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Incest अनोखा लड़का

राज का घर मे पहली चुदाई किससे करवाये

  • 1 रजनी

    Votes: 24 77.4%
  • कोमल

    Votes: 5 16.1%
  • पायल

    Votes: 5 16.1%
  • पुष्पा

    Votes: 6 19.4%
  • रुचि

    Votes: 9 29.0%
  • राधिका

    Votes: 2 6.5%

  • Total voters
    31
  • Poll closed .

Naik

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76,439
258
राधिका दी कि बातो को सुनकर मैं सोचने पर मजबूर हो गया क्यूंकि जो आज मैंने देखा वह इन्हें कैसे बता सकता हूं और यह भी सच था कि घर मे एक यही थी जिनके सामने मैं कभी झूठ नही बोल पाता हूं और अगर कभी बोलता भी हु वह तुरन्त पकड़ लेती है। इसलिए मैं बोला
मैं : दीदी यह सच है कि मैं आज सुबह से काफी परेशान हु और घर का माहौल ऐसा हो गया है कि मैं किसी से बात करना ही नही चाहता हु इसलिए मैं सबसे दूर रहने की कोशिश कर रहा हूं।
राधिका दी : तेरे कहने का मतलब मैं कुछ समझी नही तू कहना क्या चाहता है और अगर कोई समस्या है तो उसे बात करके खत्म किया जा सकता है।
मैं : सच मे दी आप को ऐसा लगता है कि ऐसा हो सकता है । वह बात इतनी छोटी नही है जो कि इतनी आसानी से उसका हल निकाला जा सके । अगर मैंने यह बात सबके सामने बोल दी ना तो घर मे होगा उसकी कल्पना भी आपने नही कि होगी।
मेरी बात को सुनकर राधिका दी को एक झटका लगा और वह बोली
राधिका दी : देख भाई तेरी बातो से मुझे डर लग रहा है ।तू सच सच बता तुझे मेरी कसम क्या बात है । अगर तू मुझे अपना मानता है तो तू मुझसे झूठ नही बोलेगा।
मैं दीदी की बात सुनकर घबरा गया क्यूंकि ना तो मैं उन्हें सच बता कर दुखी करना चाहता था और अब ना ही मैं उनकी कसम को झुठला सकता हूं इसलिए मैंने आखिरी बार बात को संभालने के लिए बोला
मैं : दीदी आप अगर खुश रहना चाहती है तो आप अपनी यह कसम वापस ले लो क्यूंकि मैं नही चाहता हु कि जिस आग में मैं जल रहा हु उस आग को आप भी महसूस करो ।सच जानकर आपको बहुत दुख होगा।
राधिका दी : मुझे उस बात से दुख होगा कि नही यह मैं नही जानता हूं लेकिन मैं इतना जरूर जान गई हूं तेरी नजर में मेरी कोई कीमत नही है वरना तू अपना दुख मुझे बताने में इतना सोच विचार नही करता क्यूंकि मैं कोई तेरी अपनी तो हु नही ।यही बात कोमल दी या पायल ने पूछी होती ना तो तू तुरन्त बता देता क्यूंकि वह तेरी सगी है ना और मैं पराई हु ना।
दी कि बातो को सुनकर मेरा दिल तड़प उठा और मेरी आँखों मे आंसू आ गये । मैं तुरन्त उनके सामने घुटनो के बल बैठ कर बोला
मैं : दी यह आप कैसी बात कर रही है यह बात आप भी जानती है कि मैं आप तीनो में कभी भी कोई भेद भाव नही किया और ना ही आप लोगो ने। आज आप ने यह बोल कर मुझे पराया ही कर दिया है ।अब मैं किसके पास जाऊ एक आप ही थी सोचा था कि आप के सहारे रहूंगा लेकिन आप ने भी मुझे अपना नही माना।
इतना बोल कर मैं उनके गोद मे सर रख कर रोने लगा तो वह मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोली
राधिका दी : मैं जानती हूं मेरा भाई मुझे बहुत चाहता है और मेरे लिए कुछ भी कर सकता है । पर तु यह क्यों नही सोचता है कि अगर तू इस तरह कमरे में रहेगा किसी से बात नही करेगा और अपने दुखों को अंदर ही अंदर सहता रहेगा तो इससे तेरी तकलीफ और भी बढ़ेगी और तुझे तकलीफ में देख कर मुझे भी तकलीफ होगी क्या तू यही चाहता है।
