Naik
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Zaberdast shaandaar mazedaar lajawab update dostराधिका दी कि बातो को सुनकर मैं सोचने पर मजबूर हो गया क्यूंकि जो आज मैंने देखा वह इन्हें कैसे बता सकता हूं और यह भी सच था कि घर मे एक यही थी जिनके सामने मैं कभी झूठ नही बोल पाता हूं और अगर कभी बोलता भी हु वह तुरन्त पकड़ लेती है। इसलिए मैं बोला
मैं : दीदी यह सच है कि मैं आज सुबह से काफी परेशान हु और घर का माहौल ऐसा हो गया है कि मैं किसी से बात करना ही नही चाहता हु इसलिए मैं सबसे दूर रहने की कोशिश कर रहा हूं।
राधिका दी : तेरे कहने का मतलब मैं कुछ समझी नही तू कहना क्या चाहता है और अगर कोई समस्या है तो उसे बात करके खत्म किया जा सकता है।
मैं : सच मे दी आप को ऐसा लगता है कि ऐसा हो सकता है । वह बात इतनी छोटी नही है जो कि इतनी आसानी से उसका हल निकाला जा सके । अगर मैंने यह बात सबके सामने बोल दी ना तो घर मे होगा उसकी कल्पना भी आपने नही कि होगी।
मेरी बात को सुनकर राधिका दी को एक झटका लगा और वह बोली
राधिका दी : देख भाई तेरी बातो से मुझे डर लग रहा है ।तू सच सच बता तुझे मेरी कसम क्या बात है । अगर तू मुझे अपना मानता है तो तू मुझसे झूठ नही बोलेगा।
मैं दीदी की बात सुनकर घबरा गया क्यूंकि ना तो मैं उन्हें सच बता कर दुखी करना चाहता था और अब ना ही मैं उनकी कसम को झुठला सकता हूं इसलिए मैंने आखिरी बार बात को संभालने के लिए बोला
मैं : दीदी आप अगर खुश रहना चाहती है तो आप अपनी यह कसम वापस ले लो क्यूंकि मैं नही चाहता हु कि जिस आग में मैं जल रहा हु उस आग को आप भी महसूस करो ।सच जानकर आपको बहुत दुख होगा।
राधिका दी : मुझे उस बात से दुख होगा कि नही यह मैं नही जानता हूं लेकिन मैं इतना जरूर जान गई हूं तेरी नजर में मेरी कोई कीमत नही है वरना तू अपना दुख मुझे बताने में इतना सोच विचार नही करता क्यूंकि मैं कोई तेरी अपनी तो हु नही ।यही बात कोमल दी या पायल ने पूछी होती ना तो तू तुरन्त बता देता क्यूंकि वह तेरी सगी है ना और मैं पराई हु ना।
दी कि बातो को सुनकर मेरा दिल तड़प उठा और मेरी आँखों मे आंसू आ गये । मैं तुरन्त उनके सामने घुटनो के बल बैठ कर बोला
मैं : दी यह आप कैसी बात कर रही है यह बात आप भी जानती है कि मैं आप तीनो में कभी भी कोई भेद भाव नही किया और ना ही आप लोगो ने। आज आप ने यह बोल कर मुझे पराया ही कर दिया है ।अब मैं किसके पास जाऊ एक आप ही थी सोचा था कि आप के सहारे रहूंगा लेकिन आप ने भी मुझे अपना नही माना।
इतना बोल कर मैं उनके गोद मे सर रख कर रोने लगा तो वह मेरे सर पर हाथ फेरती हुई बोली
राधिका दी : मैं जानती हूं मेरा भाई मुझे बहुत चाहता है और मेरे लिए कुछ भी कर सकता है । पर तु यह क्यों नही सोचता है कि अगर तू इस तरह कमरे में रहेगा किसी से बात नही करेगा और अपने दुखों को अंदर ही अंदर सहता रहेगा तो इससे तेरी तकलीफ और भी बढ़ेगी और तुझे तकलीफ में देख कर मुझे भी तकलीफ होगी क्या तू यही चाहता है।
मैं : नही दी मैं ऐसा नही चाहता हु बल्कि मैं तो यही चाहता हु कि आप हमेशा खुश रहो और इसलिए ही मैं आपको वह नही बताना चाहता हु ।
राधिका दी : अब तू सीधी तरह से बताता है या मैं जाऊ यंहा से । अगर तुझे बात नही बतानी है तो मैं ही चली जाती हु फालतू में मैं क्यों अपना दिमाग खराब करू।
इतना बोल कर दी नाराज हो कर वंहा से जाने लगी और जाते वक्त उनकी आंखों में आंसू थे जो मेरे दिल पर तेजाब की तरह गिरा तो मैं उन्हें रोकते हुए बोला
मैं : अगर आप जानना ही चाहती है तो रुकिए मैं आपको सब कुछ बताऊंगा लेकिन आपको मेरी कसम है आप किसी से कुछ नही पूछेंगी।
