- 753
- 4,585
- 139
Update 45
------------
गावँ में बात फैलने में ज्यादा देर नहीं लगी। जो भी इसे सुनता, वह मुहं छुपाकर हँसते लगता। असल में शीतल की तबीयत खराब थी। कोमल अपनी बेटी को देखनी गई। बातों बातों में शीतल ने अपनी माँ से रघु की बात सुनी, उस वक्त शीतल के पास सपना और कल्लो चाची भी मौजूद थी।
रघु के भावना की बात सुनकर सभी औरतें खिलखिलाकर हंसने लगीं।
"हाँ री, कोमल, यह रघु तो बड़ा सियाना निकला रे, एसा भी भला होता है क्या है? एक ही मंडप में दोनों माँ बेटी से बियाह करना।" कल्लो चाची ने कहा।
"चाची, मैं सोच रही हूँ, रघु शादी के बाद सुहागरात किस तरह मनायेगा? क्या वह दोनों के साथ एक कमरे में सोयेगा? या अलग अलग?" हा हा करती सपना बोलने लगी।
"हाँ माँ, मुझे तो सुनकर ही इतनी शर्म आ रही है! रेखा और राधा मौसी एक साथ आखिर किस तरह उससे शादी करेगी?" शीतल भी बोली।
"और रघु पहले चोदेगा किसे? यह तो सोच! अपनी बड़ी बीबी राधा को या छोटी बीबी रेखा को?" कल्लो ने फिर कहा।
"यही तो चल रहा है माँ बेटी के दिमाग में! वैसे रेखा को कोई आपत्ति नहीं है। मैं ने राधा को यह बातें बताई, वह तो बेचारी भूत देखने की तरह चौंक गई। लेकिन रेखा ने कहा, माँ तुम राजी हो जाओ। आखिर तुम्हें भी तो भईया की पत्नी बनने का सपना है। हम एक साथ उसकी बीबियाँ बनेंगी। तब राधा ने उससे कहा, तू पागल हो गई है क्या! सोचा भी है कितनी लाज शरम की बात है। एक साथ फेरे लेना, मंगलसूत्र पहनना फिर भी ठीक है। यह भी तो सोच शादी के बाद वह हमारे साथ सुहागरात कैसे मनायेगा? क्या मैं तेरे साथ उसके आगे सुहागरात मनाने चली जाऊँ? ना बाबा ना! मेरे से नहीं होगा।" कोमल उन्हें सुनाने लगी।
"वैसे रघु भईया बड़े अच्छे हैं। अगर रेखा और राधा मौसी दोनों उसकी बीबी बन जाती है रघु उन दोनों को खुश रख सकेगा। हट्टा कट्टा भी है। पूरी तरह से सम्भाल रखेगा।" सपना ने कहा।
"अरे तू इन जवान लड़कों के बारे में क्या जानती है? हम से पूछ, अपनी कोमल मौसी से पूछ! यह लडके जब औरतों को नंगा देख लें, खासकर अपनी माँ बहन मौसी काकी मामी चाचीयों को,, फिर इनका दिमाग खराब होना शुरु हो जाता है। फिर तो उन लड़कों के निगाहों में अपनी माँ चाचियों की वह चूत ही दिखती है बस। और जब एकबार उन्हें अपने नीचे डाल ले, फिर ना उन्हें होश रहता ना ही कोई खबर, बेतहाशा बस पेलता जाता है वह। चोद चोद के चूत की एसी तैसी कर देता है। और जवान लड़का है, एक बार अगर पानी गिर भी जाये, उसके तुरन्त बाद फिर से लौड़ा खडा हो जाता है। और फिर से वही खेल शुरु हो जाता है। उसे इतना भी पता नहीं रहता, आखिर उसकी माँ पर क्या बीत रही है। बेचारी चुदवा चुदवाकर थक चुकी होगी। लेकिन उसे क्या? वह तो चूत मारने पे हो लगा रहता है। अपनी इस कोमल मौसी से ही पूछ ले, रामू इसका क्या हाल करता है? बता ना कोमल, रामू ने सुहागरात में तुझे किस तरह चोदा था?" कल्लो ने कोमल से पूछा। कोमल ने एकबार तो शीतल की तरफ देखा, लेकिन शीतल के चेहरे पर अपनी माँ के चुदाई के बारे में जानने की उत्सुकता थी।
"बताओ ना माँ, क्या रामू ने तुम्हें सुहागरात में बहुत चोदा था?" शीतल बड़े नखरे के साथ बोली।
"हाँ रे, वह तो है ही बड़ा उतावला! उसका बस चलता तो तेरी शादी से बहुत पहले ही मुझे चोद लेता। यह तो मैं ने ही उसे रोककर रखा था।"
"क्या मेरी शादी से पहले,से? मतलब तुम्हारा और रामू का चक्कर काफी पहले से चल रहा था?"
