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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 25 आ गया है पेज नंबर 80 में आप सभी पाठक उसको पढ़ कर आनंद ले सकते हैं धन्यवाद।
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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भाग २५
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती अपने बाप राजनाथ की मालिश करने के बाद वह अपने कमरे में चली गई सोने के लिए।


इधर राजनाथ आज बहुत खुश था और उसका खुश होने का कारण थी उसकी बेटी ।

वही बेटी जो बीवी की तरह उसका हर चीज का ख्याल रखती है।

बीवी जैसी बेटी को अपने पास पाकर उसे बहुत खुशी हो रही थी और आज एक महीने के बाद उसके पास वह वापस आ ई हुई है।

और वह इसी खुशी में अपना हांथ अपने लूंगी के अंदर में डाल कर अपने लंड को सहलाने लगता है और उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगता है और देखते ही देखते कुछ ही देर में पूरा जोश में आ जाता है।


और सांप की तरह फूफकारने लगता है लेकिन राजनाथ ने अपने लंड को खड़ा तो कर दिया था लेकिन उसको शांत कैसे करेगा इसके आगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

उसको शांत करने का दो ही तरीका पहला तरीका है एक अपनी बेटी का नाम लेते हुए मुळ मार कर अपना बीज बाहर गिरा दे ।

लेकिन वह ऐसा नहीं करेगा क्योंकि वह , अपने अनमोल बीज को बाहर गिरा कर बर्बाद नहीं करना चाहता है ,


और दूसरा तरीका यह है कि उसको किसी चूत के अंदर डालकर उसको अच्छे से चुदाई करें और उसके अंदर अपना बीज गिरा दे लेकिन इस वक्त उसके लिए ऐसा करना संभव नहीं है ।

क्योंकि उसको चुदाई करने के लिए उसको चूत चाहिए और वह चूत उसकी बेटी का है लेकिन वह उसके साथ ऐसा कर नहीं सकता, क्योंकि वह उसकी बेटी है।


इसमें उसका दो मन है एक मन कहता है कि वह अपनी बेटी के साथ सेक्स करें और दूसरा मन कहता है कि नहीं यह गलत है ऐसा नहीं करना चाहिए और इसी कस्म कस में वह आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

लेकिन उसका उसकी बेटी के साथ जो छेड़छाड़ और हंसी मजाक चल रहा है उसको इसमें भी बहुत आनंद आ रहा है और ऐसा आनंद वह आगे भी लेते रहना चाहता है ।

इन्हीं हसीन ख्यालों को अपने आँखों में बसाए हुए उसे नींद आ जाती है।

फिर वह दूसरे दिन सुबह सो कर उठा और उठकर बाहर घूमने फिरने के लिए निकल गया फिर घूम फिर के वापस आया और नाश्ता पानी करके अपने काम के लिए निकल गया।

फिर वह दोपहर में वापस खाना खाने के लिए घर आता है तो आरती उसको खाने के लिए कहती है ।

और फिर उसको खाना देने के लिए जाती है तो जैसे ही वह राजनाथ के करीब पहुंचती है तो राजनाथ के नाक में एक बहुत ही सुंदर खुशबू उसके नाक में चली जाती है।


और वह खुशबू थी आरती की जो अभी कुछ देर पहले ही नहा धोकर आई थी।

उसकी खुशबू इतनी मनमोक थी कि राजनाथ ने उसको सुंघा तो उसको अलग ही दुनिया अलग ही सुख का एहसास होने लगा फिर उसने खाना खाया और खाकर वहीं बरामदे में चौकी के ऊपर बैठकर आराम करने लगाता है।

तो कुछ देर के बाद में देखता है की आरती कमरे से निकल कर उसके तरफ आ रही है तो वह उसको ऊपर से नीचे तक उसकी खूबसूरत बदन को देखने लगता है।


तो आरती उसको देखते हुए समझ जाती है कि राजनाथ उसको देख रहा है तो वह उसके पास आते हुए पूछती है कि ऐसे क्यों देख रहे हैं आप हमको ।

राजनाथ यही देख रहा हूं कि तू एक महीने अपने ससुराल का खाना खाकर आई हो तो कुछ मोटी हुई हो कि नहीं यही देख रहा था।

आरती तो आपने क्या देखा मोटी हुई हूँ कि नहीं।

राजनाथ इस तरह से कुछ पता नहीं चल रहा है मेरा मतलब है साड़ी में ढका हुआ है इस वजह से पता नहीं चल रहा है।


