Premkumar65
Don't Miss the Opportunity
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Very hot and erotic please keep it upभाग १६
आरती राजनाथ से कहती है वह सब छोड़ी और यह बताइए की फिटिंग कैसी है।
तो राजनाथ कहता है की फिटिंग के बारे में तो मैं तुमको पहले ही बता दिया कि कैसी है।
आरती पहले जो आपने बताया वो तो किसी दूसरे के फिटिंग के बारे में बताएं उस टाइम आपको थोड़ी पता था कि यह तस्वीर मेरी है अब आपको मालूम हुआ कि यह तस्वीर मेरी है इसलिए अब आप फिर से बताइए की फिटिंग कैसी है।
राजनाथ अच्छा ऐसी बात है तो सुनो फिटिंग बहुत बढ़िया और लाजवाब है लेकिन उसका साइज थोड़ा छोटा है और बड़ा होना चाहिए।
आरती अभी तो आप कर रहे थे की फिटिंग लाजवाब है और फिर कह रहे हैं कि साइज छोटा है ए क्या बात हुई।
तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए कहता है अरे मैं उसकी साइज की बात नहीं कर रहा हूं मैं दूसरे वाले की साइज की बात कर रहा हूं।
आरती आप कौन से दूसरे वाले की साइज की बात कर रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं यहां तो सिर्फ ब्रा की साइज की बात हो रही।
राजनाथ मैं ब्रा की बात नहीं कर रहा मैं बात कर रहा हूं ब्रा के अंदर में जो रहता है मैं उसकी बात कर रहा हूं।
अब आरती समझ जाती है कि बाबूजी किसकी साइज की बात कर रहे हैं बाबूजी मेरे दूध की साइज की बात कर रहे हैं कर रहे हैं कि मेरे दूध का साइज छोटा है यह बात समझते ही आरती शर्मा जाती है और फिर अनजान बनते हुए कहती है ब्रा के अंदर में तो कुछ भी नहीं रहता मैंने तो उसमें और कुछ नहीं देखा था।
फिर राजनाथ अपना मोबाइल चालू करके उसमें ब्रा वाली तस्वीर निकाल के उसको देता है कहता है देख कर बताओ कि इसके अंदर में क्या है।
फिर आरती उस तस्वीर को देखती हैं और कुछ देर के बाद फिर से अनजान बनते हुए कहती है कहां है इसमें तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है ऊपर से कैसे दिखेगा उसको खोल कर देखना पड़ेगा ना के अंदर में क्या है।
तो फिर राजनाथ हल्का गुस्सा होते हुए कहता है अरे बेवकूफ लड़की तुमको इतना भी समझ में नहीं आ रहा है अब मैं तुमको कैसे समझाऊं तू रहने दे तुमको समझ में नहीं आएगा।
आरती- कैसे समझ में नहीं आएगा आप अच्छे से समझाइए तो सही थोड़ा खुलकर बताएंगे तभी तो समझ में आएगा।
राजनाथ-- समझदार के लिए इशारा ही काफी होता है मैं इससे ज्यादा खुलकर नहीं बता सकता अगर तुमको अभी समझ में नहीं आ रहा है तो मैं तुम्हें बाद में समझा दूंगा।
अब राजनाथ के दिमाग के दिमाग में भी अपनी जवान बेटी की जवानी देखकर असर करने लगा था अब उसका अरमान भी धीरे-धीरे जाग रहा था अपनी बेटी की जवानी का मजा लेने के लिए लेकिन उन दोनों के बीच आड़े आ रहा था उनका बाप बेटी का रिश्ता और यही सब सोंच कर राजनाथ हर बार अपने आप को आगे बढ़ने से रोक लेता था लेकिन आज ना चाहते हुए भी आगे बढ़ने की कोशिश करने लगता है और मन ही मन सोचता है कि अगर इसने मुझे ब्रा की फिटिंग दिखाई है तो क्या पैंटी की भी फिटिंग दिखा सकती है कोशिश करके देखता हूं अगर दिखा देगी तो तो फिर तो मजा ही आ जाएगा।
फिर वह आरती से कहता है कि तुमने इसकी फिटिंग तो दिखा दी लेकिन दूसरे वाले की फिटिंग तो नहीं दिखाई।
तो फिर आरती पूछती है कौन से दूसरे वाले की फिटिंग नहीं दिखाई ए आप क्या बोल रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं।
तो फिर राजनाथ कहता है की अरे मैं उसी के बारे में बोल रहा हूं जो मैंने तुमको इससे पहले ला कर दिया था।
तो आरती समझ जाती है कि बाबूजी पैंटी की बात कर रहे हैं और वह सोचती है कि इनको पैंटी की फिटिंग देखनी है लेकिन ए उसका नाम नहीं बोल पा रहे हैं मैं भी देखती हूं कब तक उसका नाम नहीं लेते।
