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Incest अनोखे संबंध ।।। (Completed)

Which role you like to see

  • Maa beta

    Votes: 248 81.0%
  • Baap beti

    Votes: 73 23.9%
  • Aunty bhatija

    Votes: 59 19.3%
  • Uncle bhatiji

    Votes: 21 6.9%

  • Total voters
    306
  • Poll closed .

Babulaskar

Active Member
753
4,575
139
Chalo, koi nahi...atleast aap woh naye story ko "complete' karoge..intezaar rahega..
Btw, hope woh naya story bhi incest hi hoga..dekhte hain..
All the best!!
आप चिंता न करे। मैं इस कहानी को भी सम्पूर्ण करूँगा। क्यौंकि इस कहानी के अब कुछ ही भाग बचे हैं।
रही बात नये कहानी की, तो उसका अपडेट मैं ऑलरेडी बना चुका हुँ। मुझे बस इंडेक्स के ऊपर और पात्रों के परिचय को लेकर कुछ काम करना बाकी है। धीरे धीरे उसका अपडेट आता रहेगा। कम से कम हर टू डेज एक अपडेट।
और "अनोखे सम्बंध" का बिग अपडेट दूँगा। दो बार में।
और आप की शंका दूर करता हुँ, नई कहानी में भरपुर इनसेस्ट देखने को मिलेगा। और वह भी फैनटसी के साथ।
 

CHOTU sing

New Member
96
166
44
Please please bhai pahle ye story likho ye bahut acchi story hai kash aisa real me hota maja aa jata bhai please ye kahani ka update jaldi dedo please bhai
 

CHOTU sing

New Member
96
166
44
आप चिंता न करे। मैं इस कहानी को भी सम्पूर्ण करूँगा। क्यौंकि इस कहानी के अब कुछ ही भाग बचे हैं।
रही बात नये कहानी की, तो उसका अपडेट मैं ऑलरेडी बना चुका हुँ। मुझे बस इंडेक्स के ऊपर और पात्रों के परिचय को लेकर कुछ काम करना बाकी है। धीरे धीरे उसका अपडेट आता रहेगा। कम से कम हर टू डेज एक अपडेट।
और "अनोखे सम्बंध" का बिग अपडेट दूँगा। दो बार में।
और आप की शंका दूर करता हुँ, नई कहानी में भरपुर इनसेस्ट देखने को मिलेगा। और वह भी फैनटसी क
आप चिंता न करे। मैं इस कहानी को भी सम्पूर्ण करूँगा। क्यौंकि इस कहानी के अब कुछ ही भाग बचे हैं।
रही बात नये कहानी की, तो उसका अपडेट मैं ऑलरेडी बना चुका हुँ। मुझे बस इंडेक्स के ऊपर और पात्रों के परिचय को लेकर कुछ काम करना बाकी है। धीरे धीरे उसका अपडेट आता रहेगा। कम से कम हर टू डेज एक अपडेट।
और "अनोखे सम्बंध" का बिग अपडेट दूँगा। दो बार में।
और आप की शंका दूर करता हुँ, नई कहानी में भरपुर इनसेस्ट देखने को मिलेगा। और वह भी फैनटसी के साथ।
Kb update dego bhai
 

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
531
782
94
मैंने आपकी बात मानी इंग्लिश में लिखने में आसानी होती है पर वैसे ही इस साइट पर हिंदी में कहानियां बहुत कम चल रही है कई ऐसे लोग हैं जो इंग्लिश नहीं पढ़ पाते हिंदी पढ़ते हैं कई राइटर हैं जिन्हें हिंदी में ही कहानियां पूरी करी है अपनी भले ही आप थोड़ा सा टाइम नहीं ले प्लीज और मैं यह नहीं बोल रहा हूं कि आप यही कहानी को हिंदी में लिखें और कोई दूसरी कहानी चालू करें तो उसको प्लीज हिंदी में ही लिखेगा बाकी हम तो आपकी यह वाली कहानी आदि पढ़ के ही बंद कर दी क्योंकि इंग्लिश पढ़ने का मजा नहीं आता नहीं और हिंदी में ही पढ़ने का मजा आता है सॉरी अगर कोई बात का बुरा लगा हो तो हमारी आपका दोस्त KAPIL
नमस्ते ! दोस्त कपिल जी ने यहाँ पैर कुछ हद तक ठीक ही लिखा है कि जिन पाठकों को हिंदी भाषा ही चाहिए उनको हिंदी में ही पढना है / Babulaskar जी अगर आपने कहानी को हिंगलिश में ही लिखना था तो पहले ही हिंगलिश में शुरू करते / यहाँ तक मैंने कहानी पड़ी है तो मुझे तो आपको कहानी का जादू हिंदी भाषा में ही दिखा / बाकि को कहानी लिखने वाले के ऊपर होता है वो जो भी पेश करेंगे पाठकों को उसको लेना ही पड़ेगा (परन्तु एक बात ये भी है की हिंदी भाषा को पड़नेवाले की संख्या आपकी कहानी के लिए कम हो जाएगी )//

