भाग 5
डॉक्टर ने आरती से पूछा कि आप कितने अंतराल के बाद सेक्स करते हो।
आरती अपने बाप के सामने यह सब बताने में शर्मा रही थी। तो फिर डॉक्टर ने अपना तरीका अपनाया और वह राजनाथ को वही बगल में एक रूम था उसमें जाकर बैठने के लिए बोला।
फिर राजनाथ वहां से उठकर बगल वाले रूम में जाकर बैठ गया फिर डॉक्टर ने आरती से बोला अब तुम्हारी बात यहां कोई नहीं सुनेगा इसलिए अब मैं जो भी तुमसे पूछ रहा हूं उसका सही-सही जवाब दो।
और एक बात आप लोग भी समझ गए होंगे कि डॉक्टर को अभी तक यह नहीं पता है की आरती और राजनाथ दोनों बाप बेटी है वह दोनों को पति पत्नी समझ रही है।
दूसरी तरफ आरती और राजनाथ को भी पता नहीं है कि डॉक्टर उन दोनों को पति-पत्नी समझ रही है।
तो डॉक्टर ने बोला कि डेली मिलते हो कि छोड़ छोड़कर मिलते हो। तो आरती ने जवाब दिया कि जी छोड़ छोड़ कर मिलते हैं।
तो डॉक्टर ने पूछा कितने दिन के बाद।
तो आरती ने जवाब दिया जी चार-पांच दिन के बाद कभी-कभी एक हफ्ता भी हो जाता है ।
तो फिर डॉक्टर ने पूछा कि चार-पांच दिन के बाद मिलते हो तो रात में एक ही बार मिलते की दोबारा भी मिलते हो।
तो आरती ने जवाब दिया की जी एक ही बार मिलते हैं।
तो फिर से डॉक्टर ने पूछा की कितनी देर तक मिलते हो मेरा मतलब है तुम्हारे पति का पानी कितना देर में छूटता है।
आरती को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे आरती कुछ बोलती इससे पहले डॉक्टर ने फिर से पूछा बताओ कितना देर चलता है 10 मिनट 15 मिनट 20 मिनट आधा घंटा बताओ तो तो आरती ने जवाब दिया कि जी 5 मिनट तक ही चलता है तो फिर डॉक्टर भी हैरान होते हुए बोली की क्या सिर्फ 5 मिनट ही चलता है ऐसे कैसे काम चलेगा हफ्ते में एक बार मिलोगे और सिर्फ 5 मिनट ही करोगे तो कैसे बच्चा रहेगा।
डॉक्टर ने फिर आरती से पूछा कि तुम्हारा पानी छूटता है कि नहीं। तो आरती ने जवाब दिया कि जी नहीं तो डॉक्टर ने कहा कि जब तुम्हारा पानी छूटेगा ही नहीं तो शुक्राणु गर्भ के अंदर कैसे जाएगा आरती कुछ बोल नहीं पाई और चुपचाप सुन रही थी तभी डॉक्टर ने फिर से पूछा कि तुम्हारा पति का वीर्य जो गिरता है वह गाढा़ रहता है कि पतला रहता है मेरा मतलब है घी के जैसा रहता है या उसे पतला रहता है।
तो आरती ने जवाब दिया की जी पतला रहता है तो डॉक्टर ने बोला कि पतला रहता है तो लिंग बाहर आते ही वह भी सब बाहर आ जाता होगा आता है कि नहीं तो आरती ने जवाब दिया कि जी सब बाहर आ जाता है।
इधर यह सब बात इन दोनों के बीच में हो रही थी और उधर राजनाथ कमरे में बैठकर यह सब बात सुन रहा था क्योंकि वह जिस रूम में बैठा था वहां एक स्पीकर लगा हुआ था जिससे उसको यह सब बात सुनाई दे रहा था क्योंकि जब किसी को एक दूसरे के सामने बात बताने में शर्म आती है तो यह तरीका वह लोग अपनाते हैं ताकि जब बाद में उससे पूछा जाए इस बारे में तो सही से बता सके उधर राजनाथ को यह सब बात सुनकर अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और दूसरी तरफ उसे मजा भी आ रहा था अपनी बेटी की सीक्रेट बातें सुनकर और वो यह भी समझ रहा था रहा था कि मुझे यहां आरती की बात सुनने के लिए बिठाया है लेकिन क्यों मैं तो उसका पति नहीं हूं तो मुझे क्यों सुना रहे हैं कहीं यह तो नहीं की डॉक्टर मुझे उसका पति समझ रही है अगर ऐसा है तो यह तो गलत है क्या आरती को यह बात पता है कि मैं उसकी बात सुन रहा हूं नहीं उसको कहां से पता होगा वह बेचारी तो वहां बैठी है।
