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भाग 13
जब आरती बाथरूम में जाकर पैंटी पहने लगी तो उसे याद आया कि मैने तो बाबूजी को पैंटी का साइज तो बताया ही नहीं था फिर उन्होंने लिया कैसे कहीं बड़ी साइज का तो नहीं ले आए फिर उसने पैंटी निकाल कर उसकी साइज देखी तो उसको खुशी भी हो रही थी और आश्चर्य भी हो रही थी। खुशी इस बात की हो रही थी की पैंटी का साइज बिल्कुल सही था और आश्चर्य इस बात से हो रहा था कि बाबूजी को मेरी साइज के बारे में कैसे पता ।
फिर उसने अपनी साड़ी और साया आनी (पेटीकोट) को खोल करके बाथरूम में टांग दिया ताकि वह खराब ना हो सके फिर उसने जो पुरानी पैंटी पहनी हुई थी जिसकी इलास्टिक यानी (रबर) ढीली हो चुकी है उसको वह खोलके निकालने लगी तो उसने उसके अंदर पैड की जगह पुराना कॉटन का कपड़ा ले रखा था ताकि जो उसके पीरियड से जो ब्लड निकल रहा रहा था उसको वह रोक सके फिर उसने पैंटी और उस कपड़े को निकाल के नीचे रख दी। फिर वह नीचे बैठ के अपनी चूत आनी (बूर) को साबुन लगा के साफ करने लगी क्योंकि उसके चूत पर काफी काले और घने बाल थे इस वजह से उसकी चूत से निकल रही खून यानी( रक्त) उसमे लगकर पूरा चिपचिपा हो जाता है उसके बुर के ऊपर जो बाल है उसको देखकर लग रहा है कि उसने कभी उसको साफ नहीं किया यानी कि उसने उसको कभी काटा नहीं है और नहीं उसने कभी क्रीम लगाकर साफ किया है इस वजह से उसके चूत के बाल काफी बड़े और घुंघराले हो गए थे शायद उसके पति ने कभी उसको साफ करने के लिए नहीं बोला होगा इस वजह से उसने कभी उसको साफ नहीं किया होगा क्योंकि इसमें किसी औरत की मर्जी नहीं होती इसमें उसके मर्द की इच्छा होती है की उसको कैसी चूत पसंद है बाल वाला या बिना बाल वाला। फिर उसी हिसाब से उसकी पत्नी उसके लिए अपनी चूत को सजा के रखती है। शायद आरती के पति ने उसको कुछ बोला ही नहीं होगा इसलिए उसने अपनी चूत की बाल को वैसा ही छोड़ दिया फिर उसको अच्छी तरह से धोने के बाद वह अपनी चूत को सूखे हुए कपड़े से उसको साफ किया उसके बाद उसने राजनाथ की लाई हुई पैंटी पहने लगी फिर उस पैंटी को अपनी घुटनों के ऊपर तक चढ़ाया फिर फिर उसने अपनी टांगों को थोड़ा फैलाया फैलाने के बाद उसे पैड को अपनी दोनों टांगों के बीच चूत के नीचे रख के दबा दिया फिर वह अपनी पैंटी को ऊपर कमर तक चढ़ा लिया पैंटी पहने के बाद उसने आगे पीछे दाएं-बाएं से बढ़िया से देखा तो पेटी की फिटिंग बहुत अच्छी थी फिर वह मन ही मन में बोली कि बाबूज ने पैंटी बहुत अच्छी लाएं है लेकिन सफेद कलर की क्यों लाएं उनको और कोई दूसरा कलर नहीं मिला खैर कोई बात नहीं फिटिंग तो अच्छी है फिर वह अपनी साया साड़ी पहनी और पहन कर जब वह बाहर घर में आई तो उसकी नजर सामने रखी थैले पडी़ तो उसने सोचा कि बाबूजी थैले में और कुछ लाएं हैं तो वह देखने गई तो उसमें फल फ्रूट था तो वह सोचने लगी कि बाबूजी फल क्यों लेकर आए पहले तो कभी नहीं लाते थे शायद कुछ काम होगा इसलिए लाए होंगे तो वह राजनाथ को पूछने के लिए उसके कमरे में गई तो राजनाथ वहां नहीं था फिर उसने घर के बाहर इधर-उधर देखा तो उसको नहीं मिला क्योंकि राजनाथ घर के बाहर गया हुआ था फिर शाम हो गई फिर वह रात का खाना बनाने में लग गई ।