बहुत प्रेम से
 

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
531
782
94
Update 28


Yun to komal ka eh mayeka ka ghar thik hi tha. Lekin fir bhi rehne ke layk thodi bahut saaf safai ki jarurat thi. Saath hi un dono maa bete ko apne is naye ghar me basne ke liye jin cheezon ki jarurat thi woh apne ghar se ehan laa rahe the. Komal saadhi ko apni kamar me bandh ke safayi kar rahi thi. Kaam ke karan uske pure sharir me boond boond pasine the. Jisse ek komal ek kamdevi lag rahi thi. Komal baithe baithe pocha laga rahi thi ke Raghu uske piche aa ke khada ho gya. Komal Radha se thodi moti thi jis se komal ke chutad bade aur ubhre huye nazar aate. Komal ke inhi bade bade kulhon ko raghu piche se tade jaa raha tha.

Komal ko jun hi ehsaas hua woh uth khadi ho gayi.

"Are Raghu Tu kab aaya? " Aur apna pasina pochne lagi.

"Abhi aaya mousi. Ramu kahan hai? Dikh nehi raha? "

"Woh bazaar gaya hai. Kuch saman lane. "

"Aur mousi apna naya ghar naya pati milne ki khushi me to tum samayi hi nehi jaa rahi! " Raghu ne komal ki gadde jaysi naavi ko dekhte huye kaha.

"Tu naa bada badmaash hota jaa raha hai. Ruk main radha se teri shikayat karti hoon."

"Kya kahogi tum?"

"Kal raat ko jo tune ghar par kia yaad nehi hai kya? "

"Bhala usme kya galati thi? Kya main apni is sundar si mousi se pyar bhi naa karon! Aur kuch din ke baad to tum meri saali bhi ban jaogi. To kya main apni saali se thoda bahut pyar bhi nehi kar sakta! " Raghu baat karta hua komal ke paas aata gaya aur komal dewaron ke saath satak gayi.

"Dekh raghu Tu na sach much badmaashi kar raha hai. Ek to ghar ka itna kaam hai… " Raghu use beech me hi rok deta hai.

"Kya mousi kaam to ramu dekh lega. Nehi to tumhara eh premi dekh lega."

"Premi? Tu bhala kab se mera premi ban gaya? " Komal ki awaj ab dhimi hone lagi thi.

"Bachpan se mousi."

"Bachpan se. Matlab? "

"Haan mousi bachpan se. Main hamesha se tumhe aur apni maa se pyar karta aaya hoon."

"To tujhe teri maa mil to gayi"

"Lekin tum nehi mili naa! Main bachpan se socha karta tha ke meri do biwi hogi. Ek maa aur dusri tum." Raghu aur komal ab bilkul mil chuke the. Raghu ko komal ki dhadkan ki awaj bhi mehsus hone lagti hai. Aur komal ko bhi ab raghu ke musal ka ehsaas ho raha tha. Jo pant zke andar fanfana raha tha.
a
"Dekh raghu ramu kabhi bhi ehan aa sakta hai. Agar usne hame is tarh dekh lia to woh bura maan jayega. Samjha kar raghu. Ekbar meri shaadi ho jaane de fir tu jo bolega main karungi. "

"Woh sab thik hai mousi. Lekin socho agar main tumhe aur maa ko ek saath ek hi mandap pe shaadi karta batao kitna maja aata. Main tumh❤💯e bhi apni maa ki tarh ki bahut pyar deta. Aur tumhe tumhari ummeedon se bhi jyada chodta."

Raghu ab apni honth komal ke bhige hothon ke saath laga deta hai. Komal jo apni aapa kho chuki thi raghu ke is chumban ke aage bebas ho jaati hai aur woh bhi raghu ke chumban ka bharpur saath deti hai. Kabhi raghu komal ki jeev lekar apne munh me lekar choosta to kabhi woh apni jeev lekar komal ke munh me daal deta aur ek premi premika ki jodi ki tarh is pyar me dono magn ho jate hain

Is ke saath hi raghu kabhi komal ke chutad dabata to kabhi uske bade bade mumme pees deta. "Aaahh" Komal ke munh se uske mumme dabaane se awaj nikalti hai.