फिर वह बोलती है बाबूजी आप किसके बारे में बात कर रहे हैं मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँ और इससे पहले आपने मुझे क्या ला कर दिया था वो भी मुझे याद नहीं आ रहा अगर आपको याद है तो उसका नाम बता दीजिए ।
फिर राजनाथ ना चाह कर भी बोल ही देता है और कहता है क्या बेटा तू भी कमाल करती है 2 दिन पहले ला कर दिया और आज भूल गई मैं पैंटी के बारे में बोल रहा हूंँ।
तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा तो आप पैंटी की भी फीटिंग देखना चाहते हैं।
तो राजनाथ बात को बदलते हुए कहता हैं अरे मैंने कब कहा कि मैं उसकी फिटिंग देखना चाहता हूँ वह तो मैं ऐसे ही बोल रहा था कि कि तुमने उसकी फिटिंग नहीं दिखाई तो आज तुमने ब्रा की फिटिंग क्यों दिखाई।
तो आरती कहती की अच्छा तो आप यह कहना चाह रहे हैं कि मैंने ब्रा की फिटिंग दिखाइए इसलिए आप पैंटी की भी फीटिंग देखना चाहते हैं।
राजनाथ-- अरे यार तुम मेरी बात का उल्टा ही मतलब निकालती हो वह तो मैंने ऐसे ही पूछ लिया था और तुम मेरे ही ऊपर डाल रही कि मैं देखना चाह रहा हूं मुझे नहीं देखनी है किसी की भी फिटिंग।
तो आरती को लगता है कि बाबूजी धीरे-धीरे गुस्सा हो रहे हैं तो फिर वह बोलती है अच्छा तो आपको पैंटी की फिटिंग नहीं देखनी है।
तो राजनाथ कहता है कि नहीं मुझे नहीं देखनी है किसी की फिटिंग वीटिंग।
तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है की आप गुस्सा क्यों हो रहे हैं।
तो राजनाथ कहता है गुस्सा नहीं होउंगा तो और क्या करूंगा तुम मेरे ऊपर इल्जाम लगा रही कि मैं तुमको ब्रा और पैंटी में देखना चाहता हूं।
आरती- अच्छा सॉरी बाबा मुझसे गलती होगी हमको ऐसा नहीं बोलना चाहिए मुझे माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं कहूंगी।
राजनाथ मुस्कुराते वह कहता है अच्छा-अच्छा ठीक है माफ किया अब यह सब नाटक बंद कर फिर दोनों एक दूसरे को देखते और हंसने लगते हैं।
फिर कुछ देर के बाद आरती मालिश करते-करते बोलती है अच्छा बाबूजी अगर मैं अपनी मर्जी से दिखाऊंगी तो क्या आप देखेंगे।
तो राजनाथ उसकी बात सुनकर एकक्षण के लिए चौक जाता है और पूछता है कि क्या चीज दिखाओगी।
तो आरती कहती है वही जिसकी फिटिंग आप कुछ देर पहले देखना चाह रहे थे।
तो फिर राजनाथ करता है कि हां अगर तुम अपनी मर्जी से दिखाओगी तो देख लूंगा।
तो आरती कहती है की ठीक है जब मेरी मर्जी होगी तो दिखाऊंगी नहीं होगी तो नहीं दिखाऊंगी इतना बोलकर फिर वह सोने के लिए चली जाती है।
आरती के जाने के बाद राजनाथ सोचने लगता है कि क्या आरती मुझे पैंटी वाली तस्वीर दिखाइएगी कि नहीं यह सब सोचते सोचते उसे नींद आ जाती है।
फिर दूसरे दिन सुबह आरती उठकर अपने काम में लग जाती है और राजनाथ भी उठकर कहीं बाहर घूमने के लिए चला जाता फिर वह 9:00 के करीब बाहर से आता है नाश्ता पानी करने के लिए नाश्ता करने के बाद वह फिर किसी काम से कहीं बाहर जाने लगता है तो आरती कहती है बाबूजी बाहर जा रहे हैं तो मोबाइल हमको देखकर जाईएगा कुछ काम है फिर राजनाथ उसको मोबाइल देकर के कहीं चला जाता है राजनाथ के जाते ही आरती गेट बंद करके नहाने के लिए चली जाती है फिर नहा के आने के बाद नाश्ता करती है नाश्ता करने के बाद फिर वह थोड़ा बहुत मेकअप करती है मेकअप करने के बाद अपना साड़ी ब्लाउज खोल के रख देती है और वह ब्रा और पैंटी पहन लेती है और पहनने के बाद मोबाइल से अपनी तस्वीर निकालने लगती है फिर अलग-अलग एंगल से कई तरह की तस्वीर निकालती है और निकालने के बाद सभी तस्वीर को मोबाइल में सेव करके रख देती है।
