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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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भाग 13

जब आरती बाथरूम में जाकर पैंटी पहने लगी तो उसे याद आया कि मैने तो बाबूजी को पैंटी का साइज तो बताया ही नहीं था फिर उन्होंने लिया कैसे कहीं बड़ी साइज का तो नहीं ले आए फिर उसने पैंटी निकाल कर उसकी साइज देखी तो उसको खुशी भी हो रही थी और आश्चर्य भी हो रही थी। खुशी इस बात की हो रही थी की पैंटी का साइज बिल्कुल सही था और आश्चर्य इस बात से हो रहा था कि बाबूजी को मेरी साइज के बारे में कैसे पता ।

फिर उसने अपनी साड़ी और साया आनी (पेटीकोट) को खोल करके बाथरूम में टांग दिया ताकि वह खराब ना हो सके फिर उसने जो पुरानी पैंटी पहनी हुई थी जिसकी इलास्टिक यानी (रबर) ढीली हो चुकी है उसको वह खोलके निकालने लगी तो उसने उसके अंदर पैड की जगह पुराना कॉटन का कपड़ा ले रखा था ताकि जो उसके पीरियड से जो ब्लड निकल रहा रहा था उसको वह रोक सके फिर उसने पैंटी और उस कपड़े को निकाल के नीचे रख दी। फिर वह नीचे बैठ के अपनी चूत आनी (बूर) को साबुन लगा के साफ करने लगी क्योंकि उसके चूत पर काफी काले और घने बाल थे इस वजह से उसकी चूत से निकल रही खून यानी( रक्त) उसमे लगकर पूरा चिपचिपा हो जाता है उसके बुर के ऊपर जो बाल है उसको देखकर लग रहा है कि उसने कभी उसको साफ नहीं किया यानी कि उसने उसको कभी काटा नहीं है और नहीं उसने कभी क्रीम लगाकर साफ किया है इस वजह से उसके चूत के बाल काफी बड़े और घुंघराले हो गए थे शायद उसके पति ने कभी उसको साफ करने के लिए नहीं बोला होगा इस वजह से उसने कभी उसको साफ नहीं किया होगा क्योंकि इसमें किसी औरत की मर्जी नहीं होती इसमें उसके मर्द की इच्छा होती है की उसको कैसी चूत पसंद है बाल वाला या बिना बाल वाला। फिर उसी हिसाब से उसकी पत्नी उसके लिए अपनी चूत को सजा के रखती है। शायद आरती के पति ने उसको कुछ बोला ही नहीं होगा इसलिए उसने अपनी चूत की बाल को वैसा ही छोड़ दिया फिर उसको अच्छी तरह से धोने के बाद वह अपनी चूत को सूखे हुए कपड़े से उसको साफ किया उसके बाद उसने राजनाथ की लाई हुई पैंटी पहने लगी फिर उस पैंटी को अपनी घुटनों के ऊपर तक चढ़ाया फिर फिर उसने अपनी टांगों को थोड़ा फैलाया फैलाने के बाद उसे पैड को अपनी दोनों टांगों के बीच चूत के नीचे रख के दबा दिया फिर वह अपनी पैंटी को ऊपर कमर तक चढ़ा लिया पैंटी पहने के बाद उसने आगे पीछे दाएं-बाएं से बढ़िया से देखा तो पेटी की फिटिंग बहुत अच्छी थी फिर वह मन ही मन में बोली कि बाबूज ने पैंटी बहुत अच्छी लाएं है लेकिन सफेद कलर की क्यों लाएं उनको और कोई दूसरा कलर नहीं मिला खैर कोई बात नहीं फिटिंग तो अच्छी है फिर वह अपनी साया साड़ी पहनी और पहन कर जब वह बाहर घर में आई तो उसकी नजर सामने रखी थैले पडी़ तो उसने सोचा कि बाबूजी थैले में और कुछ लाएं हैं तो वह देखने गई तो उसमें फल फ्रूट था तो वह सोचने लगी कि बाबूजी फल क्यों लेकर आए पहले तो कभी नहीं लाते थे शायद कुछ काम होगा इसलिए लाए होंगे तो वह राजनाथ को पूछने के लिए उसके कमरे में गई तो राजनाथ वहां नहीं था फिर उसने घर के बाहर इधर-उधर देखा तो उसको नहीं मिला क्योंकि राजनाथ घर के बाहर गया हुआ था फिर शाम हो गई फिर वह रात का खाना बनाने में लग गई ।

फिर राजनाथ भी बाहर से घूम फिर के घर आ गया।

तब तक आरती ने अपना खाना भी बना लिया खाना बनाने के बाद वह राजनाथ और दादी को खाने के लिए बोली फिर दोनों ने आकर खाना खाया खाना खाने के बाद फिर वह दोनों अपने-अपने कमरे में चले गए सोने के लिए फिर आरती ने भी खाना खाया और खाना खाने के बाद फिर उसने दूध गर्म किया गरम करने के बाद दो गिलास में दूध लेकर वह राजनाथ के कमरे में गई और दूध रखते हुए उसने राजनाथ से बोली की अली जी आपका दूध जल्दी से पी लीजिए दूध रखने के बाद वह वापस रसोई में गई सरसों तेल लाने के लिए राजनाथ की मालिश करने के लिए फिर वह तेल लेकर वापस आई तो राजनाथ अभी भी सोया हुआ था तो वह राजनाथ से बोली बाबूजी दूध पी लीजिए नहीं तो फिर ठंडा हो जाएगा।

तो राजनाथ ने पूछा कि तुमने दूध पिया की नहीं।

तो आरती बोलता कि पहले आप तो पिजीए फिर मैं पियूंगी मैं अपना दूध लेकर आई हूँ।

फिर राजनाथ उठ कर बैठ जाता है तो आरती उसका दूध का गिलास उसको पीने के लिए देती है फिर वह दूध पीता है दूध पीने के बाद गिलास वापस उसको देता है और बोलता है तू भी अपना दूध पीले नहीं तो ठंडा हो जाएगा। फिर आरती भी अपना दूध पी लेती है।

दूध पीने के बाद वह राजनाथ से बोलती लाइए जलदी से पैर इधर कीजिए मालिश कर देती हूँ नहीं तो फिर हमको नींद आने लगेगी।

तो राजनाथ उसको बोलना है अरे अभी तुमने दूध पिया है थोड़ी देर बैठ तो ले उसके बाद मालिश वालिश करना।

तो फिर आरती बोलती ही नहीं बाबूजी मैं बैठूंगी नहीं अगर मैं बैठ गई तो फिर मुझे नींद आने लगेगी फिर मैं मालिश नहीं कर पाऊंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता है की अरे तो क्या हुआ अगर तुमको नींद आने लगेगी तो जाकर सो जाना एक दिन मेरी मालिश नहीं होगी तो मैं मर नहीं जाऊंगा और उसका हाथ पकड़ के उसको बेड पर बैठने का इशारा करता है।


फिर आरती ना चाहते हुए भी वह बैठ जाती है। तभी उसको याद आता है उस फल के बारे में जो राजनाथ बाजार से लेकर आया था फिर वह राजनाथ से पूछती है बाबूजी आप बाजार से फल क्यों लेकर आए।

तो राजनाथ बोलता है कि खाने के लिए लाया हूं और किस लिए लाउंगा वो तुम्हारे खाने के लिए है।

तो फिर आरती पूछती है मेरे खाने के लिए क्यों मुझे क्या हुआ जो मैं फल खाऊंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि वह इसलिए कि तुम्हारा पीरियड चालू है और पीरियड में बहुत सारा खून बाहर निकल जाता है जिससे तुमको कमजोरी महसूस होगी इसलिए तुमको फल खाना जरूरी है जिससे तुमको ताकत मिलेगा और तुम्हारा ब्लड भी बढ़ेगा।

तो आरती शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे करके बोलती है की आप मेरे बारे में इतना सोचते हैं।

तो राजनाथ बोलता क्यों क्यों नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में तुम मेरी एकलौती बेटी है और मैं नहीं सोचूंगा तो कौन सोचेगा तुम्हारा पति तो यहां है नहीं कि वह तुम्हारे बारे में सोंचेगा।

तभी राजनाथ बोलता है की ए लो जो बात तुमसे करनी थी वो तो मैं भूल ही गया मैं यह पूछ रहा हूं कि तुम वहां ससुराल कब जाओगी।


तो फिर आरती बोलती हैं क्यों मैं ससुराल क्यों जाऊंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता हैं क्यों तुमको पता नहीं है की क्यों जाना है डॉक्टर ने क्या बोला था कि पीरियड के बाद दवा चालू करना है।

तो फिर आरती बोलती है की हां मुझे तो याद है लेकिन आपने अपने दामाद को इस बारे में बताया ।


तो राजनाथ बोलता है कि हां मैंने आज दामाद जी को फोन किया था तो वह बोल रहे थे कि वो अभी घर में नहीं हैं किसी काम से बाहर मैं है और वो 10 15 दिन के बाद ही वापस आएंगे।

तो फिर आरती गुस्सा होते वह बोलती है कि तो फिर आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं कि जाओगी की नहीं जाओगी जब आपका दामाद घर में नहीं है तो मैं वहां जाकर क्या करूंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि तो अब क्या कर सकते हैं तो अब इस महीना रहने दो अगले महीना से दवा चालू कर लेना ।