आरती मुस्कुराते हुए कहती है तो कैसे पता चलेगा क्या साड़ी उतारने से पता चलेगा।

तो राजनाथ मन ही मन मुस्कुराता है कहता है कहता है कि हाँ साड़ी उतारने के बाद तो अच्छी तरह से पता चलेगा।

आरती फिर से मुस्कुराते हुए कहती है कि सिर्फ साड़ी उतारने से हो जाएगा या कुछ और भी उतारना पड़ेगा।

राजनाथ यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम क्या-क्या उतरोगी।

आरती थोड़ा इठलाते लाते हूए कहती है यह क्या बात हुई देखना आपको है तो आप ही बताएंगे ना की क्या-क्या उतारना पड़ेग।


दोनों बाप बेटी के बीच में यह सब बात चल ही रहा था कि तभी दादी गेट के बाहर से आवाज देने लगती है गेट खोलने के लिए दादी की आवाज सुनकर दोनों बाप बेटी हड़बड़ा जाते हैं।

फिर आरती गेट खोलने के लिए चली जाती है और राजनाथ वहीं लेट कर आराम करने लगता है

दादी अंदर आते हुआ आरती से पूछती है राजू आया कि नहीं तो आरती जवाब देती हाँ बाबूजी आए हुए हैं और वह खाना खाकर आराम कर रहे हैं।

तो वह राजनाथ के पास जाती है औ आवाज देती है राजू राजू सो गया क्या।

राजनाथ नहीं माँ जाग रहा हूँ बोलो क्या बोलो क्या बोलना चाहती हो।

दादी बोलना क्या हम लोग कल ही बाबा के पास जाएंगे कल का दिन अच्छा है।

राजनाथ ठीक है माँ कल ही जाना चाहती हो तो चली जाना।

फिर दोनों दादी और पोती बाबा के पास जाने के लिए निकल जाती है 3 घंटे की यात्रा के बाद वहाँ पहुंचती हैं तो देखती है कि वहां काफी भीड़ है।


पहले हीं से वहाँ काफी लोग आए हुए थे। इतनी भीड़ देखकर आरती को कुछ समझ में नहीं आता है की यहाँ क्या हो रहा है क्या यह सभी लोग यहाँ इलाज कराने के लिए आई है कुछ और करने के लिए ।

उनमें से कुछ औरतों के गोद में बच्चे भी थे तो उसने एक दो से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनका भी बहुत सालों से बच्चा नहीं हो रहा था तो उन्होंने यहाँ पर जाकर इलाज कराया तो उनका बच्चा हुआ इसलिए वह बच्चे को लेकर यहाँ बाबा को दिखाने के लिए आई हुई हैं।


फिर उसकी दादी उसको वहीं बैठने के लिए बोलकर वह अंदर बाबा के पास चली गई अंदर गई तो बाबा ने उसको एक दो बार गौर से देखा तो वह उसको पहचान गए और बोले अरे माँ जी आप बहुत दिनों के बाद कैसी हो आप और कैसे आना हुआ ।

दादी बस बाबा जी हम बहुत अच्छे हैं और हम आप ही के पास कुछ काम से आए हैं ।


बाबा आप अकेली आई हो या आपके साथ में और कोई है।

दादी मेरे साथ में मेरी पोती है हम उसी को आपके पास लेकर आए हैं।

बाबा अच्छा-अच्छा ठीक है आप दोनों बाहर कुछ देर प्रतीक्षा कीजिए मैं फिर आप लोगों को बुलाता हूँ ।

दादी जी ठीक है और वह बाहर आ गई कुछ देर इंतजार करने के बाद बाबा ने उन दोनों को अंदर बुलाया फिर बाबा ने आरती को अपने पास बिठाकर उसका हाथ पकड़ा और अपनी आँखें बंद कर के कुछ मंत्र पढ़ने लगे।


कुछ देर मंत्र पढ़ने के बाद बाबा ने अपनी आँख खोली और दादी की तरफ देखते हुए बोले कि इसको बाद में अच्छे से देखना पड़ेगा इसलिए आज रात आप दोनों को यहीं रुकना होगा यह सब भीड़ खत्म होने के बाद मैं इसको शाम को अच्छे से देखूंगा इसलिए आप लोग अभी यहीं पर खाना-वाना खाकर आराम कीजिए ।