फिर दोपहर को राजनाथ घर आता है खाना खाने के लिए तो आरती मोबाइल उसको दे देती है खाना खाने के बाद मोबाइल लेकर राजनाथ अपने कमरे में चला जाता है। कमरे में जाने के बाद अपना मोबाइल चालू करके देखने लगता है और नंबर चेक करने लगता है कि किसके साथ बात करने के लिए मोबाइल रखी थी फिर वह देखता है कि उसने कहीं क किसी से बात नहीं की है तो फिर उसने मोबाइल क्यों रखी थी फिर उसके दिमाग में आता है कि कहीं आज भी कोई तस्वीर खींचने के लिए तो नहीं रखी थी फिर वह तस्वीर वाली फाइल खोलकर देखना लगता है तो देखते ही उसके होश उड़ जाते हैं क्योंकि जैसे ही वह फाइल खोलता है उसके सामने उसकी जवान बेटी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी ऊपर से नीचे तक सिर्फ दो ही कपड़े थे उसके बदन पर वह भी सिर्फ नाम के फिर वह सभी तस्वीर को बार-बार इधर-उधर करके देखने लगता है फिर उसकी नजर एक जगह पर जाकर टिकी जाती है और वह जगह थी उसकी दोनों जांघों के बीच और ठीक उसकी कमर के नीचे वाली जगह जो सफेद पैंटी के अंदर में छिपा हुआ था जिसको देखकर यह लग रह था कि किसी ने उसके अंदर पांव रोटी छुपा के रख दी है जिसका मुंह ठीक उसके बीचो-बीच नजर आ रहा है बिल्कुल उसी तरह से आरती की फूली हुई चूत (बूर) नजर आ रही थी जब कोई लड़की पूरी तरह से जवान हो जाती है तब उसकी बदन का हर एक अंग खील के पूरी तरह से दिखने लगता है आज आरती के बदन का हर एक अंग उसी तरह से खील कर नजर आ रहा था उसकी बुर की आकर तो पैंटी के ऊपर से साफ-साफ दिख रहा था क्योंकि सफेद कलर की पैंटी थी इस वजह से पूरा क्लियर दिख रहा था उसकी बुर की दोनों होंठ बीच में हल्का सा गड्ढा जिसको देखकर राजनाथ की हालत और खराब हो रहा था और उसका लंड तो पजामे के अंदर में तूफान मचा के रखा था फिर उसने अपने पजामे का नारा खोल दिया और उसको बाहर निकाल दिया और बाहर आते ही वह पूरी तरह से अपने आकार में आ चुका था
और उसको देखकर ऐसा लग रह रहा था अगर इस वक्त उसको चींटी के बिल में भी घुसने के लिए कह दिया जाए तो वह उसमे भी तोड़ फाड़ के घुस जाएगा फिर राजनाथ उसको अपनी मुट्ठी में कस के पकड़ कर आगे पीछे करने लगा और राजनाथ को लगने लगा कि आज वह अपने आप को नहीं रोक पाएगा आज वह अपनी बेटी के नाम का मुठ मार के अपना बेस कीमती माल बाहर गिरा देगा लेकिन फिर उसने अपनी बेटी की तस्वीर देखी और उसकी चूत को देखा और फिर फिर उसने अपने आप से कहा कि नहीं मैं अपने इस अनमोल और कीमती चीज को ऐसे ही बाहर गिरा के बर्बाद नहीं होने दूंगा अगर मैं इसे गिराऊंगा तो अपनी बेटी की चूत में ही गिराऊंगा वरना नहीं गिराऊंगा फिर वह किसी तरह से अपने लंड को शांत कर देता है।
फिर कुछ देर आराम करने के बाद वह कहीं बाहर जाने के लिए निकलता है जैसे ही आंगन में जाता है तो आरती उधर बाथरूम की तरफ से आ रही थी तभी दोनों की नजरे एक दूसरे से मिलती है तो आरती शर्मा जाती है और राजनाथ उसको देखकर मुस्कुराने लगता है और आरती से कहता मैं कहीं बाहर जा रहा हूं शाम को वापस लौटूंगा।
राजनाथ के जाने के बाद आरती सोचने लगती है की बाबूजी ने वह तस्वीर देखी कि नहीं।
आगे की कहानी अगले भाग में।
भाई सुपर हॉट मजा आ गयाभाग १७
राजनाथ शाम को घर वापस आता है तब तक आरती रात का खाना बना कर रेडी कर चुकी थी फिर वह राजनाथ और दादी को खाना खाने के लिए बुलाती है फिर वह दोनों खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं।
उसके बाद आरती भी खाना खाती है और वह खाना खाने के बाद हर रोज की तरह दूध गर्म करती है फिर दो गिलास में दूध लेकर राजनाथ के कमरे में जाती है एक अपनी और एक उसकी फिर वह राजनाथ को दूध पीने के लिए कहती है फिर दोनों अपना-अपना दूध का गिलास लेकर पीने लगते हैं फिर दूध पीने के बाद राजनाथ बेड पर लेट जाता है और आरती फिर उसकी मालिश करने लगती है। मालिश करते-करते उसके दिमाग में यही चल रहा था कि बाबूजी ने वह तस्वीर देखी कि नहीं अभी तक तो उन्होंने कुछ बताया नहीं अगर बताएंगे नहीं तो हमको कैसे मालूम पड़ेगा कि उन्होंने वह तस्वीर देखी कि नहीं।