"Kya hua mousi tum itne me hi haar gayi"

"Main nehi haarti raghu! Tu ne abhi tak mere andar ki bhook dekhi nehi" Woh dono fir se gale lag jaate hain.

"Mousi tum fikr kyon karti ho?mere paas jo hathyar hai usse tumhe ramu se bhi jyada maja milega" Eh kehte huye raghu komal ka haath pakad ke apne musal land par thama deta hai. Komal land ke ubhre pan ko mehsus karke hi seham jaati hai. Yun to usne ramu ka land bhi dekh rakha hai. Aur use lagta hai ramu ka land uske baap se bada hai. Lekin raghu ka land ramu se bhi kafi bada tha.

"Haye raam! Eh kya hei re! Itna bada!" Komal raghu se alag hoti hai.
दोस्त ! आपकी लेखनी में तो जादू तो है ही है, परन्तु एक और बात की भी आपकी तारीफ करनी होगी कि आप हर कहानी के साथ "अपडेट" शब्द अवश्य लिखते हैं /

आभार
 

masterji1970

मम्मी का दीवाना (पागल)
531
782
94
Update 30


कोमल के साथ साथ राधा भी अब अपनी शादी की तैयारी में लगी हुई थी। उस की चिंता थी की शादी के बाद वह कौन से कमरे में रहा करेगी। जब उसका बेटा रघु शादी के बाद उसका दूल्हा या पति बन जायेगा तब तो उसी के साथ एक ही कमरे में उसे स्त्री धर्म का पालन करना पडेगा। उसने सोचा क्यों न कोमल की तरह वह भी अपना कमरा अलग सा इन्तज़ाम करले। ताकी वह और रघु एक अलग जगह पर रहें। लेकिन इतनी जल्दी उसका इन्तज़ाम करना कठिन था। इस लिये वह कमरों की सेटिंग करने में लग गई।

राधा इन दिनों में काफी शर्म महसूस करती रहती है। उसे इस बात का जब भी एहसास होता के वह अब अपने इस नए पति के साथ रहने लगेगी और उसे वह सब कुछ करना पडेगा जो एक नई बहू या पत्नी को अपने पति के लिये करना पड्ता है वह मारे शर्म के अकेली तन्हाई में हँसती रहती।

अब तो उसकी बेटी रेखा भी उसे छेड़ने को लगी रहती। रेखा उसके साथ कमरे की सेटिंग करने में मदद कर रही थी। इसी काम करने के बीच बीच रेखा उसे कहती:" माँ तुम शीशा यहां पर लगा लो। यहां से तुम्हें पुरा नजारा दिख जायेगा।" रेखा हँसती रहती।

"तु ना बहुत बदमाश हो गई है। मुझे तो लगता था की मेरे से पहले तेरी शादी होनी चाहिये थी।"

"अब घर का बड़ा मेरा भाई है तो उसकी शादी तो पहले होनी ही थी। मैं तो बहुत खुश हूँ। आखिर मुझे मेरी भाभी मिल जायेगी। है ना?"

"भाभी? और मैं?"

"क्यों नहीं? तुम मेरे भाई से शादी करने जा रही हो तो हुई ना मेरी भाभी।"

"देख रेखा! तेरा अगर जी करेगा तो मुझे अकेले में भाभी बोल देना। लेकिन रघु या किसी और सामने मुझे भाभी मत बोलना। मुझे बहुत शर्म आयेगी।"

रेखा अपनी माँ राधा को पीछे से पकड़ते हुई छेड़ती है। "ओय होय!! मेरी भाभी तो अभी से इतना शर्मा रही है। फिर शादी के बाद रोज रोज रात को मेरे भाई को प्यार केसे दोगी? केसे अपने पति का ख्याल रखोगी? जब मेरा भाई मेरे इस फुल जेसी भाभी को पेल पेल के चोदेगा तब केसे झेल पाओगी? क्या तब भी तुम्हें इतनी ही शर्म आया करेगी? बोलो मेरी भाभी!!"

"रेखा! छोड़ मुझे। रुक, रघु को आने दे उससे कह के आज ही तुझे चुदवा दूंगी। तेरी यह खिल्ली तभी मिटेगी।"

"अरे मेरी प्यारी भाभी! क्या तुम झेल पाओगी अगर तुम्हारा होने वाला पति मुझ चड जायेगा?"

"मुझे तो लगता है तेरा भी दिल करता है की तेरा भाई रघु तुझे चोद दे। है ना?"

