राभाग २८
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की बाबा राजनाथ से कहते हैं कि आरती तभी माँ बन पाएगी जब तुम उसके साथ संभोग करोगे ।
राजनाथ बाबा की बात सुनकर कहता की नहीं मैं ऐसा नहीं करस कता वो मेरी बेटी मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकता ।
बाबा अगर तुम ऐसा नहीं कर सकते तो फिर आरती कभी माँ नही बन पाएगी क्या तुम उसको जीवन भर बाँझ बनकर रहते हुए देखना चाहते हो।
राजनाथ लेकिन बाबा इसका और कोई दूसरा उपाय तो होगा।
बाबा - इसका और कोई दूसरा उपाय नहीं है सिर्फ एक ही रास्ता है कि तुम उसके साथ संभोग करो और उसको माँ बनाओ अगर तुम उसका दुसरा विवाह भी करा दोगे तब भी वह माँ नही बन पाएगी कयोंकि उसकी कुडंली में लीखा हुआ है कि सिर्फ
तुम उसको गर्भवती करके माँ बना सकते हो।
राजनाथ - लेकिन बाबा क्या यह गलत नहीं है एक पिता अपनी बेटी के साथ संभोग कैसे कर सकता है।
बाबा - किसने कहा कि एक पीता पुत्री आपस में संबंध नही बना सकते क्या ऐसा कोई किताब में लिखा नहीं लिखा है कयोंकि यह सब रीति रिवाज ईनसानो ने बनाई है दुनिया वालों के लिए लेकिन इसके बावजूद भी ऐसे कितने बाप बेटी हैं जो इस रिश्ते को नहीं मानते हैं और आपस में संबंध बनाते हैं और संभोग का आनंद लेते हैं और कीसी को पता भी नही चलता और अगर तुम दोनों ऐसा करते हो तो वह भी किसी को पता नहीं चलेगा यह बात सिर्फ तुम दोनों के बीच में ही रहेगी और तुम्हें तो खुश होना चाहिए की यह अवसर तुम्हें मिल रहा है वह भी इस उम्र में ऐसे खुश किस्मत लोग बहुत कम ही होते हैं जिनको जीवन के इस पड़ाव में एक जवान इस्त्री की जवानी का रस चखने को मिलता है ।
बाबा की यह सब बात सुनकर राजनाथ के मन मे जो आसकां और संकोच थी अब वह खतम हो गई थी और मन ही मन सोचने लगा कि अब मैं अपनी बेटी आरती की जवानी का मजा ले सकता हूँ , फिर वह बाबा से कहता है कि बाबा यह सब तो ठीक है लेकिन क्या आरती यह सब करने के लिए तैयार होगी ,क्या उसको यह सब के बारे मे पता है।
बाबा - नही अभी उसको इस बारे मे पता नहीं है, लेकिन क्या वो ये सब करने के लिए तैयार होगी या नहीं ये तो मैं तुम्हें नहीं बता सकता लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि एक इसत्री के लिए माँ बनना संसार की सबसे बड़ी खुशी होती है और उस खुशी को पाने के लिए वह कुछ भी कर सकती है। तुम्हारी बेटी भी यह कभी नहीं चाहेगी की वह जीवन भर अपने ऊपर बाँझ का कलंक लेकर जीए। लेकिन इस से पहले तुमको नीरनय लेना होगा कि क्या तुम इसके लिए तैयार हो।
राजनाथ - बाबा जी आप जो बोल रहे हैं वो मैं करने के लिए तैयार हूँ लेकिन अगर मैं उसके साथ ऐसा करूंगा तो उसे लगेगा मैं उसकी मजबूरी का फायदा उठा रहा हूँ और मेरी जो सम्मान है उसकी नजर मे वह खतम हो जाएगी, क्या कोई ऐसा तरीका नहीं है जीस्से उसे लगे कि मैं उसकी मजबूरी का फायदा नहीं उठा रहा हूँ और मेरी सम्मान भी उसकी नजर मे बनी रहे।
बाबा - हम समझ गए कि तुम क्या चाहते हो तुम यह चाहते हो कि तुम्हारी बेटी को ऐसा लगे कि तुमको इस बारे में कुछ पता नहीं है और वह खुद अपने मुंह से तुकको ये सब करने के लिए कहे क्या अही चाहते हो ना तुम।
राजनाथ - आपने तो मेरे मन की बात जान ली लेकिन क्या ऐसा हो सकता है ।
बाबा - हो सकता है क्यों नहीं हो सकता बिलकुल हो सकता है।
राजनाथ - लेकिन केसे ।
बाबा - मैं ऐसा उपाय बताऊंगा की उसको लगेगा की तुम को इस बारे में कुछ पता नहीं है और तुम एक सरीफ बाप की तरह अनजान बने रहोगे और फिर वह एक पत्नी की तरह तुमको मनाएगी और तुम पहले ना ना करोगे फिर उसकी जीद्द के सामने हार मानते हुए तुम हाँ बोलोगे और इस तरह से तुम्हारी इजत भी बनी रहेगी और तुम दोनों का काम भी हो जाएगा।
