अध्याय 3: परछाइयों के बीच
महल की दीवारों पर धूल की मोटी परत जमी हुई थी, लेकिन उनमें छिपा हर निशान अपनी कहानी कहने को आतुर था। नेहा के दिल में हलचल थी, और विवान की गहरी आवाज़ उसके भीतर एक अजीब-सी गूँज पैदा कर रही थी। वह दोनों महल के लंबे गलियारे में चल रहे थे, जहाँ हर कोना जैसे उनकी मौजूदगी को महसूस कर रहा था।
विवान के शब्द "यह महल जिंदा है" अब भी नेहा के मन में गूंज रहे थे। वह महल के हर कोने को देख रही थी, और हर दीवार जैसे उसे अपने रहस्यों में झाँकने का निमंत्रण दे रही थी। वह इस जगह की अजीब-सी खामोशी और इसके अंधेरे से डर तो रही थी, लेकिन कहीं न कहीं एक अनजानी कशिश उसे हर कदम पर और गहराई में खींच रही थी।
"तुम्हें लगता है, यह महल जिंदा है?" नेहा ने फुसफुसाकर पूछा।
विवान ने बिना उसकी ओर देखे कहा, "हां। और यह महल हमसे कुछ चाहता है।"
नेहा ने उसकी बात को पूरी तरह समझने की कोशिश की, लेकिन वह अभी भी इन दीवारों के बीच बह रही अदृश्य ऊर्जा को लेकर उलझन में थी।
महल का गलियारा लंबा और गहरा था, जैसे किसी अनंत अंधेरे में खो जाता हो। हर कदम पर नेहा को ऐसा महसूस हो रहा था कि दीवारें उसकी मौजूदगी को महसूस कर रही हैं। वह धीमे कदमों से चल रही थी, और उसके हर कदम की गूँज महल के सन्नाटे को तोड़ रही थी।
दीवारों पर लगी पुरानी तस्वीरें धूल और समय की मार से मुरझाई हुई लग रही थीं, लेकिन उनके भीतर कुछ ऐसा था जो उनकी कहानियों को अब भी जीवंत रखे हुए था। नेहा ने उनमें से एक तस्वीर को नज़दीक से देखने के लिए कदम बढ़ाया। वह एक युवक और महिला की तस्वीर थी। महिला का चेहरा आधा छाया में था, और उसकी आँखें जैसे किसी गहरी पीड़ा में डूबी हुई थीं।
"यह ठाकुर प्रताप सिंह और उनकी पत्नी रानी देविका हैं," विवान ने कहा, जो अब तक खामोशी से उसका पीछा कर रहा था।
"लेकिन उनकी आँखों में यह दर्द कैसा है?" नेहा ने धीमी आवाज़ में पूछा, मानो तस्वीर को तोड़ने से डर रही हो।
"कहते हैं, उनकी कहानी अधूरी थी," विवान ने जवाब दिया। "और अधूरी कहानियाँ कभी चैन से नहीं रहतीं। यह महल उनका गवाह है।"
नेहा तस्वीर को छूने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन उसकी उंगलियाँ रुक गईं। उसे ऐसा लगा जैसे तस्वीर की आँखें उसे रोक रही हों।
"क्या तुमने कभी सोचा है, नेहा, कि क्यों यह महल इतने सालों तक खड़ा रहा है? क्यों यह हमें अपनी ओर खींचता है?" विवान की आवाज़ नेहा को वर्तमान में वापस ले आई।
"शायद क्योंकि यह हमें हमारी कहानी बताना चाहता है," नेहा ने जवाब दिया।
जैसे ही वे आगे बढ़े, नेहा ने महसूस किया कि हवा भारी होती जा रही थी। दीवारों पर बने डिजाइन और उकेरी गई मूर्तियाँ जैसे उन्हें देख रही थीं। अचानक उसकी नज़र एक पुरानी अलमारी पर पड़ी, जो गलियारे के एक कोने में धूल और जालों से ढकी हुई थी।
"यह अलमारी इतनी अलग क्यों लग रही है?" नेहा ने पूछा।
विवान ने उसकी तरफ देखा। "यह ठाकुर प्रताप सिंह की किताबों की अलमारी थी। कहते हैं, इसमें वह किताबें हैं जिन्हें उन्होंने कभी किसी को दिखाने नहीं दिया।"
"क्यों?"