उधर राजनाथ यह सोचकर चुपचाप था की जब आरती मुझसे पूछेगी उस तस्वीर के बारे में तब बताऊंगा और वह आरती को मालिश करते हुए उसकी बदन को ऊपर से नीचे तक बड़े गौर से देख रहा था और कल्पना यानी इमेजिनेशन कर रहा था कि जब आरती बिना कपड़े के बिल्कुल नंगी होकर मेरे सामने आएगी तो कैसी दिखेगी यही सब सोचकर राजनाथ अपने आप में खोया हुआ था और उधर आरती चुपचाप मालिश किया जा रही थी।
फिर कुछ देर बीतने के बाद आरती सोचती है कि लगता है बाबूजी कुछ नहीं बोलेंगे मुझे ही कुछ करना पड़ेगा तभी वह बोलती है बाबूजी आज तो आप बहुत खुश होंगे।
तो राजनाथ उसकी बात सुनकर बोलता है क्यों किस बात के लिए खुश होऊंगा।
इसलिए कि जो आप देखना चाहते थे वह आपको आज देखने के लिए मिल गया ।
मैं समझा नहीं क्या देखने के लिए मिल गया।
वही जो आप कल कह रहे थे कि एक चीज की फिटिंग दिखाई दूसरे की नहीं दिखाई आज तो आपने दोनों की फिटिंग देख ली तो क्या खुशी नहीं हुई
राजनाथ फिर भी अनजान बनते हुए कहता है क्या तुम पैंटी की फिटिंग की बात कर रही हो कहाँ तुमने तो उसकी फिटिंग दिखाई ही नहीं है तो कहाँ से देखूंगा और जब देखा ही नहीं हूं तो फिर खुशी किस बात की होगी कल तो तुमने कहा कि तुम्हारी मर्जी होगी तो दिखाओगी नहीं होगी तो नहीं दिखाओगी देखता हूँ कब तुम्हारी मर्जी होती है कि नहीं होती है।
आरती तो क्या आपने अभी तक नहीं देखी है।
राजनाथ कहाँ से देखूंगा।
आरती वहीं से जहां से आपने ब्रा की फीटिंग देखी थी। क्या वहीं पर दूसरे वाली की तस्वीर नहीं है।
राजनाथ वह तो मैने मोबाइल में देखी थी उसमें तो एक ही चीज की तस्वीर थी दूसरी वाली की कहाँ थी।
आरती वह तो आपने कल देखी थी क्या आज आपने मोबाइल खोल कर देखी।
राजनाथ नहीं आज तो मैंने तस्वीर वाली फाइल खोलकर नहीं देखी।
आरती नहीं देखी है तो पहले देख लीजिए उसके बाद बात करिए।
राजनाथ अच्छा ऐसी बात है तो अभी देख लेता हूँ फिर वह मोबाइल चालू करके उसकी तस्वीर को देखने लगता है उसने तो वह तस्वीर पहले ही देख ली थी लेकिन उसको दिखाने के लिए उसके सामने वह तस्वीर खोलकर देख रहा था ताकि आरती को लगे कि वह पहली बार उसके सामने वह तस्वीर देख रहा है।
तभी आरती पूछती है क्यों क्या हुआ तस्वीर है कि नहीं उसमें ।
तो राजनाथ कहता है कि हाँ तस्वीर तो है लेकिन तुमने मुझे बताया ही नहीं तो कैसे मालूम पड़ता कि तुमने इसके अंदर तस्वीर खींच कर रखी है।
आरती जब मैं सुबह आपसे मोबाइल मांग कर ली थी तो आपको समझ में नहीं आया कि मैने मोबाइल मांग कर क्यों रखी है।
राजनाथ मुझे कैसे समझ में आएगा कि तुम फोटो खींचने के लिए मोबाइल मांग रही हो मैं समझा कि किसी से बात करना होगा इसलिए तुमने मोबाइल मांग कर ली हो।
आरती अछा अब वह सब छोड़िए और अब यह बताइए की फिटिंग कैसी है और मैं कैसी लग रही हूं।
राजनाथ एकदम लाजवाब और परफेक्ट फिटिंग है और तुम तो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रही हो एकदम अप्सरा की तरह जो किसी भी पुरुष को अपने बस में कर सकती है।
यह बात सुनते ही आरती शर्मा के अपनी नज़रें नीचे कर लेती है और फिर धीरे से बोलती है क्या मैं इतनी खूबसूरत लग रही हूँ।
मैं अपनी शब्दों में बयां नहीं कर सकता तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो किसी आम इंसान की तो छोड़ो तुम उसको भी अपने बस में कर सकती हो जो सेक्स और वासना की मोह माया त्याग सन्यासी बन चुका है वह भी अगर तुमको इस रूप में देखेगा तो सब कुछ छोड़कर तुम्हारे पास दौड़ा आएगा।
आरती अच्छा ऐसी क्या खास चीज नजर आ गई इस तस्वीर को देखकर की आप मेरी इतनी तारीफ कर रहे हैं