फिर राजनाथ भी बाहर से घूम फिर के घर आ गया।
तब तक आरती ने अपना खाना भी बना लिया खाना बनाने के बाद वह राजनाथ और दादी को खाने के लिए बोली फिर दोनों ने आकर खाना खाया खाना खाने के बाद फिर वह दोनों अपने-अपने कमरे में चले गए सोने के लिए फिर आरती ने भी खाना खाया और खाना खाने के बाद फिर उसने दूध गर्म किया गरम करने के बाद दो गिलास में दूध लेकर वह राजनाथ के कमरे में गई और दूध रखते हुए उसने राजनाथ से बोली की अली जी आपका दूध जल्दी से पी लीजिए दूध रखने के बाद वह वापस रसोई में गई सरसों तेल लाने के लिए राजनाथ की मालिश करने के लिए फिर वह तेल लेकर वापस आई तो राजनाथ अभी भी सोया हुआ था तो वह राजनाथ से बोली बाबूजी दूध पी लीजिए नहीं तो फिर ठंडा हो जाएगा।
तो राजनाथ ने पूछा कि तुमने दूध पिया की नहीं।
तो आरती बोलता कि पहले आप तो पिजीए फिर मैं पियूंगी मैं अपना दूध लेकर आई हूँ।
फिर राजनाथ उठ कर बैठ जाता है तो आरती उसका दूध का गिलास उसको पीने के लिए देती है फिर वह दूध पीता है दूध पीने के बाद गिलास वापस उसको देता है और बोलता है तू भी अपना दूध पीले नहीं तो ठंडा हो जाएगा। फिर आरती भी अपना दूध पी लेती है।
दूध पीने के बाद वह राजनाथ से बोलती लाइए जलदी से पैर इधर कीजिए मालिश कर देती हूँ नहीं तो फिर हमको नींद आने लगेगी।
तो राजनाथ उसको बोलना है अरे अभी तुमने दूध पिया है थोड़ी देर बैठ तो ले उसके बाद मालिश वालिश करना।
तो फिर आरती बोलती ही नहीं बाबूजी मैं बैठूंगी नहीं अगर मैं बैठ गई तो फिर मुझे नींद आने लगेगी फिर मैं मालिश नहीं कर पाऊंगी।
तो फिर राजनाथ बोलता है की अरे तो क्या हुआ अगर तुमको नींद आने लगेगी तो जाकर सो जाना एक दिन मेरी मालिश नहीं होगी तो मैं मर नहीं जाऊंगा और उसका हाथ पकड़ के उसको बेड पर बैठने का इशारा करता है।
फिर आरती ना चाहते हुए भी वह बैठ जाती है। तभी उसको याद आता है उस फल के बारे में जो राजनाथ बाजार से लेकर आया था फिर वह राजनाथ से पूछती है बाबूजी आप बाजार से फल क्यों लेकर आए।
तो राजनाथ बोलता है कि खाने के लिए लाया हूं और किस लिए लाउंगा वो तुम्हारे खाने के लिए है।
तो फिर आरती पूछती है मेरे खाने के लिए क्यों मुझे क्या हुआ जो मैं फल खाऊंगी।
तो राजनाथ बोलता है कि वह इसलिए कि तुम्हारा पीरियड चालू है और पीरियड में बहुत सारा खून बाहर निकल जाता है जिससे तुमको कमजोरी महसूस होगी इसलिए तुमको फल खाना जरूरी है जिससे तुमको ताकत मिलेगा और तुम्हारा ब्लड भी बढ़ेगा।
तो आरती शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे करके बोलती है की आप मेरे बारे में इतना सोचते हैं।
तो राजनाथ बोलता क्यों क्यों नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में तुम मेरी एकलौती बेटी है और मैं नहीं सोचूंगा तो कौन सोचेगा तुम्हारा पति तो यहां है नहीं कि वह तुम्हारे बारे में सोंचेगा।
तभी राजनाथ बोलता है की ए लो जो बात तुमसे करनी थी वो तो मैं भूल ही गया मैं यह पूछ रहा हूं कि तुम वहां ससुराल कब जाओगी।