"क्योंकि उनमें वह बातें थीं जो परिवार के रहस्यों को उजागर कर सकती थीं।"
नेहा ने अलमारी के दरवाजे पर हाथ रखा। वह जरा भी नहीं हिली। "यह तो बंद है। इसे कैसे खोलते हैं?"
"कहते हैं, इसे तभी खोला जा सकता है जब महल खुद चाहे।"
नेहा ने थोड़ा पीछे हटकर अलमारी को देखा। उसकी बनावट, उस पर बनी जटिल नक़्क़ाशी और लकड़ी की ठंडी सतह—सबकुछ जैसे एक रहस्य को छुपाने की कोशिश कर रहे थे।
गलियारे के दूसरी ओर एक बड़ा झरोखा था, जहाँ से हल्की-हल्की चाँदनी भीतर आ रही थी। नेहा ने झरोखे के पास जाकर बाहर झाँका। वहाँ एक पुराना बागीचा था, जो अब जंगली झाड़ियों और खरपतवार से भरा हुआ था। लेकिन उन झाड़ियों के बीच में उसे एक पत्थर की मूर्ति दिखाई दी।
"यह मूर्ति किसकी है?" नेहा ने पूछा।
"यह रानी देविका की है। ठाकुर प्रताप सिंह ने इसे उनके लिए बनवाया था।"
"लेकिन यह इतनी छुपी हुई क्यों है?"
"क्योंकि इसे बनाते वक्त कुछ ऐसा हुआ था, जो किसी को समझ नहीं आया। कहते हैं, मूर्ति बनते ही रानी देविका का स्वास्थ्य गिरने लगा था।"
नेहा ने मूर्ति को ध्यान से देखा। उसकी शक्ल रानी देविका की तस्वीर से मिलती-जुलती थी। लेकिन मूर्ति का चेहरा अधूरा था, मानो इसे बनाने वाला इसे पूरा करने से डर गया हो।
"यह सब अजीब है। यह महल, यह मूर्तियाँ, यह गलियारा... सबकुछ।"
चलते-चलते दोनों एक बड़े लकड़ी के दरवाजे के पास पहुँचे। यह दरवाजा बाकी सब जगहों से अलग था। उस पर मोटी धातु की पट्टी लगी हुई थी, जिस पर कोई अनजानी भाषा में लिखा हुआ था।
"यह दरवाजा कहाँ जाता है?" नेहा ने पूछा।
"यह महल के सबसे पुराने हिस्से की ओर ले जाता है।"
"क्या अंदर जाना सुरक्षित है?"
"सुरक्षित? शायद नहीं। लेकिन जो जवाब तुम ढूँढ़ रही हो, वे इसी के पीछे छुपे हैं।"
नेहा ने दरवाजे को छूते हुए महसूस किया कि यह ठंडा था, लेकिन उसमें एक अजीब-सी ऊर्जा थी। "यह दरवाजा कुछ कहना चाहता है।"
"यह दरवाजा सिर्फ उन्हें ही अंदर जाने देता है जो सच्चाई को स्वीकार करने के लिए तैयार होते हैं।"
नेहा के हाथ काँप रहे थे। वह जानती थी कि इस दरवाजे के पीछे उसकी जिज्ञासा का अंत हो सकता है, लेकिन यह डर भी था कि शायद उसे कुछ ऐसा पता चले जो वह जानना नहीं चाहती।
"तुम तैयार हो?" विवान ने पूछा।
नेहा ने गहरी साँस ली और दरवाजे को धक्का दिया। दरवाजा कर्कश आवाज़ के साथ खुला, और उसके पीछे अंधेरा था।
जैसे ही वे अंदर गए, ठंडी हवा का झोंका उनके चेहरे से टकराया। गलियारे की तुलना में यह जगह और भी सर्द और डरावनी थी। लालटेन की रोशनी में नेहा ने देखा कि दीवारों पर पुराने समय की आकृतियाँ उकेरी हुई थीं।
"यह जगह इतनी अलग क्यों लग रही है?" नेहा ने पूछा।
"क्योंकि यह महल का सबसे गुप्त हिस्सा है। यहाँ ठाकुर प्रताप सिंह ने वह सबकुछ छुपाया था, जिसे वह दुनिया की नजरों से दूर रखना चाहते थे।"
नेहा ने दीवारों पर हाथ फेरा। वह ठंडी थीं, लेकिन उनमें एक अनजानी गर्मी भी थी। "यह दीवारें हमें देख रही हैं।"
"यह महल जिंदा है, नेहा। और यह हमसे बात कर रहा है," विवान ने गंभीरता से कहा।