राजनाथ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अब वह मजबूर होकर अपनी बेटी की बातें सब सुन रहा था और अपने दामाद पर गुस्सा भी आ रहा था कि मेरा दामाद मेरी बेटी का पति इतना निकम्मा कमजोर कैसे हो सकता है।
डॉक्टर ने फिर आरती से पूछा कि पति पत्नी में लड़ाई झगड़ा होता है।
तो आरती ने जवाब दिया कि जी कभी-कभी होता है मारपीट भी करता है क्या जी नहीं मारपीट नहीं करते।
फिर डॉक्टर ने कहा कि तुमने अभी जो सारी बातें बताई क्या मैं वह सब बातें तुम्हारे पति से पूछ सकता हूं।
तो आरती अपने मन मे सोचने लगी कि मेरा पति तो यहां है नहीं तो ए किस से पूछेगी फिर उसने जवाब दिया कीजिए हां पूछ सकते हैं।
फिर डॉक्टर ने कहा अच्छा ठीक है अब तुम उस रूम में जाकर बैठो और अपने पति को यहां भेजो यह बात सुनते ही आरती एकदम से घबरा गई और सोचने लगी कि मेरा पति मेरे पति यहां कहां है वहां तुम मेरे बाबूजी बैठे हैं और वह घबराए हुए नजरों से डॉक्टर को देख रही थी जब डॉक्टर ने फिर से कहा रे बैठी हुई क्यों हो जाओ अपने हस्बैंड को यहां भेजो फिर उसने कहा कि मेरे हस्बैंड डॉक्टर ने कहा कि हां तुम्हारे हस्बैंड ने क्या दूसरे क्या जो उनको यहां जल्दी से भेजो।
फिर वह धीरे से उठकर घबराते हुए उस रूम में जाने लगी जहां उसके बाबूजी बैठे हुए थे।
उधर यह सब बात सुनकर राजनाथ को शौक लग गय था कि यह क्या हो गया अब मैं क्या करूंगा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
तभी आरती रूम के अंदर आई तो देखा कि उसके बाबूजी अकेले रूम में बैठे हुए हैं अचानक दोनों की नजरे मिली और दोनों सोच रहे हैं कि एक दूसरे से क्या बात बोले फिर आरती शरमाते हुए अपनी नज़रें झुका लिया और कुछ नहीं बोली फिर कुछ छन के बाद राजनाथ ने बोला की बेटी डॉक्टर ने क्या बोला।
तो आरती अपनी नज़रें झुकाए हुए बोली कि जी वो आपको बुला रही है यह बात तो राजनाथ को पता था क्योंकि वह सब सुन रहा था तो वह अनजान बनते हुए पूछा कि मुझे बुला रही है तो आरती ने जवाब दिया की जी आपको बुला रही है फिर उसने क्या अच्छा ठीक है मैं जाता हूं फिर वह डॉक्टर के पास चला गया।
इधर आरती हैरान होते हुए अपने आप से मन मे बात करते हुए सोच रही थी कि यह मेरे साथ क्या होगया यह डॉक्टर तो हम दोनों के बारे में उल्टा ही समझ बैठी अगर उसने बाबूजी से सारी बातें बता दी और बोल दिया कि यह सब बातें आपकी पत्नी बोल रही थी तो वह मेरे बारे में क्या सोचेंगे कि मेरी बेटी ने मुझे अपना पति बना लिया हे भगवान अब मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
तभी राजनाथ डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने कहा कि आईए बैठीए यह आवाज जैसे ही आरती के कानों मे पहुंची तो वह चौंक गई है वह इधर-उधर देखने लगी कि यह आवाज कहां से आ रही है फिर डॉक्टर ने बोला कि अभी जो हम दोनों के बीच में बातें हो रही थी वह सब आपने सुना कि नहीं।
तो राजनाथ ने अनजान बनते हुए पूछा कि जी कौन सी बातें।
तो डॉक्टर ने जवाब दिया कि वही बातें जो आपकी पत्नी और मेरे बीच में हो रही थी।
इतना बात सुनते ही उधर आरती की पैरों के तले जमीन खिसक गई और वह हैरान परेशान हो गई कि यह मैंने क्या कर दिया अभी जो भी बातें मैंने डॉक्टर को बताई वह सब बातें बाबूजी ने सुन लिया हे भगवान क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में।