तो फिर आरती बोलती हैं क्यों मैं ससुराल क्यों जाऊंगी।
तो फिर राजनाथ बोलता हैं क्यों तुमको पता नहीं है की क्यों जाना है डॉक्टर ने क्या बोला था कि पीरियड के बाद दवा चालू करना है।
तो फिर आरती बोलती है की हां मुझे तो याद है लेकिन आपने अपने दामाद को इस बारे में बताया ।
तो राजनाथ बोलता है कि हां मैंने आज दामाद जी को फोन किया था तो वह बोल रहे थे कि वो अभी घर में नहीं हैं किसी काम से बाहर मैं है और वो 10 15 दिन के बाद ही वापस आएंगे।
तो फिर आरती गुस्सा होते वह बोलती है कि तो फिर आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं कि जाओगी की नहीं जाओगी जब आपका दामाद घर में नहीं है तो मैं वहां जाकर क्या करूंगी।
तो राजनाथ बोलता है कि तो अब क्या कर सकते हैं तो अब इस महीना रहने दो अगले महीना से दवा चालू कर लेना ।
तो फिर आरती कुछ नहीं बोलती और बेड से उठकर तेल मालिश करने लगती है फिर कुछ देर तक दोनों चुपचाप रहते हैं फिर राजनाथ आरती को ऊपर से नीचे तक देखने लगता है फिर उसे पैंटी की बात याद आता है तो वह आरती से बोलता है की बेटा उसकी फिटिंग सही था या कुछ गड़बड़ था मेरा मतलब छोटा या बड़ा तो नहीं हुआ।
तो आरती समझ जाती है कि वह पैंटी के बारे में पूछ रहे हैं लेकिन अनजान बनते हुए बोलती है किसका फिटिंग।
तो राजनाथ बोलता है अरे उसी का जिसको लाने के लिए तुमने मुझे बाजार भेजा था मेरा मतलब है पैंटी का साइज मैं उस टाइम पूछना भूल गया और तुमने भी मुझे नहीं बताया फिर मुझे वहां जाकर लेने में दिक्कत हुई।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए पूछती है तो फिर आपने लिया कैसे।
तो फिर राजनाथ बोलता है कैसे लूंगा अंदाज से लेना पड़ा।
तो फिर आरती बोलती है वैसे आपका अंदाज़ काफी सही है।
तो फिर राजनाथ बोलता है क्या मतलब मैं समझा नहीं।
तो फिर आरती बोलती है कि आपका अंदाज है एकदम सही है और फिटिंग भी बहुत बढ़ियां है।
उसकी बात सुनकर राजनाथ मन ही मन बहुत खुश होता है फिर कुछ देर के बाद उसके मन में एक बात आती है और वह सोचता है की आरती ब्लाउज के अंदर ब्रा पहनती है कि, नहीं पहनती है मैंने तो कभी उसको पहने हुए नहीं देखा फिर वह मन में सोचता है कि पूछ कर देखता हूं क्या बोलती है।
तो वह आरती से बोलता है बेटा एक बात पूछूं गलत तो नहीं समझोगी।
तो आरती बोलती है क्या बात है बोलिए।
तो राजनाथ बोलता है नहीं रहने दो तुम खराब समझोगी।
तो फिर आरती बोलती है क्या बात है बोलिए तो सही खराब नहीं समझूंगी।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम अंदर में वो चीज नहीं पहनती क्या मेरा मतलब है ब्लाउज के अंदर में वो जो सब पहनती हैं।
तो आरती समझ जाती है कि बाबूजी ब्रा के बारे में पूछ रहे हैं तो वह मुस्कुराते हुए बोलती है कि मुझे तो पता नहीं है कि ब्लाउज के अंदर क्या पहनते हैं उसको क्या बोलते हैं मैंने कभी पहना ही नहीं है तो मैं कैसे बताऊंगी ।
तो राजनाथ उससे पछता हैं की क्या तुमने कभी नहीं पहना है उसको
तो फिर आरती बोलती है कि किसी ने मुझे लाकर दिया ही नहीं तो मैं कैसे पहनुगीं।
