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जिन पाठकों ने १०० पृष्ठ पूर्ण होने पर हमें शुभकामनाएं दी हैं उन सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।
भाग २९आ गया है पृष्ठ १०० मे आप सभी उसका आनंद लीजिए धन्यवाद।
भाग २९आ गया है पृष्ठ १०० मे आप सभी उसका आनंद लीजिए धन्यवाद।
Baba bahut chatur hai.राभाग २८
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की बाबा राजनाथ से कहते हैं कि आरती तभी माँ बन पाएगी जब तुम उसके साथ संभोग करोगे ।
राजनाथ बाबा की बात सुनकर कहता की नहीं मैं ऐसा नहीं करस कता वो मेरी बेटी मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकता ।
बाबा अगर तुम ऐसा नहीं कर सकते तो फिर आरती कभी माँ नही बन पाएगी क्या तुम उसको जीवन भर बाँझ बनकर रहते हुए देखना चाहते हो।
राजनाथ लेकिन बाबा इसका और कोई दूसरा उपाय तो होगा।
बाबा - इसका और कोई दूसरा उपाय नहीं है सिर्फ एक ही रास्ता है कि तुम उसके साथ संभोग करो और उसको माँ बनाओ अगर तुम उसका दुसरा विवाह भी करा दोगे तब भी वह माँ नही बन पाएगी कयोंकि उसकी कुडंली में लीखा हुआ है कि सिर्फ
तुम उसको गर्भवती करके माँ बना सकते हो।
राजनाथ - लेकिन बाबा क्या यह गलत नहीं है एक पिता अपनी बेटी के साथ संभोग कैसे कर सकता है।
बाबा - किसने कहा कि एक पीता पुत्री आपस में संबंध नही बना सकते क्या ऐसा कोई किताब में लिखा नहीं लिखा है कयोंकि यह सब रीति रिवाज ईनसानो ने बनाई है दुनिया वालों के लिए लेकिन इसके बावजूद भी ऐसे कितने बाप बेटी हैं जो इस रिश्ते को नहीं मानते हैं और आपस में संबंध बनाते हैं और संभोग का आनंद लेते हैं और कीसी को पता भी नही चलता और अगर तुम दोनों ऐसा करते हो तो वह भी किसी को पता नहीं चलेगा यह बात सिर्फ तुम दोनों के बीच में ही रहेगी और तुम्हें तो खुश होना चाहिए की यह अवसर तुम्हें मिल रहा है वह भी इस उम्र में ऐसे खुश किस्मत लोग बहुत कम ही होते हैं जिनको जीवन के इस पड़ाव में एक जवान इस्त्री की जवानी का रस चखने को मिलता है ।
बाबा की यह सब बात सुनकर राजनाथ के मन मे जो आसकां और संकोच थी अब वह खतम हो गई थी और मन ही मन सोचने लगा कि अब मैं अपनी बेटी आरती की जवानी का मजा ले सकता हूँ , फिर वह बाबा से कहता है कि बाबा यह सब तो ठीक है लेकिन क्या आरती यह सब करने के लिए तैयार होगी ,क्या उसको यह सब के बारे मे पता है।
बाबा - नही अभी उसको इस बारे मे पता नहीं है, लेकिन क्या वो ये सब करने के लिए तैयार होगी या नहीं ये तो मैं तुम्हें नहीं बता सकता लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि एक इसत्री के लिए माँ बनना संसार की सबसे बड़ी खुशी होती है और उस खुशी को पाने के लिए वह कुछ भी कर सकती है। तुम्हारी बेटी भी यह कभी नहीं चाहेगी की वह जीवन भर अपने ऊपर बाँझ का कलंक लेकर जीए। लेकिन इस से पहले तुमको नीरनय लेना होगा कि क्या तुम इसके लिए तैयार हो।
राजनाथ - बाबा जी आप जो बोल रहे हैं वो मैं करने के लिए तैयार हूँ लेकिन अगर मैं उसके साथ ऐसा करूंगा तो उसे लगेगा मैं उसकी मजबूरी का फायदा उठा रहा हूँ और मेरी जो सम्मान है उसकी नजर मे वह खतम हो जाएगी, क्या कोई ऐसा तरीका नहीं है जीस्से उसे लगे कि मैं उसकी मजबूरी का फायदा नहीं उठा रहा हूँ और मेरी सम्मान भी उसकी नजर मे बनी रहे।
बाबा - हम समझ गए कि तुम क्या चाहते हो तुम यह चाहते हो कि तुम्हारी बेटी को ऐसा लगे कि तुमको इस बारे में कुछ पता नहीं है और वह खुद अपने मुंह से तुकको ये सब करने के लिए कहे क्या अही चाहते हो ना तुम।
राजनाथ - आपने तो मेरे मन की बात जान ली लेकिन क्या ऐसा हो सकता है ।
बाबा - हो सकता है क्यों नहीं हो सकता बिलकुल हो सकता है।
राजनाथ - लेकिन केसे ।
बाबा - मैं ऐसा उपाय बताऊंगा की उसको लगेगा की तुम को इस बारे में कुछ पता नहीं है और तुम एक सरीफ बाप की तरह अनजान बने रहोगे और फिर वह एक पत्नी की तरह तुमको मनाएगी और तुम पहले ना ना करोगे फिर उसकी जीद्द के सामने हार मानते हुए तुम हाँ बोलोगे और इस तरह से तुम्हारी इजत भी बनी रहेगी और तुम दोनों का काम भी हो जाएगा।
राजनाथ- ठीक है बाबा जी आप जैसा कहेगें वैसा ही होगा।
बाबा - तो ठीक अब मैं तुम्हारी बेटी से बात करूंगा उसके बाद बताउंगा की आगे क्या करना है।
इधर आरती और पूर्णिमा आपस में बात कर रही है पूर्णिमा आरती से पुछती है की बच्चे के लिए आई हो।
आरती -जी बच्चे के लिए ही आई हूँ।
पूर्णिमा- सादी के कितने साल हूए है।
आरती - जी तीन साल हो रहे हैं।
पूर्णिमा- चिंता मत करो यहाँ आई आ गई हो अब सब ठीक हो जाएगा ।
आरती - यही आस लेकर तो यहाँ आई हूँ अब बाबा ही बताएगें की मेरी किस्मत में माँ बनना लिखा है कि नहीं, ये आपकी बेटी है।
पूर्णिमा - हाँ हमरी बेटी है यह भी हमारी सादी के बहुत साल बाद हुई है हम भी आपकी तरह परेशान हो गए थे फिर हमने पीता जी से इस बारे में बात की तो फिर उन्होंने हमारा उपचार किया और फिर उन्हीं के आशीर्वाद से हमरी बेटी पैदा हुई और हम माँ बने।
इसके बाद बाबा और राजनाथ वापस आश्रम मे आते हैं और राजनाथ से कहते हैं आरती को बुलाईए हम उससे बात करेंगे फिर उसके बाद बताएंगे की आगे क्या करना है ।
फिर राजनाथ आरती को बुलाता है और फिर दोनों बाप बेटी कमरे के अंदर बाबा के पास जाते हैं तो बाबा राजनाथ से कहते हैं कि तुम बाहर जाकर बैठो हमको इस्से अकेले में बात करनी है फिर राजनाथ कमरे से बाहर आ जाता है ।
उसके बाद बाबा आरती से कहते हैं कि हमने तुम्हारे पिताजी से बात की लेकीन उनको उस बारे मे कुछ नहीं बताया उनसे बात करके ऐसा लगा कि वह एक बहुत सीधे और सरीफ इंसान हैं उनको यह सब करने के लिए मनाना मुश्किल होगा इसलिए उनको मनाने के लिए कोई दूसरा उपाय करना होगा।
