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भाभी की बात सुनकर पायल हस्ती हुई बोली
पायल : भाभी आप नही जानती वह कितना बड़ा कमीना है ।मेरी सहेली विनीता बता रही थी कि जब उसके साथ पहली बार किया था तो बेचारी तीन दिन तक ठीक से चल भी नही पाई थी ।बहुत दर्द था इसलिए ही मैं उससे दूर ही रहती थी पर आपने मुझे फिर उसके पास ले जा रही है ।
भाभी : क्या करूँ यार अब तेरे भैया को तो मेरा ख्याल है नही तो मुझे अपना जुगाड़ तो लगाना ही पड़ेगा ।
पायल : भाभी आप लगाओ अपना जुगाड़ मुझे बख्स दो ।अगर मुझे जब जरूरत होगी तो मैं अपना हक सामने से खुद ले लुंगी ।आप तो जानती है कि इस तरह अगर मैं उसके पास गई तो वह मुझे रंडी से ज्यादा नही समझेगा और मैं यह नही चाहती हु ।मैं चाहती हु जो भी हो दिल से हो।
भाभी : यह प्यार नाम की जो बला है ना वह सिर्फ दिखावा है और कुछ नही बस प्यार के नाम पर एक दूसरे की हवस मिटाने का साधन है और कुछ नही है ।
इधर जब मैं घर पहुचा तो देखा कि चाची आँगन में बैठी हुई कुछ काम कर रही थी ।मुझे देख कर वह कुछ बोलने को हुई लेकिन मैं उनके पास रुका नही सीधे अपने कमरे के अंदर चला गया और अंदर से दरवाजा बंद करके अपने बिस्तर पर बैठ कर आज जो कुछ भी देखा बस दिमाग उसी के बारे में सोच रहा था ।मुझे इस बात पर अब भी यकीन नही हो रहा था कि मैंने जो कुछ देखा वह सच था ।कैसे माँ और दीदी दोनो एक ही बिस्तर पर वह भी पापा और चाचा के साथ लगी हुई थी । अगर दीदी को इतनी ही आग लगी हुई थी घर से बाहर किसी के साथ कर लेती या मा बापू इस गन्दा काम करने से पहले उनकी शादी कर देते । लेकिन नही यह लोग तो खुद ही उसी दलदल में गिरते चले जा रहे है और उन्हें इस बात का भी अंदाजा नही है कि कोई उनकी रासलीला देख रही है अगर उसने गांव में जाकर बोल दिया तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी गांव में । यही सब सोचते हुए मैं सो गया अब कहि जाने का मन नही कर रहा था । उधर कुछ समय बाद जब माँ और कोमल दीदी जब घर पर आई तो उन लोगो ने छोटी चाची से मेरे बारे में पूछा तो चाची बोली
चाची : वह खेतो में गया तो था पर कुछ ही देर बाद वापस आ गया है और उसके बाद से ही वह अपने कमरे में है मैंने उसे बुलाया भी लेकिन वह मेरी बात तो जैसे सुना ही नही ।
चाची की बात सुनकर कोमल दी बोली
कोमल दी : माँ मैंने तुझसे बोला था ना कि मुझे ऐसा लगा कि रूम के बाहर वह बोल रहा है लेकिन आप लोगो ने मेरी बात पर ध्यान ही नही दिया इसलिए ही मैं इस बार मना कर रही थी लेकिन किसी को मेरी बात सुनाई ही कंहा दी ।अब उसके सामने मैं कैसे जाउंगी।
माँ : अरे तू तो ऐसे डर रही है जैसे वह तुझे खा जाएगा ।अरे जब मैं हु तो तू क्यों चिंता कर रही है। उसके जो भी सवाल होंगे उसका जवाब मैं दूंगी और पहले अपने मन से यह डर निकाल दे ।
कोमल दी : माँ तू तो ऐसे बोल रही है जैसे यह कोई छोटी बात है और तू उसका सहजता से जवाब दे देगी।
माँ : अरे पगली मर्द को कैसे चुप करना है यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं तू उसकी चिंता मत कर और वैसे भी वह कोई सरीफ तो है नही ।उसने भी तो गांव की कई लड़कियों और औरतो के साथ सम्बन्ध बनाये है और वैसे भी यह जो कुछ हुआ है वह हमारी मर्जी से हुआ है ।
कोमल अपनी माँ की बात को नासमझ पाने के कारण बोलती है
कोमल दी : आप क्या बोल रही है मैं कुछ समझ नही पा रही हु ।
माँ : अरे इसमे इतना समझने की क्या बात है ।तूने उसका हथियार देखा है कितना बड़ा है ।
कोमल दी अपनी माँ की बात सुनकर समझ जाती है कि जिस तरह उसे इस दलदल में इन लोगो ने उतार लिया है ।अब उसी तरह से उसके भाई के पीछे भी पड़ी हुई है तो वह बोलती है