तो फिर आरती कुछ नहीं बोलती और बेड से उठकर तेल मालिश करने लगती है फिर कुछ देर तक दोनों चुपचाप रहते हैं फिर राजनाथ आरती को ऊपर से नीचे तक देखने लगता है फिर उसे पैंटी की बात याद आता है तो वह आरती से बोलता है की बेटा उसकी फिटिंग सही था या कुछ गड़बड़ था मेरा मतलब छोटा या बड़ा तो नहीं हुआ।

तो आरती समझ जाती है कि वह पैंटी के बारे में पूछ रहे हैं लेकिन अनजान बनते हुए बोलती है किसका फिटिंग।

तो राजनाथ बोलता है अरे उसी का जिसको लाने के लिए तुमने मुझे बाजार भेजा था मेरा मतलब है पैंटी का साइज मैं उस टाइम पूछना भूल गया और तुमने भी मुझे नहीं बताया फिर मुझे वहां जाकर लेने में दिक्कत हुई।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए पूछती है तो फिर आपने लिया कैसे।

तो फिर राजनाथ बोलता है कैसे लूंगा अंदाज से लेना पड़ा।

तो फिर आरती बोलती है वैसे आपका अंदाज़ काफी सही है।

तो फिर राजनाथ बोलता है क्या मतलब मैं समझा नहीं।

तो फिर आरती बोलती है कि आपका अंदाज है एकदम सही है और फिटिंग भी बहुत बढ़ियां है।

उसकी बात सुनकर राजनाथ मन ही मन बहुत खुश होता है फिर कुछ देर के बाद उसके मन में एक बात आती है और वह सोचता है की आरती ब्लाउज के अंदर ब्रा पहनती है कि, नहीं पहनती है मैंने तो कभी उसको पहने हुए नहीं देखा फिर वह मन में सोचता है कि पूछ कर देखता हूं क्या बोलती है।
तो वह आरती से बोलता है बेटा एक बात पूछूं गलत तो नहीं समझोगी।

तो आरती बोलती है क्या बात है बोलिए।

तो राजनाथ बोलता है नहीं रहने दो तुम खराब समझोगी।

तो फिर आरती बोलती है क्या बात है बोलिए तो सही खराब नहीं समझूंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम अंदर में वो चीज नहीं पहनती क्या मेरा मतलब है ब्लाउज के अंदर में वो जो सब पहनती हैं।

तो आरती समझ जाती है कि बाबूजी ब्रा के बारे में पूछ रहे हैं तो वह मुस्कुराते हुए बोलती है कि मुझे तो पता नहीं है कि ब्लाउज के अंदर क्या पहनते हैं उसको क्या बोलते हैं मैंने कभी पहना ही नहीं है तो मैं कैसे बताऊंगी ।

तो राजनाथ उससे पछता हैं की क्या तुमने कभी नहीं पहना है उसको

तो फिर आरती बोलती है कि किसी ने मुझे लाकर दिया ही नहीं तो मैं कैसे पहनुगीं।

तो फिर राजनाथ बोलता हैं कि क्या दामाद जी ने भी कभी तुमको लाकर नहीं दिया तुमको दामाद जी से बोलना चाहिए की लाकर कर दीजिए हमको।

तो फिर आरती बोलती है कि उसने कभी हमसे पूछा ही नहीं तो मैं क्या बोलती।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि अब लाकर देगा तो पहनोगी।

तो आरती बोलती है कि कौन लाकर देगा।

तो फिर राजनाथ बोलता है कोई भी ला कर दे अगर मैने ला कर दिया तो क्या पहनोगी।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि क्यों नहीं पहनूंगी आप लाकर देंगे तो जरूर पहनूंगी।

तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए कहता है ठीक है मैं कल ही जाकर ला दूंगा वैसे तुमने उसका नाम नहीं बताया।

तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्यों आपको उसका नाम नहीं पता।

तो राजनाथ भी मुस्कुराते हैं बोलता हैं मुझे कैसे पता होगा क्या मैं वो सब पहनता हूं जो मुझे पता रहेगा।

तो फिर आरती बोलती है तो क्या आपने भी कभी मेरी मां को लाकर नहीं दिया।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम्हारी मां वो सब पहनती ही नहीं थी मैंने उसे एक बार पूछा था तो उसने मना कर दिया था।

फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अगर आप उसका नाम नहीं जानते तो चलिए बाता देती हूँ उसको ब्रा कहते हैं ब्रा याद कर लीजिए नहीं तो कल वहां जाकर भूल जाना।

तो राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है अरे भूल जाऊंगा तो क्या होगा किसी और से पूछ लूंगा किसी और से क्यों उस दुकानदार से ही पूछ लूंगा।।


आगे की कहानी अगले भाग में।
 

Tri2010

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भाग 13

जब आरती बाथरूम में जाकर पैंटी पहने लगी तो उसे याद आया कि मैने तो बाबूजी को पैंटी का साइज तो बताया ही नहीं था फिर उन्होंने लिया कैसे कहीं बड़ी साइज का तो नहीं ले आए फिर उसने पैंटी निकाल कर उसकी साइज देखी तो उसको खुशी भी हो रही थी और आश्चर्य भी हो रही थी। खुशी इस बात की हो रही थी की पैंटी का साइज बिल्कुल सही था और आश्चर्य इस बात से हो रहा था कि बाबूजी को मेरी साइज के बारे में कैसे पता ।

फिर उसने अपनी साड़ी और साया आनी (पेटीकोट) को खोल करके बाथरूम में टांग दिया ताकि वह खराब ना हो सके फिर उसने जो पुरानी पैंटी पहनी हुई थी जिसकी इलास्टिक यानी (रबर) ढीली हो चुकी है उसको वह खोलके निकालने लगी तो उसने उसके अंदर पैड की जगह पुराना कॉटन का कपड़ा ले रखा था ताकि जो उसके पीरियड से जो ब्लड निकल रहा रहा था उसको वह रोक सके फिर उसने पैंटी और उस कपड़े को निकाल के नीचे रख दी। फिर वह नीचे बैठ के अपनी चूत आनी (बूर) को साबुन लगा के साफ करने लगी क्योंकि उसके चूत पर काफी काले और घने बाल थे इस वजह से उसकी चूत से निकल रही खून यानी( रक्त) उसमे लगकर पूरा चिपचिपा हो जाता है उसके बुर के ऊपर जो बाल है उसको देखकर लग रहा है कि उसने कभी उसको साफ नहीं किया यानी कि उसने उसको कभी काटा नहीं है और नहीं उसने कभी क्रीम लगाकर साफ किया है इस वजह से उसके चूत के बाल काफी बड़े और घुंघराले हो गए थे शायद उसके पति ने कभी उसको साफ करने के लिए नहीं बोला होगा इस वजह से उसने कभी उसको साफ नहीं किया होगा क्योंकि इसमें किसी औरत की मर्जी नहीं होती इसमें उसके मर्द की इच्छा होती है की उसको कैसी चूत पसंद है बाल वाला या बिना बाल वाला। फिर उसी हिसाब से उसकी पत्नी उसके लिए अपनी चूत को सजा के रखती है। शायद आरती के पति ने उसको कुछ बोला ही नहीं होगा इसलिए उसने अपनी चूत की बाल को वैसा ही छोड़ दिया फिर उसको अच्छी तरह से धोने के बाद वह अपनी चूत को सूखे हुए कपड़े से उसको साफ किया उसके बाद उसने राजनाथ की लाई हुई पैंटी पहने लगी फिर उस पैंटी को अपनी घुटनों के ऊपर तक चढ़ाया फिर फिर उसने अपनी टांगों को थोड़ा फैलाया फैलाने के बाद उसे पैड को अपनी दोनों टांगों के बीच चूत के नीचे रख के दबा दिया फिर वह अपनी पैंटी को ऊपर कमर तक चढ़ा लिया पैंटी पहने के बाद उसने आगे पीछे दाएं-बाएं से बढ़िया से देखा तो पेटी की फिटिंग बहुत अच्छी थी फिर वह मन ही मन में बोली कि बाबूज ने पैंटी बहुत अच्छी लाएं है लेकिन सफेद कलर की क्यों लाएं उनको और कोई दूसरा कलर नहीं मिला खैर कोई बात नहीं फिटिंग तो अच्छी है फिर वह अपनी साया साड़ी पहनी और पहन कर जब वह बाहर घर में आई तो उसकी नजर सामने रखी थैले पडी़ तो उसने सोचा कि बाबूजी थैले में और कुछ लाएं हैं तो वह देखने गई तो उसमें फल फ्रूट था तो वह सोचने लगी कि बाबूजी फल क्यों लेकर आए पहले तो कभी नहीं लाते थे शायद कुछ काम होगा इसलिए लाए होंगे तो वह राजनाथ को पूछने के लिए उसके कमरे में गई तो राजनाथ वहां नहीं था फिर उसने घर के बाहर इधर-उधर देखा तो उसको नहीं मिला क्योंकि राजनाथ घर के बाहर गया हुआ था फिर शाम हो गई फिर वह रात का खाना बनाने में लग गई ।