तो फिर राजनाथ बोलता हैं कि क्या दामाद जी ने भी कभी तुमको लाकर नहीं दिया तुमको दामाद जी से बोलना चाहिए की लाकर कर दीजिए हमको।
तो फिर आरती बोलती है कि उसने कभी हमसे पूछा ही नहीं तो मैं क्या बोलती।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि अब लाकर देगा तो पहनोगी।
तो आरती बोलती है कि कौन लाकर देगा।
तो फिर राजनाथ बोलता है कोई भी ला कर दे अगर मैने ला कर दिया तो क्या पहनोगी।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि क्यों नहीं पहनूंगी आप लाकर देंगे तो जरूर पहनूंगी।
तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए कहता है ठीक है मैं कल ही जाकर ला दूंगा वैसे तुमने उसका नाम नहीं बताया।
तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्यों आपको उसका नाम नहीं पता।
तो राजनाथ भी मुस्कुराते हैं बोलता हैं मुझे कैसे पता होगा क्या मैं वो सब पहनता हूं जो मुझे पता रहेगा।
तो फिर आरती बोलती है तो क्या आपने भी कभी मेरी मां को लाकर नहीं दिया।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम्हारी मां वो सब पहनती ही नहीं थी मैंने उसे एक बार पूछा था तो उसने मना कर दिया था।
फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अगर आप उसका नाम नहीं जानते तो चलिए बाता देती हूँ उसको ब्रा कहते हैं ब्रा याद कर लीजिए नहीं तो कल वहां जाकर भूल जाना।
तो राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है अरे भूल जाऊंगा तो क्या होगा किसी और से पूछ लूंगा किसी और से क्यों उस दुकानदार से ही पूछ लूंगा।।
आगे की कहानी अगले भाग में।
जब आरती बाथरूम में जाकर पैंटी पहने लगी तो उसे याद आया कि मैने तो बाबूजी को पैंटी का साइज तो बताया ही नहीं था फिर उन्होंने लिया कैसे कहीं बड़ी साइज का तो नहीं ले आए फिर उसने पैंटी निकाल कर उसकी साइज देखी तो उसको खुशी भी हो रही थी और आश्चर्य भी हो रही थी। खुशी इस बात की हो रही थी की पैंटी का साइज बिल्कुल सही था और आश्चर्य इस बात से हो रहा था कि बाबूजी को मेरी साइज के बारे में कैसे पता ।
फिर उसने अपनी साड़ी और साया आनी (पेटीकोट) को खोल करके बाथरूम में टांग दिया ताकि वह खराब ना हो सके फिर उसने जो पुरानी पैंटी पहनी हुई थी जिसकी इलास्टिक यानी (रबर) ढीली हो चुकी है उसको वह खोलके निकालने लगी तो उसने उसके अंदर पैड की जगह पुराना कॉटन का कपड़ा ले रखा था ताकि जो उसके पीरियड से जो ब्लड निकल रहा रहा था उसको वह रोक सके फिर उसने पैंटी और उस कपड़े को निकाल के नीचे रख दी। फिर वह नीचे बैठ के अपनी चूत आनी (बूर) को साबुन लगा के साफ करने लगी क्योंकि उसके चूत पर काफी काले और घने बाल थे इस वजह से उसकी चूत से निकल रही खून यानी( रक्त) उसमे लगकर पूरा चिपचिपा हो जाता है उसके बुर के ऊपर जो बाल है उसको देखकर लग रहा है कि उसने कभी उसको साफ नहीं किया यानी कि उसने उसको कभी काटा नहीं है और नहीं उसने कभी क्रीम लगाकर साफ किया है इस वजह से उसके चूत के बाल काफी बड़े और घुंघराले हो गए थे शायद उसके पति ने कभी उसको साफ करने के लिए नहीं बोला होगा इस वजह से उसने कभी उसको साफ नहीं किया होगा