जभाग २९
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती खिड़की के अंदर झांक कर देखती है कि बाबा बीशतर पर लेटे हुए हैं,और पूर्णिमा उनकी मालिश मालिश कर रही है ।
तभी आरती कुछ ऐसा देखती है कि एक पल के लिए उसे अपनी आंख पर भरोसा नहीं होता कि यह मैं क्या देख रही हूँ, देखती है कि बाबा अपनी बेटी पूर्णिमा की कमर और पेट को सहला रहे हैं और सहलाते हुए बोल रहे हैं कि इस बार बहुत वक्त लगादी वापस आने मे।
तो पूर्णिमा जवाब देती है कि तो क्या करती हमरी सास बीमार हो गई थी और अकेली थी तो छोड़ के कैसे आ जाती।
बाबा - तुम्हारी सास बीमार हो गई तो तुम उसका ख्याल रखने के लिए वहाँ रूक गई और यहाँ मै तुम्हारे बिना बीमार पड़ जाता हूँ सो उसका क्या।
पूर्णिमा - क्यों आप मेरे बीना क्यों बीमार पड़ेंगे।
बाबा - जब खाना नही मिले गा तो बीमार नहीं पडु़गां क्या।
पूर्णिमा - क्यों आपको टाइम से खाना नहीं मिलता है क्या ।
बाबा - टाइम की बात छोडो़ यहाँ खाना ही नहीं मिलता तो तुम टाइम की बात कर रही हो।
पूर्णिमा - क्यों खाना क्यों नहीं मिलता है ।
बाबा - अरे हम उस खाने की बात नही कर रहे हैं हम दूसरे वाले खाने की बात कर रहे हैं जो तुम खीलाती हो।
पूर्णिमा - अपने बाप की बात समझ गई लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहती है कि दुसरा वाला खाना हम भी तो वही खाना खीलाते हैं। हम कौनसा दुसरा खाना खीलाते है।
बाबा - अरे पेट में खाने वाले खाने की बात नही कर रहा हैं हम अपने लंड की खाने की बात कर रहे हैं।
पूर्णिमा - छी छी कितने बेशर्म हो गये हो आप।
बाबा - अरे इसमें बेशरम की क्या बात हम कुछ गलत थोड़ी बोले हैं।
पूर्णिमा - नही नही आपने तो बहुत अच्छा बोला सभी बाप अपनी बेटी से इसी तरह बोलते होगें।
बाबा - सभी बाप अपनी बेटी से इस तरह बात करते हैं कि नहीं यह तो हमे नही पता लेकिन हम अपनी बेटी के साथ ऐसी बात कर सकते हैं क्योंकी हमरी बेटी सिर्फ बेटी नहीं है वो हमरी बीवी भी है ।
पूर्णिमा - अच्छा हम आपके बीवी हैं कब आपने हमसे सादी की जो हम आपके बीवी हो गये।
बाबा - सादी नही की है तो क्या हुआ लेकिन तुम मेरी बीवी वाले सारे काम कर रही हो तो फिर बीवी हुई की नहीं।
पूर्णिमा - अच्छा तो आप मुझे अपनी बीवी मानते हैं ।
बाबा हम तुमको बीवी से भी बढ़कर मानते हैं क्योंकि जो खुशी ओर प्यार तुमने हमको दीया है वह कोई और नहीं दे सकता।
पूर्णिमा - झूठी तारीफ करना कोई आपसे सीखे।
बाबा- हम कोई झूठी तारीफ नही कर रहें हैं बिलकुल सही कह रहे हैं क्योंकि जो मजा हमको तुम्हारे साथ करने मे आता है वह कीसी ओर के साथ करने मे कभी नहीं आता ।
पूर्णिमा - मुस्कराते हुए क्या करने मे मजा आता है।
बाबा - तुम्हारी चूदाई करने मे।
पूर्णिमा - छी कितने गंदे और बेशरम हो गये हो आप ।
बाबा ए लो तुमही तो पूछ रही हो कि क्या करने में मजा आता है और जब बता रहे हैं तो तुमको गंदा लग रहा है।
पूर्णिमा - अच्छा यह सब छोडी़ए ओर यह बताइए की वो दोनों बाप बेटी जो आई हुई उनका क्या हुआ।
बाबा - उसकी भी यही समस्या है उसका पति उसको बच्चा नहीं दे पा रहा है हमने उसको इस समस्या का उपाय बता दिया है।
पूर्णिमा - कौनसा उपाय बता दिया।
बाबा -हमने उसे यही बताया की तुम्हारा पति तुमको माँ नही बना पाएगा अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो तुमको अपने पिताजी के साथ संबंध बनाना पड़ेगा।
पूर्णिमा- इतना कहा और वह तैयार हो गई।