दादी बोलती अच्छा बाबा ठीक है आप जैसा बोलेंगे वैसा ही करेंगे।


फिर शाम को बाबा आरती को अपने कमरे में बुलाते हैं और कहते हैं कि तुम माँ तो बन सकती हो लेकिन इसमे एक बहुत बड़ी समस्या है जिस वजह से तुम माँ नहीं बन पा रही हो और वह समस्या है तुम्हारी मायके की यानी तुम्हारे पिताजी के घर की समस्या है जिस वजह से तुम माँ नहीं बन पा रही हो ।

आरती बाबा को आश्चर्य से देखते हुए कहती है की बाबा मेरे बाबूजी के घर में ऐसी क्या समस्या है जिस वजह से मैं माँ नही बन पा रही हूँ थोड़ा हमको साफ-साफ बताइए।


बाबा तुम्हारे पिताजी कितने भाई हैं ।

आरती मेरे बाबूजी अकेले हैं उनका और कोई भाई नहीं है ।

बाबा और तुम्हारे पिताजी के कितने बेटे हैं।


आरती जी उनका कोई बेटा नहीं है सिर्फ मैं उनकी एक बेटी हूँ और कोई नहीं है ।

बाबा बस यही समस्या है कि तुम्हारे पिताजी का कोई बेटा नहीं है ।

आरती मतलब।


बाबा मतलब यह कि उनका उनके बाद उनके। बस वंश को आगे बढा़ने वाला कोई नहीं है और जब तक उनके वंश को आगे बढ़ने वाला कोई नहीं आएगा तब तक तुम माँ नही बन पाओगी मेरा मतलब है जब तक उनका कोई बेटा नहीं होगा तब तक तुम माँ नहीं बन पाओगी।

आरती बाबा यह आप क्या कह रहे हैं क्या मेरे बाबूजी को फिर से शादी करना पड़ेगा।

बाबा शादी करना तो बहुत आसान काम है वह अभी शादी करके आसानी से एक बेटे का बाप बन सकता है लेकिन इसमें भी एक समस्या है।

आरती इसमें क्या समस्या है।

बाबा इसमें समस्या यह है कि अगर तुम्हारा बाप दोबारा शादी करता है तो उसकी मृत्यु हो सकती है अगर वह दोबारा शादी करेगा करेगा और जैसे ही बेटे का बाप बनेगा वैसे ही उसकी मृत्यु हो जाएगी क्या तुम अपने आप की मृत्यु का कारण बनना चाहोगी।

आरती बाबा यह आप क्या कर रहे हैं मैं कभी भी ऐसा नहीं करूंगी आरती यह बात सुनकर उदास हो जाती है और कुछ देर चुप रहने के बाद कहती है बाबा जी इसका मतलब अब मैं कभी माँ नही बना पाऊंगी।

बाबा तुम माँ अभी भी बन सकती हो इसके लिए तुमको बहुत हिम्मत करनी पड़ेगी।

आरती बाबा क्या करना पड़ेगा हमको।

बाबा सिर्फ तुमको नहीं तुम दोनों को एक दूसरे की मदद करनी पड़ेगी तुम उसकी मदद करोगी और वह तुम्हारा मदद करेगा तुम उसके जरिए से माँ बनोगी और वह तुम्हारे जरिए से बाप बनेगा।


आरती बाबा यह आप क्या कह रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं।

बाबा मेरा कहने का मतलब यह है कि जो काम तुम माँ बनने के लिए अपने पति के साथ करती हो वही काम तुमको अपने पिताजी के साथ करना पड़ेगा पड़ेगा मेरा मतलब है कि तुम दोनों को आपस में संबंध बनाना पड़ेगा।

आरती बाबा की बात को समझ जाती है और आश्चर्य चकित भी होती है कि बाबा यह क्या कह रहे हैं और हैरानी से बाबा की ओर देखते हुए कहती है बाबा यह आप क्या कह रहे हैं।

बाबा मैं वही कह रहा हूँ जो तुम समझ रही है।

आरती लेकिन बाबा यह कैसे हो सकता है मैं उनके साथ ऐसा कैसे कर सकती हूँ मैं उनकी बेटी हूँ और वह मेरे बाबूजी हैं।

