीं—यह उसके परिवार का एक अधूरा सच था।

नेहा का परिवार दिल्ली के एक बड़े अपार्टमेंट में रहता था। वहाँ के कमरे आधुनिक सुविधाओं से भरे हुए थे, लेकिन उसके भीतर हमेशा एक खालीपन था। नेहा का बचपन किताबों और अपने दादा-दादी की कहानियों के बीच बीता। जब उसकी दादी उसे महल और ठा कुर परिवार की गाथाएँ सुनाती थीं, तो नेहा के मन में अजीब सी जिज्ञासा पैदा होती थी।उसे हमेशा से इस बात में रुचि थी कि उसका परिवार इतना समृद्ध होने के बावजूद इस महल से क्यों कट चुका है। उसे कभी-कभी लगता था कि उसके पिता की सख्ती और उनकी उदासी का कारण यही अतीत था लेकिन इन कहानियों को उसने कभी गंभीरता से नहीं लिया। उसकी आधुनिक, व्यस्त ज़िंदगी ने उसे इन सब चीज़ों से दूर कर दिया था।


विवान राठौड़ एवं उसका परिवार

विवान 27 साल का एक गहन और रहस्यमयी युवक है। वह लंबा, गठीला और आकर्षक व्यक्तित्व वाला है। उसकी गहरी भूरी आँखों में एक अनकहा दर्द छिपा हुआ है, जो उसकी जिंदगी के संघर्षों की कहानी कहता है। उसके बाल घुँघराले और हल्के बिखरे हुए हैं, जो उसकी खुरदरी मर्दानगी को और बढ़ाते हैं। उसका चौड़ा सीना और मजबूत कंधे बताते हैं कि उसने अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया है। उसकी आवाज़ गहरी और प्रभावशाली है, जिसमें एक खामोश ताकत महसूस होती है। विवान का व्यक्तित्व उसकी आँखों में बसता है — वे आँखें, जो किसी को भी सवालों में उलझा दें।

विवान का परिवार ठाकुर परिवार के महल का रक्षक रहा है। उसके दादा, हरेंद्र सिंह, ठाकुर प्रताप सिंह के सबसे वफादार मित्र और संरक्षक थे। महल के निर्माण से लेकर इसके हर पहलू की देखरेख में हरेंद्र सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण थी। हरेंद्र सिंह ने अपने जीवन को महल और उसके रहस्यों की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। उनके बारे में गाँव में कई किस्से मशहूर हैं, जिनमें से सबसे चर्चित उनका रानी देविका के प्रति गहरा लगाव है।

विवान के पिता, आकाश राठौड़, एक शांत और सरल व्यक्ति हैं। उन्होंने हमेशा अपने परिवार की सेवा की परंपरा को निभाया है। हालाँकि, वह महल के अतीत के रहस्यों और बदनामी से दूरी बनाकर रखते हैं। उनकी माँ, पद्मा राठौड़, एक करुणामयी महिला थीं, जिन्होंने विवान को सिखाया कि इतिहास के बोझ को हमेशा ढोना जरूरी नहीं है, लेकिन परिवार की जिम्मेदारियों से भागना भी नहीं चाहिए।

विवान के पिता, आकाश राठौड़, ने इस जिम्मेदारी को संभालने की कोशिश की, लेकिन गाँव वालों के शक और आलोचना ने उन्हें हमेशा परेशान रखा। विवान ने अपने पिता और दादा से इस महल की कहानियाँ सुनी थीं, लेकिन उसके दिल में एक सवाल हमेशा से था—क्या वह इन कहानियों का हिस्सा है, या सिर्फ एक मूक दर्शक? विवान का बचपन महल के पास एक छोटे से गाँव में बीता, जहाँ लोग उसके परिवार को शक की निगाहों से देखते थे।

दादा की कहानियों और उनके संघर्ष ने विवान को एक जिम्मेदार और साहसी व्यक्ति बनाया, लेकिन उनके जीवन के अंधेरे पक्ष ने विवान के मन में नेहा के परिवार के प्रति नाराजगी भी भर दी।

कहा जाता है कि ठाकुर प्रताप सिंह ने हरेंद्र सिंह से वादा लिया था कि चाहे जो भी हो, उनका परिवार इस महल की देखभाल करेगा और इसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा। विवान, जो इस परंपरा का अगला वारिस है, महल को न केवल अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी मानता है, बल्कि अपनी दादी और पिता की इच्छाओं को पूरा करने का कर्तव्य भी।