क्योंकि इसमें किसी औरत की मर्जी नहीं होती इसमें उसके मर्द की इच्छा होती है की उसको कैसी चूत पसंद है बाल वाला या बिना बाल वाला। फिर उसी हिसाब से उसकी पत्नी उसके लिए अपनी चूत को सजा के रखती है। शायद आरती के पति ने उसको कुछ बोला ही नहीं होगा इसलिए उसने अपनी चूत की बाल को वैसा ही छोड़ दिया फिर उसको अच्छी तरह से धोने के बाद वह अपनी चूत को सूखे हुए कपड़े से उसको साफ किया उसके बाद उसने राजनाथ की लाई हुई पैंटी पहने लगी फिर उस पैंटी को अपनी घुटनों के ऊपर तक चढ़ाया फिर फिर उसने अपनी टांगों को थोड़ा फैलाया फैलाने के बाद उसे पैड को अपनी दोनों टांगों के बीच चूत के नीचे रख के दबा दिया फिर वह अपनी पैंटी को ऊपर कमर तक चढ़ा लिया पैंटी पहने के बाद उसने आगे पीछे दाएं-बाएं से बढ़िया से देखा तो पेटी की फिटिंग बहुत अच्छी थी फिर वह मन ही मन में बोली कि बाबूज ने पैंटी बहुत अच्छी लाएं है लेकिन सफेद कलर की क्यों लाएं उनको और कोई दूसरा कलर नहीं मिला खैर कोई बात नहीं फिटिंग तो अच्छी है फिर वह अपनी साया साड़ी पहनी और पहन कर जब वह बाहर घर में आई तो उसकी नजर सामने रखी थैले पडी़ तो उसने सोचा कि बाबूजी थैले में और कुछ लाएं हैं तो वह देखने गई तो उसमें फल फ्रूट था तो वह सोचने लगी कि बाबूजी फल क्यों लेकर आए पहले तो कभी नहीं लाते थे शायद कुछ काम होगा इसलिए लाए होंगे तो वह राजनाथ को पूछने के लिए उसके कमरे में गई तो राजनाथ वहां नहीं था फिर उसने घर के बाहर इधर-उधर देखा तो उसको नहीं मिला क्योंकि राजनाथ घर के बाहर गया हुआ था फिर शाम हो गई फिर वह रात का खाना बनाने में लग गई ।
फिर राजनाथ भी बाहर से घूम फिर के घर आ गया।
तब तक आरती ने अपना खाना भी बना लिया खाना बनाने के बाद वह राजनाथ और दादी को खाने के लिए बोली फिर दोनों ने आकर खाना खाया खाना खाने के बाद फिर वह दोनों अपने-अपने कमरे में चले गए सोने के लिए फिर आरती ने भी खाना खाया और खाना खाने के बाद फिर उसने दूध गर्म किया गरम करने के बाद दो गिलास में दूध लेकर वह राजनाथ के कमरे में गई और दूध रखते हुए उसने राजनाथ से बोली की अली जी आपका दूध जल्दी से पी लीजिए दूध रखने के बाद वह वापस रसोई में गई सरसों तेल लाने के लिए राजनाथ की मालिश करने के लिए फिर वह तेल लेकर वापस आई तो राजनाथ अभी भी सोया हुआ था तो वह राजनाथ से बोली बाबूजी दूध पी लीजिए नहीं तो फिर ठंडा हो जाएगा।
तो राजनाथ ने पूछा कि तुमने दूध पिया की नहीं।
तो आरती बोलता कि पहले आप तो पिजीए फिर मैं पियूंगी मैं अपना दूध लेकर आई हूँ।
फिर राजनाथ उठ कर बैठ जाता है तो आरती उसका दूध का गिलास उसको पीने के लिए देती है फिर वह दूध पीता है दूध पीने के बाद गिलास वापस उसको देता है और बोलता है तू भी अपना दूध पीले नहीं तो ठंडा हो जाएगा। फिर आरती भी अपना दूध पी लेती है।
दूध पीने के बाद वह राजनाथ से बोलती लाइए जलदी से पैर इधर कीजिए मालिश कर देती हूँ नहीं तो फिर हमको नींद आने लगेगी।
तो राजनाथ उसको बोलना है अरे अभी तुमने दूध पिया है थोड़ी देर बैठ तो ले उसके बाद मालिश वालिश करना।