बाबा मुझे पता है कि तुम उनकी बेटी हो और वह तुम्हारे पिताजी है लेकिन इसके अलावा तुम्हारे पास और कोई रास्ता नहीं है अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो ऐसा तुम दोनों को करना ही पड़ेगा जब तक तुम दोनों का दोस् नहीं कटेगा तब तक तुम माँ नही बन पाओगी।

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Shaandar jabardast Mast Update 🔥 🔥
Baba ne Aarti & Rajnath ko physical relation aage badhne se rokne wali pareshani ko khatam kar diya 😃 😃 😃
 
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अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की बाबा आरती से कहतें हैं कि तुमको माँ बनना है तो तुमको अपने पिताजी के साथ संबंध बनाना पड़ेगा।

बाबा की बात सुनकर आरती हैरान हो जाती है कि बाबा ऐसे कैसे कह रहे हैं ।

आरती - बाबा लेकिन यह सब कैसे हो सकता है।


बाबा- हो सकता है अगर तुम चाहोगी तो ।

आरती- बाबा क्या यह गलत नहीं है एक पिता पुत्री का आपस में संबंध बनाना।


बाबा - बिल्कुल भी गलत नहीं है तुम उसे बेटी की नजरिए से नहीं एक स्त्री की नजरिए से देखो और सोचो कि वो वह पुरुष है जो तुमको दुनिया की सबसे अनमोल खुशी दे सकता है जो कोई और पुरुष तुम्हें नहीं दे सकता।

एक स्त्री के लिए माँ बनना उसके लिए दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होती है ।


क्या तुम उस खुशी को पाना नहीं चाहोगी अगर तुम यह सोच रही हो कि तुम अपने पति को छोड़कर किसी दूसरे पुरुष से शादी करके मांँ बन जाओगी तो यह तुम्हारा सोचा भूल है तुम दुनिया के किसी भी मर्द से शादी कर लो फिर भी तुम माँ नही बन पाओगी।

बाबा की बात सुनकर आरती सोंचने लगती है की क्या जवाब दे।

बाबा आरती को चुप देखकर कहते हैं पुत्री तुम आराम से सोच समझ लो उसके बाद तुम अपना निर्णय लो मैं तुमसे अभी तुम्हें निर्णय सुनाने के लिए नहीं कह रहा हूँ तुम जितना भी समय लेना चाहती हो लेलो अभी से लेकर कल सुबह तक अगर तुमको और भी वक्त चाहिए तो तुम वापस घर जाकर भी सोच समझ लेना उसके बाद आना। इसमें मेरा कोई फायदा नहीं है सिर्फ तुम्हारा ही फायदा है हमने तुमको यह सारी बातें साफ-साफ इसलिए बता दी क्योंकि तुम्हारी दादी और हमारा पुराना जान पहचान है इसलिए मैंने सारी बातें साफ-साफ तुमको बता दिया और हाँ यह बात तुम अपने दादी से मत कहना ,इस बारे में सिर्फ तुमको ही निर्णय लेना है अब तुम जाओ।

फिर आरती बाबा के कमरे से बाहर आ जाती है, तो बाहर आते ही उसकी दादी उसे पूछने लगती है कि क्या कहा बाबा ने ,तो आरती को समझ में नहीं आता की दादी को क्या जवाब दें तो वह कहती है कि अभी उन्होंने कुछ बताया नहीं है फिर से देखेंगे उसके बाद बताएंगे।

दादी - फिर कब देखेंगे ।

आरती - अभी कुछ देर बाद देखेंगे इतना बोलकर वह वहाँ से निकाल कर घर के पीछे एकांत में जाकर बैठ जाती है और सोचने लगती है कि बाबा जो कह रहे हैं क्या मुझे वैसा करना चाहिए कि नहीं। अगर मैं ऐसा करती हूँ तो क्या मैं माँ बन जाऊंगी।


अगर बाबा इतना विश्वास के साथ कह रहे हैं तो कुछ तो सच्चाई होगी उनकी बातों में और इतने सारे लोग आज यहां आए हुए थे आखिर उनकी बातों में सच्चाई होगी तभी तो आए हुए थे यह सब सोच विचार करने के बाद फिर वह आधा घंटे मे बाबा के पास जाती है ।

तो बाबा उसको देखकर कहते हैं क्या बात है पुत्री।


तो आरती कहती है बाबा मैं आपसे बात करना चाहती हूँ।

बाबा - हाँ बोलो क्या बात करना चाहती हो।


आरती - बाबा आपने जो कहा करने के लिए अगर मैं वैसा करने के लिए तैयार हो जाऊंगी तो क्या मेरे बाबूजी वह सब करने के लिए तैयार होंगे।