फिर राजनाथ भी बाहर से घूम फिर के घर आ गया।

तब तक आरती ने अपना खाना भी बना लिया खाना बनाने के बाद वह राजनाथ और दादी को खाने के लिए बोली फिर दोनों ने आकर खाना खाया खाना खाने के बाद फिर वह दोनों अपने-अपने कमरे में चले गए सोने के लिए फिर आरती ने भी खाना खाया और खाना खाने के बाद फिर उसने दूध गर्म किया गरम करने के बाद दो गिलास में दूध लेकर वह राजनाथ के कमरे में गई और दूध रखते हुए उसने राजनाथ से बोली की अली जी आपका दूध जल्दी से पी लीजिए दूध रखने के बाद वह वापस रसोई में गई सरसों तेल लाने के लिए राजनाथ की मालिश करने के लिए फिर वह तेल लेकर वापस आई तो राजनाथ अभी भी सोया हुआ था तो वह राजनाथ से बोली बाबूजी दूध पी लीजिए नहीं तो फिर ठंडा हो जाएगा।

तो राजनाथ ने पूछा कि तुमने दूध पिया की नहीं।

तो आरती बोलता कि पहले आप तो पिजीए फिर मैं पियूंगी मैं अपना दूध लेकर आई हूँ।

फिर राजनाथ उठ कर बैठ जाता है तो आरती उसका दूध का गिलास उसको पीने के लिए देती है फिर वह दूध पीता है दूध पीने के बाद गिलास वापस उसको देता है और बोलता है तू भी अपना दूध पीले नहीं तो ठंडा हो जाएगा। फिर आरती भी अपना दूध पी लेती है।

दूध पीने के बाद वह राजनाथ से बोलती लाइए जलदी से पैर इधर कीजिए मालिश कर देती हूँ नहीं तो फिर हमको नींद आने लगेगी।

तो राजनाथ उसको बोलना है अरे अभी तुमने दूध पिया है थोड़ी देर बैठ तो ले उसके बाद मालिश वालिश करना।

तो फिर आरती बोलती ही नहीं बाबूजी मैं बैठूंगी नहीं अगर मैं बैठ गई तो फिर मुझे नींद आने लगेगी फिर मैं मालिश नहीं कर पाऊंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता है की अरे तो क्या हुआ अगर तुमको नींद आने लगेगी तो जाकर सो जाना एक दिन मेरी मालिश नहीं होगी तो मैं मर नहीं जाऊंगा और उसका हाथ पकड़ के उसको बेड पर बैठने का इशारा करता है।


फिर आरती ना चाहते हुए भी वह बैठ जाती है। तभी उसको याद आता है उस फल के बारे में जो राजनाथ बाजार से लेकर आया था फिर वह राजनाथ से पूछती है बाबूजी आप बाजार से फल क्यों लेकर आए।

तो राजनाथ बोलता है कि खाने के लिए लाया हूं और किस लिए लाउंगा वो तुम्हारे खाने के लिए है।

तो फिर आरती पूछती है मेरे खाने के लिए क्यों मुझे क्या हुआ जो मैं फल खाऊंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि वह इसलिए कि तुम्हारा पीरियड चालू है और पीरियड में बहुत सारा खून बाहर निकल जाता है जिससे तुमको कमजोरी महसूस होगी इसलिए तुमको फल खाना जरूरी है जिससे तुमको ताकत मिलेगा और तुम्हारा ब्लड भी बढ़ेगा।

तो आरती शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे करके बोलती है की आप मेरे बारे में इतना सोचते हैं।

तो राजनाथ बोलता क्यों क्यों नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में तुम मेरी एकलौती बेटी है और मैं नहीं सोचूंगा तो कौन सोचेगा तुम्हारा पति तो यहां है नहीं कि वह तुम्हारे बारे में सोंचेगा।

तभी राजनाथ बोलता है की ए लो जो बात तुमसे करनी थी वो तो मैं भूल ही गया मैं यह पूछ रहा हूं कि तुम वहां ससुराल कब जाओगी।


तो फिर आरती बोलती हैं क्यों मैं ससुराल क्यों जाऊंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता हैं क्यों तुमको पता नहीं है की क्यों जाना है डॉक्टर ने क्या बोला था कि पीरियड के बाद दवा चालू करना है।

तो फिर आरती बोलती है की हां मुझे तो याद है लेकिन आपने अपने दामाद को इस बारे में बताया ।


तो राजनाथ बोलता है कि हां मैंने आज दामाद जी को फोन किया था तो वह बोल रहे थे कि वो अभी घर में नहीं हैं किसी काम से बाहर मैं है और वो 10 15 दिन के बाद ही वापस आएंगे।

तो फिर आरती गुस्सा होते वह बोलती है कि तो फिर आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं कि जाओगी की नहीं जाओगी जब आपका दामाद घर में नहीं है तो मैं वहां जाकर क्या करूंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि तो अब क्या कर सकते हैं तो अब इस महीना रहने दो अगले महीना से दवा चालू कर लेना ।

तो फिर आरती कुछ नहीं बोलती और बेड से उठकर तेल मालिश करने लगती है फिर कुछ देर तक दोनों चुपचाप रहते हैं फिर राजनाथ आरती को ऊपर से नीचे तक देखने लगता है फिर उसे पैंटी की बात याद आता है तो वह आरती से बोलता है की बेटा उसकी फिटिंग सही था या कुछ गड़बड़ था मेरा मतलब छोटा या बड़ा तो नहीं हुआ।

तो आरती समझ जाती है कि वह पैंटी के बारे में पूछ रहे हैं लेकिन अनजान बनते हुए बोलती है किसका फिटिंग।

तो राजनाथ बोलता है अरे उसी का जिसको लाने के लिए तुमने मुझे बाजार भेजा था मेरा मतलब है पैंटी का साइज मैं उस टाइम पूछना भूल गया और तुमने भी मुझे नहीं बताया फिर मुझे वहां जाकर लेने में दिक्कत हुई।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए पूछती है तो फिर आपने लिया कैसे।

तो फिर राजनाथ बोलता है कैसे लूंगा अंदाज से लेना पड़ा।

तो फिर आरती बोलती है वैसे आपका अंदाज़ काफी सही है।

तो फिर राजनाथ बोलता है क्या मतलब मैं समझा नहीं।

तो फिर आरती बोलती है कि आपका अंदाज है एकदम सही है और फिटिंग भी बहुत बढ़ियां है।

उसकी बात सुनकर राजनाथ मन ही मन बहुत खुश होता है फिर कुछ देर के बाद उसके मन में एक बात आती है और वह सोचता है की आरती ब्लाउज के अंदर ब्रा पहनती है कि, नहीं पहनती है मैंने तो कभी उसको पहने हुए नहीं देखा फिर वह मन में सोचता है कि पूछ कर देखता हूं क्या बोलती है।
तो वह आरती से बोलता है बेटा एक बात पूछूं गलत तो नहीं समझोगी।

तो आरती बोलती है क्या बात है बोलिए।

तो राजनाथ बोलता है नहीं रहने दो तुम खराब समझोगी।

तो फिर आरती बोलती है क्या बात है बोलिए तो सही खराब नहीं समझूंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम अंदर में वो चीज नहीं पहनती क्या मेरा मतलब है ब्लाउज के अंदर में वो जो सब पहनती हैं।

तो आरती समझ जाती है कि बाबूजी ब्रा के बारे में पूछ रहे हैं तो वह मुस्कुराते हुए बोलती है कि मुझे तो पता नहीं है कि ब्लाउज के अंदर क्या पहनते हैं उसको क्या बोलते हैं मैंने कभी पहना ही नहीं है तो मैं कैसे बताऊंगी ।

तो राजनाथ उससे पछता हैं की क्या तुमने कभी नहीं पहना है उसको

तो फिर आरती बोलती है कि किसी ने मुझे लाकर दिया ही नहीं तो मैं कैसे पहनुगीं।

तो फिर राजनाथ बोलता हैं कि क्या दामाद जी ने भी कभी तुमको लाकर नहीं दिया तुमको दामाद जी से बोलना चाहिए की लाकर कर दीजिए हमको।

तो फिर आरती बोलती है कि उसने कभी हमसे पूछा ही नहीं तो मैं क्या बोलती।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि अब लाकर देगा तो पहनोगी।

तो आरती बोलती है कि कौन लाकर देगा।

तो फिर राजनाथ बोलता है कोई भी ला कर दे अगर मैने ला कर दिया तो क्या पहनोगी।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि क्यों नहीं पहनूंगी आप लाकर देंगे तो जरूर पहनूंगी।

तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए कहता है ठीक है मैं कल ही जाकर ला दूंगा वैसे तुमने उसका नाम नहीं बताया।

तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्यों आपको उसका नाम नहीं पता।

तो राजनाथ भी मुस्कुराते हैं बोलता हैं मुझे कैसे पता होगा क्या मैं वो सब पहनता हूं जो मुझे पता रहेगा।

तो फिर आरती बोलती है तो क्या आपने भी कभी मेरी मां को लाकर नहीं दिया।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम्हारी मां वो सब पहनती ही नहीं थी मैंने उसे एक बार पूछा था तो उसने मना कर दिया था।

फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अगर आप उसका नाम नहीं जानते तो चलिए बाता देती हूँ उसको ब्रा कहते हैं ब्रा याद कर लीजिए नहीं तो कल वहां जाकर भूल जाना।