आरती- बाबा की बात सुनकर थोड़ा चिन्तित होती और पुछती है कौनसा उपाय करना होगा।
बाबा - अभी बताता हूँ की क्या करना होगा तूम दोनों को जो कुछ भी करना होगा वह सब हम एक कागज मे लिखकर तुमको दे दूँगा और तुम दोनों से एक वच्चन भी ले लूँगा ताकि बाद में तुम्हारे पिताजी मना ना कर सके और तमको भी थोडी़ मेहनत करनी पडे़गी जिससे वो तुम्हारी तरफ आकर्षित हो और तुमको यह सब मर्यादा में रहते हुए करना पड़ेगा उसे मालुम नही होना चाहिए की तुमको इस बारे में पता है ,उसको लगना चाहिए कि तुम वही कर रही हो जो हमने तुमको लीख कर दिया है।
आरती- जी बाबा जी आप जैसा कहगें वैसा हीं करूंगी।
बाबा -तो ठीक आज तुम लोगों को यहीं रुकना पड़ेगा क्योंकि कुछ दवा और तेल बनाकर दूँगा इस लिए आज यहीं रुकना पड़ेगा।
आरती- जी बाबा जी आप कह रहे हैं तो रूक जाएंगे।
फिर साम होती है उसके बाद रात का खाना बनता है फिर सभी लोग खाना खाते हैं खाने के बाद सब सो जाते हैं तभी कुछ देर के बाद आरती पेशाब करने के लिए आश्रम के पीछे जाती है और पेशाब करके वापस आ रही होती है तभी उसकी कान में कुछ आवाज़ आती है तो वह खड़ी हो कर सुनने लगती है कि यह आवाज़ कहाँ से आ रही है तो वह देखती है कि आश्रम के एक कमरे में झरोखा है और उसी के अंदर लाईट जल रही है ये आवाज़ सायद उसी के अंदर से आ रही है ।
फिर वह पास जाकर झरोखे के अंदर झांक कर देखने लगती है तो वह देखती है कि बाबा लेटे हुए हैं और उनकी बेटी पूर्णिमा उनकी मालिश कर रही है तभी आरती कुछ ऐसा देखती है कि वह देखते ही चौंक जाती है।
वह देखती है कि बाबा आपने एक हांथ से पूर्णिमा के कमर और पेट को सहला रहे हैं और धीरे धीरे अपने हांथ को ऊपर छाती के पास ले जाते हैं और उसकी चूची को सहलाने लगते हैं।
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Great Baba ji.जभाग २९
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती खिड़की के अंदर झांक कर देखती है कि बाबा बीशतर पर लेटे हुए हैं,और पूर्णिमा उनकी मालिश मालिश कर रही है ।
तभी आरती कुछ ऐसा देखती है कि एक पल के लिए उसे अपनी आंख पर भरोसा नहीं होता कि यह मैं क्या देख रही हूँ, देखती है कि बाबा अपनी बेटी पूर्णिमा की कमर और पेट को सहला रहे हैं और सहलाते हुए बोल रहे हैं कि इस बार बहुत वक्त लगादी वापस आने मे।
तो पूर्णिमा जवाब देती है कि तो क्या करती हमरी सास बीमार हो गई थी और अकेली थी तो छोड़ के कैसे आ जाती।
बाबा - तुम्हारी सास बीमार हो गई तो तुम उसका ख्याल रखने के लिए वहाँ रूक गई और यहाँ मै तुम्हारे बिना बीमार पड़ जाता हूँ सो उसका क्या।
पूर्णिमा - क्यों आप मेरे बीना क्यों बीमार पड़ेंगे।
बाबा - जब खाना नही मिले गा तो बीमार नहीं पडु़गां क्या।
पूर्णिमा - क्यों आपको टाइम से खाना नहीं मिलता है क्या ।
बाबा - टाइम की बात छोडो़ यहाँ खाना ही नहीं मिलता तो तुम टाइम की बात कर रही हो।
पूर्णिमा - क्यों खाना क्यों नहीं मिलता है ।
बाबा - अरे हम उस खाने की बात नही कर रहे हैं हम दूसरे वाले खाने की बात कर रहे हैं जो तुम खीलाती हो।
पूर्णिमा - अपने बाप की बात समझ गई लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहती है कि दुसरा वाला खाना हम भी तो वही खाना खीलाते हैं। हम कौनसा दुसरा खाना खीलाते है।
बाबा - अरे पेट में खाने वाले खाने की बात नही कर रहा हैं हम अपने लंड की खाने की बात कर रहे हैं।
पूर्णिमा - छी छी कितने बेशर्म हो गये हो आप।
बाबा - अरे इसमें बेशरम की क्या बात हम कुछ गलत थोड़ी बोले हैं।
पूर्णिमा - नही नही आपने तो बहुत अच्छा बोला सभी बाप अपनी बेटी से इसी तरह बोलते होगें।
बाबा - सभी बाप अपनी बेटी से इस तरह बात करते हैं कि नहीं यह तो हमे नही पता लेकिन हम अपनी बेटी के साथ ऐसी बात कर सकते हैं क्योंकी हमरी बेटी सिर्फ बेटी नहीं है वो हमरी बीवी भी है ।
पूर्णिमा - अच्छा हम आपके बीवी हैं कब आपने हमसे सादी की जो हम आपके बीवी हो गये।
बाबा - सादी नही की है तो क्या हुआ लेकिन तुम मेरी बीवी वाले सारे काम कर रही हो तो फिर बीवी हुई की नहीं।
पूर्णिमा - अच्छा तो आप मुझे अपनी बीवी मानते हैं ।
बाबा हम तुमको बीवी से भी बढ़कर मानते हैं क्योंकि जो खुशी ओर प्यार तुमने हमको दीया है वह कोई और नहीं दे सकता।
पूर्णिमा - झूठी तारीफ करना कोई आपसे सीखे।
बाबा- हम कोई झूठी तारीफ नही कर रहें हैं बिलकुल सही कह रहे हैं क्योंकि जो मजा हमको तुम्हारे साथ करने मे आता है वह कीसी ओर के साथ करने मे कभी नहीं आता ।
पूर्णिमा - मुस्कराते हुए क्या करने मे मजा आता है।
बाबा - तुम्हारी चूदाई करने मे।
पूर्णिमा - छी कितने गंदे और बेशरम हो गये हो आप ।
बाबा ए लो तुमही तो पूछ रही हो कि क्या करने में मजा आता है और जब बता रहे हैं तो तुमको गंदा लग रहा है।
पूर्णिमा - अच्छा यह सब छोडी़ए ओर यह बताइए की वो दोनों बाप बेटी जो आई हुई उनका क्या हुआ।
बाबा - उसकी भी यही समस्या है उसका पति उसको बच्चा नहीं दे पा रहा है हमने उसको इस समस्या का उपाय बता दिया है।
पूर्णिमा - कौनसा उपाय बता दिया।
बाबा -हमने उसे यही बताया की तुम्हारा पति तुमको माँ नही बना पाएगा अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो तुमको अपने पिताजी के साथ संबंध बनाना पड़ेगा।
पूर्णिमा- इतना कहा और वह तैयार हो गई।