राजनाथ कोई एक या दो चीज अच्छी रहती तो गिन के बताता ना तुम्हारे अंदर वह सारी अच्छाइयां और खूबियां हैं जो एक औरत में एक मर्द को पूरी तरह से संतुष्ट करने के लिए चाहिए वह शारी खूबियां है तेरे अंदर और यह बात मैं दावे के साथ कह रहा हूं क्योंकि मैं एक मर्द हूँ और मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि एक मर्द को एक औरत में सबसे ज्यादा अच्छी क्या लगती है।
राजनाथ की यह बात सुनकर आरती अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी और उसे शर्म भी आ रही थी।
फिर वह बोलती है कि मैं आपकी बेटी हूं इसलिए आप मेरी झूठ-मुठ की तारीफ कर रहे हैं।
अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कि मैं झूठ नहीं सच बोल रहा हूँ अगर मैं दूसरे को यह तस्वीर दिखा कर पूछता तो वह भी तुम्हारे सामने यही बात बोलता लेकिन मैं यह तस्वीर किसी को दिखा नहीं सकता।
तो आरती मुस्कुराते यह कहती है क्यों अगर दिखाना है किसी को तो दिखा दीजिए।
तो राजनाथ कहता है मैं इतना बेवकूफ हूँ जो किसी को दिखा दूंगा।
तो फिर आरती कहती है क्यों क्या होगा अगर दिखा देंगे तो।
तो राजनाथ कहता है कि मैं ऐसे ही किसी को अपनी बेटी की बदन की खूबसूरती की मजे लेने के लिए दे दूंगा और वह मेरी बेटी की बदन की खूबसूरती के मजे ले और मैं देखता रहूंगा ऐसी अनमोल चीज देखने के लिए बहुत बड़ी किस्मत चाहिए और मैं ऐसे ही किसी को मजे लेने के लिए दे दूंगा।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा तो सिर्फ आप अपनी बेटी की खूबसूरती के मजे लेंगे किसी और को नहीं लेने देंगे।
तो राजनाथ गुस्सा होते हुए कहता हैं तू फिर मेरे ऊपर आ गई मैंने कब कहा कि सिर्फ मैं तुम्हारी खूबसूरती देखूंगा और किसी और को नहीं देखने दूंगा वो तो तुम कह रही थी कि दूसरे को दिखाने के लिए तो मैं वही समझा रहा था कि मेरे घर की इज्जत को कोई बाहर वाला कैसे देख सकता है तो तुम उल्टा मेरे ही ऊपर दोस्त डाल देती हो कि मैं देखना चाहता हूं।
तो आरती बात को संभालते हुए कहती है अरे बाबूजी मैं भी तो वही कह रही हूं कि हमारी इज्जत को कोई बाहर वाला क्यों देखेगा अगर आप मेरी तस्वीर या मुझे देखते हैं किसी हालत में हो तो हमारे घर की बात है गहरी ही में रहेगी इसलिए यह सब तस्वीर में आपको दिखा रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि मेरे बाबूजी मेरी इज्जत को कभी दाग नहीं लगने देंगे।
राजनाथ अभी भी झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहता है कि अब तुम मेरे सामने बात बना रही हो।
तभी आरती को लगता है कि बाबूजी और ज्यादा गुस्सा हो जाएं उससे पहले मैं यहां से चली जाती हूं फिर वह कहती है बाबूजी आपका मालिश हो गया अब मैं जा रही हूं आप सो जाइए और वह चली जाती है सोने के लिए।
आरती के जाने के बाद राजनाथ अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था जो आज उसको अपनी बेटी की बदन की खूबसूरती की तारीफ करके जो मजा और आनंद प्राप्त हुआ था और हो रहा था उसको यह सब सो कर अलग ही एहसास हो रहा था।
उधर आरती भी अपने बाप के मुंह से अपनी इतनी तारीफ सुनकर वह अलग ही दुनिया में खोई हुई थी और यह सब सोचते सोचते दोनों बाप बेटी सो जाते हैं फिर दूसरे दिन सुबह उठकर सब अपने-अपने काम में लग जाते हैं सुबह नाश्ता पानी करके राजनाथ कुछ काम के लिए बाहर जाने लगता है तो आरती से कह देता है कि मैं दोपहर में लौटूंगा फिर आरती भी घर का सब काम खत्म करके आराम करने लगती है फिर वह आराम करने के बाद उठती है तो देखी है 12:00 बज रहा है तो फिर वह नहाने के लिए चली जाती है फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी घर वापस आता है तो बाहर का गेट लगा हुआ था तो आरती को आवाज ना देकर वह खुद ही गेट को खोल लेता है फिर वह घर के अंदर आता है तो आरती कहीं दिखाई नहीं देती और दादी भी घर में नहीं थी फिर वह पैर हांथ धोने के लिए वॉशरूम में जाता है और जैसे ही वॉशरूम के