बाबा - पुत्रि यह बात तो तुम्हारे पिताजी से मिलने के बाद ही मालूम होगा कि वह तैयार होंगे कि नहीं लेकिन उससे पहले तुमको निर्णय करना होगा कि तुम उसके लिए तैयार हो कि नहीं पहले तुम अपना निर्णय पक्का करो की तुम यह सब करने के लिए तैयार हो।

आरती - बाबा अगर आप इतना विश्वास के साथ कह रहे हैं तो मैं आपकी बात मानने के लिए तैयार हूँ लेकिन बाबा अगर यह सब बात दूसरे लोग जानेंगे तो वह क्या सोचेंगे हमारे बारे में।

बाबा - तुम्हारी यह बात तुम दोनों के अलावा और किसी को नहीं मालूम होगा यह बात सिर्फ तुम दोनों के ही बीच में रहेगी। सिर्फ तुम्हें मालूम होगा कि उस बच्चे का पिता कौन है और और यह सब करने से तुम दोनों बाप बेटी का रिश्ता खत्म नहीं होगा जैसे तुम दोनों आज पिता पुत्री हो कल भी तुम दोनों ऐसे ही दुनिया के सामने एक आदर्श पिता पुत्री की तरह ही रहोगी और भले ही उस बच्चे का बाप तुम्हारा पिता होगा लेकिन दुनिया वालों की नजर मे उस बच्चे का बाप तुम्हारा पति ही कहलाएगा ।

और आज तक जो शारीरिक सुख तुम्हें तुम्हारे पति से नहीं मिला वह सुख अब तुम्हारे पिता से तुमको मिलेगा अब और क्या चाहिए तुम्हें।


बाबा की यह बात सुनकर आरती शर्मा जाती है और अपनी नज़रें नीचे कर लेती है और कहती है बाबा अब हमको क्या करना होगा।

बाबा - अब तुमको करना यह है कि तुमको अपने पिताजी को लेकर यहाँ पर आना होगा इसलिए अब तुम यहाँ से जाओऔर अगले हफ्ते अपने पिताजी को साथ में लेकर आना, अब तुम अपने दादी को यहाँ बुलाओ फिर वह अपने दादी को अंदर बुलाती है तो बाबा उसे कहते हैं की माँ जी मैंने इसको अच्छे से देख लिया है और अब अगले हफ्ते इसको फिर से आना होगा इसलिए अब आप लोग जाइए और अगले हफ़्ते इसको अपने पिताजी के साथ भेजें दीजिएगा अब आपके हैरान होने की जरूरत नहीं है।

दादी - बाबा हम जिस काम के लिए आपके पास आए हैं वह काम तो होगा ना

बाबा - क्यों नहीं होगा जरूर होगा आप ऊपर वाले पर भरोसा रखिए।


दादी - बस अब आपके ही ऊपर भरोसा है अब आप ही कुछ कर सकते हैं।

बाबा - आप जिस भरोसे के साथ यहां आई है आपका भरोसा टूटेगा नहीं और आपकी पोती जरूर माँ बनेगी और आप उसके बच्चे को अपनी गोद में खेलाओगी ।

दादी- बाबा मैं कब से चाह रही हूं कि ऐसा हो लेकिन हो तब ना।


बाबा- क्यों नहीं होगा जरूर होगा अब आप बेफिक्र होकर यहां से जाइए।

फिर वह दोनों दादी और पोती वापस घर आ जाती है तो राजनाथ अभी घर में नहीं था कहीं बाहर गया हुआ था फिर शाम हो जाती शाम होने के बाद राजनाथ वापस घर आता है और आते ही अपनी माँ के पास जाता है और वहाँ क्या-क्या हुआ वह सब पूछने लगता है और पूछता है कि बाबा ने क्या कहा।

तो राजनाथ की मां कहती है कि अभी तो कुछ भी नहीं बताया अगले हफ्ते फिर बुलाया है अब तुम इसके साथ में चले जाना।

राजनाथ - ठीक है मैं चला जाऊंगा लेकिन आज उन्होंने कुछ भी नहीं बताया।

राजनाथ की माँ उन्होंने बस इतना ही कहा कि आप लोग जिस काम के लिए आई हो वह काम हो जाएगा।।