बाबा - पहले वो मना कर रही थी लेकिन जब हमने उसे समझाया तो वह मान गई ओर मानती क्यों नहीं इसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं है और इसमें उन दोनों बाप बेटी का फायदा है उसको तो बच्चा मिलेगा ही लेकिन उसके बाप ने उसको पाल पोस कर बड़ा करने मे जो दुख तकलीफ उठाया है उसका फल तो उसे मीलना चाहिए क्योंकि जब उसकी बेटी बहुत छोटी थी तभी उसकी बीबी उसको छोड़ कर इस दुनिया से चली गई और उसके जाने के बाद उसने अपने अंदर से संभोग और काम वासना की इच्छा को ना चाहते हुए भी त्याग दीया और दूसरी शादी नही की, यह सोचकर कि उसकी बेटी को कोई तकलीफ ना हो और उसने अकेले ही अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया, जब वह अपनी बेटी के लिए इतना त्याग कर सकता है तो उसकी बेटी का भी फर्ज बनता है कि जिस खुशी को उसके बाप ने उसके लिए त्यागी है, वह खुशी उसे वापस लौटाए और यह तभी होगा जब वह उसके साथ संभोग करेगी और उसको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराएगी।
और अब तू भी हमको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराओ और जलदी से अपने चूत का दर्शन करा दो। बाबा उसकी चूची को दबाते हुए कहते हैं ए तुम्हारा दूध पहले से बड़ा लग रहा है लगताहै इसमें दूध भर गया है आज हम भी तुम्हारा दूध पीकर देखेगें की कैसा लगता है ।
पूर्णिमा - क्या आप हमारा दूध पीएगें अपनी बेटी का दूध पीएगें।
बाबा - हाँ आज हम अपनी बेटी का दूध पीकर देखेगें की कीतना स्वादिष्ट है हमारी बेटी का दूध।
पूर्णिमा - शरमाते हुए पीता जी आप बहुत बदमाश होते जा रहे हो कोई बाप अपनी बेटी का दूध पीता है क्या।
बाबा - अरे तो इसमें गलत क्या है जब सबकुछ कर सकते हैं तो दूध पीने में कैसी शरम अब शरमाना छोडो़ और जलदी से अपने खजाने का दर्शन करा दो सुबह से इंतजार कर रहे हैं कि कब शाम होगी और तुम अपने खजाने का दर्शन कराओगी और हम अपनी भूख मिटाएगें।
पूर्णिमा - आज आप उसकी दर्शन नही कर पाएगें।
बाबा - क्यों काहे नही करपाएगें दर्शन।
पूर्णिमा - काहेकी वहाँ लाल पानी बह रहा है मतलब मेरा माहवारी चालू है इसलिए आज दर्शन नही
कर पाएगें।
बाबा - तू मजाक कर रही है मेरे साथ ।
पूर्णिमा - नही पीता जी हम मजाक नहीं कर रहे हैं। सच कह रहे हैं।
बाबा - यार तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती ।
पूर्णिमा - पीता जी इसमें हमारी क्या गलती हमने उस्से थोड़ाहीं कहा कि आज ही आ जाओ और हमारे पीता जी और तरसाओ।
बाबा - तुमने यह सब जानबूझकर किया हमको तरसाने के लिए नहीं तो तुम आज यहाँ नही आती
दो दिन के बाद आती ।
पूर्णिमा - पीता जी हमको थोड़हीं पता था की आजहीं आ जाएगा से जब हम आज यहाँ आने की तैयारी कर रही थी तभी अचानक से बहना चालू हो गया अब इसमे हमरी क्या गलती है।
पूर्णिमा मुस्कराते हुए लगता है इसको आपसे कोई दुश्मनी है सायद उसे पता था की आज मैं यहाँ आने वाली हूँ तो वह भी चुपके से आ गया अब आप नाराज मत होईए दो दिन की तो बात है दो दिन बरदासत कर लीजिए।
बाबा - दो दिन यहाँ एक पल बर्दासत नही हो रहा है और तुम दो दिन की बात कर रही हो।
तभी उसकी बेटी जाग जाती है और रोने लगती तो वह उसको चुप कराने लगती है ।उधर आरती खिड़की के बाहर से यह सब अभी तक देख रही थी और डर रही थी कि बाबूजी हमको ढूँढते हूए इधर ना आ जाएं इसलिए फिर वो वहाँ से चली जाती है ।
इधर पूर्णिमा अपनी बेटी को फिर से सुला देती है और फिर से मालिश करने लगती है और कहती है पिताजी आपके लिए एक खुशख़बरी है। हमरी सास कह रही थी की अब उसको एक पोता चाहिए और वह हमसे कह रही थी कि जलदी से हमको पोता दे दो।
बाबा - तुम्हारी सास को पोता चाहिए तो दे दो हमको काहे बता रही हो।
पूर्णिमा - ओ हो पिताजी अब गुस्सा थूक भी दीजिए हमने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है अगर आपको लगता है कि हमने जानबूझकर किया है तो हम आपसे माफी मांगते हैं हमे माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं होगा।
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Jabardast update diya hai kahani ka flow sahi karne ke liyeजभाग २९
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती खिड़की के अंदर झांक कर देखती है कि बाबा बीशतर पर लेटे हुए हैं,और पूर्णिमा उनकी मालिश मालिश कर रही है ।
तभी आरती कुछ ऐसा देखती है कि एक पल के लिए उसे अपनी आंख पर भरोसा नहीं होता कि यह मैं क्या देख रही हूँ, देखती है कि बाबा अपनी बेटी पूर्णिमा की कमर और पेट को सहला रहे हैं और सहलाते हुए बोल रहे हैं कि इस बार बहुत वक्त लगादी वापस आने मे।
तो पूर्णिमा जवाब देती है कि तो क्या करती हमरी सास बीमार हो गई थी और अकेली थी तो छोड़ के कैसे आ जाती।
बाबा - तुम्हारी सास बीमार हो गई तो तुम उसका ख्याल रखने के लिए वहाँ रूक गई और यहाँ मै तुम्हारे बिना बीमार पड़ जाता हूँ सो उसका क्या।
पूर्णिमा - क्यों आप मेरे बीना क्यों बीमार पड़ेंगे।
बाबा - जब खाना नही मिले गा तो बीमार नहीं पडु़गां क्या।
पूर्णिमा - क्यों आपको टाइम से खाना नहीं मिलता है क्या ।
बाबा - टाइम की बात छोडो़ यहाँ खाना ही नहीं मिलता तो तुम टाइम की बात कर रही हो।
पूर्णिमा - क्यों खाना क्यों नहीं मिलता है ।
बाबा - अरे हम उस खाने की बात नही कर रहे हैं हम दूसरे वाले खाने की बात कर रहे हैं जो तुम खीलाती हो।
पूर्णिमा - अपने बाप की बात समझ गई लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहती है कि दुसरा वाला खाना हम भी तो वही खाना खीलाते हैं। हम कौनसा दुसरा खाना खीलाते है।
बाबा - अरे पेट में खाने वाले खाने की बात नही कर रहा हैं हम अपने लंड की खाने की बात कर रहे हैं।
पूर्णिमा - छी छी कितने बेशर्म हो गये हो आप।
बाबा - अरे इसमें बेशरम की क्या बात हम कुछ गलत थोड़ी बोले हैं।
पूर्णिमा - नही नही आपने तो बहुत अच्छा बोला सभी बाप अपनी बेटी से इसी तरह बोलते होगें।