कोमल दी : माँ आप लोग इस हद तक गिर सकते हो मैं यह कभी सोच भी नही सकती हूं ।आज आप लोग इसे सामिल करना चाहती है कल को भाभी और बाकियो को भी लाना चाहोगी लेकिन एक बात समझ लो मा यह ठीक नही है ।
इतना बोल कर वह अंदर चली जाती है और मेरे रूम को खुलवाने की कोशिश करती है लेकिन मैं तो चैन से सोया हुआ था ।
इधर घर पर मैं जब शाम को सो कर उठा तो मुझे बहुत भूख लगी हुई थी पर जो कुछ मैंने सुबह देखा इसके बाद मेरा उन लोगो के सामने जाने का मन ही नही कर रहा था परंतु घर मे भी कबतक बन्द रहूंगा इसलिए जब रूम से बाहर निकला तो देखा कि बाहर आँगन में सभी लोग बैठे हुए थे सिवाय कोमल दी के । पापा मुझे देख कर बोले
पापा : क्या बात है बेटा आज दिनभर सोया रहा तबियत तो नही खराब है ना ।
उनको देख कर सुबह में जो कुछ देखा वह याद आ गया और वह याद आते ही मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर किसी तरह से उसे काबू करते हुए बोला
मैं : नही पापा ऐसी कोई बात नही है बस अखाड़े से आकर सो गया पता ही नही चला ।
इसके बाद मैं रसोई में गया तो वंहा पर भाभी और पायल दी दोनो लोग खाना बनाने में लगी हुई थी तो मैं भाभी से कुछ खाने को मांग कर नाश्ता किया और फिर घर वालो के सामने नही जाना पड़े इसके लिए अखाड़े की तरफ निकल लिया । अखाड़े जब पहुचा तो देखा कि जो हम लोगो को अखाड़े में दाव सिखाते है वह कुछ लड़कों को कुछ बता रहे थे। उनका नाम भीमा पहलवान था और वह हम सभी के गुरु भी थे और चाचा के दोस्त भी तो मुझे देख कर बोले
भीमा प : अरे राज बेटा मैं कबसे तेरा ही इन्तजार कर रहा था । आज वह सूरजगढ़ के अखाड़े से दंगल का न्योता आया है ।उन सबने हमारे अखाड़े को ललकारा है तो मैंने उसे स्वीकार कर लिया है इसलिए अब इस रविवार को हमको सूरजगढ़ के अखाड़े जाना है ।
पायल : भाभी आप नही जानती वह कितना बड़ा कमीना है ।मेरी सहेली विनीता बता रही थी कि जब उसके साथ पहली बार किया था तो बेचारी तीन दिन तक ठीक से चल भी नही पाई थी ।बहुत दर्द था इसलिए ही मैं उससे दूर ही रहती थी पर आपने मुझे फिर उसके पास ले जा रही है ।
भाभी : क्या करूँ यार अब तेरे भैया को तो मेरा ख्याल है नही तो मुझे अपना जुगाड़ तो लगाना ही पड़ेगा ।
पायल : भाभी आप लगाओ अपना जुगाड़ मुझे बख्स दो ।अगर मुझे जब जरूरत होगी तो मैं अपना हक सामने से खुद ले लुंगी ।आप तो जानती है कि इस तरह अगर मैं उसके पास गई तो वह मुझे रंडी से ज्यादा नही समझेगा और मैं यह नही चाहती हु ।मैं चाहती हु जो भी हो दिल से हो।
भाभी : यह प्यार नाम की जो बला है ना वह सिर्फ दिखावा है और कुछ नही बस प्यार के नाम पर एक दूसरे की हवस मिटाने का साधन है और कुछ नही है ।
इधर जब मैं घर पहुचा तो देखा कि चाची आँगन में बैठी हुई कुछ काम कर रही थी ।मुझे देख कर वह कुछ बोलने को हुई लेकिन मैं उनके पास रुका नही सीधे अपने कमरे के अंदर चला गया और अंदर से दरवाजा बंद करके अपने बिस्तर पर बैठ कर आज जो कुछ भी देखा बस दिमाग उसी के बारे में सोच रहा था ।मुझे इस बात पर अब भी यकीन नही हो रहा था कि मैंने जो कुछ देखा वह सच था ।कैसे माँ और दीदी दोनो एक ही बिस्तर पर वह भी पापा और चाचा के साथ लगी हुई थी । अगर दीदी को इतनी ही आग लगी हुई थी घर से बाहर किसी के साथ कर लेती या मा बापू इस गन्दा काम करने से पहले उनकी शादी कर देते । लेकिन नही यह लोग तो खुद ही उसी दलदल में गिरते चले जा रहे है और उन्हें इस बात का भी अंदाजा नही है कि कोई उनकी रासलीला देख रही है अगर उसने गांव में जाकर बोल दिया तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी गांव में । यही सब सोचते हुए मैं सो गया अब कहि जाने का मन नही कर रहा था । उधर कुछ समय बाद जब माँ और कोमल दीदी जब घर पर आई तो उन लोगो ने छोटी चाची से मेरे बारे में पूछा तो चाची बोली
