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Adultery अनुभूति

nitya bansal3

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एक लड़की की शारीरिक जरूरत संभोग से पूरी होती है, और एक सुखद संभोग उसके स्त्रीत्व की पूर्ति करता है। यह दिमाग में ऐसे केमिकल निकालने में मदद करता है जिससे वह पूर्ण महसूस करती है। मैंने भी इस बात को महसूस किया है और यह सत्य है। जब मैं कॉलेज में थी, तो नई-नई फिल्में और इंटरनेट पर लेख पढ़ती थी, जिससे मुझे यह समझ आया कि स्त्री और पुरुष दोनों की शारीरिक जरूरतें होती हैं। स्त्री की जरूरत को पूरा करने के लिए पुरुष की आवश्यकता होती है, और पुरुष को स्त्री की। एक-दूसरे की जरूरत को पूर्ण करने में कोई गलत बात नहीं है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ, हमारे ग्रंथ और माता-पिता इस बात के खिलाफ थे। उनका कहना था कि शादी से पहले यह सब गलत है। मुझे यह समझ नहीं आया और मुझे खुद यह सब फिजूल की बातें लगती थीं।
🤷‍♀️
मेरा एक बॉयफ्रेंड बना, और मैंने अपनी सहमति जाहिर की कि मैं संभोग का आनंद लेना चाहती हूं। वह भी तैयार था, और हम दोनों ने इसे एक्सपीरियंस किया। यह जादुई एहसास था, शरीर में एक अलग तरह की ऊर्जा आने लगी थी। अब मुझे लगा कि यह शारीरिक जरूरत जरूर पूरी करनी चाहिए। लेकिन कुछ समय बाद मेरा ब्रेकअप हो गया।
💔
इसके बाद मैं किसी दूसरे लड़के के साथ संबंध बनाने लगी। लेकिन हमारी शादी नहीं हो सकती थी। और अब शादी की उम्र आ गई थी, तो मां-पापा ने एक अच्छा लड़का खोज कर शादी कर दी। पहले कुछ दिन तो संभोग अच्छा रहा, लेकिन ना जाने क्यों मेरा मन इस बात से हटने लगा। पति जब संभोग की पहल करते, मैं बहाना बना देती। हमारे रिश्तों में खटास आने लगी थी।
😔
मैंने डॉक्टर से परामर्श लिया और उन्हें अपनी समस्या बताई। उन्होंने कहा, "उम्र के साथ ऐसा होता है," और पूरा एक साल दवाई खाई। लेकिन मेरे पति भी मुझसे खिन्न रहने लगे थे। मुझे पता है कि पुरुषों को सेक्स की चाहत होती है, पर मैं चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही थी। हमारे बच्चे भी नहीं थे और ना हमारे बीच ज्यादा शारीरिक संबंध थे। उन्होंने मुझसे कहा, "पत्नी होते हुए भी मेरी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है, अब हमारा साथ रहने का कोई मतलब नहीं है।"
😢
यह बात मुझे अंदर तक चुभ गई। मैंने उनसे कुछ समय मांगा और इस बार सब छोड़कर ऋषिकेश चली गई। इस आस में कि मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, जिसकी वजह से यह सब हो रहा है। वहां मेरी मुलाकात गुरु मा से हुई, जिन्होंने मुझे ध्यान और योग सिखाया।
🧘‍♀️
उन्होंने मुझसे मेरी समस्या के बारे में चर्चा की। जब मैंने उन्हें सब बताया, तो उन्होंने पलभर में ही यह कह दिया, "शादी से पहले कितने पुरुषों के साथ सोई हो?" मैं हैरान थी, पर मैंने सही जवाब दे दिया।
😳
उन्होंने कहा, "हमारा शरीर यादों से मिलकर बना है। जब कोई स्त्री किसी पुरुष के साथ संबंध बनाती है, तो उसके अंग-अंग में उस पुरुष की याद बस जाती है। इस वजह से दोनों के बीच परस्पर प्रेम और कामवासना बढ़ती है। लेकिन जब यही काम 2-3 पुरुषों के साथ होता है, तो शरीर समझ नहीं पाता कि किसे यादों में बसाना है और किसे निकाल फेंकना। और इस वजह से संभोग में अरुचि होती है, धीरे-धीरे प्रेम खत्म होने लगता है।"
💔
तब मुझे समझ आया कि क्यों बड़े बुजुर्ग शादी के बाद ही संभोग करने की सलाह देते हैं, ताकि हमारे रिश्ते मजबूत हो सकें। लेकिन आज मेरी तरह ना जाने कितनी लड़कियां शादी से पहले संभोग करती हैं, बिना इसके दुष्प्रभाव को समझे। और न चाहते हुए भी उनकी शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो जाती है।
😟
इसके अलावा, कुछ लड़कियां तो केवल अपने काम को निकालने या अपने स्टेटस को मेंटेन रखने के लिए अपनी चढ्ढी किसी के सामने खोल देती हैं। पर यह बात गलत है। मुझे इसका एहसास तब हुआ जब मेरे पति और मेरे रिश्तों के बीच खटास आने लगी। किसी भी स्थिति में शादी से पहले संबंध बनाना गलत है। तुम्हें आज मजा आएगा, लेकिन शादी के बाद सिर्फ पछताना पड़ेगा। और तुम यह सोचोगी, "क्यों आखिर ऐसा किया मैंने?"