मैं : नही दी मैं ऐसा नही चाहता हु बल्कि मैं तो यही चाहता हु कि आप हमेशा खुश रहो और इसलिए ही मैं आपको वह नही बताना चाहता हु ।
राधिका दी : अब तू सीधी तरह से बताता है या मैं जाऊ यंहा से । अगर तुझे बात नही बतानी है तो मैं ही चली जाती हु फालतू में मैं क्यों अपना दिमाग खराब करू।
इतना बोल कर दी नाराज हो कर वंहा से जाने लगी और जाते वक्त उनकी आंखों में आंसू थे जो मेरे दिल पर तेजाब की तरह गिरा तो मैं उन्हें रोकते हुए बोला
मैं : अगर आप जानना ही चाहती है तो रुकिए मैं आपको सब कुछ बताऊंगा लेकिन आपको मेरी कसम है आप किसी से कुछ नही पूछेंगी।
इसके बाद मैंने राधिका दी को सब कुछ बता दिया जो मैंने आज सुबह खेतो में देखा था ।मेरी बात सुनकर दी वही मेरे बेड पर बैठ गयी और अपनी गर्दन नीचे झुका लिया तो मुझे लगा कि कही वह रो तो नही रही है इसलिए मैं बोला
मैं : दी मैं जानता था कि आपको यह बात जानकर बहुत दुख होगा इसलिए मैंने आपको पहले ही मना किया था लेकिन आप तो मेरी बात मानने को तैयार ही नही थी।
मेरी बात को सुनकर दी कुछ नही बोली बस अपनी गर्दन नीचे झुकाये देखती रही मेरे बार बार बोलने पर वह मेरी तरफ देखी और इसके बाद वह जो कुछ बोली वह मेरे लिए भी किसी झटके से कम नही था ।
राधिका दी : तो आखिर कर वही हुआ जिसका मुझे डर था ।उन लोगो ने तुझे भी उस गंदी दलदल में खीचना चाहा ।
मैं उनकी बात सुनकर चकित रह गया और बोला
मैं : दी आप कहना क्या चाहती है मैं कुछ समझा नही।
राधिका दी : इसमे ना समझने वाली बात कंहा से आ गयी बाबू जो तुम आज जाने हो वह बात मैं बहुत पहले से ही जानती हूं लेकिन मैं सब कुछ जानकर भी अनजान बनी रही लेकिन बस अब और नही । अब इसको बन्द करना ही पड़ेगा उन लोगो को मैं अब और ज्यादा बर्दाश्त नही कर सकती हूं इन लोगो को।
मुझे उनकी बात सुनकर झटका लगा और मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया कि कहि यह भी तो उन खेलो में शामिल तो नही है ना ।उधर राधिका दी मुझे इस तरह सोच में डूबा देख कर बोली
राधिका : मैं जानती हूं तू क्या सोच रहा है। घबरा मत मैं अभी उस गन्दगी से दूर हु पर अब उन लोगो ने अपनी सीमा पार कर दी है ।अब और नही उन लोगो ने तुझे उसमे घसीटने की कोशिश करके बहुत बड़ी गलती कर दी है।
वही दूसरी तरफ बाहर चाची और माँ आपस में बात कर रही थी
चाची : दीदी आप देख रही हो ना जबसे वह खेतो से लौट कर आया है तबसे वह हम सबसे कटा हुआ सा है कहि ऐसा ना हो कि हमारा बेटा ही हमसे दूर हो जाये ।
माँ : तू क्यों चिंता करती है जब तक मैं हु तू फिकर मत कर । अभी वह नाराज है लेकिन मैं जल्द ही उसे मना लुंगी।
चाची : दी कहि ऐसा तो नही है ना कि हम इस सरीर की आग बुझाने के चक्कर मे अपने ही हाथों अपना घर बर्बाद कर दे । आप तो जानती ही है कि एक बेटी तो इस चक्कर मे पहले से ही हमसे दूर हो गयी है और अगर बेटा भी दूर हो गया तो ।
माँ : शुभ शुभ बोल ऐसा कुछ नही होगा और वैसे भी वह कौन सा कम है ।गांव की आधी से ज्यादा औरतो और लड़कियो को तो चोद ही चुका है तो हममे क्या बुराई है।
चाची : बुराई तो नही है दीदी लेकिन हमारा रिश्ता ऐसा है कि कहीं वह नाराज ना हो जाए।।