तो राजनाथ में डॉक्टर को जवाब दिया कि जी सुना है।
तो डॉक्टर ने पूछा कि क्या उसने सब सही बताई है या कुछ गलत बताई है तो राजनाथ अब मजबूरी में क्या जवाब देता तो उसने कहा की जी वह सब सही बताई है।
फिर डॉक्टर ने कहा की अच्छा ठीक है अभी हम कुछ जांच लिख दे रहे हैं वह आप दोनों को कराना पड़ेगा।
तो राजनाथ ने पूछा कि जी दोनों को कराना पड़ेगा।
जब डॉक्टर ने जवाब दिया कि हां आप दोनों को करना पड़ेगा आपकी पत्नी का बलड और पेशाब जांच करना पड़ेगा और आपका सीमन जांच करना पड़ेगा मेरा मतलब है आपका वीर्य अभी आप दोनों बाहर जाकर अपना सेंपल दे दीजिए और 2 दिन के बाद आइएगा फिर हम आप दोनों का रिपोर्ट देखकर दवा लिखेंगे आप मेरी बात समझे कि नहीं तो राजनाथ ने जवाब दिया कि जी समझ गए।
तो ठीक है अपनी पत्नी को लेकर जाइए और वहां नर्स को अपना सेंपल दे दीजिए।
फिर राजनाथ डरते डरते आरती के रूम में गया और वह मन ही मन सोच रहा है की आरती मेरे बारे में क्या सोच रही होगी जैसे ही वह अंदर गया तो आरती अपनी नज़रें नीचे करके चुपचाप बैठी हुई थी फिर वह कुछ देर खड़ा होकर आरती को देखा आरती भी अपने बाप से नजरे नहीं मिला पा रही थी।
उसने धीरे से कहा की आरती बेटा बाहर चलो फिर आरती धीरे से उठी और उसके पीछे-पीछे चलने लगी फिर दोनों जैसे ही हाल में बाहर आए तो वहां नर्स बैठी हुई थी तो राजनाथ ने उसको अपना रिपोर्ट देते हुए बोला कि की जांच करवाना है तो नर्स ने रिपोर्ट दिखाओ देखकर बोला कि अच्छा ठीक है आप यहां बैठिए और मैडम को मेरे साथ आने दीजिए फिर वह आरती को लेकर अंदर गई और वहां ब्लड का सैंपल लिया और लेने के बाद उसको एक छोटा सा प्लास्टिक का डीबी उसको दिया और बोली कि बाथरूम में जाकर इसमें अपना पेशाब लेकर आईए और आरती बाथरूम में गई और अपना पेशाब लेकर आई और नर्स को दे दिया फिर नर्स ने उसको एक और प्लास्टिक का डीबी दिया और बोली इसको अपने पति को जाकर दीजिए और बोलिए अपना वीर्य इसमें निकाल कर लाए फिर उसने बोला कि ऊपर में एक शोरूम खाली है वहीं पर उनको लेकर जाइए।
आरती ने वह डीबी लिया और लेकर धीरे-धीरे बाहर आने लगी और मन ही मन सोचने लगी की कैसे अपने बाप को जाकर बोलेगी की इसमें अपना वीर्य निकाल कर लाइए फिर धीरे-धीरे अपने बाप के पास पहुंची तो राजनाथ ने पूछा की हो गया।
तो आरती ने धीरे से जवाब दिया की जी मेरा हो गया नर्स ने जो डीबी आरती को दिया था उसको राजनाथ के तरफ बढा़ते हुए बोली कि यह आपके लिए दिया तो राजा नाथ ने पूछा कि मेरे लिए तो आरती ने कहा कि जी आपको इसमें लेकर आने के लिए बोली तो राजनाथ थोड़ा अनजान बनते हुए बोला की क्या लेकर आने के लिए बोली इसमें।
तो आरती और शर्माने लगी और धीरे से बोली की जिओ आपका वाला लेकर आने के लिए बोली राजनाथ फिर भी नहीं समझ रहा था उसने फिर से पूछा कि मेरा वाला क्या लेकर आने के लिए बोली।
तो आरती ने फिर से बोला कि जिओ अंदर में डॉक्टर नहीं बोल रही थी की आपका भी जांच होगा
यह बात सुनते ही राजनाथ में कहां की हां हां अभी मैं समझा और वह उठकर जाने लगा तो आरती ने कहा जी कहां जा रहे हैं राजनाथ ने कहा कि मैं लेकर आ रहा हूं तुम यहीं बैठो तो आरती ने कहा कि जिओ नर्स ने बोला कि ऊपर लेकर जाने के लिए।