हवेली धूल और मिट्टी में ढकी हुई है और बाहरी तौर पर खंडहर जैसी लगती है, जो एकदम वीरान और पुराने समय की याद दिलाती है। लेकिन यहाँ एक दिलचस्प पहलू यह है कि यह केवल बाहर से ही धूल और मिट्टी से भरी हुई लगती है—भीतर का हिस्सा ऐसा नहीं है।

विवान का परिवार सालों से इस हवेली का रक्षक रहा है, और उन्होंने हवेली के अंदर कुछ खास हिस्सों को अच्छी स्थिति में बनाए रखा है। इस रक्षक परिवार की वफादारी के कारण, हवेली के भीतर कुछ रहस्यमयी हिस्से आज भी सुरक्षात्मक जादू और पवित्रता से संरक्षित हैं। अंदरूनी कमरे, जहां विवान रहता है, इन बाहरी परिस्थितियों से अप्रभावित हैं—जैसे हवेली का दिल अभी भी जीवित हो, जबकि बाहरी हिस्सा समय की मार झेल रहा हो।

विवान का रहना यहाँ केवल उसके लिए नहीं, बल्कि उस परंपरा को बनाए रखने का प्रतीक भी है जो उसके पूर्वजों ने सदियों से निभाई है।

अब आगे…..

विवान ने नेहा को अपना परिचय दिया.


जैसे ही नेहा ने विवान की आँखों में झाँका, उसे वहाँ केवल गुस्सा और नाराजगी नहीं दिखी। उसे ऐसा लगा कि इन आँखों में कोई छुपी हुई पीड़ा है—एक ऐसा दर्द, जो सालों से किसी अंधेरे कोने में छुपा हुआ है।

"तुम यहाँ क्यों हो, विवान?" नेहा ने धीमी लेकिन दृढ़ आवाज़ में पूछा।

विवान एक पल के लिए चुप रहा, मानो यह सवाल उसने अपने आप से कभी नहीं पूछा हो।

"मैंने यहाँ रहना चुना नहीं," उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक ठंडी गंभीरता थी। "यह महल... यह मेरे परिवार का हिस्सा है, जैसे तुम्हारा। लेकिन मेरे लिए यह सिर्फ एक कर्तव्य नहीं है।"

नेहा ने सवालिया निगाहों से उसकी ओर देखा, और वह थोड़ी हिचकिचाहट के बाद आगे बढ़ा।

"यह महल... इसमें सिर्फ तुम्हारे परिवार के राज़ नहीं छुपे हैं, नेहा। इसमें मेरे परिवार का एक हिस्सा भी दबा हुआ है। और जब तक मैं यह पता नहीं लगा लेता कि वो सच क्या है, मैं इसे छोड़ नहीं सकता।"

"कैसा सच?" नेहा ने पूछा।

विवान ने एक ठंडी साँस ली, मानो यह सवाल उसकी चेतना के सबसे गहरे हिस्से को छू गया हो।

"मेरे दादा, हरेंद्र सिंह, इस महल के रक्षक थे। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इसे बचाने में बिताई। लेकिन कुछ ऐसा हुआ था... कुछ ऐसा, जो उन्होंने कभी किसी को नहीं बताया।"

उसने धीरे-धीरे महल की दीवार की ओर देखा, जैसे वह उनसे कुछ जवाब मांग रहा हो।

"मेरे पिता ने मुझे सिर्फ इतना बताया कि दादा अपनी मृत्यु से पहले बहुत बदल गए थे। वह शांत और संयमित इंसान थे, लेकिन उनके आखिरी दिनों में उनके चेहरे पर हमेशा एक अजीब-सा डर दिखता था। वो कुछ ढूँढ़ रहे थे... लेकिन क्या, यह किसी को नहीं पता।"

नेहा की दिलचस्पी बढ़ गई।

"तो तुम यहाँ इसलिए हो, क्योंकि तुम यह पता लगाना चाहते हो कि तुम्हारे दादा क्या ढूँढ़ रहे थे?"

विवान ने धीरे से सिर हिलाया।

"सिर्फ इतना ही नहीं। मैं यह जानना चाहता हूँ कि रानी देविका और मेरे दादा के बीच क्या था। क्या सच में उनके बीच कुछ था, जैसा गाँव वाले कहते हैं? या यह सिर्फ झूठी बातें हैं? और अगर कुछ था, तो वो क्यों... क्यों उन्होंने यह महल और मेरे परिवार को इस हालत में छोड़ दिया?"