"अरी माँ! अब तुम ने जब पुछ ही लिया तो बता देती हूँ। हाँ! जी तो मेरा बहुत करता है की रघु मुझे चोद दे या मैं उससे चुदवा लूँ। लेकिन सिर्फ तुम्हारे खातिर मैं ने अपने दिल पर पत्थर रख लिया। मेरी चूत अभी भी क्ंवारी है। लेकिन इस की वजा यह नहीं की मुझे उस से चुदाई नहीं करनी। बल्कि मैं चाहती थी कि रघु मुझ से पहले तुम्हें चोदे। क्यों की रघु को मुझे चोदने की जितनी इच्छा है उससे कहीं ज्यादा वह तुम्हें चोद के खुश होना चाहता है।"

"एसा क्यों?" राधा ने पुछा।

"वह इस लिये मेरी माँ! क्यों की तुम्हारे उस गधे जेसे लडके का लण्ड किसी इन्सान का लण्ड नहीं है। तुम्हारा वह होनहार लड़का जिस तरह गधा है उसी तरह उसका तना हुया लण्ड किसी गधे के लण्ड से कम नहीं। इसी वजा से मैं ने उस लण्ड को अपनी चूत में लेने की हिम्मत नहीं की। क्या पता उस एक चुदाई से ही मेरी चूत एक बच्चे की माँ की तरह बन जाये। इसी वजा से मैं चाहती थी की रघु मेरे से पहले तुम्हें चोद ले।"

"हाए!! क्या तू सच कह रही है? रघु का वह इतना लम्बा और मोटा है?"

"हाँ माँ। मैं सच बोल रही हूँ। मेरे भाई का और तुम्हारे होने वाले पति का लण्ड एक हाथ लम्बा और उतना ही मोटा है। तुम्हें एक बात बताती हूँ माँ! भाई को मत बताना की मैं ने कहा। आज तक रघु ने जितनी भी औरतों को चोदा है वह सब या तो गदराई औरत थी या वह औरतें कई बच्चों की माँ थी। क्यों की यह बात रघु को भी पता थी उसका लण्ड कोई जवान लड्की पहली ही बार अपनी चूत में नहीं ले सकती। और इसी वजा से रघु सिर्फ तुम्हें अपनी पत्नी के रुप में पाना चाह रहा था।"

"एसा क्यों?" राधा भोली बनके पूछती है।

"एसा इस लिये मेरी माँ! क्यों की लडके का लौड़ा किसी की चूत मेँ जाये या ना जाये अपनी माँ की चूत में जरुर घुस जाता है। इस वजा से मेरे भाई का लण्ड सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी चूत के लायक ही है। कोई दुसरी औरत उस लण्ड को झेल नहीं सकती। लेकिन तुम्हारी चूत रघु का लण्ड आसानी से घुसा लेगी। हाँ। पर शुरु में तुम्हें थोडा बहुत दर्द जरुर होगा। फिर मेरी इस भाभी को इतना मजा आयेगा की उसकी नई जींदगी शुरु होगी।"

"रेखा ! एक बात पूछूं तुझ से?"

'हाँ। पुछ लो। क्या बात है?"

"तुझे क्या लगता है रेखा! अगर मेरी और रघु की शादी होती है और मैं रघु की पत्नी बनती हूँ। तो क्या मैं खुश रह सकूंगी? क्या रघु एक पति बन कर मुझे वह प्यार, वह सम्मान और अधिकार दे पायेगा जो एक बीबी या पत्नी को मिलनी चाहिए? क्या मैं भी उसे एक बीबी और पत्नी बनके उसे वह प्यार दे पाऊंगी जो उसे चाहिए? तुझे क्या लगता रेखा?"

"देखो माँ! तुम्हारा एसा सोचना स्वभाबिक है। एसा तो मुझे भी लगता है की मेरे साथ जिसका विवाह होगा क्या वह भी मेरा इसी तरह ख्याल रखेगा या नहीं! लेकिन तुम बिल्कुल भी टेंशन मत लो। रघु का एक ही सपना है की तुम्हें पत्नी के रुप में हासिल करना। जब उससे तुम्हारा विवाह होगा तुम दोनों खुश हो जाओगे। वह तुम्हारा एसे ही ध्यान रखेगा जेसे एक पति अपनी पत्नी का रखता है। वह तुम्हें बहुत प्यार देगा। लेकिन हाँ उसे भी तुम बहुत प्यार देना ता की उसे बाहर किसी औरत के पास ना जाना पडे। मेरा भाई और तुम्हारा होनेवाला पति चुदाई का भूखा है उसे हर रोज चुदाई करने देना। और एकबार नहीं। एक दिन में कई कई बार। समझी मेरी प्यारी भाभी!"