तो राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है अरे भूल जाऊंगा तो क्या होगा किसी और से पूछ लूंगा किसी और से क्यों उस दुकानदार से ही पूछ लूंगा।।


आगे की कहानी अगले भाग में।
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Premkumar65

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भाग 12

फिर सुबह जब आरती सो कर उठी और उठकर आंगन मे आई तो उसने देखा की साँढ़ और बछिया दोनों एक ही जगह पर बैठे हुए हैं फिर आरती को देखने के बाद बछिया उठकर खड़ी हो गई तो आरती ने उसे बछिया को गौर से देखा तो उसको देखकर ऐसा लगा कि जब कोई लड़की की शादी होती है और शादी के बाद सुहागरात मानती है सुहागरात मनाने के बाद सुबह उसकी जो हालत होती है जैसे बिखरे हुए बाल पूरा मेकअप उतरा हुआ उसके होंठ के लिपस्टिक पूरे गाल में लेशराया आया हुआ बिल्कुल उसी तरह की हालत बछिया की लग रही थी।

साँढ़ ने कल शाम से लेकर आज सुबह तक उसके साथ जो किया था उसका निशान बछिया के पूरे शरीर में दिख रहा था साँढ़ के लंड का पानी का छींटा उसके शरीर में जो पड़ा था उससे उसका शरीर पूरा लट लट हो गया था और साँढ़ जो अभी तक बैठा हुआ था वह भी उठकर खड़ा हो गया और खड़ा होते ही उसने फिर से बछिया के पीछे गया और उसकी बुर को मुंह लगाकर सुंघने लगा और बछिया भी अपना पूछ उठाकर उसको अच्छी तरह से सुंघने दे रही थी जब आरती ने बछिया की बुर को देखा तो वह देखते ही चौंक गई क्योंकि बछिया की बुर बहुत ज्यादा फूल गई थी और उसे हल्का-हल्का पानी भी चू रहा था और साँढ़ उसको अपने मुंह से हल्का-हल्का रगड़ते हुए सुंघ

रहा था, तभी बछिया ने अपना पीछे का पैर दोनों हल्का फैलाया और थोड़ा नीचे झुक कर पेशाब करने लगी तभी साँढ़ ने अपना मुंह उसके नीचे लगाया और उसकी पेशाब को अपने मुंह और नाक में भरके और मुंह ऊपर करके सुंघने लगा, और यह सब देखकर आरती को भी अच्छा लग रह था।

फिर राजनाथ भी सो के उठ गया और उठकर के आंगन में आया तो उसको देखते ही आरती वहां से भाग गई और जाकर अपने काम में लग गई।

फिर राजनाथ बाथरूम में शौचालय करने के लिए चला गया फिर शौचालय से बाहर आने के बाद वह बाहर टहलने के लिए जा रहा था तो उसने सोचा कि सांड को भी साथ में ही लेकर चलता हूं उसको उधर ही छोड़ दूंगा, फिर वह हाथ में छड़ी लेकर साँढ़ को बाहर निकालने के लिए गया तो वह अभी भी जाने के लिए तैयार नहीं था तो जब राजनाथ ने उसके साथ जबरदस्ती की तब जाकर वह जाने के लिए तैयार हुआ और फिर बाहर चला गया।

फिर कुछ घंटे के बाद राजनाथ बाहर से घूम फिर क्या आया तो आरती घर में नाश्ता बना रही थी, फिर वह बाहर आई तो राजनाथ को देख कर बोली बाबूजी आप आ गए आप मुह हांथ धो लीजिए तब तक मैं नाश्ता रेडी करती हूं ।

फिर राजनाथ मुह हांथ धोने चला गया फिर वह मुह हांथ धो करके आया और आ के बरामदे में चौकी पर बैठ गया फिर कुछ देर बैठने के बाद उसने आरती को आवाज लगाई और बोला बेटा आरती मैने मुह हांथ धो लिया है अगर नाश्ता हो गया हो तो ले आओ।

तभी आरती ने अंदर से जवाब दीया जी बाबूजी अभी लेकर आती हूं।

जब तक आरती नाश्ता लेकर आती तभी राजनाथ की नजर आंगन में बंधी बछिया के ऊपर गई जो अभी भी वही बंधी हुई फिर उसने बछिया को गौर से देखने लगा और उसको देखकर मुस्कुराने लगा फिर उसने घर के अंदर रसोई जिधर था उधर देखने लगा तो उसने देखा की आरती नाश्ता लेकर आ रही तभी उसके मन में एक शरारत सूझी, और जैसे ही आरती उसके करीब आई नाश्ता देने के लिए तो राजनाथ ने बछिया की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला कि लगता है साँढ़ ने अपना काम बहुत अच्छे से किया है, मेरा मतलब है खेत की जुताई बहुत अच्छे से की है और लगता है कि खेत के हिसाब से उसमें बी कुछ ज्यादा ही डाल दिया है इसलिए बह के सब बाहर आ रहा है । यह बात बोलकर वह उसकी तरफ देखा है।


तो आरती अपना मुंह छुपा कर शरमाते हुए वहां से जाने लगती है और वह समझ जाती है कि बाबूजी क्या बोल रहे हैं।

और राजनाथ मुस्कुराते हुए उसको जाते हुए पीछे से देख रहा था और मुस्कुराने लगा और वह समझ गया की आरती को भी मेरी बात समझ में आ गई फिर वह नाश्ता करने लगा फिर नाश्ता करने के बाद कुछ देर आराम करने लगा।


फिर कुछ देर के बाद आरती उसके पास आई और बोलि बाबूजी आज आप बाजार जाएंगे क्या , तो राजनाथ उसकी तरफ देखते हुए बोला नहीं बेटा आज तो बाजार जाने का नहीं है क्यों क्या हुआ कुछ काम है क्या मेरा मतलब कुछ मंगवाने का है क्या।

तो आरती अपनी नज़रें नीचे करते हुए बोलत नहीं कुछ खास काम नहीं था मैं सोच रही थी की सायद आज आप बाजार जाएंगे इसलिए मैं पूछ रही थी।

तो राजनाथ समझ गया कि जरूर कुछ काम है तभी पूछ रही है तो राजनाथ ने फिर से उसको पूछा बेटा बताओ कुछ काम है क्या अगर कुछ मंगवाना है तो बोलो मैं जाकर ले आऊंगा।

तो आरती शरमाते हुए धीरे से बोलती है जी, जिओ, मे, मेरा पीरियड चालू हो गया है , और मेरे पास पीरियड में लेने के लिए पैड नहीं है इसलिए मैं आपसे पूछ रही थी ला देंगे क्या।

तो राजनाथ बोलता है की अरे इसमें पूछने वाली क्या बात तुम सीधे-सीधे हमको बोल सकती थी कि बाबूजी यह चीज लाना है ला दीजिए तो इसमें शर्माने की क्या बात है ठीक है मैं अभी जाकर के ला देता हूं , तो राजनाथ फिर से बोलता है कि और कुछ मंगवाना है क्या ।

तो आरती बोलती है कि जी एक चीज और मंगवाना है।

तो राजनाथ बोलता है कि हां बोल ना और क्या चीज मंगवाना है।

तो आरती फिर से शरमाते हुए बोलती है कि जी मेरा दो पीस पैंटी भी ला दीजिएगा।

तो राजनाथ बोलता है ठीक है ला दूंगा और कुछ ।
तो फिर आरती बोलती है की जी बस और कुछ नहीं।

फिर राजनाथ उठकर अपना कपड़ा पहना है तैयार होकर वह मार्केट चला गया लाने के लिए फिर वह मार्केट पहुंचकर एक मेडिसिन स्टोर पर गया लेने के लिए तो उसने देखा कि उसे दुकान पर कुछ ज्यादा ग्राहक थे तो उसको पैड मांगने में शर्म आ रही थी इसको यह सोचकर शर्म आ रही थी कि अगर मैंने पैड मांगा तो वह लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे कि बुढा इस उम्र में पैड किसके लिए खरीद रहा है लगता है नई-नई शादी की है । क्योंकि पहली बीवी तो इसकी जवान तो होगी नहीं जो उसके लिए खरीदेगा लगता है इसकी पहली बीवी मर गई होगी तो इसने दोबारा शादी की है ।

राजनाथ को यह सब सोंच कर बहुत शर्म आ रही थी और वह दुकानदार को कुछ बोल नहीं पा रहा था फिर कुछ देर खड़ा रहने के बाद उसने सोचा कि अभी रहने देता हूं पहले पैंटी जाकर खरीद लेता हूं उसके बाद आकर देखूंगा अगर भीड़ कम हुई तो लूंगा नहीं तो दूसरे दुकान में जाकर देखूंगा।

यह सोचकर वह वापस आया और फिर वह एक कपड़े के दुकान में गया जहां और कोई ग्राहक नहीं था फिर वह दुकान के अंदर गया और अंदर जाने के बाद कुछ सेकंड खड़ा रहा और अपनी नजर इधर-उधर दौड़ा कर देखने लगा कि कहीं पैंटी नजर आ रही है क्या।

तो फिर दुकानदार ने उसको देखकर पूछा जी भाई साहब बोलिए क्या लेना है आपको दुकानदार भी उसी की उम्र का था इसलिए राजनाथ ने भी कोई संकोच नहीं की और उसने बोला कि जी हमको लेडिस के लिए कपड़े चाहिए ।