नेहा ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में डर और जिज्ञासा का अजीब मिश्रण था।
"क्या तुमने कभी सोचा है कि अगर यह महल हमसे बात कर रहा है, तो यह हमें क्या बताना चाहता है?" नेहा ने पूछा।
"शायद यह हमें हमारी सच्चाई दिखाना चाहता है।"
नेहा और विवान ने उस अंधेरे गलियारे में कदम बढ़ाए, जहाँ हर दीवार, हर कोना जैसे उनकी हरकतों पर नजर रख रहा था। यह महल सिर्फ एक इमारत नहीं था; यह एक जीवित गवाह था, जो अपने भीतर छुपे हर राज़ को बताने के लिए तैयार था।
चलते-चलते वे एक छोटे कमरे में पहुँचे। वहाँ एक पुरानी मेज़ और टूटी-फूटी कुर्सियाँ पड़ी थीं।
"यहाँ बैठ जाओ," विवान ने कहा।
नेहा ने उसकी बात मानी और कुर्सी पर बैठ गई। कमरे की खामोशी में दोनों के दिल की धड़कनें सुनाई दे रही थीं।
"तुम्हारे हाथ ठंडे हो गए हैं," विवान ने कहा और नेहा के हाथों को अपने हाथों में ले लिया।
"तुम डर रही हो?" उसने पूछा।
नेहा ने सिर हिलाया। "नहीं। लेकिन यह जगह मुझे विचलित कर रही है।"
"यह महल ऐसा ही है। यह हमें अपनी कहानी में उलझा देता है।"
विवान ने उसके चेहरे पर जमी धूल को धीरे-से हटाया। नेहा ने उसकी उँगलियों की गर्मी को महसूस किया।
"तुम्हें लगता है, यह महल हमें कुछ बताने की कोशिश कर रहा है?" नेहा ने पूछा।
"शायद। या फिर यह हमें साथ लाने की कोशिश कर रहा है।"
उनके बीच का यह पल अचानक एक अजीब-सी गर्माहट में बदल गया। उनकी आँखें एक-दूसरे में उलझी हुई थीं। नेहा ने खुद को विवान के करीब महसूस किया।
"डरने की जरूरत नहीं है," विवान ने धीरे-से कहा।
उसने नेहा के गालों को अपने हाथों में थाम लिया। उसके चेहरे की हल्की लाली और साँसों की गर्मी नेहा को एक अजीब-से नशे में डाल रही थी।
"यह महल हमें समझने का मौका दे रहा है। हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए," विवान ने कहा।
कमरे की खामोशी और अंधेरे में दोनों ने महसूस किया कि यह महल न केवल उनके अतीत का हिस्सा था, बल्कि उनके वर्तमान और भविष्य का भी।
"तुम्हें क्या लगता है, हम यहाँ से क्या लेकर जाएंगे?" नेहा ने पूछा।
"सच। और शायद खुद को भी," विवान ने जवाब दिया।
महल की दीवारों के बीच, नेहा और विवान ने महसूस किया कि यह यात्रा केवल उनके परिवार के रहस्यों को उजागर करने की नहीं थी। यह उनकी अपनी कहानियों और उनके बीच के संबंधों को भी परिभाषित करने वाली थी।
महल की हवा में अब भी वही अजीब-सी सरसराहट थी। लेकिन अब यह डराने के बजाय एक नई उम्मीद जगा रही थी। नेहा और विवान ने कमरे से बाहर कदम रखा, और उनके दिलों में एक नई ताकत थी।
"तो, नेहा," विवान ने चलते हुए कहा, "क्या तुम सच्चाई का सामना करने के लिए तैयार हो?"
"हाँ," नेहा ने कहा। "लेकिन शायद सच्चाई हमें बदल देगी।"
विवान ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "शायद यही इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है।"
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