बाबा - सभी बाप अपनी बेटी से इस तरह बात करते हैं कि नहीं यह तो हमे नही पता लेकिन हम अपनी बेटी के साथ ऐसी बात कर सकते हैं क्योंकी हमरी बेटी सिर्फ बेटी नहीं है वो हमरी बीवी भी है ।
पूर्णिमा - अच्छा हम आपके बीवी हैं कब आपने हमसे सादी की जो हम आपके बीवी हो गये।
बाबा - सादी नही की है तो क्या हुआ लेकिन तुम मेरी बीवी वाले सारे काम कर रही हो तो फिर बीवी हुई की नहीं।
पूर्णिमा - अच्छा तो आप मुझे अपनी बीवी मानते हैं ।
बाबा हम तुमको बीवी से भी बढ़कर मानते हैं क्योंकि जो खुशी ओर प्यार तुमने हमको दीया है वह कोई और नहीं दे सकता।
पूर्णिमा - झूठी तारीफ करना कोई आपसे सीखे।
बाबा- हम कोई झूठी तारीफ नही कर रहें हैं बिलकुल सही कह रहे हैं क्योंकि जो मजा हमको तुम्हारे साथ करने मे आता है वह कीसी ओर के साथ करने मे कभी नहीं आता ।
पूर्णिमा - मुस्कराते हुए क्या करने मे मजा आता है।
बाबा - तुम्हारी चूदाई करने मे।
पूर्णिमा - छी कितने गंदे और बेशरम हो गये हो आप ।
बाबा ए लो तुमही तो पूछ रही हो कि क्या करने में मजा आता है और जब बता रहे हैं तो तुमको गंदा लग रहा है।
पूर्णिमा - अच्छा यह सब छोडी़ए ओर यह बताइए की वो दोनों बाप बेटी जो आई हुई उनका क्या हुआ।
बाबा - उसकी भी यही समस्या है उसका पति उसको बच्चा नहीं दे पा रहा है हमने उसको इस समस्या का उपाय बता दिया है।
पूर्णिमा - कौनसा उपाय बता दिया।
बाबा -हमने उसे यही बताया की तुम्हारा पति तुमको माँ नही बना पाएगा अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो तुमको अपने पिताजी के साथ संबंध बनाना पड़ेगा।
पूर्णिमा- इतना कहा और वह तैयार हो गई।
बाबा - पहले वो मना कर रही थी लेकिन जब हमने उसे समझाया तो वह मान गई ओर मानती क्यों नहीं इसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं है और इसमें उन दोनों बाप बेटी का फायदा है उसको तो बच्चा मिलेगा ही लेकिन उसके बाप ने उसको पाल पोस कर बड़ा करने मे जो दुख तकलीफ उठाया है उसका फल तो उसे मीलना चाहिए क्योंकि जब उसकी बेटी बहुत छोटी थी तभी उसकी बीबी उसको छोड़ कर इस दुनिया से चली गई और उसके जाने के बाद उसने अपने अंदर से संभोग और काम वासना की इच्छा को ना चाहते हुए भी त्याग दीया और दूसरी शादी नही की, यह सोचकर कि उसकी बेटी को कोई तकलीफ ना हो और उसने अकेले ही अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया, जब वह अपनी बेटी के लिए इतना त्याग कर सकता है तो उसकी बेटी का भी फर्ज बनता है कि जिस खुशी को उसके बाप ने उसके लिए त्यागी है, वह खुशी उसे वापस लौटाए और यह तभी होगा जब वह उसके साथ संभोग करेगी और उसको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराएगी।
और अब तू भी हमको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराओ और जलदी से अपने चूत का दर्शन करा दो। बाबा उसकी चूची को दबाते हुए कहते हैं ए तुम्हारा दूध पहले से बड़ा लग रहा है लगताहै इसमें दूध भर गया है आज हम भी तुम्हारा दूध पीकर देखेगें की कैसा लगता है ।
पूर्णिमा - क्या आप हमारा दूध पीएगें अपनी बेटी का दूध पीएगें।
बाबा - हाँ आज हम अपनी बेटी का दूध पीकर देखेगें की कीतना स्वादिष्ट है हमारी बेटी का दूध।
पूर्णिमा - शरमाते हुए पीता जी आप बहुत बदमाश होते जा रहे हो कोई बाप अपनी बेटी का दूध पीता है क्या।
बाबा - अरे तो इसमें गलत क्या है जब सबकुछ कर सकते हैं तो दूध पीने में कैसी शरम अब शरमाना छोडो़ और जलदी से अपने खजाने का दर्शन करा दो सुबह से इंतजार कर रहे हैं कि कब शाम होगी और तुम अपने खजाने का दर्शन कराओगी और हम अपनी भूख मिटाएगें।
पूर्णिमा - आज आप उसकी दर्शन नही कर पाएगें।
बाबा - क्यों काहे नही करपाएगें दर्शन।
पूर्णिमा - काहेकी वहाँ लाल पानी बह रहा है मतलब मेरा माहवारी चालू है इसलिए आज दर्शन नही
कर पाएगें।
बाबा - तू मजाक कर रही है मेरे साथ ।
पूर्णिमा - नही पीता जी हम मजाक नहीं कर रहे हैं। सच कह रहे हैं।
बाबा - यार तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती ।
पूर्णिमा - पीता जी इसमें हमारी क्या गलती हमने उस्से थोड़ाहीं कहा कि आज ही आ जाओ और हमारे पीता जी और तरसाओ।
बाबा - तुमने यह सब जानबूझकर किया हमको तरसाने के लिए नहीं तो तुम आज यहाँ नही आती
दो दिन के बाद आती ।
पूर्णिमा - पीता जी हमको थोड़हीं पता था की आजहीं आ जाएगा से जब हम आज यहाँ आने की तैयारी कर रही थी तभी अचानक से बहना चालू हो गया अब इसमे हमरी क्या गलती है।
पूर्णिमा मुस्कराते हुए लगता है इसको आपसे कोई दुश्मनी है सायद उसे पता था की आज मैं यहाँ आने वाली हूँ तो वह भी चुपके से आ गया अब आप नाराज मत होईए दो दिन की तो बात है दो दिन बरदासत कर लीजिए।
बाबा - दो दिन यहाँ एक पल बर्दासत नही हो रहा है और तुम दो दिन की बात कर रही हो।
तभी उसकी बेटी जाग जाती है और रोने लगती तो वह उसको चुप कराने लगती है ।उधर आरती खिड़की के बाहर से यह सब अभी तक देख रही थी और डर रही थी कि बाबूजी हमको ढूँढते हूए इधर ना आ जाएं इसलिए फिर वो वहाँ से चली जाती है ।
इधर पूर्णिमा अपनी बेटी को फिर से सुला देती है और फिर से मालिश करने लगती है और कहती है पिताजी आपके लिए एक खुशख़बरी है। हमरी सास कह रही थी की अब उसको एक पोता चाहिए और वह हमसे कह रही थी कि जलदी से हमको पोता दे दो।
बाबा - तुम्हारी सास को पोता चाहिए तो दे दो हमको काहे बता रही हो।
पूर्णिमा - ओ हो पिताजी अब गुस्सा थूक भी दीजिए हमने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है अगर आपको लगता है कि हमने जानबूझकर किया है तो हम आपसे माफी मांगते हैं हमे माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं होगा।
