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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

Tri2010

Well-Known Member
2,007
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भाग 12

फिर सुबह जब आरती सो कर उठी और उठकर आंगन मे आई तो उसने देखा की साँढ़ और बछिया दोनों एक ही जगह पर बैठे हुए हैं फिर आरती को देखने के बाद बछिया उठकर खड़ी हो गई तो आरती ने उसे बछिया को गौर से देखा तो उसको देखकर ऐसा लगा कि जब कोई लड़की की शादी होती है और शादी के बाद सुहागरात मानती है सुहागरात मनाने के बाद सुबह उसकी जो हालत होती है जैसे बिखरे हुए बाल पूरा मेकअप उतरा हुआ उसके होंठ के लिपस्टिक पूरे गाल में लेशराया आया हुआ बिल्कुल उसी तरह की हालत बछिया की लग रही थी।

साँढ़ ने कल शाम से लेकर आज सुबह तक उसके साथ जो किया था उसका निशान बछिया के पूरे शरीर में दिख रहा था साँढ़ के लंड का पानी का छींटा उसके शरीर में जो पड़ा था उससे उसका शरीर पूरा लट लट हो गया था और साँढ़ जो अभी तक बैठा हुआ था वह भी उठकर खड़ा हो गया और खड़ा होते ही उसने फिर से बछिया के पीछे गया और उसकी बुर को मुंह लगाकर सुंघने लगा और बछिया भी अपना पूछ उठाकर उसको अच्छी तरह से सुंघने दे रही थी जब आरती ने बछिया की बुर को देखा तो वह देखते ही चौंक गई क्योंकि बछिया की बुर बहुत ज्यादा फूल गई थी और उसे हल्का-हल्का पानी भी चू रहा था और साँढ़ उसको अपने मुंह से हल्का-हल्का रगड़ते हुए सुंघ

रहा था, तभी बछिया ने अपना पीछे का पैर दोनों हल्का फैलाया और थोड़ा नीचे झुक कर पेशाब करने लगी तभी साँढ़ ने अपना मुंह उसके नीचे लगाया और उसकी पेशाब को अपने मुंह और नाक में भरके और मुंह ऊपर करके सुंघने लगा, और यह सब देखकर आरती को भी अच्छा लग रह था।

फिर राजनाथ भी सो के उठ गया और उठकर के आंगन में आया तो उसको देखते ही आरती वहां से भाग गई और जाकर अपने काम में लग गई।

फिर राजनाथ बाथरूम में शौचालय करने के लिए चला गया फिर शौचालय से बाहर आने के बाद वह बाहर टहलने के लिए जा रहा था तो उसने सोचा कि सांड को भी साथ में ही लेकर चलता हूं उसको उधर ही छोड़ दूंगा, फिर वह हाथ में छड़ी लेकर साँढ़ को बाहर निकालने के लिए गया तो वह अभी भी जाने के लिए तैयार नहीं था तो जब राजनाथ ने उसके साथ जबरदस्ती की तब जाकर वह जाने के लिए तैयार हुआ और फिर बाहर चला गया।

फिर कुछ घंटे के बाद राजनाथ बाहर से घूम फिर क्या आया तो आरती घर में नाश्ता बना रही थी, फिर वह बाहर आई तो राजनाथ को देख कर बोली बाबूजी आप आ गए आप मुह हांथ धो लीजिए तब तक मैं नाश्ता रेडी करती हूं ।

फिर राजनाथ मुह हांथ धोने चला गया फिर वह मुह हांथ धो करके आया और आ के बरामदे में चौकी पर बैठ गया फिर कुछ देर बैठने के बाद उसने आरती को आवाज लगाई और बोला बेटा आरती मैने मुह हांथ धो लिया है अगर नाश्ता हो गया हो तो ले आओ।

तभी आरती ने अंदर से जवाब दीया जी बाबूजी अभी लेकर आती हूं।

जब तक आरती नाश्ता लेकर आती तभी राजनाथ की नजर आंगन में बंधी बछिया के ऊपर गई जो अभी भी वही बंधी हुई फिर उसने बछिया को गौर से देखने लगा और उसको देखकर मुस्कुराने लगा फिर उसने घर के अंदर रसोई जिधर था उधर देखने लगा तो उसने देखा की आरती नाश्ता लेकर आ रही तभी उसके मन में एक शरारत सूझी, और जैसे ही आरती उसके करीब आई नाश्ता देने के लिए तो राजनाथ ने बछिया की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला कि लगता है साँढ़ ने अपना काम बहुत अच्छे से किया है, मेरा मतलब है खेत की जुताई बहुत अच्छे से की है और लगता है कि खेत के हिसाब से उसमें बी कुछ ज्यादा ही डाल दिया है इसलिए बह के सब बाहर आ रहा है । यह बात बोलकर वह उसकी तरफ देखा है।