दरवाजे पर पहुंचता है तो अंदर का नजारा देखकर वह चौंक जाता है क्योंकि आरती वॉशरूम के अंदर पूरी तरह से नंगी होकर नहा रही थी और उस वक्त उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था क्योंकि उसे वक्त घर में कोई नहीं था इस वजह से वह बेफिक्र होकर नहा रही थी उसको जरा भी यह एहसास नहीं था कि आज उसका बाप उसको इस हालत में देख लेगा क्योंकि वॉशरूम में दरवाजा नहीं था इस वजह से राजनाथ सीधे जाकर दरवाजे पर खड़ा हो गया था और आरती खड़ी होकर अपने सर पर पानी डाल रही थी आंख बंद कर के और उसका मुंह दरवाजे के तरफ था इस वजह से उसका जो सारा अनमोल खजाना था वह राजनाथ को साफ-साफ दिख रहा था राजनाथ को जो उस तस्वीर में पैंटी और ब्रा की वजह से नहीं दिखता आज वह सब कुछ देख रहा था और उसकी नजर सीधे उसकी काले-काले झांट वाली चूत पर जाकर टिक गई उसकी बुर पर इतने घने बाल थे कि उसकी बुर बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा था।
फिर आरती ने जैसे ही पानी डालने के बाद अपनी आंख खोली तो सामने अपने बाप को देखकर वह हड़बड़ा गई और अपने दोनों हाथ से अपने दूध को छुपाते हुए दूसरी तरफ मुड़ गई और राजनाथ भी हड़बड़ा गया और वह भी पीछे मुड़कर सॉरी बोलकर वहां से निकल के साइड में आ गया और माफी मांगने लगा और कहने लगा मुझे माफ कर दो बेटा मुझे पता नहीं था कि तुम नहा रही हो इसलिए मैं पैर हाथ धोने के लिए आया था इसलिए मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो।
फिर आरती को भी लगने लगा कि बाबूजी ने जान बुझ कर ऐसा नहीं किया है फिर वह कहती है बाबूजी मैं जानती हूं की आप जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकते इसलिए आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है बस आप थोड़ी देर रुकिए मेरा नहाना हो गया है मैं कपड़े पहन कर बाहर आती हूं फिर आप अपना पैर हाथ धो लेना।
तो फिर राजनाथ कहता है कोई बात नहीं बेटा मैं घर में जाकर बैठता हूँ तुम आराम से नहा कर आना कोई जल्दी नहीं है फिर वो वहाँ से चला जाता है।
फिर आरती अपने कपड़े पहने लगती है और वह सोचती है कि यह मेरे साथ आज क्या हो गया बाबूजी ने आज मुझे पूरी तरह से नंगा देख लिय वो क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में अब मैं कैसे जाऊंगी उनके सामने।
उधर राजनाथ के मन मे उथल-पुथल मचा हुआ था और वह भी यही सोच रहा था की आरती मेरे बारे में क्या सोच रही होगी कहीं उसको ऐसा तो नहीं लग रहा होगा कि मैने यह सब जानबूझकर तो नहीं किया।
फिर आरती नहा के घर में जाती है तो देखती है राजनाथ बाहर बरामदे में नहीं है तो वह सोचती है कि शायद अपने कमरे में होंगे फिर उसके कमरे की तरफ जाती है और दरवाजे के पास जाकर धीरे से आवाज देती है बाबूजी मेरा नहाना हो गया अब जाकर अपना पैर हांथ धो लीजिए।
अंदर से राजनाथ आवाज देता है हाँ बेटा आ रहा हूं। और वह पर हांथ धोने के लिए चला जाता है।
अब आगे की कहानी अगले भाग में।
भाई क्या गजब लिखते हो सब कुछ गीला गीला सा लग रहा हैभाग १८
आरती नहा के आने के बाद राजनाथ से कहती है कि मैं नहा कर आ गई हूँ आप जाकर अपना पैर हाथ धो लीजिए ।
उसके बाद राजनाथ पैर हांथ धोने के लिए वॉशरूम में जाता है और पर हांथ धोने लगता है तभी उसकी नजर आरती के खोले हुए कपड़े पर जाती है जो आरती ने नहाने से पहले जो कपड़े खोलकर रखे थे वह सब वहीं पड़ा हुआ था आरती ने जल्दबाजी में साइड करके रखना भूल गई और राजनाथ की नजर उसकी ब्रा और पैंटी पर गई जो ऊपर ही रखा हुआ था फिर वह उसको उठा कर देखने लगता है और उस पैंटी को देखते ही उसकी आंखँ के सामने उसकी बेटी की काले बालों वाली चूत नजर आने लगती है और वह अपने मन मे सोचता है कि मेरी बेटी की चूत इसी पैंटी के अंदर छुपी हुई रहती है उसको उलट पलट के देखने लगता है तो उसको उसमें खून की दाग नजर आती है शायद पीरियड के टाइम में जो ब्लड निकलता है वो उसमें गिर गया होगा उसको देखने के बाद फिर वहीं पर रख देता है और पैर हांथ धोकर वहां से आता है और सीधे अपने कमरे में जाकर बैठ जाता है इस वक्त वह आरती के सामने आने में झिझक क रहा था।