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Behtreen update but next update jaldi Dena plz plz plzजभाग २९
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती खिड़की के अंदर झांक कर देखती है कि बाबा बीशतर पर लेटे हुए हैं,और पूर्णिमा उनकी मालिश मालिश कर रही है ।
तभी आरती कुछ ऐसा देखती है कि एक पल के लिए उसे अपनी आंख पर भरोसा नहीं होता कि यह मैं क्या देख रही हूँ, देखती है कि बाबा अपनी बेटी पूर्णिमा की कमर और पेट को सहला रहे हैं और सहलाते हुए बोल रहे हैं कि इस बार बहुत वक्त लगादी वापस आने मे।
तो पूर्णिमा जवाब देती है कि तो क्या करती हमरी सास बीमार हो गई थी और अकेली थी तो छोड़ के कैसे आ जाती।
बाबा - तुम्हारी सास बीमार हो गई तो तुम उसका ख्याल रखने के लिए वहाँ रूक गई और यहाँ मै तुम्हारे बिना बीमार पड़ जाता हूँ सो उसका क्या।
पूर्णिमा - क्यों आप मेरे बीना क्यों बीमार पड़ेंगे।
बाबा - जब खाना नही मिले गा तो बीमार नहीं पडु़गां क्या।
पूर्णिमा - क्यों आपको टाइम से खाना नहीं मिलता है क्या ।
बाबा - टाइम की बात छोडो़ यहाँ खाना ही नहीं मिलता तो तुम टाइम की बात कर रही हो।
पूर्णिमा - क्यों खाना क्यों नहीं मिलता है ।
बाबा - अरे हम उस खाने की बात नही कर रहे हैं हम दूसरे वाले खाने की बात कर रहे हैं जो तुम खीलाती हो।
पूर्णिमा - अपने बाप की बात समझ गई लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहती है कि दुसरा वाला खाना हम भी तो वही खाना खीलाते हैं। हम कौनसा दुसरा खाना खीलाते है।
बाबा - अरे पेट में खाने वाले खाने की बात नही कर रहा हैं हम अपने लंड की खाने की बात कर रहे हैं।
पूर्णिमा - छी छी कितने बेशर्म हो गये हो आप।
बाबा - अरे इसमें बेशरम की क्या बात हम कुछ गलत थोड़ी बोले हैं।
पूर्णिमा - नही नही आपने तो बहुत अच्छा बोला सभी बाप अपनी बेटी से इसी तरह बोलते होगें।
बाबा - सभी बाप अपनी बेटी से इस तरह बात करते हैं कि नहीं यह तो हमे नही पता लेकिन हम अपनी बेटी के साथ ऐसी बात कर सकते हैं क्योंकी हमरी बेटी सिर्फ बेटी नहीं है वो हमरी बीवी भी है ।
पूर्णिमा - अच्छा हम आपके बीवी हैं कब आपने हमसे सादी की जो हम आपके बीवी हो गये।
बाबा - सादी नही की है तो क्या हुआ लेकिन तुम मेरी बीवी वाले सारे काम कर रही हो तो फिर बीवी हुई की नहीं।
पूर्णिमा - अच्छा तो आप मुझे अपनी बीवी मानते हैं ।
बाबा हम तुमको बीवी से भी बढ़कर मानते हैं क्योंकि जो खुशी ओर प्यार तुमने हमको दीया है वह कोई और नहीं दे सकता।
पूर्णिमा - झूठी तारीफ करना कोई आपसे सीखे।
बाबा- हम कोई झूठी तारीफ नही कर रहें हैं बिलकुल सही कह रहे हैं क्योंकि जो मजा हमको तुम्हारे साथ करने मे आता है वह कीसी ओर के साथ करने मे कभी नहीं आता ।
पूर्णिमा - मुस्कराते हुए क्या करने मे मजा आता है।
बाबा - तुम्हारी चूदाई करने मे।
पूर्णिमा - छी कितने गंदे और बेशरम हो गये हो आप ।
बाबा ए लो तुमही तो पूछ रही हो कि क्या करने में मजा आता है और जब बता रहे हैं तो तुमको गंदा लग रहा है।
पूर्णिमा - अच्छा यह सब छोडी़ए ओर यह बताइए की वो दोनों बाप बेटी जो आई हुई उनका क्या हुआ।
बाबा - उसकी भी यही समस्या है उसका पति उसको बच्चा नहीं दे पा रहा है हमने उसको इस समस्या का उपाय बता दिया है।
पूर्णिमा - कौनसा उपाय बता दिया।
बाबा -हमने उसे यही बताया की तुम्हारा पति तुमको माँ नही बना पाएगा अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो तुमको अपने पिताजी के साथ संबंध बनाना पड़ेगा।
पूर्णिमा- इतना कहा और वह तैयार हो गई।
बाबा - पहले वो मना कर रही थी लेकिन जब हमने उसे समझाया तो वह मान गई ओर मानती क्यों नहीं इसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं है और इसमें उन दोनों बाप बेटी का फायदा है उसको तो बच्चा मिलेगा ही लेकिन उसके बाप ने उसको पाल पोस कर बड़ा करने मे जो दुख तकलीफ उठाया है उसका फल तो उसे मीलना चाहिए क्योंकि जब उसकी बेटी बहुत छोटी थी तभी उसकी बीबी उसको छोड़ कर इस दुनिया से चली गई और उसके जाने के बाद उसने अपने अंदर से संभोग और काम वासना की इच्छा को ना चाहते हुए भी त्याग दीया और दूसरी शादी नही की, यह सोचकर कि उसकी बेटी को कोई तकलीफ ना हो और उसने अकेले ही अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया, जब वह अपनी बेटी के लिए इतना त्याग कर सकता है तो उसकी बेटी का भी फर्ज बनता है कि जिस खुशी को उसके बाप ने उसके लिए त्यागी है, वह खुशी उसे वापस लौटाए और यह तभी होगा जब वह उसके साथ संभोग करेगी और उसको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराएगी।
और अब तू भी हमको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराओ और जलदी से अपने चूत का दर्शन करा दो। बाबा उसकी चूची को दबाते हुए कहते हैं ए तुम्हारा दूध पहले से बड़ा लग रहा है लगताहै इसमें दूध भर गया है आज हम भी तुम्हारा दूध पीकर देखेगें की कैसा लगता है ।
पूर्णिमा - क्या आप हमारा दूध पीएगें अपनी बेटी का दूध पीएगें।
बाबा - हाँ आज हम अपनी बेटी का दूध पीकर देखेगें की कीतना स्वादिष्ट है हमारी बेटी का दूध।
पूर्णिमा - शरमाते हुए पीता जी आप बहुत बदमाश होते जा रहे हो कोई बाप अपनी बेटी का दूध पीता है क्या।
बाबा - अरे तो इसमें गलत क्या है जब सबकुछ कर सकते हैं तो दूध पीने में कैसी शरम अब शरमाना छोडो़ और जलदी से अपने खजाने का दर्शन करा दो सुबह से इंतजार कर रहे हैं कि कब शाम होगी और तुम अपने खजाने का दर्शन कराओगी और हम अपनी भूख मिटाएगें।
पूर्णिमा - आज आप उसकी दर्शन नही कर पाएगें।
बाबा - क्यों काहे नही करपाएगें दर्शन।