वही दूसरी तरफ सूरजगढ़ में शाम को कल्लू पहलवान के अखाड़े में वह अपने बेटे शंकर के साथ दांव लड़ रहा था ।उसका बेटा उसे पांच मिनट में ही थका देता है तो कल्लू पहलवान बोलता है
कल्लू : वाह बेटा तू तो शहर से बहुत ही अच्छा सिख कर आया है । अब देखता हूं वह सब कैसे जीतते है । उस मुकाबले से पहले यह हार उनके मनोबल को तोड़ कर रख देगी और तुझे भी उन दोनों के ताकत का पता चल जाएगा।
शंकर : बापू एक बात मुझे समझ में नही आई कि मुकाबले से पहले आपने यह कुश्ती क्यों रखवा दी। इससे कही हमको ही नुकसान ना हो जाये।
कल्लू ,: अरे बेटा तू नही जानता वह भीमा अपने आप को दादा समझता है हर बार वह मुकाबला उसी के अखाड़े के लड़के जीतते आ रहे है इसलिये मुकाबले से पहले ही उसके साथ कुश्ती का मुकाबला रखावा कर मैं उनकी मजबूती और कमजोरी जानना चाहता हु ताकि हम तैयारी कर सके।
शंकर : पर बापू इस बात की क्या गैरन्टी है कि वही लड़के आएंगे जो उस मुकाबले में लड़ेंगे।
अपने बेटे की बात सुनकर कल्लू हस्ता हुआ बोला
कल्लू : बेटा तू तो जानता ही है कि दोनों गांव की दुश्मनी चली आ रही है और दोनों गांव का कोई साधारण सा मुकाबला भी कोई हारना नही चाहता है और भीमा तो कभी हारना सीखा ही नही इसलिए मैं इस बात की गैरंटी ले सकता हु।
Zaberdast shaandaar mazedaar lajawab update dost
 

aalu

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भाभी की बात सुनकर पायल हस्ती हुई बोली
पायल : भाभी आप नही जानती वह कितना बड़ा कमीना है ।मेरी सहेली विनीता बता रही थी कि जब उसके साथ पहली बार किया था तो बेचारी तीन दिन तक ठीक से चल भी नही पाई थी ।बहुत दर्द था इसलिए ही मैं उससे दूर ही रहती थी पर आपने मुझे फिर उसके पास ले जा रही है ।
भाभी : क्या करूँ यार अब तेरे भैया को तो मेरा ख्याल है नही तो मुझे अपना जुगाड़ तो लगाना ही पड़ेगा ।
पायल : भाभी आप लगाओ अपना जुगाड़ मुझे बख्स दो ।अगर मुझे जब जरूरत होगी तो मैं अपना हक सामने से खुद ले लुंगी ।आप तो जानती है कि इस तरह अगर मैं उसके पास गई तो वह मुझे रंडी से ज्यादा नही समझेगा और मैं यह नही चाहती हु ।मैं चाहती हु जो भी हो दिल से हो।