कुछ देर के बाद आरती उसको खाने के लिए बुलाने गई और कमरे के बाहर से ही बोली बाबूजी आईए खाना खा लीजिए।
तो राजनाथ अंदर से जवाब देता हाँ बेटा आ रहा हूँ।
फिर राजनाथ खाना खाने के लिए बरामदे में आकर बैठ जाता है फिर आरती किचन से खाना लेकर आती है उसको खाने के लिए देती है और देखकर कमरे के अंदर चली जाती है दोनों बाप बेटी एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे फिर राजनाथ खाना खाने के बाद अपने कमरे में चला जाता है फिर कुछ देर आराम करने के बाद वह फिर कहीं बाहर चला जाता है।
उसको जाने के बाद आप आरती बैठकर सोचने लगी कि आज उसके साथ क्या-क्या हुआ और यह सब सो कर उसको बहुत शर्म आ रही थी और यह सोच रही थी कि आज तक मुझे किसी ने इस हालत में नहीं देखा था मेरे पति के अलावा और मेरे बाबूजी ने मुझे उस हालत में आज देख लिया और यह सोचकर उसके शरीर में गण गनाहट होने लगी कि अगर मेरे बाबूजी की जगह कोई और होता तो आज तो मेरी इज्जत चली जाती यह तो अच्छा हुआ कि मेरे बाबूजी ने हीं मुझे देखा है वह थोड़े ही किसी बाहर वाले को बताने जाएगें कि उन्होंने मुझे नंगा देखा है और यह सोचकर उसको तसल्ली होती है और कहती है कि मुझे मेरे बाबूजी पर पूरा भरोसा है वह ऐसा कभी नहीं करेंगे।
फिर शाम होने लगती है तो फिर वह रात का खाना बनाने में लग जाती है फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी घर आ जाता है और वह सीधा अपने कमरे में जाकर सो जाता है।
खाना बनाने के बाद आरती दादी और राजनाथ को खाने के लिए बुलाती है।
फिर दोनों जाकर खाना खाते हैं और खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं।
फिर आरती भी अपना खाना खाने लगती है और खाते-खाते यह सोंच रही थी की आज बाबूजी को मालिश करने के लिए उनके सामने कैसे जाऊंगी खाना खाने के बाद कुछ देर वह बैठी रहती है और सोचती है कि जाऊं कि नहीं जाऊं उनकी मालिश करने के लिए फिर वह सोचती है कि आज नहीं तो कल उनके सामने तो जाना ही पड़ेगा।
उधर राजनाथ यह सोच रहा था कि आरती आज मालिश करने के लिए आएगी कि नहीं अगर आएगी तो मैं उसको क्या बोलूंगा।
फिर कुछ देर के बाद आरती उसके कमरे में आती है दूध का गिलास लेकर रखते हुए कहती है कि दूध पी लीजिए ठंडा हो जाएगा और फिर वह वापस चली जाती है और किचन में जाकर बैठकर सोचने लगती है और कहती है कि कुछ देर के बाद जाऊंगी मालिश करने के लिए तब तक वह दूध भी पी लेंगे।
अभी तक 10 मिनट बीत चुके थे और राजनाथ यह सोचकर अभी तक दूध नहीं पिया था की आरती फिर से आकर कहेगी तो पिएगा क्योंकि उसको आदत हो गई थी की आरती जबरदस्ती उसको खुशामद करके पिलाएगी।
तभी उधर से आरती कमरे के अंदर आती है और गिलास को जाकर देखती हैं तो उसमें दूध अभी भी वैसा ही रखा हुआ था तो वह राजनाथ से कहती की आपने अभी तक दूध क्यों नहीं पीया।
तो राजनाथ कुछ जवाब नहीं दिया वह चुपचाप सोया हुआ था।
तो आरती दूध का गिलास लेकर उसको देने के लिए जाती है और कहती है कि जल्दी से उठकर दूध पी लीजिए ठंडा हो गया पूरा।
तो राजनाथ उसकी तरफ देखा है करता है तुमने अपना दूध पिया।
तो आरती जवाब देती हां मैंने कब कब पी लिया आप जल्दी से पीजिए फिर वह दूध लेकर पीने लगता है और स्पीकर चुपचाप सो जाता है।
फिर आरती भी चुपचाप उसके पैर में मालिश करने लगती है दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे ।
तो कुछ देर के बाद राजनाथ उसको देखते हुए कहता है बेटा आरती क्या तू मुझसे नाराज है।