तो फिर आरती बोलती ही नहीं बाबूजी मैं बैठूंगी नहीं अगर मैं बैठ गई तो फिर मुझे नींद आने लगेगी फिर मैं मालिश नहीं कर पाऊंगी।
तो फिर राजनाथ बोलता है की अरे तो क्या हुआ अगर तुमको नींद आने लगेगी तो जाकर सो जाना एक दिन मेरी मालिश नहीं होगी तो मैं मर नहीं जाऊंगा और उसका हाथ पकड़ के उसको बेड पर बैठने का इशारा करता है।
फिर आरती ना चाहते हुए भी वह बैठ जाती है। तभी उसको याद आता है उस फल के बारे में जो राजनाथ बाजार से लेकर आया था फिर वह राजनाथ से पूछती है बाबूजी आप बाजार से फल क्यों लेकर आए।
तो राजनाथ बोलता है कि खाने के लिए लाया हूं और किस लिए लाउंगा वो तुम्हारे खाने के लिए है।
तो फिर आरती पूछती है मेरे खाने के लिए क्यों मुझे क्या हुआ जो मैं फल खाऊंगी।
तो राजनाथ बोलता है कि वह इसलिए कि तुम्हारा पीरियड चालू है और पीरियड में बहुत सारा खून बाहर निकल जाता है जिससे तुमको कमजोरी महसूस होगी इसलिए तुमको फल खाना जरूरी है जिससे तुमको ताकत मिलेगा और तुम्हारा ब्लड भी बढ़ेगा।
तो आरती शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे करके बोलती है की आप मेरे बारे में इतना सोचते हैं।
तो राजनाथ बोलता क्यों क्यों नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में तुम मेरी एकलौती बेटी है और मैं नहीं सोचूंगा तो कौन सोचेगा तुम्हारा पति तो यहां है नहीं कि वह तुम्हारे बारे में सोंचेगा।
तभी राजनाथ बोलता है की ए लो जो बात तुमसे करनी थी वो तो मैं भूल ही गया मैं यह पूछ रहा हूं कि तुम वहां ससुराल कब जाओगी।
तो फिर आरती बोलती हैं क्यों मैं ससुराल क्यों जाऊंगी।
तो फिर राजनाथ बोलता हैं क्यों तुमको पता नहीं है की क्यों जाना है डॉक्टर ने क्या बोला था कि पीरियड के बाद दवा चालू करना है।
तो फिर आरती बोलती है की हां मुझे तो याद है लेकिन आपने अपने दामाद को इस बारे में बताया ।
तो राजनाथ बोलता है कि हां मैंने आज दामाद जी को फोन किया था तो वह बोल रहे थे कि वो अभी घर में नहीं हैं किसी काम से बाहर मैं है और वो 10 15 दिन के बाद ही वापस आएंगे।
तो फिर आरती गुस्सा होते वह बोलती है कि तो फिर आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं कि जाओगी की नहीं जाओगी जब आपका दामाद घर में नहीं है तो मैं वहां जाकर क्या करूंगी।
तो राजनाथ बोलता है कि तो अब क्या कर सकते हैं तो अब इस महीना रहने दो अगले महीना से दवा चालू कर लेना ।
तो फिर आरती कुछ नहीं बोलती और बेड से उठकर तेल मालिश करने लगती है फिर कुछ देर तक दोनों चुपचाप रहते हैं फिर राजनाथ आरती को ऊपर से नीचे तक देखने लगता है फिर उसे पैंटी की बात याद आता है तो वह आरती से बोलता है की बेटा उसकी फिटिंग सही था या कुछ गड़बड़ था मेरा मतलब छोटा या बड़ा तो नहीं हुआ।
तो आरती समझ जाती है कि वह पैंटी के बारे में पूछ रहे हैं लेकिन अनजान बनते हुए बोलती है किसका फिटिंग।
तो राजनाथ बोलता है अरे उसी का जिसको लाने के लिए तुमने मुझे बाजार भेजा था मेरा मतलब है पैंटी का साइज मैं उस टाइम पूछना भूल गया और तुमने भी मुझे नहीं बताया फिर मुझे वहां जाकर लेने में दिक्कत हुई।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए पूछती है तो फिर आपने लिया कैसे।