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ईश्वर ने हमे दो कान और एक मुंह दिए हैं । बाकी आप इस का अर्थ स्वयं निकाल सकती है ।
और जहां तक हसबैंड वाइफ की बात है , दोनो की जिम्मेदारी बनती है कि वो एक दूसरे की बात को गंभीरतापूर्वक सुने । अगर कोई सीरियस बात हो तो ठंडे दिमाग से उस पर चिंतन मनन करें और अगर कोई हंसी-मजाक की बात हो तो खुलकर उस बात का आनंद उठाए ।
कहते हैं एक अच्छा श्रोता ही आगे जाकर प्रभावशाली वक्ता बनता है ।

इस कहानी की नायिका आधुनिकतावाद की चादर ओढ़े अपने संस्कारों को कुर्बान कर गई । शादी से पहले एक नही बल्कि कई मर्दों की अंकशायिनी बनी ।
लेकिन मेरा मानना है कि अगर औरत निम्फोमाॅनियाक नही है तो वह एक वक्त मे एक ही मर्द से प्रेम करती है । उस मर्द से किसी कारणवश सम्बन्ध विच्छेद हो गया हो तब वह किसी दूसरे मर्द की तरफ आकर्षित होगी । और ऐसा ही इस नायिका के साथ भी हुआ ।
लेकिन शादी-ब्याह के पश्चात परिस्थितयां शादी से पहले की तरह नही होती है । बहुत कुछ बदल जाता है । रिश्तों मे इमानदारी दिखाई जाती है , अच्छा श्रोता बनना होता है , प्रेम और इमोशंस का इजहार किया जाता है , त्याग की भावना पाली जाती है । अगर यह सब कुछ परफेक्ट रहा तो सेक्स की बातें उतनी महत्वपूर्ण नही होती जितना लोग बाग कहानी या फिल्म देखकर जिक्र करते रहते हैं ।
लेकिन इस रिश्ते को निभाने के लिए हसबैंड और वाइफ दोनो को ही मेहनत करनी होती है । ताली कभी भी एक हाथ से नही बजती ।
बढ़िया लिख रही है आप ।
आप के नेक्स्ट अनुभूति का इंतजार रहेगा ।
 