बाबा - पहले वो मना कर रही थी लेकिन जब हमने उसे समझाया तो वह मान गई ओर मानती क्यों नहीं इसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं है और इसमें उन दोनों बाप बेटी का फायदा है उसको तो बच्चा मिलेगा ही लेकिन उसके बाप ने उसको पाल पोस कर बड़ा करने मे जो दुख तकलीफ उठाया है उसका फल तो उसे मीलना चाहिए क्योंकि जब उसकी बेटी बहुत छोटी थी तभी उसकी बीबी उसको छोड़ कर इस दुनिया से चली गई और उसके जाने के बाद उसने अपने अंदर से संभोग और काम वासना की इच्छा को ना चाहते हुए भी त्याग दीया और दूसरी शादी नही की, यह सोचकर कि उसकी बेटी को कोई तकलीफ ना हो और उसने अकेले ही अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया, जब वह अपनी बेटी के लिए इतना त्याग कर सकता है तो उसकी बेटी का भी फर्ज बनता है कि जिस खुशी को उसके बाप ने उसके लिए त्यागी है, वह खुशी उसे वापस लौटाए और यह तभी होगा जब वह उसके साथ संभोग करेगी और उसको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराएगी।
और अब तू भी हमको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराओ और जलदी से अपने चूत का दर्शन करा दो। बाबा उसकी चूची को दबाते हुए कहते हैं ए तुम्हारा दूध पहले से बड़ा लग रहा है लगताहै इसमें दूध भर गया है आज हम भी तुम्हारा दूध पीकर देखेगें की कैसा लगता है ।
पूर्णिमा - क्या आप हमारा दूध पीएगें अपनी बेटी का दूध पीएगें।
बाबा - हाँ आज हम अपनी बेटी का दूध पीकर देखेगें की कीतना स्वादिष्ट है हमारी बेटी का दूध।
पूर्णिमा - शरमाते हुए पीता जी आप बहुत बदमाश होते जा रहे हो कोई बाप अपनी बेटी का दूध पीता है क्या।
बाबा - अरे तो इसमें गलत क्या है जब सबकुछ कर सकते हैं तो दूध पीने में कैसी शरम अब शरमाना छोडो़ और जलदी से अपने खजाने का दर्शन करा दो सुबह से इंतजार कर रहे हैं कि कब शाम होगी और तुम अपने खजाने का दर्शन कराओगी और हम अपनी भूख मिटाएगें।
पूर्णिमा - आज आप उसकी दर्शन नही कर पाएगें।
बाबा - क्यों काहे नही करपाएगें दर्शन।
पूर्णिमा - काहेकी वहाँ लाल पानी बह रहा है मतलब मेरा माहवारी चालू है इसलिए आज दर्शन नही
कर पाएगें।
बाबा - तू मजाक कर रही है मेरे साथ ।
पूर्णिमा - नही पीता जी हम मजाक नहीं कर रहे हैं। सच कह रहे हैं।
बाबा - यार तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती ।
पूर्णिमा - पीता जी इसमें हमारी क्या गलती हमने उस्से थोड़ाहीं कहा कि आज ही आ जाओ और हमारे पीता जी और तरसाओ।
बाबा - तुमने यह सब जानबूझकर किया हमको तरसाने के लिए नहीं तो तुम आज यहाँ नही आती
दो दिन के बाद आती ।
पूर्णिमा - पीता जी हमको थोड़हीं पता था की आजहीं आ जाएगा से जब हम आज यहाँ आने की तैयारी कर रही थी तभी अचानक से बहना चालू हो गया अब इसमे हमरी क्या गलती है।
पूर्णिमा मुस्कराते हुए लगता है इसको आपसे कोई दुश्मनी है सायद उसे पता था की आज मैं यहाँ आने वाली हूँ तो वह भी चुपके से आ गया अब आप नाराज मत होईए दो दिन की तो बात है दो दिन बरदासत कर लीजिए।
बाबा - दो दिन यहाँ एक पल बर्दासत नही हो रहा है और तुम दो दिन की बात कर रही हो।
तभी उसकी बेटी जाग जाती है और रोने लगती तो वह उसको चुप कराने लगती है ।उधर आरती खिड़की के बाहर से यह सब अभी तक देख रही थी और डर रही थी कि बाबूजी हमको ढूँढते हूए इधर ना आ जाएं इसलिए फिर वो वहाँ से चली जाती है ।
इधर पूर्णिमा अपनी बेटी को फिर से सुला देती है और फिर से मालिश करने लगती है और कहती है पिताजी आपके लिए एक खुशख़बरी है। हमरी सास कह रही थी की अब उसको एक पोता चाहिए और वह हमसे कह रही थी कि जलदी से हमको पोता दे दो।
बाबा - तुम्हारी सास को पोता चाहिए तो दे दो हमको काहे बता रही हो।
पूर्णिमा - ओ हो पिताजी अब गुस्सा थूक भी दीजिए हमने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है अगर आपको लगता है कि हमने जानबूझकर किया है तो हम आपसे माफी मांगते हैं हमे माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं होगा।
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