तो आरती अपना मुंह छुपा कर शरमाते हुए वहां से जाने लगती है और वह समझ जाती है कि बाबूजी क्या बोल रहे हैं।

और राजनाथ मुस्कुराते हुए उसको जाते हुए पीछे से देख रहा था और मुस्कुराने लगा और वह समझ गया की आरती को भी मेरी बात समझ में आ गई फिर वह नाश्ता करने लगा फिर नाश्ता करने के बाद कुछ देर आराम करने लगा।


फिर कुछ देर के बाद आरती उसके पास आई और बोलि बाबूजी आज आप बाजार जाएंगे क्या , तो राजनाथ उसकी तरफ देखते हुए बोला नहीं बेटा आज तो बाजार जाने का नहीं है क्यों क्या हुआ कुछ काम है क्या मेरा मतलब कुछ मंगवाने का है क्या।

तो आरती अपनी नज़रें नीचे करते हुए बोलत नहीं कुछ खास काम नहीं था मैं सोच रही थी की सायद आज आप बाजार जाएंगे इसलिए मैं पूछ रही थी।

तो राजनाथ समझ गया कि जरूर कुछ काम है तभी पूछ रही है तो राजनाथ ने फिर से उसको पूछा बेटा बताओ कुछ काम है क्या अगर कुछ मंगवाना है तो बोलो मैं जाकर ले आऊंगा।

तो आरती शरमाते हुए धीरे से बोलती है जी, जिओ, मे, मेरा पीरियड चालू हो गया है , और मेरे पास पीरियड में लेने के लिए पैड नहीं है इसलिए मैं आपसे पूछ रही थी ला देंगे क्या।

तो राजनाथ बोलता है की अरे इसमें पूछने वाली क्या बात तुम सीधे-सीधे हमको बोल सकती थी कि बाबूजी यह चीज लाना है ला दीजिए तो इसमें शर्माने की क्या बात है ठीक है मैं अभी जाकर के ला देता हूं , तो राजनाथ फिर से बोलता है कि और कुछ मंगवाना है क्या ।

तो आरती बोलती है कि जी एक चीज और मंगवाना है।

तो राजनाथ बोलता है कि हां बोल ना और क्या चीज मंगवाना है।

तो आरती फिर से शरमाते हुए बोलती है कि जी मेरा दो पीस पैंटी भी ला दीजिएगा।

तो राजनाथ बोलता है ठीक है ला दूंगा और कुछ ।
तो फिर आरती बोलती है की जी बस और कुछ नहीं।

फिर राजनाथ उठकर अपना कपड़ा पहना है तैयार होकर वह मार्केट चला गया लाने के लिए फिर वह मार्केट पहुंचकर एक मेडिसिन स्टोर पर गया लेने के लिए तो उसने देखा कि उसे दुकान पर कुछ ज्यादा ग्राहक थे तो उसको पैड मांगने में शर्म आ रही थी इसको यह सोचकर शर्म आ रही थी कि अगर मैंने पैड मांगा तो वह लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे कि बुढा इस उम्र में पैड किसके लिए खरीद रहा है लगता है नई-नई शादी की है । क्योंकि पहली बीवी तो इसकी जवान तो होगी नहीं जो उसके लिए खरीदेगा लगता है इसकी पहली बीवी मर गई होगी तो इसने दोबारा शादी की है ।

राजनाथ को यह सब सोंच कर बहुत शर्म आ रही थी और वह दुकानदार को कुछ बोल नहीं पा रहा था फिर कुछ देर खड़ा रहने के बाद उसने सोचा कि अभी रहने देता हूं पहले पैंटी जाकर खरीद लेता हूं उसके बाद आकर देखूंगा अगर भीड़ कम हुई तो लूंगा नहीं तो दूसरे दुकान में जाकर देखूंगा।

यह सोचकर वह वापस आया और फिर वह एक कपड़े के दुकान में गया जहां और कोई ग्राहक नहीं था फिर वह दुकान के अंदर गया और अंदर जाने के बाद कुछ सेकंड खड़ा रहा और अपनी नजर इधर-उधर दौड़ा कर देखने लगा कि कहीं पैंटी नजर आ रही है क्या।