Tiger 786

Well-Known Member
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एक लड़की की शारीरिक जरूरत संभोग से पूरी होती है, और एक सुखद संभोग उसके स्त्रीत्व की पूर्ति करता है। यह दिमाग में ऐसे केमिकल निकालने में मदद करता है जिससे वह पूर्ण महसूस करती है। मैंने भी इस बात को महसूस किया है और यह सत्य है। जब मैं कॉलेज में थी, तो नई-नई फिल्में और इंटरनेट पर लेख पढ़ती थी, जिससे मुझे यह समझ आया कि स्त्री और पुरुष दोनों की शारीरिक जरूरतें होती हैं। स्त्री की जरूरत को पूरा करने के लिए पुरुष की आवश्यकता होती है, और पुरुष को स्त्री की। एक-दूसरे की जरूरत को पूर्ण करने में कोई गलत बात नहीं है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ, हमारे ग्रंथ और माता-पिता इस बात के खिलाफ थे। उनका कहना था कि शादी से पहले यह सब गलत है। मुझे यह समझ नहीं आया और मुझे खुद यह सब फिजूल की बातें लगती थीं।
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मेरा एक बॉयफ्रेंड बना, और मैंने अपनी सहमति जाहिर की कि मैं संभोग का आनंद लेना चाहती हूं। वह भी तैयार था, और हम दोनों ने इसे एक्सपीरियंस किया। यह जादुई एहसास था, शरीर में एक अलग तरह की ऊर्जा आने लगी थी। अब मुझे लगा कि यह शारीरिक जरूरत जरूर पूरी करनी चाहिए। लेकिन कुछ समय बाद मेरा ब्रेकअप हो गया।
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इसके बाद मैं किसी दूसरे लड़के के साथ संबंध बनाने लगी। लेकिन हमारी शादी नहीं हो सकती थी। और अब शादी की उम्र आ गई थी, तो मां-पापा ने एक अच्छा लड़का खोज कर शादी कर दी। पहले कुछ दिन तो संभोग अच्छा रहा, लेकिन ना जाने क्यों मेरा मन इस बात से हटने लगा। पति जब संभोग की पहल करते, मैं बहाना बना देती। हमारे रिश्तों में खटास आने लगी थी।
😔
मैंने डॉक्टर से परामर्श लिया और उन्हें अपनी समस्या बताई। उन्होंने कहा, "उम्र के साथ ऐसा होता है," और पूरा एक साल दवाई खाई। लेकिन मेरे पति भी मुझसे खिन्न रहने लगे थे। मुझे पता है कि पुरुषों को सेक्स की चाहत होती है, पर मैं चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही थी। हमारे बच्चे भी नहीं थे और ना हमारे बीच ज्यादा शारीरिक संबंध थे। उन्होंने मुझसे कहा, "पत्नी होते हुए भी मेरी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही है, अब हमारा साथ रहने का कोई मतलब नहीं है।"
😢
यह बात मुझे अंदर तक चुभ गई। मैंने उनसे कुछ समय मांगा और इस बार सब छोड़कर ऋषिकेश चली गई। इस आस में कि मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, जिसकी वजह से यह सब हो रहा है। वहां मेरी मुलाकात गुरु मा से हुई, जिन्होंने मुझे ध्यान और योग सिखाया।
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उन्होंने मुझसे मेरी समस्या के बारे में चर्चा की। जब मैंने उन्हें सब बताया, तो उन्होंने पलभर में ही यह कह दिया, "शादी से पहले कितने पुरुषों के साथ सोई हो?" मैं हैरान थी, पर मैंने सही जवाब दे दिया।
😳
उन्होंने कहा, "हमारा शरीर यादों से मिलकर बना है। जब कोई स्त्री किसी पुरुष के साथ संबंध बनाती है, तो उसके अंग-अंग में उस पुरुष की याद बस जाती है। इस वजह से दोनों के बीच परस्पर प्रेम और कामवासना बढ़ती है। लेकिन जब यही काम 2-3 पुरुषों के साथ होता है, तो शरीर समझ नहीं पाता कि किसे यादों में बसाना है और किसे निकाल फेंकना। और इस वजह से संभोग में अरुचि होती है, धीरे-धीरे प्रेम खत्म होने लगता है।"
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तब मुझे समझ आया कि क्यों बड़े बुजुर्ग शादी के बाद ही संभोग करने की सलाह देते हैं, ताकि हमारे रिश्ते मजबूत हो सकें। लेकिन आज मेरी तरह ना जाने कितनी लड़कियां शादी से पहले संभोग करती हैं, बिना इसके दुष्प्रभाव को समझे। और न चाहते हुए भी उनकी शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो जाती है।
😟
इसके अलावा, कुछ लड़कियां तो केवल अपने काम को निकालने या अपने स्टेटस को मेंटेन रखने के लिए अपनी चढ्ढी किसी के सामने खोल देती हैं। पर यह बात गलत है। मुझे इसका एहसास तब हुआ जब मेरे पति और मेरे रिश्तों के बीच खटास आने लगी। किसी भी स्थिति में शादी से पहले संबंध बनाना गलत है। तुम्हें आज मजा आएगा, लेकिन शादी के बाद सिर्फ पछताना पड़ेगा। और तुम यह सोचोगी, "क्यों आखिर ऐसा किया मैंने?"