"हाँ रे, काफी पहले से। लेकिन मैं ने उसे कोई मौका नहीं दिया। मुझे तो पता ही था, यह लडके बड़े उतावले होते हैं। अगर इन्हें एकबार चूत की लत लग गई फिर मेरी शादी भी पीछे हो जायेगी। और इसी लिए उसे रोककर रखा था। लेकिन शादी के अब रुकने का नाम ले, तब ना! दिन नहीं रात नहीं। मौका मिला तुरन्त खींचकर कमरे में ले जाता और साड़ी उठाकर टाँगें खोलकर लौड़ा डाल देता है। और हराम का का, थकता भी नहीं। रात को दो दो बार चोद्के फिर सोता है। और सुबह हर रोज उठने से पहले एकबार, और दिन में तो पागनपन सवार हो जाता है, मैं रसोई में हुँ, काम में लगी हुँ, उसे कुछ नहीं दिखता, बस आया और बहला फुसलाकर चूत में लण्ड पेल दिया।"
कोमल ना चाहते हुए भी बोल ही दिया। सपना और शीतल को बड़ा मजा आने लगा था।
"फिर चाची, तुम्हारी चूत की फाँकें रामू के लौड़े से चौडी हो गई होगी। क्यों?" सपना मानो कोमल की सहेली थी, उसने भी मजाक में कह दिया।
"कहिँ नहीं यह चौडी होती! एकबार पेट में बच्चा लेकर चूत में से निकालकर देख। फिर भी नहीं होता। मुझे तो अब भी हर बार की चुदाई में एसा ही मजा आता है जैसे पहली बार चुदवा रही हुँ। मेरा रामू बहुत प्यार से चोद्ता है मुझे। अब पति बन गया है मेरा। मना थोडी ना किया जा सकता है। वैसे शीतल तेरी तरह शायद कुछ दिन में मैं भी तुझे खुशखबरी दे सकती हुँ!"
"कैसी खुशखबरी?" शीतल पूछती है।
"सच में क्या? अभी से?" कोमल की बात को कल्लो समझ गई। उसने हयरान होकर कहा।
"हाँ, सच में दो तीन दिन से मेरा भी जी सा मत्ला रहा है। मुझे लगता है, मेरे पेट में बच्चा ठहर गया है।"
"ओह माँ, यह कित्नी अच्छी खबर है।" शीतल अपनी माँ से लिपट गई।
"आखिर तूने पेट में बच्चा ले ही लिया। लेकिन इतनी जल्दी क्या थी। एक दो साल बाद लेती ना!" कल्लो चाची ने कहा।
"अरे नहीं। तुम लोग समझते नहीं। रामू अभी जवान है। आज माना मेरे अन्दर जवानी है। लेकिन कल को? ज्ब वह बच्चे का बाप बन जाएगा फिर मेरे पल्लू में बंधा रहेगा। कहिँ और मुहं मारने नहीं जाएगा।"
"तूने तो अपना घर बसा लिया। अब तेरी दोस्त का क्या? उसने कुछ कहा की नहीं? बेकार में नखरे कर रही है। अब जब कल को शादी हो जायेगी, फिर यही राधा घूँघट में से कहती रहेगी, अजी सुनते हो! फिर साल गुजरने से पहले बच्चे माँ की बन जाएगी।"
"हाँ चाची, माँ सही कह रही है। जब दोनों माँ बेटी को रघु से बियाह करना ही है। फिर अभी से अगर शर्माएगी, आगे चलकर क्या होगा। क्या एक ही छत के नीचे दो बीबी को रखकर रघु दोनों को अलग अलग कमरे में पड़ायेगा? हर्गिज नहीं, चाची। रघु उनसे शादी करके एक ही कमरे में दोनों के साथ लेटेगा। और दोनों सौतन को एक साथ चोदेगा। क्यों री, शीतल मैं सही बोल रही हूँ ना?" सपना ने कहा।
"हाँ यह तो पक्का है।।"
"अब देखती हूँ क्या होता है। मानना तो होगा ही। नहीं तो रघु ने कह रखा वह अब से शहर में ही रहेगा। एसे में राधा मानेगी क्यों नहीं। वैसे भी आज शान्ती दीदी आ रही है। मैं ने उसे घर आने को बोला है। राधा शान्ती दीदी खूब मानती है। उसकी बात नहीं टालेगी। शान्ती को लेकर उसके घर जाऊँगी।"
--------------
------------