राजनाथ - ठीक है जब जाने का होगा मैं इसके साथ चला जाऊंगा इतना बोला और फिर उसने रात का खाना खाया और फिर सोने के लिए अपने कमरे में चला गया , उसके बाद आरती ने भी खाना खाया और खाना खाने के बाद वह राजनाथ को मालिश करने के लिए जाने ही वाली थी कि , उसके दिमाग में बाबा वाली बात घूमने लगती है और वह सोचने लगती है कि आज तक मैं अपने बाबूजी के सामने एक आदर्श बेटी बनी हुई थी ,और अब कुछ दिनों के बाद में मैं उनके साथ में उनके बिस्तर पर सोऊंगीं वह भी बिना कपड़ों के पूरी नंगी और फिर बाबूजी मेरे साथ वह सब करेंगे जो एक पति अपनी पत्नी के साथ करता है।

यह सब सोचते ही आरती का शरीर गन गना जाता है और वह शीहर उठती है फिर वह धीरे-धीरे राजनाथ के कमरे में जाने लगती है और जैसे ही दरवाजे के पास पहुंचती है तो राजनाथ उसकी पायल की आवाज सुनकर समझ जाता है की आरती आ रही है तो वह सोने का नाटक करने लगता है और आँख बंद करके सो जाता है।

तभी आरती कमरे में जाती है तो देखती है कि बाबूजी सो गए हैं तो वह उसके बीशतर के करीब जाते हुए कहती क्या बात है आज बड़ी जल्दी नींद आ गई और दिन बिना मालिश के नींद नहीं आती थी और आज कैसे बिना मालिश की नींद आ गई।

तभी राजनाथ अपनी आँख खोलते हुए कहता है कहाँ किसे नींद आ गई।

तो आरती कहती है अरे अभी तो आप सो रहे थे फिर जाग कैसे गए।

राजनाथ - सोया हुआ नहीं था सोने की कोशिश कर रहा था।

आरती - क्यों सोने की कोशिश क्यों कर रहे थे।

राजनाथ - मैंने सोचा किया आज तुम थक गई होगी तो शायद मालिश करने के लिए नहीं आओगी तो इसलिए मैं सोने की कोशिश कर रहा था।

आरती - आज मैं आपसे एक बात कह देता हूं मैं कितनी भी थक जाऊं या मुझे कुछ भी हो जाए लेकिन आपको मेरे रहते हुए बिना मालिश के सोने नहीं दूंगी।

राजनाथ - इतना प्यार करती है तू मुझसे।

आरती- क्यों आपको कोई शक है।

राजनाथ -नहीं मुझे कोई शक नहीं मुझे पता है कि मेरी बेटी मुझसे कितना प्यार करती है और मैं भी उसे उतना ही प्यार करता हूं।

आरती - यह तो कुछ दिन के बाद ही पता चल जाएगा कि आप मुझसे कितना प्यार करते हैं।

राजनाथ - कैसे पता चल जाएगा।

आरती - बस पता चल जाएगा ऐसे ही।

राजनाथ -अच्छा तुमने बताया नहीं की बाबा ने आज क्या कहा।

बाबा - ने आरती से यह सब बात बताने के लिए मना किया था और कहा था कि यह सब बात तुम अपने पिताजी को अभी मत बताना वह जब यहां आएगा तो मैं खुद उसे बता दूंगा।

आरती मन ही मन सोचती है और कहती कि बाबा ने तो बहुत कुछ बताया है लेकिन आपको वह सब नहीं बता सकती और वह कहती है कि बाबा ने अभी कुछ बताया नहीं इस बार जाऊंगी तब बताएंगे।

राजनाथ- तो कब जाना है वहां।

आरती -बाबा ने रविवार को आने के लिए कहा है उसे दिन भीड़ कम रहती है तो उसी दिन आने के लिए कहा।

राजनाथ - तो ठीक है उसी दिन चलेंगे

आरती राजनाथ की मालिश करते हुए उसके पूरे बदन को देखने लगती है अरमान ही मन सोचती है कि बाबूजी का शरीर कितना मजबूत और हट्टा कट्टा है जब यह मेरे ऊपर चढे़गें तो मेरी तो हालात ही खराब हो जाएगी यह इतने तगड़े हैं और मैं इतनी पतली कैसे मैं इनका वजन सह पाऊंगी।


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