तो राजनाथ ने पूछा कि ऊपर ऊपर कहां लेकर जाना तो आरती ने कहा कि जिओ नर्स बोल रही थी ऊपर में एक रूम खाली है वहीं आपको लेकर जाने के लिए बोली चलिए ना देखते हैं किधर है फिर दोनों बाप बेटी ऊपर जाने लगे जैसे ही दोनों ऊपर पहुंचे तो देखा कि सामने एक रूम है और उसके दरवाजे पर लिखा हुआ था कि यह रूम सिर्फ पति-पत्नी के लिए है।
तोतो राजनाथ ने बोला कि शायद यही रूम है अंदर चलकर देखते हैं जैसे ही दरवाजे को धकेला वह खुल गया।
फिर जब दोनों अंदर गए तो अंदर पूरा अंधेरा था दरवाजे के साइड में छूकर देखा तो वहां स्विच का बोर्ड लगा हुआ था फिर उसे दबाया तो लाइट जल गई और लाइट जलते ही पूरा रूम रोशनी से जग मांगा गया जब उन दोनों बाप बेटी की नजर कमरे की दीवार पर गई तो दोनों चौंक गए क्योंकि चारों तरफ दीवार में लड़कियों की फोटो लगी हुई थी उसमें से बहुत सारी लड़कियां नंगी भी थी फिर दोनों बाप बेटी झट से बाहर आ गए तो राजनाथ में आरती की तरफ देखा तो अपने नजरे नीचे करके शर्मा रही थी फिर राजनाथ में आरती से कहा कि तुम नीचे जाकर बैठो मैं लेकर आता हूं।
तो आरती ने कहा कि आप लेकर आई मैं यहीं खड़ी रहती हूं फिर वह रूम के अंदर चला गया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया रूम के अंदर एक बेड लगाया हुआ था उसी पर वह बैठ गया और दीवाल पर जो फोटो लगा हुआ था उन सब को देखने लगा और उन सब में जितना भी फोटो था सब दुबली पतली लड़कियों का फोटो था उनमें से बहुत सारी लड़कियां नंगी भी थी उनको देखकर उसके दिमाग में ख्याल आने लगा कि मेरी बेटी जब नंगी होती होगी तो इसी तरह दिखती होगी और उसके पजामे के अंदर जो उसका बड़ा सा हथियार जो अपनी बेटी का ख्याल रखते हुए अभी तक सोया हुआ था वो अचानक से जागने लगा और अब पुरी तरह से जा चुका था अब उसे ना अपनी बेटी का ख्याल था ना और किसी का अब तो वह सिर्फ अपनी मर्दानगी दिखाना चाह रहा था वह तो चाह रहा था कि उसे किसी के साथ लडने का मौका मिले और वह सब तोड़ फाड़ के रख दे वह अपनी बेटी का ख्याल करते हुए जैसे ही उसने अपना हाथ पैजामे के ऊपर से अपने लंड को सहलाया तो वो और ऊपर की तरफ उछलने लगा और जैसे कह रहा हो कि मुझे यहां से जल्दी बाहर निकालो जैसे ही उसने पैजामे का नाडा खोला वैसे ही सांप की तरह बाहर निकल कर फुफकारने लगा और ऐसा लग रह था कि कई महीना या सालों से भूखा हो फिर से उसने अपना हाथ उसके सुपाड़ा को ऊपर से सहलाया जैसे सपेरा अपने सांप की मुंडी को सहलाता है और वह सांप और फुफकारने लगता है इस तरह उसका लंड भी हाथ से छूते ही और झटका मारने लगता है फिर वह अपने लंड को मुट्ठी में कस के पकड़ कर धीरे-धीरे बोलने लगा कि काश दामाद की जगह मै होता आज और मेरी बेटी आज मेरे नीचे लेटी होती तो कितना मजा आता उसकी इतनी चुदाई करता की एक ही रात में उसकी बच्चेदानी में अपना बीज भर देता और 9 महीने के बाद वह मां बन जाती लेकिन मेरी किस्मत ऐसी कहां जो मुझे यह मौका मिलेगा अब तो मुझे जिंदगी भर हाथ से ही काम चलाना पड़ेगा और वह अपनी मुट्ठी में पकड़ कर अपने लंड को आगे पीछे करने लगा कुछ ही देर में उसका गाढा़ जमा हुआ माल उसके लंड से बाहर निकलने वाला था कि उसने झट से डिब्बे का ढक्कन खोलकर अपनी लंड को मुंह में लगाया जितना जमा हुआ माल था सब बाहर निकल गया।
आगे की कहानी अगले भाग में।