तो फिर दुकानदार ने उसको देखकर पूछा जी भाई साहब बोलिए क्या लेना है आपको दुकानदार भी उसी की उम्र का था इसलिए राजनाथ ने भी कोई संकोच नहीं की और उसने बोला कि जी हमको लेडिस के लिए कपड़े चाहिए ।

तो दुकानदार ने पूछा जी बोलिए कौन से कपड़े चाहिए आपको ।

तो फिर राजनाथ ने बोला कि जी हमको दो पीस पैंटी चाहिए।

तो फिर दुकानदार ने पूछा की आपको कैसी पेटी चाहिए नार्मल में चाहिए या अच्छी क्वालिटी का चाहिए मेरा मतलब है कम दाम वाला चाहिए कि जयादा दाम वाला चाहिए।

तो फिर राजनाथ ने बोला कि जी नहीं अच्छा वाला दीजिए आप दाम की फिक्र मत कीजिए जितना भी दाम होगा हम देंगे।

तो दुकानदार ने बोला कि जी इसलिए पूछना पड़ता है कि बहुत से ग्राहक सस्ता वाला खोजते हैं हर ग्रहांक आपकी तरह समझदार नहीं होता कुछ लोग समझते हैं कि ज्यादा दाम वाला लेकर क्या फायदा अंदर में ही तो पहनना है उसको कौन देखने वाला लेकिन वह यह नहीं समझ पाते की कपड़ा अंदर का हो या बाहर का आप जितना अच्छा कपड़ा अपनी बीवी को पहनाएंगे उतना ही बीवी आपको ज्यादा प्यार करेगी और ज्यादा आपको खुश रहेगी लेकिन कुछ लोग यह बात नहीं समझ पाते।

फिर दुकानदार ने एक डब्बा निकाला जिसमें बहुत कलर की पैंटी थी।

दुकानदार ने बोला ऐ लीजिए जी कौन सा कलर का लेना है ले लीजिए।

फिर दुकानदार में पूछा कि अपने साइज तो बताया ही नहीं कितनी साइज की चाहिए आपको ।

यह बात सुनते ही राजनाथ चौक गया और सोचने लगा कि मैंने तो पैंटी की साइज पूछी ही नहीं अब मैं क्या करूंगा फिर उसने कहा कि जी मुझे साइज तो मालूम नहीं है।

तो फिर दुकानदार ने बोला कि आपने पहले तो खरीदा होगा ना आपको तो याद होनी चाहिए साइज क्या है अगर आपको अपनी बीवी का साइज का पता नहीं होगा तो क्या दूसरे को पता होगा।

अब राजनाथ भी सोंच में पड़ गया कि इसको क्या जवाब दूं कि मैं अपनी बीवी के लिए नहीं मैं अपनी बेटी के लिए खरीद रहा हूं फिर उसने अपनी बेटी आरती को याद करते हुए सोचने लगा कि उसको कितनी साइज की बन सकती है फिर उसने अंदाजा लगाया कि वो जितनी पतली दुबली है उस हिसाब से 32 से ज्यादा नहीं होगी उसकी साइज फिर उसने दुकानदार से बोला कि जी 32 का दे दीजिए 32 का उसको बनता है।

तो दुकानदार ने फिर से उसको पूछा और बोला कि आप सायज भूल तो नहीं रहे क्योंकि 32 बहुत छोटी साइज है क्योंकि 32 सायज तो लड़कियों के लिए होती है।

तो राजनाथ में बात को संभालते हुए बोला कि जियो बहुत पतली दुबली है आप टेंशन मत लीजिए आप 32 साइज की दे दीजिए।

तो दुकानदार ने पूछा कि कौन सा कलर का लेना है तो राजनाथ ने बोला कि की सफेद कलर की दे दीजिए फिर उसने दो सफेद कलर की पैंटी ली और फिर और वहां से निकल गया फिर वह एक दवा दुकान में गया जहां कोई और ग्राहक नहीं था तो उसने बोला की जि हमको एक पैकेट पैड दे दीजिए।

फिर दुकानदार ने उसको एक पैकेट पैड़ दिया और वह लेकर वहां से निकल गया फिर वहां से कुछ दूर और जाने के बाद वह एक फल दुकान में गया और वहां से उसने कुछ फल फ्रूट लिए और फिर वापस घर आने के लिए निकल गया।