पूर्णिमा - काहेकी वहाँ लाल पानी बह रहा है मतलब मेरा माहवारी चालू है इसलिए आज दर्शन नही
कर पाएगें।
बाबा - तू मजाक कर रही है मेरे साथ ।
पूर्णिमा - नही पीता जी हम मजाक नहीं कर रहे हैं। सच कह रहे हैं।
बाबा - यार तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती ।
पूर्णिमा - पीता जी इसमें हमारी क्या गलती हमने उस्से थोड़ाहीं कहा कि आज ही आ जाओ और हमारे पीता जी और तरसाओ।
बाबा - तुमने यह सब जानबूझकर किया हमको तरसाने के लिए नहीं तो तुम आज यहाँ नही आती
दो दिन के बाद आती ।
पूर्णिमा - पीता जी हमको थोड़हीं पता था की आजहीं आ जाएगा से जब हम आज यहाँ आने की तैयारी कर रही थी तभी अचानक से बहना चालू हो गया अब इसमे हमरी क्या गलती है।
पूर्णिमा मुस्कराते हुए लगता है इसको आपसे कोई दुश्मनी है सायद उसे पता था की आज मैं यहाँ आने वाली हूँ तो वह भी चुपके से आ गया अब आप नाराज मत होईए दो दिन की तो बात है दो दिन बरदासत कर लीजिए।
बाबा - दो दिन यहाँ एक पल बर्दासत नही हो रहा है और तुम दो दिन की बात कर रही हो।
तभी उसकी बेटी जाग जाती है और रोने लगती तो वह उसको चुप कराने लगती है ।उधर आरती खिड़की के बाहर से यह सब अभी तक देख रही थी और डर रही थी कि बाबूजी हमको ढूँढते हूए इधर ना आ जाएं इसलिए फिर वो वहाँ से चली जाती है ।
इधर पूर्णिमा अपनी बेटी को फिर से सुला देती है और फिर से मालिश करने लगती है और कहती है पिताजी आपके लिए एक खुशख़बरी है। हमरी सास कह रही थी की अब उसको एक पोता चाहिए और वह हमसे कह रही थी कि जलदी से हमको पोता दे दो।
बाबा - तुम्हारी सास को पोता चाहिए तो दे दो हमको काहे बता रही हो।
पूर्णिमा - ओ हो पिताजी अब गुस्सा थूक भी दीजिए हमने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है अगर आपको लगता है कि हमने जानबूझकर किया है तो हम आपसे माफी मांगते हैं हमे माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं होगा।
...........
Shaandar jabardast mast updateजभाग २९
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती खिड़की के अंदर झांक कर देखती है कि बाबा बीशतर पर लेटे हुए हैं,और पूर्णिमा उनकी मालिश मालिश कर रही है ।
तभी आरती कुछ ऐसा देखती है कि एक पल के लिए उसे अपनी आंख पर भरोसा नहीं होता कि यह मैं क्या देख रही हूँ, देखती है कि बाबा अपनी बेटी पूर्णिमा की कमर और पेट को सहला रहे हैं और सहलाते हुए बोल रहे हैं कि इस बार बहुत वक्त लगादी वापस आने मे।
तो पूर्णिमा जवाब देती है कि तो क्या करती हमरी सास बीमार हो गई थी और अकेली थी तो छोड़ के कैसे आ जाती।
बाबा - तुम्हारी सास बीमार हो गई तो तुम उसका ख्याल रखने के लिए वहाँ रूक गई और यहाँ मै तुम्हारे बिना बीमार पड़ जाता हूँ सो उसका क्या।
पूर्णिमा - क्यों आप मेरे बीना क्यों बीमार पड़ेंगे।
बाबा - जब खाना नही मिले गा तो बीमार नहीं पडु़गां क्या।
पूर्णिमा - क्यों आपको टाइम से खाना नहीं मिलता है क्या ।
बाबा - टाइम की बात छोडो़ यहाँ खाना ही नहीं मिलता तो तुम टाइम की बात कर रही हो।
पूर्णिमा - क्यों खाना क्यों नहीं मिलता है ।
बाबा - अरे हम उस खाने की बात नही कर रहे हैं हम दूसरे वाले खाने की बात कर रहे हैं जो तुम खीलाती हो।
पूर्णिमा - अपने बाप की बात समझ गई लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहती है कि दुसरा वाला खाना हम भी तो वही खाना खीलाते हैं। हम कौनसा दुसरा खाना खीलाते है।
बाबा - अरे पेट में खाने वाले खाने की बात नही कर रहा हैं हम अपने लंड की खाने की बात कर रहे हैं।
पूर्णिमा - छी छी कितने बेशर्म हो गये हो आप।
बाबा - अरे इसमें बेशरम की क्या बात हम कुछ गलत थोड़ी बोले हैं।
पूर्णिमा - नही नही आपने तो बहुत अच्छा बोला सभी बाप अपनी बेटी से इसी तरह बोलते होगें।
बाबा - सभी बाप अपनी बेटी से इस तरह बात करते हैं कि नहीं यह तो हमे नही पता लेकिन हम अपनी बेटी के साथ ऐसी बात कर सकते हैं क्योंकी हमरी बेटी सिर्फ बेटी नहीं है वो हमरी बीवी भी है ।
पूर्णिमा - अच्छा हम आपके बीवी हैं कब आपने हमसे सादी की जो हम आपके बीवी हो गये।
बाबा - सादी नही की है तो क्या हुआ लेकिन तुम मेरी बीवी वाले सारे काम कर रही हो तो फिर बीवी हुई की नहीं।
पूर्णिमा - अच्छा तो आप मुझे अपनी बीवी मानते हैं ।
बाबा हम तुमको बीवी से भी बढ़कर मानते हैं क्योंकि जो खुशी ओर प्यार तुमने हमको दीया है वह कोई और नहीं दे सकता।
पूर्णिमा - झूठी तारीफ करना कोई आपसे सीखे।
बाबा- हम कोई झूठी तारीफ नही कर रहें हैं बिलकुल सही कह रहे हैं क्योंकि जो मजा हमको तुम्हारे साथ करने मे आता है वह कीसी ओर के साथ करने मे कभी नहीं आता ।
पूर्णिमा - मुस्कराते हुए क्या करने मे मजा आता है।
बाबा - तुम्हारी चूदाई करने मे।
पूर्णिमा - छी कितने गंदे और बेशरम हो गये हो आप ।
बाबा ए लो तुमही तो पूछ रही हो कि क्या करने में मजा आता है और जब बता रहे हैं तो तुमको गंदा लग रहा है।
पूर्णिमा - अच्छा यह सब छोडी़ए ओर यह बताइए की वो दोनों बाप बेटी जो आई हुई उनका क्या हुआ।
बाबा - उसकी भी यही समस्या है उसका पति उसको बच्चा नहीं दे पा रहा है हमने उसको इस समस्या का उपाय बता दिया है।
पूर्णिमा - कौनसा उपाय बता दिया।
बाबा -हमने उसे यही बताया की तुम्हारा पति तुमको माँ नही बना पाएगा अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो तुमको अपने पिताजी के साथ संबंध बनाना पड़ेगा।
पूर्णिमा- इतना कहा और वह तैयार हो गई।