वह रुक गया, और फिर एक पल बाद धीरे-से जोड़ा,

"लेकिन यह सिर्फ उनके बारे में नहीं है। यह महल... यह खुद एक जिंदा चीज़ की तरह है। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि यह मुझसे कुछ कहना चाहता है। यह मुझे खींचता है, मुझे रोकता है, और मुझे डराता भी है।"

नेहा ने देखा कि उसकी आवाज़ में एक कंपकंपी थी।

"तुम्हें इससे डर लगता है?"

विवान ने एक कड़वी मुस्कान के साथ कहा,

"डर? हाँ, शायद। लेकिन यह डर सिर्फ मुझे यहाँ से जाने से रोकता है।"

उसने धीरे-से दीवार पर हाथ रखा, जैसे वह महल की ठंडी सतह से कुछ महसूस करने की कोशिश कर रहा हो।

"तुम सोचती हो कि यह महल सिर्फ एक खंडहर है, लेकिन नहीं। यह जिंदा है। और जब तक मैं इसके अंदर छुपे अपने सवालों का जवाब नहीं पा लेता, मैं इसे छोड़ नहीं सकता।"

नेहा को महसूस हुआ कि यह महल सिर्फ उसके परिवार की कहानी का हिस्सा नहीं है। यह विवान के अतीत और उसके परिवार की अनसुलझी पहेलियों का भी गवाह है।

"तो हम दोनों यहाँ कुछ ढूँढ़ने आए हैं," उसने कहा।

विवान ने उसकी ओर देखा, और पहली बार, उसकी आँखों में हल्की-सी मुस्कान दिखाई दी।

"शायद," उसने कहा। "लेकिन यह देखना होगा कि यह महल हमें सच बताने के लिए तैयार है या नहीं।"

To be continued......

I hope this update clears all the questions relating to the characters, and their back-stories and provides a god base for the story to continue.
 

Danny09

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अच्छी बुनी है कहानी अपने, लेकिन कुछ हड़बड़ी में लगती है, क्योंकि न नेहा से परिचय हुआ, न विवान से।

महल तो दूर की बात है। बाकी नेहा ने क्या सुना इस महल के बारे में वो भी क्लियर नहीं किया आपने।

थोड़ा विस्तार दे कहानी के बेस को तो और अच्छा लगेगा।
Chapter 2 Posted. इस अपडेट में मैंने नेहा एवं विवान के करैक्टर तथा कहानी के बेस को थोड़ी गहराई देने की कोशिश की है । मुझे आपके फीडबैक का इंतज़ार रहेगा।
 

Danny09

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Welcome to the story and thank you for your appreciation!

Chapter 2 is posted. I'll be awaiting your feedback.


Thank you. Chapter 2 is posted.
 

Danny09

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Par Neha naam se mujhe tumhare hi story yaad aaye :pepegenius:
Chapter 2 Posted. Hamari story ke Neha ke baare me aapke kya vichaar hain, update padhne ke baad jaroor bataiyega.
 
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"मेरे पिता ने मुझे सिर्फ इतना बताया कि दादा अपनी मृत्यु से पहले बहुत बदल गए थे। वह शांत और संयमित इंसान थे, लेकिन उनके आखिरी दिनों में उनके चेहरे पर हमेशा एक अजीब-सा डर दिखता था। वो कुछ ढूँढ़ रहे थे... लेकिन क्या, यह किसी को नहीं पता।"

नेहा की दिलचस्पी बढ़ गई।

"तो तुम यहाँ इसलिए हो, क्योंकि तुम यह पता लगाना चाहते हो कि तुम्हारे दादा क्या ढूँढ़ रहे थे?"

विवान ने धीरे से सिर हिलाया।
So this sets up the beginning of an adventure together filled with mystery, suspense and definitely romance...but would they be alone here🤔
"सिर्फ इतना ही नहीं। मैं यह जानना चाहता हूँ कि रानी देविका और मेरे दादा के बीच क्या था। क्या सच में उनके बीच कुछ था, जैसा गाँव वाले कहते हैं? या यह सिर्फ झूठी बातें हैं? और अगर कुछ था, तो वो क्यों... क्यों उन्होंने यह महल और मेरे परिवार को इस हालत में छोड़ दिया?"