तो फिर राजनाथ बोलता है कैसे लूंगा अंदाज से लेना पड़ा।
तो फिर आरती बोलती है वैसे आपका अंदाज़ काफी सही है।
तो फिर राजनाथ बोलता है क्या मतलब मैं समझा नहीं।
तो फिर आरती बोलती है कि आपका अंदाज है एकदम सही है और फिटिंग भी बहुत बढ़ियां है।
उसकी बात सुनकर राजनाथ मन ही मन बहुत खुश होता है फिर कुछ देर के बाद उसके मन में एक बात आती है और वह सोचता है की आरती ब्लाउज के अंदर ब्रा पहनती है कि, नहीं पहनती है मैंने तो कभी उसको पहने हुए नहीं देखा फिर वह मन में सोचता है कि पूछ कर देखता हूं क्या बोलती है।
तो वह आरती से बोलता है बेटा एक बात पूछूं गलत तो नहीं समझोगी।
तो आरती बोलती है क्या बात है बोलिए।
तो राजनाथ बोलता है नहीं रहने दो तुम खराब समझोगी।
तो फिर आरती बोलती है क्या बात है बोलिए तो सही खराब नहीं समझूंगी।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम अंदर में वो चीज नहीं पहनती क्या मेरा मतलब है ब्लाउज के अंदर में वो जो सब पहनती हैं।
तो आरती समझ जाती है कि बाबूजी ब्रा के बारे में पूछ रहे हैं तो वह मुस्कुराते हुए बोलती है कि मुझे तो पता नहीं है कि ब्लाउज के अंदर क्या पहनते हैं उसको क्या बोलते हैं मैंने कभी पहना ही नहीं है तो मैं कैसे बताऊंगी ।
तो राजनाथ उससे पछता हैं की क्या तुमने कभी नहीं पहना है उसको
तो फिर आरती बोलती है कि किसी ने मुझे लाकर दिया ही नहीं तो मैं कैसे पहनुगीं।
तो फिर राजनाथ बोलता हैं कि क्या दामाद जी ने भी कभी तुमको लाकर नहीं दिया तुमको दामाद जी से बोलना चाहिए की लाकर कर दीजिए हमको।
तो फिर आरती बोलती है कि उसने कभी हमसे पूछा ही नहीं तो मैं क्या बोलती।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि अब लाकर देगा तो पहनोगी।
तो आरती बोलती है कि कौन लाकर देगा।
तो फिर राजनाथ बोलता है कोई भी ला कर दे अगर मैने ला कर दिया तो क्या पहनोगी।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि क्यों नहीं पहनूंगी आप लाकर देंगे तो जरूर पहनूंगी।
तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए कहता है ठीक है मैं कल ही जाकर ला दूंगा वैसे तुमने उसका नाम नहीं बताया।
तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्यों आपको उसका नाम नहीं पता।
तो राजनाथ भी मुस्कुराते हैं बोलता हैं मुझे कैसे पता होगा क्या मैं वो सब पहनता हूं जो मुझे पता रहेगा।
तो फिर आरती बोलती है तो क्या आपने भी कभी मेरी मां को लाकर नहीं दिया।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम्हारी मां वो सब पहनती ही नहीं थी मैंने उसे एक बार पूछा था तो उसने मना कर दिया था।
फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अगर आप उसका नाम नहीं जानते तो चलिए बाता देती हूँ उसको ब्रा कहते हैं ब्रा याद कर लीजिए नहीं तो कल वहां जाकर भूल जाना।
तो राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है अरे भूल जाऊंगा तो क्या होगा किसी और से पूछ लूंगा किसी और से क्यों उस दुकानदार से ही पूछ लूंगा।।
आगे की कहानी अगले भाग में।