• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery अनुभूति

nitya bansal3

New Member
53
169
34
एक नई अनुभूति मासूस करेंगे आपस्त्री के मौन को पढ़ने वाला पुरुष हीं स्त्री के समर्पण के लिए योग्य होता है।और मौन को समझने वाला पुरुष हीं प्रेम की गहराइयों में जाकर आलिंगन को सफल कर सकता है, स्त्रियों के मन की गहराइयों मे उतर कर चरमसुख की अनुभूति करा सकता है। ऐसे पुरुष के साथ स्त्री हमेशा आनंदित महसूस करती है।वो स्त्री बहुत भाग्यशाली होती है जिसे मौन को पढ़ने वाला पुरुष मिल जाये। क्योंकि स्त्रियों में एक स्वभाव होती है, जो हर स्त्री में समान्य होती है की वो अपने अधिकतर दुख दर्द, अनुभूति, अपेक्षा, उपेक्षा, जरूरत आदि को शब्दों में नहीं करना चाहती। वो समझती है की इसे कोई बिन बोले हीं समझ जाये।जब स्त्री ऐसा पुरुष पा जाती है तो उसे जी भर ओरेम देती है, अपना सबकुछ समर्पित कर देती है। अपनी गहराइयों मे उसे समा लेती हैं।कमेंट करके जरूर बताइये कि कैसी लगी मेरी अनुभूति।

FB-IMG-1589935113399
 
Last edited:

nitya bansal3

New Member
53
169
34
हम सभी को एक ऐसे मन के मित पसंद होते हैँ हो मेरी बातों को ध्यान से सुनेहममें से अधिकांश लोग जन्मजात अच्छे श्रोता नहीं होते, क्योंकि किसी की बात सुनना ऐसा अधिग्रहित कौशल है, जिसके लिए हमें अथक प्रयास एवं ध्यान की आवश्यकता होती है।इस गुण के लिए हमें सर्वप्रथम कम बोलने की आदत डालनी चाहिए ताकि हम दूसरे की बातों को सुन और समझ सकें।एक अच्छा श्रोता होने का गुण होना भी महिलाएं अपने जीवनसाथी में ढूंढती हैं। क्योंकि जब पुरुष अपनी प्रेयशी की बातों को सुनेगा नहीं, तो समझेगा भी नहीं,, तो उस स्त्री से पुरुष क्या खाक प्रेम करेंगे ?प्रेम करने की पहली शर्त है एक दूसरे की समझ, पसंद-नापसंद की, रुचि-अरुचि की, स्वीकार्यता की, सहमति की, रूठने की, मनाने की, आलिंगन की, सम्भोग की आकांक्षा की, सम्भोग मे एकरुपता की, सम्भिंग मे तृप्ति की...आदि आदिअतः उपरोक्त बातों की समझ होने से पहले एक श्रोता होना अतिआवश्यक है।ये बातें खास कर पुरुषों को समझनी होगी , तभी वो स्त्री के प्रियतम हो सकते हैं और सबसे बड़ी बात, की ऐसे पुरुष को हीं कोई भी स्त्री अपना सर्वस्व समर्पित कर सकती है, तन से हीं नहीं बल्कि मन से भी संभोग कर सकती है। लिखी बातें आपको कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताइये।

411b12b17e58d7d6984304ea2d066f93
 
Last edited:

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,536
87,997
259
नयी कहानी के लिए शुभकामनाएं बंसल साहिबा, ये जो भी पंक्तिया लिखी है बहुत गहरी है और मैं एक पाठक के रूप मे बहुत उम्मीद लगा लेता हूं कहानी से उम्मीद है कि निराश नहीं करेंगी आप
 

Tiger 786

Well-Known Member
6,201
22,496
173
एक नई अनुभूति मासूस करेंगे आपस्त्री के मौन को पढ़ने वाला पुरुष हीं स्त्री के समर्पण के लिए योग्य होता है।और मौन को समझने वाला पुरुष हीं प्रेम की गहराइयों में जाकर आलिंगन को सफल कर सकता है, स्त्रियों के मन की गहराइयों मे उतर कर चरमसुख की अनुभूति करा सकता है। ऐसे पुरुष के साथ स्त्री हमेशा आनंदित महसूस करती है।वो स्त्री बहुत भाग्यशाली होती है जिसे मौन को पढ़ने वाला पुरुष मिल जाये। क्योंकि स्त्रियों में एक स्वभाव होती है, जो हर स्त्री में समान्य होती है की वो अपने अधिकतर दुख दर्द, अनुभूति, अपेक्षा, उपेक्षा, जरूरत आदि को शब्दों में नहीं करना चाहती। वो समझती है की इसे कोई बिन बोले हीं समझ जाये।जब स्त्री ऐसा पुरुष पा जाती है तो उसे जी भर ओरेम देती है, अपना सबकुछ समर्पित कर देती है। अपनी गहराइयों मे उसे समा लेती हैं।कमेंट करके जरूर बताइये कि कैसी लगी मेरी अनुभूति।

FB-IMG-1589935113399
Bohot hi ummdha lagi apki baat
 

Delta101

Active Member
1,336
1,155
143
वो समझती है की इसे कोई बिन बोले हीं समझ जाये।
अधिकतर स्त्रियों की यही चाहत होती है...लेकिन पुरुष कोई अन्तर्यामी/जादूगर तो नहीं जो बिना कुछ बताए ही मन के अंदर की बात जान जाए?

कुछ संकेतों का example देकर बताइए कि भावनाओं का अर्थ कैसे निकाला जाए.
 
Last edited:

Abhishek Kumar98

Well-Known Member
8,277
9,009
188
नयी कहानी के लिए शुभकामनाएं बंसल साहिबा, ये जो भी पंक्तिया लिखी है बहुत गहरी है और मैं एक पाठक के रूप मे बहुत उम्मीद लगा लेता हूं कहानी से उम्मीद है कि निराश नहीं करेंगी आप
Bahut din baad dikhe bhai ab kaise ho aap
 

redgiant

New Member
29
41
13
मैं आपके विचारों से बहुत हद तक असहमत हूँ। आप कौनसे जमाने की बात कर रहीं हैँ? आज की वास्तविक दुनिया मैं स्तिथियाँ बिल्कुल भिन्न हैं। वास्तविकता यह है कि पुरुष comparatively बहुत कम बोलता है, अपनी भावनाओं को, अपने दुखों को, अपने संघर्षों को जब तक व्यक्त करना अपरिहार्य/ अनिवार्य नहीं हो तब तक अपने तक ही सीमित रखता है। इसके विपरित स्त्री अपनी भावनाओं को, अपने दुखों को, अपनी कुंठा/ निराशाओं को, अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने का कोई कोई मौक़ा नहीं छोड़ती। Madam, सदियों से चली आ रही इस तरह की stereo type की छबि को त्याग कर वास्तिविकता की दुनिया में आएं।
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
41,732
105,699
304
Top