वह रुक गया, और फिर एक पल बाद धीरे-से जोड़ा,

"लेकिन यह सिर्फ उनके बारे में नहीं है। यह महल... यह खुद एक जिंदा चीज़ की तरह है। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है कि यह मुझसे कुछ कहना चाहता है। यह मुझे खींचता है, मुझे रोकता है, और मुझे डराता भी है।"

नेहा ने देखा कि उसकी आवाज़ में एक कंपकंपी थी।

"तुम्हें इससे डर लगता है?"

विवान ने एक कड़वी मुस्कान के साथ कहा,

"डर? हाँ, शायद। लेकिन यह डर सिर्फ मुझे यहाँ से जाने से रोकता है।"

उसने धीरे-से दीवार पर हाथ रखा, जैसे वह महल की ठंडी सतह से कुछ महसूस करने की कोशिश कर रहा हो।

"तुम सोचती हो कि यह महल सिर्फ एक खंडहर है, लेकिन नहीं। यह जिंदा है। और जब तक मैं इसके अंदर छुपे अपने सवालों का जवाब नहीं पा लेता, मैं इसे छोड़ नहीं सकता।"

नेहा को महसूस हुआ कि यह महल सिर्फ उसके परिवार की कहानी का हिस्सा नहीं है। यह विवान के अतीत और उसके परिवार की अनसुलझी पहेलियों का भी गवाह है।

"तो हम दोनों यहाँ कुछ ढूँढ़ने आए हैं," उसने कहा।

विवान ने उसकी ओर देखा, और पहली बार, उसकी आँखों में हल्की-सी मुस्कान दिखाई दी।

"शायद," उसने कहा। "लेकिन यह देखना होगा कि यह महल हमें सच बताने के लिए तैयार है या नहीं।"

To be continued......

I hope this update clears all the questions relating to the characters, and their back-stories and provides a god base for the story to continue.
So, Neha is a historian? Hmm... that's solid background for uncovering the mystery in the old palace.

Also the family introduction goes a long way in the story too...but will they play a major part in the story and you should also mention who is alive pls.

Let The Mummy begin fr in the next chapter...this much is enough for all the intro we needed and you're writing language is definitely miles ahead of what I usually see here smh. Chef's kiss:perfect:

Lastly, try to increase the font size a lil' bit.

Waiting for next update!
 
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Gaurav1969

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Nice start bro . Story is awesome and i can feel the thrill inside that rajmahal
 
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नेहा और विवान अपने अपने दिवंगत दादा और दादी की कहानी जानने के इच्छुक हैं और इस वजह से दोनो उनके आवास , उनके महल मे मौजूद हैं । फर्क इतना है कि विवान ने इस महल को शुरुआत से ही अपने रहने का बसेरा बना लिया था वहीं नेहा का परिवार दिल्ली मे शिफ्ट हो गया था ।
इन दो अपडेट से यही लगता है कि नेहा की दादी जी सुहानी सिंह और विवान के दादा जी हरेन्द्र राठौड़ के बीच अनैतिक सम्बन्ध था ।
पर ताज्जुब इस बात से लगता है कि जो व्यक्ति उस समय का सबसे नामचीन और ताकतवर था , अर्थात ठाकुर प्रताप सिंह साहब , उन पर समाज की ओर से किसी तरह का खास ऑब्जेक्शन नही हुआ , पर हरेन्द्र राठौड़ और उनका परिवार - जो ठाकुर साहब का नौकर था - बदनाम हो गया ।
बदनामी उनकी होती है जिनका कोई नाम होता है , जो बड़ी शख्सियत होती है ।
पर यहां दामन पर दाग लगा हरेन्द्र साहब पर । ठाकुर साहब के पहरेदार पर , नौकर पर ।

खैर , देखते हैं क्या वास्तव मे सुहानी और हरेन्द्र के बीच व्यभिचारित संबंध था या फिर सच्चा प्रेम ! वह प्रेम जो कभी भी किसी से किसी भी वक्त हो सकता है ! वह आध्यात्मिक प्रेम जो किसी बंधन का मोहताज नही होता ।

शुरुआत बहुत ही बेहतरीन किया है आपने । देवनागिरी लिपि मे पढ़ना वास्तव मे सुखद एहसास होता है । एक लेखक इस लिपि के माध्यम से अपनी बात बहुत अच्छी तरह से पेश कर सकता है ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट भाई ।
 
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