तो दुकानदार ने पूछा जी बोलिए कौन से कपड़े चाहिए आपको ।

तो फिर राजनाथ ने बोला कि जी हमको दो पीस पैंटी चाहिए।

तो फिर दुकानदार ने पूछा की आपको कैसी पेटी चाहिए नार्मल में चाहिए या अच्छी क्वालिटी का चाहिए मेरा मतलब है कम दाम वाला चाहिए कि जयादा दाम वाला चाहिए।

तो फिर राजनाथ ने बोला कि जी नहीं अच्छा वाला दीजिए आप दाम की फिक्र मत कीजिए जितना भी दाम होगा हम देंगे।

तो दुकानदार ने बोला कि जी इसलिए पूछना पड़ता है कि बहुत से ग्राहक सस्ता वाला खोजते हैं हर ग्रहांक आपकी तरह समझदार नहीं होता कुछ लोग समझते हैं कि ज्यादा दाम वाला लेकर क्या फायदा अंदर में ही तो पहनना है उसको कौन देखने वाला लेकिन वह यह नहीं समझ पाते की कपड़ा अंदर का हो या बाहर का आप जितना अच्छा कपड़ा अपनी बीवी को पहनाएंगे उतना ही बीवी आपको ज्यादा प्यार करेगी और ज्यादा आपको खुश रहेगी लेकिन कुछ लोग यह बात नहीं समझ पाते।

फिर दुकानदार ने एक डब्बा निकाला जिसमें बहुत कलर की पैंटी थी।

दुकानदार ने बोला ऐ लीजिए जी कौन सा कलर का लेना है ले लीजिए।

फिर दुकानदार में पूछा कि अपने साइज तो बताया ही नहीं कितनी साइज की चाहिए आपको ।

यह बात सुनते ही राजनाथ चौक गया और सोचने लगा कि मैंने तो पैंटी की साइज पूछी ही नहीं अब मैं क्या करूंगा फिर उसने कहा कि जी मुझे साइज तो मालूम नहीं है।

तो फिर दुकानदार ने बोला कि आपने पहले तो खरीदा होगा ना आपको तो याद होनी चाहिए साइज क्या है अगर आपको अपनी बीवी का साइज का पता नहीं होगा तो क्या दूसरे को पता होगा।

अब राजनाथ भी सोंच में पड़ गया कि इसको क्या जवाब दूं कि मैं अपनी बीवी के लिए नहीं मैं अपनी बेटी के लिए खरीद रहा हूं फिर उसने अपनी बेटी आरती को याद करते हुए सोचने लगा कि उसको कितनी साइज की बन सकती है फिर उसने अंदाजा लगाया कि वो जितनी पतली दुबली है उस हिसाब से 32 से ज्यादा नहीं होगी उसकी साइज फिर उसने दुकानदार से बोला कि जी 32 का दे दीजिए 32 का उसको बनता है।

तो दुकानदार ने फिर से उसको पूछा और बोला कि आप सायज भूल तो नहीं रहे क्योंकि 32 बहुत छोटी साइज है क्योंकि 32 सायज तो लड़कियों के लिए होती है।

तो राजनाथ में बात को संभालते हुए बोला कि जियो बहुत पतली दुबली है आप टेंशन मत लीजिए आप 32 साइज की दे दीजिए।


तो दुकानदार ने पूछा कि कौन सा कलर का लेना है तो राजनाथ ने बोला कि की सफेद कलर की दे दीजिए फिर उसने दो सफेद कलर की पैंटी ली और फिर और वहां से निकल गया फिर वह एक दवा दुकान में गया जहां कोई और ग्राहक नहीं था तो उसने बोला की जि हमको एक पैकेट पैड दे दीजिए।

फिर दुकानदार ने उसको एक पैकेट पैड़ दिया और वह लेकर वहां से निकल गया फिर वहां से कुछ दूर और जाने के बाद वह एक फल दुकान में गया और वहां से उसने कुछ फल फ्रूट लिए और फिर वापस घर आने के लिए निकल गया।

इधर आरती यह सोच कर शर्मा रही थी कि आज मैंने बाबूजी को वह सब लाने के लिए बोल दिया वह मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे कि मेरी बेटी मुझे अपनी पैंटी और पैड खरीदने के लिए भेज दिया।

फिर कुछ देर के बाद राजनाथ घर आ गया और वह सब समान आरती को दे दिया।

फिर आरती वह सब सामान लेकर घर के अंदर चली गई फिर वह उसमें से एक पैंटी और पैड निकाल कर बाथरूम में चेंज करने के लिए जा रही थी तो राजनाथ उसको उधर जाते हुए देख कर समझ गया की आरती मेरा लाया हुआ पैंटी और पैड पहनने जा रही है यह सोचकर वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था तभी उसके पजामे के अंदर में सोया हुआ उसका लंड महाराज अपना मुंडी धीरे-धीरे उठाने लगा था राजनाथ यह सब सोच रहा था तब तक आरती बाथरूम में चली गई

राजनाथ उसको जाने के बाद उसने अपना हाथ पजामे के ऊपर से ही अपने लंड पर चलाने लगा और जैसे ही उसका हाथ उसके लंड को छुआ वह सन सना के खड़ा हो गया और झटका मारने लगा मानो कह रहा हो कि मुझे उस छोटे से बिल का दर्शन कराओ मुझे उसने घुसना है राजनाथ भी उसको कंट्रोल नहीं कर पा रहा था तो वह अपने कमरे में गया और अपना पजामे का नारा खोल दिया और अपने लंड को पूरी तरह से आजाद कर दिया उसके कमरे में पूरा अंधेरा था तो वह दरवाजे के पीछे खड़े हो कर आरती को देखने लगा की वह बाथरूम से कब बाहर आएगी और अब तक उसका लंड भी पूरे जोश में आ चुका था और वह अपना मूंडी बार-बार झटका मारते हुए ऊपर नीचे कर रहा था और राजनाथ भी रह रह के अपना हाथ से उसको सहला देता है जिससे वह और जोश में आ जाता है।

फिर राजनाथ के मन मे यह सवाल आने लगते हैं और वह सोचने लगता हैं कि क्या यह सब सही है जो मैं अपनी बेटी के बारे में सोच रहा हूँ नहीं मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था और वह अपने आप को समझाने लगता है कि मैं अपनी बेटी के साथ यह सब नहीं कर सकता और यह सब सोचते ही उसका लंड भी धीरे-धीरे शांत होने लगता है और वह पूरी तरह से शांत हो जाता फिर वह अपने पैजामे को ऊपर उठाकर बांध लेता है जब तक आरती बाथरूम से बाहर आती उससे पहले राजनाथ घर से निकल कर कहीं बाहर घूमने के लिए चला जाता है।

आगे की कहानी अगले भाग।




Kahani dhire dhire badi achei tara se aage bah rahi hai.
 
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Premkumar65

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भाग 13

जब आरती बाथरूम में जाकर पैंटी पहने लगी तो उसे याद आया कि मैने तो बाबूजी को पैंटी का साइज तो बताया ही नहीं था फिर उन्होंने लिया कैसे कहीं बड़ी साइज का तो नहीं ले आए फिर उसने पैंटी निकाल कर उसकी साइज देखी तो उसको खुशी भी हो रही थी और आश्चर्य भी हो रही थी। खुशी इस बात की हो रही थी की पैंटी का साइज बिल्कुल सही था और आश्चर्य इस बात से हो रहा था कि बाबूजी को मेरी साइज के बारे में कैसे पता ।

