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एक लड़की की शारीरिक जरूरत संभोग से पूरी होती है, और एक सुखद संभोग उसके स्त्रीत्व की पूर्ति करता है। यह दिमाग में ऐसे केमिकल निकालने में मदद करता है जिससे वह पूर्ण महसूस करती है। मैंने भी इस बात को महसूस किया है और यह सत्य है। जब मैं कॉलेज में थी, तो नई-नई फिल्में और इंटरनेट पर लेख पढ़ती थी, जिससे मुझे यह समझ आया कि स्त्री और पुरुष दोनों की शारीरिक जरूरतें होती हैं। स्त्री की जरूरत को पूरा करने के लिए पुरुष की आवश्यकता होती है, और पुरुष को स्त्री की। एक-दूसरे की जरूरत को पूर्ण करने में कोई गलत बात नहीं है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ, हमारे ग्रंथ और माता-पिता इस बात के खिलाफ थे। उनका कहना था कि शादी से पहले यह सब गलत है। मुझे यह समझ नहीं आया और मुझे खुद यह सब फिजूल की बातें लगती थीं।
मेरा एक बॉयफ्रेंड बना, और मैंने अपनी सहमति जाहिर की कि मैं संभोग का आनंद लेना चाहती हूं। वह भी तैयार था, और हम दोनों ने इसे एक्सपीरियंस किया। यह जादुई एहसास था, शरीर में एक अलग तरह की ऊर्जा आने लगी थी। अब मुझे लगा कि यह शारीरिक जरूरत जरूर पूरी करनी चाहिए। लेकिन कुछ समय बाद मेरा ब्रेकअप हो गया।
इसके बाद मैं किसी दूसरे लड़के के साथ संबंध बनाने लगी। लेकिन हमारी शादी नहीं हो सकती थी। और अब शादी की उम्र आ गई थी, तो मां-पापा ने एक अच्छा लड़का खोज कर शादी कर दी। पहले कुछ दिन तो संभोग अच्छा रहा, लेकिन ना जाने क्यों मेरा मन इस बात से हटने लगा। पति जब संभोग की पहल करते, मैं बहाना बना देती। हमारे रिश्तों में खटास आने लगी थी।
मैंने डॉक्टर से परामर्श लिया और उन्हें अपनी समस्या बताई। उन्होंने कहा, "उम्र के साथ ऐसा होता है," और पूरा एक साल दवाई खाई। लेकिन मेरे पति भी मुझसे खिन्न रहने लगे थे। मुझे पता है कि पुरुषों को सेक्स की चाहत होती है, पर मैं चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही थी। हमारे बच्चे भी नहीं थे और ना हमारे बीच ज्यादा शारीरिक संबंध थे। उन्होंने मुझसे कहा, "पत्नी होते हुए भी मेरी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है, अब हमारा साथ रहने का कोई मतलब नहीं है।"
यह बात मुझे अंदर तक चुभ गई। मैंने उनसे कुछ समय मांगा और इस बार सब छोड़कर ऋषिकेश चली गई। इस आस में कि मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, जिसकी वजह से यह सब हो रहा है। वहां मेरी मुलाकात गुरु मा से हुई, जिन्होंने मुझे ध्यान और योग सिखाया।
उन्होंने मुझसे मेरी समस्या के बारे में चर्चा की। जब मैंने उन्हें सब बताया, तो उन्होंने पलभर में ही यह कह दिया, "शादी से पहले कितने पुरुषों के साथ सोई हो?" मैं हैरान थी, पर मैंने सही जवाब दे दिया।
उन्होंने कहा, "हमारा शरीर यादों से मिलकर बना है। जब कोई स्त्री किसी पुरुष के साथ संबंध बनाती है, तो उसके अंग-अंग में उस पुरुष की याद बस जाती है। इस वजह से दोनों के बीच परस्पर प्रेम और कामवासना बढ़ती है। लेकिन जब यही काम 2-3 पुरुषों के साथ होता है, तो शरीर समझ नहीं पाता कि किसे यादों में बसाना है और किसे निकाल फेंकना। और इस वजह से संभोग में अरुचि होती है, धीरे-धीरे प्रेम खत्म होने लगता है।"
तब मुझे समझ आया कि क्यों बड़े बुजुर्ग शादी के बाद ही संभोग करने की सलाह देते हैं, ताकि हमारे रिश्ते मजबूत हो सकें। लेकिन आज मेरी तरह ना जाने कितनी लड़कियां शादी से पहले संभोग करती हैं, बिना इसके दुष्प्रभाव को समझे। और न चाहते हुए भी उनकी शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो जाती है।
इसके अलावा, कुछ लड़कियां तो केवल अपने काम को निकालने या अपने स्टेटस को मेंटेन रखने के लिए अपनी चढ्ढी किसी के सामने खोल देती हैं। पर यह बात गलत है। मुझे इसका एहसास तब हुआ जब मेरे पति और मेरे रिश्तों के बीच खटास आने लगी। किसी भी स्थिति में शादी से पहले संबंध बनाना गलत है। तुम्हें आज मजा आएगा, लेकिन शादी के बाद सिर्फ पछताना पड़ेगा। और तुम यह सोचोगी, "क्यों आखिर ऐसा किया मैंने?"