राजनाथ- ठीक है बाबा जी आप जैसा कहेगें वैसा ही होगा।
बाबा - तो ठीक अब मैं तुम्हारी बेटी से बात करूंगा उसके बाद बताउंगा की आगे क्या करना है।
इधर आरती और पूर्णिमा आपस में बात कर रही है पूर्णिमा आरती से पुछती है की बच्चे के लिए आई हो।
आरती -जी बच्चे के लिए ही आई हूँ।
पूर्णिमा- सादी के कितने साल हूए है।
आरती - जी तीन साल हो रहे हैं।
पूर्णिमा- चिंता मत करो यहाँ आई आ गई हो अब सब ठीक हो जाएगा ।
आरती - यही आस लेकर तो यहाँ आई हूँ अब बाबा ही बताएगें की मेरी किस्मत में माँ बनना लिखा है कि नहीं, ये आपकी बेटी है।
पूर्णिमा - हाँ हमरी बेटी है यह भी हमारी सादी के बहुत साल बाद हुई है हम भी आपकी तरह परेशान हो गए थे फिर हमने पीता जी से इस बारे में बात की तो फिर उन्होंने हमारा उपचार किया और फिर उन्हीं के आशीर्वाद से हमरी बेटी पैदा हुई और हम माँ बने।
इसके बाद बाबा और राजनाथ वापस आश्रम मे आते हैं और राजनाथ से कहते हैं आरती को बुलाईए हम उससे बात करेंगे फिर उसके बाद बताएंगे की आगे क्या करना है ।
फिर राजनाथ आरती को बुलाता है और फिर दोनों बाप बेटी कमरे के अंदर बाबा के पास जाते हैं तो बाबा राजनाथ से कहते हैं कि तुम बाहर जाकर बैठो हमको इस्से अकेले में बात करनी है फिर राजनाथ कमरे से बाहर आ जाता है ।
उसके बाद बाबा आरती से कहते हैं कि हमने तुम्हारे पिताजी से बात की लेकीन उनको उस बारे मे कुछ नहीं बताया उनसे बात करके ऐसा लगा कि वह एक बहुत सीधे और सरीफ इंसान हैं उनको यह सब करने के लिए मनाना मुश्किल होगा इसलिए उनको मनाने के लिए कोई दूसरा उपाय करना होगा।
आरती- बाबा की बात सुनकर थोड़ा चिन्तित होती और पुछती है कौनसा उपाय करना होगा।
बाबा - अभी बताता हूँ की क्या करना होगा तूम दोनों को जो कुछ भी करना होगा वह सब हम एक कागज मे लिखकर तुमको दे दूँगा और तुम दोनों से एक वच्चन भी ले लूँगा ताकि बाद में तुम्हारे पिताजी मना ना कर सके और तमको भी थोडी़ मेहनत करनी पडे़गी जिससे वो तुम्हारी तरफ आकर्षित हो और तुमको यह सब मर्यादा में रहते हुए करना पड़ेगा उसे मालुम नही होना चाहिए की तुमको इस बारे में पता है ,उसको लगना चाहिए कि तुम वही कर रही हो जो हमने तुमको लीख कर दिया है।
आरती- जी बाबा जी आप जैसा कहगें वैसा हीं करूंगी।
बाबा -तो ठीक आज तुम लोगों को यहीं रुकना पड़ेगा क्योंकि कुछ दवा और तेल बनाकर दूँगा इस लिए आज यहीं रुकना पड़ेगा।
आरती- जी बाबा जी आप कह रहे हैं तो रूक जाएंगे।
फिर साम होती है उसके बाद रात का खाना बनता है फिर सभी लोग खाना खाते हैं खाने के बाद सब सो जाते हैं तभी कुछ देर के बाद आरती पेशाब करने के लिए आश्रम के पीछे जाती है और पेशाब करके वापस आ रही होती है तभी उसकी कान में कुछ आवाज़ आती है तो वह खड़ी हो कर सुनने लगती है कि यह आवाज़ कहाँ से आ रही है तो वह देखती है कि आश्रम के एक कमरे में झरोखा है और उसी के अंदर लाईट जल रही है ये आवाज़ सायद उसी के अंदर से आ रही है ।
फिर वह पास जाकर झरोखे के अंदर झांक कर देखने लगती है तो वह देखती है कि बाबा लेटे हुए हैं और उनकी बेटी पूर्णिमा उनकी मालिश कर रही है तभी आरती कुछ ऐसा देखती है कि वह देखते ही चौंक जाती है।
वह देखती है कि बाबा आपने एक हांथ से पूर्णिमा के कमर और पेट को सहला रहे हैं और धीरे धीरे अपने हांथ को ऊपर छाती के पास ले जाते हैं और उसकी चूची को सहलाने लगते हैं।
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