फिर उसने अपनी साड़ी और साया आनी (पेटीकोट) को खोल करके बाथरूम में टांग दिया ताकि वह खराब ना हो सके फिर उसने जो पुरानी पैंटी पहनी हुई थी जिसकी इलास्टिक यानी (रबर) ढीली हो चुकी है उसको वह खोलके निकालने लगी तो उसने उसके अंदर पैड की जगह पुराना कॉटन का कपड़ा ले रखा था ताकि जो उसके पीरियड से जो ब्लड निकल रहा रहा था उसको वह रोक सके फिर उसने पैंटी और उस कपड़े को निकाल के नीचे रख दी। फिर वह नीचे बैठ के अपनी चूत आनी (बूर) को साबुन लगा के साफ करने लगी क्योंकि उसके चूत पर काफी काले और घने बाल थे इस वजह से उसकी चूत से निकल रही खून यानी( रक्त) उसमे लगकर पूरा चिपचिपा हो जाता है उसके बुर के ऊपर जो बाल है उसको देखकर लग रहा है कि उसने कभी उसको साफ नहीं किया यानी कि उसने उसको कभी काटा नहीं है और नहीं उसने कभी क्रीम लगाकर साफ किया है इस वजह से उसके चूत के बाल काफी बड़े और घुंघराले हो गए थे शायद उसके पति ने कभी उसको साफ करने के लिए नहीं बोला होगा इस वजह से उसने कभी उसको साफ नहीं किया होगा क्योंकि इसमें किसी औरत की मर्जी नहीं होती इसमें उसके मर्द की इच्छा होती है की उसको कैसी चूत पसंद है बाल वाला या बिना बाल वाला। फिर उसी हिसाब से उसकी पत्नी उसके लिए अपनी चूत को सजा के रखती है। शायद आरती के पति ने उसको कुछ बोला ही नहीं होगा इसलिए उसने अपनी चूत की बाल को वैसा ही छोड़ दिया फिर उसको अच्छी तरह से धोने के बाद वह अपनी चूत को सूखे हुए कपड़े से उसको साफ किया उसके बाद उसने राजनाथ की लाई हुई पैंटी पहने लगी फिर उस पैंटी को अपनी घुटनों के ऊपर तक चढ़ाया फिर फिर उसने अपनी टांगों को थोड़ा फैलाया फैलाने के बाद उसे पैड को अपनी दोनों टांगों के बीच चूत के नीचे रख के दबा दिया फिर वह अपनी पैंटी को ऊपर कमर तक चढ़ा लिया पैंटी पहने के बाद उसने आगे पीछे दाएं-बाएं से बढ़िया से देखा तो पेटी की फिटिंग बहुत अच्छी थी फिर वह मन ही मन में बोली कि बाबूज ने पैंटी बहुत अच्छी लाएं है लेकिन सफेद कलर की क्यों लाएं उनको और कोई दूसरा कलर नहीं मिला खैर कोई बात नहीं फिटिंग तो अच्छी है फिर वह अपनी साया साड़ी पहनी और पहन कर जब वह बाहर घर में आई तो उसकी नजर सामने रखी थैले पडी़ तो उसने सोचा कि बाबूजी थैले में और कुछ लाएं हैं तो वह देखने गई तो उसमें फल फ्रूट था तो वह सोचने लगी कि बाबूजी फल क्यों लेकर आए पहले तो कभी नहीं लाते थे शायद कुछ काम होगा इसलिए लाए होंगे तो वह राजनाथ को पूछने के लिए उसके कमरे में गई तो राजनाथ वहां नहीं था फिर उसने घर के बाहर इधर-उधर देखा तो उसको नहीं मिला क्योंकि राजनाथ घर के बाहर गया हुआ था फिर शाम हो गई फिर वह रात का खाना बनाने में लग गई ।

फिर राजनाथ भी बाहर से घूम फिर के घर आ गया।

तब तक आरती ने अपना खाना भी बना लिया खाना बनाने के बाद वह राजनाथ और दादी को खाने के लिए बोली फिर दोनों ने आकर खाना खाया खाना खाने के बाद फिर वह दोनों अपने-अपने कमरे में चले गए सोने के लिए फिर आरती ने भी खाना खाया और खाना खाने के बाद फिर उसने दूध गर्म किया गरम करने के बाद दो गिलास में दूध लेकर वह राजनाथ के कमरे में गई और दूध रखते हुए उसने राजनाथ से बोली की अली जी आपका दूध जल्दी से पी लीजिए दूध रखने के बाद वह वापस रसोई में गई सरसों तेल लाने के लिए राजनाथ की मालिश करने के लिए फिर वह तेल लेकर वापस आई तो राजनाथ अभी भी सोया हुआ था तो वह राजनाथ से बोली बाबूजी दूध पी लीजिए नहीं तो फिर ठंडा हो जाएगा।

तो राजनाथ ने पूछा कि तुमने दूध पिया की नहीं।

तो आरती बोलता कि पहले आप तो पिजीए फिर मैं पियूंगी मैं अपना दूध लेकर आई हूँ।

फिर राजनाथ उठ कर बैठ जाता है तो आरती उसका दूध का गिलास उसको पीने के लिए देती है फिर वह दूध पीता है दूध पीने के बाद गिलास वापस उसको देता है और बोलता है तू भी अपना दूध पीले नहीं तो ठंडा हो जाएगा। फिर आरती भी अपना दूध पी लेती है।

दूध पीने के बाद वह राजनाथ से बोलती लाइए जलदी से पैर इधर कीजिए मालिश कर देती हूँ नहीं तो फिर हमको नींद आने लगेगी।

तो राजनाथ उसको बोलना है अरे अभी तुमने दूध पिया है थोड़ी देर बैठ तो ले उसके बाद मालिश वालिश करना।

तो फिर आरती बोलती ही नहीं बाबूजी मैं बैठूंगी नहीं अगर मैं बैठ गई तो फिर मुझे नींद आने लगेगी फिर मैं मालिश नहीं कर पाऊंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता है की अरे तो क्या हुआ अगर तुमको नींद आने लगेगी तो जाकर सो जाना एक दिन मेरी मालिश नहीं होगी तो मैं मर नहीं जाऊंगा और उसका हाथ पकड़ के उसको बेड पर बैठने का इशारा करता है।


फिर आरती ना चाहते हुए भी वह बैठ जाती है। तभी उसको याद आता है उस फल के बारे में जो राजनाथ बाजार से लेकर आया था फिर वह राजनाथ से पूछती है बाबूजी आप बाजार से फल क्यों लेकर आए।

तो राजनाथ बोलता है कि खाने के लिए लाया हूं और किस लिए लाउंगा वो तुम्हारे खाने के लिए है।

तो फिर आरती पूछती है मेरे खाने के लिए क्यों मुझे क्या हुआ जो मैं फल खाऊंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि वह इसलिए कि तुम्हारा पीरियड चालू है और पीरियड में बहुत सारा खून बाहर निकल जाता है जिससे तुमको कमजोरी महसूस होगी इसलिए तुमको फल खाना जरूरी है जिससे तुमको ताकत मिलेगा और तुम्हारा ब्लड भी बढ़ेगा।

तो आरती शरमाते हुए अपनी नज़रें नीचे करके बोलती है की आप मेरे बारे में इतना सोचते हैं।

तो राजनाथ बोलता क्यों क्यों नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में तुम मेरी एकलौती बेटी है और मैं नहीं सोचूंगा तो कौन सोचेगा तुम्हारा पति तो यहां है नहीं कि वह तुम्हारे बारे में सोंचेगा।

तभी राजनाथ बोलता है की ए लो जो बात तुमसे करनी थी वो तो मैं भूल ही गया मैं यह पूछ रहा हूं कि तुम वहां ससुराल कब जाओगी।


तो फिर आरती बोलती हैं क्यों मैं ससुराल क्यों जाऊंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता हैं क्यों तुमको पता नहीं है की क्यों जाना है डॉक्टर ने क्या बोला था कि पीरियड के बाद दवा चालू करना है।

तो फिर आरती बोलती है की हां मुझे तो याद है लेकिन आपने अपने दामाद को इस बारे में बताया ।


तो राजनाथ बोलता है कि हां मैंने आज दामाद जी को फोन किया था तो वह बोल रहे थे कि वो अभी घर में नहीं हैं किसी काम से बाहर मैं है और वो 10 15 दिन के बाद ही वापस आएंगे।

तो फिर आरती गुस्सा होते वह बोलती है कि तो फिर आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं कि जाओगी की नहीं जाओगी जब आपका दामाद घर में नहीं है तो मैं वहां जाकर क्या करूंगी।

तो राजनाथ बोलता है कि तो अब क्या कर सकते हैं तो अब इस महीना रहने दो अगले महीना से दवा चालू कर लेना ।

तो फिर आरती कुछ नहीं बोलती और बेड से उठकर तेल मालिश करने लगती है फिर कुछ देर तक दोनों चुपचाप रहते हैं फिर राजनाथ आरती को ऊपर से नीचे तक देखने लगता है फिर उसे पैंटी की बात याद आता है तो वह आरती से बोलता है की बेटा उसकी फिटिंग सही था या कुछ गड़बड़ था मेरा मतलब छोटा या बड़ा तो नहीं हुआ।

तो आरती समझ जाती है कि वह पैंटी के बारे में पूछ रहे हैं लेकिन अनजान बनते हुए बोलती है किसका फिटिंग।

तो राजनाथ बोलता है अरे उसी का जिसको लाने के लिए तुमने मुझे बाजार भेजा था मेरा मतलब है पैंटी का साइज मैं उस टाइम पूछना भूल गया और तुमने भी मुझे नहीं बताया फिर मुझे वहां जाकर लेने में दिक्कत हुई।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए पूछती है तो फिर आपने लिया कैसे।

तो फिर राजनाथ बोलता है कैसे लूंगा अंदाज से लेना पड़ा।

तो फिर आरती बोलती है वैसे आपका अंदाज़ काफी सही है।

तो फिर राजनाथ बोलता है क्या मतलब मैं समझा नहीं।

तो फिर आरती बोलती है कि आपका अंदाज है एकदम सही है और फिटिंग भी बहुत बढ़ियां है।

उसकी बात सुनकर राजनाथ मन ही मन बहुत खुश होता है फिर कुछ देर के बाद उसके मन में एक बात आती है और वह सोचता है की आरती ब्लाउज के अंदर ब्रा पहनती है कि, नहीं पहनती है मैंने तो कभी उसको पहने हुए नहीं देखा फिर वह मन में सोचता है कि पूछ कर देखता हूं क्या बोलती है।

तो वह आरती से बोलता है बेटा एक बात पूछूं गलत तो नहीं समझोगी।

तो आरती बोलती है क्या बात है बोलिए।

तो राजनाथ बोलता है नहीं रहने दो तुम खराब समझोगी।

तो फिर आरती बोलती है क्या बात है बोलिए तो सही खराब नहीं समझूंगी।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम अंदर में वो चीज नहीं पहनती क्या मेरा मतलब है ब्लाउज के अंदर में वो जो सब पहनती हैं।