इसके बाद मैंने राधिका दी को सब कुछ बता दिया जो मैंने आज सुबह खेतो में देखा था ।मेरी बात सुनकर दी वही मेरे बेड पर बैठ गयी और अपनी गर्दन नीचे झुका लिया तो मुझे लगा कि कही वह रो तो नही रही है इसलिए मैं बोला
मैं : दी मैं जानता था कि आपको यह बात जानकर बहुत दुख होगा इसलिए मैंने आपको पहले ही मना किया था लेकिन आप तो मेरी बात मानने को तैयार ही नही थी।
मेरी बात को सुनकर दी कुछ नही बोली बस अपनी गर्दन नीचे झुकाये देखती रही मेरे बार बार बोलने पर वह मेरी तरफ देखी और इसके बाद वह जो कुछ बोली वह मेरे लिए भी किसी झटके से कम नही था ।
राधिका दी : तो आखिर कर वही हुआ जिसका मुझे डर था ।उन लोगो ने तुझे भी उस गंदी दलदल में खीचना चाहा ।
मैं उनकी बात सुनकर चकित रह गया और बोला
मैं : दी आप कहना क्या चाहती है मैं कुछ समझा नही।
राधिका दी : इसमे ना समझने वाली बात कंहा से आ गयी बाबू जो तुम आज जाने हो वह बात मैं बहुत पहले से ही जानती हूं लेकिन मैं सब कुछ जानकर भी अनजान बनी रही लेकिन बस अब और नही । अब इसको बन्द करना ही पड़ेगा उन लोगो को मैं अब और ज्यादा बर्दाश्त नही कर सकती हूं इन लोगो को।
मुझे उनकी बात सुनकर झटका लगा और मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया कि कहि यह भी तो उन खेलो में शामिल तो नही है ना ।उधर राधिका दी मुझे इस तरह सोच में डूबा देख कर बोली
राधिका : मैं जानती हूं तू क्या सोच रहा है। घबरा मत मैं अभी उस गन्दगी से दूर हु पर अब उन लोगो ने अपनी सीमा पार कर दी है ।अब और नही उन लोगो ने तुझे उसमे घसीटने की कोशिश करके बहुत बड़ी गलती कर दी है।
वही दूसरी तरफ बाहर चाची और माँ आपस में बात कर रही थी
चाची : दीदी आप देख रही हो ना जबसे वह खेतो से लौट कर आया है तबसे वह हम सबसे कटा हुआ सा है कहि ऐसा ना हो कि हमारा बेटा ही हमसे दूर हो जाये ।
माँ : तू क्यों चिंता करती है जब तक मैं हु तू फिकर मत कर । अभी वह नाराज है लेकिन मैं जल्द ही उसे मना लुंगी।
चाची : दी कहि ऐसा तो नही है ना कि हम इस सरीर की आग बुझाने के चक्कर मे अपने ही हाथों अपना घर बर्बाद कर दे । आप तो जानती ही है कि एक बेटी तो इस चक्कर मे पहले से ही हमसे दूर हो गयी है और अगर बेटा भी दूर हो गया तो ।
माँ : शुभ शुभ बोल ऐसा कुछ नही होगा और वैसे भी वह कौन सा कम है ।गांव की आधी से ज्यादा औरतो और लड़कियो को तो चोद ही चुका है तो हममे क्या बुराई है।
चाची : बुराई तो नही है दीदी लेकिन हमारा रिश्ता ऐसा है कि कहीं वह नाराज ना हो जाए।।
वही दूसरी तरफ सूरजगढ़ में शाम को कल्लू पहलवान के अखाड़े में वह अपने बेटे शंकर के साथ दांव लड़ रहा था ।उसका बेटा उसे पांच मिनट में ही थका देता है तो कल्लू पहलवान बोलता है
कल्लू : वाह बेटा तू तो शहर से बहुत ही अच्छा सिख कर आया है । अब देखता हूं वह सब कैसे जीतते है । उस मुकाबले से पहले यह हार उनके मनोबल को तोड़ कर रख देगी और तुझे भी उन दोनों के ताकत का पता चल जाएगा।
शंकर : बापू एक बात मुझे समझ में नही आई कि मुकाबले से पहले आपने यह कुश्ती क्यों रखवा दी। इससे कही हमको ही नुकसान ना हो जाये।
कल्लू ,: अरे बेटा तू नही जानता वह भीमा अपने आप को दादा समझता है हर बार वह मुकाबला उसी के अखाड़े के लड़के जीतते आ रहे है इसलिये मुकाबले से पहले ही उसके साथ कुश्ती का मुकाबला रखावा कर मैं उनकी मजबूती और कमजोरी जानना चाहता हु ताकि हम तैयारी कर सके।
शंकर : पर बापू इस बात की क्या गैरन्टी है कि वही लड़के आएंगे जो उस मुकाबले में लड़ेंगे।
अपने बेटे की बात सुनकर कल्लू हस्ता हुआ बोला
कल्लू : बेटा तू तो जानता ही है कि दोनों गांव की दुश्मनी चली आ रही है और दोनों गांव का कोई साधारण सा मुकाबला भी कोई हारना नही चाहता है और भीमा तो कभी हारना सीखा ही नही इसलिए मैं इस बात की गैरंटी ले सकता हु।