भाभी : यह प्यार नाम की जो बला है ना वह सिर्फ दिखावा है और कुछ नही बस प्यार के नाम पर एक दूसरे की हवस मिटाने का साधन है और कुछ नही है ।
इधर जब मैं घर पहुचा तो देखा कि चाची आँगन में बैठी हुई कुछ काम कर रही थी ।मुझे देख कर वह कुछ बोलने को हुई लेकिन मैं उनके पास रुका नही सीधे अपने कमरे के अंदर चला गया और अंदर से दरवाजा बंद करके अपने बिस्तर पर बैठ कर आज जो कुछ भी देखा बस दिमाग उसी के बारे में सोच रहा था ।मुझे इस बात पर अब भी यकीन नही हो रहा था कि मैंने जो कुछ देखा वह सच था ।कैसे माँ और दीदी दोनो एक ही बिस्तर पर वह भी पापा और चाचा के साथ लगी हुई थी । अगर दीदी को इतनी ही आग लगी हुई थी घर से बाहर किसी के साथ कर लेती या मा बापू इस गन्दा काम करने से पहले उनकी शादी कर देते । लेकिन नही यह लोग तो खुद ही उसी दलदल में गिरते चले जा रहे है और उन्हें इस बात का भी अंदाजा नही है कि कोई उनकी रासलीला देख रही है अगर उसने गांव में जाकर बोल दिया तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी गांव में । यही सब सोचते हुए मैं सो गया अब कहि जाने का मन नही कर रहा था । उधर कुछ समय बाद जब माँ और कोमल दीदी जब घर पर आई तो उन लोगो ने छोटी चाची से मेरे बारे में पूछा तो चाची बोली
चाची : वह खेतो में गया तो था पर कुछ ही देर बाद वापस आ गया है और उसके बाद से ही वह अपने कमरे में है मैंने उसे बुलाया भी लेकिन वह मेरी बात तो जैसे सुना ही नही ।
चाची की बात सुनकर कोमल दी बोली
कोमल दी : माँ मैंने तुझसे बोला था ना कि मुझे ऐसा लगा कि रूम के बाहर वह बोल रहा है लेकिन आप लोगो ने मेरी बात पर ध्यान ही नही दिया इसलिए ही मैं इस बार मना कर रही थी लेकिन किसी को मेरी बात सुनाई ही कंहा दी ।अब उसके सामने मैं कैसे जाउंगी।
माँ : अरे तू तो ऐसे डर रही है जैसे वह तुझे खा जाएगा ।अरे जब मैं हु तो तू क्यों चिंता कर रही है। उसके जो भी सवाल होंगे उसका जवाब मैं दूंगी और पहले अपने मन से यह डर निकाल दे ।
कोमल दी : माँ तू तो ऐसे बोल रही है जैसे यह कोई छोटी बात है और तू उसका सहजता से जवाब दे देगी।
माँ : अरे पगली मर्द को कैसे चुप करना है यह मैं अच्छी तरह से जानती हूं तू उसकी चिंता मत कर और वैसे भी वह कोई सरीफ तो है नही ।उसने भी तो गांव की कई लड़कियों और औरतो के साथ सम्बन्ध बनाये है और वैसे भी यह जो कुछ हुआ है वह हमारी मर्जी से हुआ है ।
कोमल अपनी माँ की बात को नासमझ पाने के कारण बोलती है
कोमल दी : आप क्या बोल रही है मैं कुछ समझ नही पा रही हु ।
माँ : अरे इसमे इतना समझने की क्या बात है ।तूने उसका हथियार देखा है कितना बड़ा है ।
कोमल दी अपनी माँ की बात सुनकर समझ जाती है कि जिस तरह उसे इस दलदल में इन लोगो ने उतार लिया है ।अब उसी तरह से उसके भाई के पीछे भी पड़ी हुई है तो वह बोलती है
कोमल दी : माँ आप लोग इस हद तक गिर सकते हो मैं यह कभी सोच भी नही सकती हूं ।आज आप लोग इसे सामिल करना चाहती है कल को भाभी और बाकियो को भी लाना चाहोगी लेकिन एक बात समझ लो मा यह ठीक नही है ।
इतना बोल कर वह अंदर चली जाती है और मेरे रूम को खुलवाने की कोशिश करती है लेकिन मैं तो चैन से सोया हुआ था ।
इधर घर पर मैं जब शाम को सो कर उठा तो मुझे बहुत भूख लगी हुई थी पर जो कुछ मैंने सुबह देखा इसके बाद मेरा उन लोगो के सामने जाने का मन ही नही कर रहा था परंतु घर मे भी कबतक बन्द रहूंगा इसलिए जब रूम से बाहर निकला तो देखा कि बाहर आँगन में सभी लोग बैठे हुए थे सिवाय कोमल दी के । पापा मुझे देख कर बोले
पापा : क्या बात है बेटा आज दिनभर सोया रहा तबियत तो नही खराब है ना ।
उनको देख कर सुबह में जो कुछ देखा वह याद आ गया और वह याद आते ही मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर किसी तरह से उसे काबू करते हुए बोला
मैं : नही पापा ऐसी कोई बात नही है बस अखाड़े से आकर सो गया पता ही नही चला ।
इसके बाद मैं रसोई में गया तो वंहा पर भाभी और पायल दी दोनो लोग खाना बनाने में लगी हुई थी तो मैं भाभी से कुछ खाने को मांग कर नाश्ता किया और फिर घर वालो के सामने नही जाना पड़े इसके लिए अखाड़े की तरफ निकल लिया । अखाड़े जब पहुचा तो देखा कि जो हम लोगो को अखाड़े में दाव सिखाते है वह कुछ लड़कों को कुछ बता रहे थे। उनका नाम भीमा पहलवान था और वह हम सभी के गुरु भी थे और चाचा के दोस्त भी तो मुझे देख कर बोले
भीमा प : अरे राज बेटा मैं कबसे तेरा ही इन्तजार कर रहा था । आज वह सूरजगढ़ के अखाड़े से दंगल का न्योता आया है ।उन सबने हमारे अखाड़े को ललकारा है तो मैंने उसे स्वीकार कर लिया है इसलिए अब इस रविवार को हमको सूरजगढ़ के अखाड़े जाना है ।
Good storyline, lekin direct sex agar hota toh story common ho jaati, kyunki sirf sex waali story toh bhari pari hain, aap iski story se hi different bana shakte ho, gussa aana natural hain, kaise wo log ghar ko ek randi khana bana ke rakhhe hue hain.