तो आरती समझ जाती है कि बाबूजी ब्रा के बारे में पूछ रहे हैं तो वह मुस्कुराते हुए बोलती है कि मुझे तो पता नहीं है कि ब्लाउज के अंदर क्या पहनते हैं उसको क्या बोलते हैं मैंने कभी पहना ही नहीं है तो मैं कैसे बताऊंगी ।

तो राजनाथ उससे पछता हैं की क्या तुमने कभी नहीं पहना है उसको


तो फिर आरती बोलती है कि किसी ने मुझे लाकर दिया ही नहीं तो मैं कैसे पहनुगीं।

तो फिर राजनाथ बोलता हैं कि क्या दामाद जी ने भी कभी तुमको लाकर नहीं दिया तुमको दामाद जी से बोलना चाहिए की लाकर कर दीजिए हमको।

तो फिर आरती बोलती है कि उसने कभी हमसे पूछा ही नहीं तो मैं क्या बोलती।

तो फिर राजनाथ बोलता है कि अब लाकर देगा तो पहनोगी।

तो आरती बोलती है कि कौन लाकर देगा।

तो फिर राजनाथ बोलता है कोई भी ला कर दे अगर मैने ला कर दिया तो क्या पहनोगी।

तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि क्यों नहीं पहनूंगी आप लाकर देंगे तो जरूर पहनूंगी।

तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए कहता है ठीक है मैं कल ही जाकर ला दूंगा वैसे तुमने उसका नाम नहीं बताया।


तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्यों आपको उसका नाम नहीं पता।

तो राजनाथ भी मुस्कुराते हैं बोलता हैं मुझे कैसे पता होगा क्या मैं वो सब पहनता हूं जो मुझे पता रहेगा।

तो फिर आरती बोलती है तो क्या आपने भी कभी मेरी मां को लाकर नहीं दिया।


तो फिर राजनाथ बोलता है कि तुम्हारी मां वो सब पहनती ही नहीं थी मैंने उसे एक बार पूछा था तो उसने मना कर दिया था।

फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अगर आप उसका नाम नहीं जानते तो चलिए बाता देती हूँ उसको ब्रा कहते हैं ब्रा याद कर लीजिए नहीं तो कल वहां जाकर भूल जाना।

तो राजनाथ मुस्कुराते हुए बोलता है अरे भूल जाऊंगा तो क्या होगा किसी और से पूछ लूंगा किसी और से क्यों उस दुकानदार से ही पूछ लूंगा।।


आगे की कहानी अगले भाग में।
Interesting conversation between daughter and father. Slow and steady seduction.
 
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Rajug8804

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भाग 12

फिर सुबह जब आरती सो कर उठी और उठकर आंगन मे आई तो उसने देखा की साँढ़ और बछिया दोनों एक ही जगह पर बैठे हुए हैं फिर आरती को देखने के बाद बछिया उठकर खड़ी हो गई तो आरती ने उसे बछिया को गौर से देखा तो उसको देखकर ऐसा लगा कि जब कोई लड़की की शादी होती है और शादी के बाद सुहागरात मानती है सुहागरात मनाने के बाद सुबह उसकी जो हालत होती है जैसे बिखरे हुए बाल पूरा मेकअप उतरा हुआ उसके होंठ के लिपस्टिक पूरे गाल में लेशराया आया हुआ बिल्कुल उसी तरह की हालत बछिया की लग रही थी।

साँढ़ ने कल शाम से लेकर आज सुबह तक उसके साथ जो किया था उसका निशान बछिया के पूरे शरीर में दिख रहा था साँढ़ के लंड का पानी का छींटा उसके शरीर में जो पड़ा था उससे उसका शरीर पूरा लट लट हो गया था और साँढ़ जो अभी तक बैठा हुआ था वह भी उठकर खड़ा हो गया और खड़ा होते ही उसने फिर से बछिया के पीछे गया और उसकी बुर को मुंह लगाकर सुंघने लगा और बछिया भी अपना पूछ उठाकर उसको अच्छी तरह से सुंघने दे रही थी जब आरती ने बछिया की बुर को देखा तो वह देखते ही चौंक गई क्योंकि बछिया की बुर बहुत ज्यादा फूल गई थी और उसे हल्का-हल्का पानी भी चू रहा था और साँढ़ उसको अपने मुंह से हल्का-हल्का रगड़ते हुए सुंघ

रहा था, तभी बछिया ने अपना पीछे का पैर दोनों हल्का फैलाया और थोड़ा नीचे झुक कर पेशाब करने लगी तभी साँढ़ ने अपना मुंह उसके नीचे लगाया और उसकी पेशाब को अपने मुंह और नाक में भरके और मुंह ऊपर करके सुंघने लगा, और यह सब देखकर आरती को भी अच्छा लग रह था।

फिर राजनाथ भी सो के उठ गया और उठकर के आंगन में आया तो उसको देखते ही आरती वहां से भाग गई और जाकर अपने काम में लग गई।

फिर राजनाथ बाथरूम में शौचालय करने के लिए चला गया फिर शौचालय से बाहर आने के बाद वह बाहर टहलने के लिए जा रहा था तो उसने सोचा कि सांड को भी साथ में ही लेकर चलता हूं उसको उधर ही छोड़ दूंगा, फिर वह हाथ में छड़ी लेकर साँढ़ को बाहर निकालने के लिए गया तो वह अभी भी जाने के लिए तैयार नहीं था तो जब राजनाथ ने उसके साथ जबरदस्ती की तब जाकर वह जाने के लिए तैयार हुआ और फिर बाहर चला गया।

फिर कुछ घंटे के बाद राजनाथ बाहर से घूम फिर क्या आया तो आरती घर में नाश्ता बना रही थी, फिर वह बाहर आई तो राजनाथ को देख कर बोली बाबूजी आप आ गए आप मुह हांथ धो लीजिए तब तक मैं नाश्ता रेडी करती हूं ।

फिर राजनाथ मुह हांथ धोने चला गया फिर वह मुह हांथ धो करके आया और आ के बरामदे में चौकी पर बैठ गया फिर कुछ देर बैठने के बाद उसने आरती को आवाज लगाई और बोला बेटा आरती मैने मुह हांथ धो लिया है अगर नाश्ता हो गया हो तो ले आओ।

तभी आरती ने अंदर से जवाब दीया जी बाबूजी अभी लेकर आती हूं।

जब तक आरती नाश्ता लेकर आती तभी राजनाथ की नजर आंगन में बंधी बछिया के ऊपर गई जो अभी भी वही बंधी हुई फिर उसने बछिया को गौर से देखने लगा और उसको देखकर मुस्कुराने लगा फिर उसने घर के अंदर रसोई जिधर था उधर देखने लगा तो उसने देखा की आरती नाश्ता लेकर आ रही तभी उसके मन में एक शरारत सूझी, और जैसे ही आरती उसके करीब आई नाश्ता देने के लिए तो राजनाथ ने बछिया की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला कि लगता है साँढ़ ने अपना काम बहुत अच्छे से किया है, मेरा मतलब है खेत की जुताई बहुत अच्छे से की है और लगता है कि खेत के हिसाब से उसमें बी कुछ ज्यादा ही डाल दिया है इसलिए बह के सब बाहर आ रहा है । यह बात बोलकर वह उसकी तरफ देखा है।


तो आरती अपना मुंह छुपा कर शरमाते हुए वहां से जाने लगती है और वह समझ जाती है कि बाबूजी क्या बोल रहे हैं।

और राजनाथ मुस्कुराते हुए उसको जाते हुए पीछे से देख रहा था और मुस्कुराने लगा और वह समझ गया की आरती को भी मेरी बात समझ में आ गई फिर वह नाश्ता करने लगा फिर नाश्ता करने के बाद कुछ देर आराम करने लगा।


फिर कुछ देर के बाद आरती उसके पास आई और बोलि बाबूजी आज आप बाजार जाएंगे क्या , तो राजनाथ उसकी तरफ देखते हुए बोला नहीं बेटा आज तो बाजार जाने का नहीं है क्यों क्या हुआ कुछ काम है क्या मेरा मतलब कुछ मंगवाने का है क्या।

तो आरती अपनी नज़रें नीचे करते हुए बोलत नहीं कुछ खास काम नहीं था मैं सोच रही थी की सायद आज आप बाजार जाएंगे इसलिए मैं पूछ रही थी।

तो राजनाथ समझ गया कि जरूर कुछ काम है तभी पूछ रही है तो राजनाथ ने फिर से उसको पूछा बेटा बताओ कुछ काम है क्या अगर कुछ मंगवाना है तो बोलो मैं जाकर ले आऊंगा।

तो आरती शरमाते हुए धीरे से बोलती है जी, जिओ, मे, मेरा पीरियड चालू हो गया है , और मेरे पास पीरियड में लेने के लिए पैड नहीं है इसलिए मैं आपसे पूछ रही थी ला देंगे क्या।

तो राजनाथ बोलता है की अरे इसमें पूछने वाली क्या बात तुम सीधे-सीधे हमको बोल सकती थी कि बाबूजी यह चीज लाना है ला दीजिए तो इसमें शर्माने की क्या बात है ठीक है मैं अभी जाकर के ला देता हूं , तो राजनाथ फिर से बोलता है कि और कुछ मंगवाना है क्या ।