तो आरती कहती है नहीं तो मैं क्यों नाराज होउंगी।
तो राजनाथ कहता है कि नहीं मुझे लगा की शायद तुम मुझसे नाराज हो आज वाली बात को लेकर देखो बेटा आज जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में और गलती से हुआ उसके लिए मैं तुमसे दोबारा माफी मांगता हूँ मुझे माफ कर दो।
तो फिर आरती कहती है कि आप मुझे बार-बार माफी क्यों मांग रहे हो मुझे पता है यह सब अनजाने में हूआ इसलिए आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है।
तो राजनाथ कहता है कि मुझे लगा कि तुम मुझसे नाराज हो यह सोचकर कि मैं यह सब जानबूझकर किया इसलिए मेरा माफी मांगना जरूरी था।
तो आरती कहती है कि मुझे आप पर पूरा विश्वास है कि आप जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकते इसलिए आप अपने मन मे कोई संकोच मत रखीए मैंने आपको माफ कर दिया है।
तो राजनाथ कहता है क्या तुमने मुझे सच में माफ कर दिया।
तो आरती रहती है हाँ हाँ मैंने आपको माफ कर दिया और कितनी बार कहूँ और अगर आपने मुझे उस हालत में देख भी लिया है तो क्या हो गया आप कोई बाहर वाला थोड़ी हैं जिसको देखने से मेरी इज्जत चली गई आपकी जगह पर कोई बाहर वाला होता तब मुझे डर होता कि मुझे किसी बाहर वाले ने नंगा देख लिया अब मेरा क्या होगा।
यह बात सुनते ही राजनाथ का मन खुशी से झूम उठा फिर वह मुस्कुराते हुए कहता हैं।
अच्छा मेरे देखने से तुमको कोई दिक्कत नहीं है।
तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है अब आप चुप रहेंगे कि मैं यहां से चली जाऊं।
तो राजनाथ कहता है अरे मैं कोई गलत थोड़ी बोल रहा हूँ जो तुम बोल रही हो वही तो मैं बोल रहा हूँ।
आरती- तो क्या आप दोबारा मुझे उसी तरह देखना चाहते हैं अगर देखना चाहेंगे तो दिखा दूंगी ।
तो राजनाथ कहता है यह तुम कैसी बात कर रही हो मैंने तुमसे कहा कि मैं देखना चाहता हूँ।
आरती- नहीं मैं यह नहीं कह रही हूँ कि आप देखना चाह रहे हैं मैं एक उदाहरण के तौर पर कह रही हूँ की अगर आपने मुझे नंगा देख भी लिय तो आप थोड़ी ही किसी बाहर वाले को बताएंगे कि आपने मुझे नंगा देख लिय जिससे मेरी इज्जत चली जाएगी।
तो राजनाथ कहता हैं कि हाँ यह बात तुम्हारी सही है यह की जो बात हमारे बीच होगी वह किसी बाहर वाले को पता नहीं चलेगा।
यह सब बात सुनकर राजनाथ की हिम्मत बढ़ने लगती है फिर कुछ देर के बाद वह कहता है आरती बेटा एक बात पूछूं बुरा तो नहीं मानोगी।
तो आरती कहती हां पूछिए क्या बात है।
राजनाथ-- नहीं अगर बुरा लगेगा तो नहीं पूछूंगा।
आरती- बोलिए तो सही क्या बात है नहीं बुरा मानूंगी।
तो राजनाथ धीरे से कहता है तुमने जंगल झाड़ क्यों बढा़ के रखा हुआ है।
आरती को यह बात समझ में नहीं आती तो वह पूछती है कौन सा जंगल झाड़।
राजनाथ-- फिर से मुस्कुराते हुए कहता है वही जो खेत के ऊपर बडा़-बडा़ झाड़ जो उगा हुआ हैं।
तो आरती को समझ में आने लगता है और वह सोचती है कहीं बाबूजी मेरी बूर के ऊपर बाल है उसकी बात तो नहीं कर रहें हैं।
यह बात समझते ही वो शर्मा जाती है और वह फिर अनजान बनते हुए पूछती है यह आप कौन सी झाड़ की बात कर रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।
तो राजनाथ और थोड़ा खुलकर बोलता है अरे वही खेत जिसके ऊपर तुमने काला काला झाड़ बढा़ के रखा हुआ है ।
तो आरती कहती है अच्छा आप उस झाड़ की बात कर रहे हैं तो मैंने उसको थोड़ी बढ़ाया है वो तो अपने आप ही बढा़ है।
राजनाथ-- वह तो मुझे भी पता है कि वह अपने आप ही बढ़ता है लेकिन उसको साफ तो करना चाहिए।
आरती क्यों उसको रहने से कुछ दिक्कत है क्या ।
राजनाथ नहीं दिक्कत तो नहीं है लेकिन झाड़ साफ रहता है तो खेत की जुताई करने में अच्छा लगता है।
कोई खेत को जोतने वाला है ही नहीं है तो साफ किसके लिए करूंगी।
क्यों दामाद जुताई नहीं करते क्याi