"तू ना बड़ी शरारत कर रही है। तुझे मैं क्या पुछ रही हूँ और तू घूम फिर के उसी चुदाई में अटकी पडी हुई है।"

'"हाँ तो सही तो कह रही हूँ।"

"बड़ी आई सही कहनेवाली। घर का इतना सारा काम पड़ा है और तुझे बातें सूझ रही हैं। चल अब काम पे लग जा। कल तेरी मौसी की शादी है। जरा मैं भी उसे देख के आऊँ बेचारी ने सब कुछ ठीक कर लिया की नहीं?"

"हाँ हाँ अब तो मेरी जरुरत काम के लिये बची है। जाओ जाओ तुम चली जाओ अपनी उस सहेली के पास।" रेखा जाते जाते बड़ बड़ करती हुई गई:" दोनों सहेली अपने बेटों से चुदवाने की तैयारी कर रही हैं और मैं उनकी मदद करती फिर रही हैं।"

राधा अपनी बेटी की इस बात पे मुस्कुराते हुई कोमल के घर चली गई।
दोस्त ! फिर से हिंदी भाषा में आपकी कहानी को पाकर मन बहुत ही प्रसन्न हो गया है / इसके लिए बहुत बहुत आभार /

हार्दिक आभार
 

Babulaskar

Active Member
753
4,575
139
नमस्ते ! दोस्त कपिल जी ने यहाँ पैर कुछ हद तक ठीक ही लिखा है कि जिन पाठकों को हिंदी भाषा ही चाहिए उनको हिंदी में ही पढना है / Babulaskar जी अगर आपने कहानी को हिंगलिश में ही लिखना था तो पहले ही हिंगलिश में शुरू करते / यहाँ तक मैंने कहानी पड़ी है तो मुझे तो आपको कहानी का जादू हिंदी भाषा में ही दिखा / बाकि को कहानी लिखने वाले के ऊपर होता है वो जो भी पेश करेंगे पाठकों को उसको लेना ही पड़ेगा (परन्तु एक बात ये भी है की हिंदी भाषा को पड़नेवाले की संख्या आपकी कहानी के लिए कम हो जाएगी )//

बहुत प्रेम से

दोस्त ! आपकी लेखनी में तो जादू तो है ही है, परन्तु एक और बात की भी आपकी तारीफ करनी होगी कि आप हर कहानी के साथ "अपडेट" शब्द अवश्य लिखते हैं /

आभार

दोस्त ! फिर से हिंदी भाषा में आपकी कहानी को पाकर मन बहुत ही प्रसन्न हो गया है / इसके लिए बहुत बहुत आभार /

हार्दिक आभार
धन्यवाद आपका।।
आप ने कहानी के प्रति जो प्यार दिखाया उसके लिए आभार व्यक्त करता हूँ।
मेरे नजरिये से विंटेज कहानीयाँ केवल हिंदी में ही होनी चाहिए। खासकर गावँ के वातावरण में पंनपने वाली कहानीयाँ। इससे कहानीयाँ एक चित्र के समान नजर आती हैं। इसी लिये मुझ से जो पाठक हिन्गलिश में लिखने की विनती करते हैं, मैं उनसे माफी माँग लेता हूँ। क्यौंकि मेरी कहानी प्राचीनता के आधार पे लिखी गई है।
लेकिन हाँ, हिन्गलिश में भी कहानीयाँ लिखनी चाहिए, ताकी बाकी सब पाठक उन कहानीयों को पढ़ सकें।
अपडेट के मामले में एक बात बता देना चाहता हूँ।
हम रायटर जब कहानी लिखना शुरु करते हैं, उस समय हमारे पास समय की कमी नहीं होती। लेकिन धीरे धीरे अवस्था सामान्य होने लगता है और समय की कमी आने लगती है। बस जान लीजिये वही मामला हमारे साथ हो रहा है।
इस कहानी के कुछ भाग अभी अवशिष्ट है। मैं चूँकि अभी दूसरी कहानी पे काम कर रहा हुँ इस लिए इसका अपडेट पोस्ट बंद पड़ा है।
मेरी दूसरी कहानी पचास अपडेट के आसपास चलेगी। उम्मीद है। "पुर्व पवन" कहानी के 25 अपडेट पूरे होते ही इसका अपडेट देकर कहानी समाप्त कर दूँगा। इस लिए फिलहाल आप लोगों से विनती है आप लोग इस कहानी की तरह मेरी दूसरी कहानी "पुर्व पवन" को भी उतना ही प्यार और सपोर्ट दें।
धन्यवाद।।
 
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