तो आरती बोलती है कि जी एक चीज और मंगवाना है।

तो राजनाथ बोलता है कि हां बोल ना और क्या चीज मंगवाना है।

तो आरती फिर से शरमाते हुए बोलती है कि जी मेरा दो पीस पैंटी भी ला दीजिएगा।

तो राजनाथ बोलता है ठीक है ला दूंगा और कुछ ।
तो फिर आरती बोलती है की जी बस और कुछ नहीं।

फिर राजनाथ उठकर अपना कपड़ा पहना है तैयार होकर वह मार्केट चला गया लाने के लिए फिर वह मार्केट पहुंचकर एक मेडिसिन स्टोर पर गया लेने के लिए तो उसने देखा कि उसे दुकान पर कुछ ज्यादा ग्राहक थे तो उसको पैड मांगने में शर्म आ रही थी इसको यह सोचकर शर्म आ रही थी कि अगर मैंने पैड मांगा तो वह लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे कि बुढा इस उम्र में पैड किसके लिए खरीद रहा है लगता है नई-नई शादी की है । क्योंकि पहली बीवी तो इसकी जवान तो होगी नहीं जो उसके लिए खरीदेगा लगता है इसकी पहली बीवी मर गई होगी तो इसने दोबारा शादी की है ।

राजनाथ को यह सब सोंच कर बहुत शर्म आ रही थी और वह दुकानदार को कुछ बोल नहीं पा रहा था फिर कुछ देर खड़ा रहने के बाद उसने सोचा कि अभी रहने देता हूं पहले पैंटी जाकर खरीद लेता हूं उसके बाद आकर देखूंगा अगर भीड़ कम हुई तो लूंगा नहीं तो दूसरे दुकान में जाकर देखूंगा।

यह सोचकर वह वापस आया और फिर वह एक कपड़े के दुकान में गया जहां और कोई ग्राहक नहीं था फिर वह दुकान के अंदर गया और अंदर जाने के बाद कुछ सेकंड खड़ा रहा और अपनी नजर इधर-उधर दौड़ा कर देखने लगा कि कहीं पैंटी नजर आ रही है क्या।

तो फिर दुकानदार ने उसको देखकर पूछा जी भाई साहब बोलिए क्या लेना है आपको दुकानदार भी उसी की उम्र का था इसलिए राजनाथ ने भी कोई संकोच नहीं की और उसने बोला कि जी हमको लेडिस के लिए कपड़े चाहिए ।

तो दुकानदार ने पूछा जी बोलिए कौन से कपड़े चाहिए आपको ।

तो फिर राजनाथ ने बोला कि जी हमको दो पीस पैंटी चाहिए।

तो फिर दुकानदार ने पूछा की आपको कैसी पेटी चाहिए नार्मल में चाहिए या अच्छी क्वालिटी का चाहिए मेरा मतलब है कम दाम वाला चाहिए कि जयादा दाम वाला चाहिए।

तो फिर राजनाथ ने बोला कि जी नहीं अच्छा वाला दीजिए आप दाम की फिक्र मत कीजिए जितना भी दाम होगा हम देंगे।

तो दुकानदार ने बोला कि जी इसलिए पूछना पड़ता है कि बहुत से ग्राहक सस्ता वाला खोजते हैं हर ग्रहांक आपकी तरह समझदार नहीं होता कुछ लोग समझते हैं कि ज्यादा दाम वाला लेकर क्या फायदा अंदर में ही तो पहनना है उसको कौन देखने वाला लेकिन वह यह नहीं समझ पाते की कपड़ा अंदर का हो या बाहर का आप जितना अच्छा कपड़ा अपनी बीवी को पहनाएंगे उतना ही बीवी आपको ज्यादा प्यार करेगी और ज्यादा आपको खुश रहेगी लेकिन कुछ लोग यह बात नहीं समझ पाते।

फिर दुकानदार ने एक डब्बा निकाला जिसमें बहुत कलर की पैंटी थी।

दुकानदार ने बोला ऐ लीजिए जी कौन सा कलर का लेना है ले लीजिए।

फिर दुकानदार में पूछा कि अपने साइज तो बताया ही नहीं कितनी साइज की चाहिए आपको ।

यह बात सुनते ही राजनाथ चौक गया और सोचने लगा कि मैंने तो पैंटी की साइज पूछी ही नहीं अब मैं क्या करूंगा फिर उसने कहा कि जी मुझे साइज तो मालूम नहीं है।

तो फिर दुकानदार ने बोला कि आपने पहले तो खरीदा होगा ना आपको तो याद होनी चाहिए साइज क्या है अगर आपको अपनी बीवी का साइज का पता नहीं होगा तो क्या दूसरे को पता होगा।

अब राजनाथ भी सोंच में पड़ गया कि इसको क्या जवाब दूं कि मैं अपनी बीवी के लिए नहीं मैं अपनी बेटी के लिए खरीद रहा हूं फिर उसने अपनी बेटी आरती को याद करते हुए सोचने लगा कि उसको कितनी साइज की बन सकती है फिर उसने अंदाजा लगाया कि वो जितनी पतली दुबली है उस हिसाब से 32 से ज्यादा नहीं होगी उसकी साइज फिर उसने दुकानदार से बोला कि जी 32 का दे दीजिए 32 का उसको बनता है।

तो दुकानदार ने फिर से उसको पूछा और बोला कि आप सायज भूल तो नहीं रहे क्योंकि 32 बहुत छोटी साइज है क्योंकि 32 सायज तो लड़कियों के लिए होती है।

तो राजनाथ में बात को संभालते हुए बोला कि जियो बहुत पतली दुबली है आप टेंशन मत लीजिए आप 32 साइज की दे दीजिए।


तो दुकानदार ने पूछा कि कौन सा कलर का लेना है तो राजनाथ ने बोला कि की सफेद कलर की दे दीजिए फिर उसने दो सफेद कलर की पैंटी ली और फिर और वहां से निकल गया फिर वह एक दवा दुकान में गया जहां कोई और ग्राहक नहीं था तो उसने बोला की जि हमको एक पैकेट पैड दे दीजिए।

फिर दुकानदार ने उसको एक पैकेट पैड़ दिया और वह लेकर वहां से निकल गया फिर वहां से कुछ दूर और जाने के बाद वह एक फल दुकान में गया और वहां से उसने कुछ फल फ्रूट लिए और फिर वापस घर आने के लिए निकल गया।

इधर आरती यह सोच कर शर्मा रही थी कि आज मैंने बाबूजी को वह सब लाने के लिए बोल दिया वह मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे कि मेरी बेटी मुझे अपनी पैंटी और पैड खरीदने के लिए भेज दिया।

फिर कुछ देर के बाद राजनाथ घर आ गया और वह सब समान आरती को दे दिया।

फिर आरती वह सब सामान लेकर घर के अंदर चली गई फिर वह उसमें से एक पैंटी और पैड निकाल कर बाथरूम में चेंज करने के लिए जा रही थी तो राजनाथ उसको उधर जाते हुए देख कर समझ गया की आरती मेरा लाया हुआ पैंटी और पैड पहनने जा रही है यह सोचकर वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था तभी उसके पजामे के अंदर में सोया हुआ उसका लंड महाराज अपना मुंडी धीरे-धीरे उठाने लगा था राजनाथ यह सब सोच रहा था तब तक आरती बाथरूम में चली गई

राजनाथ उसको जाने के बाद उसने अपना हाथ पजामे के ऊपर से ही अपने लंड पर चलाने लगा और जैसे ही उसका हाथ उसके लंड को छुआ वह सन सना के खड़ा हो गया और झटका मारने लगा मानो कह रहा हो कि मुझे उस छोटे से बिल का दर्शन कराओ मुझे उसने घुसना है राजनाथ भी उसको कंट्रोल नहीं कर पा रहा था तो वह अपने कमरे में गया और अपना पजामे का नारा खोल दिया और अपने लंड को पूरी तरह से आजाद कर दिया उसके कमरे में पूरा अंधेरा था तो वह दरवाजे के पीछे खड़े हो कर आरती को देखने लगा की वह बाथरूम से कब बाहर आएगी और अब तक उसका लंड भी पूरे जोश में आ चुका था और वह अपना मूंडी बार-बार झटका मारते हुए ऊपर नीचे कर रहा था और राजनाथ भी रह रह के अपना हाथ से उसको सहला देता है जिससे वह और जोश में आ जाता है।

फिर राजनाथ के मन मे यह सवाल आने लगते हैं और वह सोचने लगता हैं कि क्या यह सब सही है जो मैं अपनी बेटी के बारे में सोच रहा हूँ नहीं मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था और वह अपने आप को समझाने लगता है कि मैं अपनी बेटी के साथ यह सब नहीं कर सकता और यह सब सोचते ही उसका लंड भी धीरे-धीरे शांत होने लगता है और वह पूरी तरह से शांत हो जाता फिर वह अपने पैजामे को ऊपर उठाकर बांध लेता है जब तक आरती बाथरूम से बाहर आती उससे पहले राजनाथ घर से निकल कर कहीं बाहर घूमने के लिए चला जाता है।

आगे की कहानी अगले भाग।




Mast bhai tumhari soch ko salam
 
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