Aur uski maa kitni besharm hain, wo karta hain sex lekin kisi parayee aurat se, na kee apne hi family mein, bhabhi ke saath toh itna majak yun bhi hote rahta hain.
Aur yeh jo komal sadh ban rahi hain, khud toh apne baap chacha se sex karti hain aur gyan de rahi hain.

Bhai ek gire hue pariwar kee tarah mat dikhana, kuchh toh gussa dikhana hi chahiye jisse unko sharm aye, kaise besharm ho ke kubool kar shakte hain.
Aur ek gaon kee parayee aurat dekh rahi thee, matlab kaisi izzat rah jayegi, aur waise bhi aurato ke pet mein baat nahin pachti, saare log thukenge jab yeh baat failegi.
 
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aalu

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राधिका दी कि बातो को सुनकर मैं सोचने पर मजबूर हो गया क्यूंकि जो आज मैंने देखा वह इन्हें कैसे बता सकता हूं और यह भी सच था कि घर मे एक यही थी जिनके सामने मैं कभी झूठ नही बोल पाता हूं और अगर कभी बोलता भी हु वह तुरन्त पकड़ लेती है। इसलिए मैं बोला
मैं : दीदी यह सच है कि मैं आज सुबह से काफी परेशान हु और घर का माहौल ऐसा हो गया है कि मैं किसी से बात करना ही नही चाहता हु इसलिए मैं सबसे दूर रहने की कोशिश कर रहा हूं।
राधिका दी : तेरे कहने का मतलब मैं कुछ समझी नही तू कहना क्या चाहता है और अगर कोई समस्या है तो उसे बात करके खत्म किया जा सकता है।
मैं : सच मे दी आप को ऐसा लगता है कि ऐसा हो सकता है । वह बात इतनी छोटी नही है जो कि इतनी आसानी से उसका हल निकाला जा सके । अगर मैंने यह बात सबके सामने बोल दी ना तो घर मे होगा उसकी कल्पना भी आपने नही कि होगी।
मेरी बात को सुनकर राधिका दी को एक झटका लगा और वह बोली
राधिका दी : देख भाई तेरी बातो से मुझे डर लग रहा है ।तू सच सच बता तुझे मेरी कसम क्या बात है । अगर तू मुझे अपना मानता है तो तू मुझसे झूठ नही बोलेगा।
मैं दीदी की बात सुनकर घबरा गया क्यूंकि ना तो मैं उन्हें सच बता कर दुखी करना चाहता था और अब ना ही मैं उनकी कसम को झुठला सकता हूं इसलिए मैंने आखिरी बार बात को संभालने के लिए बोला
मैं : दीदी आप अगर खुश रहना चाहती है तो आप अपनी यह कसम वापस ले लो क्यूंकि मैं नही चाहता हु कि जिस आग में मैं जल रहा हु उस आग को आप भी महसूस करो ।सच जानकर आपको बहुत दुख होगा।
राधिका दी : मुझे उस बात से दुख होगा कि नही यह मैं नही जानता हूं लेकिन मैं इतना जरूर जान गई हूं तेरी नजर में मेरी कोई कीमत नही है वरना तू अपना दुख मुझे बताने में इतना सोच विचार नही करता क्यूंकि मैं कोई तेरी अपनी तो हु नही ।यही बात कोमल दी या पायल ने पूछी होती ना तो तू तुरन्त बता देता क्यूंकि वह तेरी सगी है ना और मैं पराई हु ना।
दी कि बातो को सुनकर मेरा दिल तड़प उठा और मेरी आँखों मे आंसू आ गये । मैं तुरन्त उनके सामने घुटनो के बल बैठ कर बोला
मैं : दी यह आप कैसी बात कर रही है यह बात आप भी जानती है कि मैं आप तीनो में कभी भी कोई भेद भाव नही किया और ना ही आप लोगो ने। आज आप ने यह बोल कर मुझे पराया ही कर दिया है ।अब मैं किसके पास जाऊ एक आप ही थी सोचा था कि आप के सहारे रहूंगा लेकिन आप ने भी मुझे अपना नही माना।
इतना बोल कर मैं उनके गोद मे सर रख कर रोने लगा तो वह मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोली
राधिका दी : मैं जानती हूं मेरा भाई मुझे बहुत चाहता है और मेरे लिए कुछ भी कर सकता है । पर तु यह क्यों नही सोचता है कि अगर तू इस तरह कमरे में रहेगा किसी से बात नही करेगा और अपने दुखों को अंदर ही अंदर सहता रहेगा तो इससे तेरी तकलीफ और भी बढ़ेगी और तुझे तकलीफ में देख कर मुझे भी तकलीफ होगी क्या तू यही चाहता है।
मैं : नही दी मैं ऐसा नही चाहता हु बल्कि मैं तो यही चाहता हु कि आप हमेशा खुश रहो और इसलिए ही मैं आपको वह नही बताना चाहता हु ।
राधिका दी : अब तू सीधी तरह से बताता है या मैं जाऊ यंहा से । अगर तुझे बात नही बतानी है तो मैं ही चली जाती हु फालतू में मैं क्यों अपना दिमाग खराब करू।
इतना बोल कर दी नाराज हो कर वंहा से जाने लगी और जाते वक्त उनकी आंखों में आंसू थे जो मेरे दिल पर तेजाब की तरह गिरा तो मैं उन्हें रोकते हुए बोला
मैं : अगर आप जानना ही चाहती है तो रुकिए मैं आपको सब कुछ बताऊंगा लेकिन आपको मेरी कसम है आप किसी से कुछ नही पूछेंगी।
इसके बाद मैंने राधिका दी को सब कुछ बता दिया जो मैंने आज सुबह खेतो में देखा था ।मेरी बात सुनकर दी वही मेरे बेड पर बैठ गयी और अपनी गर्दन नीचे झुका लिया तो मुझे लगा कि कही वह रो तो नही रही है इसलिए मैं बोला
मैं : दी मैं जानता था कि आपको यह बात जानकर बहुत दुख होगा इसलिए मैंने आपको पहले ही मना किया था लेकिन आप तो मेरी बात मानने को तैयार ही नही थी।
मेरी बात को सुनकर दी कुछ नही बोली बस अपनी गर्दन नीचे झुकाये देखती रही मेरे बार बार बोलने पर वह मेरी तरफ देखी और इसके बाद वह जो कुछ बोली वह मेरे लिए भी किसी झटके से कम नही था ।
राधिका दी : तो आखिर कर वही हुआ जिसका मुझे डर था ।उन लोगो ने तुझे भी उस गंदी दलदल में खीचना चाहा ।
मैं उनकी बात सुनकर चकित रह गया और बोला
मैं : दी आप कहना क्या चाहती है मैं कुछ समझा नही।
राधिका दी : इसमे ना समझने वाली बात कंहा से आ गयी बाबू जो तुम आज जाने हो वह बात मैं बहुत पहले से ही जानती हूं लेकिन मैं सब कुछ जानकर भी अनजान बनी रही लेकिन बस अब और नही । अब इसको बन्द करना ही पड़ेगा उन लोगो को मैं अब और ज्यादा बर्दाश्त नही कर सकती हूं इन लोगो को।
मुझे उनकी बात सुनकर झटका लगा और मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया कि कहि यह भी तो उन खेलो में शामिल तो नही है ना ।उधर राधिका दी मुझे इस तरह सोच में डूबा देख कर बोली
राधिका : मैं जानती हूं तू क्या सोच रहा है। घबरा मत मैं अभी उस गन्दगी से दूर हु पर अब उन लोगो ने अपनी सीमा पार कर दी है ।अब और नही उन लोगो ने तुझे उसमे घसीटने की कोशिश करके बहुत बड़ी गलती कर दी है।
वही दूसरी तरफ बाहर चाची और माँ आपस में बात कर रही थी
चाची : दीदी आप देख रही हो ना जबसे वह खेतो से लौट कर आया है तबसे वह हम सबसे कटा हुआ सा है कहि ऐसा ना हो कि हमारा बेटा ही हमसे दूर हो जाये ।
माँ : तू क्यों चिंता करती है जब तक मैं हु तू फिकर मत कर । अभी वह नाराज है लेकिन मैं जल्द ही उसे मना लुंगी।
चाची : दी कहि ऐसा तो नही है ना कि हम इस सरीर की आग बुझाने के चक्कर मे अपने ही हाथों अपना घर बर्बाद कर दे । आप तो जानती ही है कि एक बेटी तो इस चक्कर मे पहले से ही हमसे दूर हो गयी है और अगर बेटा भी दूर हो गया तो ।
माँ : शुभ शुभ बोल ऐसा कुछ नही होगा और वैसे भी वह कौन सा कम है ।गांव की आधी से ज्यादा औरतो और लड़कियो को तो चोद ही चुका है तो हममे क्या बुराई है।
चाची : बुराई तो नही है दीदी लेकिन हमारा रिश्ता ऐसा है कि कहीं वह नाराज ना हो जाए।।