बाबा - पहले वो मना कर रही थी लेकिन जब हमने उसे समझाया तो वह मान गई ओर मानती क्यों नहीं इसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं है और इसमें उन दोनों बाप बेटी का फायदा है उसको तो बच्चा मिलेगा ही लेकिन उसके बाप ने उसको पाल पोस कर बड़ा करने मे जो दुख तकलीफ उठाया है उसका फल तो उसे मीलना चाहिए क्योंकि जब उसकी बेटी बहुत छोटी थी तभी उसकी बीबी उसको छोड़ कर इस दुनिया से चली गई और उसके जाने के बाद उसने अपने अंदर से संभोग और काम वासना की इच्छा को ना चाहते हुए भी त्याग दीया और दूसरी शादी नही की, यह सोचकर कि उसकी बेटी को कोई तकलीफ ना हो और उसने अकेले ही अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया, जब वह अपनी बेटी के लिए इतना त्याग कर सकता है तो उसकी बेटी का भी फर्ज बनता है कि जिस खुशी को उसके बाप ने उसके लिए त्यागी है, वह खुशी उसे वापस लौटाए और यह तभी होगा जब वह उसके साथ संभोग करेगी और उसको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराएगी।
और अब तू भी हमको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराओ और जलदी से अपने चूत का दर्शन करा दो। बाबा उसकी चूची को दबाते हुए कहते हैं ए तुम्हारा दूध पहले से बड़ा लग रहा है लगताहै इसमें दूध भर गया है आज हम भी तुम्हारा दूध पीकर देखेगें की कैसा लगता है ।
पूर्णिमा - क्या आप हमारा दूध पीएगें अपनी बेटी का दूध पीएगें।
बाबा - हाँ आज हम अपनी बेटी का दूध पीकर देखेगें की कीतना स्वादिष्ट है हमारी बेटी का दूध।
पूर्णिमा - शरमाते हुए पीता जी आप बहुत बदमाश होते जा रहे हो कोई बाप अपनी बेटी का दूध पीता है क्या।
बाबा - अरे तो इसमें गलत क्या है जब सबकुछ कर सकते हैं तो दूध पीने में कैसी शरम अब शरमाना छोडो़ और जलदी से अपने खजाने का दर्शन करा दो सुबह से इंतजार कर रहे हैं कि कब शाम होगी और तुम अपने खजाने का दर्शन कराओगी और हम अपनी भूख मिटाएगें।
पूर्णिमा - आज आप उसकी दर्शन नही कर पाएगें।
बाबा - क्यों काहे नही करपाएगें दर्शन।
पूर्णिमा - काहेकी वहाँ लाल पानी बह रहा है मतलब मेरा माहवारी चालू है इसलिए आज दर्शन नही
कर पाएगें।
बाबा - तू मजाक कर रही है मेरे साथ ।
पूर्णिमा - नही पीता जी हम मजाक नहीं कर रहे हैं। सच कह रहे हैं।
बाबा - यार तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती ।
पूर्णिमा - पीता जी इसमें हमारी क्या गलती हमने उस्से थोड़ाहीं कहा कि आज ही आ जाओ और हमारे पीता जी और तरसाओ।
बाबा - तुमने यह सब जानबूझकर किया हमको तरसाने के लिए नहीं तो तुम आज यहाँ नही आती
दो दिन के बाद आती ।
पूर्णिमा - पीता जी हमको थोड़हीं पता था की आजहीं आ जाएगा से जब हम आज यहाँ आने की तैयारी कर रही थी तभी अचानक से बहना चालू हो गया अब इसमे हमरी क्या गलती है।
पूर्णिमा मुस्कराते हुए लगता है इसको आपसे कोई दुश्मनी है सायद उसे पता था की आज मैं यहाँ आने वाली हूँ तो वह भी चुपके से आ गया अब आप नाराज मत होईए दो दिन की तो बात है दो दिन बरदासत कर लीजिए।
बाबा - दो दिन यहाँ एक पल बर्दासत नही हो रहा है और तुम दो दिन की बात कर रही हो।
तभी उसकी बेटी जाग जाती है और रोने लगती तो वह उसको चुप कराने लगती है ।उधर आरती खिड़की के बाहर से यह सब अभी तक देख रही थी और डर रही थी कि बाबूजी हमको ढूँढते हूए इधर ना आ जाएं इसलिए फिर वो वहाँ से चली जाती है ।
इधर पूर्णिमा अपनी बेटी को फिर से सुला देती है और फिर से मालिश करने लगती है और कहती है पिताजी आपके लिए एक खुशख़बरी है। हमरी सास कह रही थी की अब उसको एक पोता चाहिए और वह हमसे कह रही थी कि जलदी से हमको पोता दे दो।
बाबा - तुम्हारी सास को पोता चाहिए तो दे दो हमको काहे बता रही हो।
पूर्णिमा - ओ हो पिताजी अब गुस्सा थूक भी दीजिए हमने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है अगर आपको लगता है कि हमने जानबूझकर किया है तो हम आपसे माफी मांगते हैं हमे माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं होगा।
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Baba ko betiya kii ch00t Mubarak...जभाग २९
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती खिड़की के अंदर झांक कर देखती है कि बाबा बीशतर पर लेटे हुए हैं,और पूर्णिमा उनकी मालिश मालिश कर रही है ।
तभी आरती कुछ ऐसा देखती है कि एक पल के लिए उसे अपनी आंख पर भरोसा नहीं होता कि यह मैं क्या देख रही हूँ, देखती है कि बाबा अपनी बेटी पूर्णिमा की कमर और पेट को सहला रहे हैं और सहलाते हुए बोल रहे हैं कि इस बार बहुत वक्त लगादी वापस आने मे।
तो पूर्णिमा जवाब देती है कि तो क्या करती हमरी सास बीमार हो गई थी और अकेली थी तो छोड़ के कैसे आ जाती।
बाबा - तुम्हारी सास बीमार हो गई तो तुम उसका ख्याल रखने के लिए वहाँ रूक गई और यहाँ मै तुम्हारे बिना बीमार पड़ जाता हूँ सो उसका क्या।
पूर्णिमा - क्यों आप मेरे बीना क्यों बीमार पड़ेंगे।
बाबा - जब खाना नही मिले गा तो बीमार नहीं पडु़गां क्या।
पूर्णिमा - क्यों आपको टाइम से खाना नहीं मिलता है क्या ।
बाबा - टाइम की बात छोडो़ यहाँ खाना ही नहीं मिलता तो तुम टाइम की बात कर रही हो।
पूर्णिमा - क्यों खाना क्यों नहीं मिलता है ।
बाबा - अरे हम उस खाने की बात नही कर रहे हैं हम दूसरे वाले खाने की बात कर रहे हैं जो तुम खीलाती हो।
पूर्णिमा - अपने बाप की बात समझ गई लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहती है कि दुसरा वाला खाना हम भी तो वही खाना खीलाते हैं। हम कौनसा दुसरा खाना खीलाते है।
बाबा - अरे पेट में खाने वाले खाने की बात नही कर रहा हैं हम अपने लंड की खाने की बात कर रहे हैं।
पूर्णिमा - छी छी कितने बेशर्म हो गये हो आप।
बाबा - अरे इसमें बेशरम की क्या बात हम कुछ गलत थोड़ी बोले हैं।
पूर्णिमा - नही नही आपने तो बहुत अच्छा बोला सभी बाप अपनी बेटी से इसी तरह बोलते होगें।