इधर आरती यह सोच कर शर्मा रही थी कि आज मैंने बाबूजी को वह सब लाने के लिए बोल दिया वह मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे कि मेरी बेटी मुझे अपनी पैंटी और पैड खरीदने के लिए भेज दिया।

फिर कुछ देर के बाद राजनाथ घर आ गया और वह सब समान आरती को दे दिया।

फिर आरती वह सब सामान लेकर घर के अंदर चली गई फिर वह उसमें से एक पैंटी और पैड निकाल कर बाथरूम में चेंज करने के लिए जा रही थी तो राजनाथ उसको उधर जाते हुए देख कर समझ गया की आरती मेरा लाया हुआ पैंटी और पैड पहनने जा रही है यह सोचकर वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था तभी उसके पजामे के अंदर में सोया हुआ उसका लंड महाराज अपना मुंडी धीरे-धीरे उठाने लगा था राजनाथ यह सब सोच रहा था तब तक आरती बाथरूम में चली गई

राजनाथ उसको जाने के बाद उसने अपना हाथ पजामे के ऊपर से ही अपने लंड पर चलाने लगा और जैसे ही उसका हाथ उसके लंड को छुआ वह सन सना के खड़ा हो गया और झटका मारने लगा मानो कह रहा हो कि मुझे उस छोटे से बिल का दर्शन कराओ मुझे उसने घुसना है राजनाथ भी उसको कंट्रोल नहीं कर पा रहा था तो वह अपने कमरे में गया और अपना पजामे का नारा खोल दिया और अपने लंड को पूरी तरह से आजाद कर दिया उसके कमरे में पूरा अंधेरा था तो वह दरवाजे के पीछे खड़े हो कर आरती को देखने लगा की वह बाथरूम से कब बाहर आएगी और अब तक उसका लंड भी पूरे जोश में आ चुका था और वह अपना मूंडी बार-बार झटका मारते हुए ऊपर नीचे कर रहा था और राजनाथ भी रह रह के अपना हाथ से उसको सहला देता है जिससे वह और जोश में आ जाता है।

फिर राजनाथ के मन मे यह सवाल आने लगते हैं और वह सोचने लगता हैं कि क्या यह सब सही है जो मैं अपनी बेटी के बारे में सोच रहा हूँ नहीं मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था और वह अपने आप को समझाने लगता है कि मैं अपनी बेटी के साथ यह सब नहीं कर सकता और यह सब सोचते ही उसका लंड भी धीरे-धीरे शांत होने लगता है और वह पूरी तरह से शांत हो जाता फिर वह अपने पैजामे को ऊपर उठाकर बांध लेता है जब तक आरती बाथरूम से बाहर आती उससे पहले राजनाथ घर से निकल कर कहीं बाहर घूमने के लिए चला जाता है।

आगे की कहानी अगले भाग।




Nice update
 
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Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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695 (अनाम/गुमनाम) भाई जी, आपके लेखन में एक इंद्रजाल (जादू) है। मैंने पहले भी कहा है कि इस थ्रेड पर आकर और आपके लेखन को पढ़कर मुझे अपने किसी पुराने लेखक मित्र कि याद आती है। और ऐसा भी जान पड़ता है कि यह कथानक आपके लेखन कौशल का प्रथम प्रयास नहीं है।

देवनागरी लिपि में व्याकरण का बड़ा महत्व है। आपके लेखन कौशल से आपके लेखन ज्ञान का पता चलता है।

कथानक का भाव (पिता और पुत्री का प्रेम और कामुकता) मौलिक नहीं है परन्तु सभी लेखकों का अपना कुछ अलग लिखने का प्रयास हि लेखन को मौलिक एवं सार्थक बनाता है।

यह एक गहन तथ्य है कि ऐसी कामुक साइट पर लेखक / पाठक अपने असली नाम को न लिखकर किसी और नाम (Ghost Writer) से लिखते हैं। ताकि कोई उन्हें न पहचाने और उनके बारे में जानकारी न निकाल सके।

परन्तु निवेदन है कि कृपया आप इस देवनागरी लिपि में लिखे शानदार कथानक में कुछ स्वयं के बारे में जानकारी दें और ६९५ (Pen Name) का रहस्य भी बताएं।


SANJU ( V. R. ) भाई, komaalrani , avsji भाई एवं सभी मूर्धन्य लेखकों से अनुरोध है कि इस थ्रेड पर आकर कथानक एवं लेखक जी के लिए कुछ विचार रखें।

धन्यवाद
जय जय
 
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