चाची : वह खेतो में गया तो था पर कुछ ही देर बाद वापस आ गया है और उसके बाद से ही वह अपने कमरे में है मैंने उसे बुलाया भी लेकिन वह मेरी बात तो जैसे सुना ही नही ।
चाची की बात सुनकर कोमल दी बोली
कोमल दी : माँ मैंने तुझसे बोला था ना कि मुझे ऐसा लगा कि रूम के बाहर वह बोल रहा है लेकिन आप लोगो ने मेरी बात पर ध्यान ही नही दिया इसलिए ही मैं इस बार मना कर रही थी लेकिन किसी को मेरी बात सुनाई ही कंहा दी ।अब उसके सामने मैं कैसे जाउंगी।
माँ : अरे तू तो ऐसे डर रही है जैसे वह तुझे खा जाएगा ।अरे जब मैं हु तो तू क्यों चिंता कर रही है। उसके जो भी सवाल होंगे उसका जवाब मैं दूंगी और पहले अपने मन से यह डर निकाल दे ।
कोमल दी : माँ तू तो ऐसे बोल रही है जैसे यह कोई छोटी बात है और तू उसका सहजता से जवाब दे देगी।
माँ : अरे पगली मर्द को कैसे चुप करना है यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं तू उसकी चिंता मत कर और वैसे भी वह कोई सरीफ तो है नही ।उसने भी तो गांव की कई लड़कियों और औरतो के साथ सम्बन्ध बनाये है और वैसे भी यह जो कुछ हुआ है वह हमारी मर्जी से हुआ है ।
कोमल अपनी माँ की बात को नासमझ पाने के कारण बोलती है
कोमल दी : आप क्या बोल रही है मैं कुछ समझ नही पा रही हु ।
माँ : अरे इसमे इतना समझने की क्या बात है ।तूने उसका हथियार देखा है कितना बड़ा है ।
कोमल दी अपनी माँ की बात सुनकर समझ जाती है कि जिस तरह उसे इस दलदल में इन लोगो ने उतार लिया है ।अब उसी तरह से उसके भाई के पीछे भी पड़ी हुई है तो वह बोलती है
कोमल दी : माँ आप लोग इस हद तक गिर सकते हो मैं यह कभी सोच भी नही सकती हूं ।आज आप लोग इसे सामिल करना चाहती है कल को भाभी और बाकियो को भी लाना चाहोगी लेकिन एक बात समझ लो मा यह ठीक नही है ।
इतना बोल कर वह अंदर चली जाती है और मेरे रूम को खुलवाने की कोशिश करती है लेकिन मैं तो चैन से सोया हुआ था ।
इधर घर पर मैं जब शाम को सो कर उठा तो मुझे बहुत भूख लगी हुई थी पर जो कुछ मैंने सुबह देखा इसके बाद मेरा उन लोगो के सामने जाने का मन ही नही कर रहा था परंतु घर मे भी कबतक बन्द रहूंगा इसलिए जब रूम से बाहर निकला तो देखा कि बाहर आँगन में सभी लोग बैठे हुए थे सिवाय कोमल दी के । पापा मुझे देख कर बोले
पापा : क्या बात है बेटा आज दिनभर सोया रहा तबियत तो नही खराब है ना ।
उनको देख कर सुबह में जो कुछ देखा वह याद आ गया और वह याद आते ही मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर किसी तरह से उसे काबू करते हुए बोला
मैं : नही पापा ऐसी कोई बात नही है बस अखाड़े से आकर सो गया पता ही नही चला ।
इसके बाद मैं रसोई में गया तो वंहा पर भाभी और पायल दी दोनो लोग खाना बनाने में लगी हुई थी तो मैं भाभी से कुछ खाने को मांग कर नाश्ता किया और फिर घर वालो के सामने नही जाना पड़े इसके लिए अखाड़े की तरफ निकल लिया । अखाड़े जब पहुचा तो देखा कि जो हम लोगो को अखाड़े में दाव सिखाते है वह कुछ लड़कों को कुछ बता रहे थे। उनका नाम भीमा पहलवान था और वह हम सभी के गुरु भी थे और चाचा के दोस्त भी तो मुझे देख कर बोले
भीमा प : अरे राज बेटा मैं कबसे तेरा ही इन्तजार कर रहा था । आज वह सूरजगढ़ के अखाड़े से दंगल का न्योता आया है ।उन सबने हमारे अखाड़े को ललकारा है तो मैंने उसे स्वीकार कर लिया है इसलिए अब इस रविवार को हमको सूरजगढ़ के अखाड़े जाना है ।
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