गावँ में बात फैलने में ज्यादा देर नहीं लगी। जो भी इसे सुनता, वह मुहं छुपाकर हँसते लगता। असल में शीतल की तबीयत खराब थी। कोमल अपनी बेटी को देखनी गई। बातों बातों में शीतल ने अपनी माँ से रघु की बात सुनी, उस वक्त शीतल के पास सपना और कल्लो चाची भी मौजूद थी।
रघु के भावना की बात सुनकर सभी औरतें खिलखिलाकर हंसने लगीं।
"हाँ री, कोमल, यह रघु तो बड़ा सियाना निकला रे, एसा भी भला होता है क्या है? एक ही मंडप में दोनों माँ बेटी से बियाह करना।" कल्लो चाची ने कहा।
"चाची, मैं सोच रही हूँ, रघु शादी के बाद सुहागरात किस तरह मनायेगा? क्या वह दोनों के साथ एक कमरे में सोयेगा? या अलग अलग?" हा हा करती सपना बोलने लगी।
"हाँ माँ, मुझे तो सुनकर ही इतनी शर्म आ रही है! रेखा और राधा मौसी एक साथ आखिर किस तरह उससे शादी करेगी?" शीतल भी बोली।
"और रघु पहले चोदेगा किसे? यह तो सोच! अपनी बड़ी बीबी राधा को या छोटी बीबी रेखा को?" कल्लो ने फिर कहा।
"यही तो चल रहा है माँ बेटी के दिमाग में! वैसे रेखा को कोई आपत्ति नहीं है। मैं ने राधा को यह बातें बताई, वह तो बेचारी भूत देखने की तरह चौंक गई। लेकिन रेखा ने कहा, माँ तुम राजी हो जाओ। आखिर तुम्हें भी तो भईया की पत्नी बनने का सपना है। हम एक साथ उसकी बीबियाँ बनेंगी। तब राधा ने उससे कहा, तू पागल हो गई है क्या! सोचा भी है कितनी लाज शरम की बात है। एक साथ फेरे लेना, मंगलसूत्र पहनना फिर भी ठीक है। यह भी तो सोच शादी के बाद वह हमारे साथ सुहागरात कैसे मनायेगा? क्या मैं तेरे साथ उसके आगे सुहागरात मनाने चली जाऊँ? ना बाबा ना! मेरे से नहीं होगा।" कोमल उन्हें सुनाने लगी।
"वैसे रघु भईया बड़े अच्छे हैं। अगर रेखा और राधा मौसी दोनों उसकी बीबी बन जाती है रघु उन दोनों को खुश रख सकेगा। हट्टा कट्टा भी है। पूरी तरह से सम्भाल रखेगा।" सपना ने कहा।
"अरे तू इन जवान लड़कों के बारे में क्या जानती है? हम से पूछ, अपनी कोमल मौसी से पूछ! यह लडके जब औरतों को नंगा देख लें, खासकर अपनी माँ बहन मौसी काकी मामी चाचीयों को,, फिर इनका दिमाग खराब होना शुरु हो जाता है। फिर तो उन लड़कों के निगाहों में अपनी माँ चाचियों की वह चूत ही दिखती है बस। और जब एकबार उन्हें अपने नीचे डाल ले, फिर ना उन्हें होश रहता ना ही कोई खबर, बेतहाशा बस पेलता जाता है वह। चोद चोद के चूत की एसी तैसी कर देता है। और जवान लड़का है, एक बार अगर पानी गिर भी जाये, उसके तुरन्त बाद फिर से लौड़ा खडा हो जाता है। और फिर से वही खेल शुरु हो जाता है। उसे इतना भी पता नहीं रहता, आखिर उसकी माँ पर क्या बीत रही है। बेचारी चुदवा चुदवाकर थक चुकी होगी। लेकिन उसे क्या? वह तो चूत मारने पे हो लगा रहता है। अपनी इस कोमल मौसी से ही पूछ ले, रामू इसका क्या हाल करता है? बता ना कोमल, रामू ने सुहागरात में तुझे किस तरह चोदा था?" कल्लो ने कोमल से पूछा। कोमल ने एकबार तो शीतल की तरफ देखा, लेकिन शीतल के चेहरे पर अपनी माँ के चुदाई के बारे में जानने की उत्सुकता थी।
"बताओ ना माँ, क्या रामू ने तुम्हें सुहागरात में बहुत चोदा था?" शीतल बड़े नखरे के साथ बोली।
"हाँ रे, वह तो है ही बड़ा उतावला! उसका बस चलता तो तेरी शादी से बहुत पहले ही मुझे चोद लेता। यह तो मैं ने ही उसे रोककर रखा था।"
"क्या मेरी शादी से पहले,से? मतलब तुम्हारा और रामू का चक्कर काफी पहले से चल रहा था?"