बाबा - सभी बाप अपनी बेटी से इस तरह बात करते हैं कि नहीं यह तो हमे नही पता लेकिन हम अपनी बेटी के साथ ऐसी बात कर सकते हैं क्योंकी हमरी बेटी सिर्फ बेटी नहीं है वो हमरी बीवी भी है ।
पूर्णिमा - अच्छा हम आपके बीवी हैं कब आपने हमसे सादी की जो हम आपके बीवी हो गये।
बाबा - सादी नही की है तो क्या हुआ लेकिन तुम मेरी बीवी वाले सारे काम कर रही हो तो फिर बीवी हुई की नहीं।
पूर्णिमा - अच्छा तो आप मुझे अपनी बीवी मानते हैं ।
बाबा हम तुमको बीवी से भी बढ़कर मानते हैं क्योंकि जो खुशी ओर प्यार तुमने हमको दीया है वह कोई और नहीं दे सकता।
पूर्णिमा - झूठी तारीफ करना कोई आपसे सीखे।
बाबा- हम कोई झूठी तारीफ नही कर रहें हैं बिलकुल सही कह रहे हैं क्योंकि जो मजा हमको तुम्हारे साथ करने मे आता है वह कीसी ओर के साथ करने मे कभी नहीं आता ।
पूर्णिमा - मुस्कराते हुए क्या करने मे मजा आता है।
बाबा - तुम्हारी चूदाई करने मे।
पूर्णिमा - छी कितने गंदे और बेशरम हो गये हो आप ।
बाबा ए लो तुमही तो पूछ रही हो कि क्या करने में मजा आता है और जब बता रहे हैं तो तुमको गंदा लग रहा है।
पूर्णिमा - अच्छा यह सब छोडी़ए ओर यह बताइए की वो दोनों बाप बेटी जो आई हुई उनका क्या हुआ।
बाबा - उसकी भी यही समस्या है उसका पति उसको बच्चा नहीं दे पा रहा है हमने उसको इस समस्या का उपाय बता दिया है।
पूर्णिमा - कौनसा उपाय बता दिया।
बाबा -हमने उसे यही बताया की तुम्हारा पति तुमको माँ नही बना पाएगा अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो तुमको अपने पिताजी के साथ संबंध बनाना पड़ेगा।
पूर्णिमा- इतना कहा और वह तैयार हो गई।
बाबा - पहले वो मना कर रही थी लेकिन जब हमने उसे समझाया तो वह मान गई ओर मानती क्यों नहीं इसके अलावा उसके पास और कोई रास्ता भी नहीं है और इसमें उन दोनों बाप बेटी का फायदा है उसको तो बच्चा मिलेगा ही लेकिन उसके बाप ने उसको पाल पोस कर बड़ा करने मे जो दुख तकलीफ उठाया है उसका फल तो उसे मीलना चाहिए क्योंकि जब उसकी बेटी बहुत छोटी थी तभी उसकी बीबी उसको छोड़ कर इस दुनिया से चली गई और उसके जाने के बाद उसने अपने अंदर से संभोग और काम वासना की इच्छा को ना चाहते हुए भी त्याग दीया और दूसरी शादी नही की, यह सोचकर कि उसकी बेटी को कोई तकलीफ ना हो और उसने अकेले ही अपनी बेटी को पाल पोस कर बड़ा किया, जब वह अपनी बेटी के लिए इतना त्याग कर सकता है तो उसकी बेटी का भी फर्ज बनता है कि जिस खुशी को उसके बाप ने उसके लिए त्यागी है, वह खुशी उसे वापस लौटाए और यह तभी होगा जब वह उसके साथ संभोग करेगी और उसको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराएगी।
और अब तू भी हमको परम आनंद की अनुभूति का एहसास कराओ और जलदी से अपने चूत का दर्शन करा दो। बाबा उसकी चूची को दबाते हुए कहते हैं ए तुम्हारा दूध पहले से बड़ा लग रहा है लगताहै इसमें दूध भर गया है आज हम भी तुम्हारा दूध पीकर देखेगें की कैसा लगता है ।
पूर्णिमा - क्या आप हमारा दूध पीएगें अपनी बेटी का दूध पीएगें।
बाबा - हाँ आज हम अपनी बेटी का दूध पीकर देखेगें की कीतना स्वादिष्ट है हमारी बेटी का दूध।
पूर्णिमा - शरमाते हुए पीता जी आप बहुत बदमाश होते जा रहे हो कोई बाप अपनी बेटी का दूध पीता है क्या।
बाबा - अरे तो इसमें गलत क्या है जब सबकुछ कर सकते हैं तो दूध पीने में कैसी शरम अब शरमाना छोडो़ और जलदी से अपने खजाने का दर्शन करा दो सुबह से इंतजार कर रहे हैं कि कब शाम होगी और तुम अपने खजाने का दर्शन कराओगी और हम अपनी भूख मिटाएगें।
पूर्णिमा - आज आप उसकी दर्शन नही कर पाएगें।
बाबा - क्यों काहे नही करपाएगें दर्शन।
पूर्णिमा - काहेकी वहाँ लाल पानी बह रहा है मतलब मेरा माहवारी चालू है इसलिए आज दर्शन नही
कर पाएगें।
बाबा - तू मजाक कर रही है मेरे साथ ।
पूर्णिमा - नही पीता जी हम मजाक नहीं कर रहे हैं। सच कह रहे हैं।
बाबा - यार तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती ।
पूर्णिमा - पीता जी इसमें हमारी क्या गलती हमने उस्से थोड़ाहीं कहा कि आज ही आ जाओ और हमारे पीता जी और तरसाओ।
बाबा - तुमने यह सब जानबूझकर किया हमको तरसाने के लिए नहीं तो तुम आज यहाँ नही आती
दो दिन के बाद आती ।
पूर्णिमा - पीता जी हमको थोड़हीं पता था की आजहीं आ जाएगा से जब हम आज यहाँ आने की तैयारी कर रही थी तभी अचानक से बहना चालू हो गया अब इसमे हमरी क्या गलती है।
पूर्णिमा मुस्कराते हुए लगता है इसको आपसे कोई दुश्मनी है सायद उसे पता था की आज मैं यहाँ आने वाली हूँ तो वह भी चुपके से आ गया अब आप नाराज मत होईए दो दिन की तो बात है दो दिन बरदासत कर लीजिए।
बाबा - दो दिन यहाँ एक पल बर्दासत नही हो रहा है और तुम दो दिन की बात कर रही हो।
तभी उसकी बेटी जाग जाती है और रोने लगती तो वह उसको चुप कराने लगती है ।उधर आरती खिड़की के बाहर से यह सब अभी तक देख रही थी और डर रही थी कि बाबूजी हमको ढूँढते हूए इधर ना आ जाएं इसलिए फिर वो वहाँ से चली जाती है ।
इधर पूर्णिमा अपनी बेटी को फिर से सुला देती है और फिर से मालिश करने लगती है और कहती है पिताजी आपके लिए एक खुशख़बरी है। हमरी सास कह रही थी की अब उसको एक पोता चाहिए और वह हमसे कह रही थी कि जलदी से हमको पोता दे दो।
बाबा - तुम्हारी सास को पोता चाहिए तो दे दो हमको काहे बता रही हो।
पूर्णिमा - ओ हो पिताजी अब गुस्सा थूक भी दीजिए हमने जानबूझकर ऐसा नहीं किया है अगर आपको लगता है कि हमने जानबूझकर किया है तो हम आपसे माफी मांगते हैं हमे माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं होगा।
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