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Nice
 

nitya bansal3

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प्रेम मे सबसे खूबसूरत चीज होती है कोशिश...थोड़ी और कोशिश हर बार ... कोशिश उसकी एक झलक पाने की,कोशिश उस से अपनी भावनाएं जाहिर करने की, कोशिश उसके मुरझाये पर एक हल्की हंसी लाने की, कोशिश उसके सपनों को पुरा करने की, कोशिश खुद को बेहतर करने की उसके लिए, कोशिश वो सब करने की जिससे प्रेम कायम रहे ,कोशिश अपने प्रेम को उसके मंजिल तक पहुचां के उसे एक मुक्कमल नाम देने की, कोशिश ही है जो प्रेम को जीवंत बनाए रखता था..हर बार एक नयी कोशिश प्रेम को नवीनता देती है...यही कोशिशें एक दिन प्रेम को मूर्त् देती है..

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❤️
 

nitya bansal3

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रेम .....प्रेम भी सार्थक हो उठता है,जब उसे मिलता है कोई ऐसा प्रेमी। जो प्रेम को करता है सही मायने में परिभाषित।धन्य हो उठती है वो प्रेयसी, जब मिलता है उसे सच्चा साथी।तब उसका ह्रदय होता है सच्ची प्रीत से अलंकृत।पुनीत हो उठता है वो ऑंगन,जहॉं मिलता है प्रेम को सम्मान।वहॉं निश्छल प्रेम की मधुरिमा होती है प्रवाहित।पवित्र हो उठती है वसुंधरा,जब मिलता है प्रेम को विस्तार।तब प्रेम की अखंड-ज्योति से धरा होती है आलोकित।

GWAl-T97-W4-AAKVZb
 

nitya bansal3

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स्त्रियां उलझी सी होतीं हैं नाराज़ भी होती है जताती भी हैं मगर बताती नहीं या सह जाती हैं या कभी कह जाती हैं सचमुच कितनी पेचीदा होतीं हैं।थोड़ी सुलझी सी भी होतीं हैं यूँही ,यूँही काम के बीच में गुनगुना उठती हैं छेड़े जाने पर चिढ़ जाती हैं कभी बस हंस देती हैं इनकी सुने, तो स्त्रियां बेहूदा होतीं हैं।कई बार तो मात्र ज़ोर से बोले जाने पर रो पड़ती हैं दूसरे के दुख में अपना दुख भूल जाती हैं सचमुच, स्त्रियां कितनी संजीदा होती हैं।।

GV0-J0s-YWQAAHJNz
 

nitya bansal3

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स्त्री की अन्तः मंथन
🙏🏻
🙏🏻
काश सात फेरों के पश्चाततुम मेरे परमेश्वर नहींबस मेरे प्रेमी बन जाते ।.काश तुम मेरे माथे परअपना नाम लिखमुझे अपने वर्चस्व की वस्तु न समझते ।.काश तुम बस तनिक छण के लिएमेरे माथे पर अपना हाथ फेर देते,मैं सौंप देती अपनी अन्तरात्मा तुम्हेंतुम्हारा नाम मेरी देह पर लिखे बग़ैर ।.काश नियति हमेंजीवन के उस छण पर ला कर खड़ा करतीजब अनन्त समय पश्चातसृष्टि के अन्तकाल मेंएक दूसरे की राख अपने देह में मल करक्षितिज पार के उस श्मशान में बैठहम एक दूसरे को एक टुक निहारा करतेऔर मृत्यु भी हमें आश्चर्य से देखती ।सही मायनों में तब होता हमारे प्रेम का उद्धारजो वर्चस्व के बन्धनों से परे होता,सही मायनों में तब मैं तुम्हारीपरिणीता हो कर भी तुम्हारी प्रेयसी बन जाती,सही मायनों में तब हममोक्ष का स्पर्श पा कर शिव हो जाते ।
 
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