"हाँ रे, काफी पहले से। लेकिन मैं ने उसे कोई मौका नहीं दिया। मुझे तो पता ही था, यह लडके बड़े उतावले होते हैं। अगर इन्हें एकबार चूत की लत लग गई फिर मेरी शादी भी पीछे हो जायेगी। और इसी लिए उसे रोककर रखा था। लेकिन शादी के अब रुकने का नाम ले, तब ना! दिन नहीं रात नहीं। मौका मिला तुरन्त खींचकर कमरे में ले जाता और साड़ी उठाकर टाँगें खोलकर लौड़ा डाल देता है। और हराम का का, थकता भी नहीं। रात को दो दो बार चोद्के फिर सोता है। और सुबह हर रोज उठने से पहले एकबार, और दिन में तो पागनपन सवार हो जाता है, मैं रसोई में हुँ, काम में लगी हुँ, उसे कुछ नहीं दिखता, बस आया और बहला फुसलाकर चूत में लण्ड पेल दिया।"
कोमल ना चाहते हुए भी बोल ही दिया। सपना और शीतल को बड़ा मजा आने लगा था।
"फिर चाची, तुम्हारी चूत की फाँकें रामू के लौड़े से चौडी हो गई होगी। क्यों?" सपना मानो कोमल की सहेली थी, उसने भी मजाक में कह दिया।
"कहिँ नहीं यह चौडी होती! एकबार पेट में बच्चा लेकर चूत में से निकालकर देख। फिर भी नहीं होता। मुझे तो अब भी हर बार की चुदाई में एसा ही मजा आता है जैसे पहली बार चुदवा रही हुँ। मेरा रामू बहुत प्यार से चोद्ता है मुझे। अब पति बन गया है मेरा। मना थोडी ना किया जा सकता है। वैसे शीतल तेरी तरह शायद कुछ दिन में मैं भी तुझे खुशखबरी दे सकती हुँ!"
"कैसी खुशखबरी?" शीतल पूछती है।
"सच में क्या? अभी से?" कोमल की बात को कल्लो समझ गई। उसने हयरान होकर कहा।
"हाँ, सच में दो तीन दिन से मेरा भी जी सा मत्ला रहा है। मुझे लगता है, मेरे पेट में बच्चा ठहर गया है।"
"ओह माँ, यह कित्नी अच्छी खबर है।" शीतल अपनी माँ से लिपट गई।
"आखिर तूने पेट में बच्चा ले ही लिया। लेकिन इतनी जल्दी क्या थी। एक दो साल बाद लेती ना!" कल्लो चाची ने कहा।
"अरे नहीं। तुम लोग समझते नहीं। रामू अभी जवान है। आज माना मेरे अन्दर जवानी है। लेकिन कल को? ज्ब वह बच्चे का बाप बन जाएगा फिर मेरे पल्लू में बंधा रहेगा। कहिँ और मुहं मारने नहीं जाएगा।"
"तूने तो अपना घर बसा लिया। अब तेरी दोस्त का क्या? उसने कुछ कहा की नहीं? बेकार में नखरे कर रही है। अब जब कल को शादी हो जायेगी, फिर यही राधा घूँघट में से कहती रहेगी, अजी सुनते हो! फिर साल गुजरने से पहले बच्चे माँ की बन जाएगी।"
"हाँ चाची, माँ सही कह रही है। जब दोनों माँ बेटी को रघु से बियाह करना ही है। फिर अभी से अगर शर्माएगी, आगे चलकर क्या होगा। क्या एक ही छत के नीचे दो बीबी को रखकर रघु दोनों को अलग अलग कमरे में पड़ायेगा? हर्गिज नहीं, चाची। रघु उनसे शादी करके एक ही कमरे में दोनों के साथ लेटेगा। और दोनों सौतन को एक साथ चोदेगा। क्यों री, शीतल मैं सही बोल रही हूँ ना?" सपना ने कहा।
"हाँ यह तो पक्का है।।"
"अब देखती हूँ क्या होता है। मानना तो होगा ही। नहीं तो रघु ने कह रखा वह अब से शहर में ही रहेगा। एसे में राधा मानेगी क्यों नहीं। वैसे भी आज शान्ती दीदी आ रही है। मैं ने उसे घर आने को बोला है। राधा शान्ती दीदी खूब मानती है। उसकी बात नहीं टालेगी। शान्ती को लेकर उसके घर जाऊँगी।"
--------------