वही दूसरी तरफ सूरजगढ़ में शाम को कल्लू पहलवान के अखाड़े में वह अपने बेटे शंकर के साथ दांव लड़ रहा था ।उसका बेटा उसे पांच मिनट में ही थका देता है तो कल्लू पहलवान बोलता है
कल्लू : वाह बेटा तू तो शहर से बहुत ही अच्छा सिख कर आया है । अब देखता हूं वह सब कैसे जीतते है । उस मुकाबले से पहले यह हार उनके मनोबल को तोड़ कर रख देगी और तुझे भी उन दोनों के ताकत का पता चल जाएगा।
शंकर : बापू एक बात मुझे समझ में नही आई कि मुकाबले से पहले आपने यह कुश्ती क्यों रखवा दी। इससे कही हमको ही नुकसान ना हो जाये।
कल्लू ,: अरे बेटा तू नही जानता वह भीमा अपने आप को दादा समझता है हर बार वह मुकाबला उसी के अखाड़े के लड़के जीतते आ रहे है इसलिये मुकाबले से पहले ही उसके साथ कुश्ती का मुकाबला रखावा कर मैं उनकी मजबूती और कमजोरी जानना चाहता हु ताकि हम तैयारी कर सके।
शंकर : पर बापू इस बात की क्या गैरन्टी है कि वही लड़के आएंगे जो उस मुकाबले में लड़ेंगे।
अपने बेटे की बात सुनकर कल्लू हस्ता हुआ बोला
कल्लू : बेटा तू तो जानता ही है कि दोनों गांव की दुश्मनी चली आ रही है और दोनों गांव का कोई साधारण सा मुकाबला भी कोई हारना नही चाहता है और भीमा तो कभी हारना सीखा ही नही इसलिए मैं इस बात की गैरंटी ले सकता हु।
Had hain radhika ko bhi pehle se maloom tha, phir bhi wo log na ruke, kaise koi itna gir shakta hain, uski maa kehti hain uske sambandh hain bahar, toh kaun nahin rakhta, akhir shabkkrte hain, thori na koi mà bolegi tu bahar sex karta hain toh ghar mein bhi kar.

Aapne maa bete kee beech mein koi emotions nahin dikhaye hain, sidha dialogues sex se hi start hui, bhai jab wo yeh shab dekh ke dukhi hain aur gussa bhi toh seirf sex ke liye story ko compromise mat kar dena, obviously sex toh hoga hee, lekinkaise kya wo shab ko maaf kar dega, kaise koi baap apni bewi aur beti ko kisi doosre ke saath sex, kaise khud, obviously koi toh concrete reason hona chahiye, aur komal boli ki bhai ko shamil na karo, toh wo khud apne baap- chacha ke saath ek saath kaise itni giri hui harkat kar shakti hain, aaur mujhe yehan pe inki koi majboori bhi nahin dikhti, khud chachi ne kaha ke apne hawas ke liye ek beti door jaa chuki hain.

Bhai aapne iska sirshak anokha larka rakhha hain, toh kuchh toh alag hona chahiye, sex toh obvious hain lekin kaise wo badlega, kya wo shabko maaf kar dega, apne baap ko, chacha , maa, behen. Aur jis bahan ki wo shabse jyada izzat karta hain wo khud isss shab ke khilaf hain, toh kya wo yeh accept karega, kya wo unki rasleela band kar dega, dekhte hain.

Aur bhai writer ya kisi bhai ko meri bhawnaye buri lage toh sorry ........... worry bhool jaiye😉😉, hum toh aise hi review dete rahenge.
By the way nice buildup, aap ek axhhi kahani bana shakte hain, kyunki gaon ke pariwesh se kahaniya hamesha achhi hui hain 👍👍
 
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nilu12

Demon inside me, Want a sex
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Had hain radhika ko bhi pehle se maloom tha, phir bhi wo log na ruke, kaise koi itna gir shakta hain, uski maa kehti hain uske sambandh hain bahar, toh kaun nahin rakhta, akhir shabkkrte hain, thori na koi mà bolegi tu bahar sex karta hain toh ghar mein bhi kar.

Aapne maa bete kee beech mein koi emotions nahin dikhaye hain, sidha dialogues sex se hi start hui, bhai jab wo yeh shab dekh ke dukhi hain aur gussa bhi toh seirf sex ke liye story ko compromise mat kar dena, obviously sex toh hoga hee, lekinkaise kya wo shab ko maaf kar dega, kaise koi baap apni bewi aur beti ko kisi doosre ke saath sex, kaise khud, obviously koi toh concrete reason hona chahiye, aur komal boli ki bhai ko shamil na karo, toh wo khud apne baap- chacha ke saath ek saath kaise itni giri hui harkat kar shakti hain, aaur mujhe yehan pe inki koi majboori bhi nahin dikhti, khud chachi ne kaha ke apne hawas ke liye ek beti door jaa chuki hain.

Bhai aapne iska sirshak anokha larka rakhha hain, toh kuchh toh alag hona chahiye, sex toh obvious hain lekin kaise wo badlega, kya wo shabko maaf kar dega, apne baap ko, chacha , maa, behen. Aur jis bahan ki wo shabse jyada izzat karta hain wo khud isss shab ke khilaf hain, toh kya wo yeh accept karega, kya wo unki rasleela band kar dega, dekhte hain.

Aur bhai writer ya kisi bhai ko meri bhawnaye buri lage toh sorry ........... worry bhool jaiye😉😉, hum toh aise hi review dete rahenge.
By the way nice buildup, aap ek axhhi kahani bana shakte hain, kyunki gaon ke pariwesh se kahaniya hamesha achhi hui hain 👍👍
Bhai ekdam sahmat hun... abhi hero sidha shakil ho jayega toh hero air use baap chacha main kya farak ho jayega... uski maa aur didi ekdam randi hai. Even chachi bhi hero ko shamil nahi karana chahati... ab dekhate hai writer sab hero ko alag dikhate hai ya pure family ka eksath gangbang karvate hai.....
 
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